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तौज़ीहुल मसाइल सीसतानी
तौज़ीहुल मसाइल सीसतानी
तौज़ीहुल मसाइल सीसतानी
मत
ु ाबिक़े फ़तावाए
जईमल
ु हौजातल
ु इल्म़ीयह आयतल्
ु लाहहल उज़्मा
जजल्लाहुल वारिफ़
(अनव
ु ादकः- सैय्यद मौ0 हाममद रिज़वी किािवी)
1
मक
ु द्दे मा
अली हुसन
ै ी सीस्तानी मद्द़े जज़ल्लहुल आली क़े फ़तवों पि मश्ु तममल है ताकक आपक़े
मक
ु जल्लदीन िोज़मिाक प़ेश आऩे वाल़े मसाइल का शिई हुक्म मालम
ू कि सकें।
मज्
ु तहहद की तकलीद
अपऩे को गुनाहों स़े िचाता हो औि अपऩे दीन क़ी हहफ़ाज़त (धमक क़ी िक्षा) किता
हो औि खद
ु अहकामी इलाही क़ी इताअत किता हो, उसक़ी तकलीद कि़े ।" इसक़े
िाद इमाम (अ0) ऩे फ़िमाया "य़े औसाफ़ चन्द शीअः फ़ुकहा में हैं, सि में नहीं ।"
है ः-
2
"गैित़े कुििा (दीर्ककालीन पिीक्षा) क़े ज़माऩे में प़ेश आऩे वाल़े हालात क़े
मसलमसल़े में हमािी हदीसों (कथनों) को ियान किऩे वाल़े िाववयों क़ी तिफ़ रूर्जउ
ु
तमाम लोंगो पि र्जो दिर्जाए इजज्तहाद पि फ़ाइज़ नहीं हैं अपऩे ज़माऩे क़े
र्जाम़ेउश्शिाइत मज्
ु तहहद (वह मज्
ु तहहद जर्जसमें सभी शतें पाईं र्जाती हों) क़ी
तकलीद किना वाजर्जि (अतनवायक) है क्योंकक इसक़े िगैि उनक़ी इिादात औि ऐस़े
तफ़्सीली मआखखज़ (कुिआन, हदीस, इर्जमाअ, अक़्ल) स़े शिई हुक्म इजस्तिाद
कि चक
ु ा हो उसक़े मलय़े तकलीद किना र्जाएज़ नहीं, अलित्ता र्जो खद
ु मज्
ु तहहद न
अगिच़े इजज्तहाद औि तकलीद क़े अलावा एक तीसिी सिू त भी मजु म्कन है यानी
3
मर्ज
ु तहहदीन क़े इजख़्तलाफ़़ी फ़तवों स़े पिू ी तिह िाखिि हो औि ऐसा तिीका ए
अमल इजख़्तयाि कि सक़े जर्जसमें र्जाम़ेईयत पाई र्जाती हो। ज़ाहहि है कक यह काम
भी तकिीिन इजज्तहाद ही क़ी तिह दश्ु वाि औि मजु श्कल है । पस हमाि़े मलय़े दो ही
किें । (इदािः)
अकवाले जिी
(स्वखणकम कथन)
"क्या तुमऩे पिू ी तिह समझ मलया है कक इस्लाम क्या है? यह एक ऐसा दीन
(धमक) है जर्जसक़ी ितु नयाद हक व सदाकत (यथाथक एवं सत्य) पि िखी गई है। यह
ववव़ेक) क़ी मत
ु अद्हदद नहदयां (अऩेकों धािाऐं) िूटती हैं। यह एक ऐसा चचिाग
िहनम
ु ा ममनाि है र्जो अल्लाह क़ी िाह (मागक) को िौशन किता है । यह उसल
ू ों औि
4
ऐ लोगों ! र्जान लो कक अल्लाह तआला ऩे अपनी िितिीन खुशनद
ू ी क़ी र्जातनि
तिदीद तफ़व्वक
ु औि मस
ु जल्लमः दातनश स़े नवाज़ा है ।
अि यह तुम्हािा काम है कक अल्लाह तआला ऩे उस़े र्जो शान एवं अज़मत
(वैभव एवं प्रततभा) िख़्शी (प्रदान क़ी) है उस़े कायम िखो। उस पि खुलस
ू ़े हदल स़े
(सहृदयतः) असल किो। उसक़े मोतककदात स़े इन्साफ़ किो। उसक़े अहकाम औि
फ़िामीन क़ी सहीह तौि पि तअमील (परिपालन) किो औि अपनी जज़न्दगीयों में
उस़े मन
ु ामसि मकाम (उचचत स्थान) दो।"
5
बिजस्मल्लाहहिक हमातनिक हीम
यौममद्दीन!
अहकामे तकलीद
मस ्अला नं0 1. हि मस
ु लमान क़े मलय़े उसल
ू ़े दीन को अज़ रूए िसीित (ववव़ेक
क़ी र्जा सकती। यानी (अथाकत) यह नहीं हो सकता कक कोई शख़्स उसल
ू ़े दीन में
अगि कोई शख़्स इस्लाम क़े ितु नयादी अकाइद पि यक़ीन िखता हो औि उसका
इज़हाि किता हो अगिच़े यह इज़हाि अज़ रूए िसीित (ववव़ेक क़े आधाि पि) न हो
ति भी वह मस
ु लमान औि मोममन है । मलहाज़ा उस मस
ु लमान पि ईमान औि
कि़े या अज़िाह़े अहततयात अपना फ़िीज़ा यंू अदा कि़े कक उस़े यक़ीन हो र्जाए कक
6
उसऩे अपनी शिई जज़म्म़ेदािी पिू ी कि दी है । मसलन अगि चन्द मज्
ु तहहद ककसी
किें ।
मज्
ु तहहद क़े फ़त्व़े पि अमल ककया र्जाए औि ज़रूिी है कक जर्जस मज्
ु ताहहद क़ी
तकलीद क़ी र्जाए वह मदक , िामलग, आककल, शीअः इसना अशिी, हलाल ज़ादा,
जज़न्दा औि आहदल हो। आहदल वह शख़्स है र्जो तमाम वाजर्जि कामों को िर्जा
लाए औि तमाम हिाम कामों को तकक (त्याग) कि़े । आहदल होऩे क़ी तनशानी यह है
हमसायों या हम नशीनों स़े उसक़े िाि़े में दयाकफ़्त ककया र्जाए तो वह उसक़ी
इच्छाई क़ी तस्दीक किें । अगि यह िात इज्मालन (संक्ष़ेप में ) मालम
ू हो कक दिप़ेश
मज़्
ु तहहद क़ी तकलीद क़ी र्जाए, "अअलम" हो याअनी अपऩे ज़माऩे क़े दस
ू ि़े
मज्
ु तहहदों क़े मक
ु ािल़े में अहकाम़े इलाही को समझऩे क़ी ि़ेहति सलाहीयत
7
3. मज्
ु तहहद औि अअलम क़ी पहचान तीन तिीकों स़े हो सकती है (अव्वल) एक
शख़्स पि र्जो खद
ु साहि़े इल्म हो ज़ाती तौि पि (व्यजक्तगत रूप स़े) यक़ीन हो
औि वह मज्
ु तहहद औि अअलम को पहचान्ऩे क़ी सलाहहयत िखता हो। (दोयम) दो
का मज्
ु तहहद या अअलम होना एक काबिल़े एत़ेमाद शख़्स क़े कौल स़े भी साबित
तो अहवत यह है कक आदमी तमाम मसाइल में उनक़े फ़त्वों में जर्जतना हो सक़े
औि ऐसी सिू त में र्जिकक एहततयात मजु म्कन न हो तो ज़रूिी है कक उसका अमल
उस मज्
ु तहहद क़े फ़त्व़े क़े मत
ु ाबिक हो, जर्जसक़े अअलम होऩे का एहततमाल दस
ू ि़े
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क़े मक
ु ाबिल़े में ज़्यादा हो। अगि दोनों क़े अअलम होऩे का एहततमाल यकसां हो
5. ककसी मज्
ु तहहद का फ़त्वा हामसल किऩे क़े चाि तिीक़े हैं (अव्वल) खद
ु
मज्
ु तहहद स़े (उसका फ़त्वा) सन
ु ना। (दोयम) ऐस़े दो आहदल अशखास स़े सन
ु ना र्जो
मज्
ु तहहद का फ़त्वा ियान किें । (सोयम) (मर्ज
ु तहहद) का फ़त्वा ककसी ऐस़े शख़्स स़े
सन
ु ना जर्जसक़े कौल पि इजत्मनान हो। (चहारूम) मज्
ु ताहहद क़ी ककताि (मसलन
तौज़ीहुल मसाइल) में पढ़ना, िशते कक उस ककताि क़ी स़ेहहत क़े िाि़े में इत्मीनान
हो।
चक
ु ा है वह ककताि में मलख़े हुए फ़त्व़े पि अमल कि सकता है औि अगि फ़त्व़े क़े
7. अगि मज्
ु तहहद़े अअलम कोई फ़त्वा द़े तो उसका मक
ु जल्लद उस मस ्अल़े क़े
वह (यानी मज्
ु तहहद़े अअलम) फ़त्वा न द़े िजल्क यह कह़े कक एहततयात इसमें है
कक यंू अमल ककया र्जाए मसअलन एहततयात इसमें है कक नमाज़ क़ी पहली औि
दस
ू िी िक् आत में सिू ाए अलहम्द क़े िाद एक औि पिू ी सिू त पढ़़े तो मक
ु जल्लद को
या ककसी ऐस़े दस
ू ि़े मज्
ु तहहद क़े फ़त्व़े पि अमल कि़े जर्जसक़ी तकलीद र्जाएज़ हो
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(मसलन फ़लअअलम) पस अगि वह (यानी दस
ू िा मज्
ु तहहद) फ़कत सिू ाए अलहम्द
को काफ़़ी समझता हो तो दस
ू िी सिू त तकक क़ी र्जा सकती है । र्जि मज्
ु तहहद़े
8. अगि मज्
ु तहहद़े अअलम ककसी मस ्अल़े क़े िाि़े में फ़त्वा द़े ऩे क़े िाद या
उसस़े पहल़े एहततयात लगाए मसलन यह कह़े कक नर्जीस ितकन कुि पानी में एक
मतकिा धोऩे स़े पाक हो र्जाता है अगिच़े एहततयात इस में है कक तीन मतकिा धोए
तो मक
ु जल्लद ऐसी एहततयात को तकक कि सकता है इस ककस्म क़ी एहततयात को
एहततयात़े मस्
ु तहि कहत़े हैं।
9. अगि वह मज्
ु तहहद जर्जसक़ी एक शख़्स तकलीद किता है फ़ौत हो र्जाए तो
र्जो हुक्म उसक़ी जज़न्दगी में था वही हुक्म उसक़ी वफ़ात क़े िाद भी है। बिनाििीं
फ़त्व़े क़ी पैिवी किऩे (कस्द़े रूर्जूउ) को मसफ़क अपऩे मलय़े लाजज़म किाि द़े ना है न
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10. अगि को शख़्स ककसी मस ्अल़े में एक मज्
ु तहहद क़े फ़त्व़े पि अमल कि़े
किि उस मज्
ु तहहद क़े फ़ौत हो र्जाऩे क़े िाद वह उसी मसअल़े में जज़न्दा मज्
ु तहहद
क़े फ़त्व़े पि अमल कि ल़े तो उस़े इस अम्र क़ी इर्जाज़त नहीं कक दोिािा मिहूम
मज्
ु तहहद क़े फ़त्व़े पि अमल कि़े ।
11. र्जो मसाइल इन्सान को अक्सि प़ेश आत़े िहत़े हैं उनको याद कि ल़ेना
वाजर्जि है ।
12. अगि ककसी शख़्स को कोई ऐसा मस ्अला प़ेश आए जर्जसका हुक्म उस़े
मालम
ू न हो तो लाजज़म है कक एहततयात कि़े या उन शिायत क़े मत
ु ाबिक
अअलम क़े फ़त्व़े का इल्म न हो औि अअलम औि गैि अअलम क़ी आिा क़े
मख़्
ु तमलफ़ होऩे का मजु ज्मलन इल्म हो तो गैि अअलम क़ी तकलीद र्जाइज़ है ।
मज्
ु तहहद ऩे अपना साबिका फ़त्वा िदल हदया हो तो उसक़े मलय़े दस
ू ि़े शख़्स को
फ़त्व़े क़ी तबदीली क़ी इवत्तला द़े ना ज़रूिी नहीं। ल़ेककन अखि फ़त्वा िताऩे क़े िाद
यह महसस
ू हो कक (शायद फ़त्वा िताऩे में) गलती हो गई है औि अगि अन्द़े शा हो
कक इस इवत्तला क़ी वर्जह स़े वह शख़्स अपऩे शिई वज़ीफ़़े क़े खखलाफ़ अमल कि़े गा
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14. अगि कोई मक
ु ल्लफ़ एक मद्
ु दत तक ककसी क़ी तकलीद क़े िगैि अअमाल
अगि मज्
ु तहहद उसक़े गज़
ु श्ता अअमाल क़े िाि़े में हुक्म लगाए कक वह सहीह है
तो वह सहीह मत
ु सव्वि होंग़े विना िाततल शम
ु ाि होंग़े।
अह्कामे तहाित
मत्ु लक औि मज़
ु ाफ़ पानी
हो मसलन गदला पानी र्जो इस हद तक मैला हो कक किि उस़े पानी न कहा र्जा
सक़े। इनक़े अलावा र्जो पानी हो, उस़े "आि़े मत्ु लक" कहत़े हैं औि उसक़ी पांच
(अव्वल) कुि पानी, (दोयम) कलील पानी, (सोयम) र्जािी पानी, (चहारूम) िारिश
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1. कुि पाऩीीः-
16. मशहूि कौल क़ी बिना पि कुि इतना पानी है र्जो एक ऐस़े ितकन को भि द़े
पि उसका मज्मआ
ू ज़िक (गण
ु ा) 42.87 (=42587) िामलश्त होना ज़रूिी है ल़ेककन
17. अगि कोई चीज़ ऐऩे नर्जीस हो मसलन प़ेशाि या खून या वह चीज़ र्जो
नजर्जस हो गई हो र्जैस़े कक नजर्जस मलिास ऐस़े पानी में चगि र्जाए जर्जसक़ी ममक़्दाि
एक कुि क़े ििािि हो औि उसक़े नतीर्ज़े में नर्जासत क़ी ि,ू िं ग या ज़ाइका पानी
में सिायत कि र्जाए तो पानी नजर्जस हो र्जाय़ेगा। ल़ेककन अगि ऐसी कोई तबदीली
18. अगि ऐस़े पानी क़ी ि,ू िं ग या ज़ाइका जर्जसक़ी ममक़्दाि एक कुि क़े ििािि
हो नर्जासत क़े अलावा ककसी औि चीज़ में तबदील हो र्जाए तो वह पानी नजर्जस
नहीं होगा।
उस सिू त में अगि पानी क़े उस हहस्स़े क़ी ममकदाि जर्जसमें कोई तबदीली वाक़े नहीं
हुई एक कुि स़े कम हो तो सािी पानी नजर्जस हो र्जाय़ेगा ल़ेककन अगि उसक़ी
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ममक़्दाि एक कुि या उसस़े ज़्यादा हो तो मसफ़क वह हहस्सा नजर्जस मत
ु सव्वि होगा
20. अगि फ़व्वाि़े का पानी (यानी वह पानी र्जो र्जोश माि कि फ़व्वाि़े क़ी शक्ल
क़े ििािि हो तो फ़व्वाि़े का पानी नर्जीस पानी को पाक कि द़े ता है । ल़ेककन अगि
किता, अलित्ता अगि फ़व्वाि़े क़े सामऩे कोई चीज़ िख दी र्जाए जर्जसक़े नतीर्ज़े में
उसका पानी कतिा कतिा होऩे स़े पहल़े नजर्जस पानी स़े मत्त
ु मसल हो र्जाए तो
21. अगि ककसी नजर्जस चीज़ को ऐस़े नल क़े नीचें धोयें र्जो ऐस़े (पाक) पानी स़े
ममला हुआ हो जर्जसक़ी ममकदाि (मात्रा) एक कुि क़े ििािि हो औि उस चीज़ क़ी
धोवन पाक होगी िशते क़ी उसमें नर्जासत क़ी ि,ू िं ग या ज़ाइका पैदा न हो औि
22. अगि कुि पानी का कुछ हहस्सा र्जमकि िफ़क िन र्जाए औि कुछ हहस्सा
पानी क़ी शक्ल में िाक़ी िच़े जर्जसक़ी ममकदाि एक कुि स़े कम हो तो र्जो भी कोई
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नर्जासत उस पानी को छुएगी वह नर्जीस हो र्जाएगा औि िफ़क वपर्लऩे पि र्जो पानी
23. अगि पानी क़ी ममकदाि (मात्रा) एक कुि क़े ििािि हो औि िाद में शक हो
पानी ही क़ी होगी यानी वह नर्जासत को भी पाक कि़े गा औि नर्जासत क़े इवत्तसाल
स़े नजर्जस भी नहीं होगा। इसक़े िि अक्स (ववपिीत) र्जो पानी एक कुि स़े कम था
अगि उसक़े मत
ु अजल्लक शक हो कक अि उसक़ी ममकदाि एक कुि क़े ििािि हो
24. पानी का एक कुि क़े ििािि होना दो तिीकों स़े साबित हो सकता है
(अव्वल) इन्सान को खुद उसक़े िाि़े में यक़ीन या इजत्मनान हो, (दोयम) दो
2. कलील पाऩीीः-
25. ऐस़े पानी को "कलील पानी" कहत़े हैं र्जो ज़मीन स़े न उिल़े औि जर्जसक़ी
26. र्जि कलील पानी ककसी नजर्जस चीज़ पि चगि़े या कोई नजर्जस चीज़ उस पि
चगि़े तो पानी नजर्जस हो र्जाएगा। अलित्ता अगि पानी नजर्जस चीज़ पि ज़ोि स़े चगि़े
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तो उसका जर्जतना हहस्सा नजर्जस चीज़ स़े ममल़ेगा नजर्जस हो र्जाएगा ल़ेककन िाक़ी
पाक होगा।
27. र्जो कलील पानी ककसी चीज़ पि ऐऩे नर्जासत दिू किऩे क़े मलय़े डाला र्जाए
वह नर्जासत स़े र्जूदा हो र्जाऩे क़े िाद नजर्जस हो र्जाता है । औि इसी तिह वह
कलील पानी र्जो ऐऩे नर्जासत क़े अलग हो र्जाऩे क़े िाद नजर्जस चीज़ को पाक
किऩे क़े मलय़े उस पि डाला र्जाए उसस़े र्जुदा हो र्जाऩे क़े िाद बिनािि सहततयात़े
लाजज़म मत
ु लकन नजर्जस है।
28. जर्जस कलील पानी स़े प़ेशाि या पखाऩे क़े मखारिर्ज धोए र्जाएं वह अगि
ककसी चीज़ को लग र्जायें तो पांच शिाइत क़े साथ उस़े नजर्जस नहीं कि़े गाः-
(अव्वल) पानी में नर्जासत क़ी ि,ू िं ग या ज़ाइका न पैदा हुआ हो। (दोयम) िाहि
स़े कोई नर्जासत उसस़े न आ ममली हो। (सोयम) कोई औि नर्जासत (मसलन खून)
प़ेशाि या पखाऩे क़े साथ न खारिर्ज हुई हो। (चहारूम) पखाऩे क़े ज़िे पानी में
3. जािी पाऩीीः-
र्जािी पानी वह है र्जो ज़मीन स़े उिल़े औि िहता हो मसलन चश्म़े का पानी या
काि़े ज़ का पानी।
16
29. र्जािी पानी अगिच़े कुि स़े कम ही क्यों न हो नर्जासत क़े आ ममलऩे स़े
ति तक नजर्जस नहीं होता र्जि तक नर्जासत क़ी वर्जह स़े उसक़ी ि,ू िं ग या
30. अगि नर्जासत र्जािी पानी स़े आ ममल़े तो उसक़ी उतनी ममकदाि, जर्जसक़ी
ि,ू िं ग या ज़ाइका नर्जासत क़ी वर्जह स़े िदल र्जाए, नजर्जस है। अलित्ता उस पानी
पानी क़े ज़रिय़े जर्जसमें (ि,ू िं ग या ज़ाइका क़ी) कोई तबदीली वाक़े नहीं हुई चश्म़े
क़ी तिफ़ क़े पानी स़े ममला हुआ हो तो पाक है विना नजर्जस है।
31. अगि ककसी चश्म़े का पानी र्जािी न हो ल़ेककन सिू त़े हाल यह हो कक र्जि
उसमें स़े पानी तनकाल लें तो दोिािा उसका पानी उिल पड़ता हो तो वह पानी
र्जािी पानी का हुक्म नहीं िखता यानी अगि नर्जासत उसस़े आ ममल़े तो नजर्जस हो
र्जाता है ।
32. नदी या नहि क़े ककनाि़े का पानी र्जो साककन (ठहिा) हो औि र्जािी पानी स़े
मत्त
ु मसल (ममला) हो, र्जािी पानी का हुक्म नहीं िखता।
33. अगि एक ऐसा चश्मा हो र्जो ममसाल क़े तौि पि सहदक यों में उिल पड़ता हो
ल़ेककन गममकयों में उसका र्जोश खत्म हो र्जाता हो उसी वक़्त र्जािी पानी क़े हुक्म
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34. अगि ककसी (तक
ु ी या ईिानी तज़क क़े) हम्माम क़े छोट़े हौज़ का पानी एक
कुि स़े कम हो ल़ेककन वह ऐस़े "वसीलाए आि" (र्जल साधन) स़े मत्त
ु मसल (ममला)
हो जर्जसका पानी हौज़ क़े पानी स़े ममलकि एक कुि िन र्जाता हो तो र्जि तक
नर्जासत क़े ममल र्जाऩे स़े उसक़ी िू औि ज़ाइका तबदील न हो र्जाए वह नजर्जस
नहीं होता।
35. हम्माम औि बिजल्डंग क़े नल्कों का पानी र्जो टोंहटयों औि शाविों क़े ज़िीय़े
िहता है अगि उस हौज़ क़े पानी स़े ममलकि र्जो उन नल्कों स़े मत्त
ु मसल हों एक
कुि क़े ििािि हो र्जाए तो नल्कों का पानी भी कुि पानी क़े हुक्म में शाममल होगा।
36. र्जो पानी ज़मीन पि िह िहा हो ल़ेककन ज़मीन स़े उिल न िहा हो अगि
ल़ेककन अगि वह पानी त़ेज़ी स़े िह िहा हो औि ममसाल क़े तौि पि अगि नर्जासत
उसक़े तनचल़े हहस्स़े को लग़े तो उसका ऊपि वाला हहस्सा नजर्जस नहीं होगा।
4. बारिश का पाऩीीः-
िाि िारिश हो र्जाए पाक हो र्जाती है। ल़ेककन अगि िदन औि मलिास प़ेशाि स़े
नजर्जस हों र्जाएं तो बिनािि़े एहततयात उन पि दो िाि िारिश होना ज़रूिी है मगि
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िांदी काफ़़ी नहीं िजल्क इतनी िारिश लाजज़मी है कक लोग कहें कक िारिश हो िही
है ।
ल़ेककन ऐऩे नर्जासत उसमें शाममल न हों औि नर्जासत क़ी ि,ू िं ग या ज़ाइका भी
स़े छ ंट़े पड़ें औि उनमें खून क़े ज़िाकत शाममल हों या खून क़ी ि,ू िं ग या ज़ाइका
िारिश क़े दौिान र्जो पानी नर्जासत को छू कि अन्दरूनी छत स़े टपक़े या पिनाल़े
स़े चगि़े वह पाक है । ल़ेककन र्जि िारिश थम र्जाए औि यह िात इल्म में आए कक
नजर्जस होगा।
40. जर्जस नजर्जस ज़मीन पि िारिश ििस र्जाए वह पाक हो र्जाती है औि अगि
41. नजर्जस ममट्टी क़े तमाम अज्ज़ा (अंशों) तक पानी पहुंच र्जाए तो ममट्टी
पाक हो र्जाय़ेगी।
19
42. अगि िारिश का पानी एक र्जगह र्जमाअ हो र्जाए ख़्वाह (चाह़े ) एक कुि स़े
िखता है औि कोई नजर्जस चीज़ उसमें धोई र्जाए औि पानी नर्जासत क़ी ि,ू िं ग या
ज़ाइका किल
ू न कि़े तो वह नजर्जस चीज़ पाक हो र्जाय़ेगी।
43. अगि नजर्जस ज़मीन पि बिछ़े हुए पाक कालीन (या दिी) पि िारिश ििस़े
औि उसका पानी ििसऩे क़े वक़्त कालीन स़े नजर्जस ज़मीन पि पहुंच र्जाए तो
5. कुयें का पाऩीीः-
44. एक ऐस़े कुयें का पानी र्जो ज़मीन स़े उिलता हो अगिच़े ममकदाि में एक
कुि स़े कम हो नर्जासत पड़ऩे स़े उस वक़्त तक नजर्जस नहीं होगा र्जि तक उस
िाज़ नर्जासतों क़े चगिऩे पि कुयें स़े इतनी ममक़्दाि में पानी तनकाल दें र्जो
मफ़
ु स्सल ककतािों में दर्जक है।
45. अगि कोई नर्जासत कुयें में चगि र्जाए औि उसक़े पानी क़े ि,ू िं ग या
र्जाय़ेगी पानी पाक हो र्जाय़ेगा औि िहति यह है कक वह पानी कुयें स़े उिल़े वाल़े
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46. अगि िारिश का पानी एक गढ़़े में र्जमअ हो र्जाए औि उसक़ी ममक़्दाि एक
कुयें स़े कम हो तो िारिश थमऩे क़े िाद नर्जासत क़ी आम़ेजज़श स़े वह पानी
नजर्जस हो र्जाय़ेगा।
पाऩी के अह्कामीः-
47. मज़
ु ाफ़ पानी (जर्जसक़े मअनी मस ्अला न0 15 में ियान हो चक
ु ़े हैं) ककसी
है ।
48. मज़
ु ाफ़ पानी क़ी ममक़्दाि (मात्रा) अगिच़े एक कुि क़े ििािि हो अगि उसमें
पानी ककसी चीज़ पि ज़ोि स़े चगि़े तो उसका जर्जतना हहस्सा नजर्जस चीज़ स़े
मत्त
ु ामसल होगा नजर्जस हो र्जाय़ेगा औि र्जो मत्त
ु ामसल नहीं होगा वह पाक होगा
मसलन अगि अके गुलाि को गुलाि दान स़े नजर्जस हाथ पि तछड़का र्जाए तो
उसका जर्जतना हहस्सा हाथ को लग़ेगा नजर्जस होगा औि र्जो नहीं लग़ेगा वह पाक
होगा।
र्जाय़ेगा।
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50. अगि एक पानी मत
ु लक था औि िाद में उसक़े िाि़े में यह मालम
ू न हो
कक मज़
ु ाफ़ हो र्जाऩे क़ी हद तक पहुंचा है या नहीं तो वह मत
ु लक पानी मत
ु सव्वि
कोई नर्जासत ऐस़े पानी स़े आ ममलती है तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि वह
नजर्जस हो र्जाता है ख़्वाह (चाह़े ) उसक़ी ममकदाि (मात्रा) एक कुि ही क्यों न हो।
52. ऐसा पानी जर्जसमें खून या प़ेशाि र्जैसी ऐऩे नर्जासत आ पड़़े औि उसक़ी ि,ू
र्जािी पानी ही क्यों न हो ताहम उस पानी क़ी ि,ू िं ग या ज़ाइका ककसी ऐसी
नर्जासत स़े तबदील हो र्जाएं र्जो उसस़े िाहि है मसलन किीि पड़़े हुए मद
ु ाकि क़ी
वर्जह स़े उसक़ी िू िदल र्जाय़े तो अहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि वह नजर्जस हो
र्जाय़ेगा।
53. वह पानी जर्जसमें ऐऩे नर्जासत मसलन खून या प़ेशाि चगि र्जाए औि उसक़ी
ि,ू िं ग या ज़ाइका तबदील कि द़े अगि कुि क़े ििािि या र्जािी पानी स़े मत्त
ु ामसल
हो र्जाए या िारिश का पानी उस पि ििस र्जाए या हवा क़ी वर्जह स़े िारिश का
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पानी उस पि चगि़े या िारिश का पानी उस दौिान र्जिकक िारिश हो िही हो पिनाल़े
स़े उस पि चगि़े औि र्जािी हो र्जाए तो इन तमाम सिू तों में उसमें वाक़े शद
ु ा
तबदीली ज़ाइल हो र्जाऩे पि ऐसा पानी पाक हो र्जाता है। ल़ेकक कौल़े अकवा क़ी
बिना पि ज़रूिी है कक िारिश का पानी या कुि पानी या र्जािी पानी उसमें मखलत
ू
हो र्जाए।
54. अगि ककसी नजर्जस चीज़ को ि ममकदाि कुि पानी या र्जािी पानी स़े पाक
ककया र्जाए तो वह पानी र्जो िाहि तनकलऩे क़े िाद उसस़े टपक़े पाक होगा।
55. र्जो पानी पहल़े पाक हो औि यह इल्म न हो कक िाद में नजर्जस हुआ या
56. कुत्त़े, सव
ु ि औि गैि ककतािी काकफ़ि का झट
ू ा िजल्क एहततयात़े मस्
ु तहि क़े
पि अपनी शमकगाहों को उन लोगों स़े र्जो िामलग हो ख़्वाह (चाह़े ) वह मां औि िहन
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क़ी तिह उसक़े महिम ही क्यों न हों औि इसी तिह दीवानों औि उन िच्चों स़े र्जो
अच्छ़े ििू ़े क़ी तमीज़ िखत़े हों तछपाकि िख़े। ल़ेककन िीवी औि शौहि क़े मलय़े
अपनी शमकगाहों को एक दस
ू ि़े स़े तछपाना लाजज़म नहीं।
59. प़ेशाि या पखाना कित़े वक़्त एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि िदन का
अगला हहस्सा यानी प़ेट औि सीना ककिल़े क़ी तिफ़ न हो औि न ही पश्ु त ककिल़े
60. अगि प़ेशाि या पखाना कित़े वक़्त ककसी शख़्स क़े िदन का अगला हहस्सा
स़े मोड़ ल़े तो यह काफ़़ी नहीं है औि अगि उसक़े िदन का अगला हहस्सा रू ि
ियान ककय़े र्जायेंग़े, नीज़ अगली औि वपछली शमकगाहों को पाक कित़े वक़्त िदन
62. अगि कोई शख़्स इस मलय़े क़ी नामहिम उस़े न द़े ख़े, रू ि ककिला या पश्ु त
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पश्ु त ि ककिला िैठ र्जाए, अगि पश्ु त ि ककिला िैठना मजु म्कन न हो तो रू ि
ककिला िैठ र्जाए। अगि ककसी औि वर्जह स़े रू ि ककिला या पश्ु त ि ककिला
या पश्ु त ि ककिला न िैठाए। हां अगि िच्चा खुद ही इस तिह िैठ र्जाए तो िोकना
वाजर्जि नहीं है ।
(1). िन्द गली में र्जिकक वहााँ िहऩे वालों ऩे इसक़ी इर्जाज़त न द़े िखी हो।
(2). उस कत ्अए ज़मीन में र्जो ककसी क़ी तनर्जी ममजल्कयत हो र्जि उसऩे िफ़् ए
(4). मोममनीन क़ी कब्रों क़े पास र्जिकक इस फ़़ेल स़े उनक़ी ि़े हुिमती हो। यही
65. तीन सिू तों में मकअद (पखाना खारिर्ज होऩे का मकाम) फ़कत पानी स़े
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(3). मक् अद का अतिाफ़ मअमल
ू स़े ज़्यादा आलद
ू ा हो गया हो।
इन तीन सिू तों क़े अलावा मक् अद को या तो पानी स़े धोया र्जा सकता है या
उस तिीक़े मत
ु ाबिक र्जो िाद में ियान ककया र्जाय़ेगा कपड़़े या पत्थि वगैिा स़े भी
पाक ककया र्जा सकता है अगिच़े पानी स़े धोना िहति है।
66. प़ेशाि का मखिर्ज पानी क़े अलावा ककसी चीज़ स़े पाक नहीं होता। अगि
पानी कुि क़े ििािि हो या र्जािी हो तो प़ेशाि किऩे क़े िाद एक मतकिा धोना
काफ़़ी है । ल़ेककन अगि कलील पानी स़े धोया र्जाए तो एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना
67. अगि मक् अद को पानी स़े धोया र्जाए तो ज़रूिी है कक पखाऩे का कोई ज़िाक
िाक़ी न िह़े अलित्ता िं ग या िू िाक़ी िह र्जाए तो कोई हर्जक नहीं औि अगि पहली
69. अगि मक् अद को पत्थि या ढ़े ल़े या कपड़़े स़े एक मतकिा साफ़ कि हदया
र्जाए तो काफ़़ी है ल़ेककन िहति यह है कक तीन मतकिा साफ़ ककया र्जाए औि (जर्जस
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चीज़ स़े साफ़ ककया र्जाए उसक़े) तीन टुकड़़े भी हों औि अगि तीन टुकड़ों स़े साफ़
हो र्जाए। अलित्ता अगि इतऩे छोट़े ज़िे िाक़ी िह र्जाएं र्जो नज़ि न आय़े तो कोई
हर्जक नहीं है ।
70. मक् अद को ऐसी चीज़ों स़े पाक किना हिाम है जर्जनका एहततिाम लाजज़म
पैगम्ििों क़े नाम मलखें हों) औि मकअद क़े हड्डी या गोिि स़े पाक होऩे में
इश्काल है।
लाजज़म है कक उस़े पाक कि़े अगिच़े प़ेशाि या पखाना किऩे क़े िाद वह हम़ेशा
मत
ु अजल्लकः मकाम को फ़ौिन पाक किता हो।
या पखाऩे का मखिर्ज पाक ककया था या नहीं तो उसऩे र्जो नमाज़ अदा क़ी है वह
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इसततबिा
अंर्जाम द़े त़े है ताकक इत्मीनान हो र्जाए कक अि प़ेशाि नाली में िाक़ी नहीं िहा।
इसक़ी कई तकीि़े हैं जर्जनमें स़े िहतिीन यह है कक प़ेशाि स़े फ़ारिग हो र्जाऩे क़े
िाद अगि मक् अद नजर्जस हो गया हो तो पहल़े उस़े पाक कि़े औि किि तीन
दफ़् आ िायें हाथ क़ी दिममयानी उं गली क़े साथ मक् अद स़े ल़ेकि उज़्व़े तनासल
ु क़ी
तीन दफ़् आ सप
ु ािी को मलें।
74. वह रूति
ू त र्जो कभी कभी औित स़े मल
ु ाअित या हं सी मज़ाक किऩे क़े
है । अलावा अज़ीं वह रूतूित र्जो कभी कभी मनी क़े िाद खारिर्ज होती है जर्जस़े
"वदी" कहा र्जाता है पाक है िशते क़ी उसमें प़ेशाि क़ी आम़ेजज़श न हो। मज़ीद यह
कक र्जि ककसी शख़्स ऩे प़ेशाि क़े िाद इसततििा ककया हो औि उसक़े िाद रूतूित
प़ेशाि क़े मखिर्ज स़े रूतूित खारिर्ज हो जर्जसक़े िाि़े में वह न र्जानता हो कक पाक
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है या नहीं तो वह नजर्जस है। नीज़ यह कक अगि वह वज़
ु ू कि चक
ु ा हो वह भी
िाततल होगा। ल़ेककन अगि उस़े इस िाि़े में शक हो कक र्जो इसततििा उसऩे ककया
होगा।
76. अगि ककसी शख़्स ऩे इसततििा न ककया हो औि प़ेशाि किऩे क़े िाद काफ़़ी
वक़्त गज़
ु ि र्जाऩे क़ी वर्जह स़े उस़े इत्मीनान हो क़ी प़ेशाि नाली में नहीं िहा था
औि इस दौिान रूति
ू त खारिर्ज हो औि उस़े शक हो क़ी पाक है या नहीं तो वह
77. अगि कोई शख़्स प़ेशाि क़े िाद इसततििा किक़े वज़
ु ू कि ल़े औि उसक़े
िाद रूति
ू त खारिर्ज हो जर्जसक़े िाि़े में उसका ख़्याल हो कक प़ेशाि है या मनी तो
पहल़े वज़
ु ू न ककया हो तो वज़
ु ू कि ल़ेना काफ़़ी है ।
78. औित क़े मलय़े प़ेशाि क़े िाद इसततििा नहीं है। पस अगि कोई रूति
ू त
वज़
ु ू औि गस्
ु ल को भी िाततल नहीं कि़े गी।
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िफ़़् ए हाजत के मुस्तहब्बात औि मकरूहात
ऐसी र्जगह िैठ़े र्जहां उस़े कोई न द़े ख़े। औि िैतुल खला (पाखाऩे) में दाखखल होत़े
वक़्त पहल़े िायां पांव अन्दि िख़े औि तनकालत़े वक़्त पहल़े दायां पावं िाहि िख़े।
औि यह मस्
ु तहि है कक िफ़् ए हार्जत क़े वक़्त (टोपी, दप
ु ट्ट़े वगैिा स़े) सि ढांप कि
80. िफ़् ए हार्जत क़े वक़्त सिू र्ज औि चाद क़ी तिफ़ मह
ु ं किक़े िैठना मकरूह है
ल़ेककन अगि अपनी शमकगाह को ककसी तिह ढांप लें तो मकरूह नहीं है। अलावा
अज़ीं िफ़् ए हार्जत क़े मलय़े हवा क़े रूख क़े बिल मक
ु ाबिल नीज़ गली कूचों, िास्तों,
मकान क़े दिवाज़ों क़े सामऩे औि म़ेवादाि दिख़्तों क़े नीच़े िैठना भी मकरूह है
औि इस हालत में कोई चीज़ खाना या ज़्यादा वक़्त लगाना या दांयें हाथ स़े
ताहित किना भी मकरूह है औि यही सिू त िातें किऩे क़ी भी हैं ल़ेककन अगि
81. खड़़े होकि प़ेशाि किना औि सख़्त ज़मीन पि या र्जानविों क़े बिलों में या
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83. नमाज़ स़े पहल़े, सोऩे स़े पहल़े, मि
ु ामशित (संभोग) किऩे स़े पहल़े औि
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नजासात
सव्ु वि, (8). काकफ़ि, (9). शिाि, (10). नर्जासतखोि है वान का पसीना ।
1, 2 पेशाब औि पाख़ानाीः-
खून र्जहहन्दा है यानी अगि उसक़ी िग काटी र्जाए तो खून उछल कि तनकलता है,
गोश्त हिाम है मगि उनका खून उछल कि नहीं तनकलता। मसलन वह मछली
जर्जसका गोश्त हिाम है औि इस तिह गोश्त न िखऩे वाल़े छोट़े है वानों मसलन
86. जर्जन परिन्दों का गोश्त हिाम है उनका प़ेशाि औि फ़ज़्ला पाक है ल़ेककन
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87. नर्जासत खौि हैवान का प़ेशाि औि पखाना नजर्जस है । औि इसी तिह उस
जर्जसक़ी तफ़्सील िाद में आय़ेगी। इसी तिह उस है वान का प़ेशाि औि पाखाना भी
3. मऩी (व़ीयय)
होत़े वक़्त उसक़ी शहिग स़े) उछल कि तनकल़े। अगिच़े एहततयात़े लाजज़म क़ी
4. मुदायि
89. इन्सान क़ी औि उछलऩे वाला खून िखऩे वाल़े हि है वान क़ी लाश नजर्जस है
ख़्वाह वह (कुदिती तौि पि) खुद मिा हो या शिई तिीक़े क़े अलावा ककसी औि
मछली चकंू क उछलऩे वाला खून नहीं िखती इस मलय़े पानी में मि र्जाए तो भी
पाक है ।
90. लाश क़े वह अज्ज़ा जर्जन में र्जान नहीं होती पाक हैं मसलन पश्म, िाल,
हड्डडयां औि दांत।
33
91. र्जि ककसी इन्सान या र्जहहन्दा खून वाल़े है वान क़े िदन स़े उसक़ी जज़न्दगी
92. अगि होठों या िदन क़ी ककसी औि र्जगह स़े िािीक सी तह (पपड़ी0 उख़ेड़
ली र्जाए तो वह पाक है ।
93. मद
ु ाक मग
ु ़ी क़े प़ेट स़े र्जो अण्डा तनकल़े वो पाक है ल़ेककन उसका तछलका धो
94. अगि भ़ेड़ या िकिी का िच्चा (म़ेमना) र्ास खाऩे क़े काबिल होऩे स़े पहल़े
मि र्जाए तो वह पनीिमा या र्जो उसक़े शीिदान में होता है पाक है ल़ेककन शीिदान
95. िहऩे वाली तिल दवाइयां, इत्र, िौगन (त़ेल, र्ी), र्जूतों क़ी पामलश औि
सािन
ु जर्जन्हें िाहि स़े दिआमद (आयात) ककया र्जाता है अगि उनक़ी नर्जासत क़े
96. गोश्त, चि़ी औि चमड़ा जर्जसक़े िाि़े में एहततमाल हो कक ककसी ऐस़े र्जानवि
का है जर्जस़े शिई तिीक़े स़े जज़बहा ककया गया है पाक है । ल़ेककन अगि यह चीज़ें
स़े लीं हों औि यह तहक़ीक न क़ी हो कक आया यह ककसी ऐस़े र्जानवि क़ी है जर्जस़े
शिई तिीक़े स़े जज़बहा ककया गया है या नहीं तो ऐस़े गोश्त औि चि़ी का खाना
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हिाम है अलित्ता ऐस़े चमड़़े पि नमाज़ र्जाईज़ है। ल़ेककन अगि यह चीज़ों
मस
ु लमानों क़े िाज़ाि स़े या ककसी मस
ु लमान स़े खिीदीं र्जाएं औि यह न मालम
ू हो
कक इसस़े पहल़े यह ककसी काकफ़ि स़े खिीदीं गईं थीं या एहततमाल इस िात का हो
5. ख़़ून
97. इन्सान औि खन
ू ़े र्जहहन्दा िखऩे वाल़े हि है वान का खन
ू नजर्जस है। पस
ऐस़े र्जानविों मसलन मछली, मच्छि का खून र्जो उछल कि नहीं तनकलता पाक
है ।
98. जर्जन र्जानविों का गोश्त हलाल है अगि उन्हें शिई तिीक़े स़े जज़बहा ककया
खींचऩे स़े या उसका सि िलन्द र्जगह पि होऩे क़ी वर्जह स़े िदन में पलट र्जाए
तो वह नजर्जस होगा।
99. मग
ु ़ी क़े जर्जस अण्ड़े में खून का ज़िाक हो उसस़े एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना
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100. वह खून र्जो िाज़ औकात चव
ु ाई कित़े हुए नज़ि आता है नजर्जस है औि
दध
ू को भी नजर्जस कि द़े ता है ।
102. र्जो खून चोट लगऩे क़ी वर्जह स़े नाखुन या खाल क़े नीच़े र्जम र्जाए अगि
उसक़ी शक्ल ऐसी होकक लोग उस़े खून न कहें तो वह पाक औि अगि खून कहें
चाहहय़े।
103. अगि ककसी शख़्स को यह पता न चल़े कक खाल क़े नीच़े खून र्जम गया
है या चोट लगऩे क़ी वर्जह स़े गोश्त ऩे ऐसी शक्ल इजख़्तयाि कि ली है तो वह
पाक है ।
सािा खाना औि ितकन एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि नजर्जस हो र्जाएगा। उिाल
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105. ि़े म यानी वह ज़दक मवाद र्जो ज़ख़्म क़ी हालत ि़ेहति होऩे पि उसक़े चािों
6, 7- कुत्ता औि सुवि
106. कुत्ता औि सव
ु ि र्जो ज़मीन पि िहत़े हैं हत्ता कक उनक़े िाल, हड्डडयां, पंर्ज़े,
नाखन
ू औि रूति
ू तें भी नजर्जस हैं अलित्ता समन्
ु दिी कुत्ता औि सव
ु ि पाक हैं।
8. काफफ़ि
(अ0) में स़े ककसी को खुदा कहें या यह कहें कक खुदा इमाम में समा गया है ) औि
खारिर्जी व नामसिी (वह लोग र्जो आइम्मा (अ0) स़े िैि औि िग़्जु ज़ का इज़हाि किें )
भी नजर्जस हैं।
जर्जन्हें मस
ु लमान दीन का र्जज़
ु समझत़े हैं मसलन नमाज़ औि िोज़़े) में स़े ककसी
एक का यह र्जानत़े हुए कक यह ज़रूरियात़े दीन हैं, मजु न्कि हो। नीज़ अहल़े ककताि
कित़े मशहूि रिवायत क़ी बिना पि नजर्जस हैं अगिच़े उनक़ी तहाित का हुक्म िईद
नजर्जस हैं।
109. अगि ककसी नािामलग िच्च़े क़े मां िाप या दादी दादा काकफ़ि हों तो वह
किता हो औि अगि उनमें स़े (यानी सां िाप, या दादा दादी में स़े) एक भी
मस
ु लमान हो तो उस तफ़्सील क़े मत
ु ाबिक र्जो मस ्अला नं0 217 में आय़ेगी िच्चा
पाक है ।
ही वह मस
ु लमान औित स़े शादी कि सकता है औि न ही उस़े मस
ु लमानों क़े
111. र्जो शख़्स (खानवादाए रिसालत क़े) िािह इमामों में स़े ककसी एक को भी
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9. शिाब
र्जो इन्सान को मस्त कि द़े औि माए हो नजर्जस है। औि अगि माए न हो र्जैस़े
भंग औि चिस तो वह पाक है ख़्वाह उसमें ऐसी चीज़़े डाल दें र्जो माए हों।
113. सन ्अती अलकुहल, र्जो दिवाज़़े, खखड़क़ी, म़ेज़ या कुस़ी वगैिा िं गऩे क़े
115. खर्जिू , मन
ु क़्का, ककशममश औि उनका शीिा ख़्वाह खमीि हो र्जायें तो भी
116. "फ़ुक़्काअ" र्जो कक र्जौ स़े तैय्याि होती है औि उस़े आि़े र्जौ कहत़े हैं हिाम
है ल़ेककन उसका नजर्जस होना इश्काल स़े खाली नहीं है । औि गैि फ़ुक़्काअ यानी
पाक है ।
39
118. र्जो शख़्स फ़़ेल़े हिाम स़े र्जुनि
ु हुआ हो उसका पसीना पाक है ल़ेककन
एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि उसक़े (पसीऩे क़े) साथ नमाज़ न पढ़ी र्जाए औि
हालत़े है ज़ में िीवी स़े जर्जमाअ किना, र्जिकक इस हालत का इल्म हो, हिाम स़े
र्जुनि
ु होऩे का हुक्म िखता है ।
119. अगि कोई शख़्स उन औकात में िीवी स़े जर्जमाअ कि़े जर्जनमें जर्जमाअ
र्जुनि
ु होऩे वाल़े पसीऩे का हुक्म नही िखता।
तयम्मम
ु क़े िाद उस़े पसीना आ र्जाए तो उस पसीऩे का वही हुक्म है र्जो
तयम्मम
ु स़े पहल़े वाल़े पसीऩे का था।
पसीऩे क़े साथ नमाज़ न पढ़़े औि अगि पहल़े उस औित स़े जर्जमाअ कि़े र्जो
122. हि चीज़ क़ी नर्जासत तीन तिीकों स़े साबित होती हैः-
40
(अव्वल) खुद इन्सान को यक़ीन या इत्मीनान हो कक फ़लां चीज़ नजर्जस है ।
किना लाजज़म नहीं। मलहाज़ा कहवा खानों औि होटलों में र्जहां लापिवाह लोग औि
ऐस़े लोग खात़े पीत़े हैं र्जो नर्जासत औि तहाित का मलहाज़ नहीं कित़े खाना खाऩे
मलय़े लाया गया है वह नजर्जस नहीं है, उसक़े खाऩे में कोई हिर्ज नहीं।
(दोव्वम
ु ) ककसी क़े पास कोई चीज़ हो औि वह उस चीज़ क़े िाि़े में कह़े कक
नजर्जस है औि वह शख़्स गलत ियानी न किता हो मसलन ककसी शख़्स क़ी िीवी
या नौकि या मल
ु ाजज़म कह़े कक ितकन या कोई दस
ू िी चीज़ र्जो उसक़े पास है
नजर्जस है तो वह नजर्जस शम
ु ाि होगी।
(सोव्वम
ु ) अगि दो आहदम आदमी कहें कक एक चीज़ नजर्जस है तो वह नजर्जस
शम
ु ाि होगी िशते क़ी वह उसक़े नजर्जस होऩे क़ी वर्जह ियान किें ।
123. अगि कोई शख़्स मसअल़े स़े अदम वाककफ़़ीयत क़ी बिना पि यह न र्जान
र्जानता हो औि ककसी चीज़ क़े िाि़े में उस़े शक हो कक पाक है या नहीं मसलन
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खून है या इन्सान का तो वह चीज़ पाक शम
ु ाि होगी औि उसक़े िाि़े में छान िीन
किना या पछ
ू ना लाजज़म नहीं।
124. अगि ककसी नजर्जस चीज़ क़े िाि़े में शक हो कक (िाद में) पाक हुई है या
नहीं तो वह नजर्जस है । अगि ककसी पाक चीज़ क़े िाि़े में शक हो कक (िाद में )
नजर्जस हो गई है या नहीं तो वह पाक है। अगि कोई शख़्स उन चीज़ें क़े नजर्जस
है ।
स़े कौन सा नजर्जस हुआ है तो दोनों स़े इजज्तनाि किना ज़रूिी है औि ममसाल क़े
126. अगि कोई पाक चीज़ ककसी नजर्जस चीज़ स़े लग र्जाए औि दोनों या उनमें
नजर्जस हो र्जाएगी औि अगि वह उसी तिी क़े साथ ककसी तीसिी चीज़ क़े साथ
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लग र्जाए तो उस़े भी नजर्जस कि द़े ती है औि मशहूि कौल है कक र्जो चीज़ नजर्जस
हो गई हो वह दस
ू िी चीज़ को भी नजर्जस कि द़े ती है ल़ेककन यक़े िाद दीगि़े कई
चीज़ों पि नर्जासत का हुक्म लगाना मजु श्कल है िजल्क तहाित का हुक्म लगाना
कुव्वत स़े खाली नहीं है । मसलन अगि दायां हाथ प़ेशाि स़े नजर्जस हो र्जाए औि
अगि िायां हाथ खुश्क होऩे क़े िाद मसलन ति मलिास स़े छू र्जाए तो वह मलिास
को न लग़े तो पाक चीज़ नजर्जस नहीं होगी ख़्वाह वह ऐऩे नजर्जस को ही क्यों न
लगी हों।
127. अगि कोई पाक चीज़ नजर्जस चीज़ को लग र्जाए औि उन दोनों या ककसी
होती।
128. ऐसी दो चीज़ें जर्जनक़े िाि़े में इन्सान को इल्म न हो कक उनमें स़े कौन
एक चीज़ को छू र्जाए तो उसस़े पिह़े ज़ किना ज़रूिी नहीं है ल़ेककन िाज़ सिू तों में
मसलन दोनों चीज़ें पहल़े नजर्जस थीं या यह कक कोई पाक चीज़ तिी क़ी हालत में
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129. अगि ज़मीन, कपड़ा या ऐसी दस
ू िी चीज़ें ति हों तो उनक़े जर्जस हहस्स़े को
नर्जासत लग़ेगी वह नजर्जस हो र्जाएगा। औि िाक़ी हहस्सा पाक िह़े गा। यही हुक्म
खीि़े औि खििज़
ू ़े वगैिा क़े िाि़े में है ।
130. र्जि शीि़े , त़ेल (र्ी) या ऐसी ही ककसी औि चीज़ क़ी सिू त ऐसी हो कक
अगि उसक़ी कुछ ममक़्दाि (मात्रा) तनकाल ली र्जाए तो उसक़ी र्जगह खाली न िह़े
अगि उसक़ी सिू त ऐसी हो कक तनकालऩे क़े मकाम पि र्जगह खाली िह़े अगिच़े
िाद में पिु ी हो र्जाए तो मसफ़क वही हहस्सा नजर्जस होगा जर्जस़े नर्जासत लगी है।
मलहाज़ा अगि चह
ू ें क़ी में गनी उसमें चगि र्जाए तो र्जहां वह में गनी चगिी है वह
131. अगि मक्खी या ऐसा ही कोई र्जानदाि एक ऐसी ति चीज़ पि िैठ़े र्जो
132. अगि िदन क़े ककसी हहस्स़े पि पसीना हो औि वह हहस्सा नजर्जस हो र्जाए
पसीना िह़े गा िदन क़े वह हहस्स़े नजर्जस हो र्जाए ग़े, ल़ेककन अगि पसीना आग़े न
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133. र्जो िलगम नाक या गल़े स़े खारिर्ज हो अगि उसमें खून हो तो िलगम में
र्जहां खन
ू होगा नजर्जस औि िाक़ी हहस्सा पाक होगा मलहाज़ा अगि यह िलगम मह
ु ं
134. अगि एक ऐसा लोटा मसर्जक़े पें दें में सिु ाख हो नजर्जस ज़मीन पि िख
हदया र्जाए औि उसस़े पानी िहना िंद हो र्जाए तो र्जो पानी उसक़े नीच़े र्जमा होगा,
वह उसक़े अन्दि वाल़े पानी स़े ममलकि यकर्ज हो र्जाए तो लोट़े का पानी नजर्जस
हो र्जाएगा ल़ेककन अगि लोट़े का पानी त़ेज़ी क़े साथ िहता िह़े तो नजर्जस नहीं
होगा।
135. अगि कोई चीज़ िदन में दाखखल होकि नर्जासत स़े र्जा ममल़े ल़ेककन िदन
एतनमा का सामान या उसका पानी मक् अद में दाखखल ककया र्जाए या सईं
ु , चाकू
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अहकामे नजासात
136. कुिआऩे मर्जीद क़ी तहिीि औि विक को नजर्जस किना र्जिकक यह फ़़ेल
ि़ेहुमत
क ी में शम
ु ाि होता हो बिला शबु हा हिाम है औि अगि नजर्जस हो र्जाए तो
एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि कलाम़े पाक को नजर्जस किना हिाम औि पानी स़े
137. अगि कुिआऩे मर्जीद क़ी जर्जल्द नजर्जस हो र्जाए औि उसस़े कुिआऩे
ख़्वाह वह ऐऩे नर्जासत खश्ु क ही क्यों न हो अगि कुिआऩे मर्जीद क़ी ि़ेहुमत
क ी का
139. कुिआऩे मर्जीद को नजर्जस िौशनाई स़े मलखना ख़्वाह एक हफ़क ही क्यों न
141. अगि कुिआऩे मर्जीद का एक विक या कोई ऐसी चीज़ जर्जसका एहततिाम
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सलल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम या ककसी इमाम (अ0) का नाम मलखा हो
िैतल
ु खला में चगि र्जाए तो उसका िाहि तनकालना औि उस़े धोना वाजर्जि है ख़्वाह
उस पि कुछ िकम ही क्यों न खचक किनी पड़़े। औि अगि उसका िाहि तनकालना
मम
ु ककन न हो तो ज़रूिी है कक उस वक़्त तक उस िैतुलखुला को इस्त़ेमाल न
तिह अगि खाक़े मशफ़ा िैतुलखला में चगि र्जाए औि उसका तनकालना मम
ु ककन न
िैतल
ु खला को इस्त़ेमान नहीं किना चाहहय़े।
या दीवाना नजर्जस चगज़ा खाए या वपय़े या नजर्जस हाथ स़े चगज़ा को नजर्जस किक़े
143. र्जो नजर्जस चीज़ धोईं र्जा सकती हों उस़े ि़ेचऩे या उधाि द़े ऩे में कोई हर्जक
नहीं ल़ेककन उसक़े नजर्जस होऩे क़े िाि़े में र्जि यह दो शतें मौर्जद
ू हों तो खिीद ऩे
मख
ु ामलफ़त का मत
ु कक कि होगा यानी उस (नजर्जस चीज़) को खाऩे या पीऩे में
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इस्त़ेमाल कि़े गा। अगि ऐसा न हो तो िताना ज़रूिी नहीं है मसलन मलिास क़े
नजर्जस होऩे क़े िाि़े में िताना ज़रूिी नहीं जर्जस़े पहन कि वह दस
ू िा फ़िीक नमाज़
(दस
ू िी शतक) र्जि ि़ेचऩे या उधाि द़े ऩे वाल़े को यह तवक़्को हो कक दस
ू िा फ़िीक
नमाज़ पढ़त़े हुए द़े ख़े तो उस़े इस िाि़े में कुछ कहना ज़रूिी नहीं।
145. अगि र्ि का कोई हहस्सा या कालीन (या दिी) नजर्जस हो औि वह द़े ख़े
कक उसक़े र्ि आऩे वाल़े का िदन, मलिास या कोई औि चीज़ तिी क़े साथ नजर्जस
र्जगह स़े र्जा लगी है औि साहि़े खाना उसका िाइस हुआ तो दो शतों क़े साथ र्जो
मसअला नं0 143 में ियान हुई हैं उन लोगों को इस िाि़े में आगाह कि द़े ना
ज़रूिी है।
146. अगि म़ेज़िान को खाऩे खाऩे क़े दौिान पता चल़े कक चगज़ा नजर्जस है तो
म़ेहमानों को उसक़े मत
ु अजल्लक आगाह कि द़े । ल़ेककन अगि म़ेहमानों में स़े ककसी
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अलित्ता अगि वह उन लोगों क़े साथ यंू र्ल
ु ममल कि िहता हो कक उनक़े नजर्जस
मख
ु ामलफ़त का मत
ु कक कि होगा त उनको िताना ज़रूिी है।
147. अगि कोई उधाि ली हुइ चीज़ नजर्जस हो र्जाए तो उसक़े मामलक को दो
शतों क़े साथ र्जो मस ्अला 143 में ियान हुई हैं आगाह कि़े ।
148. अगि िच्चा कह़े कक कोई चीज़ नजर्जस है या कह़े कक उसऩे ककसी चीज़
को धो मलया है तो उसक़ी िात पि एततिाि नहीं किना चाहहय़े ल़ेककन अगि िच्च़े
क़ी उम्र मक
ु ल्लफ़ होऩे क़े किीि हो औि वह कह़े कक उसऩे एक चीज़ पानी स़े धोई
है र्जिकक वह चीज़ उसक़े इस्त़ेमाल में हो या िच्च़े का कौल एततमाद क़े काबिल
वह चीज़ नजर्ज है ।
मत
ु जह्हिात
149. िािह चीज़़े ऐसी हैं र्जो नर्जासत को पाक किती हैं औि उन्हें मत
ु जह्हिात
इसलाम, 8-तिईयत, 9-ऐऩे नर्जासत का ज़ाइल हो र्जाना, 10- नर्जासत खाऩे वाल़े
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है वान का इसततििा 11-मस
ु लमान का गायि हो र्जाना, 12-जज़बह़े ककय़े गय़े
1-पाऩी
140. पानी चाि शतों क़े साथ नजर्जस चीज़ को पाक किता हैः-
को पाक किऩे क़े मलय़े पानी स़े धोया र्जाए औि उसक़े िाद मज़ीद धोना ज़रूिी न
हो) औि पानी क़ी ि,ू िं ग या ज़इका िदल र्जाए तो उसमें कोई हिर्ज नहीं। मसलन
अगि कोई चीज़ कुि पानी या कलील पानी स़े धोई र्जाए औि उस़े दो मतकिा धोना
ज़रूिी हो तो ख़्वाह पानी क़ी ि,ू िं ग या ज़ाइका पहली दफ़् आ धोऩे क़े वक़्त िदल
र्जाए ल़ेककन दस
ू िी दफ़् आ इस्त़ेमाल ककय़े र्जाऩे वाल़े पानी में ऐसी कोई तबदीली
रूनम
ु ा न हो तो वह चीज़ पाक हो र्जाऐगी।
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4. नजर्जस चीज़ को पानी स़े धोऩे क़े िाद उसमें ऐऩे नर्जासत क़े ज़िाकत िाक़ी न
िहें । नजर्जस चीज़ को कलील पानी यानी एक कुि स़े कम पानी स़े पाक किऩे क़ी
151. नजर्जस ितकन क़े अन्दरूनी हहस्स़े को कलील पानी स़े तीन दफ़् आ धोना
ज़रूिी है । कुि या र्जािी पानी का भी एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि यही हुक्म है
ल़ेककन जर्जस ितकन में कुत्त़े ऩे पानी या कोई माए चीज़ पी हो उस़े पहल़े पाक
ममट्टी स़े मांझना चाहहय़े किि उस ितकन स़े ममट्टी को दिू किना चाहहय़े, उसक़े
िाद कलील या कुि या र्जािी पानी स़े दो दफ़् आ धोना चाहहय़े। इसी तिह अगि
कुत्त़े ऩे ककसी ितकन को चाटा हो औि कोई चीज़ उसमें िाक़ी िह र्जाए तो उस़े धोऩे
स़े पहल़े ममट्टी स़े मांझ ल़ेना ज़रूिी है अलित्ता अगि कुत्त़े का लआ
ु ि ककसी ितकन
में चगि र्जाए तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि उस़े ममट्टी स़े मांझऩे क़े िाद
ममट्टी डाल कि खि
ू हहलायें ताकक ममट्टी ितकन क़े तमाम एतिाफ़ में पहुाँच र्जाए।
हो चक
ु ा है।
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153. अगि ककसी ितकन को सव्ु वि चाट़े या उसमें स़े कोई िहऩे वाली चीज़ पी
स़े सात मतकिा धोना ज़रूिी है ल़ेककन ममट्टी स़े मांझना ज़रूिी नहीं।
154. र्जो ितकन शिाि स़े नजर्जस हो गया हो उस़े तीन मतकिा धोना ज़रूिी है इस
िाि़े में कलील या कुि या र्जािी पानी क़ी कोई तख़्सीस नहीं ।
155. अगि ऐस़े ितकन को र्जो नजर्जस ममट्टी स़े तैयाि हुआ हो या जर्जसमें
नजर्जस पानी सिायत कि गया हो कुि या र्जािी पानी में डाल हदया र्जाए तो र्जहां
र्जहां वह पानी पहुाँच़े गा ितकन पाक हो र्जाय़ेगा औि अगि उस ितकन क़े अन्दरूनी
पड़़े िहऩे द़े ना चाहहय़े कक पानी तमाम ितकन में सिायत कि र्जाए। औि अगि उस
ितकन में कोई ऐसी नमी हो र्जो पानी क़े अन्दरूनी हहस्सों तक पहुाँच नें में माऩे हो
तो पहल़े उस़े खुश्क कि ल़ेना ज़रूिी है औि किि ितकन को कुि या र्जािी पानी में
156. नजर्जस ितकन को कलील पानी स़े दो तिीक़े स़े धोया र्जा सकता हैः-
(पहला तिीका) ितकन को तीन दफ़् आ भिा र्जाए औि हि दफ़् आ खाली कि हदया
र्जाए।
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(दस
ू िा तिीका) ितकन में तीन दफ़् आ मन
ु ामसि ममकदाि में पानी डालें औि हि
157. अगि एक िड़ा ितकन मसलन द़े ग या मटका नजर्जस हो र्जाएं तो तीन
दफ़् आ पानी स़े भिऩे औि हि दफ़् आ खाली किऩे क़े िाद पाक हो र्जाता है । इसी
तिह अगि उसमें तीन दफ़् आ ऊपि स़े इस तिह पानी उं ड़ेलें कक उसक़ी तमाम
अतिाफ़ तक पहुाँच र्जाए औि हि दफ़् आ उसक़ी तह में र्जो पानी र्जमआ हो र्जाए
दस
ू िी औि तीसिी िाि जर्जस ितकन क़े ज़रिय़े पानी िाहि तनकाला र्जाए उस़े भी धो
मलया र्जाए।
158. अगि नजर्जस तांि़े वगैिा को वपर्ला कि पानी स़े धो मलया र्जाए तो उसका
159. अगि तन्निू (तंदिू ) प़ेशाि स़े नजर्जस हो र्जाए औि उसमें ऊपि स़े एक
मतकिा यंू पानी डाला र्जाए कक उसक़ी तमाम अतिाफ़ तक पहुंच र्जाए तो तन्निू
र्जाए औि अगि तन्निू प़ेशाि क़े अलावा ककसी औि चीज़ स़े नजर्जस हुआ हो तो
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डालना काफ़़ी है औि ि़ेहति यह है कक तन्निू क़ी तह में एक गढ़ा खोद मलया र्जाए
जर्जसमें पानी र्जम ्आ हो सक़े किि उस पानी को तनकाल मलया र्जाए औि गढ़़े को
160. अगि ककसी नजर्जस चीज़ को कुि या र्जािी पानी में एक दफ़् आ यंू डुिो
हदया र्जाए कक पानी उसक़े तमाम नजर्जस मकामत तक पहुंच र्जाए तो वह चीज़
पाक हो र्जाय़ेगी औि कालीन या दिी या मलिास वगैिा को पाक किऩे क़े मलय़े उस़े
तनचोड़ना औि इसी तिह स़े मलना या पांव स़े िगड़ना ज़रूिी नहीं है औि अगि
िदन या मलिास प़ेशाि स़े नजर्जस हो गया हो तो उस़े कुि पानी में दो दफ़् आ धोना
भी लाजज़म है ।
161. अगि ककसी ऐसी चीज़ को र्जो प़ेशाि स़े नजर्जस हो गई हो कलील पानी स़े
धोना मकसद
ू हो तो उस पि एक दफ़् आ यंू पानी िहा दें कक प़ेशाि उस चीज़ में
दफ़् आ पानी िहाना ज़रूिी है ताकक पाक हो र्जाए। ल़ेककन र्जहां तक मलिास,
(गस
ु ाला या धोवन उस पानी को कहत़े हैं र्जो ककसी धोई र्जाऩे वाली चीज़ स़े धल
ु ऩे
क़े दौिान या धल
ु र्जाऩे क़े िाद खुद ि खद
ु तनचोड़ऩे स़े तनकलता है ।)
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162. र्जो चीज़ ऐस़े शीिख़्वाि लड़क़े या लड़क़ी क़े प़ेशाि स़े जर्जसऩे दध
ू क़े
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक मज़ीद एक िाि उस पि पानी डाला र्जाए मलिास,
163. अगि कोई चीज़ प़ेशाि क़े अलावा ककसी नर्जासत स़े नजर्जस हो र्जाए तो
वह नर्जासत दिू किऩे क़े िाद एक दफ़् आ कलील पानी उस पि डाला र्जाए। र्जि
ममलती र्जुलती चीज़ों को तनचोड़ ल़ेना चाहहय़े ताकक उनका धोवन तनकल र्जाए।
में डुिो हदया र्जाए तो ऐऩे नर्जासत दिू होऩे क़े िाद वो पाक हो र्जाय़ेगी ल़ेककन
अगि उस़े कलील पानी स़े धोया र्जाए तो जर्जस तिह भी मजु म्कन हो उसका
तनचोड़ना भी ज़रूिी है (ख़्वाह उसम़े पांव ही क्यों न चलाऩे पड़ें) ताकक उसका
र्जाए तो वह कुि या र्जािी पानी में डुिोऩे स़े पाक हो र्जाय़ेगा ल़ेककन अगि उनका
अन्दरूनी हहस्सा नजर्जस हो र्जाए तो कुि या र्जािी पानी उन चीज़ों क़े अन्दि तक
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पहुंच र्जाए औि पानी मत
ु लक ही िह़े तो यह चीज़़े पाक हो र्जाय़ेगीं ल़ेककन ज़ाहहि
यह है कक सािन
ु औि उसस़े ममलती र्जल
ु ती चीज़ों क़े अन्दि आि़े मत
ु लक बिल्कुल
नहीं पहुंचता।
167. अगि चावल या गोश्त या ऐसी ही ककसी चीज़ का ज़ाहहिी हहस्सा नजर्जस
हो र्जाए तो ककसी पाक प्याल़े या उसक़े ममस्ल ककसी चीज़ में िख कि एक दफ़् आ
उस पि पानी डालऩे औि किि िेंक द़े ऩे क़े िाद वह चीज़ पाक हो र्जाती है औि
अगि ककसी नजर्जस ितकन में िखें तो यह काम तीन दफ़् आ अनर्जाम द़े ना ज़रूिी है
उलट द़े ना चाहहय़े ताकक र्जो धोवन उसमें र्जमा हो गया हो वह िह र्जाए।
168. अगि ककसी नजर्जस मलिास को र्जो त़ेल या उस र्जैसी चीज़ स़े िं गा गया
हो कुि या र्जािी पानी में डुिोया र्जाए औि कपड़़े क़े िं ग क़ी वर्जह स़े पानी मज़
ु ाफ़
होऩे स़े कबल तमाम र्जगह पहुंच र्जाए तो वह मलिास पाक हो र्जाय़ेगा औि अगि
उस़े कलील पानी स़े धोया र्जाए औि तनचोड़ऩे पि उसमें स़े मज़
ु ाफ़ पानी न तनकल़े
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169. अगि कपड़़े को कुि या र्जािी पानी में धोया र्जाए औि ममसाल क़े तौि पि
िाद में काई वगैिा कपड़़े में नज़ि आए औि यह अहततमाल न हो कक यह कपड़़े क़े
अन्दि पानी क़े पहुंचऩे में माऩे (िाधक) हुई है तो वह कपड़ा पाक है।
ज़िाक या सािन
ु उसमें नज़ि आए औि एहततमाल हो कक यह कपड़़े क़े अन्दि पानी
क़े पहुंचऩे में माऩे हुआ है तो वह पाक है ल़ेककन अगि नजर्जस पानी ममट्टी या
सािन
ु में सिायत कि गया हो तो ममट्टी औि सािन
ु का ऊपि वाला हहस्सा पाक
171. र्जि तक ऐऩे नर्जासत ककसी नजर्जस चीज़ स़े अलग न हो वह पाक नहीं
होगी ल़ेककन अगि िू या नर्जासत का िं ग उसमें िाक़ी िह र्जाए तो कोई हिर्ज नहीं।
मलहाज़ा अगि खून मलिास पि स़े हटा हदया र्जाए औि मलिास धो मलया र्जाए औि
या िं ग क़ी वर्जह स़े यह यक़ीन या एहततमाल पैदा हो कक नर्जासत क़े ज़िाकत इसमें
172. अगि कुि या र्जािी पानी में िदन क़ी नर्जासत दिू कि ली र्जाए तो िदन
पाक हो र्जाता है ल़ेककन अगि िदन प़ेशाि स़े नजर्जस हुआ हो तो उस सिू त में एक
दफ़् आ स़े पाक नहीं होगा ल़ेककन पानी स़े तनकल आऩे क़े िाद दोिािा उसमें
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दाखखल होना ज़रूिी नहीं िजल्क अगि पानी क़े अंदि ही िदन पि हाथ ि़ेि लें कक
173. अगि नजर्जस चगज़ा दांतों क़ी ि़े खों में िह र्जाए औि पानी मह
ु ं में भि कि
यंू र्म
ु ाया र्जाए कक तमाम नजर्जस चगज़ा तक पहुंच र्जाए तो वह चगज़ा पाक हो
र्जाती है ।
174. अगि सि या च़ेहि़े क़े िालों को कलील पानी स़े धोया र्जाए औि वह िाल
र्ऩे न हों तो उनस़े धोवन र्जुदा किऩे क़े मलय़े उन्हें तनचोड़ना ज़रूिी नहीं क्योंकक
मअमल
ू ी पानी खद
ु ि खद
ु र्जद
ु ा हो र्जाता है ।
175. अगि िदन या मलिास का कोई हहस्सा कलील पानी स़े धोया र्जाए तो
मकाम को धोऩे क़े साथ ही पाक हो र्जात़े हैं। औि एक पाक चीज़ एक नजर्जस
चीज़ क़े ििािि िख दें औि दोनों पि पानी डालें तो उसका भी यही हुक्म है ।
मलहाज़ा अगि एक नजर्जस उं गली को पाक किऩे क़े मलय़े सि उं गमलयों पि पानी
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176. र्जो गोश्त या चि़ी नजर्जस हो र्जाए दस
ू िी चीज़ों क़ी तिह पानी स़े धोई र्जा
सकती है । यही सिू त उस िदन या मलिास क़ी है जर्जस पि थोड़ी िहुत चचकनाई हो
177. अगि ितकन या िदन नजर्जस हो र्जाए औि िाद में इतन चचकना हो र्जाए
पहल़े चचकनाई दिू किनी चाहहय़े ताकक पानी उन तक (यानी ितकन या िदन तक)
पहुंच सक़े।
ल़ेककन िाद में शक गुज़ि़े कक ऐऩे नर्जासत उसस़े दिू हुई है या नहीं तो ज़रूिी है
कक उस़े दोिािा पानी स़े धो मलया र्जाए औि यक़ीन कि मलया र्जाए कक ऐऩे
180. वह ज़मीन जर्जसमें पानी र्जज़्ि हो र्जाता हो ममलन ऐसी ज़मीन जर्जसक़ी
ज़मीन जर्जसमें पानी र्जज़्ि न होता हो नजर्जस हो र्जाए तो कलील पानी स़े पाक हो
सकती है ल़ेककन ज़रूिी है कक उस पि इतना पानी चगिाया र्जाए कक िहऩे लग़े। र्जो
59
पानी इस पि डाला र्जाए अगि वह ककसी गढ़़े स़े िाहि न तनकल सक़े औि ककसी
र्जमाअशद
ु ा पानी को कपड़़े या ितकन स़े िाहि तनकाल हदया र्जाए।
182. अगि मअहदनी नमक का डला या उस र्जैसी कोई औि चीज़ ऊपि स़े
183. अगि वपर्ली हुई नजर्जस शकि स़े कंद िना लें औि उस़े कुि या र्जािी
2. जम़ीन
184. ज़मीन पांव क़े तलव़े औि र्जूत़े क़े तनचल़े हहस्स़े को चाि शतों स़े पाक
किती है ः-
(दोव्वम
ु ) एहततयात क़ी बिना पि खश्ु क हो।
(सोव्वम
ु ) एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि नर्जासत ज़मीन पि चलऩे स़े लगी हो।
मत
ु नजज्र्जम ममट्टी पांव क़े तलव़े या र्जूत़े क़े तनचल़े हहस्स़े में लगी हो वह िास्ता
चलऩे या पांव ज़मीन पि िगड़ऩे स़े दिू हो र्जाए ल़ेककन अगि ऐऩे नर्जासत ज़मीन
60
क़ी बिना पि पाक नहीं होगी। अलित्ता यह ज़रूिी है कक ज़मीन ममट्टी या पत्थि
185. पांव का तलवा या र्जूत़े क़े तनचला हहस्सा नजर्जस हो तो डामि या लकड़ी
कक पन्रह हाथ या उसस़े ज़्यादा फ़ासला ज़मीन पि चलें ख़्वाह पन्रह हाथ स़े कम
187. पाक होऩे क़े मलय़े पांव या र्जूत़े क़े नजर्जस तलव़े का ति होना ज़रूिी नहीं
हो र्जात़े हैं।
189. अगि ककसी ऐस़े शख़्स क़ी हाथ क़ी हथ़ेली या र्ट
ु ना नजर्जस हो र्जाए र्जो
हाथों औि र्ट
ु नों क़े िल चलता हो तो उसक़े िास्ता चलऩे में उसक़ी हथ़ेली या
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र्ट
ु ऩे का पाक हो र्जाना महल्ल़े इश्काल है। यही सिू त लाठ औि मसनई
ू टांग क़े
तनचल़े हहस्स़े, चौपाए क़े नाल, मोटि गाडड़यों औि गाडड़यों क़े पहहयों क़ी है ।
190. अगि ज़मीन पि चलऩे क़े िाद नर्जासत क़ी िू या िं ग या िािीक ज़िे र्जो
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक ज़मीन पि इस कदि चला र्जाए कक वह भी ज़ाएल
हो र्जाएं।
191. र्जूत़े का अन्दरूनी हहस्सा ज़मीन पि चलऩे स़े पाक नहीं होता औि ज़मीन
पि चलऩे स़े मोज़़े क़े तनचल़े हहस्स़े का पाक होना भी महल्ल़े इश्काल है ल़ेककन
अगि मोज़़े का तनचला हहस्सा चमड़़े स़े ममलती र्जुलती चीज़ का िना हो (तो वह
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3. स़ूिज
192. सिू र्ज- ज़मीन इमाित औि दीवाि को पांच शतों क़े साथ पाक किता है ः-
हो र्जाए मलहाज़ा अगि वह चीज़ खश्ु क हो तो उस़े ककसी तिह ति कि ल़ेना चाहहय़े
ताकक धप
ू स़े खुश्क हो।
दोव्वम
ु - अगि ककसी चीज़ में ऐऩे नर्जासत हो तो धप
ू स़े खश्ु क किऩे स़े पहल़े
सोव्वम
ु - कोई चीज़ धप
ू में रूकावट न डाल़े। पस अगि धप
ू पदे , िादल या ऐसी
ही ककसी चीज़ क़े पीछ़े स़े उस चीज़ पि पड़़े औि उस़े खुश्क कि द़े तो वह चीज़
हिर्ज नहीं।
चहारूम- फ़कत सिू र्ज नजर्जस चीज़ को खश्ु क कि़े । मलहाज़ा ममसाल क़े तौि पि
इतनी हजल्क हो कक यह न कहा र्जा सक़े कक नजर्जस चीज़ को खुश्क किऩे में
पंर्जुम- ितु नयाद औि इमाित क़े जर्जस हहस्स़े में नर्जासत सिायत कि गई है धप
ू
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तनचल़े हहस्स़े को खुश्क कि़े तो उसका सामऩे वाला हहस्सा पाक होगा औि तनचला
193. सिू र्ज नजर्जस चटाई को पाक कि द़े ता है ल़ेककन अगि चटाई धाग़े स़े िन
ु ी
हुई हो तो धाग़े क़े पाक होऩे में इश्काल है । इसी तिह दिख़्त र्ास औि दिवाज़़े,
194. अगि धप
ू नजर्जस ज़मीन पि पड़़े औि इस में शक पैदा हो कक धप
ू पड़ऩे
195. अगि धप
ू नजर्जस दीवाि क़ी एक तिफ़ पड़़े औि उसक़े ज़रिय़े दीवाि क़ी
4. इसततहाला
196. अगि ककसी चीज़ क़ी जर्जंस यंू िदल र्जाए कक एक पाक चीज़ क़ी शक्ल
इजख़्तयाि कि ल़े तो वह पाक हो र्जाती है । ममसाल क़े तौि पि नजर्जस लकड़ी र्जल
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कि िाख हो र्जाए या कुत्ता नमक क़ी खान में चगिकि नमक िन र्जाए। ल़ेककन
अगि उसक़ी जर्जंस न िदल़े मसलन नजर्जस ग़ेहूं को पीस कि आटा िना मलया र्जाए
नजर्जस हैं ल़ेककन वह कोयला र्जो नजर्जस लकड़ी स़े तैयाि ककया र्जाए अगि उसमें
5. इंफकलाब
199. अगि शिाि खुद ि खुद या कोई चीज़ ममलाऩे स़े मसलन मसकाक औि
गई हो या कोई नजर्जस चीज़ शिाि में चगि र्जाए तो मसकाक िन र्जाऩे स़े पाक नहीं
होती।
201. नजर्जस अंगूि, नजर्जस ककशममश औि नजर्जस खर्जूि स़े र्जो मसकाक तैयाि
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202. अगि अगंिू या खर्जूि क़े डंठल भी उनक़े साथ हों औि उनस़े मसकाक तैयाि
ककया र्जाए तो कोई हिर्ज नहीं िजल्क उसी ितकन में खीि़े औि िैंगन वगैिा डालऩे
में भी कोई खिािी नहीं ख़्वाह अंगिू या खर्जिू क़े मसकाक िनऩे स़े पहल़े ही डालें
र्जाएं िशते कक मसकाक िनऩे स़े पहल़े उनमें नशा न पैदा हुआ हो।
203. अगि अंगूि क़े िस में आंच पि िखऩे स़े या खुद ि खुद र्जोश आ र्जाय़े
र्जो िाक़ी िच़े उसमें र्जोश आ र्जाए तो अगि लोग उस़े अंगूि का िस कहें , शीिा न
206. अगि कच्च़े अंगूि क़े खोश़े म़े कुछ पक्क़े अंगिू भी हों औि र्जो िस उस
खोश़े स़े मलया र्जाए उस़े लोग अंगिू का िस न कहें औि उसमें र्जोश आ र्जाए तो
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207. अगि अंगिू का एक दाना ककसी ऐसी चीज़ में चगि र्जाए र्जो आग पि
208. अगि चन्द द़े गो में शीिा पकाया र्जाय़े तो र्जो चमचा र्जोश में आई हुई द़े ग
आया हो।
6- इंततकाल
210. अगि इंसान का खून या उछलऩे वाला खून िखऩे वाल़े है वान का खून
है वान क़े िदन का र्जुज़्व हो र्जाए। मसलन मच्छि, इंसान या है वान क़े िदन स़े
इस तिह खून चस
ू ़े तो वह खून पाक हो र्जाता है औि उस़े इजन्तकाल कहत़े हैं।
का र्जुज़्व नहीं िनता िजल्क इंसानी खून ही िहता है इसमलय़े वह नजर्जस है।
211. अगि कोई शख़्स अपऩे िदन पि िैठ़े हुए मच्छि को माि द़े औि वह खन
ू
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है क्योंकक वह खून इस काबिल था कक मच्छि क़ी चगज़ा िन र्जाए, अगि मच्छि
क़े खन
ू चस
ू ऩे औि माि़े र्जाऩे क़े दिममयान वक़्फ़ा िहुत कम हो, ल़ेककन एहततयात़े
मस्
ु तहि यह है कक उस खन
ू स़े इस हालत में पिह़े ज़ किें ।
7- इसलाम
212. अगि कोई काकफ़ि "शहादतैन" पढ़ ल़े यानी ककसी भी ज़िान (भाषा) में
अगिच़े वह मस
ु लमान होऩे स़े पहल़े नजर्जस क़े हुक्म में था ल़ेककन मस
ु लमान हो
ल़ेककन मस
ु लमान होऩे क़े वक़्त अगि उसक़े िदन पि कोई ऐऩे नर्जासत हो तो
उस़े दिू किना औि उस मकाम को पानी स़े धोना ज़रूिी है िजल्क अगि मस
ु लमान
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214. अगि काकफ़ि "शहादतैन" पढ़ ल़े औि यह न मालम
ू हो कक वह हदल स़े
मस
ु लमान हुआ है या नहीं तो वह पाक है। औि अगि यह इल्म हो कक वह हदल
स़े मस
ु लमान नहीं हुआ ल़ेककन ऐसी कोई िात उसस़े ज़ाहहि न हुई हो र्जो तौहीद
8- तबईय्यत
र्जाता है र्जहां तक शिाि र्जोश खाकि पहुंची हो औि अगि कोई कपड़ा या कोई
दस
ू िी चीज़ उमम
ू न उस (शिाि क़े ितकन) पि िखी र्जाती है औि उस स़े नजर्जस हो
स़े आलद
ू हो र्जाए तो एहततयात़े वाजर्जि यह है कक शिाि क़े मसकाक हो र्जाऩे क़े िाद
217. काकफ़ि का िच्चा िज़िीयाए तिईय्यत दो सिू तों में पाक हो र्जाता हैः-
हुक्म है । ल़ेककन इस सिू त में िच्च़े क़ी तहाित का हुक्म इसस़े मशरूत है कक
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िच्चा उस नवमजु स्लम क़े साथ औि उसक़े ज़़ेि़े कफ़ालत हो नीज़ िच्च़े का कोई
इन दोनों सिू तों में िच्च़े क़ी तिईय्यत क़ी बिना पि पाक होऩे क़ी शतक यह है कक
जर्जसस़े मैतयत क़ी शमकगाह ढांपी र्जाए नीज़ गस्साल क़े हाथ गस्
ु ल मक
ु म्मल होऩे
219. अगि कोई शख़्स ककसी चीज़ को पानी स़े धोए तो उस चीज़ क़े पाक होऩे
है ।
220. अगि मलिास या उस ज़ैसी ककसी चीज़ को कलील पानी स़े धोया र्जाए
औि इतना तनचौड़ हदया र्जाए जर्जतना आम तौि पि तनचोड़ा र्जाता हो ताकक जर्जस
पानी स़े धोया गया है उसका धोवन तनकल र्जाए तो र्जो पानी उसमें िह र्जाए वो
पाक है ।
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221. र्जि नजर्जस ितकन को कलील पानी स़े धोया र्जाए तो र्जो पानी ितकन को
पाक किऩे क़े मलय़े उस पि डाला र्जाए उसक़े िह र्जाऩे क़े िाद र्जो मअमल
ू ी पानी
है वान का िदन पाक हो र्जाता है औि यही सिू त इन्सानी िदन क़े अन्दरूनी हहस्सों
िाहि स़े नर्जासत लगऩे स़े नजर्जस हो र्जायेंग़े औि र्जि नर्जासत दिू हो र्जाए तो
पाक हो र्जायेंग़े ल़ेककन नर्जासत़े दाखखली मसलन दांतों क़े ि़े खों स़े खून तनकलऩे स़े
िदन का अन्दरूनी हहस्सा नजर्जस नहीं होता, औि यही हुक्म है कक र्जि ककसी
खारिर्जी चीज़ को िदन क़े अन्दरूनी हहस्स़े में नर्जासत़े दाखखली लग र्जाए तो वह
है ।
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223. अगि दांतों क़ी ि़े खों में चगज़ा लगी िह र्जाए औि किि मह
ंु क़े अन्दि खून
तनकल आए तो वह चगज़ा खन
ू ममलऩे स़े नजर्जस नहीं होगी।
224. होंठों औि आाँख क़ी पलकों क़े वह हहस्स़े र्जो िन्द कित़े वक़्त एक दस
ू ि़े
स़े ममल र्जात़े हैं वह अन्दरूनी हहस्स़े का हुक्म िखत़े हैं। अगि इस अन्दरूनी हहस्स़े
में खारिर्ज स़े कोई नर्जासत लग र्जाए तो इस अन्दरूनी हहस्स़े को धोना ज़रूिी नहीं
अन्दरूनी हहस्सा समझा र्जाए या ि़ेरूनी, अगि खारिर्ज स़े नर्जासत उन मकामात
225. अगि नजर्जस ममट्टी कपड़़े या खश्ु क कालीन, दिी या ऐसी ही ककसी औि
चीज़ को लग र्जाए औि कपड़़े वगैिा को यंू झाड़ा र्जाए कक नजर्जस ममट्टी उसस़े
नहीं होगी।
226. जर्जस है वान को इन्सानी नर्जासत खाऩे क़ी आदत पड़ गई हो उसका
इसततििा किना ज़रूिी है यानी एक असे तक उस़े नर्जासत न खाऩे दें औि पाक
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कहा र्जा सक़े। औि एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि नर्जासत खाऩे वाल़े ऊंट को
पालतू मग
ु ़ी को तीन हदन तक नर्जासत खाऩे स़े िाज़ िखा र्जाए। अगि यह मक
ु िक िः
मद्
ु दत गुज़िऩे स़े पहल़े ही उन्हें नर्जासत खाऩे वाला है वान न कहा र्जा सक़े (ति
भी उस मद्
ु दत तक उन्हें नर्जासत खाऩे स़े िाज़ िखना चाहहय़े) ।
या दस
ू िी अश्या मसलन ितकन औि दिी वगैिह र्जो उसक़े इस्त़ेमाल में हों नजर्जस
हो र्जायें औि किि वह वहां स़े चला र्जाए तो अगि कोई इन्सान यह समझ़े कक
नजर्जस समझता हो। मलहाज़ा अगि ममसाल क़े तौि पि उसका मलिास ति हो औि
काकफ़ि क़े िदन स़े छू गया हो औि वह उस़े नजर्जस न समझता हो तो उसक़े चल़े
दोव्वम
ु – उस़े इल्म हो कक उसका िदन या मलिास नजर्जस चीज़ स़े लग गया है ।
73
सोव्वम
ु – कोई शख़्स उस़े उस चीज़ को ऐस़े काम में इस्त़ेमाल कित़े हुए द़े ख़े
जर्जसमें उसका पाक होना ज़रूिी हो, मसलन उस़े उस मलिास क़े साथ नमाज़ पढ़त़े
साथ कि िहा है इसक़े िाि़े में उस़े इल्म है कक उस चीज़ का पाक होना ज़रूिी है।
वाल़े का मलिास पाक होना चाहहय़े औि नजर्जस मलिास क़े साथ ही नमाज़ पढ़ िहा
पंर्जुम - वह मस
ु लमान नजर्जस औि पाक चीज़ में फ़कक किता हो- पस अगि वह
मस
ु लमान नजर्जस औि पाक चीज़ में लापिवाई किता हो तो ज़रूिी है कक इन्सान
नजर्जस थी अि पाक हो गई है या दो आहदल अश्खास उसक़े पाक होनें क़ी खिि दें
औि उनक़ी शहादत उस चीज़ क़ी पाक़ी का र्जवाज़ िनें तो वह चीज़ पाक है । इसी
तिह वह शख़्स जर्जसक़े पास कोई नजर्जस चीज़ हो कह़े कक वह चीज़ पाक हो गई है
गोया यह मआलम
ू न हो कक उसऩे उस़े ठ क तिह स़े धोया है या नहीं तो वह
चीज़ भी पाक है ।
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229. अगि ककसी ऩे एक शख़्स का मलिास धोऩे क़ी जज़म्म़ेदािी ली हो औि कह़े
तो वह मलिास पाक है ।
230. अगि ककसी शख़्स क़ी यह हालत हो र्जाए कक उस़े ककसी नजर्जस चीज़ क़े
तिीक़े स़े जज़बहा किऩे क़े िाद उसक़े िदन स़े मअमल
ू क़े मत
ु ाबिक (ज़रूिी ममकदाि
में ) खून तनकल र्जाए तो र्जो खून उसक़े िदन क़े अन्दि िाक़ी िह र्जाए वह पाक
है ।
232. मज़कूिा िाला हुक्म जर्जसका ियान मस ्अला 231 में हुआ है एहततयात
क़ी बिना पि उसका इत्लाक हलाल गोश्त वाल़े र्जानवि क़े उन अअज़ा पि भी नहीं
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बतयनों के अहकाम
औि उस ितकन को वज़
ु ू औि गस्
ु ल औि ऐस़े दस
ू ि़े कामों में इस्त़ेमाल नहीं किना
चाहहय़े जर्जन्हें पाक चीज़ स़े अन्र्जाम द़े ना ज़रूिी हो औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है
कक कुत्त़े, सव्ु वि औि मद
ु ाकि क़े चमड़़े को ख़्वाह वह ितकन क़ी शक्ल में न भी हो
234. सोऩे औि चांदी क़े ितकनों में खाना पीना िजल्क एहततयात़े वाजर्जि क़ी
बिना पि उनको ककसी तिह भी इस्त़ेमाल किना हिाम है ल़ेककन उनस़े कमिा
वगैिा सर्जाऩे या उन्हें अपऩे पास िखऩे में कोई हिर्ज नहीं गो उनका तकक कि द़े ना
अहवत है । औि सर्जावट या कबज़़े में िखऩे क़े मलय़े सोऩे औि चांदी क़े ितकन
235. इजस्तकान (शीश़े का छोटा सा चगलास जर्जसमें कहवा पीत़े हैं) का होल्डल
र्जो सोऩे या चांदी स़े िना हुआ हो अगि उस़े ितकन कहा र्जाए तो वह सोऩे औि
चांदी क़े ितकन का हुक्म िखता है औि अगि उस़े ितकन न कहा र्जाए तो उसक़े
236. ऐस़े ितकनों क़े इस्त़ेमाल में कोई हिर्ज नहीं जर्जन पि सोऩे या चांदी का
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237. अगि र्जस्त को सोऩे या चांदी में मखलत
ू (ममचश्रत) किक़े ितकन िनाय़े
238. अगि चगज़ा सोऩे या चांदी क़े ितकन में िखी हो औि कोई शख़्स उस़े दस
ू ि़े
ज़िीआ शम
ु ाि न हो तो ऐसा किऩे में कोई हर्जक नहीं है।
239. हुक्क़े क़े चचल्लम का सिु ाख वाला ढकना (सिपोश), तलवाि या छुिी, चाकू
का म्यान औि कुिआन िखऩे का डडबिा अगि सोऩे या चांदी स़े िऩे हों तो कोई
इत्रदानी, सम
ु ाकदानी औि अफ़़ीम दानी इस्त़ेमाल न क़ी र्जाय़े।
240. मर्जििू ी क़ी हालत में सोऩे चांदी क़े ितकनों में इतना खाऩे पीऩे में कोई
241. ऐसा ितकन इस्त़ेमाल किऩे में कोई हिर्ज नहीं जर्जसक़े िाि़े में मालम
ू न हो
77
इबादात
वुज़ू
242. वज़
ु ू में वाजर्जि है कक च़ेहिा औि दोंनो हाथ धोय़े र्जायें औि सि क़े अगल़े
हहस्स़े औि दोंनो पांव क़े सामऩे वाल़े हहस्स़े का मसाह ककया र्जाए।
243. च़ेहि़े को लम्िाई में प़ेशानी क़े ऊपि उस र्जगह स़े ल़ेकि र्जहां सि क़े िाल
उगत़े हैं ठोड़ी क़े आखखिी ककनाि़े तक धोना ज़रूिी है औि चौढ़ाई में िीच क़ी उं गली
औि अंगठ
ू ़े क़े फ़ैलाव में जर्जतनी र्जगह आ र्जाय़े उस़े धोना ज़रूिी है । अगि इस
244. अगि ककसी शख़्स क़े हाथ या च़ेहिा आम लोगों क़ी ितनस्ित िड़़े या छोट़े
हों तो उस़े द़े खना चाहहय़े क़ी आम लोग कहां तक अपना च़ेहिा धोत़े हैं किि वह
भी उतना ही धो डाल़े। अलावा अज़ी अगि उसक़ी प़ेशानी पि िाल उग़े हुएं हों या
सि क़े अगल़े हहस्स़े पि िाल न हों तो उस़े चाहहय़े क़ी आम अन्दाज़़े क़े मत
ु ाबिक
प़ेशानी धो डाल़े।
78
245. अगि इस िात का एहततमाल हो कक भवों, आंख क़े गोशों औि होठों पि
मैल या कोई दस
ू िी चीज़ र्जो पानी क़े उन तक पहुंचऩे में माऩे है औि उसका यह
246. अगि च़ेहि़े क़ी जर्जल्द िालों क़े नीच़े स़े नज़ि आती हो तो पानी जर्जल्द
247. अगि ककसी शख़्स को शक हो कक आया उसक़े च़ेहि़े क़ी जर्जल्द िालों क़े
नीच़े स़े नज़ि आती है या नहीं तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि ज़रूिी है कक
248. नाक क़े अन्दरूनी हहस्स़े औि होंठों औि आंखों क़े उन हहस्सों का र्जो िन्द
किऩे पि नज़ि नहीं आत़े धोना वाजर्जि नहीं है। ल़ेककन अगि ककसी इन्सान को
यह यक़ीन न हो कक जर्जन र्जगहों का धोना ज़रूिी है उनमें कोई र्जगह िाक़ी नहीं
तो उस वज़
ु ू स़े उसऩे र्जो नमाज़ पढ़ी है वह सहीह है औि िाद क़ी नमाज़ों क़े मलय़े
वज़
ु ू किना ज़रूिी नहीं है ।
79
249. एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना क़ी बिना पि ज़रूिी है कक हाथों औि उसी
तिह च़ेहि़े को ऊपि स़े नीच़े क़ी तिफ़ धोया र्जाए। अगि नीच़े स़े ऊपि क़ी तिफ़
250. अगि हथ़ेली पानी स़े ति किक़े च़ेहि़े औि हाथों पि ि़ेिी र्जाए औि हाथ
में इतनी तिी हो कक उस़े ि़ेिऩे स़े पिू ़े च़ेहि़े औि हाथों पि पानी पहुंच र्जाए तो
251. च़ेहिा धोऩे क़े िाद पहल़े दायां हाथ औि किि िायां हाथ कोहनी स़े
यक़ीन किऩे क़े मलय़े कोहनी स़े ऊपि का कुछ हहस्सा भी धोना ज़रूिी है ।
253. जर्जस शख़्स ऩे च़ेहिा धोऩे स़े पहल़े अपऩे हाथों को कलाई क़े र्जोड़ तक
254. वज़
ु ू में च़ेहि़े औि हाथों का एक दफ़् आ धोना वाजर्जि, दस
ू िी दफ़् आ धोना
मस्
ु तहि औि तीसिी दफ़् आ या इसस़े ज़्यादा िाि धोना हिाम है। एक दफ़् आ धोना
उस वक़्त मक
ु म्मल होगा र्जि वज़
ु ू क़ी तनयत स़े इतना पानी च़ेहि़े या हाथ पि
डाल़े कक वह पानी पिू ़े च़ेहि़े या हाथ पि पहुंच र्जाए औि एहततयातन कोई र्जगह
िाक़ी न िह़े मलहाज़ा अगि पहली दफ़् आ धोऩे क़ी तनयत स़े दस िाि भी च़ेहि़े पि
80
पानी डाल़े तो इसमें कोई हिर्ज नहीं है । यानी मसलन र्जि तक वज़
ु ू किऩे या च़ेहिा
है । ल़ेककन दस
ू िी दफ़् आ धोऩे में तनयत का मोतिि होना इश्काल स़े खाली नहीं है
दफ़् आ धोऩे क़े िाद एक िाि स़े ज़्यादा च़ेहि़े या हाथों को न धोएं।
255. दोनों हाथ धोऩे क़े िाद सि क़े अगल़े हहस्स़े का मसह वज़
ु ू क़े पानी क़ी
यह है कक मसह दायें हाथ स़े ककया र्जाए र्जो ऊपि स़े नीच़े क़ी तिफ़ हो।
256. सि क़े चाि हहस्सों में स़े प़ेशानी स़े ममला हुआ एक हहस्सा वह मकाम है
र्जहां मसाह किना चाहहय़े। इस हहस्स़े में र्जहां भी औि जर्जस अन्दाज़ में भी मसा
लम्िाई क़े औि अज़क में तीन ममली हुई उं गलीयो क़े लगभग मसह ककया र्जाए।
इतऩे लम्ि़े हों कक मसलन अगि कंर्ा कि़े तो चहि़े पि आ चगिें या सि क़े ककसी
दस
ू ि़े हहस्स़े तक र्जा पहुंचें तो ज़रूिी है कक वह िालों क़ी र्जड़ों या मांग तनकाल कि
81
दस
ू ि़े हहस्सों तक पहुंचऩे वाल़े िालों को आग़े क़ी तिफ़ र्जमअ किक़े उन पि मसह
कि़े गा या सि क़े दस
ू ि़े हहस्सों क़े िालों पि र्जो आग़े को िढ़ आए हो मसह कि़े गा
पांव क़ी ककसी एक उं गली स़े ल़ेकि पांव क़े र्जोड़ तक मसह किना ज़रूिी है । औि
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक दांय़े पैि का दायें हाथ स़े औि िायें पैि का िायें हाथ
र्जुड़ी हुई उं गूलीयों क़ी चौड़ाई क़े ििािि हो औि उसस़े भी ि़ेहति यह है कक पांव क़े
260. एहततयात यह है कक पांव का मसह कित़े वक़्त हाथ उं गमलयों क़े मसिो पि
िख़े औि किि पांव क़े उभाि क़ी र्जातनि खींच़े या हाथ पांव क़े र्जोड़ पि िख कि
थोड़ा सा खींच।़े
82
262. जर्जस र्जगह का मसह किना हो वह खश्ु क होनी चाहहय़े। अगि वह इस
263. अगि मसह किऩे क़े मलय़े हथ़ेली पि तिी िाक़ी न िही हो तो उस़े दस
ू ि़े
पानी स़े ति नहीं ककया र्जा सकता िजल्क ऐसी सिू त में अपनी दाढ़ी क़ी तिी ल़ेकि
उसस़े मसह किना चाहहय़े। औि दाढ़ी क़े अलावा औि ककसी र्जगह स़े तिी ल़ेकि
264. अगि हथ़ेली क़ी तिी मसफ़क सि क़े मसह क़े मलय़े काफ़़ी हो तो एहततयात़े
वाजर्जि यह है कक सि का मसह उस तिी स़े ककया र्जाए औि पांव क़े मसह क़े
265. मोज़़े औि र्जूत़े पि मसह किना िाततल है । हां अगि सख़्त सदी क़ी वर्जह
266. अगि पांव का ऊपि वाला हहस्सा नजर्जस हो औि मसह किऩे क़े मलय़े उस़े
83
इिततमास़ी वज
ु ़ू
किऩे में कोई हिर्ज नहीं है। ल़ेककन ऐसा किना खखलाफ़़े एहततयात है ।
तो ज़रूिी है कक च़ेहिा प़ेशानी क़ी तिफ़ स़े औि हाथ कोहतनयों क़ी तिफ़ स़े डुिोए।
गैि इिततमासी (यानी तितीिी) तिीक़े स़े कि़े कोई हिर्ज नहीं।
दआ
ु यें जजनका वज
ु ़ू किते वक़्त पढ़ना जरूिी है
पानी पि पड़़े तो यह दआ
ु पढ़़े ः-
नर्जसा।
र्जि वज़
ु ू स़े पहल़े अपऩे हाथ धोए तो यह दआ
ु पढ़़े ः-
व िौहहा व तीिहा ।
तबयज्र्जुल वर्ज
ु ूहो ।
85
अल्लाहुम्मा ला तोअततनी ककतािी ि़ेमशमाली वला ममंव्विाए ज़हिी व ला
अल्ला हुम्मा सजबितनी अलजस्सिात़े यौमा तजज़ल्लो फ़़ीहहल अकदामो वर्ज ्अल
वज़
ु ू क़े सहीह होऩे क़े चन्द शिायत हैः-
जर्जनस़े इन्सान को तर्न आती हो अगि च़े शिई मलहाज़ स़े (ऐसा पानी) पाक है
(दस
ू िी शतक) पानी मत
ु लक हो ।
86
271. नजर्जस या मज़
ु ाफ़ पानी स़े वज़
ु ू किना िाततल है ख़्वाह वज़
ु ू किऩे वाला
कक वह नजर्जस या मज़
ु ाफ़ पानी है। मलहाज़ा अगि वह ऐस़े पानी स़े वज़
ु ू किक़े
नमाज़ पढ़ चक
ु ा हो तो सहीह वज़
ु ू किक़े दोिािा नमाज़ पढ़ना ज़रूिी है।
तयम्मम
ु कि ल़े। ल़ेककन अगि वक़्त तंग न हो तो ज़रूिी है कक पानी क़े साफ़
होऩे का इन्त़ेज़ाि कि़े या ककसी तिीक़े स़े उस पानी को साफ़ कि़े औि वज़
ु ू कि़े ।
कोई औि र्जगह भी न हो तो मत
ु अजल्लका शख़्स का फ़िीज़ा तयम्मम
ु है। औि
अगि ककसी दस
ू िी र्जगह वज़
ु ू कि सकता हो तो ज़रूिी है कक दस
ू िी र्जगह वज़
ु ू कि़े ।
ल़ेककन अगि दोंनो सिू तों में गुनाह का इिततकाि कित़े हुए उसी र्जगह वज़
ु ू कि ल़े
तो उसका वज़
ु ू सहीह है ।
87
274. ककसी मरस़े क़े ऐस़े हौज़ स़े वज़
ु ू किऩे में कोई हिर्ज नहीं जर्जसक़े िाि़े में
यह इल्म न हो कक आया वह तमाम लोंगो क़े मलय़े वक़्फ़ ककया गया है या मसफ़क
र्जानता हो कक आया इस मजस्र्जद का हौज़ तमाम लोगों क़े मलय़े वक़्फ़ है या मसफ़क
उन लोगों क़े मलय़े र्जो इस मजस्र्जद में नमाज़ पढ़त़े हैं तो उसक़े मलय़े उस हौज़ स़े
वज़
ु ू किना दरू
ु स्त नहीं ल़ेककन उमम
ू न वह लोग भी उस हौज़ स़े वज़
ु ू कित़े हों र्जो
276. सिाय, मस
ु ाकफ़ि खानों औि ऐस़े ही दस
ू ि़े मकामात क़े हौज़ स़े उन लोगों
का र्जो उसमें मक
ु ़ीम न हो, वज़
ु ू किना उसी सिू त में दरू
ु स्त है र्जि उमम
ू न ऐस़े
किता हो।
88
नािामलग या पागल हो तो एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक उन नहिों क़े पानी स़े
वज़
ु ू न किें ।
तो उसका वज़
ु ू सहीह है । ल़ेककन अगि ककसी शख़्स ऩे खुद पानी गस्ि ककया हो
औि िाद में भल
ू र्जाए कक यह पानी गस्िी है औि उसस़े वज़
ु ू किल़े तो उसका वज़
ु ू
िना हुआ न हो । इन दो शतों क़ी तफ़्सील िाद वाल़े मस ्अल़े में आ िही है ।
तिीक़े स़े दस
ू ि़े ितकन में उं ड़़ेल सकता हो तो उसक़े मलय़े ज़रूिी है कक उस़े ककसी
दस
ू ि़े ितकन में उं ड़ेल ल़े औि किि उसस़े वज़
ु ू कि़े औि अगि ऐसा किना आसान न
हो तो तयम्मम
ु किना ज़रूिी है । औि अगि उसक़े पास उसक़े अलावा दस
ू िा पानी
89
सहीह तिीक़े स़े अमल न कित़े हुए, उस पानी स़े र्जो गस्िी है या सोऩे चांदी क़े
280. अगि ककसी हौज़ में ममसाल क़े तौि पि गस्ि क़ी हुई एक ईंट या एक
पत्थि लगा हो औि उफ़े आम में उस हौज़ में स़े पानी तनकालना उस ईंट या
वज़
ु ू किना सहीह है ।
181. अगि आइम्मा ए ताहहिीन (अ0) या उनक़ी औलाद क़े मजक़्िि़े क़े सहन में
र्जा चक
ु ा है या जर्जसका मसह ककया र्जा चक
ु ा है तो वज़
ु ू सहीह है ।
90
284. अगि वज़
ु ू क़े अअज़ा में स़े कोई उज़्व नजर्जस हो औि वज़
ु ू किऩे क़े िाद
मत
ु अजल्लका शख़्स को शक गज़
ु ि़े कक आया वज़
ु ू किऩे स़े पहल़े उस उज़्व को
285. अगि ककसी क़े च़ेहि़े पि या हाथों पि कोई ऐसी खिाश या ज़ख़्म हो
उज़्व क़े सहीह सामलम अअज़ा को तितीिवाि धोऩे क़े िाद ज़ख़्म या खिाश वाल़े
हहस्स़े को कुि ििािि पानी या र्जािी पानी में डुिो द़े औि उस़े इस कर दिाए क़ी
खन
ू िन्द हो र्जाए औि पानी क़े अन्दि ही अपनी उं गली ज़ख़्म या खिाश पि िख
कि ऊपि स़े नीच़े क़ी तिफ़ खींच़े ताकक उस (खिाश या ज़ख़्म) पि पानी र्जािी हो
सािी नमाज़ या उसका कुछ हहस्सा वक़्त क़े िाद पढ़ना पड़़े तो ज़रूिी है कक
तयम्मम
ु कि ल़े ल़ेककन अगि तयम्मम
ु औि वज़
ु ू क़े मलय़े तकिीिन यक़्सा वक़्त
287. जर्जस शख़्स क़े मलय़े नमाज़ का वक़्त तंग होऩे क़े िाइस तयम्मम
ु किना
91
कुिआऩे मर्जीद पढ़ऩे क़े मलय़े वज़
ु ू कि़े तो उसका वज़
ु ू सहीह है । औि अगि उसी
र्जाए। अगि अपऩे आपको ठं डक पहुंचाऩे या ककसी औि तनयत स़े ककया र्जाए तो
वज़
ु ू िाततल है ।
288. वज़
ु ू क़ी तनयत ज़िान स़े या हदल स़े किना ज़रूिी नहीं िजल्क अगि एक
शख़्स वज़
ु ू क़े तमाम अफ़् आल अल्लाह तआला क़े हुक्म पि अमल किऩे क़ी नीयत
पहल़े च़ेहिा उसक़े िाद दायां औि किि िायां हाथ धोया र्जाए उसक़े िाद सि का
एक साथ मसह न ककया र्जाए िजल्क िांय़े पांव का मसह दांय़े पांव क़े िाद ककया
र्जाए।
92
289. अगि वज़
ु ू क़े अफ़् आल क़े दिममयान इतना फ़ासला हो र्जाए कक उफ़े आम
में मत
ु ावातति धोना न कहलाए तो वज़
ु ू िाततल है ल़ेककन अगि ककसी शख़्स को
सिू त में बिला फ़ामसला धोऩे क़ी शतक मोअतिि नहीं है । िजल्क वज़
ु ू किऩे वाला
शख़्स जर्जस वक़्त चाह़े ककसी उज़्व को धो ल़े या उसका मसह कि ल़े तो इस
आशना में अगि उन मकामात क़ी तिी खुश्क हो र्जाए जर्जन्हें वह पहल़े धो चक
ु ा हो
या जर्जनका मसह कि चक
ु ा हो तो वज़
ु ू िाततल होगा, ल़ेककन अगि जर्जस उज़्व को
धोना है या मसह किना है मसफ़क उसस़े पहल़े धोए हुए या मसह ककय़े हुए उज़्व क़ी
तिी खश्ु क हो गई हो मसलन र्जि िायां हाथ धोत़े वक़्त दांयें हाथ क़ी तिी खुश्क
हो चक
ु ़ी हो ल़ेककन च़ेहिा ति हो तो वज़
ु ू सहीह है।
हवा या िदन क़ी तप या ककसी औि ऐसी ही वर्जह स़े पहली र्जगहों क़ी तिी (यानी
291. वज़
ु ू क़े दौिान चलऩे कििऩे में कोई हर्जक नहीं मलहाज़ा अगि कोई शख़्स
च़ेहिा औि हाथ धोऩे क़े िाद चन्द कदम चल़े औि किि सि औि पांवो का मसह
93
(ग्यािहवीं शतक) इन्सान खुद अपना च़ेहिा औि हाथ धोए औि किि सि औि
पानी डाल द़े या सि औि पांव का मसह किऩे में उसक़ी मदद कि़े तो उसका वज़
ु ू
िाततल है ।
मदद ल़े अगिच़े धोऩे औि मसह किऩे में हत्तल इम्कान दोनों क़ी मशककत ज़रूिी है ।
औि अगि खुद दस
ू ि़े क़े साथ मशककत न कि सकता हो तो ज़रूिी है कक ककसी दस
ू ि़े
कक दोनों वज़
ु ू क़ी तनयत किें । औि अगि यह मजु म्कन न हो तो ज़रूिी है कक
उसका नायि उसका हाथ पकड़ कि उसक़ी मसह क़ी र्जगहों पि ि़ेि़े औि अगि यह
मजु म्कन न हो तो ज़रूिी है कक नायि उसक़े हाथ स़े तिी हामसल कि़े औि उस तिी
293. वज़
ु ू क़े र्जो भी अफ़् आल इन्सान िज़ात़े खुद अन्र्जाम द़े सकता हो ज़रूिी
94
(िािहवीं शतक) वज़
ु ू किऩे वाल़े क़े मलय़े पानी क़े इस्त़ेमाल में कोई रूकावट न हो
स़े वज़
ु ू कि़े गा तो प्यासा िह र्जाय़ेगा उसका फ़िीज़ा वज़
ु ू नहीं है औि अगि उस़े
किऩे स़े नक
ु सान पहुंच़े तो उसका वज़
ु ू िाततल है ।
295. अगि च़ेहि़े या हाथों को इतऩे कम पानी स़े धोना, जर्जसस़े वज़
ु ू सहीह हो
हुई है, ल़ेककन इस िाि़े में उस़े शक हो कक आया वह चीज़ पानी क़े उन अअज़ा
95
जर्जतना हहस्सा मामल
ू स़े ज़्यादा िढ़ा हुआ हो उसक़े नीच़े स़े मैल तनकालना ज़रूिी
है ।
298. अगि ककसी क़े च़ेहि़े , हाथों, सि क़े अगल़े हहस्स़े या पांव क़े ऊपि वाल़े
हहस्स़े पि र्जल र्जाऩे या ककसी औि वर्जह स़े विम हो र्जाए तो उस़े धो ल़ेना औि
क़े नीच़े पहुंचाना ज़रूिी नहीं िजल्क अगि जर्जल्द का एक हहस्सा उखड़ र्जाए ति भी
यह ज़रूिी नहीं क़ी र्जो हहस्सा नहीं उखड़ा उसक़े नीच़े तक पानी पहुंचाया र्जाए
ल़ेककन र्जि उखड़ी हुई जर्जल्द कभी िदन स़े चचपक र्जाती हो औि कभी ऊपि उठ
चचपक़ी हुई है या नहीं औि उसका यह एहततमाल लोगों क़ी नज़िों में भी दरू
ु स्त हो
मसलन गाि़े स़े कोई काम किऩे क़े िाद शक हो कक गािा उसक़े हाथ स़े लगा िह
मैल हो ल़ेककन वह मैल पानी क़े जर्जल्द तक पहुंचऩे में रूकावट न डाल़े तो कोई
हिर्ज नहीं। इसी तिह अगि पलस्ति वगैिह का काम किऩे क़े िाद सफ़़ेदी हाथ पि
96
लगी िह र्जाए र्जो पानी को जर्जल्द तक पहुंचऩे स़े न िोक़े तो उसमें भी कोई हिर्ज
कि़े कक वज़
ु ू कित़े वक़्त पानी उन अअज़ा तक पहुंचा है या नहीं तो उसका वज़
ु ू
सहीह है।
मस्
ु तहि यह है कक दोिािा वज़
ु ू कि़े ।
द़े ख़े र्जो पानी क़े िदन तक पहुंचऩे में माऩे हो औि उस़े यह मालम
ू न हो कक वज़
ु ू
क़े वक़्त यह चीज़ मौर्जूद थी या िाद में पैदा हुई तो उसका वज़
ु ू सहीह है ल़ेककन
तो एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक दोिािा वज़
ु ू कि़े ।
97
304. अगि ककसी शख़्स को वज़
ु ू क़े िाद शक हो कक र्जो चीज़ पानी क़े पहुंचऩे
वज
ु ़ू के अहकाम
गस्िी न होऩे क़े िाि़े में िहुत ज़्यादा शक कि़े तो उस़े चाहहय़े कक अपऩे शक क़ी
पिवाह न कि़े ।
स़े ऐसी रूतूित खारिर्ज हुई हो जर्जसक़े िाि़े में वह यह न र्जानता हो कक प़ेशाि है
है कक वज़
ु ू कि़े ।
कौन सी िात पहल़े वाक़े हुई है अगि यह सिू त नमाज़ स़े प़ेश आए तो उस़े चाहहय़े
कक वज़
ु ू कि़े औि नमाज़ क़े दौिान प़ेश आए तो नमाज़ तोड़ कि वज़
ु ू किना ज़रूिी
98
है औि अगि नमाज़ क़े िाद प़ेश आए तो र्जो नमाज़ वह पढ़ चक
ु ा है वह सहीह है
अलित्ता दस
ू िी नमाज़ों क़े मलय़े नया वज़
ु ू किना ज़रूिी है।
उसऩे िाज़ र्जगह नहीं धोई या उनका मसह नहीं ककया औि जर्जन अअज़ा को पहल़े
धोया हो या मसह ककया हो उनक़ी तिी ज़्यादा वक़्त गुज़ि र्जाऩे क़ी वर्जह स़े
खुश्क हो चक
ु ़ी हो तो उस़े चाहहय़े कक दोिािा वज़
ु ू कि़े ल़ेककन अगि वह तिी खुश्क
या मसह किऩे क़े िाि़े में शक कि़े तो उसी हुक्म पि अमल किना ज़रूिी है।
310. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ पढ़ऩे क़े िाद शक हो कक उसऩे वज़
ु ू ककया
था या नहीं तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ल़ेककन आइन्दा नमाज़ों क़े मलय़े वज़
ु ू किना
ज़रूिी है।
311. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ क़े दौिान शक हो कक आया उसऩे वज़
ु ू
99
312. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े िाद यह समझ़े कक उसका वज़
ु ू िाततल हो
313. अगि कोई शख़्स ऐस़े मिज़ में मबु तला हो कक उस़े प़ेशाि क़े कति़े चगित़े
िहत़े हों या पखाना िोकना का काहदि न हो तो अगि उस़े यक़ीन हो कक नमाज़ क़े
अव्वल वक़्त स़े ल़ेकि आखखि वक़्त तक उस़े इतना वक़्फ़ा ममल र्जाय़ेगा कक वज़
ु ू
किक़े नमाज़ पढ़ सक़े तो ज़रूिी है कक उस वक़्फ़़े क़े दौिान नमाज़ पढ़ ल़े औि
अगि उस़े मसफ़क इतनी मोहलत ममल़े र्जो नमाज़ क़े वाजर्जिात अदा किऩे क़े मलय़े
हहस्सा पढ़ऩे क़ी मोहलत ममलती हो औि नमाज़ क़े दौिान एक दफ़् आ या चन्द
नहीं है कक प़ेशाि या पाखाना खारिर्ज होऩे क़ी वर्जह स़े दोिािा वज़
ु ू कि़े अगिच़े
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक पानी का ितकन अपऩे साथ िख़े औि र्जि भी प़ेशाि
100
दोिािा वज़
ु ू किऩे क़ी वर्जह स़े अिकाऩे नमाज़ क़े दिममयान फ़ामसला ज़्यादा न हो।
315. अगि ककसी शख़्स को प़ेशाि या पाखाना िाि िाि यंू आता हो कक उस़े
वज़
ु ू किक़े नमाज़ का कुछ हहस्सा पढ़ऩे क़ी भी मोहलत न ममलती हो तो उसक़ी
वज़
ु ू चन्द नमाज़ों क़े मलय़े भी काफ़़ी है । मामसवा इसक़े कक ककसी दस
ू ि़े हदस में
नहीं है।
316. अगि ककसी शख़्स को प़ेशाि या पाखाना िाि िाि आता हो तो उसक़े
317. अगि ककसी शख़्स को प़ेशाि या पाखाना िाि िाि आता हो तो वज़
ु ू किऩे
क़े िाद अगि वह नमाज़ क़ी हालत में न हो ति भी उसक़े मलय़े कुिआऩे मर्जीद क़े
318. अगि ककसी शख़्स को कतिा कतिा प़ेशाि आता िहता हो तो उस़े चाहहय़े
कक नमाज़ क़े मलय़े एक ऐसी थ़ेली इस्त़ेमाल कि़े जर्जसमें रूई या कोई औि चीज़
101
है कक नमाज़ स़े पहल़े नजर्जस शद
ु ा ज़कि (मलंग) को धोए। अलावा अज़ीं र्जो शख़्स
पाखाना िोकऩे पि काहदि न हो उस़े चाहहय़े क़ी र्जहां तक मजु म्कन हो नमाज़ पढ़ऩे
तक पखाऩे को दस
ू िी र्जगहों तक फ़ैलऩे स़े िोक़े औि एहततयात़े वाजर्जि यह है कक
तक मजु म्कन हो नमाज़ में प़ेशाि या पाखाऩे को िोक़े चाह़े इस पि कुछ खचक
किना पड़़े िजल्क उसका मिज़ अगि आसानी स़े दिू हो सकता हो तो अपना इलार्ज
किाए।
स़ेह्हतयाि होऩे क़े िाद ज़रूिी नहीं कक र्जो नमाज़़े उसऩे मिज़ क़ी हालत में अपऩे
वज़ीफ़़े क़े मत
ु ाबिक पढ़ी हों उनक़ी कज़ा कि़े ल़ेककन अगि उसका मिज़ नमाज़
पढ़त़े हुए दिू हो र्जाए तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक र्जो नमाज़
102
वह च़ीजें जजनके ललये वज
ु ़ू किना चाहहये
अव्वलः- वाजर्जि नमाज़ों क़े मलय़े मसवाय नमाज़़े मैतयत क़े, औि मस्
ु तहि नमाज़ों
में वज़
ु ू शते स़ेह्हत है।
उनक़े औि नमाज़ क़े दिममयान कोई हदस उसस़े सज़कद हुआ हो मसलन उसऩे
सोमः- खानाए कािा क़े वाजर्जि तवाफ़ क़े मलय़े र्जो कक हर्ज औि उमिह क़े र्जज़
ु
हों।
चहारूमः- वज़
ु ू किऩे क़ी मन्नत मानी हो या अहद ककया हो या कसम खाई हो।
पंर्जुमः- र्जि ककसी ऩे मन्नत मानी हो कक मसलन कुिआऩे मर्जीद का िोसा
ल़ेगा।
शशम
ु ः- नजर्जस शदः कुिआऩे मर्जीद को धोऩे क़े मलय़े या िैतल
ु खला वगैिा स़े
अपना हाथ या िदन का कोई औि हहस्सा कुिआऩे मर्जीद क़े अलफ़ाज़ स़े मस
िैतुलखला स़े तनकालऩे में इतनी ताखीि का िाइस हो जर्जस स़े कलामल्
ु लाह क़ी
103
ि़ेहुिकमती होती हो तो ज़रूिी है कक वह वज़
ु ू ककय़े िगैि कुिआऩे मर्जीद को
िैतल
ु खला वगैिह स़े िाहि तनकाल ल़े या अगि नजर्जस हो गया हो तो उस़े धो
डाल़े।
यानी अपऩे िदन का कोई हहस्सा कुिआऩे मर्जीद क़े अल्फ़ाज़ स़े लगाना हिाम है,
ल़ेककन अगि कुिआऩे मर्जीद का फ़ािसी ज़िान या ककसी औि ज़िान में तर्जम
ुक ा
324. िच्च़े औि दीवाऩे को कुिआऩे मर्जीद क़े अल्फ़ाज़ को छूऩे स़े िोकना
वाजर्जि नहीं ल़ेककन अगि उनक़े ऐसा किऩे स़े कुिआऩे मर्जीद क़ी तौहीन होती हो
104
326. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े वक़्त स़े पहल़े ितहाित होऩे क़े इिाद़े स़े वज़
ु ू
या गस्
ु ल कि़े तो सहीह है औि नमाज़ क़े वक़्त भी अगि नमाज़ क़े मलय़े तैयाि
है औि वाजर्जि वज़
ु ू क़ी तनयत कि़े ल़ेककन वज़
ु ू किऩे क़े िाद उस़े पता चल़े कक
328. मैतयत क़ी नमाज़ क़े मलय़े, कबब्रस्तान र्जाऩे क़े मलय़े, मजस्र्जद या आइम्मा
(अ0) क़े हिम में र्जाऩे क़े मलय़े, कुिआऩे मर्जीद साथ िखऩे, उस़े पढ़ऩे, मलखऩे,
सकता हो।
105
मजु ब्तलाते वज
ु ़ू
1. प़ेशाि, 2. पाखाना, 3, म़ेद़े औि आंतों क़ी हवा र्जो मक् अद स़े खारिर्ज होती
औितों का इजस्तहाज़ा जर्जसका जज़क्र िाद में आय़ेगा, 7. र्जनाित िजल्क एहततयात़े
मस्
ु तहि क़ी बिना पि हि वह काम जर्जसक़े मलय़े गस्
ु ल किना ज़रूिी है ।
जब़ीिा के अहकाम
वह चीज़ जर्जसक़े ज़ख़्म या टूटी हुई हड्डी िांधी र्जाती है औि वह दवा र्जो ज़ख़्म
331. अगि ककसी शख़्स क़े च़ेहि़े औि हाथों पि ज़ख़्म या फ़ोड़ा हो या उसक़े
106
डालना नक
ु सान द़े ह हो तो उस़े ज़ख़्म क़े आस पास का हहस्सा इस तिह ऊपि स़े
उसक़े िाद पाक कपड़ा उस पि डाल दें औि गीला हाथ उस पि भी खींच।़े अलित्ता
332. अगि ज़ख़्म या फ़ोडा या टूटी हुई हड्डी ककसी शख़्स क़े सि क़े अगल़े
सकता हो क्योंकक ज़ख़्म मसह क़ी पिू ी र्जगह पि फ़ैला हुआ हो या मसह क़ी र्जगह
का र्जो हहस्सा सहीह व सामलम हो उस पि मसह किना भी उसक़ी कुदित स़े िाहि
पि वज़
ु ू भी कि़े औि पाक कपड़ा ज़ख़्म वगैिह पि िख़े औि वज़
ु ू क़े पानी क़ी तिी
औि उसका खोलना वगैिह तक्लीफ़ क़े मजु म्कन हो औि पानी भी उसक़े मलय़े
हाथों पि हो या सि क़े अगल़े हहस्स़े औि पांव क़े ऊपि वाल़े हहस्स़े पि हो।
334. अगि ककसी शख़्स का ज़ख़्म या िोड़ा या टूटी हुई हड्डी र्जो ककसी चीज़
107
डालना मजु ज़ि हो तो ज़रूिी है कक आस पास क़े जर्जतऩे हहस्स़े को धोना मजु म्कन हो
हो भी न हो तो ज़रूिी है क़ी पानी को ज़ख़्म क़े ऊपि स़े नीच़े क़ी तिफ़ पहुंचाए।
कित़े वक़्त पानी ज़ख़्म तक पहुंचाए। औि अगि पानी ज़ख़्म क़े मलय़े मजु ज़ि न हो
तयम्मम
ु कि़े ।
वज़
ु ू ज़िीिा ही काफ़़ी है ल़ेककन अगि र्जिीिा तमाम अअज़ाए वज़
ु ू पि फ़ैला हुआ हो
337. यह ज़रूिी नहीं कक र्जिीिा उन चीज़ों में स़े हों जर्जनक़े साथ नमाज़ पढ़ना
दरू
ु स्त है िजल्क अगि वह ि़े शम या उन है वानात क़े अज्ज़ा स़े िनी हो जर्जनका
108
339. अगि ककसी शख़्स क़े पांव क़े ऊपि वाल़े पिू ़े हहस्स़े पि र्जिीिा हो ल़ेककन
कुछ हहस्सा उं गमलयों क़ी तिफ़ स़े औऱ कुछ हहस्सा पांव क़े ऊपि वाल़े हहस्स़े क़ी
तिफ़ खल
ु ा हो तो र्जो र्जगह खल
ु ी है वहां पांव क़े ऊपि वाल़े हहस्स़े पि औि जर्जन
340. अगि च़ेहि़े या हाथों पि कई र्जिीि़े हों तो उनका दिममयाना हहस्सा धोना
ज़रूिी है औि अगि सि या पांव क़े ऊपि वाल़े हहस्स़े पि र्जिीिें हों तो उनक़े
दिममयानी हहस्स़े का मसह किना ज़रूिी है औि र्जहां र्जिीिें हों वहां र्जिीि़े क़े िाि़े
मत
ु अजल्लका शख़्स तयम्मम
ु कि़े िर्जज़
ु इसक़े कक र्जिीिा तयम्मम
ु क़ी र्जगहों पि
सिू तों में अगि र्जिीिा का हटाना िगैि तजक्लफ़ क़े मजु म्कन हो तो ज़रूिी है कक
उस़े हटा द़े । पस अगि ज़ख़्म च़ेहि़े या हाथों पि तो उसक़े आस पास क़ी र्जगहों को
धोए औऱ अगि सि या पांव क़े ऊपि वाल़े हहस्स़े पि हो तो आस पास क़ी र्जगह
का मसह कि़े औि ज़ख़्म क़ी र्जगह क़े मलय़े र्जिीि़े क़े एहकाम पि अमल कि़े ।
109
342. अगि वज़
ु ू क़े अअज़ा पि ज़ख़्म न हो या उनक़ी हड्डी टूटी हुई न हो
ल़ेककन ककसी दस
ू िी वर्जह स़े पानी उनक़े मलय़े मजु ज़ि हो तो तयम्मम
ु किना ज़रूिी
है ।
मत
ु अजल्लका शख़्सा का फ़िीज़ा तयम्मम
ु है । ल़ेककन अगि चचपक़ी हुई चीज़
तयम्मम
ु क़े मकामात पि हो तो उस सिू त में ज़रूिी है कक वज़
ु ू औि तयम्मम
ु
दोनों कि़े औि अगि चचपक़ी हुई चीज़ दवा हो तो र्जिीिा क़े हुक्म में आती है।
345. गस्
ु ल़े मस़े मय्यत क़े अलावा तमाम ककस्म क़े गस्
ु लों में गस
ु ल़े र्जिीिा
वज़
ु ू ए र्जिीिा क़ी तिह है ल़ेककन एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि मक
ु ल्लफ़ शख़्स
औि उस कपड़़े क़े ऊपि मसह कि़े । औि अगि िदन का कोई हहस्सा टूटा हुआ हो
110
तो ज़रूिी है कक गस्
ु ल कि़े औि एहततयातन र्जिीिा क़े ऊपि भी मसह कि़े औि
अगि र्जिीिा क़े ऊपि मसह किना मजु म्कन न हो या र्जो र्जगह टूटी हुई हो वह
खल
ु ी हुई हो तो तयम्मम
ु किना ज़रूिी है ।
हो अगि उस़े इल्म हो कक नमाज़ क़े आखखि वक़्त तक उसका उसका उज़्र दिू नहीं
होगा तो वह अव्वल वक़्त में नमाज़ पढ़ सकता है ल़ेककन अगि उस़े उम्मीद हो
इन्त़ेज़ाि कि़े औि अगि उसका उज़्र दिू न हो तो आखखि वक़्त में वज़
ु ू र्जिीिा या
गस्
ु ल़े र्जिीिा क़े साथ नमाज़ अदा कि़े । ल़ेककन अगि अव्वल वक़्त में नमाज़ पढ़
कक वज़
ु ू या गस्
ु ल कि़े औि दोिािा नमाज़ पढ़़े ।
348. अगि कोई शख़्स आंख क़ी िीमािी क़ी वर्जह स़े पलकें मद
ंू कि िखता हो
तो ज़रूिी है कक वह तयम्मम
ु कि़े ।
111
349. अगि ककसी शख़्स को यह इल्म न हो कक आया उसका वज़ीफ़ा तयम्मम
ु
है या वज़
ु ू ए र्जिीिा तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि तयम्मम
ु औि वज़
ु ू ए
वह उसी वज़
ु ू क़े साथ आइन्दा क़े नमाज़़े भी पढ़ सकता है ।
वाजजब गस्
ु ल
वाजर्जि गस्
ु ल सात हैः-
1.गस्
ु ल़े र्जनाित, 2. गस्
ु ल़े हैज़, 3. गस्
ु ल़े तनफ़ास, 4. गस्
ु ल़े इजस्तहाज़ा, 5.
गस्
ु ल़े मस़े म़ेतयत, 6. गस्
ु ल़े म़ेतयत औि 7. वह गस्
ु ल र्जो मन्नत या कसम वगैिह
जनाबत के अहकाम
क़े खारिर्ज होऩे स़े ख़्वाह वह नींद क़ी हालत में तनकल़े या र्जागत़े में , कम हो या
ज़्यादा, शहवत क़े साथ तनकल़े या िगैि शहवत क़े औि उसका तनकलना
मत
ु अजल्लका शख़्स क़े इजख़्तयाि में हो या न हो।
112
352. अगि ककसी शख़्स क़े िदन स़े कोई रूतूित खारिर्ज हो औि वह यह न
शहवत क़े साथ उछल कि तनकली हो औि उसक़े तनकलऩे क़े िाद िदन सस्
ु त हो
गया हो तो वह रूति
ू त मनी (वीयक) का हुक्म िखती है । ल़ेककन अगि इन तीन
अलामात में स़े सािी क़ी सािी या कुछ मौर्जूद न हों तो वह रूतूित मनी क़े हुक्म
क़ी वह रूतूित उछल कि तनकली हो औि उसक़े तनकलऩे क़े वक़्त िदन सस्
ु त हो
होगी।
353. अगि ककसी ऐस़े शख़्स क़े मखिर्ज़े प़ेशाि स़े र्जो िीमाि न हो कोई ऐसा
पानी खारिर्ज हो जर्जसमें उन तीन अलामतों में स़े जर्जनका जज़क्र ऊपि वाल़े मसअल़े
उसऩे वज़
ु ू ककया हो तो ज़रू
ू िी है कक उसी वज़
ु ू को काफ़़ी समझ़े औि अगि वज़
ु ू
नहीं।
354. मनी खारिर्ज होऩे क़े िाद इन्सान क़े मलय़े प़ेशाि किना मस्
ु तहि है औि
113
जर्जसक़े िाि़े में वह न र्जानता हो कक मनी है या कोई औि रूति
ू त तो वह रूतित
हो या दि
ु िु में औि ख़्वाह वह िामलग हो या न िामलग औि ख़्वाह मनी खारिर्ज हो
या न हो दोनो र्जुनि
ु हो र्जात़े हैं।
357. नऊज़ो बिल्लाह अगि कोई शख़्स ककसी है वान क़े साथ वती कि़े औि
औि अगि वज़
ु ू न कि िखा हो तो एहततयात़े वाजर्जि यह है कक गस्
ु ल कि़े औि वज़
ु ू
भी कि़े औि मदक या लड़क़े स़े वती किऩे क़ी सिू त में भी यही हुक्म है ।
358. अगि मनी अपनी र्जगह स़े हिकत कि़े ल़ेककन खारिर्ज न हो या इन्सान
का वक़्त दाखखल होऩे क़े िाद भी अपनी िीवी स़े जर्जमआ कि सकता है।
114
360. अगि कोई शख़्स अपऩे मलिास में मनी द़े ख़े औि र्जानता हो कक उसक़ी
गस्
ु ल कि़े औि जर्जन नमाज़ों क़े िाि़े में उस़े यक़ीन हो कक वह उसऩे मनी खारिर्ज
होऩे क़े िाद पढ़ी थी, उनक़ी कज़ा कि़े ल़ेककन उन नमाज़ों क़ी कज़ा ज़रूिी नहीं
जर्जनक़े िाि़े में एहततमाल हो कक वह उसऩे मनी खारिर्ज होऩे स़े पहल़े पढ़ी थीं।
1. अपऩे िदन का कोई हहस्सा कुिआऩे मर्जीद क़े अल्फ़ाज़ या अल्लाह तआल़े
पैगम्ििों, इमामों औि हज़ित़े ज़हिा (अ0) क़े नामों स़े भी अपना िदन मस न
किें ।
2. मजस्र्जदल
ु हिाम औि मजस्र्जद़े निवी में र्जाना ख़्वाह एक दिवाज़़े स़े दाखखल
होकि दस
ू ि़े दिवाज़़े स़े तनकल र्जाए।
3. मजस्र्जदल
ु हिाम औि मजस्र्जद़े निवी क़े अलावा दस
ू िी मजस्र्जदों में ठहिना
औि एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि इमामों क़े हिम में ठहिऩे क़ी भी यही हुक्म
है । ल़ेककन अगि इन मजस्र्जदों में स़े ककसी मजस्र्जद को उििू कि़े मसलन एक
115
4. एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ककसी मजस्र्जद में कोई चीज़ िखऩे या कोई
5. उन आयात में ककसी आयत का पढ़ना जर्जनक़े पढ़ऩे स़े सज्दा वाजर्जि हो
3. कुिआऩे मर्जीद क़ी सात स़े ज़्यादा ऐसी आयात पढ़ना जर्जनमें सज्दा वाजर्जि
न हो।
4. अपऩे िदन का कोई हहस्सा कुिआऩे मर्जीद क़ी जर्जल्द, हामशया या अल्फ़ाज़
116
6. सोना। अलित्ता अगि वज़
ु ू कि ल़े या पानी न होऩे क़ी वर्जह स़े गस्
ु ल क़े
िदल़े तयम्मम
ु कि ल़े तो किि सोना मकरूह नहीं है ।
9. एहततलाम यानी सोत़े में मनी खारिर्ज होऩे क़े िाद जर्जमाअ किना।
गस्
ु ले जनाबत
363. गस्
ु ल़े र्जनाित वाजर्जि नमाज़ पढ़ऩे क़े मलय़े औि ऐसी दस
ू िी इिादत क़े
मलय़े वाजर्जि हो र्जाता है ल़ेककन नमाज़़े मैतयत, सज्दा ए सहव, सज्दा ए शक्र
ु औि
है , िजल्क फ़कत कुिकतन इलल्लाह यानी अल्लाह तआला क़ी रिज़ा क़े इिाद़े स़े
गस्
ु ल कि़े तो काफ़़ी है ।
गस्
ु ल़े र्जनाित क़ी तनयत कि ल़े ल़ेककन िाद में पता चल़े कक उसऩे वक़्त स़े पहल़े
गस्
ु ल कि मलया है तो उसका वज़
ु ू सहीह है।
366. गस्
ु ल़े र्जनाित दो तिीकों स़े अन्र्जाम हदया र्जा सकता है ः-
117
तितीिी व इिततमासी
तित़ीब़ी गस्
ु ल
िदन को पहल़े दाई तिफ़ स़े धोए िाद में िाई तिफ़ स़े धोए। औि तीनो अअज़ा में
स़े हि एक को गस्
ु ल क़ी तनयत स़े पानी क़े नीच़े हिकत द़े ऩे स़े तितीिी गस्
ु ल का
सहीह होना इशकाल स़े खाली नहीं है औि एहततयात इस पि इजक़्तफ़ा न किऩे में
368. अगि कोई शख़्स िदन को सि स़े पहल़े धोए तो उसक़े मलय़े गस्
ु ल का
एआदा किना ज़रूिी नहीं िजल्क अगि िदन को दोिािा धो ल़े तो उसका गस्
ु ल
सहीह हो र्जाय़ेगा।
118
370. अगि ककसी शख़्स को गस्
ु ल क़े िाद पता चला क़ी िदन का कुछ हहस्सा
धल
ु ऩे स़े िह गया है ल़ेककन यह इल्म न हो कक वह कौन सा हहस्सा है तो सि को
दोिािा धोना ज़रूिी नहीं औि िदन का मसफ़क वह हहस्सा धोना ज़रूिी है जर्जसक़े न
नहीं धोया तो अगि वह िाई तिफ़ हो तो मसफ़क उसी ममक़्दाि का धो ल़ेना काफ़़ी है
372. अगि ककसी शख़्स को दाई या िाई तिफ़ का कुछ हहस्सा धोए र्जाऩे क़े
सि या गदक न का कुछ हहस्सा धोए र्जाऩे क़े िाि़े में शक हो तो एहततयात़े लाजज़म
क़ी बिना पि सि औि गदक न धोऩे क़े िाद दायें औि िायें हहस्स़े को दोिािा धोना
ज़रूिी है।
इिततमास़ी गस्
ु ल
इिततमासी गस्
ु ल दो तिीको स़े अन्र्जाम हदया र्जा सकता हैः- दफ़् ई औि तरीज़ी।
119
373. गस्
ु ल़े इिततमासी दफ़् ई में ज़रूिी है कक एक लम्ह़े में पिू ़े िदन क़े साथ
पानी स़े िाहि होना मोतिि नहीं है । िजल्क अगि िदन का कुछ हहस्सा पानी स़े
िाहि हो औि गस्
ु ल क़ी नीयत स़े पानी में गोता लगाए तो काफ़़ी है ।
374. गस्
ु ल़े इिततमासी तरीर्जी में ज़रूिी है कक गस्
ु ल क़ी नीयत स़े एक दफ़् आ
िदन को धोऩे का ख़्याल िखत़े हुए आहहस्ता आहहस्ता पानी में गोता लगाए। इस
गस्
ु ल में ज़रूिी है कक िदन का पिू ा हहस्सा गस्
ु ल किऩे स़े पहल़े पानी स़े िाहि हो।
मत
ु अजल्लक र्जानता हो या न र्जानता हो ज़रूिी है कक दोिािा गस्
ु ल कि़े ।
इितीमासी गस्
ु ल क़े मलय़े वक़्त हो तो ज़रूिी है कक इिततमासी गस्
ु ल कि़े ।
377. जर्जस शख़्स ऩे हर्ज या उमि़े क़े मलय़े एहिाम िांधा हो वह इिततमासी
गस्
ु ल नहीं कि सकता ल़ेककन अगि उसऩे भल
ू कि इितीमासी गस्
ु ल कि मलया हो
तो उसका गस्
ु ल सहीह है ।
120
गस्
ु ल के अहकाम
378. गस्
ु ल़े इिततमासी या गस्
ु ल़े तितीिी में साि़े गस्
ु ल स़े पहल़े साि़े जर्जस्म का
पाक होना ज़रूिी नहीं है िजल्क अगि पानी में गोता लगाऩे या गस्
ु ल क़े इिाद़े स़े
मस्
ु तहि यह है कक ठण्ड़े पानी स़े गस्
ु ल कि़े ।
380. गस्
ु ल में अगि िाल ििािि भी िदन अनधल
ु ा िह र्जाए तो गस्
ु ल िाततल है
िाततन शम
ु ाि होती है वाजर्जि नहीं है ।
381. अगि ककसी शख़्स को िदन क़े ककसी हहस्स़े क़े िाि़े में शक हो कक उसका
शम
ु ाि िदन क़े ज़ाहहि में है या िाततन में तो ज़रूिी है कक उस़े धोए।
382. अगि कान क़ी िाली का सिू ाख या उस र्जैसा कोई औि सिू ाख इस कदि
383. र्जो चीज़ िदन तक पानी पहुंचाऩे में माऩे हो ज़रूिी है कक इन्सान उस़े
गस्
ु ल कि़े तो उसका गस्
ु ल िाततल है।
121
384. अगि गस्
ु ल क़े वक़्त ककसी शख़्स को शक गज़
ु ि़े कक कोई ऐसी चीज़
उसक़े िदन पि है या नहीं र्जो िदन तक पानी पहुंचऩे में माऩे हो तो ज़रूिी है कक
छानिीन कि़े हत्ता कक मत्ु मइन हो र्जाए कक कोई ऐसी रूकावट नही है।
385. गस्
ु ल में उन छोट़े छोट़े िालों को र्जो िदन का र्जुज़्व का शम
ु ाि होता है
धोना ज़रूिी है औि लम्ि़े िालों को धोना वाजर्जि नहीं है िजल्क अगि पानी को
अगि उन्हें धोए िगैि जर्जल्द तक पानी पहुंचाना मजु म्कन न हो तो उन्हें भी धोना
गदक न धोऩे क़े फ़ौिन िाद िदन को धोए मलहाज़ा अगि सि औि गदक न धोऩे क़े िाद
ममसाल क़े तौि पि सि धोया हो औि कुछ द़े ि िाद गदकन धोए तो र्जायज़ है
ल़ेककन र्जो शख़्स प़ेशाि या पाखाना क़े तनकलऩे को न िोक सकता हो ताहम उस़े
122
प़ेशाि या पाखाना अन्दाज़न इतऩे वक़्त तक न आता हो कक गस्
ु ल कि क़े नमाज़
387. अगि कोई शख़्स यह र्जाऩे िगैि कक हम्माम वाला िाज़ी है या नहीं उसक़ी
उर्जित उधाि िखऩे का इिादा िखता हो तो ख़्वाह हम्माम वाल़े को िाद में इस
किऩे वाला उसक़ी उर्जित न द़े ऩे या हिाम माल स़े द़े ऩे का इिादा िखता हो तो
उसका गस्
ु ल िाततल है ।
389. अगि कोई शख़्स हम्माम वाल़े को ऐसी िक़्म ितौि़े उर्जित द़े जर्जसका
कक गस्
ु ल कि़े ल़ेककन अगि गस्
ु ल क़े िाद शक कि़े कक गस्
ु ल सहीह ककया है या
123
लाजज़म क़ी बिना पि वज़
ु ू किना भी ज़रूिी है । ल़ेककन अगि वह शख़्स गस्
ु ल़े
किना ज़रूिी है। औि अगि नमाज़ क़े िाद उसस़े हदस़े असगि साहदि हुआ हो तो
लाजज़म है कक वज़
ु ू भी कि़े औि अगि वक़्त हो तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि
गस्
ु ल कि सकता है औि ज़ाहहि यह है कक अगि उनमें स़े ककसी एक मख़्सस
ू
गस्
ु ल का कस्द कि़े तो वह िाक़ी गस्
ु लों क़े मलय़े भी काफ़़ी है ।
396. अगि िदन क़े ककसी हहस्स़े पि कुिआऩे मर्जीद क़ी आयत या अल्लाह
124
क़ी पानी अपऩे िदन पि इस तिह पहुंचाए कक उसका हाथ उन तहिीिों को न
लगो।
वज़
ु ू भी कि़े िजल्क दस
ू ि़े वाजर्जि गस्
ु लों क़े िाद मसवाए गस्
ु ल़े इजस्तहाज़ा ए
मत
ु वजस्सता औि मस्
ु तहि गस्
ु लों क़े जर्जनका जज़क्र मसअला 651 में आय़ेगा िगैि
वज़
ु ू नमाज़ पढ़ सकता है अगिच़े एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक वज़
ु ू भी कि़े ।
इजस्तहाजा
औितों को र्जो खून आत़े िहत़े हैं उनमें स़े एक खूऩे इजस्तहाज़ा है औि औित को
र्जलन क़े िगैि क़े होता है औि गाढ़ा भी नहीं होता ल़ेककन मजु म्कन है कक कभी
स्याह या सख
ु क औि गमक औि गाढ़ा हो औि कफ़शाि औि सोजज़श क़े साथ खारिर्ज
हो।
कलीलः- यह है कक खन
ू मसफ़क उस़े रूई क़े ऊपि वाल़े हहस्स़े को आलद
ू ा कि़े र्जो
औित अपनी शमकगाह में िख़े औि उस रूई क़े अन्दि तक सिायत न कि़े ।
125
इजस्तहाज़ा ए मत
ु वजस्सतः- यह है कक खन
ू रुई क़े अन्दि तक चला र्जाए अगिच़े
र्जाए।
इजस्तहाजा के अहकाम
है औि एहततयात़े मस्
ु तहि कक बिना पि रूई को धो ल़े या उस़े तबदील कि द़े औि
401. इजस्तहाज़ा ए मत
ु वजस्सतः में एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक
इजस्तहाज़ा ए कलीलः क़े वह अफ़् आल सि अंर्जाम दें र्जो साबिका मस ्अल़े में ियान
हो चक
ु ़े हैं चन
ु ांच़े अगि सबु ह क़ी नमाज़ क़े दौिान औित को इजस्तहाज़ा आ र्जाए
126
गस्
ु ल किना ज़रूिी है औि अगि नमाज़़े ज़ौहि औि अस्र क़े मलय़े गस्
ु ल न कि़े तो
हो चक
ु ा हो।
औित हि नमाज़ क़े मलय़े रूई औि कपड़़े का टुकड़ा तबदील कि़े या उस़े धोए। औि
एक गस्
ु ल फ़ज्र क़ी नमाज़ क़े मलय़े औि एक गस्
ु ल ज़ौहि औि अस्र क़ी औि एक
गस्
ु ल मगरिि व इशा क़ी नमाज़ क़े मलय़े किना ज़रूिी है औि ज़ौहि औि अस्र क़ी
नमाज़ों क़े दिममयान फ़ासला न िख़े। औि अगि फ़ामसला िख़े तो अस्र क़ी नमाज़
क़े दिममयान फ़ामसला िख़े तो इशा क़ी नमाज़ क़े मलय़े दोिािा गस्
ु ल किना ज़रूिी
है । यह मज़्कूिा अहकाम उस औित में हैं कक अगि खून िाि िाि रूई स़े पट्टी पि
पहुंच र्जाए। अगि रूई स़े पट्टी तक पहुंचऩे में इतना फ़ामसला हो कक औित उस
गस्
ु ल कि़े औि मसलन ज़ौहि क़ी नमाज़ पढ़़े ल़ेककन अस्र क़ी नमाज़ स़े पहल़े या
नमाज़ क़े दौिान दोिािा खून रूई स़े पट्टी पि पहुंच र्जाए तो अस्र क़ी नमाज़ क़े
मलय़े भी गस्
ु ल किना ज़रूिी है । ल़ेककन अगि फ़ामसला इतना हो कक औित उस
127
दौिान दो या दो स़े ज़्यादा नमाज़ें पढ़ सकती हो तो ज़ाहहि यह है कक उन नमाज़ों
403. अगि खूऩे इजस्तहाज़ः नमाज़ क़े वक़्त स़े पहल़े भी आए औित ऩे उस
404. मस्
ु तहाज़ा ए मत
ु वजस्सतः जर्जसक़े मलय़े वज़
ु ू औि गस्
ु ल किना ज़रूिी है
गस्
ु ल स़े पहल़े कि़े ।
405. अगि औित का इजस्तहाज़ा ए कलीलः सबु ह क़ी नमाज़ क़े िाद
मत
ु वजस्सतः हो र्जाए तो ज़रूिी है कक ज़ौहि औि अस्र क़ी नमाज़ क़े मलय़े गस्
ु ल
िाद कसीिः हो र्जाए औि वह औित उसी हालत पि िाक़ी िह़े तो मस ्अला न0.
128
407. मस्
ु तहाज़ा ए कसीिः क़ी जर्जस सिू त में ज़रूिी है कक नमाज़ औि गस्
ु ल क़े
मस्
ु तहाज़ः नमाज़ क़े मलय़े दोिािा गस्
ु ल कि़े । औि यही हुक्म मस्
ु तहाज़ा ए
मत
ु वजस्सतः क़े मलय़े भी है ।
वाजर्जि हो या मस्
ु तहि, वज़
ु ू कि़े । ल़ेककन अगि वह चाह़े कक िोज़ाना क़ी वह नमाज़़े
र्जो वह पढ़ चक
ु ़ी हो एहततयातन दोिािा पढ़़े या र्जो नमाज़ें उसऩे तन्हा पढ़ीं हैं
जज़क्र इसततहाज़ः क़े मसलमसल़े में ककया गया है अलित्ता अगि वह नमाज़़े
एहततयात. भल
ू ़े हुए सज्द़े औि भल
ू ़े हुए तशह्हुद क़ी िर्जा आविी नमाज़ क़े फ़ौिन
िाद कि़े औि इसी तिह सज्दा ए सहव ककसी भी सिू त में कि़े तो उसक़े मलय़े
नमाज़ पढ़़े मसफ़क उसक़े मलय़े इसततहाज़ः क़े अफ़् आल अन्र्जाम द़े ना ज़रूिी है ।
ल़ेककन िाद क़ी नमाज़ों क़े मलय़े ऐसा किना ज़रूिी नहीं।
129
410. अगि ककसी औित को यह मालम
ू न हो कक उसका इजस्तहाज़ा कौन सा है
तो र्जि नमाज़ पढ़ना चाह़े ितौ एहततयात ज़रूिी है कक तह्क़ीक किऩे क़े मलय़े
थोड़ी सी रूई शमकगाह में िख़े औि कुछ द़े ि इजन्तज़ाि कि़े औि किि रूई तनकाल ल़े
औि र्जि उस़े पता चल र्जाए कक उसका इजस्तहाज़ः तीन अक़्साम में स़े कौन सी
ककस्म का है तो उस ककस्म क़ी इजस्तहाज़ः क़े मलय़े जर्जन अफ़् आल का हुक्म हदया
नमाज़ पढ़ना चाहती है उसका इजस्तहाज़ः तबदील नहीं होगा तो नमाज़ का वक़्त
मत
ु ाबिक अमल ककया हो मसलन उसका इजस्तहाज़ः कलीलः हो औि उसऩे
कलीलः क़े मत
ु ाबिक ककया हो तो उसक़ी नमाज़ िाततल है ।
130
इजस्तहाज़ः कलीलः क़े अफ़् आल अन्र्जाम द़े औि अगि वह यह न र्जानती हो क़ी
उसका इजस्तहाज़ः मत
ु वजस्सतः है या कसीिः तो ज़रूिी है कक इजस्तहाज़ा ए
मत
ु वजस्सतः क़े अफ़् आल अन्र्जाम द़े । ल़ेककन अगि वह र्जानती हो कक इसस़े प़ेशति
413. अगि इजस्तहाज़ः का खून अपऩे इजबतदाई महकल़े पि जर्जस्म क़े अन्दि ही
नहीं किता ल़ेककन अगि िाहि आ र्जाए तो ख़्वाह ककतना ही कम क्यों न हो वज़
ु ू
औि गस्
ु ल को िाततल कि द़े ता है ।
414. मस्
ु तहाज़ः अगि नमाज़ क़े िाद अपऩे िाि़े में तहक़ीक कि़े औि खून न
द़े ख़े तो अगिच़े उस़े इल्म हो कक दोिािा खून आय़ेगा र्जो वज़
ु ू वह ककय़े हुए है उसी
415. मस्
ु तहाज़ः औित अगि यह र्जानती हो कक जर्जस वक़्त वह वज़
ु ू या गस्
ु ल
में मशगल
ू हुई है खन
ू उसक़े िदन स़े िाहि नहीं आया औि न ही शमकगाह क़े
अन्दि है तो र्जि तक उस़े पाक िहऩे का यक़ीन हो नमाज़ पढ़ऩे में ताखीि कि
सकती है।
तिह पाक हो र्जाय़ेगी या अन्दाज़न जर्जतना वक़्त नमाज़ पढ़ऩे में लगता है उसमें
131
खून आना िन्द हो र्जाय़ेगा तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक
मस्
ु तहाज़ः को मालम
ू हो कक अगि नमाज़ पढ़ऩे में ताखीि कि़े तो जर्जतनी द़े ि में
वज़
ु ू गस्
ु ल औि नमाज़ िर्जा लाय़ेगी बिल्कुल पाक हो र्जाय़ेगी तो एहततयात़े लाजज़म
वज़
ु ू औि गस्
ु ल कि क़े नमाज़ पढ़़े औि अगि खून क़े िज़ाहहि िन्द होऩे क़े वक़्त
वज़
ु ू औि गस्
ु ल उसऩे ककय़े हुए हैं उन्हीं क़े साथ नमाज़ पढ़ सकती है।
418. मस्
ु तहाज़ा ए कसीिः र्जि खून स़े बिल्कुल पाक हो र्जाए अगि उस़े मालम
ू
हो कक जर्जस वक़्त स़े उसऩे गजु ज़शता नमाज़ क़े मलय़े गस्
ु ल ककया था उस वक़्त
किना ज़रूिी है। अगिच़े इस हुक्म का ितौि़े कुल्ली होना एहततयात क़ी बिना पि
है औि मस्
ु तहाज़ा ए मत
ु वजस्सतः में ज़रूिी नहीं है कक खन
ू स़े बिल्कुल पाक हो
419. मस्
ु तहाज़ा ए कलीलः को वज़
ु ू क़े िाद औि मस्
ु तहाज़ा ए मत
ु वजस्सत को
गस्
ु ल औि वज़
ु ू क़े िाद औि मस्
ु तहाज़ा ए कसीिः को गस्
ु ल क़े िाद (उन दो सिू तों
क़े अलावा र्जो मस ्अला 403 औि 415 में आई हैं) फ़ौिन नमाज़ में मशगल
ू होना
132
ज़रूिी है । ल़ेककन नमाज़ स़े पहल़े अज़ान औि इकामत कहऩे में कोई हर्जक नहीं औि
हो तो ज़रूिी है कक वज़
ु ू या गस्
ु ल किऩे क़े िाद फ़ौिन नमाज़ में मशगल
ू हो र्जाए।
421. अगि औित का खूऩे इजस्तहाज़ः र्जािी िह़े औि िन्द होऩे में न आए औि
को िाहि आऩे स़े िोक़े औि अगि ऐसा किऩे में कोताही िते औि खन
ू तनकल आए
दोिािा गस्
ु ल कि़े ।
गस्
ु ल क़े दौिान इजस्तहाज़ा ए मत
ु ावजस्सतः इजस्तहाज़ा ए कसीिः हो र्जाए तो अज़
सि़े नव गस्
ु ल किना ज़रूिी है।
सहीह होगा कक जर्जस िात क़े िाद क़े हदन वह िोज़ा िखना चाहती हो उस िात क़ी
133
अन्र्जाम द़े र्जो हदन क़ी नमाज़ों क़े मलय़े वाजर्जि है । ल़ेककन कुछ िईद नहीं कक
मस्
ु तहाज़ा ए सत
ु वजस्सतः में यह गस्
ु ल शते नहीं है।
आफ़ताि तक गस्
ु ल न कि़े तो उसका िोज़ा बिला इशकाल सहीह है ।
ऊपि जज़क्र हो चक
ु ा है अंर्जाम द़े औि अगि इजस्तहाज़ा ए मत
ु वजस्सतः कसीिः हो
यह गस्
ु ल ि़ेफ़ायदा होगा औि उस़े इजस्तहाज़ा ए कसीिः क़े मलय़े दोिािा गस्
ु ल
िदल र्जाए तो ज़रूिी है कक नमाज़ तोड़ द़े औि इजस्तहाज़ा ए कसीि क़े मलय़े गस्
ु ल
कि़े औि उसक़े दस
ू ि़े अफ़् आल अन्र्जाम द़े औि किि उसी नमाज़ को पढ़़े औि
एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि गस्
ु ल स़े पहल़े वज़
ु ू कि़े औि अगि उसक़े पास
गस्
ु ल क़े मलय़े वक़्त न हो तो गस्
ु ल क़े मलय़े तयम्मम
ु किना ज़रूिी है । औि अगि
तयम्मम
ु क़े मलय़े भी वक़्त न हो तो एहततयात क़ी बिना पि नमाज़ न तोड़़े औि
134
क़ी कज़ा कि़े । औि इसी तिह अगि नमाज़ क़े दौिान उसका इजस्तहाज़ा ए कलीलः
इजस्तहाज़ा ए मत
ु वजस्सतः या कसीिः हो र्जाए तो ज़रूिी है कक नमाज़ को तोड़ द़े
औि इस्तहाज़ा ए मत
ु वजस्सतः कसीिः हो र्जाए तो ज़रूिी है कक नमाज़ को तोड़ द़े
औि इजस्तहाज़ा ए मत
ु वजस्सतः या कसीिः क़े अफ़् आल को अन्र्जाम द़े ।
हो कक िाततन में भी खून िन्द हुआ है या नहीं तो अगि नमाज़ क़े िाद उस़े पता
चल़े कक खून पिू ़े तौि पि िन्द हो गया था औि उसक़े िाद इतना वसी वक़्त हो
ज़रूिी है कक पहली नमाज़ क़े मलय़े कसीिः का अमल औि िाद क़ी नमाज़ों क़े
मलय़े मत
ु वजस्सतः का अमल िर्जा लाए मसलन अगि ज़ौहि क़ी नमाज़ स़े पहल़े
इजस्तहाज़ा ए कसीिः मत
ु वजस्सतः हो र्जाए तो ज़रूिी है कक ज़ौहि क़ी नमाज़ क़े
मलय़े गस्
ु ल कि़े औि अस्र व मगरिि व इशा क़े मलय़े मसफ़क वज़
ु ू कि़े ल़ेककन अगि
135
औि अगि उसक़े मलय़े भी गस्
ु ल न कि़े औि उसक़े पास मसफ़क नमाज़़े इशा क़े मलय़े
पहली नमाज़ क़े मलय़े कसीिः वाल़े औि िाद क़ी नमाज़ों क़े मलय़े कलीलः वाल़े
432. मस्
ु तहाज़ः क़े मलय़े र्जो अफ़् आल वाजर्जि है अगि वह उनमें स़े ककसी एक
433. मस्
ु तहाज़ा ए कलीलः या मत
ु वजस्सतः अगि नमाज़ क़े अलावा वह काम
कोई हहस्सा कुिआऩे मर्जीद क़े अल्फ़ाज़ स़े मस किना चाहती हो तो नमाज़ अदा
काफ़़ी नहीं है ।
र्जाना औि वहां ठहिना औि वह आयात पढ़ना जर्जनक़े पढ़ऩे स़े सज्दा वाजर्जि हो
136
र्जाता है औि उसक़े शौहि का उसक़े साथ मर्ज
ु ाममअत किना हलाल है । ख़्वाह उसऩे
वह अफ़् आल र्जो नमाज़ क़े मलय़े अन्र्जाम द़े ती थी (मसलन रूई औि कपड़़े क़े
टुकड़़े का तबदील किना) अंर्जाम न हदय़े हों औि िईद नहीं कक यह अफ़् आल िगैि
गस्
ु ल भी र्जायज़ हों अगिच़े एहततयात उनक़े तकक किऩे में है।
नमाज़ क़े वक़्त स़े पहल़े उस आयत को पढ़़े जर्जसक़े पढ़ऩे स़े सज्दा वाजर्जि हो
436. मस्
ु तहाज़ः पि नमाज़़े आयात का पढ़ना वाजर्जि है औि नमाज़़े आयात
अदा किऩे क़े मलय़े यौमीयः नमाज़ों क़े मलय़े ियान ककय़े गए तमाम अफ़् आल
437. र्जि भी यौमीयः नमाज़ क़े वक़्त में नमाज़़े आयात मस्
ु तहाज़ः पि वाजर्जि
सकती।
वह अफ़् आल अन्र्जाम द़े र्जो अदा नमाज़ क़े मलय़े उस पि वाजर्जि हैं औि
137
एहततयात क़ी बिना पि कज़ा नमाज़ क़े मलय़े उन अफ़् आल पि इजक्तफ़ा नहीं कि
सकती र्जो कक उसऩे अदा नमाज़ क़े मलय़े अंर्जाम हदयें हों।
खून नहीं है ल़ेककन उस खून क़े इजस्तहाज़ः हैज़ या तनफ़ास होऩे क़े िाि़े में शक
तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि इजस्तहाज़ः क़े अफ़् आल अन्र्जाम द़े ना ज़रूिी है।
है ज (माहवािी)
सख
ु क होता है । वह उछलकि औि थोड़ी र्जलन क़े साथ खारिर्ज होता है ।
441. वह खून र्जो औितों को साठ ििस पिू ़े किऩे क़े िाद आता है हैज़ का
138
स़े पहल़े खून द़े खतीं तो वह खून यक़ीकन है ज़ का हुक्म िखता तो वह मस्
ु तहाज़ः
वाल़े अहकाम िर्जा लायें औि उन कामों को तकक किें जर्जन्हें हाइज़ तकक किती है ।
442. अगि ककसी लड़क़ी को नौ साल क़ी उम्र तक पहुंचऩे स़े पहल़े खन
ू आए
तो वह है ज़ नहीं है।
औि मस्
ु तहाज़ः क़े अफ़् आल भी िर्जा लाए।
444. अगि ककसी ऐसी लड़क़ी को खून आए जर्जस़े अपनी उम्र क़े नौ साल पिू ़े
होऩे का इल्म न हो औि उस खून में हैज़ क़ी अलामत न हों तो वह हैज़ नहीं है
औि अगि उस खन
ू में है ज़ क़ी अलामत हों तो उस पि हैज़ का हुक्म लगाना
यह मआलम
ू हो र्जाय़ेगा कक उसक़ी उम्र पिू ़े नौ साल हो गई है।
139
446. है ज़ क़ी मद्
ु दत तीन हदन स़े कम औि दस हदन स़े ज़्यादा नहीं होती औि
अगि खन
ू आऩे क़ी मद्
ु दत तीन हदन स़े भी कम हो तो वह हैज़ नहीं होगा।
447. है ज़ क़े मलय़े ज़रूिी है कक पहल़े तीन हदन लगाताि आए मलहाज़ा अगि
448. है ज़ क़ी इजबतदा में खून का िाहि आना ज़रूिी है ल़ेककन यह ज़रूिी नहीं
काफ़़ी है औि अगि तीन हदनों में थोड़़े स़े वक़्त क़े मलय़े भी कोई औित पाक हो
है ।
449. एक औित क़े मलय़े यह ज़रूिी है कक उसका खून पहली िात औि चौथी
मत
ु वातति खन
ू आता िह़े औि ककसी वक़्त िन्द न हो तो वह है ज़ है। औि अगि
हो र्जाए चन
ु ांच़े अगि किि वह दोिािा खन
ू द़े ख़े तो जर्जन हदनों में वह खून द़े ख़े
140
औि जर्जन हदनों में वह पाक हो उन तमाम हदनों को ममला कि अगि दस हदन स़े
लाजज़म क़ी बिना पि पाक़ी क़े हदनों में वह उन तमाम उमिू को र्जो पाक औित
451. अगि ककसी औित को तीन हदन स़े ज़्यादा औि दस हदन स़े कम खून
आए औि उस़े यह इल्म न हो कक या खन
ू िोड़़े या ज़ख़्म का है या हैज़ का तो
ल़ेककन अगि उसक़ी साबिकः हालत हैज़ क़ी िही हो तो उस सिू त में उस़े है ज़ किाि
द़े ।
किाि द़े ।
िकाित का खून है तो ज़रूिी है कक अपऩे िाि़े में तहक़ीक कि़े यानी कुछ रूई
शमकगाह में िख़े औि थोड़ी द़े ि इजन्तज़ाि कि़े किि रूई िाहि तनकाल़े। पस अगि
141
खून रूई क़े अत्राफ़ में लगा हो तो िकाित है औि सािी क़ी सािी रूई खून में ति
हो र्जाए तो हैज़ है ।
हाइज के अहकाम
अदा किना ज़रूिी है ल़ेककन उन इिादतों क़े अदा किऩे में कोई हिर्ज नहीं जर्जनक़े
मलय़े वज़
ु ,ू गस्
ु ल या तयम्मम
ु किना ज़रूिी नहीं र्जैसै नमाज़़े मैतयत।
2. वह तमाम चीज़ें र्जो मजु ज्नि पि हिाम हैं औि जर्जनका जज़क्र र्जनाित क़े
अहकाम में आ चक
ु ा है ।
3. औित क़ी फ़ज़क में जर्जमाअ (संभोग) किना र्जो मदक औि औित दोनों क़े मलय़े
हिाम है ख़्वाह दख
ु ूल मसफ़क सप
ु ािी क़ी हद तक ही हो औि मनी भी खारिर्ज न हो
हाइज़ हो या न हो।
142
457. उन हदनों में भी जर्जमाअ किना हिाम है जर्जनमें औित का हैज़ यक़ीनी न
हुक्म क़े मत
ु ाबिक जर्जसका जज़क्र िाद में ककया र्जाय़ेगा अपऩे आपको उतऩे हदन क़े
मलय़े हाइज़ किाि द़े जर्जतऩे हदन ती उसक़े कंु ि़े क़ी औितों क़ी आदत हो तो उसका
558. अगि मदक अपनी िीवी स़े हैज़ क़ी हालत में मर्ज
ु ाममअत कि़े तो उसक़े
कनाि क़ी मम
ु ातनअत नहीं है ।
चनों क़े ििािि मसक्कादाि सोना है । मसलन अगि ककसी औित को छः हदन हैज़
कि़े तो अट्ठािा चनों क़े ििािि सोना द़े अगि तीसिी या चौथी िात या हदन में
जर्जमाअ कि़े तो नौ चनों क़े ििािि सोना द़े औि अगि पांचवी या छठ िात में
143
461. अगि मसक्कादाि सोना मजु म्कन न हो तो मत
ु अजल्लका शख़्स उसक़ी
क़ीमत द़े औि अगि सोऩे क़ी उस वक़्त क़ी क़ीमत स़े र्जिकक उसऩे जर्जमाअ ककया
462. अगि ककसी शख़्स ऩे हैज़ क़े पहल़े हहस्स़े में भी दस
ू ि़े हहस्स़े में भी औि
तीसि़े हहस्स़े में भी अपनी िीवी स़े जर्जमाअ ककया हो तो वह तीनों कफ़्फ़ाि़े द़े र्जो
463. अगि कोई शख़्स हाइज़ स़े कई िाि जर्जमाअ कि़े तो ि़ेहति यह है कक हि
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक कफ़्फ़ािा द़े ।
मस्
ु तहि यह है कक कफ़्फ़ािा द़े ।
मर्ज
ु ाममअत कि़े तो उस पि कफ़्फ़ािा नहीं।
144
467. अगि एक मदक यह ख़्याल कित़े हुए कक औित हाइज़ है उसस़े मर्ज
ु ाममअत
468. र्जैसा कक तलाक क़े अहकाम में िताया र्जाय़ेगा औित को हैज़ क़ी हालत
469. अगि औित कह़े कक मैं हाइज़ हूाँ या यह कह़े कक मैं हैज़ स़े पाक हूाँ औि
470. अगि कोई औित नमाज़ क़े दौिान हाइज़ हो र्जाए तो उसक़ी नमाज़
िाततल है ।
471. अगि औित नमाज़ क़े दौिान शक कि़े कक हाइज़ हुई है या नहीं तो
उसक़ी नमाज़ सही है। ल़ेककन अगि नमाज़ क़े िाद पता चल़े क़ी नमाज़ क़े दौिान
472. औित क़े है ज़ स़े पाक हो र्जाऩे क़े िाद उस पि वाजर्जि है कक नमाज़ औि
दस
ू िी इिादत क़े मलय़े र्जो वज़
ु ,ू गस्
ु ल या तयम्मम
ु किक़े िर्जा लाना चाहहय़े गस्
ु ल
पहल़े वज़
ु ू भी कि़े ।
473. औित क़े हैज़ स़े पाक हो र्जाऩे क़े िाद अगिच़े उसऩे गस्
ु ल न ककया हो
उस़े तलाक द़े ना सहीह है औि उसका शौहि उसस़े जर्जमअ भी कि सकता है ल़ेककन
145
एहततयात़े लाजज़म यह है कक जर्जमाअ शमकगाह धोऩे क़े िाद ककया र्जाए औि
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक उसक़े गस्
ु ल किऩे स़े पहल़े मदक उसस़े जर्जमाअ न
पि हिाम थ़े मसलन मजस्र्जद में ठहिना या कुिआऩे मर्जीद क़े अल्फ़ाज़ को छूना
कक वज़
ु ू क़े िदल़े तयम्मम
ु कि़े औि अगि पानी मसफ़क वज़
ु ू क़े मलय़े काफ़़ी हो औि
गस्
ु ल क़े िदल़े तयम्मम
ु किना ज़रूिी है औि अगि दोनों में स़े ककसी क़े मलय़े भी
पानी न हो तो गस्
ु ल क़े िदल़े तयम्मम
ु किना ज़रूिी है औि ि़ेहति यह है कक वज़
ु ू
475. र्जो नमाज़़े औित ऩे हैज़ क़ी हालत में न पढ़ी हों उनक़ी कज़ा नहीं ल़ेककन
िमज़ान क़े वह िोज़़े र्जो हैज़ क़ी हालत में न िख़े हों ज़रूिी है कक उनक़ी कज़ा कि़े
औि इसी तिह एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि र्जो िोज़़े मन्नत क़ी वर्जह स़े
मअ
ु य्यन हदनों में वाजर्जि हुए हों औि उसऩे है ज़ क़ी हालत में वह िोज़़े न िख़े हों
146
476. र्जि नमाज़ का वक़्त हो र्जाए औि औित यह र्जान ल़े (यानी उस़े यक़ीन
हो) क़ी अगि वह नमाज़ पढ़ऩे में द़े ि कि़े गी तो हाइज़ हो र्जाय़ेगी तो ज़रूिी है कक
फ़ौिन नमाज़ पढ़़े औि अगि उस़े फ़कत एहततमाल हो कक नमाज़ में ताखीि किऩे
स़े वह हाइज़ हो र्जाय़ेगी तो भी एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि यही हुक्म है।
477. अगि औित नमाज़ पढ़ऩे में ताखीि कि़े औि अव्वल़े वक़्त में स़े इतना
वक़्त गज़
ु ि र्जाए जर्जतना क़ी हदस स़े पानी क़े ज़िीए, औि एहततयात़े लाजज़म क़ी
बिना पि तयम्मम
ु क़े ज़िीय़े, तहाित हामसल किक़े नमाज़ पढ़ऩे में लगता औि
आदत का मलहाज़ कि़े मसलन एक औित र्जो सफ़ि में नहीं है अव्वल़े वक़्त में
नमाज़़े ज़ौहि न पढ़़े तो उसक़ी कज़ा उस सिू त में वाजर्जि होगी र्जिकक हदस स़े
तहाित हामसल किऩे क़े िाद चाि िक् अत नमाज़ पढ़ऩे क़े ििािि वक़्त अव्वल़े
हो तहाित हामसल किऩे क़े िाद दो िक् अत पढ़ऩे क़े ििािि वक़्त गज़
ु ि र्जाना भी
काफ़़ी है।
478. अगि एक औित नमाज़ क़े आखिी वक़्त में खून स़े पाक हो र्जाए औि
147
िक् अत पढ़ सक़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ पढ़़े औि अगि न पढ़़े तो ज़रूिी है कक
479. अगि एक हाइज़ क़े पास (हैज़ स़े पाक होऩे क़े िाद) गस्
ु ल क़े मलय़े वक़्त
न हो ल़ेककन तयम्मम
ु कि क़े नमाज़ वक़्त क़े अन्दि पढ़ सकती हो तो एहततयात़े
कि़े । ल़ेककन अगि वक़्ती तंगी स़े कत ्ए नज़ि ककसी औि वर्जह स़े उसका फ़िीज़ा
ही तयम्मम
ु किना हो मसलन पानी उसक़े मलय़े मजु ज़ि हो तो ज़रूिी है कक
तयम्मम
ु किक़े वह नमाज़ पढ़़े औि अगि न पढ़़े तो ज़रूिी है कक उसक़ी कज़ा
कि़े ।
480. अगि ककसी औित को हैज़ स़े पाक हो र्जाऩे क़े िाद शक हो कक नमाज़ क़े
मलय़े वक़्त िाक़ी है या नहीं तो उस़े चाहहय़े क़ी नमाज़ पढ़ ल़े।
481. अगि कोई औित इस ख़्याल स़े नमाज़ न पढ़़े कक हदस स़े पाक होऩे क़े
िाद एक िक् अत नमाज़ पढ़ऩे क़े मलय़े भी उसक़े पास वक़्त नहीं है ल़ेककन िाद में
उस़े पता चल़े कक वक़्त था तो उस नमाज़ क़ी कज़ा िर्जा लाना ज़रूिी है ।
सक़े तो तयम्मम
ु कि़े औि नमाज़ क़ी र्जगह पि रू िककिला िैठ कि जज़क्र, दआ
ु
148
483. हाइज़ क़े मलय़े कुिआऩे मर्जीद का पढ़ना औि उस़े अपऩे साथ िखना औि
अपऩे िदन का कोई हहस्सा उसक़े अल्फ़ाज़ क़े दिममयानी हहस्स़े स़े छूना नीज़
हाइज की फकस्में
1. वक़्त औि अदद क़ी आदत िखऩे वाली औितः- यह वह औित है जर्जस़े यक़े
क़ी तादाद भी दोनों महीनों में एक र्जैसी हो मसलन यक़े िाद दीगि़े दो महीनों में
उस़े महीऩे क़ी पहली तािीख स़े सातवीं तािीख तक खून आता हो।
2. वक़्त क़ी आदत िखऩे वाली औितः- यह वह औित है जर्जस़े यक़े िाद दीगि़े
दो महीनों में मअ
ु य्यन वक़्त पि हैज़ आए ल़ेककन उसक़े हैज़ क़े हदनों क़ी तादाद
दोनों महीनों में एक र्जैसी न हो। मसलन यक़े िाद दीगि़े उस़े महीऩे क़ी पहली
तािीख में खून आना शरूउ हो ल़ेककन वह पहल़े महीऩे में सातवें दीन औि दस
ू ि़े
3. अदद क़ी आदत िखऩे वाली औितः- यह वह औित है जर्जसक़े हैज़ क़े हदनों
क़ी तादाद यक़े िाद दीगि़े दो महीनों में एक र्जैसी हो ल़ेककन हि महीऩे खन
ू आऩे
149
का वक़्त यकसां न हो । मसलन पहल़े महीऩे में उस़े पांचवीं स़े दसवीं तािीख तक
औि दस
ू ि़े महीऩे में िािहवीं स़े सत्तिहवीं तािीख तक खन
ू आता हो।
4. मज़्
ु तरििः- यह वह औित है जर्जस़े चन्द महीऩे पहल़े खन
ू आया हो ल़ेककन
उसक़ी आदत मअ
ु य्यन न हुई हो या उसक़ी साबिका आदत बिगड़ गई हो औि नई
ककस्म क़ी औित क़े मलय़े अलायहदा अलायहदा अहकाम हैं जर्जनका जज़क्र आइन्दा
485. र्जो औितें वक़्त औि अदद क़ी आदत िखती है उनक़ी दो ककस्में हैः-
खून आए औि वह औि वह एक मअ
ु य्यन वक़्त पि ही पाक भी हो र्जाए मसलन
यक़े िाद दीगि़े दो महीनों में उस़े महीऩे क़ी पहली तािीख को खून आए औि वह
सातवें िोज़ पाक हो र्जाए तो उस औित क़ी है ज़ क़ी आदत महीऩे क़ी पहली तािीख
150
(दोयम) वह औित जर्जस़े यक़े िाद दीगि़े दो महीनों में मअ
ु य्यन वक़्त पि खून
पाक िही है दस स़े ज़्यादा न हो औि दोनों महीनों में तमाम हदन जर्जनमें उस़े खून
आया औि िीच क़े वह हदन जर्जनमें पाक िही हो एक जर्जतऩे हों तो उसक़ी आदत
हदनों को शाममल नहीं कि सकती जर्जनक़े दिममयान पाक िही हो। पस लाजज़म है
कक जर्जन हदनों में उस़े खून आया हो औि जर्जन हदनों में वह पाक िही हो दोनों
महीनों में उनक़ी तादाद एक जर्जतनी हो मसलन अगि पहल़े महीऩे में औि इसी
तिह दस
ू ि़े महीऩे में उस़े पहली तािीख स़े तीसिी तािीख तक खून आए औि किि
तीन हदन पाक िह़े औि किि तीन हदन दोिािा खून आए तो उस औित क़ी आदत
तादाद उसस़े कम या ज़्यादा हो तो यह औित वक़्त क़ी आदत िखती है, अदद
नहीं।
486. र्जो औित वक़्त क़ी आदत िखती हो ख़्वाह अदद क़ी आदत िखती हो या
न िखती हो अगि उस़े आदत क़े वक़्त या उसस़े एक दो हदन या उसस़े भी ज़्यादा
151
हदन पहल़े खून र्जाए र्जिकक यह कहा र्जाए कक उसक़ी आदत वक़्त स़े कबल हो गई
है अगि उस खन
ू में है ज़ क़ी अलामात न भी हों ति भी ज़रूिी है कक उन अहकाम
पि अमल कि़े र्जो हाइज़ क़े मलय़े ियान ककय़े गय़े हैं। औि अगि िाद में उस़े पता
चल़े कक वह हैज़ का खून नहीं था मसलन वह तीन हदन स़े पहल़े पाक हो र्जाए तो
487. र्जो औित वक़्त औि अदद क़ी आदत िखती हो अगि उस़े आदत क़े
तमाम हदनों में औि आदत स़े चन्द हदन पहल़े औि आदत क़े चन्द िाद खून आए
अगि यह मद्
ु दत दस हदन स़े िढ़ र्जाए तो र्जो खून उस़े आदत क़े हदनों में आता
है वह हैज़ है, औि र्जो आदत स़े पहल़े या िाद में आया है वह इजस्तहाज़ा है, औि
र्जो इिादत वह आदत स़े पहल़े औि िाद क़े हदनों में िर्जा नहीं लाई उसक़ी कज़ा
किना ज़रूिी है। औि अगि आदत क़े तमाम हदनों में औि साथ ही आदत स़े कुछ
ज़्यादा न हो तो सािा है ज़ है, औि अगि हदनों क़ी तादाद दस स़े ज़्यादा हो र्जाए
तो मसफ़क आदत क़े हदनों में आना वाला खून है ज़ है, अगि च़े उसमें हैज़ क़ी
अलामत न हों औि उसस़े पहल़े आऩे वाला खून हैज़ क़ी अलामत क़े साथ हो।
कक हो तो ज़रूिी है कक उसक़ी कज़ा कि़े । औि अगि आदत क़े तमाम हदनों में
152
औि साथ ही आदत क़े चन्द हदन िाद खून आए औि कुल हदनों क़ी तादाद
स़े िढ़ र्जाए तो मसफ़क आदत क़े हदनों में आऩे वाला खन
ू है ज़ है औि िाक़ी
इजस्तहाज़ा है ।
488. र्जो औित वक़्त औि अदद क़ी आदत िखती हो अगि उस़े आदत क़े कुछ
हदनों में या आदत स़े पहल़े खून आए औि उन तमाम हदनों को ममलाकि उनक़ी
तादाद दस स़े ज़्यादा न हो तो वह साि़े का सािा हैज़ है। औि अगि उन हदनों क़ी
तादाद दस स़े िढ़ र्जाए तो जर्जन हदनों में उस़े हस्ि़े आदत खन
ू आया है औि पहल़े
क़े चन्द हदन शाममल कि क़े आदत क़े हदनों क़ी तादाद पिू ी होऩे तक हैज़ औि
शरू
ु क़े हदनों को इजस्तहाज़ा किाि द़े । औि अगि आदत क़े कुछ हदनों क़े साथ
उनक़ी तादाद दस स़े ज़्यादा न हो तो साि़े का सािा हैज़ है औि अगि दस स़े िढ़
489. र्जो औित आदत िखती हो अगि उसका खून तीन या ज़्यादा हदन तक
आऩे क़े िाद रूक र्जाए औि किि दोिािा खून आए औि उन दोनों खून का
153
आया है िशम
ु ल
ू उन दिममयानी हदनों क़े जर्जनमें पाक िही हो दस स़े ज़्यादा हो,
1. वह तमाम खून या उसक़ी कुछ ममक़्दाि र्जो पहली िाि द़े खें आदत क़े हदनों
में हों औि दस
ू िा खून र्जो पाक होऩे क़े िाद आया है आदत क़े हदनों में न हो। इस
किाि द़े ।
2. पहला खन
ू आदत क़े हदनों में न आए औि दस
ू िा तमाम खन
ू या उसक़ी कुछ
3. दस
ू ि़े औि पहल़े खून क़ी कुछ ममक़्दाि आदत क़े हदनों में आए औि अय्यामें
आदत में आना वाला पहला खून तीन हदन स़े कम न हो, उस सिू त में वह मद्
ु दत
खन
ू क़ी मद्
ु दत, दस हदन स़े ज़्यादा न हो तो खन
ू हैज़ है, औि एहततयात़े वाजर्जि
क़े हदनों क़े िाद आए इजस्तहाज़ा है । औि खूऩे अव्वल क़ी वह ममक़्दाि र्जो अय्याम़े
आदत स़े पहल़े आई हो औि उफ़कन कहा र्जाए कक उसक़ी आदत वक़्त स़े कबल हो
154
गई है तो वह खून, है ज़ का हुक्म िखता है। ल़ेककन अगि उस खून पि हैज़ का
का सािा खन
ू , है ज़ क़े दस हदन स़े ज़्यादा हो र्जाए तो उस सिू त में वह खन
ू खन
ू ़े
इजस्तहाज़ा का हुक्म िखता है मसलन अगि क़ी आदत महीऩे क़ी तीसिी स़े दसवीं
तीसिी स़े दसवीं तािीख तक है ज़ है औि ग्यािहवीं स़े पन्रहवीं तक आऩे वाला खून
इजस्तहाज़ा है ।
4. पहल़े औि दस
ू ि़े खून क़ी कुछ ममक़्दाि आदत क़े हदनों में आए ल़ेककन
अय्यामें आदत में आऩे वाला पहला खून तीन हदन स़े कम हो इस सिू त में िईद
मद्
ु दत को र्जो आदत क़े हदनों में आया है उस़े है ज़ किाि द़े । मतलि यह है कक
वह मद्
ु दत औि पहल़े खून क़ी वह मद्
ु दत जर्जस़े हैज़ किाि हदया है औि उनक़े
पहल़े पिू ़े खून को हैज़ किाि द़े , न कक उस खास ममक़्दाि को जर्जस़े पहल़े खून क़ी
155
कमी पिू ा किऩे क़े मलय़े वह लाजज़मी तौि पि हैज़ किाि द़े ती, औि इसमें दो शतें
है ः-
(अव्वल) उस़े अपनी आदत स़े कुछ हदन पहल़े खून आया हो कक उसक़े िाि़े में
कुछ ममक़्दाि र्जो कक आदत क़े हदनों में आया हो है ज़ क़े दस हदन स़े ज़्यादा हो
र्जाए मसलन अगि औित क़ी आदत महीऩे क़ी चौथी तािीख स़े दस तािीख तक
थी औि उस़े महीऩे क़े पहल़े हदन स़े चौथ़े हदन क़े आखखिी वक़्त तक खून आए
औि दो हदन क़े मलय़े पाक हो औि किि दोिािा उस़े पन्रह तािीख तक खून आए
490. र्जो औित वक़्त औि अदद क़ी आदत िखती हो अगि उस़े आदत क़े वक़्त
खून न आए िजल्क उसक़े अलावा ककसी औि वक़्त हैज़ क़े हदनों क़े ििािि हदनों
में है ज़ क़ी अलामत क़े साथ खून आए तो ज़रूिी है कक उसी खून को हैज़ किाि द़े
156
491. र्जो औित वक़्त औि अदद क़ी आदत िखती हो अगि उस़े आदत क़े वक़्त
आदत क़े हदनों स़े कम या ज़्यादा हो औि पाक होऩे क़े िाद उस़े दोिािा इतऩे
हदनों क़े मलय़े खून आए जर्जतनी उसक़ी आदत हो तो उसक़ी चन्द सिू तें है ः-
1. दोनों खून क़े हदनों औि उनक़े दिममयान पाक िहऩे क़े हदनों को ममलाकि
हदया र्जाय़ेगा।
ल़ेककन उन दोनों खन
ू को औि दिममयान में पाक िहऩे क़ी सािी मद्
ु दत को
ममलाकि दस हदन स़े ज़्यादा हो तो उस सिू त में ज़रूिी है कक पहल़े आऩे वाल़े
खन
ू को हैज़ औि दस
ू ि़े को इजस्तहाज़ा किाि द़े ।
492. र्जो औित वक़्त औि अदद क़ी आदत िखती हो अगि उस़े दस हदन स़े
ज़्यादा हदन तक खून आए तो र्जो खून उस़े आदत क़े हदनों में आए ख़्वाह वह हैज़
क़ी अलामत न भी िखता हो ति भी हैज़ है औि र्जो खून आदत क़े हदनों क़े िाद
औित जर्जसक़ी है ज़ क़ी तािीख महीऩे क़ी पहली तािीख स़े सातवीं तािीख तक हो
157
उस़े पहली स़े िािहवीं तक खून आए तो पहल़े सात हदन हैज़ िक़ीया पांच हदन
493. र्जो औितें वक़्ती आदत िखती हैं औि उनक़ी आदत क़ी पहली तािीख
मअ
ु य्यन हो उनक़ी दो ककस्में हैः-
तादाद मख़्
ु तमलफ़ हो, मसलन उस़े यक़े िाद दीगि़े महीनों क़ी पहली तािीख को
हो । ऐसी औित को चाहहय़े क़ी महीऩे क़ी पहली तािीख को अपनी आदत किाि द़े
तमाम हदनों क़ी तादाद जर्जनमें खून आया है मए उन दिममयानी हदनों क़े जर्जनमें
158
नौं हदन िनत़े हों तो उस औित को भी चाहहय़े क़ी महीऩे क़ी पहली तािीख को
494. वह औित र्जो वक़्त क़ी आदत िखती हो अगि उसको आदत क़े हदनों में
अहकाम पि अमल कि़े र्जो हाइज़ क़े मलय़े ियान ककय़े गए हैं औि उस सिू त क़ी
(यानी दस
ू ि़े वक़्त में) खून आया है या यह कहा र्जाए कक आदत क़े िाद खून
आया है चन
ु ांच़े वह खून हैज़ क़ी अलामत क़े साथ आए तो ज़रूिी है कक उन
अहकाम पि अमल कि़े र्जो हाइज़ क़े मलय़े ियान ककय़े गए हैं। औि अगि खून में
495. र्जो औित वक़्त क़ी आदत िखती है अगि उस़े आदत क़े हदनों में खून
159
ज़रिय़े उसक़ी मद्
ु दत मअ
ु य्यन कि सकती हो तो अहवत यह है कक अपऩे
है ः-
1. उस़े अपऩे है ज़ क़ी ममक़्दाि औि उस रिश्त़ेदाि औित क़ी आदत क़ी ममक़्दाि
क़ी आदत क़ी ममक़्दाि में कक जर्जनमें पहली शतक मौर्जूद है इजख़्तलाफ़ का इल्म न
र्जाता हो तो कोई हर्जक नहीं है औि उस औित क़े मलय़े भी यही हुक्म है र्जो वक़्त
वक़्त क़े अलावा कोई खून आए र्जो दस हदन स़े ज़्यादा हो औि हैज़ क़ी ममक़्दाि
160
496. वक़्त क़ी आदत िखऩे वाली औित अपनी आदत क़े अलावा वक़्त में आऩे
वाल़े खन
ू को हैज़ किाि नहीं द़े सकती, मलहाज़ा अगि उस़े आदत का इजबतदाई
वक़्त मालम
ू हो मसलन हि महीऩे क़ी पहली को खन
ू आता हो औि कभी पांचव़े
कि सक़े तो चाहहय़े क़ी महीऩे क़ी पहली को हैज़ क़ी पहली तािीख किाि द़े औि
उसक़ी तादाद क़े िाि़े में र्जो कुछ पहल़े मस ्अल़े में ियान ककया गया है उस पि
अमल कि़े । औि अगि उसक़ी आदत क़ी दिममयानी या आखखिी तािीख मालम
ू हो
चन
ु ांच़े अगि उस़े दस हदन स़े ज़्यादा खून आए तो ज़रूिी है कक उसका हहसाि इस
तिह कि़े कक आखखिी या दिममयानी तािीख में स़े एक उसक़ी आदत क़े हदनों क़े
मत
ु ाबिक हो।
497. र्जो औित वक़्ती आदत िखती हो औि उस़े दस हदन स़े ज़्यादा खून आए
औि खन
ू को मस ्अला 495 में िताए गए तिीक़े स़े मअ
ु य्यन न कि सक़े मसलन
उस खन
ू में हैज़ क़ी अलामत न हों या पहल़े िताई गईं दो शतों में स़े एक शतक न
ममक़्दाि क़े मन
ु ामसि समझ़े है ज़ किाि द़े । छः या आठ हदनों को अपऩे हैज़ क़ी
ममक़्दाि क़े मन
ु ामसि समझऩे क़ी सिू त में ि़ेहति यह है कक सात हदनों को है ज़
किाि द़े । ल़ेककन ज़रूिी है कक जर्जन हदनों को वह हैज़ किाि द़े वह हदन उसक़ी
161
आदत क़े वक़्त क़े मत
ु ाबिक हों र्जैसा कक पहल़े मस ्अल़े में ियान ककया र्जा चक
ु ा
है ।
498. र्जो औित अदद क़ी आदत िखती हैं उनक़ी दो ककस्में हैः-
1. वह औित जर्जसक़े हैज़ क़े हदनों क़ी तादाद यक़े िाद दीगि़े दो महीनों में
हदन उस़े खून आए वही उसक़ी आदत होगी। मसलन अगि पहल़े महीऩे में उस़े
2. वह औित जर्जस़े यक़े िाद दीगि़े दो महीनों में स़े हि एक में तीन या तीन स़े
ज़्यादा हदनों तक खन
ू आए औि एक या उसस़े ज़्यादा हदनों क़े मलय़े िन्द हो र्जाए
औि किि दोिािा खन
ू आए औि खून आऩे का वक़्त पहल़े महीऩे में औि दस
ू ि़े
आया है ि मए उन दिममयानी हदनों क़े जर्जनमें खून िन्द िहा है दस स़े ज़्यादा न
हदन जर्जनमें खन
ू आया है उसक़े हैज़ क़ी आदत क़े हदन शम
ु ाि ककय़े र्जाय़ेगें औि
162
कक र्जो काम पाक औित पि वाजर्जि हैं अंर्जाम द़े औि र्जो काम हाइज़ पि हिाम हैं
उन्हें तकक कि़े , मसलन अगि पहल़े महीऩे में उस़े पहली तािीख स़े तीसिी तािीख
तक खन
ू आए औि किि दो हदन तक क़े मलय़े िन्द हो र्जाए औि किि दोिािा तीन
हदन खून आए औि दस
ू ि़े महीऩे में ग्यािहवीं तािीख स़े त़ेिहवीं तािीख तक खून
आए औि दो हदन क़े मलय़े िन्द हो र्जाए औि किि दोिािा तीन हदन खून आए तो
उस औित क़ी आदत छः हदन क़ी होगी। औि अगि पहल़े महीऩे में उस़े आठ हदन
खून आए औि दस
ू ि़े महीऩे में चाि हदन खून आए औि किि िन्द हो र्जाए औि
किि दोिािा खन
ू आए औि खन
ू क़े हदनों औि दिममयान में खन
ू क़े िन्द हो र्जाऩे
र्जाय़ेगा।
499. र्जो औित अदद क़ी आदत िखती हो अगि उस़े अपनी आदत क़ी तादाद
तो उन तमाम हदनों को हैज़ किाि द़े । औि अगि उसक़ी आदत स़े ज़्यादा खन
ू
एक र्जैसा हो तो खून आऩे क़ी इजबतदा स़े ल़ेकि उसक़ी आदत क़े हदनों तक है ज़
औि िाक़ी हदनों को इजस्तहाज़ा किाि द़े । औि अगि आऩे वाला तमाम खून एक
र्जैसा न हो िजल्क कुछ हदन हैज़ क़ी अलामत क़े साथ औि कुछ हदन इजस्तहाज़ा
163
क़ी अलामत क़े साथ हो, पस अगि हैज़ क़ी अलामत क़े साथ आऩे वाल़े खून क़े
हदनों क़ी तादाद उसक़ी आदत क़े हदनों क़े ििािि हो तो ज़रूिी है कक उन हदनों को
जर्जनमें खून हैज़ क़ी अलामत क़े साथ आया हो आदत क़ी हदनों स़े ज़्यादा हो तो
मसफ़क आदत क़े हदन हैज़ औि िाक़ी हदन इजस्तहाज़ा है, औि अगि है ज़ क़ी
अलामत क़े साथ आऩे वाल़े खून क़े हदनों क़ी तादाद आदत क़े हदनों स़े कम हो तो
4. मज़्
ु तरिबीः
500. मज़्
ु तरििः यानी वह औित जर्जस़े चन्द महीऩे खून आए ल़ेककन वक़्त औि
ज़्यादा खून आए औि सािा खून एक र्जैसा हो मसलन तमाम खून हैज़ क़ी
तनशातनयों क़े साथ या इजस्तहाज़ा क़ी तनशातनयों क़े साथ आया हो तो उसका हुक्म
आदत िखऩे वाली औित का हुक्म है कक जर्जस़े अपनी आदत क़े अलावा वक़्त में
खून आए, औि अलामत क़े ज़रिय़े है ज़ को इजस्तहाज़ा स़े तमीज़ न द़े सकती हो
तो एहततयात क़ी बिना पि उस़े चाहहय़े कक अपनी रिश्त़ेदाि औितों में स़े िाज़
164
औि दस हदन में स़े ककसी एक अदद को उस तफ़्सील क़े मत
ु ाबिक र्जो मस ्अला
495 औि 497 में ियान क़ी गई है, अपऩे है ज़ क़ी आदत किाि द़े ।
तो अगि वह खून जर्जसमें हैज़ क़ी अलामात हों तीन हदन स़े कम या दस हदन स़े
ज़्यादा मद्
ु दत तक न आया हो तो उस तमाम खून को हैज़ औि िाक़ी को
इजस्तहाज़ा किाि दें । औि अगि तीन हदन स़े कम औि दस हदन स़े ज़्यादा हो तो
साथ खून आए तो िईद नहीं कक उसको इजस्तहाज़ा किाि द़े ना ज़रूिी हो।
5. मुब्तहदअीः
502. मबु तहदअः यानी उस औित को जर्जस़े पहली िाि खून आया हो दस हदन
स़े ज़्यादा खून आए औि वह तमाम खून र्जो मबु तहदअः को आया है एक र्जैसा हो
तो उस़े चाहहय़े कक अपऩे कंु ि़े वामलयों क़ी आदत क़ी ममकदाि को हैज़ औि िाक़ी
को उन दो शतों क़े साथ इजस्तहाज़ा किाि द़े र्जो मस ्अला 495 में ियान हुई हैं।
165
क़े मत
ु ाबिक तीन औि दस हदन में स़े ककसी एक अदद को अपऩे है ज़ क़े हदन
किाि द़े ।
आऩे वाल़े खून में हैज़ क़ी अलामात औि चन्द हदन आऩे वाल़े खून में इजस्तहाज़ा
क़ी अलामात हों तो जर्जस खून में है ज़ क़ी अलामात हों वह तीन हदन स़े कम औि
दस हदन स़े ज़्यादा न हों वह सािा है ज़ है । ल़ेककन खून में हैज़ क़ी अलामात थीं
हदन स्याह खून आए तो उस़े चाहहय़े कक पहल़े आऩे वाल़े खून को है ज़ औि िाद में
िताया गया है ।
504. अगि मबु तहदअः को दस स़े ज़्यादा हदनों तक खून आए र्जो चन्द हदन
है ज़ क़ी अलामात क़े साथ औि चन्द हदन इजस्तहाज़ा क़ी अलामात क़े साथ हो
ल़ेककन जर्जस खन
ू में है ज़ क़ी अलामात हों वह तीन हदन स़े कम मद्
ु दत तक आया
166
6. नालसयीः
उनमें स़े एक यह है कक अदद क़ी आदत िखऩे वाली औित अपनी आदत क़ी
ममक़्दाि भल
ू चक
ु ़ी हो अगि उस औित को खून आए जर्जसक़ी मद्
ु दत तीन हदन स़े
र्जो मस ्अला 500 औि 501 में ियान ककया गया है मसफ़क एक फ़कक क़े साथ औि
कम उस़े खून नहीं आता तो पांच हदन को हैज़ किाि द़े गी) इसी तिह उन अय्याम
स़े भी ज़्यादा हदनों को हैज़ किाि नहीं द़े सकती जर्जनक़े िाि़े में उस़े इल्म है कक
उसक़ी आदत क़ी ममक़्दाि उन हदनों स़े ज़्यादा नहीं होती (मसलन वह र्जानती है
नहीं द़े सकती) । औि इस र्जैसा हुक्म नाककस अदद िखऩे वाली औित पि भी
लाजज़म है यानी वह औित जर्जस़े आदत क़े हदनों क़ी ममक़्दाि तीन हदन स़े ज़्यादा
औि दस हदन स़े कम होऩे में शक हो। मसलन जर्जस़े हि महीऩे में छः या सात
167
हदन खून आता हो वह है ज़ क़ी अलामत क़े ज़रिए या अपनी िाज़ कंु ि़े वामलयों क़ी
आदत क़े मत
ु ाबिक या ककसी एक अदद को इजख़्तयाि कि क़े दस हदन स़े ज़्यादा
खन
ू आऩे क़ी सिू त में दोनों अददों (छः या सात) स़े कम या ज़्यादा हदनों को हैज़
168
है ज के मुतफ़रिय क मसाइल
को अगि खून आए जर्जसमें हैज़ क़ी अलामात हों या यक़ीन हो कक यह खून तीन
हदन तक आय़ेगा तो उन्हें चाहहय़े कक इिादात तकक कि दें औि अगि िाद में उन्हें
पता चल़े कक यह हैज़ नहीं था तो उन्हें चाहहय़े कक र्जो इिादात िर्जा न लाईं हो
507. र्जो औित हैज़ क़ी आदत िखती हो ख़्वाह यह आदत है ज़ क़े वक़्त क़े
एततिाि स़े हो या है ज़ क़े अदद क़े एततिाि स़े या वक़्त औि अदद दोनों क़े
एततिाि स़े हो। अगि उस़े यक़े िाद दीगि़े दो महीनों में अपनी आदत क़े िि
खखलाफ़ खून आए जर्जसका वक़्त या हदनों क़ी तादाद या वक़्त औि हदन दोनों क़ी
तादाद यकसां हो तो उसक़ी आदत जर्जस तिह इन दो महीनों में उस़े खून आया है
उसमें तबदील हो र्जाती है । मसलन अगि पहल़े उस़े महीऩे क़ी पहली तािीख स़े
सातवीं तािीख तक खून आता था औि किि िन्द हो र्जाता था मगि दो महीनों में
उस़े दसवीं तािीख स़े सत्तिहवीं तािीख तक खून आया हो औि किि िन्द हुआ हो
169
509. अगि ककसी औित को उमम
ू न महीऩे में एक मतकिा खून आता हो ल़ेककन
510. अगि ककसी औित को तीन या उसस़े ज़्यादा हदनों तक ऐसा खून आए
जर्जसमें हैज़ क़ी अलामात हों औि उसक़े िाद दस या उसस़े ज़्यादा हदनों तक ऐसा
खून आए जर्जसमें इजस्तहाज़ा क़ी अलामात हों औि उसक़े िाद दोिािा तीन हदनों
511. अगि ककसी औित का खून दस हदन स़े पहल़े रूक र्जाए औि उस़े यक़ीन
हो कक उसक़े िाततन में खूऩे हैज़ नहीं है तो उस़े चाहहय़े क़ी अपनी इिादात क़े
मलय़े गस्
ु ल कि़े अगिच़े गुमान िखती हो कक दस हदन पिू ़े होऩे स़े पहल़े दोिािा
खन
ू आ र्जाय़ेगा। ल़ेककन अगि उस़े यक़ीन हो कक दस हदन पिू ़े होऩे स़े पहल़े उस़े
दोिािा खन
ू आ र्जाय़ेगा तो र्जैस़े ियान हो चक
ु ा उस़े चाहहय़े क़ी एहततयातन गस्
ु ल
कि़े औि अपनी इिादात िर्जा लाए औि र्जो चीज़़े हाइज़ पि हिाम हैं उस़े तकक कि़े ।
इस िात का एहततमाल हो कक उसक़े िाततन में खूऩे हैज़ है तो उस़े चाहहय़े क़ी
अपनी शमकगाह में रूई िख कि कुछ द़े ि इजन्तज़ाि कि़े । ल़ेककन उस मद्
ु दत स़े कुछ
170
ज़्यादा इजन्तज़ाि कि़े र्जो आम तौि पि औितें हैज़ स़े पाक होऩे क़ी मद्
ु दत क़े
आदत दस हदन क़ी हो या अभी उसक़ी आदत क़े दस हदन तमाम न हुए हों तो
गस्
ु ल कि़े औि अगि दसवें हदन क़े खातमें पि खून आना िन्द हो या खून दस
एक हदन क़े मलय़े इिादत तकक कि़े औि औि दसवें हदन तक भी इिादत को तकक
पहल़े लगाताि खन
ू नहीं आता था वनाक आदत क़े गज़
ु िऩे क़े िाद इिादत तकक
513. अगि कोई औित चन्द हदनों को हैज़ किाि द़े औि इिादत न कि़े ल़ेककन
िाद में उस़े पता चल़े कक हैज़ नहीं था तो उस़े चाहहय़े क़ी र्जो नमाज़ें औि िोज़ें वह
उन हदनों में िर्जा नहीं लाईं उनक़ी कज़ा किा औि अगि चन्द हदन इस ख़्याल स़े
171
इिादात िर्जा लाती िही हो कक है ज़ नहीं है औि िाद में उस़े पता चल़े कक हैज़ था
तो अगि उन हदनों में उसऩे िोज़़े भी िख़े हों तो उसक़ी कज़ा किना ज़रूिी है ।
तनफ़ास
514. िच्च़े का पहला र्जुज़्व मां क़े प़ेट स़े िाहि आऩे क़े वक़्त स़े र्जो खून
औित को आए अगि वह दस हदन स़े पहल़े या दसवें हदन क़े खात्म़े पि िन्द हो
र्जाए तो वह खन
ू ़े तनफ़ास है औि तनफ़ास क़ी हालत में औित को नफ़्सा कहत़े हैं।
515. र्जो खून औित को िच्च़े का पहला र्जुज़्व िाहि आऩे स़े पहल़े आए वह
तनफ़ास नहीं है ।
खखल्कद नामक
ु म्मल हो ति भी अगि उस़े िच्चा र्जनना कहा र्जा सकता हो तो वह
खन
ू र्जो औित को दस हदन तक आए खन
ू ़े तनफ़ास है ।
इस्कात हुआ है वह िच्चा था या नहीं तो उसक़े मलय़े तहक़ीक किना ज़रूिी नहीं
औि र्जो खन
ू उस़े आए वह शिअन तनफ़ास नहीं है ।
172
519. मजस्र्जद में ठहिना औि दस
ू ि़े अफ़् आल र्जो हाइज़ पि हिाम हैं एहततयात
क़ी बिना पि नफ़्सा पि भी हिाम हैं औि र्जो कुछ हाइज़ पि वाजर्जि है वह नफ़्सा
पि भी वाजर्जि है ।
520. र्जो औित तनफ़ास क़ी हालत में हो उस़े तलाक द़े ना औि उसस़े जर्जमाअ
किना हिाम है ल़ेककन अगि उसका शौहि उसस़े जर्जमाअ कि़े तो उस पि बिला
521. र्जि औित तनफ़ास क़े खून स़े पाक हो र्जाए तो उस़े चाहहय़े कक गस्
ु ल कि़े
औि अपनी इिादात िर्जा लाए औि अगि िाद में एक या एक िाि स़े ज़्यादा खन
ू
आए तो खून आऩे वाल़े हदनों को पाक िहऩे वाल़े हदनों स़े ममलाकि अगि दस हदन
स़े कम हो तो सािा खूऩे तनफ़ास है । औि ज़रूिी है कक दिममयान में पाक िहऩे क़े
हदनों में एहततयात क़ी बिना पि र्जो काम पाक औित पि वाजर्जि है अंर्जाम द़े ,
औि र्जो काम नफ़्सा पि हिाम है उन्हें तकक कि़े औि अगि उन हदनों में कोई िोज़ा
िखा हो तो ज़रूिी है कक उनक़ी कज़ा कि़े । औि अगि िाद में आऩे वाला खन
ू दस
क़ी वह ममक़्दाि र्जो दस हदन क़े अन्दि आई है उस़े तनफ़ास औि दस हदन क़े िाद
आऩे वाल़े खून को इजस्तहाज़ा किाि द़े । औि अगि वह औित अदद क़ी आदत
िखती हो तो ज़रूिी है कक एहततयातन आदत क़े िाद आऩे वाल़े तमाम खून क़ी
173
मद्
ु दत में र्जो काम मस्
ु तहाज़ा क़े मलय़े हैं अंर्जाम द़े औि र्जो काम नफ़्सा पि हिाम
िाततन में खूऩे तनफ़ास है तो उस़े चाहहय़े क़ी कुछ रूई अपनी शमकगाह में दाखखल
कि़े औि कुछ द़े ि िाद इजन्तज़ाि कि़े किि अगि वह पाक हो तो इिादात क़े मलय़े
गस्
ु ल कि़े ।
आदत क़े िाद क़े हदन स़े औि र्जो औित आदत न िखती हो वो दसवें हदन क़े िाद
स़े िच्च़े क़ी पैदाइश क़े अट्ठािवें हदन तक इजस्तहाज़ा क़े अफ़् आल िर्जा लाए औि
524. अगि ककसी औित को जर्जसक़ी है ज़ क़ी आदत दस हदन स़े कम हो अपनी
आदत स़े ज़्यादा हदन खून आए तो उस़े चाहहय़े क़ी अपनी आदत क़े हदनों क़ी
नमाज़ तकक किना ि़ेहति है । औि अगि खून दस हदन क़े िाद भी आता िह़े तो
174
उस़े चाहहय़े कक आदत क़े हदनों क़े िाद दसवें हदन तक भी इजस्तहाज़ा किाि द़े
औि र्जो इिादात वह उन हदनों में िर्जा नहीं लाई उनक़ी कज़ा कि़े । मसलन जर्जस
औित क़ी आदत छः हदनों क़ी हो अगि उस़े छः हदन स़े ज़्यादा खन
ू आए तो उस़े
चाहहय़े क़ी छः हदनों को तनफ़ास किाि द़े औि सातवें, आठवें , नवें औि दसवें हदन
उस़े इजख़्तयाि है कक या तो इिादात तकक कि़े या इजस्तहाज़ा क़े अफ़् आल िर्जा लाए
औि अगि उस़े दस हदन स़े ज़्यादा खून आया हो तो उसक़ी आदत क़े िाद क़े हदन
525. र्जो औित हैज़ में आदत िखती हो अगि उस़े िच्चा र्जनऩे क़े िाद एक
आदत क़े हदनों क़ी तादाद क़े ििािि खूऩे तनफ़ास है औि र्जो खून तनफ़ास क़े िाद
इजस्तहाज़ा है । मसलन ऐसी औित जर्जसक़े हैज़ क़ी आदत हि महीऩे क़ी िीस
तािीख स़े सत्ताइस तािीख तक हो अगि वह महीऩे क़ी दस तािीख को िच्चा र्जऩे
हत्ताकक वह खून भी र्जो िीस तािीख स़े सत्ताइस तक उसक़ी आदत क़े हदनों में
आया है इजस्तहाज़ा होगा औि दस हदन गुज़िऩे क़े िाद र्जो खून उस़े आए अगि
वह आदत क़े हदनों में हो तो हैज़ है ख़्वाह उसमें है ज़ क़ी अलामत हो या न हों।
175
औि अगि वह खून उसक़ी आदत क़े हदनों में न आया हो तो उसक़े मलय़े ज़रूिी है
कक अपनी आदत क़े हदनों का इजन्तज़ाि कि़े अगिच़े उसक़े इजन्तज़ाि क़ी मद्
ु दत
आए उसमें हैज़ क़ी अलामात हों। औि अगि वह वक़्त क़ी आदत वाली औित न
हो औि उसक़े मलय़े मजु म्कन हो तो ज़रूिी है कक वह अपऩे हैज़ क़ी अलामत क़े
ज़रिए मअ
ु य्यन कि़े औि अगि मजु म्कन न हो र्जैसा कक तनफ़ास क़े िाद दस हदन
अलामात क़े साथ आता िह़े तो ज़रूिी है कक हि महीऩे में अपऩे कंु ि़े क़ी िाज़
औितों क़े हैज़ क़ी र्जो सिू त हो वही अपऩे मलय़े किाि द़े औि अगि यह मजु म्कन
526. र्जो औित हैज़ में अदद क़े मलहाज़ स़े आदत न िखती हो अगि उस़े िच्चा
उसक़े पहल़े दस हदनों क़े मलय़े वही हुक्म है जर्जसका जज़क्र मस ्अला 523 में हो
चक
ु ा है औि दस
ू िी दहाई में र्जो खून आए वह इजस्तहाज़ा है औि र्जो खून उसक़े
176
गस्
ु ले मसे मैतयत
चक
ु ा हो औि जर्जस़े गस्
ु ल न हदया गया हो यानी अपऩे िदन का कोई हहस्सा उसस़े
उसका िदन छुआ हो या ि़ेदािी क़े आलम में, औि ख़्वाह इिादी तौि पि छुआ हो
छुए तो उस पि गस्
ु ल वाजर्जि नहीं है ।
528. जर्जस मद
ु े का तमाम िदन ठं डा न हुआ हो उस़े छूऩे स़े गस्
ु ल वाजर्जि नहीं
530. मद
ु ाक िच्च़े को छूऩे पि हत्ता कक ऐस़े मसक्त शद
ु ा िच्च़े को छूऩे पि जर्जसक़े
मद
ु ाक िच्चा पैदा हुआ हो औि उसका िदन ठं डा हो चक
ु ा हो औि वह मां क़े ज़ाहहिी
177
ज़ाहहिी हहस्स़े को मस न कि़े ति भी मां को चाहहय़े क़ी एहततयात़े वाजर्जि क़ी
बिना पि गस्
ु ल़े मस़े मैतयत कि़े ।
531. र्जो िच्चा मां क़े मि र्जाऩे औि उसका िदन ठं डा हो र्जाऩे क़े िाद पैदा हो
532. अगि कोई शख़्स एक ऐसी मैतयत को मस कि़े जर्जस़े तीन गस्
ु ल मक
ु म्मल
तीसिा गस्
ु ल मक
ु म्मल होऩे स़े पहल़े उसक़े िदन क़े ककसी हहस्स़े को मस कि़े तो
534. अगि ककसी जज़न्दा शख़्स क़े िदन स़े या ककसी ऐस़े मद
ु े क़े िदन स़े जर्जस़े
गस्
ु ल न हदया गया हो एक हहस्सा र्जुदा हो र्जाए औि इसस़े पहल़े कक र्जुदा होऩे
178
535. एक ऐसी हड्डी क़े मस किऩे स़े जर्जस़े गस्
ु ल न हदया गया हो ख़्वाह वह
मद
ु े क़े िदन स़े र्जद
ु ा हुई हो या जज़न्दा शख़्स क़े िदन स़े गस्
ु ल वाजर्जि नहीं है ।
औि दांत ख़्वाह मद
ु े क़े िदन स़े र्जद
ु ा हुए हों या जज़न्दा शख़्स क़े िदन स़े, उनक़े
536. गस्
ु ल़े मस़े मैतयत का तिीका वही है र्जो गस्
ु ल़े र्जनाित का है ल़ेककन जर्जस
मस्
ु तहि यह है कक वज़
ु ू भी कि़े ।
मस कि़े तो एक गस्
ु ल काफ़़ी है ।
मलय़े मजस्र्जद में ठहिना औि िीवी स़े जर्जमाअ किना औि उन आयात का पढ़ना
मलय़े गस्
ु ल किना ज़रूिी है ।
मुह्तजि के अहकाम
539. र्जो मस
ु लमान मह्
ु तज़ि हो यानी र्जांकनी क़ी हालत में हो ख़्वाह मदक हो
या औित, िड़ा हो या छोटा, उस़े एहततयात क़ी बिना पि िसिू त़े इमकान पश्ु क क़े
िल यंू मलटाना चाहहय़े कक उसक़े पांव क़े तल्व़े ककबला रूख हों।
179
540. औला यह है कक र्जि तक मैतयत का गस्
ु ल मक
ु म्मल न हो उस़े भी
कक उस़े उस हालत में मलटायें जर्जस तिह उस़े नमाज़़े र्जनाज़ा पढ़ात़े वक़्त मलटात़े
हैं।
541. र्जो शख़्स र्जांकनी क़ी हालत में हो उस़े एहततयात क़ी बिना पि रूिककबला
मलटाना हि मस
ु लमान पि वाजर्जि है मलहाज़ा वह शख़्स र्जो र्जांकनी क़ी हालत में है
मलय़े उसक़े वली स़े इर्जाज़त ल़ेना ज़रूिी नहीं है । इसक़े अलावा ककसी दस
ू िी सिू त
में उसक़े वली स़े इर्जाज़त ल़ेना एहततयात क़ी बिना पि ज़रूिी है।
542. मस्
ु तहि है कक र्जो शख़्स र्जांकनी क़ी हालत में हो उसक़े सामऩे शहादतैन,
समझ ल़े। औि उसक़ी मौत क़े वक़्त तक इन चीज़ों क़ी तकिाि किना भी मस्
ु तहि
है ।
543. मस्
ु तहि है कक र्जो शख़्स र्जांकनी क़ी हालत में हो उस़े मन्
ु दरिर्जः ज़ैल
दआ
ु इस तिह सन
ु ाई र्जाए कक वह समझ ल़ेः-
180
यसीिा व यअफ़ु अतनल कसीिा इक़्िल
अन्तल अफ़ुव्वल
ु गफ़ूिो अल्लाहुम्महकमन
ू ी
फ़ इन्नका िहीमन
ु ।
544. ककसी क़ी र्जान सख़्ती स़े तनकल िही हो तो अगि उस़े तक्लीफ़ न हो तो
545. र्जो शख़्स र्जांकनी क़े आलम में हो उसक़ी आसानी क़े मलय़े (यानी इस
मक़्सद स़े कक उसक़ी र्जान आसानी स़े तनकल र्जाए) उसक़े मसिहाऩे सिू ा ए यासीन,
546. र्जो शख़्स र्जांकनी क़े आलम में हो उस़े तन्हा छोड़ना औि कोई भािी चीज़
पास ज़्यादा िातें किना, िोना औि मसफ़क औितों को छोड़ना मकरूह है।
181
मिने के बाद के अहकाम
547. मस्
ु तहि है कक मिऩे क़े िाद मैतयत क़े आंख़े औि होट िन्द कि हदय़े
र्जाएं औि उसक़ी ठोड़ी को िांध हदया र्जाए नीज़ उसक़े हाथ औि पांव सीध़े कि
हदय़े र्जाएं औि उसक़े ऊपि कपड़ा डाल हदया र्जाए। औि अगि मौत िात को वाक़े
हो तो र्जहां मौत वाक़े हुई हो वहां चचिाग र्जलाय़े (िौशनी कि द़े ) औि र्जनाज़़े में
मशिकत क़े मलय़े मोममनीन को इवत्तलाअ द़े औि मैतयत को दफ़्न किऩे में र्जल्दी
कि़े । ल़ेककन अगि उस शख़्स क़े मिऩे का यक़ीन न हो तो इजन्तज़ाि कि़े ताकक
सिू त़े हाल वाज़़ेह हो र्जाए। अलावा अज़ीं अगि मैतयत हाममला हो औि िच्चा उसक़े
प़ेट में जज़न्दा हो तो ज़रूिी है कक दफ़्न किऩे में इतना तवक़्कुफ़ किें कक उसका
पहलू चाक कि क़े िच्चा िाहि तनकाल लें औि किि उस पहलू को सी दें ।
गस्
ु ल, कफ़न, नमाज औि दफ़्न का वुज़ूब
548. ककसी मस
ु लमान का गस्
ु ल, हुनत
ू , कफ़न, नमाज़़े मैतयत औि दफ़्न ख़्वाह
अगि कोई शख़्स इन कामों को वली क़ी इर्जाज़त स़े अंर्जाम द़े तो वली पि स़े
वर्ज
ु ि ू साककत हो र्जाता है िजल्क दफ़्न औि उसक़ी मातनन्द दस
ू ि़े उमिू को कोई
शख़्स वली क़ी इर्जाज़त क़े िगैि अंर्जाम द़े ति भी वली स़े वर्ज
ु ि ू साककत हो र्जाता
182
है औि इन उमिू को दोिाि अंर्जाम द़े ऩे क़ी ज़रूित नहीं औि अगि मैतयत का कोई
वली न हो या वली उन कामों को अंर्जाम द़े ऩे स़े मनाअ कि़े ति भी िाक़ी
मक
ु ल्लफ़ लोगों पि वाजर्जि़े ककफ़ाई है कक मैतयत क़े इन कामों को अंर्जाम द़े औि
अगि िाज़ मक
ु ल्लफ़ लोगों ऩे अंर्जाम हदया तो दस
ू िों पि स़े वज़
ु ूि साककत हो
र्जाता है। चन
ु ांच़े अगि कोई भी अंर्जाम न द़े तो तमाम मक
ु ल्लफ़ लोग गुनाहगाि
होगें औि वली क़े मनअ किऩे क़ी सिू त में उसस़े इर्जाज़त ल़ेऩे क़ी शतक खत्म हो
र्जाती है ।
549. अगि कोई शख़्स तज्हीज़ो तक्फ़़ीन क़े कामों में मशगल
ू हो र्जाए तो दस
ू िों
क़े मलय़े इस िाि़े में कोई इक़्दाम किना वाजर्जि नहीं ल़ेककन अगि वह इन कामों
(मत
ु ज़जक्किा कामों क़े न होऩे का) महज़ शक या गम
ु ान हो तो ज़रूिी है कक
इक़्दाम कि़े ।
अंर्जाम द़े । ल़ेककन अगि उस़े िाततल होऩे का गुमान हो (यानी यक़ीन न हो) या
183
शक हो कक दरू
ु स्त था या नहीं तो किि इस िाि़े में कोई इक़्दाम किना ज़रूिी
नहीं।
जर्जनको मैतयत स़े मीिास ममलती है उसी तितीि स़े जर्जसका जज़क्र मीिास क़े
मख
ु ततलफ़ तबकों में आय़ेगा, दस
ू िों पि मक
ु द्दम है । मैतयत का िाप मैतयत क़े
ि़ेट़े पि, औि मैतयत का दादा उसक़े भाई पि, औि मैतयत का पदिी व मादिी भाई
उसक़े मसफ़क पदिी भाई या मादिी भाई पि, औि उसका पदिी भाई उसक़े मादिी
मसलमसल़े में एहततयात क़े (तमाम) तकाज़ों को प़ेश़े नज़ि िखना चाहहय़े।
553. नािामलग िच्चा औि दीवाना मैतयत क़े कामों को अंर्जाम द़े ऩे क़े मलय़े
वली नहीं िन सकत़े औि बिल्कुल इसी तिह वह शख़्स भी र्जो गैि हाजज़ि हो वह
554. अगि कोई शख़्स कह़े कक मैं मैतयत का वली हूाँ या मैतयत क़े वली ऩे मझ
ु ़े
184
555. अगि मिऩे वाला अपऩे गस्
ु ल, कफ़्न, दफ़्न औि नमाज़ क़े मलय़े अपऩे
हाथ में है औि यह ज़रूिी नहीं कक जर्जस शख़्स को मैतयत ऩे वसीयत क़ी हो कक
गस्
ु ले मैतयत की कैफ़ीयत
558. अगि ि़ेिी औि काफ़ूि इतनी ममक़्दाि में न ममल सकें जर्जतनी क़ी ज़रूिी है
तो एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि जर्जतनी ममक़्दाि मय
ु स्सि आए पानी में डाल
दी र्जाए।
559. अगि कोई शख़्स एहिाम क़ी हालत में मि र्जाए तो उस़े काफ़ूि क़े पानी
स़े गस्
ु ल नहीं द़े ना चाहहय़े िजल्क उसक़े िर्जाए खालीस पानी स़े गस्
ु ल द़े ना चाहहय़े
185
ल़ेककन अगि वह हज्र्ज़े तमत्तो का एहिाम हो औि वह तवाफ़ औि तवाफ़ क़ी
नमाज़ औि सई को मक
ु म्मल कि चक
ु ा हो या हज्र्ज़े ककिान या इफ़िाद क़े एहिाम
में हो औि सि मंड
ु ा चक
ु ा हो तो इन दो सिू तों में उसको काफ़ूि क़े पानी स़े गस्
ु ल
560. अगि ि़ेिी या काफ़ूि या उनमें स़े कोई एक न ममल सक़े या उसका
है कक उनमें स़े हि उस चीज़ क़े िर्जाए जर्जसका ममलना मजु म्कन न हो मैतयत को
उसका गस्
ु ल द़े ना भी काफ़़ी है । चन
ु ांच़े अगि इसना अशिी मस
ु लमान क़ी मैतयत
186
563. मस
ु लमान क़े िच्च़े को ख़्वाह वह वलदजु ज़्ज़ना ही क्यों न हो गस्
ु ल द़े ना
नहीं है। औि र्जो शख़्स िचपन स़े दीवाना हो औि दीवानगी क़ी हालत में िामलग
564. अगि एक िच्चा चाि महीऩे या उसस़े ज़्यादा का होकि साककत हो र्जाए
तो उस़े गस्
ु ल द़े ना ज़रूिी है िजल्क अगि चाि महीऩे स़े भी कम का हो ल़ेककन
है । इन दो सिू तों क़े अलावा एहततयात क़ी बिना पि उस़े कपड़़े में लप़ेट कि िगैि
गस्
ु ल हदय़े दफ़्न कि द़े ना चाहहय़े।
िीवी को गस्
ु ल द़े सकता है अगिच़े एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक िीवी अपऩे
औितें र्जो उसक़ी किाितदाि औि महिम हों मसलन मां िहन िुि़ी औि खाला या
वह औितें र्जो रिज़ाअत या तनकाह क़े सिि स़े उसक़ी महिम हो गई हों उस़े गस्
ु ल
187
द़े सकती हैं, औि इसी तिह अगि औित क़ी मैतयत को गस्
ु ल द़े ऩे क़े मलय़े कोई
568. अगि मैतयत औि गस्साल दोनों मदक हों या दोनों औित हों तो र्जाइज़ है
569. मैतयत क़ी शमकगाह पि नज़ि डालना हिाम है औि र्जो शख़्स उस़े गस्
ु ल द़े
नहीं होता।
570. अगि मैतयत क़े िदन क़े ककसी हहस्स़े पि ऐऩे नर्जासत हो तो ज़रूिी है
कक उस हहस्स़े को गस्
ु ल द़े ऩे स़े पहल़े ऐऩे नर्जासत दिू कि़े औि औला यह है कक
गस्
ु ल शरू
ू किऩे स़े पहल़े मैतयत का तमाम िदन पाक हो।
571. गस्
ु ल़े मैतयत गस्
ु ल़े र्जनाित क़ी तिह है औि एहततयात़े वाजर्जि यह है कक
गस्
ु ल़े तितीिी में भी ज़रूिी है कक दाहहनी तिफ़ को िाई तिफ़ स़े पहल़े धोया र्जाए
188
औि अगि मजु म्कन हो तो एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि िदन क़े तीनों हहस्सों
में स़े ककसी हहस्स़े को पानी में न डुिोया र्जाए िजल्क पानी उसक़े ऊपि डाला र्जाए।
572. र्जो शख़्स है ज़ या र्जनाित क़ी हालत में मि र्जाए उस़े गस्
ु ल़े है ज़ या गस्
ु ल़े
औि अगि कोई शख़्स उर्जित ल़ेऩे क़े मलय़े मैतयत को इस तिह गस्
ु ल द़े कक यह
गस्
ु ल द़े ना कस्द़े कुिकत क़े मनाफ़़ी हो तो गस्
ु ल िाततल है ल़ेककन गस्
ु ल क़े
मैतयत को एक तयम्मम
ु किाए औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक तीन तयम्मम
ु
जज़म्म़ेदािी को अंर्जाम द़े ऩे क़े मलय़े किा िहा हूं र्जो मझ
ु पि वाजर्जि है ।
ज़मीन पि माि़े औि मैतयत क़े च़ेहि़े औि हाथों क़ी पश्ु त पि ि़ेि़े औि एहततयात़े
तयम्मम
ु किाए।
189
कफ़न के अहकाम
576. मस
ु लमान मैतयत को तीन कपड़ों का कफ़न द़े ना ज़रूिी है जर्जन्हें लंग
ु ,
िदन क़े अतिाफ़ को ढांप ल़े औि ि़ेहति यह है कक सीऩे स़े पांव तक पहुंच़े औि
(कुताक या) प़ेिाहन एहततयात क़ी बिना पि ऐसा हो कक कंधों क़े मसिों स़े आधी
चादि क़ी लम्िाई इतनी होनी चाहहय़े कक पिू ़े िदन को ढांप द़े औि एहततयात यह
है कक चादि कक लम्िाई इतनी होनी चाहहय़े क़े मैतयत क़े पांव औि सि क़ी तिफ़
स़े चगिह द़े सकें औि उसक़ी चौड़ाई इतनी होनी चाहहय़े कक उसका एक ककनािा
दस
ू ि़े ककनाि़े पि आ सक़े।
578. लंग
ु क़ी इतनी ममक़्दाि र्जो नाफ़ स़े र्ट
ु नों तक क़े हहस्स़े को ढांप ल़े औि
(कुते या) पैिाहन क़ी इतनी ममक़्दाि र्जो कंध़े स़े तनस्फ़ वपन्डली तक ढांप ल़े कफ़न
क़े मलय़े वाजर्जि है औि उस ममक़्दाि स़े ज़्यादा र्जो कुछ साबिकः मस ्अल़े में िताया
579. वाजर्जि ममक़्दाि क़ी हद तक कफ़न जर्जसका जज़क्र साबिकः मस ्अल़े में हो
चक
ु ा है मैतयत क़े अस्ल माल स़े मलया र्जाता है औि ज़ाहहि यह है कक मस्
ु तहि
190
ममक़्दाि क़ी हद तक कफ़न मैतयत क़ी शान औि उफ़े आम को प़ेश़े नज़ि िखत़े
हुए मैतयत क़े अस्ल माल स़े मलया र्जाए अगिच़े एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक
वाजर्जि ममक़्दाि स़े ज़ायद कफ़न उन वारिसों क़े हहस्स़े स़े न मलया र्जाए र्जो अभी
का तअय्यन
ु ककया हो तो मस्
ु तहि कफ़न उसक़े ततहाई माल स़े मलया र्जा सकता
है ।
581. अगि मिऩे वाल़े ऩे यह वसीयत न क़ी हो कक कफ़न उसक़े ततहाई माल
भी न हों तो उनक़ी अदायगी क़े मलय़े हिचगज़ अस्ल माल स़े न लें औि बिल्कुन
क़े अस्ल माल स़े नहीं ल़ेना चाहहय़े ल़ेककन र्जो विसा िामलग है अगि वह अपऩे
191
हहस्स़े स़े ल़ेऩे क़ी इर्जाज़त दें तो जर्जस हद तक वह लोग इर्जाज़त दें उनक़े हहस्स़े
582. औित क़े कफ़न क़ी जज़म्म़ेदािी शौहि पि है ख़्वाह वह अपना माल भी
अहकाम में आय़ेगी तलाक़े िर्जई दी गई हो औि इद्दत खत्म होऩे स़े पहल़े मि
र्जाए तो शौहि क़े मलय़े ज़रूिी है कक उस़े कफ़न द़े औि अगि शौहि िामलग न हो
या दीवाना हो तो शौहि क़े वली को चाहहय़े कक उसक़े माल स़े औित को कफ़न द़े ।
584. एहततयात यह है कक कफ़न क़े तीनों कपड़ों में स़े हि एक कपड़ा इतना
िािीक न हो कक मैतयत का िदन उसक़े नीच़े स़े नज़ि आए ल़ेककन अगि इस तिह
िाज़ी न हो तो वह कफ़न उसक़े िदन स़े उताि ल़ेना चाहहय़े। ख़्वाह उसको दफ़्न
भी ककया र्जा चक
ु ा हो ल़ेककन िाज़ सिू तों में (उसक़े िदन स़े कफ़न उतािना र्जाइज़
192
586. मैतयत को नजर्जस चीज़ या खामलस ि़े शमी कपड़़े का कफ़न द़े ना (र्जाइज़
नहीं) औि एहततयात क़ी बिना पि सोऩे क़े पानी स़े काम ककय़े हुए कपड़़े का कफ़न
द़े ना (भी) र्जाइज़ नहीं ल़ेककन मर्जििू ी क़ी हालत में कोई हिर्ज नहीं है।
एहततयात क़ी बिना पि ककसी ऐस़े कपड़़े का कफ़न द़े ना र्जो ि़े शमी हो या उस
र्जानवि क़ी ऊन स़े तैयाि ककया गया हो जर्जसका गोश्त खाना हिाम हो इजख़्तयािी
हालत में र्जाइज़ नहीं है । ल़ेककन अगि कफ़न हलाल गोश्त र्जानवि क़ी खाल या
नजर्जस हो र्जाए औि अगि ऐसा किऩे स़े कफ़न ज़ाए न होता हो तो जर्जतना हहस्सा
नजर्जस हुआ है उस़े धोना या काटना ज़रूिी है ख़्वाहा मैतयत को कब्र में ही क्यों न
उतािा र्जा चक
ु ा हो। औि अगि उसका धोना या काटना मजु म्कन न हो ल़ेककन िदल
589. अगि कोई ऐसा शख़्स मि र्जाए जर्जसऩे हर्ज या उमि़े का एहिाम िांध
िखा हो तो उस दस
ू िों क़ी तिह कफ़न पहनाना ज़रूिी है औि उसका सि औि च़ेहिा
193
590. इंसान का अपनी जज़न्दगी में कफ़न, ि़ेिी औि काफ़ूि का तैयाि िखना
मस्
ु तहि है ।
हनत
़ू के अहकाम
591. गस्
ु ल द़े ऩे क़े िाद वाजर्जि है कक मैतयत को हनत
ू ककया र्जाए यानी उसक़ी
मला र्जाए कक काफ़ूि उस पि िाक़ी िह़े ख़्वाह कुछ काफ़ूि िगैि मल़े िाक़ी िच़े
औि मस्
ु तहि यह है कक मैतयत क़ी नाक पि भी काफ़ूि मला र्जाए। काफ़ूि वपसा
हुआ औि ताज़ा होना चाहहय़े औि अगि पिु ाना होऩे क़ी वर्जह स़े उसक़ी खुशिू
र्जाए। ल़ेककन दस
ू ि़े मकामात पि मलऩे में तितीि ज़रूिी नहीं है।
है ।
594. अगि कोई ऐसा शख़्स मि र्जाए जर्जसऩे हर्ज या उमि़े क़े मलय़े एहिाम िांध
194
595. ऐसी औित जर्जसका शौहि मि गया हो औि अभी इद्दत िाक़ी हो अगिच़े
खश
ु िू लगाना उसक़े मलय़े हिाम है ल़ेककन अगि वह मि र्जाए तो उस़े हनत
ू किना
वाजर्जि है ।
खुशिय
ू ें न लगाई र्जायें औि उन्हें काफ़ूि क़े साथ भी न ममलाया र्जाए।
597. मस्
ु तहि है कक सैतयदश्ु शह
ु दा इमाम हुसन
ै (अ0) क़ी कब्ऱे मि
ु ािक क़ी
ममट्टी (खाक़े मशफ़ा) क़ी कुछ ममक़्दाि काफ़ूि में ममला ली र्जाए ल़ेककन उस काफ़ूि
को ऐस़े मकामात पि नहीं लगाना चाहहय़े र्जहां लगाऩे स़े खाक़े मशफ़ा क़ी ि़े हुमत
क ी
599. मस्
ु तहि है कक (दिख्त क़ी) दो तिोताज़ा टहतनयां मैतयत क़े साथ कब्र में
िखी र्जायें।
195
नमाजे मैतयत के अहकाम
600. हि मस
ु लमान क़ी मैतयत पि औि ऐस़े िच्च़े क़ी मैतयत पि र्जो इस्लाम क़े
601. एक ऐस़े िच्च़े क़ी मैतयत पि र्जो छः साल का न हुआ हो ल़ेककन नमाज़
नमाज़ को न र्जानता हो तो िर्जाअ क़ी नीयत स़े नमाज़ पढ़ऩे में कोई हिर्ज नहीं
औि वह िच्चा र्जो मद
ु ाक पैदा हुआ हो उसक़ी मैतयत पि नमाज़ पढ़ना वाजर्जि नहीं
है ।
िाद पढ़नी चाहहय़े औि अगि इन उमिू स़े पहल़े या उनक़े दिममयान पढ़ी र्जाए तो
काफ़़ी नहीं है ।
603. र्जो शख़्स मैतयत क़ी नमाज़ पढ़नी चाह़े उसक़े मलय़े ज़रूिी नहीं कक उसऩे
वज़
ु ,ू गस्
ु ल या तयम्मम
ु कि िखा हो औि उसका िदन औि मलिास पाक हो औि
604. र्जो शख़्स नमाज़़े मैतयत पढ़ िहा हो उस़े चाहहय़े कक रू ि-ककबला हो औि
यह भी वाजर्जि है कक मैतयत को नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े सामऩे पश्ु त क़े िल यंू
196
मलटाया र्जाए कक मैतयत का सि नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े दाईं तिफ़ हो औि पांव िाई
तिफ़ हों।
हिर्ज नहीं।
606. नमाज़ पढ़ऩे वाल़े को चाहहय़े कक मैतयत स़े दिू न हो ल़ेककन र्जो शख़्स
नमाज़़े मैतयत िा र्जमाअत पढ़ िहा हो अगि वह मैतयत स़े दिू हो र्जिकक सफ़़े
िाहम मत्त
ु मसल हों तो कोई हिर्ज नहीं।
607. नमाज़ पढ़ऩे वाल़े को चाहहय़े कक मैतयत क़े सामऩे खड़ा हो ल़ेककन अगि
नमाज़ िा र्जमाअत पढ़ी र्जाए औि र्जमाअत क़ी सफ़ मैतयत क़े दोनों तिफ़ स़े
गुज़ि र्जाए तो उन दोनों क़ी नमाज़ में र्जो मैतयत क़े सामऩे न हों कोई इशकाल
नहीं है।
608. एहततयात क़ी बिना पि मैतयत औि नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े दिममयान पदाक
या दीवाि या कोई औि ऐसी चीज़ हाइल नहीं होनी चाहहय़े ल़ेककन अगि मैतयत
ताित
ू में या ऐसी ही ककसी औि चीज़ में िखी हो तो कोई हिर्ज नहीं।
197
609. नमाज़ पढ़त़े वक़्त ज़रूिी है कक मैतयत क़ी शमकगाह ढक़ी हुई हो। औि
610. नमाज़ मैतयत खड़़े होकि औि कुिकत क़ी नीयत स़े पढ़नी चाहहय़े औि
611. अगि कोई शख़्स खड़़े होकि नमाज़़े मैतयत न पढ़ सकता हो तो िैठ कि
पढ़ ल़े।
हामसल कि़े ।
613. मैतयत पि कई दफ़ा नमाज़ पढ़ना मकरूह है ल़ेककन अगि मैतयत ककसी
क़ी बिना पि िगैि नमाज़ पढ़़े दफ़्त कि हदया र्जाए या दफ़्न कि द़े ऩे क़े िाद पता
पढ़ऩे क़े मलय़े उसक़ी कब्र को खोलना र्जाइज़ नहीं ल़ेककन र्जि तक उसका िदन
पाश पाश न हो र्जाए औि जर्जन शिाइत का नमाज़़े मैतयत क़े मसलमसल़े में जज़क्र
198
आ चक
ु ा है उनक़े साथ िर्जाअ क़ी स़े उसक़ी कब्र पि नमाज़ पढ़ऩे में कोई हिर्ज
नहीं है।
615. मैतयत क़ी नमाज़ में पांच तक्िीि़े हैं औि अगि नमाज़ पढ़ऩे वाला शख़्स
मन्
ु दरिर्जए ज़ैल तितीि क़े साथ पांच तक्िीिें कह़े तो काफ़़ी है ।
औि दस
ू िी तक्िीि क़े िाद कह़े ः
199
औि अगि मैतयत औित हो तो कह़े –
औि दस
ू िी तक्िीि क़े िाद कह़े ः अल्लाहुम्मा स्वल्ल़े अला मोहम्महदंव व आल़े
मस
ु ल
क ीना वश्शह
ु दाए वजस्सद्दीक़ीना व र्जमीए इिाहदल्लाहहस स्वाल़ेहीना।
वल मजु स्लमीना वल मस
ु मलमात़े अलअहयाए ममनहुम वल अम्वात़े ताि़ेए िैनना व
200
औि अगि मैतयत मदक हो तो चौथी तक्िीि क़े िाद कह़े ः
अन्ता खैिो मज़मू लम बिही, अल्लाहुम्मा इन्ना ला नअलमो ममन्हो इल्ला खैिा व
अन्ता अअलमो बिही ममन्ना अल्लाहुम्मा इनकाना मोजह्सन्न फ़जज़द फ़़ी एह्साऩेही
व इनकाना मस
ु ीअन फ़तर्जावज़ अन्हो वजग़्जफ़ि लहू अल्लाहुम्मर्ज अल्हो अन्दका फ़़ी
अहकमिाकहहमीना। उसक़े िाद पांचवी तक्िीि पढ़़े ः – ल़ेककन अगि मैतयत औित हो तो
वबनतो अमततका नज़लत बिका व अन्ता खैिो मंजज़लम बिही अल्लाहुम्मा इन्ना ला
नअलमो ममन्हा इल्ला खैिा व अन्ता अअलमो बिहा ममन्ना अल्लाहुम्मा इन कानत
616. तक्िीिें औि दआ
ु यें (तसलसल
ु क़े साथ) यक़े िाद दीगि़े इस तिह पढ़नी
201
617. र्जो शख़्स मैतयत क़ी नमाज़ िा र्जमाअत पढ़ िहा हो ख़्वाह वह मक्
ु तदी ही
सक़ेगा।
2. अगि मैतयत मदक हो तो इमाम या र्जो शख़्स अक़ेला मैतयत पि नमाज़ पढ़
िहा हो मैतयत क़े मशकम क़े सामऩे खड़ा हो औि अगि मैतयत औित हो तो उसक़े
7. इमाम तक्िीिें औि दआ
ु यें िलन्द आवाज़ स़े पढ़़े औि मक़्
ु तदी आहहस्ता पढ़ें ।
202
8. नमाज़़े ि र्जमाअत में मक़्
ु तदी ख़्वाह एक ही शख़्स क्यों न हो इमाम क़े पीछ़े
खड़ा हो।
11. नमाज़ ऐसी र्जगह पढ़ी र्जाए र्जहां नमाज़़े मैतयत क़े मलय़े लोग जज़यादाति
र्जात़े हों।
12. अगि हाइज़ नमाज़़े मैतयत र्जमाअत क़े साथ पढ़़े तो अक़ेली खड़ी हो औि
दफ़्न के अहकाम
620. मैतयत को इस तिह ज़मीन में दफ़्न किना वाजर्जि है कक उसक़ी िू िाहि
खौफ़ हो कक दरिन्द़े उसका िदन िाहि तनकाल लेंग़े तो कब्र को ईटों वगैिा स़े
पख़्
ु ता कि द़े ना चाहहय़े।
621. अगि मैतयत को ज़मीन में दफ़्न किना मजु म्कन न हो तो दफ़्न किऩे क़े
203
622. मैतयत को कब्र में दायें पहलू इस तिह मलटाना चाहहय़े क़े उसक़े िदन का
623. अगि कोई शख़्स कश्ती में मि र्जाए औि उसक़ी मैतयत क़े खिाि होऩे का
इम्कान न हो औि उस़े कश्ती में िखऩे में भी कोई अम्र माऩे न हो तो लोगों को
चाहहय़े कक इजन्तज़ाि किें ताकक खश्ु क़ी तक पहुंच र्जायें औि उस़े ज़मीन में दफ़्न
औि नमाज़़े मैतयत पढ़ऩे क़े िाद उस़े चटाई में िख कि उसका मंह
ु िन्द कि दें
औि समंद
ु ि में डाल दें या कोई भािी चीज़ उसक़े पांव में िांधकि समंद
ु ि में डाल दें
औि र्जहां तक मजु म्कन हो उस़े ऐसी र्जगह नहीं चगिाना चाहहय़े र्जहां र्जानवि उस़े
फ़ौिन लक़्
ु मा िना लें।
हो तो उसक़े अखिार्जात मैतयत क़े अस्ल माल स़े ल़े सकत़े हैं।
626. अगि कोई काकफ़ि औित मि र्जाए औि उसक़े प़ेट में मिा हुआ िच्चा हो
औि उस िच्च़े का िाप मस
ु लमान हो तो उस औित को कब्र में िायें पहलू ककबल़े
204
क़ी तिफ़ पीठ किक़े मलटाना चाहहय़े ताकक िच्च़े का मंह
ु ककबल़े क़ी तिफ़ हो औि
मस्
ु तहि क़ी बिना पि यही हुक्म है।
627. मस
ु लमान को काकफ़िों क़े कबब्रस्तान में दफ़्न किना औि काकफ़ि को
मस
ु लमानों क़े कबब्रस्तान में दफ़्न किना र्जाइज़ नहीं है ।
628. मस
ु लमान को ऐसी र्जगह र्जहां उसक़ी ि़े हुमत
क ी होती हो मसलन र्जहां कूड़ा
629. मैतयत को गस्िी ज़मीन में या ऐसी ज़मीन में र्जो दफ़्न क़े अलावा ककसी
दस
ू ि़े मक्सद मसलन मजस्र्जद क़े मलय़े वक़्फ़ हो दफ़्न किना र्जाइज़ नहीं है ।
किना र्जाइज़ नहीं ल़ेककन अगि कब्र पिु ानी हो गई हो औि पहली मैतयत का
हों उस़े उसक़े साथ ही दफ़्न किना द़े ना चाहहय़े औि अगि र्जद
ु ा होऩे वाली चीज़ें
अगिच़े वह दांत, नाखुन या िाल ही क्यों न हों मैतयत को दफ़्नाऩे क़े िाद ममलें
औि र्जो नाखुन औि दांत इंसान क़ी जज़न्दगी में ही उसस़े र्जुदा हो र्जायें उन्हें दफ़्न
किना मस्
ु तहि है।
205
632. अगि कोई शख़्स कुयें में मि र्जाए औि उस़े िाहि तनकालना मजु म्कन न
दें ।
633. अगि कोई िच्चा मां क़े प़ेट में मि र्जाए औि उसका मां क़े प़ेट में िहना
मां क़ी जज़न्दगी क़े मलय़े खतिनाक हो तो चाहहय़े क़ी उस़े आसान तिीक़े स़े िाहि
तनकालें। चन
ु ांच़े अगि उस़े टुकड़़े टुकड़़े किऩे पि भी मर्जििू हो तो ऐसा किऩे में
कोई हिर्ज नहीं ल़ेककन चाहहय़े क़ी अगि उस औित का शौहि अहल़े फ़न हो तो
िच्च़े को उसक़े ज़रिय़े िाहि तनकालें औि अगि यह मजु म्कन न हो तो अहल़े फ़न
औित क़े ज़रिय़े स़े तनकालें औि अगि यह मजु म्कन हो तो ऐस़े महिम मदक क़े
मदक र्जो अहल़े फ़न हो िच्च़े को िाहि तनकाल़े औि अगि कोई ऐसा शख़्स भी
सकता है।
634. अगि मां मि र्जाए औि िच्चा उसक़े प़ेट में जज़न्दा हो अगिच़े उस िच्च़े
र्जो िच्च़े क़ी सलामती क़े मलय़े ि़ेहति है औि िच्च़े को िाहि तनकालें औि किि
206
दफ़्न के मुस्तहब्बात
635. मस्
ु तहि है कक मत
ु अजल्लका अश्खास कब्र को एक मत
ु वजस्सत इंसान क़े
कद क़े लगभग खोदें औि मैतयत को नज़दीक तिीन कबब्रस्तान में दफ़्न किें
मामसवा इसक़े कक र्जो कबब्रस्तान दिू हो वह ककसी वर्जह स़े ि़ेहति हो मसलन वहां
ऩेक लोग दफ़्न ककय़े गयें हों या ज़्यादा लोग वहां फ़ाततहा पढ़ऩे र्जात़े हों। यह भी
मस्
ु तहि है कक र्जनाज़ा कब्र स़े चन्द गज़ दिू ज़मीन पि िख दें औि तीन दफ़् आ
कि क़े थोड़ा थोड़ा कब्र क़े नज़दीक ल़े र्जायें औि हि दफ़् आ ज़मीन पि िखें औि
किि उठायें औि चौथी दफ़् आ कब्र म़े उताि दें औि अगि मैतयत मदक हो तो तीसिी
दफ़् आ ज़मीन पि इस तिह िखें कक उसका सि कब्र क़ी तनचली तिफ़ हों औि
चौथी दफ़् आ सि क़ी तिफ़ स़े कब्र में उताि दें औि कब्र में उताि त़े वक़्त एक
ताित
ू स़े तनकालें औि कब्र में दाखखल किें औि वह दआ
ु यें पढ़ें जर्जन्हें पढ़ऩे क़े
मलय़े कहा गया है दफ़्न किऩे स़े पहल़े औि दफ़्न कित़े वक़्त पढ़ें औि मैतयत को
कब्र में िखऩे क़े िाद उसक़े कफ़न क़ी चगिहें खोल दें औि उसका रूख़्साि ज़मीन
पि िख दें औि उसक़े सि क़े नीच़े ममट्टी का तककया िना दें औि उसक़ी पीठ क़े
पीछ़े कच्ची ईटें या ढ़े ल़े िख दें ताकक मैतयत चचत न हो र्जाए औि इसस़े प़ेशति
कक कब्र िन्द किें दायां हाथ मैतयत क़े दायें कंध़े पि मािें औि िायां हाथ ज़ोि स़े
207
स़े हिकत दें औि तीन दफ़् आ कहें – इस्मअ इफ़हम या फ़ुलानबना फ़ुलातनन। औि
फ़ुलां इबऩे फ़ुलां क़ी र्जगह मैतयत औि उसक़े िाप का नाम लें। मसलन अगि
मैतयत का नाम मस
ू ा औि उसक़े िाप का नाम इमिान हो तो तीन दफ़् आ कह़े ः
अलल अहहदल लज़ी फ़ािक़्तना अलैह़े ममन शहादत़े अंल्ला इलाहा इल्लल्लाहो
िसल
ू ह
ु ू व सैतयदन
ु निीयीना व खातमल
ु मस
ु ल
क ीना व अन्ना अलीयन अमीरूल
मोममनीना व सैतयदल
ु वसीयीना व इमामतु नफ़्तिज़ल्लाहो तातहू अलल आलमीना व
र्जाअफ़िबना मोहम्महदन व मस
ू ाबना र्जाअफ़ि व अलीतयबऩे मस
ू ा व मोहम्मदबना
फ़ुलां इबऩे फ़ुलां क़ी िर्जाय मैतयत का औि उसक़े िाप का नाम लें औि किि कहें )
208
दीनी वल कुिआनो ककतािी वल कअितो ककबलती व अमीरूल मोममनीना अलीयबु नो
फ़ुलां इबऩे फ़ुलां क़ी िर्जाय मैतयत का औि उसक़े िाप का नाम लें औि किि कहें )
व आल़ेही ऩेअमिक सल
ू ो व अन्ना अलीयबना अिी तामलबिन व औलादहुल
मअसम
ू ीनल अइम्मतइल इसनय अशिा ऩेअमल अइम्मतो व अन्ना मा र्जाअ ि़ेही
मोहम्मदन
ु सल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही हक़्कुन व अन्नल मौता हक़्कुन व सव
ु ाला
मन्
ु करिंव व नक़ीरिन कफ़ल कब्ऱे हक़्कुन वल िअसा हक़्कुन वन्नश
ु िू ा हक़्कुन
यि ्असो मन कफ़ल कुििू ़े । (कफ़ि कहें ) अजफ़्हम्ता या फ़ुलानों (फ़ुला क़े िर्जाय मैतयत
209
इला मसिाततम्मस्
ु तक़ीममन अिक फ़ल्लाहो िैनका व िैना औमलयाइका फ़़ी मस्
ु तकरिक म
636. मस्
ु तहि है कक र्जो शख़्स मैतयत को कब्र में उताि़े वह िा तहाित, ििहना
सि औि ििहना पा हो औि मैतयत क़ी पांयती क़ी तिफ़ स़े कब्र स़े िाहि तनकल़े
औि मैतयत क़े अज़ीज़़े अकििा क़े अलावा र्जो लोग मौर्जूद हों वह हाथ क़ी पश्ु त स़े
कब्र पि ममट्टी डालें औि इन्ना मलल्लाह़े व इन्नाइलैह़े िार्ज़ेऊन पढ़ें । अगि मैतयत
औित हो तो उसका महिम उस़े कब्र में उताि़े औि अगि महिम न हो तो उसक़े
637. मस्
ु तहि है कक कब्र मिु बिअ या मस्
ु ततील िनाई र्जाए औि ज़मीन स़े
र्जाए ताकक पहचानऩे में गलती न हो औि कब्र पि पानी तछड़का र्जाए औि पानी
कि सात दफ़् अ सिू ा ए कर पढ़़े औि मैतयत क़े मलय़े मजग़्जफ़ित तलि किें औि यह
दआ
ु पढ़़े ः अल्लाहुम्मा ज़ाकफ़ल अिज़़े अन र्जंिह
ै ़े व अस ्इद इलैका रूहहू मन
मसवाका।
210
638. मस्
ु तहि है कक र्जो लोग र्जनाज़़े क़ी मश
ु ायअत क़े मलय़े आए हों उनक़े चल़े
र्जाऩे क़े िाद मैतयत का वली या वह शख़्स जर्जस़े वली इर्जाज़त द़े मैतयत को उन
दआ
ु ओं क़ी तल्क़ीन कि़े र्जो िताई गई हैं।
र्जाए तो पस
ु ाक न द़े ना ि़ेहति है । यह भी मस्
ु तहि है कक मैतयत क़े अहल़े खाना क़े
मलय़े तीन हदन तक खाना भ़ेर्जा र्जाए। उनक़े पास िैठकि औि उनक़े र्ि में खाना
मकरूह है।
640. मस्
ु तहि है कक इंसान अज़ीज़ अकििा क़ी मौत पि खुसस
ू ि़ेट़े क़ी मौत
पढ़़े औि मैतयत क़े मलय़े कुिआन ख़्वानी कि़े औि मां िाप क़ी कब्रों पि र्जाकि
641. ककसी क़ी मौत पि भी इंसान क़े मलय़े एहततयात क़ी बिना पि र्जाइज़ नहीं
कक अपना च़ेहिा औि िदन ज़ख़्मी कि़े औि अपऩे िाल नोच़े ल़ेककन सि औि च़ेहि़े
211
642. िाप औि भाई क़े अलावा ककसी क़ी मौत पि गि़े िान चाक किना
643. अगि औित मैतयत क़े सोग में अपना च़ेहिा ज़ख़्मी कि क़े खून आलद
ू
दस फ़क़ीिों को खाना खखलाए या उन्हें कपड़़े पहनाए औि अगि मदक अपनी िीवी
या फ़ज़कन्द क़ी मौत पि अपना गि़े िान या मलिास िाड़़े तो उसक़े मलय़े भी यही
हुक्म है ।
र्जाए।
212
नमाजे वह्शत
645. मन
ु ामसि है कक मैतयत क़े दफ़्न क़े िाद पहली िात को उसक़े मलय़े दो
में सिू ा ए अलहम्द क़े िाद दस दफ़् अ सिू ा ए कर पढ़ा र्जाए औि सलाम़े नमाज़ क़े
िाद कहा र्जाएः- अल्लाहुम्मा स्वल्ल़े अला मोहम्महदंव व आल़े मोहम्महदंव वि ्अस
सवािहा इलाकब्ऱे िुलातनन। औि लफ़्ज़़े फ़ुलां क़ी िर्जाए मैतयत का नाम मलया
र्जाए।
646. नमाज़़े वह्शत मैतयत क़े दफ़्न क़े िाद पहली िात को ककसी वक़्त भी पढ़ी
र्जा सकती है ल़ेककन ि़ेह्ति यह है कक अव्वल़े शि में नमाज़़े इशा क़े िाद पढ़ी
र्जाए।
647. अगि मैतयत को ककसी दिू क़े शहि में ल़े र्जाना मक़्सद
ू हो या ककसी औि
वर्जह स़े उसक़े दफ़्न में ताखीि हो र्जाए तो नमाज़़े वह्शत को उस साबिका तिीक़े
क़े मत
ु ाबिक दफ़्न क़ी पहली िात तक मल्
ु तवी कि द़े ना चाहहय़े।
213
नब्शे कब्र
648. ककसी मस
ु लमान का नबश़े कब्र यानी उस कब्र का खोलना ख़्वाह वह
िच्चा या दीवाना ही क्यों न हो हिाम है हां अगि उसका िदन ममट्टी क़े साथ
ममलकि ममट्टी हो चक
ु ा हो तो किि कोई हिर्ज नहीं।
649. इमाम ज़ादों, शहीदों, आमलमों औि स्वाल़ेह लोगों क़ी कब्रों को उर्जाड़ना
650. चन्द सिू तें ऐसी हैं जर्जनमें कब्र का खोदना हिाम नहीं हैः
1. र्जि मैतयत को गस्िी ज़मीन में दफ़्न ककया गया हो औि ज़मीन का मामलक
2. र्जि कफ़न या कोई औि चीज़ र्जो मैतयत क़े साथ दफ़्न क़ी गई हो गस्िी हो
खुद मैतयत क़े माल में स़े कोई चीज़ र्जो उसक़े वारिसों को ममली हो उसक़े साथ
िह़े तो उसक़ी भी यही सिू त है। अलित्ता अगि मिऩे वाल़े ऩे वसीयत क़ी हो कक
दआ
ु या कुिआऩे मर्जीद या अंगूठ उसक़े साथ दफ़्न क़ी र्जाए औि उसक़ी वसीयत
214
पि अमल ककया गया हो तो उन चीज़ों को तनकालऩे क़े मलय़े कब्र को नहीं खोला
र्जा सकता। इसी तिह उन िाज़ सिू तों में भी र्जि ज़मीन या कफ़न में स़े कोई एक
चीज़ गस्िी हो या कोई औि गस्िी चीज़ मैतयत क़े साथ दफ़्न हो गई हो तो कब्र
को नहीं खोला र्जा सकता ल़ेककन यहा उन तमाम सिू तों क़ी तफ़्सील ियान किऩे
िगैि गस्
ु ल हदय़े या िगैि कफ़न पहनाए दफ़्न ककया गया हो या पता चल़े कक
मैतयत का गस्
ु ल िाततल था या उस़े शिई अहकाम क़े मत
ु ाबिक कफ़न नहीं हदया
गया था या कब्र में ककबल़े क़े रूख पि नहीं मलटाया गया था।
4. र्जि कोई ऐसा हक साबित किऩे क़े मलय़े र्जो नबश़े कब्र स़े अहम हो मैतयत
5. र्जि मैतयत को ऐसी र्जगह पि दफ़्न ककया गया हो र्जहां उसक़ी ि़े हुमत
क ी
होती हो मसलन उस़े काकफ़िों क़े कबब्रस्तान में या उस र्जगह दफ़्न ककया गया हो
6. र्जि ककसी ऐस़े शिई मक़्सद क़े मलय़े कब्र खोदी र्जाए जर्जसक़ी अहम्मीयत
कब्र खोलऩे स़े ज़्यादा हो मसलन ककसी जज़न्दा िच्च़े को ऐसी हाममला औित क़े
215
7. र्जि यह खौफ़ हो कक दरिन्दा मैतयत को चीि िाड़ डाल़ेगा या सैलाि उस़े िहा
तिफ़ मन्
ु तककल ककया र्जाए औि ल़े र्जात़े वक़्त उसक़ी ि़े हुमत
क ी भी न होती हो
ल़ेककन र्जान िझ
ू कि या भल
ू ़े स़े ककसी दस
ू िी र्जगह दफ़्ना हदया गया हो तो ि़े
हुमत
क ी न होऩे क़ी सिू त में कब्र खोलकि उस़े मक
ु द्दस मकामात क़ी तिफ़ ल़े र्जा
सकत़े हैं।
मस्
ु तहब गस्
ु ल
कुछ यह है ः
1. गस्
ु ल़े र्जम
ु ा- इसका वक़्त सबु ह क़ी अज़ान क़े िाद स़े सिू र्ज गरू
ु ि होऩे तक है
औि ि़ेहति यह है कक ज़ोहि क़े किीि िर्जा लाया र्जाए (औि अगि कोई शख़्स उस़े
ज़ोहि तक अंर्जाम न द़े तो ि़ेहति है कक अदा औि कज़ा क़ी तनयत ककय़े िगैि
गरू
ु ि़े आफ़ताि तक िर्जा लाए) औि अगि र्जुमा क़े हदन गस्
ु ल न कि़े तो मस्
ु तहि
र्जम
ु अिात क़े हदन गस्
ु ल अंर्जाम द़े सकता है औि मस्
ु तहि है कक इंसान गस्
ु ल़े र्जम
ु ा
216
कित़े वक़्त यह दआ
ु पढ़़े ः अश्हदों अंल्लाइलाहा इल्लल्लाहो वह्दहू ला शिीका लहू व
8-9. ईदल
ु फ़ुत्र औि ईद़े कुिाकन क़े हदन का गस्
ु ल – इसका वक़्त सबु ह क़ी
कि मलया र्जाए।
15. मक्कए मक
ु माक में दाखखल होऩे का गस्
ु ल।
217
19. िाल मंड
ू ऩे क़े मलय़े गस्
ु ल।
21. मदीना ए मन
ु व्विा में दाखखल होऩे का गस्
ु ल।
िातों का गस्
ु ल औि उसक़ी तीसवीं िात क़े आखखिी हहस्स़े में दस
ू िा गस्
ु ल।
218
4. उस औित का गस्
ु ल जर्जसऩे अपऩे शौहि क़े अलावा ककसी औि क़े मलय़े खश्ु िू
5. उस शख़्स का गस्
ु ल र्जो मस्ती हालत में सो गया हो।
6. उस शख़्स का गस्
ु ल र्जो ककसी सल
ू ी चढ़़े हुए इंसान को द़े खऩे गया हो औि
उस़े द़े खा भी हो ल़ेककन अगि इवत्तफ़ाकन मर्जििू ी क़ी हालत में नज़ि गई हो या
653. उन मस्
ु तहि गस्
ु लों क़े साथ जर्जनका जज़क्र मसअला 651 में ककया गया है
इंसान ऐस़े काम मसलन नमाज़ अंर्जाम द़े सकता है जर्जनक़े मलय़े वज़
ु ू लाजज़म है
(यानी वज़
ु ू किना ज़रूिी नहीं है ) ल़ेककन र्जो गस्
ु ल ितौि़े िर्जाअ ककय़े र्जायें वह वज़
ु ू
तयम्मुम
219
तयम्मम
ु की पहली सि़ू त
वज़
ु ू या गस्
ु ल क़े मलय़े ज़रूिी ममक़्दाि में पानी किना मह
ु ै या किना मजु म्कन न
हो।
मह
ु ै या किऩे क़े मलय़े इतनी र्जुस्तर्जी कि़े कक बिल आखखि उसक़े ममलऩे स़े न
ठहिऩे क़ी र्जगहों में या उसक़े आस पास वाली र्जगहों में पानी तलाश कि़े औि
क़ी वर्जह स़े िाह चलना दश्ु वाि हो तो चािो अतिाफ़ में स़े हि तिफ़ पिु ाऩे ज़माऩे
में कमान क़े चचल्ल़े पि चढ़ा कि िेंक़े र्जाऩे वाल़े तीि क़ी पवाकज़ क़े फ़ामसल़े क़े
ििािि पानी क़ी तलाश में र्जाए। वनाक हि तिफ़ अन्दाज़न दो िाि िेंक़े र्जाऩे वाल़े
656. अगि चाि अत्राफ़ में स़े िाज़ हमवाि औि िाज़ ना हमवाि हों तो र्जो
तिफ़ हमवाि हों उसमें दो तीिों क़ी पवाकज़ 1 (मर्जमलसीय़े अव्वल कुद्समसिक हू ऩे
मन ला यह्ज़रू
ु हुल फ़क़ीह क़ी शहक में तीि क़े पवाकज़ क़ी ममक़्दाि दो सौ कदम
मअ
ु य्यन फ़िमाई है।) क़े ििािि औि र्जो तिफ़ ना हमवाि हो उसमें एक तीि क़ी
220
657. जर्जस तिफ़ पानी क़े न होऩे का यक़ीन हो उस तिफ़ तलाश किना ज़रूिी
नहीं।
658. अगि ककसी शख़्स क़ी नमाज़ का वक़्त तंग न हो औि पानी हामसल किऩे
क़े मलय़े उसक़े पास वक़्त हो औि उस़े यक़ीन या इत्मीनान हो कक जर्जस फ़ामसल़े
तक उसक़े मलय़े पानी तलाश किना ज़रूिी है उस स़े दिू पानी मौर्जूद है तो उस़े
चाहहय़े कक पानी हामसल किऩे क़े मलय़े वहां र्जाए ल़ेककन अगि वहां र्जाना मशक़्कत
का िाइस हो या पानी िहुत ज़्यादा दिू हो कक लोग यह कहें कक उसक़े पास पानी
659. यह ज़रूिी नहीं कक इंसान खुद पानी क़ी तलाश में र्जाए िजल्क वह ककसी
सिू त में अगि एक शख़्स कई अश्खास क़ी तिफ़ स़े र्जाए तो काफ़़ी है ।
660. अगि इस िात का एहततमाल हो कक ककसी शख़्स क़े मलय़े अपऩे सफ़ि क़े
सामान में या पड़ाव डालऩे क़ी र्जगह पि या काकफ़ल़े में पानी मौर्जद
ू है तो ज़रूिी
उसक़े हुसल
ू स़े ना उम्मीद हो र्जाए।
221
661. अगि एक शख़्स नमाज़ क़े वक़्त स़े पहल़े पानी तलाश कि़े औि हामसल
न कि पाए औि नमाज़ क़े वक़्त तक उसी र्जगह िह़े तो अगि पानी ममलऩे का
662. अगि नमाज़ का वक़्त दाखखल होऩे क़े िाद तलाश कि़े औि पानी हामसल
न कि पाए औि िाद वाली नमाज़ क़े वक़्त तक उसी र्जगह िह़े तो अगि पानी
में र्जाए।
663. अगि ककसी शख़्स क़ी नमाज़ का वक़्त तंग हो या उस़े चोि, डाकू औि
664. अगि कोई शख़्स पानी क़ी तलाश न कि़े हत्ता क़ी नमाज़ का वक़्त तंग हो
र्जाए औि पानी तलाश किऩे क़ी सिू त में पानी ममल सकता था तो वह गुनाह का
मत
ु कक कि हुआ ल़ेककन तयम्मम
ु क़े साथ उसक़ी नमाज़ सहीह है ।
665. अगि कोई शख़्स इस यक़ीन क़ी बिना पि पानी क़ी तलाश में न र्जाए कक
पता चल़े कक अगि तलाश किता तो पानी ममल सकता था तो एहततयात़े लाजज़म
222
666. अगि ककसी शख़्स को तलाश किऩे पि पानी न ममल़े औि ममलऩे स़े
मायस
ू होकि तयम्मम
ु क़े साथ नमाज़ पढ़ ल़े औि नमाज़ क़े िाद उस़े पता चल़े
गुज़िऩे स़े पहल़े उस़े पता चल़े कक पानी तलाश किऩे क़े मलय़े उसक़े पास वक़्त था
668. अगि नमाज़ का वक़्त दाखखल होऩे क़े िाद ककसी शख़्स का वज़
ु ू िाक़ी हो
औि उस़े मालम
ू हो कक अगि उसऩे अपना वज़
ु ू िाततल कि हदया तो दोिािा वज़
ु ू
वह अपना वज़
ु ू ििकिाि िख सकता हो तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना उस़े चाहहय़े
कक उस़े िाततल न कि़े ल़ेककन अगि ऐसा शख़्स यह र्जानत़े हुए भी कक गस्
ु ल न
मह
ु ै या किना उसक़े मलय़े मजु म्कन न होगा तो इस सिू त में अगि वह अपना वज़
ु ू
223
670. र्जि ककसी क़े पास फ़कत गस्
ु ल या वज़
ु ू क़े मलय़े पानी हो औि वह र्जानता
हो कक उस़े चगिा द़े ऩे क़ी सिू त में मज़ीद पानी नहीं ममल सक़ेगा तो अगि नमाज़
671. अगि कोई शख़्स यह र्जानत़े हुए कक उस़े पानी न ममल सक़ेगा, नमाज़ का
उस़े चगिा द़े तो अगि च़े उसऩे (हुक्म़े मस ्अला क़े) िह अक्स काम ककया है,
तयम्मम
ु क़े साथ उसक़ी नमाज़ सहीह होगी ल़ेककन एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक
तयम्मुम की दस
़ू िी स़ूित
वगैिा क़े खौफ़ स़े या कुयें स़े पानी तनकालऩे क़े वसाइल मय
ु स्सि न होऩे क़ी वर्जह
मह
ु ै या किऩे या इस्त़ेमाल किऩे में उस़े इतनी तक्लीफ़ उठानी पड़़े र्जो नाकाबिल़े
िदाकश्त हो तो उस सिू त में भी यही हुक्म है । ल़ेककन आखखिी सिू त में अगि
तयम्मम
ु न कि़े औि वज़
ु ू कि़े तो उसका वज़
ु ू सहीह होगा।
224
673. अगि कुयें स़े पानी तनकालऩे क़े मलय़े डोल औि िस्सी वगैिा ज़रूिी हो
औि मत
ु अजल्लका शख़्स मर्जििू हो कक उन्हें खिीद़े या ककिाए पि हामसल कि़े तो
उन्हें हामसल कि़े । औि अगि पानी अपनी असली क़ीमत स़े मंहगा ि़ेचा र्जा िहा हो
तो उसक़े मलय़े भी यही हुक्म है। ल़ेककन अगि इन चीज़ों क़े हुसल
ू पि इतना खचक
वाजर्जि नहीं है ।
कज़े क़ी अदायगी नहीं कि सकता उसक़े मलय़े कज़क ल़ेना वाजर्जि नहीं है ।
चाहहय़े कक पानी मह
ु ैया किऩे क़े मलय़े कुआं खोद़े ।
676. अगि कोई शख़्स िगैि एहसान िख़े कुछ पानी द़े तो उस़े कुिल
ू कि ल़ेना
चाहहयें।
677. अगि ककसी शख़्स को पानी इस्त़ेमाल किऩे स़े अपनी र्जान पि िन र्जाऩे
225
र्जाऩे या इलार्ज मआ
ु मलर्जा में दश
ु वािी पैदा होऩे का खौफ़ हो तो उस़े चाहहय़े कक
तयम्मम
ु कि़े । ल़ेककन अगि पानी क़े ज़िि को ककसी तिीक़े स़े दिू कि सकता हो
मसलन यह कक पानी को गमक किऩे स़े ज़िि दिू हो सकता हो तो पानी गमक कि
क़े वज़
ु ू कि़े औि गस्
ु ल किना ज़रूिी हो तो गस्
ु ल कि़े ।
678. ज़रूिी नहीं कक ककसी शख़्स को यक़ीन हो कक पानी उसक़े मलय़े मजु ज़ि है
ज़रूिी है।
679. अगि कोई शख़्स ददे चश्म में मबु तला हो औि पानी उसक़े मलय़े मजु ज़ि हो
तो ज़रूिी है कक तयम्मम
ु कि़े ।
680. अगि कोई शख़्स ज़िि क़े यक़ीन या खौफ़ क़ी वर्जह स़े तयम्मम
ु कि़े औि
उस़े नमाज़ स़े पहल़े इस िात का पता चल र्जाए कक पानी उसक़े मलय़े नक्
ु सान द़े ह
चल़े तो वज़
ु ू या गस्
ु ल कि क़े दोिािा नमाज़ पढ़ना ज़रूिी है ।
681. अगि ककसी शख़्स को यक़ीन हो कक पानी उसक़े मलय़े मजु ज़ि नहीं है औि
गस्
ु ल या वज़
ु ू कि ल़े िाद में उस़े पता चल़े कक पानी उसक़े मलय़े मजु ज़ि था तो
उसका वज़
ु ू औि गस्
ु ल दोनों िाततल हैं।
226
तयम्मम
ु की चौथ़ी सि़ू त
क़े िाद वह प्यास क़ी वर्जह स़े ि़ेताि हो र्जाय़ेगा तो ज़रूिी है कक तयम्मम
ु कि़े
िाद में ऐसी प्यास में मबु तला हो र्जो उसक़ी हलाकत या अलालत (िीमािी) का
मजू र्जि होगी या जर्जसका िदाकश्त किना उसक़े मलय़े सख़्त तक्लीफ़ का िाइस होगा।
नफ़
ु ू स में स़े हो या गैि मोहतिम नफ़
ु ू स में स़े हो इन तीन सिू तों क़े अलावा ककसी
683. अगि ककसी शख़्स क़े पास उस पाक पानी क़े अलावा र्जो वज़
ु ू या गस्
ु ल क़े
मलय़े हो इतना नजर्जस पानी भी हो जर्जतना उस़े पीऩे क़े मलय़े दिकाि है तो ज़रूिी
अगि पानी उसक़े साचथयों क़े पीऩे क़े मलय़े दिकाि हो तो वह पाक पानी स़े गस्
ु ल
या वज़
ु ू कि सकता है ख़्वाह उसक़े साथी प्यास िझ
ु ाऩे क़े मलय़े नजर्जस पानी पीऩे
227
पि ही क्यों न मर्जििू हों िजल्क अगि वह लोग उस पानी क़े नजर्जस होऩे क़े िाि़े
में न र्जानत़े हों या यह कक ककसी नर्जासत स़े पिह़े ज़ न कित़े हों तो लाजज़म है
684. अगि ककसी शख़्स का िदन या मलिास नजर्जस हो औि उसक़े पास इतनी
क़े नमाज़ पढ़़े ल़ेककन अगि उसक़े पास ऐसी कोई चीज़ न हो जर्जस पि तयम्मम
ु
685. अगि ककसी शख़्स क़े पास मसवाए ऐस़े पानी या ितकन क़े जर्जसका
228
ितकन उसक़े पास हो वह गस्िी हो औि उसक़े अलावा उसक़े पास कोई पानी या
तयम्मम
ु की सातव़ीं सि़ू त
नमाज़ या उसका कुछ हहस्सा वक़्त क़े िाद पढ़ा र्जा सक़े तो ज़रूिी है कक
तयम्मम
ु कि़े ।
या गस्
ु ल का वक़्त िाक़ी न िह़े तो वह गन
ु ाह का मत
ु कक कि होगा ल़ेककन तयम्मम
ु
689. अगि ककसी शख़्स ऩे वक़्त क़ी तंगी क़ी वर्जह स़े तयम्मम
ु ककया हो औि
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक िाद क़ी नमाज़ों क़े मलय़े दोिािा तयम्मम
ु कि़े ।
ख़्वाह वह तयम्मम
ु र्जो उसऩे ककया था न टूटा हो।
229
690. अगि ककसी शख़्स क़े पास पानी हो ल़ेककन वक़्त क़ी तंगी क़े िाइस
तयम्मम
ु कि क़े नमाज़ पढ़ऩे लग़े औि नमाज़ क़े दौिान र्जो पानी उसक़े पास था
नमाज़ पढ़़े िजल्क अगि सिू ा पढ़ऩे जर्जतना वक़्त भी न िचता हो तो ज़रूिी है कक
गस्
ु ल या वज़
ु ू कि़े औि िगैि सिू ा क़े नमाज़ पढ़़े ।
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक अगि ममट्टी मय
ु स्सि हो तो ककसी दस
ू िी चीज़ पि
तयम्मम
ु न ककया र्जाए। औि अगि ममट्टी न हो तो ि़े त या ढ़े ल़े पि औि अगि
693. जर्जप्सम औि चन
ू ़े क़े पत्थि पि तयम्मम
ु किना सहीह है नीज़ उस
230
सहीह है। अगिच़े एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक इजख़्तयाि क़ी हालत में उस पि
तयम्मम
ु न कि़े । इसी तिह एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि इजख़्तयाि क़ी हालत
694. अगि ककसी शख़्स को ममट्टी, ि़े त, ढ़े ल़े या पत्थि न ममल सकें तो ज़रूिी
है कक ति ममट्टी पि तयम्मम
ु कि़े औि अगि ति ममट्टी न ममल़े तो ज़रूिी है कक
मख़्
ु तसि स़े गदोगबु िाि स़े र्जो उफ़े आम में ममट्टी शम
ु ाि न होता हो तयम्मम
ु कि़े
कक तयम्मम
ु क़े िगैि नमाज़ पढ़़े ल़ेककन वाजर्जि है कक िाद में उसक़ी कज़ा पढ़़े ।
695. अगि कोई शख़्स कालीन, दिी औि उन र्जैसी चीज़ों को झाड़कि ममट्टी
मह
ु ै या कि सकता हो तो उसका गदक आलद
ू चीज़ों पि तयम्मम
ु किना िाततल है
696. जर्जस शख़्स क़े पास पानी न हो ल़ेककन िफ़क हो औि उस़े वपर्ला सकता
अगि ऐसा किना मजु म्कन न हो औि उसक़े पास कोई ऐसी चीज़ भी न हो जर्जस
पि तयम्मम
ु किना सहीह हो तो उसक़े मलय़े ज़रूिी है कक दस
ू ि़े वक़्त में नमाज़
231
को कज़ा कि़े औि ि़ेहति यह है कक िफ़क स़े वज़
ु ू या गस्
ु ल क़े अअज़ा को ति कि़े
पि भी नमाज़ पढ़़े ।
शख़्स उस पि तयम्मम
ु नहीं कि सकता। ल़ेककन अगि वह चीज़ इतनी कम हो कक
उस़े ममट्टी या ि़े त में न होऩे क़े ििािि समझा र्जा सक़े तो उस ममट्टी औि ि़े त
पि तयम्मम
ु सहीह है।
698. अगि एस शख़्स क़े पास कोई ऐसी चीज़ न हो जर्जस पि तयम्मम
ु ककया
र्जा सक़े औि उसका खिीदना या ककसी औि तिह हामसल किना मजु म्कन हो तो
ज़रूिी है कक उस तिह मह
ु ै या कि ल़े।
पि तयम्मम
ु न ककया र्जाए।
पि नमाज़ वाजर्जि नहीं ल़ेककन ज़रूिी है कक उसक़ी कज़ा िर्जा लाए औि ि़ेहति यह
232
701. अगि ककसी शख़्स को यक़ीन हो कक एक चीज़ पि तयम्मम
ु किना सहीह
है औि उस पि तयम्मम
ु कि ल़े िाद अंर्जा उस़े पता चल़े कक उस चीज़ पि
तयम्मम
ु किना िाततल था तो ज़रूिी है कक र्जो नमाज़ें उस तयम्मम
ु क़े साथ पढ़ी
शख़्स अपनी ज़मीन पि अपऩे हाथ ममट्टी पि माि़े औि किि बिला इर्जज़ात दस
ू ि़े
क़ी ज़मीन में दाखखल हो र्जाए औि हाथों को प़ेशानी पि ि़ेि़े तो उसका तयम्मम
ु
तो तयम्मम
ु सहीह है ल़ेककन अगि वह खुद कोई चीज़ गस्ि कि़े औि किि भल
ू
है कक उस पि गदों गि
ु ाि मौर्जूद हो र्जो कक हाथों पि लग र्जाए औि उस पि हाथ
233
मािऩे क़े िाद ज़रूिी है कक इतऩे ज़ोि स़े हाथों को न झाड़़े कक सािी गदक झड़
र्जाए।
707. गढ़़े वाली ज़मीन, िास्त़े क़ी ममट्टी औि ऐसी शोि ज़मीन जर्जस पि नमक
र्जम गई हो तो तयम्मम
ु िाततल है।
वुज़ू या गस्
ु ल के बदले तयम्मुम किने का तिीका
708. वज़
ु ू या गस्
ु ल क़े िदल़े ककय़े र्जाऩे वाल़े तयम्मम
ु में चाि चीज़ें वाजर्जि हैः-
1. नीयत
तयम्मम
ु किना सहीह हो। औि एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि दोनों हाथ एक
क़ी बिना पि उस मकाम स़े र्जहां सि क़े िाल उगत़े हैं भवों औि नाक क़े ऊपि
4. िाई हथ़ेली को दायें हाथ क़ी तमाम पश्ु त पि औि उसक़े िाद दाईं हाथ़ेली को
234
709. एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक तयम्मम
ु ख़्वाह वज़
ु ू क़े िदल़े हो या गस्
ु ल
क़े िदल़े उस़े तितीि स़े ककया र्जाए यानी यह है कक एक दिआ हाथ ज़मीन पि
माि़े र्जायें औि प़ेशानी औि हाथों क़ी पश्ु त पि ि़ेि़े र्जायें औि किि एक दफ़आ
तयम्मुम के अहकाम
710. अगि एक शख़्स प़ेशानी या हाथों क़ी पश्ु त क़े ज़िां स़े हहस्स़े का भी मसह
खाल तनकालऩे क़ी ज़रूित भी नहीं अगि यह कहा र्जा सक़े कक तमाम प़ेशानी औि
711. अगि ककसी शख़्स को यक़ीन न हो कक हाथ क़ी तमाम पश्ु त पि मसह
कि मलया है तो यक़ीन हामसल किऩे क़े मलय़े ज़रूिी है कक कलाई स़े कुछ ऊपि
वाल़े हहस्स़े का भी मसह कि़े ल़ेककन उं गमलयों क़े दिममयान मसह किना ज़रूिी
नहीं।
712. तयम्मम
ु किऩे वाल़े को प़ेशानी औि हाथों क़ी पश्ु त क़ी मसह एहततयात
क़ी बिना पि ऊपि स़े नीच़े क़ी र्जातनि किना ज़रूिी है औि यह अफ़् आल एक
235
दस
ू ि़े स़े मत्त
ु मसल होऩे चाहहय़े औि अगि इन अफ़् आल क़े दिममयान इतना फ़ासला
तयम्मम
ु गस्
ु ल क़े िदल़े है या वज़
ु ू क़े िदल़े ल़ेककन र्जहां दो तयम्मम
ु अंर्जाम द़े ना
पि एक तयम्मम
ु वाजर्जि हो औि नीयत कि़े कक मैं इस वक़्त अपना वज़ीफ़ा
गस्
ु ल क़े िदल़े है या वज़
ु ू क़े िदल़े) उसका तयम्मम
ु सहीह है ।
716. अगि ककसी शख़्स क़ी प़ेशानी या हाथों क़ी पश्ु त पि ज़ख़्म हो औि उस
िंधी हो जर्जस़े खोला न र्जा सकता हो तो ज़रूिी है कक कपड़़े या पट्टी वगैिा सम़ेत
236
उस चीज़ पि हाथ माि़े जर्जस पि तयम्मम
ु किना सहीह हो औि किि प़ेशानी औि
717. अगि ककसी शख़्स क़ी प़ेशानी औि हाथों क़ी पश्ु त पि िाल हों तो कोई
हिर्ज नहीं ल़ेककन अगि सि क़े िाल प़ेशानी पि आ चगि़े हों तो ज़रूिी है कक उन्हें
छान िीन कि़े ताकक उस़े यक़ीन या इत्मीनान हो र्जाए कक रूकावट मौर्जद
ू नहीं है।
मत
ु अजल्लका शख़्स क़े हाथों को उस चीज़ पि माि़े जर्जस पि तयम्मम
ु किना सहही
हो औि किि मत
ु अजल्लका शख़्स क़े हाथों को उसक़ी प़ेशानी औि दोनों हाथों क़ी
प़ेशानी औि दोनों हाथों क़ी पश्ु त पि ि़ेि़े औि अगि यह मजु म्कन न हो तो नायि
औि अगि ऐसा किना मजु म्कन न हो तो नायि क़े मलय़े ज़रूिी है कक अपऩे हाथों
शख़्स क़ी प़ेशानी औि हाथों क़ी पश्ु त पि ि़ेि़े । इन दोनों सिू तों में एहततयात़े
237
लाजज़म क़ी बिना पि दोनों शख़्स तयम्मम
ु क़ी तनयत किें ल़ेककन पहली सिू त में
खद
ु मक
ु ल्लफ़ क़ी नीयत काफ़़ी है।
भल
ू गया है या नहीं औि उस हहस्स़े का मौका गज़
ु ि गया हो तो वह अपऩे शक
तयम्मम
ु कि़े ।
721. अगि ककसी शख़्स को िायें हाथ का मसह किऩे क़े िाद शक हो कक आया
उसऩे तयम्मम
ु दरू
ु स्त ककया है या नहीं तो उसका तयम्मम
ु सहीह है औि अगि
उसका शक िायें हाथ क़े मसह क़े िाि़े में हो तो उसक़े मलय़े ज़रूिी है कक उसका
मसलन उस शख़्स ऩे कोई ऐसा काम ककया हो जर्जसक़े मलय़े तहाित शतक है या
तसलसल
ु खत्म हो गया हो।
दस
ू िी वाजर्जि या मस्
ु तहि काम क़े मलय़े तयम्मम
ु ककया हो औि नमाज़ क़े वक़्त
तयम्मम
ु क़े साथ नमाज़ पढ़ सकता है ।
238
723. जर्जस शख़्स का वज़ीफ़ा तयम्मम
ु हो अगि उस़े इल्म हो कक आखखि वक़्त
तक उसका उज़्र िाक़ी िह़े गा या वह उज़्र क़े खत्म होऩे स़े मायस
ू हो तो वक़्त क़े
उसका उज़्र दिू होऩे वाला नहीं है या दिू होऩे स़े मायस
ू हो तो वह अपनी कज़ा
नमाज़़े तयम्मम
ु क़े साथ पढ़ सकता है ल़ेककन अगि िाद में उज़्र खत्म हो र्जाए तो
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक वह नमाज़़े वज़
ु ू या गस्
ु ल कि क़े दोिािा पढ़़े औि
मस्
ु तहि नमाज़ें हदन िात क़े उन नवाकफ़ल क़ी तिह जर्जनका वक़्त मअ
ु य्यन है
तयम्मम
ु कि क़े पढ़़े , ल़ेककन अगि मायस
ू न हो कक आखखि वक़्त तक उसका उज़्र
न पढ़़े ।
239
726. जर्जस शख़्स ऩे एहततयातन गस्
ु ल़े र्जिीिा औि तयम्मम
ु ककया हो अगि वह
गस्
ु ल औि तयम्मम
ु क़े िाद नमाज़ पढ़़े औि नमाज़ क़े िाद उसस़े हदस़े असगि
साहदि हो मसलन अगि वह प़ेशाि कि़े तो िाद क़ी नमाज़ों क़े मलय़े ज़रूिी है कक
वज़
ु ू कि़े औि अगि हदस नमाज़ स़े पहल़े साहदि हो तो ज़रूिी है कक उस नमाज़
727. अगि कोई शख़्स पानी न ममलऩे क़ी वर्जह स़े या ककसी औि उज़्र क़ी
बिना पि तयम्मम
ु कि़े तो उज़्र क़े खत्म हो र्जाऩे क़े िाद उसका तयम्मम
ु िाततल
हो र्जाता है।
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक उन गस्
ु लों में स़े हि एक क़े िदल़े एक तयम्मम
ु
कि़े ।
240
र्जो शख़्स वज़
ु ू न कि सकता हो अगि वह कोई ऐसा काम अंर्जाम द़े ना चाह़े
मस्
ु तहि यह है कक वज़
ु ू भी कि़े औि अगि वह वज़
ु ू न कि सक़े तो वज़
ु ू क़े िदल़े
एक औि तयम्मम
ु कि़े ।
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक तयम्मम
ु भी कि़े । औि अगि वज़
ु ू न कि सकता हो
तयम्मम
ु को माफ़़ी जज़म्मा क़ी नीयत स़े िर्जा लाए (यानी र्जो कुछ म़ेि़े जज़म्म़े है
733. ककसी शख़्स को कोई काम अंर्जाम द़े ऩे मसलन नमाज़ पढ़ऩे क़े मलय़े वज़
ु ू
या गस्
ु ल क़े िदल़े तयम्मम
ु किना ज़रूिी हो तो अगि वह पहल़े तयम्मम
ु में वज़
ु ू
अपऩे वज़ीफ़़े को अंर्जाम द़े ऩे क़ी नीयत स़े कि़े तो यह काफ़़ी है।
241
734. जर्जस शख़्स का फ़िीज़ा तयम्मम
ु हो अगि वह ककसी काम क़े मलय़े
तयम्मम
ु कि़े तो र्जि तक उसका तयम्मम
ु औि उज़्र िाक़ी है वह उन कामों को
वक़्त क़ी तंगी हो या उसऩे पानी होत़े हुए नमाज़़े मैतयत या सोऩे क़े मलय़े
तयम्मम
ु ककया हो तो वह फ़कत उन कामों को अंर्जाम द़े सकता है जर्जनक़े मलय़े
उसऩे तयम्मम
ु ककया हो।
735. चन्द सिू तों में ि़ेहति यह है कक र्जो नमाज़़े इंसान ऩे तयम्मम
ु क़े साथ
कि मलया हो औि तयम्मम
ु कि क़े नमाज़ पढ़ी हो।
2. यह र्जानत़े हुए या गुमान कित़े हुए कक उस़े पानी न ममल सक़ेगा अमदन
अपऩे आप को र्जुनि
ु कि मलया हो औि तयम्मम
ु कि क़े नमाज़ पढ़ी हो।
पढ़़े औि िाद में उस़े पत़े चल़े कक तलाश किता तो उस़े पानी ममल र्जाता।
4. र्जान िझ
ू कि नमाज़ पढ़ऩे में ताखीि क़ी हो औि आखखि़े वक़्त में तयम्मम
ु
5. यह र्जानत़े हुए या गुमान कित़े हुए कक पानी नहीं ममल़ेगा र्जो पानी उसक़े
242
अह्कामे नमाज
नमाज़ दीनी अअमाल में स़े ि़ेहतिीन अमल है । अगि यह दिगाह़े इलाही में
किल
ू हो गई तो दस
ू िी इिादात भी किल
ू हो र्जायेंगी औि अगि यह किल
ू न हुई
तो दस
ू ि़े अअमाल भी किल
ू न होगें । जर्जस तिह इंसान अगि हदन िात में पांच
दफ़् आ नहि में नहाए धोए तो उसक़े िदन पि मैल कुचैल नहीं िहती उसी तिह
स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम ऩे फ़िमाया है कक, र्जो शख़्स नमाज़ को
है । एक हदन िसल
ू ़े अकिम स्वल्लाल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम मजस्र्जद में
तशिीफ़ फ़िमा थ़े कक एक शख़्स मजस्र्जद में दाखखल हुआ औि नमाज़ पढ़ऩे में
मश्गल
ू हो गया ल़ेककन रूकू औि सर्ज
ु द ू मक
ु म्मल तौि पि िर्जा न लाया, इस पि
हालत में मि र्जाए र्जिकक इसक़े नमाज़ पढ़ऩे का यह तिीका है तो यह हमाि़े दीन
पि नहीं मि़े गा। इस इंसान को ख़्याल िखना चाहहय़े कक नमाज़ र्जल्दी र्जल्दी न
पढ़़े औि नमाज़ क़ी हालत में खुदा क़ी याद में िह़े औि खुज़उ
ू व खुशउ
ू औि
243
संर्जीदगी स़े नमाज़ पढ़़े औि यह ख़्याल िख़े कक ककस हस्ती स़े कलाम कि िहा है
औि अपऩे आपको खद
ु ा वन्द़े आलम क़ी अज़मत औि िज़
ु गु ़ी क़े मक
ु ाबिल़े में
हक़ीि औि नाचीज़ समझ़े। अगि इंसान नमाज़ क़े दौिान पिू ी तिह इन िातों क़ी
तिफ़ मत
ु वज्र्जह िह़े तो वह अपऩे आप स़े ि़ेखिि हो र्जाता है र्जैसा कक नमाज़ क़ी
हालत में अमीरूल मोममनीन इमाम अली (अ0) क़े पांव स़े तीि खींच मलया गया
माऩे होत़े हैं मसलन हसद, तकबििु , गीित, हिाम खाना, शिाि पीना औि खम्
ु स व
ज़कात का अदा न किना – तकक कि़े िजल्क तमाम गुनाह तकक कि द़े औि इसी
तिह ि़ेहति है कक र्जो काम नमाज़ का सवाि र्टात़े हैं वह न कि़े मसलन और्ंऩे
क़ी हालत में या प़ेशाि िोक कि नमाज़ क़े मलय़े न खड़ा हो औि नमाज़ क़े मौक़े
पि आस्मान क़ी र्जातनि न द़े ख़े औि वह काम कि़े र्जो नमाज़ का सवाि िढ़ात़े हैं
वाजजब नमाजें
244
2.नमाज़़े आयात,
3.नमाज़़े मैतयत,
6.र्जो नमाज़़े इर्जािा, मन्नत, कसम औि अह्द स़े वाजर्जि हो र्जाती हैं औि
ज़ोहि औि अस्र (हि एक चाि िक् अत) मगरिि (तीन िक् अत) इशा (चाि
736. इंसान सफ़ि में हो तो ज़रूिी है कक चाि िक् अती नमाज़ें उन शिाइत क़े
737. अगि लकड़ी या ककसी ऐसी ही सीधी चीज़ को जर्जस शाखखस कहत़े हैं
हमवाि ज़मीन में गाड़ा र्जाए तो सबु ह क़े वक़्त र्जि सिू त तल
ु ह
ू उ होता है उसका
245
साया मगरिि क़ी तिफ़ पड़ता है औि र्जंू र्जंू सिू र्ज ऊंचा होता र्जाता है उसका साया
र्टता र्जाता है औि हमाि़े शहि़े में ज़ोहि़े शिई क़े वक़्त कमी क़े आखखिी दिर्ज़े पि
है औि र्जंू र्जंू सिू र्ज मगरिि क़ी तिफ़ ढलता है साया िढ़ता र्जाता है । इस बिना
पि र्जि साया कमी क़े आखखिी दिर्ज़े तक पहुंच़े औि दोिािा िढ़ऩे लग़े तो पता
चलता है कक ज़ोहि़े शिई का वक़्त हो गया है । ल़ेककन िाज़ शहिों मसलन मक्कए
मक
ु िक मा में र्जहां िाज़ औकात ज़ोहि क़े वक़्त साया बिल्कुल खत्म हो र्जाता है र्जि
738. ज़ोहि औि अस्र क़ी नमाज़ का वक़्त ज़वाल़े आफ़्ताि स़े गुरूि़े आफ़्ताि
पहल़े पढ़़े तो उसक़ी अस्र क़ी नमाज़ िाततल है मसवाए इसक़े कक आखखिी वक़्त तक
एक नमाज़ स़े ज़्यादा पढ़ऩे का वक़्त िाक़ी न हो क्योंकक ऐसी सिू त में अगि उसऩे
ज़ोहि क़ी नमाज़ नहीं पढ़ी तो उसक़ी ज़ोहि क़ी नमाज़ कज़ा होगी औि उस़े चाहहय़े
कक अस्र क़ी नमाज़ पढ़़े औि अगि कोई शख़्स उस वक़्त स़े पहल़े गलत फ़हमी क़ी
बिना पि अस्र क़ी पिू ी नमाज़ ज़ोहि क़ी नमाज़ स़े पहल़े पढ़ ल़े तो उसक़ी नमाज़
246
739. अगि कोई शख़्स ज़ोहि क़ी नमाज़ पढ़ऩे स़े पहल़े गलती स़े अस्र क़ी
नमाज़ पढ़ऩे लग र्जाए औि नमाज़ क़े दौिान उस़े पत़े चल़े कक उसस़े गलती हुई है
तो उस़े चाहहय़े कक नीयत नमाज़़े ज़ोहि क़ी र्जातनि ि़ेि द़े । यानी नीयत कि़े कक
ज़ोहि है औि र्जि नमाज़ खत्म कि़े तो उसक़े िाद अस्र क़ी नमाज़ पढ़़े ।
740. र्जुमा क़ी नमाज़ सबु ह क़ी नमाज़ क़ी तिह दो िक् अत क़ी है । इसमें औि
सबु ह क़ी नमाज़ में फ़कक यह है कक इस नमाज़ स़े पहल़े दो खुत्ि़े भी हैं। र्जुमा क़ी
इजख़्तयाि है कक अगि नमाज़़े र्जुमा क़े शिाइत मौर्जूद हों तो र्जुमा क़ी नमाज़ पढ़़े
क़ी नमाज़ क़ी ककफ़ायत किती है (यानी किि ज़ोहि क़ी नमाज़ पढ़ना ज़रूिी नहीं)
अव्वल ज़वाल़े उफ़ी है । पस र्जि भी उस़े ताखीि हो र्जाए, उसका वक़्त खत्म हो
र्जि तक पांच मस
ु लमान इकट्ठ़े न हों र्जम
ु ा क़ी नमाज़ वाजर्जि नहीं होती।
(सोम) इमाम का र्जाम़ेए शिाइत़े इमामत होना – मसलन अदालत वगैिा र्जो कक
इमाम़े र्जमाअत में मोअतिि हैं औि नमाज़़े र्जमाअत क़ी िह्स में िताया र्जाय़ेगा।
(अव्वल) िा र्जमाअत पढ़ा र्जाना। पस यह नमाज़ फ़ुिादा अदा किना सहीह नहीं
औि र्जि मक़्
ु तदी नमाज़ क़ी दस
ू िी िक् अत क़े रूकू स़े पहल़े इमाम क़े साथ शाममल
इज़ाफ़ा कि़े गा औि अगि वह रूकू में इमाम को पा ल़े (यानी नमाज़ में शाममल हो
र्जाए) तो उसक़ी नमाज़ का सहीह होना मजु श्कल है औि एहततयात़े तकक नहीं होती
(दोम) नमाज़ स़े पहल़े दो खुत्ि़े पढ़ना। पहल़े खुत्ि़े में खतीि अल्लाह तअला क़ी
हम्द व सना ियान कि़े नीज़ नमाजज़यों को तक़्वा औि पिह़े ज़गािी क़ी तल्क़ीन
कि़े । किि कुिआऩे मर्जीद का एक छोटा सिू ा पढ़ कि (ममम्िि पि लम्हा दो लम्हा)
िैठ र्जाए औि किि खड़ा हो औि दोिािा अल्लाह तअला क़ी हम्द व सना िर्जा
248
आइम्मा ए ताहहिीन (अ0) पि दरू
ु द भ़ेर्ज़े औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक
खत्ु ि़े नमाज़ स़े पहल़े पढ़़े र्जायें। पस अगि नमाज़ दो खत्ु िों स़े पहल़े शरू
ू कि ली
र्जाए तो सहीह नहीं होगी औि ज़वाल़े आफ़्ताि स़े पहल़े खुत्ि़े पढ़ऩे में इश्काल है
औि ज़रूिी है कक र्जो शख़्स खुत्ि़े पढ़़े वह खुत्ि़े पढ़ऩे क़े वक़्त खड़ा हो। मलहाज़ा
अगि वह िैठ कि खुत्ि़े पढ़़े गा तो सहीह नहीं होगा औि दो खुत्िों क़े दिममयान
खुत्ि़े पढ़़े – एक ही शख़्स हो, औि अक़्वा यह है कक खुत्ि़े में तहाित शतक नहीं है
अगिच़े इजश्तिात (यानी शतक होना) अहवत है । औि एहततयात क़ी बिना पि अल्लाह
तअला क़ी हम्द व सना इसी तिह पैगम्िि़े अकिम (स0) औि अइम्मतुल
मस
ु मलमीन पि अििी ज़िान म़े दरू
ु द भ़ेर्जना मोअत्िि है औि उसस़े ज़्यादा में
अििी मोअत्िि नहीं है । िजल्क अगि हाजज़िीन क़ी अक्सिीयत अििी न र्जानती हो
तो एहततयात़े लाजज़म यह है कक तक़्वा क़े िाि़े में वअज़ व नसीहत कित़े वक़्त र्जो
दो नमाज़़े वयक वक़्त पढ़ी र्जायें तो दोनों िाततल होंगी औि अगि एक नमाज़ को
249
दस
ू िी नमाज़ पि सिकत हामसल हो ख़्वाह वह तक्िीितुल एहिाम क़ी हद तक ही
होगी, ल़ेककन अगि नमाज़ क़े िाद पता चल़े कक एक फ़सकख स़े कम फ़ामसल़े पि
र्जुमा क़ी एक औि नमाज़ इसस़े पहल़े या इसक़े साथ साथ काइम हुई थी तो ज़ोहि
क़ी नमाज़ वाजर्जि नहीं होगी औि इसस़े कोई फ़कक नहीं पड़ता कक इस िात का
इल्म वक़्त में हो या वक़्त क़े िाद हो। औि र्जुमा क़ी नमाज़ का काइम किना
होऩे में इश्कल है। औि ज़्यादा एहततमाल उसक़े माऩे न होऩे का है।
741. र्जि र्जुमा क़ी एक ऐसी नमाज़ काइम हो र्जो शिाइत को पिू ी किती हो
औि नमाज़ काइम किऩे वाला इमाम़े वक़्त या उसका नायि हो तो उस सिू त में
नमाज़़े र्जुमा में हाजज़ि होना वाजर्जि है। औि उस सिू त क़े अलावा हाजज़ि होना
(अव्वल) मक
ु ल्लफ़ मदक हो – औि र्जम
ु ा क़ी नमाज़ में हाजज़ि होना औितों क़े
वाजर्जि नहीं है ।
250
(सोम) मक
ु ़ीम होना – मलहाज़ा मस
ु ाकफ़ि क़े मलय़े र्जुमा क़ी नमाज़ में शाममल
नें इमामत क़ी कस्द ककया हो औि उसका फ़िीज़ा पिू ी नमाज़ पढ़ना हो कोई फ़कक
नहीं है।
(पंर्जुम) िढ़
ू ा न होना – मलहाज़ा िढ़
ू ों पि यह नमाज़ वाजर्जि नहीं है ।
(शशम
ु ) यह कक खद
ु इंसान क़े औि उस र्जगह क़े दिममयान र्जहां र्जम
ु अ
ु क़ी
नमाज़ काइम हो दो फ़सकख स़े ज़्यादा फ़ामसला न हो औि र्जो शख़्स दो फ़सकख क़े
मसि़े पि हो उसक़े मलय़े हाजज़ि होना वाजर्जि है औि इसी तिह वह शख़्स जर्जसक़े
मलय़े र्जुमा क़ी नमाज़ में िारिश या सख़्त सदी क़ी वर्जह स़े हाजज़ि होना मजु श्कल
नमाज़ में हाजज़ि होना वाजर्जि न हो उसक़े मलय़े र्जाइज़ है कक ज़ोहि क़ी नमाज़
251
(दोम) इमाम को खुत्ि़े क़े दौिान िातें किना मकरूह है ल़ेककन अगि िातों क़ी
ल़ेककन र्जो लोग खुत्िों क़े मअना न समझत़े हों उनक़े मलय़े तवज्र्जोह स़े सन
ु ा
वाजर्जि नहीं है ।
(चहारुम) र्जम
ु ा क़े हदन क़ी दस
ू िी अज़ान बिद्अत है औि यह वही अज़ान है
(पंर्जुम) ज़ाहहि यह है कक र्जि इमाम़े र्जुमा खुत्िा पढ़ िहा हो तो हाजज़ि होना
वाजर्जि नहीं है ।
(शशम
ु ) र्जि र्जुमा क़ी नमाज़ क़े मलय़े अज़ान दी र्जा िही हो तो खिीद व
फ़िोख़्त उस सिू त में र्जिकक वह नमाज़ में माऩे हो हिाम है औि अगि ऐसा न हो
तो किि हिाम नहीं है औि अज़्हि यह है कक खिीद व फ़िोख़्त हिाम होऩे क़ी सिू त
में भी मआ
ु मला िाततल नहीं होता।
(हफ़्तुम) अगि ककसी शख़्स पि र्जुमा क़ी नमाज़ में हाजज़ि होना वाजर्जि हो औि
252
मग़्रिब औि इशा की नमाज का वक़्त
पढ़ सकत़े हों तो उनक़े मलय़े मचिि औि इशा क़ी नमाज़ का वक़्त फ़ज्र तुलउ
ू होऩे
नमाज़ स़े पहल़े पढ़़े तो िाततल है । ल़ेककन अगि इशा क़ी नमाज़ अदा किऩे क़ी
ममक़्दाि स़े ज़्यादा वक़्त िाक़ी न िहा हो तो उस सिू त में लाजज़म है कक इशा क़ी
745. अगि कोई शख़्स गलत फ़हमी क़ी बिना पि इशा क़ी नमाज़ मचिि क़ी
नमाज़ स़े पहल़े पढ़ ल़े औि नमाज़ क़े िाद इस अम्र क़ी र्जातनि मत
ु वज्र्जह हो तो
उसक़ी नमाज़ सहीह है औि ज़रूिी है कक मचिि क़ी नमाज़ उसक़े िाद पढ़़े ।
253
746. अगि कोई शख़्स मचिि क़ी नमाज़ पढ़ऩे स़े पहल़े भल
ू कि इशा क़ी नमाज़
क़ी तिफ़ नीयत ि़ेि ल़े औि नमाज़ को तमाम कि़े औि िाद में इशा क़ी नमाज़
द़े औि खत्म कि़े औि िाद में मचिि क़ी नमाज़ िर्जा लाए।
748. अगि कोई शख़्स इजख़्तयािी हालत में मचिि औि इशा क़ी नमाज़ आधी
िात तक न पढ़़े तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि ज़रूिी है कक अज़ाऩे सबु ह स़े
749. सबु ह क़ी अज़ान क़े किीि मचश्रक क़ी तिफ़ स़े एक सफ़ैदी ऊपि उठती है
जर्जस़े फ़ज्ऱे अव्वल कहा र्जाता है । र्जि यह सफ़ैदी िैल र्जाए तो वह फ़ज्ऱे दोम औि
सबु ह क़ी नमाज़ का अव्वल़े वक़्त है औि सबु ह क़ी नमाज़ का आखखिी वक़्त सिू र्ज
तनकलऩे तक है।
254
औकाते नमाज के अहकाम
कक वक़्त दाखखल हो गया है या दो आहदल मदक वक़्त दाखखल होऩे क़ी खिि दें
िजल्क ककसी वक़्त शनास शख़्स क़ी र्जो काबिल़े इत्मीनान हो अज़ान या वक़्त
दाखखल होऩे क़े िाि़े में गवाही पि भी इजक़्तफ़ा ककया र्जा सकता है ।
751. अगि कोई शख़्स ककसी ज़ाती उज़्र मसलन िीनाई न होऩे या कैद खाऩे में
होऩे क़ी वर्जह स़े नमाज़ का अव्वल वक़्त दाखखल होऩे का यक़ीन न कि सक़े तो
ज़रूिी है कक नमाज़ पढ़ऩे में ताखीि कि़े हत्ता क़ी उस़े यक़ीन या इत्मीनान हो र्जाए
कक वक़्त दाखखल हो गया है । इसी तिह अगि वक़्त दाखखल होऩे का यक़ीन होऩे
धंध
ु ) क़ी तिह उमम
ू न प़ेश आती हो तो एहहतयात़े लाजज़म क़ी बिना पि उसक़े
752. अगि मज़्कूिा िाला तिीक़े स़े ककसी शख़्स को इत्मीनान हो र्जाए कक
िाद उस़े पता चल़े कक अभी वक़्त दाखखल नहीं हुआ तो उसक़ी नमाज़ िाततल है
औि अगि नमाज़ क़े िाद पता चल़े कक उसऩे सािी नमाज़ वक़्त स़े पहल़े पढ़ी तो
उसक़े मलय़े भी यही हुक्म है ल़ेककन अगि नमाज़ क़े दौिान उस़े पता चल़े कक वक़्त
255
दाखखल हो गया है या नमाज़ क़े िाद पता चल़े कक नमाज़ पढ़त़े हुए वक़्त दाखखल
है औि अगि उस़े पता चल र्जाए कक उसऩे वक़्त स़े पहल़े नमाज़ पढ़ी है या उस़े
पता चल़े न चल़े कक वक़्त में पढ़ी है या वक़्त स़े पहल़े पढ़ी है तो उसक़ी नमाज़
िाततल है। िजल्क अगि नमाज़ क़े िाद उस़े पता चल़े कक नमाज़ क़े दौिान वक़्त
पढ़ऩे लग़े ल़ेककन नमाज़ क़े दौिान शक कि़े कक वक़्त दाखखल हुआ है या नहीं तो
उसक़ी नमाज़ िाततल है ल़ेककन अगि नमाज़ क़े दौिान उस़े यक़ीन हो कक वक़्त
755. अगि नमाज़ का वक़्त इतना तंग हो कक नमाज़ क़े िाद मस्
ु तहि अफ़् आल
अदा किऩे स़े नमाज़ क़ी कुछ ममक़्दाि वक़्त क़े िाद पढ़नी पड़ती हो तो ज़रूिी है
कक वह मस्
ु तहि उमिू को छोड़ द़े मसलन अगि कुनत
ू पढ़ऩे क़ी वर्जह स़े नमाज़
का कुछ हहस्सा वक़्त क़े िाद पढ़ना पड़ता हो तो उस़े चाहहय़े क़ी कुनत
ू न पढ़़े ।
256
756. जर्जस शख़्स क़े पास नमाज़ क़ी फ़कत एक िक् आत अदा किऩे का वक़्त
हो उस़े चाहहय़े कक नमाज़ अदा क़ी नीयत स़े पढ़़े अलित्ता उस़े र्जान िझ
ू कि नमाज़
औि अस्र क़ी दोनों नमाज़़े पढ़़े ल़ेककन अगि उसक़े पास उसस़े कम वक़्त हो तो
उस़े चाहहय़े कक मसफ़क अस्र क़ी नमाज़ पढ़़े औि िाद में ज़ोहि क़ी नमाज़ क़ी कज़ा
कि़े औि इसी तिह अगि आधी िात तक उसक़े पास पांच िक् अत पढ़ऩे क़े अन्दाज़़े
क़े मत
ु ाबिक वक़्त हो तो उस़े चाहहय़े क़ी मिीि औि इशा क़ी नमाज़ पढ़़े औि
अगि वक़्त इसस़े कम हो तो उस़े चाहहय़े कक मसफ़क इशा क़ी नमाज़ पढ़़े औि िाद
में अदा औि कज़ा क़ी नीयत ककय़े िगैि नमाज़़े मचिि पढ़़े ।
क़ी नमाज़ पढ़़े औि अगि इस स़े कम वक़्त हो तो उस़े चाहहय़े कक मसफ़क अस्र क़ी
नमाज़ पढ़़े औि ज़ोहि क़ी कज़ा कि़े औि अगि आधी िात तक उसक़े पास चाह
क़ी नमाज़ पढ़़े औि अगि नमाज़ क़े तीन िक् अत क़े ििािि वक़्त हो तो उस़े
चाहहय़े कक पहल़े इशा क़ी नमाज़ पढ़़े औि िाद में मगरिि क़ी नमाज़ िर्जा लाए
257
ताकक नमाज़ मगरिि क़ी एक िक् आत वक़्त में अंर्जाम दी र्जाए, औि अगि नमाज़
क़ी तीन िक् अत स़े कम वक़्त िाक़ी हो तो ज़रूिी है कक पहल़े इशा क़ी नमाज़ पढ़़े
औि िाद में मगरिि क़ी नमाज़ अदा औि कज़ा क़ी नीयत ककय़े िगैि पढ़़े औि
िक् आत या उसस़े ज़्यादा िक् अत़े पढऩे क़े मलय़े वक़्त िाक़ी है तो उस़े चाहहय़े क़ी
मगरिि क़ी नमाज़ फ़ौिन अदा क़ी नीयत स़े िर्जा लाए।
मत
ु ाबिक िहुत ज़्यादा ताक़ीद क़ी गई है औि जर्जतना अव्वल़े वक़्त क़े किीि हो
ि़ेहति है मामसव इसक़े कक उसमें ताखीि ककसी वर्जह ि़ेहति हो मसलन इसमलय़े
760. र्जि इंसान क़े पास कोई ऐसा उज़्र हो कक अगि अव्वल़े वक़्त में नमाज़
उसका उज़्र आखखि़े वक़्त तक िाक़ी िह़े गा या आखखि़े वक़्त तक उज़्र क़े दिू होऩे स़े
मायस
ू हो तो वह अव्वल़े वक़्त में तयम्मम
ु कि क़े नमाज़ पढ़ सकता है ल़ेककन
अगि मायस
ू न हो तो ज़रूिी है कक उज़्र दिू होऩे तक इजन्तज़ाि कि़े औि अगि
उसका उज़्र दिू न हो तो आखखि़े वक़्त में नमाज़ पढ़़े औि यह ज़रूिी नहीं कक इस
कदि इजन्तज़ाि कि़े कक नमाज़ क़े मसफ़क वाजर्जि अफ़् आल अन्र्जाम द़े सक़े िजल्क
258
वक़्त हो तो तयम्मम
ु क़े अलावा दस
ू िी मर्जिरू ियों क़ी सिू त में अगिच़े उज़्र दिू
ल़ेककन अगि वक़्त क़े दौिान उसका उज़्र दिू हो र्जाए तो ज़रूिी है कक दोिािा
नमाज़ पढ़़े ।
इन मसाइल में स़े कोई न कोई मसअला प़ेश आय़ेगा औि उसक़े याद न किऩे क़ी
तिीक़े स़े नमाज़ अंर्जाम द़े सकता है औि अव्वल़े वक़्त में नमाज़ पढ़ऩे में मश्गल
ू
हो र्जाए पस अगि नमाज़ में कोई ऐसा मस ्अला न प़ेश आए जर्जसका हुक्म न
र्जानता हो तो उसक़ी नमाज़ सहीह है। औि अगि कोई ऐसा मस ्अला प़ेश आ र्जाए
एहततमाल हो उनमें स़े एक पि अमल कि़े औि नमाज़ खत्म कि़े ताहम ज़रूिी है
मत
ु ालिा कि़े तो अगि मजु म्कन हो तो ज़रूिी है कक पहल़े कज़ाक अदा कि़े औि िाद
259
में नमाज़ पढ़़े । औि अगि कोई दस
ू िा वाजर्जि काम प़ेश आ र्जाए जर्जस़े फ़ौिन िर्जा
लाना ज़रूिी हो तो उसक़े मलय़े भी यही हुक्म है । मसलन अगि द़े ख़े कक मजस्र्जद
पढ़़े औि अगि मज़कूिा िाला दोनों सिू तों में पहल़े नमाज़ पढ़़े तो गुनाह का
मत
ु कक कि होगा ल़ेककन उसक़ी नमाज़ सहीह होगी।
763. ज़रूिी है कक इंसान नमाज़़े अस्र नमाज़़े ज़ोहि क़े िाद औि नमाज़़े इशा
पहल़े पढ़़े औि नमाज़़े इशा नमाज़़े मगरिि स़े पहल़े पढ़़े तो उसक़ी नमाज़ िाततल
है ।
764. अगि कोई शख़्स नमाज़़े ज़ोहि क़ी नीयत स़े नमाज़ पढ़नी शरू
ु कि़े तो
नमाज़़े अस्र क़ी र्जातनि नहीं मोड़ सकता िजल्क ज़रूिी है कक नमाज़ तोड़ कि
765. अगि नमाज़़े अस्र क़े दौिान ककसी शख़्स को यक़ीन हो कक उसऩे नमाज़़े
ज़ोहि नहीं पढ़ी है औि वह नीयत को नमाज़़े ज़ोहि क़ी तिफ़ मोड़ द़े तो र्जंू ही उस़े
260
मोड़ द़े औि नमाज़ मक
ु म्मल कि़े । ल़ेककन अगि उसऩे नमाज़ क़े िाज़ अज्ज़ा को
ज़ोहि क़ी नीयत स़े अंर्जाम न हदया हो या ज़ोहि क़ी नीयत स़े अंर्जाम हदया हो तो
उस सिू त में उन अज्ज़ा को अस्र क़ी नीयत स़े दोिािा अंर्जाम द़े । ल़ेककन अगि वह
नमाज़ िाततल है ।
766. अगि ककसी शख़्स को नमाज़़े अस्र क़े दौिान शक हो कक उसऩे नमाज़़े
ज़ोहि पढ़ी है या नहीं तो ज़रूिी है कक अस्र क़ी नीयत स़े नमाज़ तमाम कि़े औि
िाद में ज़ोहि क़ी नमाज़ पढ़़े । ल़ेककन अगि वक़्त इतना कम हो कक नमाज़ पढ़ऩे
क़े िाद सिू र्ज डूि र्जाता हो औि एक िक् अत नमाज़ क़े मलय़े भी वक़्त िाक़ी न
767. अगि ककसी को नमाज़़े इशा क़े िाद शक हो र्जाए कक उसऩे मगरिि पढ़ी
है या नहीं तो ज़रूिी है कक इशा क़ी नीयत स़े नमाज़ खत्म कि़े औि िाद में
मगरिि क़ी नमाज़ पढ़़े । ल़ेककन अगि वक़्त इतना कम हो कक नमाज़ खत्म होऩे
768. अगि कोई शख़्स नमाज़़े इशा क़ी चौथी िक् अत क़े रूकू में पहुंचऩे क़े िाद
261
मक
ु म्मल कि़े । औि अगि िाद में मगरिि क़ी नमाज़ क़े मलय़े वक़्त िाक़ी हो तो
769. अगि कोई शख़्स र्जो उसऩे पढ़ ली हो एहततयातन दोिािा पढ़़े औि नमाज़
क़े दौिान उस़े याद आए कक उस नमाज़ स़े पहल़े वाली नमाज़ नहीं पढ़ी तो वह
नीयत को उस नमाज़ क़ी तिफ़ नहीं मोड़ सकता मसलन र्जि वह नमाज़़े अस्र
एहततयातन पढ़ िहा हो अगि उस़े याद आए कक उसऩे नमाज़़े ज़ोहि नहीं पढ़ी तो
770. नमाज़़े कज़ा क़ी नीयत नमाज़़े अदा क़ी तिफ़ औि नमाज़़े मस्
ु तहि क़ी
771. अगि अदा नमाज़ का वक़्त वसी हो तो इंसान नमाज़ क़े दौिान यह याद
आऩे पि कक उसक़े जज़म्म़े कोई कज़ा नमाज़ है, नीयत को नमाज़़े कज़ा क़ी तिफ़
मोड़ सकता है िशते कक नमाज़़े कज़ा क़ी तिफ़ नीयत मोड़ना मजु म्कन हो। मसलन
सिू त में मोड़ सकता है कक तीसिी िक् अत क़े रूकू में न दाखखल हुआ हो।
मुस्तहब नमाजें
772. मस्
ु तहि नमाज़़े िहुत सी हैं जर्जन्हें नफ़ल कहत़े हैं औि मस्
ु तहि नमाज़ों
स़े िोज़ाआना क़े नफ़्लों क़ी िहुत ज़्यादा ताक़ीद क़ी गई है। यह नमाज़़े िोज़़े र्जम
ु ा
262
क़े अलावा चौंतीस िक् अत हैं। जर्जनमें स़े आठ िक् अत ज़ोहि क़ी, आठ िक् अत अस्र
क़ी, चाि िक् अत मगरिि क़ी, दो िक् अत इशा क़ी, ग्यािा िक् अत नमाज़़े शि (यानी
तहज्र्जद
ु ) क़ी औि दो िक् अत सबु ह क़ी होती हैं। औि चकंू क एहततयात़े वाजर्जि क़ी
िक् अत शम
ु ाि होती है । ल़ेककन र्जुमा क़े हदन ज़ोहि औि अस्र क़ी सोला िक् अत
773. नमाज़़े शि क़ी ग्यािा िक् अतों स़े आठ िक् अतें नाकफ़लाए शि क़ी नीयत
स़े औि दो िक् अत नमाज़़े शफ़अ क़ी नीयत स़े औि एक िक् अत नमाज़़े वत्र क़ी
में मज़्कूि है ।
774. नफ़ल नमाज़ें िैठकि भी पढ़ी र्जा सकती हैं ल़ेककन िाज़ फ़ुकहा कहत़े हैं
कक इस सिू त में ि़ेहति है कक िैठ कि पढ़ी र्जाऩे वाली नफ़ल नमाज़ क़ी दो
जर्जसक़ी आठ िक् अतें है िैठकि पढ़ना चाह़े तो उसक़े मलय़े ि़ेहति है कक सोला
िक् अतें पढ़़े औि अगि चाह़े कक नमाज़़े ववत्र िैठकि पढ़़े तो एक एक िक् अत क़ी दो
263
775. ज़ोहि औि अस्र क़ी नफ़्ली नमाज़ें सफ़ि में नहीं पढ़नी चाहहयें औि अगि
इशा क़ी नफ़्लें िर्जा क़ी नीयत स़े पढ़ी र्जाए तो कोई हिर्ज नहीं है ।
776. ज़ोहि क़ी नफ़्लें नमाज़ें ज़ोहि स़े पहल़े पढ़ी र्जाती हैं। औि र्जहां तक
मजु म्कन हो उस़े ज़ोहि क़ी नमाज़ स़े पहल़े पढ़ा र्जाए। औि उसका वक़्त अव्वल़े
ज़ोहि स़े ल़ेकि ज़ोहि क़ी नमाज़ अदा किऩे तक िाक़ी िहता है। ल़ेककन अगि कोई
वह ममक़्दाि र्जो ज़ोहि क़े िाद पैदा हो सात में स़े दो हहस्सों क़े ििािि हो र्जाए
मसलन शाखखस क़ी लम्िाई सात िामलश्त औि साए क़ी ममक़्दाि दो िामलश्त हो तो
777. अस्र क़ी नफ़्लें अस्र क़ी नमाज़ स़े पहल़े पढ़ी र्जाती हैं। औि र्जि तक
मजु म्कन हो उस़े अस्र क़ी नमाज़ स़े पहल़े पढ़ा र्जाए। औि उसका वक़्त अस्र क़ी
नमाज़ अदा किऩे तक िाक़ी िहता है । ल़ेककन अगि कोई शख़्स अस्र क़ी नफ़्लें उस
वक़्त तक मव
ु ख्खि कि द़े कक शाखखस क़े साए क़ी वह ममक़्दाि र्जो ज़ोहि क़े िाद
पैदा हो सात में स़े चाि हहस्सों तक पहुंच र्जाए तो उस सिू त में ि़ेहति है कक
इंसान अस्र क़ी नमाज़ पढ़़े औि अगि ज़ोहि या अस्र क़ी नफ़्लें उस क़े मक
ु िक िा
वक़्त क़े िाद पढ़ना चाह़े तो ज़ोहि क़ी नफ़्लें नमाज़़े ज़ोहि क़े िाद औि अस्र क़ी
264
नफ़्लें नमाज़़े अस्र क़े िाद पढ़ सकता है । ल़ेककन एहततयात क़ी बिना पि अदा औि
778. मगरिि क़ी नफ़्लों का वक़्त नमाज़़े मगरिि खत्म होऩे क़े िाद होता है
औि र्जहां तक मजु म्कन हो उस़े मगरिि क़ी नमाज़ क़े िौिन िाद िर्जा लाए ल़ेककन
आसमानन में हदखाई द़े ती है मजग़्जऱि क़ी नफ़्लों में ताखीि कि़े तो उस वक़्त ि़ेहति
779. इशा क़ी नफ़्लों का वक़्त नमाज़़े इशा खत्म होऩे क़े िाद स़े आधी िात
तक है औि ि़ेहति है कक नमाज़़े इशा खत्म होऩे क़े फ़ौिन िाद पढ़ी र्जाए।
780. सबु ह क़ी नफ़्लें सबु ह क़ी नमाज़़े स़े पहल़े पढ़ी र्जाती हैं औि उसका वक़्त
होऩे तक िाक़ी िहता है औि र्जहां तक मजु म्कन हो सबु ह क़ी नफ़्लें सबु ह क़ी नमाज़
स़े पहल़े पढ़नी चाहहय़े ल़ेककन अगि कोई शख़्स सबु ह क़ी नफ़्लें मचश्रक क़ी सख
ु ़ी
ज़ाहहि होऩे क़े िाद न पढ़़े तो उस सिू त में यह है कक सबु ह क़ी नमाज़ पढ़़े ।
781. नमाज़़े शि का अव्वल़े वक़्त मश्हूि कौल क़ी बिना पि आधी िात है औि
सबु ह क़ी अज़ान तक उसका वक़्त िाक़ी िहता है। औि ि़ेहति यह है कक सबु ह क़ी
265
782. मस
ु ाकफ़ि औि वह शख़्स जर्जसक़े मलय़े नमाज़़े शि का आधी िात क़े िाद
नमाजे गफ़
ु ै ला
क़ी नमाज़ क़े दिममयान पढ़ी र्जाती है। इसक़ी पहली िक् अत में अलहम्द क़े िाद
ककसी दस
ू िी सिू त क़े िर्जाए यह आयत पढ़नी ज़रूिी है ः- व ज़न्नन
ू ़े इज़ ् ज़हिा
मग
ु ाजज़िन फ़ज़न्ना अंल्लन तजक़्दिा अलैह़े फ़नादा कफ़ज़्ज़ुलम
ु ात़े अंल्ला इलाहा
अल्ला अन्ता सबु हानाका इन्नी कुन्तो ममनज़ ज़ामलमीना फ़स्तर्जबना लहू व
अलहम्द क़े िाद िर्जाए ककसी औि सिू त क़े यह आयत पढ़़े ः- व इन्दहू मफ़ाततहुल
गैि़े ला यअलमह
ु ा इल्ला हुवा व यअलमो मा कफ़ल ििे वल िहि़े व मा तस्कुतो
कज़ा। औि कज़ा व कज़ा क़े िर्जाए अपनी हार्जतें ियान कि़े औि उसक़े िाद कह़े ः-
266
फ़असअलक
ु ा ि़े हक़्क़े मोहम्महदंव व आल़े मोहम्महदन अलैह़े व अलैहहममस्
ु सलामु
(हि मस
ु लमान क़े मलय़े) ज़रूिी है कक उसक़े सामऩे खड़़े होकि नमाज़ पढ़़े । ल़ेककन
र्जो शख़्स उसस़े दिू हो अगि वह इस तिह खड़ा हो कक लोग कहें कक ककबल़े क़ी
तिफ़ मंह
ु किक़े नमाज़ पढ़ िहा है तो काफ़़ी है। औि दस
ू ि़े काम र्जो ककबल़े क़ी
तिफ़ मंह
ु कि क़े अंर्जाम द़े ऩे ज़रूिी हैं मसलन है वानात को जज़बहा किना उनका
भी यही हुक्म है ।
785. र्जो शख़्स खड़ा होकि वाजर्जि नमाज़ पढ़ िहा हो ज़रूिी है कक उसका सीना
औि प़ेट ककबल़े क़ी तिफ़ हो। िजल्क उसका च़ेहिा ककबल़े स़े िहुत ज़्यादा कििा हुआ
प़ेट नमाज़ क़े वक़्त ककबल़े क़ी तिफ़ हो, िजल्क उसका च़ेहिा भी ककबल़े स़े िहुत
787. र्जो शख़्स िैठकि नमाज़ न पढ़ सक़े ज़रूिी है कक दायें पहलू क़े िल यंू
ल़ेट़े कक उसक़े िदन का अगला हहस्सा ककबल़े क़ी तिफ़ हो औि अगि यह मजु म्कन
न हो तो ज़रूिी है कक िायें पहलू क़े िल यंू ल़ेट़े कक उसक़े िदन का अगला हहस्सा
267
ककबला क़ी तिफ़ हो। औि र्जि तक दायें पहलू क़े िल ल़ेट कि नमाज़ पढ़ना
मजु म्कन हो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि िायें पहलू क़े िल ल़ेट कि नमाज़ न
पढ़ें । औि अगि यह दोनों सिू तें मजु म्कन न हों तो ज़रूिी है कक पश्ु त क़े िल यंू
तिफ़ मंह
ु कि क़े अदा किना ज़रूिी है औि एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि
789. मस्
ु तहि नमाज़ िास्ता चलत़े हुए औि सवािी क़ी हालत में पढ़ी र्जा सकती
उसका मंह
ु ककबल़े क़ी तिफ़ हो।
790. र्जो शख़्स नमाज़ पढ़ना चाह़े ज़रूिी है कक ककबल़े क़ी सम्त का तअय्यन
ु
किऩे क़े मलय़े कोमशश कि़े ताकक ककबल़े क़ी सम्त क़े िाि़े में यक़ीन या ऐसी
कैकफ़यत र्जो यक़ीन क़े हुक्म में हो, मसलन दो आहदल आदममयों क़ी गवाही
उसक़े मत
ु ाबिक अमल कि़े हत्ता क़ी अगि ककसी ऐस़े फ़ामसक या काकफ़ि क़े कहऩे
पि र्जो साइंसी कवायद क़े ज़िीए ककबल़े का रूख पहचानता हो ककबल़े क़े िाि़े में
268
791. र्जो शख़्स ककबल़े क़ी सम्त क़े िाि़े में गुमान कि़े अगि वह उस स़े कवी
ति गम
ु ान पैदा कि सकता हो तो अपऩे गम
ु ान पि अमल नहीं कि सकता।
मसलन अगि म़ेहमान साहि़े खाना क़े कहऩे पि ककबल़े क़ी सम्त क़े िाि़े में गम
ु ान
हो (मसलन कुतुि नम
ु ा) या कोमशश क़े िावर्जूद उसका गुमान ककसी एक तिफ़ न
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक अगि नमाज़ का वक़्त वसी हो तो चाि नमाज़ें चािों
तिफ़ मंह
ु कि क़े पढ़़े (यानी वही एक नमाज़ चाि मतकिा एक एक सम्त क़ी
र्जातनि मंह
ु किक़े पढ़़े )।
नमाज़़े पढ़ना चाह़े र्जो ज़ोहि औि अस्र क़ी तिह यक़े िाद दीगि़े पढ़नी ज़रूिी हैं तो
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक पहली नमाज़ मख़्
ु तमलफ़ सम्तों क़ी तिफ़ मंह
ु किक़े
269
795. जर्जस शख़्स को ककबल़े क़ी सम्त का यक़ीन न हो अगि वह नमाज़ क़े
अलावा कोई ऐसा काम किना चाह़े र्जो ककबल़े क़ी तिफ़ मंह
ु किक़े किना ज़रूिी है
मसलन अगि वह कोई है वान जज़बहा किना चाहता हो तो उस़े चाहहय़े क़ी गम
ु ान
पि अमल कि़े औि अगि गुमान पैदा किना मजु म्कन न हो तो जर्जस तिफ़ मंह
ु
796. ज़रूिी है कक मदक ख़्वाह उस़े कोई भी न द़े ख िहा हो नमाज़ क़ी हालत में
797. ज़रूिी है कक औित नमाज़ क़े वक़्त अपना तमाम िदन हत्ता कक सि औि
पांव का ज़ाहहिी हहस्सा ढांपना ज़रूिी नहीं है । ल़ेककन यह यक़ीन किऩे क़े मलय़े कक
उसऩे िदन क़ी वाजर्जि ममक़्दाि ढांप ली है ज़रूिी है कक च़ेहि़े क़े अतिाफ़ का कुछ
तो ज़रूिी है कक अपऩे आप को इस तिह ढांप़े जर्जस तिह नमाज़ क़े वक़्त ढांपा
270
र्जाता है औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक सज्दा ए सहव अदा किऩे क़े वक़्त भी
अपऩे आप को ढांप।़े
800. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ क़े दौिान पता चल़े कक उसक़ी शमकगाह नंगी
दोिािा पढ़़े । ल़ेककन एहततयात यह है कक र्जि उस़े पता चल़े कक उसक़ी शमकगाह
क़े िाद पता चल़े कक नमाज़ क़े िाद उसक़ी शमकगाह नंगी थी तो उसक़ी नमाज़
सहीह है।
801. अगि ककसी शख़्स का मलिास खड़़े होऩे क़ी हालत में उसक़ी शमकगाह को
न ढांप़े तो अगि शमकगाह क़े नंगा होऩे क़े वक़्त उस़े ककसी ज़िीए स़े ढांप ल़े तो
नमाज़ न पढ़़े ।
802. इंसान नमाज़ में अपऩे आप को र्ास िूस क़े दिख़्तों में (िड़़े) पत्तों स़े
271
803. इंसान क़े पास मर्जििू ी क़ी हालत में शमकगाह तछपाऩे क़े मलय़े कोई चीज़
ककसी दस
ू िी चीज़ को लीप पोत कि उस़े तछपाए।
804. अगि ककसी शख़्स क़े पास कोई ऐसी चीज़ न हो जर्जसस़े वह नमाज़ में
ि़ेहति यह है कक नमाज़ पढ़ऩे में ताखीि कि़े औि अगि कोई चीज़ न ममल़े तो
में नमाज़ पढ़़े औि उसका उज़्र आखखि़े वक़्त तक िाक़ी न िह़े तो एहततयात़े वाजर्जि
805. अगि ककसी शख़्स क़े पास र्जो नमाज़ पढ़ना चाहता हो आपऩे आप को
ढांपऩे क़े मलय़े दिख़्त क़े पत्त़े, र्ास, गािा या दलदल न हो औि आखखि़े वक़्त तक
अगि उस़े इस िात का इत्मीनान हो कक कोई शख़्स उस़े नहीं द़े ख़ेगा तो वह खड़ा
होकि उसी तिह नमाज़ पढ़़े जर्जस तिह इजख़्तयािी हालत में रुकुउ औि सर्ज
ु द ू क़े
साथ नमाज़ पढ़त़े हैं। ल़ेककन अगि उस़े इस िात का एहततमाल हो कक कोई शख़्स
उस़े द़े ख ल़ेगा तो ज़रूिी है कक इस तिह नमाज़ पढ़़े कक उसक़ी शमकगाह नज़ि न
272
एहततयात़े लाजज़म यह है कक नंगा शख़्स नमाज़ क़ी हालत में अपनी शमकगाह को
अपऩे िाज़ अअज़ा क़े ज़िीए मसलन िैठा हो तो दोनों िानों स़े औि खड़ा हो तो
(2). मि
ु ाह हो।
(3). मद
ु ाकि क़े अज्ज़ा स़े न िना हो।
औि ज़िदोज़ी का िना हुआ न हो। इन शतों क़ी तफ़्सील आइन्दा मसाइल में िताई
दाय़ेगी।
पहली शतकः-
807. नमाज़ पढ़ऩे वाल़े का मलिास पाक होना ज़रूिी है । अगि कोई शख़्स
हालत़े इजख़्तयाि में नजर्जस िदन या नजर्जस मलिास क़े साथ नमाज़ पढ़़े तो उस क़ी
नमाज़ िाततल है ।
273
808. अगि कोई शख़्स अपनी कोताही क़ी वर्जह स़े यह न र्जानता हो कक
नजर्जस िदन औि मलिास क़े साथ नमाज़ िाततल है औि नजर्जस िदन या मलिास
क़े साथ मलिास पढ़़े तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि उसक़ी नमाज़ िाततल है।
809. अगि कोई शख़्स मस ्अला न र्जानऩे क़ी वर्जह स़े कोताही क़ी बिना पि
नहीं है औि उसक़े नजर्जस होऩे क़े िाि़े में उस़े नमाज़ क़े िाद पता चल़े तो उसक़ी
नमाज़ सहीह है ।
दोिािा पढ़़े । ल़ेककन अगि नमाज़ क़े दौिान उस़े याद आए तो ज़रूिी है कक उस
हुक्म पि अमल कि़े र्जो िाद वाल़े मसअल़े में ियान ककया र्जाय़ेगा।
274
812. र्जो शख़्स वसी वक़्त में नमाज़ में मशगल
ू हो अगि नमाज़ क़े दौिान उस़े
नमाज़ शरू
ू किऩे क़े िाद नजर्जस हुआ है तो उस सिू त में िदन या मलिास पाक
किऩे या मलिास तबदील किऩे या मलिास उताि द़े ऩे स़े नमाज़ न टूट़े तो नमाज़
क़े दौिान िदन या मलिास पाक कि़े या मलिास तबदील कि़े या अगि ककसी औि
चीज़ ऩे उसक़ी शमकगाह को ढांप िखा हो तो मलिास उताि द़े ल़ेककन र्जि यह सिू त
हो कक अगि िदन या मलिास पाक कि़े या अगि मलिास िदल़े या उताि़े तो नमाज़
किऩे क़े िाद नजर्जस हुआ है तो अगि यह सिू त हो कक मलिास पाक किऩे या
है कक मलिास को पाक कि़े या िदल़े या अगि ककसी औि चीज़ ऩे उसक़ी शमकगाह
को ढांप िखा हो तो मलिास उताि द़े औि नमाज़ खत्म कि़े ल़ेककन अगि ककसी
275
814. कोई शख़्स र्जो तंग वक़्त में मशगल
ू हो औि नमाज़ क़े दौिान पता चल़े
िाद नजर्जस हुआ हो तो अगि सिू त यह हो कक िदन पाक किऩे स़े नमाज़ न
815. ऐसा शख़्स र्जो अपऩे िदन या मलिास क़े पाक होऩे क़े िाि़े में शक कि़े
औि र्जुस्तर्जू क़े िाद कोई चीज़ न पाकि औि नमाज़ पढ़़े औि नमाज़ क़े िाद उस़े
816. अगि कोई शख़्स अपना मलिास धोए औि उस़े यक़ीन हो र्जाए कक मलिास
पाक हो गया है, उसक़े साथ नमाज़ पढ़़े औि नमाज़ क़े िाद उस़े पता चल़े कक
कक यह नजर्जस खून में स़े नहीं है मसलन उस़े यक़ीन हो कक मच्छि का खून है
ल़ेककन नमाज़ पढ़ऩे क़े िाद उस़े पता चल़े कक यह उस खून में स़े है जर्जसक़े साथ
276
818. अगि ककसी शख़्स को यक़ीन हो कक उसक़े िदन या मलिास में र्जो खून है
वह ऐसा नजर्जस खन
ू है जर्जसक़े साथ नमाज़ सहीह है मसलन उस़े यक़ीन हो कक
ज़ख़्म औि फ़ोड़़े का खन
ू है ल़ेककन नमाज़ क़े िाद उस़े पता चल़े कक यह ऐसा खन
ू
ल़े औि नमाज़ क़े िाद उस़े याद आए तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ल़ेककन अगि
गस्
ु ल औि नमाज़ िाततल है मामसवा इसक़े कक गस्
ु ल किऩे स़े िदन भी पाक हो
820. जर्जस शख़्स क़े पास मसफ़क एक मलिास हो अगि उसका िदन औि मलिास
नजर्जस हो र्जाए औि उसक़े पास उनमें स़े एक को पाक किऩे क़े मलय़े पानी हो तो
नमाज़ पढ़़े । औि मलिास को पाक कि क़े नजर्जस िदन क़े साथ नमाज़ पढ़ना
277
र्जाइज़ नहीं है । ल़ेककन अगि मलिास क़ी नर्जासत िदन क़ी नर्जासत स़े िहुत
ज़्यादा हो या मलिास क़ी नर्जासत िदन क़ी नर्जासत क़े मलहाज़ स़े ज़्यादा शदीद
हो तो उस़े इजख़्तयाि है कक मलिास औि िदन में स़े जर्जस़े चाह़े पाक कि़े ।
821. जर्जस शख़्स क़े पास नजर्जस मलिास क़े अलावा कोई मलिास न हो ज़रूिी है
822. जर्जस शख़्स क़े पास दो मलिास हों अगि वह यह र्जानता हो कक इनमें स़े
वक़्त हो तो ज़रूिी है कक दोनों क़े साथ नमाज़ पढ़़े (यानी एक दफ़् आ एक मलिास
पहन कि औि एक दफ़् आ दस
ू िा मलिास पहन कि दो दफ़् आ वही नमाज़ पढ़़े )
मलिास स़े एक नमाज़ ज़ोहि क़ी औि एक नमाज़ अस्र क़ी पढ़़े ल़ेककन अगि वक़्त
तंग हो तो जर्जस मलिास क़े साथ नमाज़ पढ़ ल़े काफ़़ी है।
दस
ू िी शतक
र्जो र्जानता हो कक गस्िी मलिास पहनना हिाम है या कोताही क़ी वर्जह स़े मसअला
एहततयात क़ी बिना पि उसक़ी नमाज़ िाततल है । ल़ेककन अगि मलिास में वह चीज़ें
278
जर्जनस़े अगिच़े शमकगाह को ढांपा र्जा सकता हो ल़ेककन नमाज़ पढ़ऩे वाल़े ऩे उन्हें
हालत़े नमाज़ में न पहन िखा हो मसलन िड़ा रूमाल या लंगोटी र्जो र्ज़ेि में िखी
हो औि इसी तिह वह चीज़ें जर्जन्हें नमाज़ी ऩे पहन िखा हो अगिच़े उसक़े पास एक
मि
ु ाह सत्रपोश भी हो ऐसी तमाम सिू तों में इन (इज़ाफ़़ी) चीज़ों क़े गस्िी होऩे स़े
नमाज़ में कोई फ़कक नहीं पड़ता अगिच़े एहततयात उनक़े तकक कि द़े ऩे में है ।
मलिास क़े साथ नमाज़ पढ़़े तो ज़ैसा कक साबिका मसअल़े में तफ़्सील स़े िताया
औि उस मलिास क़े साथ नमाज़ पढ़़े तो उसक़ी नमाज़ सहीह है । ल़ेककन अगि वह
औि उसी मलिास में नमाज़ पढ़़े तो एहततयात क़ी बिना पि उसक़ी नमाज़ िाततल
है ।
है ल़ेककन नमाज़ क़े दौिान उस़े पता चल र्जाए औि उसक़ी शमकगाह ककसी दस
ू िी
279
उसक़ी शमकगाह ककसी दस
ू िी चीज़ स़े ढक़ी हुई न हो या वह गस्िी मलिास को
हो तो ज़रूिी है कक नमाज़ को तोड़ द़े औि उस मलिास क़े साथ नमाज़ पढ़़े र्जो
827. अगि कोई शख़्स अपनी र्जान क़ी हहफ़ाज़त क़े मलय़े गस्िी मलिास क़े साथ
नमाज़ पढ़़े या ममसाल क़े तौि पि गस्िी मलिास क़े साथ इस मलय़े नमाज़ पढ़़े
828. अगि कोई शख़्स उस िकम स़े मलिास खिीद़े जर्जसका खुम्स उसऩे अदा न
ककया हो तो उस मलिास क़े साथ नमाज़ पढ़ऩे क़े मलय़े वही हुक्म है र्जो गस्िी
तीसिी शतक
तछपाऩे क़े मलय़े नाकाफ़़ी है एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि जर्जहहन्दा खून वाल़े
मद
ु ाक है वान क़े अअज़ा स़े न िनी हो िजल्क अगि मलिास उस मद
ु ाक है वान मसलन
280
मछली औि सांप स़े तैयाि ककया र्जाए जर्जसका खून जर्जहहन्दा नहीं होता तो
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक उसक़े साथ नमाज़ न पढ़ी र्जाए।
होती है नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े हमिाह हो तो कुछ िईद नहीं है कक उसक़ी नमाज़
सहीह हो।
मसलन िाल औि ऊन नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े हमिाह हो या उस मलिास क़े साथ
नमाज़ पढ़़े र्जो इन चीज़ों स़े तैयाि ककया गया हो तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ।
चौथी शतक
832. ज़रूिी है कक नमाज़ पढ़ऩे वाल़े का मलिास – उन चीज़ों क़े अलावा र्जो
मसफ़क शमकगाह तछपाऩे क़े मलय़े नाकाफ़़ी है मसलन र्जुिाकि – र्जानविों क़े अअज़ा स़े
तैयाि ककया हुआ न हो िजल्क एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि हि उस र्जानवि क़े
अअज़ा स़े िना हुआ न हो जर्जसका गोश्त खाना हिाम है । इसी तिह ज़रूिी है कक
नमाज़ पढ़ऩे वाल़े का मलिास औि िदन हिाम गोश्त र्जानवि क़े प़ेशाि, पाखाऩे,
पसीऩे, दध
ू औि िाल स़े आलद
ू ा न हो ल़ेककन अगि हिाम गोश्त र्जानवि का एक
िाल उसक़े मलिास पि लगा हो तो कोई हिर्ज नहीं है। इसी तिह नमाज़ गज़
ु ाि क़े
281
हमिाह इन में स़े कोई चीज़ अगि डडबिया (या िोतल वगैिा) में िन्द िखी हो ति
दस
ू िी रुतूित नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े िदन या मलिास पि लगी हो औि अगि वह
मलिास पि लगा हो तो कोई हिर्ज नहीं। इसी तिह मवाकिीद, मोम औि शहद उसक़े
835. अगि ककसी को शक हो कक मलिास हलाल गोश्त र्जानवि स़े तैयाि ककया
गया है या हिाम गोश्त र्जानवि स़े तो ख़्वाह वह मकामी तौि पि तैयाि ककया गया
836. यह मालम
ू नहीं है कक सीपी हिाम गोश्त है वान क़े अअज़ा में स़े है
मलहाज़ा सीप (क़े िटन वगैिा) क़े साथ नमाज़ पढ़ना र्जाइज़ है ।
837. समिू का मलिास (Mink Fur) औि इसी तिह चगलहिी क़ी पोस्तीन पहन
282
838. अगि कोई शख़्स ऐस़े मलिास क़े साथ नमाज़ पढ़़े जर्जसक़े मत
ु अजल्लक वह
न र्जानता हो या भल
ू गया हो कक हिाम गोश्त र्जानवि स़े तैयाि हुआ है तो
एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि उस नमाज़ को दोिािा पढ़़े ।
पांचवीं शतक
839. ज़िदोज़ी का मलिास पहनना मदों क़े मलय़े हिाम है औि उसक़े साथ
नमाज़ पढ़ना िाततल है ल़ेककन औितों क़े मलय़े नमाज़ में या नमाज़ क़े अलावा
840. सोना पहनना मसलन सोऩे क़ी ज़ंर्जीि गल़े में पहनना, सोऩे क़ी अंगूठ
हाथ में पहनना, सोऩे क़ी र्ड़ी कलाई में िांधना औि सोऩे क़ी ऐनक लगाना मदों
क़े मलय़े हिाम है औि इन चीज़ों क़े साथ नमाज़ पढ़ना िाततल है । ल़ेककन औितों
क़े मलय़े नमाज़ में औि नमाज़ क़े अलावा इन चीज़ों क़े इस्त़ेमाल में कोई हिर्ज
नहीं ।
नमाज़ सहीह है ।
छटी शतक
283
842. नमाज़ पढ़ऩे वाल़े मदक का मलिास ह्त्ता कक एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना
843. अगि मलिास का तमाम अस्ति या उसका कुछ हहस्सा खामलस ि़े शम का
हो तो मदक क़े मलय़े उसका पहनना हिाम औि उसक़े साथ नमाज़ पढ़ना िाततल है ।
844. र्जि ककसी मलिास क़े िाि़े में यह इल्म न हो कक खामलस ि़े शम का है या
845. ि़े शमी रुमाल या उसी र्जैसी कोई चीज़ मदक क़ी र्ज़ेि में हो तो कोई हिर्ज
846. औित क़े मलय़े नमाज़ में या उसक़े अलावा ि़े शमी मलिास पहनऩे में कोई
हिर्ज नहीं है ।
847. मर्जििू ी क़ी हालत में गस्िी औि खामलस ि़े शमी औि ज़िदोज़ी का मलिास
पहनऩे में कोई हिर्ज नहीं । इसक़े अलावा र्जो शख़्स यह मलिास पहनऩे पि मर्जििू
पढ़ सकता है ।
284
848. अगि ककसी शख़्स क़े पास गस्िी मलिास क़े अलावा कोई मलिास न हो
मत
ु ाबिक नमाज़ पढ़़े र्जो ििहना लोगों क़े मलय़े िताए गय़े हैं।
849. अगि ककसी क़े पास दरिन्द़े क़े अज्ज़ा स़े िऩे हुए मलिास क़े अलावा औि
गए हैं। औि अगि उसक़े पास गैि मशकािी हिाम र्जानविों क़े अज्ज़ा स़े तैयाि शद
ु ा
850. अगि ककसी मदक क़े पास खामलस ि़े शमी या ज़ििफ़्ती मलिास क़े मसवा
अहकाम क़े मत
ु ाबिक नमाज़ पढ़़े र्जो ििहना लोगों क़े मलय़े िताए गय़े हैं।
851. अगि ककसी क़े पास ऐसी कोई चीज़ न हो जर्जसस़े वह अपनी शमकगाहों को
नमाज़ में ढांप सक़े तो वाजर्जि है कक ऐसी चीज़ ककिाए पि ल़े या खिीद़े ल़ेककन
285
काम क़े मलय़े खचक िदाकश्त कि़े तो उसक़ी हालत तिाह हो र्जाए तो उन अहकाम क़े
मत
ु ाबिक नमाज़ पढ़़े र्जो ििहना लोगों क़े मलय़े िताए गए हैं।
पास मलिास हो उसस़े उधाि मांग ल़े या िखमशश क़े तौि पि तलि कि़े ।
853. अगि कोई शख़्स ऐसा मलिास पहनना चाह़े जर्जसका कपड़ा, िं ग या मसलाई
रिवार्ज क़े मत
ु ाबिक न हो तो अगि उसका पहनना उसक़ी शान क़े खखलाफ़ औि
तौहीन का िाइस हो तो उसका पहनना हिाम है। ल़ेककन अगि वह उस मलिास क़े
साथ नमाज़ पढ़़े औि उसक़े पास शमकगाह तछपाऩे क़े मलय़े फ़कत वही मलिास हो
854. अगि मदक ज़नाना मलिास पहऩे औि औित मदाकना मलिास पहऩे औि उस़े
अपनी ज़ीनत किाि द़े तो एहततयात क़ी बिना पि उसका पहनना हिाम है। ल़ेककन
855. जर्जस शख़्स को ल़ेटकि नमाज़ पढ़नी चाहहय़े अगि उसका मलहाफ़ दरिन्द़े
क़े अज्ज़ा स़े िजल्क एहततयात क़ी बिना पि हिाम गोश्त र्जानवि क़े अज्ज़ा स़े िना
हो या नजर्जस या ि़े शमी हो औि उस़े पहनावा कहा र्जा सक़े तो उसस़े भी नमाज़
286
र्जाइज़ नहीं है । ल़ेककन अगि उस़े महज़ अपऩे ऊपि डाल मलया र्जाए तो कोई हिर्ज
नहीं औि उसस़े नमाज़ िाततल नहीं होती अलित्ता गदील़े क़े इस्त़ेमाल में ककसी
हालत में भी कोई किाहत नहीं मसवा इसक़े कक उसका कुछ हहस्सा इंसान अपऩे
ऊपि लप़ेट ल़े औि उस़े उफ़े आम में पहनना कहा र्जाए तो इस सिू त में उस का
जजन स़ूितों में नमाज़ी का बदन औि ललबास पाक होना जरूिी नहीं
856. तीन सिू तों में जर्जनक़ी तफ़्सील नीच़े ियान क़ी र्जा िही है अगि नमाज़
(1). उसक़े िदन क़े ज़ख़्म, र्जिाहत या िोड़़े क़ी वर्जह स़े उसक़े मलिास या िदन
पि खून लग र्जाए।
ऊपि वाली चगिह क़े ििािि है – क़ी ममक़्दाि स़े कम खून लग र्जाए।
(3). वह नजर्जस िदन या मलिास क़े साथ नमाज़ पढ़ऩे पि मर्जििू हो।
इनक़े अलावा एक औि सिू त में अगि नमाज़ पढ़ऩे वाल़े का मलिास नजर्जस भी
287
इन चािों सिू तों क़े मफ़
ु स्सल अहकाम आइन्दा मस ्अलों में ियान ककय़े र्जायेंग़े।
857. अगि नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े िदन या मलिास पि ज़ख़्म या र्जिाहत या
फ़ोड़़े का खन
ू हो तो वह उस खन
ू क़े साथ उस वक़्त तक नमाज़ पढ़ सकता है
पि ऐसी पीप हो र्जो खून क़े साथ तनकली हो या ऐसी दवाई हो र्जो ज़ख़्म पि
हुक्म है ।
858. अगि नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े िदन या मलिास पि ऐसी खिाश या ज़ख़्म का
नमाज़ िाततल है ।
859. अगि िदन या मलिास क़ी ऐसी र्जगह र्जो ज़ख़्म स़े फ़ामसल़े पि हो ज़ख़्म
क़ी रुतूित स़े नजर्जस हो र्जाए तो उसक़े साथ नमाज़ पढ़ना र्जाइज़ नहीं है ल़ेककन
860. अगि ककसी शख़्स क़े िदन या मलिास को उस िवासीि स़े जर्जस क़े मस्स़े
288
खून क़े साथ नमाज़ पढ़ना बिला इश्काल र्जाइज़ है जर्जसक़े मस्स़े मक् अद क़े िाहि
हों।
861. अगि कोई ऐसा शख़्स जर्जसक़े िदन पि ज़ख़्म हों अपऩे िदन या मलिास
पि ऐसा खून द़े ख़े र्जो हदिहम स़े ज़्यादा हो औि यह न र्जानता हो कक यह खून
र्जायें उनक़े खून क़े साथ नमाज़ पढ़ऩे में कोई हिर्ज नहीं है ल़ेककन अगि वह एक
दस
ू ि़े स़े इतऩे दिू हों कक उनमें स़े हि ज़ख़्म एक अलायहदा ज़ख़्म शम
ु ाि हो तो
भी हैज़ का खन
ू लगा हो तो उसक़ी नमाज़ िाततल है। औि एहततयात क़ी बिना पि
है वान क़े खून क़ी छ ंट िदन क़े कई हहस्सों पि लगी हो ल़ेककन मज्मई
ू ममक़्दाि
एक हदिहम स़े कम हो तो उसक़े साथ नमाज़ पढ़ऩे में कोई हिर्ज नहीं है ।
289
864. र्जो खून िगैि अस्ति क़े कपड़़े पि चगि़े औि दस
ू िी तिफ़ पहुंच र्जाए वह
एक खन
ू शम
ु ाि होता है ल़ेककन अगि कपड़़े क़े दस
ू िी तिफ़ अलग स़े खन
ू आलद
ू ा
पस अगि वह खून र्जो कपड़़े क़े सामऩे क़े रुख औि वपछली तिफ़ है मज्मई
ू तौि
865. अगि अस्ति वाल़े कपड़़े पि चगि़े औि उसक़े अस्ति तक पहुंच र्जाए या
अलग शम
ु ाि ककया र्जाए। ल़ेककन अगि कपड़़े का खून औि अस्ति का खून इस
उस खन
ू स़े ममल र्जाए औि उसक़े अत्राफ़ को आलद
ू ा कि द़े तो उसक़े साथ नमाज़
ल़ेककन अगि रुतूित मसफ़क खून स़े ममल़े औि उसक़े एतिाफ़ को आलद
ू ा न कि़े तो
ज़ाहहि यह है कक उसक़े साथ नमाज़ पढ़ऩे में कोई हिर्ज नहीं है।
290
867. अगि िदन या मलिास पि खून न हो ल़ेककन रुतूित लगऩे क़ी वर्जह स़े
खन
ू स़े नजर्जस हो र्जायें तो अगिच़े र्जो ममक़्दाि नजर्जस हुई है वह एक हदिहम स़े
कोई दस
ू िी नर्जासत उसस़े आ लग़े मसलन प़ेशाि का एक कतिा उस पि चगि र्जाए
औि वह िदन या मलिास स़े लग र्जाए तो उसक़े साथ नमाज़ पढ़ना र्जाइज़ नहीं
869. अगि नमाज़ पढ़ऩे वाल़े का छोटा मलिास मसलन टोपी औि मोज़ा, जर्जसस़े
शमकगाह को न ढांपा र्जा सकता हो, नजर्जस हो र्जाए औि वह एहततयात़े लाजज़म क़ी
बिना पि नजर्जस मद
ु ाकि या नजर्जसल
ु ऐन हैवान मसलन कुत्त़े (क़े अअज़ा) स़े न िना
हो तो उसक़े साथ नमाज़ सहीह है औि इसी तिह अगि नजर्जस अंगूठ क़े साथ
870. नजर्जस चीज़ मसलन नजर्जस रूमाल, चािी औि चाकू का नमाज़ पढऩे वाल़े
क़े पास होना र्जाइज़ है औि िईद नहीं है कक मत्ु लक नजर्जस मलिास (र्जो पहना
हुआ न हो) उसक़े पास हो ति भी नमाज़ को कोई ज़िि न पहुंचाए (यानी उसक़े
291
871. अगि कोई र्जानतो हो कक र्जो खून उसक़े मलिास या िदन पि है वह एक
मआ
ु फ़ नहीं है तो उसक़े मलय़े र्जाइज़ है कक उस खन
ू क़े साथ नमाज़ पढ़़े औि
872. अगि वह खून र्जो एक शख़्स क़े मलिास या िदन पि हो एक हदिहम स़े
नमाज़ पढ़ ल़े औि किि उस़े पता चल़े कक यह उस खून में स़े था र्जो मआ
ु फ़ नहीं
है तो उसक़े मलय़े दोिािा नमाज़ पढ़ना ज़रूिी नहीं है औि उस वक़्त भी यही हुक्म
औि िाद में पता चल़े कक उसक़ी ममक़्दाि एक हदिहम या उसस़े ज़्यादा थी, उस
292
वह च़ीजें जो नमाज़ी के ललबास में मकरूह हैं
874. चन्द चीज़ें नमाज़ी क़े मलिास में मकरूह हैं जर्जनमें स़े मसयाह, मैला औि
नर्जासत स़े पिह़े ज़ न किता हो औि ऐसा मलिास पहनना जर्जस पि च़ेहि़े क़ी
तस्वीि िनी हो। इसक़े अलावा मलिास क़े िटन खुल़े होना औि ऐसी अंगूठ पहनना
293
नमाज पढ़ने की जगह
पहली शतक यह है कक वह मि
ु ाह हो।
875. र्जो शख़्स गस्िी र्जगह पि अगिच़े वह कालीन, तख्त औि इसी तिह क़ी
दस
ू िी चीज़ें हों, नमाज़ पढ़ िहा हो तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि उसक़ी
नमाज़ िाततल है ल़ेककन गस्िी छत क़े नीच़े औि गस्िी खैम़े में नमाज़ पढ़ऩे में
876. ऐसी र्जगह नमाज़ पढ़ना जर्जसक़ी मन्फ़अत ककसी औि क़ी ममजल्कयत हो
तो मन्फ़अत क़े मामलक क़ी इर्जाज़त क़े िगैि वहां नमाज़ पढ़ना गस्िी र्जगह पि
नमाज़ पढ़ऩे क़े हुक्म में है मसलन ककिाय़े क़े मकान में मामलक मकान या उस
शख़्स क़ी इर्जाज़त क़े िगैि कक जर्जसऩे वह मकान ककिाय़े पि मलया है नमाज़ पढ़़े
तो एहततयात क़ी बिना पि उसक़ी नमाज़ िाततल है औि अगि मिऩे वाल़े ऩे
वसीयत क़ी हो कक उसक़े माल का तीसिा हहस्सा फ़ुलां काम पि खचक ककया र्जाए
294
877. अगि कोई शख़्स मजस्र्जद में िैठा हो औि दस
ू िा शख़्स उस़े िाहि तनकाल
878. अगि कोई शख़्स ककसी ऐसी र्जगह नमाज़ पढ़़े जर्जसक़े गस्िी होऩे का उस़े
इल्म न हो औि नमाज़ क़े िाद उस़े पता चल़े या ऐसी र्जगह नमाज़ पढ़़े जर्जसक़े
गस्िी होऩे को वह भल
ू गया हो औि नमाज़ क़े िाद उस़े याद आय़े तो उसक़ी
नमाज़ सहीह है । ल़ेककन कोई ऐसा शख़्स जर्जसऩे खुद वह र्जगह गस्ि क़ी हो औि
वह भल
ू र्जाए औि वहां नमाज़ पढ़़े तो उसक़ी नमाज़ एहततयात क़ी बिना पि
िाततल है ।
हिाम है ल़ेककन उस़े यह इल्म न हो कक गस्िी र्जगह पि नमाज़ पढ़ऩे में इश्काल
880. अगि कोई शख़्स वाजर्जि नमाज़ सवािी क़ी हालत में पढ़ऩे पि मर्जििू हो
295
881. अगि कोई शख़्स ककसी र्जायदाद में दस
ू ि़े का शिीक हो औि उसका हहस्सा
र्जद
ु ा न हो तो अपऩे मशककतदाि क़ी इर्जाज़त क़े िगैि वह उस र्जायदाद पि तसरूकफ़
882. अगि कोई शख़्स एक ऐसी िकम स़े र्जायदाद खिीद़े जर्जसका खुम्स उसऩे
883. अगि ककसी र्जगह का मामलक ज़िान स़े नमाज़ पढ़ऩे क़ी इर्जाज़त द़े द़े
884. जर्जस मत
ु वफ़्फ़़ी ऩे ज़कात औि उस़े र्जैस़े दस
ू ि़े वाजर्जिात अदा न ककय़े हों
उसक़ी र्जायदाद में तसरूकफ़ किना, अगि वाजर्जिात क़ी अदायगी में माऩे न हो,
मसलन उसक़े र्ि में विसा क़ी इर्जाज़त स़े नमाज़ पढ़ी र्जाए तो इश्काल नहीं है।
ज़मानत द़े कक अदा कि द़े गा तो उसक़ी र्जायदाद में तसरूकफ़ किऩे में भी कोई
296
885. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी लोगो का मकरूज़ हो तो उसक़ी र्जायदाद में तसरूकफ़
किना उस मद
ु े क़ी र्जायदाद में तसरूकफ़ क़े हुक्म में है जर्जसऩे ज़कात औि उसक़ी
मातनन्द दस
ू ि़े माली वाजर्जिात अदा न ककय़े हों।
886. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े जज़म्म़े कज़क न हो ल़ेककन उसक़े िाज़ विसा कममसन
या मज्नन
ू या गैि हाजज़ि हों तो उनक़े वली क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उसक़ी र्जायदाद
887. ककसी क़ी र्जायदाद में नमाज़ पढ़ना उस सिू त में र्जाइज़ है र्जिकक उसका
मामलक सिीहन इर्जाज़त द़े या कोई ऐसी िात कह़े जर्जसमें मालम
ू हो कक उसऩे
नमाज़ पढ़ऩे क़ी इर्जाज़त द़े दी है । मसलन अगि इसस़े समझा र्जा सकता है उसऩे
888. वसी व अिीज़ ज़मीन में नमाज़ पढ़ना र्जाइज़ है अगिच़े उसक़े मामलक
कममसन या मज्नन
ू हो या वहां नमाज़ पढ़ऩे पि िाज़ी न हो। इसी तिह वह ज़मीऩे
कक जर्जनक़े दिवाज़़े औि हदवाि न हों उनमें उनक़े मामलक क़ी इर्जाज़त क़े िगैि
297
दस
ू िी शतक
889. ज़रूिी है कक नमाज़ी क़ी र्जगह वाजर्जि नमाज़ों में ऐसी न हो कक त़ेज़
एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक उसक़े िदन को साककन िखऩे में भी
माऩे न हो औि अगि वक़्त क़ी तंगी या ककसी औि वर्जह स़े ऐसी र्जगह मसलन
िस, ट्रक, कश्ती या ि़े लगाड़ी में नमाज़ पढ़़े तो जर्जस कर मजु म्कन हो िदन क़े
ठहिाव औि ककबल़े क़ी मसम्त का ख़्याल िख़े औि अगि ट्रांस्पोटक स़े ककसी दस
ू िी
तिफ़ मड़
ु र्जाए तो अपना मंह
ु ककबल़े क़ी तिफ़ मोड़ द़े ।
890. र्जि गाड़ी, कश्ती या ि़े लगाड़ी वगैिा खड़ी हुई हों तो उनमें नमाज़ पढ़ऩे में
891. गंदम
ु , र्जौ औि उन र्जैसी दस
ू िी अज्नास क़े ढ़े ि पि र्जो हहल़े र्जुल़े िगैि
नहीं िह सकत़े नमाज़ िाततल है । (िोरियें क़े ढ़े ि मिु ाद नहीं हैं।)
(तीसिी शतक)
ज़रूिी है कक इंसान ऐसी र्जगह नमाज़ पढ़़े र्जहां नमाज़ पिू ी पढ़ ल़ेऩे का
यक़ीन हो कक मसलन हवा औि िारिश या भीड़ भाड़ क़ी वर्जह स़े वहां पिू ी नमाज़
298
न पढ़ सक़ेगा गो इत्त़ेफ़ाक स़े पिू ी पढ़ ल़े।
892. अगि कोई शख़्स ऐसी र्जगह नमाज़ न पढ़़े र्जहां ठहिना हिाम हो मसलन
मत
ु कक कि होगा ल़ेककन उसक़ी नमाज़ सहीह है ।
893. ककसी ऐसी चीज़ पि नमाज़ पढ़ना सहीह नहीं है जर्जस पि खड़ा होना या
िैठना हिाम हो मसलन कालीन क़े ऐस़े हहस्स़े पि र्जहां अल्लाह तआला का नाम
(चौथी शतक)
जर्जस र्जगह इंसान नमाज़ पढ़़े उसक़ी छत इतनी नीची न हो कक सीधा खड़ा न
न हो।
894. अगि कोई शख़्स ऐसी र्जगह नमाज़ पढ़ऩे पि मर्जििू हो र्जहां बिल्कुल
सीधा खड़ा होना मजु म्कन न हो तो उसक़े मलय़े ज़रूिी है कक िैठकि नमाज़ पढ़़े
इशािा कि़े ।
299
895. ज़रूिी है कक पैगम्िि़े अकिम स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम
औि अइम्मए अहल़े िैत (अ0) क़ी कब्र क़े आग़े अगि उनक़ी ि़े हुमत
क ी होती हो तो
(पांचवी शतक)
रुतूित नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े िदन या मलिास तक पहुंच़े ल़ेककन अगि सज्द़े में
औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक नमाज़ पढ़ऩे क़ी र्जगह हिचगज़ नजर्जस न हो।
(छटी शतक)
एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक औित मदक स़े पीछ़े खड़ी हो औि
कम अज़ कम उसक़े सज्दा किऩे क़ी र्जगह सज्द़े क़ी हालत में मदक क़े दो ज़ानू क़े
896. अगि कोई औित मदक क़े ििािि या आग़े खड़ी हो औि दोनों ियक वक़्त
नमाज़ पढ़ऩे लगें तो ज़रूिी है कक दोिािा नमाज़ पढ़ें । औि यही हुक्म है अगि एक
दस
ू ि़े स़े पहल़े नमाज़ क़े मलय़े खड़ा हो।
300
897. अगि मदक औि औित एक दस
ू ि़े क़े ििािि खड़़े हों या औित आग़े खड़ी हो
औि दोनों नमाज़ पढ़ िह़े हों ल़ेककन दोनों क़े दिममयान दीवाि या पदाक या कोई
(सातवीं शतक)
नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़ी प़ेशानी िखऩे क़ी र्जगह, दो ज़ानू औि पांव क़ी उं गमलयां
िखऩे क़ी र्जगह स़े चाि ममली हुई उं गमलयों क़ी ममक़्दाि स़े ज़्यादा ऊंची या नीची
898. ना महिम मदक औि औित का एक ऐसी र्जगह होना र्जहां गुनाह में
नमाज़ भी न पढ़ें ।
899. जर्जस र्जगह मसताि िर्जाया र्जाता हो औि उस र्जैसी चीज़़े इस्त़ेमाल क़ी
गुनाह है ।
900. एहततयात़े वाजर्जि यह है कक इजख़्तयाि क़ी हालत में खाना ए कअिा क़े
अन्दि औि उसक़ी छत क़े ऊपि वाजर्जि नमाज़ न पढ़ी र्जाए। ल़ेककन मज्ििू ी क़ी
301
901. खाना ए कअिा क़े अन्दि औि उसक़ी छत क़े ऊपि नफ़्ली नमाज़ें पढ़ऩे
मक
ु ाबिल दो िक् अत नमाज़ पढ़ी र्जाए।
मजस्र्जद में पढ़ी र्जाए। दतु नया भि क़ी सािी मजस्र्जदों में सिस़े ि़ेहति मजस्र्जदल
ु
हिाम औि उसक़े िाद मजस्र्जद़े निवी (स0) है औि उसक़े िाद मजस्र्जद़े कूफ़ा औि
मजस्र्जद औि उसक़े िाद मोहल्ल़े क़ी मजस्र्जद औि उसक़े िाद िाज़ाि क़ी मजस्र्जद
903. औित क़े मलय़े ि़ेहति है कक नमाज़ ऐसी र्जगह पढ़़े र्जो ना महिम स़े
904. आइम्मा ए अहल़े िैत (अ0) क़े हिमों में नमाज़ पढ़ना मस्
ु तहि है िजल्क
मजस्र्जद में नमाज़ पढ़ऩे स़े ि़ेहति है औि रिवायत है कक हज़ित अमीरुल मोममनीन
(अ0) क़े हिम़े पाक में नमाज़ पढ़ना दो लाख नमाज़ों क़े ििािि है ।
302
905. मजस्र्जद में ज़्यादा र्जाना औि उस मजस्र्जद में र्जाना र्जो आिाद न हो
शख़्स मजस्र्जद क़े पड़ोस में िहता हो औि कोई उज़्र भी न िखता हो तो उसक़े मलय़े
ममलकि खाना न खाए, अपऩे कामों में उसस़े मजश्विा न कि़े , उसक़े पड़ोस में न
िह़े औि न उसस़े औित का रिश्ता ल़े औि न उस़े रिश्ता द़े । (यानी उसका सोशल
िाइकाट कि़े ) ।
907. चन्द मकामात पि नमाज़ पढ़ना मकरूह है जर्जनमें स़े कुछ यह हैं-
1. हम्माम,
2. शोि ज़मीन,
4. उस दिवाज़़े क़े मक
ु ाबिल र्जो खुला हो।
6. आग औि चचिाग क़े मक
ु ाबिल।
303
7. िाविची खाऩे में हि उस र्जगह र्जहां आग क़ी भट्टी हो।
11. जर्जस र्जगह फ़ोटो हो ख़्वाह वह नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े सामऩे न हो।
908. अगि कोई शख़्स लोगों क़ी िहगुज़ि पि नमाज़ पढ़ िहा हो या कोई औि
मजस्जद के अहकाम
नजर्जस किना हिाम है औि जर्जस शख़्स को पता चल़े कक इनमें स़े कोई एक
304
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक मजस्र्जद क़ी दीवाि क़े ि़ेरूनी हहस्स़े को भी नजर्जस न
ल़ेककन अगि दीवाि का ि़ेरूनी हहस्सा नजर्जस किना मजस्र्जद क़ी ि़े हुिमती का
ि़े हुमत
क ी खत्म हो र्जाए ज़रूिी है ।
910. अगि कोई शख़्स मजस्र्जद को पाक किऩे पि काहदि न हो या उस़े मदद
911. अगि मजस्र्जद क़ी कोई र्जगह नजर्जस हो गई हो जर्जस़े खोद़े या तोड़़े िगैि
पि खोदऩे या तोड़ऩे पि मौकूफ़ हो वनाक तोड़ऩे में इश्काल है । र्जो र्जगह खोदी गई
हो उस़े पिु किना औि र्जो र्जगह तोड़ी गई हो उस़े तअमीि किना वाजर्जि नहीं है
ल़ेककन मजस्र्जद क़ी कोई चीज़ मसलन ईंट अगि नजर्जस हो गई हो तो मजु म्कन
सिू त में उस़े पानी स़े पाक किक़े ज़रूिी है कक उसक़ी असली र्जगह पि लगा हदया
र्जाए।
305
912. अगि कोई शख़्स मजस्र्जद को गस्ि कि़े औि उसक़ी र्जगह र्ि या ऐसी ही
कोई चीज़ तअमीि कि़े या मजस्र्जद इस कदि टूट फ़ूट र्जाए कक उस़े मजस्र्जद न
913. अइम्मा ए अहल़े िैत (अ0) में स़े ककसी इमाम का हिम नजर्जस किना
हिाम है। अगि उनक़े हिमों में स़े कोई हिम नजर्जस हो र्जाए औि उसका नजर्जस
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक ख़्वाह ि़े हुमत
क ी न होती हो ति भी पाक ककया र्जाए।
914. अगि मजस्र्जद क़ी चटाई नजर्जस हो र्जाए तो ज़रूिी है कक उस़े धोकि पाक
वह धोऩे स़े खिाि होती हो औि नजर्जस हहस्स़े का काट द़े ना ि़ेहति हो तो ज़रूिी है
915. अगि ककसी ऐन नर्जासत या नजर्जस चीज़ को मजस्र्जद में ल़े र्जाऩे स़े
मस्
ु तहि यह है कक अगि ि़े हुमत
क ी न होती हो ति भी ऐऩे नर्जासत को मजस्र्जद में
916. अगि मजस्र्जद में मर्जमलस़े अज़ा क़े मलय़े ककनात तानी र्जाए औि फ़शक
बिछाया र्जाए औि मसयाह पदे लटकाए र्जायें औि चाय का सामान उसक़े अन्दि ल़े
306
र्जाया र्जाए तो अगि यह चीज़ें मजस्र्जद क़े तकद्दस
ु को पामाल न किती हों औि
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक मजस्र्जद को इंसान औि है वान क़ी तिह र्जानविों क़ी
918. अगि मजस्र्जद टूट िूट भी र्जाए ति भी न तो उस़े ि़ेचा र्जा सकता है औि
अगि मजस्र्जद टूट िूट र्जाए ति भी ज़रूिी है कक इन चीज़ों को उसी मजस्र्जद क़ी
मिम्मत क़े मलय़े इस्त़ेमाल ककया र्जाए औि अगि उस मजस्र्जद क़े काम क़ी न िही
मजस्र्जदों क़े काम क़ी भी न िहीं हो तो उन्हें ि़ेचा र्जा सकता है औि र्जो िकम
920. मजस्र्जद का तअमीि किना औि ऐसी मजस्र्जद क़ी मिम्मत किना र्जो
मख्दश
ू हो मस्
ु तहि है, औि अगि मजस्र्जद इस कदि मख्दश
ू हो कक उसक़ी
मिम्मत मजु म्कन न हो तो उस़े चगिा कि दोिािा तअमीि ककया र्जा सकता है
307
िजल्क अगि मजस्र्जद टूटी िूटी न हो ति भी उस़े लोगों क़ी ज़रूित क़ी खातति
क़ीमती मलिास पहऩे औि अपऩे र्जूतों क़े तलवों क़े िाि़े में तहक़ीक कि़े कक कहीं
नर्जासत तो नहीं लगी हुई। नीज़ यह है कक मजस्र्जद में दाखखल होत़े वक़्त पहल़े
दायां पांव औि िाहि तनकलत़े वक़्त पहल़े िायां पांव िख़े औि इसी तिह मस्
ु तहि
नमाज़़े तहीयत व एहततिाम़े मजस्र्जद क़ी नीयत स़े पढ़़े औि अगि वाजर्जि नमाज़
या कोई औि मस्
ु तहि नमाज़ पढ़़े ति भी काफ़़ी है।
923. अगि इंसान मर्जििू न हो तो मजस्र्जद में सोना, दतु नयावी कामों क़े िाि़े में
गफ़्
ु तगु ू किना औि कोई काम कार्ज किना औि अश ्आि पढ़ना जर्जनमें नसीहत औि
औि िलगम थक
ू ना भी मकरूह है िजल्क िाज़ सिू तों में हिाम है । औि इसक़े
अलावा गुमशद
ु ा (शख़्स या चीज़) को तलाश कित़े हुए आवाज़ को िलन्द किना
नहीं है।
308
924. दीवाऩे को मजस्र्जद में दाखखल होऩे द़े ना मकरूह है औि इसी तिह उस
िच्च़े को भी दाखखल होऩे द़े ना मकरूह है र्जो नमाज़ी क़े मलय़े िाइस़े ज़हमत हो या
एहततमाल हो कक वह मजस्र्जद को नजर्जस कि द़े गा। इन दो सिू तों क़े अलावा िच्च़े
को मजस्र्जद में आऩे द़े ऩे में कोई हिर्ज नहीं। उस शख़्स का भी मजस्र्जद में र्जाना
अजान औि इकामत
क़े मलय़े मशरूउ नहीं ल़ेककन ईद़े कफ़त्र औि ईद़े कुिाकन स़े पहल़े र्जिकक नमाज़ िा
926. मस्
ु तहि है कक िच्च़े क़ी पैदाइश क़े पहल़े हदन या नाफ़ उखड़ऩे स़े पहल़े
उसक़े दायें कान में अज़ान औि िायें कान में इकामत कही र्जाए।
309
है या अलस्सलात़े है या अलस्सलात़े,
औि इकामत क़े सत्रा र्जुम्ल़े हैं यानी अज़ान क़ी इजबतदा स़े दो मतकिा अल्लाहो
कि द़े ना ज़रूिी है ।
र्जाए तो अच्छा है ।
र्जाए। अश्हदो अंल्ला इलाहा इल्लल्लाह यानी मैं गवाही द़े ता हूं कक यकता औि
310
अश्हदो अन्ना मोहम्मदिक सल
ू ल्
ु लाह यानी मैं गवाही द़े ता हूं कक मोहम्मद इबऩे
अबदल्
ु लाह स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम अल्लाह क़े पैगम्िि औि उसी
हैं।
है या अला खैरिल अमल़े यानी ि़ेहतिीन काम (नमाज़) क़े मलय़े र्जल्दी किो।
ला इलाहा इल्लल्लाहो यानी यकता औि ि़े ममस्ल अल्लाह क़े अलावा कोई
930. अगि अज़ान या इकामत में आवाज़ को गल़े में इस तिह ि़ेि़े कक चगना
हो र्जाए यानी अज़ान औि इकामत इस तिह कह़े र्जैस़े लहवो लइि औि ख़ेलकूद
311
क़ी महकफ़लों में अवाज़ तनकालऩे का दस्तिू है तो वह हिाम है औि अगि चगना न
हो तो मकरूह है।
931. तमाम सिू तों में र्जि कक नमाज़ी दो नमाज़ों को तल़े ऊपि अदा कि़े अगि
उसऩे पहली नमाज़ क़े मलय़े अज़ान कही तो िाद वाली नमाज़ क़े मलय़े अज़ान
क़े हदन र्जो नवी जज़लहहज्र्जा का हदन है ज़ोहि औि अस्र क़ी नमाज़ों का र्जमअ
किना औि ईद़े कुिाकन क़ी िात में मचिि औि इशा क़ी नमाज़ों का र्जमअ किना
उस शख़्स क़े मलय़े र्जो मश ्अरूल हिाम में हो। इन सिू तों में अज़ान का साककत
िहुत कम फ़ामसला हो ल़ेककन नफ़ल औि तअक़ीिात पढ़ऩे स़े कोई फ़कक नहीं पड़ता
औि एहततयात़े वाजर्जि यह है कक इन सिू तों में अज़ान मशरूइयत क़ी नीयत स़े
932. अगि नमाज़़े र्जमाअत क़े मलय़े अज़ान औि इकामत कही र्जा चक
ु ़ी हो तो
र्जो शख़्स उस र्जमाअत क़े साथ नमाज़ पढ़ िहा हो उसक़े मलय़े ज़रूिी नहीं कक
933. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े मलय़े मजस्र्जद में र्जाए औि द़े ख़े कक नमाज़़े
र्जमाअत खत्म हो चक
ु ़ी है तो र्जि तक सफ़ें टूट न र्जायें औि लोग मन्
ु तमशि न हो
312
र्जायें वह नमाज़ क़े मलय़े अज़ान औि इकामत न कह़े । यानी उन दोनों का कहना
मस्
ु तहि़े ताक़ीदी नहीं िजल्क अगि अज़ान द़े ना चाहता हो तो ि़ेहति यह है कक
934. ऐसी र्जगह र्जहां नमाज़़े र्जमाअत अभी अभी खत्म हुई हो औि सफ़ें न
हो नमाज़ पढ़ना चाह़े तो छः शतों क़े साथ अज़ान औि इकामत उस पि स़े साककत
हो र्जाती हैः-
अगि नमाज़़े र्जमाअत मजस्र्जद क़े अन्दि पढ़ी र्जाए औि वह शख़्स मजस्र्जद क़ी
5. नमाज़़े र्जमाअत अदा हो। ल़ेककन इस िात क़ी शतक नहीं कक खुद उसक़ी
313
6. उस शख़्स क़ी नमाज़ औि नमाज़़े र्जमाअत का वक़्त मश्ु तिक हो मसलन
दोनों नमाज़़े ज़ोहि या दोनों नमाज़़े अस्र पढ़ें या नमाज़़े ज़ोहि र्जमाअत स़े पढ़ी र्जा
िही है औि वह शख़्स नमाज़़े अस्र पढ़़े औि र्जमाअत क़ी नमाज़, अस्र क़ी नमाज़
मचिि क़ी नमाज़ अदा पढ़़े तो अज़ान औि इकामत उस पि स़े साककत नहीं होगी।
935. र्जो शतें साबिका मस ्अल़े में ियान क़ी गई हैं अगि कोई शख़्स उनमें स़े
तीसिी शतक क़े िाि़े में शक कि़े यानी उस़े शक हो कक र्जमाअत क़ी नमाज़ सहीह
दस
ू िी पांच शिाइत में स़े ककसी एक क़े िाि़े में शक कि़े तो ि़ेहति है कक िर्जाए
314
938. अगि कोई मदक औित क़ी अज़ान को लज़्ज़त क़े कस्द स़े सन
ु ़े तो उसक़ी
अज़ान साककत नहीं होगी िजल्क अगि मदक का इिादा लज़्ज़त हामसल किऩे का न
939. ज़रूिी है कक नमाज़़े ज़माअत क़ी अज़ान औि इकामत मदक कह़े ल़ेककन
औितों क़ी नमाज़़े र्जमाअत में अगि औित अज़ान औि इकामत कह द़े तो काफ़़ी
है ।
940. ज़रूिी है कक इकामत अज़ान क़े िाद कही र्जाए अलावा अज़ीं इकामत में
941. अगि कोई शख़्स अज़ान औि इकामत क़े र्जुमल़े िगैि तितीि क़े कह़े
र्जाए। अलावा अज़ीं अगि अज़ान औि इकामत क़े औि नमाज़ क़े दिममयान इतना
315
शम
ु ाि न हो तो मस्
ु तहि है कक उस नमाज़ क़े मलय़े दोिािा अज़ान औि इकामत
कही र्जाए।
943. ज़रूिी है कक अज़ान औि इकामत सहीह अििी में कही र्जायें। मलहाज़ा
अगि कोई शख़्स उन्हें गलत अििी में कह़े या एक हफ़क क़ी र्जगह कोई दस
ू िा हफ़क
कह़े या मसलन उनका तर्जकमा उदक ू ज़िान में कह़े तो सहीह नहीं है ।
944. ज़रूिी है कक अज़ान औि इकामत, नमाज़ का वक़्त दाखखल होऩे क़े िाद
िाततल है मगि ऐसी सिू त में र्जिकक वसत़े नमाज़ में वक़्त दाखखल हो तो उस
945. अगि कोई शख़्स इकामत कहऩे स़े पहल़े शक कि़े कक अज़ान कही है या
है कक जर्जस र्जुमल़े क़ी अदायगी क़े िाि़े में उस़े शक हुआ हो उस़े अदा कि़े ल़ेककन
अगि उस़े अज़ान या इकामत का कोई र्जुमला अदा कित़े हुए शक हो कक उसऩे
उसस़े पहऩे वाला र्जुमला कहा है या नहीं तो उस र्जुमल़े को कहना ज़रूिी नहीं।
316
947. मस्
ु तहि है कक अज़ान कहत़े वक़्त इंसान ककबल़े क़ी तिफ़ मंह
ु कि क़े
खड़ा हो औि वज़
ु ू या गस्
ु ल क़ी हालत में हो औि हाथों को कानो पि िख़े औि
948. मस्
ु तहि है कक इकामत कहत़े वक़्त इंसान का िदन साककन हो औि
अज़ान क़े मक
ु ाबिल़े में इकामत आहहस्ता कह़े औि उसक़े र्जुमलों को एक दस
ू ि़े स़े
ममला न द़े । ल़ेककन इकामत क़े दिममयान उतना फ़ामसला न द़े जर्जतना अज़ान क़े
र्जम
ु लों क़े दिममयान द़े ता है ।
949. मस्
ु तहि है कक अज़ान औि इकामत क़े दिममयान एक कदम आग़े िढ़़े या
थोड़ी द़े ि क़े मलय़े िैठ र्जाए या सज्दा कि़े या अल्लाह का जज़क्र कि़े या दआ
ु पढ़़े
या थोड़ी द़े ि क़े मलय़े साककत हो र्जाए या कोई िात कि़े या दो िक् अत नमाज़ पढ़़े
ल़ेककन नमाज़़े फ़ज्र क़ी अज़ान औि इकामत क़े दिममयान कलाम किना औि
नमाज़़े मचिि क़ी अज़ान औि इकामत क़े दिममयान नमाज़ पढ़ना (यानी दो
950. मस्
ु तहि है कक जर्जस शख़्स को अज़ान द़े ऩे पि मक
ु िक ि ककया र्जाए वह
अज़ान द़े ।
317
नमाज के वाजजबात
पय िर्जा लाना।
951. नमाज़ क़े वाजर्जिात में स़े िाज़ उसक़े रुक्न हैं यानी अगि इंसान उन्हें
िर्जा न लाए तो ऐसा किना अमदन हो या गलती स़े हो नमाज़ िाततल हो र्जाती है
औि िाज़ वाजर्जिात रुक्न नहीं हैं यानी अगि वह गलती स़े छूट र्जायें तो नमाज़
1. नीयत
2. तक्िीितल
ु एहिाम (यानी नमाज़ शरू
ु कित़े वक़्त अल्लाहो अक्िि कहना)।
4. रूकू।
ज़्यादती अमदन हो तो िगैि ककसी शतक क़े नमाज़ िाततल है । औि अगि गलती स़े
हुई हो तो रूकू में या एक ही िक् अत क़े दो सज्दों में ज़्यादती स़े एहततयात़े
318
नीयत
खुशनद
ू ी हामसल किऩे क़े मलय़े पढ़़े औि यह ज़रूिी नहीं कक नीयत को अपऩे हदल
स़े गज़
ु ाि़े या मसलन ज़िान स़े कह़े कक चाि िक् अत नमाज़़े ज़ोहि पढ़ता हूं कुिकतन
इलल्लाह।
953. अगि कोई शख़्स ज़ोहि क़ी नमाज़ में या अस्र क़ी नमाज़ में नीयत कि़े
ज़ोहि है या अस्र क़ी तो उसक़ी नमाज़ िाततल है। नीज़ ममसाल क़े तौि पि ककसी
ज़ोहि को ज़ोहि क़े वक़्त में पढ़ना चाह़े तो ज़रूिी है कक र्जो नमाज़ वह पढ़़े नीयत
मलय़े नमाज़ पढ़़े पस र्जो शख़्स रिया कि़े यानी लोगों को हदखाऩे क़े मलय़े नमाज़
319
पढ़़े तो उसक़ी नमाज़ िाततल है ख़्वाह यह नमाज़ पढ़ना फ़कत लोगों को या खुदा
956. अगि कोई शख़्स नमाज़ का कुछ हहस्सा भी अल्लाह तआला र्जल्ला शानहू
क़े अलावा ककसी औि क़े मलय़े िर्जा लाए ख़्वाह वह हहस्सा वाजर्जि हो मसलन सिू ा
ए अलहम्द, या मस्
ु तहि हो, मसलन कुनत
ू औि अगि गैि़े खद
ु ा का यह कस्द पिू ी
नमाज़ पि मह
ु ीत हो या उस िड़़े हहस्स़े क़े तदारुक स़े ित
ु लान लाजज़म आता हो तो
उसक़ी नमाज़ िाततल है । औि अगि नमाज़ तो खुदा क़े मलय़े पढ़़े ल़ेककन लोगों को
हदखाऩे क़े मलय़े ककसी खास र्जगह मसलन मजस्र्जद में पढ़़े या ककसी खास वक़्त
मसलन अव्वल़े वक़्त में पढ़़े या ककसी खास कायद़े स़े मसलन िा र्जमाअत पढ़़े तो
तक्िीितुल एहिाम
अगि कोई शख़्स गलत अििी में कह़े या मसलन उनका उदक ू तर्जकमा किक़े कह़े तो
320
958. एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक इंसान नमाज़ क़ी तक्िीितुल एहिाम को
ममलाए।
959. अगि कोई शख़्स चाह़े कक अल्लाहो अक्िि को उस र्जुमल़े क़े साथ र्जो
960. तक्िीितल
ु एहिाम कहत़े वक़्त ज़रूिी है कक इंसान का िदन साककन हो
या शोिोगल
ु क़ी वर्जह स़े न सन
ु सक़े तो इस तिह कहना ज़रूिी है कक अगि कोई
माऩे न हो तो सन
ु ल़े।
962. र्जो शख़्स ककसी िीमािी क़ी बिना पि गंगू हो र्जाए या उसक़ी ज़िान में
तो ज़रूिी है कक हदल में कह़े औि उसक़े मलय़े उं गली स़े इस तिह इशािा कि़े कक
321
र्जो तक्िीि स़े मन
ु ामसित िखता हो। औि अगि हो सक़े तो ज़िान औि होंट को भी
ज़िान औि होंट को इस तिह हिकत द़े कक र्जो ककसी शख़्स क़े तक्िीि कहऩे स़े
मश
ु ाि़ेह हो औि उसक़े मलय़े अपनी उं गली स़े भी इशािा कि़े ।
मोहमसनो कद अताकल मस
ु ीओ व कद असितुल मोहमसनो अंय्यतर्जावज़ अतनल
मस
ु ीए अन्तल मोहमलनो व अनल मस
ु ीओ ि़ेहक्क़े मोहम्महदंव व आल़े मोहम्महदन
ममन्नी। (यानी) ए अपऩे िन्दों पि एहसान किऩे वाल़े खुदा ! यह गुनाहगाि िन्दा
त़ेिी िािगाह में आया है औि तूऩे हुक्म हदया है कक ऩेक लोग गुनाहगािों स़े
दिगज़
ु ा किें – तू एहसान किऩे वाला है औि मैं गन
ु ाहगाि हूं मोहम्मद
फ़िमा।
दिममयानी तक्िीिें कहत़े वक़्त हाथों को कानों क़े ििािि तक ल़े र्जाए।
322
965. अगि कोई शख़्स शक कि़े कक तक्िीितुल एहिाम कही है या नहीं औि
966. अगि कोई शख़्स तक्िीितुल एहिाम कहऩे क़े िाद शक कि़े कक सहीह
तिीक़े स़े तक्िीि कही है या नहीं तो ख़्वाह उसऩे आग़े कुछ पढ़ा हो या न पढ़ा हो
967. तक्िीितुल एहिाम कहऩे क़े मौक़े पि ककयाम औि रूकू स़े पहल़े वाला
मौक़े पि ककयाम औि रूकू क़े िाद ककयाम रुक्न नहीं है औि अगि कोई शख़्स
उस़े भल
ू चक
ू क़ी वर्जह स़े तकक कि द़े तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ।
968. तक्िीितुल एहिाम कहऩे स़े पहल़े औि उसक़े िाद थोड़ी द़े ि तक खड़ा
होना वाजर्जि है ताकक यक़ीन हो र्जाए कक तक्िीि ककयाम क़ी हालत में कही गई
है ।
िैठ र्जाए औि किि उस़े याद आए कक रूकू नहीं ककया तो ज़रूिी है कक खड़ा हो
र्जाए औि रूकू में र्जाए। ल़ेककन अगि सीधा खड़ा हुए िगैि झक
ु ़े होऩे क़ी हालत में
323
रूकू कि़े तो चकंू क वह ककयाम मत्त
ु मसल ि रूकू िर्जा नहीं लाया इस मलय़े उसका
लाजज़म क़ी बिना पि इखततयाि क़ी हालत में ककसी र्जगह ट़े क न लगाए ल़ेककन
ककसी तिफ़ झक
ु र्जाए या ककसी र्जगह ट़े क लगा ल़े तो कोई इश्काल नहीं है ।
972. एहततयात़े वाजर्जि यह है कक ककयाम क़े वक़्त इंसान क़े दोनों पांव ज़मीन
में िहुत खुला िख़े तो एहततयात क़ी बिना पि यही हुक्म है। 974. र्जि इंसान
साककन हो औि मस्
ु तहि जज़क्र में मश्गल
ू हो ति भी एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना
324
दांय़े या िांय़े र्जातनि थोड़ी सी हिकत द़े ना चाह़े तो ज़रूिी है कक उस वक़्त कुछ न
पढ़ें ।
975. अगि मत
ु हरिक क िदन क़ी हालत में कोई शख़्स मस्
ु तहि जज़क्र पढ़़े मसलन
रूकू स़े सज्द़े में र्जाऩे क़े वक़्त तक्िीि कह़े औि उस जज़क्र क़े कस्द स़े कह़े
जर्जसका नमाज़ में हुक्म हदया गया है तो वह जज़क्र सहीह नहीं ल़ेककन उसक़ी
976. हाथों औि उं गमलयों को अलहम्द पढ़त़े वक़्त हिकत द़े ऩे में कोई हिर्ज नहीं
977. अगि कोई शख़्स अलहम्द औि सिू ा पढ़त़े वक़्त या तस्िीहात पढ़त़े वक़्त
ि़े इखततयाि इतनी हिकत कि़े कक िदन साककन होऩे क़ी हालत स़े खारिर्ज हो
978. नमाज़ क़े दौिान अगि कोई शख़्स खड़़े होऩे क़े काबिल न हो तो ज़रूिी है
पढ़़े ।
325
979. र्जि तक इंसान खड़़े होकि नमाज़ पढ़ सकता हो ज़रूिी है कक न िैठ़े
मसलन अगि खड़ा होऩे क़ी हालत में ककसी का िदन हिकत किता हो या वह
ककसी चीज़ पि ट़े क लगाऩे पि या िदन को थोड़ा सा ट़े ढ़ा किऩे पि मर्जििू हो तो
ज़रूिी है कक र्जैस़े भी हो सक़े खड़ा होकि नमाज़ पढ़़े ल़ेककन अगि वह ककसी तिह
पढ़़े ।
अगि वह सीधा होकि न िैठ सक़े तो ज़रूिी है कक र्जैस़े भी मजु म्कन हो िैठ़े औि
अगि बिल्कुल न िैठ सक़े तो र्जैसा कक ककबल़े क़े अहकाम में कहा गया है ज़रूिी
है कक दायें पहलू ल़ेट़े औि दायें पहलू पि न ल़ेट सकता हो तो िायें पहलू पि ल़ेट़े।
सकता हो िायें पहलू पि न ल़ेट़े औि अगि दोनों तिफ़ ल़ेटना मजु म्कन न हो तो
पश्ु त क़े िल इस तिह ल़ेट़े कक उसक़े तल्व़े ककबल़े क़ी तिफ़ हों।
981. र्जो शख़्स िैठ कि नमाज़ पढ़ िहा हो अगि वह अलहम्द औि सिू ा पढ़ऩे
क़े िाद खड़ा हो सक़े औि रूकू खड़ा होकि िर्जा ला सक़े तो ज़रूिी है कक खड़ा हो
र्जाए औि ककयाम क़ी हालत स़े रूकू में र्जाए औि अगि ऐसा न कि सक़े तो ज़रूिी
326
982. र्जो शख़्स ल़ेट कि नमाज़ पढ़ िहा हो गि वह नमाज़ क़े दौिान इस
काबिल हो र्जाए कक िैठ सक़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ क़ी जर्जतनी ममक़्दाि मजु म्कन
हो िैठ कि पढ़़े औि अगि खड़ा हो सक़े तो ज़रूिी है कक जर्जतनी ममक़्दाि मजु म्कन
983. र्जो शख़्स िैठ कि नमाज़ पढ़ िहा हो अगि नमाज़ क़े दौिान इस काबिल
हो र्जाए कक खड़ा हो सक़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ क़ी जर्जतनी ममक़्दाि मजु म्कन हो
984. अगि ककसी ऐस़े शख़्स को, र्जो खड़ा हो सकता हो, यह खौफ़ हो कक खड़़े
होऩे स़े िीमाि हो र्जाय़ेगा या उस़े कोई तक्लीफ़ होगी तो वह िैठ कि नमाज़ पढ़
सकता है।
985. अगि ककसी शख़्स को इस िात क़ी उम्मीद हो कक आखखि़े वक़्त में खड़ा
होकि नमाज़ पढ़ सक़ेगा औि वह अव्वल़े वक़्त में नमाज़ पढ़ ल़े औि औि आखखि़े
वक़्त में खड़ा होऩे पि काहदि हो र्जाए तो ज़रूिी है कक दोिािा नमाज़ पढ़़े ल़ेककन
327
िाद अज़ ्आाँ वह खड़़े होऩे क़े काबिल हो र्जाए तो ज़रूिी नहीं कक दोिािा नमाज़
पढ़़े ।
औि कंधों को नीच़े क़ी तिफ़ ढीला छोड़ा द़े नीज़ हाथों को िानों पि िख़े औि
उं गमलयों को िाहम ममलाकि िख़े औि तनगाह सज्द़े क़ी र्जगह पि मककू ज़ िख़े औि
औि पांव आग़े पीछ़े न िख़े औि अगि मदक हो तो पांव क़े दिममयान तीन िैली हुई
ककिाअत
िक् अत में पहल़े अलहम्द औि उसक़े िाद एहततयात क़ी बिना पि एक पिू ़े सिू ़े क़ी
ततलावत कि़े औि वज़्ज़ुहा औि अलम नशिा क़ी सिू तें औि इसी तिह सिू ा ए फ़़ील
988. अगि नमाज़ का वक़्त तंग हो या इंसान ककसी मर्जििू ी क़ी वर्जह स़े सिू ा
न पढ़ सकता हो मसलन उस़े खौफ़ हो कक अगि सिू ा पढ़़े गा तो चोि या दरिन्दा
328
चाह़े तो सिू ा न पढ़़े िजल्क वक़्त तंग होऩे क़ी सिू त में औि खौफ़ क़ी िाज़ हालतों
नमाज़ िाततल होगी ल़ेककन अगि गल्ती स़े अलहम्द स़े पहल़े सिू ा पढ़़े औि पढ़ऩे
क़े दौिान याद आए तो ज़रूिी है कक सिू ा को छोड़ा द़े औि अलहम्द पढ़ऩे क़े िाद
सिू ा शरू
ू स़े पढ़़े ।
990. अगि कोई शख़्स अलहम्द औि सिू ा या उनमें स़े ककसी एक का पढ़ना
भल
ू र्जाए औि रूकू में र्जाऩे क़े िाद उस़े याद आए तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ।
नहीं पढ़ा तो ज़रूिी है कक फ़कत सिू ा पढ़़े ल़ेककन अगि उस़े याद आए कक फ़कत
अलहम्द नहीं पढ़ी तो ज़रूिी है कक पहल़े अलहम्द औि उसक़े िाद दोिािा सिू ा पढ़़े
औि अगि झक
ु भी र्जाए ल़ेककन रूकू क़ी हद तक पहुंचऩे स़े पहल़े याद आए कक
एक सिू ा पढ़़े जर्जनमें आयाए सज्दा हो औि जर्जनका जज़क्र मस ्अला 361 में ककया
गया है तो वाजर्जि है कक आयए सज्दा पढ़ऩे क़े िाद सज्दा कि़े ल़ेककन अगि
329
सज्दा िर्जा लाए तो एहततयात क़ी बिना पि उसक़ी नमाज़ िाततल है औि ज़रूिी है
कक उस़े दोिािा पढ़़े औि अगि सज्दा न कि़े तो अपनी नमाज़ र्जािी िख सकता है
वाजर्जि हो ल़ेककन आयए सज्दा पि पहुंचऩे स़े पहल़े उस़े ख़्याल आ र्जाए तो ज़रूिी
िाद ख़्याल आए तो ज़रूिी है कक जर्जस तिह साबिक मस ्अल़े में कहा गया है
अमल कि़े ।
सन
ु ़े तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ल़ेककन एहततयात क़ी बिना पि सज्द़े का इशािा
कि़े औि नमाज़ खत्म किऩे क़े िाद उसका सज्दा िर्जा लाए।
995. मस्
ु तहि नमाज़ों में सिू ा पढ़ना ज़रूिी नहीं है ख़्वाह वह नमाज़ मन्नत
मानऩे क़ी वर्जह स़े ही क्यों न वाजर्जि हो गई हो। ल़ेककन अगि कोई शख़्स िाज़
ऐसी मस्
ु तहि नमाज़ें उनक़े अहकाम क़े साथ पढ़ना चाह़े मसलन नमाज़़े वहशत कक
जर्जनमें मख़्सस
ू सिू तें पढ़नी होती हैं तो ज़रूिी है कक वही सिू तें पढ़़े ।
996. र्जुमआ
ु क़ी नमाज़ में औि र्जुमआ
ु क़े हदन ज़ोहि क़ी नमाज़ में पहली
सिू ा ए मन
ु ाकफ़कून पढ़ना मस्
ु तहि है । औि अगि कोई शख़्स इनमें स़े कोई एक
330
सिू ा पढ़ना शरू
ू कि द़े तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि उस़े छोड़ कि कोई दस
ू िा
997. अगि कोई शख़्स अलहम्द क़े िाद सिू ा ए एख़्लास या सिू ा ए काकफ़रून
र्जुमआ
ु या र्जुमआ
ु क़े हदन नमाज़़े ज़ोहि में भल
ू कि सिू ा ए र्जुमआ
ु औि सिू ा ए
मन
ु ाकफ़कून क़ी िर्जाए उन दो सिू तों में स़े कोई सिू ा पढ़़े तो उन्हें छोड़ सकता है
औि सिू ा ए र्जुमआ
ु औि सिू ा ए मन
ु ाकफ़कून पढ़ सकता है औि एहततयात़े मस्
ु तहि
र्जुमआ
ु औि सिू ा ए मन
ु ाकफ़कून नहीं पढ़ सकता।
999. अगि कोई शख़्स नमाज़ में सिू ा ए एख़्लास या सिू ा ए काकफ़रून क़े
अलावा कोई दस
ू िा सिू ा पढ़़े तो र्जि तक तनस्फ़ तक न पहुंचा हो उस़े छोड़ सकता
है औि दस
ू िा सिू ा पढ़ सकता है औि तनस्फ़ तक पहुंचऩे क़े िाद िगैि ककसी वर्जह
331
तो वह उस सिू ़े को छोड़ कि कोई दस
ू िा सिू ा पढ़ सकता है ख़्वाह तनस्फ़ तक ही
पहुंच चक
ु ा हो या वह सिू ा ए एख़्लास या सिू ा ए काकफ़रून ही हो।
क़ी नमाज़ों में अलहम्द औि सिू ा िलन्द आवाज़ स़े पढ़़े औि मदक औि औित दोनों
1002. एहततयात क़ी बिना पि ज़रूिी है कक मदक सबु ह औि मचग्रि व इशा क़ी
नमाज़ में ख़्याल िख़े कक अलहम्द औि सिू ा क़े तमाम कमलमात हत्ता कक उनक़े
1003. सबु ह क़ी नमाज़ औि मचिि व इशा क़ी नमाज़ में औित अलहम्द औि
सिू ा िलन्द आवाज़ स़े या आहहस्ता र्जैसा चाह़े पढ़ सकती है। ल़ेककन अगि ना
1004. अगि कोई शख़्स जर्जस नमाज़ को िलन्द आवाज़ स़े पढ़ना ज़रूिी है उस़े
अमदन आहहस्ता पढ़़े या र्जो नमाज़ आहहस्ता पढ़नी ज़रूिी है उस़े अमदन िलन्द
आवाज़ स़े पढ़़े तो एहततयात क़ी बिना पि उसक़ी नमाज़ िाततल है । ल़ेककन अगि
भल
ू र्जाऩे क़ी वर्जह स़े या मसअला न र्जानऩे क़ी वर्जह स़े ऐसा कि़े तो (उसक़ी
332
हो र्जाए कक उसस़े गलती हुई है तो ज़रूिी नहीं कक नमाज़ को र्जो हहस्सा पढ़ चक
ु ा
1005. अगि कोई शख़्स अलहम्द औि सिू ा पढ़ऩे क़े दौिान अपनी आवाज़
मअमल
ू स़े ज़्यादा िलन्द कि़े मसलन उन सिू तों को ऐस़े पढ़़े ज़ैस़े कक फ़याकद कि
1006. इंसान क़े मलय़े ज़रूिी है कक नमाज़ क़ी ककिअत को सीख ल़े ताकक गलत
न पढ़़े औि र्जो शख़्स ककसी तिह भी पिू ़े सिू ा ए अलहम्द को न सीख सकता हो
जर्जस कदि भी सीख सकता हो सीख़े औि पढ़़े ल़ेककन अगि वह ममक़्दाि िहुत कम
उसक़े साथ ममलाकि पढ़़े औि अगि पिू ़े सिू ़े को न सीख सकता हो तो ज़रूिी नहीं
नमाज़ सहीह है ल़ेककन अगि मजु म्कन हो तो अज़ाि स़े िचऩे क़े मलय़े र्जमाअत क़े
333
1008. वाजर्जिात़े नमाज़ सीखाऩे क़ी उर्जित ल़ेना एहततयात क़ी बिना पि हिाम
है ल़ेककन मस्
ु तहबिात़े नमाज़ सीखाऩे क़ी उर्जित ल़ेना र्जाइज़ है।
र्जान िझ
ू कि उस़े न पढ़़े या एक हफ़क क़े िर्जाए दस
ू ि़े हफ़क कह़े मसलन ज़ाद क़े
िर्जाए ज़ो कह़े या र्जहां ज़ैि औि ज़िि क़े िगैि पढ़ना ज़रूिी हो वहा ज़ैि औि ज़िि
1010. अगि इंसान ऩे कोई कमलमा जर्जस तिह याद ककया हो उस़े सहीह
समझता हो औि नमाज़ में उसी तिह पढ़़े औि िाद में उस़े पता चल़े कक उसऩे
1011. अगि कोई शख़्स ककसी लफ़्ज़ क़े ज़िि ज़़ेि स़े वाककफ़ न हो या यह न
र्जानता हो कक वह लफ़्ज़ (छोटी) ह़े स़े अदा किना चाहहय़े या हाए हुत्ती स़े तो
ज़रूिी है कक सीख ल़े औि लफ़्ज़ को दो (या दो स़े ज़ाइद) तिीको स़े अदा कि़े ।
नमाज़ िाततल है। औि अगि दोनों तिीकों स़े पढ़ना सहीह हो मसलन एहहदनस
मसिातल मस्
ु तक़ीमा को दो दफ़् आ (सीन) स़े औि एक दफ़् आ (साद) स़े पढ़़े तो इन
उस़े लफ़्ज़ स़े पहल़े वाल़े हफ़क पि प़ेश हो औि उस लफ़्ज़ में वाव क़े िाद हफ़क
334
हम्ज़ा हो मसलन सइ
ू न हो पढ़ऩे वाल़े को चाहहय़े कक उस वाव को मद क़े साथ
खींच कि पढ़़े । इसी तिह अगि ककसी लफ़्ज़ में अमलफ़ हो औि उस लफ़्ज़ में
अलीफ़ स़े पहल़े वाल़े हफ़क पि ज़िि हो औि उस लफ़्ज़ में अलीफ़ क़े िाद वाला
पढ़ें । औि अगि ककसी लफ़्ज़ में य़े हो औि उस लफ़्ज़ में य़े स़े पहल़े वाल़े हफ़क पि
ज़़ेि हो औि उस लफ़्ज़ में य़े स़े िाद वाला हफ़क हमज़ा हो मसलन र्जीअ तो ज़रूिी
हमज़ा क़े िर्जाए कोई साककन हफ़क हो यानी उस पि ज़िि, ज़़ेि या प़ेश में स़े कोई
ज़ाहहिन ऐस़े मआ
ु मल़े में ककिअत का सहीह होना मद पि मौकूफ़ नहीं। मलहाज़ा
र्जो तिीका िताया गया है अगि कोई उस पि अमल न कि़े ति भी उसक़ी नमाज़
सहीह है ल़ेककन वलज़्ज़ल्लीन र्जैस़े अल्फ़ाज़ में तश्दीद औि अमलफ़ का पिू ़े तौि पि
कक ककसी लफ़्ज़ क़े आखखि में ज़़ेि, ज़िि, प़ेश पढ़़े औि उस लफ़्ज़ औि उसक़े िाद
क़े लफ़्ज़ क़े दिममयान फ़ामसला द़े मसलन कह़े अिक हमातनिक हीम़े औि अिक हीम़े क़े
मीम को ज़़ेि द़े औि उसक़े िाद कदि़े फ़ामसला द़े औि कह़े , मामलक़े यौममद्दीऩे
335
औि वस्ल िसक
ु ू न क़े मअना यह है कक ककसी लफ़्ज़ क़े ज़़ेि, र्जिि या प़ेश न पढ़़े
औि उस लफ़्ज़ को िाद क़े लफ़्ज़ स़े र्जोड़ द़े । मसलन यह कह़े अिक हमातनिक हीम औि
अिक हीम क़ी मीम को ज़़ेि न द़े औि फ़ौिन मामलक़े यौममद्दीन कह़े ।
1014. नमाज़ क़ी तीसिी औि चौथी िक् अत में फ़कत एक दफ़् आ अलहम्द या
एक दफ़् आ तस्िीहात़े अिकआ पढ़ी र्जा सकती है यानी नमाज़ पढ़ऩे वाला एक
दफ़् आ कह़े सबु हानल्लाह़े वलहम्दो मलल्लाह़े वला इलाहा इल्लल्लाहो वल्लाहो अकिि
िक् अत में तस्िीहात भी पढ़ सकता है । औि ि़ेहति यह है कक दोनों िक् अतो में
तस्िीहात पढ़़े ।
लाजज़म हो।
क़ी तीसिी औि चौथी िक् अत में अलहम्द या तस्िीहात़े अिकआ आहहस्ता पढ़ें ।
1017. अगि कोई शख़्स तीसिी औि चौथी िक् अत में अलहम्द पढ़़े तो वाजर्जि
336
1018. र्जो शख़्स तस्िीहात याद न कि सकता हो या उन्हें ठ क ठ क पढ़ न
1019. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़ी पहली दो िक् अतों में यह ख़्याल कित़े हुए
कक यह आखखिी दो िक् अतें हैं तस्िीहात पढ़़े ल़ेककन रूकू स़े पहल़े उस़े सहीह सिू त
का पता चल र्जाए तो ज़रूिी है कक अलहम्द औि सिू ा पढ़़े औि अगि उस़े रूकू क़े
1020. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़ी आखखिी दो िक् अतों में यह ख़्याल कित़े हुए
कक यह पहली दो िक् अतें हैं अलहम्द पढ़़े या नमाज़ क़ी पहली दो िक् अतों में यह
ख़्याल कित़े हुए कक यह आखखिी दो िक् अतें हैं अलहम्द पढ़़े तो सहीह सिू त का
ख़्वाह रूकू स़े पहल़े पता चल़े या िाद में उसक़ी नमाज़ सहीह है।
1021. अगि कोई शख़्स तीसिी या चौथी िक् अत में अलहम्द पढ़ना चाहता हो
ितौि़े कुल्ली बिला इिादा न हो र्जैस़े कक उसक़ी आदत वही कुछ पढ़ऩे क़ी हो र्जो
सहीह है।
337
1022. र्जीस शख़्स क़ी आदत तीसिी औि चौथी िक् अत में तस्िीहात पढ़ऩे क़ी
हो अगि वह अपनी आदत स़े गफ़्लत िित़े औि अपऩे वज़ीफ़़े क़ी अदायगी क़ी
नीयत स़े अलहम्द पढ़ऩे लग़े तो वही काफ़़ी है औि उसक़े मलय़े अलहम्द या
1023. तीसिी औि चौथी िक् अत में तस्िीहात क़े िाद इजस्तग़्जफ़ाि किना
मस्
ु तहि है मसलन अस्तजग़्जफ़रुल्लाहा िबिी व अतूिो इलैह़े या कह़े अल्लाहुम्मजग़्जफ़ि
हो या उसस़े फ़ारिग हो चक
ु ा हो औि उस़े शक हो र्जाए कक उसऩे अलहम्द या
1024. अगि तीसिी या चौथी िक् अत में या रूकू में र्जात़े हुए शक कि़े कक
1025. अगि नमाज़ पढ़ऩे वाला शक कि़े कक आया उसऩे कोई आयत या
र्जम
ु ला दरु
ु स्त पढ़ा है या नहीं मसलन शक कि़े कक कुल हुवल्लाहो अहद दरु
ु स्त
पढ़ा है या नहीं तो वह अपऩे शक क़ी पिवाह न कि़े ल़ेककन अगि एहततयातन वही
आयत या र्जुमला दोिािा सहीह तिीक़े स़े पढ़ द़े तो कोई हिर्ज नहीं औि अगि कई
िाि भी शक कि़े तो कई िाि पढ़ सकता है । हां अगि वस्वस़े क़ी हद तक पहुंच
दोिािा पढ़़े ।
338
1026. मस्
ु तहि है कक पहली िक् अत में अलहम्द पढ़ऩे स़े पहल़े अऊज़ोबिल्लाह़े
औि हि आयत क़े आखखि पि वक़्फ़ कि़े यानी उस़े िाद वाली आयत क़े साथ न
ममलाए औि अलहम्द औि सिू ा पढ़त़े वक़्त आयात क़े मअनों क़ी तिफ़ तवज्र्जह
िख़े। औि अगि र्जमाअत स़े नमाज़ पढ़ िहा हो तो इमाम़े र्जमाअत क़े सिू ा ए
अलहम्द खत्म किऩे क़े िाद औि अगि फ़रूदा नमाज़ पढ़ िहा हो तो सिू ा ए
अलहम्द पढ़ऩे क़े िाद कह़े अलहम्दोमलल्लाह़े िजबिल आलमीन औि सिू ा ए कुल
तीन दफ़् आ कज़ामलकल्लाहो िबिना कह़े औि सिू ा पढ़ऩे क़े िाद औि थोड़ी द़े ि रुक़े
1027. मस्
ु तहि है कक तमाम नमाज़ों क़ी पहली िक् अत में सिू ा ए कर औि
दस
ू िी िक् अत में सिू ा ए एख़्लास पढ़़े ।
1028. पंचगाना नमाज़ों में स़े ककसी एक नमाज़ में भी इंसान का सिू ा ए
1029. एक ही सांस में सिू ा ए कुल हुवल्लाहो अहद का पढ़ना मकरूह है।
मकरूह है। ल़ेककन अगि सिू ा ए एख़्लास दोनों िक् अतों में पढ़़े तो मकरूह नहीं है ।
339
रुकू
1034. ज़रूिी है कक झक
ु ना रूकू क़ी नीयत स़े हो मलहाज़ा अगि ककसी औि
नहीं कहा र्जा सकता िजल्क ज़रूिी है कक खड़ा हो र्जाए औि दोिािा रूकू क़े मलय़े
झक
ु ़े औि इस अमल क़ी वर्जह स़े रुक्न में इज़ाफ़ा नहीं होता औि नमाज़ िाततल
नहीं होती।
मख़्
ु तमलफ़ हों मसलन उसक़े हाथ इतऩे लम्ि़े हों कक अगि मअमल
ू ी सा भी झक
ु ़े
तो र्ट
ु नों तक पहुंच र्जायें या उसक़े र्ट
ु ऩे दस
ू ि़े लोगों क़े र्ट
ु नों क़े मक
ु ाबिल़े में
340
नीच़े हों औि उस़े हाथ र्ट
ु नों तक पहुंचाऩे क़े मलय़े िहुत ज़्यादा झक
ु ना पड़ता हो
तो ज़रूिी है कक इतना झक
ु ़े कक जर्जतना उमम
ू न लोग झक
ु त़े हैं।
झक
ु ़े कक उसका च़ेहिा सज्द़े क़ी र्जगह क़े किीि र्जा पहुंच।़े
1037. ि़ेहति यह है कक इजख़्तयाि क़ी हालत में रूकू में तीन दफ़् आ
सबु हानल्लाह या एक दफ़् आ सबु हाना िजबियल अज़ीम़े व ि़ेहम्द़े ही कह़े औि ज़ाहहि
यह है कक र्जो जज़क्र भी इतना ममक़्दाि में कहा र्जाए काफ़़ी है । ल़ेककन वक़्त क़ी
तंगी औि मर्जििू ी क़ी हालत में एक दफ़् आ सबु हानल्लाह कहना ही काफ़़ी है ।
कक उस़े तीन या पांच या सात दफ़् आ िजल्क इसस़े भी ज़्यादा पढ़ा र्जाए।
1039. रूकू क़ी हालत में ज़रूिी है कक नमाज़ पढ़ऩे वाल़े का िदन साककन हो
1040. अगि नमाज़ पढ़ऩे वाला उस वक़्त र्जिकक रूकू का वाजर्जि जज़क्र अदा
341
दोिािा जज़क्र को िर्जा लाए ल़ेककन अगि इतनी कम मद्
ु दत क़े मलय़े हिकत कि़े
कक िदन क़े सक
ु ू न होऩे क़ी हालत स़े खारिर्ज न हो या उं गमलयों को हिकत द़े तो
िदन सक
ु ू न हामसल कि़े र्जान िझ
ू कि जज़क्ऱे रूकू पढ़ना शरू
ू कि द़े तो उसक़ी
नमाज़ िाततल है ।
1042. अगि एक शख़्स वाजर्जि जज़क्र कि क़े खत्म होऩे स़े पहल़े र्जान िझ
ू कि
सि रूकू स़े उठा ल़े तो उसक़ी नमाज़ िाततल है औि अगि सहवन सि उठा ल़े औि
इसस़े प़ेशति क़ी रूकू क़ी हालत स़े खारिर्ज हो र्जाए उस़े याद आए कक उसऩे जज़क्ऱे
रूकू खत्म नहीं ककया तो ज़रूिी है कक रुकू र्जाए औि जज़क्र पढ़़े । औि अगि उस़े
रूकू क़ी हालत में खारिर्ज होऩे क़े िाद याद आए तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ।
हुए पढ़़े ।
1044. अगि कोई शख़्स मिज़ वगैिा क़ी वर्जह स़े रूकू में अपना िदन साककन
न िख सक़े तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ल़ेककन ज़रूिी है कक रूकू क़ी हालत स़े
खारिर्ज होऩे स़े पहल़े वाजर्जि जज़क्र उस तिीक़े स़े अदा कि़े र्जैस़े ऊपि ियान ककया
गया है ।
342
1045. र्जि कोई शख़्स रूकू क़े मलय़े न झक
ु सकता हो तो ज़रूिी है कक ककसी
चीज़ का सहािा ल़ेकि रूकू िर्जा लाए औि अगि सहाि़े क़े ज़रिय़े भी मअमल
ू क़े
मत
ु ाबिक रूकू न कि सक़े तो ज़रूिी है कक इस कदि झक
ु ़े कक उफ़कन उस़े रूकू कहा
इशािा कि़े ।
1046. जर्जस शख़्स को रूकू क़े मलय़े सि स़े इशािा किना ज़रूिी हो अगि वह
इशािा किऩे पि काहदि न हो तो ज़रूिी है कक रूकू क़ी नीयत क़े साथ आंखों को
िन्द कि़े औि जज़क्ऱे रूकू पढ़़े औि रूकू स़े उठऩे क़ी नीयत स़े आंखों को खोल द़े
औि अगि इस काबिल न हो तो एहततयात क़ी बिना पि हदल में रूकू क़ी तनयत
कि़े औि अपऩे हाथ स़े रूकू क़े मलय़े इशािा कि़े औि जज़क्ऱे रूकू पढ़़े ।
1047. र्जो शख़्स खड़़े होकि रूकू न कि सक़े ल़ेककन र्जि िैठा हुआ हो तो रूकू
क़े मलय़े झक
ु सकता हो तो ज़रूिी है कक खड़़े होकि नमाज़ पढ़़े औि रूकू क़े मलय़े
1048. अगि कोई शख़्स रूकू क़ी हद तक पहुंचऩे क़े िाद सि को उठा ल़े औि
1049. ज़रूिी है कक जज़क्ऱे रूकू खत्म होऩे क़े िाद सीधा खड़ा हो र्जाए औि र्जि
उसका िदन सक
ु ू न हामसल कि ल़े उसक़े िाद सज्द़े में र्जाए औि अगि र्जान
343
िझ
ू कि खड़ा होऩे स़े पहल़े या िदन क़े सक
ु ू न हामसल किऩे स़े पहल़े सज्द़े में चला
क़ी हालत में पहुंच़े उस़े याद आ र्जाए तो ज़रूिी है कक खड़ा हो र्जाए औि किि रूकू
में र्जाए। औि झक
ु ़े हुए होऩे क़ी हालत में अगि रूकू क़ी र्जातनि लौट र्जाए तो
काफ़़ी नहीं।
1051. अगि ककसी शख़्स को प़ेशानी ज़मीन पि िखऩे क़े िाद याद आए कक
उसऩे रूकू नहीं ककया तो उसक़े मलय़े ज़रूिी है कक लौट र्जाए औि खड़ा होऩे क़े
1052. मस्
ु तहि है कक इंसान रूकू में र्जाऩे स़े पहल़े सीधा खड़ा होकि तक्िीि
खींच कि पीठ क़े ििािि िख़े। दोनों पांव क़े दिममयान द़े ख़े। जज़क्र स़े पहल़े या िाद
में दरु
ु द पढ़़े औि र्जि रूकू क़े िाद उठ़े औि सीधा खड़ा हो तो िदन क़े सक
ु ू न क़ी
र्ट
ु नों को पीछ़े क़ी तिफ़ न धक़ेलें।
344
सर्ज
ु ूद
हि िक् अत में रूकू क़े िाद दो सज्द़े कि़े । सज्दा यह है कक खास शक्ल में प़ेशानी
को खज़
ु उू क़ी नीयत स़े ज़मीन पि िख़े औि नमाज़ क़े सज्द़े क़ी हालत में वाजर्जि
1055. दो सज्द़े ममलकि एक रुक्न हैं औि अगि कोई शख़्स वाजर्जि नमाज़ में
अमदन या भल
ू ़े स़े एक िक् अत में दोनों सज्द़े तकक कि द़े तो उसक़ी नमाज़
िाततल है ।
गए हों तो उसऩे सज्दा नहीं ककया ल़ेककन अगि वह प़ेशानी ज़मीन पि िख द़े औि
1058. ि़ेहति यह है कक इजख़्तयाि क़ी हालत में सज्द़े में तीन दफ़् आ
सबु हानल्लाह या एक दफ़् आ सबु हाना िजबियल अअला व ि़ेहम्द़े ही पढ़़े औि ज़रूिी है
कक यह र्जुमल़े मस
ु लसल औि सहीह अििी में कह़े र्जायें औि ज़ाहहि यह है कक
345
जज़क्र का पढ़ना काफ़़ी है ल़ेककन एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक
1059. सज्द़े क़ी हालत में ज़रूिी है कक नमाज़ी का िदन साककन हो औि हालत़े
इजख़्तयाि में उस़े अपऩे िदन को इस तिह हिकत नहीं द़े ना चाहहय़े कक सक
ु ू न क़ी
िझ
ू कि सि सज्द़े स़े उठा ल़े तो उसक़ी नमाज़ िाततल है ।
1061. अगि इसस़े प़ेशति कक प़ेशानी ज़मीन पि लग़े कोई शख़्स सहवन जज़क्ऱे
सज्दा पढ़़े औि इसस़े प़ेशति क़ी सि सज्द़े स़े उठाए उस़े पता चल र्जाए कक उसऩे
1062. अगि ककसी शख़्स को सि सज्द़े स़े उठा ल़ेऩे क़े िाद पता चल़े कक उसऩे
जज़क्ऱे सज्दा खत्म होऩे स़े पहल़े सि उठा मलया है तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ।
1063. जर्जस वक़्त कोई शख़्स जज़क्ऱे सज्दा पढ़ िहा हो अगि वह र्जान िझ
ू कि
सात अअज़ाए सज्दा में स़े ककसी एक को ज़मीन पि स़े उठाए तो उसक़ी नमाज़
346
अलावा कोई उज़्वो ज़मीन पि स़े उठा ल़े औि दोिािा िख द़े तो कोई हिर्ज नहीं है ।
ल़ेककन अगि ऐसा किना उसक़े िदन क़े साककन होऩे क़े मनाफ़़ी हो तो उस सिू त
1064. अगि जज़क्ऱे सज्दा खत्म होऩे स़े पहल़े कोई शख़्स सहवन प़ेशानी ज़मीन
पि स़े उठा ल़े तो उस़े दोिािा ज़मीन पि नहीं िख सकता औि ज़रूिी है कक उस़े
एक सज्दा शम
ु ाि कि़े ल़ेककन अगि दस
ू ि़े अअज़ा सहवन ज़मीन पि स़े उठा ल़े तो
1065. पहल़े सज्द़े का जज़क्र खत्म होऩे क़े िाद र्जरूिी है कक िैठ र्जाए हत्ता कक
उसका िदन सक
ु ू न हामसल कि ल़े औि किि दोिािा सज्द़े में र्जाए।
1066. नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़ी प़ेशानी िखऩे क़ी र्जगह र्ट
ु नों औि पांव क़ी
उं गमलयों क़े मसिों क़ी र्जगह स़े चाि ममली हुई उं गमलयों स़े ज़्यादा िलन्द या पस्त
नहीं होनी चाहहय़े। िजल्क एहततयात़े वाजर्जि यह है कक उसक़ी प़ेशानी क़ी र्जगह
उसक़े खड़़े होऩे क़ी र्जगह स़े चाि ममली हुई उं गमलयों स़े ज़्यादा नीची या ऊंची भी
न हो।
मालम
ू न हो नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़ी प़ेशानी क़ी र्जगह उसक़े र्ट
ु नों औि पांव क़ी
उं गमलयों क़े मसिों क़ी र्जगह स़े चाि ममली हुई उं गमलयों स़े ज़्यादा िलन्द या पस्त
347
1068. अगि नमाज़ पढ़ऩे वाला अपनी प़ेशानी को गलती स़े एक ऐसी चीज़ पि
जर्जसक़ी िलन्दी चाि ममली हुई उं गमलयों स़े ज़्यादा न हो िख़े औि अगि उसक़ी
िलन्दी इस कदि हो कक कह सकें कक सज्द़े क़ी हालत में है तो किि वाजर्जि जज़क्र
को हटा कि उस चीज़ पि िख़े कक जर्जसक़ी िलन्दी चाि ममली उं गमलयों क़े ििािि
हो तो वाजर्जि जज़क्र को उसी हालत में पढ़़े औि नमाज़ को तमाम कि़े औि ज़रूिी
1069. ज़रूिी है कक नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़ी प़ेशानी औि उस चीज़ क़े दिममयान
1070. ज़रूिी है कक सज्द़े में दोनों हथ़ेमलयां ज़मीन पि िख़े ल़ेककन मर्जििू ी क़ी
हालत में हाथों क़ी पश्ु त भी ज़मीन पि िख़े तो कोई हिर्ज नहीं औि अगि हाथों क़ी
348
पश्ु त भी ज़मीन पि िखना मजु म्कन न हो तो एहततयात क़ी बिना पि ज़रूिी है कक
हाथों क़ी कलाइयां ज़मीन पि िख़े औि अगि उन्हें भी न िख सक़े तो किि कुहनी
1071. (नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े मलय़े) ज़रूिी है कक सज्द़े में पांव क़े दोनों अंगूठ़े
ज़मीन पि िख़े ल़ेककन ज़रूिी नहीं कक दोनों अंगूठों क़े मसि़े ज़मीन पि िख़े िजल्क
बिना पि अंगूठों क़े मसि़े ज़मीन पि न लगें तो नमाज़ िाततल है औि जर्जस शख़्स
ऩे कोताही औि मस ्अला न र्जानऩे क़ी वर्जह स़े अपनी नमाज़ें इस तिह पढ़ी हों
1072. जर्जस शख़्स क़े पांव क़े अंगूठों क़े मसिों स़े कुछ हहस्सा कटा हुआ हो
349
सज्दा ककया है तो उसक़ी नमाज़ सहीह है। ल़ेककन अगि कहा र्जाए कक उसऩे पांव
है ।
1074. सज्दागाह या दस
ू िी चीज़ र्जीस पि नमाज़ पढ़ऩे वाला सज्दा कि़े ज़रूिी
द़े या सज्दागाह क़ी एक तिफ़ नजर्जस हो औि वह प़ेशानी पाक तिफ़ िख़े तो कोई
हिर्ज नहीं है ।
1075. अगि नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़ी प़ेशानी पि िोड़ा या ज़ख़्म या इस तिह क़ी
अगि वह िोड़ा पिू ी प़ेशानी को न ऱ्ेि़े हुए हो ज़रूिी है कक प़ेशानी क़े स़ेहतमन्द
हहस्स़े स़े सज्दा कि़े औि अगि प़ेशानी क़ी स़ेहतमन्द र्जगह पि सज्दा किना इस
क़ी उतनी ममक़्दाि ज़मीन पि िख़े कक सज्द़े क़े मलय़े काफ़़ी हो तो ज़रूिी है कक
1076. अगि िोड़ा या ज़ख़्म तमाम प़ेशानी पि िैला हुआ हो तो नमाज़ पढ़ऩे
वाल़े क़े मलय़े ज़रूिी है कक अपऩे च़ेहि़े क़े कुछ हहस्स़े स़े सज्दा कि़े औि एहततयात़े
लाजज़म यह है कक अगि ठोड़ी स़े सज्दा कि सकता हो तो ठोड़ी स़े सज्दा कि़े औि
अगि न कि सकता हो तो प़ेशानी क़े दोनों अत्राफ़ में स़े एक तिफ़ स़े सज्दा कि़े
350
औि अगि च़ेहि़े स़े सज्दा किना ककसी तिह भी मजु म्कन न हो तो ज़रूिी है कक
चीज़ को जर्जस पि सज्दा सहीह हो ककसी िलन्द चीज़ पि िख़े औि अपनी प़ेशानी
हथ़ेमलयों औि र्ट
ु नों औि पांव क़े अंगूठों को को मअमल
ू क़े मत
ु ाबिक ज़मीन पि
िख़े।
1078. अगि कोई ऐसी िलन्द चीज़ न हो जर्जस पि नमाज़ पढ़ऩे वाला
सज्दागाह या कोई दस
ू िी चीज़ जर्जस पि सज्दा किना सहीह हो िख सक़े औि कोई
सज्द़े क़े मलय़े सि स़े इशािा कि़े औि अगि ऐसा न कि सक़े तो ज़रूिी है कक
आंखों स़े इशािा कि़े औि अगि आंखों स़े भी इशािा न कि सकता हो तो एहततयात़े
लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक हाथ वगैिा स़े सज्द़े क़े मलय़े इशािा कि़े औि
हदल में भी सज्द़े क़ी नीयत कि़े औि वाजर्जि जज़क्र अदा कि़े ।
351
1080. अगि ककसी शख़्स क़ी प़ेशानी ि़े इजख़्तयाि सज्द़े क़ी र्जगह स़े उठ र्जाए
होगा। औि अगि सि को न िोक सक़े औि वह ि़े इजख़्तयाि दोिािा सज्द़े क़ी र्जगह
कि़े ।
1081. र्जहां इंसान क़े मलय़े तकैया किना ज़रूिी है वहां वह कालीन या इस तिह
क़ी चीज़ पि सज्दा कि़े औि यह ज़रूिी नहीं कक नमाज़ क़े मलय़े ककसी दस
ू िी र्जगह
र्जाए या नमाज़ को मव
ु ख्खि कि़े ताकक उसी र्जगह पि उस सिि क़े खत्म होऩे क़े
1082. अगि कोई शख़्स (परिन्दों क़े) पिों स़े भि़े गद्द़े या इसी ककस्म क़ी
ककसी दस
ू िी चीज़ पि सज्दा कि़े जर्जस पि जर्जस्म सक
ु ू न क़ी हालत में न िह़े तो
352
ज़रूिी है कक सज्दा औि तशह्हुद मअमल
ू क़े मत
ु ाबिक िर्जा लाए औि अगि ऐसा
किना मशक्कत का मजू र्जि हो तो ककयाम क़ी हालत में सज्द़े क़े मलय़े सि स़े
इशािा कि़े औि तशह्हुद खड़़े होकि पढ़़े तो उसक़ी नमाज़ सहीह होगी।
1084. पहली िक् अत में औि मसलन नमाज़़े ज़ोहि, नमाज़़े अस्र औि नमाज़़े
इशा क़ी तीसिी िक् अत में जर्जसमें तशह्हुद नहीं है एहततयात़े वाजर्जि यह है कक
इंसान दस
ू ि़े सज्द़े क़े िाद थोड़ी द़े ि क़े मलय़े सक
ु ू न स़े िैठ़े औि किि खड़ा हो।
353
वह च़ीजें जजन पि सज्दा किना सहीह है ।
न र्जाती हों औि ज़मीन स़े उगती हों मसलन लकड़ी औि दिख़्तों क़े पत्तों पि
सज्दा कि़े । खाऩे औि पहनऩे क़ी चीज़ों मसलन ग़ेहूं, र्जौ औि कपास पि औि उन
तिह क़ी दस
ू िी चीज़ों पि सज्दा किना सहीह नहीं है ल़ेककन तािकोल औि
1086. अंगूि क़े पत्तों पि सज्दा किना र्जिकक वह कच्च़े हों औि उन्हें मअमल
ू न
खाया र्जाता हो र्जाइज़ नहीं। इस सिू त क़े अलावा उन पि सज्दा किऩे में ज़ाहहिन
1087. र्जो चीज़ें र्जमीन स़े उगती हैं औि है वानात क़ी खोिाक हैं मसलन र्ास
औि भस
ू ा उन पि सज्दा किना सहीह है ।
1088. जर्जन िूलों को खाया नहीं र्जाता उन पि सज्दा सहीह है िजल्क उन खानों
क़ी दवांओं पि भी सज्दा सहीह है र्जो ज़मीन स़े उगती हैं औि उन्हें कूट कि या
354
1089. ऐसी र्ास र्जो िाज़ शहिों में खाई र्जाती हो औि िाज़ शहिों में खाई तो
1090. चन
ू ़े क़े पत्थि औि जर्जप्सम पि सज्दा किना सहीह है औि एहततयात़े
मस्
ु तहि यह है कक इजख़्तयाि क़ी हालत में पख़्
ु ता जर्जप्सम औि चन
ू ़े औि ईंट औि
ममट्टी क़े पक्क़े हुए ितकनों औि उनस़े ममलती र्जुलती चीज़ों पि सज्दा न ककया
र्जाए।
1091. अगि कागज़ को ऐसी चीज़ स़े िनाया र्जाए कक जर्जस पि सज्दा किना
इसी तिह अगि रुई या कतान स़े िनाया गया हो तो भी उस पि सज्दा किना
सहीह है ल़ेककन ि़े शम या अिि़े शम औि इसी तिह ककसी चीज़ स़े िनाया गया हो
1092. सज्द़े क़े मलय़े खाक़े मशफ़ा सि चीज़ों स़े ि़ेहति है उसक़े िाद ममट्टी,
1093. अगि ककसी क़े पास ऐसी चीज़ न हो जर्जस पि सज्दा किना सहीह है या
अगि हो तो सदी या ज़्यादा गम़ी वगैिा क़ी वर्जह स़े उस पि सज्दा न कि सकता
355
है कक अपऩे मलिास या अपऩे हाथों क़ी पश्ु त या ककसी दस
ू िी चीज़ पि कक हालत़े
इजख़्तयाि में उस पि सज्दा र्जाइज़ नहीं सज्दा कि़े ल़ेककन एहततयात़े मस्
ु तहि यह
कि़े ।
1095. अगि पहल़े सज्द़े में सज्दागाह प़ेशानी स़े चचपक र्जाए तो दस
ू ि़े सज्द़े क़े
1096. जर्जस चीज़ पि सज्दा किना हो अगि नमाज़ पढ़ऩे क़े दौिान वह गुम हो
र्जाए औि नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े पास कोई ऐसी चीज़ न हो जर्जस पि सज्दा किना
1097. र्जि ककसी शख़्स को सज्द़े क़ी हालत में पता चल़े कक उसऩे अपनी
चीज़ पि जर्जस पि सज्दा किना सहीह है, लाए औि वाजर्जि जज़क्र पढ़़े ल़ेककन अगि
प़ेशानी लाना मजु म्कन न हो तो उसी हालत में वाजर्जि जज़क्र अदा कि सकता है
356
1098. अगि ककसी शख़्स को सज्द़े क़े िाद पता चल़े कक उसऩे अपनी प़ेशानी
ककसी ऐसी चीज़ पि िखी है जर्जस पि सज्दा किना िाततल है तो कोई हिर्ज नहीं।
1. र्जो शख़्स खड़ा होकि नमाज़ पढ़ िहा हो वह रूकू स़े सि उठाऩे क़े िाद
मक
ु म्मल तौि पि खड़़े होकि औि िैठ कि नमाज़ पढ़ऩे वाला रूकू क़े िाद पिू ी
2. सज्द़े में र्जात़े वक़्त मदक पहल़े अपनी हथ़ेमलयों औि औित अपऩे र्ट
ु नों को
ज़मीन पि िख़े।
किना दरू
ु स्त हो।
4. नमाज़ी सज्द़े क़ी हालत में हाथ क़ी उं गमलयों को ममलाकि कानों क़े पास इस
357
5. सज्द़े में दआ
ु कि़े , अल्लाह तआला स़े हार्जत तलि कि़े , औि यह दआ
ु पढ़़े ः
फ़न्नाका ज़ल
ु फ़जज़्लल अज़ीम।
6. सज्द़े क़े िाद िांई िान पि िैठ र्जाए औि दायें पांव का ऊपि वाला हहस्सा
तक्िीि कह़े ।
9. सज्दा ज़्यादा द़े ि तक अंर्जाम द़े औि िैठऩे क़े वक़्त हाथों को िानों पि
िख़े।ट
10. दस
ू ि़े सज्द़े में र्जाऩे क़े मलय़े िदन क़े सक
ु ू न क़ी हालत में अल्लाहो अकिि
कह़े ।
358
12. सज्द़े स़े ककयाम क़े मलय़े उठत़े वक़्त पहल़े र्ट
ु नों को औि उनक़े िाद हाथों
1101. सज्द़े में कुिआऩे मर्जीद पढ़ना मकरूह है । औि सज्द़े क़ी र्जगह को गदो
गि
ु ाि झाड़ऩे क़े मलय़े िंू क मािना भी मकरूह है िजल्क अगि िंू क मािऩे क़ी वर्जह
1102. कुिआऩे मर्जीद क़ी चाि सिू तों यानी वन्नज्म, इकिा, अमलफ़ लाम्मीम
तंज़ील औि हाम्मीम सज्दा में स़े हि एक में एक आया ए सज्दा है जर्जस़े अगि
इंसान पढ़़े या सन
ु ़े तो आयत खत्म होऩे क़े िाद फ़ौिन सज्दा किना ज़रूिी है औि
359
है कक आया ए सज्दा गैि इजख़्तयािी हालत में सन
ु ़े तो सज्दा वाजर्जि नहीं है
1104. अगि नमाज़ क़े अलावा सज्द़े क़ी हालत में कोई शख़्स आया ए सज्दा
पढ़़े या सन
ु ़े तो ज़रूिी है कक सि उठाए औि दोिािा सज्दा कि़े ।
1105. अगि इंसान सोए हुए शख़्स या दीवाऩे या िच्च़े स़े र्जो कुिआन को
सज्दा वाजर्जि है। ल़ेककन अगि ग्रामोफ़ोन या ट़े परिकाडकि स़े (रिकाडक शद
ु ा आया ए
सज्दा) सन
ु ़े तो सज्दा वाजर्जि नहीं। औि सज्द़े क़ी आयत ि़े डडयो पि ट़े प रिकाडक क़े
ज़रिए नश्र क़ी र्जाए ति भी यही हुक्म है। ल़ेककन अगि कोई शख़्स ि़े डडयो स्ट़े शन
स़े (ििाह़े िास्त नशिीयात में ) सज्द़े क़ी आयत पढ़़े औि इंसान उस़े ि़े डडयो पि सन
ु ़े
1106. कुिआन का वाजर्जि सज्दा किऩे क़े मलय़े एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि
ममली हुई उं गमलयों स़े ज़्यादा ऊंची या नीची न हो ल़ेककन यह ज़रूिी नहीं कक
उसऩे वज़
ु ू या गस्
ु ल ककया हुआ हो या ककबला रूख हो या अपनी शमकगाह को
360
तछपाए या उसका िदन औि प़ेशानी िखऩे क़ी र्जगह पाक हो। इसक़े अलावा र्जो
शिाइत नमाज़ पढ़ऩे वाल़े क़े मलय़े ज़रूिी है वह शिाइत कुिआऩे मर्जीद का वाजर्जि
1107. एहततयात़े वाजर्जि यह है कक कुिआऩे मर्जीद क़े वाजर्जि सज्द़े में इंसान
अपनी प़ेशानी सज्दागाह या ककसी ऐसी चीज़ पि िख़े जर्जस पि सज्दा किना सहीह
हो औि एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि िदन क़े दस
ू ि़े अअज़ा ज़मीन पि इस
तिह िख़े जर्जस तिह नमाज़ क़े मसलमसल़े में िताया गया है ।
1108. र्जि इंसान कुिआऩे मर्जीद का वाजर्जि सज्दा किऩे क़े इिाद़े स़े प़ेशानी
पढ़ना मस्
ु तहि है। औि ि़ेहति है कक यह पढ़़े ः-
रिक़्का, मस्
ु तंककफ़ौ व ला मस्
ु तजक्ििा, िल अना अबदन
ु ज़लीलन
ु ज़ईफ़ुन खाइफ़ुन
मस्
ु तर्जीरुन।
तशह्हुद
मचिि क़ी तीसिी िक् अत में औि ज़ोहि, अस्र औि इशा क़ी चौथी िक् अत में इंसान
361
क़े मलय़े ज़रूिी है कक दस
ू ि़े सज्द़े क़े िाद िैठ र्जाए औि िदन क़े सक
ु ू न क़ी हालत
मत
ु ाबिक मस
ु लसल कह़े र्जायें।
स़े पहल़े उस़े याद आए कक उसऩे तशह्हुद नहीं पढ़ा तो ज़रूिी है कक िैठ र्जाए औि
तशह्हुद पढ़़े औि किि दोिािा खड़ा हो औि उस िक् अत में र्जो कुछ पढ़ना ज़रूिी है
िाद ि़ेर्जा ककयाम क़े मलय़े दो सज्दा ए सहव िर्जा लाए औि अगि उस़े रूकू में या
उसक़े िाद याद आए तो ज़रूिी है कक नमाज़ तमाम कि़े औि नमाज़ क़े सलाम क़े
भल
ू ़े हुए तशह्हुद क़े मलय़े दो सज्दा ए सहव िर्जा लाए।
362
1112. मस्
ु तहि है कक तशह्हुद क़ी हालत में इंसान िायें िान पि िैठ़े औि दायें
पांव क़ी पश्ु त को िायें पांव क़े तल्व़े पि िख़े औि तशह्हुद स़े पहल़े कह़े , अलहम्दो
मलल्लाह औि यह भी मस्
ु तहि है कक हाथ िानों पि िख़े औि उं गमलयां एक दस
ू ि़े क़े
साथ ममलाए औि अपऩे दामन पि तनगाह डाल़े औि तशह्हुद में सलावात क़े िाद
1113. मस्
ु तहि हो कक औितें तशहहुद पढ़त़े वक़्त अपनी िाऩे ममलाकि िखें ।
नमाज़ का सलाम
1114. नमाज़ क़ी आखखिी िक् अत क़े तशह्हुद क़े िाद र्जि नमाज़ी िैठा हो औि
उसका िदन सक
ु ू न क़ी हालत में तो मस्
ु तहि है कक वह कह़े ः
अस्सलामो अलैकुम क़े र्जुमल़े क़े साथ व िहमतुल्लाह़े व ििकातुहू क़े र्जुमल़े का
अलैकुम भी कह़े ।
याद आए र्जि अभी नमाज़ क़ी शक्ल खत्म न हुई हो औि उसऩे कोई ऐसा काम
363
भी न ककया हो जर्जस़े अमदन औि सहवन किऩे स़े नमाज़ िाततल हो र्जाती हो,
मसलन ककबल़े क़ी तिफ़ पीठ किना, तो ज़रूिी है कक सलाम कह़े औि उसक़ी
नमाज़ सहीह है ।
याद आए र्जि नमाज़ क़ी शक्ल खत्म हो गई हो तो उसऩे कोई ऐसा काम ककया
हो जर्जस़े अमदन या सहवन किऩे स़े नमाज़ िाततल हो र्जाती है, मसलन ककबल़े क़ी
तितीि
अलहम्द स़े पहल़े सिू ा पढ़ ल़े या रूकू स़े पहल़े सज्द़े िर्जा लाए तो उसक़ी नमाज़
रुक्न िर्जा लाए मसलन रूकू किऩे स़े पहल़े दो सज्द़े कि़े तो उसक़ी नमाज़
लाए र्जो उसक़े िाद हो औि रुक्न न हो मसलन इस स़े पहल़े क़ी दो सज्द़े कि़े
364
तशह्हुद पढ़ल़े तो ज़रूिी है कक रुक्न िर्जा लाए औि र्जो कुछ भी भल
ू कि उसस़े
भल
ू र्जाए औि सिू ा पढ़ ल़े तो ज़रूिी है कक र्जो चीज़ भल
ू गया हो वह िर्जा लाए
1122. अगि कोई शख़्स पहला सज्दा इस ख़्याल स़े िर्जा लाए कक दस
ू िा सज्दा
है या दस
ू िा सज्दा इस ख़्याल स़े िर्जा लाए कक पहला सज्दा है तो उसक़ी नमाज़
शम
ु ाि होगा।
मव
ु ालात
365
अगि उनक़े दिममयान इतना फ़ामसला डाल़े कक लोग यह न कहें कक नमाज़ पढ़
र्जुमल़े मअमल
ू क़े मत
ु ाबिक पढ़़े औि अगि िाद क़ी कोई चीज़ पढ़ी र्जा चक
ु ़ी हो तो
ज़रूिी है कक उस़े दहु िाए औि अगि िाद क़े रुक्न में मशगल
ू हो गया हो तो उसक़ी
नमाज़ सहीह है ।
तोड़ता।
कुनत
़ू
पढ़ना मस्
ु तहि है ल़ेककन नमाज़़े शफ़अ में ज़रूिी है कक उस़े िर्जाअन पढ़ें औि
नमाज़़े ववत्र में भी िावर्जूद़े क़े एक िक् अत क़ी होती है रूकू स़े पहल़े कुनत
ू पढ़ना
मस्
ु तहि है। औि नमाज़़े र्जुमआ
ु क़ी हि िक् अत में एक कुनत
ू , नमाज़़े आयात में
पांच कुनत
ू , नमाज़़े ईद़े कफ़त्र व कुिाकन क़ी पहली िक् अत में पांच कुनत
ू औि दस
ू िी
366
1127. मस्
ु तहि है कक कुनत
ू पढ़त़े वक़्त हाथ च़ेहि़े क़े सामऩे औि हथ़ेमलयां एक
दस
ू ि़े क़े साथ ममला कि आस्मान क़ी तिफ़ िख़े औि अंगठ
ू ों क़े अलावा िाक़ी
1128. कुनत
ू में इंसान र्जो जज़क्र भी पढ़़े ख़्वाह एक दफ़् आ, सबु हानल्लाह ही कह़े
1129. मस्
ु तहि है कक इंसान कुनत
ू िलन्द आवाज़ स़े पढ़़े ल़ेककन अगि एक
शख़्स र्जमाअत क़े साथ नमाज़ पढ़ िहा हो औि इमाम उसक़ी आवाज़ सन
ु सकता
भल
ू र्जाए औि इस स़े पहल़े कक रूकू क़ी हद तक झक
ु ़े उस़े याद आ र्जाए तो
मस्
ु तहि है कक खड़ा हो र्जाए औि कुनत
ू पढ़़े । औि अगि रूकू में याद आ र्जाए तो
मस्
ु तहि है कक रूकू क़े िाद कज़ा कि़े औि अगि सज्द़े म़े याद आ र्जाए तो
मस्
ु तहि है कक सलाम क़े िाद उसक़ी कज़ा कि़े ।
367
नमाज का तजुम
य ा
बिजस्मल्लाहहिक हमातनिक हीम, बिजस्मल्लाह़े यानी मैं इजबतदा किता हूं खुदा क़े नाम
स़े , उस ज़ात क़े नाम स़े जर्जसमें तमाम कमालात यक्र्जा हैं औि र्जो हि ककस्म क़े
नक्स स़े मन
ु ज्र्जा है। अिक हमाऩे उसक़ी िहमत वसी औि ि़ेइजन्तहा है। अिक हीम़े
यानी सना उस खद
ु ा वन्द क़ी ज़ात स़े मखसस
ू है र्जो तमाम मौर्जद
ू ात का पालऩे
वह तवाना ज़ात कक र्जज़ा क़े हदन क़ी हुक्मिानी उसक़े हाथ में है । ईय्याका नअिद
ु ु
व ईय्याका नस्तईन यानी हम फ़कत त़ेिी ही इिादत कित़े हैं औि फ़कत तुझी स़े
यानी उन लोगों क़े िास्त़े क़ी र्जातनि जर्जन्हें तूऩे अपनी ऩेमतें अता क़ी हैं र्जो
अंबिया औि अंबिया क़े र्जानशीन हैं। गैरिल मग़्जज़ूि़े अलैहहम वलज़्ज़ाल्लीना यानी न
उन लोगों क़े िास्त़े क़ी र्जातनि जर्जन पि त़ेिा गज़ि हुआ औि न उनक़े िास्त़े क़ी
368
2.सिू ा ए एख़्लास का तर्जम
ुक ाः-
अहदन
ु यानी मोहम्मद स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम आप कह दें
खुदावन्दा वही है र्जो यकता खुदा है । अल्लाहुस्समदो यानी वह खुदा र्जो तमाम
3.रूकू, सर्ज
ु ूद औि उनक़े िाद क़े मस्
ु तहि अज़्काि का तर्जम
ुक ाः-
सबु हाना िजबियल अज़ीमें व ि़ेहम्द़े ही यानी म़ेिा पिविहदगाि हि ऐि हि नक़्स स़े
पाक औि मन
ु ज़्ज़ा है, मैं उसक़ी सताइश में मश्गल
ू हूं। सबु हाना िजबियल अअला व
स़े पाक औि मन
ु ज़्ज़ा है, मैं उसक़ी सताइश में मश्गल
ू हूं। सम़ेअल्लाहो ल़ेमन
हम़ेदहू यानी र्जो कोई खुदा क़ी सताइश किता है खुदा उस़े सन
ु ता है औि कुिल
ू
किता है । अस्तजग़्जफ़रुल्लाहा िबिी व अतूिो इलैह यानी मैं मजग़्जफ़ित तलि किता हूं
उस खद
ु ावन्द स़े र्जो म़ेिा पालऩे वाला है औि उसक़ी तिफ़ रुर्जउ
ू किता हूं।
369
4.कुनत
ू का तर्जम
ुक ाः-
इल्लल्लाहुल अलीयल
ु अज़ीम यानी कोई खुदा पिजस्तश क़े लाइक नहीं मसवाय उस
खुदा र्जो सात आसमानों औि सात ज़मीनों का पिविहदगाि है। वमा फ़़ीहहन्ना व
मलय़े मख़्सस
ू है र्जो तमाम मौर्जूदात का पालऩे वाला है ।
ि़ेममस्ल खद
ु ा क़े अलावा कोई खद
ु ा पिजस्तश क़े लाइक नहीं औि वह इसस़े िालाति
370
अलहम्दो मलल्लाह़े , अश्हदो अंल्ला इलाहा इल्लल्लाहो वह्दहू ला शिीका लहू यानी
खद
ु ा क़े र्जो यकता है औि जर्जसका कोई शिीक नहीं कोई औि खद
ु ा पिजस्तश क़े
हूं कक मोहम्मद स्वल्लाहो अलैह़े व आल़ेही वसल्लम खुदा क़े िन्द़े औि उसक़े िसल
ू
हैं। अल्लाहुम्मा स्वल्ल़े अला मोहम्महदंव व आल़े मोहम्मद यानी ऐ खुदा िहमत
भ़ेर्ज मोहम्मद औि आल़े मोहम्मद पि। व तकबिल शफ़ाअतहू वफ़कअ दिर्जतहू यानी
िसल
ू ल्
ु लाह क़ी शफ़ाअत किल
ू कि औि आाँहज़ित का दिर्जा अपऩे नज़दीक िलन्द
क़े िसल
ू (स0) आप पि हमािा सलाम हो औि आप पि अल्लाह क़ी िहमतें औि
पढ़ऩे वालों पि औि तमाम स्वाल़ेह िन्दों पि अल्लाह क़ी तिफ़ स़े सलामती हो।
ताकीबाते नमाज
1131. मस्
ु तहि है कक नमाज़ पढ़ऩे क़े िाद इंसान कुछ द़े ि क़े मलय़े तअक़ीिात
यानी जज़क्र, दआ
ु औि कुिआऩे मर्जीद पढ़ऩे में मश्गल
ू िह़े । औि ि़ेहति यह है कक
371
इसस़े पहल़े वह अपनी र्जगह स़े हिकत कि़े कक उसका वज़
ु ू या तयम्मम
ु िाततल हो
गई हैं औि तस्िीह़े फ़ाततमा (स0) उन ताककिात में स़े है जर्जनक़ी िहुत ज़्यादा
िाद 33 दफ़् आ सबु हानल्लाह। औि सबु हानल्लाह अलहम्दोमलल्लाह स़े पहल़े भी पढ़ा
औि यह भी मस्
ु तहि है कक र्जि इंसान को कोई ऩेमत ममल़े या कोई मस
ु ीित टल
सल्लम का इस्म़े मि
ु ािक मोसलन मोहम्मद (स0) या अहमद (स0) या आाँहज़ित
372
अदा कि़े या सन
ु ़े तो ख़्वाह वह नमाज़ में ही क्यों न हो मस्
ु तहि है कक सलवात
भ़ेर्ज़े।
मि
ु ािक मलखत़े वक़्त मस्
ु तहि है कक इंसान सलवात (स0) भी मलख़े औि ि़ेहति है
मुजब्तलाते नमाज
1135. िािह चीज़ें नमाज़ को िाततल किती हैं औि उन्हें मजु बतलात कहा र्जाता
है ः-
1. नमाज़ क़े दौिान नमाज़ क़ी शतों में स़े कोई शतक मफ़्कूद हो र्जाए मसलन
2. नमाज़ क़े दौिान अमदन या सहवन या मर्जििू ी क़ी वर्जह स़े इंसान ककसी
प़ेशान खता हो र्जाए अगिच़े एहततयात क़ी बिना पि इस तिह नमाज़ क़े आखखिी
सज्द़े क़े िाद सहवन या मर्जििू ी क़ी बिना पि हो ताहम र्जो शख़्स प़ेशाि या
373
पाखाना न िोक सकता हो अगि नमाज़ क़े दौिान उसका प़ेशाि या पाखाना तनकल
है तो उसक़ी नमाज़ िाततल नहीं होगी औि इसी तिह अगि नमाज़ क़े दौिान
मस्
ु तहाज़ा को खून आ र्जाए तो अगि वह इजस्तहाज़ा स़े मत
ु अजल्लक अहकाम क़े
मत
ु ाबिक अमल कि़े तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ।
1136. जर्जस शख़्स को ि़े इजख़्तयाि नीन्द आ र्जाए अगि उस़े यह पता न चल़े
कक वह नमाज़ क़े दौिान सो गया था या उसक़े िाद सोया तो ज़रूिी नहीं क़ी
नमाज़ दोिािा पढ़़े िशते क़ी यह र्जानता हो कक र्जो कुछ नमाज़ में पढ़ा है वह इस
1137. अगि ककसी शख़्स को इल्म हो कक वह अपनी मज़़ी स़े सोया था ल़ेककन
नमाज़ पढ़ िहा है औि सो गया तो उस शतक क़े साथ र्जो साबिका मस ्अल़े में
1138. अगि कोई शख़्स नींद स़े सज्द़े क़ी हालत में ि़ेदाि हो र्जाए औि शक
गफ़्लत क़ी वर्जह स़े नमाज़ क़े सज्द़े में सो गया था तो उसक़ी नमाज़ सहीह है ।
374
3. यह चीज़ मजु बतलात़े नमाज़ में स़े है कक इंसान अपऩे हाथों को आजर्जज़ी औि
अदि क़ी नीयत स़े िांध़े ल़ेककन इस काम क़ी वर्जह स़े नमाज़ का िाततल होना
एहततयात क़ी बिना पि है औि अगि मशरुइयत क़ी नीयत स़े अंर्जाम द़े तो उस
4. मजु बतलात़े नमाज़ में स़े एक यह है कक अलहम्द पढ़ऩे क़े िाद आमीन कह़े ।
बिना पि है। अगिच़े आमीन कहऩे को र्जाइज़ समझत़े हुए आमीन कह़े तो उसक़े
हिाम होऩे में कोई इश्काल नहीं है । िहि हाल अगि आमीन को गलती या तक़ीय्या
क़ी वर्जह स़े कह़े तो उसक़ी नमाज़ में कोई इश्काल नहीं है ।
5. मजु बतलात़े नमाज़ में स़े है कक िगैि ककसी उज्र क़े ककबल़े स़े रुख ि़ेि़े ल़ेककन
375
उसक़ी नमाज़ सहीह है । ल़ेककन ज़रूिी है कक र्जैस़े ही उज्र दिू हो फ़ौिन ही अपना
ककबला दरू
ु स्त कि़े । औि अगि दायें या िायें तिफ़ मड़
ु र्जाए ख़्वाह ककबल़े क़ी तिफ़
मत
ु वज्र्जह हो औि नमाज़ को तोड़ द़े तो उस़े दोिािा ककबला रुख होकि पढ़ सकता
वक़्त में पढ़़े वनाक उसी नमाज़ पि इजक्तफ़ा कि़े औि उस पि कज़ा लाजज़म नहीं
औि यही हुक्म है अगि ककबल़े स़े उसका कििना ि़े इजख़्तयािी क़ी हालत में हो
चन
ु ांच़े ककबल़े स़े किि़े िगैि अगि नमाज़ को दोिािा वक़्त में पढ़ सकता हो।
मसि़े स़े पढ़़े वनाक ज़रूिी है कक उसी नमाज़ को तमाम कि़े इआदा औि कज़ा उस
क़ी तिफ़ हो चन
ु ांच़े इस हद तक गदक न को मोड़़े कक अपऩे सि क़े पीछ़े कुछ द़े ख
सक़े तो उसक़े मलय़े भी वही हुक्म है र्जो ककबल़े स़े किि र्जाऩे वाल़े क़े मलय़े है
कक उफ़कन कहा र्जाए कक उसक़े िदन का अगला हहस्सा ककबल़े क़ी तिफ़ है तो
376
6. मजु बतलात़े नमाज़ में स़े एक यह है कक अमदन िात कि़े अगिच़े ऐसा
मसलन (काफ़) कक जर्जसक़े अििी ज़िान में मअना हहफ़ाज़ात किो क़े हैं या कोई
औि मअना समझ में आत़े हों मसलन (ि़े) उस शख़्स क़े र्जवाि में कक र्जो हुरूफ़़े
तहज्र्जी क़े हफ़े दोम क़े िाि़े में सवाल कि़े औि अगि उस लफ़्ज़ स़े कोई मअना
भी समझ में न आत़े हों औि दो या दो स़े ज़्यादा हफ़ों स़े मिु क्कि हो ति भी
1141. अगि कोई शख़्स सहवन ऐसा कमलमा कह़े जर्जसक़े हुरूफ़ एक या उसस़े
ज़्यादा हों तो ख़्वाह वह कमलमा मअनी भी िखता हो उस शख़्स क़ी नमाज़ िाततल
नहीं होती ल़ेककन एहततयात क़ी बिना पि उसक़े मलय़े ज़रूिी है कक ज़ैसा कक िाद
में जज़क्र आय़ेगा नमाज़ क़े िाद वह सज्दा ए सहव िर्जा लाए।
1142. नमाज़ क़ी हालत में खांसऩे या डकाि ल़ेऩे में कोई हिर्ज नहीं औि
िाततल कि द़े ता है
1143. अगि कोई शख़्स कोई कमलमा जज़क्र क़े कस्द स़े कह़े मसलन जज़क्र क़े
कस्द स़े अल्लाहो अक्िि कह़े औि उस़े कहत़े वक़्त आवाज़ को िलन्द कि़े ताकक
दस
ू ि़े शख़्स को ककसी चीज़ क़ी तिफ़ मत
ु वज्र्जह कि़े तो इसमें कोई हिर्ज नहीं।
377
औि इसी तिह अगि कोई कमलमा जज़क्र क़े कस्द स़े कह़े अगिच़े र्जानता हो कक
हिर्ज नहीं ल़ेककन अगि बिलकुल जज़क्र का कस्द न कि़े या जज़क्र का कस्द भी हो
1144. नमाज़ में कुिआन पढ़ऩे (चाि आयतों का हुक्म कक जर्जनमें वाजर्जि सज्दा
ज़िान में दआ
ु न कि़े ।
सिू ़े क़े ककसी हहस्स़े या अज़्काि़े नमाज़ क़ी तकिाि कि़े तो कोई हिर्ज नहीं।
1146. इंसान को चाहहय़े कक नमाज़ क़ी हालत में ककसी को सलाम न कि़े औि
अगि कोई दस
ू िा शख़्स उस़े सलाम कि़े तो ज़रूिी है कक र्जवाि द़े ल़ेककन र्जवाि
सलाम क़ी मातनन्द होना चाहहय़े यानी ज़रूिी है कक अस्ल सलाम पि इज़ाफ़ा न हो
ििकातुहू िजल्क एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक र्जवाि में अलैकुम या
है कक र्जवाि मक
ु म्मल तौि पि द़े जर्जस तिह कक उसऩे सलाम ककया हो मसलन
378
अगि कहा हो सलामन
ु अलैकुम तो र्जवाि में कह़े सलामन
ु अलैकुम औि अगि
सलामन
ु अलैक तो कह़े सलामन
ु अलैक ल़ेककन अलैकुमस्
ु सलाम क़े र्जवाि में र्जो
वाला सन
ु ल़े ल़ेककन अगि सलाम किऩे वाला िहिा हो या सलाम कह कि र्जल्दी
स़े गज़
ु ि र्जाए चन
ु ांच़े मजु म्कन हो तो सलाम का र्जवाि इशाि़े स़े या उसी तिह
ककसी तिीक़े स़े उस़े समझा सक़े तो र्जवाि द़े ना ज़रूिी है। इस सिू त क़े अलावा
र्जवाि द़े ना नमाज़ क़े अलावा ककसी औि र्जगह पि ज़रूिी नहीं औि नमाज़ में
र्जाइज़ नहीं है ।
1149. वाजर्जि है कक नमाज़ी सलाम क़े र्जवाि को सलाम क़ी नीयत स़े कह़े ।
औि दआ
ु का कस्द किऩे में भी कोई हिर्ज नहीं यानी खुदावन्द़े आलम स़े उस
379
1150. अगि औित या ना महिम मदक या वह िच्चा र्जो अच्छ़े ििु ़े में तमीज़
1152. अगि कोई शख़्स नमाज़ पढ़ऩे वाल़े को इस तिह गलत सलाम कि़े कक
वह सलाम ही शम
ु ाि न हो तो उसक़े सलाम का र्जवाि द़े ना र्जाइज़ नहीं है ।
1153. ककसी ऐस़े शख़्स को सलाम का र्जवाि द़े ना र्जो ममज़ाह औि तमस्खिु क़े
तौि पि सलाम कि़े औि ऐस़े गैि मजु स्लम मदक औि औित क़े सलाम का र्जवाि
वाजर्जि क़ी बिना पि उनक़े र्जवाि में कमलमा ए अलैका कह द़े ना काफ़़ी है ।
र्जवाि द़े ना वाजर्जि है ल़ेककन अगि उनमें स़े एक शख़्स र्जवाि द़े द़े तो काफ़़ी है।
1155. अगि कोई शख़्स ककसी गुिोह को सलाम कि़े औि र्जवाि एक ऐसा
शख़्स द़े जर्जसका सलाम किऩे वाल़े को सलाम किऩे का इिादा न हो तो (उस
शख़्स क़े र्जवाि द़े ऩे क़े िावर्जूद) सलाम का र्जवाि उस गिु ोह पि वाजर्जि है ।
380
1156. अगि कोई शख़्स ककसी गिु ोह को सलाम कि़े औि उस गुिोह में स़े र्जो
कोई शख़्स सलाम का र्जवाि द़े द़े तो उस सिू त में भी यह हुक्म है । ल़ेककन अगि
किऩे का था औि कोई दस
ू िा र्जवाि द़े तो ज़रूिी है कक सलाम का र्जवाि द़े ।
सवाि पैदल को औि खड़ा हुआ शख़्स िैठ़े हुए को औि छोटा िड़़े को सलाम कि़े ।
सलाम स़े ि़ेहति अल्फ़ाज़ में द़े मसलन अगि कोई शख़्स सलामन
ु अलैकुम कह़े तो
7. नमाज़ क़े मजु बतलात में स़े एक आवाज़ क़े साथ औि र्जान िझ
ू कि हं सना है।
अगिच़े ि़ेइजख़्तयाि हं स़े। औि जर्जन िातों क़ी वर्जह स़े हं स़े वह इजख़्तयािी हो िजल्क
381
इजख़्तयािी न भी हों ति भी वह नमाज़ क़े िाततल होऩे का मजु र्जि होगी ल़ेककन
अगि र्जान िझ
ू कि िगैि आवाज़ या सहवन आवाज़ क़े साथ हं स़े तो ज़ाहहि यह है
1160. अगि हं सी क़ी आवाज़ िोकऩे क़े मलय़े ककसी शख़्स क़ी हालत िदल र्जाए
मसलन उसका िं ग सख
ु क हो र्जाए तो एहततयात़े वाजर्जि यह है कक वह नमाज़
दोिािा पढ़़े ।
8. एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि यह नमाज़ क़े मजु बतलात में स़े है कक इंसान
अगि खौफ़़े खुदा स़े या आखखित क़े मलय़े िोए तो ख़्वाह आहहस्ता िोए या िलन्द
आवाज़ स़े िोए कोई हिर्ज नहीं िजल्क यह ि़ेहतिीन अअमाल में स़े हैं।
9. नमाज़ िाततल किऩे वाली चीज़ों में स़े है कक कोई ऐसा काम कि़े जर्जसस़े
नमाज़ क़ी शक्ल िाक़ी न िह़े मसलन उछलना कूदना औि इसी तिह का कोई
जर्जस काम स़े नमाज़ क़ी शक्ल तबदील न होती हो मसलन हाथ स़े इशािा किना
382
1161. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े दौिान इस कदि साककत हो र्जाए कक लोग
1162. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े दौिान कोई काम कि़े या कुछ द़े ि साककत
10. मजु बतलात़े नमाज़ में स़े एक खाना औि पीना है। पस अगि कोई शख़्स
नमाज़ क़े दौिान इस तिह खाए या वपय़े कक लोग यह न कह़े कक नमाज़ पढ़ िहा
नमाज़ िाततल हो र्जाती है । अलित्ता र्जो शख़्स िोज़ा िखना चाहता हो अगि वह
हो कक अगि नमाज़ पिू ी कि़े गा तो सबु ह हो र्जाय़ेगी तो अगि पानी उसक़े सामऩे
दो तीन कदम क़े फ़ामसल़े पि हो तो वह नमाज़ क़े दौिान पानी पी सकता है।
383
पढ़़े ख़्वाह नमाज़ का तसलसल
ु खत्म हो यानी यह न कहा र्जाए कक नमाज़ को
मस
ु लसल पढ़ िहा है या नमाज़ का तसलसल
ु खत्म न हो।
1164. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े दौिान कोई ऐसी चगज़ा तनगल ल़े र्जो उसक़े
मंह
ु या दांतों क़े ि़े खों में िह गई हो तो उसक़ी नमाज़ िाततल नहीं होती। इसी तिह
नहीं।
11. मजु बतलात़े नमाज़ में स़े दो िक् अती या तीन िक् अती नमाज़ क़ी िक् अतों में
या चाि िक् अती नमाज़ों क़ी पहली िक् अतों शक किना है । नमाज़ पढ़ऩे वाला शक
12. मजु बतलात़े नमाज़ में स़े यह भी है कक कोई शख़्स नमाज़ का रुक्न र्जान
िझ
ू कि या भल
ू कि कम कि द़े या एक ऐसी चीज़ को र्जो रुक्न नहीं है र्जान
िझ
ू कि र्टाए या र्जान िझ
ू कि कोई चीज़ नमाज़ में िढ़ाए। इसी तिह अगि ककसी
रुक्न मसलन रूकू या दो सज्दों को एक िक् अत में गलती स़े िढ़ा द़े तो एहततयात़े
384
1165. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े िाद शक कि़े कक दौिाऩे नमाज़ उसऩे कोई
ऐसा काम ककया है या नहीं र्जो नमाज़ को िाततल किता हो तो उसक़ी नमाज़
सहीह है।
1166. इसी शख़्स का नमाज़ में अपना च़ेहिा दाईं या िाई र्जातनि इतना कम
मकरूह है कक कोई शख़्स नमाज़ में अपनी आंखें िन्द कि़े या दायीं औि िायीं
तिफ़ र्म
ु ाए औि अपनी ड़ाढ़ी औि हाथों स़े ख़ेल़े औि उं गमलया एक दस
ू ि़े में
दाखखल कि़े औि थक
ू ़े औि कुिआऩे मर्जीद या ककसी औि ककताि या अंगूठ क़ी
व खुशउ
ू को कल ्अदम (खत्म) कि द़े , मकरूह है।
पखाना िोक िखा हो नमाज़ पढ़ना मकरूह है औि इसी तिह नमाज़ क़ी हालत में
ऐसा मोज़ा पहनना भी मकरूह है र्जो पांव को र्जकड़ ल़े औि इनक़े अलावा दस
ू ि़े
मकरूहात भी भी मफ़
ु स्सल ककतािों में ियान ककय़े गय़े हैं।
385
वह स़ूितें जजनमें वाजजब नमाजें तोड़ी जा सकत़ी हैं
1168. इजख़्तयािी हालत में वाजर्जि नमाज़ को तोड़ना एहततयात़े वाजर्जि क़ी
बिना पि हिाम है ल़ेककन माल क़ी हहफ़ाज़त औि माली या जर्जस्मानी ज़िि स़े
िचऩे क़े मलय़े नमाज़ तोड़ऩे में कोई हिर्ज नहीं िजल्क ज़ाहहिन वह तमाम अहम
दीनी औि दतु नयावी काम र्जो नमाज़ी को प़ेश आयें उनक़े मलय़े नमाज़ तोड़ऩे में
1169. अगि इंसान अपनी र्जान क़ी हहफ़ाज़त या ककसी ऐस़े शख़्स क़ी र्जान क़ी
हहफ़ाज़त जर्जसक़ी र्जान क़ी हहफ़ाज़त वाजर्जि हो या ऐस़े माल क़ी हहफ़ाज़त जर्जसक़ी
1170. अगि कोई शख़्स वसी वक़्त में नमाज़ पढ़ऩे लग़े औि कज़क ख़्वाह उसस़े
अपऩे कज़े का मत
ु ालिा कि़े औि वह उसका कज़ाक नमाज़ क़े दौिान अदा कि
सकता हो तो ज़रूिी है कक उसी हालत में अदा कि द़े औि अगि िगैि नमाज़ तोड़़े
उसका कज़क चक
ु ाना मजु म्कन न हो तो ज़रूिी है कक नमाज़ तोड़ द़े औि उसका
1171. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ क़े दौिान पता चल़े कक मजस्र्जद नजर्जस है
386
औि मजस्र्जद को पाक किऩे स़े नमाज़ न टूटती हो तो ज़रूिी है कक नमाज़ क़े
दौिान उस़े पाक कि़े औि िाद में िाक़ी नमाज़ पढ़़े औि अगि नमाज़ टूट र्जाती हो
औि नमाज़ क़े िाद मजस्र्जद को पाक किना मजु म्कन न हो तो उसक़े मलय़े ज़रूिी
है कक नमाज़ तोड़ द़े औि मजस्र्जद को पाक कि़े औि िाद में नमाज़ पढ़़े ।
1172. जर्जस शख़्स क़े मलय़े नमाज़ को तोड़ना ज़रूिी हो अगि वह नमाज़ खत्म
कि़े (पिू ी कि़े ) तो वह गुनाहगाि होगा ल़ेककन उसक़ी नमाज़ सहीह है अगिच़े
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक दोिािा नमाज़ पढ़़े ।
िजल्क अगि नमाज़ खत्म होऩे स़े पहल़े उस़े याद आए कक उन्हें भल
ू गया था ति
भी मस्
ु तहि है कक उन्हें कहऩे क़े मलय़े नमाज़ तोड़ द़े ।
शक्कीयाते नमाज
नमाज़ क़े शक्क़ीयात क़ी 22 ककस्में हैं। उनमें स़े सात इस ककस्म क़े शक हैं र्जो
नमाज़ को िाततल कित़े हैं औि छः इस ककस्म क़े हैं जर्जनक़ी पिवाह नहीं किनी
387
वह शक जो नमाज को बाततल किते हैं
िक् अतों क़ी तादाद क़े िाि़े में शक अलित्ता नमाज़़े मस्
ु तहि औि नमाज़़े एहततयात
क़ी िक् अतों क़ी तादाद क़े िाि़े में शक नमाज़ को िाततल नहीं किता।
2. तीन िक् अती नमाज़ क़ी तादाद क़े िाि़े में शक।
3. चाि िक् अती नमाज़ में कोई शक कि़े कक उसऩे एक िक् अत पढ़ी है या
ज़्यादा पढ़ी है ।
6. तीन औि छः िक् अतों में या तीन औि छः स़े ज़्यादा िक् अतों में शक कि़े ।
7. चाि औि छः िक् अतों क़े दिममयान शक या चाि औि छः स़े ज़्यादा िक् अतों
388
गौिो कफ़क्र कि़े कक नमाज़ क़ी शक्ल ििकिाि न िह़े या यक़ीन या गुमान हामसल
1176. वह शक
ु ू क जर्जनक़ी पिवाह नहीं किनी चाहहय़े मन्
ु दरिर्जा ज़ैल हैः-
हो।
5. िक् अतों क़ी तादाद क़े िाि़े में इमाम का शक र्जि कक मामम
ू उनक़ी तादाद
6. मस्
ु तहि नमाज़ों औि नमाज़़े एहततयात क़े िाि़े में शक।
389
1. जजस फ़ेल का मौका गज
ु ि गया हो उसमें शक किना
नहीं र्जिकक उस साबिक काम को अमदन तकक कि क़े जर्जस काम में मशगल
ू हो
इस सिू त क़े अलावा ज़रूिी है कक जर्जस चीज़ क़ी अंर्जाम द़े ही क़े िाि़े में शक हो
िर्जा लाए।
1178. अगि नमाज़ी कोई आयत पढ़त़े हुए शक कि़े कक इसस़े पहल़े क़ी आयत
पढ़ी है या नहीं या जर्जस वक़्त आयत का आखखिी हहस्सा पढ़ िहा हो शक कि़े कक
कि़े ।
1180. अगि नमाज़ी सज्द़े में र्जात़े वक़्त शक कि़े कक रूकू िर्जा लाया है या
नहीं या शक कि़े कक रूकू क़े िाद खड़ा हुआ था या नहीं तो ज़रूिी है कक अपऩे
390
1181. अगि नमाज़ी खड़ा होत़े वक़्त शक कि़े कक सज्दा या तशह्हुद िर्जा लाया
1182. र्जो शख़्स िैठ कि या ल़ेट कि नमाज़ पढ़ िहा हो अगि अलहम्द या
तस्िीहात पढ़ऩे क़े वक़्त शक कि़े कक सज्दा या तशह्हुद िार्जा लाया है या नहीं तो
मशगल
ू होऩे स़े पहल़े शक कि़े कक सज्दा या तशह्हुद िार्जा लाया है या नहीं तो
1183. अगि नमाज़ी शक कि़े कक नमाज़ का कोई रुक्न िर्जा लाया है या नहीं
लाए मसलन अगि तशह्हुद पढ़ऩे स़े पहल़े शक कि़े कक दो सज्द़े िर्जा लाया है या
रुक्न को िर्जा लाया था तो एक रूक्न िढ़ र्जाऩे क़ी वर्जह स़े एहततयात़े लाजज़म क़ी
1184. अगि नमाज़ी शक कि़े कक एक ऐसा अमल र्जो नमाज़ का रुक्न नहीं है
िर्जा लाया है या नहीं औि उसक़े िाद आऩे वाल़े फ़़ेल में मशगल
ू न हुआ हो तो
ज़रूिी है कक उस़े िर्जा लाए मसलन अगि सिू ा पढ़ऩे स़े पहल़े शक कि़े कक
अलहम्द पढ़ी है या नहीं तो ज़रूिी है कक अलहम्द पढ़़े औि अगि उस़े अंर्जाम द़े ऩे
391
क़े िाद उस़े याद आए कक उस़े पहल़े ही िर्जा ला चक
ु ा था तो चंकू क रुक्न ज़्यादा
1185. अगि नमाज़ी शक कि़े कक एक रुक्न िर्जा लाया है या नहीं मसलन र्जि
क़ी पिवाह न कि़े औि िाद में उस़े याद आए कक उस रुक्न को िर्जा नहीं लाया तो
एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि िाततल है । मसलन अगि िाद वाली िक् अत क़े
रूकू स़े पहल़े उस़े याद आए कक दो सज्द़े नहीं िर्जा लाया तो ज़रूिी है कक िर्जा
लाए औि अगि रूकू में या उसक़े िाद उस़े याद आए (कक दो सज्द़े नहीं िर्जा
शक क़ी पिवाह न कि़े । मसलन जर्जस वक़्त सिू ा पढ़ िहा हो शक कि़े कक अलहम्द
पढ़ी है या नहीं तो ज़रूिी है कक अपऩे शक क़ी पिवाह न कि़े अलित्ता अगि उस़े
कुछ द़े ि में याद आ र्जाए कक इस अमल को िर्जा नहीं लाया औि अभी िाद वाल़े
392
मसलन अगि कुनत
ू में उस़े याद आ र्जाए कक उसऩे अलहम्द नहीं पढ़ी थी तो
ज़रूिी है कक पढ़़े औि अगि यह िात उस़े रूकू में याद आए तो उसक़ी नमाज़
सहीह है।
तअक़ीिात या दस
ू िी नमाज़ में मशगल
ू हो र्जाए या कोई ऐसा काम कि़े र्जो नमाज़
कक अपऩे शक क़ी पिवाह न कि़े औि अगि इन सिू तों स़े पहल़े शक कि़े तो ज़रूिी
393
2. सलाम के बाद शक किना
1188. अगि नमाज़ी सलाम़े नमाज़ क़े िाद शक कि़े कक उसऩे नमाज़ सहीह
तौि पि पढ़ी है या नहीं मसलन शक कि़े कक रूकू अदा ककया है या नहीं या चाि
िक् अती नमाज़ क़े सलाम क़े िाद शक कि़े कक चाि िक् अती नमाज़ पढ़ी है या
पांच तो वह अपऩे शक क़ी पिवाह न कि़े ल़ेककन अगि उस़े दोनों तिफ़ नमाज़ क़े
िाततल होऩे का शक हो मसलन चाि िक् अती नमाज़ क़े सलाम क़े िाद शक कि़े
1190. अगि कोई शख़्स वक़्त गुज़िऩे क़े िाद शक कि़े कक उसऩे नमाज़ दरू
ु स्त
394
पढ़ी है या अस्र क़ी नीयत स़े तो ज़रूिी है कक चाि िकअत नमाज़़े कज़ा उस नमाज़
पता चल़े कक उसऩे एक नमाज़ पढ़ी है ल़ेककन यह इल्म न हो कक तीन िक् अती
नमाज़ पढ़ी है या चाि िक् अती तो ज़रूिी है कक मचिि औि इशा दोनों नमाज़ो क़ी
कज़ा कि़े ।
4. कस़ीरुश्शक का शक किना
वह लोग र्जो उसक़ी मातनन्द हैं उनक़ी तनस्ित वह हवास़े फ़ि़े ि अस्िाि क़े होऩे या
न होऩे क़े िाि़े में ज़्यादा शक कि़े । पस र्जहां हवास को फ़ि़े ि द़े ऩे वाला सिि न
पिवाह न कि़े ।
1194. अगि कसीरुश्शक नमाज़ क़े अज्ज़ा में स़े ककसी र्जुज़्व क़े अंर्जाम द़े ऩे क़े
िाि़े में शक कि़े तो उस़े यंू समझना चाहहय़े कक उस र्जुज़्व को अंर्जाम द़े हदया है।
मसलन अगि शक कि़े कक रूकू ककया है या नहीं तो उस़े समझना चाहहय़े कक रूकू
कि मलया है औि अगि ककसी ऐसी चीज़ क़े िाि़े में शक कि़े र्जो मजु बतल़े नमाज़ है
395
मसलन शक कि़े कक सबु ह क़ी नमाज़ दो िक् अत पढ़ी है या तीन िक् अत तो यहीं
िहता हो, अगि वह नमाज़ क़े ककसी र्जुज़्व क़े िाि़े में शक कि़े तो ज़रूिी है कक
शक क़े अहकाम पि अमल कि़े । मसलन ककसी को ज़्यादा शक इस िात में होता
हो कक सज्दा ककया है या नहीं, अगि उस़े रूकू किऩे क़े िाद शक हो तो ज़रूिी है
कक शक क़े हुक्म पि अमल कि़े यानी अगि भी सज्द़े में न गया हो तो रूकू कि़े
हो अगि वह ककसी दस
ू िी र्जगह नमाज़ पढ़़े औि उस़े शक पैदा हो तो ज़रूिी है कक
396
र्जि तक यक़ीन न हो र्जाए कक वह लोगों क़ी आम हालत पि लौट आया है । अपऩे
नमाज़ एहततयात क़ी बिना पि िाततल है मसलन अगि शक कि़े कक रूकू ककया है
1200. र्जो शख़्स ज़्यादा शक किता हो अगि वह शक कि़े कक कोई ऐसा अमल
में उस़े याद आए कक वह अमल अंर्जाम नहीं हदया तो अगि अंर्जाम द़े ऩे क़े मकाम
पढ़ी है या नहीं औि अलहम्द पढ़़े औि रूकू में याद आए तो उसक़ी नमाज़ सहीह
है ।
397
5. इमाम औि मक्
ु तदी का शक
1201. अगि इमाम़े र्जमाअत नमाज़ क़ी िक् अतों क़ी तादाद में शक कि़े ।
मसलन शक कि़े कक तीन िक् अतें पढ़ी है या चाि िक् अतें औि मक्
ु तदी को यक़ीन
या गम
ु ान हो कक चाि िक् अतें पढ़ी हैं औि वह यह िात इमाम़े र्जमाअत क़े इल्म
में ल़े आए कक चाि िक् अतें पढ़ी हैं तो इमाम को चाहहय़े कक नमाज़ को तमाम कि़े
6. मस्
ु तहब नमाज में शक
अदद क़ी ज़्यादती क़ी तिफ़ हो र्जो नमाज़ को िाततल किती है तो उस़े चाहहय़े कक
यह समझ ल़े कक कम िक् अतें पढ़ी हैं मसलन अगि सबु ह क़ी नफ़्लों में शक कि़े
कक दो िक् अतें पढ़ी हैं या तीन तो यह समझ़े कक दो पढ़ीं हैं। औि अगि तादाद क़ी
दो िक् अतें पढ़ीं तो शक क़ी जर्जस तिफ़ पि भी अमल कि़े उसक़ी नमाज़ सहीह है।
का ज़्यादा होना उस़े िाततल नहीं किता। पस अगि नमाज़ी नफ़ल क़े अफ़् आल में
398
स़े कोई फ़़ेल भल
ू र्जाए औि यह िात उस़े उस वक़्त याद आए र्जि वह उसक़े िाद
दोिािा उस रुक्न को अंर्जाम द़े मसलन अगि रूकू क़े दौिान उस़े याद आए कक
सिू तुल हम्द नहीं पढ़ी तो ज़रूिी है कक वापस लौट़े औि अलहम्द पढ़़े औि दोिािा
1204. अगि कोई शख़्स नफ़ल क़े अफ़् आल में स़े ककसी फ़़ेल क़े मत
ु अजल्लक
पिवाह न कि़े ।
िक् अतों क़े पढ़ ल़ेऩे का गुमान हो तो चाहहय़े कक उस गुमान क़ी पिवाह न कि़े
औि उसक़ी नमाज़ सहीह है ल़ेककन अगि उसका गुमान दो िक् अतों का या उसस़े
अगि उस़े गम
ु ान हो कक एक िक् अत पढ़ी है तो ज़रूिी है कक एहततयात क़े तौि पि
एक िक् अत औि पढ़़े ।
1206. अगि कोई शख़्स नफ़ल नमाज़ में कोई ऐसा काम कि़े जर्जसक़े मलय़े
399
उसक़े मलय़े ज़रूिी है नहीं कक नमाज़ क़े िाद सज्दा ए सहव या सज्द़े क़ी कज़ा
िर्जा लाए।
तिह वक़्त मक
ु िक ि हो औि उस वक़्त क़े गुज़िऩे स़े पहल़े मत
ु अजल्लका शख़्स शक
कि़े कक उस़े अंर्जाम हदया है या नहीं तो उसक़े मलय़े भी यही हुक्म है। ल़ेककन
सहीह शुक़ूक
1208. अगि ककसी को नौ सिू तों में चाि िक् अती नमाज़ क़ी िक् अतों क़ी तादाद
क़े िाि़े में शक हो तो उस़े चाहहय़े क़ी फ़ौिन गौिो कफ़क्र कि़े औि अगि यक़ीन या
हैं।
वह नौ सिू तें यह है ः-
400
1.दस
ू ि़े सज्द़े क़े दौिान दो िक् अतें पढ़ीं हैं या तीन। इस सिू त में उस़े यंू समझ
ल़ेना चाहहय़े कक तीन िक् अतें पढ़ी हैं औि एक औि िक् अत पढ़़े किि नमाज़ को
तमाम कि़े औि एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि नमाज़ क़े िाद एक िक् अत नमाज़़े
2.दस
ू ि़े सज्द़े क़े दौिान अगि शक कि़े कक दो िक् अतें पढ़ी हैं या चाि तो यह
समझ ल़े कक चाि पढ़ी हैं औि नमाज़ को तमाम कि़े औि िाद में दो िक् अत़े
3.अगि ककसी को दस
ू ि़े सज्द़े क़े दौिान शक हो र्जाए कक दो िक् अत़े पढ़ीं हैं या
तीन या चाि तो उस़े यह समझ ल़ेना चाहहय़े कक चाि पढी हैं औि वह नमाज़
खत्म होऩे क़े िाद दो िक् अत नमाज़़े एहततयात खड़़े होकि औि िाद में दो िक् अत
पढ़ी हैं या पांच तो वह यह समझ़े कक चाि पढ़ी हैं औि इस ितु नयाद पि नमाज़
पिू ी कि़े औि नमाज़ क़े िाद दो सज्दा ए सहव िर्जा लाए। औि िईद नहीं कक यही
क़े अअमाल अंर्जाम द़े । यानी इस एहततमाल क़ी बिना पि कक चाि िक् अत स़े
ज़्यादा पढ़ी हैं िाद में दो सज्दा ए सहव भी कि़े । औि तमाम सिू तों में अगि पहल़े
401
सज्द़े क़े िाद औि दस
ू ि़े सज्द़े में दाखखल होऩे स़े पहल़े साबिका चाि शक में स़े
5. नमाज़ क़े दौिान जर्जस वक़्त भी ककसी को तीन िक् अत औि चाि िक् अत क़े
दिममयान शक हो ज़रूिी है कक यह समझ ल़े कक चाि िक् अतें पढी हैं औि नमाज़
6. अगि ककयाम क़े दौिान ककसी को चाि िक् अतों औि पांच िक् अतों क़े िाि़े में
7. अगि ककयाम क़े दौिान ककसी को तीन औि पांच िक् अतों क़े िाि़े में शक हो
8. अगि ककयाम क़े दौिान ककसी को तीन, चाि औि पांच िक् अतों क़े िाि़े में
िाद दो िक् अत़े नमाज़़े एहततयात खड़़े होकि औि िाद में दो िक् अत िैठ कि पढ़़े ।
9. अगि ककयाम क़े दौिान ककसी को पांच औि छः िक् अतों क़े िाि़े में शक हो
402
सज्दा ए सहव िर्जा लाए औि एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि इन चाि सितों में
वक़्त इतना तंग हो कक नमाज़ अज़ सि़े नव न पढ़ सक़े तो नमाज़ नहीं तोड़नी
नमाज़ न तोड़़े औि र्जो मसअला पहल़े ियान ककया गया है उस पि अमल कि़े ।
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक नमाज़़े एहततयात पढ़़े औि नमाज़़े एहततयात पढ़़े
िगैि अज़ सि़े नव नमाज़ न पढ़़े औि अगि वह कोई ऐसा फ़़ेल अंर्जाम द़े ऩे स़े
पहल़े र्जो नमाज़ को िाततल किता हो अज़ सि़े नव नमाज़ पढ़़े तो एहततयात क़ी
बिना पि उसक़ी दस
ू िी नमाज़ भी िाततल है ल़ेककन अगि कोई ऐसा फ़़ेल अंर्जाम
द़े ऩे क़े िाद र्जो नमाज़ को िाततल किता हो नमाज़ में मशगल
ू हो र्जाए तो उसक़ी
दस
ू िी नमाज़ सहीह है।
उसक़े मलय़े यक़ीन या गुमान पैदा हो र्जाय़ेगा तो उस सिू त में र्जिकक उसका
403
िाततल शक शरू
ू क़ी दो िक् अत में हो उसक़े मलय़े शक क़ी हालत में नमाज़ र्जािी
िखना र्जाइज़ नहीं है। मसलन अगि ककयाम क़ी हालत में उस़े शक हो कक एक
ककसी एक तिफ़ यक़ीन या गुमान पैदा कि़े गा तो इस हालत में उसक़े मलय़े रूकू
सकता है ताकक उस़े यक़ीन या गुमान हामसल हो र्जाए। 1212. अगि ककसी शख़्स
को गुमान पहल़े एक तिफ़ ज़्यादा हो औि िाद में उसक़ी नज़ि में दोनों अतिाफ़
उसका वज़ीफ़ा है उस पि अमल क़ी ितु नयाद िख़े औि िाद में उसका गुमान दस
ू िी
तमाम कि़े ।
दोनों अतिाफ़ उसक़ी नज़ि में ििािि हैं तो ज़रूिी है कक शक क़े अहकाम पि
अमल कि़े ।
वह शक क़ी हालत में था मसलन उस़े शक था कक उसऩे दो िक् अतें पढ़ी हैं या
तीन िक् अतें पढ़ी हैं औि उसक़े अपऩे अफ़् आल क़ी ितु नयाद तीन िक् अतों पि िखी
404
हो ल़ेककन उस़े यह इल्म न हो कक उसक़े गुमान में यह था कक उसऩे तीन िक् अतें
पढीं हैं या दोनों अतिाफ़ उसक़ी नज़ि में ििािि थीं तो नमाज़़े एहततयात पढ़ना
ज़रूिी है।
1215. अगि ककयाम क़े िाद शक कि़े कक दो सज्द़े ककय़े थ़े या नहीं औि उसी
वक़्त उस़े उन शक
ु ू क में स़े कोई शक हो र्जाए र्जो दो सज्द़े तमाम होऩे क़े िाद
लाहहक होता है तो सहीह होता है मसलन वह शक कि़े कक मैंऩे दो िक् अतें पढ़ी हैं
या तीन औि वह उस शक क़े मत
ु ाबिक अमल कि़े तो उसक़ी नमाज़ सहीह है
समझ़े कक यह ऐसी दो िक् अत में स़े है जर्जसमें तशह्हुद नहीं होता तो उसक़ी
सहीह है र्जैस़े कोई शक कि़े कक दो िक् अत पढ़ी हैं या चाि िक् अत।
जर्जनमें तशह्हुद नहीं है ककयाम स़े पहल़े शक कि़े कक एक या दो सज्द़े िर्जा लाया
1217. अगि कोई शख़्स ककयाम क़ी हालत में तीन औि चाि िक् अतों क़े िाि़े में
या तीन औि चाि औि पांच िक् अतों क़े िाि़े में शक कि़े औि उस़े यह भी याद आ
405
र्जाए कक उसऩे उसस़े पहली िक् अत का एक सज्दा या दोनों सज्द़े अदा नहीं ककय़े
र्जाए मसलन पहल़े शक कि़े कक दो िक् अतें पढ़ी हैं या तीन िक् अतें औि िाद में
शक कि़े कक तीन िक् अतें पढ़ी हैं या चाि िक् अतें तो ज़रूिी है कक दस
ू ि़े शक क़े
मत
ु ाबिक अहकाम पि अमल कि़े ।
1219. र्जो शख़्स नमाज़ क़े िाद शक कि़े कक नमाज़ क़ी हालत में ममसाल क़े
तौि पि उसऩे दो औि चाि िक् अतों क़े िाि़े में शक ककया था या तीन औि चाि
1220. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ क़े िाद पता चल़े कक नमाज़ क़ी हालत में
शक
ु ू क में स़े था तो उसका तअल्लक
ु सहीह शक
ु ू क क़ी कौन सी ककस्म स़े था तो
1221. र्जो शख़्स िैठ कि नमाज़ पढ़ िहा हो अगि उस़े ऐसा शक लाहहक हो
र्जाए जर्जसक़े मलय़े उस़े एक िक् अत नमाज़़े एहततयात खड़़े होकि या दो िक् अत िैठ
406
कि पढ़नी चाहहय़े तो ज़रूिी है कक एक िक् अत िैठ कि पढ़़े औि अगि वह ऐसा
शक कि़े जर्जसक़े मलय़े उस़े दो िक् अत नमाज़़े एहततयात खड़़े होकि पढ़नी चाहहय़े
1222. र्जो शख़्स खड़ा होकि नमाज़ पढ़ता हो अगि वह नमाज़़े एततयात पढ़ऩे
क़े वक़्त खड़ा होऩे स़े आजर्जज़ हो तो ज़रूिी है कक नमाज़़े एहततयात उस शख़्स क़ी
तिह पढ़़े र्जो िैठ कि नमाज़ पढ़ता है औि जर्जसका हुक्म साबिका मसअल़े में
ियान हो चक
ु ा है।
1223. र्जो शख़्स िैठ कि नमाज़ पढ़ता हो अगि नमाज़़े एहततयात पढ़ऩे क़े
407
नमाजे एहततयात पढ़ने का तिीका
सलाम क़े फ़ौिन िाद नमाज़़े एहततयात क़ी नीयत कि़े औि तक्िीि कह़े किि
िाद पहली िक् अत क़ी तिह एक औि िक् अत िर्जा लाए औि तशह्हुद क़े िाद
सलाम पढ़़े ।
औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक उसक़ी बिजस्मल्लाह भी आहहस्ता पढ़़े ।
1226. अगि ककसी शख़्स को नमाज़़े एहततयात पढ़ऩे स़े पहल़े मालम
ू हो र्जाए
कक र्जो नमाज़ उसऩे पढ़ी थी वह सहीह थी तो उसक़े मलय़े नमाज़़े एहततयात पढ़ना
1227. अगि नमाज़़े एहततयात पढ़ऩे स़े पहल़े ककसी शख़्स को मालम
ू हो र्जाए
कक उसऩे नमाज़ क़ी िक् अत में कम पढ़ी थी औि नमाज़ पढ़ऩे क़े िाद उसऩे कोई
408
नमाज़ को र्जो हहस्सा न पढ़ा हो उस़े पढ़़े औि ि़े महल सलाम क़े मलय़े एहततयात़े
लाजज़म क़ी बिना पि दो सज्दा ए सहव अदा कि़े औि अगि उसस़े कोई ऐसा फ़़ेल
सज़कद हुआ है र्जो नमाज़ को िाततल किता हो मसलन ककबल़े क़ी र्जातनि पीठ क़ी
1228. अगि ककसी शख़्स को नमाज़़े एहततयात क़े िाद पता चल़े कक उसक़ी
नमाज़ में कमी नमाज़़े एहततयात क़े ििािि थी मसलन तीन िक् अतों औि चाि
िक् अतों क़े दिममयान शक क़ी सिू त में एक िक् अत नमाज़़े एहततयात पढ़़े औि
सहीह है।
1229. अगि ककसी शख़्स को नमाज़़े एहततयात पढ़ऩे क़े िाद पता चल़े कक
नमाज़ में र्जो कमी हुई थी वह नमाज़़े एहततयात स़े कम थी मसलन दो िक् अतों
औि चाि िक् अतों क़े मािैन शक क़ी सिू त में दो िक् अत नमाज़़े एहततयात पढ़़े
1230. अगि ककसी शख़्स को नमाज़़े एहततयात पढ़ऩे क़े िाद पता चल़े कक
नमाज़ में र्जो कमी हुई थी वह नमाज़़े एहततयात स़े ज़्यादा थी मसलन तीन
िक् अतों औि चाि िक् अतों क़े मािैन शक क़ी सिू त में एक िक् अत नमाज़़े
409
नमाज़़े एहततयात क़े िाद कोई ऐसा काम ककया हो र्जो नमाज़ को िाततल किता हो
मसलन ककबल़े क़ी र्जातनि पीठ क़ी हो तो ज़रूिी है कक नमाज़ दोिािा पढ़़े औि
अगि कोई ऐसा काम न ककया हो र्जो नमाज़ को िाततल किता हो तो उस सिू त में
1231. अगि कोई शख़्स तीन औि चाि िक् अतों में शक कि़े औि जर्जस वक़्त
वह एक िक् अत नमाज़ खड़़े होकि पढ़ िहा हो उस़े याद आए कक उसऩे नमाज़ क़ी
दो िक् अतें पढ़ी थीं तो उसक़े मलय़े िैठ कि दो िक् अत नमाज़़े एहततयात पढ़ना
ज़रूिी नहीं।
1232. अगि कोई शख़्स तीन औि चाि िक् अतों में शक कि़े औि जर्जस वक़्त
वह एक िकअत नमाज़़े एहततयात खड़़े होकि पढ़ िहा हो उस़े याद आए क़ी उसऩे
नमाज़ क़ी तीन िक् अतें पढ़ी थीं तो ज़रूिी है कक नमाज़़े एहततयात को छोड़ द़े
चन
ु ांच़े रूकू में दाखखल होऩे स़े पहल़े उस़े याद आया हो तो एक िक् अत ममलाकि
पढ़़े औि उसक़ी नमाज़ सहीह है औि एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़ाइद सलाम
क़े मलय़े दो सज्दा ए सहव िर्जा लाए औि अगि रूकू में दाखखल होऩे क़े िाद याद
410
1233. अगि कोई शख़्स दो औि तीन औि चाि िक् अतों में शक कि़े औि जर्जस
वक़्त वह दो िक् अत नमाज़़े एहततयात खड़़े होकि पढ़ िहा हो उस़े याद आए कक
उसऩे नमाज़ क़ी तीन िक् अतें पढ़ी थीं तो यहां भी बिल्कुल वही हुक्म र्जािी हो
1234. अगि ककसी को नमाज़़े एहततयात क़े दौिान पता चल़े कक उसक़ी नमाज़
में कमी नमाज़़े एहततयात स़े ज़्यादा या कम थी तो यहां भी बिल्कुल वही हुक्म
र्जािी होगा जर्जसका जज़क्र मस ्अला 1232 में ककया गया है। 1235. अगि कोई
या नहीं तो नमाज़ का वक़्त गुज़ि र्जाऩे क़ी सिू त में अपऩे शक क़ी पिवाह न कि़े
एहततयात पढ़़े औि अगि कोई ऐसा काम ककया हो र्जो नमाज़ को िाततल किता हो
1236. अगि एक शख़्स नमाज़़े एहततयात में एक िक् अत क़ी िर्जाए दो िक् अत
411
नमाज़ पढ़़े । औि अगि वह नमाज़ में कोई रुक्न िढ़ा द़े तो एहततयात़े लाजज़म क़ी
1237. अगि ककसी शख़्स को नमाज़़े एहततयात पढ़त़े हुए उस नमाज़ क़े
पिवाह न कि़े ।
1238. अगि कोई शख़्स नमाज़़े एहततयात क़ी िक् अतों क़े िाि़े में शक कि़े औि
ज़्यादा िक् अतों क़ी तिफ़ शक किना नमाज़ को िाततल किता हो तो ज़रूिी है कक
शक क़ी ितु नयाद कम पि िख़े औि ज़्यादा िक् अतों क़ी तिफ़ शक किना नमाज़
र्जि वह दो िक् अत नमाज़़े एहततयात पढ़ िहा हो अगि शक कि़े कक दो िक् अतें
पढ़ी हैं या तीन तो चंकू क ज़्यादा क़ी तिफ़ शक किना नमाज़ को िाततल किता है
इस मलय़े उस़े चाहहय़े क़ी समझ ल़े कक उसऩे दो िक् अतें औि अगि शक कि़े कक
उसऩे एक िक् अत पढ़ी है या दो िक् अतें पढ़ी हैं तो चकंू क ज़्यादती क़ी तिफ़ शक
किना नमाज़ को िाततल नहीं किता इस मलय़े उस़े समझना चाहहय़े क़े दो िक् अत़े
पढ़ी हैं।
412
1239. अगि नमाज़़े एहततयात में कोई ऐसी चीज़ र्जो रुक्न न हो सहवन कम
1240. अगि कोई शख़्स नमाज़़े एहततयात क़े सलाम क़े िाद शक कि़े कक वह
उस नमाज़ क़े अज्ज़ा औि शिाइत में स़े कोई एक र्जुज़्व या शतक अंर्जाम द़े चक
ु ा है
1241. अगि कोई शख़्स नमाज़़े एहततयात में तशह्हुद पढ़ना या एक सज्दा
किना भल
ू र्जाए औि उस तशह्हुद या सज्द़े का अपनी र्जगह पि तदारुक भी
मजु म्कन न हो तो एहततयात़े वाजर्जि यह है कक सलाम़े नमाज़ क़े िाद सज्द़े क़ी
कज़ा कि़े ।
सज्दा ए सहव वाजर्जि हों तो ज़रूिी है कक पहल़े नमाज़़े एहततयात िर्जा लाए।
पढ़ी हैं। औि अगि चाि िक् अती नमाज़ में गुमान कि़े कक चाि िक् अती पढ़ी हैं तो
उस़े नमाज़़े एहततयात पढ़ऩे क़ी ज़रूित नहीं ल़ेककन अफ़् आल क़े िाि़े में गुमान
अभी सज्द़े में न दाखखल हुआ हो तो ज़रूिी है कक रूकू को अंर्जाम द़े , औि अगि
413
वह गुमान कि़े कक अलहम्द नहीं पढ़ी है औि सिू ़े में दाखखल हो चक
ु ा हो तो गुमान
औि सहव औि गुमान क़े हुक्म में कोई फ़कक नहीं है । मसलन ककसी को अगि
उसका शक दो िक् अती नमाज़ में है मलहाज़ा उसक़ी नमाज़ िाततल है। औि अगि
वह गुमान कि़े कक यह दस
ू िी िक् अत है या पहली िक् अत तो अपऩे गुमान क़े
मत
ु ाममक नमाज़ को तमाम कि़े ।
सज्दा ए सहव
1245. ज़रूिी है कक इंसान सलाम़े नमाज़ क़े िाद पांच चीज़ों क़े मलय़े उस तिीक़े
क़े मत
ु ाबिक जर्जसका आइन्दा जज़क्र होगा दो सज्दा ए सहव िर्जा लाएः-
3. तशह्हुद भल
ू र्जाना।
414
4. चाि िक् अती नमाज़ में दस
ू ि़े सज्द़े क़े दौिान शक किना कक चाि िक् अतें
पढ़ी हैं या पांच, या शक किना कक चाि िक् अतें पढ़ी हैं या छः बिलकुल उसी तिह
र्जैस़े कक सहीह शक
ु ू क क़े नम्िि 4 में गज़
ु ि चक
ु ा है ।
5. नमाज़ क़े िाद इज्मालन यह र्जानना कक नमाज़ में गलती स़े कोई चीज़ कम
या ज़्यादा हो गई है ।
इन पांच सिू तों में अगि नमाज़ क़े सहीह होऩे का हुक्म हो तो एहततयात क़ी
बिना पि पहली, दस
ू िी औि पांचवी सिू त में औि अक़्वा क़ी बिना पि तीसिी औि
चौथी सिू त में सज्दा ए सहव अदा किना ज़रूिी है । औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है
कक अगि एक सज्दा भल
ू र्जाए या र्जहां खड़ा होना ज़रूिी हो मसलन अलहम्द औि
सिू ा पढ़त़े वक़्त वहां गलती स़े िैठ र्जाए या र्जहां िैठना ज़रूिी हो मसलन तशह्हुद
पढ़त़े वक़्त वहां गलती स़े खड़ा हो र्जाए तो दो सज्दा ए सहव अदा कि़े िजल्क हि
उस चीज़ क़े मलय़े र्जो गलती स़े नमाज़ में कम या ज़्यादा हो र्जाए दो सज्दा ए
सहव कि़े । उन चन्द सिू तों क़े अहकाम आइन्दा मसाइल में ियान होंग़े।
415
1247. उस आवाज़ क़े मलय़े र्जो खांसऩे स़े पैदा होती है सज्दा ए सहव वाजर्जि
1248. अगि कोई शख़्स एक ऐसी चीज़ को र्जो उसऩे गलत पढ़ी हो दोिािा
सहीह तौि पि पढ़़े तो उसक़े दोिािा पढ़ऩे पि सज्दा ए सहव वाजर्जि नहीं है।
1249. अगि कोई शख़्स नमाज़ में गलती स़े कुछ द़े ि िात़े किता िह़े औि
उमम
ू न उस़े एक दफ़् आ िात किना समझा र्जाता हो तो उसक़े मलय़े नमाज़ क़े
1250. अगि कोई शख़्स गलती स़े तस्िीहात़े अिकआ न पढ़़े तो एहततयात़े
मस्
ु तहि यह है कक नमाज़ क़े िाद दो सज्दा ए सहव िर्जा लाए।
1251. र्जहां नमाज़ का सलाम नहीं कहना चाहहय़े अगि कोई शख़्स गलती स़े
लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक दो सज्दा ए सहव कि़े । ल़ेककन अगि गलती स़े
मस्
ु तहि यह है कक दो सज्दा ए सहव िर्जा लाए।
1252. र्जहां सलाम नहीं पढ़ना चाहहय़े अगि कोई शख़्स गलती स़े वहां तीनों
416
1253. अगि कोई शख़्स एक सज्दा या तशह्हुद भल
ू र्जाए औि िाद क़ी िक् अत
क़े रूकू स़े पहल़े उस़े याद आए तो ज़रूिी है कक पलट़े औि (सज्दा या तशह्हुद)
1254. अगि ककसी शख़्स को रूकू में या उसक़े िाद याद आए कक वह उसस़े
नमाज़ क़े िाद सज्द़े क़ी कज़ा कि़े औि तशह्हुद क़े मलय़े दो सज्दा ए सहव कि़े ।
1255. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े सलाम क़े िाद र्जान िझ
ू कि सज्दा ए सहव
नहीं ककया तो जर्जस वक़्त भी उस़े याद आए ज़रूिी है कक फ़ौिन सज्दा कि़े औि
वाजर्जि हुए हैं या नहीं तो उनका िर्जा लाना उसक़े मलय़े ज़रूिी नहीं।
1258. अगि ककसी शख़्स को इल्म हो कक दो सज्दा ए सहव में स़े एक सज्दा
417
ए सहव िर्जा लाए औि अगि उस़े इल्म हो कक उसऩे सहवन तीन सज्द़े ककय़े हैं
1259. सज्दा ए सहव क़ी तिीका यह है कक सलाम़े नमाज़ क़े िाद इंसान फ़ौिन
सज्दा ए सहव क़ी नीयत कि़े एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि प़ेशानी ककसी ऐसी
चाहहय़े कक िैठ र्जाए औि दोिािा सज्द़े में र्जाए औि मज़कूिा जज़क्र पढ़़े औि िैठ
िहमतल्
ु लाह़े व ििकातह
ु ू का इज़ाफ़ा कि़े ।
भल
़ू े हुए सज्दे औि तशह्हुद की कजा
कज़ा िर्जा लाए तो ज़रूिी है कक वह नमाज़ क़ी तमाम शिाइत मसलन िदन औि
मलिास का पाक होना औि रू िककबला होना औि दीगि शिाइत पिू ी किता हो।
418
1261. अगि इंसान कई दफ़् आ सज्दा किना भल
ू र्जाए मसलन एक सज्दा
नमाज़ क़े िाद उन दोनों सज्दों क़ी कज़ा िर्जा लाए औि ि़ेहति यह है कक भल
ू ी
1264. अगि इंसान नमाज़ क़े सलाम औि सज्द़े क़ी कज़ा क़े दिममयान कोई
ऐसा काम कि़े जर्जसक़े अमदन या सहवन किऩे स़े नमाज़ िाततल हो र्जाती है
1265. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ क़े सलाम क़े िाद याद आए कक आखखिी
1266. अगि एक शख़्स नमाज़ क़े सलाम औि सज्द़े क़ी कज़ा क़े दिममयान
कोई ऐसा काम कि़े जर्जसक़े मलय़े सज्दा ए सहव वाजर्जि हो र्जाता हो मसलन भल
ू ़े
419
स़े कलाम कि़े तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि ज़रूिी है कक पहल़े सज्द़े क़ी
तशह्हुद तो ज़रूिी है कक सज्द़े क़ी कज़ा कि़े औि दो सज्दा ए सहव अदा कि़े ।
औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक तशह्हुद क़ी भी कज़ा कि़े ।
तो उसक़े मलय़े उनक़ी कज़ा किना या सज्दा ए सहव अदा किना वाजर्जि नहीं है ।
िाद क़ी िक् अत क़े रूकू स़े पहल़े उस़े याद आया था औि उस़े िर्जा लाया था या
1270. जर्जस शख़्स पि सज्द़े क़ी कज़ा ज़रूिी हो, अगि ककसी दस
ू ि़े काम क़ी
बिना पि नमाज़ अदा किऩे क़े िाद अव्वलन सज्द़े क़ी कज़ा कि़े औि उसक़े िाद
क़ी कज़ा िर्जा लाया है या नहीं औि नमाज़ का वक़्त न गुज़िा हो तो उस़े चाहहय़े
क़ी सज्द़े क़ी कज़ा कि़े ल़ेककन अगि नमाज़ का वक़्त भी गुज़ि गया हो तो
420
नमाज के अज्जा औि शिाइत को कम या ज़्यादा किना
1272. र्जि नमाज़ क़े वाजर्जिात में स़े कोई चीज़ र्जान िझ
ू कि कम या ज़्यादा
1273. अगि कोई शख़्स मस ्अला न र्जानऩे क़ी वर्जह स़े नमाज़ क़े अिकान में
स़े कोई एक कम कि द़े तो नमाज़ िाततल है। औि वह शख़्स र्जो (ककसी दिू
उफ़्तादा मकाम पि िहऩे क़ी वर्जह स़े) मसाइल तक िसाई किऩे स़े कामसि हो या
ककया हो अगि वाजर्जि़े गैि रुक्नी को कम कि़े या ककसी रुक्न को ज़्यादा कि़े तो
कोताही क़ी वर्जह स़े हो सबु हा औि मिीि औि इशा क़ी नमाज़ों में अलहम्द औि
सिू ा आहहस्ता पढ़़े या ज़ोहि औि अस्र क़ी नमाज़ों में अलहम्द औि सिू ा आवाज़ स़े
पढ़़े या सफ़ि कि़े ज़ोहि, अस्र औि इशा क़ी नमाज़ों क़ी चाि िक् अतें पढ़़े तो उसक़ी
नमाज़ सहीह है ।
1274. अगि नमाज़ क़े दौिान ककसी शख़्स का दयान इस तिफ़ र्जाए कक उसका
वज़
ु ू या गस्
ु ल िाततल था या वज़
ु ू या गस्
ु ल ककय़े िगैि नमाज़ पढ़ऩे लगा है तो
421
तिफ़ उसका दयान नमाज़ क़े िाद र्जाए तो ज़रूिी है कक वज़
ु ू या गस्
ु ल क़े साथ
1275. अगि ककसी शख़्स को रूकू में पहुंचऩे क़े िाद याद आए कक पहल़े वाली
है औि अगि यह िात उस़े रूकू में पहुंचऩे स़े पहल़े याद आए तो ज़रूिी है कक
वापस मड़
ु ़े औि दो सज्द़े िर्जा लाए औि किि खड़ा हो र्जाए औि अलहम्द औि सिू ा
मस्
ु तहि क़ी बिना पि ि़े महल ककयाम क़े मलय़े दो सज्दा ए सहव िर्जा लाए।
स़े पहल़े याद आए कक वह आखखिी िक् अत क़े दो सज्द़े िर्जा नहीं लाया तो ज़रूिी
1277. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ क़े सलाम स़े पहल़े याद आए कक उसऩे
नमाज़ क़े आखखिी हहस्स़े क़ी एक या एक स़े ज़्यादा िक् अतें नहीं पढी तो ज़रूिी है
कक जर्जतना हहस्सा भल
ू गया हो उस़े िर्जा लाए।
1278. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ क़े सलाम क़े िाद याद आए कक उसऩे
नमाज़ क़े आखखिी हहस्स़े क़ी एक या एक स़े ज़्यादा िक् अतें नहीं पढ़ीं औि उसस़े
र्जाए तो नमाज़ को िाततल कि द़े ता हो मसलन उसऩे ककबल़े क़ी तिफ़ पीठ क़ी हो
422
तो उसक़ी नमाज़ िाततल है औि अगि उसऩे कोई ऐसा काम न ककया हो जर्जसका
हहस्सा पढ़ना भल
ू गया हो उस़े फ़ौिन िर्जा लाए औि ज़ाइद सलाम क़े मलय़े
1279. र्जि कोई शख़्स नमाज़ क़े सलाम क़े िाद एक काम अंर्जाम द़े र्जो अगि
नमाज़ क़े दौिान अमदन या सहवन ककया र्जाए तो नमाज़ को िाततल कि द़े ता हो
मसलन पीठ ककबल़े क़ी तिफ़ कि़े औि िाद में उस़े याद आए कक वह दो आखखिी
सज्द़े िर्जा नहीं लाया तो उसक़ी नमाज़ िाततल है औि अगि नमाज़ को िाततल
किऩे वाला कोई काम किऩे स़े पहल़े उस़े यह िात याद आए तो ज़रूिी है कक र्जो
पढ़़े औि र्जो सलाम पहल़े पढ़ा हो उसक़े मलय़े एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि दो
1280. अगि ककसी शख़्स को पता चल़े कक उसऩे नमाज़ वक़्त स़े पहल़े पढ़ ली
अगि यह पता चल़े कक ककबल़े क़ी तिफ़ पीठ कि क़े पढ़ी है औि अभी वक़्त न
का मशकाि हो तो कज़ा ज़रूिी है वनाक कज़ा ज़रूिी नहीं। औि अगि पता चल़े कक
ककबल़े क़ी शम
ु ाली या र्जुनि
ू ी सम्त क़े दिममयान नमाज़ अदा क़ी है औि वक़्त
423
गुज़िऩे क़े िाद पता चल़े तो कज़ा ज़रूिी नहीं ल़ेककन अगि वक़्त गज़
ु िऩे स़े पहल़े
मत
ु वज्र्जह हो औि ककबल़े क़ी सम्त तबदील किऩे स़े मअज़िू न हो मसलन ककबल़े
क़ी सम्त तलाश किऩे में कोताही क़ी हो तो एहततयात क़ी बिना पि दोिािा नमाज़
मुसाफफ़ि की नमाज
ज़रूिी है कक मस
ु ाकफ़ि ज़ोहि, अस्र औि इशा क़ी नमाज़ आठ शते होत़े हुए कस्र
(पहली शतक)
ककलोमीटि स़े कऱे कम होता है (मीलों क़े हहसाि स़े आठ फ़सकख़े शिई तकिीिन
आठ फ़सकख हो औि ख़्वाह उसक़े र्जाऩे क़ी या वापसी क़ी मसाफ़त चाि फ़सकख स़े
क़ी मसाफ़त तीन फ़सकख औि वापसी क़ी पांच फ़सकख या उसक़े िि अक्स हो तो
ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े । इस बिना पि अगि र्जाऩे क़ी मसाफ़त तीन
424
फ़सकख औि वापसी क़ी पांच फ़सकख या उसक़े िि अक्स हो तो ज़रूिी है कक नमाज़
अगिच़े जर्जस हदन वह गया हो उसी हदन या उसी िात को वावपस पलट कि न
हो कक उसका सफ़ि आठ फ़सकख है या नहीं तो उस़े नमाज़ कस्र कि क़े नहीं पढ़नी
1285. ऐसा शख़्स जर्जस़े यक़ीन हो कक उसका सफ़ि आठ फ़सकख है अगि नमाज़
कस्र किक़े पढ़़े औि िाद में उस़े पता चल़े कक आठ फ़सकख न था तो ज़रूिी है कक
1286. जर्जस शख़्स को यक़ीन हो कक जर्जस र्जगह वह र्जाना चाहता है वहां सफ़ि
425
हो र्जाए कक उसका सफ़ि आठ फ़सकख था तो गो थोड़ा सा सफ़ि िाक़ी हो ज़रूिी है
का फ़ामसला ममलाकि आठ फ़सकख भी हो र्जाए उस़े नमाज़ पिू ी पढ़नी ज़रूिी है।
1288. अगि ककसी र्जगह र्जाऩे क़े दो िास्त़े हों औि उनमें स़े एक िास्ता आठ
फ़सकख स़े कम औि दस
ू िा आठ फ़सकख या उसस़े ज़्यादा हो तो अगि इंसान वहां
उस िास्त़े स़े र्जाए र्जो आठ फ़सकख है तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े ।
औि अगि उस िास्त़े स़े र्जाए र्जो आठ फ़सकख नहीं है तो ज़रूिी है कक पिू ी नमाज़
पढ़़े ।
1289. आठ फ़सकख क़ी इजबतदा उस र्जगह स़े हहसाि किना ज़रूिी है कक र्जहां स़े
गज़
ु ि र्जाऩे क़े िाद आदमी मस
ु ाकफ़ि शम
ु ाि होता है औि गामलिन वह र्जगह शहि
क़ी इजन्तहा होती है ल़ेककन िाज़ िहुत िड़़े शहिों में मजु म्कन है वह शहि का
426
(दस
ू िी शतक)
मस
ु ाकफ़ि अपऩे सफ़ि क़ी इजबतदा स़े ही आठ फ़सकख तय किऩे का इिादा िखता
पहुंचऩे क़े िाद ककसी ऐसी र्जगह र्जाऩे का इिादा कि़े जर्जसका फ़ामसला तय कदाक
किऩे का इिादा नहीं िखता था इसमलय़े ज़रूिी है कक पिू ी नमाज़ पढ़़े ल़ेककन अगि
वहां स़े आठ फ़सकख आग़े र्जाऩे का इिादा कि़े या मसलन चाि फ़सकख र्जाना चाहता
हो औि किि चाि फ़सकख तय कि क़े अपऩे वतन या ऐसी र्जगह वापस र्जाना
कि क़े पढ़़े ।
मसलन ककसी गम
ु शद
ु ा (शख़्स या चीज़) को ढूंढऩे क़े मलय़े सफ़ि कि िहा हो औि
िनता हो तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े मज़ीद ििआं अगि वह सफ़ि
427
पि र्जाऩे क़े दौिान इिादा कि़े कक वह मसलन चाि फ़सकख क़ी मसाफ़त र्जात़े हुए
औि चाि फ़सकख क़ी मसाफ़त वहां आत़े हुए तय कि़े गा तो ज़रूिी है कक नमाज़
1291. मस
ु ाकफ़ि को नमाज़ कस्र कि क़े उस़े सिू त में पढ़नी ज़रूिी है र्जि उसका
र्जा िहा हो औि ममसाल क़े तौि पि उसका इिादा यह हो कक अगि कोई साथी
साथी ममल र्जाय़ेगा तो उस़े नमाज़ कस्र कि क़े पढ़नी ज़रूिी है औि अगि उस़े इस
हि िोज़ थोड़ा फ़ामसला तय कि़े औि र्जि हद्द़े तिख्खुस जर्जसक़े मअनी मस ्अला
1327 में आयेंग़े – तक पहुंच र्जाए तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े ल़ेककन
अपऩे आका क़े साथ सफ़ि कि िहा हो अगि उस़े इल्म हो कक उसका सफ़ि आठ
428
1294. र्जो शख़्स सफ़ि में ककसी दस
ू ि़े क़े इजख़्तयाि में हो अगि वह र्जानता हो
या गम
ु ान िखता हो कक चाि फ़सकख तक पहुंचऩे स़े पहल़े उसस़े र्जद
ु ा हो र्जाय़ेगा
न हो कक चाि फ़सकख तक पहुंचऩे स़े पहल़े उसस़े र्जुदा नहीं होगा औि सफ़ि र्जािी
िख़ेगा तो ज़रूिी है कक पिू ी नमाज़ पढ़़े ल़ेककन अगि उस़े इत्मीनान हो अगिच़े
एहततमाल िहुत कम हो कक उसक़े सफ़ि में कोई रुकावट पैदा होगी तो ज़रूिी है
(तीसिी शतक)
िास्त़े में मस
ु ाकफ़ि अपऩे इिाद़े स़े किि न र्जाए। पस अगि वह चाि फ़सकख तक
1296. अगि कोई शख़्स कुछ फ़ामसला तय किऩे क़े िाद र्जो कक वापसी क़े
ठहिऩे क़े िाि़े में कोई फ़ैसला न कि पाए तो ज़रूिी है कक पिू ी नमाज़ पढ़़े ।
429
1297. अगि कोई शख़्स कुछ फ़ामसला तय किऩे क़े िाद र्जो कक वापसी क़े
1298. अगि कोई शख़्स ककसी ऐसी र्जगह र्जाऩे क़े मलय़े र्जो आठ फ़सकख दिू हो
सफ़ि शरू
ु कि़े औि कुछ िास्ता तय किऩे क़े िाद ककसी औि र्जगह र्जाना चाह़े
र्जाना चाहता है आठ फ़सकख िनत़े हों तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े ।
मत
ु िद्हदद हो र्जाए कक िाक़ी िास्ता तय कि़े या नहीं औि दौिाऩे तिद्दद
ु सफ़ि न
1300. अगि कोई शख़्स आठ फ़सकख का फ़ामसला तय किऩे स़े पहल़े तिद्दद
ु
उसी हदन या उसी िात वहां स़े वापस आए या न आए औि वहां दस हदन स़े कम
430
1301. अगि कोई शख़्स आठ फ़सकख का फ़ामसला तय किऩे स़े पहल़े मत
ु िद्हदद
उसका िाक़ी सफ़ि आठ फ़सकख स़े कम हो तो पिू ी नमार्ज पढ़ना ज़रूिी है। ल़ेककन
पढ़़े ।
(चौथी शतक)
मस
ु ाकफ़ि आठ फ़सकख तक पहुंचऩे स़े पहल़े अपऩे वतन स़े गुज़िऩे औि वहां
तवक़्कुफ़ किऩे या ककसी र्जगह दस हदन या उसस़े ज़्यादा हदन िहऩे का इिादा न
िखता हो। पस र्जो शख़्स यह चाहता हो कक आठ फ़सकख पहुंचऩे स़े पहल़े अपऩे
431
1303. वह शख़्स र्जो आठ फ़सकख तक पहुंचऩे स़े पहल़े अपऩे वतन स़े गुज़िना
चाहता हो ताकक वहां तवक़्कुफ़ कि़े या ककसी र्जगह दस हदन िहना चाहता हो औि
मत
ु िद्हदद हो अगि वह दस हदन कहीं िहऩे या वतन स़े गुज़िऩे का इिादा तकक भी
कि द़े ति भी ज़रूिी है कक पिू ी नमाज़ पढ़़े ल़ेककन अगि िाक़ी मांदा औि वापसी
(पांचवीं शतक)
मस
ु ाकफ़ि हिाम काम क़े मलय़े सफ़ि न कि़े औि अगि हिाम काम मसलन चोिी
किऩे क़े मलय़े सफ़ि कि़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ पिू ी पढ़़े । औि अगि खुद सफ़ि
इर्जाज़त क़े िगैि ऐस़े सफ़ि पि र्जाए र्जो उस पि वाजर्जि न हो तो उसक़े मलय़े भी
यही हुक्म है । ल़ेककन अगि सफ़ि़े हर्ज क़े सफ़ि क़ी तिह वाजर्जि हो तो नमाज़ कस्र
1304. र्जो सफ़ि वाजर्जि न हो अगि मां िाप क़ी औलाद स़े मौहबित क़ी वर्जह
सफ़ि में पिू ी नमाज़ पढ़़े औि (िमज़ान का महीना हो तो) िोज़ा भी िख़े।
432
1305. जर्जस शख़्स का सफ़ि हिाम न हो औि वह ककसी हिाम काम क़े मलय़े
1306. अगि कोई शख़्स ककसी वाजर्जि काम को तकक किऩे क़े मलय़े सफ़ि कि़े
ख़्वाह मत
ु ालिा भी कि़े तो अगि वह सफ़ि कित़े हुए अपना कज़क अदा न कि सक़े
औि कज़क चक
ु ाऩे स़े फ़िाि हामसल किऩे क़े मलय़े सफ़ि कि़े तो ज़रूिी है कक पिू ी
नमाज़ पढ़़े । ल़ेककन अगि उसका सफ़ि ककसी औि काम क़े मलय़े हो तो अगिच़े वह
1307. अगि ककसी शख़्स का, सफ़ि में सवािी का र्जानवि का, या सवािी क़ी
कोई औि चीज़ जर्जस पि वह सवाि हो गस्िी हो या अपऩे मामलक स़े फ़िाि होऩे
1308. र्जो शख़्स ककसी ज़ामलम क़े साथ सफ़ि कि िहा हो अगि वह मर्जििू न
हो औि उसका सफ़ि किना ज़ामलम क़े ज़ुल्म किऩे म़े मदद का मजू र्जि हो तो उस़े
पिू ी नमाज़ पढ़नी ज़रूिी है औि अगि मर्जििू हो या ममसाल क़े तौि पि ककसी
433
मज़लम
ू को छुड़ाऩे क़े मलय़े उस ज़ामलम क़े साथ सफ़ि कि़े तो उसक़ी नमाज़ कस्र
होगी।
1309. अगि कोई शख़्स सैि व तफ़िीह (यानी वपकतनक) क़ी गिज़ स़े सफ़ि कि़े
1310. अगि कोई शख़्स मौर्ज म़ेल़े औि सैि व तफ़िीह कक मलय़े मशकाि को
र्जाए तो उसक़ी नमाज़ र्जात़े वक़्त पिू ी है औि वापसी पि अगि मसाफ़त क़ी हद
उसक़ी नमाज़ कस्र है। औि अगि कमाई औि अफ़्ज़ाइश़े दौलत क़े मलय़े र्जाए तो
1311. अगि कोई शख़्स गुनाह का काम किऩे क़े मलय़े सफ़ि कि़े औि सफ़ि स़े
1312. जर्जस शख़्स का सफ़ि गुनाह का सफ़ि हो अगि वह सफ़ि क़े दौिान
गुनाह का इिादा तकक कि द़े ख़्वाह िाक़ी मांदा मसाफ़त या ककसी र्जगह र्जाना औि
434
1313. जर्जस शख़्स ऩे गुनाह किऩे क़ी गिज़ स़े गुनाह न ककया हो अगि वह
नमाज़ पिू ी पढ़़े अलित्ता उसऩे र्जो नमाज़़े कस्र कि क़े पढ़ी हो वह सहीह हैं।
(छठ शतक)
उनक़े र्ि उनक़े साथ होत़े हैं। यानी उन सहिा नशीनों (खानािदोशों) क़ी मातनन्द
मलय़े दाना पानी द़े खत़े हैं वहीं ड़ेिा डाल द़े त़े हैं औि किि कुछ हदनों क़े िाद दस
ू िी
र्जगह चल़े र्जात़े हैं। पस ज़रूिी है कक ऐस़े लोग सफ़ि में पिू ी नमाज़ पढ़ें ।
1314. अगि कोई सहिा नशीन मसलन र्जाए ककयाम औि अपऩे है वानात क़े
मलय़े चिागाह तलाश किऩे क़े मलय़े सफ़ि कि़े औि माल व असिाि उसक़े हमिाह
हो तो वह पिू ी नमाज़ पढ़़े वनाक अगि उसका सफ़ि आठ फ़सकख हो तो नमाज़ कस्र
कि क़े पढ़़े ।
1315. अगि कोई सहिा नशीन हर्ज, जज़याित, ततर्जाित या इनस़े ममलत़े र्जुलत़े
ककसी मक़्सद स़े सफ़ि कि़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े ।
435
(सातवीं शतक)
कहें या उसऩे र्जो प़ेशा अपऩे मलय़े इजख़्तयाि ककया हो उसका इनहहसाि सफ़ि किऩे
अगिच़े अपऩे ज़ाती मक़्सद मसलन र्ि का सामान ल़े र्जाऩे या अपऩे र्ि वालों
को मन्
ु तककल किऩे क़े मलय़े सफ़ि किें तो ज़रूिी है कक नमाज़ पिू ी पढ़ें औि जर्जस
शख़्स का प़ेशा सफ़ि हो इस मस ्अल़े में उस शख़्स क़े मलय़े भी यही हुक्म है र्जो
ककसी दस
ू िी र्जगह पि काम किता हो (या उसक़ी पोजस्टं ग दस
ू िी र्जगह पि हो) औि
ततर्जाित, मअ
ु जल्लमी वगैिा दस
ू िी र्जगह हो।
मक़्सद मसलन हर्ज या जज़याित क़े मलय़े सफ़ि कि़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र
कि क़े पढ़़े ल़ेककन अगि उफ़े आम में कसीरुस्सफ़ि कहलाता हो तो कस्र न कि़े ।
ल़ेककन अगि ममसाल क़े तौि पि ड्राइवि अपनी गाड़ी जज़याित क़े मलय़े ककिाए पि
चलाए औि जज़म्नन खुद भी ज़्याित कि़े तो हि हाल में ज़रूिी है कक पिू ी नमाज़
पढ़़े ।
436
1317. वह िाि ििदाि र्जो हाजर्जयों को मक्का पहुंचाऩे क़े मलय़े सफ़ि किता हो
अगि उसका प़ेशा सफ़ि किना हो तो र्जरूिी है कक पिू ी नमाज़ पढ़़े औि अगि
उसका प़ेशा सफ़ि किना न हो औि मसफ़क हर्ज क़े हदनों में िाि ििदािी क़े मलय़े
हफ़्त़े तो िईद नहीं है कक उसक़े मलय़े नमाज़ कस्र किक़े पढ़ऩे का हुक्म हो।
1318. जर्जस शख़्स का प़ेशा िाि ििदािी हो औि वह दिू दिाज़ मकामात स़े
हाजर्जयों को मक्का ल़े र्जाता हो अगि वह साल का काफ़़ी हहस्सा सफ़ि में िहता हो
1319. जर्जस शख़्स का प़ेशा साल क़े कुछ हहस्सें में सफ़ि किना हो मसलन एक
ड्राइवि र्जो मसफ़क गममकयों या सहदक यों क़े हदनों में अपनी गाड़ी ककिाए पि चलाता हो
1320. ड्राइवि औि ि़ेिी वाला र्जो शहि क़े आसपास दो तीन फ़सकख में आता
वतन में िह र्जाए तो ख़्वाह वह इजबतदा स़े दस हदन िहऩे का इिादा िखता हो या
437
िगैि इिाद़े क़े इतऩे हदन िह़े तो ज़रूिी है कक दस हदन क़े िाद र्जि पहल़े सफ़ि
पि र्जाए तो नमाज़ पिू ी पढ़़े औि अगि अपऩे वतन क़े अलावा ककसी दस
ू िी र्जगह
भी यही हुक्म है ।
1322. चािवादाि (वह सौदागि र्जो चौपाय़े पि सौदा लाद कि ि़ेचता है ) जर्जसका
प़ेशा सफ़ि किना हो अगि वह अपऩे वतन या वतन क़े अलावा ककसी औि र्जगह
1323. चािवादाि औि साििान क़ी तिह जर्जनका प़ेशा सफ़ि किना है अगि
मअमल
ू स़े ज़्यादा सफ़ि उनक़ी मशक़्कत औि थकावट का सिि हो तो ज़रूिी है
1324. सैलानी क़ी र्जो शहि ि शहि मसयाहत किता हो औि जर्जसऩे अपऩे मलय़े
कोई वतन मअ
ु य्यन न ककया हो वह पिू ी नमाज़ पढ़़े ।
1325. जर्जस शख़्स का प़ेशा सफ़ि किना न हो अगि मसलन ककसी शहि या
गांव में उसका कोई सामान हो औि वह उस़े ल़ेऩे क़े मलय़े सफ़ि पि सफ़ि कि़े तो
ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े । मगि यह कक उसका सफ़ि इस कदि ज़्यादा
438
1326. र्जो शख़्स तके वतन कि क़े दस
ू िा वतन अपनाना चाहता हो अगि
उसका प़ेशा सफ़ि न हो तो सफ़ि क़ी हालत में उस़े नमाज़ कस्र कि क़े पढ़नी
ज़रूिी है।
(आठवीं शतक)
मस
ु ाकफ़ि हद्द़े तिख़्खस
ु तक पहुंच र्जाए ल़ेककन वतन क़े अलावा हद्द़े तिख़्खस
ु
मोअतिि नहीं है औि र्जंू ही कोई शख़्स अपनी इकामतगाह स़े तनकल़े उसक़ी
नमाज़ कस्र है ।
1328. र्जो मस
ु ाकफ़ि अपऩे वतन वापस आ िहा हो र्जि तक वह अपऩे वतन
1329. अगि शहि इतनी िलन्दी पि वाक़े हो कक वहां क़े िामशन्द़े दिू स़े हदखाई
दें या इस कदि नश़ेि में वाक़े हो कक अगि इंसान थोड़ा सा दिू भी र्जाए तो वहां
क़े िामशन्दों को न द़े ख सक़े तो उसक़े शहि क़े िहऩे वालों में स़े र्जो शख़्स सफ़ि
में हो र्जि वह इतना दिू चला र्जाए कक अगि वह शहि हमवाि ज़मीन पि होता तो
439
वहां क़े िामशन्द़े उस र्जगह स़े द़े ख़े न र्जा सकत़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि
क़े पढ़़े औि इसी तिह अगि िास्त़े क़ी िलन्दी या पस्ती मअमल
ू स़े ज़्यादा हो तो
ज़रूिी है कक मअमल
ू का मलहाज़ िख़े।
1330. अगि कोई शख़्स ऐसी र्जगह स़े सफ़ि कि़े र्जहां कोई िहता न हो तो र्जि
पि िहता हो तो वहां स़े नज़ि न आता तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े ।
पहल़े पिू ी नमाज़ क़ी नीयत स़े नमाज़ पढ़ऩे लग़े तो अगि तीसिी िक् अत क़े रूकू
िक् अत क़े रूकू क़े िाद हद्द़े तिख़्खुस तक पहुंच़े चो उस नमाज़ को तोड़ सकता है
चक
ु ा है औि नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े औि उसक़े िाद मालम
ू हो कक नमाज़ क़े
वक़्त हद्द़े तिख़्खुस तक नहीं पहुंचा था तो नमाज़ दोिािा पढ़ना ज़रूिी है। चन
ु ांच़े
440
अगि वक़्त तनकल चक
ु ा हो तो नमाज़ को उसक़े फ़ौत होत़े वक़्त र्जो हुक्म था
उसक़े मत
ु ाबिक अदा कि़े ।
1334. अगि मस
ु ाकफ़ि क़ी कुव्वत़े िामसिा गैि मअमल
ू ी हो तो उस़े उस मकाम
1335. अगि मस
ु ाकफ़ि को सफ़ि क़े दौिान ककसी मकाम पि शक हो कक हद्द़े
1336. र्जो मस
ु ाकफ़ि सफ़ि क़े दौिान अपऩे वतन स़े गज़
ु ि िहा हो अगि वहां
1337. र्जो मस
ु ाकफ़ि अपनी मस
ु ाकफ़ित क़े दौिान अपऩे वतन पहुंच र्जाए औि
वहां कुछ द़े ि ठहि़े तो ज़रूिी है कक र्जि तक वहां िह़े पिू ी नमाज़ पढ़़े ल़ेककन अगि
वह चाह़े कक वहां स़े आठ फ़सकख क़े फ़ामसल़े पि चला र्जाए या मसलन चाि फ़सकख
र्जाए औि कफ़ि चाि फ़सकख तय कि क़े लौट़े तो जर्जस वक़्त वह हद्द़े तिख़्खस
ु पि
मन्
ु तखि ककया हो वह उसका वतन है ख़्वाह वह वहां पैदा हुआ हो औि वह उसका
आिाई वतन हो या उसऩे खुद उस र्जगह को जज़न्दगी िसि किऩे क़े मलय़े
441
1339. अगि कोई शख़्स इिादा िखता हो कक थोड़ी सी मद्
ु दत एक ऐसी र्जगह
िह़े र्जो उसका वतन नहीं है औि िाद में ककसी औि र्जगह चला र्जाए तो वह
वह हम़ेशा िहऩे का कस्द न िखता हो ताहम ऐसा हो कक उफ़े आम में उस़े वहां
मस
ु ाकफ़ि न कह़े औि अगिच़े वक़्ती तौि पि दस हदन या दस हदन स़े ज़्यादा दस
ू िी
नीज़ अगि उसऩे दो मकामात स़े ज़्यादा मकामात को जज़न्दगी िसि किऩे क़े मलय़े
का मामलक हो अगि वह मस
ु लसल छः महीऩे वहां िह़े तो जर्जस वक़्त तक मकान
सफ़ि क़े दौिान वहां पहुंच़े ज़रूिी है कक पिू ी नमाज़ पढ़़े अगिच़े यह हुक्म साबित
नहीं है।
442
1343. अगि एक शख़्स ककसी ऐस़े मकाम पि पहुंच़े र्जो ककसी ज़माऩे में उसका
वतन िहा हो औि िाद में उसऩे उस़े तकक कि हदया हो तो ख़्वाह उसऩे कोई नया
नहीं कक उसका इिादा पहली िात या ग्यािहवीं िात वहां िहऩे का हो र्जंह
ू ी वह
वहां िह़े गा, ज़रूिी है कक पिू ी नमाज़ पढ़़े औि ममसाल क़े तौि पि उसका इिादा
पहल़े हदन ज़ोहि स़े ग्यािहवें हदन क़ी ज़ोहि तक वहां िहऩे का हो तो उसक़े मलय़े
भी यही हुक्म है ।
1346. र्जो मस
ु ाकफ़ि ककसी र्जगह दस हदन िहना चाहता हो उस़े उस सिू त में
पिू ी नमाज़ पढ़नी ज़रूिी है र्जि वह साि़े क़े साि़े हदन एक र्जगह िहना चाहता हो।
पस अगि वह ममसाल क़े तौि पि चाह़े क़े दस हदन नर्जफ़ औि कूफ़ा या त़ेहिान
औि शम़ेिान (या किाची औि र्ारू) में िह़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े
पढ़़े ।
443
1347. र्जो मस
ु ाकफ़ि ककसी र्जगह दस हदन िहना चाहता हो अगि वह शरू
ू स़े ही
पिू ी नमाज़ पढ़़े औि अगि मनाफ़़ी हो तो नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े । मसलन अगि
इजबतदा ही स़े इिादा हो कक एक हदन या एक िात क़े मलय़े वहां स़े तनकल़ेगा तो
यह ठहिऩे क़े कस्द क़े मनाफ़़ी है औि ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े ।
ल़ेककन अगि उसका कस्द यह हो कक मसलन आध़े हदन िाद तनकल़ेगा औि किि
लौट़े गा अगिच़े उसक़ी वापसी िात होऩे क़े िाद हो तो ज़रूिी है कक नमाज़ पिू ी
पढ़़े । मगि उस सिू त में कक उसक़े िाि िाि तनकलऩे क़ी वर्जह स़े उफ़कन यह कहा
र्जाए कक दो या उसस़े ज़्यादा र्जगह ककयाम पज़ीन है (तो नमाज़ कस्र पढ़़े )।
अच्छा मकान ममल गया तो दस हदन वहां िह़े गा तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि
क़े पढ़़े ।
हो अगि उस़े इस िात का एहततमाल हो कक उसक़े वहां िहऩे में कोई रुकावट पैदा
444
होगी औि उसका यह एहततमाल उकला क़े नज़दीक मअकूल हो तो ज़रूिी है कक
1350. अगि मस
ु ाकफ़ि को इल्म हो कक महीना खत्म होऩे में मसलन दस या
दस हदन स़े ज़्यादा हदन िाक़ी है औि ककसी र्जगह महीऩे क़े आखखि तक िहऩे का
इिादा कि़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ पिू ी पढ़़े ल़ेककन अगि उस़े इल्म न हो कक
महीना खत्म होऩे में ककतऩे हदन िाक़ी हैं औि महीऩे क़े आखखि तक वहां िहऩे का
इिादा कि़े तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े अगिच़े जर्जस वक़्त उसऩे इिादा
ककया था उस वक़्त स़े महीऩे क़े आखखिी हदन तक दस या उस स़े ज़्यादा हदन
िनत़े हों।
1351. अगि मस
ु ाकफ़ि ककसी र्जगह दस हदन िहऩे का इिादा कि़े औि एक चाि
िक् अती नमाज़ पढ़ऩे स़े पहल़े वहां िहऩे का इिादा तकक कि द़े या मज़
ु िज़ि हो कक
वहां िह़े या कहीं औि चला र्जाए तो ज़रूिी है कक नमाज़ कस्र कि क़े पढ़़े ल़ेककन
अगि चाि िक् अती नमाज़ पढ़ऩे क़े िाद वहां िहऩे का इिादा तकक कि द़े या
मज़
ु िज़ि हो र्जाए तो ज़रूिी है कक जर्जस वक़्त तक वहां िह़े नमाज़ पिू ी पढ़़े ।
िोज़ा िख ल़े औि ज़ोहि क़े िाद वहां िहऩे का इिादा तकक कि द़े र्जिकक उसऩे एक
चाि िक् अती नमाज़ पढ़ ली हो तो र्जि तक वहां िह़े उसक़े िोज़़े दरु
ु स्त हैं औि
ज़रूिी है कक अपनी नमाज़ें पिू ी पढ़़े औि अगि उसऩे चाि िक् अती नमाज़ न पढ़ी
445
हो तो एहततयातन उस हदन का िोज़ा पिू ा किना नीज़ उसक़ी कज़ा िखना ज़रूिी
है । औि ज़रूिी है कक अपनी नमाज़ें कस्र कि क़े पढ़़े औि िाद क़े हदनों में वह
वहां िहऩे का इिादा तकक कि द़े औि शक कि़े कक वहां िहऩे का इिादा तकक किऩे
स़े पहल़े एक चाि िक् अती नमाज़ पढ़ी थी या नहीं तो ज़रूिी है कक अपनी नमाज़ें
मश्गल
ू हो र्जाए औि नमाज़ क़े दौिान मस
ु म्मम इिादा कि ल़े कक दस या उसस़े
ज़्यादा हदन वहां िह़े गा तो ज़रूिी है कक नमाज़ को चाि िक् अती पढ़ कि खत्म
कि़े ।
पहली चाि िक् अती नमाज़ क़े दौिान अपऩे इिाद़े स़े िाज़ आ र्जाए औि अभी
कि़े औि अपनी िाक़ी नमाज़ें, कस्र किक़े पढ़़े औि इसी तिह अगि तीसिी िक् अत
में मशगल
ू हो गया हो औि रूकू में न गया हो तो ज़रूिी है कक िैठ र्जाए औि
नमाज़ को िसिू त़े कस्र खत्म कि़े औि अगि रूकू में चला गया हो तो अपनी
446
नमाज़ तोड़ सकता है औि ज़रूिी है कक उस नमाज़ को दोिािा कस्र कि क़े पढ़़े
1356. जर्जस मस
ु ाकफ़ि ऩे दस हदन ककसी र्जगह िहऩे का इिादा ककया हो अगि
वहां दस हदन स़े ज़्यादा िह़े तो र्जि तक वहां स़े सफ़ि न कि़े ज़रूिी है कक नमाज़
1357. जर्जस मस
ु ाकफ़ि ऩे ककसी र्जगह दस हदन िहऩे का इिादा ककया हो ज़रूिी
दस हदन िहऩे का इिादा ककया हो एक चाि िक् अती नमाज़ पढ़ऩे क़े िाद या वहां
दस हदन िहऩे क़े िाद अगिच़े उसऩे एक भी पिू ी नमाज़ न पढ़ी हो यह चाह़े कक
एक ऐसी र्जगह र्जाए र्जो चाि फ़सकख स़े कम फ़ामसल़े पि हो औि किि लौट आए
ज़रूिी है कक र्जाऩे क़े वक़्त स़े वापसी तक औि वापसी क़े िाद अपनी नमाज़़े पिू ी
पढ़़े । ल़ेककन अगि उसका अपनी इकामत क़े मकाम पि वापस आना फ़कत इस
वर्जह स़े हो कक वह उसक़े सफ़ि क़े िास्त़े में वाक़े हो औि उसका सफ़ि शिई
दौिान औि ठहिऩे क़ी र्जगह में नमाज़ कस्र किक़े पढ़़े । 1359. अगि कोई मस
ु ाकफ़ि
जर्जसऩे ककसी र्जगह दस हदन िहऩे का इिादा ककया हो एक चाि िक् अती नमाज़
447
पढ़ऩे क़े िाद चाह़े कक ककसी औि र्जगह चला र्जाए जर्जसका फ़ामसला आठ फ़सकख स़े
र्जहां पि वह दस हदन िहऩे का इिादा िखता हो अपनी नमाज़ें पिू ी पढ़़े ल़ेककन
तो ज़रूिी है कक िवानगी क़े वक़्त अपनी नमाज़़े कस्र कि क़े पढ़़े औि अगि वहां
दस हदन न िहना चाहता हो तो ज़रूिी है कक जर्जतऩे हदन वहां िह़े उन हदनों क़ी
हो एक चाि िक् अती नमाज़ पढ़ऩे क़े िाद ककसी ऐसी र्जगह र्जाना चाह़े जर्जसका
दस हदन िहऩे या वहां स़े सफ़ि किऩे स़े गाकफ़ल हो र्जाए तो ज़रूिी है कक र्जाऩे क़े
वक़्त स़े वापसी तक औि वापसी क़े िाद अपनी नमाज़ें पिू ी पढ़़े ।
िहना चाहत़े हैं उस र्जगह दस हदन िहऩे का इिादा कि़े औि एक चाि िक् अती
नमाज़ पढ़ऩे क़े िाद उस़े पता चल़े कक उसक़े साचथयों ऩे ऐसा कोई इिादा नहीं
448
ककया था तो अगिच़े वह खुद भी वहां िहऩे का ख़्याल तकक कि द़े ज़रूिी है कक
तीस क़े तीस हदनों में वहां स़े चल़े र्जाऩे या वहां िहऩे क़े िाि़े में मज़
ु िज़ि िहा हो
1363. र्जो मस
ु ाकफ़ि नौ हदन या उसस़े कम मद्
ु दत क़े मलय़े एक र्जगह िहना
449
मुतफ़रिय क मसाइल
1365. मस
ु ाकफ़ि मजस्र्जदल
ु हिाम, मजस्र्जद़े निवी औि मजस्र्जद़े कूफ़ा में िजल्क
मक्का ए मक
ु रिक मा, मदीना ए मन
ु व्विा औि कूफ़़े क़े पिू ़े शहिों में अपनी नमाज़
नमाज़ कस्र कि क़े पढ़नी ज़रूिी है । उन चाि र्जगहों क़े अलावा जर्जनका जज़क्र
क़े पढ़नी चाहहय़े औि पिू ी नमाज़ पढ़ ल़े तो उसक़े मलय़े भी यही हुक्म है ल़ेककन
भल
ू र्जाऩे क़ी सिू त में अगि उस़े नमाज़ क़े वक़्त क़े िाद यह िात याद आए तो
पढ़नी ज़रूिी है अगि वह पिू ी नमाज़ पढ़़े औि अभी नमार्ज का वक्त िाक़ी हो तो
उस़े नमार्ज दि
ु ािा पढ़नी होगी औप अगि नमार्ज का वक्त खत्म हो चक
ु ा है तो
अहततयात क़ी बिना पि उस़े उस नमार्ज क़ी कज़ा किनी पढ़़े गी।
1368. र्जो मस
ु ाकफ़ि यह न र्जानता हो कक उस़े नमाज़ कस्र कि क़े पढ़नी ज़रूिी
450
1369. र्जो मस
ु ाकफ़ि र्जानता हो कक उस़े नमाज़ कस्र कि क़े पढ़नी चाहहय़े अगि
कक आठ फ़सकख क़े सफ़ि में नमाज़ कस्र कि क़े पढ़नी ज़रूिी है तो अगि वह पिू ी
नमाज़ पढ़ ल़े औि नमाज़ क़े वक़्त में इस मस ्अल़े का पता चल र्जाए तो
एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक दोिािा नमाज़ पढ़़े औि अगि दोिािा
1370. अगि एक मस
ु ाकफ़ि र्जानता हो कक उस़े नमाज़ कस्र कि क़े पढ़नी चाहहय़े
औि वह इस गुमान में पिू ी नमाज़ पढ़ ल़े कक उसका सफ़ि आठ फ़सकख स़े कम है
नमाज़ पिू ी पढ़ी हो उस़े दोिािा कस्र कि क़े पढ़़े औि अगि उस़े इस िात का पता
औि उस़े नमाज़ क़े वक़्त क़े अन्दि ही याद आ र्जाए तो उस़े चाहहय़े कक कस्र कि
क़े पढ़़े औि अगि नमाज़ क़े वक़्त क़े िाद याद आए तो उस नमाज़ क़ी कज़ा उस
पि वाजर्जि नहीं।
1372. जर्जस शख़्स को पिू ी नमाज़ पढ़नी ज़रूिी है अगि वह उस़े कस्र कि क़े
पढ़़े तो उसक़ी नमाज़ हि सिू त में िाततल है अगिच़े एहततयात क़ी बिना पि ऐसा
451
मस
ु ाकफ़ि हो र्जो ककसी र्जगह दस हदन िहऩे का इिादा िखता हो औि मस ्अल़े का
हुक्म न र्जानऩे क़ी वर्जह स़े नमाज़ कस्र कि क़े पढ़ी हो।
1373. अगि एक शख़्स चाि िक् अती नमाज़ पढ़ िहा हो औि नमाज़ क़े दौिान
उस़े याद आए कक वह तो मस
ु ाकफ़ि है या इस अम्र क़ी तिफ़ मत
ु वज्र्जह हो कक
उसका सफ़ि आठ फ़सकख है औि वह अभी तीसिी िक् अत क़े रूकू में न गया हो तो
अगि उसक़े पास एक िक् अत पढ़ऩे क़े मलय़े भी वक़्त िाक़ी हो तो ज़रूिी है कक
चाि फ़सकख का फ़ामसला तय कि़े तो उस़े नमाज़ कस्र कि क़े पढ़नी ज़रूिी है औि
चाि िक् अत वाली नमाज़ क़ी नीयत स़े नमाज़ में मशगल
ू हो र्जाए औि तीसिी
िक् अत क़े रूकू स़े पहल़े मस ्अला उसक़ी समझ में आ र्जाए तो ज़रूिी है कक
नमाज़ को दो िक् अतों पि ही तमाम कि द़े औि अगि वह रूकू में इस अम्र क़ी
र्जातनि मत
ु वज्र्जह हो तो एहततयात क़ी बिना पि उसक़ी नमाज़ िाततल है औि उस
सिू त में अगि उसक़े पास एक िक् अत पढ़ऩे क़े मलय़े भी वक़्त िाक़ी हो तो ज़रूिी
452
1375. जर्जस मस
ु ाकफ़ि को पिू ी नमाज़ पढ़नी ज़रूिी हो अगि वह मस ्अला न
र्जानऩे क़ी वर्जह स़े दो िक् अती नमाज़ क़ी नीयत स़े पढ़ऩे लग़े औि नमाज़ क़े
दौिान मस ्अला उसक़ी समझ में आ र्जाए तो ज़रूिी है कक चाि िक् अतें पढ़ कि
1376. जर्जस मस
ु ाकफ़ि ऩे अभी नमाज़ न पढ़ी हो अगि वह नमाज़ का वक़्त
खत्म होऩे स़े पहल़े अपऩे वतन पहुंच र्जाए या ऐसी र्जगह पहुंच़े र्जहां दस हदन
अगि उसऩे नमाज़ क़े अव्वल़े वक़्त में नमाज़ न पढ़ी हो औि सफ़ि इजख़्तयाि कि़े
1377. जर्जस मस
ु ाकफ़ि को नमाज़ कस्र कि क़े पढ़ना ज़रूिी हो अगि उसक़ी
ज़ोहि या अस्र या इशा क़ी नमाज़ कज़ा हो र्जाए तो अगिच़े वह उसक़ी कज़ा उस
वक़्त िर्जा लाए र्जि वह सफ़ि में न हो ज़रूिी है कक उसक़ी दो िक् अती कज़ा कि़े ।
औि अगि इन तीन नमाज़ों में स़े ककसी ऐस़े शख़्स क़ी कोई नमाज़ कज़ा हो र्जाए
र्जो मस
ु ाकफ़ि न हो तो ज़रूिी है कक चाि िक् अती कज़ा िर्जा लाए अगिच़े यह कज़ा
1378. मस्
ु तहि है कक मस
ु ाकफ़ि हि कस्र नमाज़ क़े िाद तीस मतकिा
453
ज़ोहि, अस्र औि इशा क़ी तअक़ीिात क़े मत
ु अजल्लक िहुत ज़्यादा ताक़ीद क़ी गई है
िजल्क ि़ेहति है कक मस
ु ाकफ़ि इन तीन नमाज़ों क़ी तअक़ीि में यही जज़क्र साठ
मतकिा पढ़़े ।
कजा नमाज
1379. जर्जस शख़्स ऩे अपनी यौममया नमाज़ें उनक़े वक़्त में न पढ़ी हों तो
ज़रूिी है कक उनक़ी कज़ा िर्जा लाए अगिच़े वह नमाज़ क़े तमाम वक़्त क़े दौिान
सोया िहा हो या उसऩे मदहोशी क़ी वर्जह स़े नमाज़ न पढ़ी हो औि यही हुक्म है
उस नमाज़ का र्जो मन्नत मानऩे क़ी वर्जह स़े मोअय्यन वक़्त में उस पि वाजर्जि
हो चक
ु ़ी हो। ल़ेककन नमाज़़े ईद़े कफ़त्र औि नमाज़़े ईद़े कुिाकन क़ी कज़ा नहीं है। ऐस़े
ही र्जो नमाज़ ककसी औित ऩे हैज़ या तनफ़ास क़ी हालत में न पढ़ी हों उनक़ी कज़ा
1380. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ क़े वक़्त क़े िाद पता चल़े कक र्जो नमाज़
1381. जर्जस शख़्स पि ककसी नमाज़ क़ी कज़ा हो र्जाए ज़रूिी है कक उसक़ी
कज़ा पढ़ऩे में कोताही न कि़े अलित्ता उसका फ़ौिन पढ़ना वाजर्जि नहीं है ।
पढ़ सकता है ।
454
1383. अगि ककसी शख़्स को एहततमाल हो कक कज़ा नमाज़ उसक़े जज़म्म़े है या
1384. यौममया नमाज़ों क़ी कज़ा में तितीि लाजज़म नहीं है मसवाय उन नमाज़ों
क़े जर्जनक़ी अदा में तितीि है मसलन एक हदन क़ी ज़ोहि व अस्र या मगरिि व
इशा। अगिच़े दस
ू िी नमाज़ों में भी तितीि का मलहाज़ िखना ि़ेहति है ।
1385. अगि कोई शख़्स चाह़े कक यौममया नमाज़ों क़े अलावा चन्द नमाज़ों
मसलन नमाज़़े आयात क़ी कज़ा कि़े या ममसाल क़े तौि पि चाह़े कक ककसी एक
यौममया नमाज़ क़ी औि चन्द गैि यौममया नमाज़ों क़ी कज़ा कि तो उनका तितीि
तिह तितीि स़े पढ़ी हैं जर्जस तितीि स़े वह कज़ा हुई थीं। मसलन अगि ज़ोहि क़ी
मालम
ू न हो कक कौन सी पहल़े कज़ा हुई थी तो पहल़े एक नमाज़़े मगरिि औि
उसक़े िाद एक नमाज़ ज़ोहि औि दोिािा नमाज़़े मगरिि पढ़़े या पहल़े एक नमाज़़े
ज़ोहि औि उसक़े िाद एक नमाज़़े मगरिि औि कफ़ि दोिािा एक नमाज़़े ज़ोहि पढ़़े
455
ताकक उस़े यक़ीन हो र्जाए कक र्जो नमाज़ भी पहल़े कज़ा हुई थी वह पहल़े ही पढ़ी
गई है।
1387. अगि ककसी शख़्स स़े एक हदन क़ी नमाज़़े ज़ोहि औि ककसी औि हदन
क़ी नमाज़़े अस्र या दो नमाज़़े ज़ोहि या दो नमाज़़े अस्र कज़ा हुई हों औि उस़े
मालम
ू न हो कक कौन सी पहल़े कज़ा हुई है तो अगि दो नमाज़ें चाि िक् अती इस
नीयत स़े पढ़़े कक उनमें स़े पहली नमाज़ पहल़े हदन क़ी कज़ा है औि दस
ू िी दस
ू ि़े
कौन सी पहल़े कज़ा हुई है तो ि़ेहति है कक उन्हें इस तिह पढ़़े कक उस़े यक़ीन हो
र्जाए कक उसऩे उस़े तितीि स़े पढ़ा है मसलन अगि उसस़े एक नमाज़़े ज़ोहि औि
दोिािा एक नमाज़़े ज़ोहि या पहल़े एक नमाज़़े इशा उसक़े िाद एक नमाज़़े ज़ोहि
पढ़़े या पहल़े एक नमाज़़े इशा उसक़े िाद एक नमाज़़े ज़ोहि औि किि दोिािा एक
456
अगि वह एक चाि िक् अती नमाज़ क़ी कज़ा क़ी नीयत स़े पढ़़े र्जो उसऩे नहीं पढ़ी
आहहस्ता पढ़़े ।
मालम
ू न हो कक उनमें स़े पहली कौन सी थी तो अगि वह नौ नमाज़ें तितीि स़े
क़े िाद दोिािा नमाज़़े सबु हा औि ज़ोहि व अस्र औि मगरिि पढ़़े तो उस़े तितीि
यह है कक पांच हदन िात क़ी नमाज़ें पढ़़े औि अगि छः हदनों में स़े उसक़ी छः
नमाज़ें कज़ा हुई हों तो छः हदन िात क़ी नमाज़ें पढ़़े औि इसी तिह हि उस नमाज़
क़े मलय़े जर्जसस़े उसक़ी कज़ा नमाज़ों में इज़ाफ़ा हो। एक मज़ीद हदन िात क़ी
नमाज़़े पढ़़े ताकक उस़े यक़ीन हो र्जाए कक उसऩे नमाज़ें तितीि स़े पढ़ी हैं जर्जस
तितीि स़े कज़ा हुई थीं मसलन अगि सात हदन क़ी सात नमाज़ें न पढ़ी हों तो
1392. ममसाल क़े तौि पि अगि ककसी क़ी चन्द सबु ह क़ी नमाज़ें या चन्द
457
मसलन यह न र्जानता हो कक वह तीन थीं, चाि थीं या पांच तो अगि वह छोट़े
अदद क़े हहसाि स़े पढ़ ल़े तो काफ़़ी है, ल़ेककन ि़ेहति यह है कक उतनी नमाज़ें पढ़़े
कक उस़े यक़ीन हो र्जाए कक सािी कज़ा नमाज़ें पढ़ ली हैं मसलन अगि वह भल
ू
गया हो कक उसक़ी ककतनी नमाज़ें कज़ा हुई थीं औि उस़े यक़ीन हो कक दस स़े
1393. जर्जस शख़्स गुज़श्ता हदनों क़ी फ़कत नमाज़ कज़ा हुई हो उसक़े मलय़े
ि़ेहति है कक अगि उस हदन क़ी नमाज़ क़ी फ़ज़ीलत का वक़्त खत्म न हुआ हो
तो पहल़े कज़ा पढ़़े औि उसक़े िाद उस हदन क़ी नमाज़ में मश्गल
ू हो। औि अगि
उसक़ी गज़
ु श्ता हदनों क़ी कोई नमाज़ कज़ा न हुई हो ल़ेककन उसी हदन क़ी एक या
एक स़े ज़्यादा नमाज़ें कज़ा हुई हों तो अगि उस हदन क़ी नमाज़ क़ी फ़ज़ीलत का
वक़्त खत्म न हुआ हो तो ि़ेहति यह है कक उस हदन क़ी कज़ा नमाज़ें अदा नमाज़
1394. अगि ककसी शख़्स को नमाज़ पढ़त़े हुए याद आए कक ककसी हदन क़ी
नमाज़ उसक़े जज़मम़े है तो अगि वक़्त वसी हो औि नीयत को कज़ा नमाज़ क़ी
तिफ़ ि़ेिना मजु म्कन हो औि उस हदन क़ी नमाज़ क़ी फ़ज़ीलत का वक़्त खत्म न
हुआ हो तो ि़ेहति यह है कक कज़ा नमाज़ क़ी नीयत कि़े । मसलन अगि ज़ोहि क़ी
नमाज़ में तीसिी िक् अत क़े रूकू स़े पहल़े उस़े याद आए कक उस हदन क़ी सबु ह क़ी
458
नमाज़ कज़ा हुई है औि अगि ज़ोहि क़ी नमाज़ का वक़्त भी तंग न हो तो नीयत
को सबु ह क़ी नमाज़ क़ी तिफ़ ि़ेि द़े औि नमाज़ को दो िक् अती तमाम कि़े औि
उसक़े िाद नमाज़़े ज़ोहि पढ़़े । हााँ अगि वक़्त तंग हो या नीयत को कज़ा नमाज़
क़ी तिफ़ न ि़ेि सकता हो मसलन नमाज़़े ज़ोहि क़ी तीसिी िक् अत क़े रूकू में उस़े
याद आए कक उसऩे सबु हा क़ी नमाज़ नहीं पढ़ी तो चंकू क अगि वह सबु ह क़ी नमाज़
क़ी नीयत किना चाह़े तो एक रूकू र्जो कक रुक्न है ज़्यादा हो र्जाता है इस मलय़े
क़ी (र्जि नमाज़ पढ़ िहा है ) एक या एक स़े ज़्यादा नमाज़ें भी उसस़े कज़ा हो गई
अदा नमाज़ स़े पहल़े पढ़़े औि ि़ेहति यह है कक साबिका नमाज़ पढ़ऩे क़े िाद उन
कज़ा नमाज़ों को र्जो उस हदन अदा नमाज़ स़े पहल़े पढ़ी हों दोिािा पढ़़े ।
1396. र्जि तक इंसान जज़न्दा है ख़्वाह वह अपनी कज़ा नमाज़ें पढ़ऩे स़े कामसि
ही क्यों न हो कोई दस
ू िा शख़्स उसक़ी कज़ा नमाज़ें नहीं पढ़ सकता ।
1397. कज़ा नमाज़ िा र्जमाअत भी पढ़ी र्जा सकती है ख़्वाह इमाम़े र्जमाअत
459
मसलन अगि कोई शख़्स सबु ह क़ी कज़ा नमाज़ को इमाम क़ी नमाज़़े ज़ोहि या
1398. मस्
ु तहि है कक समझदाि िच्च़े को (यानी उस िच्च़े को र्जो ििु ़े भल़े क़ी
िजल्क मस्
ु तहि है कक उस़े कज़ा नमाज़़े पढ़ऩे पि भी आमद ककया र्जाए।
1399. िाप ऩे अपनी कुछ नमाज़ें न पढ़ी हों औि उनक़ी कज़ा पढ़ऩे पि काहदि
हो तो अगि उसऩे अम्ऱे खुदावन्दी क़ी ना फ़िमानी कित़े हुए उनको तकक न ककया
हो तो एहततयात क़ी बिना पि उसक़े िड़़े ि़ेट़े पि वाजर्जि है कक िाप क़े मिऩे क़े
िाद उसक़ी कज़ा नमाज़ें पढ़़े या ककसी को उर्जित द़े कि पढ़वाए औि मााँ क़ी कज़ा
नमाज़ें उस पि वाजर्जि नहीं अगिच़े ि़ेहति है (कक मााँ क़ी कज़ा नमाज़ें भी पढ़़े )।
1400. अगि िड़़े ि़ेट़े को शक हो कक कोई कज़ा नमाज़ उसक़े िाप क़े जज़म्म़े थी
460
1402. अगि यह मालम
ू न हो कक िड़ा ि़ेटा कौन सा है तो िाप क़ी कज़ा ककसी
नमाज़ आपस में तक़्सीम कि लें या उन्हें िर्जा लाऩे क़े मलय़े कुआक अन्दाज़ी कि
लें।
1403. अगि मिऩे वाल़े ऩे वसीयत क़ी हो कक उसक़ी कज़ा नमाज़ों क़े मलय़े
ककसी को अर्जीि िनाया र्जाए (यानी ककसी स़े उर्जित पि नमाज़ें पढ़वाई र्जायें) तो
अगि अर्जीि उसक़ी नमाज़ें सहीह तौि पि पढ़ द़े तो उसक़े िाद िड़़े ि़ेट़े पि कुछ
वाजर्जि नहीं है ।
1404. अगि िड़ा ि़ेटा अपनी मााँ क़ी कज़ा नमाज़ें पढ़ना चाह़े तो ज़रूिी है कक
िलन्द आवाज़ स़े या आहहस्ता नमाज़ पढ़ऩे क़े िाि़े में अपऩे वज़ीफ़़े क़े मत
ु ाबिक
अमल कि़े तो ज़रूिी है कक अपनी मााँ क़ी सबु ह मगरिि औि इशा क़ी कज़ा नमाज़ें
1405. जर्जस शख़्स क़े जज़म्म़े ककसी नमाज़ क़ी कज़ा हो अगि वह िाप औि मााँ
क़ी नमाज़ें भी कज़ा किना चाह़े तो उनमें स़े र्जो भी पहल़े िर्जा लाए सहीह है ।
1406. अगि िाप क़े मिऩे क़े वक़्त िड़ा ि़ेटा नािामलग या हदवाना हो तो उस
पि वाजर्जि नहीं कक र्जि िामलग या आककल हो र्जाए तो िाप क़ी कज़ा नमाज़ें पढ़़े ।
1407. अगि िड़ा ि़ेटा िाप क़ी कज़ा नमाज़ें पढ़ऩे स़े पहल़े मि र्जाए तो दस
ू ि़े
461
नमाजे जमाअत
है औि मजस्र्जद क़े पड़ोस में िहऩे वाल़े को औि उस शख़्स को र्जो मजस्र्जद क़ी
अज़ान सन
ु ता हो नमाज़़े सबु ह औि मगरिि व इशा र्जमाअत क़े साथ पढ़ऩे क़ी
बिलखस
ु स
ू िहुत ज़्यादा ताक़ीद क़ी गई है ।
1410. ि़े एततनाई िितत़े हुए नमाज़़े र्जमाअत में न शिीक होना र्जाइज़ नहीं है
तकक कि़े ।
1411. मस्
ु तहि है कक इंसान सब्र कि़े ताकक नमाज़ र्जमाअत क़े साथ पढ़़े औि
अव्वल़े वक़्त में फ़ुिादा यानी तन्हा पढ़ी र्जाए औि वह नमाज़़े िा र्जमाअत र्जो
फ़ज़ीलत क़े वक़्त में न पढ़ी र्जाए औि फ़ुिादा नमाज़ र्जो फ़ज़ीलत क़े वक़्त में पढ़ी
462
1412. र्जि र्जमाअत क़े साथ नमाज़ पढ़ी र्जाऩे लग़े तो मस्
ु तहि है कक जर्जस
शख़्स ऩे तन्हा नमाज़ पढ़ी हो वह दोिािा र्जमाअत क़े साथ पढ़़े औि अगि उस़े
उसी नमाज़ को दोिािा र्जमाअत क़े साथ पढ़ना चाह़े तो अगिच़े उसका मस्
ु तहि
िाततल होऩे का मजू र्जि िन र्जाता हो औि मसफ़क र्जमाअत क़े साथ नमाज़ पढ़ऩे स़े
उस़े वसवस़े स़े नर्जात ममलती हो तो ज़रूिी है कक वह नमाज़ र्जमाअत क़े साथ
पढ़़े ।
1415. अगि िाप या मााँ अपनी औलाद को हुक्म दें कक नमाज़ र्जमाअत क़े
भी वामलदै न क़ी तिफ़ स़े अम्र व नही महबित क़ी वर्जह स़े हो औि उसक़ी
मख
ु ामलफ़त स़े उन्हें अज़ीयत होती हो तो औलाद क़े मलय़े उनक़ी मख
ु ामलफ़त किना
1416. मस्
ु तहि नमाज़ ककसी भी र्जगह एहततयात क़ी बिना पि र्जमाअत क़े
साथ नहीं पढ़ी र्जा सकती ल़ेककन नमाज़़े इजस्तसका र्जो तलि़े िािां क़े मलय़े पढ़ी
र्जाती है र्जमाअत क़े साथ पढ़ सकत़े हैं औि इसी तिह वह नमाज़ र्जो पहल़े वाजर्जि
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िही हो औि किि ककसी वर्जह स़े मस्
ु तहि हो गई हों मसलन नमाज़़े ईद़े कफ़त्र औि
नमाज़़े ईद़े कुिाकन र्जो इमाम म़ेहदी (अ0) क़े ज़माऩे तक वाजर्जि थी औि उनक़ी
1417. जर्जस वक़्त इमाम़े र्जमाअत यौममया नमाज़ों में स़े कोई नमाज़ पढ़ िहा
हो तो उसक़ी इकततदा कोई सी भी यौममया नमाज़ में क़ी र्जा सकती है।
िहा हो या ककसी दस
ू ि़े शख़्स कक ऐसी नमाज़ क़ी कज़ा पढ़ िहा हो जर्जसका कज़ा
होना यक़ीनी हो तो उसक़ी इकततदा क़ी र्जा सकती है ल़ेककन अगि वह अपनी या
ककसी दस
ू ि़े क़ी नमाज़ एहततयातन पढ़ िहा हो तो उसक़ी इकततदा र्जाइज़ नहीं
मगि यह कक मक्
ु तदी भी एहततयातन पढ़ िहा हो औि इमाम क़ी एहततयात का
सिि मक्
ु तदी क़ी एहततयात का भी सिि हो ल़ेककन ज़रूिी नहीं कक मक्
ु तदी क़ी
एहततयात का कोई दस
ू िा सिि न हो।
1420. र्जमाअत क़े सहीह होऩे क़े मलय़े यह शतक है कक इमाम औि मक्
ु तदी क़े
उस मक्
ु तदी औि इमाम क़े दिममयान वामसता हो कोई चीज़ हाइल न हो औि
464
हाइल चीज़ स़े मिु ाद वह चीज़ है र्जो उन्हें एक दस
ू ि़े स़े र्जुदा कि़े ख़्वाह द़े खऩे में
माऩे हो र्जैस़े पदाक या दीवाि वगैिा या द़े खऩे में हाइल न हो र्जैस़े शीशा पस अगि
औि दस
ू ि़े ऐस़े मक्
ु तदी क़े दिममयान र्जो इजस्तसाल का ज़िीआ हो कोई ऐसी चीज़
हाइल हो र्जाए तो र्जमाअत िाततल होगी औि र्जैसा कक िाद में जज़क्र होगा औित
1421. अगि पहली सफ़ क़े लम्िा होऩे क़ी वर्जह स़े उसक़े दोनों तिफ़ खड़़े होऩे
तिफ़ खड़़े होऩे वाल़े लोग अपऩे स़े आग़े वाली सफ़ को न द़े ख सकें ति भी वह
1422. अगि र्जमाअत क़ी सफ़़े मजस्र्जद क़े दिवाज़़े तक पहुंच र्जायें तो र्जो शख़्स
दिवाज़़े क़े सामऩे सफ़ क़े पीछ़े खड़ा हो उसक़ी नमाज़ सहीह है नीज़ र्जो अश्खास
उस शख़्स क़े पीछ़े खड़़े होकि इमाम़े र्जमाअत क़ी इकततदा कि िह़े हों उनक़ी
नमाज़ भी सहीह है िजल्क उन लोगों क़ी नमाज़ भी सहीह है र्जो दोनों तिफ़ खड़़े
हों।
465
1423. र्जो शख़्स सत
ु ून क़े पीछ़े खड़ा हो अगि वह दाई या िाई तिफ़ स़े ककसी
दस
ू ि़े मक्
ु तदी क़े तवस्सत
ु स़े इमाम़े र्जमाअत स़े इवत्तसाल न िखता हो तो वह
1424. इमाम़े र्जमाअत क़े खड़़े होऩे क़ी र्जगह ज़रूिी है कक मक्
ु तदी क़ी र्जगह स़े
1426. अगि उन लोगों क़े दिममयान र्जो एक सफ़ में खड़़े हों एक समझदाि
िच्चा यानी ऐसा िच्चा र्जो अच्छ़े ििु ़े क़ी समझ िखता हो खड़ा हो र्जाए औि लोग
1427. इमाम क़ी तक्िीि क़े िाद अगि अगली सफ़ क़े लोग नमाज़ क़े मलय़े
तैयाि हों औि तक्िीि कहऩे ही वाल़े हों तो र्जो शख़्स पीछली सफ़ में खड़ा हो वह
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1428. अगि कोई शख़्स र्जानता हो कक अगली सफ़ों में स़े एक सफ़ क़ी नमाज़
िाततल है तो वह पीछली सफ़ों में इजक्तदा नहीं कि सकता ल़ेककन अगि उस़े यह
सकता है।
1429. र्जि कोई शख़्स र्जानता हो कक इमाम क़ी नमाज़ िाततल है मसलन उस़े
1431. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े दौिान शक कि़े कक उसऩे इजक़्तदा क़ी है या
नहीं चन
ु ांच़े अलामतों क़ी वर्जह स़े उस़े इत्मीनान हो र्जाए कक इजक़्तदा क़ी है
ही खत्म कि़े िसिू त़े दीगि ज़रूिी है कक नमाज़ फ़ुिादा क़ी नीयत स़े खत्म कि़े ।
तो उसक़ी र्जमाअत क़े सहीह होऩे में इश्काल है । ल़ेककन उसक़ी नमाज़ सहीह है
मगि यह कक उस ऩे फ़ुिादा क़ी नमाज़ में उसका र्जो वज़ीफ़ा है, उस पि अमल न
467
ककया हो या ऐसा काम र्जो फ़ुिादा नमाज़ को िाततल किता है अंर्जाम हदया हो
अगिच़े सहवन हो मसलन रूकू ज़्यादा ककया हो िजल्क िाज़ सिू तों में अगि फ़ुिादा
सहीह है । मसलन अगि नमाज़ क़ी इजबतदा स़े फ़ुिादा क़ी नीयत न हो औि
ककिअत भी न क़ी हो ल़ेककन रूकू में उस़े ऐसा कस्द किना पड़़े तो ऐसी सिू त में
फ़ुिादा क़ी नीयत स़े तमाम खत्म कि सकता है औि उस़े दोिािा पढ़ना ज़रूिी नहीं
है ।
वर्जह स़े फ़ुिादा क़ी नीयत कि़े तो अलहम्द औि सिू ा पढ़ना ज़रूिी नहीं है। ल़ेककन
अगि (इमाम क़े) अलहम्द औि सिू ा खत्म किऩे स़े पहल़े फ़ुिादा क़ी नीयत कि़े तो
1434. अगि कोई शख़्स नमाज़़े र्जमाअत क़े दौिान फ़ुिादा क़ी नीयत कि़े तो
किि वह दोिािा र्जमाअत क़ी नीयत नहीं कि सकता ल़ेककन अगि मज़
ु बज़ि हो कक
फ़ुिादा क़ी नीयत कि़े या न कि़े औि िाद में नमाज़ को र्जमाअत क़े साथ तमाम
किऩे का मस
ु म्मम इिादा कि़े तो उसक़ी र्जमाअत सहीह है ।
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1435. अगि कोई शख़्स शक कि़े कक नमाज़ क़े दौिान उसऩे फ़ुिादा क़ी नीयत
क़ी है या नहीं तो ज़रूिी है कक यह समझ ल़े कक उसऩे फ़ुिादा क़ी नीयत नहीं क़ी
है ।
1436. अगि कोई शख़्स उस वक़्त इजक़्तदा कि़े र्जि इमाम रूकू में हो औि
इमाम क़े रूकू में शिीक हो र्जाए अगिच़े इमाम ऩे रूकू का जज़क्र पढ़ मलया हो उस
1437. अगि कोई शख़्स उस वक़्त इजक़्तदा कि़े र्जि इमाम रूकू में हो औि
अगि उसका मौका तनकल गया हो मसलन रूकू क़े िाद शक कि़े तो ज़ाहहि यह है
1438. अगि कोई शख़्स उस वक़्त इजक़्तदा कि़े र्जि इमाम रूकू में हो औि
कक फ़ुिादा क़ी नीयत कि क़े नमाज़ पिू ी कि़े या कुिकत़े मत्ु लका क़ी नीयत स़े
इमाम क़े साथ सज्द़े में र्जाए औि सज्द़े क़े िाद ककयाम क़ी हालत में तक्िीितुल
469
एहिाम औि ककसी जज़क्र का कस्द ककय़े िगैि दोिािा तक्िीि कह़े औि नमाज़
1439. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़ी इजबतदा में अलहम्द औि सिू ा क़े दौिान
इजक़्तदा कि़े औि इवत्तफ़ाकन इसस़े पहल़े कक वह रूकू में र्जाए इमाम अपना सि
1440. अगि कोई शख़्स नमाज़ क़े मलय़े ऐस़े वक़्त पहुाँच़े र्जि इमाम नमाज़ का
िाद िैठ र्जाए औि महज़ कुिकत क़ी नीयत स़े तशह्हुद इमाम क़े साथ पढ़़े ल़ेककन
सलाम न कह़े औि इजन्तज़ाि कि़े ताकक इमाम नमाज़ का सलाम पढ़ ल़े उसक़े
िाद वह शख़्स खड़ा हो र्जाए औि दोिािा नीयत ककय़े िगैि औि तक्िीि कह़े िगैि
1441. मक्
ु तदी को इमाम स़े आग़े नहीं खड़ा होना चाहहय़े िजल्क एहततयात़े
अगि मक्
ु तदी एक आदमी हो तो इमाम क़े ििािि में खड़़े होऩे में कोई हर्जक नहीं।
दिममयान या औित औि दस
ू ि़े मदक मक्
ु तदी क़े दिममयान र्जो औित औि इमाम क़े
470
1443. अगि नमाज़ शरू
ू होऩे क़े िाद इमाम औि मक्
ु तदी क़े दिममयान या
मक्
ु तदी औि उस शख़्स क़े दिममयान जर्जसक़े तवस्सत
ु स़े मक्
ु तदी इमाम स़े
मत्त
ु मसल हो पदाक या कोई दस
ू िी चीज़ हाइल हो र्जाए तो नमाज़ िाततल हो र्जाती है
औि लाजज़म है कक मक्
ु तदी फ़ुिादा नमाज़ क़े वज़ीफ़़े पि अमल कि़े ।
होऩे क़ी र्जगह क़े िीच एक डग स़े ज़्यादा फ़ामसला न हो औि अगि इंसान एक
औि उसस़े आग़े वाल़े शख़्स क़े खड़़े होऩे क़ी र्जगह क़े दिममयान इसस़े ज़्यादा
जर्जसऩे उसक़ी दाई तिफ़ या िाई तिफ़ इजक़्तदा क़ी हो औि सामऩे स़े इमाम स़े
मत्त
ु मसल न हो तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि ज़रूिी है कक उस शख़्स स़े
जर्जसऩे उसक़ी दाई तिफ़ या िाईं तिफ़ इजक़्तदा क़ी हो एक डग स़े ज़्यादा फ़ामसल़े
पि न हो।
471
फ़ामसला हो र्जाए तो वह तन्हा हो र्जाता है औि अपनी नमाज़ फ़ुिादा क़ी नीयत स़े
र्जािी िख सकता है ।
1447. र्जो लोग अगली सफ़ में हों अगि उन सि क़ी नमाज़ खत्म हो र्जाए औि
वह फ़ौिन दस
ू िी नमाज़ क़े मलय़े इमाम क़ी इजक़्तदा न किें तो पीछली सफ़ वालों
क़ी नमाज़़े र्जमाअत िाततल हो र्जाती हैं िजल्क अगि फ़ौिन ही इजक़्तदा कि लें किि
एहततयात यह है कक तशह्हुद पढ़त़े वक़्त हाथों क़ी उाँ चगलयााँ औि पांव क़े तलवों
कक इमाम क़े साथ खड़ा हो र्जाए औि अलहम्द को तमाम कि़े औि अपऩे रूकू में
इमाम स़े ममल र्जाए औि अगि पिू ी अलहम्द पढ़ऩे क़े मलय़े वक़्त न हो तो
अलहम्द को छोड़ सकता है औि इमाम क़े साथ रूकू में र्जाए। ल़ेककन इस सिू त में
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक नमाज़ को फ़ुिादा क़ी नीयत स़े पढ़़े ।
1449. अगि कोई शख़्स उस वक़्त इजक़्तदा कि़े र्जि इमाम चाि िक् अती नमाज़
क़ी दस
ू िी िक् अत पढ़ िहा हो तो ज़रूिी है कक अपनी नमाज़ क़ी दस
ू िी िक् अत में
र्जो इमाम क़ी तीसिी िक् अत होगी दो सज्दों क़े िाद िैठ र्जाए औि वाजर्जि ममक़्दाि
में तशह्हुद पढ़़े औि किि उठ खड़ा हो औि अगि तीन दफ़् आ तस्िीहात पढ़ऩे का
472
वक़्त न िखता हो तो ज़रूिी है कक एक दफ़् आ पढ़़े औि रूकू में अपऩे आप को
अगि इकततदा कि़े गा औि अलहम्द पढ़़े गा तो इमाम क़े साथ रूकू में शाममल न हो
सक़ेगा तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि ज़रूिी है कक इमाम क़े रूकू में र्जाऩे तक
1451. अगि कोई शख़्स इमाम क़े तीसिी या चौथी िक् अत में ककयाम क़ी
हालत में होऩे क़े वक़्त इजक़्तदा कि़े तो ज़रूिी है कक अलहम्द औि सिू ा पढ़़े औि
अगि सिू ा पढ़ऩे क़े मलय़े वक़्त न हो तो ज़रूिी है कक अलहम्द तमाम कि़े औि
रूकू में इमाम क़े साथ शिीक हो र्जाए औि अगि पिू ी अलहम्द पढ़ऩे क़े मलय़े वक़्त
न हो तो अलहम्द को छोड़कि इमाम क़े साथ रूकू में र्जाए ल़ेककन इस सिू त में
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक फ़ुिादा क़ी नीयत स़े नमाज़ पिू ी कि़े ।
में इमाम क़े साथ शिीक नहीं हो सकता औि वह अमदन सिू ा या कुनत
ू पढ़़े औि
रूकू में इमाम क़े साथ शिीक न हो तो उसक़ी र्जमाअत िाततल हो र्जाती है औि
तो िशते कक सिू ा ज़्यादा लम्िा न हो वह रूकू में इमाम क़े साथ शिीक हो र्जाय़ेगा
473
तो उसक़े मलय़े ि़ेहति यह है कक सिू ा शरू
ू कि़े ल़ेककन अगि सिू ा इतना ज़्यादा
1454. र्जो शख़्स यक़ीन िखता हो कक सिू ा पढ़कि इमाम क़े साथ रूकू में शिीक
हो र्जाय़ेगा औि इमाम क़ी इजक़्तदा खत्म नहीं होगी मलहाज़ा अगि वह सिू ा पढ़
कि इमाम क़े साथ रूकू में शिीक न हो सक़े तो उसक़ी र्जमाअत सहीह है।
अलहम्द औि सिू ा कुिकत क़ी नीयत स़े पढ़़े अगिच़े िाद में उस़े पता चल र्जाए कक
अलहम्द औि सिू ा न पढ़़े औि रूकू क़े िाद उस़े पता चल र्जाए कक इमाम तीसिी
474
उस़े छोड़ द़े औि नमाज़़े र्जमाअत में शाममल हो र्जाए िजल्क अगि उस़े यह
हुक्म क़े मत
ु ाबिक अमल कि़े ।
1459. अगि कोई शख़्स तीन िक् अती या चाि िक् अती नमाज़ पढ़ िहा हो औि
र्जमाअत काइम हो र्जाए औि अभी तीसिी िक् अत क़े रूकू में न गया हो औि उस़े
सक़ेगा तो मस्
ु तहि है कक मस्
ु तहि नमाज़ क़ी नीयत क़े साथ उस नमाज़ को दो
1461. र्जो शख़्स इमाम स़े एक िक् अत पीछ़े हो उसक़े मलय़े ि़ेहति यह है कक
र्जि इमाम आखखिी िक् अत का तशह्हुद पढ़ िहा हो तो हाथों कक उाँ गमलयााँ औि
इमाम क़े सलाम किऩे का इजन्तज़ाि कि़े औि किि खड़ा हो र्जाए औि अगि उसी
वक़्त फ़ुिादा का कस्द किना चाह़े तो कोई हिर्ज नहीं। इमाम़े र्जमाअत क़े शिाइत
1462. इमाम़े र्जमाअत क़े मलय़े ज़रूिी है कक िामलग, आककल, शीआ, इसना
475
मक्
ु तदी मदक हो तो उसका इमाम भी मदक होना ज़रूिी है औि दस साला िच्च़े क़ी
इजक़्तदा सहीह होना अगिच़े वर्जह स़े खाली नहीं, ल़ेककन इश्काल स़े भी खाली नहीं
है ।
सकता है।
1464. र्जो शख़्स खड़ा होकि नमाज़ पढ़ता हो वह ककसी ऐस़े शख़्स क़ी इजक़्तदा
नहीं कि सकता र्जो िैठ कि या ल़ेट कि नमाज़ पढ़ता हो औि र्जो शख़्स िैठ कि
नमाज़ पढ़ता हो वो ककसी ऐस़े शख़्स क़ी इजक़्तदा नहीं कि सकता र्जो ल़ेट कि
सकता है र्जो िैठ कि नमाज़ पढ़ता हो ल़ेककन र्जो शख़्स ल़ेट कि नमाज़ पढ़ता हो
उसका ककसी ऐस़े शख़्स क़ी इजक़्तदा किना र्जो ल़ेट कि या िैठ कि नमाज़ पढ़ता
हो महल्ल़े इश्काल है ।
1466. अगि इमाम़े र्जमाअत ककसी उज़्र क़ी वर्जह स़े नजर्जस मलिास या
तयम्मम
ु या र्जिीि़े ह क़े वज़
ु ू स़े नमाज़ पढ़़े तो उसक़ी इजक़्तदा क़ी र्जा सकती है।
476
1467. अगि इमाम ककसी ऐसी िीमािी में मबु तला हो जर्जसक़ी वर्जह स़े वह
प़ेशाि औि पाखाना न िोक सकता हो तो उसक़ी इजक़्तदा क़ी र्जा सकती है नीज़
कि़े ल़ेककन इमाम का नाम र्जानना ज़रूिी नहीं औि अगि नीयत कि़े कक मैं
मौर्जूदा इमाम़े र्जमाअत क़ी इजक़्तदा किता हूाँ तो उसक़ी नमाज़ सहीह है।
समझ सक़े उस़े अलहम्द औि सिू ा नहीं पढ़ना चाहहय़े औि अगि इमाम क़ी आवाज़
477
न सन
ु पाए तो मस्
ु तहि है कक अलहम्द औि सिू ा पढ़़े ल़ेककन ज़रूिी है कक
आहहस्ता पढ़़े औि अगि सहवन िलन्द आवाज़ में पढ़़े तो कोई हिर्ज नहीं।
कमलमात सन
ु ल़े तो जर्जस कर न सन
ु सक़े वह पढ़ सकता है ।
कक र्जो आवाज़ सन
ु िहा है वह इमाम क़ी नहीं है अलहम्द औि सिू ा पढ़़े औि िाद
में उस़े पता चल़े कक इमाम क़ी आवाज़ थी तो उसक़ी नमाज़ सहीह है।
कोई आवाज़ सन
ु ़े औि यह न र्जानता हो कक इमाम क़ी आवाज़ है या ककसी औि
1475. मक्
ु तदी को नमाज़़े ज़ोहि व अस्र क़ी पहली औि दस
ू िी िक् अत में
1476. मक्
ु तदी को तक्िीितल
ु एहिाम इमाम स़े पहल़े नहीं कहनी चाहहय़े िजल्क
न कह़े ।
सहीह है औि ज़रूिी नहीं कक वह दोिािा इमाम क़े साथ सलाम कह़े िजल्क ज़ाहहि
478
यह है कक अगि र्जान िझ
ू कि भी इमाम स़े पहल़े सलाम कह द़े तो कोई हिर्ज
नहीं है।
इमाम स़े पहल़े पढ़ ल़े तो कोई हर्जक नहीं ल़ेककन अगि उन्हें सन
ु ल़े या यह र्जान
पहल़े न पढ़़े ।
नमाज़ क़े दस
ू ि़े अफ़् आल मसलन रूकू औि सर्ज
ु द ू इमाम क़े साथ या उसस़े थोड़ी
द़े ि िाद िर्जा लाए औि अगि वह उन अफ़् आल को अमदन इमाम स़े पहल़े या
उसस़े काफ़़ी द़े ि िाद अंर्जाम द़े तो उस क़ी र्जमाअत िाततल होगी। ल़ेककन अगि
रूकू में ही हो तो एहततयात क़ी बिना पि ज़रूिी है कक दोिािा रूकू में चला र्जाए
औि इमाम क़े साथ ही सि उठाए। इस सिू त में रूकू क़ी ज़्यादती र्जो कक रुक्न है
नमाज़ को िाततल नहीं किती ल़ेककन अगि वह दोिािा रूकू में र्जाए औि इसस़े
प़ेशति कक वह इमाम क़े साथ रूकू में शिीक हो इमाम सि उठा ल़े तो एहततयात
479
1481. अगि मक्
ु तदी सहवन सि सज्द़े स़े उठा ल़े औि द़े ख़े कक इमाम अभी भी
सज्द़े में है तो एहततयात क़ी बिना पि ज़रूिी है कक दोिािा सज्द़े में चला र्जाए
औि अगि दोनों सज्दों में यही इत्त़ेफ़ाक हो र्जाए तो दो सज्दों क़े ज़्यादा हो र्जाऩे
1482. र्जो शख़्स सहवन इमाम स़े पहल़े सज्द़े स़े सि उठा ल़े अगि उस़े दोिािा
उसक़ी नमाज़ सहीह है ल़ेककन अगि दोनों ही सज्दों में ऐसा इवत्तफ़ाक हो र्जाए तो
इस ख़्याल स़े कक दोिािा रूकू या सज्द़े में लौट र्जाऩे स़े इमाम क़े साथ न शिीक
साथ सज्दा कि़े , सज्द़े में चला र्जाए औि िाद में उस़े मालम
ू हो कक यह इमाम का
दस
ू िा सज्दा था तो यह मक्
ु तदी का दस
ू िा सज्दा शम
ु ाि होगा औि इस ख़्याल स़े
इमाम क़े साथ सज्दा कि िहा हूाँ औि किि दोिािा इमाम क़े साथ सज्द़े में र्जाए
480
औि दोनों सिू तों में ि़ेहति यह है कक नमाज़ को र्जमाअत क़े साथ तमाम कि़े औि
यह हो कक अगि दोिािा ककयाम क़ी हालत में आ र्जाए तो इमाम क़ी ककिअत का
कुछ हहस्सा सन
ु सक़े तो अगि वह सि उठा ल़े औि दोिािा इमाम क़े साथ रूकू में
हो कक अगि दोिािा ककयाम क़ी हालत में आए तो इमाम क़ी ककिअत का कोई
हहस्सा न सन
ु सक़े तो अगि वह इस नीयत स़े कक इमाम क़े साथ नमाज़ पढ़़े ,
अपना सि उठा ल़े औि इमाम क़े साथ रूकू में र्जाए तो उसक़ी र्जमाअत औि
इस कस्द स़े कक इमाम क़े साथ नमाज़ पढ़़े अपना सि उठा ल़े औि इमाम क़े साथ
सज्द़े में र्जाए तो उसक़ी नमाज़ सहीह है औि अगि अमदन सज्द़े स़े सि न उठाए
481
1488. अगि इमाम गलती स़े एक ऐसी िक् अत में कुनत
ू पढ़ द़े , जर्जसमें कुनत
ू
न हो या एक ऐसी िक् अत में जर्जसमें तशह्हुद न हो गलती स़े तशह्हुद पढ़ऩे लग़े
तो मक्
ु तदी को कुनत
ू औि तशह्हुद नहीं पढ़ना चाहहय़े ल़ेककन इमाम स़े पहल़े न
रूकू में र्जा सकता है औि न इमाम क़े खड़़े होऩे स़े पहल़े खड़ा हो सकता है िजल्क
हो ल़ेककन ज़रूिी है कक उसक़े सज्दा किऩे क़ी र्जगह इमाम स़े उसक़े सज्द़े क़ी
या औितें इमाम क़े पीछ़े खड़ी हों औि अगि चन्द मदक औि एक या चन्द औितें
हों तो मदों का इमाम क़े पीछ़े औि औितों का मदों क़े पीछ़े खड़ा होना मस्
ु तहि
है ।
482
1490. अगि इमाम औि मक्
ु तदी दोनों औितें हों तो एहततयात़े वाजर्जि यह है
कक सि एक दस
ू िी क़े ििािि ििािि खड़ी हों औि इमाम मक्
ु तदीयों स़े आग़े न
खड़ी हो।
1491. मस्
ु तहि है कक इमाम सफ़ क़े दिममयान में आग़े खड़ा हो औि साहिाऩे
1492. मस्
ु तहि है कक र्जमाअत क़ी सफ़ें मन
ु ज़्ज़म हों औि र्जो अश्खास एक
1493. मस्
ु तहि है कक कदकामततस्सलात कहऩे क़े िाद मक्
ु तदी खड़़े हो र्जायें।
1494. मस्
ु तहि है कक इमाम़े र्जमाअत उस मक्
ु तदी क़ी हालत का मलहाज़ कि़े
र्जो दस
ू िों स़े कमज़ोि हो औि कुनत
ू औि रूकू औि सर्ज
ु ूद को तूल न द़े िर्जज़
ु उस
सिू त क़े कक उस़े इल्म हो कक तमाम वह अशखास जर्जन्होंऩे उस क़ी इजक़्दता क़ी है
तल
ू द़े ऩे क़ी र्जातनि माइल हैं।
1495. मस्
ु तहि है कक इमाम़े र्जमाअत अलहम्द औि सिू ा नीज़ िलन्द आवाज़
स़े पढ़़े र्जाऩे वाल़े अज़्काि पढ़त़े हुए अपनी आवाज़ को इतना िलन्द कि़े कक दस
ू ि़े
सन
ु सकें ल़ेककन ज़रूिी है कक आवाज़ मन
ु ामसि हद स़े ज़्यादा िलन्द न कि़े ।
483
स़े दग
ु ना तूल द़े औि किि खड़ा हो र्जाए ख़्वाह उस़े मालम
ू हो र्जाए कक कोई दस
ू िा
1497. अगि र्जमाअत क़ी सफ़ों में र्जगह हो तो इंसान क़े मलय़े तन्हा खड़ा होना
मकरूह है।
1498. मक्
ु तदी का नमाज़ क़े अज़काि को इस तिह पढ़ना कक इमाम सन
ु ल़े
मकरूह है।
1499. र्जो मस
ु ाकफ़ि ज़ोहि, अस्र औि इशा क़ी नमाज़ें कस्र कि क़े पढ़ता हो उस
क़े मलय़े इन नमाज़ों में ककसी ऐस़े शख़्स क़ी इजक़्तदा किना मकरूह है र्जो
मस
ु ाकफ़ि न हो औि र्जो शख़्स मस
ु ाकफ़ि न हो उसक़े मलय़े मकरूह है कक इन
नमाज़ों में मस
ु ाकफ़ि क़ी इजक़्तदा कि़े ।
नमाजे आयात
1500. नमाज़़े आयात जर्जसक़े पढ़ऩे का तिीका िाद में ियान होगा तीन चीज़ों
484
2. चांद ग्रहन, अगिच़े उसको कुछ हहस्स़े को ही ग्रहन लग़े औि ख़्वाह इंसान
3. ज़लज़ला, एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि, अगिच़े उसस़े कोई भी खौफ़ज़दा
न हुआ हो।
र्जैसी दस
ू िी आसमानी तनशातनयााँ जर्जनस़े अकसि लोग खौफ़ज़दा हो र्जायें औि इसी
औि पहाड़ों का चगिना जर्जनस़े अकसि लोग खौफ़ज़दा हो र्जात़े हैं इन सिू तों में भी
एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि नमाज़़े आयात तकक नहीं किना चाहहय़े।
1501. जर्जन चीज़ों क़े मलय़े नमाज़़े आयात पढ़ना वाजर्जि है अगि वह एक स़े
ज़्यादा वक
ु ू पज़ीि हो र्जायें तो ज़रूिी है कक इंसान उनमें स़े हि एक क़े मलय़े एक
नमाज़़े आयात पढ़़े मसलन अगि सिू र्ज को भी ग्रहन लग र्जाए औि ज़लज़ला भी
आ र्जाए तो दोनों क़े मलय़े दो अलग अलग नमाज़ें पढ़नी ज़रूिी हैं।
पि एक ही चीज़ क़ी वर्जह स़े वाजर्जि हुई हों मसलन सिू र्ज को तीन दफ़् आ ग्रहन
मसलन सिू र्ज ग्रहन औि चांद ग्रहन औि ज़लज़ल़े क़ी वर्जह स़े उस पि वाजर्जि हुई
485
हों तो उनक़ी कज़ा कित़े वक़्त ज़रूिी नहीं कक वह सि इस िात का तअय्यन
ु कि़े
1503. जर्जन चीज़ों क़े मलय़े नमाज़़े आयात पढ़ना वाजर्जि है वह जर्जस शहि में
वक
ु ू पज़ीि हो फ़कत उसी शहि क़े लोगों क़े मलय़े ज़रूिी है कक नमाज़़े आयात पढ़़े
औि दस
ू ि़े मकामात क़े लोगों क़े मलय़े उसका पढ़ना वाजर्जि नहीं है .
1504. र्जि सिू र्ज या चांद को ग्रहन लगऩे लग़े तो नमाज़़े आयात का वक़्त शरू
ू
लौट न आयें। अगिच़े ि़ेहति यह है कक इतनी ताखीि न कि़े क़े ग्रहन खत्म होऩे
लग़े। ल़ेककन नमाज़़े आयात क़ी तकमील सिू र्ज या चांद ग्रहन खत्म होऩे क़े िाद
भी कि सकत़े हैं।
1505. अगि कोई शख़्स नमाज़़े आयात पढ़ऩे में इतनी ताखीि कि द़े या चांद
ल़ेककन उसक़े मक
ु म्मल तौि पि ग्रहन स़े तनकल र्जाऩे क़े िाद नमाज़ पढ़़े तो किि
486
तक कक ग्रहन खत्म होऩे में एक िक् अत पढ़ऩे क़े ििािि या उसस़े कम वक़्त
िाक़ी हो।
1507. र्जि कभी ज़लज़ला, िादलों क़ी गिर्ज, बिर्जली क़ी कड़क, औि उसी र्जैसी
चीज़ें वक
ु ू पज़ीि हों तो अगि उनका वक़्त वसी हो तो नमाज़़े आयात को फ़ौिन
पढ़ना ज़रूिी नहीं है िसिू त़े दीगि ज़रूिी है कक फ़ौिन नमाज़़े आयात पढ़़े यानी
पढ़़े ।
1508. अगि ककसी शख़्स को चााँद या सिू र्ज को ग्रहन लगऩे का पता न चल़े
औि उनक़े ग्रहन स़े िाहि आऩे क़े िाद पता चल़े कक पिू ़े सिू र्ज या पिू ़े चांद को
ग्रहन लगा था तो ज़रूिी है कक नमाज़़े आयात क़ी कज़ा कि़े ल़ेककन अगि उस़े यह
पता चल़े कक कुछ हहस्स़े को ग्रहन लगा था तो नमाज़़े आयात क़ी कज़ा उस पि
वाजर्जि नहीं है ।
1509. अगि कुछ लोग यह कहें कक चााँद को या यह कहें कक सिू र्ज को ग्रहन
लगा है औि इंसान को ज़ाती तौि पि उनक़े कहऩे स़े यक़ीन या इत्मीनान हामसल
कहा था तो उस सिू त में र्जिकक पिू ़े चााँद को या पिू ़े सिू र्ज को ग्रहन लगा हो
नमाज़़े आयात पढ़़े ल़ेककन अगि कुछ हहस्स़े को ग्रहन लगा हो तो नमाज़़े आयात
487
का पढ़ना उस पि वाजर्जि नहीं है। औि यही हुक्म उस सिू त में है र्जिकक दो
आदमी जर्जनक़े आहदल होऩे क़े िाि़े में इल्म न हो यह कहें कक चााँद को या सिू र्ज
1510. अगि इंसान को माहहिीऩे फ़लक़ीयात क़े कहऩे पि र्जो इल्मी कायद़े क़ी
रू स़े सिू र्ज को औि चााँद को ग्रहन लगऩे का वक़्त र्जानत़े हों इत्मीनान हो र्जाए
इसी तिह अगि वह कहें कक सिू र्ज या चााँद को फ़लां वक़्त ग्रहन लग़ेगा औि इतनी
द़े ि तक िह़े गा औि इंसान को उनक़े कहऩे स़े इत्मीनान हामसल हो र्जाए तो उनक़े
1511. अगि ककसी शख़्स को इल्म हो र्जाए कक र्जो नमाज़़े आयात उसऩे पढ़ी है
1512. अगि यौममया नमाज़ क़े वक़्त नमाज़़े आयात भी इंसान पि वाजर्जि हो
र्जाए औि उसक़े पास दोनों क़े मलय़े वक़्त हो तो र्जो भी पहल़े पढ़ ल़े कोई हिर्ज
नहीं है औि अगि दोनों में स़े ककसी एक का वक़्त तंग हो तो पहल़े वह नमाज़ पढ़़े
नमाज़ पढ़़े ।
488
1513. अगि ककसी शख़्स को यौममया नमाज़ पढ़त़े हुए इल्म हो र्जाए कक
ज़रूिी है कक पहल़े यौममया नमाज़ को तमाम कि़े औि िाद में नमाज़़े आयात पढ़़े
औि अगि यौममया नमाज़ का वक़्त तंग न हो तो उस़े तोड़ द़े औि पहल़े नमाज़़े
1514. अगि ककसी शख़्स को नमाज़़े आयात पढ़त़े हुए इल्म हो र्जाए कक
क़े िाद इसस़े पहल़े क़ी कोई ऐसा काम कि़े र्जो नमाज़ को िाततल किता हो तो
िाक़ी मांदा नमाज़़े आयात वहीं स़े पढ़़े र्जहां स़े छोड़ी थी।
1515. र्जि औित हैज़ या तनफ़ास क़ी हालत में हो औि सिू र्ज या चांद को
औि न ही उसक़ी कज़ा है ।
489
नमाजे आयात पढ़ने का तिीका
1516. नमाज़़े आयात क़ी दो िक् अतें हैं औि हि िक् अत में पांच रूकू हैं। इस क़े
दफ़् आ अलहम्द औि एक पिू ा सिू ा पढ़़े औि रूकू में र्जाए औि किि रूकूउ स़े सि
उठाए औि किि दोिािा एक दफ़् आ अलहम्द औि एक सिू ा पढ़़े औि किि रूकू में
र्जाए। इस अमल को पांच दफ़् आ अंर्जाम द़े औि पांचवें रूकू स़े ककयाम क़ी हालत
में वापस आऩे क़े िाद दो सज्द़े िर्जा लाए औि किि उठ खड़ा हो औि पहली
तमाम कि़े ।
औि अलहम्द पढ़ऩे क़े िाद एक सिू ़े क़ी आयतों क़े पांच हहस्स़े कि़े औि एक
आयत या उसस़े कुछ ज़्यादा पढ़़े िजल्क एक आयत स़े कम भी पढ़ सकता है
रूकू में र्जाए औि किि खड़ा हो र्जाए औि अलहम्द पढ़़े िगैि उसी सिू ़े का दस
ू िा
हहस्सा पढ़़े औि रूकू में र्जाए इसी तिह इस अमल को दोहिाता िह़े हत्ता क़ी पांचवें
रूकू स़े पहल़े सिू ़े को खत्म कि द़े । मसलन सिू ा ए फ़लक में पहल़े
बिजस्मल्लाहहिक हमतनिक हीम कुल अऊज़ो ि़े िजबिल फ़लक़े पढ़़े औि रूकू में र्जाए उसक़े
िाद खड़ा हो औि पढ़़े , ममन शिे मा खलका किि रूकू में र्जाए औि किि खड़ा हो
490
औि पढ़़े ममन शिे गास़ेककन इज़ा वकिा औि दोिािा रूकू में र्जाए। उसक़े िाद खड़ा
हो औि पढ़़े , व ममन शरिक न नफ़्फ़ासात़े कफ़ल उकद़े औि रूकू में चला र्जाए औि
किि खड़ा हो र्जाए औि पढ़़े , व ममन शिे हामसहदन इज़ा हसद औि सक़े िाद पांचवें
रूकू में र्जाए औि (रूकू स़े) खड़ा होऩे क़े िाद दो सज्द़े कि़े औि दस
ू िी िक् अत भी
सलाम पढ़़े । औि यह भी र्जाइज़ है कक सिू ़े को पांच स़े कम हहस्सों में तकसीम कि़े
ल़ेककन जर्जस वक़्त भी सिू ा खत्म कि़े लाजज़मी है कक िाद वाल़े रूकू स़े पहल़े
अलहम्द पढ़़े ।
1518. अगि कोई शख़्स नमाज़़े आयात क़ी एक िक् अत में पांच दफ़् आ
िही हो तो अज़ान औि इकामत क़ी िर्जाय तीन दफ़् आ ितौि़े िर्जा, अस्सलाम कहा
र्जाए ल़ेककन अगि यह नमाज़ र्जमाअत क़े साथ न पढ़ी र्जा िही हो तो कुछ कहऩे
491
1520. नमाज़़े आयात पढ़ऩे वाल़े क़े मलय़े मस्
ु तहि है कक रूकू स़े पहल़े औि
उसक़े िाद तक्िीि कह़े औि पांचवें औि दसवें रूकू क़े िाद तक्िीि स़े पहल़े,
1521. दस
ू ि़े , चौथ़े, छठें , आठवें औि दसवें रूकू स़े पहल़े कुनत
ू पढ़ना मस्
ु तहि
है औि अगि कुनत
ू मसफ़क दसवें रूकू स़े पहल़े पढ़ मलया र्जाए ति भी काफ़़ी है ।
1522. अगि कोई शख़्स नमाज़़े आयात में शक कि़े कक ककतनी िक् अतें पढ़ी हैं
1523. अगि (कोई शख़्स र्जो नमाज़़े आयात पढ़ िहा हो) शक कि़े कक वह
नतीर्ज़े पि न पहुाँच सक़े तो उसक़ी नमाज़ िाततल है ल़ेककन अगि ममसाल क़े तौि
र्जाऩे स़े पहल़े हो तो जर्जस रूकू क़े िाि़े में उस़े शक हो कक िर्जा लाया है या नहीं
492
ईदे फफ़त्र औि ईदे कुबायन की नमाज
1525. इमाम़े अस्र (अ0) क़े ज़माना ए हुज़ूि में ईद़े कफ़त्र व ईद़े कुिाकन क़ी
नमाज़ें वाजर्जि हैं औि उनका र्जमाअत क़े साथ पढ़ना ज़रूिी है ल़ेककन हमाि़े ज़माऩे
में र्जि इमाम़े अस्र (अ0) गैित़े कुििा में हैं यह नमाज़ें मस्
ु तहि हैं औि िा
तक है ।
1527. ईद़े कुिाकन क़ी नमाज़ सिू र्ज चढ़ आऩे क़े िाद पढ़ना मस्
ु तहि है औि ईद़े
1528. ईद़े कफ़त्र व कुिाकन क़ी नमाज़ दो िक् अत है जर्जसक़ी पहली िक् अत में
अलहम्द औि सिू ा पढ़ऩे क़े िाद ि़ेहति यह है कक पााँच तक्िीि क़े िाद एक औि
कह़े औि रूकू में चला र्जाए औि किि दो सज्द़े िर्जा लाए औि उठ खड़ा हो औि
दस
ू िी िक् अत में चाि तक्िीिें कह़े औि हि दो तक्िीि क़े दिममयान कुनत
ू पढ़़े औि
चौथी तक्िीि क़े िाद एक औि तक्िीि कहकि रूकू में चला र्जाए औि रूकू क़े िाद
493
1529. ईद़े कफ़त्र व कुिाकन क़ी नमाज़ क़े कुनत
ू में र्जो दआ
ु औि जज़क्र भी पढ़ा
आल़े मोहम्महदन व अन तद
ु खखलनी फ़़ी कुल्ल़े खैरिन अद्खल्ता फ़़ीह़े मोहम्मदौं व
अला मोहम्मद व अन तख
ु रिर्जनी ममन कुल्ल़े सइ
ू न अखिर्जता ममन्हो मोहम्मदौं व
अस ्अलक
ु ा खैिा मा सअलका ि़ेही इिादक
ु स्साल़ेहून व अऊज़ो ि़ेका ममम्मस तआज़ा
ममन्हो इिादस
ु ल मख़्
ु ल़ेसन
ू
1530. इमाम़े अस्र (अ0) क़े ज़माना ए गैित में अगि नमाज़़े ईद़े कफ़त्र व ईद़े
कुिाकन र्जमाअत स़े पढ़ी र्जाए तो एहततयात़े लाजज़म यह है कक इसक़े िाद दो खुतूि़े
पढ़़े र्जायें औि ि़ेहति यह है कक ईद़े कफ़त्र क़े खुतूि़े में कफ़त्ऱे क़े अहकाम ियान हों
494
1531. ईद क़ी नमाज़ क़े मलय़े कोई सिू ा मख़्सस
ू नहीं है ल़ेककन ि़ेहति यह है
कक पहली िक् अत में (अलहम्द क़े िाद) सिू ा ए गामशया (88 वां सिू ा) पढ़ा र्जाए
में मस्
ु तहि है कक मजस्र्जदल
ु हिाम में पढ़ी र्जाए।
1533. मस्
ु तहि है कक नमाज़़े ईद क़े मलय़े पैदल औि पा ििहना औि िावकाि
1534. मस्
ु तहि है कक नमाज़़े ईद में ज़मीन पि सज्दा ककया र्जाए औि तक्िीिें
कहत़े वक़्त हाथों को िलन्द ककया र्जाए औि र्जो शख़्स नमाज़़े ईद पढ़ िहा हो
ख़्वाह वह इमाम़े र्जमाअत हो या फ़ुिादा नमाज़ पढ़ िहा हो नमाज़ िलन्द आवाज़
स़े पढ़़े ।
1535. मस्
ु तहि है कक ईद़े कफ़त्र क़ी िात को मचिि व इशा क़ी नमाज़ क़े िाद
औि ईद़े कफ़त्र क़े क़े हदन नमाज़़े सबु ह क़े िाद औि नमाज़़े ईद़े कफ़त्र क़े िाद यह
495
1536. ईद़े कुिाकन में दस नमाज़ों क़े िाद जर्जनमें स़े पहली नमाज़ें ईद क़े हदन
पढ़़े जर्जन में स़े पहली नमाज़ ईद क़े हदन नमाज़़े ज़ोहि औि आखिी त़ेिहवीं
चक
ु ा हो तो इमाम क़े रूकू में र्जाऩे क़े िाद ज़रूिी है कक जर्जतनी तक्िीिें औि कुनत
ू
उसऩे इमाम क़े साथ नहीं पढ़ी उन्हें पढ़़े औि अगि हि कुनत
ू में एक दफ़् आ
496
1540. अगि कोई शख़्स नमाज़़े ईद में उस वक़्त पहुंच़े र्जि इमाम रूकू में हो
तो वह नीयत कि क़े औि नमाज़ क़ी पहली तक्िीि कह कि रूकू में र्जा सकता है ।
नमाज़ क़े िाद उस़े िर्जा लाए। औि इसी तिह कोई ऐसा फ़़ेल नमाज़़े ईद में सज़कद
हो जर्जसक़े मलय़े यौममया नमाज़ में सज्दा ए सहव लाजज़म है तो नमाज़़े ईद पढ़ऩे
यानी वह नमाज़ें उस़े उर्जित द़े कि पढ़वाई र्जा सकती हैं औि अगि कोई शख़्स
(सल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम) या कुििू ़े अइम्मा (अ0) क़ी जज़याित क़े
कक मस्
ु तहि काम अंर्जाम द़े कि उस का सवाि मद
ु ाक या जज़न्दा अश्खास को हहदया
कि द़े ।
497
1544. र्जो शख़्स मैतयत क़ी कज़ा नमाज़ क़े मलय़े अर्जीि िऩे उसक़े मलय़े ज़रूिी
है कक या तो मज्
ु तहहद हो या नमाज़ तकलीद क़े मत
ु ाबिक सहीह तिीक़े पि अदा
र्जानता हो।
ज़रूिी नहीं कक मैतयत का नाम र्जानता हो िजल्क अगि नीयत कि़े कक मैं यह
नमाज़ उस शख़्स क़े मलय़े पढ़ िहा हूाँ जर्जस क़े मलय़े मैं अर्जीि हुआ हूाँ तो काफ़़ी है ।
1546. ज़रूिी है कक अर्जीि र्जो अमल िर्जा लाए उसक़े मलय़े नीयत कि़े कक र्जो
कुछ मैतयत क़े जज़म्म़े है वह िर्जा ला िहा हूाँ औि अगि अर्जीि कोई अमल अंर्जाम
1548. जर्जस शख़्स को मैतयत क़ी नमाज़ों क़े मलय़े अज़ीि िनाया र्जाए अगि
उसक़े िाि़े में पता चल़े कक वह अमल को िर्जा नहीं लाया या िाततल तौि पि िर्जा
1549. र्जि कोई शख़्स शक कि़े कक अर्जीि ऩे अमल अंर्जाम हदया है या नहीं
अगिच़े वह कह़े कक मैंऩे अंर्जाम द़े हदया है ल़ेककन उसक़ी िात पि इत्मीनान न हो
498
तो ज़रूिी है कक दोिािा अर्जीि मक
ु िक ि कि़े । औि अगि शक कि़े कक उस ऩे सहीह
नमाज़ पढ़ता हो उस़े एहततयात क़ी बिना पि मैतयत क़ी नमाज़ों क़े मलय़े अर्जीि
बिल्कुल मक
ु िक ि न ककया र्जाए अगिच़े मैतयत क़ी नमाज़ें भी इसी तिह कज़ा हुई
हों।
1551. मदक औित क़ी तिफ़ स़े अर्जीि िन सकता है औि औित मदक क़ी तिफ़
स़े अर्जीि िन सकती है औि र्जहााँ तक नमाज़ िलन्द आवाज़ स़े पढ़ऩे का सवाल है
1552. मैतयत क़ी कज़ा नमाज़ों में तितीि वाजर्जि नहीं है मसवाय उन नमाज़ों क़े
जर्जनक़ी अदा में तितीि है मसलन एक हदन क़ी नमाज़़े ज़ोहि व अस्र या मगरिि
स़े अंर्जाम द़े गा तो ज़रूिी है कक उस अमल को उसी तिीक़े स़े अंर्जाम द़े औि अगि
499
वज़ीफ़ा तस्िीहात़े अििआ तीन दफ़् आ पढ़ना था औि उसक़ी अपनी तक्लीफ़ एक
1554. अगि अर्जीि क़े साथ यह तय न ककया र्जाए कक नमाज़ क़े मस्
ु तहबिात
1555. अगि इंसान मैतयत क़ी कज़ा नमाज़ों क़े मलय़े कई अश्खास को अर्जीि
मक
ु िक ि कि़े तो र्जो कुछ मस ्अला न0 1552 में िताया गया है उसक़ी बिना पि
1556. अगि कोई शख़्स अर्जीि िऩे कक ममसाल क़े तौि पि एक साल में मैतयत
क़ी नमाज़ें पढ़ द़े गा औि साल खत्म होऩे स़े पहल़े मि र्जाए तो उन नमाज़ों क़े
मलय़े जर्जन क़े िाि़े में इल्म हो कक वह िर्जा नहीं लाया ककसी औि शख़्स को अर्जीि
मक
ु िक ि ककया र्जाए औि जर्जन नमाज़ों क़े िाि़े में एहततमाल हो कक वह उन्हें नहीं
र्जाए।
1557. जर्जस शख़्स को मैतयत क़ी कज़ा नमाज़ों क़े मलय़े अर्जीि मक
ु िक ि ककया हो
पढ़ऩे स़े पहल़े मि र्जाए तो अगि यह तय ककया गया हो कक सािी नमाज़ें वह खुद
500
या इर्जािा को फ़स्ख कि सकत़े हैं औि उसक़ी उर्जितुल ममस्ल द़े सकत़े हैं। औि
कक अर्जीि क़े विसा उस क़े माल में स़े िाक़ी मांदा नमाज़ों क़े मलय़े ककसी को
अर्जीि िनायें ल़ेककन अगि उसऩे कोई माल न छोड़ा हो तो उस क़े विसा पि कुछ
भी वाजर्जि नहीं है ।
1558. अगि अर्जीि मैतयत क़ी सि कज़ा नमाज़ें पढ़ऩे स़े पहल़े मि र्जाए औि
उसक़े अपऩे जज़म्में भी कज़ा नमाज़ें हों तो मस ्अला ए साबिका में र्जो तिीका
िच़े औि इस सिू त में र्जिकक उसऩे वसीयत क़ी हो औि उसक़े विसा भी इर्जाज़त
विसा इर्जाज़त न दें तो माल का तीसिा हहस्सा उसक़ी नमाज़ों पि सफ़क ककया र्जा
सकता है।
501
िोजे के अहकाम
अज़ाऩे सबु ह स़े मचिि तक नौ चीज़ों स़े र्जो िाद में ियान क़ी र्जायेंगी पिह़े ज़ कि़े ।
ऩीयत
1559. इंसान क़े मलए िोज़़े क़ी नीयत हदल स़े गज़
ु ािना या मसलन यह कहना
अल्लाह तआला क़ी रिज़ा क़े मलय़े अज़ाऩे सबु ह स़े मचिि तक कोई भी ऐसा काम
नहीं कि़े गा जर्जसस़े िोज़ा िाततल होता हो औि यह यक़ीन हामसल किऩे क़े मलय़े
इस तमाम वक़्त में वह िोज़़े स़े िहा है ज़रूिी है कक कुछ द़े ि अज़ाऩे सबु ह स़े पहल़े
औि कुछ द़े ि मचिि क़े िाद भी ऐस़े काम किऩे स़े पिह़े ज़ न कि़े जर्जन स़े िोज़ा
1561. वह शख़्स जर्जसका िोज़ा िखना का इिादा हो उसक़े मलय़े माह़े िमज़ान में
िोज़़े क़ी नीयत का आखखिी वक़्त अज़ाऩे सबु ह स़े पहल़े है । यानी अज़ाऩे सबु ह स़े
502
पहल़े िोज़़े क़ी नीयत ज़रूिी है अगिच़े नीन्द या ऐसी ही ककसी वर्जह स़े अपऩे
1562. जर्जस शख़्स न ऐसा कोई काम न ककया हो र्जो िोज़़े को िाततल कि़े तो
र्जाए अगि वह ज़ोहि स़े पहल़े ि़ेदाि हो र्जाए औि िोज़़े क़ी नीयत कि़े तो उसका
िोज़ा सहीह है औि अगि वह ज़ोहि क़े िाद ि़ेदाि हो तो एहततयात क़ी बिना पि
ज़रूिी है कक कुिकत़े मत
ु लका क़ी नीयत न कि़े औि उस हदन क़े िोज़़े क़ी कज़ा भी
िर्जा लाए।
दस
ू ि़े िोज़़े क़ी नीयत कि़े ति भी वह िोज़ा माह़े िमज़ान का िोज़ा शम
ु ाि होगा।
503
1565. अगि कोई शख़्स यह र्जानता हो कक िमज़ान का महीना है औि र्जानिझ
ू
िमज़ान का िोज़ा भी शम
ु ाि नहीं होगा अगि वह नीयत कस्द़े कुिकत क़े मनाफ़़ी हो
का िोज़ा शम
ु ाि नहीं होगा।
1567. अगि कोई शख़्स अज़ाऩे सबु ह स़े पहल़े िोज़़े क़ी नीयत किऩे क़े िाद
ि़ेहोश हो र्जाए औि किि उस़े हदन में ककसी वक़्त होश आ र्जाए तो एहततयात़े
1568. अगि कोई शख़्स अज़ाऩे सबु ह स़े पहल़े िोज़़े क़ी नीयत कि़े औि किि
ि़ेहोश हो र्जाए औि किि उस़े हदन में ककसी वक़्त होश आ र्जाए तो एहततयात़े
1569. अगि कोई शख़्स अज़ाऩे सबु ह स़े पहल़े िोज़़े क़ी नीयत कि़े औि सो र्जाए
504
1570. अगि ककसी शख़्स को इल्म न हो या भल
ू र्जाए कक माह़े िमज़ान है औि
कि चक
ु ा हो र्जो िोज़़े को िाततल किता है तो उसका िोज़ा िाततल होगा ल़ेककन यह
ज़रूिी है कक मचिि तक कोई ऐसा काम न कि़े र्जो िोज़़े को िाततल किता हो औि
माह़े िमज़ान क़े िाद िोज़़े क़ी कज़ा भी कि़े । औि अगि ज़ोहि क़े िाद मत
ु वज्र्जह
िोज़ा सहीह है ।
1571. अगि माह़े िमज़ान में िच्चा अज़ाऩे सबु ह स़े पहल़े िामलग हो र्जाए तो
ज़रूिी है कक िोज़ा िख़े औि अगि अज़ाऩे सबु ह क़े िाद िामलग हो तो उस हदन का
मलया हो तो इस सिू त में एहततयात क़ी बिना पि उस हदन क़े िोज़़े को पिू ा किना
ज़रूिी है।
1572. र्जो शख़्स मैतयत क़े िोज़़े िखऩे क़े मलय़े अर्जीि िना हो या उसक़े जज़म्म़े
भल
ू कि मस्
ु तहि िोज़ा िख ल़े तो इस सिू त में अगि ज़ोहि स़े पहल़े याद आ र्जाए
505
क़ी बिना पि उसका िोज़ा िाततल है औि अगि उस़े मचिि क़े िाद याद आए तो
औि र्जान िझ
ू कि अज़ाऩे सबु ह स़े पहल़े नीयत न कि़े तो उसका िोज़ा िाततल है
र्जाए औि ज़ोहि स़े पहल़े उस़े याद आए तो अगि उसऩे कोई ऐसा काम न ककया
हो र्जो िोज़़े को िाततल किता हो औि िोज़़े क़ी नीयत कि ल़े तो उसका िोज़ा सहीह
है औि अगि ज़ोहि क़े िाद उस़े याद आए तो माह़े िमज़ान क़े िोज़़े में जर्जस
एहततयात का जज़क्र ककया गया है उसका ख़्याल िख़े। 1574. अगि कोई शख़्स
ककसी गैि मअ
ु य्यन वाजर्जि िोज़़े क़े मलय़े मसलन िोज़ा ए कफ़्फ़ािा क़े मलय़े ज़ोहि
क़े नज़दीक तक अमदन नीयत न कि़े तो कोई हिर्ज नहीं िजल्क अगि नीयत स़े
पहल़े मस
ु म्मम इिादा िखता हो कक िोज़ा नहीं िख़ेगा या मज़
ु बज़ि हो कक िोज़ा िख़े
या न िख़े तो अगि उसऩे कोई ऐसा काम न ककया हो र्जो िोज़़े को िाततल किता
हो औि ज़ोहि स़े पहल़े िोज़़े क़ी नीयत कि ल़े तो उसका िोज़ा सहीह है।
1575. अगि कोई काकफ़ि माह़े िमज़ान में ज़ोहि स़े पहल़े मस
ु लमान हो र्जाए
औि अज़ाऩे सबु ह स़े उस वक़्त तक कोई ऐसा काम न ककया हो र्जो िोज़़े को
िाततल किता हो तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि ज़रूिी है कक िोज़़े क़ी नीयत
506
कि़े औि िोज़़े को तमाम कि़े औि अगि हदन का िोज़ा न िख़े तो उसक़ी कज़ा
िर्जा लाए।
1576. अगि कोई िीमाि शख़्स माह़े िमज़ान क़े ककसी हदन में ज़ोहि स़े पहल़े
तन्दरु
ु स्त हो र्जाए औि उसऩे उस वक़्त तक कोई ऐसा काम न ककया हो र्जो िोज़़े
1577. जर्जस हदन क़े िाि़े में इंसान को शक हो कक शािान क़ी आखखिी तािीख
िमज़ान नहीं है तो कज़ा िोज़ा या उसी र्जैसा कोई औि िोज़ा है िईद नहीं क़ी
उसका िोज़ा सहीह हो ल़ेककन ि़ेहति यह है कक कज़ा िोज़़े वगैिा क़ी नीयत कि़े
ल़ेककन अगि नीयत सीफ़क िोज़़े क़ी कि़े औि िाद में मालम
ू हो कक िमज़ान था ति
भी काफ़़ी है।
1578. अगि ककसी हदन क़े िाि़े में इंसान को शक हो कक शािान क़ी आखखिी
तािीख है या िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़ी पहली तािीख तो वह कज़ा या मस्
ु तहि या ऐस़े
507
ककसी औि िोज़़े क़ी नीयत कि क़े िोज़ा िख ल़े औि हदन में ककसी वक़्त उस़े पता
चल़े कक माह़े िमज़ान है तो ज़रूिी है कक माह़े िमज़ान क़े िोज़़े क़ी नीयत कि ल़े।
िोज़़े को िाततल किऩे का कस्द कि़े तो ख़्वाह उसऩे र्जो कस्द ककया हो उस़े तकक
कि द़े औि कोई ऐसा काम भी न कि़े जर्जस में िोज़ा िाततल होता हो उसका िोज़ा
अगि वह कोई ऐसा काम न कि़े औि वाजर्जि िोज़़े में ज़ोहि स़े पहल़े औि मस्
ु तहि
1. खाना औि पीना।
2. जर्जमाअ किना।
508
3. इस्त़ेम्ना- यानी इंसान अपऩे साथ या ककसी दस
ू ि़े क़े साथ जर्जमाअ क़े
अलावा ऐसा फ़़ेल कि़े जर्जसक़े नतीर्ज़े में मनी खारिर्ज हो।
4. खद
ु ा ए तआला पैगम्िि़े अकिम (सल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम)
5. गि
ु ाि हल्क तक पहुाँचाना।
9. कै किना।
1.खाना औि प़ीना
509
ममसवाक माँह
ु स़े तनकाल़े औि दोिािा माँह
ु में ल़े र्जाए औि उसक़ी तिी तनगल ल़े
सक़े।
कि वह लक
ु मा तनगल ल़े तो उसका िोज़ा िाततल है । औि उस हुक्म क़े मत
ु ाबिक
1584. अगि िोज़ादाि गलती स़े कोई चीज़ खा ल़े या पी ल़े तो उसका िोज़ा
1585. र्जो इंर्ज़ेक्शन उज़्व को ि़ेहहस कि द़े त़े हैं या ककसी औि मकसद क़े मलय़े
इस्त़ेमाल होत़े हैं अगि िोज़ादाि उन्हें इस्त़ेमाल कि़े तो कोई हिर्ज नहीं ल़ेककन
ि़ेहति यह है कक उन इंर्ज़ेक्शनों स़े पिह़े ज़ ककया र्जाए र्जो दवा औि चगज़ा क़े
1586. अगि िोज़ादाि दांतों क़ी ि़े खों में िाँसी हुई कोई चीज़ अमदन तनगल ल़े
1587. र्जो शख़्स िोज़ा िखना चाहता हो उसक़े मलय़े अज़ाऩे सबु ह स़े पहल़े दांतों
में खखलाल किना ज़रूिी नहीं है । ल़ेककन अगि उस़े इल्म हो कक र्जो चगज़ा दांतों क़े
510
ि़े खों में िह गई है वह हदन क़े वक़्त प़ेट में चली र्जाय़ेगी तो खखलाल किना ज़रूिी
है ।
1588. मंह
ु का पानी नीगलऩे स़े िोज़ा िाततल नहीं होता ख़्वाह तश
ु ़ी वगैिा क़े
पहुंच़े उस़े तनगलऩे में कोई हिर्ज नहीं ल़ेककन अगि मंह
ु में आ र्जाए तो एहततयात़े
वाजर्जि है कक उस़े थक
ू द़े ।
1590. अगि िोज़ादाि को इतनी प्यास लग़े कक उस़े प्यास स़े मि र्जाऩे का
खत्म हो र्जाए ल़ेककन उसका िोज़ा िाततल हो र्जाय़ेगा औि अगि माह़े िमज़ान हो
हदन क़े िाक़ी हहस्स़े में वह काम किऩे स़े पिह़े ज़ कि़े जर्जसस़े िोज़ा िाततल हो
र्जाता है ।
चखना औि इसी तिह क़े काम किना जर्जस में चगज़ा उमम
ू न हल्क तक नहीं
पहुंचती ख़्वाह वह इवत्तफ़ाकन हल्क तक पहुंच र्जाए तो िोज़़े को िाततल नहीं किती,
511
उसका िोज़ा िाततल हो र्जाता है औि ज़रूिी है कक उसक़ी कज़ा िर्जा लाए औि
कफ़्फ़ािा भी उस पि वाजर्जि है ।
2.जजमाअ (सम्भोग)
वह सप
ु ािी क़ी ममक़्दाि स़े कमति ममक़्दाि दाखखल कि़े तो अगि यह कहा र्जाए कक
1595. अगि कोई शख़्स अमदन जर्जमाअ का इिादा कि़े औि किि शक कि़े कक
सप
ु ािी क़े ििािि दख
ु ल
ू हुआ था या नहीं तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि उसका
िोज़ा िाततल है औि ज़रूिी है कक उस िोज़़े क़ी कज़ा िर्जा लाए ल़ेककन कफ़्फ़ािा
वाजर्जि नहीं है ।
512
1596. अगि कोई शख़्स भल
ू र्जाए कक िोज़़े स़े है औि जर्जमाअ कि़े या उस़े
उसका िोज़ा िाततल नहीं होगा अलित्ता अगि जर्जमाअ क़ी हालत में उस़े याद आ
र्जाए कक िोज़़े स़े है या मर्जििू ी खत्म हो र्जाए तो ज़रूिी है कक फ़ौिन तकक कि़े औि
3.इस्तेम्ना (हस्तमैथुन)
1597. अगि िोज़ादाि इस्त़ेम्ना कि़े (इस्त़ेमना क़े मअनी मस ्अला 1581 में
िताए र्जा चक
ु ़े हैं) तो उसका िोज़ा िाततल हो र्जाता है।
1598. अगि ि़े इजख़्तयािी क़ी हालत में ककसी क़ी मनी खारिर्ज हो र्जाए तो
एहततलाम हो र्जाय़ेगा यानी सोत़े में उसक़ी मनी खारिर्ज हो र्जाय़ेगी ति भी उसक़े
मलय़े सोना र्जाइज़ है ख़्वाह न सोऩे क़ी वर्जह स़े उस़े कोई तक्लीफ़ न भी हो औि
1600. अगि िोज़ादाि मनी खारिर्ज होत़े वक़्त नीन्द स़े ि़ेदाि हो र्जाए तो उस
513
1601. जर्जस िोज़ादाि को एहततलाम हो गया हो तो वह प़ेशाि कि सकता है
ख़्वाह उस़े यह इल्म हो कक प़ेशाि किऩे स़े िाक़ी मांदा मनी नाली स़े िाहि आ
र्जाय़ेगी।
गई है औि वह गस्
ु ल स़े पहल़े प़ेशाि नहीं कि़े गा तो गस्
ु ल क़े िाद मनी उस क़े
प़ेशाि कि़े ।
1603. र्जो शख़्स मनी तनकालऩे क़े इिाद़े स़े छ़े ड़छाड़ औि हदललगी कि़े तो
1604. अगि िोज़ादाि मनी तनकालऩे क़े इिाद़े क़े िगैि ममसाल क़े तौि पि
अपनी िीवी स़े छ़े ड़छाड़ औि हाँ सी मज़ाक कि़े औि उस़े इत्मीनान हो कक मनी
खारिर्ज नहीं होगी तो अगिच़े इवत्तफ़ाकन मनी खारिर्ज हो र्जाए उसका िोज़ा सहीह
है । अलित्ता अगि उस़े इत्मीनान न हो तो उस सिू त में र्जि मनी खारिर्ज होगी तो
514
4. ख़द
ु ा औि िसल
़ू (स0) पि बोह्तान बााँधना
1605. अगि िोज़ादाि ज़िान स़े या मलख कि या इशाि़े स़े या ककसी औि तिीक़े
आपक़े (िि हक) र्जा नशीनों में स़े ककसी स़े र्जानिझ
ू कि कोई झठ
ू िात मंसि
ू
मस
ु ल
क ीन (अ0 स0) औि उन क़े र्जा नशीनों स़े भी कोई झठ
ू िात मंसि
ू किऩे का
यही हुक्म है ।
1606. अगि (िोज़ादाि) कोई ऐसी रिवायत नक़्ल किना चाह़े जर्जसक़े कतई होऩे
1607. अगि ककसी रिवायत क़े िाि़े में एततकाद िखता हो कक वह वाकई कौल़े
खद
ु ा या कौल़े पैगम्िि स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम है औि उस़े
मंसि
ू कि़े औि िाद में मालम
ू हो कक यह तनस्ित सही नहीं थी तो उसका िोज़ा
515
1608. अगि िोज़ादाि ककसी चीज़ क़े िाि़े में यह र्जानत़े हुए कक झठ
ू है उस़े
मंसि
ू कि़े औि िाद में उस़े पता चल़े कक र्जो कुछ उसऩे कहा था वह दरु
ु स्त था तो
एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक िोज़़े को तमाम कि़े औि उसक़ी कज़ा
भी िर्जा लाए।
दस
ू ि़े ऩे गढ़ा हो र्जानिझ
ू कि अल्लाह तआला या िसल
ू ़े अकिम स्वल्लल्लाहो अलैह़े
लाजज़म क़ी बिना पि उसका िोज़ा िाततल हो र्जाय़ेगा ल़ेककन अगि जर्जसऩे झठ
ू गढ़ा
र्जवाि नहीं द़े ना चाहहय़े वहााँ इस्िात में द़े औि र्जहााँ इस्िात में द़े ना चाहहय़े वहााँ
अमदन नहीं में द़े तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि उसका िोज़ा िाततल हो
र्जाता है ।
कहा है या िात को झठ
ू िात उनस़े मंसि
ू कि़े औि दस
ू ि़े हदन र्जिकक िोज़ा िखा
516
हुआ हो कह़े कक र्जो कुछ मैंऩे गज़
ु श्ता िात कहा था वह दरु
ु स्त है तो उसका िोज़ा
िाततल हो र्जाता है ल़ेककन अगि वह रिवायत क़े (सहीह या गलत होऩे क़े) िाि़े में
5. गब
ु ाि को हल्क तक पहुंचाना
ममट्टी।
र्जाता है ।
पहुंच र्जाए तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि उसका िोज़ा िाततल हो र्जाता है ।
भी हल्क तक न पहुंचाए।
517
उसका िोज़ा सहीह है ल़ेककन उस़े गुमान था कक यह हल्क तक नहीं पहुंचेंगी तो
इजख़्तयाि गि
ु ाि वगैिा उसक़े हल्क तक पहुंच र्जाए तो उसका िोज़ा िाततल नहीं
होता।
िाक़ी िदन पानी स़े िाहि िह़े मश्हूि कौल क़ी बिना पि उसका िोज़ा िाततल हो
र्जाता है ल़ेककन िईद नहीं कक ऐसा किना िोज़़े को िाततल न कि़े । अगिच़े ऐसा
किऩे में शदीद किाहत है औि मजु म्कन हो तो उसस़े एहततयात किना ि़ेहति है ।
को दस
ू िी दफ़् आ पानी में डुिोए तो उसका िोज़ा सहीह होऩे में कोई इश्काल नहीं
है ।
1620. अगि सािा सि पानी में डूि र्जाए तो ख़्वाह कुछ िाल पानी स़े िाहि भी
518
1621. पानी क़े अलावा दस
ू िी सैयाल चीज़ों मसलन दध
ू में सि डुिोऩे स़े िोज़़े
है ।
1622. अगि िोज़ादाि ि़ेइजख़्तयाि पानी में चगि र्जाए औि उसका पिू ा सि पानी
1623. अगि कोई िोज़ादाि यह ख़्याल कित़े हुए अपऩे आप को पानी में चगिा
द़े कक उसका सि पानी में नहीं डूि़ेगा ल़ेककन उसका पिू ा सि पानी में डूि र्जाए तो
अगि पानी में डुि़े हुए उस़े याद आए कक िोज़़े स़े है तो ि़ेहति यह है कक िोज़ादाि
फ़ौिन अपना सि पानी स़े िाहि तनकाल़े औि अगि न तनकाल़े तो उसका िोज़ा
1625. अगि कोई शख़्स िोज़ादाि क़े सि को ज़ििदस्ती पानी में डुिो द़े तो
उसक़े िोज़़े में कोई इश्काल नहीं है ल़ेककन र्जिकक अभी वह पानी में है दस
ू िा शख़्स
अपना हाथ हटा ल़े तो ि़ेहति यह है कक फ़ौिन अपना सि पानी स़े िाहि तनकाल
ल़े।
519
1626. अगि िोज़ादाि गस्
ु ल क़ी नीयत स़े सि पानी में डुिो द़े तो उसका िोज़ा
औि गस्
ु ल दोनों सहीह हैं।
1627. अगि कोई िोज़ादाि ककसी को डूिऩे स़े िचाऩे क़ी खातति सि को पानी
मस्
ु तहि यह है कक िोज़़े क़ी कज़ा िर्जा लाए।
तक गस्
ु ल न कि़े तो उसका िोज़ा िाततल है औि जर्जस शख़्स का वर्जीफ़ा तयम्मम
ु
हो औि वह र्जानिझ
ू कि तयम्मम
ु न कि़े तो उसका िोज़ा भी िाततल है औि माह़े
उन वाजर्जि िोर्जों में जर्जनका वक़्त माह़े िमर्जान क़ी िोज़ों क़ी तिह मअ
ु य्यन है
र्जानिझ
ू कि अज़ाऩे सबु ह तक गस्
ु ल न कि़े तो अज़हि यह है कक उसका िोज़ा
सहीह है।
520
कक तयम्मम
ु कि़े औि िोज़ा िख़े औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक उसक़ी कज़ा
भी िर्जा लाए।
क़े िाद उस़े याद आए तो ज़रूिी है कक उस हदन का िोज़ा कज़ा कि़े औि अगि
चन्द हदनों क़े िाद याद आए तो उतऩे हदनों क़े िोर्जों क़ी कज़ा कि़े जर्जतऩे हदनों क़े
कज़ा कि़े ।
1633. अगि िोज़ादाि यह र्जानऩे क़े मलय़े र्जुस्तर्जू कि़े कक उसक़े पास वक़्त है
कक नहीं औि गम
ु ान कि़े कक उसक़े पास गस्
ु ल क़े मलय़े वक़्त है औि अपऩे आप
को र्जन
ु ि
ु कि ल़े औि िाद में उस़े पता चल़े कक वक़्त तंग था औि तयम्मम
ु कि
521
औि अगि वह गस्
ु ल किऩे स़े पहल़े अपनी मिज़ी स़े सो र्जाए औि सबु ह तक ि़ेदाि
वाजर्जि यह है कक अगि वह ि़ेदाि होऩे क़े िाि़े में मत्ु मइन हो तो गस्
ु ल स़े पहल़े न
1636. अगि कोई शख़्स माह़े िमज़ान क़ी ककसी िात में र्जुनि
ु हो औि यक़ीन
िखता हो कक अगि सो गया तो सबु ह क़ी अज़ान स़े पहल़े ि़ेदाि हो र्जाय़ेगा औि
उसका मस
ु म्मम इिादा हो कक ि़ेदाि होऩे क़े िाद गस्
ु ल कि़े गा औि इस इिाद़े क़े
साथ सो र्जाए औि अज़ान तक सोता िह़े तो उसका िोज़ा सहीह है । औि अगि कोई
शख़्स सबु ह क़ी अज़ान स़े पहल़े ि़ेदाि होऩे क़े िाि़े में मत्ु मइन हो तो उस क़े मलए
भी यही हुक्म है ।
1637. अगि कोई शख़्स माह़े िमज़ान क़ी ककसी िात में र्जन
ु ि
ु हो औि उस़े
इल्म हो या एहततमाल हो कक अगि सो गया तो सबु ह क़ी अज़ान स़े पहल़े ि़ेदाि
सोया िह़े एहततयात क़ी बिना पि उस पि कज़ा वाजर्जि हो र्जाती है। 1638. अगि
522
एहततमाल इस िात का हो कक अगि वह सो गया तो सबु ह क़ी अज़ान स़े पहल़े
औि कफ़्फ़ािा उस क़े मलय़े लाजज़म हैं। औि इसी तिह अगि ि़ेदाि होऩे क़े िाद उस़े
तिद्दद
ु हो कक गस्
ु ल कि़े या न कि़े तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि यही हुक्म
नीन्द स़े ि़ेदाि हो र्जाय़े औि तीसिी दफ़् आ सो र्जाए औि सबु ह क़ी अज़ान तक
मस्
ु तहि क़ी बिना पि कफ़्फ़ािा भी द़े ।
नीन्द स़े मिु ाद वह नीन्द है कक इंसान (एहततलाम स़े) र्जागऩे क़े िाद सोए ल़ेककन
गस्
ु ल किना वाजर्जि नहीं।
523
1642. अगि कोई शख़्स माह़े िमज़ान में सबु ह क़ी अज़ान क़े िाद र्जाग़े औि
सबु ह क़ी अज़ान क़े िाद ि़ेदाि हो औि द़े ख़े कक उस़े एहततलाम हो गया है औि
र्जानता हो कक यह एहततलाम उस़े सबु ह क़ी अज़ान स़े पहल़े हुआ है तो अक़्वा क़ी
बिना पि उस हदन माह़े िमज़ान क़े िोज़़े क़ी कज़ा क़ी नीयत स़े िोज़ा िख सकता
है ।
1645. अगि माह़े िमज़ान क़े कज़ा िोज़ों क़े अलावा ऐस़े वाजर्जि िोज़ों में कक
जर्जनका वक़्त मअ
ु य्यन नहीं है मसलन कफ़्फ़ाि़े क़े िोज़़े में कोई शख़्स अमदन
1646. अगि िमज़ान क़े िोर्जों में औित सबु ह क़ी अज़ान स़े पहल़े है ज़ या
524
– अगिच़े उसक़े इजख़्तयाि में हो औि िमज़ान का िोज़ा हो – तयम्मम
ु न कि़े तो
उसका िोज़ा िाततल है औि एहततयात क़ी बिना पि माह़े िमज़ान क़े कज़ा िोज़़े का
भी यही हुक्म है (यानी उसका िोज़ा िाततल है ) औि इन दो क़े अलावा दीगि सिू तों
पहल़े तयम्मम
ु न कि़े तो उसका िोज़ा िाततल है ।
1647. अगि कोई औित माह़े िमज़ान में सबु ह क़ी अज़ान स़े पहल़े है ज़ या
कि़े औि सबु ह क़ी अज़ान तक ि़ेदाि िहना ज़रूिी नहीं है । जर्जस र्जुनि
ु शख़्स का
वज़ीफ़ा तयम्मम
ु हो उसक़े मलय़े भी यही हुक्म है ।
1649. अगि कोई औित सबु ह क़ी अज़ान क़े िाद है ज़ या तनफ़ास क़े खून स़े
पाक हो र्जाए या हदन में उस़े हैज़ या तनफ़ास का खून आ र्जाए तो अगिच़े यह
525
1650. अगि औित है ज़ का तनफ़ास का गस्
ु ल किना भल
ू र्जाए औि उस़े एक
हदन या कई हदन क़े िाद याद आए तो र्जो िोज़़े उसऩे िख़े हों सहीह हैं।
तक गस्
ु ल न कि़े औि वक़्त तंग होऩे क़ी सिू त में तयम्मम
ु भी न कि़े तो उसका
हम्माम मय
ु स्सि आ र्जाए ख़्वाह उस मद्
ु दत में तीन दफ़् आ सोए औि सबु ह क़ी
अज़ान तक गस्
ु ल न कि़े औि तयम्मम
ु किऩे में भी कोताही न कि़े तो उसका
िोज़ा सहीह है ।
1652. र्जो औित इजस्तहाज़ा ए कसीिा क़ी हालत में हो अगि वह अपऩे गस्
ु लों
को उस तफ़्सील क़े साथ न िर्जा लाए जर्जसका जज़क्र मस ्अला 402 में ककया गया
गस्
ु ल न भी कि़े , उसका िोज़ा सहीह है ।
1653. जर्जस शख़्स ऩे मैतयत को मस ककया हो यानी अपऩे िदन का कोई
है अगि िोज़़े क़ी हालत में भी मैतयत को मस कि़े तो उसका िोज़ा िाततल नहीं
होता।
526
8. हुक़्ना लेना
1654. सैयाल चीज़ स़े हुक़्ना (एतनमा) अगिच़े ि अमि़े मर्जििू ी औि इलार्ज क़ी
9. उल्टी किना
क़ी वर्जह स़े ऐसा किऩे पि मर्जििू हो उसका िोज़ा िाततल हो र्जाता है ल़ेककन
1656. अगि कोई शख़्स िात को ऐसी चीज़ खा ल़े जर्जसक़े िाि़े में मालम
ू हो कक
उस क़े खाऩे क़ी वर्जह स़े हदन में ि़े इजख़्तयाि कै आय़ेगी तो एहततयात़े मस्
ु तहि
1657. अगि िोज़ादाि कै िोक सकता हो औि ऐसा किना उसक़े मलय़े मजु ज़ि
हो कक उसक़े नीच़े ल़े र्जाऩे को तनगलना न कहा र्जाए तो ज़रूिी नहीं कक उस़े िाहि
तनकाला र्जाए औि उसका िोज़ा सहीह है ल़ेककन अगि मक्खी काफ़़ी हद तक अन्दि
527
मगि यह कक कै किऩे में िोज़ादाि को ज़िि औि तक्लीफ़ न हो औि अगि वह कै
1659. अगि िोज़ादाि सहवन कोई चीज़ तनगल ल़े औि उसक़े प़ेट में पहुंचऩे स़े
पहल़े उस़े याद आ र्जाए कक िोज़़े स़े है तो उस चीज़ का तनकालना लाजज़मी नहीं
1660. अगि ककसी िोज़ादाि को यक़ीन हो कक डकाि ल़ेऩे क़ी वर्जह स़े कोई
चीज़ उसक़े हल्क स़े िाहि आ र्जाय़ेगी तो एहततयात क़ी बिना पि उस़े र्जानिझ
ू कि
डकाि नहीं ल़ेनी चाहहए ल़ेककन उस़े यक़ीन न हो तो कोई हिर्ज नहीं।
1661. अगि िोज़ादाि डकाि ल़े औि कोई चीज़ उसक़े हल्क या मंह
ु में आ र्जाए
तो ज़रूिी है कक उस़े उगल द़े औि अगि वह चीज़ ि़ेइजख़्तयाि प़ेट में चली र्जाए तो
र्जो िोज़़े को िाततल किता हो तो उसका िोज़ा िाततल हो र्जाता है औि अगि कोई
औि उस तफ़्सील क़े मत
ु ाबिक र्जो मस ्अला 1639 में ियान क़ी गई है सबु ह क़ी
अज़ान तक गस्
ु ल न कि़े तो उसका िोज़ा िाततल है । चन
ु ांच़े अगि इंसान न र्जानता
528
हो कक र्जो िातें िताई गई हैं उनमें स़े िाज़ िोज़़े को िाततल किती हैं यानी र्जाहहल
उन अफ़् आल में स़े ककसी फ़़ेल को अंर्जाम द़े तो उसका िोज़ा िाततल नहीं होगा।
1663. अगि िोज़ादाि सहवन कोई ऐसा काम कि़े र्जो िोज़़े को िाततल किता हो
औि इस गुमान स़े कक उसका िोज़ा िाततल हो गया है दोिािा अमदन कोई ऐसा ही
1664. अगि कोई चीज़ ज़ििदस्ती िोज़ादाि क़े हल्क में उं ड़ेल दी र्जाए तो उसका
िोज़ा िाततल नहीं होता ल़ेककन अगि उस़े मज्ििू ककया र्जाए मसलन उस़े कहा र्जाए
औि वह नक़्
ु सान स़े िचऩे क़े मलय़े अपऩे आप कुछ खा ल़े तो उसका िोज़ा िाततल
हो र्जाय़ेगा
1665. िोज़ादाि को ऐसी र्जगह नहीं र्जाना चाहहय़े जर्जसक़े िाि़े में वह र्जानता हो
कक लोग कोई चीज़ उसक़े हल्क में डाल दें ग़े या उस़े िोज़ा तोड़ऩे पि मज्ििू किें ग़े
औि अगि ऐसी र्जगह र्जाए या ि अम्ऱे मज्ििू ी वह खुद कोई ऐसा काम कि़े र्जो
िोज़़े को िाततल किता हो तो उसका िोज़ा िाततल हो र्जाता है औि अगि कोई चीज़
उसक़े हल्क में उं ड़ेल दें तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि यही हुक्म है ।
529
वह च़ीजें जो िोजादाि के ललये मकरूह हैं
1666. िोज़ादाि क़े मलय़े कुछ चीज़ें मकरूह हैं औि उनमें स़े िाज़ यह हैः-
पहुाँच।़े
हम्माम र्जाना।
4. खश्ु िद
ू ाि र्ास (औि र्जड़ी िहू टयााँ) संर्
ू ना।
6. शय्याफ़ इस्त़ेमाल किना यानी ककसी खुश्क चीज़ स़े एतनमा ल़ेना।
तनकल़े।
औि यह भी मकरूह है मनी तनकालऩे क़े कस्द क़े िगैि इंसान अपनी िीवी का
िोसा ल़े या शहवत अंग़ेज़ काम कि़े औि अगि ऐसा किना मनी तनकालऩे क़े कस्द
530
स़े हो औि मनी न तनकल़े तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि िोज़ा िाततल हो
र्जाता है ।
1667. अगि कोई शख़्स माह़े िमज़ान क़े िोज़़े को खाऩे, पीऩे या हम बिस्तिी
या इजस्तमना या र्जनाित पि िाक़ी िहऩे क़ी वर्जह स़े िाततल कि़े र्जिकक र्जब्र औि
1668. जर्जन उमिू का जज़क्र ककया गया है अगि उन में स़े ककसी फ़़ेल को
िोजे का कफ़्फ़ािा
1669. माह़े िमज़ान का िोज़ा तोड़ऩे क़े कफ़्फ़ाि़े क़े तौि पि ज़रूिी है कक इंसान
एक गल
ु ाम आज़ाद कि़े या उन अहकाम क़े मत
ु ाबिक र्जो आइन्दा मस ्अल़े में
ियान ककय़े र्जायेंग़े दो महीऩे िोज़़े िख़े या साठ फ़क़ीिों को प़ेट भि कि खाना
खखलाए या हि फ़क़ीि को एक मद
ु तक़्ऱीिन 3/4 ककलो तआम यानी गंदम
ु या र्जौ
531
या िोटी वगैिा द़े औि अगि यह अफ़् आल अंर्जाम द़े ना उसक़े मलय़े मजु म्कन न हो
इजस्तगफ़ाि कि़े औि एहततयात़े वाजर्जि यह है कक जर्जस वक़्त (कफ़्फ़ािा द़े ऩे क़े)
1670. र्जो शख़्स माह़े िमज़ान क़े िोज़़े क़े कफ़्फ़ाि़े क़े तौि पि दो माह िोज़़े
िखना चाह़े तो ज़रूिी है कक एक पिू ा महीना औि उसस़े अगल़े महीऩे क़े एक हदन
तक मस
ु लसल िोज़़े िख़े औि अगि िाक़ी मांदा िोज़़े मस
ु लसल न भी िख़े तो कोई
इश्काल नहीं।
1671. र्जो शख़्स माह़े िमज़ान क़े िोज़़े क़े कफ़्फ़ाि़े क़े तौि पि दो माह िोज़़े
िखना चाह़े ज़रूिी है कक वह िोज़़े ऐस़े वक़्त न िख़े जर्जसक़े िाि़े में वह र्जानता हो
कक एक महीऩे औि एक हदन क़े दिममयान ईद़े कुिाकन क़ी तिह कोई ऐसा हदन आ
िगैि उज़्र क़े एक हदन िोज़ा न िख़े तो ज़रूिी है कक दोिािा अज़ सि़े नव िोज़़े
िख़े।
िोज़ादाि को कोई गैि इजख़्तयािी उज़्र प़ेश आ र्जाए मसलन हैज़ या तनफ़ास या
ऐसा सफ़ि जर्जस़े इजख़्तयाि किऩे पि वह मर्जििू हो तो उज़्र क़े दिू होऩे क़े िाद
532
िोज़ों का अज़ ् सि़े नव िखना उसक़े मलय़े वाजर्जि नहीं िजल्क उज़्र दिू होऩे क़े िाद
1674. अगि कोई शख़्स हिाम चीज़ स़े अपना िोज़ा िाततल कि द़े ख़्वाह वह
चीज़ िज़ात़े खुद हिाम हो र्जैस़े शिाि औि जज़ना या ककसी वर्जह स़े हिाम हो र्जाए
र्जैस़े कक हलाल चगज़ा जर्जस का खाना इंसान क़े मलय़े बिल उमम
ू मजु ज़ि हो या वह
मज्मअ
ू न कफ़्फ़ािा द़े । यानी उस़े चाहहय़े कक एक गल
ु ाम आज़ाद कि़े औि दो महीऩे
िोज़़े िख़े औि साठ फ़क़ीिों को प़ेट भि कि खाना खखलाए या उनमें स़े हि फ़क़ीि
को एक मद
ु गंदम
ु या र्जौ या िोटी वगैिा द़े औि अगि यह तीनों चीज़ें उसक़े मलय़े
मजु म्कन न हो तो उनमें स़े र्जो कफ़्फ़ािा मजु म्कन हो, द़े ।
मस्
ु तहि यह है कक मज्मअ
ू न कफ़्फ़ािा वाजर्जि है ल़ेककन एहततयात़े मस्
ु तहि यह है
1676. अगि िोज़ादाि माह़े िमज़ान क़े एक हदन में कई दफ़् आ जर्जमाअ या
533
1677. अगि िोज़ादाि माह़े िमज़ान क़े एक हदन में जर्जमाअ औि इसततम्ना क़े
1679. अगि िोज़ादाि कोई ऐसा काम कि़े र्जो हलाल हो औि िोज़़े को िाततल
काफ़़ी है।
वह उस़े र्जानिझ
ू कि तनगल ल़े तो उसका िोज़ा िाततल है औि ज़रूिी है कक उसक़ी
पि मज्मअ
ू न कफ़्फ़ािा भी द़े ।
534
1681. अगि कोई शख़्स मन्नत माऩे कक एक खास हदन िोज़ा िख़ेगा तो अगि
वह उस हदन र्जानिझ
ू कि अपऩे िोज़़े को िाततल कि द़े तो ज़रूिी है कक कफ़्फ़ािा
1682. अगि िोज़ादाि एक ऐस़े शख़्स क़े कहऩे पि र्जो कह़े कक मचिि का वक़्त
उस़े पता चल़े कक मचिि का वक़्त नहीं हुआ या शक कि़े कक मचिि का वक़्त हुआ
क़े िाद सफ़ि कि़े या कफ़्फ़ाि़े स़े िचऩे क़े मलय़े ज़ोहि स़े पहल़े सफ़ि कि़े तो उस
पि स़े कफ़्फ़ािा साककत नहीं होता िजल्क अगि ज़ोहि स़े पहल़े इवत्तफ़ाकन उस़े
उज़्र पैदा हो र्जाए मसलन है ज़ या तनफ़ास या िीमािी में मबु तला हो र्जाए तो
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक कफ़्फ़ािा द़े ।
535
1686. अगि ककसी शख़्स को शक हो कक आर्ज िमज़ान क़ी आखखिी तािीख है
1687. अगि एक िोज़ादाि माह़े िमज़ान में अपनी िोज़ादाि िीवी स़े जर्जमाअ कि़े
एहततयात क़ी बिना पि ज़रूिी है कक अपनी िीवी क़े िोज़़े का भी कफ़्फ़ािा द़े औि
है ।
1688. अगि कोई औित अपऩे िोज़ादाि शौहि को जर्जमाअ किऩे पि मर्जििू कि़े
कफ़्फ़ािा द़े ।
536
1691. अगि शौहि अपनी िीवी को या िीवी अपऩे शौहि को जर्जमाअ क़े अलावा
कोई ऐसा काम किऩे पि मर्जििू कि़े जर्जसस़े िोज़ा िाततल हो र्जाता हो तो उन
1692. र्जो आदमी सफ़ि या िीमािी क़ी वर्जह स़े िोज़ा न िख़े वह अपनी
िोज़ादाि िीवी को जर्जमाअ पि मर्जििू नहीं कि सकता ल़ेककन अगि मर्जििू कि़े
1693. ज़रूिी है कक इंसान कफ़्फ़ािा द़े ऩे में कोताही न कि़े ल़ेककन फ़ौिी तौि पि
1695. जर्जस शख़्स को ितौि कफ़्फ़ािा एक हदन साठ फ़क़ीिों को खाना खखलाना
खाना नहीं द़े सकता या एक फ़क़ीि को एक स़े ज़ाइद मतकिा प़ेट भि खखलाए औि
क्यों न हों।
537
है कक दस फ़क़ीिों को फ़दक न फ़दक न एक मद
ु खाना द़े औि अगि न द़े सकता हो तो
हो।
2. िोज़़े को िाततल किऩे वाला काम तो न ककया हो ल़ेककन िोज़़े क़ी नीयत न
कि़े या रिया कि़े (यानी लोगों पि ज़ाहहि कि़े कक िोज़़े स़े हूाँ) या िोज़ा न िखऩे का
इिादा कि़े इसी तिह अगि ऐस़े काम का इिादा कि़े र्जो िोज़ो को िाततल किता हो
तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि उस हदन क़े िोज़़े क़ी कज़ा िखना ज़रूिी है।
3. माह़े िमज़ानल
ु मि
ु ािक में गस्
ु ल़े र्जनाित किना भल
ू र्जाए औि र्जनाित क़ी
4. माह़े िमज़ानल
ु मि
ु ािक में यह तहक़ीक ककय़े िगैि कक सबु ह हुई या नहीं कोई
ऐसा काम कि़े र्जो िोज़़े को िाततल किता हो औि िाद में पता चल़े कक सबु ह हो
538
नीयत स़े उस हदन उन चीज़ों स़े इजज्तनाि कि़े र्जो िोज़़े को िाततल किती हैं औि
5. कोई कह़े कक सबु ह नहीं हुई औि इंसान उसक़े कहऩे क़ी बिना पि कोई ऐसा
काम कि़े र्जो िोज़़े को िाततल किता हो औि िाद में पता चल़े कक सबु ह हो गई
थी।
समझ़े कक मज़ाक कि िहा है औि खुद तहक़ीक न कि़े औि कोई ऐसा काम कि़े
7. नािीना या उस र्जैसा कोई शख़्स ककसी क़े कहऩे पि जर्जसका कौल उसक़े
मलय़े शिअन हुज्र्जत हो, िोज़ा इफ़्ताि कि ल़े कक मचिि हो गई है औि िाद में
मालम
ू हो कक मचिि का वक़्त नहीं हुआ था।
इफ़्ताि कि ल़े औि िाद में पता चल़े कक मचिि नहीं हुई थी ल़ेककन अगि मत्लअ
अब्र आलद
ू हो औि इंसान उस गम
ु ान क़े तहत इफ़्ताि कि ल़े कक मचिि हो गई है
9. इंसान प्यास क़ी वर्जह स़े कुल्ली कि़े यानी पानी मंह
ु में र्म
ु ाय़े औि ि़े
इजख़्तयाि पानी प़ेट में चला र्जाए। अगि नमाज़़े वाजर्जि क़े वज़
ु ू क़े अलावा ककसी
539
वज़
ु ू में कुल्ली क़ी र्जाए तो एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि उसक़े मलय़े भी यही
वज़
ु ू कित़े वक़्त – कुल्ली कि़े औि पानी ि़े इजख़्तयाि प़ेट में चला र्जाए तो उसक़ी
कज़ा नहीं है ।
10. कोई शख़्स मर्जििू ी, इज़ततिाि या तकैया क़ी हालत में िोज़ा इफ़्ताि कि़े तो
इजख़्तयाि प़ेट में चली र्जाए या नाक में पानी डाल़े औि वह ि़े इजख़्तयाि (हल्क क़े)
1699. िोज़ादाि क़े मलय़े ज़्यादा कुजल्लयााँ किना मकरूह है औि अगि कुल्ली क़े
िाद लआ
ु ि़े दहन तनगलना चाह़े तो ि़ेहति है कक पहल़े तीन दफ़् आ लआ
ु ि़े दहन
को थक
ू द़े ।
स़े ि़े इजख़्तयाि पानी उसक़े हल्क में चला र्जाय़ेगा तो ज़रूिी है कक कुल्ली न कि़े ,
औि अगि र्जानता हो कक भल
ू र्जाऩे क़ी वर्जह स़े पानी उसक़े हल्क में चला र्जाय़ेगा
540
1701. अगि ककसी शख़्स को माह़े िमज़ानल
ु मि
ु ािक में तहक़ीक किऩे क़े िाद
मालम
ू न हो कक सबु ह हो गई है औि वह कोई ऐसा काम कि़े र्जो िोज़़े को िाततल
नहीं तो वह तहक़ीक किऩे स़े पहल़े ऐसा काम कि सकता है र्जो िोज़़े को िाततल
किता हो।
1703. अगि कोई दीवाना अच्छा हो र्जाए तो उसक़े मलए आलम़े दीवांगी क़े
किि दोिािा मस
ु लमान हो र्जाए तो ज़रूिी है कक अय्याम़े कुफ़्र क़े िोज़़े क़ी कज़ा
िर्जा लाय़े।
541
1705. र्जो िोज़़े इंसान क़ी ि़ेहवासी क़ी वर्जह स़े छूट र्जायें ज़रूिी है कक उनक़ी
कज़ा िर्जा लाए ख़्वाह जर्जस चीज़ क़ी वर्जह स़े वह ि़ेहवास हुआ हो वह इलार्ज क़ी
1706. अगि कोई शख़्स ककसी उज़्र क़ी वर्जह स़े चन्द हदन िोज़़े न िख़े औि
िाद में शक कि़े कक उसका उज़्र ककस वक़्त ज़ाइल हुआ था तो उसक़े मलय़े वाजर्जि
औि उस़े मालम
ू न हो कक माह़े मि
ु ािक क़ी पांचवीं तािीख को सफ़ि स़े वापस
ककया हो औि माह़े मि
ु ािक खत्म होऩे क़े िाद वापस आया हो। औि उस़े पता न
वह कमति हदनों याअनी पांच िोज़ों क़ी कज़ कि सकता है अगिच़े एहततयात़े
मस्
ु तहि यह है कक ज़्यादा हदनों यानी छः हदनों क़ी कज़ा कि़े ।
कज़ा वाजर्जि हो तो जर्जस साल क़े िोज़ों क़ी कज़ा पहल़े किना चाह़े कि सकता है
542
आइन्दा िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़े शरू
ू होऩे में भी पांच ही हदन िाक़ी हों तो ि़ेहति यह
1708. अगि ककसी शख़्स पि कई साल क़े माह़े िमज़ान क़े िोज़ों क़ी कज़ा
िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़े िोज़़े क़ी कज़ा कि िहा है तो उसका शम
ु ाि आखखिी माह़े
को ज़ोहि स़े पहल़े तोड़ सकता है ल़ेककन अगि कज़ा का वक़्त तंग हो तो ि़ेहति है
कक िोज़ा न तोड़़े।
1710. अगि ककसी ऩे मैतयत का कज़ा िोज़ा िखा हो तो ि़ेहति है कक ज़ोहि क़े
1711. अगि कोई िीमािी या हैज़ या तनफ़ास क़ी वर्जह स़े िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़े
उसऩे नहीं िख़े थ़े कज़ा कि सकता हो मि र्जाए तो उन िोज़ों क़ी कज़ा नहीं है ।
औि उसक़ी िीमािी आइन्दा िमज़ान तक तूल खींच र्जाए तो र्जो िोज़़े उसऩे न िख़े
543
मसलन सफ़ि क़ी वर्जह स़े िोज़़े न िख़े औि उसक उज़्र आइन्दा िमज़ानल
ु मि
ु ािक
तक िाक़ी िह़े तो ज़रूिी है कक र्जो िोज़़े न िख़े हों उनक़ी कज़ा कि़े एहततयात़े
िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़े िाद उसक़ी िीमािी दिू हो र्जाए ल़ेककन कोई दस
ू िा उज़्र
िख सक़े तो ज़रूिी है कक र्जो िोज़़े न िख़े हों उनक़ी कज़ा िर्जा लाए नीज़ अगि
िमज़ानल
ु मि
ु ािक में िीमािी क़े अलावा कोई औि उज़्र िखता हो औि िमज़ानल
ु
मि
ु ािक तक िीमािी क़ी वर्जह स़े िोज़़े न िख सक़े तो र्जो िोज़़े न िख़े हों ज़रूिी है
कक उनक़ी कज़ा िर्जा लाए औि एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि हि हदन क़े मलय़े
एक मद
ु तआम भी फ़क़ीि को द़े ।
1714. अगि कोई शख़्स ककसी उज़्र क़ी वर्जह स़े िमज़ानल
ु मि
ु ािक में िोज़़े न
िख़े औि िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़े िाद उसका उज़्र दिू हो र्जाए औि वह आइन्दा
िमज़ानल
ु मि
ु ािक तक अमदन िोज़़े क़ी कज़ा न िर्जा लाए तो ज़रूिी है कक िोज़ों
1715. अगि कोई शख़्स कज़ा िोज़़े िखऩे में कोताही कि़े हत्ता कक वक़्त तंग हो
र्जाए औि वक़्त क़ी तंगी में उस़े कोई उज़्र प़ेश आ र्जाए तो ज़रूिी है कक िोज़ों क़ी
544
(चगज़ा) फ़क़ीि को द़े । औि अगि उज़्र दिू होऩे क़े िाद मस
ु म्मम इिादा िखता हो
कक िोज़ों क़ी कज़ा िर्जा लाय़ेगा ल़ेककन कज़ा िर्जा लाऩे स़े पहल़े तंग वक़्त में उस़े
1716. अगि इंसान का मिज़ चन्द साल तूल खींच र्जाए तो ज़रूिी है कक
तन्दरु
ु स्त होऩे क़े िाद आखखिी िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़े छुट़े हुए िोज़ों क़ी कज़ा िर्जा
क़ी तािवीि कि द़े तो ज़रूिी है कक कज़ा कि़े औि पहल़े साल में तािवीि किऩे क़ी
ज़रूिी है कक उन क़ी कज़ा िर्जा लाए औि हि हदन क़े मलए दो महीऩे िोज़़े िख़े या
मि
ु ािक तक उन िोज़ों क़ी कज़ा न कि़े तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि हि
545
1720. अगि कोई शख़्स र्जान िझ
ू कि िमज़ानल
ु मि
ु ािक का िोज़ा न िख़े औि
हदन में कई दफ़् आ जर्जमाअ या इसततम्ना कि़े तो अक़्वा क़ी बिना पि कफ़्फ़ािा
मक
ु िक ि नहीं होगा (एक कफ़्फ़ािा काफ़़ी है ) ऐस़े ही अगि कई दफ़् आ कोई औि ऐसा
काम कि़े र्जो िोज़़े को िाततल किता हो मसलन कई दफ़् आ खाना खाए ति भी
1721. िाप क़े मिऩे क़े िाद िड़़े ि़ेट़े क़े मलए एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि
ज़रूिी है कक िाप क़े िोज़ों क़ी कज़ा उसी तिह िर्जा लाए र्जैस़े कक नमाज़ क़े
दस
ू ि़े वाजर्जि िोज़़े मसलन सन्
ु नती िोज़़े न िख़े हों तो एहततयात़े मस्
ु तहि यह है
कक िड़ा ि़ेटा उन िोज़ों क़ी कज़ा िर्जा लाए ल़ेककन अगि िाप ककसी क़े िोज़ों क़े
मलए अर्जीि िना हो औि उस ऩे वह िोज़़े न िख़े हों तो उन िोज़ों क़ी कज़ा िड़़े ि़ेट़े
पि वाजर्जि नहीं है ।
मस
ु ाफफ़ि के िोजों के अहकाम
1723. जर्जस मस
ु ाकफ़ि क़े मलए सफ़ि में चाि िक् अती नमाज़ क़े िर्जाय दो
546
नमाज़ पढ़ता हो मसलन वह शख़्स जर्जसका प़ेशा ही सफ़ि हो या जर्जसका सफ़ि
ककसी नर्जाइज़ काम क़े मलए हो ज़रूिी है कक सफ़ि में िोज़ा िख़े।
िचऩे क़े मलए सफ़ि किना मकरूह है औि इसी तिह माह़े िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़ी
िोज़ा इंसान पि वाजर्जि हो या एततकाफ़ क़े हदनों में स़े तीसिा हदन हो तो उस हदन
सफ़ि नहीं कि सकता औि अगि सफ़ि में हो औि उसक़े मलए ठहिना मजु म्कन हो
िोज़ा िख़े ल़ेककन अगि उस हदन का िोज़ा मन्नत क़ी वर्जह स़े वाजर्जि हुआ हो तो
वाजर्जि नहीं। अगिच़े ि़ेहति यह है कक र्जि तक सफ़ि किऩे क़े मलए मर्जििू न हो
सफ़ि न कि़े औि अगि सफ़ि में हो तो ककयाम किऩे क़ी नीयत कि़े ।
मअ
ु य्यन न कि़े तो वह शख़्स सफ़ि में ऐसा मन्नती िोज़ा नहीं िख सकता ल़ेककन
कक वह िोज़ा सफ़ि में िख़े नीज़ अगि मन्नत माऩे कक सफ़ि में हो या न हो एक
547
मख़्सस
ू हदन का िोज़ा िख़ेगा तो ज़रूिी है कक अगिच़े सफ़ि में हो ति भी उस
1727. मस
ु ाकफ़ि तलि़े हार्जत क़े मलए तीन हदन मदीना ए तैतयिा में मस्
ु तहि
र्जुमआ
ु हों।
है , अगि सफ़ि में िोज़ा िख ल़े औि हदन ही हदन में उस़े हुक्म़े मस ्अला मालम
ू हो
कक मस
ु ाकफ़ि का िोज़ा िाततल होता है औि सफ़ि क़े दौिान िोज़ा िख ल़े तो उसका
िोज़ा िाततल है ।
1730. अगि िोज़ादाि ज़ोहि क़े िाद सफ़ि कि़े तो ज़रूिी है कक एहततयात क़ी
बिना पि अपऩे िोज़़े को तमाम कि़े औि अगि ज़ोहि स़े पहल़े सफ़ि कि़े औि िात
सिू त में हद्द़े तिख़्खुस तक पहुंचऩे स़े पहल़े ऐसा कोई काम नहीं किना चाहहय़े
548
1731. अगि मस
ु ाकफ़ि िमज़ानल
ु मि
ु ािक में ख़्वाह वह फ़ज्र स़े पहल़े सफ़ि में
हो या िोज़़े स़े हो औि सफ़ि कि़े औि ज़ोहि स़े पहल़े अपऩे वतन पहुंच र्जाए या
ऐसी र्जगह पहुंच र्जाए र्जहााँ वह दस हदन ककयाम किना चाहता हो औि उसऩे कोई
िोज़ा िख़े औि अगि कोई ऐसा काम ककया हो र्जो िोज़़े को िाततल किता हो तो
1732. अगि मस
ु ाकफ़ि ज़ोहि क़े िाद अपऩे वतन पहुाँच़े या ऐसी र्जगह पहुाँच़े
सकता।
1733. मस
ु ाकफ़ि औि वह शख़्स र्जो ककसी उज़्र क़ी वर्जह स़े िोज़ा न िख सकता
उसक़े मलए शदीद तक्लीफ़ का िाइस हो उस पि िोज़ा वाजर्जि नहीं है ल़ेककन िोज़ा
549
1735. र्जो शख़्स िढ़
ु ाप़े क़ी वर्जह स़े माह़े िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़े िोज़़े न िख़े
अगि वह िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़े िाद िोज़़े िखऩे क़े काबिल हो र्जाय़े तो एहततयात़े
मस्
ु तहि यह है कक र्जो िोज़़े न िखें हो उनक़ी कज़ा िर्जा लाए।
1736. अगि ककसी शख़्स को कोई ऐसी िीमािी हो जर्जसक़ी वर्जह स़े उस़े िहुत
वर्जह स़े उस़े तक्लीफ़ होती हो तो उस पि िोज़ा वाजर्जि नहीं है ल़ेककन िोज़ा न
औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक जर्जतनी ममक़्दाि अशद ज़रूिी हो उस स़े ज़्यादा
पानी न वपय़े औि िाद में र्जि िोज़ा िखऩे क़े काबिल हो र्जाए तो र्जो िोज़़े न िख़े
1737. जर्जस औित का वज़ ्ए हम्ल का वक़्त किीि हो, उसका िोज़ा िखना खुद
उसक़े मलए या उसक़े होऩे वाल़े िच्च़े क़े मलए मजु ज़ि हो उस पि िोज़ा वाजर्जि नहीं
ज़रूिी है कक दोनों सिू तों में र्जो िोज़़े न िख़े हों उनक़ी कज़ा िर्जा लाए।
550
मद
ु तआम फ़क़ीि को द़े औि दोनों सिू तों में र्जो िोज़़े न िख़े हों उन क़ी कज़ा
किना ज़रूिी है। ल़ेककन एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि यह हुक्म मसफ़क उस सिू त
को दध
ू वपलाऩे का कोई औि तिीका हो मसलन कुछ औितें ममल कि िच्च़े को
दध
ू वपलायें तो ऐसी सिू त में इस हुक्म क़े साबित होऩे में इश्काल है ।
इत्मीनान हो र्जाए।
चांद क़े अलग अलग औसाफ़ ियान किें तो पहली तािीख साबित नहीं होगी। औि
यही हुक्म है अगि उनक़ी गवाही स़े इखततलाफ़ हो। या उस क़े हुक्म में इखततलाफ़
हो। मसलन शहि क़े िहुत स़े लोग चांद द़े खऩे क़ी कोशीश किें ल़ेककन दो आहदल
द़े खऩे क़ी कोशीश किें औि उन लोगों में स़े दो आहदल चांद द़े खऩे का दअवा किें
551
औि दस
ू िों को चांद नज़ि न आए हालांकक उन लोगों में स़े दो औि आहदल आदमम
ऐस़े हों र्जो चांद क़ी र्जगह पहचानच़े, तनगाह क़ी त़ेज़ी औि दीगि खस
ु स
ू ीयात में
उन पहल़े दो आदममयों क़ी मातनन्द हों (औि वह चांद द़े खऩे का दअवा न किें ) तो
ऐसी सिू त में दो आहदल आदममयों क़ी गवाही स़े महीऩे क़ी पहली तािीख साबित
नहीं होगी।
4. शािान क़ी पहली तािीख स़े तीस हदन गुज़ि र्जायें जर्जन क़े गुज़िऩे पि माह़े
िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़ी पहली तािीख साबित हो र्जाती है औि िमज़ानल
ु मि
ु ािक स़े
है ।
1740. हाककम़े शिअ क़े हुक्म स़े महीऩे क़ी पहली तािीख साबित नहीं होती औि
1741. मन
ु जज्र्जमों क़ी प़ेशीनगोई स़े महीऩे क़ी पहली तािीख साबित नहीं होती
ल़ेककन अगि इंसान को उनक़े कहऩे स़े यक़ीन या इत्मीनान हो र्जाए तो ज़रूिी है
कक उस पि अमल कि़े ।
िात क़ी दलील नहीं कक साबिका िात चांद िात थी औि इसी तिह अगि चांद क़े
552
चगदक हल्का हो तो यह इस िात क़ी दलील नहीं है कक पहली का चांद गज़
ु श्ता िात
तनकला था।
1744. अगि ककसी शहि में महीऩे क़ी पहली तािीख साबित हो र्जाए तो दस
ू ि़े
1745. महीऩे क़ी पहली तािीख ट़े लीग्राम (औि फ़ैक्स या ट़े ल़ेक्स) स़े साबित
मोअतिि है ।
ल़ेककन अगि हदन ही हदन उस़े पता चल र्जाए कक आर्ज यकुम शव्वाल (िोज़़े ईद)
553
1747. अगि कोई शख़्स कैद में हो औि माह़े िमज़ान क़े िाि़े में यक़ीन न कि
सक़े तो ज़रूिी है कक गम
ु ान पि अमल कि़े ल़ेककन अगि कवी गम
ु ान पि अमल
कि सकता हो तो ज़ईफ़ गम
ु ान पि अमल नही कि सकता औि अगि गम
ु ान पि
अमल मजु म्कन न हो तो ज़रूिी है कक जर्जस महीऩे क़े िाि़े में एहततमाल हो कक
िख़े। चन
ु ांच़े िाद में उस़े मालम
ू हो कक वह माह़े िमज़ान या उसक़े िाद का ज़माना
1748. ईद़े कफ़त्र औि ईद़े कुिाकन क़े हदन िोज़ा िखना हिाम है। नीज़ जर्जस हदन
िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़ी पहली तो अगि वह उस हदन पहली िमज़ानल
ु मि
ु ािक क़ी
ख़्वाह शौहि क़ी हक तलफ़़ी न भी होती हो उसक़ी इर्जाज़त क़े िगैि मस्
ु तहि
554
1750. अगि औलाद का मस्
ु तहि िोज़ाः- मााँ िाप क़ी औलात स़े शफ़कत क़ी
वर्जह स़े - - मााँ क़े मलए अज़ीयत का मजू र्जि हो तो औलाद क़े मलए मस्
ु तहि िोज़़े
िखना हिाम है ।
दौिान िाप उस़े (िोज़ा िखऩे स़े) मना कि़े तो अगि ि़ेट़े का िाप क़ी िात न
मानना कफ़तिी शफ़कत क़ी वर्जह स़े अज़ीत का मजू र्जि हो तो ि़ेट़े को चाहहए कक
1752. अगि कोई शख़्स र्जानता हो कक िोज़ा िखना उसक़े मलए ऐसा मजु ज़ि
नहीं है कक जर्जसक़ी पिवाह क़ी र्जाए तो अगिच़े तिीि कह़े कक मजु ज़ि है उसक़े मलए
ज़रूिी है कक िोज़ा िख़े औि अगि कोई शख़्स यक़ीन या गुमान िखता हो कक िोज़ा
उसक़े मलए मजु ज़ि है तो अगिच़े तिीि कह़े कक मजु ज़ि नहीं है ज़रूिी है कक वह
िोज़ा न िख़े औि अगि वह िोज़ा िख़े र्जिकक िोज़ा िखना वाकई मजु ज़ि हो या
1753. अगि ककसी शख़्स को एहततमाल हो कक िोज़ा िखना उसक़े मलए ऐसा
मजु ज़ि है कक जर्जसक़ी पिवाह क़ी र्जाए औि इस एहततमाल क़ी बिना पि (उस क़े
हदल में ) खौफ़ पैदा हो र्जाए तो अगि उस का एहततमाल लोगों क़ी नज़ि में सहीह
555
1754. जर्जस शख़्स को एततमाद हो कक िोज़ा िखना उसक़े मलए मजु ज़ि नहीं
अगि वह िोज़ा िख ल़े औि मचिि क़े िाद उस़े पता चल़े कक िोज़ा िखना उसक़े
मलय़े ऐसा मजु ज़ि था कक जर्जसक़ी पिवाह क़ी र्जाती तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना
1755. मन्
ु दरिर्जा िाला िोज़ों क़े अलावा औि भी िोज़़े हिाम हैं र्जो मफ़
ु स्सल
1756. आशिू क़े हदन िोज़ा िखना मकरूह है औि उस हदन का िोज़ा भी मकरूह
मस्
ु तहब िोजे
1757. िर्जज़
ु हिाम औि मकरूह िोज़ों क़े जर्जनका जज़क्र ककया गया है साल क़े
दसवीं तािीख क़े िाद आए। औि अगि कोई शख़्स यह िोज़़े न िख़े तो मस्
ु तहि है
556
3. िर्जि औि शािान क़े पिू ़े महीऩे क़े िोज़़े। या उन दो महीनों में जर्जतऩे िोज़़े
6. ज़ी कअदा क़ी पहली तािीख स़े नवीं तािीख (यौम़े अिफ़ा) तक।
7. जज़लहहज्र्जा क़ी पहली तािीख स़े नवीं तािीख (यौम़े अिफ़ा) तक ल़ेकन अगि
इंसान िोज़़े क़ी वर्जह स़े पैदा होऩे वाली कमज़ोिी क़ी बिना पि यौम़े अिफ़ा क़ी
दआ
ु यें न पढ़ सक़े तो उस हदन िोज़ा िखना मकरूह है।
9. िोज़़े मि
ु ाहहला (24 जज़लहहज्र्जा)
10. मोहिक मल
ु हिाम क़ी पहली, तीसिी औि सातवीं तािीख।
11. िसल
ू ़े अकिम स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही वसल्लम क़ी ववलादत का हदन
क़े एलाऩे रिसालत क़े हदन (27 िर्जि) भी िोज़ा िखना मस्
ु तहि है । औि र्जो शख़्स
मस्
ु तहि िोज़ा िख़े उसक़े मलए वाजर्जि नहीं है कक उस़े इखततताम तक पहुाँचाए
िजल्क अगि उसका मोममन भाई उस़े खाऩे क़ी दअवत द़े तो मस्
ु तहि है कक उसक़ी
557
दावत किल
ू कि ल़े औि हदन में ही िोज़ा खोल ल़े ख़्वाह ज़ोहि क़े िाद ही क्यों न
हो।
1758. (मन्
ु दरिर्जा ज़ैल) पांच अश्खास क़े मलए मस्
ु तहि है कक अगिच़े िोज़़े स़े न
हैं।
1. वह मस
ु ाकफ़ि जर्जसऩे सफ़ि में कोई ऐसा काम ककया हो र्जो िोज़़े को िाततल
किता हो औि वह ज़ोहि स़े पहल़े अपऩे वतन या ऐसी र्जगह पहुंच र्जाए र्जहााँ वह
2. वह मस
ु ाकफ़ि र्जो ज़ोहि क़े िाद अपऩे वतन या ऐसी र्जगह पहुंच र्जाए र्जहां
वह दस हदन िहना चाहता हो। औि इसी तिह अगि ज़ोहि स़े पहल़े उन र्जगहों पि
3. वह मिीज़ र्जो ज़ोहि क़े िाद तन्दरुस्त हो र्जाए औि यही हुक्म है अगि
ज़ोहि स़े पहल़े तन्दरुस्त हो र्जाए अगिच़े उसऩे कोई ऐसा काम (भी) ककया हो र्जो
िोज़़े को िाततल किता हो औि इसी तिह अगि ऐसा काम न ककया हो तो उसका
558
1759. िोज़ादाि क़े मलए मस्
ु तहि है कक िोज़ा इफ़्ताि किऩे स़े पहल़े मचिि औि
या उस़े इतनी भक
ू लगी हो कक हुज़िू ़े कल्ि क़े साथ नमाज़ न पढ़ सकता हो तो
ि़ेहति है कक िोज़ा इफ़्ताि कि़े ल़ेककन र्जहााँ तक मजु म्कन हो नमाज़ फ़ज़ीलत क़े
ख़म्
ु स के अहकाम
1760. ख़म्
ु स सात च़ीजों पि वाजजब है ीः-
2. मअहदनी कानें।
खिीद़े ।
559
ज़ैल में इनक़े अहकाम तफ़्सील स़े ियान ककय़े र्जायेंग़े।
1.कािोबाि का मन
ु ाफ़ा
पढ़़े औि िोज़ा िख़े औि इस तिह कुछ रुपया कमाए मलहाज़ा अगि वह कमाई खद
ु
उसक़े औि उसक़े अहलो अयाल क़े साल भि क़े अखिार्जात स़े ज़्यादा हो तो ज़रूिी
1762. अगि ककसी को कमाई ककय़े िगैि कोई आमदनी हो र्जाए मसलन कोई
शख़्स उस़े ितौि़े तोहफ़ा कोई चीज़ द़े औि वह उसक़े साल भि क़े अखिार्जात स़े
औि शौहि, िीवी को तलाक़े खुलअ द़े ऩे क़े एवज़ र्जो माल हामसल किता है उन पि
खुम्स नहीं है, औि इसी तिह र्जो मीिास इंसान को ममल़े उस का भी मीिास क़े
है ककसी औि ज़िीए स़े मसलन पदिी रिश्त़ेदाि क़ी तिफ़ स़े मीिास ममल़े तो उस
तिह अगि उस़े िाप औि ि़ेट़े क़े अलावा ककसी औि तिफ़ स़े मीिास ममल़े कक जर्जस
560
का खुद उस़े गुमान तक न हो तो एहततयात़े वाजर्जि यह है कक वह मीिास अगि
शख़्स स़े उस़े यह मीिास ममली है उसऩे उस का खुम्स नहीं हदया था तो ज़रूिी है
कक वारिस उस का खुम्स द़े । इसी तिह अगि खुद उस माल पि खुम्स वाजर्जि न
हो औि वारिस को इल्म हो कक जर्जस शख़्स स़े उस़े वह माल वविस़े में ममला है
खम्
ु स अदा कि़े । ल़ेककन दोनों सिू तों में जर्जस शख़्स स़े माल वविस़े में ममला हो
ज़रूिी नहीं कक वारिस वह खुम्स अदा कि़े र्जो उस शख़्स पि वाजर्जि था।
1765. अगि ककसी शख़्स ऩे ककफ़ायत मशआिी क़े सिि साल भि क़े अखिार्जात
क़े िाद कुछ िकम पस अन्दाज़ क़ी हो तो ज़रूिी है कक उस िचत का खुम्स द़े ।
1767. अगि कोई शख़्स अपनी र्जायदाद कुछ खास अफ़िाद मसलन अपनी
औलाद क़े मलए वक़्फ़ कि द़े औि वह लोग उस र्जायदाद में ख़ेती िाड़ी औि
561
अगि वह ककसी औि तिीक़े स़े उस र्जायदाद स़े नफ़् अ हामसल किें मसलन उस़े
ककिाय़े या ठ क़े पि द़े दें तो ज़रूिी है कक नफ़् अ क़ी र्जो ममक़्दाि उनक़े साल भि
ककया हो वह उस क़े साल भि क़े अखिार्जात स़े ज़्यादा हो या र्जो माल उस़े हदया
गया है उस स़े उसऩे नफ़् अ कमाया हो मसलन उसऩे एक ऐस़े दिख़्त स़े र्जो उस़े
हदया गया हो म़ेवा हामसल ककया हो औि वह उसक़े साल भि क़े अखिार्जात स़े
1769. अगि कोई शख़्स ऐसी िकम स़े कोई चीज़ खिीद़े जर्जसका खुम्स न हदया
गया हो यानी ि़ेचऩे वाल़े स़े कह़े कक, मैं यह चीज़ उस िकम स़े खिीद िहा हूं,
अगि ि़ेचऩे वाला शीआ इस्ना अशिी हो तो ज़ाहहि यह है कक कुल माल क़े
मत
ु अजल्लक मआ
ु मला दरु
ु स्त है औि खम्
ु स का तअल्लक
ु उस चीज़ स़े हो र्जाता है
उसक़ी क़ीमत उस िकम स़े अदा कि़े जर्जसका खुम्स न हदया गया हो तो र्जो
562
मआ
ु मला उसऩे ककया है वह सहीह है औि र्जो िकम उसऩे फ़िोमशन्दा को दी है
उस क़े खम्
ु स क़े मलए वह खम्
ु स क़े मस्
ु तहक़्क़ीन का मकरुज़ है ।
खुम्स न हदया गया हो तो उसका खुम्स ि़ेचऩे वाल़े क़ी जज़म्म़ेदािी है औि खिीदाि
चीज़ ितौि अतीया द़े जर्जसका खुम्स न हदया गया हो तो उसक़े खुम्स क़ी अदायगी
क़ी जज़म्म़ेदािी अतीया द़े ऩे वाल़े पि है औि (जर्जस शख़्स को अतीया हदया गया हो)
1773. अगि इंसान को ककसी काकफ़ि स़े या ऐस़े शख़्स स़े र्जो खुम्स द़े ऩे पि
1774. ताजर्जि, दक
ु ानदाि, कािीगि औि इस ककस्म क़े दस
ू ि़े लोगों क़े मलए
र्जाए तो र्जो कुछ उनक़े साल भि क़े अखिार्जात स़े ज़्यादा हो उसका खम्
ु स दें । औि
र्जो शख़्स ककसी काम धन्द़े स़े कमाई न किता हो अगि उस़े इवत्तफ़ाकन कोई
नफ़् अ हामसल हो र्जाए तो र्जि उस़े यह नफ़् अ ममल़े उस वक़्त स़े एक साल गज़
ु िऩे
क़े िाद जर्जतनी ममक़्दाि उसक़े साल भि क़े अखिार्जात स़े ज़्यादा हो ज़रूिी है कक
563
1775. साल क़े दौिान जर्जस वक़्त भी ककसी शख़्स को मन
ु ाफ़ा ममल़े वह उस का
खम्
ु स द़े सकता है औि उसक़े मलए यह भी र्जाइज़ है कक साल क़े खत्म होऩे तक
उसक़ी अदायगी को मव
ु ख़्खि कि द़े औि अगि वह खम्
ु स अदा किऩे क़े मलए
मअ
ु य्यन कि़े औि उस़े मन
ु ाफ़ा हामसल हो ल़ेककन वह साल क़े दौिान मि र्जाए तो
का खम्
ु स हदया र्जाए।
1777. अगि ककसी शख़्स क़े िगिज़़े ततर्जाित खिीद़े हुए माल क़ी क़ीमत िढ़
र्जाए औि वह उस़े न ि़ेच़े औि साल क़े दौिान उसक़ी क़ीमत चगि र्जाए तो जर्जतनी
1778. अगि ककसी शख़्स क़े िगिज़़े ततर्जाित खिीद़े हुए माल क़ी क़ीमत िढ़
साल क़े खाततम़े क़े िाद तक फ़िोख़्त न कि़े औि किि उसक़ी क़ीमत चगि र्जाए तो
शख़्स ऩे माल़े ततर्जाित क़े अलावा कोई माल खिीद कि या उसी क़ी तिह ककसी
क़ीमत िढ़ र्जाए औि वह उस़े ि़ेच द़े तो ज़रूिी है कक जर्जस कदि उस चीज़ क़ी
564
क़ीमत िढ़ी है उस का खुम्स द़े । इसी तिह मसलन अगि कोई दिख़्त खिीद़े औि
उसमें िल लगें या (भ़ेड़ खिीद़े औि वह) भ़ेड़ मोटी हो र्जाए तो अगि उन चीज़ों क़ी
तनगाह दाश्त स़े उसका मकसद नफ़् अ कमाना था तो ज़रूिी है कक उनक़ी क़ीमत
में र्जो इज़ाफ़ा हुआ हो उस का खुम्स द़े िजल्क अगि उसका मक़्सद नफ़् अ कमाना
1780. अगि कोई शख़्स इस ख़्याल स़े िाग (में पौद़े ) लगाए कक क़ीमत िढ़
र्जाऩे पि उन्हें ि़ेच द़े गा तो ज़रूिी है कक फ़लों क़ी औि दिख़्तों क़ी नशवोनम
ु ा औि
उन दिख़्तों क़े िल ि़ेच कि उनस़े नफ़् अ कमाएगा तो फ़कत िलों का खुम्स द़े ना
ज़रूिी है।
है कक हि साल उनक़े िढ़ऩे का खुम्स द़े औि इसी तिह अगि मसलन उन दिख़्तों
क़े अखिार्जात स़े िढ़ र्जाए तो ज़रूिी है कक हि साल क़े खाततम़े पि उस ज़ाइद
565
ज़िाए ततर्जाित क़ी आमदनी औि अखिार्जात औि तमाम िकम का हहसाि ककताि
यकर्जा हो तो ज़रूिी है कक साल क़े खाततम़े पि र्जो कुछ उसक़े अखिार्जात स़े
स़े तदारुक कि सकता है। ल़ेककन अगि उसक़े दो मजु ख़्तमलफ़ प़ेश़े हों मसलन
1783. इंसान र्जो अखिार्जात फ़ाइदा हामसल किऩे क़े मलए मसलन दलाली औि
र्ि क़े साज़ो सामान, मकान क़ी खिीदािी, ि़ेट़े क़ी शादी, ि़ेटी क़े र्जह़े ज़ औि
हहस्सा है र्जो वह ककसी को तोहफ़़े या इन ्आम क़े तौि पि द़े िशते कक उसक़ी
566
1786. अगि इंसान अपनी लड़क़ी क़ी शादी क़े वक़्त तमाम र्जह़े ज़ इकट्ठा तैयाि
चन
ु ांच़े अगि र्जह़े ज़ तैयाि न किना उसक़ी शान क़े खखलाफ़ हो औि वह साल क़े
है ।
सकता है।
1789. र्जो सामान ककसी शख़्स ऩे साल भि इस्त़ेमाल किऩे क़े मलए अपऩे
मन
ु ाफ़़े स़े खिीदा हो अगि साल क़े आखखि में उस स़े कुछ िच र्जाए तो ज़रूिी है
कक उसका खुम्स द़े औि अगि खुम्स उस क़ी क़ीमत क़ी सिू त में द़े ना चाह़े औि
567
र्जि वह सामान खिीदा था उसक़े मक
ु ाबिल़े में उसक़ी क़ीमत िढ़ गई हो तो ज़रूिी
खत्म हो र्जाए तो ज़रूिी नहीं क़ी उसका खुम्स द़े औि अगि दौिाऩे साल उसक़ी
ज़रूित खत्म हो र्जाए तो भी यही हुक्म है। ल़ेककन अगि वह सामान उन चीज़ों में
उस सामान क़ी ज़रूित खत्म हो र्जाए एहततयात़े वाजर्जि यह है कक उसका खुम्स द़े
औि यही सिू त ज़नाना ज़़ेविात क़ी है र्जिकक औित का उन्हें ितौि़े ज़ीनत
सिमाए स़े खचक उठाए औि साल क़े खत्म होऩे स़े पहल़े उस़े मन
ु ाफ़ा हो र्जाए तो
568
1793. अगि सिमाए का कुछ हहस्सा ततर्जाित वगैिा में डूि र्जाए तो जर्जस कदि
है ।
1794. अगि ककसी शख़्स क़े माल में स़े सिमाए क़े अलावा कोई औि चीज़
उस़े उसी साल में उस चीज़ क़ी ज़रूित पड़ र्जाए तो वह उस साल क़े दौिान अपऩे
मन
ु ाफ़़े स़े मह
ु ै या कि सकता है।
िकम उस मन
ु ाफ़़े में ममन्हा कि सकता है । औि इसी तिह पहली सिू त में वह उस
स़े खम्
ु स का कोई तअल्लक
ु नहीं।
1796. अगि कोई शख़्स माल िढ़ाऩे क़ी गिज़ स़े या ऐसी इमलाक खिीदऩे क़े
को अदा नहीं कि सकता। हां र्जो माल ितौि़े कज़क मलया हो या र्जो चीज़ उस कज़क
569
स़े खिीदी हो अगि वह तलफ़ हो र्जाए तो उस सिू त में वह अपना कज़क उस साल
क़े मन
ु ाफ़ा स़े अदा कि सकता है।
क़ी शक्ल में खुम्स द़े सकता है औि अगि चाह़े तो जर्जतना खुम्स उस पि वाजर्जि
हो उसक़ी क़ीमत क़े ििािि िकम भी द़े सकता है ल़ेककन अगि ककसी दस
ू िी जर्जंस
क़ी सिू त में जर्जस पि खुम्स वाजर्जि न हो द़े ना चाह़े तो महल्ल़े इश्काल है िर्जुज़
उस माल में तसरुक फ़ नहीं कि सकता िजल्क एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि अगि
खम्
ु स को अपऩे जज़म्म़े ल़े यानी अपऩे आप को खम्
ु स क़े मस्
ु तहक़्क़ीन का मकरूज़
तसव्विु कि़े औि सािा माल इस्त़ेमाल किता िह़े औि अगि इस्त़ेमाल कि़े औि वह
1800. जर्जस शख़्स को खुम्स अदा किना हो अगि वह हाककम़े शअक स़े
मफ़
ु ाहहमत कि क़े खुम्स को अपऩे जज़म्म़े ल़े ल़े तो सािा माल इस्त़ेमाल कि
570
सकता है औि मफ़
ु ाहहमत क़े िाद उस साल स़े र्जो मन
ु ाफ़ा उस़े हामसल हो वह
मन
ु ाफ़़े पि खुम्स द़े द़े औि उसका हहस्स़ेदाि खुम्स न द़े औि आइन्दा साल वह
हहस्स़ेदाि उस माल को जर्जसका खुम्स उस ऩे नहीं हदया साझ़े में सिमाए क़े तौि
पि प़ेश कि़े तो वह शख़्स (जर्जसऩे खुम्स अदा कि हदया हो) अगि मशआ इस्ना
अशिी मस
ु लमान हो तो उस माल को इस्त़ेमाल में ला सकता है ।
हामसल हो तो अक़्वा क़ी बिना पि उसका खुम्स द़े ना होगा औि उसक़े वली पि
वाजर्जि है कक उसका खुम्स द़े औि अगि वली खुम्स न द़े तो िामलग होऩे क़े िाद
हामसल किऩे वाला शख़्स) उस माल में तसरुक फ़ कि सकता है । िजल्क अगि यक़ीन
भी हो कक उस दस
ू ि़े शख़्स ऩे खुम्स नहीं हदया ति भी अगि वह शीआ इस्ना
अशिी मस
ु लमान हो तो उस माल में तसरुक फ़ कि सकता है।
571
1804. अगि कोई शख़्स कािोिाि क़े मन
ु ाफ़ा स़े साल क़े दौिान ऐसी र्जायदाद
र्जायदाद क़ी क़ीमत िढ़ र्जाए तो लाजज़म है कक उसक़ी मौर्जूदा क़ीमत पि खुम्स द़े
औि र्जायदाद क़े अलावा कालीन वगैिा क़े मलए भी यही हुक्म है।
वाजर्जि हुई हो) खुम्स न हदया हो ममसाल क़े तौि पि अगि वह कोई र्जायदाद
खिीद़े औि उसक़ी क़ीमत िढ़ र्जाए औि अगि उसऩे यह र्जायदाद इस इिाद़े स़े न
खिीदी हो कक उसक़ी क़ीमत िढ़ र्जाय़ेगी तो ि़ेच द़े गा। मसलन ख़ेती िाड़ी क़े मलए
ज़मीन खिीदी हो औि उसक़ी क़ीमत उस िकम स़े अदा क़ी हो जर्जस पि खुम्स न
हदया हो तो ज़रूिी है कक क़ीमत़े खिीद पि खुम्स द़े औि अगि मसलन ि़ेचऩे वाल़े
पि खम्
ु स द़े ।
गया हो तो ज़रूिी है कक उसका खुम्स द़े औि अगि उसऩे र्ि का साज़ो सामान
572
औि ज़रूित क़ी चीज़ें अपनी है मसयत क़े मत
ु ाबिक खिीदी हों औि र्जानता हो कक
मन
ु ाफ़ा हुआ है तो उन पि खम्
ु स द़े ना लाजज़मी नहीं ल़ेककन अगि उस़े यह मअलम
ू
2. मअहदऩी कानें
1807. सोऩे, चााँदी, सीस़े, तांि,़े लोह़े (र्जैसी धातों क़ी कानें, नीज़ वपट्रौमलयम,
कोयल़े, फ़़ीिोज़़े, अक़ीक, कफ़टककिी या नमक क़ी कानें औि (इसी तिह क़ी) दस
ू िी
कानें अन्फ़ाल क़े ज़ुमि़े में आती हैं यअनी यह इमाम़े अस्र (अ0) क़ी ममजल्कयत है ।
ल़ेककन अगि कोई शख़्स उनमें स़े कोई चीज़ तनकाल़े र्जि कक शअकन कोई हिर्ज न
हो तो वह उस़े अपनी ममजल्कयत किाि द़े सकता है औि अगि वह चीज़ तनसाि क़े
मत
ु ाबिक हो तो ज़रूिी है कक उसका खम्
ु स द़े ।
1808. कान स़े तनकली हुई चीज़ का तनसाि 15 ममस्काल मिु व्वर्जा मसक्क़ेदाि
सोना है । यअनी अगि कान स़े तनकली हुई ककसी चीज़ क़ी क़ीमत 15 ममस्काल
573
उस पि खुम्स ति वाजर्जि होगा र्जि मसफ़क यह मन
ु ाफ़ा या उस क़े दस
ू ि़े मन
ु ाफ़़े ही
उस मन
ु ाफ़़े को ममलाकि उसक़े साल भि क़े अखिार्जात स़े ज़्यादा हो र्जायें।
1810. जर्जप्सम, चन
ू ा, चचक्नी ममट्टी औि सख
ु क ममट्टी पि एहततयात़े लाजज़म
क़ी बिना पि मअहदनी चीज़ों क़े हुक्म का इत्लाक होता है मलहाज़ा अगि यह चीज़ें
हद्द़े तनसाि तक पहुंच र्जायें तो साल भि क़े अखिार्जात तनकालऩे स़े पहल़े उन का
1811. र्जो शख़्स कान स़े कोई चीज़ तनकाल़े तो ज़रूिी है कक उसका खुम्स द़े
ख़्वाह वह कान ज़मीन क़े ऊपि हो या ज़़ेि़े ज़मीन औि ख़्वाह ऐसी ज़मीन हो र्जो
ककसी क़ी ममजल्कयत हो या ऐसी ज़मीन में हो जर्जसका कोई मामलक न हो।
1813. अगि कई अफ़्राद ममल कि कान स़े कोई चीज़ तनकालें औि उसक़ी
ममजल्कयत में हो उसक़ी इर्जाज़त क़े िगैि उसक़ी ज़मीन खौद कि तनकाल़े तो
574
मश्हूि कौल यह है कक र्जो चीज़ दस
ू ि़े क़ी ज़मीन स़े तनकाली र्जाए वह उसी मामलक
मआ
ु मला तय कि़े औि अगि आपस में समझोता न हो सक़े तो हाककमें शअक क़ी
1815. दफ़़ीना वह माल है र्जो ज़मीन या दिख़्त या पहाड़ या दीवाि में गड़ा
हुआ हो औि कोई उस़े वहां स़े तनकाल़े औि उसक़ी सिू त यह हो कक उस़े दफ़़ीना
1816. अगि इंसान को ककसी ऐसी ज़मीन स़े दफ़़ीना ममल़े र्जो ककसी क़ी
ममजल्कयत न हो तो वह उस़े अपऩे कबज़़े में ल़े सकता है यअनी अपनी ममजल्कयत
मसक्कादाि सोना है । यअनी र्जो चीज़ दफ़़ीऩे स़े ममल़े अगि उसक़ी क़ीमत उन दोनों
1818. अगि ककसी शख़्स को ऐसी ज़मीन स़े दफ़़ीना ममल़े र्जो उसऩे ककसी स़े
575
जज़म्मी है औि वह खुद या उसक़े वारिस जज़न्दा हैं तो वह उस दफ़़ीऩे को अपऩे
दफ़़ीना या वह र्जगह जज़म्नन ज़मीन में शाममल होऩे क़ी बिना पि उसका हक हो
खद
ु उसस़े पहल़े उस ज़मीन क़े मामलक िह़े हों औि उस पि उन का हक हो औि
अगि पता चल़े कक वह उनमें स़े ककसी का भी माल नहीं है तो किि वह उस़े अपऩे
1819. अगि ककसी शख़्स को ऐस़े कई ितकनों स़े माल ममल़े र्जो एक र्जगह दफ़्न
मकामात स़े दफ़़ीऩे ममलें तो उन में स़े जर्जस दफ़़ीऩे क़ी क़ीमत मज़कूिा ममक़्दाि
576
1820. र्जि दो अश्खास को ऐसा दफ़़ीना ममल़े जर्जसक़ी क़ीमत 105 ममस्काल
1821. अगि कोई शख़्स र्जानवि खिीद़े औि उसक़े प़ेट स़े कोई माल ममल़े तो
1822. अगि हलाल माल हिाम माल क़े साथ इस तिह ममल र्जाए कक इंसान
उन्हें एक दस
ू ि़े स़े अलग न कि सक़े औि हिाम माल क़े मामलक औि उस माल
ममक़्दाि खम्
ु स स़े कम है या ज़्यादा तो तमाम माल का खम्
ु स कुिकत़े मत्ु लका क़ी
577
नीयत स़े ऐस़े शख़्स को द़े र्जो खुम्स का औि माल़े मज्हूलल
ु मामलक का मस्
ु तहक
है औि खम्
ु स द़े ऩे क़े िाद िाक़ी माल उस शख़्स पि हलाल है।
1823. अगि हलाल माल हिाम माल स़े ममल र्जाए औि इंसान हिाम क़ी
इर्जाज़त ल़े।
1824. अगि हलाल माल हिाम माल स़े ममल र्जाए औि इंसान को हिाम क़ी
एक दस
ू ि़े को िाज़ी न कि सकें तो ज़रूिी है कक जर्जतनी ममक़्दाि क़े िाि़े में यक़ीन
हो कक दस
ू ि़े का माल है वह उस़े द़े द़े । िजल्क अगि वह माल उसक़ी अपनी गलती
स़े मख़्लत
ू हुए हों तो एहततयात क़ी बिना पि जर्जस माल क़े िाि़े में उस़े एहततमाल
हो कक यह दस
ू ि़े का है उस़े इस माल स़े ज़्यादा द़े ना ज़रूिी है।
में उस़े पता चल़े कक हिाम क़ी ममक़्दाि खुम्स स़े ज़्यादा थी तो ज़रूिी है कक
578
1826. अगि कोई शख़्स हिाम स़े मख़्लत
ू हलाल माल का खुम्स द़े या ऐसा
माल जर्जस क़े मामलक को न पहचानता हो मामलक क़े मामलक क़ी तिफ़ स़े सदका
एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि उसक़े माल क़े ििािि उस़े द़े ना ज़रूिी है।
1827. अगि हलाल माल हिाम माल स़े ममल र्जाए औि हिाम क़ी ममक़्दाि
माअलम
ू हो औि इंसान र्जानता हो कक उसका मामलक चन्द लोगों में स़े ही कोई है
उस माल क़े िाि़े में लाइल्मी का इज़हाि किें तो उसी पहल़े शख़्स को वह माल द़े
िाहम सल्
ु ह भी न किें तो ज़ाहहि यह है कक उस माल क़े मामलक का तअय्यन
ु
579
5. गव्वास़ी से हालसल फकये हुए मोत़ी
तनकालें र्जायें तो ख़्वाह ऐसी चीज़ों में स़े हो र्जो उगती है या मअहदनीयात में स़े हों
अगि उसक़ी क़ीमत 18 चऩे सोऩे क़े ििािि हो र्जाए तो ज़रूिी है कक उसका खम्
ु स
फ़ामसला न हो मसलन यह कक दो मौसमों में गव्वासी क़ी हो। िसिू त़े दीगि हि
एक दफ़् आ में 18 चऩे सोऩे क़ी क़ीमत क़े ििािि न हो तो उसका खुम्स द़े ना
वाजर्जि नहीं है । औि इसी तिह गव्वासी में शिीक तमाम गोता खोिों में स़े हि एक
नहीं है।
समन्
ु दि क़े पानी क़ी सत्ह या समन्
ु दि क़े ककनाि़े स़े मोती हामसल कि़े तो उन का
खम्
ु स उस़े उस सिू त में द़े ना ज़रूिी है र्जि र्जो मोती उस़े दस्तयाि हुए हों वह
580
1830. मछमलयों औि उन दस
ू ि़े (आिी) र्जानविों का खुम्स जर्जन्ह़े इंसान समन्
ु दि
में गोता लगाए िगैि हामसल किता है उस सिू त में वाजर्जि होता है र्जि उन चीज़ों
1831. अगि इंसान कोई चीज़ तनकालऩे का इिादा ककय़े िगैि समन्
ु दि में गोता
लगाए औि इवत्तफ़ाक स़े कोई मोती उसक़े हाथ लग र्जाए औि वह उस़े अपनी
ममजल्कयत में ल़ेऩे का इिादा कि़े तो उस का खुम्स द़े ना ज़रूिी है िजल्क एहततयात़े
औि उसक़े प़ेट में स़े उस़े कोई मोती ममल़े तो अगि वह र्जानवि सीपी क़ी मातनन्द
1833. अगि कोई शख़्स िड़़े दरियाओं मसलन दज्ला औि फ़ुिात में गोता
लगाए औि मोती तनकाल लाए तो अगि उस दरिया में मोती पैदा होत़े हों तो
581
1834. अगि कोई शख़्स पानी में गोता लगाए औि कुछ अंिि तनकाल लाए औि
यही हुक्म है ।
खुम्स अदा कि द़े औि किि उसक़े साल भि क़े अखिार्जात स़े कुछ िच र्जाए तो
1836. अगि िच्चा कोई मअहदनी चीज़ तनकाल़े या उस़े कोई दफ़़ीना ममल र्जाए
या समन्
ु दि में गोता लगाकि मोती तनकाल लाए तो िच्च़े का वली उसका खुम्स द़े
औि अगि वली खुम्स अदा न कि़े तो ज़रूिी है कक िच्चा िामलग होऩे क़े िाद
खुम्स अदा कि़े औि इसी तिह अगि उस क़े पास हिाम माल में हलाल माल ममला
6. माले गऩीमत
1837. अगि मस
ु लमान इमाम (अ0) क़े हुक्म स़े कुफ़्फ़ाि स़े र्जंग कि़े औि र्जो
चीज़ र्जंग में उनक़े हाथ लग़े उन्हें गनीमत कहा र्जाता है औि उस माल क़ी
हहफ़ाज़त या उसक़ी नक़्लो हम्ल वगैिा क़े मसारिफ़ ममन्हा कि ऩे क़े िाद औि र्जो
582
इमाम (अ0) का हक है उस़े अलायहदा किऩे क़े िाद िाक़ीमांदा पि खुम्स अदा
मस
ु लमानों क़ी मश
ु तकाक ममजल्कयत है अगिच़े र्जंग इमाम (अ0) क़ी इर्जाज़त स़े न
हो।
1838. अगि मस
ु लमान काकफ़िों स़े इमाम (अ0) क़ी इर्जाज़त क़े िगैि र्जंग कि़े
1839. र्जो कुछ काकफ़िों क़े हाथ में है अगि उसका मामलक मोहतिमल
ु माल
यअनी मस
ु लमान या काकफ़ि़े जज़म्मी हो तो उस पि गनीमत क़े अहकाम र्जािी नहीं
होंग़े।
1840. काकफ़ि़े हि़ी का माल चिु ाना औि उस र्जैसा कोई काम किना अगि
स़े हामसल क़ी र्जायें एहततयात क़ी बिना पि ज़रूिी है कक उन्हें लौटा दी र्जाए।
अलित्ता उस का खुम्स द़े ल़ेककन यह हुक्म इश्काल स़े खाली नहीं है।
583
7. वह जम़ीन जो जजम्म़ी काफफ़ि फकस़ी मस
ु लमान से ख़िीदे
ल़ेककन खम्
ु स क़े आम कवायद क़े मत
ु ाबिक उस सिू त में खम्
ु स क़े वाजर्जि होऩे में
इश्काल है।
ख़ुम्स का मसिफ़
1843. ज़रूिी है कक खुम्स दो हहस्सों में तक़्सीम ककया र्जाए। उसका एक हहस्सा
हो।
ल़ेककन र्जो सैय्यद सफ़ि में नाचाि हो र्जाए वह ख़्वाह अपऩे वतन में फ़क़ीि न भी
584
1845. र्जो सैय्यद सफ़ि में नाचाि हो गया हो अगि उसका सफ़ि गुनाह का
या अलातनया गन
ु ाह किता हो गो खम्
ु स द़े ऩे स़े उस़े गन
ु ाह किऩे में मदद न
ममलती हो।
1848. र्जो शख़्स कह़े कक मैं सैय्यद हूं उस़े उस वक़्त तक खम्
ु स न हदया र्जाए
र्जि तक दो आहदल अश्खास उसक़े सैय्यद होऩे क़ी तसदीक न कि दें या लोगों में
कक वह सैय्यद है।
1849. कोई शख़्स अपऩे शहि में सैय्यद मशहूि हो औि उसक़े सैय्यद न होऩे
क़े िाि़े में र्जो िातें क़ी र्जाती हों इंसान को उन पि यक़ीन या इत्मीनान न हो तो
1850. अगि ककसी क़ी िीवी सैतयदानी हो तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि
ज़रूिी है कक शौहि उस़े इस मक़्सद क़े मलए खुस्म न द़े कक वह उस़े अपऩे ज़ाती
585
इस्त़ेमाल में ल़े आए ल़ेककन अगि दस
ू ि़े लोगों क़ी कफ़ालत उस औित पि वाजर्जि
औित को इस गिज़ स़े खुस्म द़े ऩे क़े िाि़े में भी यही हुक्म है र्जिकक वह (यह
िकम) अपऩे गैि वाजर्जि अखिार्जात पि सफ़क कि़े (यअनी इस मक़्सद क़े मलए उस़े
1851. अगि इंसान पि ककसी सैय्यद क़े या ऐसी सैतयदानी क़े अखिार्जात
सैतयदानी को खुम्स क़ी कुछ िकम इस मकसद स़े द़े कक वह वाजर्जि अखिार्जात क़े
अलावा उस़े दस
ू िी ज़रूिीयात पि खचक कि़े तो कोई हिर्ज नहीं।
है ।
586
1854. अगि ककसी शख़्स क़े शहि में कोई मस्
ु तहक सैय्यद न हो औि उस़े
यक़ीन या इत्मीनान हो कक कोई ऐसा सैय्यद िाद में भी नहीं ममल़ेगा या र्जि तक
कोई मस्
ु तहक सैय्यद ममल़े खम्
ु स क़ी हहफ़ाज़त किना मजु म्कन न हो तो ज़रूिी है
कक खुम्स दस
ू ि़े शहि में ल़े र्जाए औि मस्
ु तहक को पहुंचा द़े औि खुम्स दस
ू ि़े शहि
ल़े र्जाऩे क़े अखिार्जात खुम्स में स़े ल़े सकता है। औि अगि खुम्स तलफ़ हो र्जाए
है ।
1855. र्जि ककसी शख़्स क़े अपऩे शहि में खुम्स का मस्
ु तहक शख़्स मौर्जूद न
हो तो अगिच़े उस़े यक़ीन या इत्मीनान हो कक िाद में ममल र्जाय़ेगा औि खुम्स क़े
मस्
ु तहक शख़्स क़े ममलऩे तक खुम्स क़ी तनगहदाश्त भी मजु म्कन हो ति भी वह
खुम्स दस
ू ि़े शहि ल़े र्जा सकता है औि अगि वह खुम्स क़ी तनगहदाश्त में कोताही
न िित़े औि वह तलफ़ हो र्जाए तो उसक़े मलए कोई चीज़ द़े ना ज़रूिी नहीं ल़ेककन
वह खम्
ु स क़े दस
ू िी र्जगह ल़े र्जाऩे क़े अखिार्जात खम्
ु स में स़े नहीं ल़े सकता।
1856. अगि ककसी शख़्स क़े अपऩे शहि में खुम्स का मस्
ु तहक ममल र्जाए ति
भी वह खुम्स दस
ू ि़े शहि ल़े र्जाकि मस्
ु तहक को पहुंचा सकता है अलित्ता खुम्स
का एक शहि स़े दस
ू ि़े शहि ल़े र्जाना इस कर ताखीि का मजू र्जि न हो कक खुम्स
587
अदा कि़े औि इस सिू त में अगि खुम्स ज़ाए हो र्जाए तो अगिच़े उस ऩे उसक़ी
1857. अगि कोई शख़्स हाककम़े शअक क़े हुक्म स़े खम्
ु स दस
ू ि़े शहि ल़े र्जाए औि
वह तलफ़ हो र्जाए तो उसक़े मलए दोिािा खुम्स द़े ना लाजज़म नहीं औि इसी तिह
अगि वह खुम्स हाककम़े शअक क़े वक़ील को द़े द़े र्जो खुम्स क़ी वसल
ू ी पि मामिू हो
हुक्म है ।
1858. यह र्जाइज़ नहीं कक ककसी चीज़ क़ी क़ीमत उस क़ी अस्ल क़ीमत स़े
ज़्यादा लगा कि उस़े ितौि़े खुम्स हदया र्जाए औि र्जैसा कक मस ्अला 1797 में
इश्काल है।
ज़रूिी है कक या तो हाककम़े शअक स़े इर्जाज़त ल़े या खुम्स उस शख़्स को द़े द़े औि
वक़ील िन कि खुद उसक़ी तिफ़ स़े खुम्स ल़े ल़े औि उसस़े अपना कज़ाक चक
ु ा ल़े।
588
1860. मामलक, खुम्स क़े मस्
ु तहक शख़्स स़े यह शतक नहीं कि सकता कक वह
खम्
ु स ल़ेऩे क़े िाद उस़े वापस लौटा द़े । ल़ेककन अगि मस्
ु तहक शख़्स खम्
ु स ल़ेऩे क़े
िाद उस़े वापस द़े ऩे पि िाज़ी हो र्जाए तो इस में कोई हिर्ज नहीं है । मसलन जर्जस
का मस्
ु तहक शख़्स िाज़ी हो र्जाए कक उसस़े खुम्स ल़े कि किि उसको िख़्श द़े तो
जकात के अहकाम
क़े तहत जर्जन का जज़क्र िाद में ककया र्जाय़ेगा ज़रूिी है कक र्जो ममकदाि मक
ु िक ि क़ी
गई है उस़े उन मसारिफ़ में स़े ककसी एक मद में खचक कि़े जर्जन का हुक्म हदया
गया है ।
589
1862. सल्
ु त र्जो ग़ेहूाँ क़ी तिह एक नमक अनार्ज है औि जर्जस़े ि़े तछल्क़े का र्जौ
भी कहत़े हैं औि अलस पि र्जो ग़ेहूाँ क़ी एक ककस्म है औि सनआ (यमन) क़े
लोगों क़ी चगज़ा है एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि र्जकात द़े ना ज़रूिी है।
1863. ज़कात मज़कूिा दस चीज़ों पि इस सिू त में वाजर्जि होती है र्जि माल
उस तनसाि क़ी ममक़्दाि तक पहुंच र्जाए जर्जसका जज़क्र िाद में ककया र्जाय़ेगा औि
1864. अगि इंसान ग्यािा महीऩे गाय, भ़ेड़ िकिी, ऊंट, सोऩे या चांदी का
मामलक िह़े तो अगिच़े िािहवें महीऩे क़ी पहली तािीख को ज़कात उस पि वाजर्जि
हो र्जाय़ेगी ल़ेककन ज़रूिी है कक अगल़े साल क़ी इजबतदा का हहसाि िािहवें महीऩे
1865. सोऩे, चांदी औि माल़े ततर्जाित पि ज़कात क़े वाजर्जि होऩे क़ी शतक यह है
ककशममश औि इसी तिह ऊंट, गाय औि भ़ेड़ िकरियों में मामलक का िामलग औि
1866. ग़ेहूं औि र्जौ पि ज़कात उस वक़्त वाजर्जि होती है र्जि उन्हें ग़ेहूं औि र्जौ
कहा र्जाए। ककशममश पि र्जकात उस वक़्त वाजर्जि होती है र्जि वह अभी अंगिू क़ी
590
ही सिू त में हो। औि खर्जूि पि ज़कात उस वक़्त वाजर्जि होती है र्जि (वह पक
र्जायें औि) अिि उस़े तमि कहें । ल़ेककन ग़ेहूं औि र्जौ में ज़कात का तनसाि द़े खऩे
औि ज़कात द़े ऩे का वक़्त वह होता है, र्जि यह गल्ला खमलयान में पहुंच़े औि उस
में यह वक़्त वह होता है र्जि उन्हें उताि ल़ेत़े हैं। उस वक़्त को खुश्क होऩे का
1867. ग़ेहूं, र्जौ, ककशममश औि खर्जूि में ज़कात साबित होऩे क़े मलए र्जैसा कक
साबिका मस ्अल़े में िताया गया है अक़्वा क़ी बिना पि मोअतिि नहीं है कक उन
उस क़े या उसक़े वक़ील क़े हाथ में न हो मसलन ककसी ऩे उन चीज़ों को गस्ि
1868. सोऩे, चांदी औि माल़े ततर्जाित में ज़कात साबित होऩे क़े मलए, र्जैसा कक
ियान हो चक
ु ा, ज़रूिी है कक मामलक आककल हो अगि मामलक पिू ा साल या साल
1869. अगि गाय, भ़ेड़, ऊंट, सोऩे औि चांदी, का मामलक साल का कुछ हहस्सा
मस्त (ि़ेहवास) या ि़ेहोश िह़े तो ज़कात उस पि स़े साककत नहीं होती औि इसी
तिह ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि औि ककशममश का मामलक ज़कात वाजर्जि होऩे क़े मौक़े पि
591
1870. ग़ेहूं, र्जौ, खर्जिू औि ककशममश क़े अलावा दस
ू िी चीज़ों में ज़कात साबित
होऩे क़े मलए यह शतक है कक मामलक उस माल में तसरुक फ़ किऩे क़ी कुदित िखता
1871. अगि ककसी ऩे सोना औि चांदी या कोई औि चीज़ जर्जस पि ज़कात द़े ना
ज़रूिी है कक उसक़ी ज़कात द़े औि जर्जसऩे कज़क हदया हो उस पि कुछ वाजर्जि नहीं
है ।
1872. ग़ेहूं, र्जौ, खर्जिू औि ककशममश पि ज़कात उस वक़्त वाजर्जि होती है र्जि
कोई शख़्स खुद या उसक़े अहलो अयाल उस़े खा लें या मसलन वह यह अज्नास
ककसी फ़क़ीि को ज़कात क़ी नीयत क़े िगैि द़े द़े तो ज़रूिी है कक जर्जतनी ममक़्दाि
592
1874. अगि ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि औि अंगिू पि ज़कात वाजर्जि होऩे क़े िाद उन
चीज़ों का मामलक मि र्जाए तो जर्जतनी ज़कात िनती हो वह उसक़े माल स़े द़े नी
ज़रूिी है ल़ेककन अगि वह शख़्स ज़कात वाजर्जि होऩे स़े पहल़े मि र्जाए तो वह
वारिस जर्जसका हहस्सा तनसाि तक पहुंच र्जाए – ज़रूिी है कक अपऩे हहस्स़े क़ी
1875. र्जो शख़्स हाककम़े शअक क़ी तिफ़ स़े ज़कात र्जमा किऩे पि मामिू हो वह
1876. अगि ककसी शख़्स क़े खर्जूि क़े दिख़्तों, अंगूि क़ी ि़ेलों या ग़ेहूं औि र्जौ
क़े ख़ेतों (क़ी पैदावाि) का मामलक िनऩे क़े िाद उन चीर्जों पि ज़कात वाजर्जि हो
1877. अगि ग़ेहूं, र्जौ औि अंगिू पि ज़कात वाजर्जि होऩे क़े िाद कोई शख़्स
ख़ेतों औि दिख़्तों को ि़ेच द़े तो ि़ेचऩे वाल़े पि उन अज्नास क़ी ज़कात वाजर्जि है
1878. अगि कोई शख़्स ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि या अंगूि खिीद़े औि उस़े इल्म हो कक
ि़ेचऩे वाल़े ऩे उनक़ी ज़कात द़े दी है या शक कि़े कक उस ऩे ज़कात दी है या नहीं
593
तो उस पि कुछ वाजर्जि नहीं है औि अगि उस़े मअमल
ू हो कक ि़ेचऩे वाल़े ऩे उन
ि़ेचऩे वाल़े ऩे दग्ल ककया हो तो वह ज़कात द़े ऩे क़े िाद उसस़े रुर्जउ
ू कि सकता है
1879. अगि ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि औि अंगूि का वर्जन ति होऩे क़े वक़्त तनसाि क़ी
1880. अगि कोई शख़्स ग़ेहूं, र्जौ औि खर्जिू को खश्ु क होऩे क़े वक़्त स़े पहल़े
ज़कात द़े ।
1. वह जर्जस़े खुश्क ककया र्जाता है (यअनी छुआि़े ) उसक़ी ज़कात का हुक्म ियान
हो चक
ु ा है।
2. रुति – वह र्जो रुति (पक़ी हुई िसदाि) होऩे क़ी हालत में खाई र्जाती है ।
दस
ू िी ककस्म क़ी ममक़्दाि अगि खश्ु क होऩे तक तनसाि क़ी हद तक पहुंच र्जाए
तो एहततयात़े मस्
ु तहि है कक उसक़ी ज़कात दी र्जाए। र्जहां तक तीसिी ककस्म का
तअल्लक
ु है ज़ाहहि यह है कक उस पि ज़कात वाजर्जि नहीं है ।
594
1882. जर्जस ग़ेहूं, र्जौ, खर्जिू औि ककशममश क़ी ज़कात ककसी शख़्स ऩे द़े दी हो
अगि वह चन्द साल उसक़े पास पड़ी भी िह़े तो उन पि दोिािा ज़कात वाजर्जि नहीं
होगी।
1883. अगि ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि औि अंगूि (क़ी काश्त) िािानी या नहिी ज़मीन पि
क़ी र्जाए या ममस्त्री जज़िाअत क़ी तिह उन्हें ज़मीन क़ी नमी स़े फ़ाइदा पहुंच़े तो
उन पि ज़कात दसवां हहस्सा है औि अगि उनक़ी मसंचाई (झील या कुयें वगैिा) क़े
1884. अगि ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि औि अंगिू (क़ी काश्त) िारिश क़े पानी स़े भी
स़ेिाि हो औऱ उस़े डोल वगैिा क़े पानी स़े भी फ़ाइदा पहुंच़े तो अगि यह मसचांई
ऐसी हो कक आम तौि पि कहा र्जा सक़े कक उनक़ी मसचाई डोल वगैिा स़े क़ी गई
औि िारिश क़े पानी स़े स़ेिाि हुए हैं तो उन पि ज़कात का दसवां हहस्सा है औि
अगि मसंचाई क़ी सिू त यह हो कक आम तौि पि कहा र्जाए कक दोनों ज़िाए स़े
595
कहें कक दोनों ज़िाए स़े मसंचाई हुई या यह कहें कक मसलन िारिश क़े पानी स़े हुई
दोनों ज़िा ए स़े मसंचाई हुई है या यह कहत़े हैं कक डोल वगैिा स़े हुई है तो उस
उमम
ू न लोग कहें कक िारिश क़े पानी स़े स़ेिाि हुई है ति भी यही हुक्म है ।
1887. अगि ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि औि अंगिू िारिश औि नहि क़े पानी स़े स़ेिाि हों
औि उन्हें डोल वगैिा क़े पानी क़ी हार्जत न हो ल़ेककन उनक़ी मसंचाई डोल क़े पानी
स़े भी हुई हो औि डोल क़े पानी स़े आमदनी में इज़ाफ़़े में कोई मदद न ममली हो
तो उन पि ज़कात दसवां हहस्सा है औि अगि डोल वगैिा क़े पानी स़े मसंचाई हुई
हो औि नहि औि िारिश क़े पानी क़ी हार्जत न हो ल़ेककन नहि औि िारिश क़े
पानी स़े भी स़ेिाि हों औि उसस़े आमदनी में इज़ाफ़़े में कोई मदद न ममली हो तो
1888. अगि ककसी ख़ेत क़ी मसंचाई डोल वगैिा स़े क़ी र्जाए औि उसस़े मल
ु ाहहका
फ़ाइदा उठाए औि उस़े मसंचाई क़ी ज़रूित न िह़े तो जर्जस ज़मीन क़ी मसंचाई डोल
596
1889. र्जो अखिार्जात ककसी शख़्स ऩे ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि औि अंगिू पि ककय़े हों
उन्हें वह फ़स्ल क़ी आमदनी स़े ममन्हा कि क़े तनसाि का हहसाि नहीं लगा सकता
मलहाज़ा अगि उनमें स़े ककसी एक का वज़न अखिार्जात का हहसाि लगाऩे स़े पहल़े
1890. जर्जस शख़्स ऩे जज़िाअत में िीर्ज इस्त़ेमाल ककया हो ख़्वाह वह उस क़े
क़ी आमदनी स़े ममन्हा कि क़े नहीं िख सकता िजल्क ज़रूिी है कक तनसाि का
1891. र्जो कुछ हुकूमत असली माल स़े (जर्जस पि ज़कात वाजर्जि हो) ितौि
मह्सल
ू ल़े ल़े उस पि ज़कात वाजर्जि नहीं है । मसलन अगि ख़ेत क़ी पैदावाि
2000 ककलो हो औि हुकूमत उसमें स़े 100 ककलो ितौि लगान क़े ल़े ल़े तो
अखिार्जात उसऩे ज़कात वाजर्जि होऩे स़े पहल़े ककय़े हों उन्हें वह पैदावाि स़े ममन्हा
1893. ज़कात वाजर्जि होऩे क़े िाद र्जो अखिार्जात ककय़े र्जायें औि र्जो कुछ
ज़कात क़ी ममक़्दाि क़ी तनस्ित खचक ककया र्जाए वह पैदावाि स़े ममन्हा नहीं ककया
597
र्जा सकता अगिच़े एहततयात क़ी बिना पि हाककम़े शअक या उसक़े वक़ील स़े उसको
1894. ककसी शख़्स क़े मलए यह वाजर्जि नहीं कक वह इजन्तज़ाि कि़े ताकक र्जौ
औि ग़ेहूं खमलयान तक पहुंच र्जायें औि अंगिू औि खर्जूि क़े खुश्क होऩे का वक़्त
हो र्जाए किि ज़कात द़े िजल्क र्जंू ही ज़कात वाजर्जि हो र्जाइज़ है कक ज़कात क़ी
1896. र्जि कोई शख़्स फ़स्ल या खर्जूि औि अंगूि क़ी ज़कात ऐन माल क़ी
िजल्क वह फ़स्ल क़ी कटाई या खर्जिू औि अंगिू क़े खश्ु क होऩे तक माल़े ज़कात
1897. अगि इंसान कई शहिो में ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि या अंगूि का मामलक हो औि
598
साल क़ी पैदावाि शम
ु ाि होतें हों तो अगि उनमें स़े र्जो चीज़ पहल़े पक र्जाए वह
तनसाि क़े मत
ु ाबिक हो तो ज़रूिी है कक उस पि उसक़े पकऩे क़े वक़्त ज़कात द़े
औि िाक़ी मांदा अज्नास पि उस वक़्त ज़कात द़े र्जि वह दस्तयाि हों औि अगि
पहल़े पकऩे वाली चीज़ तनसाि क़े ििािि न हो तो इजन्तज़ाि कि़े ताकक िाक़ी
नहीं है।
1898. अगि खर्जिू औि अंगिू क़े दिख़्त साल में दो दफ़् आ िल दें औि दोनों
मतकिा क़ी पैदावाि र्जम ्अ किऩे पि तनसाि क़े ििािि हो र्जाए तो एहततयात क़ी
हालत में वह ज़कात क़ी नीयत स़े उतनी ममक़्दाि ज़कात क़े मसिफ़ में ल़े आए
जर्जतनी उनक़े खश्ु क होऩे पि ज़कात क़ी उस ममक़्दाि क़े ििािि हो र्जो उस पि
1900. अगि ककसी शख़्स पि खश्ु क खर्जिू या ककशममश क़ी ज़कात वाजर्जि हो
तो वह उन क़ी ज़कात ताज़ा खर्जूि या अंगिू क़ी शक्ल में नहीं द़े सकता िजल्क
अगि वह खश्ु क खर्जिू या ककशममश क़ी ज़कात क़ी क़ीमत लगाए औि अंगिू या
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ताज़ा खर्जिू ें या ककशममश या कोई औि खश्ु क खर्जूिें इस क़ीमत क़े तौि पि द़े तो
उसमें भी इश्काल है नीज़ अगि ककसी पि ताज़ा खर्जिू या अंगिू क़ी ज़कात वाजर्जि
उसमें इश्काल है ।
1901. अगि कोई ऐसा शख़्स मि र्जाए र्जो मकरूज़ हो औि उसक़े पास ऐसा
ज़कात वाजर्जि हो चक
ु ़ी हो पहल़े उसमें स़े तमाम ज़कात दी र्जाए औि उसक़े िाद
1902. अगि कोई ऐसा शख़्स मि र्जाए र्जो मकरूज़ हो औि उसक़े पास ग़ेहूं,
हहस्सा तनसाि क़ी ममक़्दाि तक पहुंचता हो ज़रूिी है कक ज़कात द़े औि अगि इसस़े
हो कक अगि उस़े अदा किऩे चाह़े तो अदा कि सकें ज़रूिी है कक ग़ेहूं, र्जौ, खर्जूि
औि अंगिू में स़े कुछ ममक़्दाि भी कज़कख़्वाह को दें । मलहाज़ा र्जो कुछ कज़कख़्वाह को
600
दें उस पि ज़कात नहीं है औि िाक़ी मांदा माल पि वारिसों में स़े जर्जस का भी
हहस्सा ज़कात क़े तनसाि क़े ििािि हो उसक़ी ज़कात द़े ना ज़रूिी है ।
1903. जर्जस शख़्स क़े पास अच्छ औि र्हटया दोनों ककस्म क़े ग़ेहूं, र्जौ, खर्जिू
है कक अच्छ़े औि र्हटया दोनों अक़्साम में स़े अलग अलग ज़कात तनकाल़े।
सोने का तनसाब
उसका पहला तनसाि िीस ममस्काल़े शिई है र्जिकक हि ममस्काल़े शिई 18 नखुद
का होता है। पस जर्जस वक़्त सोऩे क़ी ममक़्दाि िीस ममस्काल़े शिई तक, र्जो
आर्जकल क़े पन्रह ममस्काल क़े ििािि होत़े हैं, पहुंच र्जाए औि वह दस
ू िी शिाइत
चालीसवां हहस्सा र्जो 1 (9) नखुद क़े ििािि होता है ज़कात क़े तौि पि द़े औि
उसका दस
ू िा तनसाि चाि ममस्काल़े शिई है र्जो आर्जकल क़े तीन ममस्काल क़े
ििािि होता है यअनी अगि पन्रह ममस्काल पि तीन ममस्काल का इज़ाफ़ा हो र्जाए
तो ज़रूिी है कक मसफ़क 15 ममस्काल पि ज़कात द़े इस सिू त में इज़ाफ़़े यअनी अगि
601
अगि इज़ाफ़ा तीन ममस्काल स़े कम हो तो र्जो ममक़्दाि िढ़ी हो उस पि कोई
चांदी का तनसाब
इस का पहला तनसाि 105. मिु व्वर्जा ममस्काल है मलहाज़ा र्जि चांदी क़ी ममक़्दाि
र्जा चक
ु ़ी हैं तो ज़रूिी है कक इंसान उसका ढ़ाई फ़़ीसदी र्जो दो ममस्काल औि 15
ज़कात नहीं है । इस बिना पि इंसान क़े पास जर्जतना सोना या चांदी हो अगि वह
उसका चालीसवां हहस्सा ितौि ज़कात द़े तो वह ऐसी ज़कात अदा कि़े गा र्जो उस
पि वाजर्जि थी औि अगि वह ककसी वक़्त ममक़्दाि स़े कुछ ज़्यादा द़े मसलन अगि
ककसी क़े पास 110 ममस्काल चांदी हो औि वह उसका चालीसवां हहस्सा द़े तो 105
602
ममस्काल क़ी ज़कात तो वह होगी र्जो उस पि वाजर्जि थी औि 5 ममस्काल पि वह
उस पि ज़कात द़े द़े ल़ेककन र्जि तक उसक़े पास सोना या चांदी पहल़े तनसाि स़े
1907. सोऩे औि चांदी पि ज़कात उस सिू त में वाजर्जि होती है र्जि वह ज़रूिी
है कक ढल़े हुए मसक्कों क़ी सिू त में हों औि उनक़े ज़िीए ल़ेन द़े न का रिवार्ज हो
औि अगि उनक़ी मह
ु ि ममट भी चक
ु ़ी हो ति भी ज़रूिी है कक उन पि ज़कात दी
र्जाए।
1908. वह मसक्कादाि सोना या चांदी जर्जन्हें औितें ितौि ज़़ेवि पहनती हों र्जि
तक वह िाइर्ज हों यअनी सोऩे औि चांदी क़े मसक्कों क़े तौि पि उनक़े ज़िीए ल़ेन
द़े न होता हो एहततयात क़ी बिना पि उनक़ी ज़कात द़े ना वाजर्जि है ल़ेककन अगि
1909. जर्जस शख़्स क़े पास सोना औि चांदी दोनों हों अगि उनमें स़े कोई भी
पहल़े तनसाि क़े ििािि न हो मसलन उसक़े पास 104 ममस्काल चांदी औि 15
में वाजर्जि होती है र्जि वह ग्यािा महीऩे तनसाि क़ी ममक़्दाि क़े मत
ु ाबिक ककसी
603
शख़्स क़ी ममजल्कयत में िह़े औि अगि ग्यािा महीनों में ककसी वक़्त सोना औि
1911. अगि ककसी शख़्स क़े पास सोना औि चांदी हो औि वह ग्यािा महीऩे क़े
वाजर्जि नहीं है ल़ेककन अगि वह ज़कात स़े िचऩे क़े मलए उनको सोऩे या चांदी स़े
िदल ल़े यअनी सोऩे को सोऩे औि चांदी को चांदी या सोऩे स़े िदल ल़े तो
1912. अगि कोई शख़्स िािहवें महीऩे में सोना या चांदी वपघ्लाए तो ज़रूिी है
वाजर्जि थी वह द़े ।
1913. अगि ककसी शख़्स क़े पास र्जो सोना औि चांदी हो उसमें स़े कुछ िहढ़या
औि कुछ र्हटया ककस्म का हो तो वह िहढ़या क़ी ज़कात िहढ़या में स़े औि र्हटया
क़ी ज़कात र्हटया में स़े द़े सकता है । ल़ेककन एहततयात क़ी बिना पि वह र्हटया
हहस्स़े में स़े तमाम ज़कात नहीं द़े सकता िजल्क ि़ेहति यह है कक सािी ज़कात
आमोजज़श हो अगि उन्हें चांदी औि सोऩे क़े मसक्क़े कहा र्जाता हो तो उस सिू त में
604
र्जि वह तनसाि क़ी हद तक पहुंच र्जायें उन पि ज़कात वाजर्जि है गो उनका
खामलस हहस्सा तनसाि क़ी हद तक न पहुंच़े ल़ेककन अगि उन्हें सोऩे औि चांदी क़े
1915. जर्जस शख़्स क़े पास सोऩे औि चांदी क़े मसक्क़े हों अगि उनमें दस
ू िी
ज़्यादा हो या ऐस़े मसक्कों में द़े र्जो सोऩे औि चांदी क़े िऩे हुए न हों ल़ेककन यह
मसक्क़े इतनी ममक़्दाि में हों कक उनक़ी क़ीमत उस ज़कात क़ी क़ीमत क़े ििािि हो
1916. ऊंट, गाय औि भ़ेड़, िकिी क़ी ज़कात क़े मलए उन शिाइत क़े अलावा
जर्जनका जज़क्र आ चक
ु ा है एक शतक औि भी है वह यह है कक है वान सािा साल
मसफ़क (खुदिौ) र्जंगली र्ास चिता हो मलहाज़ा अगि सािा साल या उस का कुछ
हहस्सा काटी हुई र्ास खाए या ऐसी चािागाह में चि़े र्जो खुद उस शख़्स क़ी
605
मामलक क़ी मम्लक
ू ा र्ास (या चािा) खाए तो उसक़ी ज़कात वाजर्जि है । ल़ेककन
ऊंट, गाय औि भ़ेड़ क़ी ज़कात वाजर्जि होऩे में एहततयात क़ी बिना पि यह शतक
नहीं है कक सािा साल है वान ि़ेकाि िह़े िजल्क अगि आियािी या हल चलाऩे या
उन र्जैस़े उमिू में उन है वानों स़े इजस्तफ़ादा ककया र्जाए तो एहततयात क़ी बिना पि
1917. अगि कोई शख़्स अपऩे ऊंट, गाय औि भ़ेड़ क़े मलए एक ऐसी चािागाह
खिीद़े जर्जसमें ककसी ऩे काश्त न क़ी हो या उस़े ककिाए (या ठ क़े) पि हामसल कि़े
तो उस सिू त में ज़कात का वाजर्जि होना मजु श्कल है अगिच़े ज़कात का द़े ना
ज़कात द़े ।
ऊंट के तनसाब
606
5. पच्चीस ऊंट -- औि उनक़ी ज़कात पांच भ़ेड़ें हैं।
हो चक
ु ा हो।
7. छत्तीस ऊंट -- औि उनक़ी ज़कात एक ऐसा ऊंट है र्जो तीसि़े साल में दाखखल
हो चक
ु ा हो।
8. तछयालीस ऊंट -- औि उनक़ी ज़कात एक ऐसा ऊंट है र्जो चौथ़े साल में
दाखखल हो चक
ु ा हो।
9. एक्सठ ऊंट -- औि उनक़ी ज़कात एक ऐसा ऊंट है र्जो पांचवें साल में
दाखखल हो चक
ु ा हो।
10. तछहत्ति ऊंट -- औि उनक़ी ज़कात दो ऐस़े ऊंट हैं र्जो तीसि़े साल में दाखखल
हो चक
ु ़े हों।
11. एक्यानव़े ऊंट -- औि उनक़ी ज़कात दो ऐस़े ऊंट हैं र्जो चौथ़े साल में
दाखखल हों।
चालीस ऊंटों क़े मलए एक ऐसा ऊंट द़े र्जो तीसि़े साल में दाखखल हो चक
ु ा हो या
पचास स़े पचास तक हहसाि कि़े औि हि पचास ऊंटों क़े मलए एक ऊंट द़े र्जो चौथ़े
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सिू त में इस तिह हहसाि किना ज़रूिी है कक कुछ िाक़ी न िच़े या अगि िच़े भी
क़े मलए दो ऐस़े ऊंट द़े र्जो चौथ़े साल में दाखखल हो चक
ु ें हों औि चालीस क़े मलए
1919. दो तनसािों क़े दिममयान ज़कात वाजर्जि नहीं है मलहाज़ा अगि एक शख़्स
र्जो ऊंट िखता हो उनक़ी तादाद पहल़े तनसाि र्जो पांच है, िढ़ र्जाए तो र्जि तक
वह दस
ू ि़े तनसाि तक र्जो दस है न पहुंच़े ज़रूिी है कक फ़कत पांच पि ज़कात द़े
गाय का तनसाब –
इस का पहला तनसाि तीस है। र्जि ककसी शख़्स क़ी गायों क़ी तादाद तीस तक
पहुंच र्जाए औि वह शिाइत भी पिू ी होती हों जर्जनका जज़क्र ककया र्जा चक
ु ा है तो
तनसाि चालीस है औि उसक़ी ज़कात एक ितछया है र्जो तीसि़े साल में दाखखल हो
चक
ु ़ी हो औि तीस औि चालीस क़े दिममयान ज़कात वाजर्जि नहीं है। मसलन जर्जस
608
शख़्स क़े पास उन्तालीस गायें हों ज़रूिी है कक मसफ़क तीस क़ी ज़कात द़े औि अगि
उसक़े पास चालीस स़े ज़्यादा गायें हों तो र्जि तक उनक़ी तादाद साठ तक न पहुंच
र्जाए ज़रूिी है कक मसफ़क चालीस पि ज़कात द़े । औि र्जि उनक़ी तादाद साठ तक
र्जंू गायों क़ी तादाद िढ़ती र्जाए ज़रूिी है कक या तो तीस स़े तीस तक हहसाि कि़े
उस तिीक़े क़े मत
ु ाबिक ज़कात द़े र्जो िताया गया है। ल़ेककन ज़रूिी है कक इस
तिह हहसाि कि़े कक कुछ िाक़ी न िच़े औि अगि कुछ िच़े तो नौ स़े ज़्यादा न हो
मसलन अगि उसक़े पास सत्ति गायें हों तो ज़रूिी है कक तीस औि चालीस क़े
मत
ु ाबिक हहसाि कि़े औि तीस क़े मलए तीस क़ी औि चालीस क़े मलए चालीस क़ी
ज़कात द़े क्योंकक अगि वह तीस क़े मलहाज़ स़े हहसाि कि़े गा तो दस गायें िगैि
भेड का तनसाब
609
दस
ू िा तनसाि 121 है – औि उसक़ी ज़कात दो भ़ेड़ें हैं।
उन्हीं भ़ेड़ों में स़े दी र्जाए िजल्क अगि कोई औि भ़ेड़ें दी र्जायें या भड़ों क़ी क़ीमत
1922. दो तनसािों क़े दिममयान ज़कात वाजर्जि नहीं है मलहाज़ा अगि ककसी क़ी
भ़ेड़ों क़ी तादाद पहल़े तनसाि स़े र्जो कक चालीस है ज़्यादा हो ल़ेककन दस
ू ि़े तनसाि
र्जो तादाद उसस़े ज़्यादा हो उस पि ज़कात नहीं है औि उसक़े िाद क़े तनसािों क़े
1923. ऊंट, गायें औि भ़ेड़ें र्जि तनसाि क़ी हद तक पहुंच र्जायें तो ख़्वाह वह
नहीं है।
610
1925. अगि कोई शख़्स ज़कात क़े तौि पि भ़ेड़ द़े तो एहततयात़े वाजर्जि क़ी
अगि िकिी द़े तो एहततयातन ज़रूिी है कक वह तीसि़े साल में दाखखल हो चकु क
हो।
1926. र्जो भ़ेड़ कोई शख़्स ज़कात क़े तौि पि द़े अगि उसक़ी क़ीमत उसक़ी
द़े जर्जसक़ी क़ीमत उसक़ी हि भ़ेड़ स़े ज़्यादा हो। नीज़ गाय औि ऊंट क़े िाि़े में भी
यही हुक्म है ।
1927. अगि कई अफ़िाद िाहम हहस्स़ेदाि हों तो जर्जस जर्जस का हहस्सा पहल़े
तनसाि तक पहुंच र्जाए ज़रूिी है कक ज़कात द़े औि जर्जसका हहस्सा पहल़े तनसाि स़े
1929. अगि ककसी शख़्स क़ी गायें, भ़ेड़ें, या ऊंट िीमाि औि ऐिदाि हों ति भी
1930. अगि ककसी शख़्स क़ी सािी गायें, भ़ेड़ें या ऊंट िीमाि या ऐिदाि या िढ़
ू ़े
हों तो वह खुद उन्हीं में स़े ज़कात द़े सकता है ल़ेककन अगि वह सि तन्दरुस्त, ि़े
611
द़े सकता िजल्क अगि उन में स़े िअज़ तन्दरुस्त औि िअज़ िीमाि कुछ ऐिदाि
1931. अगि कोई शख़्स ग्यािा महीऩे खत्म होऩे स़े पहल़े अपनी गायें, भ़ेड़ें औि
ऊंट ककसी दस
ू िी चीज़ स़े िदल ल़े या र्जो तनसाि िनता हो उस़े उसी जर्जन्स क़े
उतऩे ही तनसाि स़े िदल ल़े मसलन चालीस भ़ेड़ें द़े कि चालीस औि भ़ेड़ें ल़े ल़े तो
अगि ऐसा किना ज़कात स़े िचऩे क़ी नीयत स़े न हो तो उस पि ज़कात वाजर्जि
नहीं है। ल़ेककन अगि ज़कात स़े िचऩे क़ी नीयत स़े हो तो उस सिू त में र्जिकक
1932. जर्जस शख़्स को गाय, भ़ेड़ औि ऊंट क़ी ज़कात द़े नी ज़रूिी हो अगि वह
र्जानविों में स़े द़े औि वह पहल़े तनसाि स़े कम हो र्जायें तो ज़कात उस पि वाजर्जि
नहीं है मसलन र्जो शख़्स चालीस भ़ेड़ें िखता हो अगि वह उनक़ी ज़कात अपऩे
दस
ू ि़े माल स़े द़े द़े तो र्जि तक उसक़ी भ़ेड़ें चालीस स़े कम न हों ज़रूिी है कक हि
साल एक भ़ेड़ द़े औि अगि वह खुद उन भ़ेड़ों में स़े ज़कात द़े तो र्जि तक उनक़ी
612
माले ततजाित की जकात
ततर्जाित औि फ़ाइदा हामसल किऩे क़े मलए मह्फ़ूज़ िखा हो तो एहततयात क़ी बिना
ज़रूिी है कक (मन्
ु दरिर्जा ज़ैल) चन्द शिाइत क़े साथ उसक़ी ज़कात द़े र्जो चालीसवां
हहस्सा है ।
3. जर्जस वक़्त स़े उस माल स़े फ़ाइदा उठाऩे क़ी नीयत क़ी हो, उस पि एक
साल गज़
ु ि र्जाए।
4. फ़ाइदा उठाऩे क़ी नीयत पिू ़े साल िाक़ी िह़े । पस अगि साल क़े दौिान उस
क़ी नीयत िदल र्जाए मसलन उसको अखिार्जात क़ी मद में सफ़क किऩे क़ी नीयत
6. तमाम साल उसक़े सिमाय़े क़ी ममक़्दाि या उसस़े ज़्यादा पि खिीदाि मौर्जूद
हो। पस अगि साल क़े कुछ हहस्स़े में सिमाय़े क़े कमति माल का खिीदाि हो तो
613
जकात का मसिफ़
अयाल क़े मलए साल भि क़े अखिार्जात न हों – फ़क़ीि है। ल़ेककन जर्जस शख़्स क़े
3. वह शख़्स र्जो इमाम़े अस्र (अ0) या नायि़े इमाम क़ी र्जातनि स़े इस काम
पि मामिू हो कक ज़कात र्जम ्अ कि़े , उसक़ी तनगहदाश्त कि़े , हहसाि क़ी र्जांच
पड़ताल कि़े औि र्जम ्अ ककया हुआ माल इमाम (अ0) या नायि़े इमाम या फ़ुकिा
(व मसाक़ीन) को पहुंचाए।
4. वह कुफ़्फ़ाि जर्जन्हें ज़कात दी र्जाए तो वह दीऩे इस्लाम क़ी र्जातनि माइल हों
सल्लम लाए हैं कमज़ोि हो ल़ेककन अगि उन को ज़कात दी र्जाए तो उनक़े ईमान
अली (अ0) क़ी ववलायत पि ईमान नहीं िखत़े ल़ेककन अगि उनको ज़कात दी र्जाए
614
तो वह अमीरुल मोममनीन (अ0) क़ी ववलायत़े (कुििा) क़ी तिफ़ माइल हों औि उस
5. गल
ु ामों को खिीद कि उन्हें आज़ाद किना – जर्जस क़ी तफ़्सील उसक़े िाद में
ियान हुई है ।
पहुंचता हो मसलन मजस्र्जद िनाना, ऐसा मदिज़ा तअमीि किना र्जहां दीनी
तअलीम दी र्जाती हो, शहि क़ी सफ़ाई किना नीज़ सड़कों को पख़्
ु ता िनाना औि
8. इबनस्
ु सिील – यअनी वह मस
ु ाकफ़ि र्जो सफ़ि में नाचाि हो गया हो।
यह वह मंद़े हैं र्जहााँ ज़कात खचक होती है ल़ेककन अक़्वा क़ी बिना पि मामलक
4 में खचक नहीं कि सकता औि इसी तिह एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि मद न0
7 का हुक्म भी यही है औि मज़्कूिा मदों क़े अहकाम आइन्दा मसाइल में ियान
ककय़े र्जायेंग़े।
अहलो अयाल क़े साल भि क़े अखिार्जात स़े ज़्यादा ज़कात न ल़े औि अगि उस क़े
615
पास कुछ िकम या जर्जन्स हो तो फ़कत उतनी ही ज़कात ल़े जर्जतनी िकम या
1935. जर्जस शख़्स क़े पास अपऩे पिू ़े साल का खचक हो अगि वह उस का कुछ
हहस्सा इस्त़ेमाल कि ल़े औि िाद में शक कि़े कक र्जो कुछ िाक़ी िचा है वह उस
क़े साल भि क़े अखिार्जात क़े मलए काफ़़ी है या नहीं तो वह ज़कात नहीं ल़े
सकता।
1936. जर्जस हुनिमन्द या साहि़े र्जायदाद या ताजर्जि क़ी आमदनी उसक़े साल
भि क़े अखिार्जात स़े कम हो वह अपऩे अखिार्जात क़ी कमी पिू ी किऩे क़े मलए
1937. जर्जस फ़क़ीि क़े पास अपऩे औि अपऩे अहलो अयाल क़े मलए साल भि
अपनी इज़्ज़त िखऩे क़े मलए ही हो वह ज़कात ल़े सकता है औि र्ि क़े सामान,
ितकनों औि गम़ी व सदी क़े कपड़ों औि जर्जन चीज़ों क़ी उस़े ज़रूित हो उनक़े मलए
भी यही हुक्म है औि र्जो फ़क़ीि यह चीज़ें न िखता हो अगि उस़े उनक़ी ज़रूित हो
616
1938. जर्जस फ़क़ीि क़े मलए हुनि सीखना मजु श्कल न हो एहततयात़े वाजर्जि क़ी
बिना पि ज़कात पि जज़न्दगी िसि न कि़े ल़ेककन र्जि तक हुनि सीखऩे में मश्गल
ू
1939. र्जो शख़्स पहल़े फ़क़ीि िहा हो औि वह कहता हो कक मैं फ़क़ीि हूं तो
अगिच़े उसक़े कहऩे पि इंसान को इत्मीनान न हो किि भी उस़े ज़कात द़े सकता
1940. र्जो शख़्स कह़े कक मैं फ़क़ीि हूं औि पहल़े फ़क़ीि न िहा हो अगि उसक़े
र्जाए।
1941. जर्जस शख़्स पि ज़कात वाजर्जि हो अगि कोई फ़क़ीि उसका मकरुज़
(कज़कदाि) हो तो वह ज़कात द़े त़े हुए अपना कज़क उसमें स़े वसल
ू कि सकता है ।
मत
ु वफ़्फ़़ी का माल उस पि वाजर्जिल
ु अदा कज़े क़े ििािि हो औि उसक़े वसाक
उसका कज़ाक अदा न किें या ककसी औि वर्जह स़े कज़कख़्वाह अपना कज़ाक वापस न
617
1943. यह ज़रूिी नहीं कक कोई शख़्स र्जो चीज़ फ़क़ीि को ितौि़े ज़कात द़े उस
क़े िाि़े में उस़े िताए कक यह ज़कात है िजल्क अगि फ़क़ीि ज़कात ल़ेऩे में
खखफ़्फ़त मह्सस
ू किता हो तो मस्
ु तहि है कक उस़े माल तो ज़कात क़ी नीयत स़े
1944. अगि कोई शख़्स यह खयाल कित़े हुए ककसी को ज़कात द़े कक वह
फ़क़ीि है औि िाद में उस़े पता चल़े कक वह फ़क़ीि न था या मस ्अल़े में नावाककफ़
होऩे क़ी बिना पि ककसी ऐस़े शख़्स को ज़कात द़े द़े जर्जस क़े मत
ु अजल्लक उस़े
कक वह माल़े ज़कात है तो उसस़े कुछ नहीं ल़े सकता औि इंसान को अपऩे माल
1945. र्जो शख़्स मकरूज़ हो औि कज़ाक अदा न कि सकता हो अगि उसक़े पास
अपना साल भि का खचक भी हो ति भी अपना कज़ाक अदा किऩे क़े मलए ज़कात ल़े
सकता है ल़ेककन ज़रूिी है कक उसऩे र्जो माल ितौि़े कज़क मलया हो उस़े ककसी
1946. अगि इंसान एक ऐस़े शख़्स को ज़कात द़े र्जो मकरूज़ हो औि अपना
कज़ाक अदा न कि सकता हो औि िाद में उस़े पता चल़े कक उस शख़्स ऩे र्जो कज़ाक
618
मलया था गुनाह क़े काम पि खचक ककया था तो अगि मकरूज़ फ़क़ीि हो तो इंसान
ज़कात में शम
ु ाि कि सकता है।
1948. जर्जस मस
ु ाकफ़ि का ज़ाद़े िाह खत्म हो र्जाए या उसक़ी सवािी काबिल़े
इस्त़ेमाल न िह़े अगि उसका सफ़ि गुनाह क़ी गिज़ स़े न हो औि वह कज़क ल़ेकि
वह अपऩे वतन में फ़क़ीि न भी हो तो ज़कात ल़ेकि या अपनी कोई चीज़ ि़ेच कि
सफ़ि क़े अखिार्जात हामसल कि सकता हो तो वह फ़कत उतनी ममक़्दाि में ज़कात
1949. र्जो मस
ु ाकफ़ि सफ़ि में नाचाि हो र्जाए औि ज़कात ल़े अगि उसक़े वतन
पहुंच र्जाऩे क़े िाद ज़कात में स़े कुछ िच र्जाए उस़े ज़कात द़े ऩे वाल़े को वापस न
619
मुस्तहक़्कीने जकात के शिाइत
1950. (माल का) मामलक जर्जस शख़्स को अपनी ज़कात द़े ना चाहता हो ज़रूिी
है कक वह शीआ इस्ना अशिी हो। अगि इंसान ककसी को शीआ समझत़े हुए ज़कात
द़े द़े औि िाद में पत़े चल़े कक वह शीआ न था तो ज़रूिी है कक दोिािा ज़कात द़े ।
पिस्त को इस नीयत स़े ज़कात द़े सकता है कक वह र्जो कुछ द़े िहा है वह िच्च़े
अमानत दाि शख़्स क़े ज़िीए ज़कात का माल उन पि खचक कि सकता है औि र्जि
ज़कात उन लोगों पि खचक क़ी र्जा िही हो तो ज़रूिी है कक ज़कात द़े ऩे वाला ज़कात
1953. र्जो फ़क़ीि भीक मांगता हो उस़े ज़कात दी र्जा सकती है ल़ेककन र्जो
दी र्जाए िजल्क एहततयात यह है कक वह शख़्स जर्जस़े ज़कात द़े ना गुनाह क़ी तिफ़
माइल किऩे का सिि हो अगिच़े वह उस़े गुनाह क़े काम में न भी खचक कि़े उस़े
ज़कात न दी र्जाए।
620
1954. र्जो शख़्स शिाि पीता हो या नमाज़ न पढ़ता हो औि इसी तिह र्जो
शख़्स खल्
ु लम खल्
ु ला गन
ु ाह़े किीिा का मत
ु कक कि होता हो एहततयात़े वाजर्जि यह है
कज़ाक ज़कात स़े हदया र्जा सकता है ख़्वाह उस शख़्स क़े अखिार्जात ज़कात द़े ऩे
मसलन औलाद क़े अखिार्जात – ज़कात स़े अदा नहीं कि सकता ल़ेककन अगि वह
1957. अगि इंसान अपऩे ि़ेट़े को ज़कात इस मलए द़े ताकक वह उस़े अपनी
1958. िाप अपऩे ि़ेट़े को सहम़े फ़़ी सिीमलल्लाह में स़े इल्मी औि दीनी ककतािें
जर्जनक़ी ि़ेट़े को ज़रूित हो खिीद कि नहीं द़े सकता। ल़ेककन अगि रिफ़ाह़े आम्मा
क़े मलए उन ककतािों क़ी ज़रूित हो तो एहततयात क़ी बिना पि हाककम़े शअक स़े
1959. र्जो िाप ि़ेट़े क़ी शादी क़ी इजस्तताअत न िखता हो वह ि़ेट़े क़ी शादी क़े
मलए ज़कात में स़े खचक कि सकता है औि ि़ेटा भी िाप क़े मलए ऐसा ही कि
सकता है।
621
1960. ककसी ऐसी औित को ज़कात नहीं दी र्जा सकती जर्जस का शौहि उस़े
खचक द़े ता हो औि ऐसी औित जर्जस़े उस का शौहि खचक न द़े ता हो ल़ेककन र्जो
ज़कात न दी र्जाए।
औि दस
ू ि़े लोग उस़े ज़कात द़े सकत़े हैं। हााँ अगि अक़्द क़े मौक़े पि शौहि ऩे यह
शतक किल
ू क़ी हो कक उसका खचक द़े गा या ककसी औि वर्जह स़े उसका खचक द़े ना
1962. औित अपऩे फ़क़ीि शौहि को ज़कात द़े सकती है ख़्वाह शौहि वह
1963. सैयय्द गैि सैय्यद स़े ज़कात नहीं ल़े सकता ल़ेककन अगि खुम्स औि
दस
ू ि़े ज़िाए आमदनी उसक़े अखिार्जात क़े मलए काफ़़ी न हों औि अगि गैि़े सैय्यद
622
जकात की ऩीयत
1965. ज़रूिी है कक इंसान ि कस्द़े कुिकत यानी अल्लाह तिािका तआला क़ी
खुशनद
ू ी क़ी नीयत स़े ज़कात द़े औि अपनी नीयत में मअ
ु य्यन कि़े कक र्जो कुछ
द़े िहा है वह माल क़ी ज़कात है या ज़कात़े कफ़तिा है िजल्क ममसाल क़े तौि पि
अगि ग़ेहूं औि र्जौ क़ी क़ी ज़कात उस पि वाजर्जि हो औि वह कुछ िकम ज़कात
ज़कात में कोई चीज़ द़े ल़ेककन ककसी भी चीज़ क़ी नीयत न कि़े तो र्जो चीज़ उसऩे
ज़कात में दी है अगि उसक़ी जर्जन्स वही हो र्जो उन चीज़ों में स़े ककसी एक क़ी है
में द़े औि उन चीज़ों में स़े (कक जर्जन पि ज़कात वाजर्जि है ) ककसी क़ी भी नीयत न
किें सी नोट द़े या र्जो उन (चीज़ों) क़े हम जर्जन्स नहीं है तो िअज़ (उलमा) क़े
िकौल वह (मसक्क़े या नोट) उन तमाम (चीज़ों) पि हहसाि स़े िांट हदय़े र्जायें
623
चीज़ों में स़े ककसी क़ी भी (ज़कात) शम
ु ाि न होंग़े औि (नीयत न किऩे तक)
ककसी को वक़ील िनाय़े तो र्जि वह माल़े ज़कात वक़ील क़े हवाल़े कि़े तो
एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि ज़रूिी है कक नीयत कि़े कक र्जो कुछ उसका वक़ील
1968. अगि कोई शख़्स माल़े ज़कात कस्द़े कुिकत क़े िगैि ज़कात क़ी नीयत स़े
हाककम़े शअक या फ़क़ीि को द़े द़े तो अक़्वा क़ी बिना पि वह माल़े ज़कात में शम
ु ाि
होगा अगिच़े उसऩे कस्द़े कुिकत क़े िगैि अदा कि क़े गुनाह ककया है।
अलग किऩे क़े मौक़े पि औि खर्जूि औि अंगूि क़े खश्ु क होऩे क़े वक़्त ज़कात
फ़क़ीि को द़े द़े या अपऩे माल स़े अलायहदा कि द़े । औि ज़रूिी है कक सोऩे, चांदी,
गाय, भ़ेड़ औि ऊंट क़ी ज़कात ग्यािा महीऩे खत्म होऩे क़े िाद फ़क़ीि को द़े या
अपऩे माल स़े अलायहदा कि द़े ल़ेककन अगि वह शख़्स ककसी फ़क़ीि का मन्
ु तजज़ि
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हो या ककसी ऐस़े फ़क़ीि को ज़कात द़े ना चाहता हो र्जो ककसी मलहाज़ स़े (दस
ू ि़े पि)
1970. ज़कात अलायहदा किऩे क़े िाद एक शख़्स क़े मलए लाजज़म नहीं कक उस़े
फ़ौिन मस्
ु तहक शख़्स को द़े ल़ेककन अगि ककसी ऐस़े शख़्स तक उसक़ी िसाई हो,
ताखीि न कि़े ।
ज़कात न पहुंचाए औि उसक़े कोताही िितऩे क़ी वर्जह स़े माल़े ज़कात तलफ़ हो
न पहुंचाए औि माल़े ज़कात हहफ़ाज़त किऩे क़े िावर्जूद तलफ़ हो र्जाए औि ज़कात
अदा किऩे में ताखीि क़ी कोई सहीह वर्जह न हो तो ज़रूिी है कक उसका एवज़ द़े ।
ल़ेककन अगि ताखीि किऩे क़ी कोई सहीह वर्जह थी मसलन एक खास फ़क़ीि
उसक़ी नज़ि में था या थोड़ा थोड़ा कि क़े फ़ुकिा को द़े ना चाहता था तो उसका
1973. अगि कोई शख़्स ज़कात (ऐन उसी) माल स़े अदा कि़े तो वह िाक़ी
625
1974. इंसान ऩे र्जो माल़े ज़कात अलायहदा ककया हो उस़े अपऩे मलय़े उठा कि
1975. अगि उस माल़े ज़कात स़े र्जो ककसी शख़्स स़े र्जो ककसी शख़्स ऩे
अलायहदा कि हदया हो कोई मनफ़अत हामसल हो मसलन र्जो भ़ेड़ ितौि़े ज़कात
1976. र्जि कोई शख़्स माल़े ज़कात अलायहदा कि िहा हो अगि उस वक़्त कोई
मस्
ु तहक मौर्जूद हो तो ि़ेहति है कक ज़कात उस़े द़े द़े िर्ज
ू ज़ु उस सिू त क़े कक कोई
ऐसा शख़्स उसक़ी नज़ि में हो जर्जस़े ज़कात द़े ना ककसी वर्जह स़े ि़ेहति हो।
1977. अगि कोई शख़्स हाककम़े शअक क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उस माल स़े
कािोिाि कि़े र्जो उसऩे ज़कात क़े मलए अलायहदा कि हदया हो औि उसमें खखसािा
हो र्जाए तो उस़े ज़कात में कोई कमी नहीं किनी चाहहए ल़ेककन अगि मन
ु ाफ़ा हो
1978. अगि कोई शख़्स इसस़े पहल़े क़ी ज़कात उस पि वाजर्जि हो कोई चीज़
पि ज़कात वाजर्जि होऩे क़े िाद वह चीज़ र्जो उसऩे फ़क़ीि को दी थी तलफ़ न हुई
हो औि फ़क़ीि अभी तक फ़क़ीिी में मबु तला हो तो ज़कात द़े ऩे वाला उस चीज़ को
626
1979. अगि फ़क़ीि यह र्जानत़े हुए कक ज़कात एक शख़्स पि वाजर्जि नहीं हुई
उसस़े कोई चीज़ ितौि ज़कात ल़े ल़े औि वह चीज़ फ़क़ीि क़ी तहवील में तलफ़ हो
नहीं हुई है उसस़े कोई चीज़ ितौि़े ज़कात ल़े ल़े औि वह फ़क़ीि क़ी तहवील में
तलफ़ हो र्जाए तो फ़क़ीि जज़म्म़ेदाि नहीं है औि द़े ऩे वाला शख़्स उस चीज़ का
1981. मस्
ु तहि है कक गाय, भ़ेड़ औि ऊंट क़ी ज़कात आिरूमंद (सफ़ैदपोश
गिीि गिु िा) को दी र्जाए औि ज़कात द़े ऩे में अपऩे रिश्त़ेदािों को दस
ू िों पि, अहल़े
इल्म को ि़ेइल्म लोगों पि, औि र्जो लोग हाथ न फ़ैलात़े हों उन को मंगतों पि
तिर्जीह दी र्जाए। हां अगि फ़क़ीि को ककसी औि वर्जह स़े ज़कात द़े ना ि़ेहति हो
तो किि मस्
ु तहि है कक ज़कात उस को दी र्जाए।
पि हदया र्जाए।
1983. र्जो शख़्स ज़कात द़े ना चाहता हो अगि उसक़े शहि में कोई मस्
ु तहक न
627
अगि उस़े उम्मीद न हो कक िाद में कोई मस्
ु तहक शख़्स अपऩे शहि में ममल
मद में सफ़क कि़े । औि उस शहि में ल़े र्जाऩे क़े अखिार्जात हाककम़े शअक क़ी
इर्जाज़त स़े माल़े ज़कात में स़े ल़े सकता है। औि अगि माल़े ज़कात तलफ़ हो र्जाए
तो वह जज़म्म़ेदाि नहीं है ।
1984. अगि ज़कात द़े ऩे वाल़े को अपऩे शहि में कोई मस्
ु तहक ममल र्जाए ति
भी वह माल़े ज़कात दस
ू ि़े शहि ल़े र्जा सकता है ल़ेककन ज़रूिी है कक उस शहि में
1985. र्जो शख़्स ग़ेहूं, र्जौ, ककशममश औि खर्जिू ितौि़े ज़कात द़े िहा हो इन
अज्नास क़े नाप तोल क़ी उर्जित उसक़ी अपनी जज़म्म़ेदािी है।
कम चांदी ककसी फ़क़ीि को न द़े नीज़ अगि चांदी क़े अलावा कोई दस
ू िी चीज़
मसलन ग़ेहूं औि र्जौ दोनों हों औि उनक़ी क़ीमत 2 ममस्काल औि 15 नखुद चांदी
कम न द़े ।
628
1987. इंसान क़े मलए मकरूह है कक मस्
ु तहक स़े दख़्वाकस्त कि़े कक र्जो ज़कात
उसऩे उस स़े ली है उसी क़े हाथ फ़िोख़्त कि द़े ल़ेककन अगि मस्
ु तहक ऩे र्जो चीज़
ितौि़े ज़कात ली है उस़े ि़ेचना चाह़े तो र्जि उसक़ी क़ीमत तय हो र्जाए तो जर्जस
दस
ू िों पि फ़ायक है ।
ज़रूिी है कक ज़कात द़े ख़्वाह उसका शक गुज़श्ता साल क़ी ज़कात क़े मत
ु अजल्लक
ही क्यों न हो। औि (जर्जस माल में ज़कात वाजर्जि हुई थी) अगि वह ज़ाए हो चक
ु ा
है ।
1989. फ़क़ीि यह नहीं कि सकता कक ज़कात ल़ेऩे स़े पहल़े उस क़ी ममक़्दाि स़े
सकता कक मस्
ु तहक को इस शतक पि ज़कात द़े कक वह मस्
ु तहक उस़े वापस कि
उस़े वापस कि द़े तो कोई हिर्ज नहीं मसलन ककसी शख़्स पि िहुत ज़्यादा ज़कात
629
उसऩे तौिा कि ली हो तो अगि फ़क़ीि िाज़ी हो र्जाए कक उसस़े ज़कात ल़े कि किि
सिीमलल्लाह स़े खिीद कि वक़्फ़ नहीं कि सकता ल़ेककन अगि रिफ़ाह़े आम्मा क़े
मलए उन चीज़ों क़ी ज़रूित हो तो एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि हाककम़े शअक स़े
1991. इंसान माल़े ज़कात स़े र्जायदाद खिीद कि अपनी औलाद या उन लोगों
1992. हर्ज औि जज़याित वगैिा पि र्जाऩे क़े मलए इंसान फ़़ी सिीमलल्लाह क़े
हहस्स़े स़े ज़कात ल़े सकता है अगिच़े वह फ़क़ीि न हो या अपऩे साल भि क़े
हर्ज औि जज़याित वगैिा क़े मलए र्जाना लोगों क़े मफ़ाद में हो औि एहततयात क़ी
बिना पि ऐस़े लोगों में ज़कात खचक किऩे क़े मलए हाककम़े शअक स़े इर्जाज़त ल़े ल़े।
1993. अगि एक मामलक अपऩे माल क़ी ज़कात द़े ऩे क़े मलए ककसी फ़क़ीि को
वह खुद (यअनी फ़क़ीि) उस माल स़े कुछ न ल़े तो उस सिू त में वह कोई चीज़
630
उसमें स़े अपऩे मलए नहीं ल़े सकता औि अगि फ़क़ीि को यह यक़ीन हो कक
1994. अगि कोई फ़क़ीि ऊंट, गायें, भ़ेड़ें, सोना औि चांदी ितौि़े ज़कात हामसल
कि़े औि उनमें वह सि शिाइत मौर्जूद हों र्जो ज़कात वाजर्जि होऩे क़े मलए ियान
1995. अगि दो अश्खास एक ऐस़े माल में हहस्सादाि हों जर्जसक़ी ज़कात वाजर्जि
हो चकु क हो औि उनमें स़े एक अपऩे हहस्स़े क़ी ज़कात द़े द़े औि िाद में वह माल
उसक़े साथी ऩे अपऩे हहस्स़े क़ी ज़कात नहीं दी औि न ही िाद में द़े गा तो उस का
1996. अगि खुम्स औि ज़कात ककसी शख़्स क़े जज़म्म़े वाजर्जि हो औि कफ़्फ़ािा
हो चक
ु ़ी हो तलफ़ न हो गया हो तो ज़रूिी है कक खम्
ु स औि ज़कात द़े औि अगि
वह माल तलफ़ हो गया हो तो कफ़्फ़ाि़े औि नज़्र स़े पहल़े ज़कात, खुम्स औि कज़क
अदा कि़े ।
631
क़े मलए काफ़़ी न हो औि अगि वह माल जर्जस पि खुम्स या ज़कात वाजर्जि हो
चक
ु ़ी हो तलफ़ न हो गया हो तो ज़रूिी है कक खम्
ु स या ज़कात अदा क़ी र्जाए औि
गया हो तो ज़रूिी है कक उसका माल कज़क क़ी अदायगी पि खचक ककया र्जाए औि
न कि़े उस वक़्त अपनी िोज़ी कमाऩे क़े मलए काम कि सकता है। अगि उसका
इल्म हामसल किना वाजर्जि़े ऐनी हो तो फ़ुकिा क़े हहस्स़े स़े उसको ज़कात द़े सकत़े
सिीमलल्लाह क़ी मद स़े एहततयात क़ी बिना पि हाककम़े शअक क़ी इर्जाज़त स़े उसको
ज़कात द़े ना र्जाइज़ है औि इन दो सिू तों क़े अलावा उसको ज़कात द़े ना र्जाइज़ नहीं
है ।
जकाते फफ़त्रा
1999. ईदल
ु कफ़त्र क़ी िात गरू
ु ि़े आफ़्ताि क़े वक़्त र्जो शख़्स िामलग औि
आककल हो औि न फ़क़ीि हो औि न दस
ू ि़े का गल
ु ाम हो ज़रूिी है कक अपऩे मलए
औि उन लोगों क़े मलए र्जो उसक़े हां खाना खात़े हों फ़़ी कस एक साअ जर्जसक़े िाि़े
में कहा र्जाता है कक तकिीिन तीन ककलो होता उन चगज़ाओं में र्जो उसक़े शहि
632
(या इलाक़े) में इस्त़ेमाल होती हों मसलन ग़ेहूं या र्जौ या खर्जूि या ककशममश या
चावल या र्जव
ु ाि मस्
ु तहक शख़्स को द़े औि अगि इनक़ी िर्जाय उनक़ी क़ीमत
चगज़ा उसक़े शहि में आम तौि पि इस्त़ेमाल न होती हो चाह़े वह ग़ेहूं, र्जौ, खर्जिू
2000. जर्जस शख़्स क़े पास अपऩे औि अपऩे अहलोअयाल क़े मलए साल भि का
2002. अगि कोई शख़्स एक ऐस़े शख़्स को र्जो उसक़े हां खाना खाऩे वाला
खाना क़े) माल स़े अपना कफ़त्रा द़े द़े औि उस़े इत्मीनान हो कक वह शख़्स कफ़त्रा द़े
द़े गा तो खुद साहि़े खाना क़े मलए उसका कफ़त्रा द़े ना ज़रूिी नहीं है।
633
2003. र्जो म़ेहमान ईदल
ु कफ़त्र क़ी िात गरू
ु ि स़े पहल़े साहि़े खाना क़ी
िज़ामन्दी स़े उसक़े र्ि आए औि उसक़े हां खाना खाऩे वालों में अगिच़े वक़्ती तौि
पि शम
ु ाि हो उसका कफ़त्रा साहि़े खाना पि वाजर्जि है।
एहततयात क़ी बिना पि वाजर्जि है औि इसी तिह अगि इंसान को ककसी का खचाक
द़े ऩे पि मर्जििू ककया न गया हो तो उसक़े कफ़त्ऱे क़े मलए भी यही हुक्म है ।
वाजर्जि नहीं है वनाक एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि लाजज़म है कक कफ़त्रा द़े ।
2007. गरू
ु ि़े आफ़ताि स़े पहल़े अगि कोई िच्चा िामलग हो र्जाए या कोई
दीवाना आककल हो र्जाए या कोई फ़क़ीि गनी हो र्जाए तो अगि वह कफ़तिा वाजर्जि
634
2008. जर्जस शख़्स पि ईदल
ु कफ़त्र क़ी िात गरू
ु ि क़े वक़्त कफ़त्रा वाजर्जि न हो
अगि ईद क़े हदन ज़ोहि क़े वक़्त स़े पहल़े तक कफ़त्रा होऩे क़ी शिाइत उसमें मौर्जद
ू
हो वह ईद का चांद द़े खऩे क़े िाद शीआ हो र्जाए तो ज़रूिी है कक कफ़त्रा द़े ।
2010. जर्जस शख़्स क़े पास मसफ़क अन्दाज़न एक साथ ग़ेहूं ऐसी ही कोई जर्जन्स
स़े एक साथ ग़ेहूं वगैिा अपऩे अहलो अयाल में स़े ककसी एक को द़े द़े औि वह
खानदान क़े आखखिी फ़दक तक पहुंच र्जाए औि ि़ेहति है कक र्जो चीज़ आखखिी फ़दक
एक दस
ू ि़े को हदया है औि अगि उन लोगों में स़े कोई नािामलग हो तो उसका
सिपिस्त उसक़ी िर्जाय कफ़तिा ल़े सकता है औि एहततयात यहै है कक र्जो चीज़
635
गरू
ु ि क़े िाद स़े ईद क़े हदन ज़ौहि स़े पहल़े तक साहि़े खाना क़े हां खाना खाऩे
2012. अगि कोई शख़्स ककसी क़े हां खाना खाता हो औि गरू
ु ि स़े पहल़े ककसी
दस
ू ि़े क़े हां खाना खाऩे वाला हो र्जाए तो उसका कफ़त्रा उसी शख़्स पि वाजर्जि है
जर्जसक़े हां वह खाना खाऩे वाला िन र्जाए मसलन अगि औित गरू
ु ि स़े पहल़े
शौहि क़े र्ि चली र्जाए तो ज़रूिी है कक शौहि उसका कफ़त्रा द़े ।
कफ़त्रा खद
ु द़े ना वाजर्जि नहीं है ।
तो एहततयात क़ी बिना पि कफ़त्रा खुद उस शख़्स पि द़े ना वाजर्जि हो र्जाता है र्जो
शिाइत मस ्अला 1999 में ियान हुई है। अगि वह मौर्जूद हों तो अपना कफ़त्रा खुद
अदा कि़े ।
अपना कफ़त्रा द़े द़े तो जर्जस शख़्स पि उसका कफ़त्रा वाजर्जि हो उस पि स़े उसक़ी
अदायगी का वर्ज
ु ूि साककत नहीं होता।
हां खाना खाती हो तो उसका कफ़त्रा उस शख़्स पि वाजर्जि है जर्जसक़े हां वह खाना
636
खाती है औि अगि वह ककसी क़े हां खाना न खाती हो औि फ़क़ीि भी न हो तो
2017. गैि़े सैय्यद, सैय्यद को कफ़त्रा नहीं द़े सकता हालांकक अगि सैय्यद उसक़े
वाजर्जि है र्जो मां या दाया क़े अखिार्जात िदाकश्त किता हो ल़ेककन अगि मां या
दाया का खचक खुद िच्च़े क़े माल स़े पिू ा हो तो िच्च़े का कफ़त्रा ककसी पि वाजर्जि
नहीं है।
2019. इंसान अगिच़े अपऩे अहलो अयाल का खचक हिाम माल स़े द़े ता हो,
2020. अगि इंसान ककसी शख़्स को उर्जित पि िख़े र्जैस़े ममस्त्री, िढ़ई या
खखदमतगाि औि उसका खचक इस तिह द़े कक वह उसका खाना खाऩे वालों में
शम
ु ाि हो तो ज़रूिी है कक उसका कफ़त्रा भी द़े ल़ेककन अगि उस़े मसफ़क काम क़ी
उसका औि उसक़े अहलो अयाल का कफ़त्रा उसक़े माल स़े द़े ना वाजर्जि नहीं है ।
उसका औि उसक़े अहलो अयाल का कफ़त्रा उसक़े माल स़े हदया र्जाए ल़ेककन यह
637
हुक्म इश्काल स़े खाली नहीं है औि इस मसअल़े में एहततयात क़े पहलू को तकक
2022. कफ़त्रा एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि उन शीआ इसना अशिी फ़ुकिा को
द़े ना ज़रूिी है, र्जो उन शिाइत पि पिू ़े उतित़े हों जर्जनका जज़क्र ज़कात क़े
मस्
ु तहक़्क़ीन में हो चक
ु ा है औि अगि शहि में शीआ इसना अशिी फ़ुकिा न ममलें
तो दस
ू ि़े मस
ु लमान फ़ुकिा को कफ़त्रा द़े सकता है ल़ेककन ज़रूिी है कक ककसी भी
उस पि खचक कि़े या उसक़े सिपिस्त को द़े कि उस़े िच्च़े क़ी ममजल्कयत किाि द़े ।
2024. जर्जस फ़क़ीि को कफ़त्रा हदया र्जाए ज़रूिी नहीं कक वह आहदल हो ल़ेककन
2025. र्जो शख़्स कफ़त्रा नार्जाइज़ कामों में खचक किता हो ज़रूिी है कक उस़े कफ़त्रा
न हदया र्जाए।
हदया र्जाए। अलित्ता अगि एक साअ स़े ज़्यादा हदया र्जाए तो कोई इश्काल नहीं है ।
638
2027. र्जि ककसी जर्जन्स क़ी क़ीमत उसी जर्जन्स क़ी मअमल
ू ी ककस्म स़े दग
ु नी
तो अगि कोई शख़्स उस (िहढ़या जर्जन्स) का आधा साअ ितौि़े कफ़त्रा द़े तो यह
काफ़़ी नहीं है िजल्क अगि वह आधा साअ कफ़त्रा क़ी क़ीमत क़ी नीयत स़े भी द़े तो
भी काफ़़ी नहीं है ।
ककसी दस
ू िी जर्जन्स मसलन र्जौ का ितौि़े कफ़त्रा नहीं द़े सकता िजल्क अगि यह
आधा आधा साअ कफ़त्ऱे क़ी क़ीमत क़ी नीयत स़े भी द़े तो काफ़़ी नहीं है ।
हमसायों को दस
ू ि़े लोगों पि तिर्जीह द़े औि ि़ेहति यह है कक अहल़े इल्मों फ़ज़्ल
औि दींदाि लोगों को दस
ू ि़े लोगों पि तिर्जीह दें ।
2030. अगि इंसान यह ख़्याल कित़े हुए कक एक शख़्स फ़क़ीि है उस़े कफ़त्रा द़े
द़े द़े औि अगि वापस न ल़े सकता हो तो ज़रूिी है कक खुद अपऩे माल स़े कफ़त्ऱे
का एवज़ द़े औि अगि वह माल खत्म हो गया हो ल़ेककन ल़ेऩे वाल़े को इल्म हो
639
अगि उस़े यह इल्म न हो तो एवज़ द़े ना उस पि वाजर्जि नहीं है औि ज़रूिी है कक
2031. अगि कोई शख़्स कह़े कक मैं फ़क़ीि हूं तो उस़े कफ़त्रा नहीं हदया र्जा
सकता िर्जुज़ उस सिू त क़े कक इंसान को उसक़े कहऩे स़े इत्मीनान हो र्जाए या
2032. ज़रूिी है कक इंसान कफ़त्रा कुिकत क़े कस्द स़े यअनी अल्लाह तिािका
है ।
उसमें कोई औि जर्जन्स या ममट्टी न ममली हुई हो। औि अगि उसमें कोई ऐसी
चीज़ ममली हुई हो औि खामलस माल एक साअ तक पहुंच र्जाए औि ममली हुई
चीज़ र्जद
ु ा ककय़े िगैि इस्त़ेमाल क़े काबिल हो या र्जद
ु ा किऩे में हद स़े ज़्यादा
640
ज़हमत न हो या र्जो चीज़ ममली हुई हो वह इतनी कम हो कक काबिल़े तवज्र्जुह न
2035. अगि कोई शख़्स ऐिदाि चीज़ कफ़त्ऱे क़े तौि पि द़े तो एहततयात़े वाजर्जि
2036. जर्जस शख़्स को कई अश्खास का कफ़त्रा द़े ना हो उसक़े मलए ज़रूिी नहीं
कक सािा कफ़त्रा एक ही जर्जन्स स़े द़े मसलन अगि िअज़ अफ़िाद का कफ़त्रा ग़ेहूं स़े
औि िअज़ दस
ू िों का र्जौ स़े द़े तो काफ़़ी है।
2037. ईद क़ी नमाज़ पढ़ऩे वाल़े शख़्स को एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि ईद
क़ी नमाज़ स़े पहल़े कफ़त्रा द़े ना ज़रूिी है ल़ेककन अगि कोई शख़्स नमाज़़े ईद न पढ़़े
2038. अगि कोई शख़्स कफ़त्ऱे क़ी नीयत स़े अपऩे माल क़ी कुछ ममक़्दाि
भी वह माल मस्
ु तहक को द़े कफ़त्ऱे क़ी नीयत कि़े ।
2039. अगि कोई शख़्स कफ़त्ऱे वाजर्जि होऩे क़े वक़्त कफ़त्रा न द़े औि अलग भी
न कि़े तो उसक़े िाद अदा औि कज़ा क़ी नीयत ककय़े िगैि कफ़त्रा द़े ।
2040. अगि कोई शख़्स कफ़त्रा अलग कि द़े तो वह उस़े अपऩे मसिफ़ में ला
कि दस
ू िा माल उसक़ी र्जगह ितौि कफ़त्रा नहीं िख सकता।
641
2041. अगि ककसी शख़्स क़े पास ऐसा माल हो जर्जसक़ी क़ीमत कफ़त्रा स़े ज़्यादा
हो तो अगि वह शख़्स कफ़त्रा न द़े औि नीयत कि़े कक उस माल क़ी कुछ ममक़्दाि
2042. ककसी शख़्स ऩे र्जो माल कफ़त्ऱे क़े मलए अलग ककया हो अगि वह तलफ़
हो र्जाए तो अगि वह शख़्स फ़क़ीि तक पहुंच सकता था औि उसऩे कफ़त्रा द़े ऩे में
ताखीि क़ी हो या उसक़ी हहफ़ाज़त किऩे में कोताही क़ी हो तो ज़रूिी है कक उसका
एवज़ द़े औि अगि फ़क़ीि तक नहीं पहुंच सकता था औि उसक़ी हहफ़ाज़त में
2043. अगि कफ़त्रा द़े ऩे वाल़े क़े अपऩे इलाक़े में मस्
ु तहक ममल र्जाए तो
हज के अह्काम
2044. िैतल्
ु लाह क़ी जज़याित किऩे औि उन अअमाल को िर्जा लाऩे का नाम
हर्ज है जर्जनक़े वहां िर्जा लाऩे का हुक्म हदया गया है औि उसक़ी अदायगी हि उस
वाजर्जि है ः-
642
दोम – आककल औि आज़ाद हो।
सोम – हर्ज पि र्जाऩे क़ी वर्जह स़े कोई ऐसा नार्जाइज़ काम किऩे पि मर्जििू न
हो जर्जसका तकक किना हर्ज किऩे स़े ज़्यादा अहम हो या कोई ऐसा वाजर्जि तकक न
मन्
ु हमसि हैः-
3. मक्का ए मक
ु रिक मा र्जाऩे क़े मलए िास्त़े में कोई रुकावट न हो औि अगि
अगि वह दस
ू ि़े िास्त़े स़े र्जा सकता हो तो अगिच़े वह िास्ता ज़्यादा तवील हो
िर्जा ला सक़े।
643
5. जर्जन लोगों क़े अखिार्जात उस पि वाजर्जि हों मसलन िीवी, िच्च़े औि जर्जन
लोगों क़े अखिार्जात िदाकश्त किना लोग उसक़े मलए ज़रूिी समझत़े हों उनक़े
6. हर्ज स़े वापसी क़े िाद वह मआश क़े मलए कोई हुनि या ख़ेती या र्जायदाद
कक हर्ज क़े अखिार्जात क़ी वर्जह स़े वापसी पि मर्जििू हो र्जाए औि तंगी तुश़ी में
जज़न्दगी गज़
ु ाि़े ।
2045. जर्जस शख़्स क़ी ज़रूित अपऩे ज़ाती मकान क़े िगैि पिू ी न हो सक़े उस
पि हर्ज उस वक़्त वाजर्जि है र्जि उसक़े पास मकान क़े मलए भी िकम हो।
पास उसका अपना कोई माल न हो औि ममसाल क़े तौि पि उसका शौहि भी
2047. अगि ककसी शख़्स क़े पास हर्ज क़े मलए ज़ाद़े िाह औि सवािी न हो औि
दस
ू िा उस़े कह़े कक तुम हर्ज पि र्जाओ मैं तुम्हािा सफ़ि खचक दं ग
ू ा औि तुम्हाि़े
सफ़ि़े हर्ज क़े दौिान तुम्हाि़े अहलो अयाल को भी खचक द़े ता िहूंगा तो अगि उस़े
है ।
644
2048. अगि ककसी शख़्स को मक्का ए मक
ु िक मा र्जाऩे औि वापस आऩे का खचक
गज़
ु ि िसि किऩे क़े मलए माल भी न िखता हो उस पि हर्ज वाजर्जि हो र्जाता है
ल़ेककन अगि इस तिह हो कक हर्ज क़े सफ़ि का ज़माना उसक़े कािोिाि औि काम
मह
ु ै या न कि सकता हो तो उस पि हर्ज वाजर्जि नहीं है ।
अयाल क़े अखिार्जात द़े हदय़े र्जायें औि उसस़े कहा र्जाए कक हर्ज पि र्जाओ ल़ेककन
यह सि मसारिफ़ उसक़ी ममजल्कयत में न हदय़े र्जायें तो उस सिू त में र्जिकक उस़े
2050. अगि ककसी शख़्स को इतना माल द़े हदया र्जाए र्जो हर्ज क़े मलए काफ़़ी
हो औि यह शतक लगाई र्जाए कक जर्जस शख़्स ऩे माल हदया है माल ल़ेऩे वाला
मक्का ए मक
ु िक मा क़े िास्त़े में उसक़ी खखदमत कि़े गा तो जर्जस़े माल हदया र्जाय़े
645
2051. अगि ककसी शख़्स को इतना माल हदया र्जाए कक उस पि हर्ज वाजर्जि हो
ल़े दस
ू िा हर्ज उस पि वाजर्जि नहीं है ।
2052. अगि कोई शख़्स िगिज़़े ततर्जाित ममसाल क़े तौि पि र्जद्दा र्जाए औि
इतना माल कमाए कक अगि वहां स़े मक्का र्जाना चाह़े तो इजस्तताअत िखऩे क़ी
वर्जह स़े ज़रूिी है कक हर्ज कि़े औि अगि वह हर्ज कि ल़े तो ख्वाह वह िाद में
ति भी उस पि दस
ू िा हर्ज वाजर्जि नहीं है ।
तिफ़ स़े हर्ज कि़े गा तो अगि वह खुद हर्ज को न र्जा सक़े औि चाह़े कक ककसी
दस
ू ि़े को अपनी र्जगह भ़ेर्ज द़े तो ज़रूिी है कक जर्जसऩे उस़े अर्जीि िनाया है उस़े
इर्जाज़त ल़े।
हो र्जाए तो ज़रूिी है कक ख़्वाह उस़े ज़हमत ही क्यों न उठानी पड़़े िाद में हर्ज कि़े
औि अगि वह ककसी भी तिह हर्ज को न र्जा सकता हो औि कोई उस़े हर्ज किऩे
हर्ज िर्जा लाए ल़ेककन अगि अर्जीि िऩे औि उर्जित नक़्द ल़े ल़े औि जर्जस शख़्स
ऩे उस़े अर्जीि िनाया हो वह इस िात पि िाज़ी हो कक उस क़ी तिफ़ स़े हर्ज दस
ू ि़े
646
साल िर्जा लाया र्जाए र्जिकक वह इत्मीनान न िखता हो तो ज़रूिी है कक अर्जीि
पहल़े साल खद
ु अपना हर्ज कि़े औि उस शख़्स का हर्ज जर्जसऩे उसको अर्जीि
िनाया था दस
ू ि़े साल क़े मलए उठा िख़े।
2055. जर्जस साल कोई शख़्स साहि़े इजस्तताअत हुआ हो अगि उसी साल
मक्का ए मक
ु िक मा चला र्जाए औि मक
ु िक िा वक़्त पि अिफ़ात औि मश ्अरूल हिाम
में न पहुंच सक़े औि िाद में सालों में साहि़े इजस्तताअत न हो तो उस पि हर्ज
वाजर्जि नहीं है मसवाय इसक़े कक चंद साल पहल़े स़े साहि़े इजस्तताअत िहा हो औि
हर्ज पि न गया हो तो उस सिू त में ख़्वाह ज़हमत ही क्यों न उठानी पड़़े उस़े हर्ज
2056. अगि कोई शख़्स साहि़े इजस्तताअत होत़े हुए हर्ज न कि़े औि िाद में
िढ़
ु ाप़े, िीमािी या कमज़ोिी क़ी वर्जह स़े हर्ज न कि सक़े औि इस िात स़े ना
अपनी तिफ़ स़े हर्ज क़े मलए भ़ेर्ज द़े िजल्क अगि ना उम्मीद न भी हुआ हो तो
हो र्जाए तो खुद भी हर्ज कि़े औि अगि उसक़े पास ककसी साल पहली दफ़् आ
क़ी वर्जह स़े हर्ज न कि सक़े औि ताकत (व स़ेहत) हामसल किऩे स़े ना उम्मीद हो
647
जर्जसक़ी तिफ़ स़े हर्ज क़े मलए र्जा िहा हो अगि वह मदक हो तो ऐस़े शख़्स को
नायाि िनाए जर्जसका हर्ज पि र्जाऩे का पहला मौका हो (यअनी इसस़े पहल़े हर्ज
2058. अगि कोई शख़्स तवाफ़ुजन्नसा सहीह तौि पि न िर्जा लाए या उसको
िर्जा लाना भल
ू र्जाए औि चन्द िोज़ िाद उस़े याद आए औि िास्त़े स़े वापस होकि
िर्जा लाए तो सहीह है ल़ेककन अगि वापस होना उसक़े मलए िाइस़े मशक़्कत हो तो
तवाफ़ुजन्नसा क़ी िर्जा आविी क़े मलए ककसी को नायि िना सकता है ।
मुआमलात
अगि मसाइल न सीखऩे क़ी वर्जह स़े ककसी वाजर्जि हुक्म क़ी मख
ु ामलफ़त किऩे का
648
अलैहहस्सलातो वस्सलाम स़े रिवायत है कक र्जो शख़्स खिीद व फ़िोख़्त किना
उसऩे र्जो मआ
ु मला ककया है वह सहीह है या िाततल तो र्जो माल उसऩे हामसल
सकता है अगिच़े मआ
ु मला िाततल हो।
2061. जर्जस शख़्स क़े पास माल न हो औि कुछ अखिार्जात उस पि वाजर्जि हों,
मलए मसलन अहलो अयाल क़ी खुशहाली औि फ़क़ीिों क़ी मदद किऩे क़े मलए
1.- फ़क़्र औि उस र्जैसी कैफ़़ीयत क़े मसवा जर्जन्स क़ी क़ीमत में खिीदािों क़े
649
2.- अगि वह नक़्
ु सान में न हो तो चीज़ें ज़्यादा मंहगी न ि़ेच।़े
3.- र्जो चीज़ ि़ेच िहा हो वह कुछ ज़्यादा द़े औि र्जो चीज़ खिीद िहा हो वह
कम ल़े।
4.- अगि कोई शख़्स सौदा किऩे क़े िाद पशीमान होकि उस चीज़ को वापस
मकरूह मुआमलात
7. अगि मस
ु लमान कोई जर्जन्स खिीद िहा हो तो उसक़े सौद़े में दख्लअन्दाज़ी
650
हिाम मुआमलात
1. नश्शा आवि मशरूिात, गैि मशकािी कुत्त़े औि सव्ु वि क़ी खिीद फ़िोख़्त हिाम
इनक़े अलावा दस
ू िी नर्जासत क़ी खिीद व फ़िोख़्त उस सिू त में र्जाइज़ है र्जिकक
स़े खाद िनायें अगिच़े एहततयात इसमें है कक उनक़ी खिीद व फ़िोख़्त स़े भी
बिल उमम
ू माल़े ततर्जाित न समझा र्जाता हो मसलन दरिन्दों क़ी खिीद व फ़िोख़्त
4. उन चीज़ों क़ी खिीद व फ़िोख़्त जर्जन्हें आम तौि पि फ़कत हिाम काम में
6. वह ल़ेन द़े ऩे जर्जसमें ममलावट हो यअनी ऐसी चीज़ का ि़ेचना जर्जसमें दस
ू िी
भी खिीदाि को न िताए मसलन ऐसा र्ी ि़ेचना जर्जसमें चि़ी ममलाई गई हो।
651
हज़ित िसल
ू ़े अकिम स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही वसल्लम का इशाकद है, र्जो
को नक़्
ु सान पहुंचाता है या उनक़े साथ मक्र व फ़ि़े ि स़े काम ल़ेता है वह म़ेिी
चीज़ ि़ेचता है तो अल्लाह तआला उसक़ी िोज़ी स़े ििकत उठा ल़ेता है औि उसक़ी
िोज़ी क़े िास्तों को तंग कि द़े ता है औि उस़े उसक़े हाल पि छोड़ द़े ता है।
2064. र्जो पाक चीज़ नजर्जस हो गई हो औि उस़े पानी स़े धोकि पाक किना
मजु म्कन हो तो उस़े फ़िोख़्त किऩे में कोई हिर्ज नहीं है औि अगि धोना मजु म्कन
न हो ति भी यही हुक्म है ल़ेककन अगि उसका हलाल फ़ाइदा उफ़े आम में उसक़े
2065. अगि कोई शख़्स नजर्जस चीज़ ि़ेचना चाह़े तो ज़रूिी है कक वह उसक़ी
नर्जासत क़े िाि़े में खिीदाि को िता द़े औि अगि उस़े न िताए तो वह एक हुक्म़े
वाजर्जि क़ी मख
ु ामलफ़त का मत
ु कक कि होगा मसलन नजर्जस पानी को वज़
ु ू या गस्
ु ल
में इस्त़ेमाल कि़े गा औि उसक़े साथ अपनी वाजर्जि नमाज़ पढ़़े गा या उस नजर्जस
चीज़ को खाऩे या पीऩे में इस्त़ेमाल कि़े गा अलित्ता अगि यह र्जानता हो कक उस़े
652
िताऩे स़े कोई फ़ाइदा नहीं क्योंकक वह लापवाक शख़्स है औि नजर्जस पाक का
2066. अगिच़े खाऩे वाली औि न खाऩे वाली नजर्जस दवाओं क़ी खिीद व
िता द़े ना ज़रूिी है जर्जसका जज़क्र साबिका मस ्अल़े में ककया गया है।
नजर्जस होऩे क़े िाि़े में इल्म न हो तो उनक़ी खिीि व फ़िोख़्त में कोई हिर्ज नहीं
औि र्जो चि़ी ककसी है वान क़े मि र्जाऩे क़े िाद हामसल क़ी र्जाती है अगि उस़े
िाि़े में एहततमाल हो कक ऐस़े है वान क़ी है जर्जस शिई तिीक़े स़े जज़बहा ककया गया
आगाह कि़े क्योंकक खिीदाि को आगाह न किऩे क़ी सिू त में वह ककसी वाजर्जि
हुक्म क़ी मख
ु ामलफ़त का मत
ु कक कि होगा र्जैस़े कक मस ्अला 2065 में गज़
ु ि चक
ु ा है।
2068. अगि लोमड़ी या उस र्जैस़े र्जानवि को शिई तिीक़े स़े जज़बहा न ककया
र्जाए या वह खुद मि र्जायें तो उनक़ी खाल क़ी खिीद व फ़िोख़्त एहततयात क़ी
653
2069. र्जो चमड़ा गैि इसलामी मम
ु ामलक स़े दि आमद ककया र्जाए या काकफ़ि
स़े मलया र्जाए अगि उसक़े िाि़े में एहततमाल हो कक एक ऐस़े र्जानवि का है जर्जस़े
शिई तिीक़े स़े जज़बहा ककया गया है तो उसक़ी खिीद व फ़िोख़्त र्जाइज़ है औि
2070. र्जो त़ेल औि चि़ी है वान क़े मिऩे क़े िाद हामसल क़ी र्जाए या वह चमड़ा
र्जो मस
ु लमान स़े मलया र्जाए औि इंसान को इल्म हो कक उस मस
ु लमान ऩे यह
चीज़ काकफ़ि स़े ली है ल़ेककन यह तहक़ीक नहीं क़ी कक यह ऐस़े है वान क़ी है जर्जस़े
शिई तिीक़े स़े जज़बहा ककया गया है या नहीं अगिच़े उस पि तहाित का हुक्म
2072. गस्िी माल का ि़ेचना िाततल है औि ि़ेचऩे वाल़े ऩे र्जो िकम खिीदाि स़े
2073. अगि खिीदाि संर्जीदगी स़े सौदा किऩे का इिादा िखता हो ल़ेककन उसक़ी
नीयत यह हो कक र्जो चीज़ खिीद िहा है उसक़ी क़ीमत नहीं द़े गा तो उसका यह
सोचना सौद़े क़े सहीह होऩे में माऩे नहीं औि ज़रूिी है कक खिीदाि उस सौद़े क़ी
654
2074. अगि खिीदाि चाह़े कक र्जो माल उसऩे उधाि खिीदा है उसक़ी क़ीमत
जर्जतनी क़ीमत उसक़े जज़म्म़े हो हलाल माल स़े द़े ताकक उसका उधाि चक
ु ता हो
र्जाए।
2075. मस
ू ीक़ी (संगीत) क़े आलात मसलन मसताि औि तंििू ा क़ी खिीद व
फ़िोख़्त र्जाइज़ नहीं है औि एहततयात क़ी बिना पि छोट़े छोट़े साज़ र्जो िच्चों क़े
खखलोऩे होत़े हैं उनक़े मलए भी यही हुक्म है । ल़ेककन (हलाल औि हिाम में
फ़िोख़्त में कोई हिर्ज नहीं िशते कक उन्हें हिाम कामों में इस्त़ेमाल किऩे का
इिादा न हो।
2076. अगि कोई चीज़ कक जर्जसस़े र्जाइज़ फ़ाइदा उठाया र्जा सकता हो इस
नीयत स़े ि़ेची र्जाए कक उस़े हिाम मसिफ़ में लाया र्जाए मसलन अंगूि इस नीयत
स़े ि़ेचा र्जाए कक उसस़े शिाि तैयाि क़ी र्जाए तो उसका सौदा हिाम िजल्क
एहततयात क़ी बिना पि िाततल है । ल़ेककन अगि कोई शख़्स अंगिू इस मक़्सद स़े
655
उन क़ी खिीद व फ़िोख़्त मम्नन
ू नहीं है अगिच़े अहवत यह है कक उस़े भी तकक
ककया र्जाए ल़ेककन र्जानदाि क़ी नक्काशी अक़्वा क़ी बिना पि र्जाइज़ है ।
स़े हामसल क़ी गई हो औि अगि कोई ऐसी चीज़ खिीद ल़े तो ज़रूिी है कक उसक़े
2079. अगि कोई शख़्स ऐसा र्ी ि़ेच़े जर्जसमें चि़ी क़ी ममलावट हो औि उस़े
मअ
ु य्यन कि द़े मसलन कह़े कक मैं, यह एक मन र्ी ि़ेच िहा हूं तो उस सिू त में
र्जि उसमें चि़ी क़ी ममक़्दाि इतनी ज़्यादा हो कक उस़े र्ी न कहा र्जाए तो
मआ
ु मला िाततल है औि अगि चि़ी क़ी ममक़्दाि इतनी कम हो कक उस़े चि़ी ममला
वापस ल़े सकता है औि अगि चि़ी र्ी स़े र्जुदा है तो चि़ी क़ी जर्जतनी ममक़्दाि क़ी
ममलावट है उसका मआ
ु मला िाततल है औि चि़ी क़ी र्जो क़ीमत ि़ेचऩे वाल़े ऩे ली
कि़े िजल्क मसफ़क एक मन र्ी िता कि ि़ेच़े ल़ेककन द़े त़े वक़्त चि़ी ममला हुआ र्ी
656
2080. जर्जस जर्जन्स को नाप तोल कि ि़ेचा र्जाता है अगि कोई ि़ेचऩे वाला उसी
जर्जन्स क़े िदल़े में िढ़ा कि ि़ेच़े मसलन एक मन ग़ेहूं क़ी क़ीमत ड़ेढ़ मन ग़ेहूं
वसल
ू कि़े तो यह सद
ू औि हिाम है िजल्क अगि दो जर्जन्सों में स़े एक ि़े ऐि औि
दस
ू िी ऐिदाि हो या एक जर्जन्स िहढ़या औि दस
ू िी र्हटया हो या उनक़ी क़ीमतों में
फ़कक हो तो अगि ि़ेचऩे वाला र्जो ममक़्दाि द़े िहा हो उस स़े ज़्यादा ल़े ति भी सद
ू
है औि हिाम है मलहाज़ा अगि वह साबित तांिा द़े कि उसस़े ज़्यादा ममक़्दाि में टूटा
हुआ तांिा ल़े या साबित ककस्म का पीतल द़े कि उसस़े ज़्यादा ममक़्दाि टूटा हुआ
पीतल ल़े या गढ़ा हुआ सोना द़े कि उसस़े ज़्यादा ममक़्दाि में िगैि गढ़ा हुआ सोना
ल़े तो यह भी सद
ू औि हिाम है।
2081. ि़ेचऩे वाला र्जो चीज़ ज़ाइद ल़े अगि वह जर्जन्स स़े मख़्
ु तमलफ़ हो र्जो वह
ि़ेच िहा है मसलन एक मन ग़ेहूं को एक मन ग़ेहूं औि कुछ नक़्द िकम क़े एवज़
ि़ेच़े ति भी यह सद
ू औि हिाम है िजल्क अगि वह कोई चीज़ ज़ाइद न ल़े ल़ेककन
है ।
2082. र्जो शख़्स कोई चीज़ कम ममक़्दाि में द़े िहा हो तो अगि वह उसक़े साथ
ग़ेहूं क़े एवज़ में ि़ेच़े तो इसमें कोई हिर्ज नहीं उस सिू त में र्जिकक उसक़ी नीयत
657
हो औि इसी तिह अगि दोनों तिफ़ स़े कोई चीज़ िढ़ा दी र्जाए मसलन एक शख़्स
2083. अगि कोई शख़्स कोई ऐसी चीज़ ि़ेच़े र्जो मीटि औि गज़ क़े हहसाि स़े
ि़ेची र्जाती है मसलन कपड़ा या ऐसी चीज़ ि़ेच़े र्जो चगन कि ि़ेची र्जाती है मसलन
अखिोट औि अण्ड़े औि ज़्यादा ल़े मसलन दस अण्ड़े द़े औि ग्यािा ल़े तो इसमें
है । मसलन दस अखिोट नक़्द द़े औि िािह अखिोट एक महीऩे क़े िाद ल़े। औि
किं सी नोटों का फ़िोख़्त किना भी इसी र्जुमि़े में आता है मसलन तूमान को नोटों
क़ी ककसी दस
ू िी जर्जन्स क़े िदल़े में मसलन दीनाि या डॉलि क़े िदल़े में नक़्द या
मअ
ु य्यन मद्
ु दत क़े मलए ि़ेच़े तो इसमें कोई हिर्ज नहीं ल़ेककन अगि अपनी ही
658
2084. अगि ककसी जर्जन्स को अकसि शहिों में नाप तोल कि ि़ेचा र्जाता हो
औि िअज़ शहिों में उसका ल़ेन द़े न चगन कि होता हो तो अक़्वा क़ी बिना पि उस
ज़्यादा ककमत पि ि़ेचना र्जाइज़ है औि इसी तिह उस सिू त में र्जि शहि
मख़्
ु तमलफ़ हों औि ऐसा गलिा दिममयान में न हो (यअनी यह न कहा र्जा सक़े कक
2085. उन चीज़ों में र्जो तोल कि या नाप कि ि़ेची र्जाती हैं अगि ि़ेची र्जाऩे
वाली चीज़ औि उसक़े िदल़े में दी र्जाऩे वाली चीज़ एक जर्जन्स स़े न हों औि ल़ेन
द़े न भी नक़्द हो तो ज़्यादा ल़ेऩे में कोई हिर्ज नहीं है ल़ेककन अगि ल़ेन द़े न
मअ
ु य्यन मद्
ु दत क़े मलए हो तो उसमें इशकाल है। मलहाज़ा अगि कोई शख़्स एक
2086. अगि एक शख़्स पक्क़े म़ेवों का सौदा कच्च़े म़ेवों स़े कि़े तो ज़्यादा नहीं
ल़े सकता औि मश्हूि (उलमा) ऩे कहा है कक एक शख़्स र्जो चीज़ ि़ेच िहा हो औि
उसक़े िदल़े में र्जो कुछ ल़े िहा हो अगि वह दोनों एक ही चीज़ स़े िनी हों तो
ज़रूिी है कक मआ
ु मल़े में इज़ाफ़ा न ल़े मसलन अगि वह एक गाय का दही ि़ेच़े
659
औि उसक़े िदल़े में ड़ेढ़ मन गाय का पनीि हामसल कि़े तो यह सद
ू है औि हिाम
2087. सद
ू क़े एततिाि स़े ग़ेहूं औि र्जौ एक शम
ु ाि होत़े हैं मलहाज़ा ममसाल क़े
तौि पि अगि कोई शख़्स एक मन ग़ेहूं द़े औि उसक़े िदल़े में एक मन पांच स़ेि
र्जौ ल़े तो यह सद
ू है औि हिाम है। औि ममसाल क़े तौि पि अगि दस मन र्जौ
इस शतक प़े खिीद़े कक ग़ेहूं क़ी फ़सल उठाऩे क़े वक़्त दस मन ग़ेहूं िदल़े में द़े गा तो
मस
ु लमान एक ऐस़े काकफ़ि स़े र्जो इस्लाम क़ी पनाह में न हो सद
ू ल़े सकता है
अलित्ता मआ
ु मला तय कि ल़ेऩे क़े िाद अगि सद
ू द़े ना उसक़ी शिीअत में र्जाइज़
हो तो उसस़े सद
ू ल़े सकता है।
1. – िामलग हों।
2. – आककल हों।
660
3. – सफ़़ीह न हों यअनी अपना माल अहमकाना कामों में खचक न कित़े हों।
4. – खिीद व फ़िोख़्त का इिादा िखत़े हों। पस अगि कोई मज़ाक में कह़े कक
मामलक हों। औि उनक़े िाि़े में अह्काम आइन्दा मसाइल में ियान ककय़े र्जायेंग़े।
2090. ककसी ना िामलग िच्च़े क़े साथ सौदा किना र्जो आज़ादाना तौि पि सौदा
का रिवार्ज है अगि ना िामलग मगि समझदाि िच्च़े क़े साथ ल़ेन द़े न हो र्जाए (तो
समझदाि िच्चा ल़ेन द़े न का सीगा र्जािी कि़े तो सौदा हि सिू त में सहीह है िजल्क
वक़ील उस माल क़े मामलक क़ी तिफ़ स़े वह माल ि़ेच़े या उस िकम स़े कोई चीज़
तौि पि उस माल या िकम में (हक़्क़े) तसकरुफ़ िखता हो औि इसी तिह अगि
िच्चा इस काम में वसीला हो कक िकम ि़ेचऩे वाल़े को द़े औि जर्जस खिीदाि तक
661
िच्चा समझदाि न हो, सौदा सहीह है क्योंकक दिअस्ल दो िामलग अफ़िाद ऩे
2091. अगि कोई शख़्स इस सिू त में कक एक िामलग िच्च़े स़े सौदा किना
सहीह न हो उसस़े कोई चीज़ खिीद़े या उसक़े हाथ कोई चीज़ ि़ेच़े तो ज़रूिी है कक
र्जो जर्जन्स या िकम उस िच्च़े स़े ल़े अगि वह खुद िच्च़े का माल हो तो उसक़े
उसक़े मामलक क़ी रिज़ामन्दी हामसल कि़े औि अगि सौदा किऩे वाला शख़्स उस
ज़रिआ भी न हो तो उस शख़्स क़े मलए ज़रूिी है कक र्जो चीज़ उसऩे िच्च़े स़े ली
2092. अगि कोई शख़्स एक समझदाि िच्च़े स़े इस सिू त में सौदा कि़े र्जिकक
उसक़े साथ सौदा किना सहीह न हो औि उस ऩे र्जो जर्जन्स या िकम िच्च़े को दी
न हो तो किि वह शख़्स मत
ु ालि़े का हक नहीं िखता।
662
2093. अगि खिीदाि या ि़ेचऩे वाल़े को सौदा किऩे पि मर्जििू ककया र्जाए औि
सौदा हो र्जाऩे क़े िाद वह िाज़ी हो र्जाए औि ममसाल क़े तौि पि कह़े कक मैं िाज़ी
2094. अगि इंसान ककसी का माल उसक़ी इर्जाज़त क़े िगैि ि़ेच द़े औि माल
2095. िच्च़े का िाप औि दादा नीज़ िाप का वसी औि दादा का वसी िच्च़े का
माल फ़िोख़्त कि सकत़े हैं औि अगि सिू त़े हाल का तकाज़ा हो तो मर्ज
ु तहहद़े
आहदल भी दीवाऩे शख़्स या यतीम का माल या ऐस़े शख़्स का माल र्जो गायि हो
2096. अगि कोई शख़्स ककसी का माल गस्ि कि क़े ि़ेच डाल़े औि माल क़े
बिक र्जाऩे क़े िाद उसका मामलक सौद़े क़ी इर्जाज़त द़े द़े तो सौदा सहीह है औि
वक़्त स़े हामसल हो वह खिीदाि क़ी ममजल्कयत है औि र्जो चीज़ खिीदाि ऩे दी हो
2097. अगि कोई शख़्स ककसी का माल गस्ि कि क़े ि़ेच द़े औि उसका इिादा
663
मामलक सौद़े क़ी इर्जाज़त द़े द़े तो सौदा सहीह है ल़ेककन माल क़ी क़ीमत मामलक
2098. र्जो चीज़ ि़ेची र्जाए औि र्जो चीज़ उसक़े िदल़े में ली र्जाए उसक़ी पांच
शतें हैं –
1. – नाप, तोल या चगनती वगैिा क़ी शक्ल में उसक़ी ममक़्दाि मअलम
ू हो।
2. – ि़ेचऩे वाला उन चीज़ों को तहवील में द़े ऩे का अहल हो। अगि अहल न हो
कि ि़ेच़े जर्जस़े वह तहवील में द़े सकता हो तो इस सिू त में ल़ेन द़े न सहीह है
में ल़े सकता हो अगिच़े ि़ेचऩे वाला उस़े उसक़ी तहवील में द़े ऩे का अहल न हो तो
भी ल़ेन द़े न सहीह है मसलन र्जो र्ोड़ा भाग गया हो अगि उस़े ि़ेच़े औि खिीदऩे
वाला उस र्ोड़़े को ढूंढ सकता हो तो उस सौद़े में कोई हिर्ज नहीं औि वह सहीह
होगा औि उस सिू त में ककसी िात क़े इज़ाफ़़े क़ी ज़रूित नहीं है।
3. – वह खुसस
ू ीयात र्जो जर्जन्स औि एवज़ में मौर्जूद हों औि जर्जनक़ी वर्जह स़े
664
4. – ककसी दस
ू ि़े का हक उस माल स़े इस तिह वािस्ता न हो कक माल क़ी
5. – ि़ेचऩे वाला खद
ु उस जर्जन्स को ि़ेच़े न कक उसक़ी मनफ़अत को। पस
ममसाल क़े तौि पि अगि मकान क़ी एक साल क़ी मनफ़अत ि़ेची र्जाए तो सहीह
मसलन ककसी स़े कालीन या दिी वगैिा खिीद़े औि उसक़े एवज़ अपऩे मकान का
एक साल का मन
ु ाफ़ा उस़े द़े द़े तो इसमें कोई हिर्ज नहीं। इन सि क़े अह्काम
2099. जर्जस जर्जन्स का सौदा ककसी शहि में तोल कि या नाप कि ककया र्जाता
ल़ेककन जर्जस शहि में उस जर्जन्स का सौदा उस़े द़े ख कि ककया र्जाता हो उस शहि
2100. जर्जस चीज़ क़ी खिीद व फ़िोख़्त तोल कि क़ी र्जाती हो उसका सौदा नाप
भि कि ल़े सकता है ।
2101. अगि मआ
ु मला चौथी शतक क़े अलावा र्जो शिाइत ियान क़ी गई हैं उन
में स़े कोई एक शतक न होऩे क़ी बिना पि िाततल हो ल़ेककन ि़ेचऩे वाला औि
665
खिीदाि एक दस
ू ि़े क़े माल पि तसकरुफ़ किऩे पि िाज़ी हों तो उनक़े तसकरुफ़ किऩे
वह चीज़ इतनी खिाि हो र्जाए कक जर्जस फ़ाइद़े क़े मलए वक़्फ़ क़ी गई है वह
हामसल न ककया र्जा सक़े या वह चीज़ खिाि होऩे वाली हो मसलन मजस्र्जद क़ी
चटाई इस तिह फ़ट र्जाए कक उस पि नमाज़ न पढ़ी र्जा सक़े तो र्जो शख़्स
मत
ु वल्ली है या जर्जस मत
ु वल्ली र्जैस़े इजख़्तयािात हामसल हों वह उस़े ि़ेच द़े तो
कोई हिर्ज नहीं औि एहततयात क़ी बिना पि र्जहां तक मजु म्कन हो उसक़ी क़ीमत
उसी मजस्र्जद क़े ककसी ऐस़े काम पि खचक क़ी र्जाए र्जो वक़्फ़ किऩे वाल़े क़े मक़्सद
स़े किीिति है ।
2103. र्जि उन लोगों क़े मािैन जर्जनक़े मलए माल वक़्फ़ ककया गया हो ऐसा
ककया गया तो माल या ककसी क़ी र्जान तलफ़ हो र्जाय़ेगी तो िअज़ (फ़ुकहा) ऩे
कहा है कक वह ऐसा कि सकत़े हैं कक माल ि़ेच कि िकम ऐस़े काम पि खचक किें
र्जो वक़्फ़ किऩे वाल़े क़े मक़्सद स़े किीि हो ल़ेककन यह हुक्म महल्ल़े इश्काल है।
हां अगि वक़्फ़ किऩे वाला यह शतक लगाए कक वक़्फ़ क़े ि़ेच द़े ऩे में कोई मसलहत
हो तो ि़ेच हदया र्जाए तो इस सिू त में उस़े ि़ेचऩे में कोई हिर्ज नहीं है।
666
2104. र्जो र्जायदाद ककसी दस
ू ि़े को ककिाय़े पि दी गई हो उसक़ी खिीद व
उतनी मद्
ु दत क़ी आमदनी साहि़े र्जायदाद का माल है औि अगि खिीदाि को यह
2105. ज़रूिी नहीं कक खिीद व फ़िोख़्त का सीगा अििी ज़िान में र्जािी ककया
र्जाए मसलन अगि ि़ेचऩे वाला फ़ािसी (या उदक )ू में कह़े कक मैंऩे यह माल इतनी
2106. अगि सौदा कित़े वक़्त सीगा न पढ़ा र्जाए ल़ेककन ि़ेचऩे वाला उस माल
क़े मक
ु ाबिल़े में र्जो वह खिीदाि स़े ल़े अपना माल उसक़ी ममजल्कयत में द़े द़े तो
667
फ़लों की ख़िीद व फ़िोख़्त
आफ़त (मसलन िीमािीयों औि क़ीड़ों क़े हमलों) स़े महफ़ूज़ होऩे या न होऩे क़े िाि़े
में इस तिह इल्म हो कक उस दिख़्त क़ी पैदावाि का अन्दाज़ा लगा सकें तो उसक़े
स़े महफ़ूज़ है या नहीं ति भी अगि दो साल या उसस़े ज़्यादा असे क़ी पैदावाि या
िलों क़ी मसफ़क उतनी ममक़्दाि र्जो उस वक़्त क़ी हो ि़ेची र्जाए िशते कक उस क़ी
ककसी हद तक मामलयत हो तो मआ
ु मला सहीह है।
र्जाए तो मआ
ु मला सहीह है ल़ेककन इस सिू त में एहततयात़े लाजज़म यह है कक
दस
ू िी चीज़ (र्जो जर्जम्नन ि़ेच िहा हो वह) ऐसी हो कक अगि िीर्ज समिआवि न हों
2108. जर्जस दिख़्त पि िल लगा हो, दाऩे िनऩे औि िूल चगिऩे स़े पहल़े
उसका ि़ेचना र्जायज़ है ल़ेककन ज़रूिी है कक उसक़े साथ कोई औि चीज़ भी ि़ेच़े
र्जैसा कक इसस़े पहल़े वाल़े मस ्अल़े में ियान ककया गया है या एक साल स़े ज़्यादा
मद्
ु दत का िल ि़ेच।़े
668
2109. दिख्त पि लगी हुई वह खर्जूिें र्जो ज़दक या सख
ु क हो चक
ु ़ी हों उनको ि़ेचऩे
में कोई हिर्ज नहीं ल़ेककन उनक़े एवज़ में ख्वाह उसी दिख़्त क़ी खर्जिू ें हों या ककसी
ककसी दस
ू ि़े शख़्स क़े र्ि में हो तो अगि उस दिख़्त क़ी खर्जूिों को तखमीना लगा
मलया र्जाए औि दिख्त का मामलक उन्हें र्ि क़े मामलक को ि़ेच द़े औि खर्जूिों को
उन्हें साल में ककतनी दफ़् आ तोड़़ेगा तो उन्हें ि़ेचऩे में कोई हिर्ज नहीं है ल़ेककन
है ।
2112. अगि ककसी जर्जन्स को नक़्द ि़ेचा र्जाए तो सौदा तय पा र्जाऩे क़े िाद
औि उस़े अपऩे कबज़़े में ल़े सकत़े हैं। मंकूल चीज़ों मसलन कालीन औि मलिास
669
को कबज़़े में द़े ऩे औि गैि मंकूला चीज़ों मसलन र्ि औि ज़मीन को कबज़़े में द़े ऩे
स़े मिु ाद यह है कक उन चीज़ों स़े दस्त ििदाि हो र्जाए औि उन्हें फ़िीक सानी क़ी
तहवील में इस तिह द़े द़े कक र्जि वाह चाह़े उसमें तसरुक फ़ कि सक़े औि (वाज़़ेह
िह़े ) मख़्
ु तमलफ़ चीज़ों में तसरुक फ़ मख़्
ु तमलफ़ तिीक़े स़े होती है।
मलहाज़ा अगि चीज़ इस वअद़े पि ि़ेच़े कक वह उसक़ी क़ीमत फ़स्ल उठऩे पि ल़ेगा
2114. अगि कोई शख़्स अपना माल उधाि ि़ेच़े तो र्जो मद्
ु दत तय हुई हो
उसक़ी मीआद पिू ी होऩे स़े पहल़े वह खिीदाि स़े उसक़े एवज़ का मत
ु ालिा नहीं कि
सकता ल़ेककन अगि खिीदाि मि र्जाए औि उसका अपना कोई माल हो तो ि़ेचऩे
वाला तय शद
ु ा मीआद पिू ी होऩे स़े पहल़े ही र्जो िकम ल़ेनी हो उसका मत
ु ालिा
खत्म कि द़े औि अगि वह चीज़ र्जो ि़ेची है मौर्जूद हो तो वापस ल़े ल़े।
2116. अगि कोई शख़्स एक ऐस़े फ़दक को जर्जस ककसी चीज़ क़ी क़ीमत मअलम
ू
न हो उसक़ी कुछ ममक़्दाि उधाि द़े औि उसक़ी क़ीमत उस़े न िताए तो सौदा
670
िाततल है । ल़ेककन अगि ऐस़े शख़्स को जर्जस़े जर्जन्स क़ी नक़्द क़ीमत मअलम
ू हो
उधाि पि मंहग़े दामों पि ि़ेच़े मसलन कह़े कक र्जो जर्जन्स मैं तम्
ु हें उधाि द़े िहा हूं
उसक़ी क़ीमत स़े जर्जस पि मैं नक़्द ि़ेचता हूं एक पैसा फ़़ी रुपया ज़्यादा लंग
ू ा औि
2117. अगि एक शख़्स ऩे कोई जर्जन्स उधाि फ़िोख़्त क़ी हो औि उसक़ी क़ीमत
मद्
ु दत गज़
ु िऩे क़े िाद (फ़िोख़्त किऩे वाला) वाजर्जिल
ु अगा िकम में कटौती कि द़े
मआ
ु मला ए सलफ़ की शिाइत
2118. मआ
ु मला ए सलफ़ (प़ेशगी सौदा) स़े मिु ाद यह है कक कोई शख़्स नक़्द
मलहाज़ा अगि खिीदाि कह़े कक मैं यह िकम द़े िहा हूं ताकक मसलन छः महीऩे
िाद फ़लां चीज़ ल़े लंू औि ि़ेचऩे वाला कह़े कक मैंऩे किल
ू ककया या ि़ेचऩे वाला
िकम ल़े ल़े औि कह़े कक मैंऩे फ़लां चीज़ ि़ेची औि उसका कबज़ा छः महीऩे िाद
दं ग
ू ा तो सौदा सहीह है ।
2119. अगि कोई शख़्स सोऩे या चांदी क़े मसक्क़े ितौि़े सलफ़ ि़ेच़े औि उसक़े
एवज़ चांदी या सोऩे क़े मसक्क़े ल़े तो सौदा िाततल है । ल़ेककन अगि कोई ऐसी
671
चीज़ या मसक्क़े र्जो सोऩे या चांदी क़े न हों ि़ेच़े औि उनक़े एवज़ कोई दस
ू िी चीज़
आइन्दा मस ्अल़े क़ी सातवीं शतक में िताई र्जाय़ेगी औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है
2120. मआ
ु मला ए सलफ़ में सात शतें हैं –
1. उन खुसस
ू ीयात को जर्जनक़ी वर्जह स़े ककसी चीज़ क़ी क़ीमत में फ़कक पड़ता हो
मअ
ु य्यन कि हदया र्जाए ल़ेककन ज़्यादा तफ़्सीलात में र्जाऩे क़ी ज़रूित नहीं िजल्क
पिू ी क़ीमत ि़ेचऩे वाल़े को द़े या अगि ि़ेचऩे वाला खिीदाि का उतनी ही िकम का
मकरूज़ हो औि खिीदाि को उसस़े र्जो कुछ ल़ेना हो उस़े माल क़ी क़ीमत में
क़ीमत क़ी कुछ ममक्दाि ि़ेचऩे वाल़े को द़े द़े तो अगिच़े उस ममक़्दाि क़ी तनस्ित
स़े सौदा सहीह है ल़ेककन ि़ेचऩे वाला सौदा फ़स्ख कि सकता है।
3. मद्
ु दत को ठ क ठ क मअ
ु य्यन ककया र्जाए मसलन ि़ेचऩे वाला कह़े कक
672
4. जर्जन्स का कबज़ा द़े ऩे क़े मलए ऐसा वक़्त मअ
ु य्यन ककया र्जाए जर्जसमें ि़ेचऩे
मक
ु म्मल तौि पि ककया र्जाए। ल़ेककन अगि तिफ़ैन क़ी िातों स़े र्जगह का पता
उमम
ू न द़े ख कि ककया र्जाता है अगि उस़े ितौि़े सलफ़ ि़ेचा र्जाए तो इसमें कोई
हिर्ज नहीं है। ल़ेककन ममसाल क़े तौि पि अखिोट औि अण्डों क़ी िअज़ ककस्मों में
7. जर्जस चीज़ को ितौि़े सलफ़ ि़ेचा र्जाए अगि वह ऐसी हों जर्जन्हें तोलकि या
नाप कि ि़ेचा र्जाता है तो उसका एवज़ उसी जर्जन्स स़े न हो िजल्क एहततयात़े
नाप कि ि़ेचा र्जाता है औि अगि वह चीज़ जर्जस़े ि़ेचा र्जा िहा है उन चीज़ों में स़े
उसका एवज़ खुद उसी क़ी जर्जन्स स़े ज़्यादा ममक़्दाि में मक
ु िक ि कि़े ।
673
मआ
ु मला ए सलफ़ के अह्काम
2121. र्जो जर्जन्स ककसी ऩे ितौि़े सलफ़ खिीदी हो उस़े वह मद्
ु दत खत्म होऩे
स़े पहल़े ि़ेचऩे वाल़े क़े मसवा ककसी औि क़े हाथ नहीं ि़ेच सकता औि मद्
ु दत
खत्म होऩे क़े िाद अगिच़े खिीदाि ऩे उसका कबज़ा न भी मलया हो उस़े ि़ेचऩे में
कोई हिर्ज नहीं। अलित्ता िलों क़े अलावा जर्जन गल्लों मसलन ग़ेहूं औि र्जौ वगैिा
को तोल कि या नाप कि फ़िोख़्त ककया र्जाता है उन्हें अपऩे कबज़़े में ल़ेऩे स़े
पहल़े उनका ि़ेचना र्जायज़ नहीं है मामसवा इसक़े कक ग्राहक ऩे जर्जस क़ीमत पि
2122. सलफ़ क़े ल़ेन द़े न में अगि ि़ेचऩे वाला मद्
ु दत खत्म होऩे पि उस चीज़
का कबज़ा द़े जर्जसका सौदा हुआ है तो खिीदाि क़े मलए ज़रूिी है कक उस़े किल
ू कि़े
अगिच़े जर्जस चीज़ का सौदा हुआ है उसस़े ि़ेहति चीज़ द़े िहा हो र्जिकक उस चीज़
2123. अगि ि़ेचऩे वाला र्जो जर्जन्स द़े वह उस जर्जन्स स़े र्हटया हो जर्जसका
2124. अगि ि़ेचऩे वाला उस जर्जन्स क़ी िर्जाय जर्जस का सौदा हुआ है कोई
दस
ू िी जर्जन्स द़े औि खिीदाि उस़े ल़ेऩे पि िाज़ी हो र्जाए तो कोई इश्काल नहीं है ।
2125. र्जो चीज़ ितौि़े सलफ़ ि़ेची गई हो अगि वह खिीदाि क़े हवाल़े किऩे क़े
मलए तय शद
ु ा वक़्त पि दस्तयाि न हो सक़े तो खिीदाि को इजख़्तयाि है कक
674
इजन्तज़ाि कि़े ताकक ि़ेचऩे वाला उस़े मह
ु ै या कि द़े या सौदा फ़स्ख कि द़े औि र्जो
चीज़ ि़ेचऩे वाल़े को दी हो उस़े वापस ल़े ल़े औि एहततयात क़ी बिना पि वह चीज़
2127. अगि सोऩे को सोऩे स़े या चांदी को चांदी स़े ि़ेचा र्जाए तो वह
2128. अगि सोऩे को चांदी स़े या चांदी को सोऩे स़े नक़्द ि़ेचा र्जाए तो सौदा
मद्
ु दत मअ
ु य्यन हो तो िाततल है ।
2129. अगि सोऩे या चांदी को सोऩे या चांदी क़े एवज़ ि़ेचा र्जाए तो ज़रूिी है
एवज़ एक दस
ू ि़े क़े हवाल़े कि दें औि अगि जर्जस चीज़ क़े िाि़े में मआ
ु मला तय
675
हुआ है उसक़ी कुछ ममक़्दाि भी एक दस
ू ि़े क़े हवाल़े न क़ी र्जाए तो मआ
ु मला
िाततल है ।
दस
ू ि़े क़े हवाल़े कि द़े ल़ेककन दस
ू िा (माल क़ी मसफ़क) कुछ ममक़्दाि हवाल़े कि़े औि
किि वह एक दस
ू ि़े र्जुदा हो र्जायें तो अगिच़े इतनी ममक़्दाि क़े मत
ु ाअजल्लक
मआ
ु मला सहीह है ल़ेककन जर्जसको पिू ा माल न ममला हो वह सौदा फ़स्ख कि
सकता है।
2131. अगि चांदी क़ी कान क़ी ममट्टी को खामलस चांदी स़े औि सोऩे क़ी कान
क़ी सोऩे क़ी ममट्टी को खामलस सोऩे स़े ि़ेचा र्जाए तो सौदा िाततल है । मगि यह
कक र्जि र्जानत़े हों कक मसलन चांदी क़ी ममट्टी क़ी ममक़्दाि खामलस चांदी क़ी
सोऩे क़े एवज़ औि सोऩे क़ी ममट्टी को चांदी क़े एवज़ ि़ेचऩे में कोई इश्काल नहीं
है ।
मआ
ु मला फ़स्ख़ फकये जाने की सि़ू तें
2132. मआ
ु मला फ़स्ख किऩे क़े हक को खखयाि कहत़े हैं औि खिीदाि औि
676
1. जर्जस मर्जमलस में मआ
ु मला हुआ है वह ििखास्त न हुई हो अगिच़े सौदा हो
चक
ु ा हो उस़े खखयाि़े मर्जमलस कहत़े हैं।
मआ
ु मलात में तिफ़ैन में स़े कोई एक मग़्जिन
ू हो र्जाए इस़े खखयाि़े गिन कहत़े हैं
(मग़्जिन
ू स़े मिु ाद वह शख़्स है जर्जस क़े साथ फ़्राड ककया गया हो) खखयाि क़ी इस
फ़िीकैन क़े जज़ह्न में यह शतक मौर्जूद होती है कक र्जो माल हामसल कि िहा है
उसक़ी क़ीमत माल स़े िहुत ज़्यादा कम नहीं र्जो वह अदा कि िहा है औि अगि
उसक़ी क़ीमत कम हो तो वह मआ
ु मल़े को खत्म किऩे का हक िखता है । ल़ेककन
कक अगि र्जो माल मलया हो वह िहहलाज़़े क़ीमत उस माल स़े कम हो र्जो उसऩे
है कक इस ककस्म क़ी सिू तों में उफ़े खास का ख़्याल िखा र्जाए।
या ककसी एक फ़िीक को सौदा फ़स्ख किऩे का इजख़्तयाि होगा उस़े खखयाि़े शतक
कहत़े हैं।
677
4. फ़िीकैन में स़े एक फ़िीक अपऩे माल को उसक़ी अजस्लयत स़े ि़ेहति िना
को एक मख़्सस
ू ककस्म का मअ
ु य्यन माल द़े गा औि र्जो माल हदया र्जाए उसमें वह
खुसस
ू ीयत न हों, उस सिू त में वह शतक लगाऩे वाला फ़िीक मआ
ु मल़े को फ़स्ख कि
6. दी र्जाऩे वाली जर्जन्स या उसक़े एवज़ में कोई ऐि हो उस़े खखयाि़े ऐि कहत़े
हैं।
7. यह पता चल़े कक फ़िीकैन ऩे जर्जस जर्जन्स का सौदा ककया है उसक़ी कुछ
ममक़्दाि ककसी औि शख़्स का माल है। इस सिू त में अगि उस ममक़्दाि का मामलक
कहत़े हैं।
8. जर्जस मअ
ु य्यन जर्जन्स को दस
ू ि़े फ़िीक ऩे न द़े खा हो अगि उस जर्जन्स का
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औि उसका ख़्याल था कक वह खुसस
ू ीयात अि उसमें िाक़ी नहीं है तो इस सिू त में
दस
ू िा फ़िीक मआ
ु मला फ़स्ख कि सकता है। इस़े खखयाि़े रूयत कहत़े हैं।
9. खिीदाि ऩे र्जो जर्जन्स खिीदी हो अगि उसक़ी क़ीमत तीन हदन तक न द़े
औि वह ि़ेचऩे वाल़े ऩे भी वह जर्जन्स खिीदाि क़े हवाल़े न क़ी हो तो ि़ेचऩे वाला
सौद़े को खत्म कि सकता है ल़ेककन ऐसा उस सिू त में हो सकता है र्जि ि़ेचऩे
वाल़े ऩे खिीदाि को क़ीमत अदा किऩे क़ी मोहलत दी हो ल़ेककन मद्
ु दत मअ
ु य्यन
न क़ी हो। औि अगि उसको मोहलत बिल्कुल न दी हो तो ि़ेचऩे वाला क़ीमत क़ी
ऐस़े िलों क़ी तिह हो र्जो एक हदन िाक़ी िहऩे स़े ज़ाए हो र्जात़े हैं चन
ु ाच़े खिीदाि
िात तक उसक़ी क़ीमत न द़े औि यह शतक भी न कि़े कक क़ीमत द़े ऩे में ताखीि
कि़े गा तो ि़ेचऩे वाला सौदा खत्म कि सकता है । इस़े खखयाि ताखीि कहत़े हैं।
10. जर्जस शख़्स ऩे कोई र्जानवि खिीदा हो वह तीन हदन तक सौदा फ़स्ख कि
सकता है औि र्जो चीज़ उसऩे ि़ेची हो अगि उसक़े एवज़ में खिीदाि ऩे र्जानवि
हदया हो तो र्जानवि ि़ेचऩे वाला भी तीन हदन तक सौदा फ़स्ख कि सकता है । इस़े
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11. ि़ेचऩे वाल़े ऩे र्जो चीज़ ि़ेची हो अगि उसका कबज़ा न द़े सक़े मसलन र्जो
र्ोड़ा उसऩे ि़ेचा हो वह भाग गया हो तो उस सिू त में खिीदाि सौदा फ़स्ख कि
(खखयाित क़ी) इन तमाम अक़्साम क़े (तफ़्सीली) अह्काम आइन्दा मसाइल में
सौदा खत्म कित़े वक़्त जर्जस कदि फ़कक हो वह भी मौर्जूद हो औि अगि फ़कक
नीज़ अगि ि़ेचऩे वाल़े को जर्जन्स क़ी क़ीमत का इल्म न हो या सौदा कित़े वक़्त
2134. मशरूत खिीद व फ़िोख़्त में र्जिकक ममसाल क़े तौि पि एक लाख रूपय़े
का मकान पचास हज़ाि रूपय़े में ि़ेच हदया र्जाए औि तय ककया र्जाए कक अगि
ि़ेचऩे वाला मक
ु िक िा मद्
ु दत तक िकम वापस तक द़े तो सौदा फ़स्ख कि सकता है
680
तो अगि खिीदाि औि ि़ेचऩे वाला खिीद व फ़िोख़्त क़ी नीयत िखत़े हों तो सौदा
सहीह है।
खिीदाि मक
ु िक िा वक़्त में िकम अदा न कि सकऩे क़ी सिू त में माल उस़े वापस
िखता औि अगि खिीदाि मि र्जाए तो उसक़े विसा स़े माल क़ी वापसी का
मत
ु ालिा नहीं कि सकता।
2136. अगि कोई शख़्स उम्दा चाय में र्हटया चाय क़ी ममलावट कि क़े उम्दा
ऐिदाि है मसलन एक र्जानवि खिीद़े औि (खिीदऩे क़े िाद) उस़े पता चल़े कक
उसक़ी एक आंख नहीं है मलहाज़ा अगि यह ऐि माल में सौद़े स़े पहल़े था औि उस़े
कि सकता है औि अगि वापस किना मजु म्कन न हो मसलन उस माल में कोई
िहा हो तो उस सिू त में वह ि़े ऐि औि ऐिदाि माल क़ी क़ीमत क़े फ़कक का हहसाि
किक़े ि़ेचऩे वाल़े स़े (फ़कक) क़ी िकम वापस ल़े ल़े मसलन अगि उसऩे कोई माल
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चाि रूपय़े में खिीदा हो औि उस़े उसक़े ऐिदाि होऩे का इल्म हो र्जाए तो अगि
चंकू क ि़े ऐि औि ऐिदाि क़ी क़ीमत का फ़कक एक चौथाई है इसमलय़े उसऩे जर्जतनी
िकम दी है उसका चौथाई यअनी एक रूपया ि़ेचऩे वाल़े स़े वापस ल़े सकता है।
अपना माल ि़ेचा है उसमें ऐि है तो अगि वह ऐि उस एवज़ में सौद़े स़े पहल़े
एवज़ उसक़े मामलक को वापस कि सकता है ल़ेककन अगि तबदीली या तसरूकफ़ क़ी
वर्जह स़े वापस न कि सक़े तो ि़े ऐि औि ऐिदाि क़ी क़ीमत का फ़कक उस काइद़े
क़े मत
ु ाबिक ल़े सकता है जर्जसका जज़क्र साबिका मसअल़े में ककया गया है ।
2139. अगि सौदा किऩे क़े िाद औि कबज़ा द़े ऩे स़े पहल़े माल कोई ऐि पैदा
हो र्जाए तो खिीदाि सौदा फ़स्ख कि सकता है । नीज़ र्जो चीज़ माल क़े एवज़ दी
र्जाए अगि उसमें सौदा किऩे क़े िाद औि कबज़ा द़े ऩे स़े पहल़े कोई ऐि पैदा हो
र्जाए तो ि़ेचऩे वाला सौदा फ़स्ख कि सकता है औि अगि फ़िीकैन क़ीमत का फ़कक
ल़ेना चाहें तो सौदा तय न होऩे क़ी सिू त में चीज़ को लौटाना र्जायज़ है ।
2140. अगि ककसी शख़्स को माल क़े ऐि का इल्म सौदा किऩे क़े िाद हो तो
अगि वह (सौदा खत्म किना) चाह़े तो ज़रूिी है कक फ़ौिन सौद़े को खत्म कि द़े
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औि – इखततलाफ़ क़ी सिू तों को प़ेश़े नज़ि िखत़े हुए अगि मअलम
ू स़े ज़्यादा
2141. र्जि ककसी शख़्स को कोई जर्जन्स खिीदऩे क़े िाद उसक़े ऐि का पता
है औि दस
ू ि़े खखयाित क़े मलए भी यही हुक्म है ।
2142. चाि सिू तों में खिीदाि माल में ऐि होऩे क़ी बिना पि सौदा फ़स्ख नहीं
3. सौदा कित़े वक़्त कह़े , अगि माल में ऐि हुआ ति भी वापस नहीं करूगां
4. सौद़े क़े वक़्त ि़ेचऩे वाला कह़े – मैं इस माल को र्जो ऐि भी इसमें है उसक़े
सकता है।
683
2143. अगि खिीदाि को मअलम
ू हो कक माल में एक ऐि है औि उस़े वसल
ू
किऩे क़े िाद उसमें कोई औि ऐि तनकल आए तो वह सौदा फ़स्ख नहीं कि सकता
ल़ेककन ि़े ऐि औि ऐिदाि माल का फ़कक ल़े सकता है ल़ेककन अगि वह ऐिदाि
अपनी तहवील में ल़े मलया हो किि भी वह उस़े वापस कि सकता है। नीज़ अगि
मद्
ु दत क़े दौिान माल में कोई दस
ू िा ऐि तनकल र्जाए तो अगिच़े खिीदाि ऩे वह
2144. अगि ककसी शख़्स क़े पास ऐसा माल हो जर्जस़े उसऩे खुद अपनी आंख
वही खुसस
ू ीयात खिीदाि को िताए औि वह माल उस क़े हाथ ि़ेच द़े औि िाद में
मुतफ़रिय क मसाइल
2145. अगि ि़ेचऩे वाला खिीदाि को ककसी जर्जन्स क़ी क़ीमत़े खिीद िताए तो
ज़रूिी है कक वह तमाम चीज़ें भी उस़े िताए जर्जनक़ी वर्जह स़े माल क़ी क़ीमत
684
र्टती िढ़ती है अगिच़े उसी क़ीमत पि (जर्जस पि खिीदा है ) या उसस़े भी कम
क़ीमत पि ि़ेच।़े मसलन उस़े िताना ज़रूिी है कक माल नक़्द खिीदा है या उधाि
वसल
ू किोग़े वह तुम्हािी म़ेहनत क़ी उर्जित होगी, तो उस सिू त में वह शख़्स उस
होगा औि ि़ेचऩे वाला मामलक स़े फ़कत म़ेहनताना ल़े सकता है ल़ेककन अगि
मआ
ु हदा ितौि़े र्जआ
ु ला हो औि माल का मामलक कह़े कक अगि तूऩे यह जर्जन्स
इस क़ीमत स़े ज़्यादा पि ि़ेची तो फ़ाजज़ल आमदनी त़ेिा माल है तो इसमें कोई
हिर्ज नहीं।
वह गन
ु ाहगाि होगा मलहाज़ा अगि वह उस गोश्त को मअ
ु य्यन कि द़े औि कह़े कक
मैं यह नि र्जानवि का गोश्त ि़ेच िहा हूं तो खिीदाि सौदा फ़स्ख कि सकता है ।
685
2148. अगि खिीदाि िज़्ज़ाज़ स़े कह़े कक मझ
ु ़े ऐसा कपड़ा चाहहय़े जर्जसका िं ग
2149. ल़ेन द़े न में कसम खाना अगि सच्ची हो तो मकरूह है औि अगि झठ
ू
हो तो हिाम है।
लशिाकत के अह्काम
2150. दो आदमी अगि िाहम तय किें कक अपऩे मश्ु तिक माल स़े बयोपाि कि
क़े र्जो कुछ नफ़् अ कमायेंग़े उस़े आपस में तक़्सीम कि ल़ेगें औि वह अििी या
ककसी औि ज़िान में मशिाकत का मसगा पढ़ें या कोई ऐसा काम किें जर्जसस़े ज़ाहहि
होता हो कक वह एक दस
ू ि़े क़े शिीक िनना चाहत़े हैं तो उनक़ी मशिाकत सहीह है ।
2151. अगि चन्द अश्खास उस मज़दिू ी में र्जो वह अपनी म़ेहनत स़े हामसल
कित़े हों एक दस
ू ि़े क़े साथ मशिाकत किें मसलन चन्द हज्र्जाम आपस में तय किें
कक र्जो उर्जित हामसल होगी उस़े आपस में तक़्सीम कि ल़ेगें तो उनक़ी मशिाकत
मज़दिू ी मअ
ु य्यन मद्
ु दत तक क़े मलए दस
ू ि़े क़ी आधी मज़दिू ी क़े िदल़े में होगी तो
मआ
ु मला सहीह है औि उन में स़े हि एक दस
ू ि़े क़ी मज़दिू ी में शिीक होगा।
686
2152. अगि दो अश्खास आपस में इस तिह मशिाकत किें कक उन में स़े हि
साथ शिीक हों तो ऐसी मशिाकत सहीह नहीं। अलित्ता अगि उनमें स़े हि एक दस
ू ि़े
को अपना वक़ील िनायें कक र्जो कुछ वह उधाि ल़े िहा है उसमें उस़े शिीक कि क़े
यअनी जर्जसको अपऩे औि अपऩे हहस्सादाि क़े मलए खिीद़े जर्जसक़ी बिना पि दोनों
हों मलहाज़ा चकंू क सफ़़ीह – र्जो अपना माल अहमकाना औि फ़ुज़ूल कामों पि खचक
किता है अपऩे माल में तसरूकफ़ का हक नहीं िखता अगि वह ककसी क़े साथ
कि़े गा या र्जो दस
ू ि़े शिीक स़े ज़्यादा काम कि़े गा या जर्जस क़े काम क़ी दस
ू ि़े क़े
काम क़े मक
ु ाबिल़े में ज़्यादा अहम्मीयत है उस़े मन
ु ाफ़ा में ज़्यादा हहस्सा ममल़ेगा
दें । औि इसी तिह अगि शतक लगाई र्जाए कक र्जो शख़्स काम नहीं कि़े गा या
687
ज़्यादा काम नहीं कि़े गा या जर्जसक़े काम क़ी दस
ू ि़े क़े काम क़े मक
ु ाबिल़े में ज़्यादा
सािा नक़्
ु सान ककसी एक को िदाकश्त किना होगा तो मशिाकत सहीह होऩे में
इश्काल है।
नफ़् अ नक़्
ु सान में भी उस का हहस्सा दस
ू ि़े स़े दग
ु ना होगा ख़्वाह दोनों एक जर्जतना
मर्जाज़ होगा या उन में स़े फ़कत एक शख़्स ल़ेन द़े न कि़े गा या तीसिा शख़्स
688
2158. अगि शिु का यह मअ
ु य्यन न किें कक उन में स़े कौन सिमाय़े क़े साथ
2159. र्जो शिीक मशिाकत क़े सिमाय़े पि इखततयाि िखता हो उसक़े मलए
र्जो मआ
ु हदा तय पाया है उसक़े मत
ु ाबिक अमल किना ज़रूिी है औि अगि उसक़े
2160. र्जो शिीक मशिाकत क़े सिमाए स़े सौद़े किता हो अगि र्जो कुछ उसक़े
साथ तय ककया गया हो उसक़े िि खखलाफ़ खिीद व फ़िोख़्त कि़े या अगि कुछ
नक़्
ु सान द़े ह हो या मशिाकत क़े माल में स़े कुछ माल ज़ाए हो र्जाए तो जर्जस शिीक
ऩे मआ
ु हद़े या आम िववश क़े अलिक ग़्जम अमल मलया हो वह जज़म्म़ेदाि है।
2161. र्जो शिीक मशिाकत क़े सिमाए स़े कािोिाि किता हो अगि वह फ़ुज़ूल
689
इवत्तफ़ाकन उस सिमाए क़ी कुछ ममक़्दाि या साि़े का सािा सिमाया तलफ़ हो र्जाए
तो वह जज़म्म़ेदाि नहीं है ।
2162. र्जो शिीक मशिाकत क़े सिमाय़े स़े कािोिाि किता हो अगि वह कह़े कक
शख़्स न हो तो शिु का हाककम़े शअक क़े पास उसक़े खखलाफ़ दावा कि सकत़े हैं
तसरूकफ़ क़े मलए द़े िखी हो किि र्जायें तो उन में स़े कोई भी मशिाकत क़े माल में
तसरूकफ़ नहीं कि सकता औि अगि उन में स़े एक अपनी दी हुई इर्जाज़त स़े किि
र्जाए तो दस
ू ि़े शिु का को तसरूकफ़ का कोई हक नहीं ल़ेककन र्जो शख़्स अपनी दी हुई
इर्जाज़त स़े किि गया हो वह मशिाकत क़े माल में तसरूकफ़ कि सकता है।
2164. र्जि शिु का में स़े कोई एक तकाज़ा कि़े कक मशिाकत का सिमाया
वक़्त िाक़ी हो दस
ू िों को उसका कहना मान ल़ेना ज़रूिी है मगि यह कक उन्होंऩे
पहल़े ही (मआ
ु हदा कित़े वक़्त) सिमाए क़ी तक़्सीम को िद कि हदया हो (यअनी
किल
ू न ककया हो) या माल क़ी तक़्सीम शिु का क़े मलए काबिल़े जज़क्र नक़्
ु सान का
690
2165. अगि शिु का में स़े कोई मि र्जाए या दीवाना या ि़ेहवास हो र्जाए तो
दस
ू ि़े शिु का मशिाकत क़े माल में तसरूकफ़ नहीं कि सकत़े औि अगि उनमें स़े कोई
2166. अगि शिीक अपऩे मलए कोई चीज़ उधाि खिीद़े तो उस नफ़् अ नक़्
ु सान
का वह खुद जज़म्म़ेदाि है ल़ेककन अगि मशिाकत क़े मलए खिीद़े औि मशिाकत क़े
मआ
ु हद़े में उधाि मआ
ु मला किना भी शाममल हो तो किि नफ़् अ नक़्
ु सान में दोनों
शिीक होंग़े।
मअलम
ू हो कक मशिाकत िाततल थी तो अगि सिू त यह हो कक मआ
ु मला किऩे क़ी
इर्जाज़त में मशिाकत क़े सहीह होऩे क़ी कैद न थी यअनी अगि शिु का र्जानत़े होत़े
कक मशिाकत दरु
ु स्त नहीं है ति भी वह एक दस
ू ि़े क़े माल में तसरूकफ़ पि िाज़ी
होत़े तो मआ
ु मला सहीह है औि र्जो कुछ इस मआ
ु मल़े स़े हामसल हो वह उन
है वनाक िाततल है। दोनों सिू तों में उनमें स़े जर्जसऩे भी मशिाकत क़े मलए काम ककया
म़ेहनत का मआ
ु वज़ा मअमल
ू क़े मत
ु ाबिक दस
ू ि़े शिु का स़े उनक़े मफ़ाद का खयाल
691
िखत़े हुए ल़े सकता है । ल़ेककन अगि काम किऩे का मआ
ु वज़ा उस फ़ाइद़े क़ी
ममक़्दाि स़े ज़्यादा हो र्जो वह मशिाकत सहीह होऩे क़ी सिू त में ल़ेता तो िस उसी
692
सल्
ु ह के अहकाम
2168. सल्
ु ह स़े मिु ाद है कक इंसान ककसी दस
ू ि़े शख़्स क़े साथ इस िात पि
या मन
ु ाफ़ा क़ी कुछ ममक़्दाि उस़े द़े द़े या कज़क या हक स़े दस्तििदाि हो र्जाए।
िजल्क अगि कोई शख़्स एवज़ मलए िगैि ककसी स़े इवत्तफ़ाक कि़े औि अपना माल
या माल क़े मन
ु ाफ़ा क़ी कुछ ममक़्दाि उसको द़े द़े या अपना कज़क या हक छोड़ द़े
ति भी सल्
ु ह सहीह है।
उस़े सल्
ु ह पि मर्जििू न ककया हो औि ज़रूिी है कक सफ़़ीह या दीवामलया होऩे क़ी
बिना पि उस़े अपऩे माल में तसरूकफ़ किऩे स़े न िोका गया हो।
2170. सल्
ु ह का सीगा अििी में पढ़ना ज़रूिी नहीं िजल्क जर्जन अलफ़ाज़ स़े इस
2171. अगि कोई शख़्स अपनी भ़ेड़ें चिवाह़े को द़े ताकक वह मसलन एक साल
693
शख़्स भ़ेड़ों क़े दध
ू पि सल्
ु ह कि ल़े तो मआ
ु मला सहीह है िजल्क अगि भ़ेड़़े चिवाह़े
इसततफ़ादा कि़े औि उसक़े एवज़ उस़े कुछ र्ी द़े मगि यह कैद न लगाए कक
बिलखुसस
ू उन्हीं भ़ेड़ों क़े दध
ू का र्ी हो तो इर्जािा सहीह है।
2172. अगि कोई कज़कख़्वाह उस कज़क क़े िदल़े र्जो उस़े मकरूज़ स़े वसल
ू किना
2173. अगि मकरूज़ अपऩे कज़क क़ी ममक़्दाि र्जानता हो र्जिकक कज़कख़्वाह को
िकम मकरूज़ क़े मलए हलाल नहीं है । मसवाय उस सिू त क़े कक वह जर्जतऩे कज़क का
कोई माल िाक़ी हो औि उन्हें यह इल्म हो कक उन दोनों अमवाल में स़े एक माल
दस
ू ि़े माल स़े ज़्यादा है तो चंकू क उन दोनों अमवाल को एक दस
ू ि़े क़े एवज़ फ़िोख़्त
किना सद
ू होऩे क़ी बिना पि हिाम है इस मलए उन दोनों में एक दस
ू ि़े क़े एवज़
694
सल्
ु ह किना भी हिाम है िजल्क अगि उन दोनों अमवाल में स़े एक दस
ू ि़े स़े ज़्यादा
कज़ाक वसल
ू किना हो औि वह अपनी अपनी तलि पि एक दस
ू ि़े स़े सल्
ु ह किना
चाहत़े हों चन
ु ांच़े अगि सल्
ु ह किना सद
ू का िाइस न हो र्जैसा कक साबिका मस ्अल़े
में कहा गया है तो कोई हिर्ज नहीं है मसलन अगि दोनों क़े दस मन ग़ेहूं वसल
ू
क़ी मद्
ु दत पिू ी हो चक
ु ़ी है तो उन दोनों का आपस में मस
ु ालहत किना सहीह है ।
कम पि सल्
ु ह कि ल़े औि उसका मक़्सद यह हो कक अपऩे कज़े का कुछ हहस्सा
मआ
ु फ़ कि द़े औि िाक़ीमांदा नक़्द ल़े ल़े तो इसमें कोई हिर्ज नहीं औि यह हुक्म
उस सिू त में है कक कज़ाक सोऩे या चांदी क़ी शक्ल में या ककसी ऐसी जर्जन्स क़ी
शक्ल में हो र्जो नाप कि या तोल कि ि़ेची र्जाती है औि अगि जर्जन्स इस ककस्म
क़ी न हो तो कज़कख़्वाह क़े मलए र्जाइज़ है कक अपऩे कज़े क़ी मकरूज़ स़े या ककसी
695
2177. अगि दो अश्खास ककसी चीज़ पि आपस में सल्
ु ह कि लें तो एक दस
ू ि़े
हक है वह सल्
ु ह को फ़स्ख कि सकता है ।
सौद़े को फ़स्ख कि सकत़े हैं। नीज़ अगि खिीदाि एक र्जानवि खिीद़े तो वह तीन
हदन तक सौदा फ़स्ख किऩे का हक िखता है । इसी तिह अगि एक खिीदाि खिीदी
हुई जर्जन्स क़ी क़ीमत तीन हदन तक अदा न कि़े औि जर्जन्स को अपनी तहवील में
सल्
ु ह फ़स्ख किऩे का हक नहीं िखता। ल़ेककन अगि सल्
ु ह का दस
ू िा फ़िीक इस
तिह िाक़ी सिू तों में भी जर्जनका जज़क्र खिीद व फ़िोख़्त क़े अह्काम में आया है
सल्
ु ह फ़स्ख क़ी र्जा सकती है मगि मस
ु ालहत क़े दोनों फ़िीकों में स़े एक को
नक़्
ु सान हो तो उस सिू त में मअलम
ू नहीं कक सौदा फ़स्ख ककया र्जा सकता है (या
नहीं)।
696
2179. र्जो चीज़ िज़िीआ ए सल्
ु ह ममल़े अगि वह ऐिदाि हो तो सल्
ु ह फ़स्ख क़ी
साथ शतक ठहिाए औि कह़े , जर्जस चीज़ पि मैनें तुम स़े सल्
ु ह क़ी है म़ेि़े मिऩे क़े
फकिाये के अह्काम
2181. कोई चीज़ ककिाय़े पि द़े ऩे वाल़े औि ककिाय़े पि ल़ेऩे वाल़े क़े मलए ज़रूिी
है कक िामलग औि आककल हों औि ककिाया लोऩे या ककिाया द़े ऩे का काम अपऩे
हों। मलहाज़ा चंकू क सफ़़ीह अपऩे माल में तसरूकफ़ किऩे का हक नहीं िखता इस
मलए वह कोई चीज़ ककिाय़े पि ल़े सकता है औि न द़े सकता है । इसी तिह र्जो
शख़्स हदवामलया हो चक
ु ा हो वह उन चीज़ों को ककिाय़े पि नहीं द़े सकता जर्जनमें
697
2182. इंसान दस
ू ि़े क़ी तिफ़ स़े वक़ील िन कि उसका माल ककिाय़े पि द़े
अगि िच्च़े क़े िामलग होऩे क़े िाद क़ी कुछ मद्
ु दत को भी इर्जाि़े क़ी मद्
ु दत का
हहस्सा किाि हदया र्जाए तो िच्चा िामलग होऩे क़े िाद िाक़ीमांदा इर्जािा फ़स्ख कि
सकता है अगिच़े सिू त यह हो कक अगि िच्च़े क़े िामलग होऩे क़ी कुछ मद्
ु दत को
अलिक ग़्जम होता। हां अगि वह मसलहत कक जर्जसक़े िाि़े में यह इल्म हो कक शाि़े ए
मक
ु द्दस इस मसलहत को तकक किऩे पि िाज़ी नहीं है उस सिू त में अगि हाककम़े
शअक क़ी इर्जाज़त स़े इर्जािा वाक़े हो र्जाए तो िच्चा िामलग होऩे क़े िाद इर्जािा
फ़स्ख कि सकता है ।
िगैि मज़दिू ी पि नहीं लगाया र्जा सकता औि जर्जस शख़्स क़ी िसाई मज्
ु तहहद तक
पि लगा सकता है ।
2185. इर्जािा द़े ऩे वाल़े औि इर्जािा ल़ेऩे वाल़े क़े मलए ज़रूिी नहीं कक सीगा
698
माल तुम्हें इर्जाि़े पि हदया औि दस
ू िा कह़े कक मैंऩे किल
ू ककया तो इर्जािा सहीह है
स़े मस्
ु ताजर्जि को द़े औि वह भी इर्जाि़े क़े कस्द स़े ल़े तो इर्जािा सहीह होगा।
2186. अगि कोई शख़्स चाह़े कक इर्जाि़े का सीगा पढ़़े िगैि कोई काम किऩे क़े
र्जाय़ेगा।
2187. र्जो शख़्स िोल न सकता हो अगि वह इशाि़े स़े समझा द़े कक उसऩे
तो मस्
ु ताजर्जि उस़े ककसी दस
ू ि़े को इस्त़ेमाल क़े मलए इर्जाि़े पि नहीं द़े सकता
िर्जज़
ु इसक़े कक वह नया इर्जािा इस तिह हो कक उसक़े फ़वाइद भी खुद मस्
ु ताजर्जि
स़े मख़्सस
ू हों। मसलन एक औित एक मकान या कमिा ककिाया पि ल़े औि िाद
में शादी कि ल़े औि कमिा या मकान अपनी िहाइश क़े मलए ककिाय़े पि द़े द़े
(यअनी शौहि को ककिाय़े पि द़े क्योंकक िीवी क़ी िहाइश का इजन्तज़ाम भी शौहि
दस
ू िो को ककिाय़े पि द़े सकता है । अलित्ता माल को मस्
ु ताजर्जि़े दोम क़े मसपद
ु क
किऩे क़े मलए एहततयात क़ी बिना पि ज़रूिी है कक मामलक स़े इर्जाज़त ल़े ल़े
699
ल़ेककन अगि वह यह चाह़े कक जर्जतऩे ककिाय़े पि मलया है उसस़े ज़्यादा ककिाय़े पि
मिम्मत औि सफ़़ेदी वगैिा किाई हो या उसक़ी हहफ़ाज़त क़े मलए कुछ नक़्
ु सान
है उस अर्जीि को ककसी दस
ू ि़े शख़्स को ितौि़े इर्जािा नहीं हदया र्जा सकता औि
ल़ेककन र्जो चीज़ इर्जाि़े पि द़े िहा है ज़रूिी है कक उसक़ी क़ीमत उस इर्जाि़े स़े
ज़्यादा हो र्जो अर्जीि क़े मलए किाि हदया है । औि इसी तिह अगि कोई शख़्स खुद
किि दस
ू ि़े को कम उर्जित पि भी िख सकता है।
चीज़ मसलन ज़मीन ककिाय़े पि ल़े औि ज़मीन का मामलक उसस़े यह शतक न कि़े
वह चीज़ ली है उसस़े ज़्यादा ककिाय़े पि द़े तो इर्जािा सहीह होऩे में इश्काल है।
700
2191. अगि कोई शख़्स मकान पि दक
ु ान मसलन एक साल क़े मलए सौ रुपया
आधा हहस्सा उसस़े ज़्यादा ककिाय़े पि चढ़ा द़े जर्जस पि उसऩे खुद वह मकान या
दक
ु ान ककिाय़े पि ली है मसलन रूपया ककिाय़े पि द़े द़े तो ज़रूिी है कक
1. – वह माल मअ
ु य्यन हो। मलहाज़ा अगि कोई शख़्स कह़े कक मैंऩे अपऩे
2. – मस्
ु ताजर्जि यअनी ककिाय़े पि ल़ेऩे वाला उस माल को द़े ख ल़े या इर्जाि़े पि
मक
ु म्मल मअलम
ू ात हामसल हो र्जायें।
701
4. – उस माल स़े इजस्तफ़ादा किना, उसक़े खत्म होऩे या कलअदम हो र्जाऩे पि
5. – माल स़े वह फ़ाइदा उठाना मजु म्कन हो जर्जसक़े मलए उस़े ककिाय़े पि हदया
र्जाए। मलहाज़ा ऐसी ज़मीन का जज़िाअत क़े मलए ककिाय़े पि द़े ना जर्जसक़े मलए
6. र्जो चीज़ ककिाय़े पि दी र्जा िही हो वह ककिाय़े पि द़े ऩे वाल़े का अपना माल
हो औि अगि ककसी दस
ू िा का माल ककिाय़े पि हदया र्जाए तो मआ
ु मला उस सिू त
2193. जर्जस दिख़्त में अभी िल न लगा हो उसका इस मक़्सद स़े ककिाय़े पि
र्जानवि को उसक़े दध
ू क़े मलए ककिाय़े पि द़े ऩे का भी यही हुक्म है ।
सकती है ) औि ज़रूिी नहीं कक वह उस मक़्सद क़े मलए शौहि स़े इर्जाज़त ल़े।
702
ल़ेककन अगि उसक़े दध
ू वपलाऩे में शौहि क़ी हक तलफ़़ी होती हो तो किि उसक़ी
2195. जर्जस इसततफ़ाद़े क़े मलए माल ककिाय़े पि हदया र्जाता है उसक़ी चाि शतें
है ः-
ज़खीिा (स्टोि) किऩे क़े मलए ककिाय़े पि द़े ना औि है वान (र्जानवि) को शिाि क़ी
एहततयात क़ी बिना पि इसी ककस्म क़े कामों में स़े है हलाल औि हिाम मसखाना
औि मद
ु ों क़ी तर्जहीज़ व तक्फ़़ीन किना। मलहाज़ा इन कामों क़ी उर्जित ल़ेना
ककया र्जाए। मसलन एक ऐसा र्जानवि ककिाय़े पि हदया र्जाए जर्जस पि सवािी भी
क़ी र्जा सकती हो औि माल भी लादा र्जा सकता हो तो उस़े ककिाय़े पि द़े त़े वक़्त
703
यह मअ
ु य्यन किना ज़रूिी है कक मस्
ु ताजर्जि उस़े फ़कत सवािी क़े मक़्सद क़े मलए
या फ़कत िािििदािी क़े मक़्सद क़े मलए इस्त़ेमाल कि सकता है या उसस़े हि तिह
इजस्तफ़ादा कि सकता है ।
मद्
ु दत मअ
ु य्यन कि क़े हामसल ककया र्जा सकता है मसलन मकान या दक
ु ान
में मसय़ेगा।
2197. ममसाल क़े तौि पि अगि मकान एक साल क़े मलए ककिाय़े पि हदया
र्जाए औि मआ
ु हद़े क़ी इजबतदा का वक़्त सीगा पढ़ऩे स़े एक महीना िाद स़े मक
ु िक ि
ककया र्जाए तो इर्जािा सहीह है अगिच़े र्जि सीगा पढ़ा र्जा िहा हो वह मकान ककसी
दस
ू ि़े क़े पास ककिाय़े पि हो।
कहा र्जाए कक र्जि तक तुम इस मकान में िहोग़े दस रूपय़े माहिाि ककिाया दोग़े
704
2199. अगि मामलक मकान, ककिाय़ेदाि स़े कह़े कक मैंऩे तुझ़े यह मकान दस
उसका ककिाया दस रुपय़े महीना होगा तो उस सिू त में इर्जाि़े क़ी मद्
ु दत क़ी
इजबतदा का तअय्यन
ु कि मलया र्जाए या उसक़ी इिततदा का इल्म हो र्जाए तो
हो कक वह ककतनी मद्
ु दत तक वहां िहें ग़े अगि वह मामलक मकान स़े तय कि लें
तो उस मकान स़े इजस्तफ़ादा किऩे में कोई हिर्ज नहीं ल़ेककन चंकू क इर्जाि़े क़ी
मद्
ु दत तय नहीं क़ी गई मलहाज़ा पहली िात क़े अलावा इर्जािा सहीह नहीं है औि
मामलक मकान िात क़े िाद र्जि भी चाह़े उन्हें तनकाल सकता है ।
मअलम
ू हो। मलहाज़ा अगि ऐसी चीज़ें हों जर्जन का ल़ेन द़े न तोल कि ककया र्जाता
है कक उनक़ी तअदाद मअ
ु य्यन हो, औि अगि वह चीज़ें र्ोड़़े औि भ़ेड़ क़ी तिह हों
705
तो ज़रूिी है कक ककिाया ल़ेऩे वाला उन्हें द़े ख ल़े या मस्
ु ताजर्जि उनक़ी खुसस
ू ीयात
िता द़े ।
2202. अगि ज़मीन जज़िाअत (ख़ेती) क़े मलए ककिाय़े पि दी र्जाए औि उसक़ी
उर्जित उसी ज़मीन क़ी पैदावाि किाि दी र्जाए र्जो उस वक़्त मौर्जूद न हो या
कुल्ली तौि पि कोई चीज़ उसक़े जज़म्म़े किाि द़े इस शतक पि कक वह उसी ज़मीन
क़ी पैदावाि स़े अदा क़ी र्जाय़ेगी तो इर्जािा सहीह नहीं है औि अगि उर्जित (यअनी
उस ज़मीन क़ी पैदावाि) इर्जािा कित़े वक़्त मौर्जूद हो तो किि कोई हिर्ज नहीं है।
क़ी तहवील में द़े ऩे स़े पहल़े ककिाया मांगऩे का हक नहीं िखता नीज़ अगि कोई
शख़्स ककसी काम क़े मलए अर्जीि िना हो तो र्जि तक वह काम अंर्जाम न द़े द़े
उर्जित का मत
ु ालिा किऩे का हक नहीं िखता मगि िाअज़ सिू तों में, मसलन हक
र्जाती है (उर्जित का मत
ु ालिा किऩे का हक िखता है ।
2204. अगि कोई शख़्स ककिाय़े पि दी गई चीज़ ककिायादाि क़ी तहवील में द़े
ल़ेककन इर्जािा खत्म होऩे तक उसस़े फ़ाइदा न उठाए किि भी ज़रूिी है कक किि भी
706
2205. अगि एक शख़्स कोई काम एक मअ
ु य्यन हदन में अंर्जाम द़े ऩे क़े मलए
अर्जीि िन र्जाए औि उस हदन वह काम किऩे क़े मलए तैयाि हो र्जाए तो जर्जस
शख़्स ऩे उस़े अर्जीि िनाया है ख़्वाह वह उस हदन उसस़े काम न ल़े – ज़रूिी है कक
सीऩे क़े मलए अर्जीि िनाए औि दज़़ी उस हदन काम किऩे पि तैयाि हो तो अगच़े
मामलक उस़े सीऩे क़े मलए कपड़ा न द़े ति भी ज़रूिी है कक उसक़ी मज़दिू ी द़े द़े ।
िाततल था तो मस्
ु ताजर्जि क़े मलए ज़रूिी है कक आम तौि पि उस चीज़ का र्जो
ककिाया होता है माल क़े मामलक को द़े द़े मसलन अगि वह एक मकान सौ रुपय़े
ककिाय़े पि एक साल क़े मलए ल़े ल़े औि िाद में उस़े पता चल़े कक इर्जािा िाततल
अगि मकान ककिाय़े पि द़े ऩे वाला मामलक मकान हो या उसका वक़ील़े मत्ु लक हो
औि आम तौि पि र्ि क़े ककिाय़े क़ी र्जो शहक हो उस़े र्जानता हो तो ज़रूिी नहीं कक
मस्
ु ताजर्जि सौ रुपय़े स़े ज़्यादा द़े औि अगि उसक़े िि अक्स सिू त हो तो ज़रूिी है
कक मस्
ु ताजर्जि दो सौ रुपय़े द़े नीज़ अगि इर्जाि़े क़ी कुछ मद्
ु दत गुज़िऩे क़े िाद
707
मअलम
ू हो कक इर्जािा िाततल था तो र्जो मद्
ु दत गज़
ु ि चक
ु ़ी हो उस पि भी यही
मस्
ु ताजर्जि ऩे उसक़ी तनगहदाश्त में कोताही न ििती हो औि उस़े गलत तौि पि
इस्त़ेमाल न ककया हो तो (किि वह उस चीज़ क़े तलफ़ होऩे का) जज़म्म़ेदाि नहीं
है । इस तिह ममसाल क़े तौि पि अगि दज़़ी को हदया गया कपड़ा तलफ़ हो र्जाए
तो अगि दज़़ी ऩे ि़े एहततयात न क़ी हो औि कपड़़े क़ी तनगहदाश्त में भी कोताही
2208. र्जो चीज़ ककसी कािीगि ऩे ली हो अगि वह उस़े ज़ाए कि द़े तो (वह
2209. अगि कस्साि ककसी र्जानवि का सि काट डाल़े औि उस़े हिाम कि द़े तो
708
मस्
ु ताजर्जि जज़म्म़ेदाि है औि दोनों सिू तों में मस्
ु ताजर्जि क़े मलए यह भी ज़रूिी है
कक मअलम
ू स़े ज़्यादा उर्जित अदा कि़े ।
पि द़े र्जो टूटऩे वाला हो औि र्जानवि किसल र्जाए या भाग खड़ा हो औि सामान
को तोड़ िोड़ द़े तो र्जानवि का मामलक जज़म्म़ेदाि नहीं है। हां अगि मामलक
र्जानवि को मअलम
ू स़े ज़्यादा माि़े या ऐसी हिकत कि़े जर्जसक़ी वर्जह स़े र्जानवि
चगि र्जाए औि लदा हुआ सामान तोड़ द़े तो मामलक जज़म्म़ेदाि है।
2212. अगि कोई शख़्स िच्च़े का खतना कि़े औि वह अपऩे काम में कोताही
नक़्
ु सान द़े ह है या नहीं उसक़ी तिफ़ रुर्जउ
ू न ककया गया हो नीज़ वह यह भी न
2213. अगि मआ
ु मलर्ज अपऩे हाथ स़े ककसी मिीज़ को दवा द़े या उसक़े मलए
दवा तैयाि किऩे को कह़े औि दवा खाऩे क़ी वर्जह स़े मिीज़ को नक़्
ु सान पहुंच़े या
वह मि र्जाए तो मआ
ु मलर्ज जज़म्म़ेदाि है अगिच़े उसऩे इलार्ज किऩे में कोताही न
क़ी हो।
709
2214. र्जि मआ
ु मलर्ज ककसी मिीज़ स़े कह द़े कक अगि तुम्हें कोई ज़िि पहुंचा
तो मैं जज़म्म़ेदाि नहीं हूं औि पिू ी एहततयात स़े काम ल़े ल़ेककन इसक़े िावर्जद
ू
2215. ककिाय़े पि ल़ेऩे वाला औि जर्जस शख़्स ऩे कोई चीज़ ककिाय़े पि दी हो,
वह एक दस
ू ि़े क़ी िज़ामन्दी स़े मआ
ु मला फ़स्ख कि सकत़े हैं औि अगि इर्जाि़े में
का हक िखता है तो वह मआ
ु हद़े क़े मत
ु ाबिक इर्जािा फ़स्ख कि सकत़े हैं।
चक
ु ़ी है इर्जािा फ़स्ख कि सकता है ल़ेककन अगि इर्जाि़े क़े सीग़े में यह शतक आइद
क़ी र्जाए कक अगि उनमें स़े कोई र्ाट़े में भी होगा तो उस़े इर्जािा फ़स्ख किऩे का
2217. अगि एक शख़्स कोई चीज़ इर्जाि़े पि द़े औि इसस़े पहल़े कक उसका
कबज़ा मस्
ु ताजर्जि को द़े कोई औि शख़्स उस चीज़ को गस्ि कि ल़े तो मस्
ु ताजर्जि
इर्जािा फ़स्ख कि सकता है औि र्जो चीज़ उसऩे इर्जाि़े पि द़े ऩे वाल़े को दी हो उस़े
जर्जतनी मद्
ु दत वह चीज़ गामसि क़े पास िही हो उसक़ी आमतौि पि जर्जतनी
710
उर्जित िऩे वह गामसि स़े ल़े ल़े। मलहाज़ा अगि मस्
ु ताजर्जि एक है वान का एक
महीऩे का इर्जािा दस रुपय़े क़े एवज़ कि़े औि कोई शख़्स उस है वान को दस हदन
क़े मलए गस्ि कि ल़े औि आम तौि पि उसका दस हदन का इर्जािा पन्रह रुपय़े
हो तो मस्
ु ताजर्जि पन्रह रुपय़े गामसि स़े ल़े सकता है ।
में न ल़ेऩे द़े या तहवील में ल़ेऩे क़े िाद उस पि नार्जाइज़ कबज़ा कि ल़े या उसस़े
मस्
ु ताजर्जि क़े हाथ ि़ेच डाल़े तो इर्जािा फ़स्ख नहीं होता औि मस्
ु ताजर्जि को चाहहय़े
हो र्जाता है औि मस्
ु ताजर्जि इर्जाि़े क़ी िकम मामलक स़े वापस ल़े सकता है औि
मस्
ु ताजर्जि इर्जािा फ़स्ख कि सकता है।
711
2221. अगि एक शख्स कोई चीज़ इर्जाि़े पि ल़े औि वह कुछ मद्
ु दत गुज़िऩे
हुई मद्
ु दत का इर्जािा उर्जितुल ममस्ल यअनी जर्जतऩे हदन वह चीज़ इस्त़ेमाल क़ी
2222. अगि कोई शख़्स ऐसा मकान ककिाय़े पि द़े जर्जसक़े मसलन दो कमि़े हों
औि उनमें स़े एक कमिा टूट िूट र्जाए ल़ेककन इर्जाि़े पि द़े ऩे वाला उस कमि़े को
फ़कक हो तो उसक़े मलए वही हुक्म है र्जो उसस़े पहल़े वाल़े वाल़े मस ्अल़े में िताया
गया है औि अगि इस तिह न हो िजल्क इर्जाि़े पि द़े ऩे वाला उस़े फ़ौिन िना द़े
औि उसस़े इजस्तफ़ादा किऩे में भी कत ्अन फ़कक वाक़े न हो तो इर्जािा िाततल नहीं
होता। औि ककिाय़ेदाि भी इर्जाि़े को फ़स्ख नहीं कि सकता ल़ेककन अगि कमि़े क़ी
तो सािी मद्
ु दत का इर्जािा भी फ़स्ख कि सकता है अलित्ता जर्जतनी मद्
ु दत उसऩे
िाततल नहीं होता ल़ेककन अगि मकान का फ़ाइदा मसफ़क उसक़ी जज़न्दगी में ही
712
उसका हो मसलन ककसी दस
ू ि़े शख़्स ऩे वसीयत क़ी हो कक र्जि तक वह (इर्जाि़े
पि द़े ऩे वाला) जज़न्दा है मकान क़ी आमदनी उसका माल होगा तो अगि वह
उसक़े मिऩे क़े वक़्त स़े इर्जािा िाततल है औि अगि मौर्जूदा मामलक उस इर्जाि़े क़ी
तस्दीक कि द़े तो इर्जािा सहीह है औि इर्जाि़े पि द़े ऩे वाल़े क़ी मौत क़े िाद इर्जाि़े
हो।
2224. अगि कोई शख़्स ककसी म़ेमाि को इस मक़्सद स़े वक़ील िनाए कक वह
कक इमाित को मक
ु म्मल कि द़े गा औि वह अपऩे मलए यह इजख़्तयाि हामसल कि
ल़े क़े खद
ु िनाय़ेगा या दस
ू ि़े स़े िनवाय़ेगा तो उस सिू त में कक कुछ काम खद
ु कि़े
औि िाक़ी मांदा दस
ू िों स़े उस उर्जित पि किवाए जर्जस पि वह खद
ु अर्जीि िना है
2225. अगि िं गि़े ज़ वअदा कि़े कक मसलन कपड़ा नील स़े िं ग़ेगा तो अगि वह
नील क़े िर्जाय उस़े ककसी औि चीज़ स़े िं ग द़े तो उस़े उर्जित ल़ेऩे का कोई हक
नहीं।
713
जजआला के अह्काम
2226. जर्जआल स़े मिु ाद यह है कक इंसान वअदा कि़े कक अगि एक काम उसक़े
मलए अंर्जाम हदया र्जाय़ेगा तो वह उसक़े िदल़े कुछ माल ितौि़े इनआम द़े गा।
(इनआम) द़े गा तो र्जो शख़्स इस काम का वअदा कि़े उस़े र्जाइल औि र्जो शख़्स
वह काम अंर्जाम द़े उस़े आममल कहत़े हैं औि इर्जाि़े व जर्जआल़े में िअज़ मलहाज़ा
स़े फ़कक है । उन में स़े एक यह है कक इर्जाि़े में सीगा पढ़ऩे क़े िाद अर्जीि क़े मलए
ज़रूिी है कक काम अंर्जाम द़े औि जर्जसऩे उस़े अर्जीि िनाया हो वह उर्जित क़े मलए
वअदा अपऩे इिाद़े औि इजख़्तयाि स़े कि़े औि शिअन अपऩे माल में तसरूकफ़ कि
सकता हो। इस बिना पि सफ़़ीह का जर्जआला सहीह नहीं है औि बिल्कुल उसी तिह
न िखता हो।
714
2228. र्जाइल र्जो काम लोगों स़े किाना चाहता हो, ज़रूिी है कक वह हिाम या ि़े
शिअन लाजज़म हो। मलहाज़ा अगि कोई कह़े कक र्जो शख़्स शिाि वपय़ेगा या िात
क़े वक़्त ककसी आककलाना मक़्सद क़े िगैि एक तािीक र्जगह पि र्जाय़ेगा या
कह़े कक अगि तुमऩे इस माक को दस रुपय़े स़े ज़्यादा क़ीमत पि ि़ेचा तो इज़ाफ़़ी
िकम तुम्हािी होगी तो जर्जआला सहीह है औि इसी तिह अगि र्जाइल यह कह़े कक
र्जो कोई म़ेिा र्ोड़ा ढ़ूढ कि लाय़ेगा मैं उस़े र्ोड़़े में तनस्फ़ मशिाकत या दस मन
ग़ेहूं दं ग
ू ा तो भी जर्जआला सहीह है ।
ममक़्दाि का तअय्यन
ु न कि़े तो अगि कोई शख़्स उस काम को अंर्जाम द़े तो
ज़रूिी है कक र्जाइल उस़े उतनी उर्जित द़े जर्जतनी आम लोगों क़ी नज़िों में उस
715
2231. अगि आममल ऩे र्जाइल क़े कौल व किाि स़े पहल़े ही वह काम कि
हदया हो या कौल व किाि क़े िाद इस नीयत स़े यह काम अंर्जाम द़े कक उसक़े
सकता है।
जर्जआला मंसख
ू किना चाह़े तो इसमें इश्काल है ।
2234. आममल काम को अधिू ा छोड़ सकता है ल़ेककन अगि काम अधिू ा छोड़ऩे
पि र्जाइल को या जर्जस शख़्स क़े मलए यह काम अंर्जाम हदया र्जा िहा है कोई
नक़्
ु सान पहुंचता हो तो ज़रूिी है कक काम को मक
ु म्मल कि़े । मसलन अगि कोई
शख़्स कह़े कक र्जो कोई म़ेिी आंख का इलार्ज कि द़े मैं उस़े इस कदि मआ
ु वज़ा
दं ग
ू ा औि डाक्टि उसक़ी आंख का आपि़े शन कि द़े औि सिू त यह हो कक अगि वह
इलार्ज मक
ु म्मल न कि़े तो आंख में ऐि पैदा हो र्जाए तो ज़रूिी है कक अपना
अमल तक्मील तक पहुंचाए औि अगि अधिू ा छोड़ द़े तो र्जाइल स़े उर्जित ल़ेऩे का
2235. अगि आममल काम अधिू ा छोड़ द़े औि वह काम ऐसा हो र्जैस़े र्ोड़ा
716
उर्जित को काम मक
ु म्मल किऩे स़े मशरूत कि द़े ति भी यही हुक्म है । मसलन
मिु ाद यह हो कक जर्जतना काम ककया र्जाय़ेगा उतनी उर्जित द़े गा तो किि र्जाइल को
चाहहय़े कक जर्जतना काम हुआ हो उतनी उर्जित आममल को द़े द़े अगिच़े एहततयात
यह है कक दोनों मस
ु ालहत क़े तौि पि एक दस
ू ि़े को िाज़ी कि लें।
मज
ु ािआ के अह्काम
2236. मज़
ु ािआ क़ी चन्द ककस्में हैं। उन में स़े एक यह है कक (ज़मीन का)
2237. मज़
ु ािआ क़ी चन्द शिाइत हैं—
कुछ कहें मामलक काश्तकाि को ख़ेती िाड़ी क़े इिाद़े स़े ज़मीन द़े द़े औि काश्तकाि
किल
ू कि ल़े।
का मआ
ु हदा अपऩे इिाद़े औि इखततयाि स़े किें औि सफ़़ीह न हों। औि इसी तिह
717
उसका मज़
ु ािआ किना उन अमवाल में तसरूकफ़ न कह लाए जर्जनमें उस़े तसरूकफ़
3. मामलक औि काश्तकाि में स़े हि एक ज़मीन क़ी पैदावाि में स़े कुछ हहस्सा
तनस्फ़ या एक ततहाई वगैिा ल़े ल़े। मलहाज़ा अगि कोई भी अपऩे मलए कोई हहस्सा
मक
ु िक ि न कि़े या मसलन मामलक कह़े कक इस ज़मीन में ख़ेती िाड़ी किो औि र्जो
क़ी एक मअ
ु य्यन ममक़्दाि दस मन काश्तकाि या मामलक क़े मलए मक
ु िक ि कि दी
मश्ु तिक हो। अगिच़े अज़हि यह है कक यह शतक मोतिि नहीं है । इसी बिना पि
अगि मामलक कह़े कक इस ज़मीन में ख़ेती िाड़ी किो औि ज़मीन क़ी पैदावाि का
मज़
ु ािआ सहीह है ।
5. जर्जतनी मद्
ु दत क़े मलए ज़मीन काश्तकाि क़े कबज़़े में िहनी चाहहए उस़े
मअ
ु य्यन कि द़े औि ज़रूिी है कक वह मद्
ु दत इतनी हो कक उस मद्
ु दत में पैदावाि
मद्
ु दत का इखततताम पैदावाि ममलऩे को मक
ु िक ि कि द़े तो काफ़़ी है ।
718
6. ज़मीन काबिल़े काश्त हो। औि अगि उसमें अभी काश्त किना मजु म्कन न हो
ल़ेककन ऐसा काम ककया र्जा सकता हो जर्जस स़े काश्त मजु म्कन हो र्जाए तो
मज़
ु ािआ सहीह है ।
नज़ि न हो तो उसका मअ
ु य्यन किना ज़रूिी नहीं है इसी तिह अगि कोई मखसस
ू
कि़े ।
8. मामलक ज़मीन को मअ
ु य्यन कि द़े । यह शतक उस सिू त में है र्जिकक मामलक
क़े पास ज़मीन क़े चन्द कतआत हों औि उन कत ्आत क़े लवाजज़म़े काश्तकािी में
लाजज़म नहीं है। मलहाज़ा अगि मामलक काश्तकाि स़े कह़े कक ज़मीन क़े इन
तो मज़
ु ािआ सहीह है ।
र्जो खचक हि एक को किना ज़रूिी हो अगि उसका इल्म हो तो किि उसक़ी वज़ाहत
719
2238. अगि मामलक काश्तकाि स़े तय कि़े कक पैदावाि क़ी कुछ ममक़्दाि एक
क़ी होगी औि र्जो िाक़ी िच़ेगा उस़े वह आपस में तक़्सीम कि लेंग़े तो मज़
ु ािआ
िाततल है अगिच़े उन्हें इल्म हो कक इस ममक़्दाि को अलाहदा किऩे क़े िाद कुछ
न कुछ िाक़ी िच र्जाय़ेगा। हां अगि आपस में यह तय कि लें कक िीर्ज क़ी र्जो
ममक़्दाि काश्त क़ी गई है या टै क्स क़ी र्जो ममक़्दाि हुकूमत ल़ेती है वह पैदावाि स़े
तनकाली र्जाय़ेगी औि र्जो िाक़ी िच़ेगा उस़े दोनों क़े दिममयान तक़्सीम ककया
र्जाय़ेगा तो मज़
ु ािआ सहीह है।
ज़मीन में खड़ी िह़े औि काश्तकाि भी िाज़ी हो तो कोई हिर्ज नहीं औि अगि
काट ल़े औि अगि फ़स्ल काट ल़ेऩे स़े काश्तकाि को कोई नक़्
ु सान पहुंच़े तो
लाजज़म नहीं कक मामलक उस़े उसका एवज़ द़े ल़ेककन अगिच़े काश्तकाि मामलक को
720
कोई चीज़ द़े ऩे पि िाज़ी हो ति भी वह मामलक को मर्जििू नहीं कि सकता कक
2240. अगि कोई ऐसी सिू त प़ेश आ र्जाए कक ज़मीन में ख़ेती िाड़ी किना
है औि अगि काश्तकाि बिला वर्जह ख़ेती िाड़ी न कि़े तो अगि र्जमीन उसक़े
मज़
ु ािआ (का मआ
ु हदा मंसख
ू नहीं कि सकत़े। ल़ेककन अगि मज़
ु ािआ क़े मआ
ु हद़े
क़े मसलमसल़े में उन्होंऩे शतक क़ी हो कक उनमें स़े दोनों को या ककसी एक को
मआ
ु मला फ़स्ख किऩे का हक हामसल होगा तो र्जो मआ
ु हदा उन्होंऩे कि िखा हो
उसक़े मत
ु ाबिक मआ
ु मला फ़स्ख कि सकत़े हैं। इसी तिह अगि उन दोनों में स़े
एक फ़िीक तय शद
ु ा शिाइत क़े खखलाफ़ अमल कि़े तो दस
ू िा फ़िीक मआ
ु मला
फ़स्ख कि सकता है ।
मज़
ु ािआ मंसख
ू नहीं हो र्जाता िजल्क उनक़े वारिस उनक़ी र्जगह ल़े ल़ेत़े हैं। ल़ेककन
721
जज़म्म़े थ़े वह मक
ु म्मल हो गाए हों तो उस सिू त में मज़
ु ािआ मंसख
ू नहीं होता
को हामसल हों वह भी उसक़े विसा को मीिास में ममल र्जात़े हैं औि विसा मामलक
माल होगी औि ज़रूिी है कक काश्तकाि क़ी उर्जित औि र्जो कुछ उसऩे खचक ककया
औि दोनों सिू तों में आम तौि पि र्जो हक िनता हो अगि उसक़ी ममक़्दाि तयशद
ु ा
वाजर्जि नहीं।
2244. अगि िीर्ज काश्तकाि का माल हो औि काश्त क़े िाद फ़िीकैन को पता
चल़े कक मज़
ु ािआ िाततल था तो अगि मामलक औि काश्तकाि िज़ामन्द हों कक
722
उज़ित पि या बिला उर्जित फ़स्ल ज़मीन पि खड़ी िह़े तो कोई इश्काल नहीं है
भी वह उस़े फ़स्ल अपनी ज़मीन में िहऩे द़े ऩे पि मर्जििू नहीं कि सकता ल़ेककन
यह कौल इश्काल स़े खाली नहीं है औि ककसी भी सिू त में मामलक काश्तकाि को
मर्जििू नहीं कि सकता कक वह ककिाया द़े कि फ़स्ल उसक़ी ज़मीन में खड़ी िहऩे
द़े हत्ता कक उसस़े ज़मीन का ककिाया तलि न कि़े (ति भी फ़स्ल खड़ी िहऩे पि
पैदावाि दें तो अगि मामलक ऩे काश्तकाि क़े साथ जज़िाअत क़ी र्जड़ों में इजश्तिाक
का मआ
ु हदा न ककया हो तो दस
ू ि़े साल क़ी पैदावाि िीर्ज क़े मामलक का माल है ।
एक मक
ु िक िा मद्
ु दत क़े मलए ककसी दस
ू ि़े शख़्स क़े मसपद
ु क कि द़े ताकक वह उनक़ी
723
तनगाहदाश्त कि़े औि उन्हें पानी द़े औि जर्जतनी ममक़्दाि वह आपस में तय किें
उसक़े मत
ु ाबिक वह उन दिख़्तों का िल ल़े लें तो ऐसा मआ
ु मला मस
ु ाकात
(आियािी) कहलाता है ।
औि िूल हों कक र्जो कुछ न कुछ मामलयत िखत़े हों मसलन में हदी (औि पान) क़े
2248. मस
ु ाकात क़े मआ
ु मल़े में सीगा पढ़ना लाजज़म नहीं िजल्क अगि दिख़्त
का मामलक मस
ु ाकात क़ी नीयत स़े उस़े ककसी क़े मसपद
ु क कि द़े औि जर्जस शख़्स
सहीह है।
जज़म्म़ेदािी ल़े ज़रूिी है कक दोनों िामलग औि आककल हों औि ककसी ऩे उन्हें
मआ
ु मला किऩे पि मर्जििू न ककया हो नीज़ यह भी ज़रूिी है कक सफ़़ीह न हों।
इसी तिह ज़रूिी है कक मामलक दीवामलया न हो। ल़ेककन अगि िागिान दीवामलया
हो औि मस
ु ाकात का मआ
ु मला किऩे क़ी सिू त में उन अम्वाल में तसरूकफ़ किना
लाजज़म न आए जर्जनमें तसरूकफ़ किऩे स़े उस़े िोका गया हो तो कोई इश्काल नहीं
है ।
724
2250. मस
ु ाकात क़ी मद्
ु दत मअ
ु य्यन होनी चाहहए। औि इतनी मद्
ु दत होना
ज़रूिी है कक जर्जसमें पैदावाि का दस्तयाि होना मजु म्कन हो। औि अगि फ़िीकैन
उस मद्
ु दत क़ी इजबतदा मअ
ु य्यन कि दें औि उसका इजख़्तताम उस वक़्त को किाि
िाक़ी िह र्जाए र्जो कक पैदावाि में इज़ाफ़़े क़े मलए या उसक़ी ि़ेहतिी या उस़े
नक़्
ु सान स़े िचाऩे क़े मलए ज़रूिी हो तो मआ
ु मला सहीह है। ल़ेककन अगि इस तिह
क़े कोई काम िाक़ी न िह़े हों कक र्जो आियािी क़ी तिह दिख़्त क़ी पिवरिश क़े
मलए ज़रूिी हैं या म़ेवा तोड़ऩे या उसक़ी हहफ़ाज़त र्जैस़े कामों में स़े िाक़ी िह र्जात़े
हैं तो किि मस
ु ाकात क़े मआ
ु मल़े का सहीह होना महल्ल़े इश्काल है ।
2253. खििज़
ू ़े औि खीि़े वगैिा क़ी ि़ेलों क़े िाि़े में मस
ु ाकात का मआ
ु मला
2254. र्जो दिख़्त िारिश क़े पानी या ज़मीन क़ी नमी स़े इजस्तफ़ादा किता हो
725
ज़रूित हो र्जो मस ्अला 2252 में ियान हो चक
ु ़े हैं तो उन कामों क़े िाि़े में
मस
ु ाकात का मआ
ु मला किना सहीह है ।
मआ
ु मला फ़स्ख कि सकता है।
औि मआ
ु हद़े में यह कैद औि शतक आइद न क़ी गई हो कक वह खद
ु दिख़्तों क़ी
पवकरिश कि़े गा तो उसक़े पिसा उसक़ी र्जगह ल़े ल़ेत़े हैं औि अगि विसा न खद
ु
दिख़्तों क़ी पवकरिश का काम अंर्जाम दें औि न ही उस मक़्सद क़े मलए ककसी को
अर्जीि मक
ु िक ि किें तो हाककम़े शअक मद
ु े क़े माल स़े ककसी को अर्जीि मक
ु िक ि कि
726
शख़्स खुद दिख़्तों क़ी पवकरिश कि़े गा तो उसक़े मिऩे क़े िाद मआ
ु मला फ़स्ख हो
र्जाय़ेगा।
2258. अगि यह शतक तय क़ी र्जाए कक तमाम पैदावाि मामलक का मामलक होगी
तो मस
ु ाकात िाततल है ल़ेककन ऐसी सिू त में पैदावाि मामलक का माल होगा औि
अगि मस
ु ाकात ककसी औि वर्जह स़े िाततल हो तो ज़रूिी है कक मामलक आियािी
औि दस
ू ि़े काम किऩे क़ी उर्जित दिख़्तों क़ी तनगहदाश्त किऩे वाल़े को मअमल
ू क़े
मत
ु ाबिक द़े ल़ेककन अगि मअमल
ू क़े मत
ु ाबिक उर्जित तय शद
ु ा उर्जित स़े ज़्यादा
हो औि वह उसस़े मत्त
ु ़ेलअ हो तो तय शद
ु ा उर्जित स़े ज़्यादा द़े ना लाजज़म नहीं।
2259. मग
ु ािसा यह है कक कोई शख़्स ज़मीन दस
ू ि़े को मसपद
ू क कि द़े ताकक वह
दिख़्त लगाए औि र्जो कुछ हामसल हो वह दोनों का माल हो तो बिना िि़े अज़्हि
यह मआ
ु मला सहीह है अगिच़े एहततयात यह है कक ऐस़े मआ
ु मल़े को तकक कि़े ।
ल़ेककन उस मआ
ु मल़े क़े नतीर्ज़े पि पहुंचऩे क़े मलए कोई औि मआ
ु मला अंर्जाम द़े
सल्
ु ह औि इवत्तफ़ाक कि लें या नए दिख़्त लगाऩे में शिीक हो र्जायें किि िागिान
727
वह अश्ख़ास जो अपने माल में तसरूयफ़ नहीं कि सकते
2260. र्जो िच्चा िामलग न हुआ हो वह अपनी जज़म्म़ेदािी औि अपऩे माल में
शिअन तसरूकफ़ नहीं कि सकता अगिच़े अच्छ़े औि ििु ़े को समझऩे में हद्द़े
कमाल औि रूश्त तक पहुंच गया हो औि सिपिस्त क़ी इर्जाज़त इस िाि़े में कोई
फ़ाइदा नहीं िखती। ल़ेककन चन्द चीज़ों में िच्च़े का तसरूकफ़ किना सहीह है उन में
स़े कम क़ीमत वाली चीज़ों क़ी खिीद व फ़िोख़्त किना है र्जैस़े कक मसअला 2090
में गज़
ु ि चक
ु ा है । इसी तहि िच्च़े का अपऩे खूनी रिश्त़ेदािों औि किीिी रिश्त़ेदािों
क़े मलए वसीयत किना, जर्जसका ियान मस ्अला 2706 में आय़ेगा। लड़क़ी में
िामलग होऩे क़ी अलामत यह हैं कक वह नौ कमिी साल पिू ़े कि ल़े औि लड़क़े क़े
िामलग होऩे क़ी अलामत तीन चीज़ों में स़े एक होती है।
2261. च़ेहि़े पि औि होंठों क़े ऊपि सख़्त िालों का उगना िईद नहीं कक िल
ु ग
ू त
क़ी अलामत हों, ल़ेककन सीऩे पि औि िगल क़े नीच़े िालों का उगना औि आवाज़
728
2262. दीवाना अपऩे माल में तसरूकफ़ नहीं कि सकता। इसी तिह दीवामलया
माल में तसरूकफ़ किऩे स़े मनअ कि हदया हो कज़कख़्वाहों क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उस
माल में तसरूकफ़ नहीं कि सकता औि इसी तिह सफ़़ीह यअनी वह शख़्स र्जो
अपना माल अहमकाना औि फ़ुज़ूल कामों में खचक किता हो, सिपिस्त क़ी इर्जाज़त
2263. र्जो शख़्स कभी आककल औि कभी दीवाना हो र्जाए उसका दीवांगी क़ी
न हों जर्जतना चाह़े सफ़क कि़े । औि अगि अपऩे माल को उसक़ी (अस्ल) क़ीमत पि
फ़िोख़्त कि़े या ककिाए पि द़े तो कोई इश्काल नहीं है। ल़ेककन अगि मसलन
अपना माल ककसी को िख़्श द़े या िाइर्ज क़ीमत स़े सस्ता फ़िोख़्त कि़े तो जर्जतनी
ममक़्दाि उसऩे िख़्श दी है या जर्जतनी सस्ती फ़िोख़्त क़ी है अगि वह उसक़े माल
अगि एक ततहाई स़े ज़्यादा हो तो विसा क़ी इर्जाज़त द़े ऩे क़ी सिू त में उसका
तसरूकफ़ किना सहीह है । औि अगि विसा इर्जाज़त न दें तो ततहाई स़े ज़्यादा में
729
वकालत के अह्काम
र्जैस़े कोई मआ
ु मला किना, उस़े दस
ू ि़े क़े मसपद
ु क कि द़े ताकक वह उसक़ी तिफ़ स़े
वह काम अंर्जाम द़े मसलन ककसी को अपना वक़ील िनाए ताकक वह उसका मकान
ि़ेच द़े या ककसी औित स़े उसका अक़्द कि द़े । मलहाज़ा सफ़़ीह चंकू क अपऩे माल में
तसरूकफ़ किऩे का हक नहीं िखता इस मलए वह मकान ि़ेचऩे क़े मलए ककसी को
2265. वकालत में सीगा पढ़ना लाजज़म नहीं िजल्क अगि इंसान दस
ू ि़े शख़्स को
है ।
तो अगिच़े वकालत नामा उस़े कुछ असे िाद ही ममल़े किि भी वकालत सहीह है ।
2267. मव
ु जक्कल यअनी वह शख़्स र्जो दस
ू ि़े को वक़ील िनाए औि वह शख़्स
र्जो वक़ील िऩे ज़रूिी है कक दोनों आककल हों औि (वक़ील िनाऩे औि वक़ील िनऩे
730
का) इक़्दाम कस्द औि इजख़्तयाि स़े किें औि मव
ु जक्कल क़े मआ
ु मल़े में िल
ु ग
ू भी
(उनमें िल
ु ग
ू शतक नहीं है )।
2268. र्जो काम इंसान अंर्जाम न द़े सकता हो या शिअन अंर्जाम द़े ना ज़रूिी न
सहीह नहीं है । हां अगि वक़ील को चन्द कामों में स़े एक काम जर्जसका वह खुद
इंततखाि कि़े अंर्जाम द़े ऩे क़े मलए वक़ील िनाए मसलन उसको वक़ील िनाए कक
ल़ेककन मअज़ूली क़ी खिि ममलऩे स़े पहल़े उसऩे वह काम कि हदया हो तो सहीह
है ।
2271. मव
ु जक्कल ख़्वाह मौर्जूद न हो वक़ील खुद को वकालत स़े कनािा कश
कि सकता है ।
731
2272. र्जो काम वक़ील क़े मसपद
ु क ककया गया हो, उस काम क़े मलए वह ककसी
दस
ू ि़े शख़्स को वक़ील मक
ु िक ि नहीं कि सकता ल़ेककन अगि मव
ु जक्कल ऩे उस़े
है उसी तिह वह अमल कि सकता है मलहाज़ा अगि उसऩे कहा हो कक म़ेि़े मलए
एक वक़ील मक
ु िक ि किो तो ज़रूिी है कक उसक़ी तिफ़ स़े वक़ील मक
ु िक ि कि़े ल़ेककन
मक
ु िक ि कि़े तो पहला वक़ील दस
ू ि़े वक़ील को मअज़ल
ू नहीं कि सकता औि अगि
वक़ील मक
ु िक ि कि़े तो मव
ु जक्कल औि पहला वक़ील उस वक़ील को मअज़ूल कि
में स़े हि एक उस काम को अंर्जाम द़े सकता है औि अगि उनमें स़े एक मि र्जाए
तो दस
ू िों क़ी वकालत िाततल नहीं होती, ल़ेककन अगि यह कहा हो कक सि ममल
732
कि अंर्जाम दें तो उनमें स़े कोई तन्हा उस काम को अंर्जाम नहीं द़े सकता औि
अगि उनमें स़े एक मि र्जाए तो िाक़ी अश्खास क़ी वकालत िाततल हो र्जाती है ।
नीज़ जर्जस चीज़ में तसरूकफ़ क़े मलए ककसी शख़्स को वक़ील मक
ु िक ि ककया र्जाए
अगि वह चीज़ तलफ़ हो र्जाए मसलन जर्जस भ़ेड़ को ि़ेचऩे क़े मलए ककसी को
वक़ील मक
ु िक ि ककया गया हो अगि वह भ़ेड़ मि र्जाए तो वकालत िाततल हो
कोई चीज़ द़े ना तय कि़े तो काम क़ी तक्मील क़े िाद ज़रूिी है कक जर्जस चीज़ का
2278. र्जो माल वक़ील क़े इजख़्तयाि में हो अगि वह उसक़ी तनगहदाश्त में
कोताही िित़े या जर्जस तसरूकफ़ क़ी उस़े इर्जाज़त दी गई हो उसक़े अलावा कोई
2279. र्जो माल वक़ील क़े इजख़्तयाि में हो अगि वह उसक़ी तनगहदाश्त में
733
वह माल तलफ़ हो र्जाए तो वह (वक़ील) जज़म्म़ेदाि है । मलहाज़ा जर्जस मलिास क़े
मलए उस़े कहा र्जाए कक उस़े ि़ेच दो अगि वह उस़े पहन ल़े औि वह मलिास तलफ़
2280. अगि वक़ील को माल में जर्जस तसरूकफ़ क़ी इर्जाज़त दी गई हो उसक़े
अलावा कोई तसरूकफ़ कि़े मसलन उस़े जर्जस मलिास क़े ि़ेचऩे क़े मलए कहा र्जाए
वह उस़े पहन ल़े औि िाद में वह तसरूकफ़ कि़े जर्जसक़ी उस़े इर्जाज़त दी गई हो तो
तसरूकफ़ सहीह है ।
कजय के अह्काम
मोममनीन को खुसस
ू न ज़रूित मन्द मोममनीन को कज़क द़े ना उन मस्
ु तहि कामों
स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही वसल्लम स़े रिवायत है, र्जो शख़्स अपऩे मस
ु लमान
भाई को कज़क द़े उसक़े माल में ििकत होती है औि मलाइका उस पि (खद
ु ा क़ी)
िहमत ििसात़े हैं औि अगि वह मकरूज़ स़े नम़ी िित़े तो िगैि हहसाि क़े औि
त़ेज़ी स़े पल
ु ़े मसिात पि स़े गज़
ु ि र्जाय़ेगा औि ककसी शख़्स स़े उसका मस
ु लमान
2281. कज़क में सीगा पढ़ना लाजज़म नहीं िजल्क अगि एक शख़्स दस
ू ि़े को कोई
किल
ू कि ल़े। ल़ेककन अगि कज़क अदा किऩे क़े मलए कज़क ख़्वाह क़े कहऩे स़े या
क़े खत्म होऩे स़े पहल़े अपना कज़क वापस ल़ेऩे स़े इंकाि कि सकता है।
2283. अगि कज़क क़े सीग़े में कज़क क़ी वापसी क़ी मद्
ु दत मअ
ु य्यन कि दी र्जाए
औि मद्
ु दत का तअय्यन
ु मकरूज़ क़ी दख़्वाकस्त पि हो या र्जातनिैन क़ी दख़्वाकस्त
पि कज़कख़्वाह उस मअ
ु य्यन मद्
ु दत क़े खत्म होऩे स़े पहल़े कज़क क़ी अदायगी का
मत
ु ालिा नहीं कि सकता। ल़ेककन अगि मद्
ु दत का तअय्यन
ु कज़कख़्वाह क़ी
कज़क अदा कि सकता हो तो उस़े चाहहए कक फ़ौिन अदा कि़े औि अगि अदायगी
2285. अगि मकरूज़ क़े पास एक र्ि कक जर्जसमें वह िहता हो औि र्ि क़े
मत
ु ालिा नहीं कि सकता। िजल्क उस़े चाहहए कक सब्र कि़े हत्ताकक मकरूज़ कज़क
735
2286. र्जो शख़्स मकरूज़ हो औि अपना कज़ाक अदा न कि सकता हो तो अगि
वह कोई ऐसा काम कार्ज कि सकता हो र्जो उसक़ी शायाऩे शान हो तो एहततयात़े
क़े मलए जर्जसक़े मलए काम किना आसान हो या उसका प़ेशा ही काम कार्ज किना
हो िजल्क उस सिू त में काम का वाजर्जि होना कुव्वत स़े खाली नहीं।
माल कज़कख़्वाह क़ी तिफ़ स़े फ़क़ीि को द़े द़े औि एहततयात क़ी बिना पि ऐसा
किऩे क़ी इर्जाज़त हाककम़े शअक स़े ल़े ल़े औि अगि उसका कज़कख़्वाह सैतयद न हो
तो एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक कज़े का माल सैतयद फ़क़ीि को न द़े । ल़ेककन
अगि मकरूज़ को कज़कख़्वाह या उसक़े वारिस क़े ममलऩे क़ी उम्मीद हो तो ज़रूिी है
2288. अगि ककसी मैतयत का माल उसक़े कफ़न या दफ़्न क़े वाजर्जि अखिार्जात
औि कज़क स़े ज़्यादा न हो तो उसका माल उन्हीं उमिू पि खचक किना ज़रूिी है औि
736
2289. अगि कोई शख़्स सोऩे या चांदी क़े मसक्क़े वगैिा कज़क ल़े औि िाद में
ममक़्दाि वापस कि र्जो ली थी ल़ेककन दोनों सिू तों में अगि मकरूज़ औि कज़कख़्वाह
2290. ककसी शख़्स ऩे र्जो माल कज़क मलया हो अगि वह तलफ़ न हुआ हो औि
2291. अगि कज़क द़े ऩे वाला शतक आइद कि़े कक वह जर्जतनी ममक़्दाि में माल द़े
िहा है उसस़े ज़्यादा वापस ल़ेगा मसलन एक मन ग़ेहूं द़े औि शतक आइद कि़े कक
लंग
ू ा तो यह सद
ू औि हिाम है िजल्क अगि तय कि़े कक मकरूज़ उसक़े मलए कोई
कि़े गा मसलन तय कि़े कक (मकरूज़ ऩे) र्जो एक रूपया मलया है वापस कित़े वक़्त
अगि मकरूज़ क़े साथ शतक कि़े कक र्जो चीज़ वह कज़क ल़े िहा है उस़े एक मखसस
ू
तिीक़े स़े वापस कि़े गा मसलन अनगढ़़े सोऩे क़ी कुछ ममक़्दाि उस़े द़े औि शतक कि़े
737
कज़कख़्वाह कोई शतक न लगाए िजल्क मकरूज़ खुद कज़े क़ी ममक़्दाि स़े कुछ ज़्यादा
2292. सद
ू द़े ना सद
ू ल़ेऩे क़ी तिह हिाम है ल़ेककन र्जो शख़्स सद
ू पि कज़क ल़े
ककया होता औि िकम का मामलक इस िात पि िाज़ी होता कक कज़क ल़ेऩे वाला उस
िकम में तसरूकफ़ कि ल़े तो मकरूज़ िगैि ककसी इश्काल क़े उस िकम में तसरूकफ़
कि सकता है ।
2294. अगि एक शख़्स कोई मलिास खिीद़े औि िाद में उसक़ी क़ीमत कपड़़े क़े
मामलक को सद
ू ी िकम स़े या ऐसी हलाल िकम स़े र्जो सद
ू ी कज़े पि ली गई िकम
नमाज़ पढ़ऩे में कोई इश्काल नहीं ल़ेककन अगि ि़ेचऩे वाल़े स़े कह़े कक मैं यह
गुज़ि चक
ु ा है।
738
2295. अगि कोई शख़्स ककसी ताजर्जि को कुछ िकम द़े औि दस
ू ि़े शहिों में उस
ताजर्जि स़े कम िकम ल़े तो इसमें कोई इश्काल नहीं औि उस़े सफ़ेििाअत कहत़े हैं।
2296. अगि कोई शख़्स ककसी को कुछ िकम इस शतक पि द़े कक चन्द हदन
िाद दस
ू ि़े शहि में उसस़े ज़्यादा ल़ेगा मसलन 999 रुपय़े द़े औि दस हदन िाद
दस
ू ि़े शहि में उसक़े िदल़े एक हज़िा रुपय़े ल़े तो अगि यह िकम (यअनी 990
औि हज़ाि रुपय़े) ममसाल क़े तौि पि सोऩे या चांदी क़ी िनी हों तो यह सद
ू औि
हिाम है ल़ेककन र्जो शख़्स ज़्यादा ल़े िहा हो अगि वह इज़ाफ़़े क़े मक
ु ाबिल़े में कोई
जर्जन्स द़े या कोई काम कि द़े तो किि इश्काल नहीं ताहम वह आम िाइर्ज नोट
जर्जन्हें चगनकि शम
ु ाि ककया र्जाता हो अगि उन्हें ज़्यादा मलया र्जाए तो कोई
इश्काल नहीं मामसवा उस सिू त क़े कक कज़क हदया हो औि ज़्यादा क़ी अदायगी क़ी
खाली नहीं है ।
2297. अगि ककसी शख़्स को ककसी स़े कुछ कज़क ल़ेना हो औि वह चीज़ सोना
मकरूज़ या ककसी औि क़े पास कम क़ीमत पि ि़ेच कि उसक़ी क़ीमत नक़्द वसल
ू
कि सकता है । इसी बिना पि मौर्जूदा दौि में र्जो च़ेक औि हुंडडयां कज़कख़्वाह
739
क़ीमत पि जर्जस़े आम तौि पि भाव चगिना कहत़े हैं ि़ेच सकता है औि िाक़ी िकम
हवाला दे ने के अह्काम
2298. अगि कोई शख़्स अपऩे कज़कख़्वाह को हवाला द़े कक वह अपना कज़क एक
नाम हवाला हदया गया है वह मकरूज़ हो र्जाय़ेगा औि उसक़े िाद कज़कख़्वाह पहल़े
नीज़ ज़रूिी है कक सफ़़ीह न हों यअनी अपना माल अहमकाना औि फ़ुज़ूल कामों में
हों। हां अगि हवाला ऐस़े शख़्स क़े नाम हो र्जो पहल़े स़े हवाला द़े ऩे वाल़े का
मकरूज़ न हो तो अगिच़े हवाला द़े ऩे वाला दीवामलया भी हो कोई इश्काल नहीं है ।
2300. ऐस़े शख़्स क़े नाम हवाला द़े ना र्जो मकरूज़ न हो उस सिू त में सहीह
वह शख़्स किल
ू न कि़े हवाला सहीह नहीं है । िजल्क हवाला द़े ऩे क़ी तमाम सिू तों
में ज़रूिी है कक जर्जस शख़्स क़े नाम हवाला ककया र्जा िहा है वह हवाला किल
ू कि़े
औि अगि किल
ू न कि़े तो बिनािि़े अज़्हि (हवाला) सहीह नहीं है ।
अगि वह ककसी स़े कज़क ल़ेना चाहता हो तो र्जि तक उसस़े कज़क न ल़े ल़े उस़े
ककसी नाम का हवाला नहीं द़े सकता ताकक र्जो कज़क उस़े िाद में द़े ना हो वह पहल़े
अगि हवाला द़े ऩे वाला ककसी शख़्स का दस मन ग़ेहूं औि दस रुपय़े का मकरूज़
हो औि कज़कख़्वाह को हवाला द़े कक उन दोनों कज़ों में स़े कोई एक फ़लां शख़्स स़े
ल़े औि उस कज़क को मअ
ु य्यन न कि़े तो हवाला दरु
ु स्त नहीं है ।
द़े खऩे स़े पहल़े हवाला द़े द़े औि िाद में िजर्जस्टि द़े ख़े औि कज़कख़्वाह को कज़े क़ी
741
2304. कज़कख्वाह को इजख़्तयाि है कक हवाला किल
ू न कि़े अगिच़े जर्जसक़े नाम
का हवाला हदया र्जाए वह दौलतमन्द हो औि हवाल़े क़े अदा किऩे में कोताही भी
न कि़े ।
2305. र्जो शख़्स हवाला द़े ऩे वाल़े का मकरूज़ न हो अगि हवाला किल
ू कि़े तो
अज़्हि यह है कक हवाला अदा किऩे स़े पहल़े हवाला द़े ऩे वाल़े स़े हवाल़े क़ी
ममक़्दाि का मत
ु ालिा कि सकता है । मगि यह कक र्जो कज़क जर्जसक़े नाम हवाला
मत
ु ालिा नहीं कि सकता अगिच़े उसऩे अदायगी कि दी हो औि उसी तिह अगि
2306. हवाला क़ी शिाइत पिू ी होऩे क़े िाद हवाला द़े ऩे वाला औि जर्जसक़े नाम
हवाला हदया गया है हवाला क़े वक़्त फ़क़ीि न हो तो अगिच़े वह िाद में फ़क़ीि हो
र्जि (वह शख़्स जर्जसक़े नाम का हवाला हदया गया हो) हवाला द़े ऩे क़े वक़्त वह
742
वाल़े स़े ल़े सकता है। ल़ेककन अगि वह मालदाि हो गया हो तो मअलम
ू नहीं कक
मआ
ु मल़े को कफ़स्ख कि सकता है (या नहीं)।
तो र्जो मआ
ु हदा उन्होंऩे ककया हो उसक़े मत
ु ाबिक वह हवाला मंसख
ू कि सकत़े हैं।
2308. अगि हवाला द़े ऩे वाला खुद कज़कख़्वाह का कज़ाक अदा कि द़े यह काम
उस शख़्स क़ी ख़्वाहहश पि हुआ हो जर्जसक़े नाम का हवाला हदया गया हो र्जिकक
वह हवाला द़े ऩे वाल़े का मकरूज़ भी हो तो वह र्जो कुछ हदया हो उसस़े ल़े सकता
सकता।
िहन के अह्काम
2309. ि़े हन यह है कक इंसान कज़क क़े िदल़े अपना माल या जर्जस माल क़े मलए
ज़ाममन िना हो वह माल ककसी क़े पास चगिवी िखवाए कक अगि ि़े हन िखवाऩे
वाला कज़ाक न लौटा सक़े या ि़े हन न छुड़ा सक़े तो ि़े हन ल़ेऩे वाला शख़्स उसका
743
2310. ि़े हन में सीगा पढ़ना लाजज़म नहीं है िजल्क इतना काफ़़ी है कक चगिवी
द़े ऩे वाल अपना माल चगिवी िखऩे क़ी नीयत स़े चगिवी ल़ेऩे वाल़े को द़े द़े औि
दीवामलया हो ल़ेककन र्जो माल वह चगिवी िखवा िहा है उसका अपना माल न हो
या उन अमवाल में स़े न हो जर्जसक़े तसरूकफ़ किऩे स़े मनअ ककया गया हो तो
सहीह है।
2313. जर्जस चीज़ को चगिवी िखा र्जा िहा हो ज़रूिी है कक उसक़ी खिीद व
फ़िोख़्त सहीह हो। मलहाज़ा अगि शिाि या उस र्जैसी चीज़ चगिवी िखी र्जाए तो
दरु
ु स्त नहीं है।
744
2314. जर्जस चीज़ को चगिवी िखा र्जा िहा है उसस़े र्जो फ़ाइदा होगा वह उस
चीज़ क़े मामलक क़ी ममजल्कयत होगा ख़्वाह वह चगिवी िखवाऩे वाला हो या कोई
दस
ू िा शख़्स हो।
2315. चगिवी िखवाऩे वाल़े ऩे र्जो माल ितौि चगिवी मलया हो उस माल को
उसक़े मामलक क़ी इर्जाज़त क़े िगैि ख़्वाह चगिवी िखवाऩे वाला हो या कोई दस
ू िा
शख़्स ककसी दस
ू ि़े क़ी ममजल्कयत में नहीं द़े सकता। मसलन वह ककसी दस
ू ि़े को
ककसी को िख़्श द़े या फ़िोख़्त कि द़े औि मामलक िाद में इर्जाज़त द़े तो कोई
2316. अगि चगिवी िखऩे वाला उस माल को र्जो उसऩे ितौि चगिवी मलया हो
उसक़े मामलक क़ी इर्जाज़त स़े ि़ेच द़े तो माल क़ी तिह उसक़ी क़ीमत चगिवी नहीं
होगी। औि यही हुक्म है अगि मामलक क़ी इर्जाज़त क़े िगैि ि़ेच द़े औि मामलक
तिह चगिवी नहीं होगी) ल़ेककन अगि चगिवी िखवाऩे वाला उस चीज़ को चगिवी
िखऩे वाल़े क़ी इर्जाज़त स़े ि़ेच द़े ताकक उसक़ी क़ीमत को चगिवी किाि द़े तो
में मआ
ु मला िाततल है । मगि यह कक चगिवी िखऩे वाल़े ऩे उसक़ी इर्जाज़त ही हो
(तो किि मआ
ु मला सहीह है )।
745
2317. जर्जस वक़्त मकरूज़ को कज़क अदा कि द़े ना चाहहए मगि कज़कख़्वाह उस
वक़्त मत
ु ालिा कि़े औि मकरूज़ अदायगी न कि़े तो उस सिू त में र्जिकक
कज़कख़्वाह माल को फ़िोख़्त कि क़े अपना कज़ाक उसक़े माल स़े वसल
ू किऩे का
इजख़्तयाि िखता हो वह चगिवी ककय़े हुए माल को फ़िोख्त कि क़े अपना कज़ाक
वसल
ू कि सकता है। औि अगि इजख़्तयाि न िखता हो तो ज़रूिी है कक हाककम़े
शअक स़े उस माल को ि़ेच कि उसक़ी क़ीमत स़े अपना कज़ाक वसल
ू किऩे क़ी
इर्जाज़त ल़े औि दोनों सिू तों में अगि कज़े स़े ज़्यादा क़ीमत वसल
ू हो तो ज़रूिी है
2318. अगि मकरूज़ क़े पास उस मकान क़े अलावा जर्जसमें वह िहता हो औि
िनना चाह़े तो उसका ज़ाममन िनना उस वक़्त सहीह होगा र्जि वह ककसी लफ़्ज़
स़े अगिच़े वह अििी ज़िान में न हो या ककसी अमल स़े कज़कख़्वाह को समझा द़े
746
कक मैं तुम्हाि़े कज़क क़ी अदायगी क़े मलए ज़ाममन िान गया हूं औि कज़कख़्वाह भी
यह शिाइत मकरूज़ क़े मलए नहीं है मसलन अगि कोई शख़्स िच्च़े या दीवाऩे या
सफ़़ीह का कज़क अदा किऩे क़े मलए ज़ाममन िऩे तो ज़मानत सहीह है।
2321. र्जि कोई शख़्स ज़ाममन िनऩे क़े मलए कोई शतक िख़े मसलन यह कह़े
2322. इंसान जर्जस शख़्स क़े कज़क क़ी ज़मानत द़े िहा है ज़रूिी है कक वह
तो र्जि तक वह कज़क न ल़े ल़े उस वक़्त तक कोई शख़्स उसका ज़ाममन नहीं िन
सकता।
2323. इंसान उसी सिू त में ज़ाममन िन सकता है र्जि कज़क, कज़कख़्वाह औि
शख्स क़े कज़कख्वाह हों औि इंसान कह़े कक मैं तुम में स़े एक का कज़क अदा कि
747
दं ग
ू ा तो चकंू क उसऩे इस िात को मअ
ु य्यन नहीं ककया कक वह उनमें स़े ककस का
कज़क अदा कि़े गा इस मलए उसका ज़ाममन िाततल है । नीज़ अगि ककसी को दो
ककया कक दोनों में स़े ककसका कज़क अदा कि़े गा इस मलए उसका ज़ाममन िनना
दस मन ग़ेहूं औि दस रुपय़े ल़ेऩे हों औि कोई शख़्स कह़े कक मैं तुम्हाि़े दोनों कज़ों
ग़ेहूं क़े मलए ज़ाममन है या रुपयों क़े मलए तो यह ज़मानत सहीह नहीं है ।
2324. अगि कज़कख़्वाह अपना कज़क ज़ाममन को िख़्श द़े तो ज़ाममन मकरूज़ स़े
कोई चीज़ नहीं ल़े सकता औि अगि वह कज़े क़ी कुछ ममक्दाि उस़े िख़्श द़े तो
2325. अगि कोई शख़्स ककसी का कज़ाक अदा किऩे क़े मलए ज़ाममन िन र्जाए
2327. अगि इंसान ज़ाममन िनऩे क़े वक़्त कज़कख़्वाह का कज़ाक अदा किऩे क़े
काबिल हों तो ख़्वाह वह (ज़ाममन) िाद में दीवामलया हो र्जाए कज़कख्वाह उसक़ी
748
ज़मानत मंसख
ू किक़े पहल़े मकरूज़ स़े कज़क क़ी अदायगी का मत
ु ालिा नहीं कि
सकता। औि इसी तिह अगि ज़मानत द़े त़े वक़्त ज़ाममन कज़क अदा किऩे पि
काहदि न हो ल़ेककन कज़कख़्वाह यह िात मानत़े हुए उसक़े ज़ाममन िनऩे पि िाज़ी
2328. अगि इंसान ज़ाममन िनऩे क़े वक़्त कज़कख़्वाह का कज़ाक अदा किऩे पि
काहदि न हो औि कज़कख्वाह सिू त़े हाल स़े लाइल्म होऩे क़ी बिना पि उसक़ी
ज़मानत मंसख
ू किना चाह़े तो इस में इश्काल है खुसस
ू न उस सिू त में र्जिकक
2329. अगि कोई शख़्स मकरूज़ क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उसका कज़ाक अदा किऩे
क़े मलए ज़ाममन िन र्जाए तो वह कज़ाक अदा किऩे पि मकरूज़ स़े कुछ नहीं ल़े
सकता।
2330. अगि कोई शख़्स मकरूज़ क़ी इर्जाज़त स़े उसक़े कज़े क़ी अदायगी का
ज़ाममन िन र्जाए तो जर्जस ममक़्दाि क़े मलए ज़ाममन िना हो – अगिच़े स़े अदा
मलए वह मकरूज़ था उसक़ी िर्जाय कोई औि जर्जन्स कज़कख्वाह को द़े तो र्जो चीज़
दी हो उसका मत
ु ालिा मकरूज़ नहीं कि सकता मसलन अगि मकरूज़ को दस मन
749
चावल का मत
ु ालिा नहीं कि सकता ल़ेककन अगि मकरूज़ खुद चावल द़े ऩे पि
कफ़ालत के अह्काम
2331. कफ़ालत स़े मिु ाद यह है कक कोई शख़्स जज़म्मा ल़े कक जर्जस वक़्त
2332. कफ़ालत उस वक़्त सहीह है र्जि कफ़़ील कोई स़े भी अल्फ़ाज़ में ख़्वाह
वह अििी क़े न भी हों, या ककसी अमल स़े कज़कख़्वाह को यह िात समझा द़े कक
मैं जज़म्मा ल़ेता हूं कक जर्जस वक़्त तुम चाहोग़े मैं मकरूज़ को तुम्हाि़े हवाल़े कि
दं ग
ू ा औि कज़कख़्वाह भी इस िात को किल
ू कि ल़े औि एहततयात क़ी बिना पि
कफ़ालत क़े सहीह होऩे क़े मलए मकरूज़ क़ी िज़ामन्दी भी मोतिि है। िजल्क
कफ़़ील िऩे उस़े हाजज़ि कि सक़े औि इसी तिह उस सिू त में र्जि मकरूज़ को
750
हाजज़ि किऩे क़े मलए कफ़़ील को अपना माल खचक किना पड़़े तो ज़रूिी है कक वह
2334. इन पांच चीज़ों में स़े कोई एक कफ़ालत को कलअदम (खत्म) कि द़े ती
है ः-
कि द़े ।
2335. अगि कोई शख़्स मकरूज़ को कज़कख्वाह स़े ज़ििदस्ती आज़ाद किा द़े
751
अमानत के अह्काम
उस शख़्स को समझा द़े कक वह उस़े माल िखवाली क़े मलए द़े िहा है औि वह भी
िखवाली क़े मक़्सद स़े ल़े ल़े तो ज़रूिी है कक अमानतदािी क़े उन अह्काम क़े
मत
ु ाबिक अमल कि़े र्जो िाद में ियान होंग़े।
2337. ज़रूिी है कक अमानतदाि औि वह शख़्स र्जो माल ितौि़े अमानत द़े दोनों
िामलग औि आककल हों औि ककसी ऩे उन्हें मर्जििू न ककया हो मलहाज़ा अगि कोई
शख़्स ककसी माल को दीवाऩे या िच्च़े क़े पास अमानत क़े तौि पि िख़े या दीवाना
या िच्चा कोई माल ककसी क़े पास अमानत क़े तौि पि िख़े तो सहीह नहीं है । हां
दीवामलया न हो ल़ेककन अगि दीवामलया हो ताहम र्जो माल उसऩे अमानत क़े तौि
पि िखवाया हो वह उस माल में स़े न हो जर्जसमें उस़े तसरूकफ़ किऩे स़े मनअ
ककया गया है तो उस सिू त में कोई इश्काल नहीं है नीज़ उस सिू त में र्जिकक माल
क़ी हहफ़ाज़त किऩे क़े मलए अमानतदाि को अपना माल खचक किना पड़़े तो ज़रूिी
752
2338. अगि कोई शख़्स िच्च़े स़े कोई चीज़ उसक़े मामलक क़ी इर्जाज़त क़े िगैि
सिपिस्त तक पहुंचा द़े , औि अगि वह माल उन लोगों क़े पास पहुंचाऩे स़े पहल़े
तलफ़ हो र्जाए उस माल को उसक़े मामलक तक पहुंचाऩे क़ी नीयत स़े मलया हो तो
उस सिू त में अगि उसऩे माल क़ी हहफ़ाज़त किऩे औि उस़े मामलक तक पहुंचाऩे
में कोताही न क़ी हो तो वह ज़ाममन नहीं है औि अगि अमानत क़े तौि पि माल
2339. र्जो शख़्स अमानत क़ी हहफ़ाज़त न कि सकता हो अगि अमानत िखवाऩे
न कि़े ।
2340. अगि इंसान साहि़े माल को समझाए कक वह उस माल क़ी हहफ़ाज़त क़े
माल किि भी माल छोड़ कि चला र्जाए औि वह माल तलफ़ हो र्जाए तो जर्जस
753
2341. र्जो शख़्स ककसी क़े पास कोई चीज़ ितौि अमानत िखवाए वह अमानत
मंसख
ू कि सकता है ।
2342. अगि कोई शख़्स अमानत क़ी तनगहदाश्त तकक कि द़े औि अमानतदािी
मंसख
ू कि द़े तो ज़रूिी है कक जर्जस कदि र्जल्द हो सक़े माल उसक़े मामलक या
मामलक क़े वक़ील या सिपिस्त को पहुंचा द़े या उन्हें इवत्तलाअ द़े कक वह माल क़ी
(मज़ीद) तनगहदाश्त क़े मलए तैयाि नहीं है औि अगि वह िगैि उज़्र क़े माल उन
एवज़ द़े ।
मन
ु ामसि र्जगह न हो तो ज़रूिी है कक उसक़े मलए मन
ु ामसि र्जगह हामसल कि़े औि
में कोताही क़ी है औि अगि वह इस काम में कोताही कि़े औि अमानत तलफ़ हो
जज़म्म़ेदाि नहीं है ल़ेककन अगि वह उस माल क़ी हहफ़ाज़त में कोताही क़ेि औि
माल को ऐसी र्जगह िख़े र्जहां वह ऐसा गैि महफ़ूज़ हो कक अगि कोई ज़ामलम
754
खिि पाए तो ल़े र्जाए या वह इस माल में तअद्दी कि़े यअनी मामलक क़ी इर्जाज़त
क़े िगैि उस माल में तसरूकफ़ कि़े मसलन मलिास को इस्त़ेमाल कि़े या र्जानवि
को द़े ।
2345. अगि माल का मामलक अपऩे माल क़ी तनगहदाश्त क़े मलए कोई र्जगह
मअ
ु य्यन कि द़े औि जर्जस शख़्स ऩे अमानत किल
ू क़ी हो उसस़े कह़े कक, तुम्हें
चाहहय़े कक यहीं माल का ख़्याल िखो औि अगि उसक़े ज़ाए हो र्जाऩे का एहततमाल
हो ति भी तम
ु उसको कहीं औि ल़े र्जाना, तो अमानत किल
ू किऩे वाला उस़े
2346. अगि माल का मामलक अपऩे माल क़ी तनगहदाश्त क़े मलए कोई र्जगह
मअ
ु य्यन कि़े ल़ेककन ज़ाहहिन वह यह कह िहा हो कक उसक़ी नज़ि में वह र्जगह
कोई खस
ु स
ू ीयत नहीं िखती िजल्क वह र्जगह माल क़े मलए महफ़ूज़ र्जगहों में स़े
र्जो ज़्यादा महफ़ूज़ हो या पहली र्जगह जर्जतनी महफ़ूज़ हो ल़े र्जा सकता है औि
2347. अगि माल का मामलक हम़ेशा क़े मलए दीवाना या ि़ेहवास हो र्जाए तो
अमानत का मआ
ु मला खत्म हो र्जाय़ेगा औि जर्जस शख़्स ऩे उसस़े अमानत किल
ू
755
क़ी हो उस़े चाहहय़े कक फ़ौिन अमानत उसक़े सिपिस्त को पहुंचा द़े या उसक़े
सिपिस्त को खिि कि़े औि अगि वह शिई उज़्र क़े िगैि माल दीवाऩे क़े सिपिस्त
को न पहुंचाए औि उस़े खिि किऩे में भी कोताही िित़े औि माल तलफ़ हो र्जाए
तो उस़े चाहहए कक उसका एवज़ द़े । ल़ेककन अगि माल क़े मामलक पि कभी कभाि
पहुंचाए या उस़े इवत्तलाअ द़े । औि अगि वह शिई उज़्र क़े िगैि माल को उसक़े
वारिस क़े हवाल़े न कि़े औि खिि द़े ऩे में भी कोताही िित़े औि माल ज़ाए हो तो
द़े ऩे में भी कोताही कि़े कक र्जानना चाहता हो कक वह शख़्स र्जो कहता है कक
कोई औि शख़्स मैतयत का वारिस है या नहीं औि अगि (इस तह्क़ीक क़े िीच)
756
तमाम विसा को द़े या उस शख़्स को द़े जर्जस़े माल द़े ऩे पि सि विसा िज़ामन्द
उसक़े सिपिस्त या वारिस को चाहहय़े कक जर्जस कदि र्जल्द हो सक़े माल क़े
का मआ
ु मला िाततल होऩे में इश्काल है ।
2351. अगि अमानतदाि अपऩे आप में मौत क़ी तनशातनयां द़े ख़े तो अगि
सिपिस्त या वक़ील तक पहुंचा द़े या उसको इवत्तलाअ द़े औि अगि यह मजु म्कन
मिऩे क़े िाद माल उसक़े मामलक को ममल र्जाय़ेगा मसलन वसीयत कि़े औि उस
वसीयत पि गवाह मक
ु िक ि कि़े औि माल क़े मामलक का नाम औि माल क़ी जर्जन्स
औि खुसस
ू ीयात औि महल्ल़े वकूउ वसी औि गवाहों को िता द़े ।
2352. अगि अमानत दाि अपऩे आप में मौत क़ी तनशातनयां द़े ख़े औि र्जो
757
उस अमानत का ज़ाममन होगा मलहाज़ा अगि अमानत ज़ाए हो र्जाए तो ज़रूिी है
आरिया के अह्काम
उस माल स़े इजस्तफ़ादा कि़े औि उसक़े एवज़ कोई चीज़ उसस़े न ल़े।
2354. आरिया में सीगा पढ़ना लाजज़म नहीं औि अगि ममसाल क़े तौि पि कोई
शख़्स ककसी को मलिास आरिया क़े कस्द स़े द़े औि वह भी उसी कस्द स़े ल़े तो
आरिया सहीह है ।
2355. गस्िी चीज़ या उस चीज़ को ितौि़े आरिया द़े ना र्जो कक आरिया द़े ऩे
वाल़े का माल हो ल़ेककन उसक़ी आमदनी उसऩे ककसी दसि़े शख़्स क़े मसपद
ु क कि दी
हो मसलन उस़े ककिाय़े पि द़े िखा हो, उस सिू त में सहीह है र्जि गस्िी चीज़ का
मामलक या वह शख़्स जर्जसऩे आरिया दी र्जाऩे वाली चीज़ को ितौि इर्जािा ल़े िखा
ककिाए पि ल़े िखा हो तो उस़े ितौि आरिया द़े सकता है ल़ेककन एहततयात क़ी
758
बिना पि मामलक क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उस शख़्स क़े हवाल़े नहीं कि सकता जर्जसऩे
2357. अगि दीवाना, िच्चा, दीवामलया औि सफ़़ीह अपना माल आरियतन दें तो
सहीह नहीं है । ल़ेककन अगि (उनमें स़े ककसी का) सिपिस्त आरिया द़े ऩे क़ी
द़े द़े तो इसमें कोई इश्काल नहीं। इसी तिह जर्जस शख़्स ऩे माल आरियतन मलया
हो उस तक माल पहुंचाऩे क़े मलए िच्चा वसीला िऩे तो कोई इश्काल नहीं है।
2358. आरियतन ली हुई चीज़ क़ी तनगहदाश्त में कोताही न कि़े औि उसस़े
मअमल
ू स़े ज़्यादा इजस्तफ़ादा भी न कि़े औि इवत्तफ़ाकन वह चीज़ तलफ़ हो र्जाए
तो वह शख़्स जज़म्म़ेदाि नहीं है ल़ेककन अगि तिफ़ैन आपस में यह शतक किें कक
अगि वह चीज़ तलफ़ हो र्जाए तो आरियतन ल़ेऩे वाला जज़म्म़ेदाि होगा या र्जो
2360. अगि आरिया पि द़े ऩे वाला मि र्जाए तो आरिया पि ल़ेऩे वाल़े क़े मलए
ज़रूिी है कक र्जो तिीका अमानत क़े मामलक क़े फ़ौत हो र्जाऩे क़ी सिू त में मस ्अला
759
2361. अगि आरिया द़े ऩे वाल़े क़ी कैफ़़ीयत यह हो कक वह शिअन अपऩे माल
में अमानत क़े िाि़े में उस र्जैसी सिू त में ियान ककया गया है।
2362. जर्जस शख़्स ऩे कोई चीर्ज आरियतन दी हो वह र्जि भी चाह़े उस़े मंसख
ू
कि सकता है ।
सकता हो मसलन लहव व लइि औि कुमाििाज़ी क़े आलात औि खाऩे पीऩे में
इस्त़ेमाल किऩे क़े मलए सोऩे औि चांदी क़े ितकन आरियतन द़े ना – िजल्क
एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि हि ककस्म क़े इस्त़ेमाल क़े मलए आरियतन द़े ना –
िाततल है औि तज़ ्ईन व आिाइश क़े मलए आरियतन द़े ना र्जाइज़ है अगिच़े
नि है वान को मादा हैवानात क़े साथ ममलाप क़े मलए आरियतन द़े ना सहीह है ।
2365. अगि ककसी चीज़ को आरियतन ल़ेऩे वाला उस़े उसक़े मामलक या
मामलक क़े वक़ील या सिपिस्त को द़े द़े औि उसक़े िाद वह चीज़ तलफ़ हो र्जाए
तो उस चीज़ को आरियतन ल़ेऩे वाला जज़म्म़ेदाि नहीं है ल़ेककन अगि वह माल क़े
760
मामलक या वक़ील या सिपिस्त क़ी इर्जाज़त क़े िगैि माल को ख़्वाह ऐसी र्जगह ल़े
िांध द़े र्जो उसक़े मामलक ऩे उसक़े मलए तैयाि ककया हो औि िाद में र्ोड़ा तलफ़
हो र्जाए या कोई उस़े तलफ़ कि द़े तो आरियतन ल़ेऩे वाला जज़म्म़ेदाि है।
2366. अगि एक शख़्स कोई नजर्जस चीर्ज आरियतन द़े तो उस सिू त में उस़े
2367. र्जो चीज़ ककसी शख़्स ऩे आरियतन ली हो उस़े उसक़े मामलक क़ी
2368. र्जो चीज़ ककसी शख़्स ऩे आरियतन न ली हो अगि वह उस़े मामलक क़ी
इर्जाज़त स़े ककसी औि शख़्स को आरियतन द़े द़े तो अगि जर्जस शख़्स ऩे पहल़े
नहीं होता।
2369. अगि कोई शख़्स र्जानता हो कक र्जो माल उसऩे आरियतन मलया है वह
761
हो र्जाए तो मामलक उस माल का एवज़ औि र्जो फ़ाइदा आरियतन ल़ेऩे वाल़े ऩे
उठाया है उसका एवज़ उसस़े या जर्जसऩे माल गस्ि ककया हो उसस़े तलि कि
सकता है औि अगि मामलक आरियतन ल़ेऩे वाल़े स़े एवज़ ल़े ल़े तो आरियतन
सकता।
मलया है वह गस्िी है औि उसक़े पास होत़े हुए वह माल तलफ़ हो र्जाए तो अगि
माल का मामलक उसका एवज़ उसस़े ल़े ल़े तो वह भी र्जो कुछ माल क़े मामलक
को हदया हो उसका मत
ु ालिा आरियतन द़े ऩे वाल़े स़े कि सकता है । ल़ेककन अगि
उसऩे र्जो चीज़ आरियतन ली हो वह सोना या चांदी हो या ितौि़े आरिया द़े ऩे वाल़े
ऩे उसस़े शतक क़ी हो कक अगि वह चीज़ तलफ़ हो र्जाए तो वह उसका एवज़ द़े गा
तो किि उसऩे माल का र्जो एवज़ माल क़े मामलक को हदया हो उसका मत
ु ालिा
तनकाह के अह्काम
अक़्द़े इजज़्दवार्ज क़े ज़िीए औित, मदक पि औि मदक , औित पि हलाल हो र्जात़े हैं
मलए अक़्द अक़्द़े दाइमी उस़े कहत़े हैं जर्जसमें इजज़्दवार्ज क़ी मद्
ु दत मअ
ु य्यन न
762
हो औि वह हम़ेशा क़े मलए हो औि जर्जस औित स़े इस ककस्म का अक़्द ककया
र्जाए उस़े दाइमा कहत़े हैं। औि गैि दाइमी अक़्द वह है जर्जसमें इजज़्दवार्ज क़ी
मद्
ु दत मअ
ु य्यन हो मसलन औित क़े साथ एक र्ंट़े या एक हदन या एक महीऩे
क़ी मद्
ु दत औित औि मदक क़ी तमाम उम्र स़े ज़्यादा नहीं होनी चाहहए क्योंकक उस
सिू त में अक़्द िाततल हो र्जाय़ेगा। र्जि औित स़े इस ककस्म का अक़्द ककया र्जाए
तो उस़े अक़्द़े मत
ु अ या सीगा कहत़े हैं।
2372. इज़हदवार्ज ख़्वाह दाइमी हो या गैि दाइमी उसमें सीगा (तनकाह क़े िोल)
मलखना काफ़़ी नहीं है। तनकाह का सीगा या तो औित औि मदक खुद पढ़त़े हैं या
ककसी को वक़ील मक
ु िक ि कि ल़ेत़े हैं ताकक वह उनक़ी तिफ़ स़े पढ़ द़े ।
2373. वक़ील का मदक होना लाजज़म नहीं िजल्क औित भी तनकाह का सीगा
सकत़े औि इस िात का गुमान कक वक़ील ऩे सीगा पढ़ हदया है काफ़़ी नहीं है।
िजल्क अगि वक़ील कह द़े कक मैंऩे सीगा पढ़ हदया है ल़ेककन उसक़ी िात पि
763
2375. अगि कोई औित ककसी को वक़ील मक
ु िक ि कि़े औि कह़े कक तुम म़ेिा
तनकाह दस हदन क़े मलए फ़लां शख़्स क़े साथ पढ़ दो औि दस हदन क़ी इजबतदा
को मअ
ु य्यन न कि़े तो वह (तनकाहख़्वान) वक़ील जर्जन दस हदनों क़े मलए चाह़े
उस़े उस मदक क़े तनकाह में द़े सकता है ल़ेककन अगि वक़ील को मअलम
ू हो कक
औित का मक़्सद ककसी खास हदन या र्ंट़े का है तो किि उस़े चाहहय़े कक औित
2376. अक़्द़े दाइमी या अक़्द़े गैि दाइमी का सीगा पढ़ऩे क़े मलए एक शख़्स दो
औित क़ी तिफ़ स़े वक़ील िन र्जाए औि उसस़े खुद दाइमी या गैि दाइमी तनकाह
2377. अगि औित औि मदक खुद अपऩे दाइमी तनकाह का सीगा पढ़ें तो महि
मअ
ु य्यन किऩे क़े िाद पहल़े औित कह़े , ज़व्वज्तुका नफ़्सी अलस ् मसदाककल
मअलम
ू , यअनी मैंऩे उस महि पि र्जो मअ
ु य्यन हो चक
ु ा है अपऩे आपको तुम्हािी
िीिी िनाया औि उसक़े लम्ह़े भि िाद मदक कह़े , कबिल्तुत ् तज़्वीर्जा यअनी मैंऩे
इजज़्दवार्ज को किल
ू ककया, तो तनकाह सहीह है। औि अगि वह ककसी दस
ू ि़े को
वक़ील मक
ु िक ि किें कक उनक़ी तिफ़ स़े सीगा ए तनकाह पढ़ द़े तो अगि ममसाल क़े
764
तौि पि मदक का नाम अहमद औि औित का नाम फ़ाततमा हो औि औित का
मअलम
ू , औि उसक़े लम्हा भि िाद मदक का वक़ील कह़े , कबिल्तत
ु तज़्वीर्जा ल़े
मव
ु जक्कली अहमदा अलस मसदाककल मअलम
ू तो तनकाह सहीह होगा औि
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक मदक र्जो लफ़्ज़ कह़े वह औित क़े कह़े र्जाऩे वाल़े
लफ़्ज़ क़े मत
ु ाबिक हो मसलन अगि औित, ज़व्वज्तो कह़े तो मदक भी कववल्तत
ु
2378. अगि खद
ु औित औि मदक चाहें तो गैि दाइमी तनकाह का सीगा तनकाह
क़ी मद्
ु दत औि महि मअ
ु य्यन किऩे क़े िाद पढ़ सकत़े हैं। मलहाज़ा अगि औित
कह़े ज़व्वर्जतक
ु ान नफ़्सी कफ़ल्मद्
ु दततल मअलम
ू त़े अलल महरिल मअलम
ू औि
उसक़े लम्हा भि िाद मदक कह़े कबिल्तो तो तनकाह सहीह है। औि अगि वह ककसी
औि शख़्स को वक़ील िनाय़े औि पहल़े औित का वक़ील मदक क़े वक़ील स़े कह़े ,
ज़व्वज्तो मव
ु जक्कतली मव
ु जक्कलका कफ़लमद्
ु दततल मअलम
ू त़े अलल महरिल
मअलम
ू औि उसक़े िाद मदक का वक़ील मअमल
ू ी तवक़्कुफ़ क़े िाद कह़े , कबिल्तत
ु
तज़वीर्जा ल़ेमव
ु जक्कली हाकज़ा तो तनकाह सहीह होगा।
तनकाह की शिाइत
2379. तनकाह क़ी चन्द शतें हैं र्जो ज़ैल में दर्जक क़ी र्जाती हैं –
765
1. एहततयात क़ी बिना पि तनकाह का सीगा सहीह अििी में पढ़ा र्जाए औि
अगि खद
ु मदक औि औित सीगा सहीह अििी न पढ़ सकत़े हों तो अििी क़े अलावा
ककसी दस
ू िी ज़िान में पढ़ सकत़े हैं औि ककसी शख़्स को वक़ील िनाना लाजज़म
2. मदक औि औित या उनक़े वक़ील र्जो कक सीगा पढ़ िह़े हों वह कस्द़े इंशा
िखत़े हों यअनी अगि खुद मदक औि औित सीगा पढ़ िह़े हों तो औित का
ज़व्वज्तक
ु ा नफ़्सी कहना इस नीयत स़े हो कक खद
ु को उसक़ी िीवी किाि द़े औि
िनना किल
ू कि़े औि अगि मदक औि औित क़े वक़ील सीगा पढ़ िह़े हों तो
बिना पि उस़े िामलग भी होना चाहहय़े। ख़्वाह वह अपऩे मलय़े सीगा पढ़़े या ककसी
दस
ू ि़े क़ी तिफ़ स़े वक़ील िनाया गया हो।
4. अगि औित औि मदक क़े वक़ील या उनक़े सिपिस्त सीगा पढ़ िह़े हों तो वह
उनक़ी तिफ़ इशािा किें । मलहाज़ा जर्जस शख़्स क़ी कई लड़ककयां हों अगि वह ककसी
766
मदक स़े कह़े ज़व्वज्तक
ु ा एह्दा िनाती यअनी मैंऩे अपनी ि़ेहटयों में स़े एक को
तम्
ु हािी िीवी िनाया औि वह मदक कह़े , कबिल्तो यअनी मैंऩे किल
ू ककया तो चकंू क
है ।
5. औित औि मदक इज़हदवार्ज पि िाज़ी हों। हां अगि औित िज़ाहहि नापसंदीदगी
2380. अगि तनकाह में एक हफ़क भी गलत पढ़ा र्जाए र्जो उसक़े मअनी िदल द़े
2381. वह शख़्स र्जो तनकाह का सीगा पढ़ िहा हो अगि ख़्वाह वह इज्माली
तौि पि तनकाह क़े मअनी र्जानता हो औि उसक़े मअनी को हक़ीक़ी शक्ल द़े ना
सीग़े क़े मअनी र्जानता हो मसलन या र्जानना (ज़रूिी नहीं है ) कक अििी ज़िान क़े
2382. अगि ककसी औित का तनकाह उसक़ी इर्जाज़त क़े िगैि ककसी मदक स़े कि
हदया र्जाए औि िाद में औित औि मदक उस तनकाह क़ी इर्जाज़त द़े दें तो तनकाह
सहीह है।
767
2383. अगि औित औि मदक दोनों को या उनमें स़े ककसी एक को इजज़्दवार्ज पि
मर्जििू ककया र्जाए औि तनकाह पढ़़े र्जाऩे क़े िाद वह इर्जाज़त द़े दें तो तनकाह
दीवाऩे फ़ज़कन्द का र्जो दीवांगी क़ी हालत में िामलग हुआ हो तनकाह कि सकत़े हैं
र्जो तनकाह ककया हो अगि उसमें कोई खिािी हो तो उन्हें उस तनकाह को ििकिाि
भला ििु ा समझ सकती हो अगि वह शादी किना चाह़े औि कंु वािी हो तो –
एहततयात क़ी बिना पि – उस़े चाहहय़े कक अपऩे िाप या दादा स़े इर्जाज़त ल़े
अगिच़े वह खद
ु मख़्
ु तािी स़े अपनी जज़न्दगी क़े कामों को अंर्जाम द़े ती हो अलित्ता
2386. अगि लड़क़ी कंु वािी न हो या कंु वािी हो ल़ेककन िाप या दादा उस मदक क़े
साथ उस़े शादी किऩे क़ी इर्जाज़त न द़े त़े हों र्जो उफ़कन व शिअन उसका हम पल्ला
768
िाज़ी न हों या दीवांगी या उस र्जैसी ककसी दस
ू िी वर्जह स़े इर्जाज़त द़े ऩे क़ी
अहमलयत न िखत़े हों तो इन तमाम सिू तों में उनस़े इर्जाज़त ल़ेना लाजज़म नहीं
मजु म्कन न हो औि लड़क़ी का शादी किना ि़ेहद ज़रूिी हो तो िाप औि दादा स़े
2387. अगि िाप या दादा अपऩे ना िामलग लड़क़े (या पोत़े) क़ी शादी कि दें
तो लड़क़े (या पोत़े) को चाहहय़े कक िामलग होऩे क़े िाद उस औित का खचक द़े
िजल्क िामलग होऩे स़े पहल़े भी र्जि उसक़ी उम्र इतनी हो र्जाए कक वह उस लड़क़ी
कक शौहि उस स़े लज़्ज़त न उठा सक़े तो िीवी क़े खचक का जज़म्म़ेदाि लड़का है
एहततयात यह है कक मस
ु ालहत वगैिा क़े ज़िीए मस ्अल़े को हल कि़े ।
2388. अगि िाप या दादा अपऩे ना िामलग लड़क़े (या पोत़े) क़ी शादी कि दें
तो अगि लड़क़े क़े पास तनकाह क़े वक़्त कोई माल न हो तो िाप या दादा को
चाहहय़े कक उस औित का महि द़े औि यही हुक्म है अगि लड़क़े (या पोत़े) क़े
पास कोई माल हो ल़ेककन िाप या दादा ऩे महि अदा किऩे क़ी ज़मानत दी हो।
औि इन दो सिू तों क़े अलावा अगि उसका महि महरुल ममस्ल स़े ज़्यादा न हो या
ककसी मसलहत क़ी बिना पि उस लड़क़ी का महि महरुल ममस्ल स़े ज़्यादा हो तो
769
िाप या दादा ि़ेट़े (या पोत़े) क़े माल स़े महि अदा कि सकत़े हैं विना ि़ेट़े (या
पोत़े) क़े माल स़े महरुल ममस्ल स़े ज़्यादा महि नहीं द़े सकत़े मगि यह कक िच्चा
2389. अगि तनकाह क़े िाद मदक को पता चल़े कक औित में तनकाह क़े वक़्त
मन्
ु दरिर्जा ज़ैल छः उयि
ू में स़े कोई ऐि मौर्जूद था तो उसक़ी वर्जह स़े तनकाह को
2. र्जुज़ाम।
4. अंधापन।
6. िच्चादानी में गोश्त या हड्डी हो। ख़्वाह जर्जमाअ औि हम्ल क़े मलए माऩे हो
या न हो। औि अगि मदक को तनकाह क़े िाद पता चल़े कक औित तनकाह क़े वक़्त
इफ़्ज़ा हो चक
ु ़ी थी यअनी उसका प़ेशाि औि हैज़ का मखिर्ज या हैज़ औि पाखाऩे
का मखिर्ज एक हो चक
ु ा था तो इस सिू त में तनकाह को फ़स्ख किऩे में इश्काल है
770
2390. अगि औित को तनकाह क़े िाद पता चल़े कक उसक़े शौहि का आला ए
तनासल
ु नहीं है, या तनकाह क़े िाद जर्जमाअ किऩे स़े पहल़े, या जर्जमाअ किऩे क़े
जर्जमाअ किऩे स़े पहल़े, या जर्जमाअ किऩे क़े िाद ही क्यों न लाहहक हुई हो। उन
तमाम सिू तों में औित तलाक क़े िगैि तनकाह को खत्म कि सकती है। औि अगि
औित को तनकाह क़े िाद पता चल़े कक उसका शौहि तनकाह क़े पहल़े दीवाना था
या तनकाह क़े िाद – ख़्वाह जर्जमाअ स़े पहल़े, या जर्जमाअ क़े िाद – दीवाना हो
र्जाए, या उस़े (तनकाह क़े िाद) पता चल़े कक तनकाह क़े वक़्त उसक़े फ़ोत़े तनकाल़े
गय़े थ़े या मसल हदय़े गय़े थ़े, या उस़े पता चल़े कक तनकाह क़े वक़्त र्जुज़ाम या
िसक में मबु तला था तो इन तमाम सिू तों में अगि औित इजज़्दवार्जी जज़न्दगी
चाह़े तो उस पि लाजज़म है कक पहल़े हाककम़े शअक उस़े एक साल क़ी मोहलत द़े गा
771
2391. अगि औित इस बिना पि तनकाह खत्म कि द़े कक उसका शौहि नामदक
जर्जनका जज़क्र ऊपि ककया गया है ककसी एक क़ी बिना पि मदक या औित तनकाह
खत्म कि दें तो अगि मदक ऩे औित क़े साथ जर्जमाअ न ककया हो तो वह ककसी
2392. अगि मदक या औित र्जो कुछ वह है उसस़े ज़्यादा िढ़ा चढ़ा कि उनक़ी
तअिीफ़ क़ी र्जाए ताकक वह शादी किऩे में हदलचस्पी लें ख़्वाह यह तअिीफ़ तनकाह
क़े जज़म्न में हो या उसस़े पहल़े – उस सिू त में कक उस तअिीफ़ क़ी ितु नयाद पि
ककय़े गए हैं।
772
वह औितें जजन से तनकाह किना हिाम है
2393. उन औितों क़े साथ र्जो इंसान क़ी महिम हों इजज़्दवार्ज हिाम है मसलन
2394. अगि कोई शख़्स ककसी औित स़े तनकाह कि़े चाह़े उसक़े साथ जर्जमाअ
2395. अगि कोई शख़्स ककसी औित स़े तनकाह कि़े औि उसक़े साथ
मसलमसला नीच़े चला र्जाए सि औितें उस मदक क़ी महिम हो र्जाती हैं ख़्वाह वह
2396. अगि ककसी मदक ऩे एक औित स़े तनकाह ककया हो ल़ेककन हमबिस्तिी न
क़ी हो तो र्जि तक वह औित उसक़े तनकाह में िह़े एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि
2397. इंसान क़ी िुि़ी औि खाला औि उसक़े िाप क़ी िुि़ी औि खाला औि
दादा क़ी िुि़ी औि खाला, िाप क़ी मां (दादी) औि मां क़ी िुि़ी औि खाला औि
नानी औि नाना क़ी िुि़ी औि खाला औि जर्जस कदि यह मसलमसला ऊपि चला
773
2398. शौहि का िाप औि दादा औि जर्जस कदि यह मसलमसला ऊपि चला र्जाए
2399. अगि कोई शख़्स ककसी औित स़े तनकाह कि़े तो ख़्वाह तनकाह दाइमी हो
या गैि दाइमी र्जि तक वह औित उसक़ी मंकूहा है वह उसक़ी िहन क़े साथ
मसाइल में ककया र्जाय़ेगा अपनी िीवी को तलाक़े िर्जई द़े द़े तो वह इद्दत क़े
दौिान उसक़ी िहन स़े तनकाह नहीं कि सकता ल़ेककन तलाक़े िाइन क़ी इद्दत क़े
2401. इंसान अपनी िीवी क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उसक़ी भतीर्जी या भांर्जी स़े
शादी नहीं कि सकता ल़ेककन अगि वह िीवी क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उन स़े तनकाह
कि ल़े औि िाद में िीवी इर्जाज़त द़े द़े तो किि कोई इश्काल नहीं।
2402. अगि िीवी को पता चल़े कक उसक़े शौहि ऩे उसक़ी भतीर्जी या भांर्जी स़े
तनकाह सहीह है औि अगि िज़ामन्दी द़े द़े तो किि कोई इश्काल नहीं।
774
2403. अगि इंसान खाला या िुि़ी क़ी लड़क़ी स़े शादी किऩे स़े पहल़े (नऊज़ों
बिल्लाह) खाला या िुि़ी स़े जज़ना कि़े तो किि वह उसक़ी लड़क़ी स़े एहततयात क़ी
2404. अगि कोई शख़्स अपनी िुि़ी क़ी लड़क़ी या खाला क़ी लड़क़ी स़े शादी
कि़े औि उसस़े हमबिस्तिी किऩे क़े िाद उसक़ी मां स़े जज़ना कि़े तो यह िात
उनक़ी र्जुदाई का मजू र्जि नहीं िनती औि अगि उसस़े तनकाह क़े िाद ल़ेककन
जर्जमाअ किऩे स़े पहल़े उसक़ी मां स़े जज़ना कि़े ति भी यही हुक्म है अगिच़े
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक उस सिू त में तलाक द़े कि उसस़े (यअनी िुि़ी ज़ाद
2405. अगि कोई शख़्स अपनी िुि़ी या खाला क़े अलावा ककसी औि औित स़े
िजल्क अगि ककसी औित स़े तनकाह कि़े औि उसक़े साथ जर्जमाअ किऩे स़े पहल़े
हो र्जाए ल़ेककन अगि उसक़े साथ जर्जमाअ कि ल़े औि िाद में उसक़ी मां स़े जज़ना
2406. मस
ु लमान औित काकफ़ि मदक स़े तनकाह नहीं कि सकती। मस
ु लमान मदक
भी अहल़े ककताि क़े अलावा काकफ़ि औितों स़े तनकाह नहीं कि सकता। ल़ेककन
775
हिर्ज नहीं औि एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि उनस़े दाइमी अक़्द न ककया र्जाए
2407. अगि कोई शख़्स एक ऐसी औित स़े जज़ना कि़े र्जो िर्जई तलाक क़ी
िाइन तलाक औि मत
ु अ क़ी इद्दत औि वफ़ात क़ी इद्दत क़े मअनी तलाक क़े
2408. अगि कोई शख़्स ककसी ऐसी औित स़े जज़ना कि़े र्जो ि़े शौहि हो मगि
इद्दत में न हो तो एहततयात क़ी बिना पि तौिा किऩे स़े पहल़े उसस़े शादी नहीं
किऩे स़े पहल़े उसक़े साथ शादी किना चाह़े तो कोई इश्काल नहीं है । मगि उस
(औित) क़े तौिा किऩे स़े पहल़े उसक़े साथ शादी किना र्जाइज़ नहीं है । इसी तिह
कोई मदक जज़नाकाि मशहूि हो तो तौिा किऩे स़े पहल़े उसक़े साथ शादी किना
776
र्जाइज़ नहीं है औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक अगि कोई शख़्स जज़नाकाि
चाह़े तो हैज़ आऩे तक सब्र कि़े औि हैज़ आऩे क़े िाद उसक़े साथ शादी कि ल़े।
2409. अगि कोई शख़्स एक ऐसी औित स़े तनकाह कि़े र्जो दस
ू ि़े क़ी इद्दत में
हो तो अगि मदक औि औित दोनों या उसमें स़े कोई एक र्जानता हो कक औित क़ी
इद्दत खत्म नहीं हुई औि यह भी र्जानत़े हो कक इद्दत क़े दौिान औित स़े तनकाह
किना हिाम है तो अगिच़े मदक ऩे तनकाह क़े िाद औित स़े जर्जमाअ न भी ककया हो
2410. अगि कोई शख़्स ककसी ऐसी औित स़े तनकाह कि़े र्जो दस
ू ि़े क़ी इद्दत
में है या यह न र्जानता हो कक इद्दत क़े दौिान औित स़े तनकाह किना हिाम है
2411. अगि कोई शख़्स यह र्जानत़े हुए कक औित शौहिदाि है औि (उसस़े शादी
िाद में उसस़े तनकाह नहीं किना चाहहए। औि अगि उस शख़्स को यह इल्म न हो
777
2412. अगि शौहिदाि औित जज़ना कि़े – तो एहततयात क़ी बिना पि – वह
ज़ानी पि हम़ेशा क़े मलए हिाम हो र्जाती है ल़ेककन शौहि पि हिाम नहीं होती औि
जज़नाकािी तकक न कि़े ) तो ि़ेहति यह है कक उसका शौहि उस़े तलाक द़े द़े ल़ेककन
शौहि स़े तनकाह क़े वक़्त पहल़े शौहि क़ी इद्दत खत्म हुई थी या नहीं तो वह
2414. इग़्जलाम किवाऩे वाल़े लड़क़े क़ी मां, िहन औि ि़ेटी इग़्जलाम किऩे वाल़े
या शक कि़े कक दख
ु ल
ू हुआ या नहीं तो किि वह हिाम नहीं होंग़े।
2415. अगि कोई शख़्स ककसी लड़क़े क़ी मां या िहन स़े शादी कि़े औि शादी
क़े िाद उस लड़क़े स़े इग़्जलाम कि़े तो एहततयात क़ी बिना पि वह औितें उस पि
778
2416. अगि कोई शख़्स एहिाम क़ी हालत में र्जो अअमाल़े हर्ज में स़े एक
अमल है ककसी औित स़े शादी कि़े तो उसका तनकाह िाततल है औि अगि औित
को मअलम
ू था कक एहिाम क़ी हालत में शादी किना हिाम है तो एहततयात़े
2417. र्जो औित एहिाम क़ी हालत में हो अगि वह एक ऐस़े मदक स़े शादी कि़े
र्जो एहिाम क़ी हालत में न हो तो उसका तनकाह िाततल है औि अगि औित को
मअलम
ू था कक एहिाम क़ी हालत में शादी किना हिाम है तो एहततयात़े वाजर्जि
हलाल नहीं होत़े ल़ेककन अगि वह िाद में तवाफ़ुजन्नसा िर्जा लायें तो मदक पि
2419. अगि कोई शख़्स नािामलग लड़क़ी स़े तनकाह कि़े तो उसक़ी लड़क़ी क़ी
उम्र नौ साल होऩे स़े पहल़े उसक़े साथ जर्जमाअ किना हिाम है । ल़ेककन अगि
जर्जमाअ कि़े तो अज़हि यह है कक लड़क़ी क़े िामलग होऩे क़े िाद उसस़े जर्जमाअ
किना हिाम नहीं है ख़्वाह उस़े इफ़्ज़ा ही हो गया हो। इफ़ज़ा क़े मअनी मस ्अला
779
2420. जर्जस औित को तीन मतकिा तलाक दी र्जाए वह शौहि पि हिाम हो
र्जाती है । हां अगि उन शिाइत क़े साथ जर्जन का जज़क्र तलाक क़े अह्काम में ककया
र्जाय़ेगा वह औित दस
ू ि़े मदक स़े शादी कि़े तो दस
ू ि़े शौहि क़ी मौत या उसस़े तलाक
2421. जर्जस औित का दाइमी तनकाह हो र्जाए उसक़े मलए हिाम है कक शौहि
क़ी इर्जाज़त क़े िगैि र्ि स़े िाहि तनकल़े ख़्वाह उसका तनकलना शौहि क़े हक क़े
मनाफ़़ी न भी हो। नीज़ उसक़े मलए ज़रूिी है कक र्जि भी शौहि जर्जंसी लज़्ज़तें
हामसल किना चाह़े तो उसक़ी ख़्वाहहश पिू ी कि़े औि शिई उज़्र क़े िगैि शौहि को
हमबिस्तिी स़े न िोक़े। औि उसक़ी चगज़ा, मलिास, िहाइश औि जज़न्दगी क़ी िाक़ी
है । औि अगि वह यह चीज़ें मह
ु ै या न कि़े तो ख़्वाह उनक़े मह
ु ैया किऩे पि कुदित
2422. अगि कोई औित हमबिस्तिी औि जर्जंसी लज़्ज़तों क़े मसलमसल़े में शौहि
जज़म्म़ेदाि नहीं है, अगिच़े वह शौहि क़े पास ही िह़े औि अगि वह कभी कभाि
780
अपनी इन जज़म्म़ेदरियों को पिू ा न कि़े तो मशहूि कौल क़े मत
ु ाबिक ति भी िोटी,
2424. िीवी को सफ़ि क़े अखिार्जात, वतन में िहऩे क़े अखिार्जात स़े ज़्यादा हों
तो अगि उसऩे सफ़ि शौहि क़ी इर्जाज़त स़े ककया हो तो शौहि क़ी जज़म्म़ेदािी है
जज़म्म़ेदाि है ल़ेककन अगि उसका शौहि उस़े सफ़ि में साथ ल़े र्जाना चाहता हो तो
2425. जर्जस औित का खचक उसक़े शौहि क़े जज़म्म़े हो औि शौहि उस़े खचक न द़े
तो वह अपना खचक शौहि क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उसक़े माल स़े ल़े सकती है औि
औि मशकायत किऩे क़े मलए हाककम़े शअक तक उसक़ी िसाई न हो ताकक वह उसक़े
शौहि को अगिच़े कैद कि क़े ही – खचक द़े ऩे पि मर्जििू कि़े तो जर्जस वक़्त वह
पि वाजर्जि नहीं है ।
781
2426. अगि ककसी मदक क़ी मसलन दो िीववयााँ हों औि वह उनमें स़े एक क़े
पास भी गज़
ु ाि़े औि उस सिू त क़े अलावा औित क़े पास िहना वाजर्जि नहीं है । हां
अहवत यह है कक हि चाि िातों में स़े एक िात मदक अपनी दाइमी मंकूहा िीवी क़े
पास िह़े ।
2427. शौहि अपनी र्जवान िीवी स़े चाि महीऩे स़े ज़्यादा मद्
ु दत क़े मलए हम
िहुत ज़्यादा तक्लीफ़ का िाइस हो या उस क़ी िीवी खुद चाि महीऩे स़े ज़्यादा
मद्
ु दत क़े मलए हमबिस्तिी तकक किऩे पि िाज़ी हो या शादी कित़े वक़्त तनकाह क़े
मस
ु ाकफ़ि होऩे या औित क़े मंकूहा या मम्तआ
ू होऩे में कोई फ़कक नहीं है ।
औि अगि औित क़े साथ जर्जमाअ कि़े तो उस़े चाहहए कक उसका महि उसी र्जैसी
र्जाए तो मत
ु अ िाततल हो र्जाता है ।
782
2429. अगि दाइमी तनकाह पढ़त़े वक़्त महि द़े ऩे क़े मलए मद्
ु दत न मअ
ु य्यन
क़ी र्जाए तो औित महि ल़ेऩे स़े पहल़े शौहि को जर्जमाअ किऩे स़े िोक सकती है
कतए नज़ि इस स़े कक मदक महि द़े ऩे पि काहदि हो या न हो ल़ेककन अगि वह
महि द़े ऩे स़े पहल़े जर्जमाअ पि िाज़ी हो औि शौहि उस स़े जर्जमाअ कि़े तो िाद में
वह शिई उज़्र क़े िगैि शौहि को जर्जमाअ किऩे स़े नहीं िोक सकती।
ति भी सही है।
शतक आयद कि़े कक शौहि उसस़े जर्जमाअ न कि़े तो तनकाह औि उसक़ी आयद कदाक
अगि वह िाद में जर्जमाअ क़े मलए िाज़ी हो र्जाए तो शौहि उसस़े जर्जमाअ कि
783
2434. जर्जस औित क़े साथ मत
ु अ ककया गया हो वह हमबिस्तिी का हक नहीं
िखती औि शौहि स़े मीिास भी नहीं पाती औि शौहि भी उसस़े मीिास नहीं पाता।
ल़ेककन अगि – उन में स़े ककसी फ़िीक ऩे या दोनों ऩे – मीिास पाऩे क़ी शतक िखी
िह़े ।
िगैि र्ि स़े िाहि र्जाय़े औि उसक़े िाहि र्जाऩे क़ी वर्जह स़े शौहि क़ी हक तलफ़़ी
हो तो उसका िाहि र्जाना हिाम है औि उस सिू त में र्जिकक उसक़े िाहि र्जाऩे स़े
मलए औि मअ
ु य्यन िकम क़े एवज़ उसका खुद अपऩे साथ सीगा पढ़़े औि वह
िकम का तअय्यन
ु ककय़े िगैि मत
ु अ का सीगा पढ़ द़े तो जर्जस वक़्त औित को इन
उमिू का पता चल़े – अगि वह इर्जाज़त द़े द़े तो तनकाह सहीह है वनाक िाततल है ।
784
2438. अगि महिम होऩे क़े मलए – मसलन – िाप या दादा अपनी नािामलग
में अगि उस तनकाह क़ी वर्जह स़े कोई फ़साद न हो तो तनकाह सहीह है ल़ेककन
मअलम
ू न हो कक वह जज़न्दा भी है या नहीं महिम िन र्जाऩे क़ी खातति ककसी
तनकाह ककया गया हो उसस़े इसततम्ताअ हो सक़े तो ज़ाहहिी तौि पि महिम िनऩे
मअ
ु य्यन क़ी हुई मद्
ु दत िख़्श द़े तो अगि उसऩे उसक़े साथ हमबिस्तिी क़ी हो तो
मदक को चाहहए क़ी तमाम चीज़ें जर्जन का वादा ककया गया था उस़े द़े औि अगि
785
2441. मदक यह कि सकता है कक जर्जस औित क़े साथ उसऩे पहल़े मत
ु अ ककया
हो औि अभी उसक़ी इद्दत खत्म न हुई हो उस स़े दाइमी अक़्द कि ल़े या दोिािा
मत
ु अ कि ल़े।
अह्काम
2442. मदक क़े मलए ना महिम औित का जज़स्म द़े खना औि इसी तिह उसक़े
िालों का द़े खना ख़्वाह लज़्ज़त क़े इिाद़े स़े हो या उसक़े िगैि – हिाम में मबु तला
हाथों को कोहतनयों तक द़े खना अगि लज़्ज़त क़े इिाद़े स़े हो या हिाम में मबु तला
इिाद़े क़े िगैि औि हिाम में मबु तला होऩे का खौफ़ न हो ति भी न द़े ख़े। इसी
तिह औित क़े मलए ना महिम मदक क़े जर्जस्म पि नज़ि डालना हिाम है ल़ेककन
अगि औित मदक क़े जर्जस्म क़े उन हहस्सों मसलन सि, दोनों हाथों, औि दोनों
वपंडमलयों पि जर्जन्हें उफ़कन तछपाना ज़रूिी नहीं है लज़्ज़त क़े इिाद़े क़े िगैि नज़ि
डाल़े औि हिाम में मबु तला होऩे का खौफ़ न हो तो कोई इश्काल नहीं है ।
786
2443. वह ि़े पदाक औितें जर्जन्हें अगि कोई पदाक किऩे क़े मलए कह़े तो उसको
अहम्मीयत न द़े ती हों, उनक़े िदन क़ी तिफ़ द़े खऩे में, अगि लज़्ज़त का कस्द
औि हिाम में मबु तला होऩे का खौफ़ न हो, तो कोई इश्काल नहीं। औि इस हुक्म
में काकफ़ि औि गैि काकफ़ि औितों में कोई फ़कक नहीं है। औि इसी तिह उन क़े
नहीं है।
िदन औि सि क़े िाल उस लड़क़े स़े भी तछपाए र्जो अभी िामलग तो न हुआ हो
कक औित क़े िदन पि उसक़ी नज़ि पड़ऩे स़े उसक़ी जर्जंसी ख़्वाहहश ि़ेदाि हो
र्जाय़ेगी। ल़ेककन औित ना महिम मदक क़े सामऩे च़ेहिा औि कलाइयों तक हाथ
खल
ु ़े िख सकती है ल़ेककन उस सिू त में कक हिाम में मबु तला होऩे का खौफ़ हो या
ककसी मदक को हाथ औि च़ेहिा हदखाना हिाम में मबु तला किऩे क़े इिाद़े स़े हो तो
2445. िामलग मस
ु लमान क़ी शमकगाह द़े खना हिाम है । अगिच़े ऐसा किना शीश़े
क़े पीछ़े स़े या आईऩे में या साफ़ शफ़्फ़ाफ़ पानी वगैिा में ही क्यों न हो। औि
एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि यही हुक्म है काकफ़ि औि उस िच्च़े क़ी शमकगाह
787
क़ी तिफ़ द़े खऩे का र्जो अच्छ़े ििु ़े को समझता हो, अलित्ता ममयां िीवी एक दस
ू ि़े
2446. र्जो मदक औि औित आपस में महिम हों अगि वह लज़्ज़त क़ी नीयत न
2447. एक मदक को दस
ू ि़े मदक का िदन लज़्ज़त क़ी नीयत स़े नहीं द़े खना
चाहहए औि एक औित का दस
ू िी औित क़े िदन को लज़्ज़त क़ी नीयत स़े द़े खना
हिाम है।
2448. अगि कोई मदक ककसी ना महिम औित को पहचानता हो अगि वह ि़ेपदाक
औितों में स़े न हो तो एहततयात क़ी बिना पि उस़े उसक़ी तस्वीि नहीं द़े खना
चाहहए।
ककसी मदक का एतनमा किना चाह़े या उसक़ी शमकगाह को धो कि पाक किना चाह़े
तो ज़रूिी है कक अपऩे हाथ पि कोई चीज़ लप़ेट ल़े ताकक उसका हाथ उस (औित
2450. अगि औित ना महिम मदक स़े अपनी ककसी ऐसी िीमािी का इलार्ज
788
औित उस ना महिम मदक स़े अपना इलार्ज किा सकती है । चन
ु ांच़े वह मदक इलार्ज
क़े मसलमसल़े में उसक़े द़े खऩे या उसक़े िदन को हाथ लगाऩे पि मर्जििू हो तो
(ऐसा किऩे में ) कोई इश्काल नहीं ल़ेककन अगि वह महज़ द़े ख कि इलार्ज कि
न डाल़े।
2451. अगि ककसी शख़्स का इलार्ज किऩे क़े मसलमसल़े में उसक़ी शमकगाह पि
आईना सामऩे िख़े औि उसमें द़े ख़े। ल़ेककन अगि शमकगाह पि तनगाह डालऩे क़े
अलावा कोई चािा न हो तो (ऐसा किऩे में ) कोई इश्काल नहीं। औि अगि शमकगाह
हुक्म है ।
2452. र्जो शख़्स शादी न किऩे क़ी वर्जह स़े हिाम फ़़ेल में मबु तला होता हो उस
2453. अगि शौहि तनकाह में मसलन यह शतक आयद कि़े कक औित कंु वािी हो
789
कि सकता है अलित्ता अगि फ़स्ख कि़े तो कंु वािी होऩे औि कंु वािी न होऩे क़े
मािैन मक
ु िक ि कदाक महि में र्जो फ़कक हो वह ल़े सकता है।
2454. ना महिम मदक औि औित का ककसी ऐसी र्जगह साथ होना र्जहां औि
र्जगह ऐसी हो र्जहां कोई भी आ सकता हो। अलित्ता अगि िहकऩे का अंद़ेशा न हो
इिादा यह हो कक वह महि नहीं द़े गा तो (उसका तनकाह नहीं टूटता िजल्क) सहीह
2456. र्जो मस
ु लमान इस्लाम स़े खारिर्ज हो र्जाए औि कुफ़्र इखततयाि कि़े तो
उस़े मत
ु द
क कहत़े हैं औि मत
ु द
क क़ी दो ककस्में हैं – 1. मत
ु द
क ़े कफ़तिी, 2. मत
ु द
क ़े
ममल्ली। मत
ु द
क ़े कफ़तिी वह शख़्स है जर्जसक़ी पैदाइश क़े वक़्त उसक़े मां िाप दोनों
िाद मस
ु लमान हुआ हो ल़ेककन िाद में काकफ़ि हो र्जाए, औि मत
ु द
क ़े ममल्ली उस क़े
िि अक्स है (यअनी वह शख़्स है जर्जसक़ी पैदाइश क़े वक़्त मां िाप दोनों या उनमें
स़े एक भी मस
ु लमान न हो)।
औि अगि उसक़े शौहि ऩे उसक़े साथ जर्जमाअ न ककया हो तो उसक़े मलए इद्दत
790
नहीं है । औि अगि जर्जमाअ क़े िाद मत
ु द
क हो र्जाए ल़ेककन याइसा हो चक
ु ़ी हो या
िहुत छोटी हो ति भी यही हुक्म है । ल़ेककन अगि उसक़ी उम्र है ज़ आऩे वाली
यअनी) िाक़ी िहता है औि यह हुक्म वर्जह स़े खाली नहीं है अगिच़े ि़ेहति यह है
कक एहततयात क़ी रिआयत तकक न हो। औि याइसा उस औित को कहत़े हैं जर्जसक़ी
उम्र पचास साल हो गई हो औि उम्र िसीदा होऩे क़ी वर्जह स़े उस़े है ज़ न आता हो
पि हिाम हो र्जाती है औि उस औित क़े मलए ज़रूिी है कक वफ़ात क़ी इद्दत क़े
ििािि जर्जसका ियान तलाक क़े अह्काम में होगा इद्दत िख़े।
टूट र्जाता है । मलहाज़ा अगि उसऩे अपनी िीवी क़े साथ जर्जमाअ ककया हो या वह
औित याइसा या िहुत छोटी हो तो उसक़े मलए इद्दत नहीं है औि अगि वह मदक
आता हो तो ज़रूिी है कक वह औित तलाक क़ी इद्दत क़े ििािि जर्जसका जज़क्र
तलाक क़े अह्काम में आय़ेगा इद्दत िख़े औि मश्हूि यह है कक अगि उसक़ी
791
इद्दत खत्म होऩे स़े पहल़े उसका शौहि मस
ु लमान हो र्जाए तो उसका तनकाह
काइम िहता है । औि यह हुक्म भी वर्जह स़े खाली नहीं है। अलित्ता एहततयात का
2460. अगि औित अक़्द में मदक पि शतक आइद कि़े कक उस़े (एक मअ
ु य्यन)
2461. अगि ककसी औित क़ी पहल़े शौहि स़े लड़क़ी हो तो िाद में उसका दस
ू िा
शौहि उस लड़क़ी का तनकाह अपऩे उस लड़क़े स़े कि सकता है र्जो उस िीवी स़े न
हो नीज़ अगि ककसी लड़क़ी का तनकाह अपऩे ि़ेट़े स़े कि़े तो िाद में उस लड़क़ी
2462. अगि कोई औित जज़ना स़े हाममला हो र्जाए तो िच्च़े को चगिाना उसक़े
2463. अगि कोई मदक ककसी ऐसी औित स़े जज़ना कि़े र्जो शौहिदाि न हो औि
ककसी दस
ू ि़े क़ी इद्दत में भी न हो चन
ु ांच़े िाद में उस औित स़े शादी कि ल़े औि
हलाल नत
ु फ़़े स़े है या हिाम नत
ु फ़़े स़े तो वह िच्चा हलाल ज़ादा है।
792
हां िच्चा पैदा हो तो वह हलाल ज़ादा होगा औि शिअन उन दोनों का िच्चा होगा।
ल़ेककन अगि औित को इल्म था कक वह इद्दत म़े है औि इद्दत क़े दौिान तनकाह
किना हिाम है तो शिअन वह िच्चा िाप का होगा औि मज़कूिा दोनों सिू तों में
पि हिाम हैं।
2465. अगि कोई औित यह कह़े कक मैं याइसा हूं तो उसक़ी यह िात किल
ू
नहीं किनी चाहहय़े ल़ेककन अगि कह़े कक मैं शौहिदाि नहीं हूं तो उसक़ी िात मान
2466. अगि कोई शख़्स ककसी ऐसी औित स़े शादी कि़े जर्जसऩे कहा हो कक म़ेिा
शौहि नहीं है औि िाद में कोई औि शख़्स कह़े कक वह औित उसक़ी िीवी है तो
किल
ू नहीं किना चाहहय़े।।
2468. अगि रिश्ता मांगऩे वाल़े क़ी हदयानतदािी औि अखलाक स़े खुश हो तो
ि़ेहति यह है कक लड़क़ी का हाथ उसक़े हाथ में द़े ऩे स़े इन्काि न कि़े । पैगम्िि़े
793
अकिम स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही वसल्लम स़े रिवायत है कक, र्जि भी कोई
शख़्स तम्
ु हािी लड़क़ी का रिश्ता मांगऩे आए औि तम
ु उस शख़्स क़े अखलाक औि
हदयानतदािी स़े खश
ु हो तो अपनी लड़क़ी क़ी शादी उस स़े कि दो। अगि ऐसा न
2469. अगि िीवी शौहि क़े साथ इस शतक पि अपऩे महि क़ी मस
ु ालहत कि़े
दस
ू िी शादी न कि़े । औि िीवी को भी महि ल़ेऩे का कोई हक नहीं है।
2470. र्जो शख़्स वलदजु ज़्ज़ना हो अगि वह शादी कि ल़े औि उसक़े हां िच्चा
होऩे क़ी हालत में उसस़े जर्जमाअ कि़े तो गुनाहगाि है ल़ेककन अगि इस जर्जमाअ क़े
2472. जर्जस औित को यक़ीन हो कक उसका शौहि सफ़ि में फ़ौत हो गया है
अगि वह वफ़ात क़ी इद्दत क़े िाद शादी कि़े औि िाद अज़ां उसका पहला शौहि
794
को चाहहय़े कक उस र्जैसी औितों क़े महि क़े मत
ु ाबिक उस़े महि अदा कि़े ल़ेककन
दध
़ू पपलाने के अह्काम
र्जाता हैः-
1. खद
ु वह औित – औि उस़े रिज़ाई मााँ कहत़े हैं।
5. उस औित क़ी औलाद क़ी औलाद ख़्वाह यह मसलमसला जर्जस कदि नीच़े चला
र्जाए औि औलाद क़ी औलाद ख़्वाह हक़ीक़ी हो ख़्वाह उसक़ी औलाद ऩे उन िच्चों
को दध
ू वपलाया हो।
795
8. उस औित का मामंू औि खाला ख़्वाह वह रिज़ाई ही क्यों न हों।
भी यह मसलमसला नीच़े चला र्जाए अगिच़े उसक़ी औलाद रिज़ाई ही क्यों न हों।
वर्जह स़े महिम िन र्जात़े हैं जर्जनका जज़क्र आइन्दा मसाइल में ककया र्जाय़ेगा।
का जज़क्र मस ्अला 2483 में ककया र्जाय़ेगा तो उस िच्च़े का िाप उन लड़ककयों स़े
शादी नहीं कि सकता जर्जन्हें वह औित र्जन्म द़े औि अगि उन में स़े कोई एक भी
लड़क़ी अभी उसक़ी िीवी हो तो उसका तनकाह टूट र्जाय़ेगा। अलित्ता उसका उस
औित क़ी रिज़ाई लड़क़ीयों स़े तनकाह किना र्जाइज़ है अगिच़े एहततयात़े मस्
ु तहि
औित क़े उस शौहि क़ी ि़ेहटयों स़े तनकाह नहीं कि सकता र्जो दध
ू का मामलक है
796
अगिच़े वह उस शौहि क़ी रिज़ाई ि़ेहटयां हों मलहाज़ा अगि उस वक़्त उनमें स़े कोई
औित उसक़ी िीवी हो तो एहततयात क़ी बिना पि उसका तनकाह टूट र्जाता है।
जर्जनका जज़क्र मस ्अला 2483 में ककया र्जाय़ेगा तो उस औित का वह शौहि र्जो
दध
ू का मामलक है उस िच्च़े क़ी िहनों का महिम नहीं िन र्जाता ल़ेककन
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक वह उनस़े शादी न कि़े नीज़ शौहि क़े रिश्त़ेदाि भी
महिम नहीं िन र्जाती औि उस औित क़े रिश्त़ेदाि भी उस िच्च़े क़े भाई िहनों क़े
2477. अगि कोई शख़्स उस औित स़े जर्जसऩे ककसी लड़क़ी को पिू ा दध
ू वपलाया
2478. अगि कोई शख़्स ककसी लड़क़ी स़े तनकाह कि ल़े तो किि वह उस औित
2479. कोई शख़्स उस लड़क़ी स़े तनकाह नहीं कि सकता जर्जस़े उस शख़्स क़ी
797
को वपलाया हो तो वह उस लड़क़ी स़े तनकाह नहीं कि सकता। औि अगि कोई
शख़्स ककसी दध
ू पीती िच्ची स़े तनकाह कि़े औि उसक़े िाद उसक़ी मां या दादी या
2480. जर्जस लड़क़ी को ककसी शख़्स क़ी िहन या भाभी ऩे भाई क़े दध
ू स़े पिू ा
दध
ू वपलाया हो वह शख़्स उस लड़क़ी स़े तनकाह नहीं कि सकता। औि र्जि ककसी
शख़्स क़ी भांर्जी, भतीर्जी या िहन या भाई क़ी पोती या नवासी ऩे उस िच्ची को
दध
ू वपलाया हो ति भी यही हुक्म है ।
2481. अगि कोई औित अपनी लड़क़ी क़े िच्च़े को (यअनी अपऩे नवास़े या
िीवी स़े पैदा हुआ हो ति भी यही हुक्म है ल़ेककन अगि कोई औित अपऩे ि़ेट़े क़े
(यअनी दध
ू वपलाई क़ी िहू) र्जो उस दध
ू पीत़े िच्च़े क़ी मां है अपऩे शौहि पि
2482. अगि ककसी लड़क़ी क़ी सौत़ेली मां उस लड़क़ी क़े शौहि क़े िच्च़े को उस
जज़क्र मसअला 2474 में ककया गया है वह लड़क़ी अपऩे शौहि पि हिाम हो र्जाती
798
दध
़ू पपलाने से महिम बनने की शिाइत
शतें हैं –
(छाती) स़े दध
ू वपय़े तो उसका कोई फ़ाइदा नहीं।
2. औित का दध
ू फ़़ेल़े हिाम का नतीर्जा न हो। पस अगि ऐस़े िच्च़े का दध
ू र्जो
दस
ू िा िच्चा ककसी का महिम नहीं िऩेगा।
ि़ेकाि है।
4. दध
ू खामलस हो औि ककसी दस
ू िी चीज़ स़े ममला हुआ न हो।
5. दध
ू एक ही शौहि का हो। पस जर्जस औित को दध
ू उर्जिता हो अगि उस़े
799
6. िच्चा ककसी िीमािी क़ी वर्जह स़े दध
ू क़ी कै न कि द़े औि अगि कै कि द़े
7. िच्च़े को इस कदि दध
ू वपलाया र्जाए कक उसक़ी हड्डडयां उस दध
ू स़े मज़ित
ू
इस कदि दध
ू वपया है या नहीं तो अगि उसऩे एक हदन औि एक िात या पन्रह
दफ़् आ प़ेट भि कि दध
ू वपया हो ति भी (महिम होऩे क़े मलए) काफ़़ी है र्जैसा कक
इसका तफ़्सीली जज़क्र आऩे वाल़े मस ्अल़े में ककया र्जाय़ेगा ल़ेककन अगि इस िात
भी उस स़े नहीं िना हालांकक िच्च़े ऩे एक हदन औि एक िात या पन्रह दफ़् आ
दध
ू वपया हो तो उस र्जैसी सिू त में एहततयात का ख़्याल किना ज़रूिी है।
ल़ेककन अगि दध
ू वपलाऩे वाली औित को िच्चा र्जऩे दो साल स़े ज़्यादा मद्
ु दत
गुज़ि चक
ु ़ी हो औि उसका दध
ू अभी िाक़ी हो औि वह ककसी िच्च़े को दध
ू वपलाए
है ।
800
2484. दध
ू पीऩे क़ी वर्जह स़े महिम िनऩे क़े मलए ज़रूिी है कक एक हदन िात
थोड़ी चगज़ा खाए कक लोग यह न कहें कक उसऩे िीच में चगज़ा खाई है तो किि
एक दफ़् आ दध
ू पीना ही शम
ु ाि ककया र्जाए तो इस में कोई इश्काल नहीं।
आपस में नीज़ उस आदमी क़े औि उस औित क़े जर्जस ऩे उन्हें दध
ू वपलाया है
िच्च़े आपस में औि उस आदमी क़े औि उन तमाम औितों क़े महिम िन र्जात़े
हैं।
801
2488. अगि ककसी शख़्स क़ी दो िीववयों का दध
ू उतिता हो औि उनमें स़े एक
वपलाए तो उस लड़क़ी क़े िहन भाई उस लड़क़े क़े िहन भाईयों क़े महिम नहीं िन
र्जात़े।
2490. कोई शख़्स अपनी िीवी क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उन औितों स़े तनकाह नहीं
कि सकता र्जो दध
ू पीऩे क़ी वर्जह स़े उसक़ी िीवी क़ी भांजर्जयां या भतीजर्जयां िन
गई हों नीज़ अगि कोई शख़्स ककसी लड़क़े स़े इग़्जलाम कि़े तो वह उस लड़क़े क़ी
रिज़ाई ि़ेटी, िहन, मां औि दादी स़े यअनी उन औितों स़े र्जो दध
ू पीऩे क़ी वर्जह
स़े उसक़ी ि़ेटी, िहन, मां औि दादी िन गई हों तनकाह नहीं कि सकता। औि
कि़े ।
2492. कोई आदमी दो िहनों स़े (एक ही वक़्त में ) तनकाह नहीं कि सकता
802
िन गई हों औि अगि वह दो औितों स़े शादी कि़े औि िाद में उस़े पता चल़े कक
वह आपस में िहनें हैं तो उस सिू त में र्जि कक उसक़ी शादी एक ही वक़्त में हुई
जज़क्र ज़ैल में ककया गया है तो उस औित का शौहि उस पि हिाम नहीं होता
2494. अगि कोई औित ककसी शख़्स क़ी िुि़ीज़ाद या खालाज़ाद िहन को दध
ू
मस्
ु तहि यह है कक वह शख़्स उस औित स़े शादी न कि़े ।
803
2495. जर्जस शख़्स क़ी दो िीववयां हों अगि उसक़ी एक िीवी दस
ू िी िीवी क़े
दध
़ू पपलाने के आदाब
2496. िच्च़े को दध
ू वपलाऩे क़े मलए सि औितों स़े ि़ेहति उसक़ी मााँ है । औि
औि शौहि क़े मलए अच्छ िात यह है कक उस़े उर्जित द़े औि अगि िच्च़े क़ी मां,
दाया (दध
ू मां) क़े मक
ु ाबिल़े में ज़्यादा उर्जित ल़ेना चाह़े तो शौहि िच्च़े को उस स़े
2497. मस्
ु तहि है कक िच्च़े क़ी दाया शीआ इसना अशिी होशमन्द, पाक दामन
औि खश
ु शक्ल हो। औि मकरूह है कक वह गिी, गैि शीआ इसना अशिी, िद
804
दध
़ू पपलाने के मुख़्तललफ़ मसाइल
2500. अगि दध
ू वपलाऩे क़ी वर्जह स़े शौहि का हक तलफ़ न होता हो तो
है ।
2501. अगि ककसी औित का शौहि एक शीि ख़्वाि िच्ची स़े तनकाह कि़े औि
वह औित उस िच्ची को दध
ू वपलाए तो मशहूि कौल क़ी बिना पि वह औित
2502. अगि कोई शख़्स चाह़े क़ी उसक़ी भाभी उसक़ी महिम िन र्जाए तो
िअज़ फ़ुकहा ऩे फ़िमाया है कक उस़े चाहहए कक ककसी शीि ख़्वाि िच्ची स़े ममसाल
जर्जनका जज़क्र मस ्अला 2483 में ककया गया है उसक़ी भाभी उस िच्ची को दध
ू
805
वपलाए ताकक वह उसक़ी िीवी क़ी मां िन र्जाए। ल़ेककन यह हुक्म उस सिू त में
2503. अगि कोई मदक ककसी औित स़े शादी किऩे स़े पहल़े कह़े कक रिज़ाअत
का दध
ू वपया है तो अगि इस िात क़ी तस्दीक मजु म्कन हो तो वह उस औित स़े
शादी नहीं कि सकता औि अगि यह िात शादी क़े िाद कह़े औि खुद औित भी
इस िात को किल
ू कि़े तो उनका तनकाह िाततल है । मलहाज़ा अगि मदक ऩे उस
मअलम
ू हो कक वह उस मदक पि हिाम है तो औित का कोई महि नहीं औि अगि
2504. अगि कोई औित शादी स़े पहल़े कह द़े कक रिज़ाअत क़ी वर्जह स़े मैं इस
मदक पि हिाम हूं औि इसक़ी तस्दीक मजु म्कन हो तो वह उस मदक स़े शादी नहीं
कि सकती औि अगि वह यह िात शादी क़े िाद कह़े तो उसका कहना ऐसा ही है
मत
ु अजल्लक हुक्म साबिका मस ्अल़े में ियान हो चक
ु ा है ।
2505. दध
ू वपलाना र्जो महिम िनऩे का सिि है दो चीज़ों स़े साबित होता हैः-
806
1. एक ऐसी र्जमाअत का खिि द़े ना जर्जसक़ी िात पि यक़ीन या इत्मीनान हो
र्जाए।
शिाइत क़े िाि़े में भी ितायें मसलन कहें कक हम ऩे फ़लां िच्च़े को चौिीस र्ंट़े
भी नहीं खाई औि इसी तिह उन िाक़ी शिाइत को भी वामशगाफ़ लफ़्ज़ों में ियान
किें जर्जनका जज़क्र मस ्अला 2483 में ककया गया है। अलित्ता एक मदक औि दो
औितों या चाि औितों क़ी गवाही स़े र्जो सि क़े सि आहदल हों रिज़ाअत का
ममक़्दाि में दध
ू वपया है तो िच्चा ककसी का भी महिम नहीं होता ल़ेककन ि़ेहति
तलाक के अह्काम
2507. र्जो मदक अपनी िीवी को तलाक द़े उसक़े मलए ज़रूिी है कक िामलग औि
आककल हो ल़ेककन अगि दस साल का िच्चा अपनी िीवी को तलाक द़े तो उसक़े
िाि़े में एहततयात का ख़्याल िखें औि इसी तिह ज़रूिी है कक मदक अपऩे इजख़्तयाि
807
स़े तलाक द़े औि अगि उस़े अपनी िीवी को तलाक द़े ऩे पि मर्जििू ककया र्जाए तो
मलहाज़ा अगि वह मसलन मज़ाक में तलाक का सीगा कह़े तो तलाक सहीह नहीं
है ।
उसक़े शौहि ऩे उस पाक़ी क़े दौिान उस स़े हमबिस्तिी न क़ी हो औि उन दो शतों
2509. औित को है ज़ या तनफ़ास क़ी हालत में तीन सिू तों में तलाक द़े ना सहीह
है ः-
2. मअलम
ू हो कक वह हाममला है । औि अगि यह िात मअलम
ू न हो औि
शौहि उस़े हैज़ क़ी हालत में तलाक द़े द़े औि िाद में शौहि को पता चल़े कक वह
3. मदक गैि हाजज़िी या ऐसी ही ककसी औि वर्जह स़े अपनी िीवी स़े र्जुदा हो औि
यह मअलम
ू न हो सकता हो कक औित हैज़ या तनफ़ास स़े पाक है या नहीं।
ल़ेककन उस सिू त में एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि ज़रूिी है कक मदक इजन्तज़ाि
808
कि़े ताकक िीवी स़े र्जद
ु ा होऩे क़े िाद कम अज़ कम एक महीना गज़
ु ि र्जाए उसक़े
2510. अगि कोई शख़्स औित को हैज़ स़े पाक समझ़े औि उस़े तलाक द़े द़े
औि िाद में पता चल़े कक वह है ज़ क़ी हालत में थी तो उसक़ी तलाक िाततल है
औि अगि शौहि उस़े हैज़ क़ी हालत में समझ़े औि तलाक द़े द़े औि िाद में
मअलम
ू हो कक वह पाक थी तो तलाक सहीह है।
2511. जर्जस शख़्स को इल्म हो कक उसक़ी िीवी हैज़ या तनफ़ास क़ी हालत में
है अगि वह िीवी स़े र्जुदा हो र्जाए मसलन सफ़ि इजख़्तयाि कि़े औि उस़े तलाक
यह र्जान ल़े कक औित पाक है उस़े तलाक द़े औि अगि उस़े शक हो ति भी यही
हुक्म है ल़ेककन इस सिू त में गायि शख़्स क़ी तलाक क़े िाि़े में मस ्अला 2509 में
2512. र्जो शख़्स अपनी िीवी स़े र्जुदा हो अगि उस़े तलाक द़े ना चाह़े तो अगि
वह मअलम
ू कि सकता हो कक उसक़ी िीवी है ज़ या तनफ़ास क़ी हालत में है या
809
हैं द़े खत़े हुए उस़े तलाक द़े औि िाद में मअलम
ू हो कक वह है ज़ या तनफ़ास क़ी
2513. अगि कोई शख़्स अपनी िीवी स़े र्जो हैज़ या तनफ़ास स़े पाक हो हम
बिस्तिी कि़े औि किि उस़े तलाक द़े ना चाह़े तो ज़रूिी है कक सब्र कि़े हत्ता कक उस़े
दोिािा हैज़ आ र्जाए औि किि वह पाक हो र्जाए ल़ेककन अगि ऐसी औित को हम
बिस्तिी क़े िाद तलाक दी र्जाए जर्जसक़ी उम्र नौ साल स़े कम हो या मअलम
ू हो
यही हुक्म है ।
2514. अगि कोई शख़्स ऐसी औित स़े हमबिस्तिी कि़े र्जो हैज़ या तनफ़ास स़े
पाक हो औि उसी पाक़ी क़ी हालत में उस़े तलाक द़े द़े औि िाद में मअलम
ू हो कक
मस्
ु तहि यह है कक शौहि उस़े दोिािा तलाक द़े ।
2515. अगि कोई शख़्स ऐसी औित स़े हमबिस्तिी कि़े र्जो हैज़ या तनफ़ास स़े
वह चाह़े कक सफ़ि क़े दौिान उस़े तलाक द़े औि उसक़ी पाक़ी या ना पाक़ी क़े िाि़े
कक वह मद्
ु दत एक महीऩे स़े कम न हो।
810
2516. अगि कोई मदक ऐसी औित को तलाक द़े ना चाहता हो जर्जस पैदायशी तौि
को हैज़ आता हो तो ज़रूिी है कक र्जि उसऩे ऐसी औित स़े जर्जमाअ ककया हो उस
वक़्त स़े तीन महीऩे तक उसस़े जर्जमाअ न कि़े औि िाद में उस़े तलाक द़े द़े ।
2517. ज़रूिी है कक तलाक का सीगा सहीह अििी में लफ़्ज़़े तामलकुन क़े साथ
ल़ेना लाजज़म नहीं है। औि अगि मदक अििी में तलाक का सीगा न पढ़ सकता हो
औि वक़ील भी न िना सक़े तो वह जर्जस ज़िान में चाह़े हि उस लफ़्ज़ क़े ज़रिय़े
मलए उस स़े तनकाह ककया गया हो उस़े तलाक द़े ऩे का कोई सवाल नहीं। औि
811
तलाक की इद्दत
2519. जर्जस लड़क़ी क़ी उम्र (पिू ़े ) नौ साल न हुई हो – औि र्जो औित याइसा
हो चक
ु ़ी हो – उस क़ी कोई इद्दत नहीं होती। यअनी अगिच़े शौहि ऩे उसस़े
मर्ज
ु ाममअत क़ी हो, तलाक क़े िाद वह फ़ौिन दस
ू िा शौहि कि सकती है।
कक वह (लड़क़ी या) औित तलाक क़े िाद इद्दत िख़े औि आज़ाद औित क़ी
इद्दत यह है कक र्जि उसका शौहि उस़े पाक़ी क़ी हालत में तलाक द़े तो उसक़े
द़े द़े तो उसक़े मलए कोई इद्दत नहीं यअनी वह तलाक क़े फ़ौिन िाद दस
ू िा
तनकाह कि सकती है ल़ेककन अगि शौहि क़ी मनी र्जज़्ि या उस र्जैसी ककसी वर्जह
स़े उसक़ी शमकगाह में दाखखल हुई हो तो उस सिू त में अज़हि क़ी बिना पि ज़रूिी
है कक वह इद्दत िख़े।
द़े तो ज़रूिी है कक तलाक क़े िाद तीन महीऩे क़ी इद्दत िख़े।
812
2522. जर्जस औित क़ी इद्दत तीन महीऩे हो अगि उस़े चांद क़ी पहली तािीख
को तलाक दी र्जाए तो ज़रूिी है कक तीन कमिी महीऩे तक यअनी र्जि चांद द़े खा
र्जाए उस वक़्त स़े तीन महीऩे तक इद्दत िख़े औि अगि उस़े महीऩे क़े दौिान
(ककसी औि तािीख को) तलाक दी र्जाए तो ज़रूिी है कक उस महीऩे क़े िाक़ी हदनों
में उस क़े िाद आऩे वाल़े दो महीऩे औि चौथ़े महीऩे क़े उतऩे हदन जर्जतऩे हदन
अगि उस़े महीऩे क़ी िीसवीं तािीख को गरुि क़े वक़्त तलाक दी र्जाए औि यह
दो महीऩे औि उसक़े िाद चौथ़े महीऩे क़े िीस हदन इद्दत िख़े िजल्क एहततयात़े
वाजर्जि है कक चौथ़े महीऩे क़े एक्क़ीस हदन इद्दत िख़े ताकक पहल़े महीऩे क़े जर्जतऩे
हदन इद्दत िखी है उन्हें ममलाकि हदनों क़ी तअदाद तीस हो र्जाए।
2523. अगि हाममला औित को तलाक दी र्जाए तो उसक़ी इद्दत वज़ए हम्ल
या इस्कात़े हम्ल तक है मलहाज़ा ममसाल क़े तौि पि अगि तलाक क़े एक र्ंट़े िाद
िच्चा पैदा हो र्जाए तो उस औित क़ी इद्दत खत्म हो र्जाय़ेगी। ल़ेककन यह हुक्म
उस सिू त में है र्जि वह िच्चा साहहिए इद्दत का शिई ि़ेटा हो मलहाज़ा अगि
औित जज़ना स़े हाममला हुई हो औि शौहि उस़े तलाक द़े तो उसक़ी इद्दत िच्च़े क़े
813
2524. जर्जस लड़क़ी ऩे उम्र क़े नौ साल मक
ु म्मल कि मलय़े हों औि र्जो औित
पैंतामलस हदन शौहि किऩे स़े इर्जततनाि कि़े औि हाममला होऩे क़ी सिू त में अज़हि
क़ी बिना पि उसक़ी इद्दत िच्च़े क़ी पैदाइश या इस्कात होऩे तक है । अगिच़े
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक र्जो मद्
ु दत़े वज़ए हम्ल या पैंतामलस हदन में स़े
वफ़ात की इद्दत
2526. अगि कोई औित ि़ेवा हो र्जाए तो उस सिू त में र्जि कक वह आज़ाद हो
ज़रूिी है कक शौहि क़ी मौत क़े िाद चाि महीऩे तक सब्र कि़े औि इस इद्दत को
2527. र्जो औित वफ़ात क़ी इद्दत में हो उस क़े मलए िं ग बििं गा मलिास
पहनना, सम
ु ाक लगाना औि इसी तिह दस
ू ि़े ऐस़े काम र्जो ज़ीनत में शम
ु ाि होत़े हों
हिाम हैं।
र्जो कक तलाक क़ी इद्दत क़ी तिह है । औि उसक़े िाद पहल़े शौहि क़े मलए इद्दत़े
वफ़ात िख़े औि अगि हाममला न हो तो पहल़े शौहि क़े मलए इद्दत़े वफ़ात औि
उसक़े िाद दस
ू ि़े शौहि क़े मलए वतीए शबु हा क़ी इद्दत िख़े।
2529. जर्जस औित का शौहि लापता हो या लापता होऩे क़े हुक्म में हो उसक़ी
इद्दत़े वफ़ात शौहि क़ी मौत क़ी इवत्तला ममलऩे क़े वक़्त स़े शरू
ु उ होती है न कक
815
शौहि क़ी मौत क़े वक़्त स़े। ल़ेककन इस हुक्म का उस औित क़े मलए होना र्जो
2530. अगि औित कह़े कक म़ेिी इद्दत खत्म हो गई है तो उसक़ी िात काबिल़े
किल
ू है मगि यह कक वह गलत ियान मश्हूि हो तो उस सिू त में एहततयात क़ी
में तीन दफ़् अ खून आता है तो इस िात क़ी तस्दीक नहीं क़ी र्जाय़ेगी। मगि यह
कक उस क़ी सह़े मलयां औि रिश्त़ेदाि औितें इस िात क़ी तस्दीक किें कक उसक़ी है ज़
2531. तलाक़े िाइन वह है कक जर्जस क़े िाद मदक अपनी औित क़ी तिफ़ रुर्जूउ
किऩे का हक नहीं िखता यअनी कक िगैि तनकाह क़े दोिािा उस़े अपनी िीवी नहीं
3. उस औित को दी गई तलाक जर्जस क़े शौहि ऩे तनकाह क़े िाद उसस़े
816
4. जर्जस औित को तीन दफ़् आ तलाक दी गई हो उस़े दी र्जाऩे वाली तीसिी
तलाक।
5. खल
ु अ औि मि
ु ािात क़ी तलाक।
अखिार्जात िदाकश्त किता हो न उस़े तलाक द़े ता हो, जर्जनक़े अह्काम िाद में ियान
ककय़े र्जायेंग़े।
औि इन तलाकों क़े अलावा र्जो तलाकें हैं वह िर्जई हैं जर्जसका मतलि यह है कक
2532. जर्जस शख़्स ऩे अपनी औित को िर्जई तलाक दी हो उसक़े मलए उस
औित को उस र्ि स़े तनकाल द़े ना या जर्जस में वह तलाक द़े ऩे क़े वक़्त मक
ु ़ीम थी
हिाम है अलित्ता िअज़ मौकों पि – जर्जन में स़े एक यह है कक औित जज़ना कि़े
तो उस़े र्ि स़े तनकाल द़े ऩे में कोई इश्काल नहीं। नीज़ यह भी हिाम है कक औित
गैि ज़रूिी कामों क़े मलए शौहि क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उस र्ि स़े िाहि र्जाए।
2533. िर्ज ्ई तलाक में मदक दो तिीकों स़े औित क़ी तिफ़ रुर्जूउ कि सकता है ः-
मलया है ।
817
2. कोई काम कि़े औि उस काम स़े रुर्जूउ का कस्द कि़े औि ज़ाहहि यह है कक
खाली नहीं है ।
2534. रुर्जूउ किऩे में मदक क़े मलए लाजज़म नहीं कक ककसी को गवाह िनाए या
ल़ेककन अगि इद्दत खत्म हो र्जाऩे क़े िाद मदक कह़े कक मैंऩे इद्दत क़े दौिान ही
2535. जर्जस मदक ऩे औित को िर्ज ्ई तलाक दी हो अगि वह उस स़े कुछ माल
यह मस
ु ालहत दरू
ु स्त है औि मदक पि वाजर्जि है कक रुर्जउ
ू न कि़े ल़ेककन इस स़े
तलाक द़े चक
ु ा है वह अलायहदगी का मजू र्जि नहीं िनती।
2536. अगि कोई शख़्स अपनी िीवी को दो दफ़् आ तलाक द़े कि उसक़ी तिफ़
रुर्जूउ कि ल़े या उस़े दो दफ़् आ तलाक द़े औि हि तलाक क़े िाद उस स़े तनकाह
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तीसिी तलाक क़े िाद वह उस मदक पि हिाम हो र्जाय़ेगी ल़ेककन अगि औित तीसिी
1. दस
ू ि़े शौहि का तनकाह दाइमी हो। पस अगि ममसाल क़े तौि पि वह एक
2. दस
ू िा शौहि जर्जमाअ कि़े औि एहततयात़े वाजर्जि यह है कक जर्जमाअ फ़ुज़क में
कि़े ।
3. दस
ू िा शौहि उस़े तलाक द़े या मि र्जाए।
4. दस
ू ि़े शौहि क़ी तलाक क़ी इद्दत या वफ़ात क़ी इद्दत खत्म हो र्जाए।
तलाके ख़ुलअ
2537. उस औित क़ी तलाक को र्जो अपऩे शौहि क़ी तिफ़ माइल न हो औि
उस स़े नफ़ित किती हो अपना महि या कोई औि माल उस़े िख़्श द़े ताकक वह
उस़े तलाक द़े द़े तलाक़े खुलअ कहत़े हैं। औि तलाक़े खुलअ में अज़हि क़ी बिना
पि मोतिि है कक औित अपऩे शौहि स़े इस कदि शदीद नफ़ित किती हो कक उस़े
819
2538. र्जि शौहि खद
ु तलाक़े खुलअ का सीगा पढ़ना चाह़े तो अगि उसक़ी िीवी
का नाम मसलन फ़ाततमा हो तो एवज़ ल़ेऩे क़े िाद कह़े , ज़ौर्जती फ़ाततमतो
खालअतह
ु ा अला मा िज़लत औि एहततयात़े मस्
ु तहि क़ी बिना पि, हहया तामलकुन
भी कह़े यअनी मैंऩे अपनी िीवी फ़ाततमा को उस माल क़े एवज़ र्जो उसऩे मझ
ु ़े
ताकक वह उसक़ी िीवी को तलाक द़े द़े तो अगि ममसाल क़े तौि पि शौहि का
नाम मौहम्मद औऱ िीवी का नाम फ़ाततमा हो तो वक़ील सीगा ए तलाक यंू पढ़़े ,
अन मव
ु जक्कलती फ़ाततमता िज़ल्तो महिहा ल़े मव
ु जक्कली मोहम्महदन ल़ेयखलअहा
शौहि को महि क़े अलावा कोई औि चीज़ िख़्श द़े ताकक उस का शौहि उस़े तलाक
द़े द़े तो ज़रूिी है कक वक़ील लफ़्ज़़े महिहा क़ी िर्जाय उस चीज़ का नाम ल़े
मसलन अगि औित ऩे सौ रुपय़े हदय़े हों तो ज़रूिी है कक कह़े , िज़लत म़ेअता
रुपया।
820
तलाके मब
ु ाित
स़े नफ़ित कित़े हों औि औित मदक को कुछ माल द़े ताकक वह उस़े तलाक द़े द़े
तो उस़े तलाक़े मि
ु ाित कहत़े हैं।
औि एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि, फ़हहया तामलकुन भी कह़े । यअनी मैं औि
मा िज़लत फ़हहया तामलकुन औि दोनों सिू तों में कमलमा अला मा िज़लत क़ी
2542. खुलअ औि मि
ु ािात क़ी तलाक का सीगा अगि मजु म्कन हो तो सहीह
अििी में पढ़ा र्जाना चाहहए औि अगि मजु म्कन न हो तो उसका हुक्म तलाक क़े
मि
ु ािात क़ी तलाक क़े मलय़े शौहि को अपना माल िख़्श द़े । मसलन उदक ू में कह़े
कक – मैंऩे तलाक ल़ेऩे क़े मलय़े फ़लां माल तुम्हें िख़्श हदया, तो कोई इश्काल नहीं।
821
2543. अगि कोई औित तलाक़े खुलअ या तलाक़े मि
ु ािात क़ी इद्दत क़े दौिान
दोिािा तनकाह क़े िगैि उस़े अपनी िीवी िना सकता है।
क़े महि स़े ज़्यादा न हो ल़ेककन तलाक़े खुलअ क़े मसलमसल़े में मलया र्जाऩे वाला
2545. अगि कोई आदमी ककसी ना महिम औित स़े इस गुमान में जर्जमाअ कि़े
2546. अगि कोई आदमी ककसी औित स़े यह र्जानत़े हुए जज़ना कि़े कक वह
उसक़ी िीवी नहीं है तो अगि औित को इल्म हो कक वह आदमी उसका शौहि नहीं
है उसक़े मलए इद्दत िखना ज़रूि नहीं। ल़ेककन अगि उस़े शौहि होऩे का गुमान हो
2547. अगि कोई शख़्स ककसी औित को वगकलाए कक वह अपऩे शौहि स़े
मत
ु अजल्लक इज़हदवार्जी जज़म्म़ेदारियां पिू ी न कि़े ताकक इस तिह शौहि उस़े तलाक
822
द़े ऩे पि मर्जििू हो र्जाए औि वह खुद उस औित क़े साथ शादी कि सक़े तो तलाक
2548. अगि औित तनकाह क़े मसलमसल़े में शौहि स़े शतक कि़े कक अगि उसका
शौहि सफ़ि इजख़्तयाि कि़े या मसलन छः महीऩे उस़े खचक न द़े तो तलाक का हक
औित को हामसल होगा तो यह शतक िाततल है । ल़ेककन अगि शतक कि़े कक अभी स़े
तो ज़रूिी है कक मज्
ु तहहद़े आहदल क़े पास र्जाए औि उसक़े हुक्म क़े मत
ु ाबिक
अमल कि़े ।
2550. दीवाऩे क़े िाप दादा उसक़ी िीवी को तलाक द़े सकत़े हैं।
2551. अगि िाप या दादा अपऩे नािामलग लड़क़े (या पोत़े) का ककसी औित स़े
मत
ु अ कि दें औि मत
ु अ क़ी मद्
ु दत में उस लड़क़े क़े मक
ु ल्लफ़ होऩे क़ी कुछ
मद्
ु दत भी शाममल हो मसलन अपऩे चौदा साला लड़क़े का ककसी औित स़े दो
823
2552. अगि कोई शख़्स दो आदममयों को शिअ क़ी मक
ु िक ि कदाक अलामत क़ी रू
स़े आहदल मसझ़े औि अपनी िीवी को उनक़े सामऩे तलाक द़े द़े तो कोई औि
इद्दत खत्म होऩे क़े िाद उस क़े साथ खुद तनकाह कि सकता है या उस़े ककसी
दस
ू ि़े क़े तनकाह में द़े सकता है अगिच़े एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक उस क़े साथ
2553. अगि कोई शख़्स अपनी िीवी क़े इल्म में लाए िगैि उस़े तलाक द़े द़े तो
अगि वह उसक़े अखिार्जात उसी तिह स़े जर्जस तिह उस वक़्त द़े ता था र्जि वह
उसक़ी िीवी थी औि मसलन एक साल क़े िाद उस स़े कह़े कक, मैं एक साल हुआ
उसऩे इस मद्
ु दत में उस औित को मह
ु ै या क़ी हों औि वह उन्हें अपऩे इस्त़ेमाल में
न लाई हो उसस़े वापस ल़े सकता है ल़ेककन र्जो चीज़ें उसऩे इस्त़ेमाल कि ली हों
उनका मत
ु ालिा नहीं कि सकता।
824
गस्ब के अह्काम
गस्ि क़े मअनी यह हैं कक कोई शख़्स ककसी क़े माल पि या हक पि ज़ल्
ु म
एक गुनाह है जर्जसका मत
ु कक कि ककयामत क़े हदन सख़्त अज़ाि में चगिफ़्ताि होगा।
र्जनाि़े िसल
ू ़े अकिम स्वल्लल्लाहो अलैह़े व आल़ेही व सल्लम स़े रिवायत है, र्जो
शख़्स ककसी दस
ू ि़े क़ी एक िामलश्त ज़मीन पि गस्ि कि़े ककयामत क़े हदन उस
ज़मीन को उसक़े सात तिकों सम़ेत तौक क़ी तिह उसक़ी गदक न में डाल हदया
र्जाय़ेगा।
र्जगहों स़े र्जो रिफ़ाह़े आम्मा क़े मलए िनाई गई हों इजस्तफ़ादा न किऩे द़े तो उसऩे
उनका हक गस्ि ककया है । इसी तिह अगि कोई शख़्स मजस्र्जद में अपऩे (िैठऩे
2555. अगि चगिवी िखवाऩे वाला औि चगिवी िखऩे वाला यह तय कि़े कक र्जो
चीज़ चगिवी िखी र्जा िही हो वह चगिवी िखऩे वाल़े या ककसी तीसि़े शख़्स क़े पास
िखी र्जाए तो चगिवी िखवाऩे वाला उसका कज़क अदा किऩे स़े पहल़े उस चीज़ को
825
वापस नहीं ल़े सकता औि अगि वह चीज़ वापस ली हो तो ज़रूिी है कक फ़ौिन
लौटा द़े ।
2556. र्जो माल ककसी क़े पास चगिवी िखा गया हो अगि कोई औि शख़्स उस़े
गस्ि कि ल़े तो माल का मामलक औि चगिवी िखऩे वाला दोनों गामसि स़े गस्ि
एवज़ हामसल किें तो वह एवज़ भी अस्ली चीज़ क़ी चगिवी िह़े गा।
2557. अगि इंसान कोई चीज़ गस्ि कि़े तो ज़रूिी है कक उसक़े मामलक को
लौटा द़े औि अगि वह चीज़ ज़ाए हो र्जाए औि उसक़ी कोई क़ीमत हो तो ज़रूिी है
2558. र्जो चीज़ गस्ि क़ी गई हो अगि उसस़े कोई नफ़् अ हो मसलन गस्ि क़ी
हुई भ़ेड़ का िच्चा पैदा हो तो वह उसक़े मामलक का माल है नीज़ ममसाल क़े तौि
पि अगि ककसी ऩे कोई मकान गस्ि कि मलया हो तो ख़्वाह गामसि उस मकान में
2559. अगि कोई शख़्स िच्च़े या दीवाऩे स़े कोई चीज़ र्जो उस (िच्च़े या
दीवाऩे) का माल हो गस्ि कि़े तो ज़रूिी है कक वह चीज़ उसक़े सिपिस्त को द़े द़े
826
2560. अगि दो आदमी ममलकि ककसी चीज़ को गस्ि किें चन
ु ांच़े वह दोनों उस
चीज़ पि तसल्लत
ु िखत़े हों तो उनमें स़े हि एक उस पिू ी चीज़ का ज़ाममन है
मसलन र्जो ग़ेहूं गस्ि क़ी हो उस़े र्जौ स़े ममला द़े तो अगि उसका र्जुदा किना
अलायहदा कि़े औि (गस्ि क़ी हुई चीज़) उसक़े मामलक को वापस कि द़े ।
2562. अगि कोई शख़्स ततलाई चीज़ मसलन सोऩे क़ी िामलयों को गस्ि कि़े
औि उसक़े िाद उस़े वपर्ला द़े तो वपर्लाऩे स़े पहल़े औि वपर्लाऩे क़े िाद क़ी
में र्जो फ़कक पड़ा हो वह न द़े ना चाह़े औि कह़े कक मैं उस़े पहल़े क़ी तिह िना दं ग
ू ा
2563. जर्जस शख़्स ऩे कोई चीज़ गस्ि क़ी हो अगि वह उसमें ऐसी तबदीली कि़े
कक उस चीज़ क़ी हालत पहल़े स़े ि़ेहति हो र्जाए मसलन र्जो सोना गस्ि ककया हो
उस क़े िन्
ु द़े िना द़े तो अगि माल का मामलक उस़े कह़े कक मझ
ु ़े माल इसी हालत
827
औि इसी तिह वह यह हक नहीं िखता कक मामलक क़ी इर्जाज़त क़े िगैि उस चीज़
को उसक़ी पहली हालत में ल़े आए ल़ेककन अगि उसक़ी इर्जाज़त क़े िगैि उस चीज़
2564. जर्जस शख़्स ऩे कोई चीज़ गस्ि क़ी हो अगि वह उसमें कोई ऐसी
तबदीली कि़े कक उसक़ी हालत पहल़े स़े ि़ेहति हो र्जाए औि साहि़े माल उस़े उस
चीज़ क़ी पहली हालत में वापस किऩे को कह़े तो उसक़े वाजर्जि है कक उस़े पहली
हालत में ल़े आए औि अगि तबदीली किऩे क़ी वर्जह स़े उस चीज़ क़ी क़ीमत
पहली हालत स़े कम हो र्जाए तो ज़रूिी है कक उसका फ़कक मामलक को द़े मलहाज़ा
अगि कोई शख़्स गस्ि ककए हुए सोऩे का हाि िना ल़े औि उस सोऩे का मामलक
कह़े कक तुम्हाि़े मलए लाजज़म है कक उस़े पहली शक्ल में ल़े आओ तो अगि
वपर्लाऩे क़े िाद सोऩे क़ी क़ीमत उसस़े कम हो र्जाए जर्जतनी हाि िनाऩे स़े पहल़े
थी तो गामसि क़े मलए ज़रूिी है कक क़ीमतों म़े जर्जतना फ़कक हो उसक़े मामलक को
द़े ।
2565. अगि कोई शख़्स उस ज़मीन में र्जो उसऩे गस्ि क़ी हो ख़ेती िाड़ी कि़े
ज़मीन गस्ि क़ी हो ज़रूिी है कक ख़्वाह ऐसा किना उसक़े मलए नक़्
ु सानद़े ह ही क्यों
828
न हो वह फ़ौिन अपनी जज़िाअत या दिख़्तों को ज़मीन स़े उख़ेड़ ल़े नीज़ ज़रूिी है
कक जर्जतना मद्
ु दत जज़िाअत औि दिख़्त उस ज़मीन में िह़े हों उतनी मद्
ु दत का
ककिाया ज़मीन क़े मामलक को द़े औि र्जो खिाबियां ज़मीन में पैदा हुई हों उन्हें
दरू
ु स्त कि़े मसलन र्जहां दिख़्तों को उख़ेड़ऩे स़े ज़मीन में गढ़़े पड़ गए हों उस
र्जगह को हमवाि कि़े औि अगि उन खािबियों क़ी वर्जह स़े ज़मीन क़ी क़ीमत
पहल़े स़े कम हो र्जाए तो ज़रूिी है कक क़ीमत में र्जो फ़कक पड़़े वह भी अदा कि़े
उसक़े हाथ ि़ेच द़े या ककिाय़े पि द़े द़े नीज़ ज़मीन का मामलक भी उस़े मर्जििू
दिख़्त उसक़ी ज़मीन में िह़े तो जर्जस शख़्स ऩे ज़मीन गस्ि क़ी हो उसक़े मलए
गस्ि क़ी हो उस वक़्त स़े ल़ेकि मामलक क़े िाज़ी होऩे तक क़ी मद्
ु दत का ज़मीन
का ककिाया द़े ।
2567. र्जो चीज़ ककसी ऩे गस्ि क़ी हो अगि वह तलफ़ हो र्जाए तो अगि वह
चीज़ गाय औि भ़ेड़ क़ी तिह क़ी हो जर्जनक़ी क़ीमत उनक़ी ज़ाती खसस
ू ीयात क़ी
गामसि उस चीज़ क़ी क़ीमत अदा कि़े औि अगि उस वक़्त औि ज़रूित मख़्
ु तमलफ़
829
होऩे क़ी वर्जह स़े उस क़ी िाज़ाि क़ी क़ीमत िदल गई हो तो ज़रूिी है कक वह
किऩे क़े वक़्त स़े ल़ेकि तलफ़ होऩे तक उस चीज़ क़ी र्जो ज़्यादा स़े ज़्यादा क़ीमत
िही हो वह द़े ।
2568. र्जो चीज़ ककसी ऩे गस्ि क़ी हो अगि वह तलफ़ हो र्जाए तो अगि वह
ग़ेहूं औि र्जौ क़ी मातनन्द हो जर्जनक़ी फ़दकन फ़दक न क़ीमत का ज़ाती खुसस
ू ीयात क़ी
बिना पि िाहम फ़कक नहीं होता हो ज़रूिी है कक (गामसि ऩे) र्जो चीज़ गस्ि क़ी हो
उसी र्जैसी चीज़ मामलक को द़े ल़ेककन र्जो चीज़ द़े ज़रूिी है कक उसक़ी ककस्म
अपनी खुसस
ू ीयात में उस गस्ि क़ी हुई चीज़ क़ी ककस्म क़े मातनन्द हो र्जो कक
2569. अगि एक शख़्स भ़ेड़ र्जैसी कोई चीज़ गस्ि कि़े औि वह तलफ़ हो र्जाए
तो अगि उसक़ी िाज़ाि क़ी क़ीमत में फ़कक न पड़ा हो ल़ेककन जर्जतनी मद्
ु दत में
2570. र्जो चीज़ ककसी ऩे गस्ि क़ी हो अगि कोई औि शख़्स वही चीज़ उसस़े
गस्ि कि़े औि किि वह तलफ़ हो र्जाए तो माल का मामलक उन दोनों में स़े हि
एक स़े उसका एवज़ ल़े सकता है या उन दोनों में स़े हि एक स़े उसक़े एवज़ क़ी
830
कुछ ममक़्दाि का मत
ु ालिा कि सकता है मलहाज़ा अगि माल का मामलक उस का
एवज़ पहल़े गामसि स़े ल़े ल़े तो पहल़े गामसि ऩे र्जो कुछ हदया हो वह दस
ू ि़े
गामसि स़े ल़े सकता है । ल़ेककन अगि माल का मामलक उसका एवज़ दस
ू ि़े गामसि
नहीं कि सकता।
मौर्जूद न हो मसलन जर्जस चीज़ क़ी खिीद व फ़िोख़्त वज़्न कि क़े किनी ज़रूिी
हो अगि उस का मआ
ु मला िगैि वज़्न ककय़े ककया र्जाए तो मआ
ु मला िाततल है
िज़ामन्द हों कक एक दस
ू ि़े क़े माल में तसरूकफ़ किें तो कोई इश्काल नहीं वनाक र्जो
चीज़ उन्होंऩे एक दस
ू ि़े स़े ली हो वह गस्िी माल क़ी मातनन्द है औि उनक़े मलए
ज़रूिी है कक एक दस
ू ि़े क़ी चीज़ें वापस कि दें औि अगि दोनों में स़े जर्जस क़े भी
हाथों दस
ू ि़े का माल तलफ़ हो र्जाए तो ख़्वाह उस़े मअलम
ू हो या न हो कक
मआ
ु मला िाततल था ज़रूिी है कक उस का एवज़ द़े ।
2572. र्जि एक शख़्स कोई माल ककसी ि़ेचऩे वाल़े स़े इस मक़्सद स़े ल़े कक
अगि वह माल तलफ़ हो र्जाए तो मश्हूि कौल क़ी बिना पि ज़रूिी है कक उसका
831
गम
ु शद
ु ा माल पाने के अह्काम
है वानात में स़े न हो औि जर्जसक़ी कोई ऐसी तनशानी भी न हो जर्जसक़े ज़िीए उसक़े
द़े ।
2574. अगि कोई इंसान कहीं चगिी हुई चीज़ पाए जर्जसक़ी क़ीमत एक हदिहम
यह है कक उसक़े मामलक क़ी तिफ़ स़े सदका कि द़े औि र्जि भी उसका मामलक
ममल़े औि सदका द़े ऩे पि िाज़ी न हो तो उस़े उसका एवज़ द़े द़े ।
2575. अगि कोई शख़्स एक ऐसी चीज़ पाए जर्जस पि कोई ऐसी तनशानी हो
जर्जस क़े ज़िीए उसक़े मामलक का पता चलाया र्जा सक़े तो अगिच़े उस़े मअलम
ू हो
832
वह चीज़ ममली हो उसस़े एक साल तक लोगों क़ी िैठकों (या मर्जमलसों) में उसका
ऐलान कि़े ।
ममल़े तो उस सिू त में र्जि कक वह माल हिम़े पाक (मक्का) क़े अलावा ककसी
र्जगह स़े ममला हो वह उस़े उसक़े मामलक क़े मलए अपऩे पास िख सकता है ताकक
र्जि भी वह ममल़े उस़े द़े द़े या माल क़े मामलक क़ी तिफ़ स़े फ़क़ीिों को सदका कि
2578. अगि एक साल तक ऐलान कि ऩे क़े िाद भी माल का मामलक न ममल़े
औि जर्जस़े वह माल ममला हो वह उसक़े मामलक क़े मलए उस़े अपऩे पास िख ल़े
किि वह जज़म्म़ेदाि नहीं है ल़ेककन अगि वह माल उस क़े मामलक क़ी तिफ़ स़े
सदका कि चक
ु ा हो तो माल क़े मामलक को इजख़्तयाि है कक उस सदक़े पि िाज़ी
833
हो र्जाए या अपऩे माल क़े एवज़ का मत
ु ालिा कि़े औि सदक़े का सवाि सदका
जर्जसका जज़क्र ऊपि ककया गया है अमदन ऐलान न कि़े तो पहल़े (ऐलान न कि क़े
मफ़
ु ़ीद होगा तो किि भी उस पि वाजर्जि है कक ऐलान कि़े ।
2580. अगि दीवाऩे या नािामलग िच्च़े को कोई ऐसी चीज़ ममल र्जाए जर्जसमें
अलामत मौर्जद
ू हो औि उसक़ी क़ीमत एक हदिहम क़े ििािि हो तो उसका
सिपिस्त ऐलान कि सकता है । िजल्क अगि वह चीज़ सिपिस्त ऩे िच्च़े या दीवाऩे
ऐलान कि़े किि भी माल का मामलक न ममल़े तो ज़रूिी है कक र्जो कुछ मस ्अला
2581. अगि इंसान उस साल क़े दौिान जर्जसमें वह (ममलऩे वाल़े माल क़े िाि़े
में ) ऐलान कि िहा हो माल क़े मामलक क़े ममलऩे स़े ना उम्मीद हो र्जाए तो –
एहततयात क़ी बिना पि – ज़रूिी है कक हाककम़े शअक क़ी इर्जाज़त स़े उस माल को
सदका कि द़े ।
2582. अगि उस साल क़े दौिान जर्जसमें (इंसान ममलऩे वाल़े माल क़े िाि़े में )
ऐलान कि िहा हो वह माल तलफ़ हो र्जाए तो अगि उस शख़्स ऩे उस माल क़ी
834
तनगहदाश्त में कोताही क़ी हो या तअद्दी यअनी ि़ेर्जा इस्त़ेमाल कि़े तो वह
िह़े औि अगि कोताही या तअद्दी न क़ी हो तो किि उस पि कुछ वाजर्जि नहीं है।
क़ीमत एक हदिहम तक पहुंचती हो ऐसी र्जगह ममल़े जर्जसक़े िाि़े में मअलम
ू हो कक
ऐलान क़े ज़िीए उसका मामलक नहीं ममल़ेगा तो ज़रूिी है कक (जर्जस शख़्स को वह
माल ममला हो) वह पहल़े हदन ही उस़े – एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना पि हाककम़े
शअक क़ी इर्जाज़त स़े उसक़े मामलक क़ी तिफ़ स़े फ़क़ीिों को सदका कि द़े औि
2584. अगि ककसी शख़्स को कोई ऐसी चीज़ ममल़े औि वह उस़े अपना माल
समझत़े हुए उठा ल़े औि िाद में उस़े पता चल़े कक वह उस का माल नहीं है तो
र्जो अह्काम इसस़े पहल़े वाल़े मसाइल में ियान ककय़े गए हैं उन्हीं क़े मत
ु ाबिक
अमल कि़े ।
2585. र्जो चीज़ ममली हो ज़रूिी है कक उसका इस तिह ऐलान ककया र्जाए कक
अगि उस का मामलक सन
ु ़े तो उस़े गामलि गुमान हो कक वह चीज़ उसका माल है
835
का एक टुकड़ा मझ
ु ़े ममला है, औि िाज़ सिू तों में उस चीज़ क़ी िाज़ खुसस
ू ीयात
चीज़ मअ
ु य्यन हो र्जाए।
2587. ककसी शख़्स को र्जो चीज़ ममली हो उसक़ी क़ीमत एक हदिहम तक पहुंच़े
2588. अगि ककसी शख़्स को कोई चीज़ ममल र्जाए र्जो एक साल तक िाक़ी न
िह़े उस चीज़ क़ी हहफ़ाज़त कि़े र्जो उसक़ी क़ीमत िाक़ी िखऩे में अहम्मीयत िखती
िह़े औि अगि उसका मामलक न ममल़े तो एहततयात क़ी बिना पि – हाककम़े शअक
836
या उसक़े वक़ील क़ी इर्जाज़त स़े उसक़ी क़ीमत का तअय्यन
ु कि़े औि उस़े ि़ेच द़े
औि उन पैसों को अपऩे पास िख़े औि उसक़े साथ साथ ऐलान भी र्जािी िख़े औि
पढ़त़े वक़्त वह उसक़े पास हो औि अगि वह मामलक क़े ममलऩे क़ी सिू त में उस़े
हो कक र्जो र्जत
ू ा वह ल़े गया है उसक़े एवज़ उसका र्जत
ू ा िख ल़े तो वह अपऩे र्जूत़े
होगा।
837
2591. अगि इंसान क़े पास मज्हूलल
ु मामलक का माल हो औि उस माल पि
लफ़्ज़़े गम
ु शद
ु ा का इत्लाक न होता हो तो उस सिू त में र्जि उस़े इत्मीनान हो र्जाए
कक उसक़े माल पि तसरूकफ़ किऩे पि उसका मामलक िाज़ी होगा तो जर्जस तिह भी
वह उस माल में तसरूकफ़ किना चाह़े उसक़े मलए र्जाइज़ है । औि अगि इत्मीनान न
द़े ना ज़रूिी है। औि एहततयात़े लाजज़म यह है कक हाककम़े शअक क़ी इर्जाज़त स़े
सदका द़े औि अगि िाद में माल का मामलक ममल र्जाए औि सदका द़े ऩे पि िाज़ी
838
है वानात को लशकाि औि जब्ह किने के अह्काम
2592. है वान र्जंगली हो या पालतू – हिाम गोश्त है वानों क़े अलावा, जर्जन का
ियान खाऩे औि पीऩे वाली चीज़ों क़े अह्काम में आय़ेगा, उसको इस तिीक़े क़े
मत
ु ाबिक ज़बह ककया र्जाए, र्जो िाद में िताया र्जाय़ेगा, तो उसक़ी र्जान तनकल
र्जाऩे क़े िाद, उसका गोश्त हलाल औि िदन पाक है । ल़ेककन ऊाँट, मछली औि
हटड्डी को ज़बह ककय़े िगैि खाना हलाल हो र्जाय़ेगा जर्जस तिह कक आइन्दा
पहाड़ी िकिी औि वह है वान जर्जन का गोश्त हलाल हो औि र्जो पहल़े पालतू िह़े हों
औि िाद में र्जंगली िन गए हों मसलन पालतू गाय औि ऊाँट र्जो भाग गए हों
जर्जस का जज़क्र िाद में होगा तो वह पाक औि हलाल हैं ल़ेककन हलाल गोश्त वाल़े
र्जो तिबियत क़ी वर्जह स़े पालतू िन र्जायें मशकाि किऩे स़े पाक औि हलाल नहीं
होत़े।
2594. हलाल गोश्त वाला र्जंगली हैवान मशकाि किऩे स़े उस सिू त में हलाल
होता है र्जि वह भाग सकता हो या उड़ सकता हो। मलहाज़ा हहिन का वह िच्चा
839
र्जो भाग न सक़े औि चकोि का वह िच्चा र्जो उड़ न सक़े मशकाि किऩे स़े पाक
औि हलाल नहीं होत़े औि अगि कोई शख़्स हहिनी को औि उसक़े ऐस़े िच्च़े को
र्जो भाग न सकता हो एक ही तीि स़े मशकाि कि़े तो हहिनी हलाल औि िच्चा
हिाम होगा।
2595. हलाल गोश्त वाला वह है वान र्जो उछलऩे वाला खून न िखता हो मसलन
मछली अगि खुद ि खुद मि र्जाए तो पाक है ल़ेककन उसका गोश्त खाया नहीं र्जा
सकता।
सांप उसका मद
ु ाक पाक है ल़ेककन ज़बह किऩे स़े वह हलाल नहीं होता।
2597. कुत्ता औि सव्ु वि ज़बह किऩे स़े औि मशकाि किऩे स़े पाक नहीं होत़े औि
उनका गोश्त खाना भी हिाम है औि वह हिाम गोश्त वाला हैवान र्जो भ़ेडड़य़े औि
चीत़े क़ी तिह चीड़िाड़ किऩे वाला औि गोश्त खाऩे वाला हो अगि उस़े उस तिीक़े
स़े ज़बह ककया र्जाए जर्जस का जज़क्र िाद में ककया र्जाय़ेगा या तीि या उसी तिह क़ी
ककसी चीज़ स़े मशकाि ककया र्जाए तो पाक है ल़ेककन उसका गोश्त हलाल नहीं होता
औि अगि उसका मशकाि मशकािी कुत्त़े क़े ज़िीए ककया र्जाए तो उस का िदन पाक
का हुक्म िखत़े हैं ल़ेककन हशिात (क़ीड़़े मकूड़़े) औि वह िहुत छोट़े है वानात र्जो ज़़ेि़े
840
ज़मीन िहत़े हैं र्जैस़े चह
ू ा औि गोह (वगैिा) अगि उछलऩे वाला खून िखत़े हों औि
उन्हें जज़बहा ककया र्जाए या मशकाि ककया र्जाए तो उनका गोश्त औि खाल पाक
नहीं होंग़े।
2600. है वान को ज़बह किऩे का तिीका यह है कक उसक़ी गदक न क़ी चाि िड़ी
िगों को मक
ु म्मल तौि पि काटा र्जाए, उन में मसफ़क चीिा लगाना या मसलन मसफ़क
गला काटना एहततयात क़ी बिना पि काफ़़ी नहीं है औि दि हक़ीकत यह चाि िगों
को काटना न हुआ। मगि (शिअन ज़िीहा उस वक़्त सहीह होता है ) र्जि उन चाि
िगों को गल़े क़ी चगिह स़े नीच़े स़े काटा र्जाए औि वह चाि में सांस क़ी नाली औि
खाऩे क़ी नाली औि वह मोटी िगें हैं र्जो सास क़ी नाली क़े दोनों तिफ़ होती हैं।
2601. अगि कोई शख़्स चाि िगों में स़े िाज़ को काट़े औि किि है वान क़े मिऩे
तक सब्र कि़े औि िाक़ी िग़े िाद में काट़े तो उसका कोई फ़ाइदा नहीं ल़ेककन उस
सिू त में र्जिकक चािों िगें है वान क़ी र्जान तनकलऩे स़े पहल़े काट दी र्जायें मगि
हसि़े मअमल
ू मस
ु लसल न काटी र्जायें तो वह है वान पाक औि हलाल होगा अगिच़े
एहततयात़े मस्
ु तहि यह है कक मस
ु लसल काटी र्जायें।
841
2602. अगि भ़ेडड़या ककसी भ़ेड़ का गला इस तिह िाड़ द़े कक गदक न क़ी उन
चाि िगों में स़े जर्जन्हें ज़बह कित़े वक़्त काटना ज़रूिी है कुछ भी िाक़ी न िह़े तो
वह भ़ेड़ हिाम हो र्जाती है औि अगि मसफ़क सांस क़ी नाली बिल्कुल िाक़ी न िह़े
ति भी यही हुक्म है। िजल्क अगि भ़ेडड़या गदक न का कुछ हहस्सा िाड़ द़े औि चािों
ि गें सि स़े लटक़ी हुई या िदन स़े लगी हुई िाक़ी िहें तो एहततयात क़ी बिना पि
1. र्जो शख़्स ककसी है वान को ज़बह कि़े ख़्वाह मदक हो या औित उसक़े मलए
ज़रूिी है कक मस
ु लमान हो औि वह मस
ु लमान िच्चा भी र्जो मसझदाि हो यअनी
ििु ़े भल़े क़ी समझ िखता हो है वान को ज़बह कि सकता है ल़ेककन गैि ककतािी
कुफ़्फ़ाि औि उन कफ़कों क़े लोग र्जो कुफ़्फ़ाि क़े हुक्म में हैं मसलन नवामसि अगि
ककसी है वान को ज़बह किें तो वह हलाल नहीं होगा िजल्क ककतािी काकफ़ि (मसलन
842
2. है वान को उस चीज़ स़े ज़बह ककया र्जाए र्जो लोह़े (या स्टील) क़ी िनी हुई हो
ल़ेककन अगि लोह़े क़ी चीज़ दस्तयाि न हो तो उस़े ककसी ऐसी त़ेज़ चीज़ मसलन
शीश़े औि पत्थि स़े भी ज़बह ककया र्जा सकता है र्जो उस क़ी चािों िगों को काट द़े
3. ज़बह कित़े वक़्त है वान ककबल़े क़ी तिफ़ हो। है वान का ककबला रुख होना
ख़्वाह वह िैठा हो या खड़ा हो दोनों हालतों में ऐसा हो र्जैस़े इंसान नमाज़ में
ककबला रुख होता है। अगि है वान दाई तिफ़ या िाई तिफ़ ल़ेटा हो तो ज़रूिी है कक
है वान क़ी गदक न औि उसका प़ेट ककबला रुख हो औि उसका पांव हाथ औि मंह
ु का
ककबला रुख होना लाजज़म नहीं है । औि र्जो शख़्स र्जानता हो कक ज़बह कित़े वक़्त
तिफ़ न कि़े तो हैवान हिाम हो र्जाता है । ल़ेककन अगि ज़बह किऩे वाला भल
ू र्जाए
4. कोई शख़्स ककसी है वान को ज़बह कित़े वक़्त या ज़बह स़े कुछ पहल़े ज़बह
किऩे क़ी नीयत स़े खुदा का नाम ल़े औि मसफ़क बिजस्मल्लाह कह द़े तो काफ़़ी है
िजल्क अगि मसफ़क अल्लाह कह द़े तो िईद नहीं कक काफ़़ी हो। औि अगि ज़बह
843
किऩे क़ी नीयत क़े िगैि खुदा का नाम ल़े तो वह है वान पाक नहीं होता औि
5. ज़बह होऩे क़े िाद है वान हिकत कि़े अगिच़े ममसाल क़े तौि पि मसफ़क आाँख
या दम
ु को हिकत द़े या अपना पांव ज़मीन पि माि़े औि यह हुक्म उस सिू त में
है र्जि ज़बह कित़े वक़्त है वान का जज़न्दा होना मशकूक हो औि अगि मशकूक न
है । पस अगि खून उसक़ी िगों में रुक र्जाए औि उस स़े खून न तनकल़े या खून
7. है वान को गल़े क़ी तिफ़ स़े ज़बह ककया र्जाए औि एहततयात़े मस्
ु तहि यह है
कक गदक न को अगली तिफ़ स़े काटा र्जाए औि छुिी को गदक न क़ी पश्ु त में र्ोंप कि
इस तिह अगली तिफ़ न लाया र्जाए कक उसक़ी गदक न पश्ु त क़ी तिफ़ स़े कट र्जाए।
2604. एहततयात क़ी बिना पि र्जाइज़ नहीं है कक है वान क़ी र्जान तनकलऩे स़े
पहल़े उसका सि तन स़े र्जुदा ककया र्जाए अगिच़े ऐसा किऩे स़े है वान हिाम नहीं
होता – ल़ेककन लापवाकई या छुिी त़ेज़ होऩे क़ी वर्जह स़े सि र्जुदा हो र्जाए तो
844
इश्काल नहीं है औि इसी तिह एहततयात क़ी बिना पि है वान क़ी गदक न चीिना औि
कहलाती है है वान क़ी र्जान तनकलऩे स़े पहल़े काटना र्जाइज़ नहीं है।
पाक औि हलाल हो र्जाए तो ज़रूिी है कक उन शिाइत क़े साथ र्जो है वान को ज़बह
किऩे क़े मलए िताई गई हैं छुिी या कोई औि चीज़ र्जो लोह़े (या स्टील) क़ी िनी
हुई हो औि काटऩे वाली हो ऊाँट क़ी गदक न औि सीऩे क़े दिममयान र्जौफ़ में र्ोंप द़े
ट़े क द़े या ककसी पहलू ल़ेट र्जाए औि ककबला रुख हो उस वक़्त छुिी उस क़ी गदक न
2606. अगि ऊाँट क़ी गदक न क़ी गहिाई में छुिी र्ोंपऩे क़े िर्जाय उस़े ज़बह ककया
र्जाए (यअनी उसक़ी गदक न क़ी चाि िगें काटी र्जायें) या भ़ेड़ औि गाय औि उन र्जैस़े
दस
ू ि़े है वानात क़ी गदक न क़ी गहिाई में ऊंट क़ी तिह छुिी र्ोंपी र्जाए तो उनका
गोश्त हिाम औि िदन नजर्जस है ल़ेककन अगि ऊंट क़ी चाि िगें काटी र्जायें औि
छुिी र्ोंपी र्जाए तो उसका गोश्त हलाल औि िदन पाक है । नीज़ अगि गाय या
845
भ़ेड़ औि उन र्जैस़े हैवानात क़ी गदक न क़ी गहिाई में छुिी र्ोंपी र्जाए औि अभी वह
मक
ु िक ि ककया है ज़बह (या नहि) किना मजु म्कन न हो मसलन कुयें में चगि र्जाए
मत
ु ाबिक ज़बह (या नहि) किना मजु म्कन न हो तो उसक़े िदन पि र्जहां कहीं भी
ज़ख़्म लगाया र्जाए औि उस ज़ख़्म क़े नतीर्ज़े में उसक़ी र्जान तनकल र्जाए वह
दस
ू िी शिाइत र्जो है वान को ज़बह किऩे क़े िाि़े में िताई गई है उसमें मौर्जूद हों।
को मस्
ु तहि शम
ु ाि ककया हैः-
1. भ़ेड़ को ज़बह कित़े वक़्त उसक़े दोनों हाथ औि एक पांव िांध हदय़े र्जायेंग़े
औि दस
ू िा पांव खुला िखा र्जाए। औि गाय को ज़बह कित़े वक़्त उसक़े चािों हाथ
दस
ू ि़े स़े िांध हदय़े र्जायें औि उसक़े पांव खल
ु ़े िख़े र्जायें औि मस्
ु तहि है कक परिन्द़े
846
को ज़बह किऩे क़े िाद छोड़ हदया र्जाए ताकक वह अपऩे पि औि िाल िड़िड़ा
सक़े।
2. है वान को ज़बह (या नहि) किऩे स़े पहल़े उसक़े सामऩे पानी िखा र्जाए।
3. (ज़बह या नहि कित़े वक़्त) ऐसा काम ककया र्जाए कक है वान को कम स़े कम
तक्लीफ़ हो मसलन छुिी खूि त़ेज़ कि ली र्जाए औि है वान को र्जल्दी ज़बह ककया
र्जाए।
2609. है वानात को ज़बह कित़े वक़्त िाज़ रिवायात में चन्द चीज़ें मकरूह शम
ु ाि
िहा हो।
3. शि़े र्जुमअ को या र्जुमअ क़े हदन ज़ौहि स़े पहल़े है वान का ज़बह किना।
ल़ेककन अगि ऐसा किना ज़रूित क़े तहत हो तो उसमें कोई ऐि नहीं।
4. जर्जस चौपाए को इंसान ऩे पाला हो उस़े खुद अपऩे हाथ स़े ज़बह किना।
847
हग़्रथयािों से लशकाि किने के अह्काम
2610. अगि हलाल गोश्त र्जंगली है वान का मशकाि हचथयािों क़े ज़िीए ककया
र्जाए औि वह मि र्जाए तो पांच शतों क़े साथ वह है वान हलाल औि उसका िदन
तीि क़ी तिह त़ेज़ हो ताकक त़ेज़ होऩे क़ी वर्जह स़े है वान क़े िदन को चाक कि द़े
औि अगि है वान का मशकाि र्जाल या लकड़ी या पत्थि या उन्हीं र्जैसी चीज़ों क़े
है । औि अगि गोली त़ेज़ न हो िजल्क दिाव क़े साथ है वान क़े िदन में दाखखल हो
औि उस़े माि द़े या अपनी गम़ी क़ी वर्जह स़े उसका िदन र्जला द़े औि उस र्जलऩे
क़े असि स़े है वान मि र्जाए तो उस है वान क़े पाक औि हलाल होऩे में इश्काल है ।
2. ज़रूिी है कक मशकािी मस
ु लमान हो या ऐसा मस
ु लमान िच्चा हो र्जो ििु ़े भल़े
को समझता हो औि अगि गैि ककतािी काकफ़ि या वह शख़्स र्जो काकफ़ि क़े हुक्म
में हो र्जैस़े नामसिी ककसी है वान का मशकाि कि़े तो वह मशकाि हलाल नहीं है।
848
3. मशकािी हचथयाि उस है वान को मशकाि किऩे क़े मलए इस्त़ेमाल कि़े औि
अगि मसलन कोई शख़्स ककसी र्जगह को तनशाना िना िहा हो औि इवत्तफ़ाकन
एक है वान को माि द़े तो वह है वान पाक नहीं है औि उसका खाना भी हिाम है।
4. हचथयाि चलात़े वक़्त मशकािी अल्लाह का नाम ल़े औि बिना िि़े अक़्वा अगि
तनशाऩे पि लगऩे स़े पहल़े अल्लाह का नाम ल़े तो भी काफ़़ी है। ल़ेककन अगि र्जान
िझ
ू कि अल्लाह तआला का नाम न ल़े तो मशकाि हलाल नहीं होता अलित्ता भल
ू
जज़न्दा हो तो ज़बह किऩे क़े मलए वक़्त न हो या ज़बह क़े मलए वक़्त होत़े हुए वह
शिाइत में स़े कुछ कम हों मसलन उन दोनों में स़े एक अल्लाह तआला का नाम
ल़े औि दस
ू िा र्जान िझ
ू कि अल्लाह तआला का नाम न ल़े तो है वान हलाल नहीं
है ।
2612. अगि तीि लगऩे क़े िाद ममसाल क़े तौि पि है वान पानी में चगि र्जाए
औि इंसान को इल्म हो कक है वान तीि लगऩे औि पानी में चगिऩे स़े मिा है तो
849
वह है वान हलाल नहीं है िजल्क अगि इंसान को यह इल्म न हो कक वह फ़कत
2613. अगि कोई शख़्स गस्िी कुत्त़े या गस्िी हचथयाि स़े ककसी है वान का
2614. अगि मशकाि किऩे क़े हचथयाि मसलन तलवाि स़े है वान क़े िाज़ अअज़ा
ल़ेककन अगि मस ्अला 2610 में मज़कूिा शिाइत क़े साथ उस है वान को ज़बह
ककया र्जाए तो उसका िाक़ीमांदा िदन हलाल हो र्जाय़ेगा। ल़ेककन अगि मशकाि क़े
हचथयाि स़े मज़कूिा शिाइत क़े साथ है वान क़े िदन क़े दो टुकड़़े कि हदय़े र्जायें
औि सि औि गदक न एक हहस्स़े में िहें औि इंसान उस वक़्त मशकाि क़े पास पहुंच़े
जज़न्दा हो ल़ेककन उस़े ज़बह किऩे क़े मलए वक़्त न हो ति भी यही हुक्म है ।
ल़ेककन अगि ज़बह किऩे क़े मलए वक़्त हो औि मजु म्कन हो कक है वान कुछ द़े ि
850
2615. अगि लकड़ी या पत्थि या ककसी दस
ू िी चीज़ स़े जर्जसस़े मशकाि किना
सहीह नहीं है ककसी है वान क़े दो टुकड़़े कि हदय़े र्जायें तो वह हहस्सा जर्जसमें सि
औि गदक न न हों हिाम है औि अगि है वान जज़न्दा हो औि मजु म्कन हो कक कुछ द़े ि
2616. र्जि ककसी हैवान का मशकाि ककया र्जाए या उस़े ज़बह ककया र्जाए औि
उसक़े प़ेट स़े जज़न्दा िच्चा तनकल़े तो अगि उस िच्च़े को शअक क़े मअ
ु य्यन कदाक
तिीक़े क़े मत
ु ाबिक ज़बह ककया र्जाए तो हलाल वनाक हिाम है।
2617. अगि ककसी है वान का मशकाि ककया र्जाए या उस़े ज़बह ककया र्जाए औि
ज़बह किऩे स़े पहल़े न मिा हो औि इसी तिह र्जि वह िच्चा है वान क़े प़ेट स़े द़े ि
स़े तनकलऩे क़ी वर्जह स़े न मिा हो अगि उस िच्च़े क़ी िनावट मक
ु म्मल हो औि
2618. अगि मशकािी कुत्ता ककसी हलाल गोश्त वाल़े र्जंगली हैवान का मशकाि
कि़े तो उस है वान क़े पाक होऩे औि हलाल होऩे क़े मलए छः शतें हैं –
851
1. कुत्ता इस तिह सध
ु ाया हुआ हो कक र्जि भी उस़े मशकाि पकड़ऩे क़े मलए भ़ेर्जा
र्जाए औि र्जि उस़े र्जाऩे स़े िोका र्जाए तो रुक र्जाए। ल़ेककन अगि मशकाि स़े
नज़्दीक होऩे औि मशकाि को द़े खऩे क़े िाद उस़े र्जाऩे स़े िोका र्जाए औि न रुक़े
मामलक स़े पहुंचऩे स़े पहल़े मशकाि स़े कुछ खा ल़े तो भी हिर्ज नहीं है औि इसी
तिह अगि उस़े मशकाि का खून पीऩे क़ी आदत हो तो इश्काल नहीं।
मशकाि क़े पीछ़े र्जाए औि ककसी हैवान को मशकाि कि ल़े तो उस है वान का खाना
हिाम है । िजल्क अगि कुत्ता मशकाि क़े पीछ़े लग र्जाए औि िाद में उसका मामलक
हांक लगाए ताकक वह र्जल्दी मशकाि तक पहुंच़े तो अगिच़े वह मामलक क़ी आवाज़
क़ी वर्जह स़े त़ेज़ भाग़े किि भी एहततयात़े वाजर्जि क़ी बिना पि उस मशकाि को
तफ़्सील क़े मत
ु ाबिक र्जो असलहा स़े मशकाि किऩे क़ी शिाइत में ियान हो चक
ु ़ी
हैं।
852
4. कुत्त़े को मशकाि क़े पीछ़े भ़ेर्जत़े वक़्त मशकािी अल्लाह तआला का नाम ल़े
औि अगि र्जान भझ
ू कि अल्लाह तआला का नाम न ल़े तो मशकाि हिाम है
ल़ेककन अगि भल
ू र्जाए तो इश्काल नहीं।
5. मशकाि को कुत्त़े क़े काटऩे स़े र्जो ज़ख़्म आए वह उसस़े मि़े । मलहाज़ा अगि
कुत्ता मशकाि का गला र्ोंट द़े या मशकाि दौड़ऩे या डि र्जाऩे क़ी वर्जह स़े मि र्जाए
तो हलाल नहीं है ।
6. जर्जस शख़्स ऩे कुत्त़े को मशकाि क़े पीछ़े भ़ेर्जा हो अगि वह (मशकाि ककय़े गए
ज़बह किऩे क़े मलए वक़्त न हो ल़ेककन मशकाि क़े पास पहुंचना गैि मअमल
ू ी
ताखीि क़ी वर्जह स़े न हो। औि अगि ऐस़े वक़्त पहुंच़े र्जि उस़े ज़बह किऩे क़े
2619. जर्जस शख़्स ऩे कुत्त़े को मशकाि क़े पीछ़े भ़ेर्जा हो अगि वह मशकाि क़े
पास उस वक़्त पहुंच़े र्जि वह उस़े ज़बह कि सकता हो तो ज़बह किऩे क़े
लवाजज़मात मसलन अगि छुिी तनकालऩे क़ी वर्जह स़े वक़्त गज़
ु ि र्जाए औि है वान
मि र्जाए तो हलाल है ल़ेककन अगि उसक़े पास ऐसी कोई चीज़ हो जर्जस स़े है वान
853
अलित्ता उस सिू त में अगि वह शख़्स उस है वान को छोड़ द़े ताकक कुत्ता उस़े माि
2620. अगि कई कुत्त़े मशकाि क़े पीछ़े भ़ेर्ज़े र्जायें औि वह सि ममलकि ककसी
है वान का मशकाि किें तो अगि वह सि क़े सि उन शिाइत को पिू ा कित़े हों र्जो
मस ्अला 2618 में ियान क़ी गई हैं तो मशकाि हलाल है औि अगि उन में स़े एक
2621. अगि कोई शख़्स कुत्त़े को ककसी हैवान क़े मशकाि क़े मलए भ़ेर्ज़े औि वह
कुत्ता कोई दस
ू िा है वान मशकाि कि ल़े तो वह मशकाि हलाल औि पाक है औि जर्जस
2622. अगि चन्द अश्खास ममलकि एक कुत्त़े को मशकाि क़े मलए भ़ेर्जें औि उन
र्जो कुत्त़े मशकाि क़े पीछ़े भ़ेर्ज़े गयें हो अगि उनमें स़े एक कुत्ता इस तिह सध
ु ाया
2623. अगि िाज़ या मशकािी कुत्त़े क़े अलावा कोई औि है वान ककसी र्जानवि का
मशकाि कि़े तो वह मशकाि हलाल नहीं है ल़ेककन अगि कोई शख़्स उस मशकाि क़े
मअ
ु य्यन है उस़े ज़बह कि ल़े तो किि वह हलाल है ।
854
मछली औि हटड्ड़ी का लशकाि
2624. अगि उस मछली को, र्जो पैदाइश स़े तछल्क़े वाली हो, अगिच़े ककसी
आिज़ी वर्जह स़े उसका तछल्का उति गया हो, पानी में स़े जज़न्दा पकड़ मलया र्जाए
है । औि अगि वह पानी में मि र्जाए तो पाक है ल़ेककन उसका खाना हिाम है।
मगि यह कक वह मछ़े ि़े क़े र्जाल क़े अन्दि पानी में मि र्जाए तो उस सिू त में
उसका खाना हलाल है । औि जर्जस मछली क़े तछल्क़े न हों अगिच़े उस़े पानी में
जज़न्दा पकड़ मलया र्जाए औि पानी क़े िाहि आ कि मि़े – वह हिाम है।
2625. अगि मछली (उछल कि) पानी स़े िाहि आ चगि़े या पानी क़ी लहि उस़े
िाहि िेंक द़े या पानी उति र्जाए औि मछली खश्ु क़ी पि िह र्जाए तो अगि उसक़े
मिऩे स़े पहल़े कोई शख़्स उस़े हाथ स़े या ककसी औि ज़िीए स़े पकड़ ल़े तो वह
2626. र्जो शख़्स मछली का मशकाि कि़े उसक़े मलए लाजज़म नहीं कक मस
ु लमान
मस
ु लमान द़े ख़े या ककसी औि ज़िीए स़े उस़े (यअनी मस
ु लमान को) यह इत्मीनान
हो गया हो कक मछली को पानी स़े जज़न्दा पकड़ा है या वह मछली उस क़े र्जाल में
855
2627. जर्जस मिी हुई मछली क़े मत
ु अजल्लक मअलम
ू न हो कक उस़े पानी स़े
में हो तो हलाल है । ल़ेककन अगि काकफ़ि क़े हाथ में हो तो ख़्वाह वह कह़े कक
ऩे मछली को पानी स़े जज़न्दा पकड़ा है या वह मछली उसक़े र्जाल में पानी क़े
2630. अगि पानी स़े िाहि मछली क़े दो टुकड़़े कि मलय़े र्जायें औि उनमें स़े
एक टुकड़ा जज़न्दा होऩे क़ी हालत में चगि र्जाए तो र्जो टुकड़ा पानी स़े िाहि िह
ककया र्जाए।
2631. अगि हटड्डी को हाथ स़े या ककसी औि ज़िीए स़े जज़न्दा पकड़ मलया
वाला मस
ु लमान हो औि उस़े पकड़त़े वक़्त अल्लाह तआला का नाम ल़े। ल़ेककन
856
अगि मद
ु ाक हटड्डी काकफ़ि क़े हाथ में हो औि यह मअलम
ू न हो कक उसऩे उस़े
हिाम है।
2632. जर्जस हटड्डी क़े पि अभी तक न उग़े हों औि उड़ न सकती हो उसका
खाना हिाम है ।
2633. हि वह परिन्दा र्जो शाहीन, उकाि औि िाज़ क़ी तिह चीिऩे, िाड़ऩे औि
को मािता कम, ि़े हिकत ज़्यादा िखता है औि पंर्ज़ेदाि है, हिाम होता है । औि हि
वह परिन्दा र्जो उड़त़े वक़्त पिों को मािता ज़्यादा औि ि़े हिकत कम िखता है,
वह हलाल है । इसी फ़कक क़ी बिना पि हिाम गोश्त परिन्दों को हलाल गोश्त परिन्दों
में स़े उनक़ी पवाकज़ क़ी कैकफ़यत द़े ख कि पहचाना र्जा सकता है । ल़ेककन अगि
कक कव्व़े क़ी तमाम अक़्साम हत्ता कक ज़ाग (पहाड़ी कव्व़े) स़े भी इजज्तनाि ककया
857
मसलन मग
ु ,क कित
ू ि औि चचडड़या यहां तक कक शत
ु ुिमग
ु क औि मोि भी हलाल हैं।
ल़ेककन िाज़ परिन्दों र्जैस़े हुदहुद औि अिािील को ज़बह किना मकरूह है । औि र्जो
है वानात उड़त़े हैं मगि पि नहीं िखत़े मसलन चमगादड़ हिाम हैं। औि एहततयात़े
लाजज़म क़ी बिना पि ज़ंििू (मभड़, शहद क़ी मक्खी, ततैया) मच्छि औि उड़ऩे वाल़े
दस
ू ि़े क़ीड़़े मकूड़़े का भी यही हुक्म है ।
2634. अगि उस हहस्स़े को जर्जस में रूह हो जज़न्दा है वान स़े र्जुदा कि मलया
र्जाए मसलन जज़न्दा भ़ेड़ क़ी चकती या गोश्त क़ी कुछ ममक़्दाि काट ली र्जाए तो
वह नजर्जस औि हिाम है ।
2635. हलाल गोश्त है वानात क़े कुछ अज्ज़ा हिाम हैं औि उनक़ी तअदाद चौदा
है ः-
7. कपिू ़े । 8. वह चीज़ र्जो भ़ेर्ज़े में होती है औि चऩे क़े दाऩे क़ी शक्ल क़ी होती
है । 9. हिाम मग़्जज़ र्जो िीढ़ क़ी हड्डी क़े दोनों तिफ़ होता है। 10. बिनािि़े
एहततयात़े लाजज़म वह िगें र्जो िीढ़ क़ी हड्डी क़े दोनों तिफ़ होती हैं। 11. वपत्ता।
यह सि चीज़ें परिन्दों क़े अलावा हलाल गोश्त हैवानात में हिाम हैं। औि परिन्दों
औि फ़ुज़्ल़े) क़े अलावा परिन्दों में वह चीज़ें हों र्जो ऊपि ियान क़ी गई तो उनका
858
हिाम होना एहततयात क़ी बिना पि है।
2636. हिाम गोश्त है वानात का प़ेशाि पीना हिाम है औि उसी तिह हलाल
गोश्त है वान – हत्ता कक एहततयातत़े लाजज़म क़ी बिना पि ऊंट क़े प़ेशाि का भी
यही हुक्म है । ल़ेककन इलाम क़े मलए ऊंट, गाय औि भ़ेड़ का प़ेशाि पीऩे में इश्काल
नहीं है।
2637. चचकनी ममट्टी खाना हिाम है नीज़ ममट्टी औि िर्जिी खाना एहततयात़े
दाचगस्तानी औि आिमीतनयाई ममट्टी वगैिा इलार्ज क़े मलए िहालत़े मर्जििू ी खाऩे
ममक़्दाि खाना र्जाइज़ है । औि ि़ेहति यह है कक खाक़े मशफ़ा क़ी कुछ ममक़्दाि पानी
में हल कि ली र्जाए ताकक वह (हल हो कि) खत्म हो र्जाए औि िाद में उस पानी
को पी मलया र्जाए।
तनगलना हिाम नहीं है नीज़ उस चगज़ा क़े तनगलऩे में र्जो खखलाल कित़े वक़्त
दांतों क़ी ि़े खों स़े तनकल़े कोई इश्काल नहीं है।
859
2639. ककसी ऐसी चीज़ का खाना हिाम है र्जो मौत का सिि िऩे या इंसान क़े
2640. र्ोड़़े, खच्चि औि गध़े खाना मकरूह है औि कोई शख़्स उन स़े िदफ़़ेली
कि़े तो वह है वान हिाम हो र्जाता है औि र्जो नस्ल िदफ़़ेली क़े िाद पैदा हो
लाजज़म है कक उस हैवान क़ी क़ीमत उस क़े मामलक को द़े । औि अगि कोई शख़्स
हलाल गोश्त है वान मसलन गाय या भ़ेड़ स़े िदफ़़ेली कि़े तो उनका प़ेशाि औि
बिना पि उन का दध
ू पीऩे का औि उनक़ी र्जो नस्ल िदफ़़ेली क़े िाद पैदा हो उस
का भी यही हुक्म है। औि ज़रूिी है कक ऐस़े है वान को फ़ौिन ज़बह कि क़े र्जला
हदया र्जाय़े औि जर्जस ऩे उस है वान क़े साथ िदफ़़ेली क़ी हो अगि वह उस का
उसका गोश्त औि हड्डडयां उसस़े कुव्वत हामसल किें तो खुद वह औि उसक़ी नस्ल
860
र्जाता है औि उसका इजस्तििा यह है कक सात हदन पाक दध
ू वपय़े औि अगि उस़े
दध
ू क़ी हार्जत न हो तो सात हदन र्ास खाए। औि भ़ेड़ का शीिख़्वाि िच्चा गाय
का िच्चा औि दस
ू ि़े हलाल गोश्त है वानों क़े िच्च़े – एहततयात़े लाजज़म क़ी बिना
पि – िकिी क़े िच्च़े क़े हुक्म में हैं। औि नर्जासत खाऩे वाल़े है वान का गोश्त
2642. शिाि पीना हिाम है औि अहादीस में उस़े गुनाह़े किीिा िताया गया है ।
शिाि ििु ाइयों क़ी र्जड़ औि गुनाहों का मंिअ है । र्जो शख़्स शिाि वपय़े वह अपनी
रिश्त़ेदािों क़े हुकूक का पास नहीं किता, खुल्लम खुल्ला ििु ाई किऩे स़े नहीं
शमाकता। पस ईमान औि खद
ु ा शनासी को रूह उसक़े िदन स़े तनकल र्जाती है औि
861
हुई होगी, उसक़ी िाल सीऩे पि टपकती होगी औि वह प्यास क़ी मशद्दत स़े वावैला
कि़े गा।
िही हो, अगि उस पि िैठऩे स़े इंसान शिाि पीऩे वालों में शम
ु ाि होता हो तो
2644. हि मस
ु लमान पि वाजर्जि है कक उसक़े अड़ोस पड़ोस में र्जि कोई दस
ू िा
मस
ु लमान भक
ू या प्यास स़े र्जां िलि हो तो उस़े िोटी औि पानी द़े कि मिऩे स़े
िचाए।
2. खाना खा ल़ेऩे क़े िाद अपऩे हाध धोए औि रूमाल (तौमलय़े वगैिा) स़े खश्ु क
कि़े ।
िाद र्जो शख़्स उसक़ी दाई तिफ़ िैठा हो वह धोए इसी तिह मसलमसल़ेवाि हाथ
862
धोत़े िहें हत्ता कक नौित उस शख़्स तक आ र्जाए र्जो उसक़े िाई तिफ़ िैठा हो औि
खाना खा ल़ेऩे क़े िाद र्जो शख़्स म़ेज़िान क़ी िाई तिफ़ िैठा हो सि स़े पहल़े वह
हाथ धोए औि इसी तिह धोत़े चल़े र्जायें हत्ता कक नौित म़ेज़िान तक पहुंच र्जाए।
अनवाओ अक़्साम क़े खाऩे हों तो उन में स़े हि खाऩे स़े पहल़े बिजस्मल्लाह पढ़ना
मस्
ु तहि है ।
खाए।
10. खाना खि
ू अच्छ तिह चिा कि खाए।
13. खाना खाऩे क़े िाद दांतों में खखलाल कि़े अलित्ता िै हान क़े ततंक़े या खर्जिू
863
14. र्जो चगज़ा दस्तिख़्वान स़े िाहि चगि र्जाए उस़े र्जमअ कि़े औि खा ल़े
15. हदन औि िात क़ी इजबतदा में खाना खाए औि हदन क़े दिममयान में औि
16. खाना खाऩे क़े िाद पीठ क़े िल ल़ेट़े औि दायां पांव िायें पांव पि िख़े।
864
7. खाना खात़े वक़्त दस
ू िों क़े मंह
ु क़ी तिफ़ द़े खना।
9. हड्डी स़े चचप्क़े हुए गोश्त को यंू खाना कक हड्डी पि बिल्कुल गोश्त िाक़ी न
िह़े ।
1. पानी चस
ू ऩे क़े तज़क पि वपय़े।
3. पानी पीऩे स़े पहल़े बिजस्मल्लाह औि पीऩे क़े िाद अलहम्दमु लल्लाह कह़े ।
865
2648. ज़्यादा पानी पीना, मिु ग्गन खाऩे क़े िाद पानी पीना औि िात को खड़़े
पीना औि इसी तिह कूज़़े (वगैिा) क़ी टूटी हुई र्जगह स़े औि उस र्जगह स़े पीना
तआला क़ी रिज़ा क़े मलए कोई अच्छा काम कि़े गा या कोई ऐसा काम जर्जसका न
2650. मन्नत में सीगा पढ़ना ज़रूिी है। औि यह लाजज़म नहीं कक सीगा अििी
में ही पढ़ा र्जाए मलहाज़ा अगि कोई शख़्स कह़े कक, म़ेिा मिीज़ स़ेहतयाि हो गया
इिाद़े औि इखततयाि क़े साथ मन्नत माऩे। मलहाज़ा ककसी ऐस़े शख़्स का मन्नत
मानना जर्जस़े मर्जििू ककया र्जाए या र्जो र्जज़्िात में आकि िगैि इिाद़े क़े ि़े
866
2652. कोई सफ़़ीह अगि मन्नत माऩे मसलन यह कक कोई चीज़ फ़क़ीि को
द़े गा तो उसक़ी मन्नत सहीह नहीं है। औि इसी तिह अगि कोई दीवामलया शख़्स
मन्नत माऩे कक मसलन अपऩे अस्ल माल में स़े जर्जस में तसरुक फ़ किऩे स़े उस़े
िोक हदया गया हो कोई चीज़ फ़क़ीि को द़े गा तो उसक़ी मन्नत सहीह नहीं है।
2653. शौहि क़ी इर्जाज़त क़े िगैि औित का उन कामों में मन्नत मानना र्जो
शौहि क़े हुकूक क़े मनाफ़़ी हो सहीह नहीं है । औि इसी तिह औित का अपऩे माल
में शौहि क़ी इर्जाज़त क़े िगैि मन्नत मानना महल्ल़े इश्काल है । ल़ेककन (अपऩे
माल में स़े शौहि क़ी इर्जाज़त क़े िगैि) हर्ज किना, ज़कात औि सदका द़े ना औि
2654. अगि औित शौहि क़ी इर्जाज़त क़े िगैि या उसक़ी इर्जाज़त स़े मन्नत
2655. अगि ि़ेटा िाप क़ी इर्जाज़त क़े िगैि या उसक़ी इर्जाज़त स़े मन्नत माऩे
तो ज़रूिी है कक उस पि अमल कि़े ल़ेककन अगि िाप या मां उस़े इस काम स़े
जर्जसक़ी उसऩे मन्नत मानी हो इस तिह मन ्अ किें कक उनक़े मनअ किऩे क़े िाद
र्जाय़ेगी।
867
2656. इंसान ककसी ऐस़े काम क़ी मन्नत मान सकता है जर्जस़े अंर्जाम द़े ना
उसक़े मलए मजु म्कन हो मलहाज़ा र्जो शख़्स मसलन पैदल चलकि किकला न र्जा
2657. अगि कोई शख़्स मन्नत माऩे कक कोई हिाम या मकरूह काम अंर्जाम
है ।
द़े गा या तकक कि़े गा मलहाज़ा अगि उस काम का िर्जा लाना औि तकक किना हि
अंर्जाम द़े ना ककसी मलहाज़ स़े ि़ेहति हो औि इंसान मन्नत भी उसी मलहाज़ स़े
माऩे मसलन मन्नत माऩे कक कोई (खास) चगज़ा खाय़ेगा ताकक अल्लाह क़ी इिादत
क़े मलए उस़े तवानाई हामसल हो तो उसक़ी मन्नत सहीह है । औि अगि उस काम
का तकक किना ककसी मलहाज़ स़े ि़ेहति हो औि इंसान मन्नत भी उसी मलहाज़ स़े
माऩे कक उस काम को तकक कि द़े गा मसलन चंकू क तंिाकू मजु ज़ि़े (स़ेहत) है इस
मलए मन्नत माऩे कक उस़े इस्त़ेमाल नहीं कि़े गा तो उसक़ी मन्नत सहीह है।
ल़ेककन अगि िादद में तम्िाकू का इस्त़ेमाल तकक किना उसक़े मलए नक़्
ु सानद़े ह हो
868
2659. अगि कोई शख़्स मन्नत माऩे कक वाजर्जि नमाज़ ऐसी र्जगह पढ़़े गा र्जहां
िर्जाए खद
ु नमाज़ पढ़ऩे का सवाि ज़्यादा नहीं मसलन मन्नत माऩे कक नमाज़
कमि़े में पढ़़े गा तो अगि वहां नमाज़ पढ़ना ककसी स़े ि़ेहति हो मसलन चंकू क वहां
खलित है इस मलए इंसान हुज़ूि़े कबल पैदा कि सकता है अगि उसक़े मन्नत
2660. अगि एक शख़्स कोई अमल िर्जा लाऩे क़ी मन्नत तो ज़रूिी है कक वह
अमल उसी तिह िर्जा लाए जर्जस तिह मन्नत मानी हो मलहाज़ा अगि मन्नत माऩे
कक महीऩे क़ी पहली तािीख को सदका द़े गा या िोज़ा िख़ेगा या (महीऩे क़ी पहली
तािीख को) अव्वल़े माह क़ी नमाज़ पढ़़े गा तो अगि उस हदन स़े पहल़े या िाद में
उस अमल को िर्जा लाए तो काफ़़ी नहीं है । इसी तिह अगि कोई शख़्स मन्नत
मिीज़ क़े स़ेहतयाि होऩे स़े पहल़े सदका द़े द़े तो काफ़़ी नहीं है ।
2661. अगि कोई शख़्स िोज़ा िखऩे क़ी मन्नत माऩे ल़ेककन िोज़ो का वक़्त
औि तअदाद मअ
ु य्यन न कि़े तो अगि िोज़ा िख़े तो काफ़़ी है । अगि नमाज़ पढ़ऩे
अगि एक दो िक् अती नमाज़ पढ़ ल़े तो काफ़़ी है । औि अगि मन्नत माऩे क़ी
चीज़ द़े कक लोग कहें कक उस ऩे सदका हदया है तो किि उसऩे अपनी मन्नत क़े
869
मत
ु ाबिक अमल कि हदया है औि अगि मन्नत माऩे कक कोई काम अल्लाह
तआला क़ी खश
ु नद
ू ी क़े मलए िर्जा लाय़ेगा तो अगि एक (दो िक् अती) नमाज़ पढ़
ल़े या एक िोज़ा िख ल़े या कोई चीज़ सदका द़े द़े तो उसऩे अपनी मन्नत तनभा
ली है ।
2662. अगि कोई शख़्स मन्न्त माऩे कक एक खास हदन िोज़ा िख़ेगा तो ज़रूिी
उस हदन क़े िोज़़े क़ी कज़ा क़े अलावा कफ़्फ़ािा भी द़े औि अज़हि यह है कक
उसका कफ़्फ़ािा कसम का कफ़्फ़ािा है र्जैसा कक िाद में ियान ककया र्जाय़ेगा
िख़े औि अगि सफ़ि में हो तो लाजज़म नहीं कक ठहिऩे क़ी नीयत कि क़े िोज़ा िख़े
या हैज़ क़ी वर्जह स़े िोज़ा न िख़े तो लाजज़म है कक िोज़़े क़ी कज़ा क़ेि ल़ेककन
कफ़्फ़ािा नहीं है ।
2663. अगि इंसान हालत़े इजख़्तयाि में अपनी मन्नत पि अमल न कि़े तो
870
को अंर्जाम द़े तो उस पि कुछ वाजर्जि नहीं है ल़ेककन किि भी लाजज़म है कक वह
वक़्त आऩे तक उस अमल को अंर्जाम न द़े औि अगि उस वक़्त क़े आऩे स़े पहल़े
िगैि उज़्र क़े उस अमल को दोिािा अंर्जाम द़े तो ज़रूिी है कक कफ़्फ़ािा द़े ।
2665. जर्जस शख़्स ऩे कोई अमल तकक किऩे क़ी मन्नत मानी हो औि उसक़े
गफ़लत क़ी वर्जह स़े उस अमल को अंर्जाम द़े तो उस पि कफ़्फ़ािा वाजर्जि नहीं है
ल़ेककन उस क़े िाद र्जि भी िहालत़े इजख़्तयाि उस माल को िर्जा लाए ज़रूिी है कक
कफ़्फ़ािा द़े ।
मसलन र्जुमए
ु का िोज़ा िख़ेगा तो अगि एक र्जुमए
ु क़े हदन ईद़े कफ़त्र या ईद़े
कुिाकन पड़ र्जाए या र्जुमा क़े हदन उस़े कोई औि उज़्र मसलन सफ़ि दिप़ेश हो या
तो अगि वह सदका द़े ऩे स़े पहल़े मि र्जाए तो उसक़े माल में स़े उतनी ममक़्दाि में
सदका द़े ना लाजज़म नहीं है औि ि़ेहति यह है कक उसक़े िामलग विसा मीिास में
स़े अपऩे हहस्स़े स़े उतनी ममक़्दाि मैतयत क़ी तिफ़ स़े सदका द़े दें ।
871
2668. अगि कोई शख़्स मन्नत माऩे कक एक मअ
ु य्यन फ़क़ीि को सदका द़े गा
तो वह ककसी दस
ू ि़े फ़क़ीि को नहीं द़े सकता औि अगि वह मअ
ु य्यन कदाक फ़क़ीि
2669. अगि कोई मन्नत माऩे कक आइम्मा (अ0) में स़े ककसी एक मसलन
नहीं है।
2670. जर्जस शख़्स ऩे जज़याित किऩे क़ी मन्नत मानी हो ल़ेककन गस्
ु ल़े जज़याित
औि उसक़ी नमाज़ क़ी मन्नत न मानी हो तो उसक़े मलए उन्हें िर्जा लाना लाजज़म
नहीं है।
2671. अगि कोई शख़्स ककसी इमाम या इमामज़ाद़े क़े हिम क़े मलए माल खचक
सफ़क कि़े ।
2672. अगि कोई शख़्स ककसी इमाम क़े मलय़े कोई चीज़ नज़्र कि़े तो अगि
ककसी मअ
ु य्यन मसिफ़ क़ी नीयत क़ी हो तो ज़रूिी है कक उस चीज़ को उसी
है कक उस़े ऐस़े मसिफ़ में ल़े आए र्जो इमाम स़े तनस्ित िखता हो मसलन उस
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इमाम (अ0 स0 ) क़े नादाि ज़ाइिीन पि खचक कि़े या उस इमाम क़े हिम क़े
मसारिफ़ पि खचक कि़े या ऐस़े कामों में खचक कि़े र्जो इमाम का तजज़्किा आम
किऩे का सिि हों। औि अगि कोई चीज़ ककसी इमाम ज़ाद़े क़ी नज़्र कि़े ति भी
यही हुक्म है ।
2673. जर्जस भ़ेड़ को सदक़े क़े मलए या ककसी इमाम क़े मलए नज़्र ककया र्जाए
उसक़ी नीयत आम हो (यअनी नज़्र किऩे वाल़े ऩे उस भ़ेड़, उसक़े िच्च़े औि दध
ू
उसका मस
ु ाकफ़ि वापस आ र्जाए तो वह फ़लां काम कि़े गा तो अगि पता चल़े कक
2675. अगि िाप या मां मन्नत मानें कक अपनी ि़ेटी क़ी शादी सैतयदज़ाद़े स़े
किें ग़े तो िामलग होऩे क़े िाद लड़क़ी इस िाि़े में खुद मख़्
ु ताि है औि वामलदै न क़ी
873
2676. र्जि कोई शख़्स अल्लाह तआला स़े अहद कि़े कक र्जि उसक़ी कोई
मअ
ु य्यन शिई हार्जत पिू ी हो र्जाय़ेगी तो फ़लां काम कि़े गा। पस र्जि उसक़ी हार्जत
पिू ी हो र्जाए तो ज़रूिी है कक वह काम अंर्जाम द़े । नीज़ अगि कोई हार्जत न होत़े
हुए अहद कि़े कक फ़ंला काम अंर्जाम द़े गा तो वह काम किना उस पि वाजर्जि हो
र्जाता है ।
2677. अह्द में भी मन्नत क़ी तिह सीगा पढ़ना ज़रूिी है । औि (उलमा क़े
िीच) मशहूि यह है कक कोई शख़्स जर्जस काम क़े अंर्जाम द़े ऩे का अह्द कि़े ज़रूिी
है कक या तो वाजर्जि औि मस्
ु तहि नमाज़ों क़ी तिह इिादत हो या ऐसा काम हो
जर्जस का अंर्जाम द़े ना शिअन उस क़े तकक किऩे स़े ि़ेहति हो ल़ेककन ज़ाहहि यह है
कक यह िात मोतिि नहीं है । िजल्क अगि उस तिह हो र्जैस़े मस ्अला 2680 में
2678. अगि कोई शख़्स अपऩे अह्द पि अमल न कि़े तो ज़रूिी है कक कफ़्फ़ािा
एक गल
ु ाम आज़ाद कि़े ।
874
कसम खाने के अह्काम
2679. र्जि कोई शख़्स कसम खाए कक फ़लां काम अंर्जाम द़े गा या तकक कि़े गा
मसलन कसम खाए कक िोज़ा िख़ेगा या तम्िाकू इस्त़ेमाल नहीं कि़े गा तो अगि
यअनी एक गल
ु ाम आज़ाद कि़े या दस फ़क़ीिों को प़ेट भि खाना खखलाए या उन्हें
शख़्स र्जज़्िात में आकि बिला इिादा या ि़ेइजख़्तयाि कसम खाए तो उसक़े मलए भी
यही हुक्म है ।
2. (कसम खाऩे वाला) जर्जस काम क़े अंर्जाम द़े ऩे क़ी कसम खाए ज़रूिी है कक
वह हिाम या मकरूह न हो औि जर्जस काम क़े तकक किऩे क़ी कसम खाए ज़रूिी है
कक वह वाजर्जि या मस्
ु तहि न हो। औि अगि कोई मि
ु ाह काम किऩे क़ी कसम
खाए तो अगि उकला क़ी नज़ि में उस काम को अंर्जाम द़े ना उसको तकक किऩे स़े
ि़ेहति हो तो उसक़ी कसम सहीह है । िजल्क दोनों सिू तों में अगि उसका अंर्जाम
875
द़े ना या तकक किना उकला क़ी नज़ि में ि़ेहति न हो ल़ेककन खुद उस शख़्स क़े
3. (कसम खाऩे वाला) अल्लाह तआला क़े नामों में स़े ककसी ऐस़े नाम क़ी
कसम खाए र्जो उस ज़ात क़े मसवा ककसी औि क़े मलए इस्त़ेमाल न होता हो
मसलन खुदा औि अल्लाह – औि अगि ऐस़े नाम क़ी कसम खाए र्जो उस ज़ात क़े
मसवा ककसी औि क़े मलय़े भी इस्त़ेमाल होता हो ल़ेककन अल्लाह तआला क़े मलय़े
इतनी कसित स़े इस्त़ेमाल होता हो कक र्जि भी कोई वह नाम ल़े तो खुदा ए
िज़
ु गु क व ििति क़ी ज़ात ही जज़हन में आती हो मसलन अगि कोई खामलक औि
िाजज़क क़ी कसम खाए तो कसम सहीह है। िजल्क अगि ककसी ऐस़े नाम क़ी कसम
खाए कक र्जि उस नाम को तन्हा िोला र्जाए तो उस स़े मसफ़क ज़ात़े िािी तआला ही
जज़हन में न आती हो ल़ेककन उस नाम को कसम खाऩे क़े मकाम में इस्त़ेमाल
ककया र्जाए तो ज़ात़े हक ही जज़हन में आती हो मसलन समीइ औि िसीि (क़ी
4. (कसम खाऩे वाला) कसम क़े अल्फ़ाज़ ज़िान पि लाए – ल़ेककन अगि गंग
ू ा
शख़्स इशाि़े स़े कसम खाए तो सहीह है औि इसी तिह वह शख़्स र्जो िात किऩे
िजल्क इसक़े अलावा सिू तों में भी (काफ़़ी है – नीज़) एहततयात तकक नहीं होगी।
876
5. (कसम खाऩे वाल़े क़े मलय़े) कसम पि अमल किना मजु म्कन हो। औि अगि
कसम खाऩे क़े वक़्त उसक़े मलए उस पि अमल किना मजु म्कन हो ल़ेककन िाद में
जर्जस वक़्त स़े आजर्जज़ होगा उस वक़्त स़े उसक़ी कसम या अह्द पि अमल किऩे
स़े इतनी मशक़्कत उठानी पड़़े र्जो उसक़ी िदाकश्त स़े िाहि हो तो उस सिू त में भी
यही हुक्म है ।
2681. अगि िाप ि़ेट़े को या शौहि, िीवी को कसम खाऩे स़े िोक़े तो उनक़ी
2682. अगि ि़ेटा, िाप क़ी इर्जाज़त क़े िगैि औि िीवी, शौहि क़ी इर्जाज़त क़े
िगैि कसम खाए तो िाप औि शौहि उनक़ी कसम फ़स्ख कि सकत़े हैं।
कसम खाए मसलन यह कह़े कक वल्लाह मैं अभी नमाज़ में मशगल
ू होता हूं औि
877
2684. अगि कोई शख़्स कसम खाए कक मैं र्जो कुछ कह िहा हूं सच कह िहा हूं
इश्काल नहीं िजल्क िाज़ औकात ऐसी कसम खाना वाजर्जि हो र्जाता है ताहम अगि
तौरिया किना मजु म्कन हो – यअनी कसम खात़े वक़्त कसम क़े अल्फ़ाज़ क़े
पछ
ू ़े कक क्या तुम ऩे फ़लां शख़्स को द़े खा है ? औि उस ऩे उस शख़्स को एक
ममनट कबल द़े खा हो तो वह कह़े कक मैंऩे उस़े नहीं द़े खा औि कस्द यह कि़े कक
इस वक़्त स़े पांच ममनट पहल़े मैंऩे उस़े नहीं द़े खा।
वक़्फ़ के अह्काम
2685. अगि एक शख़्स कोई चीज़ वक़्फ़ कि़े तो वह उसक़ी ममजल्कयत स़े
878
हैं औि न ही उस़े ि़ेच सकत़े हैं ल़ेककन िाज़ सिू तों में जर्जन का जज़क्र मस ्अला
2102 औि मस ्अला 2103 में ककया गया है उस़े ि़ेचऩे में इश्काल नहीं।
2686. यह लाजज़म है कक वक़्फ़ का सीगा अििी में पढ़ा र्जाए िजल्क ममसाल क़े
तौि पि अगि कोई शख़्स कह़े कक मैंऩे यह ककताि तामलि ए इल्मों क़े मलय़े वक़्फ़
कि दी है तो वक़्फ़ सहीह है। िजल्क अमल स़े भी साबित हो र्जाता है। मसलन
अगि कोई शख़्स वक़्फ़ क़ी नीयत स़े चटाई मजस्र्जद में डाल द़े या ककसी इमाित
को मजस्र्जद क़ी नीयत स़े इस तिह िनाए र्जैस़े मजस्र्जद िनाई र्जाती है तो वक़्फ़
आम लोगों क़े मलय़े वक़्फ़ क़ी र्जायें या मसलन फ़ुकिा औि सादात क़े मलय़े वक़्फ़
क़ी र्जायें उन क़े वक़्फ़ स़े सहीह होऩे में ककसी का किल
ू किना लाजज़म नहीं है
2687. अगि कोई शख़्स अपनी ककसी चीज़ को वक़्फ़ किऩे क़े मलय़े मअ
ु य्यन
किऩे क़े वक़्त स़े उस माल को हम़ेशा क़े मलय़े वक़्फ़ कि द़े औि ममसाल क़े तौि
पि अगि वह कह़े कक यह माल म़ेि़े मिऩे क़े िाद वक़्फ़ होगा तो चंकू क वह माल
सीगा पढ़ऩे क़े वक़्त स़े उसक़े मिऩे क़े वक़्त तक वक़्फ़ नहीं िहा इस मलय़े वक़्फ़
सहीह नहीं है । नीज़ अगि कह़े कक यह माल दस साल तक वक़्फ़ िह़े गा औि किि
वक़्फ़ नहीं होगा या यह कह़े कक यह माल दस साल क़े मलय़े वक़्फ़ होगा किि पांच
879
साल क़े मलय़े वक़्फ़ नहीं होगा औि किि दोिािा वक़्फ़ हो र्जाय़ेगा तो वह वक़्फ़
2688. अगि कोई शख़्स अपनी ककसी चीज़ को वक़्फ़ किऩे क़े मलय़े मअ
ु य्यन
होता।
2689. खुसस
ू ी वक़्फ़ उस सिू त में सहीह है र्जि वक़्फ़ किऩे वाला वक़्फ़ का
माल पहली पश्ु त यअनी जर्जन लोगों क़े मलय़े वक़्फ़ ककया गया है उनक़े या उनक़े
वक़ील या सिपिस्त क़े तसरूकफ़ में द़े द़े । ल़ेककन अगि कोई शख़्स कोई चीज़ अपऩे
नािामलग िच्चों क़े मलए वक़्फ़ कि द़े औि इस नीयत स़े कक वक़्फ़ कदाक चीज़ उन
क़ी ममजल्कयत हो र्जाए उस चीज़ क़ी तनगहदािी कि़े तो वक़्फ़ सहीह है।
कबज़ा मोतिि नहीं है िजल्क मसफ़क वक़्फ़ किऩे स़े उनका वक़्फ़ होना साबित हो
र्जाता है ।
अगि सफ़़ीह – यअनी वह शख़्स र्जो अपना माल अहमकाना मालों में खचक किता
हो – कोई चीज़ वक़्फ़ कि़े तो चकंू क वह अपऩे माल में तसरूकफ़ किऩे का हक नहीं
880
2692. अगि कोई शख़्स ककसी माल को ऐस़े िच्च़े क़े मलय़े वक़्फ़ कि़े र्जो मां क़े
प़ेट में हो औि अभी पैदा न हुआ हो तो उस वक़्फ़ का सहीह होना महल्ल़े इश्काल
है । औि लाजज़म है कक एहततयात मलहूज़ िखी र्जाए ल़ेककन अगि कोई माल ऐस़े
लोगों क़े मलय़े वक़्फ़ ककया र्जाए र्जो अभी मौर्जूद हों औि उनक़े िाद उन लोगों क़े
मलय़े वक़्फ़ ककया र्जाए र्जो िाद में पैदा हों तो अगिच़े वक़्फ़ कित़े वक़्त वह मां क़े
प़ेट में भी न हों वह वक़्फ़ सहीह है मसलन एक शख़्स कोई चीज़ अपनी औलाद
क़े मलय़े वक़्फ़ कि़े कक उनक़े िाद उसक़े पोतों क़े मलय़े वक़्फ़ होगी औि (औलाद
क़े) हि गिु ोह क़े िाद आऩे वाल़े गिु ोह उस वक़्फ़ स़े इजस्तफ़ादा कि़े गा तो वक़्फ़
सहीह है।
2693. अगि कोई शख़्स ककसी चीज़ को अपऩे आप पि वक़्फ़ कि़े मसलन कोई
दक
ु ान वक़्फ़ कि द़े ताकक उसक़ी आमदनी उसक़े मिऩे क़े िाद उसक़े मजक़्िि़े पि
खचक क़ी र्जाए तो वह वक़्फ़ सहीह नहीं है । ल़ेककन ममसाल क़े तौि पि वह कोई
2694. र्जो चीज़ ककसी शख़्स ऩे वक़्फ़ क़ी हो अगि उसऩे उसका मत
ु वल्ली भी
मअ
ु य्यन ककया हो तो ज़रूिी है कक हहदायात क़े मत
ु ाबिक अमल हो औि अगि
वाककफ़ ऩे मत
ु वल्ली मअ
ु य्यन न ककया हो औि माल मख़्सस
ू अफ़िाद पि मसलन
अपनी औलाद क़े मलय़े वक़्फ़ ककया हो तो वह उसस़े इजस्तफ़ादा किऩे में खुद
881
मख़्
ु ताि है औि अगि िामलग न हों तो किि उन का सिपिस्त मख़्
ु ताि है औि
वक़्फ़ स़े इजस्तफ़ादा किऩे क़े मलय़े हाककमें शअक क़ी इर्जाज़त लाजज़म नहीं है ल़ेककन
ऐस़े काम जर्जसमें वक़्फ़ क़ी ि़ेहतिी या आइन्दा नस्लों क़ी भलाई हो मसलन वक़्फ़
क़ी तअमीि किना या वक़्फ़ को ककिाए पि द़े ना कक जर्जस में िाद वाल़े तिक़े क़े
2695. अगि ममसाल क़े तौि पि कोई शख़्स ककसी माल को फ़ुकिा या सादात
हो औि जर्जन लोगों क़े मलय़े वह इमलाक वक़्फ़ हुई है उन में स़े एक पश्ु त उस़े
882
िखा हो तो मिऩे वाल़े क़ी मौत क़े वक़्त स़े इर्जाि़े क़ी मद्
ु दत क़े खाततम़े तक का
2697. अगि वक़्फ़ कदाक इमलाक ििाकद हो र्जाए तो उस क़े वक़्फ़ क़ी है मसयत
मलए वक़्फ़ हो औि वह मक़्सद फ़ौत हो र्जाए। मसलन ककसी शख़्स ऩे कोई िाग
ितौि़े िाग वक़्फ़ ककया हो तो अगि वह िाग खिाि हो र्जाए तो वक़्फ़ िाततल हो
र्जाय़ेगा औि वक़्फ़ कदाक माल वाककफ़ क़ी ममजल्कयत में दोिािा दाखखल हो र्जाय़ेगा।
2698. अगि ककसी इमलाक क़ी कुछ ममक़्दाि वक़्फ़ हो औि कुछ ममक़्दाि वक़्फ़
मदों में इस्त़ेमाल न कि़े तो हाककम़े शअक उसक़े साथ ककसी अमीन शख़्स को लगा
द़े ताकक वह मत
ु वल्ली को खखयानत स़े िोक़े औि अगि वह मजु म्कन न हो तो
883
2700. र्जो कालीन (वगैिा) इमाम िािगाह क़े मलए वक़्फ़ ककया गया हो उस़े
नमाज़ पढ़ऩे क़े मलए मजस्र्जद में नहीं ल़े र्जाया र्जा सकता ख़्वाह वह मजस्र्जद
2701. अगि कोई इमलाक ककसी मजस्र्जद क़ी मिम्मत क़े मलए वक़्फ़ क़ी र्जाए
न हो कक आइन्दा या कुछ असे िाद उस़े मिम्मत क़ी ज़रूित होगी नीज़ उस
इमलाक क़ी आमदनी को र्जमअ कि क़े हहफ़ाज़त किना भी मजु म्कन न हो कक िाद
में उस मजस्र्जद क़ी मिम्मत में लगा दी र्जाए तो उस सिू त में एहततयात़े लाजज़म
यह है कक इमलाक क़ी आमदनी को उस काम में सफ़क कि़े र्जो वक़्फ़ किऩे वाल़े क़े
मक़्सद
ू स़े नज़्दीकति हो मसलन उस मजस्र्जद क़ी कोई दस
ू िी ज़रूित पिू ी कि दी
र्जाए या ककसी दस
ू िी मजस्र्जद क़ी तामीि में लगा दी र्जाए।
2702. अगि कोई शख़्स कोई इमलाक वक़्फ़ कि़े ताकक उसक़ी आमदनी मजस्र्जद
मअ
ु य्यन क़ी हो तो ज़रूिी है कक आमदनी उसी क़े मत
ु ाबिक खचक क़ी र्जाए औि
अगि मअ
ु य्यन न क़ी हो तो ज़रूिी है कक पहल़े मजस्र्जद क़ी मिम्मत किाई र्जाए
884
दिममयान जर्जस तिह मन
ु ामसि समझ़े तक़्सीम कि द़े ल़ेककन ि़ेहति है कक यह
885
वस़ीयत के अह्काम
2703. वसीयत यह है कक इंसान ताक़ीद कि़े कक उसक़े मिऩे क़े िाद उसक़े
मलए फ़लां फ़लां काम ककय़े र्जायें या यह कह़े कक उसक़े मिऩे क़े िाद उस क़े माल
में स़े कोई चीज़ ककसी शख़्स क़ी ममजल्कयत में द़े दी र्जाए या खैिात क़ी र्जाए या
उमिू ़े खैिीया पि सफ़क क़ी र्जाए या अपनी औलाद क़े मलए औि र्जो लोग उसक़ी
2704. र्जो शख़्स िोल न सकता हो अगि वह इशाि़े स़े अपना मक़्सद समझा द़े
तो वह हि काम क़े मलए वसीयत कि सकता है िजल्क र्जो शख़्स िोल सकता हो
वसीयत सहीह है ।
2705. अगि ऐसी तहिीि ममल र्जाए जर्जस पि मिऩे वाल़े क़े दस्तखत या मोहि
किना चाहहए ल़ेककन अगि पता चल़े कक मिऩे वाल़े का मक़्सद वसीयत किना नहीं
886
2706. र्जो शख़्स वसीयत कि़े ज़रूिी है कक िामलग औि आककल हो, सफ़़ीह न
हो औि अपऩे इजख़्तयाि स़े वसीयत कि़े मलहाज़ा नाबिलग िच्च़े का वसीयत किना
मलए वसीयत क़ी हो या आम खैिात में खचक किऩे क़ी वसीयत क़ी हो तो उन दोनों
सिू तों में उस क़ी वसीयत सहीह है औि अगि अपऩे रिश्त़ेदािों क़े अलावा ककसी
दस
ू ि़े क़े मलए वसीयत कि़े या सात साला िच्चा यह वसीयत कि़े कक, उसक़े
अमवाल में स़े थोड़ी सी चीज़ ककसी शख़्स क़े मलए है या ककसी शख़्स को द़े दी
र्जाए, तो वसीयत का नाकफ़ज़ होना महल्ल़े इश्काल है औि इन दोनों सिू तों में
एहततयात का ख़्याल िखा र्जाए औि अगि कोई शख़्स सफ़़ीह हो तो उसक़ी वसीयत
क़े अमवाल में नाकफ़ज़ नहीं है । ल़ेककन अगि उसक़ी वसीयत अमवाल क़े अलावा
दस
ू ि़े उमिू में हो मसलन उन मख़्सस
ू कामों क़े मत
ु अजल्लक हो र्जो मौत क़े िाद
मैतयत क़े मलए अंर्जाम हदय़े र्जात़े हैं तो वह वसीयत नाकफ़ज़ है।
2707. जर्जस शख़्स ऩे ममसाल क़े तौि पि अमदन अपऩे आप को ज़ख़्मी कि
पैदा हो र्जाए अगि वह वसीयत कि़े कक उस क़े माल क़ी कुछ ममक़्दाि ककसी
मख़्सस
ू मसिफ़ में लाई र्जाए औि उसक़े िाद वह मि र्जाए तो उसक़ी वसीयत
887
2708. अगि कोई शख़्स वसीयत कि़े कक उसक़ी इमलाक में स़े कोई चीज़ ककसी
दस
ू ि़े का माल होगी तो उस सिू त में र्जिकक वह दस
ू िा शख़्स वसीयत को किल
ू
हो वह चीज़ मस
ू ी क़ी मौत क़े िाद उसक़ी ममजल्कयत हो र्जाय़ेगी।
2709. र्जि इंसान अपऩे आप में मौत क़ी तनशातनयां द़े ख ल़े तो ज़रूिी है कक
लोगों क़ी अमानतें फ़ौिन उनक़े मामलकों को वापस कि द़े या उन्हें इवत्तला द़े द़े ।
उस तफ़्सील क़े मत
ु ाबिक र्जो मस ्अला 2351 में ियान हो चक
ु ़ी है । औि अगि वह
अपऩे कज़े का मत
ु ालिा भी कि िहा हो तो ज़रूिी है कक कज़ाक अदा कि द़े औि
अगि वह खुद कज़ाक अदा किऩे क़े काबिल न हो या कज़े क़ी अदायगी का वक़्त न
कि़े जर्जस स़े इत्मीनान हो र्जाए कक उसका कज़क उसक़ी मौत क़े िाद कज़कख़्वाह को
2710. र्जो शख़्स अपऩे आप में मौत क़ी तनशातनयां द़े ख िहा हो अगि ज़कात,
दस
ू िा शख़्स यह चीज़ें अदा कि द़े गा तो ज़रूिी है कक वसीयत कि़े औि अगि उस
888
पि हर्ज वाजर्जि हो तो उस का भी यही हुक्म है ल़ेककन अगि वह शख़्स उस वक़्त
2711. र्जो शख़्स अपऩे आप में मौत क़ी तनशातनयां द़े ख िहा हो अगि उसक़ी
नमाज़ें औि िोज़़े कज़ा हुए हैं तो ज़रूिी है कक वसीयत कि़े कक उसक़े माल स़े उन
इिादात क़ी अदायगी क़े मलय़े ककसी को अर्जीि िनाया र्जाए िजल्क अगि उसक़े
खिि दी र्जाए तो वह उसक़ी कज़ा नमाज़ें औि िोज़़े िर्जा लाय़ेगा तो उस़े खिि
2712. र्जो शख़्स अपऩे आप में मौत क़ी तनशातनयां द़े ख िहा हो अगि उसका
माल ककसी क़े पास या ऐसी र्जगह तछपा हुआ हो जर्जसका विसा को इल्म न हो तो
अगि ला इल्मी क़ी वर्जह स़े विसा का हक तलफ़ होता हो तो ज़रूिी है कक उन्हें
इवत्तलाअ द़े औि यह लाजज़म नहीं कक वह अपऩे नािामलग िच्चों क़े मलय़े तनगिां
औि सिपिस्त मक
ु िक ि कि़े ल़ेककन उस सिू त में र्जि कक तनगिां का न होना माल
889
2713. वसी का आककल होना ज़रूिी है। नीज़ र्जो उमिू मस
ू ी स़े मत
ु अजल्लक हैं
इस मक़्सद स़े वसीयत कि़े ताकक वह िचपन में सिपिस्त स़े इर्जाज़त मलए िगैि
मक़्सद यह हो कक िामलग होऩे क़े िाद या सिपिस्त क़ी इर्जाज़त स़े तसरूकफ़ कि़े
अगि वसीयत किऩे वाल़े ऩे ऐसी कोई इर्जाज़त न दी हो तो ख़्वाह उसऩे कहा हो
दस
ू ि़े क़ी िाय क़े मत
ु ाबिक वसीयत पि अमल किें औि अगि वह ममल कि वसीयत
पि अमल किऩे पि तैयाि न हों औि ममल कि अमल न किऩे पि कोई उज़्ऱे शिई
हाककम़े शअक का हुक्म न मानें या ममलकि अमल न किऩे का दोनों क़े पास कोई
890
शिई उज़्र हो तो वह उनमें स़े ककसी एक क़ी र्जगह कोई औि वसी मक
ु िक ि कि
सकता है।
कह़े कक उसक़े माल का तीसिा हहस्सा फ़लां शख़्स को हदया र्जाय़े औि िाद में कह़े
अपनी वसीयत में तबदीली कि द़े मसलन पहल़े एक शख़्स को अपऩे िच्चों का
तनगिां मक
ु िक ि कि़े औि िाद में उसक़ी र्जगह ककसी दस
ू ि़े शख़्स को तनगिां मक
ु िक ि
दस
ू िी वसीयत पि अमल ककया र्जाए।
2716. अगि एक शख़्स कोई ऐसा काम कि़े जर्जसस़े पता चल़े कक वह अपनी
वह ककसी को हदया र्जाए उस़े ि़ेच द़े या – पहली वसीयत को प़ेश़े नज़ि िखत़े हुए
– ककसी दस
ू ि़े शख़्स को उस़े ि़ेचऩे क़े मलए वक़ील मक
ु िक ि कि द़े तो वसीयत
891
2718. अगि कोई शख़्स अपऩे मिज़ क़ी हालत में जर्जस मिज़ स़े वह मि िहा
है अपऩे माल क़ी कुछ ममक़्दाि ककसी शख़्स को िख़्श द़े औि वसीयत कि़े कक
मिऩे क़े िाद माल क़ी कुछ ममक़्दाि ककसी औि शख़्स को भी दी र्जाए तो अगि
उसक़े माल का तीसिा हहस्सा दोनों माल क़े मलए काफ़़ी न हो औि विसा उस
ज़्यादा ममक़्दाि क़ी इर्जाज़त द़े ऩे पि तैयाि न हों तो ज़रूिी है कक पहल़े र्जो माल
उसऩे िख़्शा है वह तीसि़े हहस्स़े स़े द़े दें औि उसक़े िाद र्जो माल िाक़ी िच़े वह
वसीयत क़े मत
ु ाबिक खचक किें ।
2719. अगि कोई शख़्स वसीयत कि़े कक उसक़े माल का तीसिा हहस्सा न ि़ेचा
मत
ु ाबिक अमल किना ज़रूिी है।
2720. अगि कोई शख़्स ऐस़े मिज़ क़ी हालत में जर्जस मिज़ स़े वह मि र्जाए
इकिाि नाकफ़ज़ है औि कज़ाक उसक़े अस्ल माल स़े अदा किना ज़रूिी है।
2721. जर्जस शख़्स क़े मलए इंसान वसीयत कि़े कक कोई चीज़ उस़े दी र्जाए यह
892
इंसान वसीयत कि़े कक र्जो िच्चा फ़लां औित क़े प़ेट स़े पैदा होगा उस िच्च़े को
फ़लां चीज़ दी र्जाए ल़ेककन अगि वह िच्चा वसीयत किऩे वाल़े क़ी मौत क़े िाद
वाल़े क़ी मौत क़े िाद वह (िच्चा) पैदा न हो औि वसीयत एक स़े ज़्यादा मकामसद
ककया र्जाए र्जो वसीयत किऩे वाल़े क़े मक़्सद स़े ज़्यादा किीि हो वनाक विसा खुद
उस़े आपस में तक़्सीम कि सकत़े हैं। ल़ेककन अगि वसीयत कि़े कक मिऩे क़े िाद
उसक़े माल में स़े कोई चीज़ ककसी शख़्स का माल होगी तो अगि वह शख़्स
वसीयत किऩे वाल़े क़ी मौत क़े वक़्त मौर्जूद हो तो वसीयत सहीह है वनाक िाततल
है । औि जर्जस चीज़ क़ी उस शख़्स क़े मलए वसीयत क़ी गई हो (वसीयत िाततल
होऩे क़ी सिू त में ) विसा उस़े आपस में तक़्सीम कि सकत़े हैं।
2722. अगि इंसान को पता चल़े कक ककसी ऩे उस़े वसी िनाया है तो अगि वह
वसीयत किऩे वाल़े को इवत्तला द़े द़े कक उसक़ी वसीयत पि अमल किऩे पि
अमल कि़े ल़ेककन अगि वसीयत कुतनंदा क़े मिऩे स़े पहल़े इंसान को यह पता न
चल़े कक उसऩे उस़े वसी िनाया है या पता चल र्जाए ल़ेककन उस़े यह इवत्तलाअ न
वसीयत पि अमल किऩे पि आमादा नहीं है तो अगि वसीयत पि अमल किऩे में
893
कोई ज़हमत न हो तो ज़रूिी है कक उसक़ी वसीयत पि अमल दि आमद कि़े नीज़
अगि मस
ू ी क़े मिऩे स़े पहल़े वसी ककसी वक़्त उस अम्र क़ी र्जातनि मत
ु वज्र्जह हो
कक मिज़ क़ी मशद्दत क़ी वर्जह स़े या ककसी औि उज़्र क़ी बिना पि मस
ू ी ककसी
दस
ू ि़े शख़्स को वसीयत नहीं कि सकता तो एहततयात क़ी बिना पि ज़रूिी है कक
कामों स़े ककनािाकश हो र्जाए ल़ेककन अगि उस़े इल्म हो कक मिऩे वाल़े का यह
मक़्सद नहीं था कक खुद वसी ही उन कामों को अंर्जाम द़े ऩे में शिीक हो िजल्क
2724. अगि कोई शख़्स दो अफ़िाद को एकट्ठ़े वसी िनाए तो अगि उन दोनों
में स़े एक मि र्जाए या दीवाना या काकफ़ि हो र्जाए तो हाककम़े शअक उसक़ी र्जगह
एक औि शख़्स को वसी मक
ु िक ि कि़े गा। औि अगि दोनों मि र्जायें या काकफ़ि या
मअ
ु य्यन किना लाजज़म नहीं।
894
2725. अगि वसी तन्हा ख़्वाह वक़ील मक
ु िक ि कि क़े या दस
ू ि़े को उर्जित द़े कि
मत
ु वफ़्फ़़ी क़े काम अंर्जाम न द़े सक़े तो हाककम़े शअक उसक़ी मदद क़े मलय़े एक
औि शख़्स मक
ु िक ि कि़े गा।
2726. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े माल क़ी कुछ ममक़्दाि वसी क़े हाथ स़े तलफ़ हो
र्जाए तो अगि वसी ऩे उसक़ी तनगहदाश्त में कोताही या तअद्दी क़ी हो मसलन
अगि मत
ु वफ़्फ़़ी ऩे उस़े वसीयत क़ी हो कक माल क़ी इतनी ममक़्दाि फ़लां शहि क़े
जज़म्म़ेदाि नहीं है ।
शख़्स (यानी वसी) मि र्जाए तो किि फ़लां शख़्स वसी होगा तो र्जि पहला वसी
मि र्जाए तो दस
ू ि़े वसी क़े मलए मत
ु वफ़्फ़़ी क़े काम अंर्जाम द़े ना ज़रूिी है ।
मसलन खम्
ु स ज़कात औि मज़ामलम जर्जन का अदा किना वाजर्जि हो उन्हें
मत
ु ावफ़्फ़़ी क़े अस्ल माल स़े अदा किना ज़रूिी है ख़्वाह मत
ु वफ़्फ़़ी ऩे उनक़े मलए
2729. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी का कज़े स़े औि वाजर्जि हर्ज स़े औि उन शिई वाजर्जिात
स़े र्जो उस पि वाजर्जि हों मसलन खुम्स औि ज़कात औि मज़ामलम स़े ज़्यादा हो
895
तो अगि उसऩे वसीयत क़ी हो कक उसक़े माल का तीसिा हहस्सा या तीसि़े हहस्स़े
किना ज़रूिी है औि अगि वसीयत न क़ी हो तो र्जो कुछ िच़े वह विसा का माल
है ।
हहस्स़े स़े ज़्यादा हो तो माल क़े तीसि़े हहस्स़े स़े ज़्यादा क़े िाि़े में उस क़ी
वसीयत उस सिू त में सहीह है सि विसा कोई ऐसी िात या ऐसा काम किें जर्जसस़े
मअलम
ू हो कक उन्होंऩे वसीयत क़े मत
ु ाबिक अमल किऩे क़ी इर्जाज़त द़े दी है औि
िाद भी इर्जाज़त दें तो सहीह है औि अगि िाज़ विसा इर्जाज़त द़े दें औि िाज़
तीसि़े हहस्स़े स़े ज़्यादा लागत आती हो औि उस क़े मिऩे स़े पहल़े विसा उस
मसिफ़ क़ी इर्जाज़त द़े दें (यअनी यह इर्जाज़त द़े दें कक उनक़े हहस्स़े स़े वसीयत
को मक
ु म्मल ककया र्जा सकता है ) तो उसक़े मिऩे क़े िाद वह अपनी दी हुई
896
2732. अगि मिऩे वाला वसीयत कि़े कक उसक़े माल क़े तीसि़े हहस्स़े स़े खुम्स
औि ज़कात या कोई औि कज़ाक र्जो उसक़े जज़म्म़े हो हदया र्जाए औि उसक़ी कज़ा
उसका कज़ाक माल क़े तीसि़े हहस्स़े स़े हदया र्जाए औि अगि कुछ िच र्जाए तो
अगि उसक़े माल का तीसिा हहस्सा मसफ़क उसक़े कज़े क़े ििािि हो औि विसा भी
ततहाई माल स़े ज़्यादा खचक किऩे क़ी इर्जाज़त न दें तो नमाज़, िोज़ों औि मस्
ु तहि
2733. अगि कोई शख़्स वसीयत कि़े कक उसका कज़ाक अदा ककया र्जाए औि
माल क़े तीसि़े हहस्स़े स़े दी र्जायें तो ज़रूिी है कक उसका कज़ाक अस्ल माल स़े हदया
र्जाए औि किि र्जो कुछ िच र्जाए उसका तीसिा हहस्सा नमाज़, िोज़ों (र्जैसी
इिादात) औि उन मस्
ु तहि कामों क़े मसिफ़ में लाया र्जाए र्जो उसऩे मअ
ु य्यन
ककय़े हैं औि उस सिू त में र्जिकक तीसिा हहस्सा (उन कामों क़े मलए) काफ़़ी न हो
अगि विसा इर्जाज़त दें तो उसक़ी वसीयत पि अमल किना चाहहय़े औि अगि वह
897
इर्जाज़त न दें तो नमाज़ औि िोज़ों क़ी कज़ा क़ी उर्जित माल क़े तीसि़े हहस्स़े स़े
द़े नी चाहहए औि अगि उसमें स़े कुछ िच र्जाए तो वसीयत किऩे वाल़े ऩे र्जो
मस्
ु तहि काम मअ
ु य्यन ककया हो उस पि खचक किना चाहहए।
2734. अगि कोई शख़्स कह़े कक मिऩे वाल़े ऩे वसीयत क़ी थी कक इतनी िकम
मझ
ु ़े दी र्जाए तो अगि दो आहदल मदक उसक़े कौल क़ी तस्दीक कि दें या वह
कसम खाए औि एक आहदल शख़्स उसक़े कौल क़ी तस्दीक कि द़े या एक आहदल
मदक औि दो आहदल औितें या किि चाि आहदल औितें उसक़े कौल क़ी गवाही दें
तो जर्जतनी ममक़्दाि वह िताए उस़े द़े द़े नी ज़रूिी है औि अगि एक आहदल औित
हहस्सा उस़े हदया र्जाए औि अगि दो आहदल औितें गवाही दें तो उसका तनस्फ़
हदया र्जाए औि अगि तीन आहदल औितें गवाही दें तो उसका तीन चौथाई हदया
र्जाए नीज़ अगि दो ककतािी काकफ़ि मदक अपऩे मज़हि में आहदल हों उसक़े कौल
क़ी तस्दीक किें तो उस सिू त में र्जिकक मिऩे वाला वसीयत किऩे पि मर्जििू हो
वह शख़्स मत
ु वफ़्फ़़ी क़े माल स़े जर्जस चीज़ का मत
ु ालिा कि िहा हो वह उस़े द़े
898
मक
ु िक ि ककया था तो उसका कौल उस सिू त में किल
ू किना चाहहए र्जिकक दो
2736. अगि मिऩे वाला वसीयत कि़े कक उसक़े माल क़ी इतनी ममक़्दाि फ़लां
कि सकत़े हैं ल़ेककन यह हुक्म उस सिू त में है कक वसीयत किऩे वाला अपनी
म़ीिास के अह्काम
1. पहला गिु ोह मत
ु वफ़्फ़़ी का िाप, मां औि औलाद हैं। औि औलाद क़े न होऩे
क़ी सिू त में औलाद क़ी औलाद है । र्जहां तक यह मसलमसला नीच़े चला र्जाए। उन
2. दस
ू िा गुिोह – दादा, दादी, नाना, नानी, िहन औि भाई हैं। औि भाई औि
िहन न होऩे क़ी सिू त में उनक़ी औलाद हैं। उनमें स़े र्जो कोई मत
ु वफ़्फ़़ी स़े ज़्यादा
899
किीि हो वह तकाक पाता है। औि र्जि तक उस गुिोह में स़े एक शख़्स भी मौर्जूद
मत
ु वफ़्फ़़ी क़े चचाओं, िुकियों औि खालाओं में स़े एक शख़्स भी जज़न्दा हो उनक़ी
क़ी तिफ़ स़े चचाज़ाद भाई मौर्जूद हो तो तकाक िाप औि मां क़ी तिफ़ स़े चचाज़ाद
चचाज़ाद भाई मत
ु अद्हदद हों या मत
ु वफ़्फ़़ी क़ी िीवी जज़न्दा हो – तो यह हुक्म
औलाद न हो तो उसक़े िाप औि मां क़े चचा, िुि़ी, मामंू औि खाला तकाक पात़े
हैं। औि अगि वह न हों तो उनक़ी औलाद तकाक पाती हैं औि अगि वह भी न हों
तो मत
ु वफ़्फ़़ी क़े दादा, दादी औि नाना, नानी क़े चचा, िुि़ी, मामंू औि खाला
तकाक पात़े हैं औि अगि वह भी न हों तो उनक़ी औलाद तकाक पाती है।
2739. िीवी औि शौहि र्जैसा कक िाद में तफ़्सील स़े िताया र्जाय़ेगा एक दस
ू ि़े
900
पहले गुिोह की म़ीिास
तमाम माल उस़े ममलता है औि अगि ि़ेट़े औि ि़ेहटयां वारिस हों तो माल को यंू
2741. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत उसका िाप औि उसक़ी मां हो तो माल
क़े तीन हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जनमें स़े दो हहस्स़े िाप औि एक हहस्सा मां को
मत
ु वफ़्फ़़ी क़े िाप औि मां क़े होत़े हुए तकाक नहीं पात़े ल़ेककन उनक़े होऩे क़ी वर्जह
स़े मां को माल का छठा हहस्सा ममलता है औि िाक़ी माल िाप को ममलता है।
2742. र्जि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत उसका िाप, मां औि एक ि़ेटी हो
मलहाज़ा अगि उसक़े गुज़श्ता मस ्अल़े में ियान कदाक शिाइत िखऩे वाल़े दो पदिी
भाई या चाि पदिी िहनें या एक पदिी भाई औि दो पदिी िहनें न हों तो माल क़े
पांच हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं। िाप औि मां उनमें स़े एक एक हहस्सा ल़ेत़े हैं औि ि़ेटी
पदिी भाई या चाि पदिी िहनें या एक पदिी भाई औि दो पदिी िहनें भी हों तो
901
एक कौल क़े मत
ु ाबिक माल क़े – साबिका तितीि क़े मत
ु ाबिक – पांच हहस्स़े ककय़े
िीच) मशहूि यह है कक इस सिू त में माल छः हहस्सों में तक़्सीम होगा। उस में स़े
हहस्सा िाक़ी िच़ेगा उसक़े किि चाि हहस्स़े ककय़े र्जायेंग़े जर्जस में स़े एक हहस्सा
क़े 24 हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जनमें स़े 15 हहस्स़े ि़ेटी को, 5 हहस्स़े िाप को औि 4
हहस्स़े मां को ममलत़े हैं। चंकू क यह हुक्म इश्काल स़े खाली नहीं इस मलए मां क़े
हहस्स़े में 1/5 औि 1/6 में र्जो फ़कक है उसमें एहततयात को तकक न ककया र्जाए।
2743. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत उसका िाप, मां औि एक ि़ेटा हो तो
माल क़े छः हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जन में स़े िाप औि मां को एक एक हहस्सा औि
2744. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत िाप या मां औि एक या कई ि़ेट़े हों
तो माल क़े छ हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जनमें स़े एक हहस्सा िाप या मां को औि
902
पांच हहस्स़े ि़ेट़े को ममलत़े हैं औि अगि कई ि़ेट़े हों तो उन पांच हहस्सों को आपस
में मस
ु ावी तौि पि तक़्सीम कि ल़ेत़े हैं।
हों तो माल क़े छः हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जनमें स़े एक हहस्सा िाप या मां को
ममलता है औि िाक़ी हहस्सों में यंू तक़्सीम ककया र्जाता है कक हि ि़ेट़े को ि़ेटी स़े
दग
ु ना ममल़े।
2746. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत िाप या मां औि एक ि़ेटी हो तो माल
क़े चाि हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जनमें स़े एक हहस्सा िाप या मां को औि िाक़ी तीन
2747. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत िाप या मां औि चन्द ि़ेहटयां हों तो
माल क़े पांच हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं उनमें स़े एक हहस्सा िाप या मां को ममलता है
2748. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़ी औलाद न हो तो उसक़े ि़ेट़े क़ी औलाद – ख़्वाह वह
ि़ेटी ही क्यों न हो – मत
ु वफ़्फ़़ी क़े ि़ेट़े का हहस्सा पाती है औि ि़ेटी क़ी औलाद –
अगि मत
ु वफ़्फ़़ी का एक नवासा (ि़ेटी का ि़ेटा) औि एक पोती (ि़ेट़े क़ी ि़ेटी) हो
तो माल क़े तीन हहस्स़े ककय़े र्जायेंग़े जर्जन में स़े एक हहस्सा नवास़े को औि दो
903
दस
़ू िे गुिोह की म़ीिास
मत
ु वफ़्फ़़ी का दादा, दादी, नाना, नानी, भाई औि िहऩे हैं औि अगि उसक़े भाई
2750. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी का वारिस फ़कत एक भाई या एक िहन हो तो सािा
उन में ििािि ििािि तक़्सीम हो र्जाता है औि अगि सग़े भाई भी हों औि िहनें
दो सग़े भाई औि एक सगी िहन हो तो माल क़े पांच हहस्स़े ककय़े र्जायेंग़े जर्जन में
2751. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े सग़े भाई िहन मौर्जद
ू हों तो पदिी भाई औि िहनें
माल उसको ममलता है । औि अगि उसक़े कई पदिी भाई या कई पदिी िहनें हों तो
है ।
904
2752. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी का वारिस फ़कत एक मादिी िहन या भाई हो र्जो िाप
है औि अगि चन्द मादिी भाई हों या चन्द मादिी िहनें हों या चन्दा मादिी भाई
2753. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े सग़े भाई िहनें औि पदिी भाई िहनें औि एक मादिी
भाई या एक मादिी िहन हो तो पदिी भाई िहनों को तकाक नहीं ममलता औि माल
क़े छः हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जनमें स़े एक हहस्सा मादिी भाई या मादिी िहन को
ममलता है औि िाक़ी हहस्स़े सग़े भाई िहनों को ममलत़े हैं औि हि भाई दो िहनों
2754. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े सग़े भाई िहनें औि पदिी भाई िहनें औि चन्द
मादिी भाई िहनें हों तो पदिी भाई िहनों को तकाक नहीं ममलता औि माल क़े तीन
हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जन में स़े एक हहस्सा मादिी भाई िहनें आपस में ििािि
ििािि तक़्सीम कित़े हैं औि िाक़ी दो हहस्स़े सग़े भाई िहनों को इस तिह हदय़े
2755. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस मसफ़क पदिी भाई िहनें औि एक मादिी भाई
या एक मादिी िहन हों तो माल क़े छः हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं। उन में स़े एक हहस्सा
मादिी भाई या मादिी िहन को ममलता है औि िाक़ी हहस्स़े पदिी िहन भाइयों में
905
2756. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत पदिी भाई िहनें औि चन्द मादिी भाई
िहनें हों तो माल क़े तीन हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं। उनमें स़े एक हहस्सा मादिी भाई
िहनें आपस में ििािि ििािि तक़्सीम कि ल़ेत़े हैं औि िाक़ी दो हहस्स़े पदिी िहन
2757. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत उसक़े भाई िहनें औि िीवी हों तो िीवी
अपना तकाक उस तफ़्सील क़े साथ ल़ेगी र्जो िाद में ियान क़ी र्जाय़ेगी औि भाई
अगि कोई औित मि र्जाए औि उसक़े वारिस फ़कत उसक़े भाई िहनें औि शौहि
हों तो तनस्फ़ माल शौहि को ममल़ेगा औि िहनें औि भाई उस तिीक़े स़े तकाक
पायेंग़े जर्जसका जज़क्र गुज़श्ता मसाइल में ककया गया है ल़ेककन िीवी या शौहि क़े
तकाक पाऩे क़ी वर्जह स़े मादिी भाई िहनों क़े हहस्स़े में कोई कमी नहीं होगी ताहम
सग़े भाई िहनों या पदिी भाई िहनों क़े हहस्स़े में कमी होगी मसलन अगि ककसी
मत
ु वजफ़्फ़या क वारिस उस का शौहि औि मादिी िहन भाई औि सग़े िहन भाई
हों तो तनस्फ़ माल शौहि को ममल़ेगा औि अस्ल माल क़े तीन हहस्सों में स़े एक
हहस्सा मादिी िहन भाइयों को ममल़ेगा औि र्जो कुछ िच़े वह सग़े िहन भाइयों का
ममल़ेगा।
906
2758. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े भाई िहनें न हों तो उनक़े तके का हहस्सा उनक़ी
(यअनी भाई िहनों क़ी) औलाद को ममल़ेगा औि मादिी भाई िहनों क़ी औलाद का
हहस्सा उन क़े मािैन ििािि तक़्सीम होता है औि र्जो हहस्सा पदिी भाई िहनों क़ी
औलाद या सग़े भाई िहनों क़ी औलाद को ममलता है उसक़े िाि़े में मशहूि है कक
हि लड़का दो लड़ककयों क़े ििािि हहस्सा पाता है ल़ेककन कुछ िईद नहीं है कक
मस
ु ालहत क़ी र्जातनि रुर्जउ
ू किें ।
2759. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी का वारिस फ़कत दादा या फ़कत दादी या फ़कत नाना
दादा औि दादी हों तो माल क़े तीन हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जन में स़े दो हहस्स़े दादा
2760. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस एक दादा या दादी औि एक नाना या नानी
हों तो माल क़े तीन हहस्स़े ककय़े र्जायेंग़े जर्जन में स़े दो हहस्स़े दादा या दादी को
907
2761. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस दादा औि दादी औि नाना औि नानी हों तो
माल क़े तीन हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जन में स़े एक हहस्सा नाना औि नानी आपस
में ििािि ििािि तक़्सीम कि ल़ेत़े हैं औि िाक़ी दो हहस्स़े दादा औि दादी को
2762. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत उसक़ी िीवी औि दादा, दादी औि
म़े ियान होगी औि अस्ल माल क़े तीन हहस्सों में स़े एक हहस्सा नाना औि नानी
मांदा (यअनी िीवी औि नाना, नानी क़े िाद र्जो कुछ िच़े) दादा औि दादी को
मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस उसका शौहि औि दादा या नाना औि दादी या नानी हों तो
शौहि को तनस्फ़ माल ममलता है औि दादा, नाना औि दादी, नानी उन अह्काम क़े
मत
ु ाबिक तकाक पात़े हैं जर्जनका जज़क्र गज़
ु श्ता मसाइल में हो चक
ु ा है ।
2763. भाई, िहन, भाईयों, िहनों क़े साथ दादा, दादी या नाना, नानी औि
दादाओं, दाहदयों या नानाओं नातनयों क़े इजज्तमाअ क़ी चन्द सिू तें हैं –
1. नाना या नानी औि भाई या िहन सि मां क़ी तिफ़ स़े हों। उस सिू त में
औि मव
ु न्नस क़ी हैमसयत स़े मख़्
ु तमलफ़ हों।
908
2. दादा या दादी क़े साथ भाई या िहन िाप क़ी तिफ़ स़े हों। उस सिू त में भी
औि सि औितें हों औि अगि मदक औि औितें हों तो किि वह मदक हि औित क़े
मक
ु ाबिल़े में दग
ु ना हहस्सा ल़ेता है ।
3. दादा या दादी क़े साथ भाई या िहन मां औि िाप क़ी तिफ़ स़े हों उस सिू त
मत
ु वफ़्फ़़ी क़े पदिी भाई या िहन, सग़े भाई या िहन क़े साथ र्जम ्अ हो र्जायें तो
तन्हा पदिी भाई या िहन मीिास नहीं पात़े (िजल्क सभी पात़े हैं)।
4. दाद़े , दाहदयां औि नाऩे नातनयां हों ख़्वाह वह सि क़े सि मदक हों या औितें
या मख़्
ु तमलफ़ हों या इसी तिह सग़े भाई औि िहनें हों उस सिू त में र्जो मादिी
रिश्त़ेदाि भाई, िहन औि नाऩे नातनयां हों तके में उन का एक ततहाई हहस्सा है
औि उन क़े दिममयान ििािि तक़्सीम हो र्जाता है। ख़्वाह वह मदक औि औित क़ी
है मसयत स़े एक दस
ू ि़े स़े मख़्
ु तमलफ़ हों औि उन में स़े र्जो पदिी रिश्त़ेदाि हों उनका
5. दादा, दादी या मां क़ी तिफ़ स़े भाई, िहन क़े साथ र्जमअ हो र्जायें उस सिू त
में अगि िहन या भाई बिलफ़ज़क एक हो तो उस़े माल का छठा हहस्सा ममलता है
909
औि अगि कई हों तो तीसिा हहस्सा उन क़े दिममयान ििािि ििािि तक़्सीम हो
र्जाता है औि र्जो िाक़ी िच़े वह दादा या दादी का माल है औि अगि दादा या दादी
6. नाना या नानी िाप क़ी तिफ़ स़े भाई क़े साथ र्जमा हो र्जायें। उस सिू त में
अगि कई िहनें हों तो दो ततहाई ल़ेती हैं औि हि सिू त में नाना या नानी का
है ।
7. दादा या दाहदयां हों औि कुछ नाना नातनयां हों औि उन क़े साथ पदिी भाई
मख़्
ु तमलफ़ न हों तो ििािि में तक़्सीम हो र्जाता है । औि अगि उन दादों, नानों या
910
दाहदयों, नातनयों क़े साथ मादिी भाई या िहन हों तो नाना या नानी का हहस्सा
मादिी भाई या िहन क़े साथ एक ततहाई है र्जो उन क़े दिममयान ििािि ििािि
हों औि दादा या दादी का हहस्सा दो ततहाई हैं र्जो उन क़े मािैन इजख़्तलाफ़ क़ी
सिू त में (यअनी िहैमसयत मदक औि औित इखततलाफ़ क़ी सिू त में ) फ़कक क़े साथ
8. भाई औि िहनें हों जर्जन में स़े कुछ पदिी औि कुछ मादिी हों औि उन क़े
साथ दादा या दादी हों उस सिू त में अगि मादिी भाई या िहन एक हो तो तके में
उसका छठा हहस्सा है औि अगि एक स़े ज़्यादा हों तो तीसिा हहस्सा है र्जो उन क़े
मािैन ििािि ििािि तक़्सीम हो र्जाता है औि िाक़ी तकाक पदिी भाई या िहन औि
सिू त में फ़कक स़े तक़्सीम होता है औि अगि उन भाईयों या िहनों क़े साथ नाना
मदक औि औित इजख़्तलाफ़ क़ी सिू त में फ़कक स़े औि इखततलाफ़न होऩे क़ी सिू त में
911
2764. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े भाई या िहनें हों तो भाईयों या िहनों क़ी औलाद को
मीिास नहीं ममलती ल़ेककन अगि भाई क़ी औलाद औि िहन क़ी औलाद का मीिास
2765. मीिास पाऩे वालों क़े तीसि़े गुिोह में चचा, िुि़ी, मामंू औि खाला औि
2766. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी का वारिस फ़कत एक चचा या एक िुि़ी हो तो ख़्वाह
वह सगा हो यअनी वह औि मत
ु वफ़्फ़़ी एक मां िाप क़ी औलाद हों या पदिी हों या
मादिी हो सािा माल उस़े ममलता है औि अगि चन्दा चचा या चन्द िुकियां हों
होगा। औि अगि चचा औि िुकियां दोनों हों औि सि सग़े हों या सि पदिी हों तो
912
बिनािि़े अक़्वा चचा को िुकियों स़े दग
ु ना हहस्सा ममलता है। मसलन अगि दो
चचा औि एक िुि़ी मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस हों तो माल पांच हहस्सों में तक़्सीम
ककया र्जाता है जर्जस में स़े एक हहस्सा िुि़ी को ममलता है औि िाक़ीमांदा चाि
2767. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस फ़कत कुछ मादिी चचा या कुछ मादिी
िुकियां हों तो मत
ु वफ़्फ़़ी का माल उन क़े मािैन मस
ु ावी तौि पि तक़्सीम होगा
औि अगि वारिस मादिी चचा औि मादिी िुि़ी हो तो चचा को िुि़ी स़े दो गुना
2768. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस चचा औि िुकियां हों औि उन में स़े कुछ
पदिी औि कुछ मादिी औि कुछ सग़े हों औि पदिी चचाओं औि िुकियों को तकाक
मादिी िुि़ी हो तो माल क़े छः हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जन में स़े एक हहस्सा मादिी
ममलत़े हैं औि बिल फ़ज़क अगि सग़े चचा औि िुकियां न हों तो वह हहस्स़े पदिी
मादिी िुकियां भी हों तो माल क़े तीन हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं जर्जन में स़े दो हहस्स़े
सग़े चचाओं औि िुकियों को ममलत़े हैं औि बिल फ़ज़क अगि सग़े चचा औि
913
िुकियां न हों तो पदिी चचा औि पदिी िुि़ी को तकाक ममलता है औि एक हहस्सा
मादिी िुि़ी का हहस्सा उन क़े मािैन ििािि ििािि तक़्सीम होगा ल़ेककन िईद
2769. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी का वारिस फ़कत एक मामंू या एक खाला हो तो सािा
चाहहए।
2770. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी का वारिस फ़कत एक या चन्द मादिी मामंू या खलायें
औि सग़े मामंू औि खलायें हों औि पदिी मामंू औि खलायें हों तो पदिी मामओ
ु ं
को खाला स़े दग
ु ना हहस्सा ममल़े। ल़ेककन एहततयातन िाहम रिज़ामन्दी स़े मआ
ु मला
किना चाहहए।
2771. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस एक या चन्द मामंू या एक या चन्द खालायें
औि िुि़ी हों तो माल तीन हहस्सों में तक़्सीम ककया र्जाता है । उन में स़े एक
914
हहस्सा मामंू या खाला को या दोनों को ममलता है औि िाक़ी दो हहस्स़े चचा या
2772. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस एक मामंू या एक खाला औि चचा औि िुि़ी
हों तो अगि चचा औि िुि़ी सग़े हों या पदिी हों तो माल क़े तीन हहस्स़े ककय़े
र्जाता हैं उन में स़े एक हहस्सा मामंू या खाला को ममलता है, औि अक़्वा क़ी बिना
पि िाक़ी में स़े दो हहस्स़े चचा को औि एक हहस्सा िुि़ी को ममलता है, मलहाज़ा
माल क़े नौ हहस्स़े होंग़े जर्जन में स़े तीन हहस्स़े मामंू या खाला को औि चाि हहस्स़े
2773. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस एक मामंू या एक खाला औि एक मादिी चचा
हहस्सों में तक़्सीम ककया र्जाता है जर्जन में स़े एक हहस्सा मामंू या खाला को हदया
र्जाता है। औि िाक़ी दो हहस्सों को चचा औि िुि़ी आपस में तक़्सीम किें ग़े औि
िखना ि़ेहति है ।
2774. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस चन्द मामंू या चन्द खालायें हों र्जो सग़े या
पदिी या मादिी हों औि उसक़े चचा औि िुकियां भी हों तो माल क़े तीन हहस्स़े
915
चचाओं औि िुकियों क़े मािैन तक़्सीम हो र्जात़े हैं औि िाक़ी एक हहस्सा मामंू
2775. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस मादिी मामंू या चन्द खालायें औि चन्द सग़े
मामंू औि खालायें हों या फ़कत पदिी मामंू औि खालायें औि चचा व िुि़ी हों तो
माल क़े तीन हहस्स़े ककय़े र्जात़े हैं। उन में स़े दो हहस्स़े, उस दस्तिू क़े मत
ु ाबिक
र्जो ियान हो चक
ु ा है चचा औि िुि़ी आपस में तक़्सीम किें ग़े औि िईद नहीं कक
िाक़ी मांदा तीसि़े हहस्स़े क़ी तक़्सीम में िाक़ी विसा क़े हहस्स़े ििािि हों।
2776. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े चचा औि िुकियां औि मामंू औि खालायें न हों तो
माल क़ी र्जो ममक़्दाि चचाओं औि िुकियों को ममलना चाहहए वह उन क़ी औलाद
को दी र्जाती है।
2777. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़े वारिस उस क़े िाप क़े चचा, िुकियां, मामंू औि
खालायें औि उस क़ी मां क़े चचा, िुकियां, मामंू औि खालायें हों तो माल क़े तीन
क दिममयान ििािि ििािि तक़्सीम कि हदया र्जाय़ेगा ल़ेककन एहततयात क़े तौि
पि मस
ु ालहत का ख़्याल िखना चाहहए। औि िाक़ी दो हहस्सों क़े तीन हहस्स़े ककय़े
916
नजन्हयाली रिश्त़ेदाि) उसक़ी कैकफ़यत क़े मत
ु ाबिक आपस में ििािि ििािि िांट
2778. अगि कोई औित ि़े औलाद मि र्जाए तो उसक़े साि़े माल का तनस्फ़
औित क़ी पहल़े शौहि स़े या ककसी औि शौहि स़े औलाद हो तो साि़े माल का
अगि उस आदमी क़ी उस िीवी स़े या ककसी औि िीवी स़े औलाद हो तो माल का
िाग, ख़ेत औि दस
ू िी ज़मीनों में स़े औित खुद ज़मीन ितौि़े मीिास हामसल किती
है औि न ही उस क़ी क़ीमत में स़े कोई तकाक पाती है। नीज़ वह र्ि क़ी फ़ज़ां में
कायम चीज़ों मसलन इमाित औि दिख़्तों स़े तकाक नहीं पाती ल़ेककन उन क़ी
क़ीमत क़ी सिू त में तकाक पाती है, औि र्जो दिख़्त, ख़ेत औि इमाितें िाग क़ी
917
2780. जर्जन चीज़ों में स़े औित तकाक नहीं पाती मसलन िहायशी मकान क़ी
ज़मीन अगि उन में तसरुक फ़ किना चाह़े तो ज़रूिी है कक विसा स़े इर्जाज़त ल़े औि
विसा र्जि तक औित का हहस्सा न द़े दें उन क़े मलए र्जायज़ नहीं कक उस क़ी
इर्जाज़त क़े िगैि उन चीज़ों में मसलन इमाितों औि दिख़्तों में तसरुक फ़ किें जर्जन
खस
ु मू सयत को प़ेश़े नज़ि िख़े िगैि उन का हहसाि किें कक उन क़ी ककतनी क़ीमत
है , न कक उन्हें ज़मीन स़े उखड़़े हुए फ़ज़क कि क़े उन क़ी क़ीमत लगायें औि न ही
उन क़ी क़ीमत का हहसाि इस तिह किें कक वह िगैि ककिाए क़े उस ज़मीन में
2783. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी क़ी एक स़े ज़्यादा िीववयां हों ल़ेककन औलाद कोई न हो
तफ़्सील क़े मत
ु ाबिक जर्जस का ियान हो चक
ु ा है सि िीववयों में मस
ु ावी तौि पि
तक़्सीम होता है ख़्वाह शौहि ऩे उन सि क़े साथ या उन में स़े िाज़ क़े साथ
918
हमबिस्तिी न भी क़ी हो। ल़ेककन अगि उस ऩे एक ऐस़े मिज़ क़ी हालत में जर्जस
मिज़ स़े उस क़ी मौत वाक़े हुई है ककसी औित स़े तनकाह ककया हो औि उस़े स़े
भी नहीं िखती है ।
2784. अगि कोई औित मिज़ क़ी हालत में ककसी मदक स़े शादी कि़े औि उसी
मिज़ में मि र्जाए तो ख़्वाह मदक ऩे उसस़े हमबिस्तिी न भी क़ी हो तो वह उस क़े
2785. अगि औित को उस तितीि स़े तलाक़े िर्जई दी र्जाए जर्जस का जज़क्र
शौहि उस स़े तकाक पाता है। इसी तिह अगि शौहि उस इद्दत क़े दौिान फ़ौत हो
पाता।
2786. अगि शौहि मिज़ क़ी हालत में अपनी िीवी को तलाक द़े द़े औि िािह
919
1. औित ऩे उस मद्
ु दत में दस
ू िा शौहि न ककया हो औि अगि दस
ू िा शौहि
(यअनी मत
ु वफ़्फ़़ी क़े विसा औित स़े मस
ु ालहत कि लें)।
2. तलाक औित क़ी मिज़ी औि दख़्वाकस्त पि न हुई हो वनाक उस़े मीिास नहीं
ममल़ेगी ख़्वाह तलाक हामसल किऩे क़े मलए उस ऩे अपऩे शौहि को कोई चीज़ दी
हो या न दी हो।
3. शौहि ऩे जर्जस मिज़ में औित को तलाक दी हो उस मिज़ क़े दौिान उस
मिज़ क़ी वर्जह स़े या ककसी औि वर्जह स़े मि गया हो। मलहाज़ा अगि वह उस
मिज़ स़े मशफ़ायाि हो र्जाए औि ककसी वर्जह स़े मि र्जाए तो औित उस स़े मीिास
नहीं पाती।
2787. र्जो कपड़़े मदक ऩे अपनी िीवी को पहनऩे क़े मलए फ़िाहम ककय़े हों
म़ीिास के मख़्
ु तललफ़ मसाइल
2788. मत
ु वफ़्फ़़ी का कुिआऩे मर्जीद, अंगूठ , तलवाि औि र्जो कपड़़े वह पहन
चक
ु ा हो वह िड़़े ि़ेट़े का माल है औि अगि पहली तीन चीज़ों में स़े मत
ु वफ़्फ़़ी ऩे
कोई चीज़ एक स़े ज़्यादा छोड़ी हो मसलन उस ऩे कुिआऩे मर्जीद क़े दो नस्
ु ख़े या
920
दो अंगूहठयां छोड़ी हों तो एहततयात़े वाजर्जि यह है कक उस का िड़ा ि़ेटा उन क़े
िाि़े में दस
ू ि़े विसा को मस
ु ालहत कि़े औि इन चाि चीज़ों क़े साथ ि़े हल, िन्दक
ू ,
खंर्जि औि उन र्जैस़े दस
ू ि़े हचथयािों को भी ममला दें तो वर्जह स़े खाली नहीं ल़ेककन
मस
ु ालहत कि़े ।
स़े दो ि़ेट़े ियकवक़्त पैदा हों तो जर्जन चीज़ों का जज़क्र ककया र्जा चक
ु ा है उन्हें
2790. अगि मत
ु वफ़्फ़़ी मकरूज़ हो तो अगि उसका कज़क उस क़े माल क़े िाििि
कि़े र्जो उस क़ी ममजल्कयत है औि जर्जन का साबिका मस ्अल़े में जज़क्र ककया गया
मीिास में ममला हो अगि वह भी उस का कज़क अदा किऩे क़े मलए काफ़़ी न हो तो
ज़रूिी है कक िड़ा ि़ेटा उन चीज़ों स़े या अपऩे माल स़े उस का कज़क द़े औि अगि
िाक़ी माल कज़क अदा किऩे क़े मलए काफ़़ी हो ति भी एहततयात़े लाजज़म यह है कक
िड़ा ि़ेटा र्जैस़े कक पहल़े िताया गया है कज़क अदा किऩे में मशककत कि़े । मसलन
अगि मत
ु वफ़्फ़़ी का तमाम माल साठ रुपय़े का हो औि उन में स़े िीस रुपय़े क़ी
921
वह चीज़ें हों र्जो िड़़े ि़ेट़े का माल है औि उस पि तीस रुपय़े का कज़क हो तो िड़़े
द़े ।
2791. मस
ु लमान काकफ़ि स़े तकाक पाता है ल़ेककन काकफ़ि ख़्वाह वह मस
ु लमान
मत
ु वफ़्फ़़ी का िाप या ि़ेटा ही क्यों न हो उस स़े तकाक नहीं पाता।
2792. अगि कोई शख़्स अपऩे रिश्त़ेदािों में स़े ककसी को र्जानिझ
ू कि औि
नाहक कत्ल कि द़े तो वह उस स़े तकाक नहीं पाता। ल़ेककन अगि वह शख़्स गलती
मि र्जाए तो वह मिऩे वाल़े स़े तकाक पाय़ेगा ल़ेककन उस क़े कत्ल क़ी हदयत में स़े
र्जो अभी मां क़े प़ेट में हो औि जज़न्दा पैदा हो तो मीिास का हकदाि होगा उस
सिू त में र्जि कक एक स़े ज़्यादा िच्चों क़े पैदा होऩे का एहततमाल न हो औि
हहस्सा अलायहदा कि द़े औि र्जो माल उस स़े ज़्यादा हो वह आपस में तक़्सीम
कि लें। िजल्क अगि अगि एक स़े ज़्यादा िच्च़े होऩे का कवी एहततमाल हो
मसलन औित क़े प़ेट में दो या तीन िच्च़े होऩे का एहततमाल हो उन क़े हहस्स़े
922
अलायहदा किें । मसलन अगि एक लड़क़े या एक लड़क़ी क़ी ववलादत हो तो ज़ायद
923
चन्द फफ़क़्ही इजस्तलाहात
एहततयात़े मस्
ु तहिः- फ़त्व़े क़े अलावा एहततयात है, इस मलए इसका मलहाज़
किता है र्जो अअलम क़े िाद इल्म में सि स़े िढ़ कि हो।
एहततयात तकक नहीं किना चाहहए (एहततयात का ख़्याल िह़े ) – जर्जस मस ्अल़े में
924
इश्काल हैः- इस अमल क़ी वर्जह स़े तक्लीफ़़े शिई साककत न होगी। इस़े अंर्जाम
फ़तवा है।
ईकाअः- वह मआ
ु मला र्जो यकतिफ़ा तौि पि वाक़े हो र्जाता है औि उस़े किल
ू
किऩे वाल़े क़ी ज़रूित नहीं होती र्जैस़े तलाक में मसफ़क तलाक द़े ना ही काफ़़ी होता
है , किल
ू किऩे क़ी ज़रूित नहीं होती।
र्जाहहल़े कामसिः- मस ्अल़े स़े नावाककफ़ ऐसा शख़्स र्जो ककसी दिू उफ़्तादा मकाम
पि िहऩे क़ी वर्जह स़े हुक्म़े मस ्अला तक िसाई हामसल किऩे में कामसि हो।
925
र्जाहहल़े मक
ु जस्सिः- वह नावाककफ़ शख़्स जर्जस क़े मलए मसाइल का सीखना
ककय़े हों।
हदस़े असगिः- हि वह चीज़ जर्जसक़ी वर्जह स़े नमाज़ क़े मलए वज़
ु ू किना पड़़े।
यह सात चीज़ें हैं, 1.प़ेशाि, 2.पाखाना, 3.रियाह, 4.नीन्द, 5.अक़्ल को ज़ायल किऩे
वाली चीज़ें मसलन दीवांगी, मस्ती या ि़ेहोशी, 6.इजस्तहाज़ा, 7.जर्जन चीज़ों क़ी
हदस़े अकििः- वह चीज़ जर्जसक़ी वर्जह स़े नमाज़ क़े मलए गस्
ु ल किना पड़़े र्जैस़े
एहततलाम, जर्जमाअ।
हिामः- हि वह अमल, जर्जस का तकक किना शिीअत क़ी तनगाहों में ज़रूिी हो।
हदिहमः- 12 6/10 चनों क़े ििािि मसक्कादाि चांदी तकिीिन 12.50 ग्राम।
औि इस्लाम क़े इजज्तमाई कवानीन क़ी पािन्दी का वादा किऩे क़ी वर्जह स़े
926
िर्जा ए मत्लि
ू ीयतः- ककसी अमल को मतलि
ू ़े पवकिहदगाि होऩे क़ी उम्मीद में
रुर्जउ
ू किनाः- पलटना। इसका इस्त़ेमाल दो मकामात पि हुआ हैः- 1. अअलम
जर्जस मस ्अल़े में एहततयात़े वाजर्जि का हुक्म द़े औि उस मस ्अल़े में ककसी दस
ू ि़े
मज्
ु तहहद क़ी तक़्लीद किना। 2. िीवी को तलाक़े िर्जई द़े ऩे क़े िाद इद्दत क़े
दौिान ऐसा कोई अमल अंर्जाम द़े ना या ऐसी कोई िात कहना जर्जस स़े इस िात
लकड़ी।
तलाकः- आज़ादी – शिीअत क़े िताए हुए तिीक़े स़े तनकाह तोड़ना।
तलाक़े िाइनः- वह तलाक जर्जस क़े िाद मदक को रुर्जूउ किऩे का हक नहीं होता।
तलाक़े खल
ु अः- उस औित क़ी तलाक र्जो शौहि को नापसन्द किती हो औि
तलाक ल़ेऩे क़े मलए शौहि को अपना महि या कोई माल िख़्श द़े । तफ़्सीलात
तलाक़े िर्ज ्ईः- वह तलाक जर्जस में मदक इद्दत क़े दौिान औित क़ी तिफ़ रुर्जूउ
कि सकता है । इस क़े अह्काम तलाक क़े िाि में ियान हुए हैं।
927
तलाक़े मि
ु ािातः- वह तलाक जर्जस में ममयां िीवी दोनों एक दस
ू ि़े स़े मत
ु नजफ़्फ़ि
हों औि औित तलाक क़े मलए शौहि को कुछ माल िख़्श द़े ।
िािा र्ंट़े का हो तो तल
ु ए
ू आफ़ताि क़े छः र्ंटा गज़
ु िऩे क़े िाद औि अगि त़ेिा र्ंट़े
र्ंट़े गुज़िऩे क़े िाद ज़ौहि़े शिई का वक़्त है । औि ज़ौहि़े शिई का वक़्त र्जो कक
तुलए
ू आफ़ताि क़े िाद आधा हदन गज़
ु िऩे स़े गरू
ु ि़े आफ़ताि तक है िाज़ मवाक़े
पि िािा िर्ज़े स़े चन्द ममनट पहल़े औि कभी िािा िर्ज़े स़े चन्द ममनट िाद होता
है ।
अदालतः- वह मअनवी कैकफ़यत र्जो तक़्वा क़ी वर्जह स़े इंसान में पैदा होती है ।
किता है ।
अक़्दः- मआ
ु हदा ए तनकाह।
928
कुिआन क़े वाजर्जि सज्द़े ः- कुिआन में पन्रह आयतें ऐसी हैं जर्जन क़े पढ़ऩे या
सन
ु ऩे क़े िाद खद
ु ावन्द़े आलम क़ी अज़मत क़े सामऩे सर्जदा किना चाहहय़े। उन में
कुिआन क़े वाजर्जि सज्द़े ः- 1. पािा 21. सिू ा ए सज्दा – आयत 15।
929
4. पािा 30. सिू ा ए अलक – आखिी आयत।
कस्द़े इंशाः- खिीद व फ़िोख़्त क़े मातनन्द ककसी एतिािी चीज़ को उस स़े मित
ूक
कस्द़े कुिकत (कुिकत क़ी नीयत) – मिजज़य़े पवकिहदगाि स़े किीि होऩे का इिादा।
कुव्वत स़े खाली नहीः- फ़तवा यह है । (मसवाय इसक़े कक इिाित में इसक़े िि
इजस्तफ़ादा आयात औि रिवायत स़े इस तिह कि़े कक उस का शाि़े क़ी तिफ़ मंसि
ू
किना मजु म्कन हो तो उसक़ी तअिीि लफ़्ज़़े वाजर्जि स़े क़ी र्जाती है औि अगि उस
क़े वाजर्जि व लाजज़म होऩे को ककसी औि ज़िीए मसलन अकली दलाइल स़े समझा
तअिीि लफ़्ज़़े लाजज़म स़े क़ी र्जाती है। एहततयात़े वाजर्जि औि एहततयात़े लाजज़म
930
मि
ु ाहः- वह अमल र्जो शिीअत क़ी तनगाहों में न काबिल़े सताइश हो औि न
है ।)
नजर्जसः- हि वह चीज़ र्जो ज़ाती तौि पि पाक हो ल़ेककन ककसी नजर्जस चीज़ स़े
बिलवामसता या ििाह़े िास्त ममल र्जाऩे क़ी वर्जह स़े नजर्जस हो गई हो।
मज्हूलल
ु मामलकः- वह माल जर्जस का मामलक मअलम
ू न हो।
महिमः- वह किीिी रिश्त़ेदाि जर्जन स़े कभी तनकाह नहीं ककया र्जा सकता।
मश
ु ककल है (मक
ु जल्लद इस मसअल़े में दस
ू ि़े मज्
ु तहहद क़ी तिफ़ रुर्जूउ कि सकता
महल्ल़े तअम्मल
ु है ः- एहततयात किना चाहहए (मक
ु जल्लद इस मस ्अल़े में दस
ू ि़े
मज्
ु तहहद क़ी तिफ़ रुर्जउ
ू कि सकता है िशते कक उस क़े साथ फ़तवा न हो।)
मस
ु ल्लमात़े दीनः- वह ज़रूिी औि कत ्ई उमिू र्जो दीऩे इस्लाम का र्जज़्
ु वें
कतईयात़े दीन भी कहत़े हैं क्योंकक यह वह उमिू हैं जर्जन का तस्लीम किना दाइिा
931
मस्
ु तहिः- पसन्दीदा – र्जो शाि़े ए मक
ु द्दस को पसन्द हो ल़ेककन उस़े वाजर्जि न
किाि द़े । हि वह हुक्म जर्जस को किऩे में सवाि हो ल़ेककन तकक किऩे में गन
ु ाह न
हो।
तनसािः- मअ
ु य्यना ममक़्दाि या मअ
ु य्यना हद।
वाजर्जिः- हि वह अमल जर्जस का अंर्जाम द़े ना शिीअत क़ी तनगाहों में फ़ज़क हो।
में स़े हि एक को वाजर्जि़े तखईिी कहत़े हैं र्जैस़े िोज़़े क़े कफ़्फ़ाि़े में तीन चीज़ों क़े
तिममयान इजख़्तयाि होता है-- 1. साठ िोज़़े िखना, 2. साठ फ़क़ीिों को खाना
खखलाना, 3. गल
ु ाम आज़ाद किना।
वाजर्जि़े ऐनीः- वह वाजर्जि र्जो हि शख़्स पि खुद वाजर्जि हो र्जैस़े नमाज़, िोज़ा।
वाजर्जि़े ककफ़ाईः- ऐसा वाजर्जि जर्जस़े अगि कुछ लोग अंर्जाम द़े दें तो िाक़ी लोगों
मख़्सस
ू अफ़िाद या उमिू ़े खैिीया क़े साथ मखसस
ू कि द़े ना।
932
शिई औज़ान औि अअशािी औज़ान 5 नखुद (चऩे) – एक ग्राम।
12 6/10 नखद
ु ः- तकिीिन 3.50 ग्राम।
8 नखद
ु (या एक ममस्काल़े शिई) – तकिीिन 3.50 ग्राम।
एक मद
ु ः- तकिीिन 750 ग्राम।
नोटः- मसअला 1365 में पच्चीस गज़ को पच्चीस ज़िाअ (चौदा गज़) पढ़ा
र्जाय़े।
933
[[अलहम्दो मलल्लाह ककताि तौज़ीहुल मसाइल (आयतल्
ु लाह सीसतानी) पिू ी
टाईप हो गई खद
ु ा वंद़े आलम स़े दआ
ु गौ हुं कक हमाि़े इस अमल को कुिल
ु ििमाऐ
औि इमाम हुसन
ै (अ.) िाउनड़ेशन को तिक्क़ी इनायत ििमाए कक जर्जन्होऩे इस
ककताि को अपनी साइट (अलहसनैन इस्लामी नैटवकक) क़े मलऐ टाइप किाया।
934
फेहिीस्त
मक
ु द्द़े मा ................................................................................................ 2
अहकाम़े तकलीद...................................................................................... 6
िैतल
ु खला क़े अहकामः- ......................................................................................................................... 23
इसततििा .................................................................................................................................................. 28
नर्जासात ............................................................................................... 32
4. मद
ु ाकि .................................................................................................................................................... 33
5. खून....................................................................................................................................................... 35
6, 7- कुत्ता औि सव
ु ि ................................................................................................................................. 37
935
8. काकफ़ि .................................................................................................................................................. 37
9. शिाि .................................................................................................................................................... 39
अहकाम़े नर्जासात..................................................................................................................................... 46
मत
ु जह्हिात ............................................................................................ 49
1-पानी ...................................................................................................................................................... 50
2. ज़मीन ................................................................................................................................................... 60
4. इसततहाला ............................................................................................................................................ 64
5. इंककलाि ................................................................................................................................................ 65
6- इंततकाल ............................................................................................................................................... 67
7- इसलाम ................................................................................................................................................. 68
8- तिईय्यत.............................................................................................................................................. 69
11- मस
ु लमान का गायि हो र्जाना ........................................................................................................... 73
12 –मअमल
ू क़े मत
ु ाबिक (ज़िीहा क़े) खन
ू का िह र्जाना ....................................................................... 75
इिादात ................................................................................................ 78
वज़
ु ू...................................................................................................... 78
इिततमासी वज़
ु ू ......................................................................................................................................... 84
936
दआ
ु यें जर्जनका वज़
ु ू कित़े वक़्त पढ़ना ज़रूिी है ...................................................................................... 84
वज़
ु ू सहीह होऩे क़ी शिायत ..................................................................................................................... 86
वज़
ु ू क़े अहकाम ....................................................................................................................................... 98
वाजर्जि गस्
ु ल ....................................................................................... 112
वह चीज़ें र्जो मजु ज्नि क़े मलय़े मकरूह हैं .............................................................................................. 116
गस्
ु ल़े र्जनाित......................................................................................................................................... 117
तितीिी गस्
ु ल ......................................................................................................................................... 118
इिततमासी गस्
ु ल..................................................................................................................................... 119
गस्
ु ल क़े अहकाम ................................................................................................................................... 121
4. मज़्
ु तरििः ............................................................................................................................................ 164
937
5. मबु तहदअः ........................................................................................................................................... 165
6. नामसयः............................................................................................................................................... 167
है ज़ क़े मत
ु फ़रिकक मसाइल ..................................................................................................................... 169
गस्
ु ल़े मस़े मैतयत ................................................................................. 177
मह्
ु तज़ि क़े अहकाम............................................................................. 179
गस्
ु ल, कफ़न, नमाज़ औि दफ़्न का वर्ज
ु ूि............................................................................................... 182
गस्
ु ल़े मैतयत क़ी कैफ़़ीयत ...................................................................................................................... 185
हनत
ू क़े अहकाम ................................................................................................................................... 194
वो सिू तें ऐसी हैं जर्जनमें कब्र का खोदना हिाम नहीं है ः ........................................................................ 214
मस्
ु तहि गस्
ु ल ........................................................................................................................................ 216
तयम्मम
ु ............................................................................................. 219
तयम्मम
ु क़ी पहली सिू त ....................................................................................................................... 220
तयम्मम
ु क़ी दस
ू िी सिू त ....................................................................................................................... 224
938
तयम्मम
ु क़ी तीसिी सिू त ...................................................................................................................... 225
तयम्मम
ु क़ी चौथी सिू त ........................................................................................................................ 227
तयम्
ु मम
ु क़ी पांचवीं सिू त ...................................................................................................................... 228
तयम्मम
ु क़ी छठ सिू त ......................................................................................................................... 228
तयम्मम
ु क़ी सातवीं सिू त ..................................................................................................................... 229
वज़
ु ू या गस्
ु ल क़े िदल़े तयम्मम
ु किऩे का तिीका................................................................................ 234
तयम्मम
ु क़े अहकाम ............................................................................................................................. 235
र्जुमा क़ी नमाज़ वाजर्जि होऩे क़ी चन्द शतें हैं- ..................................................................................... 247
र्जुमा क़ी नमाज़ क़े सहीह होऩे क़ी चन्द शतें हैं – ............................................................................... 248
मस्
ु तहि नमाज़ें ...................................................................................................................................... 262
नमाज़़े गफ़
ु ै ला ......................................................................................................................................... 266
939
नमाज़ी क़े मलिास क़ी शतें .................................................................................................................... 273
जर्जन सिू तों में नमाज़ी का िदन औि मलिास पाक होना ज़रूिी नहीं ................................................... 287
वह चीज़ें र्जो नमाज़ी क़े मलिास में मकरूह हैं ...................................................................................... 293
पहली शतक यह है कक वह मि
ु ाह हो। ................................................................................................. 294
दस
ू िी शतक ........................................................................................................................................... 298
तक्िीितल
ु एहिाम .............................................................................................................................. 320
940
सर्ज
ु ूद .................................................................................................................................................. 345
मव
ु ालात.............................................................................................................................................. 365
नमाज़ का तर्जम
ुक ा ................................................................................................................................... 368
3.रूकू, सर्ज
ु ूद औि उनक़े िाद क़े मस्
ु तहि अज़्काि का तर्जम
ुक ाः- ........................................................ 369
4.कुनत
ू का तर्जम
ुक ाः- .......................................................................................................................... 370
वह सिू तें जर्जनमें वाजर्जि नमाज़ें तोड़ी र्जा सकती हैं.............................................................................. 386
941
3. वक़्त क़े िाद शक किना .................................................................................................................... 394
5. इमाम औि मक्
ु तदी का शक .............................................................................................................. 398
6. मस्
ु तहि नमाज़ में शक ..................................................................................................................... 398
सहीह शक
ु ू क ........................................................................................................................................... 400
भल
ू ़े हुए सज्द़े औि तशह्हुद क़ी कज़ा................................................................................................... 418
मस
ु ाकफ़ि क़ी नमाज़ ............................................................................................................................... 424
(दस
ू िी शतक) ........................................................................................................................................ 427
मत
ु फ़रिक क मसाइल.................................................................................................................................. 450
िाप क़ी कज़ा नमाज़ें र्जो िड़़े ि़ेट़े पि वाजर्जि हैं ................................................................................... 460
942
र्जमाअत में इमाम औि मक्
ु तदी क़े फ़िाइज़ .......................................................................................... 482
3.इस्त़ेम्ना (हस्तमैथन
ु ) .......................................................................................................................... 513
4. खुदा औि िसल
ू (स0) पि िोह्तान िााँधना.......................................................................................... 515
5. गि
ु ाि को हल्क तक पहुंचाना ............................................................................................................. 517
उन चीज़ों क़े अहकाम र्जो िोज़़े को िाततल किती हैं। ........................................................................... 528
ऐस़े मवाक़े जर्जनमें िोज़ा क़ी कज़ा औि कफ़्फ़ािा वाजर्जि हो र्जात़े हैं। .................................................. 531
वह सिू तें जर्जन में फ़कत िोज़़े क़ी कज़ा वाजर्जि है ............................................................................ 538
मस
ु ाकफ़ि क़े िोज़ों क़े अहकाम ................................................................................................................ 546
943
वह लोग जर्जन पि िोज़ा िखना वाजर्जि नहीं .......................................................................................... 549
मस्
ु तहि िोज़़े .......................................................................................................................................... 556
खम्
ु स क़े अहकाम ................................................................................ 559
1.कािोिाि का मन
ु ाफ़ा ............................................................................................................................ 560
खम्
ु स का मसिफ़ ................................................................................. 584
944
भ़ेड़ का तनसाि ....................................................................................................................................... 609
मस्
ु तहक़्क़ीऩे ज़कात क़े शिाइत ............................................................................................................. 620
ज़कात क़े मत
ु फ़रिक क मसाइल................................................................................................................. 624
मआ
ु मलात .............................................................................................................................................. 648
मकरूह मआ
ु मलात ................................................................................................................................. 650
हिाम मआ
ु मलात .................................................................................................................................... 651
मआ
ु मला ए सलफ़ क़ी शिाइत .............................................................................................................. 671
मआ
ु मला ए सलफ़ क़े अह्काम .............................................................................................................. 674
945
सोऩे चांदी को सोऩे चांदी क़े एवज़ ि़ेचना ............................................................................................. 675
मआ
ु मला फ़स्ख ककय़े र्जाऩे क़ी सिू तें .................................................................................................... 676
मत
ु फ़रिक क मसाइल ............................................................................... 684
सल्
ु ह क़े अहकाम ................................................................................. 693
ककिाय़े पि हदय़े र्जाऩे वाल़े माल स़े इसततफ़ादा क़ी शिाइत......................... 703
ककिाय़े क़े मत
ु फ़रिक क मसाइल ................................................................................................................ 705
मज़
ु ािआ क़े अह्काम ............................................................................ 717
मस
ु ाकात औि मग
ु ािसा क़े अह्काम ........................................................ 723
946
ज़ाममन होऩे क़े अह्काम ....................................................................... 746
मअ
ु य्यन मद्
ु दत का तनकाह .................................................................................................................. 783
दध
ू वपलाऩे क़े अह्काम ......................................................................... 795
दध
ू वपलाऩे स़े महिम िनऩे क़ी शिाइत ................................................................................................ 799
दध
ू वपलाऩे क़े आदाि ............................................................................................................................ 804
दध
ू वपलाऩे क़े मख़्
ु तमलफ़ मसाइल ........................................................................................................ 805
947
रुर्जू किऩे क़े अह्काम ............................................................................................................................ 817
तलाक़े खल
ु अ ......................................................................................................................................... 819
तलाक़े मि
ु ाित ........................................................................................................................................ 821
गुमशद
ु ा माल पाऩे क़े अह्काम ............................................................... 832
दस
ू ि़े गिु ोह क़ी मीिास............................................................................................................................ 904
949