(Download PDF) Practical Steps To Think and Grow Rich Hindi Edition Napoleon Hill Napoleon Hill Full Chapter PDF

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Practical Steps to Think and Grow Rich

(Hindi Edition) Napoleon Hill [Napoleon


Hill]
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Napoleon Hill

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Think and Grow Rich Hill

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How Rich Asians Think: A Think and Grow Rich
Publication (Official Publication of the Napoleon Hill
Foundation) 1st Edition John C. Shin

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Piense Y Hágase Rico! (Think and Grow Rich) (Official


Publication of the Napoleon Hill Foundation) (Spanish
Edition) Hill

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A masterclass de Napoleon Hill Napoleon Hill

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The Wisdom of Napoleon Hill Napoleon Hill

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Bí Quy■t Làm Giàu C■a Napoleon Hill Napoleon Hill

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ै टकल टे स
टु थक
ड ो रच
21वी सद के लए जो ायनैक ारा संशो धत व संपा दत

ै टकल टे स
टु थक
ड ो रच

नेपो लयन हल
अनुवाद : डॉ. सुधीर द त

मंजुल प ल शग हाउस
मंजुल प ल शग हाउस
कॉरपोरेट एवं संपादक य कायालय
तीय तल, उषा ीत कॉ ले स, 42 मालवीय नगर, भोपाल-462 003
व य एवं वपणन कायालय
7/32, भू तल, अंसारी रोड, द रयागंज, नई द ली-110 002
वेबसाइट : www.manjulindia.com
वतरण के
अहमदाबाद, बगलु , भोपाल, कोलकाता, चे ई,
हैदराबाद, मु बई, नई द ली, पुणे

नेपो लयन हल ारा ल खत मूल अं ेजी पु तक


ै टकल टे स टु थक ड ो रच का ह द अनुवाद

कॉपीराइट © 2015 जे एम डब यू प ु इ कॉप रे टड, लाचमॉ ट, यू यॉक जे एम ड यू प



इ कॉप रे टड, लाचमॉ ट, यू यॉक से अ धकृत सवा धकार सुर त

यह ह द सं करण 2016 म पहली बार का शत

ISBN 978-81-8322-746-9

ह द अनुवाद : डॉ. सुधीर द त

यह पु तक इस शत पर व य क जा रही है क काशक क ल खत पूवानुम त के बना इसे


या इसके कसी भी ह से को न तो पुनः का शत कया जा सकता है और न ही कसी भी अ य
तरीक़े से, कसी भी प म इसका ावसा यक उपयोग कया जा सकता है। य द कोई
ऐसा करता है तो उसके व कानूनी कारवाई क जाएगी।
वषय-सूची

तावना

1. वचार क श का दोहन कर

2. ख़ुद को जान और बेहतर बनाएँ

3. डर के छह भूत को हरा द

4. नकरा मक सोच को हटा द : सातव बु नयाद बुराई

5. बल इ छा वक सत कर

6. अपने उवचेतन मन पर सकारा मक छाप छोड़

7. आ मसुझाव से अपने वचार को नयं त कर

8. इस पर यक़ न कर

9. अपनी क पना को शा मल कर

10. अपनी छठ इं य का वकास कर

11. यौन पांतरण के रह य से पदा हटाएँ

12. अपने म त क को श शाली बनाएँ : मान सक टे लीपैथी और अती य अनुभू त

13. मा टर माइंड क श का दोहन कर

14. एक योजना बनाएँ


15. वशेष तापूण ान का लाभ ल

16. नणायक बन

17. लगनशील बन
तावना

थ कयासएंड काो रच (सो चये और अमीर ब नये) नामक पु तक नेपो लयन हल के व और


प रणाम थी, जसक तब से अब तक पूरे संसार म 1.5 करोड़ तयाँ बक
चुक ह।
इस पु तक ने करोड़ पाठक और द गज को े रत कया है और मागदशन दया है,
ता क वे अपने संसार को मनचाहे अंदाज़ म ढाल सक।
कई लोग को यह लगता क सफलता का रह य सबको बताना अ छ बात नह है। कोई
सरा होता, तो यही सोचता क इसे गोपनीय रह य ही रखना चा हए, जसक जानकारी कम से
कम लोग को हो। ले कन कारनेगी और हल असीम ा के महारथी थे। वे जानते थे क दौलत
और ख़ुशी ऐसी चीज़ नह ह, जो एक को मलने से सरे के लए घट जाएँ।
वे जानते थे क दौलत और ख़ुशी शू य से उ प हो सकती ह, बशत एक वचार हो,
इ छा हो और इसे साकार करने के लए बु , योजना तथा लगन हो। वे जानते थे क दौलत
और ख़ुशी बढ़ाने से लोग के लए अवसर बढ़ जाएँग,े जससे पूरे संसार म दौलत और ख़ुशी म
ती वृ हो सकती है। वे जानते थे क रह य बताने से सभी ी-पु ष के लए उपल ध
अवसर म वृ होगी।
आज के ड जटल संसार म लोग और वचार एक पल म सफल होते ह, ले कन अगले ही
पल ग़मनामी के अँधेरे म खो जाते ह। ले कन कारनेगी और हल का सफलता का फ़ॉमूला
थायी ासं गकता इस लए हा सल कर चुका है, य क इसक जड़ कृ त और मानव वभाव
से ा त बु म ा व शा त स य म ह। लोग अब भी उसी तरह सोचकर अमीर बनते ह, जस
तरह सैकड़ या हज़ार साल पहले बनते थे। रह य बलकुल भी नह बदला है। रह य जानने
और इस पर अमल करने से आप भी दौलत और ख़ुशी को अपनी ओर आक षत कर लगे,
जतनी आपने कभी क पना भी नह क होगी।
थक एंड ो रच पु तक क सफलता थायी है और करोड़ लोग इसके स ांत पर
अमल कर चुके ह, इस लए यह पु तक हर उस को पढ़ना चा हए, जो उन अवधारणा
और स ांत को अपने जीवन म उतारना चाहता है, ज ह नेपो लयन हल ने सावधानी से
इकट् ठा कया था, जनका उ ह ने व ेषण कया था, सं ेषण कया था और वचार कया
था।
यह पु तक उन अवधारणा और हल के मागदशन को हर ी-पु ष के लए यादा
सुलभ बनाती है।
यह सं करण थक एंड ो रच म तुत स ांत का नचोड़ पेश करता है। यह उ ह सरल
ा प म पेश करता है, ता क बु के मो तय क तलाश म आपको पैरा ाफ़ क खुदाई करने
क ज़ रत न रहे। या करना है, इसके बजाय यादा यान इस बात पर क त कया गया है
क इसे कैसे करना है। इस सं करण म अ त र ावहा रक सलाह जोड़कर साम ी का
व तार कया गया है।
हर अ याय के एक अलग खंड म सफलता क कहा नयाँ ह, जो अ याय म बताए गए
स ांत क मसाल ह।
पाठक क सु वधा के लए इस सं करण म सफलता के स ांत को यथासंभव प ता
से और क़दम-दर-क़दम अंदाज़ म पेश कया गया है।
हम सफल ए ह या नह , इसका नणय सफ़ आप ही कर सकते ह। जैसा हम अपने
सहक मय और ाहक से कहते ह, “आपक सफलता ही हमारी सफलता है।” अगर इस े
म हमारे यास सफल होते ह, तो आपको कारनेगी और हल के सफलता के फ़ॉमूला को यादा
अ छ तरह समझने और इस पर अमल करने म मदद मलेगी।
यह फ़ॉमूला जीवन के सभी पहलु म आपको सफलता दलाएगा और इस तरह हम
अपने मक़सद म कामयाब ह गे। हम वाक़ई उ मीद है क हमारे यास से आपको ब त लाभ
होगा।

धान संपादक : जो ायनैक


जेएमड यू ुप, इंक.
वचार एक न त धारणा है,
जसे उद्दे य, लगन, ती इ छा और व ास
के साथ मलाने पर यह दौलत के सं ह म
पांत रत हो जाता है।

अपने वचार को नयं त करने


क यो यता ही हम अपनी वा त वकता
का नमाण करने क मता दे ती है।

दौलत एक मान सक अव था से,


एक न त उद्दे य से शु होती है,
जसम ब त कम मेहनत लगे या
बलकुल भी न लगे।
वचार क श का दोहन कर

सा रीअगरउपलआपनेधयाँपहलेवचारइसेसेपढ़ने
शु होती ह। दरअसल, आप यह पु तक पढ़ ही नह रहे होते,
के बारे म न सोचा होता। सफलता पाने के मामले म वचार
एक धारणा या इरादे से कह अ धक है। वचार कम का इंजन है। यानी यह कोई अ थर धारणा
नह , ब क एक मान सकता है, एक मान सक अव था है। यह एक ऐसी धारणा है, जसे
उद्दे य, लगन, बल इ छा और व ास के साथ मलाने पर इसका पांतरण दौलत या कसी
भी सरी मनचाही चीज़ म कया जा सकता है। सफलता के वचार को पया त श शाली
बनाने वाले गुण ये ह :

न त : वचार म कोई आक मक योजनाएँ नह होनी चा हए। इसम आपक नगाह


कसी न त, ख़ास चीज़ पर जमी होती है।
उद्दे यपूण : उद्दे य आपके दमाग़ म मौजूद वह ल य, वह व तु या थ त है जसे
आप चाहते ह, वह दशा है जसम आप चलने का चयन करते ह।
लगनशील : ल य हा सल करने के त “चाहे जस चीज़ क ज़ रत हो, सब कुछ
करने” का नज़ रया। हार का यक़ न होने के बाद ब त कम लोग जीत पाए ह।
ती इ छा : जब इ छा पया त बल हो, तो कोई बाधा अजेय नह होती।
व ास : इंसान म यह व ास और अपे ा होनी चा हए क उसक मनचाही चीज़ उसे
मल जाएगी।

वचार वह ऊजा है, जो आपके और मनचाही चीज़ के बीच क


बाधा से उबरने के लए आव यक कम को े रत करती है।

कुदरत म न हत स ांत
जो स ांत आपको सोचने और अमीर बनने म स म बनाते ह, उनक जड़ कृ त म ह। आप,
आपक पृ वी और हर अ य भौ तक व तु वकासवाद प रवतन का प रणाम है, जसके ज़ रये
पदाथ के ब त छोटे -छोटे टु कड़ को मब तरीक़े से व थत और संयो जत कया गया है।
यही नह , इस पृ वी, आपके शरीर क अरब -खरब को शका म से येक को शका और
पदाथ के हर अणु क शु आत ऊजा के अमूत प से ही ई है।
इ छा वचार आवेग है! वचार आवेग ऊजा के प ह। जब आप पैसे का सं ह करने क
इ छा के वचार आवेग से शु आत करते ह, तो आप अपनी ख़ा तर उसी “चीज़” को स य कर
रहे ह, जसका इ तेमाल कृ त ने इस पृ वी और इस सृ म मौजूद हर भौ तक व प को
बनाने म कया था, जसम वह शरीर और म त क शा मल है, जसम वचार आवेग उ प होते
ह।
जहाँ तक व ान पता लगा पाया है, पूरी सृ पदाथ और ऊजा से बनी है। हर चीज़
ऊजा और पदाथ के तालमेल से बनी है, जसम आसमान म तैरने वाले सबसे बड़े तारे से लेकर
रेत के सबसे छोटे कण तक हर चीज़ शा मल है।
अब आप कृ त क या से फ़ायदा उठाने क को शश कर रहे ह। आप इ छा को
इसके भौ तक और आ थक समतु य म बदलना चाहते ह और इस काम के लए कृ त के
नयम के अनु प ढलने क को शश कर रहे ह। आप यह काम कर सकते ह! यह पहले भी
कया जा चुका है।
आप कुछ अटल नयम क सहायता से भारी दौलत कमा सकते ह। ले कन इससे पहले
आपको इन नयम को जानना-समझना होगा और उनका इ तेमाल करना सीखना होगा।
दोहराव से और इन स ांत के वणन को हर संभव कोण से दे खने के बाद लेखक आपके सामने
वह रह य उजागर करने वाला है, जससे भारी दौलत कमाई गई है। हालाँ क यह अजीब और
वरोधाभासी लग सकता है, ले कन यह “रह य” दरअसल रह य है ही नह । कृ त वयं पूरी
पृ वी पर इसका व ापन करती है। यह रह य तार , अ य ह , हमारे ऊपर और चार ओर के
प रवेश, घास के हर तनके और हम दखने वाले जीवन के हर प म नज़र आता है।
कृ त जीव व ान के संदभ म भी इस “रह य” का व ापन करती है। यह आपके
भीतर क एक छोट को शका के पांतरण म नज़र आता है, जो इतनी छोट होती है क पन
क नोक पर भी खो सकती है। इ छा का इसके भौ तक समतु य म पांतरण यक़ नन इससे
यादा चम कारी नह है!
अगर आप इस बात को पूरी तरह न समझ पाए ह , तो हताश न ह । अगर आप लंबे
समय से मान सक काय णाली के व ाथ नह ह, तो आपसे यह अपे ा भी नह क जाती है
क पहली बार पढ़ने पर ही आप इस अ याय म बताई सारी बात को आ मसात कर लगे।
ले कन समय के साथ आप अ छ ग त करगे।
आगे आने वाले स ांत क पना क समझ का रा ता खोल दगे। जब आप इस दशन को
पहली बार पढ़ते ह, तो जतना समझ म आए, उसे आ मसात कर ल। फर दोबारा पढ़ने और
मनन करने पर आप पाएँगे क कोई ऐसी चीज़ ई है, जससे सारी बात प हो गई है और
आपक समझ बढ़ गई है। सबसे बढ़कर, इन स ांत के अ ययन म न क, न झझक, जब
तक क आप यह पु तक कम से कम तीन बार न पढ़ ल, य क इसके बाद आप कना नह
चाहगे।

आप “अपने भा य के वामी ह, अपनी आ मा के क तान ह”


जब अँ ेज़ क व ड यू. सी. हेनली ने ये भ व यव ा पं याँ लखी थ , “म अपने भा य का
वामी ँ, म अपनी आ मा का क तान ,ँ ” तो उ ह हम बताना चा हए था क हम कस कारण
अपने भा य के वामी ह, अपनी आ मा के क तान ह। कारण यह है क हमम अपने वचार को
नयं त करने क श होती है और हमारे वचार ही हमारी वा त वकता को आकार दे ते ह।
वचार इस तरह वा त वकता को आकार दे ता है :

जस ईथर म यह छोट सी पृ वी तैरती है, जस पर हम रहते ह और जसम हमारा


अ त व है, वह ऊजा का ऐसा प है, जो ब त ऊँची दर पर कंपन कर रही है। इस ईथर
म एक तरह क सव ापी श भरी है, जो ख़ुद को हमारे मन के वचार के अनु प
ढाल लेती है और उन वचार को उनके भौ तक समतु य म बदलने के लए हम
वाभा वक प से भा वत करती है।
यह श वनाशकारी वचार और सृजना मक वचार के बीच भेदभाव नह करती है।
यह जतनी तेज़ी से अमीरी के वचार को भौ तक वा त वकता म बदलेगी, उतनी ही
तेज़ी से ग़रीबी के वचार को भी भौ तक वा त वकता म बदल दे गी।
हम अपने दमाग़ म जो बल वचार रखते ह, उनसे हमारा म त क चुंबक जैसा बन
जाता है और अ ात साधन से यह “चुंबक” हमारे बल वचार से मेल खाने वाली
श य, य और जीवन क प र थ तय को हमारी ओर ख च लेता है।
हम भारी दौलत का सं ह कर सक, इससे पहले हम अमीरी क बल इ छा से अपने
म त क को चुंबक कृत कर लेना चा हए। हम “धन क त” बन जाना चा हए, जब तक
क धन क इ छा इतनी बल श बन जाए क यह इ छा को दौलत म पांत रत कर
दे ।

आप सचमुच अपने भा य के वामी ह, अपनी आ मा के


क तान ह। यह ाकृ तक और थायी स य इस पु तक म
व णत स ांत क जड़ म है। ये स ांत इस रह य पर से पदा
हटा दगे क आप अपने आ थक भा य के वामी कैसे ह।
सफलता क चेतना वक सत कर
1929 म महामंद शु ई और इसने वनाश के तमाम रकॉड तोड़ दए। यह रा प त क लन
डी. ज़वे ट के कायभार सँभालने के बाद तक जारी रही। फर महामंद धीरे-धीरे ख़ म हो गई।
जस तरह कसी थएटर म कोई इले शयन धीरे-धीरे रोशनी बढ़ाता है, जससे आपके
महसूस करने से पहले ही अंधकार काश म बदल जाता है, उसी तरह जब व ास आया, तो
इसने अंधकार को काश म बदल दया। जो असंभव लग रहा था, वह वचार क श से संभव
बन गया।
थक एंड ो रच पु तक को पढ़ने वाले कुछ लोग के मन म यह व ास होगा क कोई
भी सोचकर अमीर नह बन सकता। वे दौलत के संदभ म इस लए नह सोच सकते, य क
उनक वैचा रक आदत ग़रीबी, अभाव, ख, असफलता और पराजय म डू बी ई ह। सोचने और
अमीर बनने क दशा म पहला क़दम सही मान सकता का नमाण है :

सफलता-क त बन : सफलता उ ह लोग के पास आती है, जो सफलता क त बनते


ह। इसी तरह, असफलता भी उ ह लोग के पास आती है, जो उदासीन भाव से ख़ुद को
असफलता क त बनने क अनुम त दे ते ह।
असंभव और नह कर सकता के संदभ म सोचना छोड़ द : ता वत समाधान के
बारे म लोग तुरंत बता दगे क ये य काम नह करगे या इ ह य नह कया जा सकता।
इन और अ य आ म-पराजयी श द को अपनी श दावली से हटा द।
अवसर को अपने आभास और मा यता से नह , ब क इस बात से तौल क
या संभव है : लोग म यह आदत होती है क वे अपने सी मत आभास और
मा यता के आधार पर हर चीज़ और हर का मू यांकन करते ह। पूवा ह क
वजह से ख़ुद को या सर को वह हा सल करने से न रोक, जो संभव है।

इस पु तक का उद्दे य उन सभी क मदद करना है, जो अपनी


मान सकता को असफलता क चेतना से बदलकर सफलता क
चेतना तक प ँचाने क कला सीखना चाहते ह।

वचार क श का उदाहरण दे ने वाली कहा नयाँ


आगे द कहा नयाँ दशाती ह क उद्दे य, लगन और धधकती इ छा के साथ मलने पर अमूत
वचार ने ख़ुद को मूत दौलत के सं ह म कैसे बदल दया। ये दशाती ह क के वचार को
नयं त करने क श उसक वा त वकता को कैसे आकार दे ती है।

इस इंसान ने सोचकर थॉमस ए. ए डसन के साथ साझेदारी का रा ता बनाया


एड वन सी. बा स वचार क श का दोहन करके महान वै ा नक थॉमस ए डसन के बज़नेस
पाटनर बन गए। बा स के वचार के दो मु य गुण ये थे क यह न त था और उद्दे यपूण था :
वे ए डसन क नौकरी नह करना चाहते थे; वे तो उनके साथ मलकर काम करना चाहते थे।
बा स क राह म दो मु कल थ : वे ए डसन को नह जानते थे और उनके पास इतने पैसे
नह थे क उनसे मलने के लए ऑरज, यू जस जा सक। ये मु कल इतनी बड़ी थ क
यादातर लोग हताश हो जाते, ले कन यह कोई सामा य वचार नह था! इसके साथ लगन और
ती इ छा थी। बा स अपना ल य हा सल करने के लए इतने संक पवान थे क उ ह ने
आ ख़रकार मालगाड़ी म छु पकर या ा करने का नणय लया।
वे ए डसन क योगशाला म प ँचे और उ ह ने घोषणा क क वे आ व कारक के साथ
वसाय करने आए ह। बा स और ए डसन क पहली मुलाक़ात के बारे म ए डसन ने बरस
बाद कहा था :

वे मेरे सामने कसी भखमंगे क तरह दखते ए खड़े थे, ले कन उनके चेहरे पर एक
ऐसा भाव था, जससे यह आभास होता था क वे जसके लए आए थे, उसे पाने पर
आमादा थे। मने इंसान के साथ बरस के अनुभव से सीखा है क जब कोई इंसान
सचमुच कसी चीज़ क इतनी गहराई से इ छा करता है क वह उसे पाने के लए
अपना पूरा भ व य प हए के घूमने पर दाँव पर लगाने को तैयार रहता है, तो उसक
जीत तय है। मने उ ह उनका माँगा अवसर इस लए दया, य क मने यह दे ख लया
था क उ ह ने तब तक जुटे रहने क ठान ली थी, जब तक क वे सफल न हो जाएँ।
बाद क घटना ने यह सा बत कर दया क उ ह ने कोई ग़लती नह क थी।
उस मौक़े पर युवा बा स ने ए डसन से जो कहा था, वह कम मह वपूण था; यादा
मह वपूण तो वह था जो उ ह ने सोचा था। ए डसन ने ख़ुद यह बात कही थी! यक़ नन उनके
लए ने उ ह ए डसन के ऑ फ़स म वह शु आत नह दलाई थी, य क यह न त प से
उनके ख़लाफ़ था। उ ह ने जो सोचा था, वही मायने रखता था।

यक़ नन उनके लए ने उ ह ए डसन के ऑ फ़स म वह
शु आत नह दलाई थी। उ ह ने जो सोचा था, वही मायने
रखता था।
बा स को ए डसन के साथ साझेदारी तुरंत नह मल गई। उ ह ए डसन के ऑ फ़स म
ब त कम वेतन पर काम करने का मौक़ा मला और वे ऐसे काम करते थे, जो ए डसन के लए
मह वहीन थे, ले कन बा स के लए सबसे अहम बात यह थी क इससे उ ह ख़ुद को सा बत
करने का मौक़ा मला।
महीन गुज़र गए। प प से बा स अपने उस मह वाकां ी ल य के ज़रा भी क़रीब
नह प ँच पाए थे, जसे उ ह ने अपने न त बड़े उद्दे य के प म तय कया था। ले कन
बा स के दमाग़ म कोई मह वपूण चीज़ हो रही थी। वे ए डसन के बज़नेस पाटनर बनने क
अपनी इ छा को लगातार श शाली बना रहे थे।
मनोवै ा नक ने सही कहा है, “जब कोई कसी चीज़ के लए सचमुच तैयार होता है, तो
वह चीज़ कट हो जाती है।” बा स ए डसन के साथ वसाय करने के लए तैयार थे। यही
नह , वे तब तक तैयार रहने पर आमादा थे, जब तक क उ ह मनचाही चीज़ न मल जाए।
उ ह ने ख़ुद से यह नह कहा, “इससे या फ़ायदा? मुझे लगता है क म यह छोड़कर
से समैन बनने क को शश क ँ ।” इसके बजाय उ ह ने यह कहा, “म यहाँ ए डसन के साथ
मलकर वसाय करने आया ँ और म इस ल य को हा सल क ँ गा, भले ही इसम मेरी पूरी
ज़दगी लग जाए।” वे गंभीर थे! लोग क ज़दगी कतनी अलग हो सकती है, बशत वे एक
न त उद्दे य तय कर ल और उस उद्दे य पर तब तक अटल रह, जब तक क इसे जुनन ू
बनने का समय न मल जाए!

“जब कोई सचमुच कसी चीज़ के लए तैयार होता है, तो वह


चीज़ कट हो जाती है।”

शायद युवा बा स को तब मालूम नह था, ले कन उनका एकसू ीय संक प और


एकसू ीय इ छा का पीछा करने क लगन सारे वरोध को कुचलने वाली थी और उ ह उनका
मनचाहा अवसर दे ने वाली थी।
जब अवसर आया, तो यह बा स क उ मीद से अलग प म आया और एक अलग दशा
से आया। यह अवसर क चाल होती है। इसक आदत होती है क यह पछले दरवाज़े से चुपके
से आता है और अ सर भा य या अ थायी पराजय के वेश म छपकर आता है। शायद
इसी लए इतने सारे लोग अवसर को नह पहचान पाते ह।
ए डसन ने ऑ फ़स के एक नए उपकरण को आदश बनाया था, जसे उस समय ए डसन
ड टे टग मशीन (बाद म आइ डयोफ़ोन) कहा गया। उनके से समैन इस मशीन को लेकर
उ सा हत नह थे। उ ह लग रहा था क इसे भारी यास के बना नह बेचा जा सकता था। बा स
ने अपना अवसर ताड़ लया। यह चुपके से रगकर अंदर आया था और एक अजीब सी दखने
वाली मशीन म छपा था, जसम बा स और इसके आ व कारक के अलावा कसी क च नह
थी।
बा स जानते थे ( न त उद्दे य, जसम लगन और ती इ छा का धन था) क वे
ए डसन ड टे टग मशीन बेच सकते ह। उ ह ने ए डसन को यह सुझाव दया और उ ह तुरंत
अवसर मल गया। वे मशीन बेचने लगे। वा तव म, उ ह ने इसे इतनी सफलता से बेचा क
ए डसन ने उ ह इसे पूरे दे श म बेचने का अनुबंध दे दया। इस कारोबारी सहयोग से यह नारा
नकला, “ए डसन ारा न मत और बा स ारा था पत।” इस कारोबारी गठबंधन से बा स ने
ख़ुद को दौलतमंद बना लया, ले कन उ ह ने इससे कह यादा बड़ी चीज़ हा सल क : उ ह ने
यह सा बत कर दया क इंसान सोचकर सचमुच अमीर बन सकता है।
बा स ने सचमुच सोचकर महान ए डसन के साथ साझेदारी क ! उ ह ने सोचकर अपने
लए दौलत बना ली। उनके पास शु आत म कुछ नह था; न पैसा, न भाव और श ा भी
ब त कम थी। ले कन उनम पहलश थी, व ास था और जीतने क इ छा थी। वे जानते थे
क वे या चाहते थे और वे संक पवान थे क उस इ छा पर तब तक डटे रहगे, जब तक क वे
उसे हा सल न कर ल। इन अमूत श य के साथ वे अब तक के महानतम आ व कारक के
नंबर वन आदमी बन गए।

बा स ने सचमुच सोचकर महान ए डसन के साथ साझेदारी


क!

अब आइए एक अलग थ त को दे खते ह और एक ऐसे इंसान का अ ययन करते ह,


जसके पास अमीरी का ब त सा मूत माण था, ले कन वह अपने ल य से तीन फ़ ट री पर ही
क गया।

सोने से तीन फ़ ट र को शश छोड़ना


असफलता के सबसे आम कारण म से एक यह आदत है क अ थायी पराजय दखते ही इंसान
को शश करना छोड़ दे ता है। हर इंसान कसी न कसी समय यह ग़लती करता है। यह कहानी
बताती है क बगैर लगन का वचार कस तरह असफलता क ओर ले जा सकता है।
आर. यू. डाब , जो बाद म दे श के सबसे सफल बीमा से समैन म से एक बने, अपने
अंकल क कहानी बताते ह। उनके अंकल को गो ड-रश के दन म “सोने का बुखार” चढ़ गया
था और वे अमीर बनने के च कर म प म जाकर खुदाई करने लगे थे। उ ह पता नह था क
इस धरती से जतना सोना नकाला गया है, उससे यादा इंसान के म त क से नकाला गया
है। उ ह ने ज़मीन चुनी और फावड़ा उठाकर काम म जुट गए। उनका वचार न त था,
उद्दे यपूण था और धधकती इ छा से संचा लत था – सोने क लालसा।
लगन न हो, तो वचार अ सर असफलता क ओर ले जाता है।

कई ह त के म के बाद उ ह चमकते ख नज क खोज का पुर कार मला। अब


ख नज को सतह तक लाने के लए उ ह मशीन क ज़ रत थी। चुपचाप अपनी खदान को
ढँ ककर वे व लय सबग, मैरीलड थत अपने घर लौटे और अपने र तेदार तथा पड़ो सय को
“सोने क खोज” के बारे म बताया। उ ह ने ज़ रत क मशीन के लए पैसे इकट् ठे कए और
मशीन लगवा ल । अंकल और डाब खदान पर काम करने आ गए।
ख नज क पहली गाड़ी कारखाने भेजी गई। इससे सा बत आ क उनके पास
कोलोरेडो क सबसे समृ खदान म से एक थी! उस ख नज क ऐसी ही कुछ और गा ड़य से
उनके सारे कज़ उतर जाएँग।े फर भारी मुनाफ़े क बारी आएगी!
ल नीचे जाने लगी! डाब और उनके अंकल क आशाएँ ऊपर जाने लग । फर
अचानक एक अजीब बात ई! सोने के ख नज क धारा ग़ायब हो गई! वे इं धनुष के अंत तक
आ गए थे और सोने का हंडा कह नज़र नह आ रहा था! वे खुदाई करते रहे, उस धारा को
पकड़ने के लए उतावले होते रहे, ले कन कोई फ़ायदा नह आ।
अंततः उ ह ने को शश छोड़ने का नणय लया। उ ह ने मशीन एक कबाड़ी को कुछ सौ
डॉलर म बेच द और े न पकड़कर घर लौट गए। कुछ कबाड़ी मंदबु होते ह, ले कन यह
वाला नह था! उसने एक माइ नग इंजी नयर को खदान के मुआयने के लए बुलाया और थोड़ी
जाँच करने को कहा। इंजी नयर ने बताया क ोजे ट इस लए असफल आ था, य क
मा लक “दोषपूण रेखा ” से अप र चत थे। उसक गणना से पता चला क जस जगह
डाब ने खुदाई बंद क थी, वहाँ से सफ़ तीन फ़ ट र ख नज क धारा मलनी चा हए! और यह
ठ क वह पर मली! कबाड़ी ने खदान से करोड़ डॉलर का ख नज नकाला, य क वह यह
बात जानता था क को शश छोड़ने से पहले वशेष से सलाह ले लेनी चा हए।

कबाड़ी को दोषपूण रेखा के बारे म कोई वशेष तापूण ान


नह था, ले कन उसम वशेष से सलाह लेने क बु थी। जब
आपके पास वशेष तापूण ान न हो, तब वशेष तापूण ान
क श का दोहन कैसे कर, इस बारे म जानकारी के लए
क़दम 15 दे ख।

इसके ब त बाद डाब ने अपने नुक़सान क कई गुना भरपाई कर ली, जब उ ह ने यह


खोजा क इ छा को सोने म कैसे बदला जा सकता है। यह खोज उ ह ने तब क , जब वे जीवन
बीमा बेचने के कारोबार म गए।
डाब को याद था क सोने से तीन फ़ ट र कने क वजह से उ ह ने भारी दौलत गँवा
द थी, इस लए उ ह ने अपने चुने ए काम म इस अनुभव का लाभ लया। उ ह ने ख़ुद से यह
कहने क सरल व ध अपनाई, “म सोने से तीन फ़ ट र क गया था, परंतु जब म लोग से
बीमा ख़रीदने के लये पूछूँगा और वे मना कर दगे तो म कभी नह कूँगा।” सोने क खदान
वाले वसाय म ल य हा सल करने से पहले को शश छोड़ दे ने से उ ह ने जो सबक़ सीखा था,
उसी को वे अपनी लगन का ेय दे ते ह।

सफलता पाने से पहले यादातर लोग को कई अ थायी


पराजय का सामना करना पड़ता है और शायद थोड़ी
असफलता का भी। जब पराजय सामने होती है, तो सबसे
आसान और सबसे ता कक चीज़ यही लगती है क उस काम
को छोड़ द। मगर यह न भूल क वप म सफल होने के लए
लगन ही कुंजी है।

अमे रका के पाँच सौ से भी यादा सफल लोग दावा करते ह क उ ह सबसे बड़ी
सफलता उस ब से बस एक क़दम आगे मली, जहाँ पराजय ने उ ह धर दबोचा था।
असफलता चालाक होती है और इसम ं य तथा चालाक का ती ण अहसास होता है। यह
कसी को तब गराकर ब त ख़ुश होती है, जब सफलता बस एक हाथ र होती है।

लगन का पचास सट का सबक़


जब डाब को “ खद झटक के व व ालय” से ड ी मली और उ ह ने लगन का दद भरा
सबक़ सीखा, उसके कुछ ही समय बाद उ ह एक ऐसे अवसर पर मौजूद रहने का सौभा य
मला, जससे उनके सामने सा बत हो गया क “नह ” का मतलब हमेशा “नह ” नह होता।
एक दोपहर वे एक पुरानी क़ म क च क म गे ँ पीसने म अपने अंकल क मदद कर
रहे थे। अंकल के पास एक बड़ा खेत था, जस पर ब त से बटाईदार कसान रहते थे। धीरे से
दरवाज़ा खुला और एक कराएदार क छोट सी लड़क अंदर आई तथा दरवाज़े के पास खड़ी
हो गई।
अंकल ने नज़र उठाकर ब ची को दे खा और कठोर वर म च लाए, “तुम या चाहती
हो?”
दबे वर म ब ची ने जवाब दया, “म मी कहती ह क आप उ ह पचास सट दे द।”
“म ऐसा नह क ँ गा,” अंकल ने जवाब दया। “अब तुम दौड़कर घर जा सकती हो।”
“ठ क है,” ब ची ने जवाब दया। ले कन वह हली तक नह ।
अंकल अपने काम म लग गए। वे इतने त थे क इस तरफ़ उनका यान ही नह गया
क वह लड़क अब तक वहाँ से नह गई थी। ऊपर दे खने पर उ ह ने पाया क वह अब भी वह
खड़ी थी। वे गरजे, “मने तुमसे कहा था ना क घर चली जाओ! अब जाओ, वरना म तु ह मज़ा
चखा ँ गा।”
छोट लड़क ने कहा, “हाँ,” ले कन वह एक इंच भी नह हली।
अंकल ने गे ँ क वह बोरी नीचे गरा द , जसे वे च क म डालने वाले थे और एक लाठ
उठाकर ब ची क तरफ़ ऐसे भाव से चलने लगे, जससे यह लगता था क वह संकट म है।
डाब ने अपनी साँस रोक ली। उ ह प का यक़ न था क वे एक ह या के च मद द गवाह
बनने वाले ह। वे जानते थे क उनके अंकल का ग़ सा ब त तेज़ था। जब अंकल उस जगह पर
प ँच,े जहाँ वह लड़क खड़ी थी, तो वह फ़त से एक क़दम आगे आई, उनक आँख म दे खा
और अपनी तीखी आवाज़ बुलंद करके च लाई, “मेरी म मी को पचास सट चा हए!”
अंकल क गए, वे उसे एक मनट तक दे खते रहे, फर उ ह ने धीरे से लाठ फ़श पर रख
द , अपना हाथ जेब म डालकर आधा डॉलर बाहर नकाला और उस लड़क को दे दया।
ब ची ने पैसे लए और धीरे-धीरे दरवाज़े क तरफ़ पीछे चलने लगी। उसने उस आदमी से
अपनी नगाह नह हटाई, जसे उसने अभी-अभी हराया था। उसके जाने के बाद अंकल एक
ब से पर बैठ गए और खड़क से बाहर तज म दस मनट से यादा समय तक दे खते रहे। वे
व मय के साथ उस हार पर वचार कर रहे थे, जसका वाद उ ह ने अभी-अभी चखा था।
डाब भी सोच- वचार म डू ब गए। ज़दगी म पहली बार उ ह ने कसी बटाईदार क
लड़क को एक वय क स ाधारी को इरादतन हराते दे खा था। उसने ऐसा कैसे कया? उनके
अंकल को या हो गया था, जसक वजह से उनका ग़ सा ख़ म हो गया और वे भेड़ क तरह
आ ाकारी बन गए? इस ब ची ने कस अजीब श का इ तेमाल कया था, जससे वह इतने
बड़े से जीत गई? ये और इसी जैसे अ य डाब के दमाग़ म क धे, ले कन उ ह इनका
जवाब बरस बाद तब तक नह मला, जब तक क उ ह ने मुझे यह कहानी नह सुनाई।
अजीब बात यह है क इस असाधारण अनुभव क कहानी उ ह ने मुझे पुरानी च क म
बताई, ठ क उसी जगह पर जहाँ उनके अंकल क हार ई थी।
जब हम वहाँ सीलन भरी उस पुरानी च क म खड़े थे, तो डाब ने उस असाधारण
वजय क कहानी दोहराई और इसके अंत म पूछा, “आप इसका या मतलब नकाल सकते
ह? उस ब ची ने कस अजीब श का इ तेमाल कया, जससे मेरे अंकल घुटने टे कने पर
मजबूर हो गए?”
जब मने डाब को बताया क उस छोट ब ची ने अनजाने म वचार क श का
इ तेमाल कया था, जैसा इस अ याय क शु आत म बताया गया है, तो उ ह ने तुरंत जीवन
बीमा से समैन के प म अपने तीस वष के अनुभव को टटोला और खुलकर वीकार कया क
इस े म उ ह काफ़ सफलता उसी सबक़ क बदौलत मली थी, जो उ ह ने उस ब ची से
सीखा था।
डाब ने संकेत कया : “जब भी कोई संभा वत ाहक मुझसे ख़रीदे बना जाना चाहता
था, तो म हर बार उस पुरानी च क म खड़ी छोट लड़क को बड़ी-बड़ी आँख से अव ा म
घूरते दे खता था और ख़ुद से कहता था, ‘मुझे यह ब करनी चा हए।’ मने अब तक जतना भी
जीवन बीमा बेचा है, उसम से यादातर लोग के ‘ना’ कहने के बाद बेचा है।”
उ ह वह ग़लती भी याद थी, जब वे और उनके अंकल सोने से केवल तीन फ़ ट क री
पर ही क गए थे। ले कन उ ह ने कहा, “वह अनुभव एक छपा आ वरदान था। इसने मुझे
जुटे रहना सखाया, चाहे चलना कतना ही मु कल य न हो। यह एक ऐसा सबक़ था, जो मुझे
कसी भी चीज़ म सफल होने से पहले सीखने क ज़ रत थी।” डाब हर साल दस लाख डॉलर
से यादा का जीवन बीमा बेचते ह और इसका ेय वे अपने इन दोन अनुभव को दे ते ह।

हेनरी फ़ोड और उनका वी-8 इंजन


करोड़ लोग को हेनरी फ़ोड क उपल धयाँ मालूम ह और वे उनक ख़ुश क़ मती या भा य या
जी नयस या कसी सरी चीज़ से ई या करते ह, जसे वे फ़ोड क दौलत का ेय दे ते ह। शायद
लाख म से कोई एक ही फ़ोड क सफलता का रह य जानता है, ले कन ये जानकार लोग इतने
संकोची या अ न छु क होते ह क इसे बताते नह ह, य क यह ब त प है। एक घटना इस
रह य को आदश ढं ग से बता दे गी।
जब फ़ोड ने अब मश र हो चुक वी-8 मोटर बनाने का नणय लया, तो उ ह ने एक
ऐसा इंजन बनाने का चुनाव कया, जसके आठ स लडर एक ही लॉक म ह । उ ह ने अपने
इंजी नयर को इंजन डज़ाइन करने को कहा। डज़ाइन क़ागज़ पर बन गई, ले कन इंजी नयर
को यक़ न था क एक टु कड़े म आठ स लडर का गैस इंजन लॉक ढालना असंभव है।
फ़ोड ने कहा, “ फर भी इसे बना द।”
उ ह ने जवाब दया, “ले कन यह असंभव है!”
फ़ोड ने आदे श दया, “आगे बढ़ो और तब तक काम म लगे रहो, जब तक क तुम सफल
न हो जाओ, चाहे इसम कतना भी समय लग जाए।”
इंजी नयर आगे बढ़े रहे। अगर वे फ़ोड क नौकरी करते चाहते थे, तो उनके सामने सरा
कोई वक प भी नह था। छह महीने गुज़र गए, ले कन कुछ भी नह आ। छह महीने और बीत
गए, ले कन कुछ भी नह आ। इंजी नयर ने आदे श का पालन करने क हर संभव योजना
आज़माकर दे खी, ले कन यह “असंभव!” लग रहा था।
साल के अंत म फ़ोड ने इंजी नयर से बातचीत क और एक बार फर उ ह ने फ़ोड को
बताया क वे उनके वचार को साकार करने का कोई तरीक़ा नह खोज पाए थे। “जुटे रह,”
फ़ोड ने कहा, “म इसे चाहता ँ और म इसे पाकर र ँगा।”
वे जुटे रहे और फर जैसे जा के झटके से रह य उजागर हो गया। फ़ोड का संक प एक
बार फर जीत गया था!

हेनरी फ़ोड सफल इस लए ए, य क वे सफलता के स ांत


को समझते थे और उनका इ तेमाल करते थे। इन स ांत म
से एक है इ छा : यह जानना क हम चाहते या ह। सरा
स ांत है लगन : तब तक जुटे रहना, जब तक क मनचाही
व तु न मल जाए। आगे पढ़ते व त फ़ोड क यह कहानी याद
रख, य क इससे वह रह य और वे स ांत कट होते ह,
जनसे हर मनचाही चीज़ हा सल क जा सकती है।

म कशेक से रे ॉक के मैकडॉन ड् स तक
रे ॉक एक और अ छा उदाहरण ह, जनक अमीरी एक वचार से उ प ई थी। ॉक
म कशेक म सर बेचने वाले से समैन थे। उनके यादातर ाहक – रे तराँ और डाइनस –
एक-दो म सर ख़रीदते थे। जब उ ह सैन बरना डनो, कै लफ़ो नया के एक छोटे रे तराँ से आठ
म सर का ऑडर मला, तो उ ह ने वहाँ जाकर दे खने का नणय लया क यहाँ इतने सारे शेक
कैसे बक रहे ह। इतना त रे तराँ उ ह ने पहले कभी नह दे खा था। दोन भाइय का मे यू
ब त सी मत था : हैमबगर, चीज़बगर, च ाइज़, शेक और सॉ ट क, उस इलाक़े म सबसे
कम क़ मत पर।
ॉक ने एक अवसर दे खा। अगर वे इन रे तराँ क चेन खोल ल, जनम से हर एक
इसी जैसा लोक य और लाभदायक हो, तो पैसा पानी क तरह बहता आ अंदर आ जाएगा।
उ ह ने मैकडॉन ड बंधु के सामने यह वचार रखा, जसके लए वे तैयार हो गए, बशत ॉक
साथ ह । कुछ ही वष म मैकडॉन ड् स न सफ़ दे श म सबसे यादा बकने वाला रे तराँ बन
गया, ब क इसने फ़ा ट-फ़ूड उ ोग को ज म भी दया। बाद म ॉक ने मैकडॉन ड बंधु क
ह सेदारी ख़रीद ली और वसाय का अंतररा ीय व तार कया, जससे वे अपने युग के सबसे
अमीर य म से एक बन गए।

मैकडॉन ड् स एक वचार से शु आ था – इलाक़े म सबसे


कम भाव पर सी मत मे यू दान करना। यह व ापी म ट -
ब लयन डॉलर, फ़ा ट फूड चाइजी म एक और वचार क
वजह से वक सत आ – इन फ़ा ट फूड रे तराँ क चेन
बनाना। दोन वचार अमूत थे, ले कन अंततः इ ह क वजह से
मूत दौलत उ प ई।

इस पु तक के बारे म
यादातर लोग ख़ुद को और जीवन म अपनी थ त को बेहतर बनाने क स ची इ छा रखते ह।
वे यह रह य जानने के लए बेताब ह क लोग दौलतमंद कैसे बने। कई दौलतमंद लोग ने ख़ुद के
दम पर जीवन के ये मह वपूण सबक़ सीखे ह, जैसे डाब ने अपनी और अपने अंकल क सोने
से तीन फ़ ट र कने क ग़लती से सीखा और जैसे उ ह ने 50 सट का लगन का सबक़ सीखा।
बहरहाल, कुछ सर को ऐसे मू यवान सबक़ दे खने या इनसे ान हा सल करने क यो यता का
सौभा य मला है। मने यह पु तक इस लए लखी है, ता क यह रह य यादा लोग तक प ँच
जाए।

दौलत एक मान सक अव था से, एक न त उद्दे य से शु


होती है, जसम ब त कम मेहनत लगे या बलकुल भी न लगे।

मने शोध म प चीस साल बताए ह, 500 से यादा दौलतमंद लोग से बातचीत क है
और 25,000 से यादा लोग का व ेषण कया है, जो अमीर बनने क को शश म नाकाम रहे
थे, य क म भी यह जानना चाहता था क लोग कैसे अमीर बने। उस शोध के बना यह पु तक
नह लखी जा सकती थी।
आगे पढ़ते व त यह बात हमेशा याद रख : अमीरी एक मान सक अव था से, एक
न त उद्दे य से शु होती है, जसम ब त कम मेहनत लगे या बलकुल भी न लगे। इस
पु तक म आप सीखगे क अमीरी को आक षत करने वाली मान सक अव था कैसे हा सल क
जाए। जब आप सोचना और अमीर बनना शु करते ह, तो आपको ज द ही यह पता चल
जाएगा :

जब अमीरी आनी शु होती है, तो यह इतनी ज द आती है, इतनी भारी मा ा म


आती है क इंसान को आ य होता है क तंगी के इतने सारे वष म यह कहाँ छपी
थी।
यह एक आ यजनक कथन है और तब और भी आ यजनक लगता है, जब हम इस
लोक य ग़लतफ़हमी पर वचार करते ह क अमीरी केवल उ ह लोग के पास आती है, जो लंबे
समय तक कड़ी मेहनत करते ह।
आईने के सामने खड़े होने पर
आप अपने सबसे अ छे म और अपने
सबसे बड़े श ु को दे ख सकते ह।
ख़ुद को जान और बेहतर बनाएँ

“ख़ु द को जानो!” ब त पुरानी नसीहत है। कसी भी ल य म सफल होने के लए आपको


ख़ुद को जानना चा हए, अपनी श य व कमज़ो रय को जानना चा हए और अपनी
श याँ बढ़ाने तथा कमज़ो रयाँ ख़ म करने क नरंतर को शश करनी चा हए। व ही सफलता
और असफलता दोन का सबसे आम कारण है। इंसान के व म कोई भी कमज़ोरी सफलता को
कम कर दे ती है। यहाँ म आपको दखाता ँ क आप अपना मू यांकन ख़ुद कैसे कर; दरअसल
म ऐसा करने के लए आपको ो सा हत करता ँ। यहाँ सफलता क 31 आम बाधा क
सूची द जा रही है, ता क आप उ ह अपने रा ते से हटाने का काम शु कर सक।

व ही सफलता और असफलता दोन का सबसे आम कारण


है।

चुनाव कर क आप नेतृ व करगे या अनुसरण


दौलत सं ह करने क व श नी त का नणय लेने से पहले आपको यह तय कर लेना चा हए
क आप अमीरी का पीछा लीडर के प म करने वाले ह या अनुयायी के प म :

लीडस अवसर बनाकर और अपने अनुया यय को इस दशा म े रत करके दौलत सं ह


करते ह क वे ॉड ट् स डज़ाइन कर, उनका उ पादन कर, ॉड ट् स व सेवा क
माक टग कर और बाज़ार म वत रत कर।
अनुयायी लीडस क नौकरी म अपना वशेष तापूण ान बेचकर दौलत सं ह कर सकते
ह।

अनुयायी होना कोई अपमान क बात नह है। सरी तरफ़, अनुयायी बने रहने म कोई
गौरव क बात भी नह है। यादातर महान लीडर ने अनुयायी क है सयत से काम शु कया
था। वे महान लीडर इस लए बने, य क वे समझदार अनुयायी थे। कुछ अपवाद को छोड़ दया
जाए, तो जो लोग कसी लीडर का बु म ापूवक अनुसरण नह कर सकते, वे कुशल लीडर
नह बन सकते। जो लोग कसी लीडर का सबसे कुशलता से अनुसरण करते ह, उ ह क नेतृ व
कला म आम तौर पर सबसे तेज़ी से नखार आता है। समझदार अनुयायी होने के कई लाभ होते
ह, जनम लीडर से ान हा सल करने का अवसर भी शा मल है।

भुगतान म भारी अंतर होता है। अनुयायी ता कक से लीडर


जतने भुगतान क उ मीद नह कर सकता, हालाँ क कई
अनुयायी ऐसी उ मीद रखने क ग़लती कर बैठते ह।

नेतृ व क मु य वशेषता को पहचान


अगर आप लीडर के प म अमीरी का पीछा करने का चुनाव करते ह, तो सु न त कर ल क
आपम नीचे द ग 11 अ नवाय नेतृ व वशेषताएँ ह :
1. अटल साहस, जो वयं के और अपने पेशे के ान पर आधा रत हो : कोई भी
अनुयायी ऐसे लीडर के अधीन नह रहना चाहता, जसम आ म व ास और साहस क
कमी हो। कोई भी बु मान अनुयायी यादा समय तक ऐसे लीडर के अधीन नह रहेगा।
2. आ म- नयं ण : जो लोग ख़ुद को नयं त नह कर सकते, वे सर को भी नयं त
नह कर सकते। आ म- नयं ण अनुया यय के लए एक सश मसाल बन जाता है,
जसका बु मान अनुयायी अनुकरण करते ह।
3. याय का ती ण अहसास : न प ता और याय के अहसास के बना कोई लीडर अपने
अनुया यय का स मान हा सल नह कर सकता, न ही क़ायम रख सकता है।
4. न त नणय : जो लोग नणय लेने म हचकते ह, उ ह ख़ुद पर भरोसा नह होता है। वे
सर का सफलतापूवक नेतृ व नह कर सकते।
5. न त योजनाएँ : सफल लीडर को अपने काम क योजना बनानी चा हए और योजना
के मुता बक़ काम करना चा हए। जो लीडर अंदाज़े से चलता है या ावहा रक तथा
न त योजना के बना काम करता है, वह बगैर पतवार या रडार वाले जहाज़ जैसा
होता है। दे र सबेर इसका चट् टान से टकराना तय है।
6. जतना भुगतान मलता है, उससे यादा करने क आदत : लीडस अपने अनुया यय
से जो अपे ा रखते ह, उससे यादा उ ह ख़ुद करना चा हए।
7. सुखद व : कोई भी असावधान या लापरवाह सफल लीडर नह बन
सकता। नेतृ व के लए स मान क ज़ रत होती है। अनुयायी ऐसे लीडर का स मान नह
करगे, जसका व सुखद न हो, जसे कई बार क र माई व कहा जाता है।
8. सहानुभू त और समझ : सफल लीडस को अपने अनुया यय के साथ सहानुभू त रखनी
चा हए। यही नह , उ ह अनुया यय और उनक सम या को समझना चा हए।
9. ववरण म महारत : सफल नेतृ व के लए यह ज़ री है क लीडर पद के ववरण म
मा हर हो।
10. पूरी ज़ मेदारी लेने क इ छा : सफल लीडर अपने अनुया यय क ग़ल तय और
खा मय क ज़ मेदारी लेने को तैयार रहते ह। अगर वे यह ज़ मेदारी कसी सरे पर
ढोलने क को शश कर, तो वे लीडर नह रहगे। अगर अनुयायी ग़लती करते ह या ख़ुद
को अयो य सा बत करते ह, तो यह दरअसल लीडर क असफलता है।
11. सहयोग : सफल लीडर को सहयोगपूण यास का स ांत समझना और लागू करना
चा हए। यही नह , उसे अनुया यय को भी ऐसा ही करने के लए े रत करना चा हए।
नेतृ व के लए श क ज़ रत होती है और श के लए सहयोग ज़ री होता है।

नेतृ व म असफलता के दस अहम कारण को दज कर


या करना है, यह जानना मह वपूण है। ले कन यह जानना भी उतना ही मह वपूण है क या
नह करना है। नेतृ व म असफलता के दस अहम कारण ये ह :
1. ववरण को व थत करने क अ मता : कायकुशल नेतृ व के लए ववरण म
मा हर होने और व थत होने क द ता आव यक है। कोई भी स चा लीडर कभी
इतना त नह होता क कोई ऐसी चीज़ न करे, जो उसे लीडर के प म करनी
चा हए। अगर कोई लीडर या अनुयायी इतना त रहे क योजनाएँ न बदल या कसी
आपातकालीन थ त का मुक़ाबला न करे, तो यह अकुशलता का संकेत है। सफल
लीडर को पद से जुड़े सभी ववरण म मा हर होना चा हए। ज़ा हर है, इसका मतलब यह
है क लीडर म भावी ढं ग से ज़ मेदा रयाँ स पने क मता होनी चा हए।
2. वन सेवा करने क अ न छा : स चे महान लीडर हर वह म करने के लए तैयार
रहते ह, जो वे कसी सरे से करने को कह सकते ह। “तुमम से महानतम सभी का
सेवक होगा।” यह एक ऐसा स य है, जसे सभी यो य लीडर मानते ह और जसका वे
स मान करते ह।
3. जो वे “करते” ह, उसके बजाय जो वे “जानते” ह, उसके लए भुगतान क
अपे ा करना : संसार उस ान के लए भुगतान नह करता है, जो लोग “जानते” ह।
यह तो उ ह उस चीज़ के लए भुगतान दे ता है, जो वे करते ह या सर को करने के लए
े रत करते ह।
4. अनुया यय से त पधा का डर : जो लीडर इस बात से डरता है क उसका कोई
अनुयायी उसका पद ह थया सकता है, उसके इस डर का सच होना दे र-सबेर तय है।
यो य लीडर अपने अधीन थ को श त करते ह, ता क वे उ ह इ छानुसार काम स प
सक। केवल इसी तरह लीडर ख़ुद को कई गुना करते ह और एक साथ कई जगह पर रह
सकते ह तथा एक साथ कई जगह पर यान दे सकते ह। यह एक शा त स य है क
लोग ख़ुद क को शश से जतना कमा सकते ह, उससे यादा वेतन उ ह सर से
दशन कराने क यो यता के लए मलता है। अपने कामकाज के ान और अपने
व क चुंबक यता के ज़ रये कायकुशल लीडर सर क कायकुशलता को ब त
बढ़ा सकते ह और उ ह इतनी यादा तथा बेहतर सेवा दे ने के लए े रत कर सकते ह,
जतनी वे अपने दम पर ख़ुद नह कर सकते।
5. क पना का अभाव : क पना के बना लीडर आपातकालीन थ तय से नह नबट
पाते ह या ऐसी योजनाएँ नह बना पाते ह, जनके ारा वे कायकुशलता से अनुया यय
का मागदशन कर सक।
6. वाथ : जो लीडर अपने अनुया यय के काम के लए सारा स मान ह थया लेते ह, उ ह
न त प से े ष मलेगा। महान लीडर कसी स मान का दावा नह करते। उ ह तो इस
बात से संतु मलती है क हर मलने वाला स मान उनके अनुया यय के पास जाए,
य क वे जानते ह क यादातर लोग सफ़ पैसे के लए जतनी मेहनत करगे, उससे
यादा कड़ी मेहनत वे शंसा और स मान के लए करगे।
7. असंयम : अनुयायी असंयमी लीडर का स मान नह करते ह। यही नह , असंयम चाहे
जस कार का हो, यह सभी संल न लोग क सहनश और उ साह को ख़ म कर
दे ता है।
8. व ासघात : शायद इसे इस सूची म सबसे ऊपर आना चा हए। जो लीडर अपने
सहयो गय (उनसे ऊपर और नीचे वाल ) तथा उनके व ास के त न ावान नह होते,
वे लंबे समय तक अपने नेतृ व को क़ायम नह रख सकते। व ासघात इंसान को धूल से
भी नीचे ले आता है और इससे इंसान को जायज़ तर कार मलता है। न ाहीनता जीवन
के हर े म असफलता का एक मु य कारण है।
9. नेतृ व क “स ा” पर ज़ोर : कायकुशल लीडर अपने अनुया यय के दल म डर
भरकर नेतृ व नह करते; इसके बजाय वे ो साहन करके नेतृ व करते ह। जो लीडर
अपनी “स ा” से अनुया यय पर दबदबा बनाने क को शश करते ह, वे श के ज़ रये
नेतृ व क ेणी म आते ह। स चे लीडर को इस त य के व ापन क कोई ज़ रत नह
होती। वे अपने वहार, सहानुभू त, समझ, न प ता और काम के ान के दशन से
ऐसा कर दे ते ह।
10. पदनाम पर ज़ोर : अपने अनुया यय का स मान हा सल करने के लए स म लीडर को
कसी “पदनाम” क ज़ रत नह होती। जो लीडर पदनाम पर ब त ज़ोर दे ते ह, उनके
पास ज़ोर दे ने के लए सरी चीज़ ब त कम होती ह। स चे लीडर के ऑ फ़स के
दरवाज़े उन सभी के लए खुले होते ह, जो दा ख़ल होना चाहते ह। उनके कामकाज क
जगह औपचा रकता या भड़क ले दशन से मु होती है।
ये नेतृ व म असफलता के सबसे आम कारण ह। इनम से एक ग़लती भी असफलता
सु न त करने के लए पया त है। अगर आप नेतृ व तक प ँचना चाहते ह, तो इस सूची का
सावधानी से अ ययन कर और ख़ुद को इन दोष से मु कर ल।

नए नेतृ व के लए उपजाऊ े क तलाश कर


नेतृ व के अवसर सभी े म भरे ए ह, य क लीडर मू य म वृ करने वाले अवसर बनाते
और पहचानते ह। यहाँ कुछ उपजाऊ े दए जा रहे ह, जहाँ नेतृ व म कमी का अनुभव आ
है और जनम नए कार के लीडर को चुर अवसर मल सकते ह :

राजनी त : ईमानदार सुयो य नेता क माँग कसी संकट से कम नह है। ऐसा लगता
है क ब त सारे नेता उ च को ट के वैधा नक धंधेबाज़ बन गए ह। उ ह ने टै स बढ़ा दए
ह और उ ोग तथा वसाय के तं को कर दया है। अब बोझ इतना बढ़ चुका है
क लोग से बदा त नह हो रहा है।
व और अथशा : व ीय बाज़ार म द घकालीन वै क अ थरता ने जनता के
व ास को लगभग न कर दया है। संसार को ऐसे लीडर क ज़ रत है, जो थर
आ थक तं के व ीय स ांत को समझ और जनम इतनी नै तक अखंडता हो क वे
सही चीज़ कर। उ ह तं के वा य क क़ मत पर व ीय सं था को अ पकालीन
लाभ नह प ँचाना चा हए।
वसाय : पुराने ज़माने के लीडर मानवीय समीकरण के बजाय लाभ के संदभ म
सोचते और काम करते थे! कमचा रय का शोषण और सामू हक सौदे बाज़ी कंप नय को
कारोबार से बाहर कर दे ती ह और ये अतीत क चीज़ ह या उ ह ऐसा होना चा हए। जो
लोग वसाय, उ ोग और म के े म नेतृ व करना चाहते ह, उ ह यह याद रखना
चा हए।
धम : भ व य के धा मक नेता को मृत अतीत और अब तक अज मे भ व य के बजाय
उनके अनुया यय क वतमान आव यकता पर यादा यान दे ने के लए ववश होना
पड़ेगा, ख़ास तौर पर गत आ थक थ त और संबंध के संदभ म।
पेशे : क़ानून, च क सा और श ा के पेश म नेतृ व का एक नया ांड और कुछ हद
तक नए लीडर ज़ री हो जाएँगे। यह ख़ास तौर पर श ा के े म सच है, जहाँ
श ा वद को लोग को यह सखाने के तरीक़े खोजने चा हए क कूल-कॉलेज म
हा सल ान को असली ज़दगी म लागू कैसे कया जाए। उ ह स ांत से कम और
अ यास से यादा सरोकार रखना चा हए।
मी डया : मी डया (समाचारप , प काएँ, फ़ म, टे ली वज़न, गे स, वेबसाइट, रे डयो
आ द) म त क को ढालता है और स यता क भावी दशा तय करता है। इस े म
समझदार, पूवा ह र हत लीडर क ज़ रत है, ता क वे सकारा मक प रवतन सु न त
करने के लए इन श शाली औज़ार का ज़ मेदारी भरा उपयोग कर।

ये उन े म से मा कुछ ह, जनम आज नए लीडर और नेतृ व के नए ांड के लए अवसर


मौजूद ह।

लीडर वह होता है, जो अवसर उ प करता है और अनुया यय


को े रत करता है क वे ॉड ट् स डज़ाइन कर, उनका
उ पादन कर और ॉड ट् स व सेवा क माक टग कर तथा
बाज़ार म वत रत कर।

सहम त से नेतृ व का मह व जान


नेतृ व दो कार का होता है :

सहम त से नेतृ व, जसम अनुया यय क सहम त तथा सहानुभू त होती है और यह


सबसे भावी होता है
श से नेतृ व, जसम अनुया यय क कोई सहम त या सहानुभू त नह होती, इस लए
यह क़ायम नह रह पाता है।

इ तहास म ब त से माण ह क श आधा रत नेतृ व क़ायम नह रह सकता।


तानाशाह और राजा का पतन तथा ग़ायब होना मह वपूण है। इसका अथ है क लोग श
पर आधा रत नेतृ व का लंबे समय तक अनुसरण नह करगे। संसार लीडर और अनुया यय के
आपसी संबंध के एक नए युग म दा ख़ल हो चुका है, जो प प से वसाय और उ ोग म
नए लीडर तथा नेतृ व के एक नए ांड क माँग करता है।
जो लोग श पर आधा रत नेतृ व के पुराने वचार के हमायती ह, उ ह नेतृ व (सहयोग)
के नए ांड क समझ हा सल करनी चा हए, वरना वे अनुया यय क ेणी म पीछे प ँच
जाएँग।े उनके लए कोई सरा रा ता नह है।
भ व य म कमचारी और नयो ा, या लीडर और अनुयायी का संबंध आपसी सहयोग
का होगा तथा यह ावसा यक लाभ के उ चत वभाजन पर आधा रत होगा। भ व य म
नयो ा और कमचारी का आपसी संबंध अतीत के मुक़ाबले साझेदारी जैसा यादा होगा।
हटलर, टा लन और सद्दाम सैन सभी श आधा रत नेतृ व के उदाहरण ह। उनका ज़माना
और उनका नेतृ व गुज़र गया है।
यादा मु कल के बना इंसान अमे रका के कारोबारी, व ीय और मक नेता के
उदाहरण क ओर संकेत कर सकता है, ज ह सहासन से उतार दया गया है और जनका
जाना तय था। अनुया यय क सहम त पर आधा रत नेतृ व ही एकमा ांड है, जो थायी तौर
पर क़ायम रह सकता है!

श पर आधा रत नेतृ व क़ायम नह रह सकता। लोग


मजबूरी म कुछ समय तक ऐसे नेतृ व का अनुसरण कर सकते
ह, ले कन वे ऐसा इ छा से या लंबे समय तक नह करगे।

नेतृ व का नया ांड नेतृ व क यारह बु नयाद वशेषता के साथ-साथ कई अ य


वशेषता को अंगीकार करेगा, जनका वणन इस अ याय म कया गया है। जो लोग इ ह
अपने नेतृ व क न व बनाते ह, उ ह जीवन के हर े म नेतृ व करने के चुर अवसर मलगे।

सफलता क बाधाएँ हटाएँ : असफलता के 31 मु य कारण


जीवन क बड़ी ासद उन ब सं यक लोग म न हत है, जो सचमुच को शश करते ह, ले कन
फर भी नाकाम रहते ह, जब क सफ़ चंद लोग ही सफल हो पाते ह।
मुझे कई हज़ार ी-पु ष के व ेषण का अवसर मला है, जनम से 98 तशत
असफल क ेणी म आते थे। ऐसी स यता और श ा णाली म बु नयाद तौर पर कुछ ग़लत
है, जो 98 तशत लोग को जीवन म असफल होने क अनुम त दे ती है। ले कन मने यह पु तक
संसार क सही और ग़लत चीज़ पर नै तक श ा दे ने के उद्दे य से नह लखी है; इसके लए
तो इस पु तक से सौ गुना बड़ी पु तक क ज़ रत होगी।

आप अपने सबसे अ छे म और अपने सबसे बड़े श ु को


एक साथ दे ख सकते ह; इसके लए आपको बस आईने के
सामने खड़े होना है।
मेरे व ेषण ने सा बत कया क असफलता के कम से कम 31 कारण ह और 17
क़दम ह, जो लोग दौलत सं ह के लए उठाते ह। नीचे असफलता के 31 मु य कारण क सूची
द जा रही है। साथ ही कसी अ य बहाने के लए एक खुली ेणी भी है, जो लोग सफल न होने
के लए सोच सकते ह। सूची दे खते व त हर ब पर ख़ुद क जाँच कर और यह पता लगाएँ क
असफलता के इन कारण म से कतने आपके और आपक सफलता के बीच खड़े ह।
1. तकूल आनुवां शक पृ भू म : जो लोग कमज़ोर मान सक श के साथ पैदा ए ह,
उनके लए ब त कम कया जा सकता है। इस दशन म इस कमज़ोरी पर पुल बनाने का
केवल एक तरीक़ा बताया गया है – मा टर माइंड क सहायता। बहरहाल, यह बात जान
ल क असफलता के 31 कारण म यही एकमा कारण है, जसे कोई आसानी से
सही नह कर सकता।
2. जीवन म न त उद्दे य का अभाव : उस के लए सफलता क कोई आशा
नह है, जसके पास नशाना साधने के लए कोई क य ल य, कोई न त उद्दे य ही
न हो। मने जन लोग का व ेषण कया है, उनम से 98 तशत के पास ऐसा कोई
ल य नह था। संभवतः यही उनक असफलता का मु य कारण था।
3. औसत से ऊपर ल य बनाने क मह वाकां ा का अभाव : उस के लए कोई
उ मीद नह है, जो इतना उदासीन हो क जीवन म आगे न नकलना चाहता हो और
इसक क़ मत चुकाने को तैयार न हो।
4. अपया त श ा : यह एक ऐसी अड़चन है, जससे उबरना तुलना मक से आसान
है। अनुभव ने सा बत कया है क सबसे अ छ तरह श त लोग ायः वे होते ह, जो
“ व- न मत” या व- श त होते ह। श त का मतलब कॉलेज ड ी होना ही
नह है। श त तो वह है, जसने सर के अ धकार का हनन कए बना जीवन
म अपनी मनचाही चीज़ पाना सीख लया है। श ा म ान उतना मायने नह रखता है;
मायने तो यह रखता है क उस ान का भावी ढं ग से और लगन से इ तेमाल कया
जाए। लोग को उनके ान के लए भुगतान नह मलता; उ ह तो भुगतान ख़ास तौर पर
इसके लए मलता है क वे अपने ान के साथ करते या ह।
5. आ म-अनुशासन का अभाव : अनुशासन आ म- नयं ण से आता है। इसका मतलब
है क इंसान को सारे नकारा मक गुण को नयं त करना चा हए। प र थ तय को
नयं त करने से पहले आपको ख़ुद को नयं त करना चा हए। ख़ुद पर वजय पाना
सबसे मु कल काम है। अगर आप ख़ुद पर वजय नह पाते ह, तो व आप पर वजय
पा लेगा। अगर आप आइने के सामने खड़े ह , तो आप अपने सबसे अ छे म और
अपने सबसे बड़े श ु को एक साथ दे ख सकते ह।
6. ख़राब वा य : कोई भी अ छे वा य के बना उ कृ सफलता का आनंद नह
ले सकता है। ख़राब वा य के कई कारण को नयं त कया जा सकता है। मु य
कारण ये ह :
यादा भोजन करना, जो वा य के लए लाभकारी न हो
हा नकारक पदाथ का अ त सेवन, जैसे सगरेट और शराब
सोचने क ग़लत आदत; नकारा मक बात बोलना
से स का ग़लत इ तेमाल और अ त संल नता
उ चत शारी रक ायाम का अभाव
अनु चत तरीक़े से साँस लेने के कारण ताज़ी हवा क अपया त आपू त।

7. बचपन म तकूल प रवेशीय भाव : “जैसी टहनी मोड़ी जाती है, वैसा ही पेड़ बढ़ता
है।” जन लोग म आपरा धक वृ याँ होती ह, उनम से यादातर बचपन म बुरे माहौल
और ग़लत सा थय के फल व प इ ह सीखते ह।
8. टालमटोल : यह असफलता के सबसे आम कारण म से एक है। “वृ टालमटोल” सभी
लोग क छाया के भीतर खड़ा होता है और सफलता के अवसर बगाड़ने क ताक म
रहता है। हमम से यादातर लोग जीवन म असफल इस लए हो जाते ह, य क हम
कोई साथक काम शु करने के लए “सही समय” का इंतज़ार करते रहते ह। इंतज़ार न
कर। समय “ बलकुल सही” कभी नह होगा। वह शु कर, जहाँ आप खड़े ह और जो
भी औज़ार आपके पास ह , उनसे काम शु कर द। जब आप राह म आगे बढ़गे, तो
बेहतर औज़ार अपने आप मल जाएँग।े
9. लगन क कमी : हमम से यादातर अ छे “शु आती” होते ह, ले कन हम शु हो चुके
काम को “पूरा करने म नाकाम” रहते ह। यही नह , लोग म पराजय के पहले संकेत पर
हार मानने क आदत होती है। लगन का कोई वक प नह है। लगनशील के
सामने “वृ असफलता” आ ख़रकार थक जाती है और र चली जाती है। असफलता
लगन से मुक़ाबला नह कर सकती।
10. नकारा मक व : उस क सफलता क कोई उ मीद नह है, जो
नकारा मक व क वजह से लोग को वक षत कर दे ता है। सफलता श के
इ तेमाल से मलती है और श सर के सहयोगी यास के ज़ रये हा सल क जाती
है। नकारा मक व लोग को सहयोग के लए े रत नह करता है।
11. अ नयं त यौन आकां ा : यौन ऊजा लोग को कम म वृ करने वाली सबसे
श शाली उद्द पक है। चूँ क यह सबसे श शाली भाव है, इस लए इसे पांतरण
ारा और सरे माग म बदलकर नयं त करना चा हए।
12. “कुछ नह के बदले कुछ पाने” क अ नयं त इ छा : जुए क भावना करोड़ लोग
को असफल बना दे ती है। इसका माण 2000 के दशक क शु आत म डॉट कॉम पतन
के अ ययन म पाया जा सकता है, जस दौरान करोड़ लोग ने कंप नय म नवेश करके
रात रात अमीर बनने क को शश क थी।
13. प नणय क श का अभाव : सफल लोग तुरंत नणय पर प ँचते ह और अगर
उ ह कभी बदलते ह, तो ब त धीरे-धीरे। असफल लोग अगर कभी नणय पर प ँचते ह,
तो ब त धीरे-धीरे प ँचते ह और उ ह अ सर तथा ब त ज द -ज द बदलते रहते ह।
अ नणय और टालमटोल जुड़वाँ बहन ह। जहाँ एक पाई जाती है, आम तौर पर वह
सरी भी पाई जाती है। वे आपको असफलता क च क से “बाँध” द, इससे पहले ही
इस जोड़ी को मार डाल।
14. छह बु नयाद डर म से एक या अ धक : इन डर का व ेषण क़दम 3 म कया गया
है। आप अपनी सेवा क भावी माक टग कर सक, इससे पहले आपको उन पर
वजय पा लेना चा हए।
15. ववाह म जीवनसाथी का ग़लत चुनाव : यह असफलता का सबसे आम कारण है।
वैवा हक संबंध लोग को अंतरंग संपक म लाता है। जब तक यह संबंध सद्भावपूण न
हो, तब तक असफलता मलने क आशंका रहती है। यही नह , इस तरह क असफलता
म भारी ख और नाख़ुशी भी होगी, जससे मह वाकां ा के सारे ल ण न हो जाएँग।े
16. अ त-सावधानी : जो कोई जो खम नह लेता, आम तौर पर उसे वही मलता है,
जो सर के चुनने के बाद बचा रहता है। अ त-सावधानी भी उतनी ही बुरी है जतनी क
अ प-सावधानी। दोन ही अ तय से अपनी र ा कर। दरअसल पूरा जीवन ही जो खम
से भरा आ है।
17. वसाय म सहयो गय का ग़लत चुनाव : यह वसाय म असफलता के सबसे आम
कारण म से एक है। गत सेवा के े म इंसान को ब त सावधानी से ऐसा
नयो ा चुनना चा हए, जो ेरक, बु मान और सफल हो। हम उ ह लोग का
अनुसरण करते ह, जनके साथ हमारा क़रीबी जुड़ाव रहता है। ऐसा नयो ा चुन, जो
अनुकरण करने लायक़ हो।
18. अंध व ास और पूवा ह : अंध व ास डर का प है। यह अ ान का चह्न भी है।
सफल लोग अपना दमाग़ खुला रखते ह और कसी चीज़ से घबराते नह ह।
19. पेशे का ग़लत चुनाव : कोई भी उस े म सफल नह हो सकता, जसे वह पसंद न
करता हो। गत सेवा क माक टग म सबसे अ नवाय क़दम एक ऐसा पेशा चुनना
है, जसम आप ख़ुद को पूरे दल से झ क सक।
20. यास क एका ता का अभाव : “सभी े म छु टपुट दख़ल रखने वाला ”
शायद ही कसी े म अ छा होता है। अपने सभी यास कसी एक न त मु य
उद्दे य पर एका कर।
21. फजूलख़च क आदत : फजूलख़च लोग सफल नह हो सकते, मु यतः इस लए
य क वे हमेशा ग़रीबी के डर म रहते ह। अपनी आमदनी का न त तशत ह सा
अलग रखकर सु नयो जत बचत क आदत डाल। जब गत सेवा क ब के
लए सौदे बाज़ी क बात आती है, तो बक म रखा पैसा इंसान को साहस क ब त
सुर त न व दान करता है। पैसे के बना इंसान को वही लेना होता है, जो दया जाता
है और इसे पाकर ख़ुश होना होता है।
22. उ साह का अभाव : उ साह के बना इंसान सर को कसी बात का व ास नह दला
सकता। यही नह , उ साह सं ामक होता है और इसे नयं ण म रखने वाले का
आम तौर पर लोग के हर समूह म वागत होता है।
23. अस ह णुता : कसी वषय पर दमाग़ “बंद” रखने वाला शायद ही कभी आगे
नकल पाता है। अस ह णुता का मतलब यह है क ने ान हा सल करना छोड़
दया है। अस ह णुता के सबसे वनाशकारी प धा मक, जातीय और राजनी तक
मत भ ता से जुड़े होते ह।
24. असंयम : असंयम के सबसे वनाशकारी प खान-पान, शराब और यौन ग त व धय से
जुड़े होते ह। इनम से कसी म भी अ त संल नता सफलता के लए घातक है।
25. सर के साथ सहयोग करने क अ मता : जीवन म जतने लोग इस ग़लती के
कारण अपनी है सयत और बड़े अवसर खोते ह, उतने बाक़ सभी कारण को मलाकर
भी नह खोते। यह एक ऐसा दोष है, जसे कोई भी जानकार बज़नेस ए ज़ी यू टव या
लीडर बदा त नह करेगा।
26. श का अ धकार, जो ख़ुद क को शश से हा सल नह क गई थी : (यह
दौलतमंद प रवार के बेटे-बे टय और उन सभी लोग पर लागू होता है, ज ह पैसा
वरासत म मलता है, ज ह ने इसे कमाया नह था)। जन लोग ने इसे धीरे-धीरे अ जत
नह कया, उनके हाथ म श ायः सफलता के लए घातक होती है। फटाफट मली
अमीरी ग़रीबी से यादा ख़तरनाक होती है।
27. इरादतन बेईमानी : ईमानदारी का कोई वक प नह है। जन प र थ तय पर कोई
नयं ण न हो, उनम कोई भी कुछ समय के लए बेईमान हो सकता है, ले कन इससे
कोई थायी नुक़सान नह होता। मगर जो लोग जान-बूझकर बेईमानी करते ह, उनके
लए कोई उ मीद नह है। दे र-सबेर उनके बुरे काम उनके पीछे पड़ जाएँगे और उ ह
त ा तथा शायद वतं ता खोकर भी क़ मत चुकानी होगी।
28. अहंकार और घमंड : ये गुण लाल ब याँ ह, जो सर को र रहने क चेतावनी दे ते
ह। वे सफलता के लए घातक होते ह।
29. सोचने के बजाय अनुमान लगाना : यादातर लोग इतने उदासीन या आलसी होते ह
क वे असली त य खोजने क मेहनत ही नह करते ह, जनसे सट कता से सोचा जा
सकता है। वे अटकलबाज़ी या व रत आकलन से उ प “राय” पर काम करना यादा
पसंद करते ह।
30. पूँजी क कमी : यह पहली बार वसाय शु करने वाले लोग क असफलता का एक
आम कारण है, य क इन लोग के पास त ा बनने तक अपनी ग़ल तय का झटका
सहन करने और वसाय चलाते रहने के लए पया त पूँजी नह होती है।
31. अ य : इसम असफलता के उस न त कारण को रख ल, जसक वजह से आपने क
उठाया है, ले कन जो इस सूची म नह है।

सलाह : असफलता के इन 31 आम कारण के संदभ म अपना


आकलन कर, फर एक या यादा य से अपना आकलन
करने को कह – शायद सुपरवाइज़र, म , श क, सहकम
और ाहक। कई अलग-अलग कोण होने पर आपको
अपनी श याँ और कमज़ो रयाँ यादा पूण और न प
तरीक़े से दखाई दे ती ह।

अपने पास मौजूद अवसर और संसाधन को मह व द


बहाने बनाना सफलता क राह म एक मु य बाधा है। इसे पछले खंड म ख़ास तौर पर नह
बताया गया है, ले कन इसे सूची के हर ब म रखा जा सकता है। व- ान और व-सुधार क
या म आपको यह पहचानना होता है क आप कब बहाने बना रहे ह और इस तरह अपनी
ही सफलता को सी मत कर रहे ह। आपको अपना नज़ रया बदलना चा हए और अपने पास
मौजूद लाभ का मह व समझना चा हए, ख़ास तौर पर अगर आप अमे रका जैसे पूँजीवाद दे श
म रह रहे ह । आइए इस बात क सूची बनाते ह क अमे रका कम या यादा दौलत चाहने वाले
को कौन-कौन से अवसर दान करता है।
शु आत म, हम सभी को यह याद रखना चा हए क हम एक ऐसे दे श म रहते ह, जहाँ
क़ानून का पालन करने वाले हर नाग रक को वचार और काय क ऐसी वतं ता हा सल है,
जसक तुलना पूरे संसार म कह नह हो सकती। हमम से यादातर ने कभी इस वतं ता के
लाभ क सूची नह बनाई है। हमने कभी अपनी असी मत वतं ता क तुलना सरे दे श क
कम वतं ता से नह क है।
यहाँ अमे रका म हमारे पास वचार क वतं ता है; श ा के चयन और आनंद क
वतं ता है; धम क वतं ता है तथा राजनी त म वतं ता है। कसी भी वसाय, पेशे या
कारोबार के चयन क वतं ता है; जतनी भी जायदाद हम हा सल कर सकते ह तथा बना
कसी उ पीड़न के उसे हा सल करने और उसका वामी बनने क वतं ता है। अपने नवास के
चयन क वतं ता है। ववाह क वतं ता है। सभी जा तय के लए समान अवसर क वतं ता
है। एक रा य से सरे रा य तक या ा करने क वतं ता है। भोजन के चयन क वतं ता है।
जीवन म कसी भी पद का ल य बनाने क वतं ता है, जो हमने ख़ुद के लए तय कया हो,
चाहे वह अमे रका का रा प त बनने का ल य ही य न हो।
हमारे पास कई अ य कार क वतं ताएँ भी ह, ले कन यह सूची सबसे मह वपूण
वतं ता का वहंगम कोण दान करती है, जो सबसे ऊँचे अवसर ह। इस वतं ता का
लाभ और भी अ धक मह वपूण है, य क अमे रका ही एकमा दे श है, जहाँ हर नाग रक को
इतनी ापक और व वध वतं ताएँ सुलभ ह, चाहे वे अमे रका के मूल नाग रक ह या बाहर से
आकर यहाँ बसने वाले नाग रक ह ।
इसके बाद आइए हम कुछ वरदान को गनते ह, जो हमारी ापक वतं ता ने हम दए
है। औसत अमे रक प रवार (यानी औसत आमदनी वाले प रवार) पर नज़र डाल और अवसर
तथा समृ के इस दे श म प रवार के हर सद य के लए उपल ध लाभ क बानगी दे ख! वचार
और काय क वतं ता के बाद जीवन क तीन बु नयाद आव यकताएँ रोट , कपड़ा और मकान
ह:

भोजन : औसत अमे रक प रवार के पास जो सव ापी वतं ता उपल ध है, उसक
बदौलत हर प रवार को भोजन के ऐसे चयन क वतं ता अपने दरवाज़े पर उपल ध है,
जो व म कह उपल ध नह है और दाम भी इसक आ थक है सयत के भीतर है।
पोशाक : अमे रका म कह भी ी-पु ष अपने कपड़ क आव यकताएँ पूरी कर
सकते ह और औसत प रवार क तन वाह म आरामदे ह तरीक़े से पोशाक पहन सकते
ह।
आवास : हालाँ क मकान अलग-अलग आकार और गुणव ा के होते ह, ले कन हर
प रवार एक आरामदे ह घर या अपाटमट म रह सकता है, जो गम और ठं डा हो सकता है,
जसम खाना पकाने के लए गैस या बजली होती है और बजली क रोशनी होती है –
सब कुछ वा जब दाम पर।

सफ़ रोट , कपड़ा और मकान क तीन बु नयाद आव यकता का ही ज़ कया गया


है। औसत अमे रक नाग रक के पास सामा य म, जो एक दन म आठ घंटे से अ धक न हो,
के बदले म सरे अ धकार और लाभ भी उपल ध ह। इनम वाहन से यातायात का अ धकार है,
जससे ब त कम लागत म इ छानुसार कह भी आ-जा सकता है।
औसत अमे रक के पास ऐसे संप अ धकार क सुर ा है, जो संसार के कसी भी
अ य दे श म उपल ध नह है। अ त र धन कसी बक म इस गारंट के साथ रखा जा सकता है
क सरकार इसक र ा करेगी और अगर बक दवा लया हो जाता है, तो सरकार भरपाई करेगी।
अमे रक नाग रक बना कसी पासपोट के एक रा य से सरे रा य क या ा कर सकता है।
अमे रक जब चाह जा सकते ह और जब चाहे लौट सकते ह। यादातर दे श म लोग इतनी
यादा वतं ता और इतनी कम लागत म या ा नह कर सकते।

तीन बु नयाद आव यकताएँ – रोट , कपड़ा और मकान –


ब त कम यास से पूरी हो सकती ह, जससे हम सोचने और
अमीर बनने के लए वतं हो जाते ह।

उस “चम कार” को पहचान, जसने ये वरदान दए ह


राजनेता अ सर वोट माँगते व त अमे रका क वतं ता का बखान करते ह, ले कन वे इस
“ वतं ता” के ोत या कृ त का व ेषण करने म पया त समय या यास नह लगाते ह। मेरा
कोई गत वाथ या न हत उद्दे य नह है, इस लए मुझे उस रह यमय, अमूत, ब त ग़लत
समझी गई “चीज़” का खुला व ेषण करने का अ धकार है, जो अमे रका के हर नाग रक को
इतने वरदान दे ती है, दौलत सं ह के इतने अवसर दे ती है, हर कार क इतनी वतं ता दे ती है,
जतनी कसी सरे दे श म नह मल सकती।
मेरे पास इस अ य श के ोत और कृ त के व ेषण का अ धकार इस लए ह,
य क म उन कई लोग को चौथाई सद से यादा समय से जानता ँ, ज ह ने इस श को
संग ठत कया है और कई ऐसे लोग को भी जानता ,ँ जो इसके रखरखाव के लए ज़ मेदार
रहे ह।
मानव जा त क भलाई करने वाली इस रह यमयी चीज़ का नाम है पूँजी!
पूँजी म न सफ़ धन शा मल है, ब क यादा ख़ास तौर पर लोग के उ च संग ठत,
बु मान समूह शा मल ह, जो जनता के हत और अपने लाभ के लए धन के कुशल उपयोग
क योजना बनाते ह।
इन समूह म वै ा नक, श ा वद्, के म ट, आ व कारक, ावसा यक व ेषक,
जनसंपक वशेष , यातायात वशेष , अकाउंटट, वक ल, डॉ टर और अ य शा मल ह, जनके
पास उ ोग और वसाय के सभी े का बेहद वशेष तापूण ान होता है। वे यास के नए
े म वतक बनते ह, योग करते ह और नए रा ते बनाते ह। वे कॉलेज , अ पताल और
सरकारी कूल को समथन दे ते ह, अ छ सड़क बनाते ह, समाचारप का शत करते ह,
सरकार क अ धकांश लागत चुकाते ह और मानव ग त को संचा लत करने वाले असं य
ववरण क परवाह करते ह। सं ेप म कह, तो पूँजीप त स यता के म त क ह, य क वे पूरे
तं क आपू त करते ह, जसम सारी श ा, ानोदय और मानव ग त शरीक है।
दमाग़ के बना पैसा हमेशा ख़तरनाक होता है। उ चत इ तेमाल होने पर यह स यता का
सबसे मह वपूण अ नवाय ह सा है। अगर संग ठत पूँजी ने मशीन, जहाज़, रेल क पट रयाँ न
द होत और उ ह चलाने के लए श त लोग न दए होते, तो यू यॉक के प रवार के सामा य
ना ते म ेप ट जूस, अनाज, अंडे, ेड-बटर और शकर वाली कॉफ़ को वा जब दाम पर दान
नह कया जा सकता था।

दमाग़ के बना पैसा हमेशा ख़तरनाक होता है। मलकर वे


स यता क ग त को धन दे ते ह।

ट म शप और रेल क पट रयाँ पृ वी से नह नकलती ह; वे अपने आप काम नह करने


लगती ह। वे स यता के आह्वान क त या म आती ह! वे म, चतुराई और उन लोग क
संगठना मक यो यता क बदौलत आती ह, जनम क पना, आ था, उ साह, नणय और लगन
होती है! इन लोग को पूँजीप त के नाम से जाना जाता है। वे बनाने, नमाण करने, हा सल
करने, उपयोगी सेवा दान करने, लाभ कमाने और दौलत हा सल करने क इ छा से े रत होते
ह। चूँ क वे ऐसी सेवाएँ दान करते ह, जनके बना कोई स यता नह हो सकती, इस लए वे
ख़ुद को महान दौलत क राह म रख दे ते ह।
ववरण को सरल और समझ म आने यो य रखने के लए म यह जोड़ना चा ँगा क ये
पूँजीप त वही लोग ह, जनके बारे म हमम से यादातर ने टे ली वज़न पर भाषण दे ने वाल को
बोलते सुना है। ये वही लोग ह, ज ह उ सुधारवाद , ठगी करने वाले, बेईमान नेता और
घूसखोरी करने वाले मक नेता “लुटेरे हत वाले” या “वॉल ट” नाम दे ते ह।
म लोग के कसी समूह या अथशा के कसी तं के समथन या वरोध म तक नह दे
रहा ।ँ जब म “घूसखोरी करने वाले मक नेता” कहता ँ, तो म सामू हक सौदे बाज़ी क नदा
नह कर रहा ँ, न ही म पूँजीप त कहलाने वाले सभी लोग को साफ़-सुथरा होने का माणप
दे रहा ।ँ
इस पु तक का उद्दे य – जस उद्दे य के लए मने अपनी ज़दगी के प चीस साल
न ापूवक सम पत कए ह – ान चाहने वाले सभी लोग के सामने सबसे व सनीय दशन पेश
करना है, जसके ज़ रये इंसान जतनी चाहे उतनी दौलत का सं ह कर सकता है।
मने यहाँ पूँजीवाद तं के आ थक लाभ का व ेषण दोहरे उद्दे य से कया है :

जो लोग अमीरी चाहते ह, उ ह उस तं को पहचानना चा हए और उसके अनु प ढलना


चा हए, जो छोट -बड़ी दौलत क सभी नी तय को नयं त करता है, और
नेता तथा जनो ेजक भाषणबाज ारा दखाई जाने वाली त वीर का सरा पहलू पेश
करना, जो मुदद् को धुँधला कर दे ते ह और संग ठत पूँजी को इस तरह पेश करते ह,
मानो इसम ज़हर भरा हो।
यह पूँजीवाद दे श है, जो पूँजी के उपयोग से वक सत आ है। हमम से जो लोग
वतं ता और अवसर के वरदान के अ धकार का दावा करते ह, हमम से जो लोग यहाँ दौलत
का सं ह करना चाहते ह, उ ह यह पता होना चा हए क न तो यह अमीरी न ही ये अवसर हमारे
पास होते, अगर संग ठत पूँजी ने हम ये लाभ न दए होते।
अगर आप उन लोग म से एक ह, जो यक़ न करते ह क दौलत सफ़ वे लोग इकट् ठ
कर सकते ह, जो ख़ुद को समूह म संग ठत करते ह और कम सेवा के बदले म यादा वेतन क
माँग करते ह, अगर आप उन लोग म से एक ह, जो सरकारी सहायता क माँग करते ह और
जब आपको पैसा दया जाता है, तब सुबह अपने दरवाज़े पर द तक से अपनी न द ख़राब नह
करना चाहते ह, अगर आप उन लोग म से एक ह, जो यक़ न करते ह क नेता को वोट दे ने
के बदले ऐसे क़ानून पा रत ह , जो सावज नक कोषालय को लूटने क अनुम त द, तो आप
आराम से यह व ास कर सकते ह क कोई भी आपको परेशान नह करेगा, य क यह एक
वतं दे श है, जहाँ हर जैसा चाहे वैसा सोच सकता है, जहाँ हर कोई कम मेहनत करके
जी सकता है, जहाँ हर कोई कसी तरह का काम कए बना अ छ तरह रह सकता है।
बहरहाल, आपको इस वतं ता के बारे म पूरी स चाई जान लेना चा हए, जसके बारे म
इतने सारे लोग ड ग हाँकते ह, ले कन ब त कम समझ पाते ह। हालाँ क यह बेहतरीन है और
हालाँ क यह इतने सारे अ धकार दे ती है, ले कन यह बना यास के अमीरी नह लाती है, न ही
ला सकती है।

अथशा के क़ानून का स मान कर


दौलत के सं ह और इसे क़ानूनन क़ायम रखने का केवल एक ही व सनीय तरीक़ा है और यह
है कसी ॉड ट या सेवा को बेचना। कोई भी ऐसा तं कभी नह बनाया गया है, जसके ज़ रये
सफ़ सं या क श से या बदले म कोई मू यवान चीज़ दए बना क़ानूनी ढं ग से दौलत
हा सल हो सकती हो।
अथशा का क़ानून एक स ांत है! यह एक स ांत से बढ़कर है। यह एक ऐसा क़ानून
है, जसे कोई भी गंभीर प रणाम भोगे बना तोड़ नह सकता।

अथशा के क़ानून के अनुसार क़ानूनन लाभ कमाने का


एकमा तरीक़ा कसी ॉड ट या सेवा को उपल ध कराने के
बदले म लागत से यादा मू य पर बेचना है।

इस स ांत के नाम को अ छ तरह याद रख, य क यह तमाम नेता और


राजनी तक मशीन से कह यादा श शाली है। यह तमाम म यू नयन के नयं ण से ऊपर
और परे है। यह कसी पेशे म ठगी करने वाले या व- नयु लीडर ारा भा वत या र त से
नह हल सकता। यही नह , यह सबको दे खने वाली आँख है और बुकक पग का एक आदश
तं है, जसम यह दए बना पाने क को शश वाले वसाय म संल न हर इंसान के काम का
सट क लेखा-जोखा रखता है। दे र-सबेर इसके ऑ डटर आते ह, छोटे -बड़े दोन कार के
य का रकॉड दे खते ह और अकाउं टग क माँग करते ह।
“वॉल ट, बड़ी कंप नयाँ, पूँजीवाद लाभ हत,” या आप उस तं को चाहे जो नाम दे
द, जसने हम अमे रक वतं ता द है, यह ऐसे लोग का समूह है, जो अथशा के इस
श शाली नयम को समझते ह, स मान करते ह और इसके अनु प ख़ुद को ढालते ह! उनक
व ीय सफलता नयम का स मान करने पर नभर करती है।
अथशा का नयम कृ त ने दया था! कोई सव च यायालय नह है, जसम इस
क़ानून का उ लंघन करने वाले या चका दायर कर सक। यह क़ानून अपने उ लंघन के लए दं ड
भी दे ता है और पालन के लए उ चत पुर कार भी दे ता है। इसम कसी भी इंसान का ह त ेप
नह होता है, न ही इसक कोई संभावना रहती है। इस क़ानून को नर त नह कया जा सकता।
यह उतना ही न त है जतने क आसमान के तारे और यह तार को नयं त करने वाले तं
के ही अधीन है और उसी का ह सा है।
या कोई अथशा के अनु प ख़ुद को ढालने से इंकार कर सकता है?
बलकुल! यह एक वतं दे श है। यहाँ सभी लोग समान अ धकार के साथ पैदा ए ह,
जनम अथशा के क़ानून को नज़रअंदाज़ करने का अ धकार भी शा मल है।
तब या होता है?
दे खए, तब तक कुछ नह होता, जब तक क बड़ी सं या म लोग क़ानून को नज़रअंदाज़
करने के उद्दे य से एकजुट नह हो जाते और अपनी मनचाही चीज़ श से ह थया नह लेत।े
फर तानाशाह आता है, जसके पास फ़ाय रग वाड और मशीन गन से सुस जत फ़ौज़ होती
है!
हम अमे रका म अभी उस अव था तक नह प ँचे ह! ले कन हम सभी ने सुन रखा है क
यह तं कैसे काम करता है। शायद हम इतने सौभा यशाली ह गे क इतनी वीभ स वा त वकता
के नजी अनुभव क माँग न कर। बेशक हम अपनी अ भ क वतं ता, काय क वतं ता
और दौलत के बदले म उपयोगी सेवा दान करने क वतं ता का आनंद लेते रहना पसंद
करगे।
स ाधारी नेता क यह आदत होती है क वे मत के बदले म लोग को शासक य
कोषालय पर डाका डालने का अ धकार दे दे ते ह, जसके फल व प वे कई बार चुनाव जीत
जाते ह, ले कन जस तरह दन के बाद रात आती है, उसी तरह अं तम क़ मत चुकानी पड़ती है :
जब हर स के का ग़लत इ तेमाल होता है, तो च वृ याज पर च वृ याज चुकाना होता
है। जो लोग झपट लेते ह, जब उ ह दोबारा चुकाने के लए ववश नह कया जाता है, तो बोझ
उनक संतान और उनक संतान क संतान पर आ जाता है, “यहाँ तक क तीसरी और चौथी
पी ढ़य पर।” कज़ से बचने का कोई तरीक़ा नह है।
लोग अपनी तन वाह बढ़वाने और कामकाज के घंटे कम कराने के उद्दे य से अपने
समूह बना सकते ह और कई बार बनाते भी ह। ले कन एक ब है, जससे परे वे नह जा
सकते। इस ब पर अथशा का क़ानून क़दम रखता है, कंपनी म ताले लगवा दे ता है और
इसके सारे कमचा रय को घर बैठना पड़ता है।
ये अवलोकन अ पकालीन अनुभव पर आधा रत नह ह। ये अमे रका के सबसे सफल
और सबसे असफल दोन लोग क प तय के प चीस साल के सावधानीपूण व ेषण का
प रणाम ह।

अवसर क तलाश कर और जकड़


अवसर ने आपके सामने अपना ख़ज़ाना फैला दया है। सामने क़दम रख, अपनी मनचाही चीज़
चुन, अपनी योजना बनाएँ, योजना को कम म बदल और लगन से काम पूरा कर। बाक़ का काम
“पूँजीवाद ” अमे रका कर दे गा। आप इस बात पर व ास कर सकते ह – पूँजीवाद अमे रका
हर को उपयोगी सेवा दान करने और उस सेवा के मू य के अनुपात म दौलत इकट् ठ
करने का अवसर हमेशा दे ता है।
“तं ” कसी को भी इस अ धकार से वं चत नह रखता, ले कन यह कुछ नह के बदले
कुछ दे ने का वादा नह करता है, न ही कर सकता है, य क अथशा का क़ानून इस तं को
नयं त करता है, जो दए बना पाने को न तो पहचानता है, न ही लंबे समय तक बदा त करता
है।

पूँजीवाद अमे रका हर को उपयोगी सेवा दान करने


और उस सेवा के मू य के अनुपात म दौलत इकट् ठ करने का
अवसर हमेशा दे ता है।

अमे रका दौलत इकट् ठ करने क पूरी वतं ता और अवसर दे ता है, जो कोई ईमानदार
चाह सकता है। जब कोई शकार करने जाता है, तो वह कसी ऐसी जगह क तलाश
करता है, जहाँ शकार चुर मा ा म हो। दौलत चाहने के मामले म भी यही नयम वाभा वक
प से लागू होता है। दौलत चाहने वाले लोग , एक ऐसे दे श के पूँजीवाद तं को न करने से
पहले दोबारा सोच ल, जसके नाग रक हर साल वला सता क उन व तु पर करोड़ डॉलर
ख़च करते ह, जनके बारे म यादातर दे श के लोग सफ़ सपने दे खते ह।
यह भी याद रख क इन सामान को उ प करने, इनका प रवहन करने और बेचने के
वसाय म करोड़ ी-पु ष को नय मत रोज़गार मलता है, ज ह अपनी सेवा के बदले
हर महीने करोड़ डॉलर मलते ह और वे इ ह वला सता तथा आव यकता पर खुलकर
ख़च करते ह। सामान और गत सेवा के इस आदान- दान के पीछे दौलत सं ह के
अवसर क चुरता पाई जा सकती है।
यहाँ अमे रक वतं ता इंसान क मदद के लए आ जाती है। कोई भी चीज़ आपको या
कसी और को उस यास म संल न होने से नह रोक सकती, जो इन वसाय को
चलाने के लए आव यक है। य द कसी के पास े यो यता, श ण और अनुभव है, तो वह
भारी दौलत इकट् ठ कर सकता है। जो लोग इतने सौभा यशाली नह ह, वे कम दौलत इकट् ठ
कर सकते ह। ब त कम म के बदले म कोई भी आजी वका कमा सकता है।
आप यक़ नन पृ वी पर
अपने भा य के वामी ह, य क आपके पास
अपने ख़ुद के वचार को नयं त
करने क श है।

अपनी सूची बनाएँ और


यह पता लगाएँ क आपक राह म
कतने “भूत” खड़े ह।

डर के छह भूत से ख़ुद को
आज़ाद कर ल।
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POWELL, LYMAN PIERSON, ed. Social
unrest. 2v $2.50 Review of reviews co. 308

20–1056

“The two volumes entitled ‘The social unrest’ present the best
current thought of leading authorities as now focussed on the
industrial and social problems of the day. The opinions of President
Wilson and ex-president Taft are set forth side by side with those of
Karl Marx, Morris Hillquit and Sidney Webb. All schools of opinion
have here at least the privilege of utterance. The material has been
edited and coordinated by Dr Lyman P. Powell.”—R of Rs

Ind 103:319 S 11 ’20 60w


+ Outlook 124:336 F 25 ’20 60w
R of Rs 61:223 F ’20 200w

“We fear the editor’s somewhat hesitant attempt to link up these


pieces into something looking like a methodically arranged whole
has not been successful—at least we are unable to tell what the plan
of that arrangement really is. But it is the collection itself that counts,
and this is of great interest.” B. L.

+ − Survey 43:782 Mr 20 ’20 280w

POWER, RHODA. Under the Bolshevik reign of


terror. *$2 McBride 947
20–2711

“A record of domestic experiences in a bourgeois household in


Rostov, on the Don, during the old régime, the revolution, and the
Bolshevik occupation.”—Brooklyn

Boston Transcript p8 N 22 ’19 500w


Brooklyn 12:71 Ja ’20 30w

“A lively and readable little book.”

+ Cleveland p104 S ’19 30w

“An intimate, readable account of Bolshevism is presented in this


volume. The book is free from theorizing and statistics, but it tells of
the practical effect of Bolshevism on people who lived through the
first days of this sinister experiment.”

+ N Y Times 24:465 S 14 ’19 240w

“Miss Power has given us a series of vivid sketches. They are


impressionistic and full of power, but they must not be accepted as
descriptive of general conditions.”

+ − Sat R 128:204 Ag 30 ’19 120w

“An extremely vivid and interesting account of certain phases of


the Russian revolution from the pen of an eye-witness. One would
like to know how far this family, of the rich bourgeois type, was
representative of its class. If there were many others like it, the
appalling violence and bloodiness of the revolution cease to be
matter of wonder.”

+ The Times [London] Lit Sup p224 Ap


24 ’19 700w

PRATT, JAMES BISSETT. Religious


consciousness; a psychological study. *$3.50
Macmillan 201

20–10634

“Professor Pratt’s point of view in the present volume is avowedly


scientific. He aims to describe the religious consciousness as it
presents itself for observation to the modern psychologist, that is to
say, without any attempt to press behind phenomena into the realm
of the unknown or the unknowable. An interesting feature of his
treatment is a constant use of the results of recent questionnaires
sent out to ascertain the present state of the religious consciousness
among various classes of Americans. He has studied the forms of
Protestantism in America. Roman Catholicism he has studied in
Europe and at home. Finally, he has made his pilgrimage through
India, Burma, and Ceylon, seeking initiation into the letter and the
spirit of Hinduism, Buddhism, and Mohammedanism in mosque and
shrine and temple, from peasants, teachers, priests, and holy men.
The last five chapters of the book deal with mysticism.”—Nation

“‘The religious consciousness’ is a very good book. Dr Pratt knows


his subject and he knows how to write about it. There is hardly a dull
page in the nearly five hundred of this volume. Perhaps the most
valuable quality of the book is its quiet sanity.” R. R.
+ Freeman 2:22 S 15 ’20 360w

“His account of phenomena is remarkably fresh and instructive;


and it differs commendably from some of its predecessors in
emphasizing rather normal than exceptional types of experience.” S.
P. Sherman

+ Nation 111:506 N 3 ’20 1550w

Reviewed by G. E. Partridge

N Y Times p28 D 26 ’20 250w

PRENTICE, SARTELL. Padre. *$2 Dutton


940.476

19–13304

“[This book tells the] experiences of a Red cross hospital chaplain


of the Dutch Reformed church, principally in Base hospital 101, at St
Nazaire and in Evacuation hospital 13 where wounded were received
straight from the battlefield. [It is] full of anecdotes revealing the
bravery of individuals, and the gratitude of the French people toward
Americans.”—Cleveland

Cleveland p16 F ’20 50w


“There is nothing particularly new in the narrative, although the
fact that it comes first-hand from one who saw and lived the awful
scenes he describes gives it a value of its own which cannot be
gainsaid.”

+ N Y Times 24:516 O 5 ’19 500w

PRICE, EDITH BALLINGER. Silver Shoal


light. il *$1.75 Century

20–16502

When Miss Joan Kirtland, who has left town very suddenly after a
disagreement with Mr Robert Sinclair, finds that the Harbor View
house cannot take her in, she is at a loss for a place to spend the
night. Captain ‘Bijah Dawson comes to her aid and suggests that the
light house people may take her in. As Captain ‘Bijah assured her,
they are “cur’ous folks,” Jim and Elspeth Pemberley and their little
son Garth, but their presence in this unusual situation is explained
and Joan, who had meant to stay a night, then a week, remains all
summer. Joan, who had thought she did not like children, is
captivated by Garth and at the end of the summer learns that Mr
Sinclair is his Uncle Bob. Jim Pemberley has aspirations toward the
navy and there is a German spy episode in the story.

+ Booklist 17:78 N ’20


PRICE, EDITH BALLINGER. Us and the bottle
man. il *$1.50 Century

20–14292

The story of three delightful children who play pirates and send
out a message in a sealed bottle that brings a surprising answer and
leads to a pleasantly mysterious correspondence. And then events
take a serious turn. What had been play becomes reality and the
“three poore mariners” become castaways indeed for the length of
one dreadful night. Their rescuer is no less person than the Bottle
man himself and a war-time romance is at the same time brought to
a happy culmination.

“Although somewhat adult in point of view, the mystery and


adventure will interest children from ten to twelve.”

+ Booklist 17:78 N ’20

PRICE, JULIUS MENDES. On the path of


adventure. il *$3.50 (5½c) Lane 940.48

20–11661

The author was war-artist correspondent for the Illustrated


London News. The present work is a record of his adventures in the
early months of the war, before the existence of war correspondents
had been “officially admitted.” The book, he says, “does not in any
way claim to be an addition to the formidable array of books on the
technical side of the war. It is, on the contrary, merely a narrative
compiled from the notes in my diary of a period during the early days
of the war when I was ‘out’ to get all the material I could.... As my
wanderings were entirely within the zone of operations, it is obvious
that the incidents I have described were always more or less
connected with the theatre of the war—but they were happenings
rather behind the scenes than on the actual battle-front.” The book is
illustrated with drawings from the author’s sketch book.

Ath p1387 D 19 ’19 50w

“One of the few interesting but not sordid personal narratives.”

+ Booklist 17:66 N ’20

“Mr Price puts down his remarkable escapades and hairbreadth


escapes as a sportsman and an artist. There is something beautifully
impersonal in the style of his book. This makes of his book
something unique in war annals, a book that is ‘beautifully and
completely something,’ as Henry James might have said.” B. D.

+ N Y Times p21 Ag 29 ’20 750w


Sat R 129:191 F 21 ’20 750w
+ The Times [London] Lit Sup p698 N 27
’19 50w

PRICHARD, HESKETH VERNON


HESKETH. Sniping in France, with notes on the
scientific training of scouts, observers, and snipers;
with a foreword by General Lord Horne of Stirkoke. il
*$5 Dutton 623.44

(Eng ed 20–12124)

“Major Hesketh-Prichard was of course, as a big game hunter, a


natural sniper. He enjoyed sniping because it employed all his highly
specialised hunter faculties to the full—sight, hearing, and all those
analytical powers which hunters possess. His book is full of good
stories. But what will make the book interesting to the soldier is the
complete way in which Major Hesketh-Prichard manages to justify
the art of sniping, and to show how intolerable it is to be opposed to
a well-organised sniping side unless you can answer in kind. Major
Hesketh-Prichard proves completely that it will always be worth
while from the point of view of moral to maintain an efficient body of
specialist snipers.”—Spec

“Before the war the author was known as a sportsman, traveller,


and athlete. It is his other vocation, that of writer, which helps him
not merely to give us information, but to give it in a form enthralling
as any detective story.”

+ Ath p816 Je 18 ’20 180w

“Written in a style that makes it pleasantly acceptable to the


general reader.”

+ N Y Evening Post p12 N 27 ’20 220w


“His book is fascinating in its records of romantic individual tales
and of cunning camouflage which are intended for the general
reader, but we trust that the military authorities will not on this
account overlook it. Major Hesketh-Prichard has a contribution to
make to military science.”

+ Spec 124:728 My 29 ’20 280w


+ The Times [London] Lit Sup p293 My
13 ’20 900w

PRISONER of Pentonville, by “Red Band.”


*$1.50 Putnam 821

20–8220

Poems written while the author was confined in Pentonville prison


in London, between September, 1917, and May, 1918. They are
written in varying meters and on different themes. Many are
addressed to his wife, one is written on receiving news of his
mother’s death, others recall scenes from boyhood, and one that
brings to mind “Reading gaol” is written the day of an execution. The
concluding poems record his sentiments as release approaches and
there is an epilogue written after regaining liberty. Joseph Fort
Newton, formerly of the City Temple, London, now of the Church of
the divine paternity, New York, writes a foreword.

“The emotional sincerity which constantly contrives to break


through a crust of indifferent and often absurd verse makes this
series of prison meditations a very interesting and moving human
document.”
+ − Ath p495 Ap 9 ’20 80w
+ Boston Transcript p4 My 12 ’20 950w

PRITCHARD, MYRON THOMAS, and


OVINGTON, MARY WHITE, comps. Upward
path; with an introd. by Robert R. Moton. il *$1.35
Harcourt 810.8

20–16516

The foreword to this collection of readings for colored children


says: “To the present time, there has been no collection of stories and
poems by negro writers, which colored children could read with
interest and pleasure and in which they could find a mirror of the
traditions and aspirations of their race. Realizing this lack, the
compilers have brought together poems, stories, sketches and
addresses which bear eloquent testimony to the richness of the
literary product of our negro writers.” All of the contributors to the
volume are negroes, among them Paul Laurence Dunbar, Booker T.
Washington, W. E. B. DuBois, James Weldon Johnson and others
who have made names in literature. In addition to these there are the
less familiar names of negro educators, social workers, ministers and
lawyers, and there is one explorer, Matthew Henson, who was with
Peary at the Pole.

“The selections in it are ably chosen and present a great variety.


But more important is the fact that it must accomplish its intent. For
while giving pleasure, it will foster the love of tradition, and from the
evidences of past accomplishment, an honest racial pride.” M. E.
Bailey
+ Bookm 52:305 Ja ’21 140w
+ Boston Transcript p5 N 27 ’20 360w

“A collection of stories and poems by negroes—many of them very


good. Perhaps whites can gain as much from it as can the blacks. The
book would be suitable for junior high schools.”

+ English J 9:549 N ’20 60w


Lit D p94 D 4 ’20 170w

PRYDE, ANTHONY. Marqueray’s duel. *$2


(1½c) McBride

20–7060

Marqueray, to all appearances, was a globe-trotter and a


sportsman. In truth he was a secret spy in the employ of the British
foreign office. His knowledge stands him in good stead against a
certain Lord Marchmont, a millionaire Jew, implicated in illicit
transactions in South America. The latter has allowed a poor
innocent Irish girl, in reality Lady Marchmont, to consider herself
duped by him and to be a “fallen woman,” after he had turned her
adrift. Phyllida is found and rescued by Marqueray and his friend
and cousin, Aubrey West. A romance grows up between Phyllida and
Marqueray, who naturally wants to horsewhip Marchmont and free
his beloved entirely from his clutches. Before this can be done a
political election and much intrigue, involving West, intervene. In
the end Marqueray is wounded by a shot from Marchmont who
himself succumbs to his vicious morphia habit. Some fine touches of
friendship and loyalty among men make one of the features of the
story.

“The story drags somewhat in places; but ... the book as a whole
may be read with a fair amount of satisfaction.”

+ − Ath p414 My 30 ’19 120w

“Very good work. Readers who liked Stephen McKenna’s ‘Sonia’


will probably like this.”

+ Booklist 16:350 Jl ’20

“It is evidently Mr Pryde’s first novel, and it is far and above the
majority of ‘first novels.’ He writes with a good deal of style, and his
characterization is excellent to the least important actor on his
London stage.” G. M. H.

+ Boston Transcript p4 My 19 ’20 540w

“The book is exceedingly well written, with a steady succession of


incidents, always logical and never loosening their hold on the
interest. The book is a long one, but it never becomes tedious.”

+ N Y Times 25:329 Je 20 ’20 500w

Reviewed by Isabel Juergens

+ Pub W 97:1288 Ap 17 ’20 260w


“A very clever romance.”

+ Sat R 128:346 O 11 ’19 100w

“It is decidedly melodramatic, but the melodrama is well done.”

+ Spec 123:154 Ag 2 ’19 30w

“The author displays much ability for character portraiture. As a


romanticist he is not so capable.”

+ − Springf’d Republican p11a Je 27 ’20


650w

PRZYBYSZEWSKI, STANISLAW. Snow.


*$1.50 Brown, N. L. 891.85

20–4039

“‘Snow,’ a play in four acts by Stanislaw Przybyszewski, translated


into English by O. F. Theis, is a powerful production. A man and wife
are living happily together. A brother comes in and falls in love with
the wife. A woman friend comes in and the husband falls in love with
her. Result—unfaithfulness and a double suicide.”—Springf’d
Republican

“The types are not typical; they are primarily unconvincing. There
is an intense and urgent attempt at drama which, were it only
dramatic, would be Ibsen, even Wagner, in terms of men and not
gods. The play is disappointing to read, because it does not grip; it is
scarcely fitted for theatrical success, because it has insufficient
sustained interest.”

− + Boston Transcript p6 Mr 31 ’20 220w

“The beautiful diction and Maeterlinckian charm of the Polish


original, are somewhat lost in translation.”

+ − Cleveland p87 S ’20 50w

“‘Snow,’ which bears amusing internal evidence of its translation


from a German original, is a characteristic phantasmagoria of the
acutely hysterical. It is not without moments of sombre effectiveness.
But action and passion are both, humanly speaking, in the void. The
characters are haunted wraiths in an unrealized world who live and
love and die equally without motivation.”

− + Nation 110:435 Ap 3 ’20 200w

“The tale is true to life and truthfully presented and commendable


for artistic qualities, but uselessly nerve-racking for all that.”

+ − Springf’d Republican p8 Ap 8 ’20 100w

“Limitations of temperament may easily prevent a western reader


from doing justice to characters who seem to him so morbid and
neurotic, so pathologically introspective: nor can he see ‘Snow’ as a
play for the western stage. Yet he must admit that the author shows
at times profound psychological insight and can write occasional
passages of power.”
+ − Theatre Arts Magazine 4:259 Jl ’20
230w

[2]
PUMPELLY, RAPHAEL. Travels and
adventures of Raphael Pumpelly; ed. by O. S. Rice. il
*$1.75 Holt

20–22545

The book is an abridged edition of the author’s autobiography, “My


reminiscences,” for young readers. As a mining engineer, geologist,
archaeologist and explorer, the author’s experiences, which
transpired on our western frontier in it’s heroic days, on the
mountains of Corsica, in China, Japan and Siberia, were many and
thrilling and those portions of the original work have been selected
that are most interesting to the young with only so much editing as
was required to make a connected story. Appropriate illustrations
have been added.

+ N Y Evening Post p11 D 31 ’20 130w

PURDAY, HERBERT FRANK P. Diesel engine


design. il *$7.50 Van Nostrand 621.43

(Eng ed 20–18166)
“This book is based on about twelve years’ experience of Diesel
engines, mainly from the drawing-office point of view, and is
intended to present an account of the main considerations which
control the design of these engines. The author ventures to hope that,
in addition to designers and draughtsmen, to whom such a book as
this is most naturally addressed, there may be other classes of
readers—for example, Diesel engine users and technical students—to
whom the following pages may be of interest.” (Preface) Contents:
First principles; Thermal efficiency; Exhaust, suction and scavenge;
The principle of similitude; Crank-shafts; Flywheels; Framework;
Cylinders and covers; Running gear; Fuel oil system; Air and exhaust
system; Compressed air system; Valve gear; Index. There are 271
figure illustrations.

N Y P L New Tech Bks p32 Ap ’20 80w

PUTNAM, GEORGE PALMER, comp. Tabular


views of universal history. il *$2.50 Putnam 902

19–16001

In this latest edition of the compilation the summary has been


brought down to the peace conference in Paris; like former revisions,
under the editorial supervision of George Haven Putnam. Two new
maps are added showing the forfeited German colonies and Germany
under the peace treaty, and there is a supplementary index covering
events subsequent to August 1, 1914.
[2]
PUTNAM, MRS NINA (WILCOX). It pays to
smile. *$1.90 (2c) Doran

20–19578

Miss Freedom Talbot, of Boston ancestry and birth, is the narrator


of the story, and shares honors with “Peaches” Pegg as the heroine.
Her family fortunes being at a low ebb, she answers an
advertisement inserted by the millionaire Pinto Pegg for a chaperone
for his daughter. This combination of money and breeding Pinto
hopes will result in culture for the daughter. Their course in
refinement includes a trip to Europe and a stay in California, in the
process of which Miss Freedom receives perhaps as broad an
education as “Peaches” does. Romance and mystery enter their lives,
but after an exciting course, true love runs smoothly at last.

“The story is perhaps very improbable, but not unreal.”

+ N Y Evening Post p17 D 4 ’20 80w

“Except as a study of the Boston governess and Peaches, showing


how each reacts on the other, there is little to note. When the author
ventures to work out a ‘plot’ she is singularly unconvincing.”

+ − N Y Times p27 Ja 9 ’21 650w


+ Outlook 126:558 N 24 ’20 50w

“The early chapters describing the Talbot home on Chestnut street,


Boston, are much the best of the book.”
+ − Springf’d Republican p7a D 26 ’20 140w

[2]
PYLE, KATHARINE. Tales of wonder and
magic. il *$2 (3c) Little

20–19078

This is the third volume of old-world fairy tales and folk lore
translated, adapted and illustrated by the author. The stories are:
White as snow, red as blood, and black as a raven’s wing—Irish; The
wonderful ring—East Indian; The three sisters—Georgian; The
golden horse, the moon lantern, and the beautiful princess—
Swedish; The lady of the lake—Welsh; The beaver stick—American
Indian; The enchanted waterfall—Japanese; Fair, brown, and
trembling—Irish; The demon of the mountain—Transylvanian gipsy;
The Lamia—Hindoo; The three doves—Czech; Mighty-arm and
mighty-mouth—East Indian; The beautiful Melissa—Louisiana; The
castle that stood on golden pillars—Danish; The twelve months—
Czech.
Q

QUENNELL, MARJORIE, and QUENNELL,


CHARLES HENRY BOURNE. History of
everyday things in England. v 2 il *$4.50 (v 1 and 2 in
one volume *$9) Scribner 914.2

(Eng ed 19–6495)

“The second volume of a history which applies real historical


research to the making of children’s books. As in the first book the
authors have described changes in building, furniture, dress, and
games as ‘history in stone, wood, and fabrics.’ It is their desire to
present work as a ‘joyous sort of business’ which shall give boys and
girls the desire to take the pains with their labors which
distinguished the craftsmen. Bibliography. Index.”—Booklist

+ Ath p127 Ja 23 ’20 90w

“Charming volume.”

+ Booklist 16:247 Ap ’20

“This second part is not nearly so good as its predecessor. Its


authors have been spoilt by success, and the latter pages of the book
in particular show, to put it mildly, signs of haste. The first chapter,
on the sixteenth century, is the best.”

+ − Sat R 129:435 My 8 ’20 1150w

“The second part is as original and as fascinating as the first, and


those who read the first will know that no higher praise can be
given.”

+ Spec 124:145 Ja 31 ’20 1000w

[2]
QUICKENS, QUARLES, pseud. English
notes. $15 L. M. Thompson, 29 Broadway, N.Y. 817

20–6982

“In 1842, not long after the appearance of Charles Dickens’s


irritating ‘American notes,’ there was published anonymously in
Boston a work bearing for its title an obvious parody—‘English notes
for very extensive circulation by Quarles Quickens.’ This book is now
reprinted by Lewis M. Thompson of New York, with an introductory
essay designed to prove that the person who hid under the
pseudonym of ‘Quarles Quickens’ was Edgar Allan Poe. Joseph
Jackson and George H. Sargent supply an introduction and notes,
and the publisher has added two portraits of Poe.”—Springf’d
Republican

“The book is valuable as a curiosity rather than as a masterpiece of


Poe’s style.”

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