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मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति -4
मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति -4
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अब तक िकताबो या लोगो से सुने सभी सामािजक िवचार मुझे बेकार लगने लगे थे ...
इ त, स ान, मयादा सब आपके िदल म ही अ े लगते ह ...िदखावट करने से ये आपको जंजीरों म जकड़ लेते ह ...
म अगर इन सब म पड़ता ...तो अब तक जूली से लड़ झगड़ कर ... हम दोनों की िजंदगी नरक बना लेता ...
ल िकसी की भी चूत म जाए ..इससे ना तो ल को फक पड़ता है ..और ना ही चूत का ही कुछ नुकसान होता है ...
पर ु बदलाव आने से ...एक अलग मजा आता है ..और जवानी बरकरार रहती है ...
म: तू चुप कर जान ...मुझे भी तो पता चले ..िक मेरे पीछे उस साले डॉ र ने ा िकया ..??
हा हा हा हा ..
अनु:हाँ भैया ...मेरे को िचड़ा रही ह भाभी ...जब आप यहाँ नही ं थे तब ...ना
म: पुच च च च ..(मने अनु को अपने पास करके उसके गाल को चूमते ए पूछा) बता बेटा .. ा िकया डॉ र ने ...
जूली अपने चेहरे को नीचे कर खाते ए ही ...आँ खे ऊपर को चढ़ा ..हम दोनों को घूर रही थी ...
उसके चेहरे के भावो को दे ख ..मुझे लग रहा था िक ..ज र कुछ ..अलग राज़ खुलने वाला है ...
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मने अपने सीधे हाथ से अनु की नंगी ..िचकनी जांघे सहलाते ए उसको बढ़ावा िदया ...
म: ाआआआआ ....
म: हाँ मुझे पता है जान ...सॉरी यार उस समय म तु ारे पास नही ं था ..
जूली: ओह थ माय लव ..
जूली: अरे उस िदन मने पीला वाला .लॉ ग गाउन पहना था ना ...बस ...उसी कारण...
म: अरे तो ा आ जान ... डॉ र जब चूतड़ों पर इं जे न ठोंकता है ...तो उसके सामने तो सभी को नंगा होना ही पड़ता है ...
अनु: हाँ भैया ... मगर भाभी ने तो उस िदन ..क ी भी नही ं पहनी थी ...
डॉ र ने तो भाभी के चूतड़ और सुसू पूरी नंगी दे खी थी ..हे हे ..
अनु: नही ं भाभी ..ब त दे र तक उ ोंने आपके चूतड़ सहलाये थे .. मने दे खा था ...
अनु ने तो जैसे पूरा मोचा संभाल िलया था ... उसको लगा आज जूली िक डांट पढ़बा कर ही रहे गी ...
जूली: ओह ... नही ं जान ..मुझे कोई होश नही ं था ..मुझे नही ं पता ..ये ा बक रही है ....
आ य जनक प से उसने अपने दोनों पैरो के को खोल ...एक गैप बना िदया ...
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मेरी उँ गिलयों ने एक बार िफर उसकी कोरी ..छोटी से िचकनी ..फ़ु ी को सहलाना शु कर िदया ...
म: मेरी ारी ब ी ...वो जो डॉ र है ना सुई लगाने से पहले ..उस जगह को मुलायम करने के िलए ..मलते ह ....
् ह
अनु: अहा ह्हह ् ह
् ......... ज ी ........भैया
अनु: मुझे लगा ..िक वो भाभी के साथ कोई ग ी हरकत कर रहे हों ...
ऐसी बात करते ए और ... मजे लेते ए हम तीनो ने खाना ख िकया ...
मेरे मन म ना जाने िकतने िवचार चल रहे थे ... िक आज रात अनु के साथ कुछ न कुछ तो करता ँ ...
मने सोच िलया ..िक आज रात को ये ...उसके िकसी न िकसी छे द म तो डालूँगा ही ....
.................
अनु की िचकनी फ़ु ी और मनमोहक चूतड़ ने मेरी सोचने समझने की श को िबलकुल ख़ ही कर िदया था ....
मेरी कुछ समझ नही ं आ रहा था ..िक कैसे इसकी ठु काई क ँ ...
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जो एक दू सरे की इ ा का स ान भी कर रहे थे ..
मगर एक दू सरे के सामने खुलकर िकसी दू सरे से रोमांस नही ं कर पा रहे थे ...
मेरे िदमाग म यही चल रहा था िक अगर म अनु को चोद रहा ँ ...और जूली दे ख ले ...तो ा वो कोई िति या दे गी ...
ये अ ा ही था िक जूली बैड म म रहे गी ..और म आसानी से अनु िक टाइट चूत खोल पाउँ गा ..
पता नही ं मेरे फायदे के िलए िकया .... या सब कुछ रोकने के िलए ...
और उसने फटाफट अपना िब र उठाया ..और बैड म म आ दे खने लगी िक िकस तरफ लगाना है ..
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पर जब अनु..... जूली के पास ही सोयेगी .तब तो म हाथ भी नही ं लगा पाउँ गा ...
मेरा िदल कही ं न कही ं डूबने लगा था ... और जूली को बुरा भी कह रह था ....
मने कमर म एक पतला कपडा बाँध िलया था ...और पूरा नंगा था ....
वैसे म नंगा ही सोता था ... पर आज अनु के कारण मने वो कपडा बाँध िलया था ...
जूली अपनी उसी शाट नाइटी म थी ...जो उसके पैर मोड़ने से उसके कमर से भी ऊपर चली गई थी ..
हाँ उसमे अभी भी शम थी ..या वाकई ठ के कारण वहां रखी पतली चादर ओड ली थी ...
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जूली भी थोड़ा सा खसक ... अपने चूतड़ों को िहलाकर .. ल को सही जगह सेट कर लेती है ..
मगर मने सब कुछ जानकार भी अपने हाथ को अनु िक चादर म डाल िदया ...
मने जूली की परवाह ना करते ए ... अपना हाथ सीधे पेट से सरकाते ए ...
मेरी उँ गिलयों ने उसकी फ़ु ी को सहलाते ए ..ज ी ही उसके बेिमसाल छे द को टटोल िलया ...
बस अनु िबदक गई ...और उसने तुरंत मेरा हाथ झटक िदया ....
म पहले तो घबरा गया ...मगर िफर मेरे िदमाग ने काम िकया ...
म: अरे म दे ख रहा ँ िक तूने कही ं सूसू तो नही ं कर िदया ... ग ा खराब हो जायेगा ...
..............
इन सब बातों को सोचने के बारे म ...मेरे िदल और िदमाग दोनों ने ही मना कर िदया था ...
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अनु की नाजुक जवानी को चखने के िलए उसमे इतना तनाव आ गया था ...
जूली ने अनु का हाथ पकड़ ...खच कर सीधे मेरे तने ए ल पर रख िदया .....
जूली ने ना केवल अनु का हाथ ..मेरे ल पर रखा ..व उसको वहां पकडे भी रही ..
उसने कसकर अपनी छोटे छोटे हाथ से बनी जरा सी मु ी म मेरे ल को जकड िलया ...
तभी अनु मेरे ल को सहलाते ए अपना हाथ ..ल के सुपाड़े के टॉप पर ले जाती है ..
जूली: हा हा हा ...
मेरा िदल कर रहा था िक ..जमाने भर िक खुिशयाँ लाकर उसके कदमो म डाल दू ँ ...
मेरे ल और अनु की चूत के गीलेपन की बात से ही वो समझ गई.....िक हम दोनों अब ा चाहते ह ...
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वो िबना कुछ जािहर करे अनु को एक झटके से ...अपने ऊपर से पलटकर मेरी ओर कर दे ती है ..
मेरे िदल म एक डर भी था ..िक कही ं जूली कुछ फंसा तो नही ं रही ...
मगर िपछले िदनों मने जो कुछ भी दे खा और सुना था ...जूली का वो खुला प याद कर मेरा सारा डर िनकल गया ...
मने झुककर अनु के पतले कांपते होंठो पर अपने होंठ रख िदए ...
अचानक मने महसूस िकया िक उसने िफर से अपनी मु ी म मेरे ल को पकड़ िलया है ...
उसकी बैचेनी को समझते ए मने उसके होंठो को छोड़कर ...........ऊपर उठा ....
मने उसकी समीज की ढीली आ ीन को उसके कंधो से नीचे सरका िदया ...
मने उसके सीने से समीज को नीचे कर उसकी नाजुक ...छोटी छोटी चूिचयों को एक ही बार म अपनी हथेली से सहलाया ...
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जूली अपने नंगे चूतड़ को उठा ..हमारी ओर करवट िलए वैसे ही लेती थी ....
मेरा कमर से िलपटा ..कपडा तो कब का खुलकर ..िब र से नीचे िगर गया था ...
मने नीचे झुककर उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह म ले िलया ...
उसकी पूरी चूची मेरे मुँह म आ गई ... म उसको हलके हलके चूसते ए ..
अपनी जीभ िक नोक से उसके जरा से िन ल को कुरे दने लगा ...
मने अपना बायां हाथ उसकी जांघो के बीच ले जाकर सीधे उसकी फ़ु ी पर रखा ...
और अपनी ऊँगली से उसके छे द को कुरे दते ए ही एक ऊँगली अंदर डालने का यास करने लगा ....
मुझे संसय होने लगा िक इतने टाइट छे द म मेरा ल कैसे जायेगा ....
वाकई उसका छे द ब त टाइट था ... मेरी ऊँगली जरा भी उसमे नही ं जा पा रही थी ....
........................
मेरे सामने ही ..बेड के दू सरी छोड़ पर मेरी से ी बीवी लगभग नंगी करवट िलए लेटी है ...
उसकी अित पारदश नाइटी ..जो खड़े होने पर उसके घुटनो से ६ इं च ऊपर तक आती थी ...
उसके म चूतड़ ..पीछे को उठे ए ....मेरे से को कही ं अिधक भरका रहे थे ....
अब तक मजेदार भोजन खलाने वाली मेरी बीवी ने.... आज एक ऐसी मीठी िडश मेरे सामने रख दी थी ,,,और सोने का नाटक कर
रही थी ...
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अनु बार-बार मेरे गठीले एवं संतुिलत बदन से कसकर िचपक जाती थी ...
म कभी दाई ..तो कभी बायी ं चूची को अपने मुँह म लेकर चूस रहा था ...
म भी अपना हाथ आगे उसकी फ़ु ी से हटा ...उसके मांसल चूतड़ों पर रख उसको अपने से िचपका लेता ँ ..
मने एक बात और भी गौर की..... िक अनु शु शु म बार बार ...जूली की ओर घूमकर दे ख रही थी ....
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और अनु अपने कमर को िहलाते ए मखमली चूत को मेरे ल पर मसल रही थी ...
मगर िफर भी मेरे ारा चूची चूसने की ..पुच िपच जैसी आवाजे हो ही रही थी ं ....
अनु की बेकरारी मुझे उसके साथ और भी ादा खेलने को मजबूर कर रही थी ....
िफर उसकी गदन को चूमते ए ...जरा सा उठकर ..नजर भर अनु के म उठानो को दे खा ...
दोनों चूची छोटे आम की तरह ..उठी ई ..जबरद टाइट ... और उन पर पूरे गुलाबी ..छोटे से िन ल ..
िफर नीचे सरकते ए उसके पतले पेट तक पं चा ..अब मने उसके पेट को चूमते ए ..
अपनी जीभ उसकी ारी सी नािभ पर रख दी ...
अनु मचल रही थी ...उसके मुँह से अब हलकी हलकी आह िनकलने लगी ...
् ाआ ह्हह
अनु: अह्हह ् ह
् आ
मने अनु के पैरों को फैलाया ...और उसकी कोमल कली फ़ु ी ...पहली बार इतनी नजदीक से दे खा ...
मगर अनु की चूत िबलकुल अनछु ई थी .... उस पर अभी बालों ने आना शु नही ं िकया था ...
इतनी ारी कोमल अनु की चूत इस समय मेरी नाक के नीचे थी ....
उसके चूत से िनकल रहे काम रस की खुसबू मेरे को मदहोश कर रही थी ....
् ाआआआ ज
अनु: अह्हह
11 of 29 02-09-2016 03:30
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जोर से तरफी ...उसने अपनी कमर उठा ..बेकरारी का सबूत िदया ....
और अपना ल का मुँह ... उसके लपलपाती ..चूत के मुख पर िटका िदया .....
............
मने उसके दोनों पैरों को मोड़कर ... फैलाकर चोडा कर िदया ....
मने अपनी कमर को आगे कर ..अपना तनतनाते ल को उन किलयों सी िचपका िदया ...
मेरे गम सुपाड़े का श अपने चूत के मुह पर होते ही अनु िससकार उठी ...
12 of 29 02-09-2016 03:30
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िफर कुछ पीछे को होकर ल को चूत के मुख को खोलते ए अंदर सरकाने की कोिशश करता ँ ...
१-२ बार सुपाड़ा ..जरा जरा ...सा ही चूत को खोल अंदर जाने का यास भी कर रहा था ..
और उस हर अव था का अ ा अनुभव रखता था ..
खून, चादर, चीख िच ाहट ..और ना जाने िकतनी परे सानी आ सकती है ...
मेरा ज़मीर ..मेरे को उसके सामने कभी नीचे िदखने को राजी नही ं था ...
13 of 29 02-09-2016 03:30
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और अगर ार से ले गई तो ठीक ..
अनु की नाचती कमर बता रही थी की उसको इस सबमे भी चुदाई का मजा आ रहा है ...
पर लगता है िक...
उसके पसीने से भीगे ..नरम छोटे हाथो म आकर ल और मेरी हालत ख़राब होने लगती है ...
उसके कैसे ए हाथो म मुझे ऐसा ही लग रहा था िक मेरा ल ..चूत के अंदर ही है ...
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म: अहाआआआआ ह्हह ् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ओह्हह
् ह
् ह
् ह
् ह्हह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् आआआआअ ह्हह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह्हह
् ह
् ह
् ह
् ऊऊ ओह
् ह
ह्हह ् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
्
कई िपचकारी अनु की चूतको पूरा गीली करती ई उसके पेट और छाती तक को िभगो गई ...
.....................
अनु बाथ म से अपने शरीर को साफ़ करके िफर मेरे पास आ िचपक कर लेट गई ...
इतनी कम उ म भी वो से की दे वी थी ...
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मेरी कमर तक चादर थी ...जो पता नही ं मने खुद ली या िकसी और ने... कुछ पता नही ं ....
मने चादर हटा कर दे खा ...मेरी कमर पर रात को बंधा कपडा ..भी अंदर ही था ...
बंधा तो नही ं पर हाँ िलपटा ज र था ....
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ा नजारा था .....
शायद उसने खुद या िफर जूली ने उसको समीज पहनाने की कोिशश की होगी ...
मुझे लगा की रत जोश म मुझे पता नही ं चला ..पर शायद अनु को ब त क आ होगा ...
इसका मतलब अनु ने रात को बोरो स भी लगाया ...इसने एक बार भी मुझे अपने दद के बारे म नही ं बताया ...
17 of 29 02-09-2016 03:30
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उसकी आवाज म कही ं कोई नाराजगी या कुछ अलग नजर नही ं आया ...
............................
१० से भी ऊपर हो गए थे ...
मेरे जरा से सहलाने से ही ..उसकी पतली नाइटी .. खसकी और जूली के नंगे चूतड़ मेरे हाथो के नीचे थे ...
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म: ा बात जानू .... कुछ पहन कर दू ध िलया ..या ऐसे ही दू धवाले को जलवा िदखा िदया ...
वो तो मर गया होगा बेचारा ...
म समझ सकता था िक ..जूली के दशन कर कॉलोनी वालों के मजे आ जाते होंगे ...
अब जब जूली को िदखाने म मजा आता है ...तो म उसके इस आनंद को नही ं छीन सकता था ..
हाँ जूली ने एक बात की िजसके िलए मुझे कोई ऐतराज नही ं था ...
म: तो बोलो न जानू ..मने कभी तुमको िकसी भी बात के िलए मना िकया है ा ..
19 of 29 02-09-2016 03:30
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जूली पूरी तरह मेरे ऊपर आ मुझे चूमकर मनाने म लगी थी ...
म: अरे जान ..म कोई मना थोड़ी कर रहा ँ ... कैसे कर पाओगी इतना सब ..
बस इसीिलए ..
मुझे तु ारा ब त ाल है जान ..
म: कहाँ है जानू ये ू ल ..
जूली: ब त दू र है ा ..?????.
जूली: चलो िफर ठीक है म जाकर दे खती ँ ...अगर ठीक लगा तो ही हाँ क ँ गी ...
20 of 29 02-09-2016 03:30
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सोचते ए िक अंकल ना जाने मेरी दोनों बुलबुलों के साथ ..."जो लगभग नंगी ही ह" .. ा कर रहा होगा ...
..............................
मने िदमाग से जूली, अनु और ितवारी अंकल को िबलकुल िनकाल िदया था ...
मुझे अब कोई िचंता नही ं थी जूली चाहे िजससे कैसा भी मजा ले ....
मुझे पूरा िव ास था की जूली िकतनी भी िबंदास हो ..मगर ऐसा कुछ नही ं करे गी ,,िजससे बदनामी हो ... वो ब त समझदार है ...जो
भी करे गी ब त सोच समझ कर ...
पहले मुझे ऑिफस के अलावा कुछ नही ं िदखता था ..चाहे कुछ हो जाये म समय पर ऑिफस प ँ च ही जाता था ...
मुझे याद है िपछले िदनों ऐसे ही एक बार ..जूली ने रं जू भाभी (ितवारी अंकल की बीवी) को कुछ सामान दे ने को कहा था ....
एक बात याद िदला दू ...ितवारी अंकल भले ही ६०-६५ साल के हों ...पर रं जू भाभी उनकी दू सरी बीवी ह ..
21 of 29 02-09-2016 03:30
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रं जू भाभी अंदर वाले कमरे म ..बालकनी वाला दरवाजा खोले ...िजससे हलकी धूप कमरे म आ रही थी ...
केवल एक पेटकोट अपने सीने पर छाितयों के ऊपर बांधे ..अपने बालो को टॉवल से झटक रही ं ह ...
ब डर लगा िक यार ..ये मने ा दे ख िलया ..अगर भाभी या अंकल िकसी ने भी मुझे ऐसे दे ख िलया तो ा होगा ..???
भाभी ने एक टॉवल को एक झटका िदया और उनका पेटीकोट शायद ढीला हो गया ...
उनके बार-बार टॉवल झटकने से उनके दोनों बॉल ऐसे उछल रहे थी ...
भाभी चाहे िकतनी भी से ी थी ..पर अंकल की बीवी यानी आं टी होने के नाते मने कभी उनको इस नजर से नही ं दे खा था ...
शायद इसीिलए कहा जाता होगा िक आजकल लड़िकयों के इतने खुले व ों के कारण ही इतने ादा बला ार हो रहे ह ...
और यहाँ भी भगवान से ाथना कर रहा था ...िक अंकल अभी वापस ना आएं ...
22 of 29 02-09-2016 03:30
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और जाते ए ही उ ोंने अपना पेटीकोट ..चूतड़ों से नीचे सरकाते ए..पूरा िनकाल िदया ...
उनकी नंगी गोरी पीठ और िवशाल गोल उठे ए चूतड़ गजब का था ...
उनके दोनों चूतड़ आपस म इस कदर िचपके थे िक जरा सा भी गैप नही ं िदख रहा था ...
िफर भाभी सीसे के सामने खड़ी हो अपने बाल ..कंघे से सही करने लगी ..
म सीसे से ही उनके आगे का भाग ..या यूँ कहो िक उनकी चूत को दे खना चाह रहा था ...
भाभी हाय राम कहते ए टॉवल उठा खुद को आगे से ढक लेती ह ...
बस जूली ने ही एक बार कुछ कहा था ..िजसका मेरे से कोई मतलब नही ं था ...
आज मेरे पास कोई वाहना नही ं था ... ना ही म उनको कुछ दे ने आया था ...
अह्हा ........
...........................
23 of 29 02-09-2016 03:30
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सफ़ेद टाइट पजामी और शाट ैक कुत पहने वो िकिचन म काम कर रही थी ं..
भाभी के चूतड़ इतने िवशाल और ऊपर को उठे ए थे िक कुत के वावजूद पूरे िदख रहे थे ...
पर शायद उनको एहसास हो गया था िक कोई है ..और वो उनके पित ..ितवारी अंकल ही हो सकते ह ...
रं जू भाभी: अरे सुनो ..जरा मेरी पीठ म खुजली हो रही है ..जरा खुजा दो ...
मने भी कुछ और ना सोचते ए उनके म बदन को छूने का मौका जाया नही ं िकया ...
मने भाभी िक टाइट कुत को उठाकर ..अपना हाथ अंदर को सरका िदया ...
रं जू भाभी की सफ़ेद .. बाल रिहत िचकनी पीठ आधी नंगी मेरे सामने थी ...
रं जू भाभी: अरे नाखून से खुजाओ न ...पसीने से पूरी पीठ म खुजली हो रही है ...
मने हाथ कुत के अंदर तक घुसा कर ऊपर उनकी गदन और कंधो तक ले गया ...
मन ने कहा अगर जरा से जोर लगाकर कुत ऊपर को सरकाऊ तो आज म े नंगे िदख जायगे ...
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टाइट पजामी म कही ं भी मुझे पटी लाइन या क ी का कोई िनशान नही ं िदखा ...
और मेरी िह त इतनी बढ़ गई ..
िक मने पीठ के िनचले भाग को सहलाते ए अपनी उँ गिलयाँ उनकी पजामी म घुसा दी ..
उ ोंने एक बार भी नही ं रोका ब ..बात भी ऐसी करी ..जो हमेशा से म चाहता था ...
ओह इसका मतलब रं जू भाभी सब जानती थी ..िक ितवारी अंकल मेरे यहाँ ों जाते थे ...
और वो वहां ा करते थे ...
मने कुछ ना बोलते ए ...अपना हाथ कसकर पूरा पजामी के अंदर घुसा िदया ..
् ह
रं जू भाभी: अह्हह ् ह
् ाआआआआ
मेरे सीधे हाथ िक छोटी ऊँगली चूतड़ के गैप म अंदर को घुस गई ...
और मुझे उनकी चूत के गीलेपन का भी पता चल गया ...
रं जू भाभी: ओह ा करने लगे सुबह सुबह ...िफर पूरा िदन बेकार हो जायेगा ..
ा िफर जूली को नंगा दे ख आये ..जो हरकत शु कर दी ...
बस मने जोश म आकर अपने बाएं हाथ से उनकी पजामी की इला क को नीचे सरकाया .
और पजामी दोनों हाथ से पकड़ उनके चूतड़ों से नीचे सरका िदया ..
उ ोंने अपनी कमर को िहला ब त ह ा सा िवरोध िकया ...पर उनके हाथ आटे से सने थे ..इसिलए अपने हाथ नही ं लगाये ..
दोनों चूतड़ एक तो सफ़ेद ..गुलाबी रं गत िलए ...गोलाई आकार िलए ए ..एक दू जे से िचपके ..मनमोहक ुत कर रहे थे ...
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तभी ....
रं जू भाभी:......
अर ईईईईए आर र् र एे े े े◌े े े रोिबन जी आअप पपपप
इइइइइइइ
..........
......................
तो कुछ ठीक से िदखाई नही ं दे ता ... पर इस समय सभी मेरी आँ खों के सामने नंगा था ...
एक मुझसे ब त छोटी थी ... से से िबलकुल अनजान .. केवल खेल समझने वाली ...
रं जू भाभी अपने आप िकिचन की ैप पर हाथ रख ..अपने चूतड़ों को ऊपर को उठा .. झुक जाती है ..
म नीचे उकड़ू बैठ ..उनके चूतड़ों के दोनों भाग ..अपने हाथों से फैला लेता ँ ...
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मेरी जीभ इतने ारे को केवल दू र से दे खकर ही संतु नही ं हो सकती थी ...
मने अपने थूक को गटका ..और अपनी जीभ र ु भाभी की चूत पर रख दी ...
िफर अपनी जीभ िनकाल कर दोनों छे दों को बारी बारी चाटने लगा ...
रं जू भाभी: अह्हह ् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ाआआआआ आए ओओओओ ह्हह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् आहा आउच अह्हा अह्हह
् यह ह्हह
् ह
् ह
् आअह
ओह्हह ् ह
् ह
् ह
् ह
् माआअ आआ इइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ उउउ
अब मने उनकी पजामी को नीचे उतारते ए भाभी के गोरे पैरों के पंजों तक ले आया ..
अब वो मेरी और घूमकर ..
िकिचन िक ैप पर बैठ जाती ह ..
रं जू भाभी अपना बायाँ पैर उठाकर ैप पर रख लेती ह ..
म उकड़ू बैठा बैठा आगे को खसक उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाता ँ ....
् ह
रं जू भाभी: आह्हह ् ाआआ खा जा इसे ... ओह
वो मेरे बाल पकड़ मेरे सर को िफर से चूत पर लगती ह ..
पर मुझे समय का ान था ..
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म आगे को आ ..
ऊऊर् र आऊऊऊर् र और ..
धाआआआ ् ् ् ्
रं जू भाभी ब त बेकरार थी ..
उ ोंने खुद अपनी कुत अपनी चूिचयों से ऊपर कर अपनी मदम चूची नंगी कर दी थी ं ..
मने अपने हाथ उनकी मुलायम चूची पर रख उनका काम खुद करने लगा ..
मेरे कठोर हाथो म मुलायम चूची का अकार पल ितपल बदलने लगा ....
् ह
रं जू भाभी : अह्हह ् ाआ ज ी करो ... रोिबन ..तु ारे अंकल आ गये तो मुझे मार ही डालगे ..
् ह
म: अऊ ओह ह्हह ् ह
् ह
् अरे कुछ नही ं होगा ...वो वहां जूली के साथ ह ...
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म: अरे नही ं भाभी ...आप को कुछ नही ं पता ... उन दोनों म और भी ब त कुछ हो चुका है ..
रं जू भाभी: तू पागल है ...अह्हह ् ाआ अहा ... कुछ नही ं आ ... और वो अब िकसी लायक भी नही ं ह ...
उनका तो ठीक से खड़ा भी नही ं होता ..
ओह उ ् और तेज अहा
मजा आ गया
कुछ मत बोल अह्हह ् ह
् ह्हह
् ह
् ह्ह
आज ब त िदनों बाद ....अह्हह ् ह्हह
् ह
्
मेरे को करार आया है ...
् ह
रं जू भाभी: अह्हह ् ाआआआ ह्हह ्
वैसे शक तो मुझे भी है ....िक ये जूली के यहाँ कुछ ादा ही रहने लगे ह ...
तू अह्हह् ह
् ाआ ह्हह् अह्हा
अब म ान रखूंगी ..
और करने दे उनको ..
तेरे िलए म ँ ना अब ...
इसको तो तू ही ठं डा कर सकता है ...
म: अह्हह ् अह्हह ् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
्
हाँ भाभी मने दोनों को िचपके और चूमते सब दे खा था ...
जूली अंकल का ल भी सहला रही थी ...
अह्हह् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ह
् ाआआआआ
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