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Chapter 2 : Sadhana Pada

तपःस्वाध्यायेश्वरप्र णधाना न क्रियायोगः (2.1)


पदच्छे द: तपः, स्वाध्याय, ईश्वर-प्र णधाना न, क्रिया-योग: ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: तप, अध्यात्मशास्त्रों के पठन-पाठन और ईश्वर शरणाग त - ये तीनों क्रिया योग हैं।

English: Austerity, study of sacred literature and surrendering fruits of work to God are called
Kriya-Yoga (Yoga in the form of action).

समा धभावनाथर्गः क्लेशतनूकरणाथर्गश्च (2.2)


पदच्छे द: समा ध , भावना , अथर्गः , क्लेश , तनू , करण , अथर्ग: , च ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: यह क्रियायोग समा ध की सद् ध के लए और अ वद्या द क्लेशों को क्षीण करने के लए है ।

English: (It is for) the practice of Samadhi and minimize obstacles


अ वद्यािस्मतारागद्वेषा भ नवेशाः क्लेशाः (2.3)
पदच्छे द: अ वद्या , अिस्मता , राग , द्वेष , अ भ नवेशाः , क्लेशाः॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: अ वद्या, अिस्मता (अहं कार), राग, द्वेष और अ भ नवेश (जीवन के प्र त ममता) - ये पाँचों क्लेश हैं।

English: Ignorance, egoism, attachment, aversion and clinging to life - are the five Klesas.

अ वद्याक्षेत्रमुत्तिरे षां प्रसुप्ततनु विच्छन्नोदाराणाम ्(2.4)


पदच्छे द: अ वद्या , क्षेत्रम ् , उत्तिरे षाम ् , प्रसुप्त , तनु , विच्छन्न , उदाराणाम ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: अ वद्या ही अगले शेष चार अथार्गत ् अिस्मता, राग, द्वेष और अ भ नवेश क्लेशों का उत्प त्ति क्षेत्र है , जो प्रसुप्त, श थल
कर दए गए, कभी अन्य वृ त्ति के द्वारा विच्छन्न अथार्गत ् अ भभूत होकर और उदार होकर - इन चार प्रकार की अवस्थाओं वाले
होते हैं ।
English: Ignorance is the breeding ground for the others (asmita, raga, dvesha, abhinivesah).
Whether they are dormant, attenuated, overpowered or active
स त मूले तद् वपाको जात्यायुभर्भोगाः (2.13)
पदच्छे द: स त , मूले , तत ् , वपाक: , जा त , आयु , भोगाः ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: मूल के वद्यमान रहनेतक उस कमार्गशय का प रणाम जन्म, आयु और भोग के रूप में प्राप्त होता रहता है ।

English: As long as klesa remains at the root, the fruition comes in the form of birth, life and
experience of pleasure and pain.

ते ह्लादप रतापफलाः पुण्यापुण्यहे तुत्वात ् (2.14)


पदच्छे द: ते , ह्लाद , प रताप , फलाः , पुण्य , अपुण्य , हे तुत्वात ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: वे (जन्म, आयु और भोग) हषर्ग शोकरूपी फल दे ते हैं, क्यों क पुण्य और पाप उनके यथाक्रिम से कारण हैं ।

English: The karmas bear fruits of pleasure or pain, caused by virtue or vice
प रणामतापसंस्कारदुःखैगण
ुर्ग वृ त्ति वरोधाच्च दुःखमेव सवर्थं ववे कनः (2.15)
पदच्छे द: प रणाम , ताप , संस्कार , दुःखै , गुण , वृ त्ति , वरोधात ् , च , दुःखम ् , एव , सवर्गम ् , ववे कनः ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: प रणाम दु:ख, ताप दु:ख और संस्कार दु:ख, इन तीन प्रकार के दु:खों के कारण और तीनों गुणों की वृ त्तियों में परस्पर
वरोधी स्वभाव के कारण ववेकी के लए सब-के-सब कमर्गफल दु:खरूप ही हैं ।

English: The discriminating persons apprehend (by analysis and anticipation) all is, as it were,
sorrowful on account of everything bringing pain, either in the consequences, or in apprehension,
or in attitudes caused by impressions, also on account of the contrary nature of the three gunas.

हे यं दुःखमनागतम ् (2.16)
पदच्छे द: हे यम ् , दुःखम ् , अनागतम ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: जो आया नहीं है आनेवाला है वह दु:ख त्यागने योग्य है ।

English: The misery which is not yet come is avoidable


द्र टृ दृश्ययोः संयोगो हे यहे तुः (2.17)
पदच्छे द: द्र टृ , दृश्ययोः , संयोग: , हे य: , हे तुः ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: द्र टा और दृश्य का संयोग उक्त दु:ख का कारण है ।

English: The cause of that which is to be avoided is the union of the Seer(subject) and the
seen(object).

प्रकाश क्रियािस्थ तशीलं भूतिे न्द्रयात्मकं भोगापवगार्गथर्थं दृश्यम ् (2.18)


पदच्छे द: प्रकाश , क्रिया , िस्थ त , शीलम ् , भूतिे न्द्रय , आत्मकम ् , भोग , अपवगर्ग , अथर्गम ् , दृश्यम ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: प्रकाश क्रिया और िस्थ त िजसका स्वभाव है , भूत और इिन्द्रयाँ िजसका स्वरूप हैं, पुरुष के लए भोग और मुिक्त ही
िजसका प्रयोजन है , वह दृश्य है ।
English: The experienced is composed of elements and sense organs, is of the nature of
illumination, action and inertia,whose purpose is to provide both experiences and emancipation to
the Purusha.
वशेषा वशेष लङ्गमात्रा लङ्गा न गुणपवार्ग ण (2.19)
पदच्छे द: वशेष , अ वशेष , लङ्गमात्र , अ लङ्गा न , गुण , पवार्ग ण ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: वशेष, अ वशेष, लंगमात्र और अ लंग - ये चार सत्त्वा द गुणों के भेद अथार्गत ् अवस्थाएँ हैं ।

English: The states of the Gunas(qualities) are - diversified, undiversified, indicated only and
signless.

द्र टा दृ शमात्रः शुद्धोऽ प प्रत्ययानुपश्यः (2.20)


पदच्छे द: द्र टा , दृ शमात्रः , शुद्ध: , अ प , प्रत्यय: , अनुपश्यः ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: द्र टा जो चेतनमात्र ज्ञानस्वरूप आत्मा है । यद्य प वह शुद्ध अथार्गत ् न वर्गकार होता हु आ भी बुद् धवृ त्ति के अनुरूप
दे खनेवाला है ।

English: The Seer is absolute knower. Although pure, seen through the colouring of the intellect
तदथर्ग एव दृश्यस्यात्मा (2.21)
पदच्छे द: तत ् , अथर्ग , एव , दृश्यस्य , आत्मा ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: उक्त दृश्य का स्वरूप उस द्र टा के लए ही है ।
English: The nature of the experience exists only to serve the purpose of the Atma.

कृ ताथर्थं प्र त न टमप्यन टं तदन्यसाधारणत्वात ् (2.22)


पदच्छे द: कृ ताथर्गम ् , प्र त , न टम ् , अ प , अन टम ् , तत ् , अन्य , साधारणत्वात ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: िजसका प्रयोजन अथार्गत ् भोग और अपवगर्गरूप कायर्ग पूणर्ग हो गया है , उस पुरुष के लए नाश को प्राप्त हु ई भी वह प्रकृ त
न ट नहीं होती है , क्यों क वह दूसरों अथार्गत ् िजन पुरुषों का प्रयोजन अभी सद्ध नहीं हु आ, उनके लये साधारण है ।

English: Though destroyed for him whose goal has been gained, yet it still exists for others, being
common to them
स्वस्वा मशक्त्योः स्वरूपोपलि धहे तुः संयोगः (2.23)
पदच्छे द:स्व , स्वा म , शक्त्योः , स्वरूप , उपलि ध , हे तुः , संयोगः ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: दृश्य (प्रकृ त) और स्वामी (द्र टा पुरुष) इन दोनों शिक्तयों के स्वरूप की प्रािप्त का कारण संयोग है ।

English: The union of Purusha and Prakrti causes the realisation of the nature of both the powers.

तस्य हे तुर वद्या (2.24)


पदच्छे द: तस्य , हे तुः , अ वद्या ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: उस संयोग का कारण अ वद्या है ।
English: Ignorance is the cause of this union
तदभावात ् संयोगाभावो हानं तद् दृशेः कैवल्यम ् (2.25)
पदच्छे द: तत ् , अभावात ् , संयोग: , अभाव: , हानम ् , तत ् , दृशेः , कैवल्यम ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: उस अ वद्या के अभाव से संयोग का अभाव हो जाता है , यही हान अज्ञान का प रत्याग है और वही द्र टा चेतन आत्मा
का 'कैवल्य' अथार्गत ् मोक्ष है ।

English: : There being absence of that (ignorance) there is absence of union, which is the thing to
be avoided, that is the state of liberation of the Seer.

ववेकख्या तर वप्लवा हानोपायः (2.26)


पदच्छे द: ववेकख्या त: , अ वप्लवा , हान , उपायः ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: उस अ वद्या के अभाव से संयोग का अभाव हो जाता है , यही हान अज्ञान का प रत्याग है और वही द्र टा चेतन आत्मा
का 'कैवल्य' अथार्गत ् मोक्ष है ।

English: Clear and distinct discriminative knowledge is the means of destruction of ignorance.
तस्य सप्तधा प्रान्तभू मः प्रज्ञा (2.27)
पदच्छे द: तस्य , सप्तधा , प्रान्तभू मः , प्रज्ञा ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: सात प्रकार की अिन्तम िस्थ त वाली बुद् ध होती है ।

English: His (the yogi who has acquired discriminative enlightenment) knowledge is of the sevenfold
highest ground.

योगाङ्गाऽनु ठानादशुद् धक्षये ज्ञानदीिप्तरा ववेकख्यातेः (2.28)


पदच्छे द: योग , अङ्ग , अनु ठानात ् , अशुद् ध: , क्षये , ज्ञान , दीिप्त: , आ ववेकख्यातेः ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: योग के व भन्न अंगों का अनु ठान से अप वत्रता के नाश होने पर ज्ञान का प्रकाश ववेकख्या तपयर्गन्त हो जाता है ।

English: By the practice of the limbs of Yoga the impurities being destroyed knowledge becomes
effulgent, up to discrimination.
यम नयमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽ टावङ्गा न (2.29)
पदच्छे द: यम , नयम , आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान , समाधय: , अ टौ , अङ्गा न॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: यम, नयम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समा ध; ये आठ योग के अंग हैं ।

English: Yama, Niyama, Asana, Pranayama, Pratyahara, Dharana, Dhyana, Samadhi; are the eight
limbs of Yoga.

अ हंसासत्यास्तेयब्रह्मचयार्गप रग्रहा यमाः (2.30)


पदच्छे द: अ हंसा , सत्य , अस्तेय , ब्रह्मचयर्ग , अप रग्रहा: , यमाः॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: अ हंसा, यथाथर्ग ज्ञान, अस्तेय(चाेरी का अभाव), ब्रह्मचयर्ग और अप रग्रह(संग्रह का अभाव) - ये पाँच यम हैं ।

English: Ahimsa, Satya, Asteya(non-stealing), Bramacharya and Aparigraha (non-greed) - are the
five Yamas.
जा तदे शकालसमयानविच्छन्नाः सावर्गभौमा महाव्रतम ् (2.31)
पदच्छे द: जा त , दे श , काल , समय , अनविच्छन्नाः , सावर्गभौमा: , महाव्रतम ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: उक्त यम जा त, दे श, काल और वशेष नयम की सीमा से र हत और सब अवस्थाओं में पालन करने योग्य महाव्रत
कहलाते हैं ।

English: Those (the five vows) are not limited by class, place, time and circumstance are
extending to all stages constitute the Great Vow.

शौचसंतोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्र णधाना न नयमाः (2.32)


पदच्छे द: शौच , संतोष , तपः , स्वाध्याय , ईश्वर , प्र णधाना न , नयमा: ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: बाह्य एवं अंत:स्वच्छता संतुि ट तप स्वाध्याय और ईश्वर-शरणाग त - ये पाँच नयम हैं।
English: Internal and external purification, contentment, austerity, self-study and devotion to God -
are the Niyamas.
वतकर्गबाधने प्र तपक्षभावनम ् (2.33)
पदच्छे द: वतकर्ग , बाधने , प्र तपक्ष , भावनम ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: वतकर्ग यम और नयमों के हंसा द के भाव यम- नयम के पालन में बाधा पहु ँचावें तब उनके प्र तपक्षी वचारों का
बारं बार चन्तन करना चा हए ।

English: To obstruct thoughts which are inimical to Yoga contrary thoughts should be cultivated.

वतकार्ग हंसादयः कृ तका रतानुमो दता लोभक्रिोधमोहपूवक


र्ग ा मृदम
ु ध्या धमात्रा
दुःखाज्ञानानन्तफला इ त प्र तपक्षभावनम ् (2.34)
पदच्छे द: वतकार्ग: , हंसा , आदयः , कृ त , का रत , अनुमो दता: , लोभ , क्रिोध , मोह , पूवक
र्ग ा: , मृद ु , मध्य , अ धमात्रा: , दुःख , अज्ञान
, अनन्त , फला: , इ त , प्र तपक्ष , भावनम ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: यम और नयमों के वरोधी हंसा आ द भाव वतकर्ग कहलाते हैं; जो तीन प्रकार के होते हैं - स्वयं कए हु ए दूसरों से करवाये हु ए
और अनुमो दत कए हु ए । इनके कारण हैं - लोभ, क्रिोध और मोह । इनमें भी कोई मृद,ु मध्यम और बड़ा होता है ये क्लेश और अज्ञान का
अनन्त फल दे नेवाले हैं । ऐसा वचार करना ही प्र तपक्ष की भावना है ।

English: The obstacles to yoga - such as acts of violence and untruth - may be directly created or
indirectly caused or approved; either through avarice, or anger, or ignorance; whether mild, moderate, or
intense, and result is innumerable ignorances and miseries. This is (the method of) thinking the contrary.
अ हंसाप्र त ठायां तत्सिन्नधौ वैरत्यागः (2.35)
पदच्छे द: अ हंसा , प्र त ठायाम ् , तत ् , सिन्नधौ , वैर , त्यागः॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: अ हंसा की दृढ़ िस्थ त हो जाने पर उस योगी के नकट सब प्राणी वैरभाव त्याग कर दे ते हैं ।

Sanskrit:

English: On being firmly established in non-violence, all beings coming near him cease to be hostile.

सत्यप्र त ठायां क्रियाफलाश्रयत्वम ् (2.36)


पदच्छे द: सत्य , प्र त ठायाम ् , क्रिया , फल , आश्रयत्वम ्॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: सत्य में दृढ़ िस्थ त हो जाने पर उस योगी की क्रिया अथार्गत ् कमर्ग फल के आश्रय का भाव आ जाता है ।

English: On being firmly established in truthfulness the Yogi gets the power of attaining for himself and
others the fruits of work without the work
अस्तेयप्र त ठायां सवर्गरत्नोपस्थानम ् (2.37)
पदच्छे द: अस्तेय , प्र त ठायाम ् , सवर्ग , रत्न , उपस्थानम ् ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: अस्तेय अथार्गत ् चोरी के अभाव में दृढ़ िस्थ त हो जाने पर उस योगी के सामने सब प्रकार के रत्न प्रकट हो जाते हैं ।

English: On being firmly established in non-stealing all wealth comes to the Yogi.

ब्रह्मचयर्गप्र त ठायां वीयर्गलाभः (2.38)


पदच्छे द: ब्रह्मचयर्ग , प्र त ठायाम ् , वीयर्ग , लाभः ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: ब्रह्मचयर्ग में दृढ़ िस्थ त हो जाने पर साम यर्ग का लाभ होता है ।

English: When continence is established energy is gained.


अप रग्रहस्थैयर्ये जन्मकथंतासंबोधः (2.39)
पदच्छे द: अप रग्रह: , स्थैयर्ये , जन्म , कथन्ता , सम्बोधः ॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: अप रग्रह के दृढ़ प्र ति ठत हो जानेपर; पूवज
र्ग न्म कैसे हु ए थे ? इस बात का भलीभाँ त ज्ञान हो जाता है ।
English: When a man becomes steadfast in non-receiving, he gets the memory of past life.

शौचात ् स्वाङ्गजुगुप्सा परै रसंसगर्गः (2.40)


पदच्छे द: शौचात ् , स्व , अङ्ग , जुगुप्सा , परै : , असंसगर्गः॥
सूत्राथर्ग / Sutra Meaning
Hindi: शौच के पालन से अपने अंगों में वैराग्य और दूसरों के साथ संसगर्ग न करने की भी फर प्रवृ त्ति नहीं रहती ।

English: When internal and external cleanliness being established, aversion towards one's own
body is developed and thus aversion extends to contact with others bodies.

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