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(Download PDF) Practical Steps To Think and Grow Rich Hindi Edition Napoleon Hill Napoleon Hill Full Chapter PDF
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How Rich Asians Think: A Think and Grow Rich
Publication (Official Publication of the Napoleon Hill
Foundation) 1st Edition John C. Shin
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ै टकल टे स
टु थक
ड ो रच
21वी सद के लए जो ायनैक ारा संशो धत व संपा दत
ै टकल टे स
टु थक
ड ो रच
नेपो लयन हल
अनुवाद : डॉ. सुधीर द त
मंजुल प ल शग हाउस
मंजुल प ल शग हाउस
कॉरपोरेट एवं संपादक य कायालय
तीय तल, उषा ीत कॉ ले स, 42 मालवीय नगर, भोपाल-462 003
व य एवं वपणन कायालय
7/32, भू तल, अंसारी रोड, द रयागंज, नई द ली-110 002
वेबसाइट : www.manjulindia.com
वतरण के
अहमदाबाद, बगलु , भोपाल, कोलकाता, चे ई,
हैदराबाद, मु बई, नई द ली, पुणे
ISBN 978-81-8322-746-9
तावना
1. वचार क श का दोहन कर
3. डर के छह भूत को हरा द
5. बल इ छा वक सत कर
8. इस पर यक़ न कर
9. अपनी क पना को शा मल कर
16. नणायक बन
17. लगनशील बन
तावना
सा रीअगरउपलआपनेधयाँपहलेवचारइसेसेपढ़ने
शु होती ह। दरअसल, आप यह पु तक पढ़ ही नह रहे होते,
के बारे म न सोचा होता। सफलता पाने के मामले म वचार
एक धारणा या इरादे से कह अ धक है। वचार कम का इंजन है। यानी यह कोई अ थर धारणा
नह , ब क एक मान सकता है, एक मान सक अव था है। यह एक ऐसी धारणा है, जसे
उद्दे य, लगन, बल इ छा और व ास के साथ मलाने पर इसका पांतरण दौलत या कसी
भी सरी मनचाही चीज़ म कया जा सकता है। सफलता के वचार को पया त श शाली
बनाने वाले गुण ये ह :
कुदरत म न हत स ांत
जो स ांत आपको सोचने और अमीर बनने म स म बनाते ह, उनक जड़ कृ त म ह। आप,
आपक पृ वी और हर अ य भौ तक व तु वकासवाद प रवतन का प रणाम है, जसके ज़ रये
पदाथ के ब त छोटे -छोटे टु कड़ को मब तरीक़े से व थत और संयो जत कया गया है।
यही नह , इस पृ वी, आपके शरीर क अरब -खरब को शका म से येक को शका और
पदाथ के हर अणु क शु आत ऊजा के अमूत प से ही ई है।
इ छा वचार आवेग है! वचार आवेग ऊजा के प ह। जब आप पैसे का सं ह करने क
इ छा के वचार आवेग से शु आत करते ह, तो आप अपनी ख़ा तर उसी “चीज़” को स य कर
रहे ह, जसका इ तेमाल कृ त ने इस पृ वी और इस सृ म मौजूद हर भौ तक व प को
बनाने म कया था, जसम वह शरीर और म त क शा मल है, जसम वचार आवेग उ प होते
ह।
जहाँ तक व ान पता लगा पाया है, पूरी सृ पदाथ और ऊजा से बनी है। हर चीज़
ऊजा और पदाथ के तालमेल से बनी है, जसम आसमान म तैरने वाले सबसे बड़े तारे से लेकर
रेत के सबसे छोटे कण तक हर चीज़ शा मल है।
अब आप कृ त क या से फ़ायदा उठाने क को शश कर रहे ह। आप इ छा को
इसके भौ तक और आ थक समतु य म बदलना चाहते ह और इस काम के लए कृ त के
नयम के अनु प ढलने क को शश कर रहे ह। आप यह काम कर सकते ह! यह पहले भी
कया जा चुका है।
आप कुछ अटल नयम क सहायता से भारी दौलत कमा सकते ह। ले कन इससे पहले
आपको इन नयम को जानना-समझना होगा और उनका इ तेमाल करना सीखना होगा।
दोहराव से और इन स ांत के वणन को हर संभव कोण से दे खने के बाद लेखक आपके सामने
वह रह य उजागर करने वाला है, जससे भारी दौलत कमाई गई है। हालाँ क यह अजीब और
वरोधाभासी लग सकता है, ले कन यह “रह य” दरअसल रह य है ही नह । कृ त वयं पूरी
पृ वी पर इसका व ापन करती है। यह रह य तार , अ य ह , हमारे ऊपर और चार ओर के
प रवेश, घास के हर तनके और हम दखने वाले जीवन के हर प म नज़र आता है।
कृ त जीव व ान के संदभ म भी इस “रह य” का व ापन करती है। यह आपके
भीतर क एक छोट को शका के पांतरण म नज़र आता है, जो इतनी छोट होती है क पन
क नोक पर भी खो सकती है। इ छा का इसके भौ तक समतु य म पांतरण यक़ नन इससे
यादा चम कारी नह है!
अगर आप इस बात को पूरी तरह न समझ पाए ह , तो हताश न ह । अगर आप लंबे
समय से मान सक काय णाली के व ाथ नह ह, तो आपसे यह अपे ा भी नह क जाती है
क पहली बार पढ़ने पर ही आप इस अ याय म बताई सारी बात को आ मसात कर लगे।
ले कन समय के साथ आप अ छ ग त करगे।
आगे आने वाले स ांत क पना क समझ का रा ता खोल दगे। जब आप इस दशन को
पहली बार पढ़ते ह, तो जतना समझ म आए, उसे आ मसात कर ल। फर दोबारा पढ़ने और
मनन करने पर आप पाएँगे क कोई ऐसी चीज़ ई है, जससे सारी बात प हो गई है और
आपक समझ बढ़ गई है। सबसे बढ़कर, इन स ांत के अ ययन म न क, न झझक, जब
तक क आप यह पु तक कम से कम तीन बार न पढ़ ल, य क इसके बाद आप कना नह
चाहगे।
वे मेरे सामने कसी भखमंगे क तरह दखते ए खड़े थे, ले कन उनके चेहरे पर एक
ऐसा भाव था, जससे यह आभास होता था क वे जसके लए आए थे, उसे पाने पर
आमादा थे। मने इंसान के साथ बरस के अनुभव से सीखा है क जब कोई इंसान
सचमुच कसी चीज़ क इतनी गहराई से इ छा करता है क वह उसे पाने के लए
अपना पूरा भ व य प हए के घूमने पर दाँव पर लगाने को तैयार रहता है, तो उसक
जीत तय है। मने उ ह उनका माँगा अवसर इस लए दया, य क मने यह दे ख लया
था क उ ह ने तब तक जुटे रहने क ठान ली थी, जब तक क वे सफल न हो जाएँ।
बाद क घटना ने यह सा बत कर दया क उ ह ने कोई ग़लती नह क थी।
उस मौक़े पर युवा बा स ने ए डसन से जो कहा था, वह कम मह वपूण था; यादा
मह वपूण तो वह था जो उ ह ने सोचा था। ए डसन ने ख़ुद यह बात कही थी! यक़ नन उनके
लए ने उ ह ए डसन के ऑ फ़स म वह शु आत नह दलाई थी, य क यह न त प से
उनके ख़लाफ़ था। उ ह ने जो सोचा था, वही मायने रखता था।
यक़ नन उनके लए ने उ ह ए डसन के ऑ फ़स म वह
शु आत नह दलाई थी। उ ह ने जो सोचा था, वही मायने
रखता था।
बा स को ए डसन के साथ साझेदारी तुरंत नह मल गई। उ ह ए डसन के ऑ फ़स म
ब त कम वेतन पर काम करने का मौक़ा मला और वे ऐसे काम करते थे, जो ए डसन के लए
मह वहीन थे, ले कन बा स के लए सबसे अहम बात यह थी क इससे उ ह ख़ुद को सा बत
करने का मौक़ा मला।
महीन गुज़र गए। प प से बा स अपने उस मह वाकां ी ल य के ज़रा भी क़रीब
नह प ँच पाए थे, जसे उ ह ने अपने न त बड़े उद्दे य के प म तय कया था। ले कन
बा स के दमाग़ म कोई मह वपूण चीज़ हो रही थी। वे ए डसन के बज़नेस पाटनर बनने क
अपनी इ छा को लगातार श शाली बना रहे थे।
मनोवै ा नक ने सही कहा है, “जब कोई कसी चीज़ के लए सचमुच तैयार होता है, तो
वह चीज़ कट हो जाती है।” बा स ए डसन के साथ वसाय करने के लए तैयार थे। यही
नह , वे तब तक तैयार रहने पर आमादा थे, जब तक क उ ह मनचाही चीज़ न मल जाए।
उ ह ने ख़ुद से यह नह कहा, “इससे या फ़ायदा? मुझे लगता है क म यह छोड़कर
से समैन बनने क को शश क ँ ।” इसके बजाय उ ह ने यह कहा, “म यहाँ ए डसन के साथ
मलकर वसाय करने आया ँ और म इस ल य को हा सल क ँ गा, भले ही इसम मेरी पूरी
ज़दगी लग जाए।” वे गंभीर थे! लोग क ज़दगी कतनी अलग हो सकती है, बशत वे एक
न त उद्दे य तय कर ल और उस उद्दे य पर तब तक अटल रह, जब तक क इसे जुनन ू
बनने का समय न मल जाए!
अमे रका के पाँच सौ से भी यादा सफल लोग दावा करते ह क उ ह सबसे बड़ी
सफलता उस ब से बस एक क़दम आगे मली, जहाँ पराजय ने उ ह धर दबोचा था।
असफलता चालाक होती है और इसम ं य तथा चालाक का ती ण अहसास होता है। यह
कसी को तब गराकर ब त ख़ुश होती है, जब सफलता बस एक हाथ र होती है।
म कशेक से रे ॉक के मैकडॉन ड् स तक
रे ॉक एक और अ छा उदाहरण ह, जनक अमीरी एक वचार से उ प ई थी। ॉक
म कशेक म सर बेचने वाले से समैन थे। उनके यादातर ाहक – रे तराँ और डाइनस –
एक-दो म सर ख़रीदते थे। जब उ ह सैन बरना डनो, कै लफ़ो नया के एक छोटे रे तराँ से आठ
म सर का ऑडर मला, तो उ ह ने वहाँ जाकर दे खने का नणय लया क यहाँ इतने सारे शेक
कैसे बक रहे ह। इतना त रे तराँ उ ह ने पहले कभी नह दे खा था। दोन भाइय का मे यू
ब त सी मत था : हैमबगर, चीज़बगर, च ाइज़, शेक और सॉ ट क, उस इलाक़े म सबसे
कम क़ मत पर।
ॉक ने एक अवसर दे खा। अगर वे इन रे तराँ क चेन खोल ल, जनम से हर एक
इसी जैसा लोक य और लाभदायक हो, तो पैसा पानी क तरह बहता आ अंदर आ जाएगा।
उ ह ने मैकडॉन ड बंधु के सामने यह वचार रखा, जसके लए वे तैयार हो गए, बशत ॉक
साथ ह । कुछ ही वष म मैकडॉन ड् स न सफ़ दे श म सबसे यादा बकने वाला रे तराँ बन
गया, ब क इसने फ़ा ट-फ़ूड उ ोग को ज म भी दया। बाद म ॉक ने मैकडॉन ड बंधु क
ह सेदारी ख़रीद ली और वसाय का अंतररा ीय व तार कया, जससे वे अपने युग के सबसे
अमीर य म से एक बन गए।
इस पु तक के बारे म
यादातर लोग ख़ुद को और जीवन म अपनी थ त को बेहतर बनाने क स ची इ छा रखते ह।
वे यह रह य जानने के लए बेताब ह क लोग दौलतमंद कैसे बने। कई दौलतमंद लोग ने ख़ुद के
दम पर जीवन के ये मह वपूण सबक़ सीखे ह, जैसे डाब ने अपनी और अपने अंकल क सोने
से तीन फ़ ट र कने क ग़लती से सीखा और जैसे उ ह ने 50 सट का लगन का सबक़ सीखा।
बहरहाल, कुछ सर को ऐसे मू यवान सबक़ दे खने या इनसे ान हा सल करने क यो यता का
सौभा य मला है। मने यह पु तक इस लए लखी है, ता क यह रह य यादा लोग तक प ँच
जाए।
मने शोध म प चीस साल बताए ह, 500 से यादा दौलतमंद लोग से बातचीत क है
और 25,000 से यादा लोग का व ेषण कया है, जो अमीर बनने क को शश म नाकाम रहे
थे, य क म भी यह जानना चाहता था क लोग कैसे अमीर बने। उस शोध के बना यह पु तक
नह लखी जा सकती थी।
आगे पढ़ते व त यह बात हमेशा याद रख : अमीरी एक मान सक अव था से, एक
न त उद्दे य से शु होती है, जसम ब त कम मेहनत लगे या बलकुल भी न लगे। इस
पु तक म आप सीखगे क अमीरी को आक षत करने वाली मान सक अव था कैसे हा सल क
जाए। जब आप सोचना और अमीर बनना शु करते ह, तो आपको ज द ही यह पता चल
जाएगा :
अनुयायी होना कोई अपमान क बात नह है। सरी तरफ़, अनुयायी बने रहने म कोई
गौरव क बात भी नह है। यादातर महान लीडर ने अनुयायी क है सयत से काम शु कया
था। वे महान लीडर इस लए बने, य क वे समझदार अनुयायी थे। कुछ अपवाद को छोड़ दया
जाए, तो जो लोग कसी लीडर का बु म ापूवक अनुसरण नह कर सकते, वे कुशल लीडर
नह बन सकते। जो लोग कसी लीडर का सबसे कुशलता से अनुसरण करते ह, उ ह क नेतृ व
कला म आम तौर पर सबसे तेज़ी से नखार आता है। समझदार अनुयायी होने के कई लाभ होते
ह, जनम लीडर से ान हा सल करने का अवसर भी शा मल है।
राजनी त : ईमानदार सुयो य नेता क माँग कसी संकट से कम नह है। ऐसा लगता
है क ब त सारे नेता उ च को ट के वैधा नक धंधेबाज़ बन गए ह। उ ह ने टै स बढ़ा दए
ह और उ ोग तथा वसाय के तं को कर दया है। अब बोझ इतना बढ़ चुका है
क लोग से बदा त नह हो रहा है।
व और अथशा : व ीय बाज़ार म द घकालीन वै क अ थरता ने जनता के
व ास को लगभग न कर दया है। संसार को ऐसे लीडर क ज़ रत है, जो थर
आ थक तं के व ीय स ांत को समझ और जनम इतनी नै तक अखंडता हो क वे
सही चीज़ कर। उ ह तं के वा य क क़ मत पर व ीय सं था को अ पकालीन
लाभ नह प ँचाना चा हए।
वसाय : पुराने ज़माने के लीडर मानवीय समीकरण के बजाय लाभ के संदभ म
सोचते और काम करते थे! कमचा रय का शोषण और सामू हक सौदे बाज़ी कंप नय को
कारोबार से बाहर कर दे ती ह और ये अतीत क चीज़ ह या उ ह ऐसा होना चा हए। जो
लोग वसाय, उ ोग और म के े म नेतृ व करना चाहते ह, उ ह यह याद रखना
चा हए।
धम : भ व य के धा मक नेता को मृत अतीत और अब तक अज मे भ व य के बजाय
उनके अनुया यय क वतमान आव यकता पर यादा यान दे ने के लए ववश होना
पड़ेगा, ख़ास तौर पर गत आ थक थ त और संबंध के संदभ म।
पेशे : क़ानून, च क सा और श ा के पेश म नेतृ व का एक नया ांड और कुछ हद
तक नए लीडर ज़ री हो जाएँगे। यह ख़ास तौर पर श ा के े म सच है, जहाँ
श ा वद को लोग को यह सखाने के तरीक़े खोजने चा हए क कूल-कॉलेज म
हा सल ान को असली ज़दगी म लागू कैसे कया जाए। उ ह स ांत से कम और
अ यास से यादा सरोकार रखना चा हए।
मी डया : मी डया (समाचारप , प काएँ, फ़ म, टे ली वज़न, गे स, वेबसाइट, रे डयो
आ द) म त क को ढालता है और स यता क भावी दशा तय करता है। इस े म
समझदार, पूवा ह र हत लीडर क ज़ रत है, ता क वे सकारा मक प रवतन सु न त
करने के लए इन श शाली औज़ार का ज़ मेदारी भरा उपयोग कर।
7. बचपन म तकूल प रवेशीय भाव : “जैसी टहनी मोड़ी जाती है, वैसा ही पेड़ बढ़ता
है।” जन लोग म आपरा धक वृ याँ होती ह, उनम से यादातर बचपन म बुरे माहौल
और ग़लत सा थय के फल व प इ ह सीखते ह।
8. टालमटोल : यह असफलता के सबसे आम कारण म से एक है। “वृ टालमटोल” सभी
लोग क छाया के भीतर खड़ा होता है और सफलता के अवसर बगाड़ने क ताक म
रहता है। हमम से यादातर लोग जीवन म असफल इस लए हो जाते ह, य क हम
कोई साथक काम शु करने के लए “सही समय” का इंतज़ार करते रहते ह। इंतज़ार न
कर। समय “ बलकुल सही” कभी नह होगा। वह शु कर, जहाँ आप खड़े ह और जो
भी औज़ार आपके पास ह , उनसे काम शु कर द। जब आप राह म आगे बढ़गे, तो
बेहतर औज़ार अपने आप मल जाएँग।े
9. लगन क कमी : हमम से यादातर अ छे “शु आती” होते ह, ले कन हम शु हो चुके
काम को “पूरा करने म नाकाम” रहते ह। यही नह , लोग म पराजय के पहले संकेत पर
हार मानने क आदत होती है। लगन का कोई वक प नह है। लगनशील के
सामने “वृ असफलता” आ ख़रकार थक जाती है और र चली जाती है। असफलता
लगन से मुक़ाबला नह कर सकती।
10. नकारा मक व : उस क सफलता क कोई उ मीद नह है, जो
नकारा मक व क वजह से लोग को वक षत कर दे ता है। सफलता श के
इ तेमाल से मलती है और श सर के सहयोगी यास के ज़ रये हा सल क जाती
है। नकारा मक व लोग को सहयोग के लए े रत नह करता है।
11. अ नयं त यौन आकां ा : यौन ऊजा लोग को कम म वृ करने वाली सबसे
श शाली उद्द पक है। चूँ क यह सबसे श शाली भाव है, इस लए इसे पांतरण
ारा और सरे माग म बदलकर नयं त करना चा हए।
12. “कुछ नह के बदले कुछ पाने” क अ नयं त इ छा : जुए क भावना करोड़ लोग
को असफल बना दे ती है। इसका माण 2000 के दशक क शु आत म डॉट कॉम पतन
के अ ययन म पाया जा सकता है, जस दौरान करोड़ लोग ने कंप नय म नवेश करके
रात रात अमीर बनने क को शश क थी।
13. प नणय क श का अभाव : सफल लोग तुरंत नणय पर प ँचते ह और अगर
उ ह कभी बदलते ह, तो ब त धीरे-धीरे। असफल लोग अगर कभी नणय पर प ँचते ह,
तो ब त धीरे-धीरे प ँचते ह और उ ह अ सर तथा ब त ज द -ज द बदलते रहते ह।
अ नणय और टालमटोल जुड़वाँ बहन ह। जहाँ एक पाई जाती है, आम तौर पर वह
सरी भी पाई जाती है। वे आपको असफलता क च क से “बाँध” द, इससे पहले ही
इस जोड़ी को मार डाल।
14. छह बु नयाद डर म से एक या अ धक : इन डर का व ेषण क़दम 3 म कया गया
है। आप अपनी सेवा क भावी माक टग कर सक, इससे पहले आपको उन पर
वजय पा लेना चा हए।
15. ववाह म जीवनसाथी का ग़लत चुनाव : यह असफलता का सबसे आम कारण है।
वैवा हक संबंध लोग को अंतरंग संपक म लाता है। जब तक यह संबंध सद्भावपूण न
हो, तब तक असफलता मलने क आशंका रहती है। यही नह , इस तरह क असफलता
म भारी ख और नाख़ुशी भी होगी, जससे मह वाकां ा के सारे ल ण न हो जाएँग।े
16. अ त-सावधानी : जो कोई जो खम नह लेता, आम तौर पर उसे वही मलता है,
जो सर के चुनने के बाद बचा रहता है। अ त-सावधानी भी उतनी ही बुरी है जतनी क
अ प-सावधानी। दोन ही अ तय से अपनी र ा कर। दरअसल पूरा जीवन ही जो खम
से भरा आ है।
17. वसाय म सहयो गय का ग़लत चुनाव : यह वसाय म असफलता के सबसे आम
कारण म से एक है। गत सेवा के े म इंसान को ब त सावधानी से ऐसा
नयो ा चुनना चा हए, जो ेरक, बु मान और सफल हो। हम उ ह लोग का
अनुसरण करते ह, जनके साथ हमारा क़रीबी जुड़ाव रहता है। ऐसा नयो ा चुन, जो
अनुकरण करने लायक़ हो।
18. अंध व ास और पूवा ह : अंध व ास डर का प है। यह अ ान का चह्न भी है।
सफल लोग अपना दमाग़ खुला रखते ह और कसी चीज़ से घबराते नह ह।
19. पेशे का ग़लत चुनाव : कोई भी उस े म सफल नह हो सकता, जसे वह पसंद न
करता हो। गत सेवा क माक टग म सबसे अ नवाय क़दम एक ऐसा पेशा चुनना
है, जसम आप ख़ुद को पूरे दल से झ क सक।
20. यास क एका ता का अभाव : “सभी े म छु टपुट दख़ल रखने वाला ”
शायद ही कसी े म अ छा होता है। अपने सभी यास कसी एक न त मु य
उद्दे य पर एका कर।
21. फजूलख़च क आदत : फजूलख़च लोग सफल नह हो सकते, मु यतः इस लए
य क वे हमेशा ग़रीबी के डर म रहते ह। अपनी आमदनी का न त तशत ह सा
अलग रखकर सु नयो जत बचत क आदत डाल। जब गत सेवा क ब के
लए सौदे बाज़ी क बात आती है, तो बक म रखा पैसा इंसान को साहस क ब त
सुर त न व दान करता है। पैसे के बना इंसान को वही लेना होता है, जो दया जाता
है और इसे पाकर ख़ुश होना होता है।
22. उ साह का अभाव : उ साह के बना इंसान सर को कसी बात का व ास नह दला
सकता। यही नह , उ साह सं ामक होता है और इसे नयं ण म रखने वाले का
आम तौर पर लोग के हर समूह म वागत होता है।
23. अस ह णुता : कसी वषय पर दमाग़ “बंद” रखने वाला शायद ही कभी आगे
नकल पाता है। अस ह णुता का मतलब यह है क ने ान हा सल करना छोड़
दया है। अस ह णुता के सबसे वनाशकारी प धा मक, जातीय और राजनी तक
मत भ ता से जुड़े होते ह।
24. असंयम : असंयम के सबसे वनाशकारी प खान-पान, शराब और यौन ग त व धय से
जुड़े होते ह। इनम से कसी म भी अ त संल नता सफलता के लए घातक है।
25. सर के साथ सहयोग करने क अ मता : जीवन म जतने लोग इस ग़लती के
कारण अपनी है सयत और बड़े अवसर खोते ह, उतने बाक़ सभी कारण को मलाकर
भी नह खोते। यह एक ऐसा दोष है, जसे कोई भी जानकार बज़नेस ए ज़ी यू टव या
लीडर बदा त नह करेगा।
26. श का अ धकार, जो ख़ुद क को शश से हा सल नह क गई थी : (यह
दौलतमंद प रवार के बेटे-बे टय और उन सभी लोग पर लागू होता है, ज ह पैसा
वरासत म मलता है, ज ह ने इसे कमाया नह था)। जन लोग ने इसे धीरे-धीरे अ जत
नह कया, उनके हाथ म श ायः सफलता के लए घातक होती है। फटाफट मली
अमीरी ग़रीबी से यादा ख़तरनाक होती है।
27. इरादतन बेईमानी : ईमानदारी का कोई वक प नह है। जन प र थ तय पर कोई
नयं ण न हो, उनम कोई भी कुछ समय के लए बेईमान हो सकता है, ले कन इससे
कोई थायी नुक़सान नह होता। मगर जो लोग जान-बूझकर बेईमानी करते ह, उनके
लए कोई उ मीद नह है। दे र-सबेर उनके बुरे काम उनके पीछे पड़ जाएँगे और उ ह
त ा तथा शायद वतं ता खोकर भी क़ मत चुकानी होगी।
28. अहंकार और घमंड : ये गुण लाल ब याँ ह, जो सर को र रहने क चेतावनी दे ते
ह। वे सफलता के लए घातक होते ह।
29. सोचने के बजाय अनुमान लगाना : यादातर लोग इतने उदासीन या आलसी होते ह
क वे असली त य खोजने क मेहनत ही नह करते ह, जनसे सट कता से सोचा जा
सकता है। वे अटकलबाज़ी या व रत आकलन से उ प “राय” पर काम करना यादा
पसंद करते ह।
30. पूँजी क कमी : यह पहली बार वसाय शु करने वाले लोग क असफलता का एक
आम कारण है, य क इन लोग के पास त ा बनने तक अपनी ग़ल तय का झटका
सहन करने और वसाय चलाते रहने के लए पया त पूँजी नह होती है।
31. अ य : इसम असफलता के उस न त कारण को रख ल, जसक वजह से आपने क
उठाया है, ले कन जो इस सूची म नह है।
भोजन : औसत अमे रक प रवार के पास जो सव ापी वतं ता उपल ध है, उसक
बदौलत हर प रवार को भोजन के ऐसे चयन क वतं ता अपने दरवाज़े पर उपल ध है,
जो व म कह उपल ध नह है और दाम भी इसक आ थक है सयत के भीतर है।
पोशाक : अमे रका म कह भी ी-पु ष अपने कपड़ क आव यकताएँ पूरी कर
सकते ह और औसत प रवार क तन वाह म आरामदे ह तरीक़े से पोशाक पहन सकते
ह।
आवास : हालाँ क मकान अलग-अलग आकार और गुणव ा के होते ह, ले कन हर
प रवार एक आरामदे ह घर या अपाटमट म रह सकता है, जो गम और ठं डा हो सकता है,
जसम खाना पकाने के लए गैस या बजली होती है और बजली क रोशनी होती है –
सब कुछ वा जब दाम पर।
अमे रका दौलत इकट् ठ करने क पूरी वतं ता और अवसर दे ता है, जो कोई ईमानदार
चाह सकता है। जब कोई शकार करने जाता है, तो वह कसी ऐसी जगह क तलाश
करता है, जहाँ शकार चुर मा ा म हो। दौलत चाहने के मामले म भी यही नयम वाभा वक
प से लागू होता है। दौलत चाहने वाले लोग , एक ऐसे दे श के पूँजीवाद तं को न करने से
पहले दोबारा सोच ल, जसके नाग रक हर साल वला सता क उन व तु पर करोड़ डॉलर
ख़च करते ह, जनके बारे म यादातर दे श के लोग सफ़ सपने दे खते ह।
यह भी याद रख क इन सामान को उ प करने, इनका प रवहन करने और बेचने के
वसाय म करोड़ ी-पु ष को नय मत रोज़गार मलता है, ज ह अपनी सेवा के बदले
हर महीने करोड़ डॉलर मलते ह और वे इ ह वला सता तथा आव यकता पर खुलकर
ख़च करते ह। सामान और गत सेवा के इस आदान- दान के पीछे दौलत सं ह के
अवसर क चुरता पाई जा सकती है।
यहाँ अमे रक वतं ता इंसान क मदद के लए आ जाती है। कोई भी चीज़ आपको या
कसी और को उस यास म संल न होने से नह रोक सकती, जो इन वसाय को
चलाने के लए आव यक है। य द कसी के पास े यो यता, श ण और अनुभव है, तो वह
भारी दौलत इकट् ठ कर सकता है। जो लोग इतने सौभा यशाली नह ह, वे कम दौलत इकट् ठ
कर सकते ह। ब त कम म के बदले म कोई भी आजी वका कमा सकता है।
आप यक़ नन पृ वी पर
अपने भा य के वामी ह, य क आपके पास
अपने ख़ुद के वचार को नयं त
करने क श है।
डर के छह भूत से ख़ुद को
आज़ाद कर ल।
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POWELL, LYMAN PIERSON, ed. Social
unrest. 2v $2.50 Review of reviews co. 308
20–1056
“The two volumes entitled ‘The social unrest’ present the best
current thought of leading authorities as now focussed on the
industrial and social problems of the day. The opinions of President
Wilson and ex-president Taft are set forth side by side with those of
Karl Marx, Morris Hillquit and Sidney Webb. All schools of opinion
have here at least the privilege of utterance. The material has been
edited and coordinated by Dr Lyman P. Powell.”—R of Rs
20–10634
Reviewed by G. E. Partridge
19–13304
20–16502
When Miss Joan Kirtland, who has left town very suddenly after a
disagreement with Mr Robert Sinclair, finds that the Harbor View
house cannot take her in, she is at a loss for a place to spend the
night. Captain ‘Bijah Dawson comes to her aid and suggests that the
light house people may take her in. As Captain ‘Bijah assured her,
they are “cur’ous folks,” Jim and Elspeth Pemberley and their little
son Garth, but their presence in this unusual situation is explained
and Joan, who had meant to stay a night, then a week, remains all
summer. Joan, who had thought she did not like children, is
captivated by Garth and at the end of the summer learns that Mr
Sinclair is his Uncle Bob. Jim Pemberley has aspirations toward the
navy and there is a German spy episode in the story.
20–14292
The story of three delightful children who play pirates and send
out a message in a sealed bottle that brings a surprising answer and
leads to a pleasantly mysterious correspondence. And then events
take a serious turn. What had been play becomes reality and the
“three poore mariners” become castaways indeed for the length of
one dreadful night. Their rescuer is no less person than the Bottle
man himself and a war-time romance is at the same time brought to
a happy culmination.
20–11661
(Eng ed 20–12124)
20–8220
20–16516
20–7060
“The story drags somewhat in places; but ... the book as a whole
may be read with a fair amount of satisfaction.”
“It is evidently Mr Pryde’s first novel, and it is far and above the
majority of ‘first novels.’ He writes with a good deal of style, and his
characterization is excellent to the least important actor on his
London stage.” G. M. H.
20–4039
“The types are not typical; they are primarily unconvincing. There
is an intense and urgent attempt at drama which, were it only
dramatic, would be Ibsen, even Wagner, in terms of men and not
gods. The play is disappointing to read, because it does not grip; it is
scarcely fitted for theatrical success, because it has insufficient
sustained interest.”
[2]
PUMPELLY, RAPHAEL. Travels and
adventures of Raphael Pumpelly; ed. by O. S. Rice. il
*$1.75 Holt
20–22545
(Eng ed 20–18166)
“This book is based on about twelve years’ experience of Diesel
engines, mainly from the drawing-office point of view, and is
intended to present an account of the main considerations which
control the design of these engines. The author ventures to hope that,
in addition to designers and draughtsmen, to whom such a book as
this is most naturally addressed, there may be other classes of
readers—for example, Diesel engine users and technical students—to
whom the following pages may be of interest.” (Preface) Contents:
First principles; Thermal efficiency; Exhaust, suction and scavenge;
The principle of similitude; Crank-shafts; Flywheels; Framework;
Cylinders and covers; Running gear; Fuel oil system; Air and exhaust
system; Compressed air system; Valve gear; Index. There are 271
figure illustrations.
19–16001
20–19578
[2]
PYLE, KATHARINE. Tales of wonder and
magic. il *$2 (3c) Little
20–19078
This is the third volume of old-world fairy tales and folk lore
translated, adapted and illustrated by the author. The stories are:
White as snow, red as blood, and black as a raven’s wing—Irish; The
wonderful ring—East Indian; The three sisters—Georgian; The
golden horse, the moon lantern, and the beautiful princess—
Swedish; The lady of the lake—Welsh; The beaver stick—American
Indian; The enchanted waterfall—Japanese; Fair, brown, and
trembling—Irish; The demon of the mountain—Transylvanian gipsy;
The Lamia—Hindoo; The three doves—Czech; Mighty-arm and
mighty-mouth—East Indian; The beautiful Melissa—Louisiana; The
castle that stood on golden pillars—Danish; The twelve months—
Czech.
Q
(Eng ed 19–6495)
“Charming volume.”
[2]
QUICKENS, QUARLES, pseud. English
notes. $15 L. M. Thompson, 29 Broadway, N.Y. 817
20–6982