जय त बटु क- भैरव भय हारी। जय त काल- भैरव बलकारी॥ जय त नाथ- भैरव व याता। जय त सव- भैरव सुखदाता॥ भैरव प कयो शव धारण। भव के भार उतारण कारण॥
भैरव रव सु न हवै भय री। सब व ध होय कामना पूरी॥
शेष महेश आ द गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥ जटा जूट शर चं वराजत। बाला मुकुट बजायठ साजत॥ क ट करधनी घुंघ बाजत। दशन करत सकल भय भाजत॥ जीवन दान दास को द ो। क ो कृपा नाथ तब ची ो॥ व स रसना ब न सारद- काली। द ो वर रा यो मम लाली॥ ध य ध य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥ कर शूल डम शु च कोड़ा। कृपा कटा सुयश न ह थोडा॥
जो भैरव नभय गुण गावत। अ स नव न ध फल पावत॥
प वशाल क ठन ख मोचन। ोध कराल लाल ं लोचन॥ अग णत भूत ेत संग डोलत। बम बम बम शव बम बम बोलत॥ काय काली के लाला। महा काल के हो काला॥
बटु क नाथ हो काल गंभीरा। वेत र अ याम शरीरा॥
करत नीन ं प काशा। भरत सुभ न कहं शुभ आशा॥ र न ज ड़त कंचन सहासन। ा चम शु च नम सुआनन॥ तुम ह जाइ का श ह जन याव ह। व नाथ कहं दशन पाव ह॥
जय भु संहारक सुन द जय। जय उ त हर उमा न द जय॥
भीम लोचन वान साथ जय। वैजनाथ ी जगतनाथ जय॥ महा भीम भीषण शरीर जय। य बक धीर वीर जय॥ अ वनाथ जय ेतनाथ जय। वाना ढ़ सयचं नाथ जय॥ न मष दगंबर च नाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥ ेशलेश भूतेश चं जय। ोध व स अमरेश न द जय॥ ी वामन नकुलेश च ड जय। कृत्याऊ क र त च ड जय॥ बटु क ोधेश कालधर। च तु ड दश पा ण ाल धर॥
क र मद पान श ु गुणगावत। च सठ यो गन संग नचावत॥
करत कृपा जन पर ब ढं गा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥ दे यं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥ जनकर नमल होय शरीरा। मटै सकल संकट भव पीरा॥
ी भैरव भूत के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलाद के ख नवारयो। सदा कृपाक र काज स हारयो॥ सु दर दास स हत अनुरागा। ी वासा नकट यागा॥ ी भैरव जी क जय ले यो। सकल कामना पूरण दे यो॥