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➢ 1884 में, एक रोमन कै थोवलक वमशन ने तत्कालीन बॉमबे प्रेसीडेंसी के मझगांि में बविरों के विए पहिा स्कूि
शुरू वकया।
➢ 1893 में किकत्ता डेफ एडं डबं स्कूि की स्थापना की गई, और बाद में 1896 में दवक्षर्ी भारि के
पिायमकोट्टा में बविरों के विए एक स्कूि खोिा गया (विकलांगता वस्थवत र्ारत, 2003)।
➢ नेत्रहीनों के विए पहिा स्कूि 1887 में अमृिसर में खुिा।
➢ 1966 में कोठारी आयोग ने विकलांग बच्चों को वनयवमत स्कूलों में वशक्षा देने के महत्ि पर प्रकाश डाला था।
➢ र्ारत सरकार ने 1974 में विकिांग बच्चों के विए एकीकृि वशक्षा (IEDC) कायथक्रम शरूु वकया।
➢ यह समािेशन की वदशा में पहला औपचाररक कदम था।
वन:शर्कि व्यवि अविवनयम (1995)- वदव्यांग व्यवक्त अविवनयम, 1995 एक ऐसा कायथ है:उन लोगों को समान
अिसर प्रदान करता है जो वकसी र्ी वदव्यांगता के 40% से ग्रवसत हैं। जो सवु नवित करता है वक सर्ी वदव्यांग बच्चों
को 18 िषथ की आयु तक मफ्ु त वशक्षा प्राप्त हो।
3.बुवद्ध परीक्षर्(Intelligence Test) – (1) शावब्दक परीक्षर् तथा (2) अशावब्दक परीक्षर्।
1. ये बच्चे सामान्य बवु द्ध का प्रयोग अविक करते हैं। 1. These children use common sense more.
2. ये बच्चे रटने की बजाय समझने में विश्वास करते हैं। 2. These children believe in understanding
3. इनका शब्द र्ण्डार विस्तृत होता है। rather than memorizing.
4. ये बच्चे कवठन कायों को सगु मता पिू थक कर लेते 3. Their vocabulary is wide.
हैं। 4. These children can do difficult tasks
5. इनका वचन्तन मौवलक होता है। easily.
6. ये बच्चे स्पष्ट रूप से सोचने, अथों को पहचानने 5. Their thinking is original.
और संबंिों को पहचानने में दक्ष होते हैं। 6. These children are adept at thinking
7. इनकी ज्ञानेवन्र्द्यों का विकास तीव्र गवत से होता clearly, recognizing meanings, and
है। recognizing relationships.
8. ये अमतू थ वचन्तन एिं अमतू थ विषयों में अविक 7. Their sense organs develop at a rapid
रूवच लेते हैं। pace.
9. इनमें सृजनशीलता का गर्ु पाया जाता है। 8. They take more interest in abstract
10.इसके अवतररवक्त प्रवतर्ाशाली बच्चों में शीघ्र thinking and abstract subjects.
समस्या समािान, विद्यालयी कायथ एिं गृहकायथ को 9. The quality of creativity is found in
सगु मता से करना, अन्तदृथवष्ट, बौवद्धक नेतत्ृ ि, अविक them.
अंक पाने की प्रिृवत्त एिं वक्रयाकलापों में 10. Apart from this, talented children get
विवर्न्नताओ ं के गर्ु quick problem solving and ease in school
पाये जाते हैं। work and homework.
Qualities like ability, insight, intellectual
leadership, tendency to score more marks
and diversity in activities
Are found.
हैंविग हस्टथ - "A Survey of The Education of gifted children" में वलखा है वक,
"प्रवतर्ाशाली बच्चों के वलए वशक्षा का सफल कायथक्रम िही हो सकता है, वजसका उद्देश्य उनकी विवर्न्न योग्यताओ ं
का विकास करना हो।" A successful program of education for gifted children can only be one
which aims at the development of their various abilities."
2. अििारर् शवि का अभाि lack of retention power - िीमी गवत से सीखने िाले बच्चों में स्मरर् शवक्त
की कमी के कारर् िारर्शवक्त का अर्ाि होता है।
3. असुरक्षा का भाि sense of insecurity - िीमी गवत से सीखने िाले बच्चों में असरु क्षा का र्ाि अविक होता
है। वजससे उनमें आत्मविश्वास की र्ािना का अर्ाि रहता है।
5. समस्याग्रस्ििा problematicness - िीमी गवत से सीखने िाले बच्चे में सामावजक, सांस्कृ वतक तथा शैवक्षक
समस्याएं हो सकती हैं।
1. वनरीक्षर् प्रविवि inspection technique - विद्यालय में प्रिेश के उपरान्त वशक्षक सािारर् ढंग या
अनौपचाररक तरीके के उनके विवर्न्न वक्रयाकलापों का अिलोकन कर सकते हैं।
2. एकि अध्ययन विवि single study method - इस ऐवतहावसक शोि प्रविवि के अन्तगथत अध्यापक द्वारा
बच्चे के जन्म से ितथमान तक की विवर्न्न सचू नाओ ं का उसके वमत्रों, ररश्तेदारों, पररिार के सदस्यों के माध्यम से
एकवत्रत कर उनसे विद्यालयों के अवर्लेखों का वमलान कर वनदान वकया जा सकता है।
3. वचवकत्सा परीक्षर् medical examination - बच्चों से संबंवित सचू ना से उसकी शारीररक बाविता की
जानकारी नहीं हो पाती है। अतएि वचवकत्सकीय जाँच कराकर पता लगाया जा सकता है।
4. शैवक्षक परीक्षर् educational testing - इस परीक्षर् द्वारा र्ी िीमी गवत से सीखने िाले बच्चों की पहचान
की जा सकती है।
6. बवु द्ध परीक्षर् intelligence test - बवु द्ध परीक्षर् के द्वारा बच्चों की बवु द्ध के विवर्न्न क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त
कर उनके अनरू ु प शैवक्षक योजना बनाई जा सकती है।
वडस्ग्रावफया के लक्षर्- इसके वनमनवलवखत लक्षर् है: Symptoms of Dysgraphia- It has the following
symptoms
1. वलखते समय स्ियं से बात करना: 1.Talking to yourself while writing:
2. अशद्ध ु ितथनी एिं अवनयवमत रुप और आकार 2. Writing letters with incorrect spelling
िाले अक्षर को वलखना; and irregular shape and size;
3. पठनीय होने पर र्ी कॉपी करने में अत्यविक श्रम 3. Using excessive labor in copying even
का प्रयोग करना; when it is legible;
4. लेखन सामग्री पर कमजोर पकड 4. Weak grip on writing material
5. अपठनीय हस्तलेखन 5. Unreadable handwriting
6. लाइनों का ऊपर-नीचे वलखा जाना एिं शब्दों के 6. Writing lines up and down and leaving
बीच अवनयवमत स्थान छोडना irregular spaces between words.
7. अपर्ू थ अक्षर या शब्द वलखना। 7. Writing incomplete letters or words
चँवू क यह एक लेखन संबंिी विकार है, अतः, इसके उपचार के वलए यह आिश्यक है वक इस अविगम अक्षमता से
ग्रवसत व्यवक्त को लेखन का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास कराया जाय।
5.वडस्फेवसया/अफेज्या- भाषा एिं िाक् सबं ंिी विकृिी Dysphasia/Aphasia- Language and speech
related disorders
➢ ग्रीक र्ाषा के दो शब्दों "वडस" और "फावसया" ➢ वजससे ग्रवसत बच्चे विचार की अवर्व्यवक्त या
वजनके शावब्दक अथथ क्रमशः “अक्षमता” एिं व्याखान expression or lecture के समय
“िाक्" होते हैं से कवठनाई महससू करते हैं। इस अक्षमता के वलए
➢ वमलकर बने शब्द वडस्फै वसया का शावब्दक अथथ मख्ु य रुप से मवस्तष्क क्षवत (िेन डैमजे ) को
िाक् अक्षमता speech impairment से है। उत्तरदायी माना जाता है |
➢ यह एक र्ाषा एिं िाक् संबंिी विकृ ती है।
10.स्ििीनिा Autism
स्िलीनता (ऑवटज्म) मवस्तष्क के विकास के दौरान होने
िाला विकार है जो बच्चे के सामावजक व्यिहार और संपकथ
को प्रर्ावित करता है। वहन्दी में इसे
'आत्मविमोह''narcissism और 'स्िपरायर्ता' autism'
र्ी कहते हैं। इससे प्रर्ावित बच्चे सीवमत और दोहराि यक्त
ु
व्यिहार करते हैं, जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना।
➢ ऐसे बच्चे वजनका कोई न कोई अंग दबु थल होता है, वजससे िे अपनी सामान्य वक्रयाएँ नहीं कर पाते अतः
उन्हें शारीररक अक्षम कहा जाता है। Such children who have weakness in some or the other
organ, due to which they are not able to perform their normal activities, hence
They are called physically handicapped.
➢ उपयथक्तु पररर्ाषा से स्पष्ट होता है वक शारीररक रूप से अक्षम बच्चों या व्यवक्तयों में समायोजन से संबंवित अनेक
समस्याएँ होती हैं। इन्हें पाँच िगों में विर्ावजत वकया जा सकता है।
दृवष्टदोष (visual defects) या दृवष्टक्षवत (visual impairment) का दो अथों में प्रयोग वकया
जाता है।
1.कानूनी अथल (legal meaning) –
➢ दृवष्टदोष को दृवष्ट तीक्ष्र्ता (visual acuity) के मापन के आिार पर पररर्ावषत वकया गया है।
➢ दृवष्ट तीक्ष्र्ता से तात्पयथ दी गई खास दरू ी (distance) पर िस्तओ ु ं के आकार एिं उसके अन्य विस्तृत पहलओ ु ं को
स्पष्ट रूप से देखने एिं विर्ेवदत करने की क्षमता से होता है। Visual acuity refers to the ability to clearly
see and differentiate the shape and other detailed aspects of objects at a given distance.
➢ जैसे वकसी छात्र की दृवष्ट िीक्ष्र्िा Visual acuity 20/20 है
➢ अथाथत 20 फीट की दरू ी से उन सर्ी िस्तओ ु ं एिं उसके विवर्न्न पहलओु ं को देख पाता है, जो एक सामान्य
छात्र देख सकता है, तो उसे दृवष्टदोष से मक्त ु (free from visual impairment) या सामान्य दृवष्ट
तीक्ष्र्ता(Normal visual acuity) िाला छात्र समझा जाता है।
➢ परंतु यवद वकसी छात्र की दृवष्ट तीक्ष्र्ता 20/200 या उससे भी कम (चश्मा देने के बाद) है तो इसे
➢ कानूनी िौर पर अंिा (legally blind) समझा जाता है।
वशक्षाशावस्त्रयों एिं वशक्षा मनोिैज्ञावनकों ने शैवक्षक रूप से (educationally) दृवष्टदोषिाले बालकों के दो प्रकार
बताए है-
1.पर्ू थ अंिे बालक totally blind child 2.वनमन दृवष्ट िाले बालक child with low vision
1.पर्
ू ल अंिे बािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of Totally Blind
Children)
'छडी भ्रमर्' (cane travel)
(1) ब्रेि पद्धवि ( Braille System) -
➢ इस पद्धवत का विकास िूवयस ब्रेि (Louis ➢ इस पद्धवत में छात्रों को ब्रेि पस्ु िक (Braille
Braille) द्वारा 1830 के लगर्ग वकया गया था। book), बेल स्लेट आवद द्वारा पढ़ना-वलखना
➢ िेल स्ियं एक अंिे व्यवक्त थे वजन्होंने छह उर्र हुए वसखाया जाता है।
वबन्दओ
ु ं (raised dots) के सहारे इस पद्धवत में ➢ िेल अक्षरों को छात्र स्टाइिस (stylus) की मदद
िर्थमाला के सर्ी अक्षरों को वलखने, संख्या एिं (Braille letters) को अक्षरों से वलखते हैं।
अन्य सामग्री को वलखने की प्रथा कायम की। ➢ उर्रे हुए वबन्दओ
ु ं पर छात्र अपनी अँगल ु ी की नोक
(finger tips) रखकर िेल अक्षरों को पढ़ते हैं।
2.स्पीच प्िस कै िकुिेटर (speech plus 4.कुजिि ररवडगं मशीन (Kurzweil reading
calculator) machine)
व्यािसावयक वशक्षा (vocational education) जैसे बेंत को कुसी बनाना, वमट्टी के बतथन बनाना आवद की र्ी वशक्षा
देनी चावहए तावक उनमें वक्रयात्मक कौशलता (motor skills) र्ी ठीक ढंग से विकवसत हो सके
2,वनमन दृवष्ट के बािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of Low-vision
Children)
वनमन दृवष्टबाविि बच्चों की पहचान एिं विशेषिाएँ- Identification and characteristics of visually
impaired children:
➢ ये बच्चे अक्सर वसरददथ की वशकायत करते हैं और आँखे बन्द कर लेते हैं।
➢ ये बच्चे बार-बार पलकें झपकाते हैं।
➢ ये श्यामपट पर वलखी चीजों को वलखते समय बगल में बैठे छात्र से जोर से पढ़ने को कहते हैं।
➢ पस्ु तक तथा अन्य िस्तुओ ं को आँख के पास ले आते हैं।
➢ एक आँख को बन्द करके वसर को ऊपर उठाते हैं।
➢ अक्सर आँखों को मलते रहते हैं।
➢ इनकी आँखों का आकार वर्न्न प्रकार का होता है।
➢ इनकी आँखों की पलक छोटी एिं आँखें लाल रहती हैं।
➢ प्रकाश के प्रवत संिेदनशील रहते हैं।
➢ जब ये दरू की िस्तएु ँ देखते हैं तब शरीर में तनाि होता है।
➢ आँखों से पानी/आँसू बहता रहता है।
➢ चलते समय गलत तरीके से पैर रखते हैं।
➢ इनकी आँखों में टेढ़ापन या वतरछापन होता है, अथिा आँखें र्ारी होती हैं।
1.हेिेन एडमस के िर
एक अमेररकी लेखक, राजनीवतक कायथकताथ और
आचायथ थीं।
िह कला स्नातक की उपावि अवजथत करने िाली पहली
बविर और दृवष्टहीन थी।
अमेररका के टस्कंवबया, अलबामा में पैदा हुई।ं
वशक्षक - "एवन सवु लव्हान"
वकताबे - द स्टोरी ऑफ माई लाइफ (1903), ऑवप्टवमज्म (1903), द िल्डथ आई वलि इन (1908), लाइट इन माई
डाकथ नेस एंड माई ररवलजन (1927), हेलेन के लर जनथल (1938) शावमल हैं। , और द ओपन डोर (1957)
2.श्रिर्-सबं ि ं ी दोष से ग्रवसि िािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of
Children with Hearing Impairment)
पररभाषाए (Definitions)
श्रिर् क्षवतग्रस्तता को विवर्न्न संगठनों द्वारा समय-समय पर वनमनवलवखत
प्रकार से पररर्ावषत वकया गया है।
1. राष्रीय प्रविदशल सिेक्षर् सगं ठन National Sample Survey Organization (1991) के अनुसार-
"श्रिर् बावित उसे कहा जाता है, जो सामान्य रूप से सामान्य ध्िवन को सनु ने में असमथथ हो। "
2. भारिीय पुनिालस पररषद् के अनुसार According to Rehabilitation Council of India "जब बविरता
70 डेवसबल हो, तो व्यािसावयक और जब 55 डेवसबल तक हो, तो उसे वशक्षा के वलये उपयोग लेना चावहए।'
3. योजना आयोग एिं विकिांग जन अविवनयम Planning Commission and Disabled People Act
(1995) के अनुसार "िह व्यवक्त श्रिर् बावित कहा जायेगा, जो 60 डेवसबल या उससे अविक डेवसमल पर सनु ने की
क्षमता रखता हो। "
4. समाज कल्यार् के अनुसार "जब वकसी मनष्ु य के एक कान में 60 डेवसबल श्रिर् क्षवतग्रस्तता हो और दसू रा
कान अच्छा हो, तो िह उच्च वशक्षा के वलए उपयोगी हो सकता है। "
उपयथक्त
ु पररर्ाषाओ ं से यह असमथथ होता है वक जब व्यवक्त सनु ने में असमथथ हो तथा दसू रों की सहायता लेता है, उससे
यह ज्ञात होता है वक व्यवक्त को श्रिर् दोष है।
श्रिर् दोष एक अदृश्य तथा छुपी हुई विकलांगता है, जो देखने से नहीं वदखाई देती है। कोई व्यवक्त हाथ या श्रिर्-
संबंिी दोष दो प्रकार के होते हैं-
1.पूर्ल बहरापन (complete deafness)- प्रििथक (speech amplifier) प्रयोग के बाद र्ी कुछ नहीं सनु ते तथा
दसू रों की र्ाषा नहीं समझ पाते
2.आवं शक बहरापन (partial deafness)- छात्र प्रििथक का प्रयोग करके दसू रों की बोली को समझ लेते हैं या
यवद इनसे उच्च स्िर में बोला जाए तो िे उसे सनु कर समझ लेते हैं।
आिवु नक विशेषज्ञों ने श्रिर् बावितों को वनमनवलवखत चार िगों में विर्ावजत है,
जो वक वनमनवलवखत हैं
(1) के न्रीय श्रिर् दोष (Central Auditory Defects)-
इस प्रकार के बालक ध्िवन के बारे में जानते तो हैं, परंतु इसका अथथ नहीं समझ पाते तथा इसकी समप्रेक्षर् परे शानी
communication problem र्ी काफी गंर्ीर होती है।
यह दोष दिाओ ं के सेिन से आ सकते हैं, इसवलए इनके सिु ार से ज्यादा समय लगता है।
श्रिर् बाविि बािकों की पहचान हेिु परीक्षर् (Test for Identification of Hearing Impaired
Chil- dren)
श्रिर् बावितों को वनमनवलवखत आिार पर पहचाना जाता है-
1. वचवकत्सीय परीक्षर् (Medical Examination)
2 विकासात्मक मापनी (Development Scale)
3. बालक का अध्ययन (Case study of the child)
4. मनो- नाडी परीक्षर् (Neuro-phychological Test)
5. बालकीय व्यिहार का वनरीक्षर् (Systematic Observation of the Child Behaviour)
(i) बच्चा यवद वसर एक तरफ मोडकर सनु े तो िह बावितों की श्रेर्ी में आते हैं।
(ii) िह अनदु शे न अनसु रर् नहीं कर पाते हैं।
(iii) इन बालकों की दृवष्ट अक्सर बोलने िाले बालकों के अथिा वशक्षकों के महंु की तरह होती है।
(iv) यह िार्ी बावित र्ी हो सकते हैं।
समप्रेषर् िकनीकें
1.वचन्ह र्ाषा sign language 4.प्रििथक प्रयोग (amplifier experiment)
5.विशेष वशक्षक की मदद special teacher's help
6.संकेत र्ाषा sign language
(i) पर्ू थ रूप से बहरे बालकों को वशक्षा देने में वक्रयात्मक कायथ (Motor Work ) को अविक महत्ि देना चावहए।
(ii) वशक्षकों को चावहए वक ऐसे बालकों को वशक्षा देने में शब्दों का प्रयोग कम-से- कम करें तथा प्रदशथन
(Demonstration) का उपयोग अविक-से-अविक करें ।
(iii) ऐसे बालकों के वलए अलग से आिासीय विद्यालय की स्थापना की जानी चावहए।
आवं शक रूप से बहरे बािकों की वशक्षा एिं समायोजन Education and adjustment of partially
deaf children
(i) ऐसे बालकों को कक्षा में श्रिर् सािन hearing aid का प्रयोग करने के वलए कहना चावहए।
(ii) आंवशक रूप से बहरे बालकों को स्कूल में दावखला कराने से पहले कुछ विवशष्ट सेिा (वजनमें ध्िवन प्रििथन
(Amplification) एिं माता-वपता का प्रवशक्षर् इत्यावद सवममवलत हैं) प्रदान करना जरूरी है।
(iii) कुछ वशक्षाशावस्त्रयों ने ऐसे बालकों की वशक्षा के वलए संपर्ू थ संचार उपागम के प्राििान पर बल डाला है; जैसे—
वचह्न र्ाषा (Sign Language), सांकेवतक र्ाषा (Code Speech), आंगवु लक वहज्जे (Finger Spelling) इत्यावद
ऐसे बच्चों को वशक्षा ग्रहर् करने में सामावजक प्रोत्साहन देना चावहए ।
2. एथेटोवसस athetosis: बच्चा जब अपनी इच्छा से कोई अंग संचालन करना चाहता है तो उसका शरीर
अवनयंवत्रत गवत करने लगता है, वजससे मांशपेवशया तनाि लगातार बदलता रहता है। एथेटोवसस से ग्रवसत बच्चे नन्हें
बच्चों की तरह लचीले वदखते हैं।
4. वमवश्रि miscellaneous - स्पास्टीवमटी और एटोवसस दोनों में वदखने िाले लक्षर् जब वकसी बच्चों में दोनों
लक्षर् एक साथ वदखते हैं तो वमवश्रत प्रकार का प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात कहलाता है।
प्रमस्िश्कीय पक्षाघाि िािे बच्चों की वशक्षा Education of children with cerebral palsy
इसवलए जो बच्चा प्रमस्तष्कीय पक्षाघात से ग्रस्त है और स्कूल नहीं जा सकता घर पर रहकर बहुत सी बाते सीख
सकता है।
घर पर
1. वनत्य वकया और वशक्षा
2. कपडों के नाम ि कपडों की पहचान
3. रंगो का नाम ि पहचान
4. बतथनों का उपयोग ि पहचान
5. विवर्न्न प्रकार के र्ोजन की पहचान
6. पैसे और रूपये की पहचान
7. सामावजक व्यिहार का ज्ञान
सज
ृ नात्मक बािक (Creative Child )
जेमस रेिर का कथन - सृजनात्मकता मख्ु यतः निीन रचना ि उत्पादन में होती है। Creativity mainly lies in
new creation and production.
िो और िो के अनुसार - सृजनात्मकता मौवलक पररर्ामों को अवर्व्यक्त करने की मानवसक प्रवक्रया है।
Creativity is the mental process of expressing original results.
बैरेन (Barron) - "सृजनात्मक बालक पहले से विद्यमान िस्तओ ु ं तथा तत्त्िों को संयक्त
ु कर निीन वनमाथर्
करता है।” “The creative child creates something new by combining
already existing objects and elements.”
इसरे िी, एन. - सृजनात्मक बालक वकसी निीन बस्तु का वनमाथर् ि उसमें पररितथन करने की क्षमता रखता
है। A creative child has the ability to create and modify something new.
समस्या के प्रवत सजगता, लचीलापन, मौवलकता, गवतशील िैचाररकता, वजज्ञासा, निीनता हेतु पररितथन की आकाक्ष
ं ा
के माध्यम से रचनात्मकता Creativity through problem awareness, flexibility, originality, dynamic
thinking, curiosity, aspiration for change for innovation.
अवर्सारी वचन्तन में व्यवि वदये गए िथ्यों के आिार पर सही वनष्कषल पर पहंचने A person can reach the
correct conclusion based on the given facts. की कोवशश करता है।
यह एक रूवढ़िादी conservative तरीका है वजसमें व्यवक्त समस्या संबंिी दी गयी सचू नाओ ं के आिार पर समस्या का
समािान करता है, पर इससे िह अपनी तरफ से कुछ र्ी नही जोडता है।
अपसरर् वचन्तन में व्यवक्त वभन्न- वभन्न वदशाओ ं में वचन्िन Thinking in different directions कर समस्या
का समािान करता है
इसमें िह समस्या के कई सभ ं ाविि उत्तरों Several possible answers to the problem पर सोचता है ि साथ
ही अपनी और से कुछ नया एिं मल ू जोड समस्या का समािान करता है।
मनोिैज्ञावनक ने अपसरर् वचन्तन को ही सृजनात्मक वचन्तन माना है।
अथाथत सृजनात्मक वचन्तन िह है जो निीन साथथक ि मौवलक हो। That is, creative thinking is that which is
new, meaningful and original.
सज
ृ नात्मक बािकों की विशेषिाएँ Characteristics of creative children
सज
ृ नात्मक के ित्ि elements of creativity
(अ) िैचाररक प्रिाह ideological flow - िैचाररक प्रिाह से तात्पयथ अविक से अविक विचारों को उत्पन्न करना
है। जैसे कक्षा में अध्यापक वकसी समस्या के अविक से अविक संर्ावित समािानों को विद्यावथथयों को बताने को
कहता है या वकसी िस्तु के अविक से अविक असािारर् उपयोग।
(ब) अवभव्यवि प्रिाह expression flow - से तात्पयथ आन्तररक क्षमताओ ं internal capabilities के बाह्य
अवर्व्यवक्त external expression से है जैसे बच्चे
को अिरु ा वचत्र पर्ू थ करने का अिसर देना, अिरू े िाक्य पर्ू थ करना, शब्दों से िाक्य वनमाथर् को
प्रेररत करना।
(स) साहचयल प्रिाह associative flow - शब्दों ि िस्तओ ु ं में परस्पर साहचयथ स्थावपत करना।
(द) शब्द प्रिाह word flow - से आशय मौवखक एिं वलवखत रूप से विचारों की शब्दों के द्वारा अवर्व्यवक्त
में िारा प्रिाह, साथथक ि सही शब्दों का चयन एिं उपयोग करने की क्षमता से है।
3.मौविकिा (Originality)- मौवलकता से तात्पयथ अनोखेपन से है। अथाथत् विचारों की पर्ू थत निीन अवर्व्यवक्त
या समस्या का अन्य व्यवक्तयों से वर्न्न समािान। जब व्यवक्त वकसी समस्या का एक वबलकुल नया, अनठू ा ि उपयक्त
ु
समािान करता है, नए गीत, कहानी, कविता वलखता है ये सब मौवलकता की श्रेर्ी में आते है।
4.विस्िारर् (Elobration) - नये विचारों, र्ािों की विस्तृत, व्यापक ि ग्रहन प्रस्ततु ीकरर् करने की क्षमता
विस्तारर् में आती है जैसे संवक्षप्त घटना, पररवस्थवत को विस्तृत करके ! प्रस्ततु करने की क्षमता, वकसी अपर्ू थ वचत्र
को पर्ू थ करने की क्षमता, विस्तारर् क्षमता को प्रदवशथत करती है।
1.सृजनात्मक वचन्तन में औसत ि औसत से उच्च बवु द्धलवब्ि पायी जाती है।
2.सृजनात्मक विचारक में अवर्व्यवक्त की क्षमता होती है।
3.निीनता ि जवटलता में अवर्रूवच अविक होती है।
3.अपने विचारों की अवर्व्यवक्त जोर दार तरीके से ि खल ु कर करते है अन्य लोगों की प्रत्यत्तु र या अनमु ोदन की
परिाह नहीं करते।
4.अपनी इच्छाओ ं का दमन नहीं करते हैं। दमन द्वारा इच्छाओ ं को वनयंवत्रत नहीं कर पाते है। विचार वनरन्तर गवतशील
होते है।
5.प्रत्येक कायथ तत्र्परता से करने की क्षमता होती है।
6.सझु ाि 'को स्िीकार करने में संकोच नहीं करते है।
7.मनोविनोद वप्रय ि हास्य र्ाि की प्रिानता होती है।
8.मौवलकता का गर्ु पाया जाता है।
9.जोवखम उठाने की क्षमता होती है।
10.तावकथ क क्षमता अविक होती है।
सज
ृ नात्मक का मापन measurement of creativity
सृजनात्मक के मापन हेतु अनेक मानकीकृ त मनोिैज्ञावनक पररक्षर् उपलब्ि है ये सर्ी परीक्षर् सामान्यतः शावब्दक,
अशावब्दक ि वक्रयात्मक प्रकार Generally verbal, non-verbal and functional types के होते है तथा
सृजनात्मक के विवर्न्न तत्िों जैसे िारा प्रिावहत, विस्तारर्, लोचनशीलता, मौवलकता, अवर्व्यवक्त fluency,
expansion, flexibility, originality, expression आवद का मापन करते हुए सृजनात्मकता का
मापन करते है।
अविकांश पररक्षर्ों ने वनमन परीक्षर् सवममवलत होते है -
1 आसािारर् उपयोग पररक्षर् ordinary use test
BY- SHUBHAM SHUKLA (WP- 9039345671) 52
2 पररर्ाम पररक्षर् results test
3 आकृ वत परीक्षर् shape test
3.आकृवि पररक्षर् shape test - इससे कोई ज्यावमवतय आकृ वत देकर इससे वजतने अविक िस्तओ
ु ं का वचत्र बना
सकता है बनाने को कहा जाता है।
टॉरे न्स का सज ृ नात्मक वचंिन का वमनोसाटा परीक्षर् – Torrance's Minnesota Test of Creative
Thinking
टॉरे न्स ने 1966 में इस परीक्षर् का वनमाथर् वकया,
सृजनात्मकता के मापन का यह बहुत लोकवप्रय परीक्षर् है यह एक कसौटी संदवर्थत परीक्षर् This is a criterion
referenced test है।
यह प्रिावहत, लचीलापन, मौवलकता का दो उप-पररक्षर् शावब्दक परीक्षर् ि आकृ वतक पररक्षर् के माध्यम से
सृजनात्मक वचंतन ि मापन करता है। It measures creative thinking and fluency, flexibility and
originality through two sub-tests, verbal test and figurative test.
गेटजेि ि जेर्कसन सज
ृ नात्मक परीक्षर् - Getzel and Jackson creativity test -
बाकर मेंहदी ने 1973 में सृजनात्मक वचंतन का मापन करने हेतु र्ारतीय पररवस्थवतयों के
अनक ु ु ल का वनमाथर् वकया।
ये दोनों परीक्षर् वहन्दी ि अग्रं ेजी दोनों र्ाषाओ ं में उपलब्ि है तथा सृजनात्मकता के तीन पहलओ
ु ं
प्रिावहता, लचीलापन तथा मौवलकता Fluency, Flexibility and Originality का मापन करते है
शावब्दक परीक्षर् में सवममवलत परीक्षर् वनमन है -
1.क्या होगा परीक्षर्
2.िस्तओ ु ं के नये उपयोग
3.नए संबंिों के परीक्षर् तथा
BY- SHUBHAM SHUKLA (WP- 9039345671) 54
4.रूवच की चीजों का सृजन सवममवलत है तथा
अशावब्दक परीक्षर् में
(1) वचत्र वनमाथर्
(2) वचत्र पवू तथ
(3) ज्यावमतीय आकृ वतयां परीक्षर् geometric shapes test सवममवलत है।
सज
ृ नात्मकिा का पिा िगाने हेिु अन्य परीक्षर्
सृजनात्मकता के क्षेत्र में बहुत से परीक्षर् विकवसत हुए हैं। ये प्रचवलत मख्ु य परीक्षर् इस प्रकार हैं-
1. पासी का सृजनात्मक परीक्षर्
2.बाकर मेंहदी - सृजनात्मक वचन्तन का शावब्दक परीक्षर्
3.बाकर मेंहदी - सृजनात्मक वचन्तन का अशावब्दक परीक्षर्
4.के . एन. शमाथ - अपसारी उत्पादन योग्यता परीक्षर्
5.िी.पी. शमाथ ि जे.पी. शक्ु ला - िैज्ञावनक सृजनात्मक का शावब्दक परीक्षर्
6.एस.पी. मल्होत्रा ि सचु ते ा कुमारी - र्ाषा सृजनात्मकता परीक्षर्
सज
ृ नात्मक बािकों की वशक्षा creative children's education
टारे न्स ने अपने अध्ययन के आिार पर वशक्षकों के वलए कुछ महत्त्िपर्ू थ सझु ाि बताये-
1.बालकों द्वारा पछू े प्रश्नों का उत्तर आदरर्ाि से दें।
2.उनके कल्पनात्मक ि असािारर् विचारों को समझने का प्रयास करें ।
3.छात्रों की स्िवक्रया पर बल दें ि उन्हें स्िवक्रया हेतु प्रोत्सावहत करें ।
4.बालकों के विचारों को महत्त्ि दें।
5.स्ितः प्रेररत अविगम ि उसके मल्ू यांकन पर बल दें।
6.उपयक्त ु िातािरर् के प्रवत विशेष ध्यान दें वजससे उनमें सृजनात्मकता विकवसत हो।
7.विद्यालय में समय-समय पर आमप्रेरर्ा परु स्कार ि प्रवतयोवगता आवद समपन्न की जाये।
8.अनेक माध्यमों द्वारा अपसरर् उत्पादन (Divergent Production) को प्रोत्सावहत वकया जाये।
9.सेमीनार, संगोष्ठी, िाद-वििाद सर्ायें प्रदशथनी, सरस्िती यात्राओ ं का आयोजन।
10. पाठ्येत्तर पस्ु तकों की व्यिस्था बल ु ेवटन बोडथ, विद्यालय पवत्रका, कक्षा पस्ु तकालयों की व्यिस्था की जाये।
बालक की सृजनात्मक योग्यता को विकवसत करना वशक्षकों, समाज ि देश का परम कतथव्य है। इसवलए इस प्रकार
के बालकों की वशक्षा दीक्षा का समवु चत प्रबंि करें ।
ऐसे बच्चे जो शारीररक,सामावजक और र्ािनात्मक कारर्ों से मानवसक रूप से बीमार हो जाते हैं |इनका
मानवसक वचवकत्सा उपरान्त सामािान हो जाता है |
• Motor disorders
• आनुिंवशक कारक - पररिार के वकसी करीबी सदस्य के मानवसक रोग से ग्रस्त होने से आपको मानवसक रोग होने
की संर्ािना बढ़ सकती है। हालाँवक, वसफथ इसवलए वक पररिार के एक सदस्य को मानवसक बीमारी है इसका
मतलब यह नहीं है वक दसू रों को र्ी होगा।
• नशीिी दिाओ ं और शराब का दुरुपयोग - अिैि नशीली दिाओ ं का उपयोग उन्मत्त प्रकरर् ( वद्वध्रिु ी विकार )
या मनोविकृ वत के प्रकरर् को वरगर कर सकता है। कोकीन , माररजआ ु ना और एम़िै टेवमन जैसी दिाएं व्यामोह का
कारर् बन सकती हैं।
• अन्य जैविक कारक - कुछ वचवकत्सीय वस्थवतयाँ या हामोनल पररितथन मानवसक स्िास्थ्य समस्याओ ं का कारर्
बन सकते हैं।
• प्रारंवभक जीिन का माहौि - बचपन के नकारात्मक अनर्ु ि कुछ मानवसक बीमाररयों के खतरे को बढ़ा सकते
हैं। बचपन के नकारात्मक अनर्ु िों के उदाहरर् दव्ु यथिहार या उपेक्षा हैं।
• आघाि और िनाि - ियस्कता में, ददथनाक जीिन की घटनाएं या चल रहा तनाि मानवसक बीमारी के खतरे को
बढ़ा सकता है। सामावजक अलगाि , घरे लू वहसं ा , ररश्ते टूटना , वित्तीय या काम की समस्याएं जैसे मद्दु े मानवसक
स्िास्थ्य पर प्रर्ाि डाल सकते हैं। यद्ध
ु क्षेत्र में रहने जैसे ददथनाक अनर्ु ि पोस्ट-रॉमैवटक स्रेस वडसऑडथर
(पीटीएसडी) के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
• व्यवित्ि कारक - पर् ू ल िािाद या कम आत्मसममान जैसे कुछ लक्षर् अिसाद या वचतं ा के जोवखम को बढ़ा
सकते हैं।
“िंचन बाल्य जीिन की उद्दीपक दशाओ ं की न्यनू ता है।"“Deprivation is the lack of stimulating
conditions of childhood life.” -गाडलन
➢ विद्यालय में आने िाले कुछ बालकों का व्यिहार समस्याएँ उत्पन्न कर देता है। इनका व्यिहार सामान्य नहीं होता
इसवलए इन्हें समस्यात्मक बालक कहा जाता है।
➢ िैिेन्टाइन ने कहा है-''समस्यात्मक बालक िे हैं वजनका व्यिहार और व्यवक्तत्ि वकसी बात में गंर्ीर रूप से
असािरर् होता है। "
➢ अतएि कहा जा सकता है वक िे सर्ी बालक वजनके व्यिहार तथा व्यवक्तत्ि इस सीमा तक आसामान्य होते हैं की
िे घर, विद्यालय तथा समाज में समस्याओ ं के जनक बन जाते हैं, समस्यात्मक बालक कहलाते हैं।
➢ ऐसी वस्थवत में बालक को उवचत मागथदशथन द्वारा ही सिु ारा जा सकता है, अन्यथा यही बालक र्विष्य में अपरािी
ि समाजर्द्ोही बन जाते हैं।
उन बच्चों को समस्यात्मक बािक कहा जािा है जो –
उपचार ि मागथदशथन प्रदान करने हेतु समस्यात्मक बालक की सही पहचान तथा उसके व्यिहार की असामान्यता प्रकृ वत
ि सीमा की जानकारी अत्यंत आिश्यक है।
3.अवर्र्ािकों, वशक्षकों तथा वमत्रों से िाताथलाप 3. Conversation with parents, teachers and
friends
4.कथात्मक अवर्लेख
4.Narrative record
5. संचयी अवर्लेख
5. Cumulative Records
6.मनोिैज्ञावनक परीक्षर्
6. Psychological testin
(A) न्यून मानवसक दक्षिा ि समस्यात्मक िक्षर्- Low mental efficiency and problematic
symptoms-
4.अनश
ु ासन का विरोि करना ।
5.बरु ा आचरर् करना।
7.संदहे करना।
8.िोखा देना।
4.िािािरर्: यवद घर, विद्यालय ि समाज का िातािरर् दवू षत होता है, तब र्ी बालक अिांवछत व्यिहार करते हैं।
5. मािा-वपिा ि वशक्षकों का व्यिहार : बालक के साथ वतरस्कारपर्ू थ व्यिहार या लाड-प्यार वदखाना र्ी समस्या
उत्पन्न कर देता है।
6. पररिार का िािािरर्- माता-वपता, र्ाई-बहन के आपसी कलह का र्ी प्रर्ाि पडता है। ऐसे घरों में जहाँ
विमाता हैं, माता-वपता में से एक का देहांत हो जाता है िहाँ समस्यात्मक बालक पाये जाते हैं। ये अनश
ु ासनहीन हो
जाते हैं।
7. नैविक वशक्षा का अभाि : नैवतक वशक्षा के अर्ाि में र्ी बालक दगु थर्ु ों से यक्त
ु हो जाता है।
8. सािेंवगक दोष - आिश्यकताओ ं की पवू तथ का अर्ाि बालक के अनेक सांिेवगक ि मनोिैज्ञावनक समस्यात्मक
व्यिहार को जन्म देता है।
1. पररिार में माता-वपता, उनके प्रवत प्रेम ि सहानर्ु वू तपर्ू थ व्यिहार करें ।
2. बालक की मल
ू प्रिृवत्तयों का दमन ना करें । कोई दोष अगर आ जाये तो उसकी मानवसक वचवकत्सा करायें।
3. बालकों को उवचत कायों हेतु प्रेररत, प्रोत्सावहत ि परु स्कार दें।
9. मनोरंजक वशक्षर् विवि प्रयोग करें , अन्यथा बालक कक्षा से बाहर घमू ते हैं या स्कूल से ही र्ाग जाते हैं।
11. पाठ्योत्तर कायथक्रमों, जैसे वपकवनक भ्रमर्, स्काऊवटंग खेलकूद, नाटक, संगीत प्रवतयोवगता आवद के द्वारा
समस्यात्मक व्यिहारों को रोका जा सकता है।
7) अंिराविषयक या अंिरािैयविक
योग्यिा (Intrapersonal)- जो व्यवक्त इरं ापसथनल
इटं ेवलजेंस में मजबतू होते हैं, िे अपनी र्ािनात्मक
वस्थवत, र्ािनाओ ं और प्रेरर्ाओ ं से अिगत होने में
अच्छे होते हैं।
उदा – आध्यावत्मक गरुु
(3) एवकक वसद्धािं (Unitary or Monarchic Theory ) –एक खडं /एकि ित्ि
प्रवतपादन - अल्फ्रेड वबने
बवु द्ध एक शवक्त या ऊजाथ होती है जो व्यवक्त की सर्ी गवतविवियों को प्रर्ावित करती है। ( TET2012)
(4) वद्वित्ि वसद्धांि (Two-Factor or Eclectic Theory )–
चाल्सथ स्पीयरमैन ने बवु द्ध के दो कारकों को बताया
1. सामान्य मानवसक योग्यता(G कारक )-जन्मजात - सर्ी व्यवक्तयों में कायथ करने की क्षमता एक सामान