Professional Documents
Culture Documents
The Truth Behind Hitler's Death
The Truth Behind Hitler's Death
नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से स्वागत है आप सभी का हमारे यु ट्यूब चैनल पर।
दोस्तों hm ने बचपन से ही हिटलर के बारे में तरह तरह की बातें सुनी होंगी। 1920 से
1945 तक बड़ी ही क्रूरता से शा सनकरने वाले क्रूर शाश कअडोल्फ हिटलर की कहानी सुनी या पढ़ी
होगी।
हिटलर ने अपने कारनामो से पूरी दुनियां को चौका दिया था। की आज भी किसी क्रूर, निर्दयी
इंसान को हिटलर की सज्ञा देकर सम्बोधित किया जाता है।
इतिहास हमें बतलाता है की 1945 में जब सेकंड वर्ल्ड वॉर खत्म होने ही वाली जिसमें
हिटलर को बुरी तरह से हार मिल रही थी जब सब उसके खिलाफ हो गए थे।
तब हिटलर अपनी वाइफ ईवा ब्लाउन के साथ अपने एक प्राइवेट बंकर में जाकर छिप गया था।
इसके साथ ही आज के इस वीडियो में हम डिस्कस करेंगे 30 अप्रैल 1945 को घटित हुई घटनाओ
के बारे में।
जब बरलेंन पर सोवियत यूनियन लगातार हमला कर रहा था। उस वक़्त वेस्टर्न अलाइस भी
जर्मनी को अप्रोच कर रहे थे।
हिटलर के टॉप ऑफिसियल ने भी हिटलर के ऑर्डर फॉलो करना बंद कर दिया था।
और उनमे से तो कईयों ने सोवियत यूनियन के सामने घुटने टेकते हुवे खुद को सरेंडर कर
दिया था। हिटलर को यह पता चल गया था की अब उसके जितने के चान्सेज खत्म हो चुके हैं।
इतिहास गवाह है की 30 अप्रैल 1945 को हिटलर अपना लास्ट स्टेटमेंट देने के बाद अपनी
वाइफ के साथ अपने प्राइवेट बंकर में चला गया….
उस वक़्त हिटलर बहुत डरा हुआ था क्योंकि यह वक़्त था उसके किये के रिटर्न को फेस करने
का। उसने सबको जो दिया आज वह उसको शुध समेत वापस मिल रहा था जब उसके साथ कोई नहीं
था वह अकेला पड़ गया था। सब उसके खिलाफ हो गए थे।
और हिटलर में मन में पल रहे मौत के ख़ौफ़ से ही उसे मौत को गले लगाने पर मजबूर कर
दिया। और इसी डर के के कारण वह अपनी वाइफ को आसान मौत देने के मकसद से उसे
सायनाइड दे देता है और खुद को गोली मार लेता है।
ऐसा कहा जाता है की जब गोली चली तब गोली चलने की आवाज बंकर में से आई थी। पर ताज्जुब की बात है की बंकर के
बाहर खडेकोई भीऑफिसियल अपनेजगह सेनहींहिलेथे ।
बतलाया जाता है इस घटना के काफ़ी देर बाद उन्ही बाहर खडे ऑफिसियल्स ने बंकर का
दरवाजा खोला, फिर हिटलर और ईवा की डेड बॉडी को वहां से निकालकर उसे एक बड़े से
गड्ढे में डाल दिया और उस गड्ढे में 50 लीटर पेट्रोल डालकर डेड बॉडी को आग लगा दिए।
हिटलर के मौत की स्टोरी को जिस तरह से समराइज किया गया बहुत से लोगों का मानना है की
वह सच नहीं है।
ऐसा ही एक बिलीव जेरार्ड विलियम का भी है जो कि एक प्रतिष्ठित जर्नलिस्ट हैं वह कहते हैं कि हिटलर की सुसाइड स्टोरी
कोई आँखों देखी घटना पर आधारित नहीं बल्कि केवल अंदाजा लगाया गया की बंकर में
जानेकेबाद हिटलर केसाथ ऐसाहुआहोगा।
अब फिक्शन और ट्रुथ में डिफरेंस हो सकता है। यह सम्भव है की उस क्रू र शासक ने सुसाइड ना किया हो बल्कि वह बंकर के
रास्तेवहांसेभाग निकलाहो।
जैसे ही हिटलर सुरंग के रास्ते वहां से भागने में कामयाब हो गया तब यह खबर फैला दी
गई की हिटलर ने सुरंग के अंदर खुद को गोली मार कर सुसाइड कर लिया। और उसकी जगह उसके
हम शक्ल की डेड बॉडी दिखा दी गई।
यहां पर यह बात गौर करने वाली है की हिटलर की डेथ की खबर सबसे पहले जर्मन रेडियो
पर अनाउंस की गई थी, और यह अनाउंसमेंट वेस्टर्न अलाइज के द्वारा नहीं बल्कि नॉजीज
ने खुद किया था।
कहा जाता है की हिटलर ने खुद को गोली मारी तो गोली मारने के बाद उसकी डेड बॉडी की कभी
कोई फोटो ऑफिसिली शे यरनहीं की गई। ना ही कभी हिटलर की कोई डेड बॉडी उस वक़्त पब्लिकली
प्रेजेंट की गई।
इस अनाउंसमेंट के दो दिन बाद 2nd may 1945 को सोवियत यूनियन ने हिटलर की तलाश में
उसके प्राइवेट बंकर को अपने कब्जे में ले लिया।
हिटलर हमशक्ल का बहुत इस्तेमाल किया करता था। और वर्ल्ड वॉर के समय भी हमशक्लो के
इस्तेमाल किये जाने का चलन जोरो शो रोंसे था।
युद्ध खत्म होने के बाद जब सोवियत यूनियन ने हिटलर के प्राइवेट बंकर में तला शी ली तो
उन्हें वहां पर एक डेड बॉडी मिली। जिस डेड बॉडी का हुलिया हूबहू हिटलर से मिलता जुलता
था।
सोवियत यूनियन ने यह क्लियर किया की वह डेड बॉडी हिटलर की नहीं थी बल्कि वह डेड बॉडी
हिटलर के हमशक्ल की थी। एक्चुअली हिटलर की कभी डेड बॉडी मिली ही नहीं थी। अगर मिली
होती तो उसे लोगों के सामने जरूर लाया जाता।
सन 1947 में एक मीडिवल हिस्ट्री के प्रोफेसर ट्रेवर रोपर ने एक रिपोर्ट लिखी जिस
रिपोर्ट में उन्होंने यह बताया की हिटलर की एक्चुअल डेथ 30 अप्रैल 1945 को हुई थी और
हिटलर ने सुसाइड किया था।
पर यहां गौर फरमानें वाली बात यह है की आखिरकार प्रोफ़ेसर ट्रेवर रोपर के पास
डेटक्टिव वर्क का पिछला कोई एक्सपीरियंस नहीं था। फिर उन्होंने इतने बड़े क्रू र शासक की डेथ रिपोर्ट बिना किसी आधार
के क्यों और कैसे लिखी।
ऐसा मानना है की उनके द्वारा लिखें गए रिपोर्ट का आधार आई विटनेस थे। जो हिटलर के सुसाइड के वक़् त वहां मौजूद थे।
यहां गौर फरमानें वाली बात यह है की हिटलर अपने प्राइवेट बंकर में अपने वाइफ के
साथ गया था उसके अलावा वहां कोई नहीं था।
बंकर के बाहर ऑफिसीयल्स थे। पर गोली की आवाज आने पर भी वह कुछ देर तक अंदर नहीं
गए थे।
यह रिपोर्ट अगर किसी आई विटनेस जो की उस वक़्त वहां मौजूद थे उनके द्वारा लिखी गई होती
तो एक बार विवास
क श्वा
रना आसान होता।
पर यहां तो आई विटनेस का हवाला देकर जो रिपोर्ट बनाई गई उस रिपोर्ट का कोई पुख्ता आधार
ना होने की वजह से उस रिपोर्ट को डाइजेस्ट कर पाना सब के लिए पॉसिबल नहीं।
सोवियत यूनियन ने प्रोफ़ेसर ट्रेवर रोपर को हिटलर की डेथ से जुडी जांच में को-ऑ प रे ट
करने से मना कर दिया था। वह उसे ढंग से इन्वेस्टीगेशन करने भी नहीं दे रहे थे। केस
में मिले क्लू को ट्रेवर रोपर के साथ शे यरनहीं किया जा रहा था। जिसकी वजह से प्रोफ़ेसर
को अपनी रिपोर्ट बिना किसी पुख्ता सबूत की प्रेजेंट करनी पड़ी।
अब इतनी सारी कॉन्ट्रैवर्सी के बाद बिना किसी पुख्ता आधार के सिर्फ नाज़िज़ की बातों को सुनकर क्या आपको लगता है की
हिटलर की डे
थ की खबर को सच मान ले नाचाहिए।
पर जब सोवियत यूनियन ने भी इस स्टेटमेंट पर अपनी मुहर लगा दी की बंकर में मिली डेड
बॉडी हिटलर की ही थी तो फिर इसके बाद सबको चुप्पी साधनी पड़ी।
सोवियत यूनियन ने तो खुद ही पहले यह कहा था कि बंकर में मिली डेड बॉडी हिटलर की नहीं
बल्कि हिटलर के हमशक्ल की थी। अब फिर अचानक कई साल बाद सोवियत यूनियन को ऐसा क्या
हुआ कि वे उस डेड बॉडी को हिटलर की ही बॉडी बताने लगे।
इसके अलावा सोवियत यूनियन ने बिना एफबीआई के को सूचना दिए खुद से ही एक ऑटोप्सी
कंडक्ट किये और ऑटोपसी रिपोर्ट में यह बतलाया गया कि उस skull के डेंटल रिकॉर्ड
हिटलर के डेंटल रिकॉर्ड्स से मैच करते हैं।
23 साल तक वही सोवियत यूनियन यह कहती रही की बंकर में मिली डेड बॉडी हिटकर की नहीं थी
फिर वही सोवियत यूनियन यह कहने लगी वह डेड बॉडी हिटलर की ही थी।
हिटलर के ऑटोप्सी रिपोर्ट और रसीयन अनॉउन्समेंट ने दुनियां का मुंह अगले 40 वर्षो तक,
तब तक के लिए बंद कर दिया और जब तक की उस skull का डीएनए टेस्ट नहीं हुआ था।
जिससे यह साफ हो गया इस सोवियत यूनियन ने जिस बॉडी पर ऑटोप्सी कंडक्ट कर रिपोर्ट
तैयार कर पूरी दुनिया को यह बताया था की यह बॉडी हिटलर की बॉडी है। डीएनए टेस्ट के बाद
सबको यह सच पता चल गया की वह skull हिटलर का था ही नहीं।
अब सवाल यह उठता है कि 30 अप्रैल को जब हिटलर की मौत हुई ही नहीं थी तो फिर क्या हिटलर उस बंकर के रास्ते वहां
से भागने में कामयाब हो गया था। और भागा भी तो आखिरकार हिटलर भाग कर गया कहां क्या
वह आज भी हमारे आसपास जिंदा घूम रहा है।
इन सबके पीछे एक रहस्यमई स्टोरी है जो यह कुछ बताती है की हिटलर को सेकंड वर्ल्ड वॉर
के बाद इंडियागो में और स्पेन में देखा गया था।
इन सब के बीच एक ऐसी रहस्यमई थ्योरी है जिसको एविडेंस के साथ दिखाया गया है। और
उन्ही एविडेंस पर बेस्ड कई डॉक्यूमेंट्रीज और फिल्मे बनाई गई हैं।
Douglas dietrich नाम के एक हिस्टोरियन के द्वारा प्रस्तुत थ्योरी के मुताबिक सेकंड वर्ल्ड
वॉर के बाद हिटलर को अंटार्कटिका में देखा गया था तो क्या इसका मतलब हिटलर ने साउथ
पोल जाकर एक नया नागजी साम्राज्य शुरू कर दिया।
वर्ल्ड वॉर टू के बाद कई लंबी सुरंगें मिलने के बाद यह सम्भव लगने लगा की हो सकता है
हिटलर के द्वारा सुरंग से भागने की बात सच हो।
इससे पता चलता है कि ना naziz के पास इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी और स्किल्स थे। पर क्या
उसके बेसिस पर उन्होंने 9000 miles दूर अंटार्कटिका में भी एक नई कॉलोनी बना ली थी।
1938 में नाज़िज़ ने साउथ पोल में एक मिशन भेजा था। जिसे साइंटिफिक मिशन कहा गया था।
पर इस पूरे मिशन का जो मास्टरमाइंड था वह हरमन कोरिंग था नाजीज यह सोचते थे कि वह
पूरे अंटार्कटिका को कैप्चर करके उसे क्लेम करके हॉस्पिटेबल बना सकते हैं
क्योंकि पूरी दुनिया में अंटार्कटिका ही एक ऐसा स्थान बचा था, जिसे किसी ने एक्सप्लोर नहीं
किया था। नाजिज को वहां अपनी मजबूत पकड़ बनानी थी और उसे कोलोनाइज भी करना था।
उन्होंने खुले तौर पर यह बात कही कि उन्होंने साउथ पोल में ऑलरेडी एक फ़ोर्ट बना रखा
है।