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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

सकट चौथ पूजा विधि


ॐ ॐ

❖ सकट चौथ के दिन प्रात:काल में गं गाजल बाल्टी में डालकर स्नान करें
ॐ ॐ
। उसके बाि पीले या लाल वस्त्र धारण करें । पूजा स्थान की सफाई


कर लें। ॐ
❖ हाथ में जल, अक्षत् और फूल लेकर सकट चौथ व्रत एवं गणेश जी

.in
ॐ की पूजा का सं कल्प लें। ॐ
df
❖ एक चौकी पर पीला कपडा दबछाकर गणेश जी की मूदति या तस्वीर
ॐ ॐ
को स्थादपत करें। दफर गणेश जी का गं गाजल से अभिषेक करें।
ap

दफर चं िन या रोली लगाएं ।


ॐ ॐ
st

❖ अब अक्षत्, लाल पुष्प, िूवाि, फल, जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता,


In

हल्दी, िही, शहि, मोिक, वस्त्र, धूप, िीप, गं ध आदि अदपित करें। ॐ

गणेश जी को तुलसी का पत्ता न अदपित करें।
ॐ ❖ सकट चौथ पर गणेश जी को दतल से बने खाद्य पिाथों का िोग ॐ

लगाएं । इसे दतल चौथ या दतलकु ट चौथ िी इस वजह से कहते हैं।


ॐ ॐ
❖ सकट चौथ से एक दिन पूवि साभिक िोजन करें। तामभसक वस्तुओ ं
और दवचारों का सेवन बं ि कर िें । व्रत और पूजा के भलए तन, मन
ॐ ॐ
और कमि से शुद्ध हो जाएं ।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

सकट चौथ व्रत कथा


ॐ ॐ

सकट चौथ व्रत कथा को सं कष्टी गणेश चतुथी िी कहा जाता है। हर
ॐ ॐ
साल माघ मास की चतुथी दतभथ को सकट चौथ व्रत रखा जाता है। इस


दिन मदहलाएं अपने पुत्र की लं बी उम्र और सुखी जीवन की िगवान ॐ
गणेश से प्राथिना करती हैं।

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ॐ ॐ
पहली कथा df
ॐ ॐ
एक समय िगवान दवष्णु और माता लक्ष्मी के दववाह की तैयाररयां चल
ap

रही थीं, इसमें सिी िे वताओं को दनमं दत्रत दकया गया लेदकन दवघ्नहताि
ॐ ॐ
st

गणेश जी को दनमं त्रण नहीं िेजा गया। सिी िे वता अपनी पभियों के
In

साथ दववाह में आए लेदकन गणेश जी उपस्थस्थत नहीं थे, ऐसा िे खकर ॐ

िे वताओं ने िगवान दवष्णु से इसका कारण पूछा।
ॐ ॐ

उन्ोंने कहा दक िगवान भशव और पाविती को दनमं त्रण िेजा है, गणेश
ॐ ॐ
अपने माता-दपता के साथ आना चाहें तो आ सकते हैं। हालांदक उनको
सवा मन मूं ग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का
ॐ ॐ
िोजन दिनिर में चादहए।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
यदि वे नहीं आएं तो अच्छा है। िूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-
पीना अच्छा िी नहीं लगता। इस िौरान दकसी िे वता ने कहा दक गणेश
ॐ ॐ
जी अगर आएं तो उनको घर के िे खरेख की भजम्मेिारी िी जा सकती है।

ॐ ॐ
उनसे कहा जा सकता है दक आप चूहे पर धीरे-धीरे जाएं गे तो बाराज आगे

ॐ चली जाएगी और आप पीछे रह जाएं गे, ऐसे में आप घर की िे खरेख करें। ॐ

योजना के अनुसार, दवष्णु जी के दनमं त्रण पर गणेश जी वहां उपस्थस्थत हो

.in
ॐ ॐ
गए। उनको घर के िे खरेख की भजम्मेिारी िे िी गई।
df
ॐ ॐ
ap
बारात घर से दनकल गई और गणेश जी िरवाजे पर ही बैठे थे, यह
िे खकर नारि जी ने इसका कारण पूछा तो उन्ोंने कहा दक दवष्णु िगवान ॐ

st

ने उनका अपमान दकया है। तब नारि जी ने गणेश जी को एक सुझाव


In

ॐ दिया। गणपदत ने सुझाव के तहत अपने चूहों की सेना बारात के आगे ॐ


िेज िी, भजसने पूरे रास्ते खोि दिए। इसके फलस्वरूप िे वताओं के रथों के
ॐ ॐ
पदहए रास्तों में ही फंस गए।

ॐ ॐ
बारात आगे नहीं जा पा रही थी। दकसी के समझ में कु छ िी नहीं आ रहा
था दक क्या दकया जाए, तब नारि जी ने गणेश जी को बुलाने का उपाय
ॐ ॐ
दिया तादक िे वताओं के दवघ्न िूर हो जाएं ।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
िगवान भशव के आिे श पर नं िी गजानन को लेकर आए। िे वताओं ने
गणेश जी का पूजन दकया, तब जाकर रथ के पदहए गड्ों से दनकल तो गए
ॐ ॐ
लेदकन कई पदहए टू ट गए थे।

ॐ ॐ
उस समय पास में ही एक लोहार काम कर रहा था, उसे बुलाया गया।

ॐ उसने अपना काम शुरू करने से पहले गणेश जी का मन ही मन स्मरण ॐ

दकया और िे खते ही िे खते सिी रथों के पदहयों को ठीक कर दिया।

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ॐ ॐ
df
उसने िे वताओं से कहा दक लगता है आप सिी ने शुि कायि प्रारं ि करने
ॐ ॐ
ap
से पहले दवघ्नहताि गणेश जी की पूजा नहीं की है, तिी ऐसा सं कट आया
है। आप सब गणेश जी का ध्यान कर आगे जाएं , आपके सारे काम हो ॐ

st

जाएं गे।
In

ॐ ॐ
िे वताओं ने गणेश जी की जय जयकार की और बारात अपने गं तव्य तक
ॐ ॐ
सकु शल पहंच गई। िगवान दवष्णु और माता लक्ष्मी का दववाह सं पन्न हो
गया।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

िूसरी कथा
ॐ ॐ
एक दिन माता पाविती निी दकनारे िगवान भशव के साथ बैठी थीं। उनको


चोपड खेलने की इच्छा हई, लेदकन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, ॐ
जो खेल में हार जीत का फैसला करे।

ॐ ॐ

ऐसे में माता पाविती और भशव जी ने एक दमट्टी की मूदति में जान फूंक िी

.in
ॐ ॐ
और उसे दनणाियक की िूदमका िी। खेल में माता पाविती लगातार तीन से
df
चार बार दवजयी हई, लेदकन एक बार बालक ने गलती से माता पाविती
ॐ ॐ
ap
को हारा हआ और िगवान भशव को दवजयी घोदषत कर दिया। इस पर
पाविती जी उससे क्रोभधत हो गई। ॐ

st
In

ॐ क्रोभधत पाविती जी ने उसे बालक को लं गडा बना दिया। उसने माता से ॐ


माफी मांगी, लेदकन उन्ोंने कहा दक श्राप अब वापस नहीं भलया जा
ॐ ॐ
सकता, पर एक उपाय है। सं कष्टी के दिन यहां पर कु छ कन्याएं पूजन के
भलए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की दवभध पूछना। तुम िी वैसे ही व्रत
ॐ ॐ
और पूजा करना। माता पाविती के कहे अनुसार उसने वैसा ही दकया।
उसकी पूजा से प्रसन्न होकर िगवान गणेश उसके सं कटों को िूर कर िे ते
ॐ ॐ
हैं।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

तीसरी कथा
ॐ ॐ
राजा हररश्चं द्र के राज्य में एक कु म्हार था। वह दमट्टी के बतिन बनाता,


लेदकन वे कच्चे रह जाते थे। एक पुजारी की सलाह पर उसने इस समस्या ॐ
को िूर करने के भलए एक छोटे बालक को दमट्टी के बतिनों के साथ आं ता

ॐ में डाल दिया। उसिूर करने के भलए एक छोटे बालक को दमट्टी के बतिनों ॐ

के साथ आं वा में डाल दिया।

.in
ॐ ॐ
df
उस दिन सं कष्टी चतुथी का दिन था। उस बच्चे की मां अपने बेटे के भलए
ॐ ॐ
ap
परे शान थी। उसने गणेश जी से बेटे की कु शलता की प्राथिना की िूसरे
दिन जब कु म्हार ने सुबह उठकर िे खा तो आं वा में उसके बतिन तो पक ॐ

st

गए थे, लेदकन बच्चो का बाल बांका िी नहीं हआ था।


In

ॐ ॐ
वह डर गया और राजा के िरबार में जाकर सारी घटना बताई। इसके बाि
ॐ ॐ
राजा ने उस बच्चे और उसकी मां को बुलवाया तो मां ने सिी तरह के
दवघ्न को िूर करने वाले सं कष्टी चतुथी का वणिन दकया। इस घटना के बाि
ॐ ॐ
से मदहलाएं सं तान और पररवार के सौिाग्य के भलए सकट चौथ का व्रत
करने लगीं।
ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

चौथी कथा
ॐ ॐ


दतल चतुथी से सं बं भधत पौराभणक गणेश कथा के अनुसार एक बार िे वता ॐ
कई दवपिाओं में दघरे थे। तब वह मिि मांगने िगवान भशव के पास

ॐ आए। उस समय भशव के साथ कादतिकेय तथा गणेशजी िी बैठे थे। ॐ

.in
ॐ ॐ
िे वताओं की बात सुनकर भशवजी ने कादतिकेय व गणेशजी से पूछा दक तुम
df
में से कौन िे वताओं के कष्टों का दनवारण कर सकता है। तब कादतिकेय व
ॐ ॐ
ap
गणेशजी िोनों ने ही स्वयं को इस कायि के भलए सक्षम बताया। इस पर
िगवान भशव ने िोनों की परीक्षा लेते हए कहा दक तुम िोनों में से जो ॐ

st

सबसे पहले पृथ्वी की पररक्रमा करके आएगा वही िे वताओं की मिि करने
In

ॐ जाएगा। ॐ

ॐ ॐ
िगवान भशव के मुख से यह वचन सुनते ही कादतिकेय अपने वाहन मोर
पर बैठकर पृथ्वी की पररक्रमा के भलए दनकल गए, परं तु गणेशजी सोच में
ॐ ॐ
पड गए दक वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की पररक्रमा करें गे तो
इस कायि में उन्ें बहत समय लग जाएगा।
ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
तिी उन्ें एक उपाय सूझा। गणेश अपने स्थान से उठें और अपने माता-
दपता की सात बार पररक्रमा करके वापस बैठ गए। पररक्रमा करके लौटने
ॐ ॐ
पर कादतिकेय स्वयं को दवजेता बताने लगे। तब भशवजी ने श्रीगणेश से


पृथ्वी की पररक्रमा ना करने का कारण पूछा। ॐ

ॐ तब श्रीगणेश ने कहा- 'माता-दपता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।' यह ॐ

सुनकर िगवान भशव ने गणेशजी को िे वताओं के सं कट िूर करने की

.in
ॐ ॐ
आज्ञा िी। df
ॐ ॐ
ap
इस प्रकार िगवान भशव ने गणेशजी को आशीवािि दिया दक चतुथी के
दिन जो तुम्हारा पूजन करे गा और रादत्र में चं द्रमा को अर्घ्ि िे गा उसके ॐ

st

तीनों ताप यानी िै दहक ताप, िै दवक ताप तथा िौदतक ताप िूर होंगे।
In

ॐ ॐ
इस व्रत को करने से व्रतधारी के सिी तरह के िुख िूर होंगे और उसे
ॐ ॐ
जीवन के िौदतक सुखों की प्रादि होगी। चारों तरफ से मनुष्य की सुख-
समृदद्ध बढ़े गी। पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वयि की कमी नहीं रहेगी।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ


गणेश जी की आरती ॐ

जय गणेश जय गणेश जय गणेश िेवा। ॐ



माता जाकी पाविती दपता महािेवा।।
ॐ एकिंत ियावं त चार िुजा धारी। ॐ

माथे पर दतलक सोहे मूसे की सवारी।।

.in
ॐ ॐ
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
df
लड्डू के िोग लगे सं त करें सेवा।।
ॐ ॐ
ap
जय गणेश जय गणेश जय गणेश िेवा।
ॐ माता जाकी पाविती दपता महािेवा।। ॐ
st

अंधे को आं ख िेत कोदिन को काया।


In

ॐ ॐ
बांझन को पुत्र िेत दनधिन को माया।।


‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। ॐ

माता जाकी पाविती दपता महािेवा।।


ॐ जय गणेश जय गणेश जय गणेश िेवा। ॐ

माता जाकी पाविती दपता महािेवा।।


ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

.in
ॐ ॐ
df
ॐ ॐ
ap

ॐ ॐ
st
In

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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