Raidas Ke Pad - Prashn Uttar PDF

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(क) पहले पद म भगवान और भ की िजन-िजन चीजों से तु लना की गई
है , उनका उ ेख कीिजए।
]0 (क) पहले पद म भगवान और भ की िन िल खत चीजों से तु लना की गई
है -

1. भगवान की चंदन से और भ की पानी से ।


2. भगवान की घन बन से और भ की मोर से ।
3. भगवान की चाँ द से और भ की चकोर से
4. भगवान की दीपक से और भ की बाती से
5. भगवान की मोती से और भ की धागे से ।
6. भगवान की सुहागे से और भ को सोने से ।

(ख) पहले पद की ेक पं के अंत म तुकां त श ों के योग से नाद-


सौ ंदय आ गया है , जैसे-पानी, समानी आिद। इस पद म से अ तु कां त
श छाँटकर िल खए।

]0 (ख) अ तुकां त श इस कार ह

1. मोरा – चकोरा
2. बाती – राती
3. धागा – सुहागा
4. दासा – रै दासा
(ग) पहले पद म कुछ श अथ की ि से पर र संब ह। ऐसे श ों
को छाँ टकर िल खए-

]0 (ग)

1. चं दन – बास
2. घन बन – मोर
3. चं द – चकोर
4. मोती – धागा
5. सोना – सुहागा
6. ामी – दास

(घ) दू सरे पद म किव ने ‘गरीब िनवाजु िकसे कहा है ? कीिजए।

]0 (घ) दू सरे पद म किव ने अपने भु को ‘गरीब िनवाजु कहा है । इसका अथ


है -दीन-दु खयों पर दया करने वाला। भु ने रै दास जैसे अछूत माने जाने वाले
ाणी को संत की पदवी दान की। रै दास जन-जन के पू बने । उ महान
संतों जै सा स ान िमला। रै दास की ि म यह उनके भु की दीन-दयालु ता
और अपार कृपा ही है ।

(ङ) दू सरे पद की ‘जाकी छोित जगत कउ लागै ता पर तुही ं ढरै इस पं


का आशय कीिजए।

]0 (ङ) इसका आशय है -रै दास अछूत माने जाते थे। वे जाित से चमार थे ।
इसिलए लोग उनके छूने म भी दोष मानते थे। िफर भी भु उन पर िवत हो
गए। उ ोंने उ महान संत बना िदया।
(च) “रै दास ने अपने ामी को िकन-िकन नामों से पु कारा है ?

]0 (च) रै दास ने अपने ामी को ‘लाल , गरीब िनवाजु , गु सईआ, गोिबं दु आिद
नामों से पु कारा है ।

(छ) िन िल खत श ों के चिलत प िल खए-


मोरा, चंद, बाती जोित, बरै , राती, छ ु, धरै , छोित, तु ही ं, गु सईआ

]0 (छ)

यु प चिलत प

1. मोरा मोर
2. चं द चाँद
3. बाती ब ी
4. जोित ोित
5. बरै जलै
6. राती राि , रात
7. छ ु छ , छाता
8. धरै धारण करे
9. छोित छूते
10. तुहीं तु ीं
11. गुसईआ गोसाईं।
लघु उ रीय ो र

P`a0 1 रै दास के इन पदों का क ीय भाव अपने श ों म िल खए।


उ र- पहले पद का क ीय भाव यह है िक राम नाम की रट अब छूट नहीं
सकती। रै दास ने राम नाम को अपने अं ग-अंग म समा िलया है । वह उनका
अन भ बन चु का है ।
दू सरे पद का क ीय भाव यह है िक भु दीन दयालु ह, कृपालु ह, सवसमथ ह
तथा िनडर ह। वे अपनी कृपा से नीच को उ बना सकते ह। वे उ ारकता ह।

2.रै दास को िकसके नाम की रट लगी है ? वह उस आदत को ों नही ं


छोड़ पा रहे ह ?
उ र-रै दास को राम के नाम की रट लगी है । वह इस आदत को इसिलए नहीं
छोड़ पा रहे ह, ोंिक वे अपने आरा े भु के साथ िमलकर उसी तरह
एकाकार हो गए ह; जैसे-चंदन और पानी िमलकर एक-दू सरे के पू रक हो जाते
ह।

3.जाकी अंग-अंग वास समानी म जाकी िकसके िलए यु है ?


इससे किव को ा अिभ ाय है ?
उ र-‘जाकी अंग-अंग वास समानी म ‘जाकी श चं दन के िलए यु है ।
इससे किव का अिभ ाय है िजस कार चं दन म पानी िमलाने पर इसकी महक
फैल जाती है , उसी कार भु की भ का आनंद किव के अं ग-अं ग म समाया
आ है ।

4.‘तुम घन बन हम मोरा -ऐसी किव ने ों कहा है ?


उ र-रै दास अपने भु के अन भ ह, िज अपने आरा को दे खने से
असीम खुशी िमलती है । किव ने ऐसा इसिलए कहा है , ोंिक िजस कार वन
म रहने वाला मोर आसमान म िघरे बादलों को दे ख स हो जाता है , उसी
कार किव भी अपने आरा को दे खकर स होता है ।
5.जै से िचतवत चंद चकोरा के मा म से रै दास ने ा कहना चाहा है
?
उ र-‘जै से िचतवत चंद चकोरा के मा म से रै दास ने यह कहना चाहा है िक
िजस कार रात भर चाँ द को दे खने के बाद भी चकोर के ने अतृ रह जाते
ह, उसी कार किव रै दास के नै न भी िनरं तर भु को दे खने के बाद भी ासे
रह जाते ह।

6.रै दास ने अपने ‘लाल की िकन-िकन िवशे षताओं का उ ेख िकया


है ?
उ र-रै दास ने अपने ‘लाल की िवशेषता बताते ए उ गरीब नवाजु दीन-
दयालु और गरीबों का उ ारक बताया है । किव के लाल नीची जाितवालों पर
कृपाकर उ ऊँचा थान दे ते ह तथा अछूत समझे जाने वालों का उ ार करते
ह।

7.किव रै दास ने िकन-िकन सं तों का उ ेख अपने का म िकया है


और ों ?
उ र-किव रै दास ने नामदे व, कबीर, ि लोचन, सधना और सै न का उ ेख
अपने का म िकया है । इसके उ े ख के मा म से किव यह बताना चाहता है
िक उसके भु गरीबों के उ ारक ह। उ ोंने गरीबों और कमज़ोर लोगों पर
कृपा करके समाज म ऊँचा थान िदलाया है ।

8.किव ने गरीब िनवाजु िकसे कहा है और ों ?


उ र-किव ने गरीब िनवाजु अपने आरा भु को कहा है , ोंिक उ ोंने
गरीबों और कमज़ोर समझे जाने वाले और अछूत कहलाने वालों का उ ार
िकया है । इससे इन लोगों को समाज म मान-स ान और ऊँचा थान िमल सकी
है ।

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