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वनमन दृवष्टबाविि बच्चों के विए वशक्षा व्यिस्था- Education system for visually impaired

children

➢ पहली पंवक्त में बैठाना चावहए।


➢ आिश्यकतानसु ार ब्लैकबोडथ के वनकट आने देना चावहए।
➢ सहायक वशक्षर् सामग्री कन्रास्ट रंगों िाली एिं बडे आकार और उवचत अतं राल में दीिारों पर बच्चों की ऊँचाई
के अनसु ार रखना चावहए।
➢ सीवढयों पर रंगीन िाररयों या विपरीत रंग का पेन्ट होना चावहए तावक बच्चों को सीवढ़यों की आसानी से पहचान
हो सके ।
➢ वशक्षकों को ब्लैकबोडथ पर वलखते समय बोलकर वलखना चावहए।
➢ स्पशथ द्वारा प्रत्यक्ष िस्तुओ ं का अनर्ु ि कराना चावहए।
➢ सावथयों को सहयोग के वलए प्रेररत करना चावहए।
imp points –

1.हेिेन एडमस के िर
एक अमेररकी लेखक, राजनीवतक कायथकताथ और
आचायथ थीं।
िह कला स्नातक की उपावि अवजथत करने िाली पहली
बविर और दृवष्टहीन थी।
अमेररका के टस्कंवबया, अलबामा में पैदा हुई।ं
वशक्षक - "एवन सवु लव्हान"
वकताबे - द स्टोरी ऑफ माई लाइफ (1903), ऑवप्टवमज्म (1903), द िल्डथ आई वलि इन (1908), लाइट इन माई
डाकथ नेस एंड माई ररवलजन (1927), हेलेन के लर जनथल (1938) शावमल हैं। , और द ओपन डोर (1957)

2.NIVH - National Institute for the Visually Handicapped (NIVH)


स्थान - देहरादनू
मंत्रालय – सामावजक न्याय और अविकारीता मंत्रालय र्ारत सरकार (Ministry of Social Justice and
Empowerment Government of India)
यह संस्थान र्ारत सरकार की दृवष्टबावितों के वलए स्थावपत पहली और एकमात्र राष्रीय स्तर की संस्था है।
यहाँ दृवष्टबावित बच्चों के वलए स्कूल, कॉलेज, छात्रािास, िेल पस्ु तास्तलय एिं ध्िन्यांवकत पस्ु तकों audio books
का पस्ु तकालय र्ी स्थावपत वकया गया है

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3.दृवष्टबावित बालकों की पहचान कक्षा प्रेक्षर् या नेत्र जाचं द्वारा वकया जा सकता है |

2.श्रिर्-सबं ि ं ी दोष से ग्रवसि िािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of
Children with Hearing Impairment)
पररभाषाए (Definitions)
श्रिर् क्षवतग्रस्तता को विवर्न्न संगठनों द्वारा समय-समय पर वनमनवलवखत
प्रकार से पररर्ावषत वकया गया है।
1. राष्रीय प्रविदशल सिेक्षर् सगं ठन National Sample Survey Organization (1991) के अनुसार-
"श्रिर् बावित उसे कहा जाता है, जो सामान्य रूप से सामान्य ध्िवन को सनु ने में असमथथ हो। "
2. भारिीय पुनिालस पररषद् के अनुसार According to Rehabilitation Council of India "जब बविरता
70 डेवसबल हो, तो व्यािसावयक और जब 55 डेवसबल तक हो, तो उसे वशक्षा के वलये उपयोग लेना चावहए।'
3. योजना आयोग एिं विकिांग जन अविवनयम Planning Commission and Disabled People Act
(1995) के अनुसार "िह व्यवक्त श्रिर् बावित कहा जायेगा, जो 60 डेवसबल या उससे अविक डेवसमल पर सनु ने की
क्षमता रखता हो। "
4. समाज कल्यार् के अनुसार "जब वकसी मनष्ु य के एक कान में 60 डेवसबल श्रिर् क्षवतग्रस्तता हो और दसू रा
कान अच्छा हो, तो िह उच्च वशक्षा के वलए उपयोगी हो सकता है। "

उपयथक्त
ु पररर्ाषाओ ं से यह असमथथ होता है वक जब व्यवक्त सनु ने में असमथथ हो तथा दसू रों की सहायता लेता है, उससे
यह ज्ञात होता है वक व्यवक्त को श्रिर् दोष है।
श्रिर् दोष एक अदृश्य तथा छुपी हुई विकलांगता है, जो देखने से नहीं वदखाई देती है। कोई व्यवक्त हाथ या श्रिर्-
संबंिी दोष दो प्रकार के होते हैं-
1.पूर्ल बहरापन (complete deafness)- प्रििथक (speech amplifier) प्रयोग के बाद र्ी कुछ नहीं सनु ते तथा
दसू रों की र्ाषा नहीं समझ पाते

2.आवं शक बहरापन (partial deafness)- छात्र प्रििथक का प्रयोग करके दसू रों की बोली को समझ लेते हैं या
यवद इनसे उच्च स्िर में बोला जाए तो िे उसे सनु कर समझ लेते हैं।

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कारर् –
जन्म के पिू ल Before birth
जानवनक कारर् genetic causes
जमथन खसरा German measles
गर्ाथिस्था में श्रिर् शवक्त hearing loss during pregnancy
असामवयक प्रसि untimely delivery
असरु वक्षत प्रसि unsafe delivery

जन्म के पश्चाि after birth


बीमारी Disease
दघु थटना Accident
उच्च ध्िवन high sound
आयु age
असंतवु लत आहार unbalanced diet

श्रिर्बाविि बच्चों की पहचान एिं विशेषिाएँ Identification and characteristics of hearing


impaired children

इनके व्यिहार में लगातार एकाग्रता concentration नहीं होती है।


ऐसे बच्चे गवतविवियों के विषय में और कायों के प्रवत अविक सजग होते हैं।
अध्यापक के होठों की गवतविवि और उसके हाि-र्ाि पर ध्यान देते हैं।
ये अपने वसर को एक ओर झक ु ाकर या घमु ाकर सनु ने का प्रयास करते हैं।
प्रश्न पछू ने पर अध्यापक से दबु ारा पछू ने को कहते हैं।
एक जैसी ध्िवन के शब्दों से उन्हें प्रायः भ्रम हो जाता है।
वबना जानकारी के र्ी िाताथ के बीच में वबना िजह बोलते हैं।
शावब्दक वनदेशनों को समझने में और अनसु रर् करने में कवठनाइयाँ होती हैं।
कक्षा में ध्िवन के श्रोत को नहीं जान पाते हैं।
शब्दों के सही उच्चारर् में उन्हें कवठनाई होती है।
वबना जानकारी के बडबडाते रहते हैं ।
अविक िीरे या अविक तेज बोलते हैं।
इनकी र्ाषा का पर्ू थ विकास नहीं हो पाता है।
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कर्ी-कर्ी कान ददथ की वशकायत करते हैं।

आिवु नक विशेषज्ञों ने श्रिर् बावितों को वनमनवलवखत चार िगों में विर्ावजत है,
जो वक वनमनवलवखत हैं
(1) के न्रीय श्रिर् दोष (Central Auditory Defects)-
इस प्रकार के बालक ध्िवन के बारे में जानते तो हैं, परंतु इसका अथथ नहीं समझ पाते तथा इसकी समप्रेक्षर् परे शानी
communication problem र्ी काफी गंर्ीर होती है।
यह दोष दिाओ ं के सेिन से आ सकते हैं, इसवलए इनके सिु ार से ज्यादा समय लगता है।

(2) मनोजैविक श्रिर् बाविि (Psychologenic Hearing Loss)-


यह बालक अपनी परे शावनयों को बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं। इन बालकों में वकसी रोग के कारर् ही बाविता आ जाती
है। कई बार यह पहचानना कवठन होता है वक यह दोष मनोिैज्ञावनक है अथिा जैविक।

(3) नाडी संस्थान श्रिर् बाविि (Sensory Neural Hearing Loss)-


बालकों में नाडी संस्थान के दोष के कारर् यह दोष आता है। अतः इसका उपचार करना संर्ि नहीं हो पाता है। यह
बालक श्रिर् यंत्रों की मदद से सनु ते हैं। इन्हें वशक्षा देने हेतु अलग-अलग प्राििानों का प्रयोग वकया जाता है। यह
होठों की र्ाषा (Lip reading) के द्वारा ज्ञान प्राप्त करते हैं और इन्हें विवशष्ट विद्यालयों में प्रिेश वदया जाता है।

(4) आचरर् में श्रिर् बावििा (Conductive Hearing Loss)


यह दोष कान के रोगों से संबंवित होते हैं।

श्रिर् बाविि बािकों की पहचान हेिु परीक्षर् (Test for Identification of Hearing Impaired
Chil- dren)
श्रिर् बावितों को वनमनवलवखत आिार पर पहचाना जाता है-
1. वचवकत्सीय परीक्षर् (Medical Examination)
2 विकासात्मक मापनी (Development Scale)
3. बालक का अध्ययन (Case study of the child)
4. मनो- नाडी परीक्षर् (Neuro-phychological Test)
5. बालकीय व्यिहार का वनरीक्षर् (Systematic Observation of the Child Behaviour)
(i) बच्चा यवद वसर एक तरफ मोडकर सनु े तो िह बावितों की श्रेर्ी में आते हैं।
(ii) िह अनदु शे न अनसु रर् नहीं कर पाते हैं।
(iii) इन बालकों की दृवष्ट अक्सर बोलने िाले बालकों के अथिा वशक्षकों के महंु की तरह होती है।
(iv) यह िार्ी बावित र्ी हो सकते हैं।

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श्रिर् क्षवियि
ु बािकों की वशक्षा education of hearing impaired children

समप्रेषर् िकनीकें
1.वचन्ह र्ाषा sign language 4.प्रििथक प्रयोग (amplifier experiment)
5.विशेष वशक्षक की मदद special teacher's help
6.संकेत र्ाषा sign language

2.ओष्ठ र्ाषा oral language


3.स्पशथ विवि touch method
7.गवत विवि action

वशक्षक िकनीकें teacher techniques


सहायता सामग्री द्वारा by support material
कमप्यटू र सहायता प्राप्त अनदु श
े न computer aided instruction
व्यवक्तगत तकनीकी अनदु श े न individual technical instruction

िगल औसि WHO के अनुसार


सुनिाई
(डेवसबि में )
सामान्य General 0-25 सामान्य General
वनमन श्रिर् poor hearing 26-40 अवि अल्प very little
मध्यम श्रिर् medium hearing 41-55 अल्प Small
मध्यम रूप से गंर्ीर moderately severe 56-70 अल्पत minority
उच्च श्रिर् बविरता severe hearing loss 71-90 गर्ं ीर Serious
गहन श्रिर् बविरता profound hearing loss 91-120 अवत गंर्ीर more serious

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दोनों तरह के बहरे बालकों की वशक्षा एिं समायोजन के बारे में मनोिैज्ञावनकों एिं वशक्षाशावस्त्रयों ने कुछ अलग-
अलग सझु ाि वदए हैं जो वनमनावं कत हैं
-
पर्
ू लरूपेर् बहरे बािकों की वशक्षा एिं समायोजन Education and adjustment of totally deaf
children

(i) पर्ू थ रूप से बहरे बालकों को वशक्षा देने में वक्रयात्मक कायथ (Motor Work ) को अविक महत्ि देना चावहए।
(ii) वशक्षकों को चावहए वक ऐसे बालकों को वशक्षा देने में शब्दों का प्रयोग कम-से- कम करें तथा प्रदशथन
(Demonstration) का उपयोग अविक-से-अविक करें ।
(iii) ऐसे बालकों के वलए अलग से आिासीय विद्यालय की स्थापना की जानी चावहए।

आवं शक रूप से बहरे बािकों की वशक्षा एिं समायोजन Education and adjustment of partially
deaf children

(i) ऐसे बालकों को कक्षा में श्रिर् सािन hearing aid का प्रयोग करने के वलए कहना चावहए।
(ii) आंवशक रूप से बहरे बालकों को स्कूल में दावखला कराने से पहले कुछ विवशष्ट सेिा (वजनमें ध्िवन प्रििथन
(Amplification) एिं माता-वपता का प्रवशक्षर् इत्यावद सवममवलत हैं) प्रदान करना जरूरी है।
(iii) कुछ वशक्षाशावस्त्रयों ने ऐसे बालकों की वशक्षा के वलए संपर्ू थ संचार उपागम के प्राििान पर बल डाला है; जैसे—
वचह्न र्ाषा (Sign Language), सांकेवतक र्ाषा (Code Speech), आंगवु लक वहज्जे (Finger Spelling) इत्यावद
ऐसे बच्चों को वशक्षा ग्रहर् करने में सामावजक प्रोत्साहन देना चावहए ।

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भाषादोष से ग्रवसि िािक का अथल (Meaning of Children with Speech Defects)
र्ाषा एक ऐसा सािन (tool) है वजसके माध्यम से एक व्यवक्त दसू रे व्यवक्त तक अपने विचारों को पहुचँ ाता है तथा
दसू रे के विचार को समझकर उसके प्रवत उपयक्त
ु अनवु क्रया (response) करता है।
बालकों में र्ाषा-संबंिी दोष कई तरह के पाए जाते हैं।
िान राइपर (Van Riper, 1972) ने यह बताया है वक यवद वकसी बालक द्वारा बोले गए शब्द या िाक्यों में
वनमनावं कत तीन विशेषताएँ हों तो उस बालक को र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालक माना जाएगा-
(i) दसू रे लोगों का ध्यान बालक द्वारा बोले गए शब्द या िाक्य की ओर अनािश्यक रूप से चला जाए।
(ii) यवद दोष या अवनयवमतता विचारों की अवर्व्यवक्त में बािक हो If defects or irregularities hinder the
expression of thoughts, तथा
(iii) बालक को सामावजक रूप से (socially maladjusted) होने में कवठनाइयाँ काफी होती हैं।
भाषा-सबं ि
ं ी दोष से ग्रवसि बािकों के मुख्य प्रकार (Major Types of Children with Speech
Impairment)
वक्रक एिं गालाघर (Krik & Gallagher, 1979) के अनसु ार र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालकों की
वनमनांवकत प्रमख
ु र्ागों में बाँटा गया है-
(1) गंगू े बालक (Dumb children)
(2) उच्चारर्-संबंिी दोषिाले बालक (Children with articulation disorders)
(3) आिाज-संबंिी दोषिाले बालक (Children with voice disorders)
(4) प्रिावहता-संबंिी दोषिाले बालक (Children with fluency disorders)
(5) व्याख्यान-संबंिी दोषिाले बालक (Children with language disorders)।
(1) गूंगे बािक (Dumb children) –
➢ गगंू े बालक िैसे बालक को कहा जाता है जो चाहकर र्ी अपनी इच्छा को अथथपर्ू थ र्ाषा के रूप में अवर्व्यक्त
नहीं कर पाते।
➢ ऐसे बालक प्रायः कुछ संकेतों के माध्यम से ही अपनी इच्छा की अवर्व्यवक्त करते हैं।
➢ कुछ बालक जन्म से गंगू े होते हैं और प्राय: ऐसे बालक बहरे र्ी होते हैं।
➢ बाद में गंगू ापन वकसी बीमारी या दघु थटना के कारर् हो सकता है, परन्तु ऐसे गंगू े बहरे नहीं होते।

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(2) उच्चारर्-सबं ि
ं ी दोषिािे िािक (Children with articulation disorders) –
➢ उच्चारर्- संबंिी दोष स्कूल के बालकों में अविक देखा गया है।
➢ इस तरह के दोष से ग्रवसत बालक प्रायः शब्दों का गलत ढंग से उच्चारर् करते हैं।
➢ जैसे 'चोटी' को 'रोटी' कहना, 'दरिाजा' को 'िाजा' कहना आवद कुछ इस तरह के दोष के उदाहरर् हैं।
➢ उम्र बीतने के साथ प्रायः इस ढंग के दोष अपने-आप ही दरू हो जाते हैं।
(3) आिाज-संबंिी दोषिािे िािक (Children with voice disorders) –
➢ जब बालक द्वारा बोले गए शब्द की आिाज के गर्ु (quality), उच्चता (loudness) या तारत्ि (pitch) में
असामान्यता (abnormality) होती है तो इसे र्ाषा-संबंिी दोषिाले बालक के रूप में पहचान की जाती है।
➢ ककथ श आिाज में बोलनेिाले बालक एिं नवकयाकर या नाक से बोलनेिाले बालकों को इस श्रेर्ी में रखा जाता
है।
(4) प्रिावहिा संबंिी दोषिािे िािक (Children with fluency disorders) –
➢ इस श्रेर्ी में उन बालकों को रखा जाता है वजनकी िार्ी की सामान्य प्रिावहता बावित हो जाती है।
➢ इसके सबसे अच्छे उदाहरर् के रूप में उन बालकों को रखा जाता है जो बोलने में हकिा (Stuttering) है।
(5) व्याख्यान-सबं ि
ं ी दोषिािे िािक (Children with language disorders) इसमें
➢ उन बालकों को रखा जाता है वजन्हें खास-खास शब्दों को बोलने में कवठनाई होती है
➢ कोवशश करते हैं, तो उनके मँहु से कोई शब्द नहीं वनकल पाता यानी ि पर्ू थतः (speechless) रह जाते हैं।
➢ इस तरह हम देखते हैं वक र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालकों को लोगों ने कई र्ागों से बाँटा है।
भाषा सबं ि
ं ी दोष से ग्रवसि िािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of
Children with Speech Impairment
र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालकों की वशक्षा एिं समायोजन के वलए मनोिैज्ञावनकों ने कुछ का िर्थन वकया है, वजनमें
वनमनावं कत प्रमख
ु हैं-
(1) ऐसे बालको, विशेषकर गगु े बालको की वशक्षा-दीक्षा के वलए अलग आिासीय (residential school) की
स्थापना करनी चावहए जहाँ रहने के साथ-ही-साथ उनकी वशक्षा का उवचत प्रबन्ि हो।
(2) वशक्षकों को इस वििा में प्रवशवक्षत होना अवनिायथ है।
(3) र्ाषा-संबंिी दोष के विशेषज्ञों (experts) को स्कूल के वशक्षकों द्वारा समय-समय आमंवत्रत वकया जाना चावहए।
ऐसे विशेषज्ञ िैयवक्तक वचवकत्सा (individual therapy) या सामवू हक वचवकत्सा (group therapy) के माध्यम से
ऐसे बच्चों के वलए कुछ इस ढंग का सझु ाि देते हैं वजसका अनसु रर् कर वशक्षक इनकी वशक्षा-दीक्षा में काफी लार्
उठा सकते हैं।
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(4) र्ाषा-सिु ार कायथक्रम (special speech correction)- वशक्षकों को सनु ो-बोलो विवि (hear-say method)
का अविक-से-अविक करना चावहए
(5) र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालकों को वशक्षा के वलए वशक्षकों को कक्षा में उन आिवु नक उपकरर्ों का प्रयोग
करना चावहए जो ऐसे बालकों को वजज्ञासु बनाकर उन्हें बोलने के वलए प्रेररत सके ।
िार्कदोष िािे बच्चों की वशक्षा व्यिस्था
िाक दोष िाले बच्चों की वशक्षा में मनोिैज्ञावनकों एिं नाक, कान, गला विशेषज्ञों की सलाह से कायथ वकया जाए तथा
वनमनवलवखत वबन्दओु ं को ध्यान में रखकर वशक्षा प्रदान की जा सकती है।
1.पयालप्त अवभप्रेरर्ा प्रदान करना provide adequate motivation
अध्यापकों को सबसे पहले ऐसे बच्चों को वचवन्हत कर उन्हें प्रोत्साहन एिं अवर्प्रेरर्ा प्रदान करना चावहए। इससे
उनके आत्म विश्वास में िृवद्ध होगी और िे उत्सक
ु ता से सीखने के वलए प्रेररत होंगे।
2.दोष पर बि न देना do not emphasize the blame - वशक्षक को िाक्दोष िाले बच्चों के बावित स्तर एिं
मात्रा पर अविक बल नहीं देना चावहए अन्यथा िे हतोत्सावहत हो जायेंगे तथा उनमें अपेवक्षत सिु ार नहीं हो पायेगा ।
3.सही वनदान करना make the right diagnosis - वकसी र्ी िाक्दोष िाले बच्चे को वशक्षा देने से पिू थ उसकी
आिश्यकतानसु ार ( स्तर एिं मात्रा का पता लगा कर ) ही वनदान करना चावहए क्योंवक जल्दबाजी में वकया गया
वनदान गलत वनष्कषो को जन्म देता है। पररर्ामस्िरूप अपेवक्षत सिु ार के स्थान पर अनापेवक्षत क्षवत की समर्ािना
होती है।
4.उपयि ु िाक अभ्यास appropriate speech practice - िाक् दोष िाले बच्चों को समवु चत एिं पयाथप्त िाक्
अभ्यास देना चावहए। बच्चे के वलए कै सा अभ्यास प्रर्ािी रहेगा इसका पता वनदान करते समय ही चल जाता है।
वशक्षक को बच्चों के सामने सही एिं गलत, दोनों स्ियं बोलकर तत्पिात बच्चों से अनकु रर् अभ्यास कराया जाना
चावहए। लज्जा
5.घबराहट से बचाि Avoidance of anxiety - - वशक्षक िाक् दोष से पीवडत बच्चों की कक्षा में लज्जा एिं
घबराहट उत्पन्न करने िाली पररवस्थवतयों को दरू करें । प्रायः सामान्य कक्षाओ ं में इन बच्चों में कंु ठा एिं अिसाद की
वस्थवत का जन्म होता है।
जहाँ तक संर्ि हो सके ऐसे बच्चों का पता उनके बाल्यकाल में ही लगाकर उपयक्त
ु उपचार कराना चावहए तावक
सामान्य बच्चों के साथ उनका समायोजन स्थावपत हो सके ।

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अवस्थ बाविि बािक(handicapped child)
अवस्थ बाविि बािकों की पररभाषाएँ Definition of Orthopadically Handicap Children)-
वजनकी अवस्थ, मांसपेवशयों एिं जोड ठीक से कायथ नहीं करते हैं।
ऐसे बालकों को सामान्यतः शारीररक(Physically Handicapped) अपंग (Disabled) अथिा चलन वनःशक्त
(Locomotor Disabled) बालक र्ी कहा जाता है। बालकों को चिने-वफरने के विए कृवत्रम हाथ-पैर अथिा
बैसाखी कै िीपसल, विशेष जूिे, द्वीि चेयर सरीखे अन्य सहायक उपकरर्ों की जरूरत पडती है |
िो और को (Crow & Crow) - शारीररक रूप से अक्षम बच्चों से अवर्प्राय िैसे बच्चों से हैं, वजनकी मासपेवशयों
muscles में इतनी विकृ वत deformity का जाये, वजसके कारर् उसके अंगों का घमू ना कवठन हो जाये। एक स्थान से
दसू रे स्थान पर जाने में बािा पेश आये। साथ ही शारीररक कायथ क्षमताएँ सीवमत हो जाएँ।
समाज कल्यार् मंत्रािय के अनुसार, According to the Ministry of Social Welfare,
“अपंग बालकों को अवस्थ बावित बालक तब कहते हैं, जब जन्म से बीमारी, दघु थटना तथा जन्म से उनकी अवस्थयों,
मांसपेवशयों तथा जोडों में शेष िक्रता आती है और सामान्य कायथ करने तथा चलने-वफरने में असमथथ हैं।“Disabled
children are called orthopedic children when due to disease, accident or birth there is residual
curvature in their bones, muscles and joints and they are unable to do normal work and walk.
वनिःशि व्यवि अविवनयम (1995) Persons with Disabilities Act (1995)- में इसे चलन वनःशक्तता
(Locomotor Disability) के रूप में िर्थन वकया गया है। उनके अनसु ार, “चलन वनःशक्तता" से हड्वडयों, जोडों या
मांसपेवशयों की कोई ऐसी वनःशक्तता अवर्प्रेत है, वजससे अंगों की गवत में पयाथप्त वनबन्िन या वकसी प्रकार का प्रमवस्तष्क
घात हो।"
अवस्थिावचि बािकों की पहचान (Identification Of Orthopaedically Handicapped
Children)-
1. विद्यावथथयों के शारीररक अंगों जैसे गदथन, हाथ, उंगवलयां, कमर, टांगे आवद में विकृ वतयां हो सकती है।
2. ऐसे बालकों को उठने में बैठने में तथा चलने में कवठनाई हो सकती है।
3. ऐसे बालक वकसी िस्तु को पकडने में, वकसी िस्तु को उठाने में तथा पनु ः उसे उवचत स्थान पर रखने में कवठनाई
का अनर्ु ि करते हैं।
4. प्रायः जोडों में ददथ की वशकायत रहती है।
5. वलखने में या कलम को पकडने में कवठनाई हो सकती है।
6. मासं पेवशयों में आपसी सामजस्य की कमी
7. झटका देकर चलना
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8. अगों में अिावं छत हलचल रहती है।
9. शरीर की पर्ू थतः मा आवं शक रूप से लकिाग्रस्त होना
10. अगं परू े न हो, वकसी कारर् कोई अगं अथिा हाथ-पैर के अंश काट वदए गए हों।
11. शारीररक विकृ वत
अवस्थ बाविि बच्चों की विशेषिाएँ-
अवस्थ विकलागं ता की मख्ु य विशेषताएँ वनमन प्रकार है-
1. अवस्थ बावित बालकों के लक्षर्, गर्ु , स्िरूप सामान्य बालकों से वर्न्न होते हैं।
2. यह उन बालकों पर लागू होता है जो सामान्य बालकों से अलग हों, स्मरर्शवक्त अविक हो।
3. एक अवस्थ बावित बालक शारीररक, मानवसक, र्ािानात्मक, सामावजक आिार पर सामान्य बालक से वबल्कुल
अलग होते हैं। सामान्य बालक की अपेक्षा विकास तीव्र गवत से होता है।
4. एक अवस्थ बावित बालक िह है जो सामान्य वशक्षा कक्ष तथा सामान्य वशक्षा कायथक्रमों से पर्ू थतया लार्ावन्ित
नहीं हो सकता, क्योंवकउसकी विकास की सामथ्यथ अविक होती है।
5. अवस्थ बावित बालक की अविकतम सामथ्यथ के विकास के वलये उसे की कायथप्रर्ाली तथा उसके साथ वकये जाने
िाले व्यिहार में पररितथन की आिश्यकता होती है। To develop the maximum potential of a
handicapped child, there is a need for change in his functioning and the way he is treated.
विकिांगिा के प्रकार- Types of disability-
ये विकलांगता बालक या व्यवक्त में वनमन प्रकार से हो सकती है-
1. पंगुिा अथिा शारीररक विकृिी - Paralysis or physical deformity -
पंगतु ा से तात्पयथ शरीर के उस अंग का पर्ू थ विकास नही हो पाने से उसमें पर्ू थतः गवत नहीं आ पाती तथा उसकी हड्डी
इतनी मजबतू नही हो पानी वजतनी की शरीर की अन्य हवडवडयां होती है वजससे वक िह र्ार उठा सके और दसू रे अंग
को सहारा दे सके अतः बालक के वकसी र्ी अंग का आिश्यकता से अविक कमजोर होना पंगतु ा कहलाता है।

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2. पोवियो माइविवटस polio myelitis -
बचपन में बच्चों को पोवलयों की खरु ाक समय पर ना देने के कारर् उनको इस प्रकार की बीमारी से गजु रना पडता है
यह ऐसी बीमारी है जो िायरस संक्रमर् के कारर् मेरुरज्जु में होती है इससे लकिा या हाथ पैरों तथा मेरुरज्जु की
मासं पेवशयो की शवक्त का नष्ट होना होता है या कमजोर हो जाती है वजसके कारर् बच्चे में विकलागं ता आती है

3. रोगो से ग्रवसि होने के कारर् due to disease


मनष्ु य शरीर में वकसी र्ी गंर्ीर बीमारी हो जाने के कारर् उस अंग को वनकालना होता है अतः शरीर के उस वहस्से को
अलग कर वदयाजाता है तावक बाकी शरीर में संक्रमर् न फै ल सके ऐसी वस्थवत में र्ी बालक विकलांगता की श्रेर्ी में
आ जाता है और उसे कृ वतम अंग का सहारा लेना होता है
अवस्थ विकिांगिा के कारर् due to orthopedic disability
1. अनिु ांवशक 1. genetic
2. मांसपेवशयों में पोषर् की कमी के कारर् 2. Due to lack of nutrition in muscles
4. दघु थटना 4. accident
5.शरीर में आक्सीजन की कमी 5.Lack of oxygen in the body
6.दिाइयों के प्रवतकूल असर 6.Adverse effects of medicine
बचाि के उपाय preventive measures
1. सामान रक्त संबंिो के बीच वििाह को रोकना 1. Preventing marriage between people of
2. गर्थिती माता परू ी तरह से स्िस्थ हो similar blood relations
3. टीकाकरर् 2. The pregnant mother should be
4. जन्म के तरु ं त बाद विशेष ध्यान completely healthy
5. िंशानक्र
ु म एिं िातािरर्
3. Vaccination
4. Special attention immediately after birth
5. Heredity and environment

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अवस्थबाविि बच्चो की वशक्षा Education of handicapped children
1. शारीररक अपगं ता के अनरू ु प शैवक्षक पाठ्यक्रम 1. Selection of educational course
का चयन according to physical disability
2. सामिेवगक समायोजन एिं सरु क्षा 2. Social adjustment and security
3. शारीररक दक्षता का विकास
4. शैवक्षक एिं संतवु लत विकास करना 3. Development of physical efficiency
5. वचवकत्सा सवु ििा प्रदान करना 4. To achieve educational and balanced
6. अन्य विकलागं बच्चों के साथ development
5. Providing medical care
6. With other disabled children

प्रमावस्िश्क पक्षाघाि' Cerebral Palsy'


Cerebral का अथथ मवस्तष्क के दोनों र्ाग तथा Palsy का अथथ वकसी ऐसी असमानता या क्षवत से है जो शारीररक
गवत के वनयंत्रर् को नष्ट करता है या जीिन के प्रारवमर्क िषों में वदखता है।
पररर्ाषा:
बैटसो एण्ड पेरेट (1986) के अनुसार- प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात एक जवटल अप्रगवतशील अिस्था है जो जीिन के
प्रथम तीन िषों में हुई मवस्तष्कीय क्षवत के कारर् उत्पन्न होती है। वजसके फलस्िरूप मांसपेवसयों में सामंजस्य न होने
के कारर् तथा कमजोरी से अक्षमता हो जाती है। एक बार मवस्तष्क क्षवतग्रस्त हो जाता है, पनु ः ठीक नहीं वकया जा
सकता और न ही यह बढ़ता है। इसके बािजदू र्ी संचालन एिं शरीर की वस्थवतयों तथा उससे जडु ी समस्याओ ं को
थोडा सिु ारा जा सकता है।
प्रमवस्िष्कीय पक्षाघाि के प्रकार : Types of cerebral palsy:
1.तीव्रता प्रमार् के .'अनसु ार िगीकरर् Classification according to intensity evidence
2.प्रर्ावित अंगों की संख्या के अनसु ार िगीकरर् Classification according to the number of organs
affected
3.वचवकत्सीय लक्षर्ों के अनसु ार िगीकरर् Classification according to clinical features

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1.िीव्रिा प्रमार् के .'अनुसार िगीकरर् Classification according to intensity evidence
1.अवतअल्प प्रमवस्तष्कीय अगं ाघात 1.Subcutaneous cerebral palsy
2.अल्प प्रमवस्तष्कीय अगं ाघात 2.Sub-cerebral palsy
3.गमर्ीर प्रमवस्तष्कीय अगं ाघात 3.Severe cerebral palsy

1.अवि अल्प प्रमवस्िष्कीय अंगाघाििः Acute cerebral palsy:


इस तीव्रता के अनसु ार इसमें गामक तथा शरीर की वस्थवत से समबवन्ित(related to speech and body
condition) विकलागं ता न्यनू तम होती है। बच्चा पर्ू थतया स्ितंत्र होता है, परन्तु सीखने की समस्यायें हो सकती हैं।
2.अल्प प्रमवस्िष्कीय अंगाघाििः Subcerebral palsy:
इसमें गामक तथा शरीर की वस्थवत(related to speech and body condition) से समबवन्ित विकलागं ता का
प्रर्ाि अविक होता है।
बच्चा उपकरर्ों की मदद से बहुत हद तक दैवनक जीिन में स्ितंत्र हो सकता है।
3.गमभीर प्रमवस्िष्कीय पक्षाघाििः Severe cerebral palsy:
गामक तथा शारीररक वस्थवत related to speech and body condition से समबवन्ित विकलांगता पर्ू थतया
प्रर्ावित होती है। इस अिस्था में इस प्रकार के बच्चे दसू रे पर पर्ू थतया वनर्थर रहते हैं।
प्रभाविि अंगों की संख्या के अनुसार िगीकरर्: Classification according to the number of
organs affected:
प्रर्ावित अंगों की संख्या के अनसु ार इसे वनमनवलवखत िगों में बांटा गया है -
1. Monoplegia इसके अन्तगथत आने िाले प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात से कोई एक हाथ प्रर्ावित होता है। कोई र्ी
एक हाथ प्रर्ावित होता है।
2. hemiplegia: इसमें व्यवक्त /बच्चे के एक ही तरफ के हाथ या पैर प्रर्ावित होते हैं,
3. diplegia: इसमें दोनों पैर प्रर्ावित हो जाते हैं। कर्ी-कर्ी हाथ में र्ी प्रर्ाि वदखता है। इसके डाईप्लेवजया कहते
हैं।

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4. Paraplegia : पक्षाघात है जो आपके पैरों को प्रर्ावित करता है, लेवकन आपकी बाहों को नहीं।
5.र्किाङ्वगप्िेवजया: इसमें व्यवक्त का दोनों हाथ एिं दोनों पैर प्रर्ावित हो जाते हैं यावन की समपर्ू थ शरीर प्रर्ावित हो
जाता है। इसवलये इसे क्यावरप्लेवजया कहते हैं।

वचवकत्सीय िक्षर्ों के अनुसार िगीकरर्: Classification according to clinical features


प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात से ग्रवसत व्यवक्त या बच्चे अलग-अलग प्रकार के होते हैं। अतः वचवकत्सीय
लक्षर्ों के अनसु ार इन्हें 4 िगों में विर्क्त करते हैं, जो वनमन प्रकार से हैं -
1.स्पास्टीवमटी spasticity - कडी या तनी हुई माश ं पेवशयों बच्चे सस्ु त एिं र्द्दे वदखते हैं। गवत बढ़ने के साथ
माश
ं पेवशयों में तनाि बढ़ने लगता है। क्रोि या उत्तेजना की वस्थवत में माश ं पेवशयों में तनाि या कडापन और र्ी बढ़
जाता है।
पीठ के बल लेटने पर बच्चों का वसर एक तरफ घमु ा होता है और पैर अन्दर की तरफ मडु ा होता है।

2. एथेटोवसस athetosis: बच्चा जब अपनी इच्छा से कोई अंग संचालन करना चाहता है तो उसका शरीर
अवनयंवत्रत गवत करने लगता है, वजससे मांशपेवशया तनाि लगातार बदलता रहता है। एथेटोवसस से ग्रवसत बच्चे नन्हें
बच्चों की तरह लचीले वदखते हैं।

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3.एटै वर्कसया ataxia: इसका अथथ है वक अवस्थर और अवनयंवत्रत गवत का होना। इसमें बच्चों का संतल
ु न
खराब होता है। ऐसे बच्चे बैठने ि खडे होने पर वगर जाते हैं। इसमें मांशपेवशयाँ तनाि कम होता है। गामक
विकास वपछडा होता है।

4. वमवश्रि miscellaneous - स्पास्टीवमटी और एटोवसस दोनों में वदखने िाले लक्षर् जब वकसी बच्चों में दोनों
लक्षर् एक साथ वदखते हैं तो वमवश्रत प्रकार का प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात कहलाता है।
प्रमस्िश्कीय पक्षाघाि िािे बच्चों की वशक्षा Education of children with cerebral palsy
इसवलए जो बच्चा प्रमस्तष्कीय पक्षाघात से ग्रस्त है और स्कूल नहीं जा सकता घर पर रहकर बहुत सी बाते सीख
सकता है।
घर पर
1. वनत्य वकया और वशक्षा
2. कपडों के नाम ि कपडों की पहचान
3. रंगो का नाम ि पहचान
4. बतथनों का उपयोग ि पहचान
5. विवर्न्न प्रकार के र्ोजन की पहचान
6. पैसे और रूपये की पहचान
7. सामावजक व्यिहार का ज्ञान

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स्कुि में
1. सामान्य वशक्षा
2. व्यिसावयक प्रवशवक्षर्
3. समय का सदप्रु योग
4. विकल अगं ो के अवतररक्त अन्य अगं ो का विकास
5.विशेष विद्यालय
6.विशेष अवतररक्त कक्ष
7.बैठने की व्यिस्था
8.अन्दर खेले जाने िाले खेल का आयोजन
9.विशेष उपकरर् एिं कृ वत्रम अगं ों की व्यिस्था
10.सहानर्वू त पिू थक व्यिहार

सज
ृ नात्मक बािक (Creative Child )

कुछ नया और अनोखा करने की क्षमता


उपयोवगता का गर्ु र्ी होना चावहए

जेमस रेिर का कथन - सृजनात्मकता मख्ु यतः निीन रचना ि उत्पादन में होती है। Creativity mainly lies in
new creation and production.
िो और िो के अनुसार - सृजनात्मकता मौवलक पररर्ामों को अवर्व्यक्त करने की मानवसक प्रवक्रया है।
Creativity is the mental process of expressing original results.
बैरेन (Barron) - "सृजनात्मक बालक पहले से विद्यमान िस्तओ ु ं तथा तत्त्िों को संयक्त
ु कर निीन वनमाथर्
करता है।” “The creative child creates something new by combining
already existing objects and elements.”
इसरे िी, एन. - सृजनात्मक बालक वकसी निीन बस्तु का वनमाथर् ि उसमें पररितथन करने की क्षमता रखता
है। A creative child has the ability to create and modify something new.

समस्या के प्रवत सजगता, लचीलापन, मौवलकता, गवतशील िैचाररकता, वजज्ञासा, निीनता हेतु पररितथन की आकाक्ष
ं ा
के माध्यम से रचनात्मकता Creativity through problem awareness, flexibility, originality, dynamic
thinking, curiosity, aspiration for change for innovation.

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वचन्िन(Thinking)

वचन्तन एक मानवसक प्रवक्रया है विवर्न्न मनोिैज्ञावनक ने वचन्तन को अलग-अलग तरह से पररर्ावषत


वकया है कुछ इसे
1.िातािरर् से वमलने िाली सचू नाओ ं का मानवसक जोड-तोड mental manipulation of information received
from the environment
2.समस्या ि समािान के मध्य होने िाली मध्यस्थ प्रवक्रया। Mediating process between problem and
solution.
वचन्तन को हम प्रत्यक्ष रूप से नहीं देख सकते है व्यिहार के द्वारा हम वचन्तन के बारे में के िल परोक्ष रूप
से जान सकते है।

वगिफोडल (1967) ने वचन्िन को दो भागों में बांटा


1. अवभसारी वचन्िन - 1. Convergent thinking -

अवर्सारी वचन्तन में व्यवि वदये गए िथ्यों के आिार पर सही वनष्कषल पर पहंचने A person can reach the
correct conclusion based on the given facts. की कोवशश करता है।
यह एक रूवढ़िादी conservative तरीका है वजसमें व्यवक्त समस्या संबंिी दी गयी सचू नाओ ं के आिार पर समस्या का
समािान करता है, पर इससे िह अपनी तरफ से कुछ र्ी नही जोडता है।

2 अपसरर् वचन्िन divergent thinking

अपसरर् वचन्तन में व्यवक्त वभन्न- वभन्न वदशाओ ं में वचन्िन Thinking in different directions कर समस्या
का समािान करता है
इसमें िह समस्या के कई सभ ं ाविि उत्तरों Several possible answers to the problem पर सोचता है ि साथ
ही अपनी और से कुछ नया एिं मल ू जोड समस्या का समािान करता है।
मनोिैज्ञावनक ने अपसरर् वचन्तन को ही सृजनात्मक वचन्तन माना है।
अथाथत सृजनात्मक वचन्तन िह है जो निीन साथथक ि मौवलक हो। That is, creative thinking is that which is
new, meaningful and original.

सज
ृ नात्मक बािकों की विशेषिाएँ Characteristics of creative children

मख्ु य विशेषताएँ इस प्रकार होती हैं-


1) विचारों में लचीलापन, विस्तृत बौवद्धक स्तर Flexibility in thoughts, wide intellectual level
2) समस्या समािान योग्यता Problem Solving Ability
3) प्रवतकूल िस्तओ ु ं को सहन करने की क्षमता Ability to tolerate adverse things
4) बालकों में विवर्न्न क्षेत्रों में र्ाग लेने की क्षमता होती है।Children have the ability to participate in
various fields.
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5) जीिन की अवनवितता ि कवठनता को स्िीकार करने की इच्छा, कवठनाइयों को चनु ौती के रूप में स्िीकारते
हैं।Willingness to accept the uncertainty and difficulty of life, accept difficulties as
challenges.
6) गलवतयों के सहन करने की क्षमता. Ability to tolerate mistakes.
7) न अविक सामावजक होते हैं, न ही समाज विरोिी Are neither very social nor anti-social
8) सामावजक पररिेश में बहुत अविक संिेदनशील Too sensitive in social environment
9) मवस्तष्क स्िस्थ्य, वचन्ता का स्तर वनमन Brain is healthy, anxiety level is low.
10) प्रत्यय सािारर् बालकों की तल ु ना में अविक साथथक ि अथथपर्ू थ The suffix is more significant and
meaningful than that of ordinary children.
11) अपनी आयु से ज्यादा पररपक्ि Mature beyond one's age
12) िास्तविकता ि सत्यता की खोज पर बल Emphasis on discovery of reality and truth
13) तल ु नात्मक रूप से अविक उत्तरदावयत्ि की र्ािना िाले, ईमानदार ि विश्वसनीय Relatively more
responsible, honest and reliable
14) औसत श्रेर्ी के शारीररक स्िास्थ्य िाले, कल्पनाशील । Those with average physical health,
imaginative.

सज
ृ नात्मक के ित्ि elements of creativity

सृजनात्मक के 4 प्रमखु तत्ि है। जो वनमन प्रकार है-


1.प्रिावहिा (Fluency)- िारा प्रिावहत से तात्पयथ विचारों के प्रिाह ि अनेक तरह के विचारों
की खल ु ी अवर्व्यवक्त से है। Fluent means flow of thoughts and many types of ideas.
Is from open expression of. प्रिाह को 4 र्ागों में बाटं ा गया है।

(अ) िैचाररक प्रिाह ideological flow - िैचाररक प्रिाह से तात्पयथ अविक से अविक विचारों को उत्पन्न करना
है। जैसे कक्षा में अध्यापक वकसी समस्या के अविक से अविक संर्ावित समािानों को विद्यावथथयों को बताने को
कहता है या वकसी िस्तु के अविक से अविक असािारर् उपयोग।
(ब) अवभव्यवि प्रिाह expression flow - से तात्पयथ आन्तररक क्षमताओ ं internal capabilities के बाह्य
अवर्व्यवक्त external expression से है जैसे बच्चे
को अिरु ा वचत्र पर्ू थ करने का अिसर देना, अिरू े िाक्य पर्ू थ करना, शब्दों से िाक्य वनमाथर् को
प्रेररत करना।
(स) साहचयल प्रिाह associative flow - शब्दों ि िस्तओ ु ं में परस्पर साहचयथ स्थावपत करना।
(द) शब्द प्रिाह word flow - से आशय मौवखक एिं वलवखत रूप से विचारों की शब्दों के द्वारा अवर्व्यवक्त
में िारा प्रिाह, साथथक ि सही शब्दों का चयन एिं उपयोग करने की क्षमता से है।

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2.िचीिापन (Flexibility)- लचीलापन से तात्पयथ वकसी समस्या के समािान के वलए विवर्न्न ढंग एिं तरीकों
को अपनाने से है, विकल्प एक दसू रे से वजतने वर्न्न होंगे सृजनात्मकता उतनी ही अविक होगी। इससे पता चलता है
वक व्यवक्त की समस्या को वकतने अलग-अलग तरीके अपनाकर समािान कर सकता है।

3.मौविकिा (Originality)- मौवलकता से तात्पयथ अनोखेपन से है। अथाथत् विचारों की पर्ू थत निीन अवर्व्यवक्त
या समस्या का अन्य व्यवक्तयों से वर्न्न समािान। जब व्यवक्त वकसी समस्या का एक वबलकुल नया, अनठू ा ि उपयक्त

समािान करता है, नए गीत, कहानी, कविता वलखता है ये सब मौवलकता की श्रेर्ी में आते है।

4.विस्िारर् (Elobration) - नये विचारों, र्ािों की विस्तृत, व्यापक ि ग्रहन प्रस्ततु ीकरर् करने की क्षमता
विस्तारर् में आती है जैसे संवक्षप्त घटना, पररवस्थवत को विस्तृत करके ! प्रस्ततु करने की क्षमता, वकसी अपर्ू थ वचत्र
को पर्ू थ करने की क्षमता, विस्तारर् क्षमता को प्रदवशथत करती है।

सृजनात्मक वचन्तन के गर्ु (qualities of creative thinking)

1.सृजनात्मक वचन्तन में औसत ि औसत से उच्च बवु द्धलवब्ि पायी जाती है।
2.सृजनात्मक विचारक में अवर्व्यवक्त की क्षमता होती है।
3.निीनता ि जवटलता में अवर्रूवच अविक होती है।
3.अपने विचारों की अवर्व्यवक्त जोर दार तरीके से ि खल ु कर करते है अन्य लोगों की प्रत्यत्तु र या अनमु ोदन की
परिाह नहीं करते।
4.अपनी इच्छाओ ं का दमन नहीं करते हैं। दमन द्वारा इच्छाओ ं को वनयंवत्रत नहीं कर पाते है। विचार वनरन्तर गवतशील
होते है।
5.प्रत्येक कायथ तत्र्परता से करने की क्षमता होती है।
6.सझु ाि 'को स्िीकार करने में संकोच नहीं करते है।
7.मनोविनोद वप्रय ि हास्य र्ाि की प्रिानता होती है।
8.मौवलकता का गर्ु पाया जाता है।
9.जोवखम उठाने की क्षमता होती है।
10.तावकथ क क्षमता अविक होती है।

सज
ृ नात्मक का मापन measurement of creativity

सृजनात्मक के मापन हेतु अनेक मानकीकृ त मनोिैज्ञावनक पररक्षर् उपलब्ि है ये सर्ी परीक्षर् सामान्यतः शावब्दक,
अशावब्दक ि वक्रयात्मक प्रकार Generally verbal, non-verbal and functional types के होते है तथा
सृजनात्मक के विवर्न्न तत्िों जैसे िारा प्रिावहत, विस्तारर्, लोचनशीलता, मौवलकता, अवर्व्यवक्त fluency,
expansion, flexibility, originality, expression आवद का मापन करते हुए सृजनात्मकता का
मापन करते है।
अविकांश पररक्षर्ों ने वनमन परीक्षर् सवममवलत होते है -
1 आसािारर् उपयोग पररक्षर् ordinary use test
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2 पररर्ाम पररक्षर् results test
3 आकृ वत परीक्षर् shape test

1.असािारर् उपयोग पररक्षर् – Exceptional Use Test –


इस तरह के पररक्षर् में परीक्षाथी को एक िस्तु के अविक से अविक उपयोग बताने को कहा जाता है, बाद में
परीक्षाथी के उत्तरों का विश्ले षर् कर देखा जाता है वकतने उपयोग असािारर् पर उपयक्त
ु है इससे ही सृजनात्मकता की
माप होती है।

2.पररर्ाम पररक्षर् – results test


इसमें परीक्षाथी को वकसी पररितथन का पररर्ाम बताने को कहा जाता है जैसे यवद सर्ी मनष्ु य वफर से 4 पैरों िाले
जानिरों की तरह चलने लगे ?

3.आकृवि पररक्षर् shape test - इससे कोई ज्यावमवतय आकृ वत देकर इससे वजतने अविक िस्तओ
ु ं का वचत्र बना
सकता है बनाने को कहा जाता है।

उपलब्ि सृजनात्मक परीक्षर्ों में कुछ वनमन है -

1 विदेशी परीक्षर् - foreign test -

टॉरे न्स का सज ृ नात्मक वचंिन का वमनोसाटा परीक्षर् – Torrance's Minnesota Test of Creative
Thinking
टॉरे न्स ने 1966 में इस परीक्षर् का वनमाथर् वकया,
सृजनात्मकता के मापन का यह बहुत लोकवप्रय परीक्षर् है यह एक कसौटी संदवर्थत परीक्षर् This is a criterion
referenced test है।
यह प्रिावहत, लचीलापन, मौवलकता का दो उप-पररक्षर् शावब्दक परीक्षर् ि आकृ वतक पररक्षर् के माध्यम से
सृजनात्मक वचंतन ि मापन करता है। It measures creative thinking and fluency, flexibility and
originality through two sub-tests, verbal test and figurative test.

शावब्दक परीक्षर् में सवममवलत परीक्षर् है-


The tests included in verbal test are-
1.उत्पाद सिु ार 1.product improvement
2 असािारर् उपयोग 2 extraordinary uses
3 पछू ना ि अनमु ान लगाना 3 asking and guessing

आकृ वतक पररक्षर् में in morphological examination


1.िृत परीक्षर् circle test
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2.आकृ वत पवू तथ परीक्षर् सवममवलत है। Shape completion test included.

मेडवनक का ररमोट एसोवसयेट परीक्षर् –


यह मेडवनक ने 1971 में वदया।
इस परीक्षर् में 40 एकांश unit है। इसमें प्रत्येक एकांश में विद्याथी को तीन तीन शब्द वदये जाते है।
और विद्याथी को इन तीनों शब्दों से संबंवित चौथा शब्द बताना होता है जैसे Cookies, Sixteen, Heart उत्तर
Sweet क्योंवक Sweet को तीनों के साथ संबंवित वकया जा सकता है जैसे Sweet
Cookied, Sweet Sixteen Sweet Heart

वगिफोडे ि मेरीफील्ड का सज ृ नात्मक परीक्षर् –


यह परीक्षर् वगलफोडे ि मेरीफील्ड ने 1967 में कॉलेज के विद्यावथथयों के वलए बनाया यह अनेक परीक्षर्ों यक्त
ु एक
परीक्षर् माला test series है जो िारा प्रिावहता, लचनशीलता, मौवलकता, का मापन असािारर् उपयोग परीक्षर् ि
पररर्ाम परीक्षर् Measurement of fluency, flexibility, originality, exceptional usage test and
results tests के माध्यम से करती है।

गेटजेि ि जेर्कसन सज
ृ नात्मक परीक्षर् - Getzel and Jackson creativity test -

1.शब्द साहचयथ परीक्षर् 1.word association test


2.िस्तु उपयोग का परीक्षर् 2.Testing object usage
3.वछपी आकृ वत परीक्षर् 3.Hidden Shape Test
4.तीन विवर्न्न अन्त 4.Three different endings
5.समस्याओ ं की पवू तथ 5. Fulfillment of problems

भारिीय परीक्षर् - Indian test -


1 बाकर मेंहदी का सज ृ नात्मक वचंिन का शावब्दक ि अशावब्दक परीक्षर् (Baquer Mehi's
verbal and Non-Verbal test of creative thinking)

बाकर मेंहदी ने 1973 में सृजनात्मक वचंतन का मापन करने हेतु र्ारतीय पररवस्थवतयों के
अनक ु ु ल का वनमाथर् वकया।
ये दोनों परीक्षर् वहन्दी ि अग्रं ेजी दोनों र्ाषाओ ं में उपलब्ि है तथा सृजनात्मकता के तीन पहलओ
ु ं
प्रिावहता, लचीलापन तथा मौवलकता Fluency, Flexibility and Originality का मापन करते है
शावब्दक परीक्षर् में सवममवलत परीक्षर् वनमन है -
1.क्या होगा परीक्षर्
2.िस्तओ ु ं के नये उपयोग
3.नए संबंिों के परीक्षर् तथा
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4.रूवच की चीजों का सृजन सवममवलत है तथा
अशावब्दक परीक्षर् में
(1) वचत्र वनमाथर्
(2) वचत्र पवू तथ
(3) ज्यावमतीय आकृ वतयां परीक्षर् geometric shapes test सवममवलत है।

2.पासी सज ृ नात्मक परीक्षर् मािा – Pasi Creative Test Series –


1972 में पासी ने यह परीक्षर् माला को पंजाब की जनता के वलए मानकीकृ त वकया।
यह शावब्दक ि अशावब्दक दोनों परीक्षर्ों का उपयोग करते हुए
प्रिावहता लोचनशीलता, मौवलकता, दृढता fluency, flexibility, originality, tenacity आवद का मापन करती
है

इस परीक्षर् में उप-परीक्षर् -

1.असािारर् उपयोग परीक्षर्


2.परीर्ाम परीक्षर्
3.िगथ पहेली परीक्षर्
4.वजज्ञासतु ा का परीक्षर्
3.िी.पी. शर्कु िा ि जे.पी. शर्कु िा परीक्षर् –
यह परीक्षर् िैज्ञावनक सृजनात्मकता का मापन 4 उप- परीक्षर्ों ि 12 एकांशों units के माध्यम से करता है
पररर्ाम परीक्षर्, असािारर् उपयोग, नया संबंि तथा सोवचए ऐसा क्यों?
प्रत्येक एकांश को मौवलकता, लचीलापन प्रिावहता के वलए प्राप्ताक
ं वदये जाते है तथा सृजनात्मकता का मापन वकया
जाता है।

सज
ृ नात्मकिा का पिा िगाने हेिु अन्य परीक्षर्

सृजनात्मकता के क्षेत्र में बहुत से परीक्षर् विकवसत हुए हैं। ये प्रचवलत मख्ु य परीक्षर् इस प्रकार हैं-
1. पासी का सृजनात्मक परीक्षर्
2.बाकर मेंहदी - सृजनात्मक वचन्तन का शावब्दक परीक्षर्
3.बाकर मेंहदी - सृजनात्मक वचन्तन का अशावब्दक परीक्षर्
4.के . एन. शमाथ - अपसारी उत्पादन योग्यता परीक्षर्
5.िी.पी. शमाथ ि जे.पी. शक्ु ला - िैज्ञावनक सृजनात्मक का शावब्दक परीक्षर्
6.एस.पी. मल्होत्रा ि सचु ते ा कुमारी - र्ाषा सृजनात्मकता परीक्षर्

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सज
ृ नात्मकिा को प्रोत्सावहि करने हेिु विशेष िकनीक Special techniques to encourage creativity

1.मवष्तष्क उद्द्लन विवि – आस्बानथ 1. Brainstorming method – Osborn


2.समस्या समािान विवि 2.Problem Solving Method
3.सामवू हक चचाथ 3.Group discussion
4.खेल विवि 4.game method
5.वसनेटीक्स – विवलयम गाडथन(समस्याओ ं का 5.Synetics – William Garden
िैकवल्पक समािान) 6.Role playing
6.र्वू मका अदा करना

सजृ नात्मक वचंिन की अिस्थाएं –


1.आयोजन events - सूचना को एकवत्रत वकया जाता है वजससे समस्या समािान में मदद वमलें
2.उदद्व् न incubation - सर्ी संबंवितसचू नाओ ं को एकवत्रत करने के बाद व्यवक्त सचू ना के बारे में चेतन रूप से
वचन्तन करना छोड देता है परन्तु अचेतन रूप से समस्या के बारे में सोचता रहता है। उद्भिन काल में कोई नई सचू ना,
नया ज्ञान अथिा अनर्ु ि र्ंडार में जमा नहीं होता है।
3.प्रबोिन Illumination- इस अिस्था में अचानक व्यवक्त को समस्या का समािान वमल जाता है।
4.प्रमार्ीकरर् या संशोिन Verification and Revision- प्रबोिन की अिस्था से प्राप्त समािान या वनष्कषथ की
जांच ि मल्ू यांकन वकया जाता है वक प्राप्त समािान
ठीक है या नहीं।

सज
ृ नात्मक बािकों की वशक्षा creative children's education

टारे न्स ने अपने अध्ययन के आिार पर वशक्षकों के वलए कुछ महत्त्िपर्ू थ सझु ाि बताये-
1.बालकों द्वारा पछू े प्रश्नों का उत्तर आदरर्ाि से दें।
2.उनके कल्पनात्मक ि असािारर् विचारों को समझने का प्रयास करें ।
3.छात्रों की स्िवक्रया पर बल दें ि उन्हें स्िवक्रया हेतु प्रोत्सावहत करें ।
4.बालकों के विचारों को महत्त्ि दें।
5.स्ितः प्रेररत अविगम ि उसके मल्ू यांकन पर बल दें।
6.उपयक्त ु िातािरर् के प्रवत विशेष ध्यान दें वजससे उनमें सृजनात्मकता विकवसत हो।
7.विद्यालय में समय-समय पर आमप्रेरर्ा परु स्कार ि प्रवतयोवगता आवद समपन्न की जाये।
8.अनेक माध्यमों द्वारा अपसरर् उत्पादन (Divergent Production) को प्रोत्सावहत वकया जाये।
9.सेमीनार, संगोष्ठी, िाद-वििाद सर्ायें प्रदशथनी, सरस्िती यात्राओ ं का आयोजन।
10. पाठ्येत्तर पस्ु तकों की व्यिस्था बल ु ेवटन बोडथ, विद्यालय पवत्रका, कक्षा पस्ु तकालयों की व्यिस्था की जाये।
बालक की सृजनात्मक योग्यता को विकवसत करना वशक्षकों, समाज ि देश का परम कतथव्य है। इसवलए इस प्रकार
के बालकों की वशक्षा दीक्षा का समवु चत प्रबंि करें ।

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मानवसक रूप से मंदबवु द्ध के बािक का अथल एिं विशेषिाएँ (Meaning and Characteristics of
Mentally Deficient Children)
मानवसक रूप से मदं बवु द्ध के बालक िैसे बालक को कहा जाता है जो मानवसक मदं ता (mental deficiency or
mental retardation) से ग्रवसत होते हैं।
िो एिं िो के अनुसार - "वजन बच्चों का IQ – 70 से कम होता है उनको मदं बवु द्ध कहते हैं |"
पोिक ि पोिक – "मदं बवु द्ध बालक को अब क्षीर् बवु द्ध weak mind बालकों के समहू में नहीं रखा जाता है वजसके
वलए कुछ र्ी नहीं वकया जा सकता है |अब हम यह स्िीकार करते है की उनके व्यवक्तत्ि के उतने ही विवर्न्न पहलु होते
हैं वजतने सामान्य बालकों के व्यवक्तत्ि के होते हैं |"
जब वकसी छात्र की बवु द्ध, बवु द्ध के औसत स्तर से कम होती है तथा साथ-ही-साथ उसमें समायोजनशील व्यिहार करने
की क्षमता र्ी काफी कम होती है, तो उसे हम मानवसक रूप से मवं दत बालक (mentally deficient child) कहते हैं।
अमेररकन एसोवसएशन ऑन मेण्टि वडवफवशयस ं ी' (American Association on Mental Deficiency
or AAMD, 1973) - “मानवसक मदं ता से तात्पयथ साथथक रूप से न्यनू औसत बौवद्धक क्षमता below average
intellectual ability जो समायोजनशील adjustable व्यिहार में कमी के साथ-साथ पाई जाती है, से होता है। तथा
वजसकी अवर्व्यवक्त विकासात्मक अिवि (developmental period) में होती है।"
अतः, मानवसक मंदता के बारे में वनमनांवकत तथ्य
वमलते हैं—
(1) मानवसक मंदता में बालकों का बौवद्धक स्तर
सामान्य (normal) से साथथक रूप से (significantly)
नीचे होता है।
(2) मानवसक मंदता में बालकों में अवर्योजनशीलता
या समायोजनशीलता की क्षमता अपयाथप्त होती है।
(3) मानवसक मंदता की अवर्व्यवक्त विकासात्मक
अिवि (developmental period) में यानी जन्म से
18 साल की अिवि में स्पष्ट रूप से हो जाती है।
पहचान
(i) शारीररक िक्षर् (Physical features) - मानवसक रूप से मंद बालकों का शारीररक कद सामान्य बालकों से
वर्न्न होता है। इनका कद प्रायः कमजोर, दबु ला-पतला, नाटा आवद होता है
(i) बौवद्धक क्षमिा (Intellectual capacity) – ऐसे बालकों की बौवद्धक क्षमता सामान्य बालको से कम होती
है। इनकी बवु द्धलवब्ि (intelligence quotient) प्राय: 70 से नीचे होती है।

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(iii) सामावजक समायोजनशीििा की क्षमिा में कमी (Reduction in the capacity of social
adaptability)- ऐसे बालकों में समाज तथा पररिार के लोगों के साथ समायोजन (adjustment) करने की क्षमता
नहीं होती। फलस्िरूप, उनका समाजीकरर् ठीक ढंग से नहीं हो। पाता है और उनमें सामावजक सझू -बझू एिं नैवतकता
आवद का ज्ञान नहीं होता है।
(iv) सिं ेगात्मक वस्थवि (Emotional condition) - ऐसे बालकों में सामान्य संिेग की कमी होती है। ऐसे बालक
वकसी विशेष संिेग के वलए उपयक्त
ु पररवस्थवत (appropriate situation) मे र्ी संबंवित संिेग नहीं वदखा पाते।
अतः, ऐसे बालकों का संिेगात्मक विकास अनपु यक्त
ु होता है।
(v) भाषा विकास (Language development) – ऐसे बालकों की वशक्षा-दीक्षा तो नहीं के बराबर ही हो पाती
है। अतः, वशक्षा की तरफ से र्ाषा विकास में कोई योगदान नहीं होता। इतना ही बहुत कम ही हो पाता है। नहीं, ऐसे
बालकों की बवु द्ध चँवू क कम होती है, अतः, बहुत कोवशश के बािजदू इनमें र्ाषा विकास
इन प्रमख
ु विशेषताओ ं के अलािा ऐसे बालकों की कुछ और विशेषताएँ हैं जो वनमनावं कत हैं-
(vi) ऐसे बालकों में उवचत-अनवु चत के अतं र का ज्ञान नहीं होता।
(vii) ऐसे बालक अत्यविक सझु ािशील (suggestible) होते हैं। दसू रे लोग जो कुछ र्ी कहते हैं, उसे आँख मँदू कर
सच समझकर उसी के अनसु ार कायथ कर बैठते हैं। इनके व्यिहार से ऐसा लगता है वक इनका अपना कोई वदमाग ही
नहीं है।
(viii) ऐसे बालकों में आत्मविश्वास (self-confidence) तथा आत्मवनर्थरता (self-dependancy) की कमी रहती
है।
(ix) ऐसे बालकों में अपनी पिू थ अनर्ु वू तयों (past experiences) से फायदा उठाने या उनसे कुछ सीख लेने की
क्षमता नहीं होती।
(x) ऐसे बालकों की अवर्रुवचयाँ (interests) सीवमत होती हैं।
(xi) ऐसे बालकों की लघु अिवि स्मृवत (short-term memory) तथा दीघथ अिवि स्मृवत (long-term memory)
सीवमत होती हैं।
मानवसक रूप से मंदबुवद्ध के बािक के प्रकार (Types of Mentally Deficient Children)
AAMD (American Association on Mental Deficiency) तथा APA (American Psychiatric
Association) ने मानवसक रूप से मंवदत बालकों को चार र्ागों में बाँटा है।
(1) सािारर् मानवसक मंदिा (Mild mental retardation ) -
➢ बवु द्धलवब्ि (intelligence quotient) - 52-67
➢ ऐसे बालकों को कुछ वशक्षा वदया जाना संर्ि है और

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➢ ियस्क होने पर इनका बौवद्धक स्तर (intellectual level) 8 से 11 साल के सामान्य बालक (normal child)
के बौवद्धक स्तर के बराबर होता है।
➢ माता-वपता की देखरे ख तथा विवशष्ट वशक्षा कायथक्रम (special education programme) के आिार पर ऐसे
बालकों के सामावजक अवर्योजन (social adjustment) में इस हद तक सिु ार लाया जा सकता है वक िे अपने
रोजमरे के कामों को करने में आत्मवनर्थरता वदखा सकते हैं।
(2) अल्पिि मानवसक मंदिा (Moderate mental retardation ) –
➢ बवु द्धलवब्ि - 36 से 51 तक होती है।
➢ ऐसे बालकों को प्रवशक्षर् (training) देकर उन्हें कुछ हद तक मामल
ू ी कायथ करने के लायक बनाया जा सकता है।
➢ ऐसे बालकों की सीखने की दर िीमी होती है।
➢ शारीररक रूप से (physically) िे बेढंगा (clumsy) वदखते हैं
➢ शारीररक अवनयवमतता देखने को वमलती है।
➢ उनका वक्रयात्मक समन्िय (motor coordination) असंतवु लत होता है।
(3) गभ
ं ीर मानवसक मदं िा (Severe mental retardation) –
➢ बवु द्धलवब्ि - 20 से 35
➢ ऐसे बालकों को सदा दसू रों पर वनर्थर रहनेिाला अथाथत आवश्रि िािक (dependant child) कहा जाता है।
➢ ऐसे बालकों का वक्रयात्मक विकास (motor development) तथा र्ाषा विकास (speech development)
गर्ं ीर रूप से (scriously) मवं दत (retarded) होता है
➢ तथा इनमें ज्ञानात्मक दोष (sensory defects) एिं वक्रयात्मक विकलांगता (motor handicaps) सामान्य रूप
से पाए जाते हैं।
➢ ियस्क होने पर र्ी उन्हें खाना वखलाने एिं सलु ाने की जरूरत होती है।
➢ कुछ अध्ययनों में पाया गया है वक ऐसे बालकों को यवद काफी जोर-शोर से प्रवशवक्षत वकया जाता है, तो िे अवत
सािारर् कायों को र्ी करना बहुत वदनों के बाद सीख पाते हैं।
(4) गहन मानवसक मंदिा (Profound mental retardation) –
➢ बवु द्धलवब्ि - 20 से नीचे होती है।
➢ ऐसे बालकों को समपर्ू थ जीिन तक देख-रे ख चाहनेिाला बालक (life support retarded children) की श्रेर्ी
में रखा जाता है।
➢ ऐसे बालकों में गंर्ीर रूप से शारीररक अवनयवमतता पाई जाती है तथा के न्र्द्ीय स्नायमु ंडल (central nervous
system) के रोग होते हैं।
➢ ऐसे बालकों में बहरापन एिं मूकिा (mutism) र्ी अविक देखने को वमलती है।

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➢ ऐसे बालक शायद ही कुछ शब्दों को बोलना सीख पाते हैं।
➢ अतः, उन्हें आजीिन देखरे ख की जरूरत पडती है।
➢ प्रायः अल्पायु होते हैं।
मन्दबवु द्धिा के स्िर(Level of Feeble Mindedness)
मख्ु य रूप से मन्दबवु द्धता तीन प्रकार की होती हैं-
(a) जड बवु द्ध (Idiot ) :
➢ मानवसक दबु थलता की दृवष्ट से यह सिाथविक दबु थल बवु द्ध िाले जाते होते हैं।
➢ इनकी 1. Q. - अविक से अविक 25 होती है।
➢ इनका मानवसक विकास अविक से अविक दो िषथ के बालक की तरह होता है।
➢ इनको र्ोजन कराना पडता है, िस्त्र पहनाना पडता है इत्यावद ।
(b) मूढ़ (Imbecile):
➢ यह ऐसे दबु थल बवु द्ध बालक हैं वजनकी 1Q - 25 से 50 िक होती है।
➢ इन बालकों का मानवसक स्तर 3-7 िषथ तक के बालक की तरह होता है।
➢ इन्हें अक्षर ज्ञान तो कराया जा सकता है परन्तु पढ़ाया-वलखाया नहीं जा सकता है।
➢ इन बालकों के संरक्षर् की बहुत अविक आिश्यकता नहीं होती है।
(c) मूखल (Moron):
➢ ये िे बालक हैं वजनकी IQ- 50 से 70 तक होती है।
➢ इनका मानवसक विकास 7 से 10 िषथ तक के बालकों के स्तर का होता है।
➢ इनमें अन्तदृथवष्ट insight और मौवलकता बहुत कम मात्रा में पायी जाती है।
➢ ये व्यवक्त सािारर् रोजी-रोटी कमाने का काम सीख जाते हैं और अपना जीिन वनिाथह कर सकते हैं।
मन्दबुवद्धिा के कारर् (Due to retardation)
1) िंशानक्रु म (Heredity)
2) सांस्कृ वतक कारक (Cultural Factors)
3) छूत की बीमाररयाँ (Infectious Disease)
4) ग्रन्थीय असन्तल ु न (Glandular Imbalance)
5) एक्स-रे का प्रर्ाि (X-ray Effect)
6) शारीररक आघात (Pysical Injuries)
7) नशीले पदाथथ (Toxic Agents)

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8) माता-वपता की आयु (Age of Parents)
9) पाररिाररक िातािरर् (Home Environment)
10) शैवक्षक िातािरर् (Educational Environment)
11) अपररपक्ि जन्म (Pre-Mature Birth)
12) माँ के संक्रामक रोग (Mother's Infectious Disease)

मानवसक रूप से मंद िािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and


(1) पाठ्यिम का अनुकूिन (Adaptation of Curriculum) –
➢ स्कीन्नर (Skinner, 1972), ररली तथा लेविस (Reilly & Lewis, 1983)
➢ पाठ्यक्रम, जो अविक सरल एिं मनोरंजक हो, तैयार करने की वसफाररश की है।
➢ हस्तकला (manual skills), विशेषकर दजी के काम, जतू ा बनाने के काम, बढ़ई
(2) विशेष कक्षा (Special class) –
➢ िैयवक्तक रूप से ध्यान देना संर्ि हो पाता है।
(3) अध्यापन विवि (Teaching method)
➢ प्रदशथन विवि Display method का प्रयोग
(4) विवशष्ट वनिासी स्कूि Special Resident School
(5) व्यिहार पररमाजलन behavior modification

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मानवसक बीमारी से ग्रवसि बािक (child suffering from mental illness)

ऐसे बच्चे जो शारीररक,सामावजक और र्ािनात्मक कारर्ों से मानवसक रूप से बीमार हो जाते हैं |इनका
मानवसक वचवकत्सा उपरान्त सामािान हो जाता है |

न्यूरोडे िलपमेंटल विकारों को इस प्रकार िगीकृ त करता है

• बौवद्धक विकलांग • intellectual disabilities


• संचार संबंिी विकार
• ऑवटज्म स्पेक्रम वडस्ऑडथ र • Communication disorders
• ध्यान-अर्ाि/अवतसवक्रयता विकार
(एडीएचडी) •autism spectrum disorder
• विवशष्ट सीखने के विकार
• Attention-deficit/hyperactivity disorder
• मोटर संबंिी विकार
(ADHD)

• Specific learning disorders

• Motor disorders

मानवसक बीमारी के कुछ िक्षर्

• असामान्य या अतावकथ क विचार(Unusual or illogical thoughts)


• अनवु चत क्रोि या वचडवचडापन(Unreasonable anger or irritability)
• एकाग्रता और याददाश्त में कमी, बातचीत पर नज़र न रख पाना
• ऐसी आिाजें सनु ना वजन्हें कोई और नहीं सनु सकता
• नींद का बढ़ना या कम होना
• बढ़ी हुई या कम र्ख ू
• प्रेरर्ा की कमी
• लोगों से हटना
• नशीली दिाओ ं के प्रयोग
• ऐसी र्ािनाएँ वक जीिन जीने लायक नहीं है या आत्मघाती विचार
• मृत्यु या िमथ जैसे वकसी विषय पर जनु नू ी होना
• व्यवक्तगत स्िच्छता या अन्य वजममेदाररयों का ध्यान न रखना
• स्कूल या काम पर हमेशा की तरह अच्छा प्रदशथन नहीं करना

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मानवसक बीमारी का कारर्

• आनुिंवशक कारक - पररिार के वकसी करीबी सदस्य के मानवसक रोग से ग्रस्त होने से आपको मानवसक रोग होने
की संर्ािना बढ़ सकती है। हालाँवक, वसफथ इसवलए वक पररिार के एक सदस्य को मानवसक बीमारी है इसका
मतलब यह नहीं है वक दसू रों को र्ी होगा।
• नशीिी दिाओ ं और शराब का दुरुपयोग - अिैि नशीली दिाओ ं का उपयोग उन्मत्त प्रकरर् ( वद्वध्रिु ी विकार )
या मनोविकृ वत के प्रकरर् को वरगर कर सकता है। कोकीन , माररजआ ु ना और एम़िै टेवमन जैसी दिाएं व्यामोह का
कारर् बन सकती हैं।
• अन्य जैविक कारक - कुछ वचवकत्सीय वस्थवतयाँ या हामोनल पररितथन मानवसक स्िास्थ्य समस्याओ ं का कारर्
बन सकते हैं।
• प्रारंवभक जीिन का माहौि - बचपन के नकारात्मक अनर्ु ि कुछ मानवसक बीमाररयों के खतरे को बढ़ा सकते
हैं। बचपन के नकारात्मक अनर्ु िों के उदाहरर् दव्ु यथिहार या उपेक्षा हैं।
• आघाि और िनाि - ियस्कता में, ददथनाक जीिन की घटनाएं या चल रहा तनाि मानवसक बीमारी के खतरे को
बढ़ा सकता है। सामावजक अलगाि , घरे लू वहसं ा , ररश्ते टूटना , वित्तीय या काम की समस्याएं जैसे मद्दु े मानवसक
स्िास्थ्य पर प्रर्ाि डाल सकते हैं। यद्ध
ु क्षेत्र में रहने जैसे ददथनाक अनर्ु ि पोस्ट-रॉमैवटक स्रेस वडसऑडथर
(पीटीएसडी) के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
• व्यवित्ि कारक - पर् ू ल िािाद या कम आत्मसममान जैसे कुछ लक्षर् अिसाद या वचतं ा के जोवखम को बढ़ा
सकते हैं।

सामावजक रूप से वपछडे बािक (socially backward children)


िंवचि बािक(underprivileged child)
ऐसे बालक जो समाज के सामावजक ि् आवथथक दृवष्ट से वपछडे िगों से समबन्ि रखते हैं |
“िंचन वनमनस्तरीय जीिन दशा या अलगाि को घोवषत करता है जो वक कुछ व्यवक्तयों को उनके समाज की
सांस्कृ वतक उपलवब्ियों में र्ाग लेने से रोक देता है।"“Deprivation refers to the inferior living conditions
or isolation that prevent certain individuals from participating in the cultural achievements of
their society. - िोिमैन

“िंचन बाल्य जीिन की उद्दीपक दशाओ ं की न्यनू ता है।"“Deprivation is the lack of stimulating
conditions of childhood life.” -गाडलन

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िवं चि बािकों की विशेषिाएं - Characteristics of deprived children -
1. शैवक्षक उपलवब्ि वनमन स्तरीय होती है। 1. Educational achievement is low.
2. वनमन अवर्व्यवक्त स्तर 2. Low expression level
3. वनराशािादी,रुवढ़िादी,और आत्मविश्वास की
3. Pessimistic, conservative, and lacking
कमी self-confidence
4. पिू ाथग्रहों से ग्रवसत
5. वशक्षा के प्रवत उदासीनता या नकारात्मक 4. Suffer from prejudices
अवर्िृवत्त 5. Indifference or negative attitude towards
6. पहल शवक्त का अर्ाि education
7. बाहरी दवु नया में होने िाले पररितथनों से अनवर्ज्ञ 6. Lack of initiative
8. वचतं ा एिं र्य की मात्रा अविक 7. Ignorant of changes in the outside world
8. High amount of anxiety and fear

िंवचि बािकों की वशक्षा education of underprivileged children


1. छात्रिृवत्त उपलब्ि करिाना 1. Providing scholarships
2. दरू दराज इलाकों में अच्छे विद्यालयों की स्थापना 2. Establishment of good schools in
3. समेवकत वशक्षा की व्यिस्था remote areas
4. अध्यापक प्रवशक्षर् कायथक्रम 3. System of integrated education
5. पयाथप्त अभ्यास कायथ करिाना 4. Teacher Training Program
6. कक्षा के सामावजक र्ािनात्मक िातािरर् को 5. Getting enough practice work
अनक ु ू ल बनाना 6. Optimizing the social-emotional
7. त्िररत अविगम कायथक्रम का आयोजन(Bridge climate of the classroom
course) 7. Organization of accelerated
8. यह र्ािना जागृत करना की िे सामान्य बालकों की learning program (Bridge course)
तरह आगे बढ़ सकता है| 8. To awaken the feeling that they
9. अविगम सामाग्री को मतू थ िस्तओु ं के द्वारा सीखाना can move forward like normal
children.
9. Teaching learning material
through tangible objects

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समस्यात्मक बािक problem child

➢ विद्यालय में आने िाले कुछ बालकों का व्यिहार समस्याएँ उत्पन्न कर देता है। इनका व्यिहार सामान्य नहीं होता
इसवलए इन्हें समस्यात्मक बालक कहा जाता है।
➢ िैिेन्टाइन ने कहा है-''समस्यात्मक बालक िे हैं वजनका व्यिहार और व्यवक्तत्ि वकसी बात में गंर्ीर रूप से
असािरर् होता है। "
➢ अतएि कहा जा सकता है वक िे सर्ी बालक वजनके व्यिहार तथा व्यवक्तत्ि इस सीमा तक आसामान्य होते हैं की
िे घर, विद्यालय तथा समाज में समस्याओ ं के जनक बन जाते हैं, समस्यात्मक बालक कहलाते हैं।
➢ ऐसी वस्थवत में बालक को उवचत मागथदशथन द्वारा ही सिु ारा जा सकता है, अन्यथा यही बालक र्विष्य में अपरािी
ि समाजर्द्ोही बन जाते हैं।
उन बच्चों को समस्यात्मक बािक कहा जािा है जो –

1. आक्रामकता का प्रदशथन करते हैं


2. चचाथ पर हािी होते हैं और ध्यान देनें की मांग करते हैं
3. असाििान और अप्रस्ततु रहते हैं
4. ऐसा व्यिहार करते हैं ओ वशक्षक के वलए एक समस्या बन जाते हैं |

समस्यात्मक बािक की पहचान identification of problem child

उपचार ि मागथदशथन प्रदान करने हेतु समस्यात्मक बालक की सही पहचान तथा उसके व्यिहार की असामान्यता प्रकृ वत
ि सीमा की जानकारी अत्यंत आिश्यक है।

1.वनरीक्षर् पद्धवत 1.inspection method

2.साक्षात्कार विवि 2.Interview Method

3.अवर्र्ािकों, वशक्षकों तथा वमत्रों से िाताथलाप 3. Conversation with parents, teachers and
friends
4.कथात्मक अवर्लेख
4.Narrative record
5. संचयी अवर्लेख
5. Cumulative Records
6.मनोिैज्ञावनक परीक्षर्
6. Psychological testin

समस्यात्मक बािक के िक्षर् Symptoms of a Problem Child

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इनके व्यिहारों को दो िगों में िगीकृ त वकया जा सकता है-

(A) न्यून मानवसक दक्षिा ि समस्यात्मक िक्षर्- Low mental efficiency and problematic
symptoms-

1. पैसे ि अन्य िस्तओ


ु ं की चोरी करना।
2.स्कूल के कामों में सवक्रय न होना

3. शारीररक ि मानवसक कष्ट देकर आनंद लेना

4.अनश
ु ासन का विरोि करना ।
5.बरु ा आचरर् करना।

6. असहयोग की प्रिृवत्त रखना

7.संदहे करना।

8.िोखा देना।

9.अश्लील बातें करना।

10. वबस्तर गीला करना।

(B) अत्यविक मानवसक दक्षिा का होना having high mental acumen

1.मानवसक द्वन्द्व से ग्रवसत होना।

2.हीन र्ािना का वशकार होना।

3.सीमा से अविक कठोर व्यिहार होना।

4.अप्रसन्न ि वचडवचडा होना।

5. र्यर्ीत परन्तु आत्म-के वन्र्द्त ।

समस्यात्मक व्यिहार को प्रदवशलि करने के वनमन कारर् हैं-

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1. िश ं ानुिम : िंशानक्र
ु म के द्वारा अनेक बीमाररयों तथा अक्षमताओ ं से ग्रवसत बालक अपेवक्षत व्यिहार करने में
अक्षम होते हैं। हीनता की पवू तथ करने की दृवष्ट से ये आसान, वकन्तु अनैवतक कायों की तरफ झक ु जाते हैं। ये समबवन्ित
व्यवक्तयों के वलए समस्याएँ उत्पन्न करते हैं। जैसे-बवु द्ध, दौबथल्यता, ग्रवन्थ विकास, विरासत में वमला दव्ु यथसन आवद।

2. मूि प्रिवृ त्तयों का दमन : मल


ू प्रिृवत्तयों के दमन के कारर् उनमें र्ािना ग्रवन्थयाँ दब जाती हैं, फलस्िरूप िे
असामावजक व्यिहार रखते हैं।

3.शारीररक दोष : शारीररक दोष के कारर् ऐसा व्यिहार करते हैं।

4.िािािरर्: यवद घर, विद्यालय ि समाज का िातािरर् दवू षत होता है, तब र्ी बालक अिांवछत व्यिहार करते हैं।

5. मािा-वपिा ि वशक्षकों का व्यिहार : बालक के साथ वतरस्कारपर्ू थ व्यिहार या लाड-प्यार वदखाना र्ी समस्या
उत्पन्न कर देता है।

6. पररिार का िािािरर्- माता-वपता, र्ाई-बहन के आपसी कलह का र्ी प्रर्ाि पडता है। ऐसे घरों में जहाँ
विमाता हैं, माता-वपता में से एक का देहांत हो जाता है िहाँ समस्यात्मक बालक पाये जाते हैं। ये अनश
ु ासनहीन हो
जाते हैं।

7. नैविक वशक्षा का अभाि : नैवतक वशक्षा के अर्ाि में र्ी बालक दगु थर्ु ों से यक्त
ु हो जाता है।
8. सािेंवगक दोष - आिश्यकताओ ं की पवू तथ का अर्ाि बालक के अनेक सांिेवगक ि मनोिैज्ञावनक समस्यात्मक
व्यिहार को जन्म देता है।

समस्यात्मक बािकों की वशक्षा का स्िरूप

बालक को शारीररक दण्ड ना देकर मनोिैज्ञावनक उपायों पर बल दें-

1. पररिार में माता-वपता, उनके प्रवत प्रेम ि सहानर्ु वू तपर्ू थ व्यिहार करें ।

2. बालक की मल
ू प्रिृवत्तयों का दमन ना करें । कोई दोष अगर आ जाये तो उसकी मानवसक वचवकत्सा करायें।
3. बालकों को उवचत कायों हेतु प्रेररत, प्रोत्सावहत ि परु स्कार दें।

4. उन्हें नैवतक वशक्षा दें।

5.बालक की संगवत पर ध्यान दें।

6. बालक को मनोरंजन के उवचत अिसर दें।

7.बालक को संतवु लत जेब खचथ दें।

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8.अध्यापक आदशथपर्ू थ व्यिहार करें ।

9. मनोरंजक वशक्षर् विवि प्रयोग करें , अन्यथा बालक कक्षा से बाहर घमू ते हैं या स्कूल से ही र्ाग जाते हैं।

10. संतवु लत पाठ्यक्रम हो, तावक बालकों पर अनािश्यक बोझ ना पडे।

11. पाठ्योत्तर कायथक्रमों, जैसे वपकवनक भ्रमर्, स्काऊवटंग खेलकूद, नाटक, संगीत प्रवतयोवगता आवद के द्वारा
समस्यात्मक व्यिहारों को रोका जा सकता है।

12. बालकों में आत्मानश


ु ासन जाग्रत करने हेतु उत्तरदावयत्ि पर्ू थ कायथ सौंपें

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बवु द्ध िथा इसका मापन (Intelligence and Its Measurement)
बवु द्ध की पररभाषायें (Definitions of Intelligence)
(A) समायोजन की समायोजन की योग्यिा (Ability to Adjust)
पररिवतथत होती पररवस्थवतयों से समायोजन करने या अनक
ु ू ल बनने की योग्यता या क्षमता
कुछ पररर्ाषायें वनमन है ।
(1) एवबगं हॉस- यह िस्तओ
ु ं को एकीकरर् की योग्यता है।(This is the ability to integrate things)
(2) स्टनल-बवु द्ध जीिन की निीन समस्याओ ं के समायोजन की सामान्य योग्यता(Intelligence General ability to
adjust to new problems of life)
(3) रॉस-नई पररवस्थवतयों से चेतन समायोजन बवु द्ध है।(Conscious adjustment to new circumstances is
intelligence.)
(4) बटल - यह लचीले समायोजन की योग्यता है । (This is the ability to make flexible adjustments.)
वबने, कॉवल्िन, स्पेंसर, िैल्स, विवलयम जेमस, मैकडुगल तथा गोडाडथ के अवतररक्त अनेक अन्य र्ी इस िगथ में
सवममवलत हैं।
(B) अविगम की योग्यिा (Ability to adjust)
बवु द्ध अविगम करने की योग्यता है।
दसू रे िगथ की पररर्ाषाओ ं के अनसु ार इस िगथ की महत्िपर्ू थ पररर्ाषायें वनमन प्रकार से हैं :
(1) िुडिथल - बवु द्ध से तात्पयथ योग्यता को प्राप्त करने की योग्यता है ।
(2) वडयरबोनल - बवु द्ध सीखने या अनर्ु ि का लार् उठाने की योग्यता है ।"
(3) थॉनलडाइक - बवु द्ध से तात्पयथ पिू थ अनर्ु िों का लार् उठाने की योग्यता
(4) बवकंघम - बवु द्ध अविगम करने की योग्यता है ।
(C) सूक्ष्म विचारों को रखने की योग्यिा(Ability to carry (Comprehensive abstract thinking)
(1) टमलन - कोई व्यवक्त उसी अनपु ात में बवु द्धमान होता है वजसमें िह अमतू थ रूप से वचंतन करने की
योग्यता रखता है ।"
(2) स्पीयरमैन - बवु द्ध तावकथ क वचंतन है।

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3) वबने - बवु द्ध से तात्पयथ र्ली प्रकार वचतं न करने की, र्ली प्रकार वनर्थयb करने की तथा स्ियं का
र्ली प्रकार विश्ले षर् करने की योग्यता है।'
(4) बटल - बवु द्ध से तात्पयथ र्ली प्रकार वनर्थय लेना, र्ली प्रकार अिबोि करना तथा र्ली प्रकार तकथ
करना है।

उपरोि पररभाषाओ ं की सामान्य वििेचना (General Criticism of AboveDefinitions)


(1) उपरोक्त तीनों िगों में दी गयी पररर्ाषायें चाहे िे बवु द्ध को समायोजन की योग्यता, अविगम की योग्यता या अमतू थ
वचतं न की योग्यता कर बताती हैं, अपने आप में अपर्ू थ हैं।
(2) यह पररर्ाषायें बवु द्ध को इसके सर्ी पहलओ
ु ं में व्यक्त करने में असमथथ हैं।
(3) यह सर्ी पररर्ाषायें बवु द्ध के के िल एक ही पहलु पर जोर देती हैं तथा अन्य पर ध्यान नहीं देती।

(घ) विस्िृि पररभाषायें (Comprehensive Definitions)


(1) गेट्स िथा अन्य - बवु द्ध का तात्पयथ है अविगम करने, मतू थ तथा अमतू थ तथ्यों का अिबोि साििानी तथा सही
प्रकार से करने की योग्यता सवममवलत है तथा मानवसक वनयंत्रर् को बनाये रखने, लचीलेपन तथा चतुरता को बनाये
रखने तथा समस्या समािान करने की योग्यता है
(2) िेशिर - बवु द्ध से तात्पयथ व्यवक्त की कुल योग्यता है वजसमें उद्देश्यपर्ू थ वचंतन तथा िातािरर् से व्यिहार करने की
योग्यता सवममवलत है।
इस पररर्ाषा में बवु द्ध को संपर्ू थ तथा तीन महत्िपर्ू थ पहलओ
ु ं के साथ कुल योग्यता बताया है वजसमें उद्देश्य, तावकथ क
वचंतन तथा िातािरर् में प्रर्ाविता सवममवलत है ।
(3)स्पाइकर तथा इरविन – र्ाषा समबन्िी योग्यता और बवु द्धलवब्ि में घवनष्ट समबन्ि होता है |(TET 2022)
बुवद्ध के प्रकार (Kinds of Intelligence)
हम बवु द्ध को तीन मख्ु य िगों में बांट सकते हैं। िे हैं :
(1) अमूिल बुवद्ध (Abstract Intelligence ) - सक्ष्ू म या अमतू थ बवु द्ध से तात्पयथ अविगम करने, पढ़ने तथा
समस्याओ ं को सल ु झाने की प्रिृवत्त से है जो शब्दों, संकेतों,संख्याओ,ं सत्रू ों तथा वचत्रों के माध्यम से प्रस्ततु की गयी
हों।

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(2) मूिल या यांवत्रक या गत्य बवु द्ध (Concrete or Mechanical or Motor intelligence) –
गत्य बवु द्ध शारीररक वशक्षा से अविक संबंि रखती है जो नाच, खेल-कूद आवद में र्ाग लेने में महत्िपर्ू थ र्ाग अदा
करती है।
(3) सामावजक बवु द्ध (Social Intelligence) –
वकसी व्यवक्त की लोगों के साथ समायोजन करने तथा अनक
ु ू लन करने की योग्यता होती है।

बवु द्ध के वसद्धांि (Theories of Intelligence)


1) बहु बवु द्ध का वसद्धातं (theory of multiple intelligences )- हािडथ गाडथनर
2) वत्रतत्रं वसद्धातं Tritantra theory - रॉबटथ स्टनथबगथ
3) एवकक वसद्धांत (Unitary or Monarchic theory)- वबने, टमथन तथा स्टनथ
4) वद्वतत्ि वसद्धातं (Two-factor or Eclectic theory)- स्पीयरमैन
5) वत्रतत्ि वसद्धांत (Three-factor theory)- स्पीयरमैन
6) प्रवतमान वसद्धांत (Sampling or Oligarchic theory)- टामसन
7) बहुतत्ि वसद्धांत (Multiple or Anarchic theory)- थॉनथडाइक
8) समहू कारक वसद्धांत (Group Factor theory)- थरस्टोन
9) प्रिानता सचू क वसद्धांत (Hierarchical theory)- बटथ तथा िनोन
10) वत्र-अशं ीय वसद्धांत (Three Dimensional theory)-वगल्फोडथ
11) िाराप्रिाह तथा स्पष्ट वसद्धांत (Fluid and Crystallized theory)- कै टल
12) बवु द्ध क तथा बुवद्ध ख वसद्धांत (Inte A and Inte B theory)- हैब
1.बह बुवद्ध का वसद्धांि(theory of multiple intelligences )
1) शावब्दक भाषायी योग्यिा (Verbal - linguistic)- जो लोग Verbal - linguistic में मजबतू होते हैं,
िह वलखते और बोलते समय शब्दों का अच्छी तरह से उपयोग करने की सक्षम रहते है। यह लोग कहावनयाँ वलखने में
अच्छे होते है।
उदा.- कवि,लेखक,पत्रकार,वशक्षक
2) स्थावनक बुवद्ध spatial intelligence – अमतू थ
तथ्यों(abstract facts) के आिार पर मानवसक छवि
बनाना
उदा- मवू तथकार,वचत्रकार,architecture

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3) िावकल क गवर्ि सबं ि
ं ी योग्यिा (Logical - Mathematical)- जो लोग Logical -
Mathematical बवु द्ध में मजबतू होते हैं, िे तकथ
करने, पैटनथ को पहचानने और तावकथ क रूप से
समस्याओ ं का विश्ले षर् करने में अच्छे होते हैं।
उदा.- accountant,Banker,scientist

4) शारीररक वियात्मक योग्यिा ( Bodily -


Kinesthetic)-
Kinesthetic बवु द्ध िाले लोगों को शरीर की गवत,
वक्रया करने और शारीररक वनयत्रं र् में अच्छा कहा
जाता है।
उदा.- नतथक,एथलीट

5) संगीिात्मक योग्यिा ( Musical -


Rhythmic)- वजन लोगों के पास मजबतू Musical
- Rhythmic बवु द्ध होती है, िे पैटनथ, लय और
ध्िवनयों को सोचने में अच्छे होते हैं।

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6) अंिविलषयक या पारस्पररक योग्यिा
(Interpersonal)- वजन लोगों के पास
मजबतू Interpersonal बवु द्ध होती है, िे दसू रे लोगों
के साथ समझने और बातचीत करने में अच्छे होते हैं।
उदा- नेता,सामावजक कायथकत्ताथ

7) अंिराविषयक या अंिरािैयविक
योग्यिा (Intrapersonal)- जो व्यवक्त इरं ापसथनल
इटं ेवलजेंस में मजबतू होते हैं, िे अपनी र्ािनात्मक
वस्थवत, र्ािनाओ ं और प्रेरर्ाओ ं से अिगत होने में
अच्छे होते हैं।
उदा – आध्यावत्मक गरुु

8) प्राकृविक योग्यिा ( Naturalistic)-


प्रकृ वत के करीब होते हैं |जानिरों पौिों,से लगाि होता है |
9)अवस्ित्ििादी बुवद्ध (existential intelligence) -
हर चीज के अवस्तत्ि के बारे में सोंचते हैं
उदा – सािू , दाशथवनक
2.बुवद्ध का वत्रिंत्र वसद्धांि
प्रस्तावित - 'रॉबटथ स्टनथबगथ(अमेररकी मनोिैज्ञावनक)
िह अपने शोि और कायथ के वलए जाने जाते हैं जो हमेशा मानिीय बवु द्धमत्ता और रचनात्मकता पर आिाररत होते हैं।
वत्रतंत्र वसद्धातं में तीन उप-वसद्धातं शावमल हैं, वजनमें से प्रत्येक एक विवशष्ट प्रकार की बवु द्ध से संबंवित है:
1.अनुभिात्मक उप वसद्धांि(रचनात्मक बवु द्ध) Experiential Subtheory (Creative Intelligence) -
व्यवक्त अपने अनर्ु िों से नयी खोज करता है | create करता है |
जो रचनात्मक बवु द्ध, या उपन्यास वस्थवतयों या मद्दु ों से वनपटने की क्षमता से मेल खाता है।
2.घटकीय उप वसद्धांि(विश्ले ष्र्ात्मक बवु द्ध) Component Subtheory (Analytical Intelligence)-
कल्पना शवक्त से बहुत कुछ सोंच लेते हैं |ये अमतू थ बवु द्ध िाले व्यवक्त होते हैं | ऐसे लोग हर चीज के पीछे कारर् जानना
कहते हैं |
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3.सदं भालत्मक उप वसद्धांि(व्यिहाररक बवु द्ध)- Contextual sub-theory (behavioral intelligence)-
व्यवक्त इसमें सचू नाओ ं को इस ढंग से उपयोग करने में सफल हो जाता है वजससे उसे अविक से अविक लार् हो |
यह पयाथिरर् के साथ समायोजन रखते हैं |

(3) एवकक वसद्धािं (Unitary or Monarchic Theory ) –एक खडं /एकि ित्ि
प्रवतपादन - अल्फ्रेड वबने
बवु द्ध एक शवक्त या ऊजाथ होती है जो व्यवक्त की सर्ी गवतविवियों को प्रर्ावित करती है। ( TET2012)
(4) वद्वित्ि वसद्धांि (Two-Factor or Eclectic Theory )–
चाल्सथ स्पीयरमैन ने बवु द्ध के दो कारकों को बताया
1. सामान्य मानवसक योग्यता(G कारक )-जन्मजात - सर्ी व्यवक्तयों में कायथ करने की क्षमता एक सामान

2. विवशष्ट योग्यता-(S कारक )- कला ,संख्यात्मक योग्यता

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5)वत्रित्ि वसद्धांि (Three-factor theory)- स्पीयरमैन
➢ स्पीयरमैन ने अपने दो तत्िों या कारकों में एक और
कारक या तत्ि को जोड वदया वजसे उसने समहू तत्ि
group elements कहा।
➢ ऐसी योग्यताएं शावमल हैं जो सामान्य और विवशष्ट
योग्यताओ ं के बीच में स्थान रखती हैं |
➢ अथाथत समहू कारक सामान्य कारक और विवशष्ट
कारकों के वमश्रर् से अपना समहू बनाता है |

6)प्रविमान वसद्धांि (Sampling or Oligarchic theory)- टामसन


➢ 'वकन्हीं विवशष्ट समहू ों से संबंवित बौवद्धक योग्यतायें जो एक दसू रे से संबंवित नहीं होती लेवकन उस समान समहू से संबंवित
योग्यताओ ं के बीच वनकट सबं िं होता है। 'Intellectual abilities belonging to specific groups which
are not related to each other but there is a close relationship between the abilities
belonging to the same group.
➢ इसका अथथ यह है वक कोई व्यवक्त जो ज्ञान के एक समहू में बवु द्धमान है दसू रे समहू के ज्ञान में उतना ही बवु द्धमान नहीं र्ी हो
सकता है।
➢ लेवकन िह उस विशेष समहू के विवर्न्न विषयों में समान रूप से बवु द्धमान हो सकता है
7)बहित्ि वसद्धांि (Multiple or Anarchic theory)- थॉनलडाइक
➢ इस वसद्धातं के अनसु ार,'बवु द्ध अवनवित, स्ितत्रं तथा प्राथवमक तत्िों का माध्य है।" According to this theory,
'intelligence is the mean of indefinite, independent and primary elements.'
➢ बवु द्ध में अनेक तत्ि विद्यमान होते हैं। यह सर्ी तत्ि एक दसू रे से स्ितंत्र होते हैं;
➢ उदाहरर् के वलए : (1)संख्यात्मक तकथ numerical reasoning, (2) शब्द ज्ञान word knowledge तथा (3)
िगीकरर्। Classification.
➢ इस वसद्धातं का विश्वास है वक प्रत्येक कायथ को विवर्न्न प्रकार की योग्यता Ability की आिश्यकता होती है।
➢ कर्ी इसमें एक की तो कर्ी दो या तीन योग्यताओ ं की आिश्यकता होती है।

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8)समूह कारक वसद्धांि (Group Factor theory)- थरस्टोन - प्राथवमक मानवसक योग्यिाओ ं का वसद्धांि
बवु द्ध वनमन सात प्राथवमक योग्यताओ ं से वमलकर बनी है।
(1) शावब्दक अिबोि (Verbal Comprehension - V)
(2) संख्यात्मक योग्यता (Numerical Ability - N)
(3) प्रत्यक्षात्मक गवत (Perceptual Speed)
(4) स्थान प्रत्यक्षीकरर् (Space Visualization)
(5) तकथ करना (Reasoning - R )
(6) शब्द िारािावहता (Word Fluency - W)
(7) स्मृवत (Memory - M)

9)प्रिानिा सूचक वसद्धांि (Hierarchical theory)- बटल िथा िनोन

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10)वत्र-अंशीय वसद्धांि (Three Dimensional theory)- जे पी वगल्फोडल
अन्य नाम – 3D वसद्धातं ,COP वसद्धातं (1967- अमेररका )

वत्रआयामी वसद्धांि– इस वसद्धांत के अनसु ार व्यवक्त की मानवसक योग्यता को तीन आयामों में िगीकृ त वकया गया
है

1. विषय िस्त(ु content)- सामग्री Material

2. संवक्रया(operations)- मानवसक प्रवक्रया mental process

3. उत्पाद(product)-समािान के बाद प्राप्त सचू नाएं

विषयिस्िु – 4

1.आकृ वतक – मतू थ 1.Formal

2.साक
ं े वतक – अक्षर,अक
ं , वचन्ह 2. Symbolic – letters, numbers, symbols

3.शावब्दक – शब्द,िाक्य,विचार 3. Literal – words, sentences, thoughts

4.व्यिहाररक 4. practical

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सवं िया – 5

1. संज्ञान 1. Cognition

2.स्मृवत 2.Memory

3.अपसारी वचतंन 3.divergent thinking

4.अवभसारी वचंिन (Teacher 2023) 4. Convergent Thinking (Teacher 2023)

5.मल्ू याक
ं न 5.Evaluation

उत्पाद - 6 प्रकार

1. इकाई - साथथक और छोटी सचू नाएं 1. Unit – Meaningful and short notices

2. िगथ -विचारों और शब्दों का गर्ु ों के आिार पे 2. Classification - thoughts and words on


िगीकरर् the basis of properties
3. Relationship - size or quality
3. संबंि -आकार अथिा गर्ु
4. Transformation – change in form
4. रूपांतरर् -रूप में परीितथन
5. Method-
5. पद्धवत- 6. Intent- Conclusion
6. आशय- वनष्कषथ

11)िाराप्रिाह िथा स्पष्ट वसद्धांि (Fluid and Crystallized theory)- कै टि


बुवद्ध को दो प्रकार में बांटा
1. िाराप्रिाह बुवद्ध – सामान्य योग्यता Fluent Intelligence – General Ability
2.स्पष्ट बुवद्ध – िातािरर् clear mind- environment

12)बुवद्ध क िथा बुवद्ध ख वसद्धांि (Inte A and Inte B theory)- हैब


बवु द्ध क – बनाने,िारर् करने तथा व्यिस्था को दबु ारा वमलाने का काम
बवु द्ध ख- िह योग्यताएं जो वशशु काल तथा बचपन काल में बनी हैं
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13.)ब्िूम का बवु द्ध वसद्धांि
यह वकसी कायथ को करने के वलए समय पर बाल देता है

बवु द्ध परीक्षर्(Intelligence Test)

कौन व्यवक्त वकतना बवु द्धमान है, यह जानने के वलए मनोिैज्ञावनकों ने काफी प्रयत्न वकए। बवु द्ध को मापने के वलए
मनोिैज्ञावनकों ने मानवसक आयु (MA) और शारीररक आयु (C.A.) कारक प्रस्ततु वकये हैं और इनके आिार पर
व्यवक्त की िास्तविक बवु द्ध-लवब्ि ज्ञात की जाती है।
आजकल बवु द्ध को बवु द्ध लवब्ि के रूप में मापते हैं जो एक संख्यात्मक मान है |
िैज्ञावनक आिार पर प्रथम बवु द्ध पररक्षर् को विकवसत करने का श्री एल्रे ड वबने (1904) को जाता है |
एक व्यवक्त के बौवद्धक -लवब्ि (IQ) मापन का सत्रू वनमनवलवखत है : - विवलयम स्टनथबगथ
IQ = (MA)/(CA) x 100
IQ = INTELIGENT QUOTIENT बवु द्ध लवब्ि
MA = MENTAL AGE मानवसक आयु
CA – CHRONOLOGICAL AGE कालानक्र
ु मी आयु है

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NOTE-
वशक्षर् योग्य बच्चे – 70- 90 (TET 2016)

बुवद्ध को प्रभाविि करने िािे कारक factors affecting intelligence


1. िंशानक्र
ु म 1. inheritance
2. िातािरर्
2. environment
3. िंशानक्र
ु म और िातािरर् की अन्तः वक्रया
4. सामावजक एिं सांस्कृ वतक दशाएं 3. Interaction of heredity and environment
4. Social and cultural conditions

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बवु द्ध पररक्षर् का महत्त्ि /बवु द्ध परीक्षर्ों का प्रयोग(Use of Intelligence Tests)
(1) विवर्न्न कोसों के वलए छात्रों का चयन करना ।
(2) मानवसक योग्यता के आिार पर छात्रों का िगीकरर् करना ।
(3) मानवसक रूप से उच्च, वपछडे तथा कमजोर मवस्तष्क िाले बालकों को खोजना ।
(4) विवर्न्न रोजगारों तथा रोजगार मागथदशथन आवद के वलए छात्रों की योग्यता को ज्ञात करना ।
(5) वकसी व्यािसावयक चयन के वलए।
(6) वनदानात्मक अध्यापन के वलए। For diagnostic teaching.
(7) छूट तथा छात्रिृवत्त आवद के वलए ।
(8) वनदानात्मक पररवस्थवतयों के वलए। For diagnostic situations.
(9) अनसु ंिान तथा वशक्षा के वलए। For research and education.
(10) समस्याग्रस्त बच्चों के समायोजन के वलए। For adjustment of problem children.
(11) व्यवक्तगत विवर्न्नताओ ं को ज्ञात करने के वलए। To know individual differences.
(12) वकसी बच्चे का र्विष्य शैवक्षक अजथन की र्विष्यिार्ी करने के वलए। To predict a child's future
educational attainment.
(13) एक समान समहू न के वलए। For uniform grouping.
(14) शैवक्षक तथा व्यािसावयक मागथदशथन के वलए। For educational and professional guidance.
(15) छात्रों के व्यवक्तत्ि को समझने के वलए, आवद । To understand the personality of the students, etc.

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बाि अपराि – child crime
बाल अपराि : र्ारत में 18 िषथ तक की आयु तक के तथा अमरीका में 16 िषथ तक की आयु के ऐसे बालक जा
समाज-विरोिी अपरािों या कुकृ त्यों में वलप्त पाये जायें, बाल-अपरािी कहलाते हैं।
ऐसे बालक चोरी, जेबकतरी, आिारागदी, बरु े व्यवक्तयों के साथ घमू ना-वफरना, र्ीख माँगना, यौन अनाचार, शराब
लाना और ले जाना, लटू मार, गडंु ागदी, स्कूल से र्ाग जाना, अनश
ु ासन र्ंग करना आवद कामों में रत पाये जाते हैं।
Such children are found involved in theft, pickpocketing, loitering, hanging out with bad
people, begging, sexual misconduct, buying and selling liquor, robbery, hooliganism, running
away from school, breaking discipline, etc.
डॉ0 सेथना के अनुसार, "बाल-अपराि में एक विशेष स्थान पर उस समय लागू काननू द्वारा वनिाथररत एक वनवित
आयु के बालकों या यिु कों द्वारा वकये गये, अनवु चत कायथ सवममवलत होते हैं।" Juvenile delinquency includes
inappropriate acts committed by children or youth of a certain age as determined by the law
in force at that time in a particular place.
न्यमू ेयर के अनुसार, "बाल अपरािी एक वनवित आयु से कम का िह व्यवक्त है, वजसने समाज-विरोिी कायथ वकया है
तथा वजसका दव्ु यथिहार काननू को तोडने िाला है ।""A juvenile delinquent is a person under a certain
age who has committed anti-social acts and whose misconduct constitutes a breach of the
law."
मािरर के अनुसार, "बाल अपरािी िह व्यवक्त है, जो जान-बझू कर इरादे के साथ एिं समझते हुए समाज की रूवढ़यों
की उपेक्षाकरता है, वजससे उसका समबन्ि है।" According to Mowrer, "A juvenile delinquent is a
person who, with deliberate intention and understanding, disregards the norms of the society
to which he belongs."
1) र्ारत में 7 िषथ से कम आयु के बच्चों द्वारा वकये गये अपराि को वकसी र्ी श्रेर्ी में नहीं रखा जाता है, क्योंवक इस
अिस्था में बच्चे में अपराि करने का कोई इरादा नही होता है।
(2) 7 िषथ से 15 िषथ की आयु के अपरावियों को बाल अपरािी तथा 16 से 23 िषथ की आयु के अपरावियों को
वकशोर अपरािी कहा जाता है।
(3) बाल अपराि का तात्पयथ सािारर् अपराि से है।
(4) र्ारत में वर्न्न वर्न्न राज्यों में इसकी आयु सीमा अलग-अलग है।

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बाि अपराि की विशेषिायें
1. बाल अपरािी खाली समय की देन है।
2. बाल अपरािी का मवस्तष्क अपररपक्ि होता है।
3. बाल अपरािी में अपराि का इरादा नहीं होता है।
4. बाल अपरािी घनी जनसंख्या िाले क्षेत्र में अविक होते हैं।
5.प्रत्येक देश में बाल अपरावियों की एक वनवित आयु होती है।
6.अपराि सामान्यतः अनजाने में या खेल-खेल में होता है
बाि अपराि के कारर्
1.पररिार समबन्िी कारक family factors
➢ र्ग्न पररिार Fractured family
➢ अिथ नष्ट Semi destroyed
➢ अनैवतक
Immoral
➢ माता वपता की उपेक्षा
Neglect of parents
➢ अपरािी र्ाई बहनों का प्रर्ाि
➢ दोषपर्ू थ आिास Influence of criminal siblings
Defective housing

2.सांस्कृविक कारक cultural factors


➢ सांस्कृ वतक विषमताएं Cultural differences
➢ नैवतक पतन moral degradation
➢ जाती विर्ेद
Caste discrimination

3.आवथलक कारक economic factors


➢ वनिथनता Poverty
➢ माताओ ं तथा बच्चों की नौकरी Jobs for mothers and children
➢ आवथथक तनाि
Economic stress
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4.सामुदायीक कारक community factors
➢ मनोरंजन Entertainment
➢ विद्यालय school
➢ यद्ध
ु war

बाि अपरावियों के सि
ु ार कायल/उपचार
➢ बाल न्यायालयों की स्थापना – 1960 Establishment of Children's Courts –
➢ सिु ार गृह - 1960
➢ बोस्टथल संस्थाएं Correctional Home -
➢ प्रमावर्त स्कुल Borstal institutions
➢ उत्तर संरक्षर् संस्थाएं
Certified school
➢ ररमांड गृह
Answer Conservation Institutions
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