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समावेशी शिक्षा.pdf 11 april
समावेशी शिक्षा.pdf 11 april
children
1.हेिेन एडमस के िर
एक अमेररकी लेखक, राजनीवतक कायथकताथ और
आचायथ थीं।
िह कला स्नातक की उपावि अवजथत करने िाली पहली
बविर और दृवष्टहीन थी।
अमेररका के टस्कंवबया, अलबामा में पैदा हुई।ं
वशक्षक - "एवन सवु लव्हान"
वकताबे - द स्टोरी ऑफ माई लाइफ (1903), ऑवप्टवमज्म (1903), द िल्डथ आई वलि इन (1908), लाइट इन माई
डाकथ नेस एंड माई ररवलजन (1927), हेलेन के लर जनथल (1938) शावमल हैं। , और द ओपन डोर (1957)
2.श्रिर्-सबं ि ं ी दोष से ग्रवसि िािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of
Children with Hearing Impairment)
पररभाषाए (Definitions)
श्रिर् क्षवतग्रस्तता को विवर्न्न संगठनों द्वारा समय-समय पर वनमनवलवखत
प्रकार से पररर्ावषत वकया गया है।
1. राष्रीय प्रविदशल सिेक्षर् सगं ठन National Sample Survey Organization (1991) के अनुसार-
"श्रिर् बावित उसे कहा जाता है, जो सामान्य रूप से सामान्य ध्िवन को सनु ने में असमथथ हो। "
2. भारिीय पुनिालस पररषद् के अनुसार According to Rehabilitation Council of India "जब बविरता
70 डेवसबल हो, तो व्यािसावयक और जब 55 डेवसबल तक हो, तो उसे वशक्षा के वलये उपयोग लेना चावहए।'
3. योजना आयोग एिं विकिांग जन अविवनयम Planning Commission and Disabled People Act
(1995) के अनुसार "िह व्यवक्त श्रिर् बावित कहा जायेगा, जो 60 डेवसबल या उससे अविक डेवसमल पर सनु ने की
क्षमता रखता हो। "
4. समाज कल्यार् के अनुसार "जब वकसी मनष्ु य के एक कान में 60 डेवसबल श्रिर् क्षवतग्रस्तता हो और दसू रा
कान अच्छा हो, तो िह उच्च वशक्षा के वलए उपयोगी हो सकता है। "
उपयथक्त
ु पररर्ाषाओ ं से यह असमथथ होता है वक जब व्यवक्त सनु ने में असमथथ हो तथा दसू रों की सहायता लेता है, उससे
यह ज्ञात होता है वक व्यवक्त को श्रिर् दोष है।
श्रिर् दोष एक अदृश्य तथा छुपी हुई विकलांगता है, जो देखने से नहीं वदखाई देती है। कोई व्यवक्त हाथ या श्रिर्-
संबंिी दोष दो प्रकार के होते हैं-
1.पूर्ल बहरापन (complete deafness)- प्रििथक (speech amplifier) प्रयोग के बाद र्ी कुछ नहीं सनु ते तथा
दसू रों की र्ाषा नहीं समझ पाते
2.आवं शक बहरापन (partial deafness)- छात्र प्रििथक का प्रयोग करके दसू रों की बोली को समझ लेते हैं या
यवद इनसे उच्च स्िर में बोला जाए तो िे उसे सनु कर समझ लेते हैं।
आिवु नक विशेषज्ञों ने श्रिर् बावितों को वनमनवलवखत चार िगों में विर्ावजत है,
जो वक वनमनवलवखत हैं
(1) के न्रीय श्रिर् दोष (Central Auditory Defects)-
इस प्रकार के बालक ध्िवन के बारे में जानते तो हैं, परंतु इसका अथथ नहीं समझ पाते तथा इसकी समप्रेक्षर् परे शानी
communication problem र्ी काफी गंर्ीर होती है।
यह दोष दिाओ ं के सेिन से आ सकते हैं, इसवलए इनके सिु ार से ज्यादा समय लगता है।
श्रिर् बाविि बािकों की पहचान हेिु परीक्षर् (Test for Identification of Hearing Impaired
Chil- dren)
श्रिर् बावितों को वनमनवलवखत आिार पर पहचाना जाता है-
1. वचवकत्सीय परीक्षर् (Medical Examination)
2 विकासात्मक मापनी (Development Scale)
3. बालक का अध्ययन (Case study of the child)
4. मनो- नाडी परीक्षर् (Neuro-phychological Test)
5. बालकीय व्यिहार का वनरीक्षर् (Systematic Observation of the Child Behaviour)
(i) बच्चा यवद वसर एक तरफ मोडकर सनु े तो िह बावितों की श्रेर्ी में आते हैं।
(ii) िह अनदु शे न अनसु रर् नहीं कर पाते हैं।
(iii) इन बालकों की दृवष्ट अक्सर बोलने िाले बालकों के अथिा वशक्षकों के महंु की तरह होती है।
(iv) यह िार्ी बावित र्ी हो सकते हैं।
समप्रेषर् िकनीकें
1.वचन्ह र्ाषा sign language 4.प्रििथक प्रयोग (amplifier experiment)
5.विशेष वशक्षक की मदद special teacher's help
6.संकेत र्ाषा sign language
(i) पर्ू थ रूप से बहरे बालकों को वशक्षा देने में वक्रयात्मक कायथ (Motor Work ) को अविक महत्ि देना चावहए।
(ii) वशक्षकों को चावहए वक ऐसे बालकों को वशक्षा देने में शब्दों का प्रयोग कम-से- कम करें तथा प्रदशथन
(Demonstration) का उपयोग अविक-से-अविक करें ।
(iii) ऐसे बालकों के वलए अलग से आिासीय विद्यालय की स्थापना की जानी चावहए।
आवं शक रूप से बहरे बािकों की वशक्षा एिं समायोजन Education and adjustment of partially
deaf children
(i) ऐसे बालकों को कक्षा में श्रिर् सािन hearing aid का प्रयोग करने के वलए कहना चावहए।
(ii) आंवशक रूप से बहरे बालकों को स्कूल में दावखला कराने से पहले कुछ विवशष्ट सेिा (वजनमें ध्िवन प्रििथन
(Amplification) एिं माता-वपता का प्रवशक्षर् इत्यावद सवममवलत हैं) प्रदान करना जरूरी है।
(iii) कुछ वशक्षाशावस्त्रयों ने ऐसे बालकों की वशक्षा के वलए संपर्ू थ संचार उपागम के प्राििान पर बल डाला है; जैसे—
वचह्न र्ाषा (Sign Language), सांकेवतक र्ाषा (Code Speech), आंगवु लक वहज्जे (Finger Spelling) इत्यावद
ऐसे बच्चों को वशक्षा ग्रहर् करने में सामावजक प्रोत्साहन देना चावहए ।
2. एथेटोवसस athetosis: बच्चा जब अपनी इच्छा से कोई अंग संचालन करना चाहता है तो उसका शरीर
अवनयंवत्रत गवत करने लगता है, वजससे मांशपेवशया तनाि लगातार बदलता रहता है। एथेटोवसस से ग्रवसत बच्चे नन्हें
बच्चों की तरह लचीले वदखते हैं।
4. वमवश्रि miscellaneous - स्पास्टीवमटी और एटोवसस दोनों में वदखने िाले लक्षर् जब वकसी बच्चों में दोनों
लक्षर् एक साथ वदखते हैं तो वमवश्रत प्रकार का प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात कहलाता है।
प्रमस्िश्कीय पक्षाघाि िािे बच्चों की वशक्षा Education of children with cerebral palsy
इसवलए जो बच्चा प्रमस्तष्कीय पक्षाघात से ग्रस्त है और स्कूल नहीं जा सकता घर पर रहकर बहुत सी बाते सीख
सकता है।
घर पर
1. वनत्य वकया और वशक्षा
2. कपडों के नाम ि कपडों की पहचान
3. रंगो का नाम ि पहचान
4. बतथनों का उपयोग ि पहचान
5. विवर्न्न प्रकार के र्ोजन की पहचान
6. पैसे और रूपये की पहचान
7. सामावजक व्यिहार का ज्ञान
सज
ृ नात्मक बािक (Creative Child )
जेमस रेिर का कथन - सृजनात्मकता मख्ु यतः निीन रचना ि उत्पादन में होती है। Creativity mainly lies in
new creation and production.
िो और िो के अनुसार - सृजनात्मकता मौवलक पररर्ामों को अवर्व्यक्त करने की मानवसक प्रवक्रया है।
Creativity is the mental process of expressing original results.
बैरेन (Barron) - "सृजनात्मक बालक पहले से विद्यमान िस्तओ ु ं तथा तत्त्िों को संयक्त
ु कर निीन वनमाथर्
करता है।” “The creative child creates something new by combining
already existing objects and elements.”
इसरे िी, एन. - सृजनात्मक बालक वकसी निीन बस्तु का वनमाथर् ि उसमें पररितथन करने की क्षमता रखता
है। A creative child has the ability to create and modify something new.
समस्या के प्रवत सजगता, लचीलापन, मौवलकता, गवतशील िैचाररकता, वजज्ञासा, निीनता हेतु पररितथन की आकाक्ष
ं ा
के माध्यम से रचनात्मकता Creativity through problem awareness, flexibility, originality, dynamic
thinking, curiosity, aspiration for change for innovation.
अवर्सारी वचन्तन में व्यवि वदये गए िथ्यों के आिार पर सही वनष्कषल पर पहंचने A person can reach the
correct conclusion based on the given facts. की कोवशश करता है।
यह एक रूवढ़िादी conservative तरीका है वजसमें व्यवक्त समस्या संबंिी दी गयी सचू नाओ ं के आिार पर समस्या का
समािान करता है, पर इससे िह अपनी तरफ से कुछ र्ी नही जोडता है।
अपसरर् वचन्तन में व्यवक्त वभन्न- वभन्न वदशाओ ं में वचन्िन Thinking in different directions कर समस्या
का समािान करता है
इसमें िह समस्या के कई सभ ं ाविि उत्तरों Several possible answers to the problem पर सोचता है ि साथ
ही अपनी और से कुछ नया एिं मल ू जोड समस्या का समािान करता है।
मनोिैज्ञावनक ने अपसरर् वचन्तन को ही सृजनात्मक वचन्तन माना है।
अथाथत सृजनात्मक वचन्तन िह है जो निीन साथथक ि मौवलक हो। That is, creative thinking is that which is
new, meaningful and original.
सज
ृ नात्मक बािकों की विशेषिाएँ Characteristics of creative children
सज
ृ नात्मक के ित्ि elements of creativity
(अ) िैचाररक प्रिाह ideological flow - िैचाररक प्रिाह से तात्पयथ अविक से अविक विचारों को उत्पन्न करना
है। जैसे कक्षा में अध्यापक वकसी समस्या के अविक से अविक संर्ावित समािानों को विद्यावथथयों को बताने को
कहता है या वकसी िस्तु के अविक से अविक असािारर् उपयोग।
(ब) अवभव्यवि प्रिाह expression flow - से तात्पयथ आन्तररक क्षमताओ ं internal capabilities के बाह्य
अवर्व्यवक्त external expression से है जैसे बच्चे
को अिरु ा वचत्र पर्ू थ करने का अिसर देना, अिरू े िाक्य पर्ू थ करना, शब्दों से िाक्य वनमाथर् को
प्रेररत करना।
(स) साहचयल प्रिाह associative flow - शब्दों ि िस्तओ ु ं में परस्पर साहचयथ स्थावपत करना।
(द) शब्द प्रिाह word flow - से आशय मौवखक एिं वलवखत रूप से विचारों की शब्दों के द्वारा अवर्व्यवक्त
में िारा प्रिाह, साथथक ि सही शब्दों का चयन एिं उपयोग करने की क्षमता से है।
3.मौविकिा (Originality)- मौवलकता से तात्पयथ अनोखेपन से है। अथाथत् विचारों की पर्ू थत निीन अवर्व्यवक्त
या समस्या का अन्य व्यवक्तयों से वर्न्न समािान। जब व्यवक्त वकसी समस्या का एक वबलकुल नया, अनठू ा ि उपयक्त
ु
समािान करता है, नए गीत, कहानी, कविता वलखता है ये सब मौवलकता की श्रेर्ी में आते है।
4.विस्िारर् (Elobration) - नये विचारों, र्ािों की विस्तृत, व्यापक ि ग्रहन प्रस्ततु ीकरर् करने की क्षमता
विस्तारर् में आती है जैसे संवक्षप्त घटना, पररवस्थवत को विस्तृत करके ! प्रस्ततु करने की क्षमता, वकसी अपर्ू थ वचत्र
को पर्ू थ करने की क्षमता, विस्तारर् क्षमता को प्रदवशथत करती है।
1.सृजनात्मक वचन्तन में औसत ि औसत से उच्च बवु द्धलवब्ि पायी जाती है।
2.सृजनात्मक विचारक में अवर्व्यवक्त की क्षमता होती है।
3.निीनता ि जवटलता में अवर्रूवच अविक होती है।
3.अपने विचारों की अवर्व्यवक्त जोर दार तरीके से ि खल ु कर करते है अन्य लोगों की प्रत्यत्तु र या अनमु ोदन की
परिाह नहीं करते।
4.अपनी इच्छाओ ं का दमन नहीं करते हैं। दमन द्वारा इच्छाओ ं को वनयंवत्रत नहीं कर पाते है। विचार वनरन्तर गवतशील
होते है।
5.प्रत्येक कायथ तत्र्परता से करने की क्षमता होती है।
6.सझु ाि 'को स्िीकार करने में संकोच नहीं करते है।
7.मनोविनोद वप्रय ि हास्य र्ाि की प्रिानता होती है।
8.मौवलकता का गर्ु पाया जाता है।
9.जोवखम उठाने की क्षमता होती है।
10.तावकथ क क्षमता अविक होती है।
सज
ृ नात्मक का मापन measurement of creativity
सृजनात्मक के मापन हेतु अनेक मानकीकृ त मनोिैज्ञावनक पररक्षर् उपलब्ि है ये सर्ी परीक्षर् सामान्यतः शावब्दक,
अशावब्दक ि वक्रयात्मक प्रकार Generally verbal, non-verbal and functional types के होते है तथा
सृजनात्मक के विवर्न्न तत्िों जैसे िारा प्रिावहत, विस्तारर्, लोचनशीलता, मौवलकता, अवर्व्यवक्त fluency,
expansion, flexibility, originality, expression आवद का मापन करते हुए सृजनात्मकता का
मापन करते है।
अविकांश पररक्षर्ों ने वनमन परीक्षर् सवममवलत होते है -
1 आसािारर् उपयोग पररक्षर् ordinary use test
BY- SHUBHAM SHUKLA (WP- 9039345671) 52
2 पररर्ाम पररक्षर् results test
3 आकृ वत परीक्षर् shape test
3.आकृवि पररक्षर् shape test - इससे कोई ज्यावमवतय आकृ वत देकर इससे वजतने अविक िस्तओ
ु ं का वचत्र बना
सकता है बनाने को कहा जाता है।
टॉरे न्स का सज ृ नात्मक वचंिन का वमनोसाटा परीक्षर् – Torrance's Minnesota Test of Creative
Thinking
टॉरे न्स ने 1966 में इस परीक्षर् का वनमाथर् वकया,
सृजनात्मकता के मापन का यह बहुत लोकवप्रय परीक्षर् है यह एक कसौटी संदवर्थत परीक्षर् This is a criterion
referenced test है।
यह प्रिावहत, लचीलापन, मौवलकता का दो उप-पररक्षर् शावब्दक परीक्षर् ि आकृ वतक पररक्षर् के माध्यम से
सृजनात्मक वचंतन ि मापन करता है। It measures creative thinking and fluency, flexibility and
originality through two sub-tests, verbal test and figurative test.
गेटजेि ि जेर्कसन सज
ृ नात्मक परीक्षर् - Getzel and Jackson creativity test -
बाकर मेंहदी ने 1973 में सृजनात्मक वचंतन का मापन करने हेतु र्ारतीय पररवस्थवतयों के
अनक ु ु ल का वनमाथर् वकया।
ये दोनों परीक्षर् वहन्दी ि अग्रं ेजी दोनों र्ाषाओ ं में उपलब्ि है तथा सृजनात्मकता के तीन पहलओ
ु ं
प्रिावहता, लचीलापन तथा मौवलकता Fluency, Flexibility and Originality का मापन करते है
शावब्दक परीक्षर् में सवममवलत परीक्षर् वनमन है -
1.क्या होगा परीक्षर्
2.िस्तओ ु ं के नये उपयोग
3.नए संबंिों के परीक्षर् तथा
BY- SHUBHAM SHUKLA (WP- 9039345671) 54
4.रूवच की चीजों का सृजन सवममवलत है तथा
अशावब्दक परीक्षर् में
(1) वचत्र वनमाथर्
(2) वचत्र पवू तथ
(3) ज्यावमतीय आकृ वतयां परीक्षर् geometric shapes test सवममवलत है।
सज
ृ नात्मकिा का पिा िगाने हेिु अन्य परीक्षर्
सृजनात्मकता के क्षेत्र में बहुत से परीक्षर् विकवसत हुए हैं। ये प्रचवलत मख्ु य परीक्षर् इस प्रकार हैं-
1. पासी का सृजनात्मक परीक्षर्
2.बाकर मेंहदी - सृजनात्मक वचन्तन का शावब्दक परीक्षर्
3.बाकर मेंहदी - सृजनात्मक वचन्तन का अशावब्दक परीक्षर्
4.के . एन. शमाथ - अपसारी उत्पादन योग्यता परीक्षर्
5.िी.पी. शमाथ ि जे.पी. शक्ु ला - िैज्ञावनक सृजनात्मक का शावब्दक परीक्षर्
6.एस.पी. मल्होत्रा ि सचु ते ा कुमारी - र्ाषा सृजनात्मकता परीक्षर्
सज
ृ नात्मक बािकों की वशक्षा creative children's education
टारे न्स ने अपने अध्ययन के आिार पर वशक्षकों के वलए कुछ महत्त्िपर्ू थ सझु ाि बताये-
1.बालकों द्वारा पछू े प्रश्नों का उत्तर आदरर्ाि से दें।
2.उनके कल्पनात्मक ि असािारर् विचारों को समझने का प्रयास करें ।
3.छात्रों की स्िवक्रया पर बल दें ि उन्हें स्िवक्रया हेतु प्रोत्सावहत करें ।
4.बालकों के विचारों को महत्त्ि दें।
5.स्ितः प्रेररत अविगम ि उसके मल्ू यांकन पर बल दें।
6.उपयक्त ु िातािरर् के प्रवत विशेष ध्यान दें वजससे उनमें सृजनात्मकता विकवसत हो।
7.विद्यालय में समय-समय पर आमप्रेरर्ा परु स्कार ि प्रवतयोवगता आवद समपन्न की जाये।
8.अनेक माध्यमों द्वारा अपसरर् उत्पादन (Divergent Production) को प्रोत्सावहत वकया जाये।
9.सेमीनार, संगोष्ठी, िाद-वििाद सर्ायें प्रदशथनी, सरस्िती यात्राओ ं का आयोजन।
10. पाठ्येत्तर पस्ु तकों की व्यिस्था बल ु ेवटन बोडथ, विद्यालय पवत्रका, कक्षा पस्ु तकालयों की व्यिस्था की जाये।
बालक की सृजनात्मक योग्यता को विकवसत करना वशक्षकों, समाज ि देश का परम कतथव्य है। इसवलए इस प्रकार
के बालकों की वशक्षा दीक्षा का समवु चत प्रबंि करें ।
ऐसे बच्चे जो शारीररक,सामावजक और र्ािनात्मक कारर्ों से मानवसक रूप से बीमार हो जाते हैं |इनका
मानवसक वचवकत्सा उपरान्त सामािान हो जाता है |
• Motor disorders
• आनुिंवशक कारक - पररिार के वकसी करीबी सदस्य के मानवसक रोग से ग्रस्त होने से आपको मानवसक रोग होने
की संर्ािना बढ़ सकती है। हालाँवक, वसफथ इसवलए वक पररिार के एक सदस्य को मानवसक बीमारी है इसका
मतलब यह नहीं है वक दसू रों को र्ी होगा।
• नशीिी दिाओ ं और शराब का दुरुपयोग - अिैि नशीली दिाओ ं का उपयोग उन्मत्त प्रकरर् ( वद्वध्रिु ी विकार )
या मनोविकृ वत के प्रकरर् को वरगर कर सकता है। कोकीन , माररजआ ु ना और एम़िै टेवमन जैसी दिाएं व्यामोह का
कारर् बन सकती हैं।
• अन्य जैविक कारक - कुछ वचवकत्सीय वस्थवतयाँ या हामोनल पररितथन मानवसक स्िास्थ्य समस्याओ ं का कारर्
बन सकते हैं।
• प्रारंवभक जीिन का माहौि - बचपन के नकारात्मक अनर्ु ि कुछ मानवसक बीमाररयों के खतरे को बढ़ा सकते
हैं। बचपन के नकारात्मक अनर्ु िों के उदाहरर् दव्ु यथिहार या उपेक्षा हैं।
• आघाि और िनाि - ियस्कता में, ददथनाक जीिन की घटनाएं या चल रहा तनाि मानवसक बीमारी के खतरे को
बढ़ा सकता है। सामावजक अलगाि , घरे लू वहसं ा , ररश्ते टूटना , वित्तीय या काम की समस्याएं जैसे मद्दु े मानवसक
स्िास्थ्य पर प्रर्ाि डाल सकते हैं। यद्ध
ु क्षेत्र में रहने जैसे ददथनाक अनर्ु ि पोस्ट-रॉमैवटक स्रेस वडसऑडथर
(पीटीएसडी) के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
• व्यवित्ि कारक - पर् ू ल िािाद या कम आत्मसममान जैसे कुछ लक्षर् अिसाद या वचतं ा के जोवखम को बढ़ा
सकते हैं।
“िंचन बाल्य जीिन की उद्दीपक दशाओ ं की न्यनू ता है।"“Deprivation is the lack of stimulating
conditions of childhood life.” -गाडलन
➢ विद्यालय में आने िाले कुछ बालकों का व्यिहार समस्याएँ उत्पन्न कर देता है। इनका व्यिहार सामान्य नहीं होता
इसवलए इन्हें समस्यात्मक बालक कहा जाता है।
➢ िैिेन्टाइन ने कहा है-''समस्यात्मक बालक िे हैं वजनका व्यिहार और व्यवक्तत्ि वकसी बात में गंर्ीर रूप से
असािरर् होता है। "
➢ अतएि कहा जा सकता है वक िे सर्ी बालक वजनके व्यिहार तथा व्यवक्तत्ि इस सीमा तक आसामान्य होते हैं की
िे घर, विद्यालय तथा समाज में समस्याओ ं के जनक बन जाते हैं, समस्यात्मक बालक कहलाते हैं।
➢ ऐसी वस्थवत में बालक को उवचत मागथदशथन द्वारा ही सिु ारा जा सकता है, अन्यथा यही बालक र्विष्य में अपरािी
ि समाजर्द्ोही बन जाते हैं।
उन बच्चों को समस्यात्मक बािक कहा जािा है जो –
उपचार ि मागथदशथन प्रदान करने हेतु समस्यात्मक बालक की सही पहचान तथा उसके व्यिहार की असामान्यता प्रकृ वत
ि सीमा की जानकारी अत्यंत आिश्यक है।
3.अवर्र्ािकों, वशक्षकों तथा वमत्रों से िाताथलाप 3. Conversation with parents, teachers and
friends
4.कथात्मक अवर्लेख
4.Narrative record
5. संचयी अवर्लेख
5. Cumulative Records
6.मनोिैज्ञावनक परीक्षर्
6. Psychological testin
(A) न्यून मानवसक दक्षिा ि समस्यात्मक िक्षर्- Low mental efficiency and problematic
symptoms-
4.अनश
ु ासन का विरोि करना ।
5.बरु ा आचरर् करना।
7.संदहे करना।
8.िोखा देना।
4.िािािरर्: यवद घर, विद्यालय ि समाज का िातािरर् दवू षत होता है, तब र्ी बालक अिांवछत व्यिहार करते हैं।
5. मािा-वपिा ि वशक्षकों का व्यिहार : बालक के साथ वतरस्कारपर्ू थ व्यिहार या लाड-प्यार वदखाना र्ी समस्या
उत्पन्न कर देता है।
6. पररिार का िािािरर्- माता-वपता, र्ाई-बहन के आपसी कलह का र्ी प्रर्ाि पडता है। ऐसे घरों में जहाँ
विमाता हैं, माता-वपता में से एक का देहांत हो जाता है िहाँ समस्यात्मक बालक पाये जाते हैं। ये अनश
ु ासनहीन हो
जाते हैं।
7. नैविक वशक्षा का अभाि : नैवतक वशक्षा के अर्ाि में र्ी बालक दगु थर्ु ों से यक्त
ु हो जाता है।
8. सािेंवगक दोष - आिश्यकताओ ं की पवू तथ का अर्ाि बालक के अनेक सांिेवगक ि मनोिैज्ञावनक समस्यात्मक
व्यिहार को जन्म देता है।
1. पररिार में माता-वपता, उनके प्रवत प्रेम ि सहानर्ु वू तपर्ू थ व्यिहार करें ।
2. बालक की मल
ू प्रिृवत्तयों का दमन ना करें । कोई दोष अगर आ जाये तो उसकी मानवसक वचवकत्सा करायें।
3. बालकों को उवचत कायों हेतु प्रेररत, प्रोत्सावहत ि परु स्कार दें।
9. मनोरंजक वशक्षर् विवि प्रयोग करें , अन्यथा बालक कक्षा से बाहर घमू ते हैं या स्कूल से ही र्ाग जाते हैं।
11. पाठ्योत्तर कायथक्रमों, जैसे वपकवनक भ्रमर्, स्काऊवटंग खेलकूद, नाटक, संगीत प्रवतयोवगता आवद के द्वारा
समस्यात्मक व्यिहारों को रोका जा सकता है।
7) अंिराविषयक या अंिरािैयविक
योग्यिा (Intrapersonal)- जो व्यवक्त इरं ापसथनल
इटं ेवलजेंस में मजबतू होते हैं, िे अपनी र्ािनात्मक
वस्थवत, र्ािनाओ ं और प्रेरर्ाओ ं से अिगत होने में
अच्छे होते हैं।
उदा – आध्यावत्मक गरुु
(3) एवकक वसद्धािं (Unitary or Monarchic Theory ) –एक खडं /एकि ित्ि
प्रवतपादन - अल्फ्रेड वबने
बवु द्ध एक शवक्त या ऊजाथ होती है जो व्यवक्त की सर्ी गवतविवियों को प्रर्ावित करती है। ( TET2012)
(4) वद्वित्ि वसद्धांि (Two-Factor or Eclectic Theory )–
चाल्सथ स्पीयरमैन ने बवु द्ध के दो कारकों को बताया
1. सामान्य मानवसक योग्यता(G कारक )-जन्मजात - सर्ी व्यवक्तयों में कायथ करने की क्षमता एक सामान
वत्रआयामी वसद्धांि– इस वसद्धांत के अनसु ार व्यवक्त की मानवसक योग्यता को तीन आयामों में िगीकृ त वकया गया
है
विषयिस्िु – 4
2.साक
ं े वतक – अक्षर,अक
ं , वचन्ह 2. Symbolic – letters, numbers, symbols
4.व्यिहाररक 4. practical
1. संज्ञान 1. Cognition
2.स्मृवत 2.Memory
5.मल्ू याक
ं न 5.Evaluation
उत्पाद - 6 प्रकार
1. इकाई - साथथक और छोटी सचू नाएं 1. Unit – Meaningful and short notices
कौन व्यवक्त वकतना बवु द्धमान है, यह जानने के वलए मनोिैज्ञावनकों ने काफी प्रयत्न वकए। बवु द्ध को मापने के वलए
मनोिैज्ञावनकों ने मानवसक आयु (MA) और शारीररक आयु (C.A.) कारक प्रस्ततु वकये हैं और इनके आिार पर
व्यवक्त की िास्तविक बवु द्ध-लवब्ि ज्ञात की जाती है।
आजकल बवु द्ध को बवु द्ध लवब्ि के रूप में मापते हैं जो एक संख्यात्मक मान है |
िैज्ञावनक आिार पर प्रथम बवु द्ध पररक्षर् को विकवसत करने का श्री एल्रे ड वबने (1904) को जाता है |
एक व्यवक्त के बौवद्धक -लवब्ि (IQ) मापन का सत्रू वनमनवलवखत है : - विवलयम स्टनथबगथ
IQ = (MA)/(CA) x 100
IQ = INTELIGENT QUOTIENT बवु द्ध लवब्ि
MA = MENTAL AGE मानवसक आयु
CA – CHRONOLOGICAL AGE कालानक्र
ु मी आयु है
बाि अपरावियों के सि
ु ार कायल/उपचार
➢ बाल न्यायालयों की स्थापना – 1960 Establishment of Children's Courts –
➢ सिु ार गृह - 1960
➢ बोस्टथल संस्थाएं Correctional Home -
➢ प्रमावर्त स्कुल Borstal institutions
➢ उत्तर संरक्षर् संस्थाएं
Certified school
➢ ररमांड गृह
Answer Conservation Institutions
Remand Home