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मनोविज्ञान (psychology)

मनोविज्ञान आत्मा के विज्ञान के रूप में (Psychology as a Science of Soul)-


➢ शब्द 'मनोविज्ञान' का अग्रं ेजी शब्द psychology दो ग्रीक शब्दों से वमलकर बना
➢ psyche (साइक) तथा logos (लोगस)
➢ साइक का अथथ है आत्मा तथा लोगस का अथथ है विज्ञान।
➢ अतः इसका अथथ हुआ आत्मा का विज्ञान। - अरस्तू और प्लेटो
➢ यह विज्ञान है क्योंवक इसमें अध्ययन क्रमिार तथा पर्ू थ होता है, जो वक वनवित तथ्यों के वनरीक्षर् पर वनर्थर होता है। इसकी
अपनी पररर्ाषायें हैं तथा यह र्ली-र्ांवत स्थावपत ज्ञान है।
➢ इस प्रकार, हम कह सकते हैं वक मनोविज्ञान एक विज्ञान है जो आत्मा का अध्ययन करता है।
➢ यह िह पहली पररर्ाषा है जो अविकतर दाशथवनकों ने दी थी।
➢ लेवकन क्योंवक हम यह मान चकु े हैं वक मनोविज्ञान एक विज्ञान है, इसवलए यह आिश्यक हो जाता है वक हम आत्मा के साथ
परीक्षर् करें ।
➢ क्योंवक आत्मा का अध्ययन िैज्ञावनक तौर पर नहीं हो सकता, इसवलए लोगों ने इस पररर्ाषा को मानने से इकं ार कर वदया।
➢ ये कहते हैं वक आत्मा का कोई शारीररक अवस्तत्ि तो है नहीं, न ही इसे देखा या सनु ा जा सकता है। अतः इसका वनरीक्षर् नहीं
वकया जा सकता तथा इसका परीक्षर् नहीं वकया जा सकता इसीवलए मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान नहीं हो सकता। जे. एस.
रॉस ने सही कहा है "पहले मनोविज्ञान का अथथ आत्मा से लगाया जाता था, परंतु यह पररर्ाषा अस्पष्ट है। आत्मा क्या है प्रश्न
का सतं ोषजनक उत्तर हमारे पास नहीं है।"
मनोविज्ञान मन के विज्ञान के रूप में (Psychology as a Science of Mind)
➢ मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान मानने से इकं ार करने के पिात, मनोिैज्ञावनकों ने आत्मा के स्थान पर मन शब्द का प्रयोग
वकया।
➢ उन्होंने इसे मनोविज्ञान को पररर्ावषत करने के वलए अविक उपयक्त
ु पाया।
➢ उनके शब्दों में, “मन मवस्िष्कीय प्रवियाओ ं का सवममविि रूप है िथा यह व्यवि के भीिरी व्यविगि अनुभिों के
विए प्रयि ु वकया जािा है।" Mind is a combination of sum total of mental processes and it stands
for personal internal experiences of man. – वलवबवनज़,हाब्स,लाक,काटं ,ह्यमु

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मनोविज्ञान चेिना के विज्ञान के रूप में (Psychology as a Science of Consciousness)
➢ जेमस िथा बुंट का विश्वास है वक व्यवक्त एक चेतन प्रार्ी है तथा िह चेतना के कारर् ही अपने िातािरर् से वक्रया तथा
प्रवतवक्रया करता है।
➢ अतः उन्होंने इसे चेिना का विज्ञान बताना आरंर् वकया।
➢ "चेतना का अथथ है वक अपनी वस्थवत को जानना, अपनी वस्थवत की ओर जीितं रहना तथा अपनी वस्थवत की ओर पर्ू रूथ प से
सजग रहना।” Consciousness means to be aware of the situation, to be fully alive to the situation
or to be most wakeful to the situation. -James and Wundt
➢ 1879 में जब वििहेम िंट (Wilhelm Wundt) ने जमथनी के विपवजग विश्वविद्यािय (अब इसका नाम कािल मार्कसल
विश्वविद्यािय कर वदया गया है) में मनोविज्ञान की सबसे पहली प्रयोगशाला स्थावपत की,
➢ उस समय से मनोविज्ञान का संबंि दशथनशास्त्र से िीरे -िीरे कम होता गया और इसका स्िरूप प्रयोगात्मक अविक होता गया।
➢ फलस्िरूप मनोविज्ञान की विषय-िस्तु मन या आत्मा से हटकर मानवसक वक्रयाएँ (mental activities) या चेतन अनुर्वू त
(conscious experience) हो गई।
➢ इस पररर्ाषा को माननेिाले मनोिैज्ञावनकों को संरचनािादी (structuralists) कहा गया वजसमें विलहेम बंटु तथा वटचेनर
(Titchener) ही प्रमख ु थे।
➢ फ्रायड द्वारा अचेतनता के अन्िेषर् ने वदखाया वक व्यिहार चेतन तथा अचेतन दोनों प्रकार से होता है। चेतन व्यिहार हमारे मन
का के िल 10 प्रवतशत या दसिां र्ाग ही होता है। (शेष 9/10 र्ाग अचेतन तथा अिचेतन मन होता है ।)
➢ यह पररर्ाषा अचेतन तथा अिचेतन मन को अपने अध्ययन में शावमल नहीं करती जो वक व्यवक्त के व्यवक्तत्ि के विकास में
बहुत ही महत्िपर्ू थ र्ाग अदा करता है।
➢ इसवलए, यह पररर्ाषा न तो पर्ू थ है न ही स्िीकार करने योग्य ही है।
➢ मैक्डूगल ने. इस पररर्ाषा की आलोचना करते हुए कहा था : "चेिना पूर्लरूपेर् बुरा शब्द है। मनोविज्ञान के वलए यह बहुत
ही दर्ु ाथग्य की बात है वक यह शब्द सामान्य रूप से प्रयोग वकया जाने लगा है । Consciousness is thoroughly a bad
word, and it has been a great misfortune for psychology that the word has come into general
use, -McDougall

मनोविज्ञान व्यिहार के विज्ञान के रूप में (Psychology as a Science of Behaviour)


➢ यह सबसे आिवु नक पररर्ाषा है।
➢ यह व्यिहारिावदयों ने हमारे सामने रखी है।
➢ व्यिहारिावदयों के शब्दों में व्यिहार शब्द एक पर्ू थ प्रवतवक्रया है जो जीिन की पररवस्थवतयों में जीिन का प्रत्यत्तु र है। इसमें
शारीररक, मानवसक, सामान्य, असामान्य,वशश,ु बाल, वकशोर, यिु ा तथा प्रौढ़ व्यिहार सवममवलत हैं।
➢ यह मानि के र्ीतरी तथा बाहरी व्यिहार के अवतररक्त पशु व्यिहार का र्ी अध्ययन करता है।
➢ यह र्ीतरी मानवसक प्रवक्रयाओ ं के अध्ययन को दसू रे बाहरी व्यिहारों के संबंि में अध्ययन करता है।

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➢ इस प्रकार, हम मनोविज्ञान को एक सकारात्मक विज्ञान के रूप में दशाथ सकते हैं जो अपने विस्तृत रूप में व्यिहार का अध्ययन
करता है।
मनोविज्ञान के पररभाषायें (Definitions of Psychology)
बहुत से मनोिैज्ञावनकों ने मनोविज्ञान को अनेक प्रकार से पररर्ावषत वकया है।
िुडिथल ने इसे यह कहकर इसे समझाया है : “पहले मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा खोयी, वफर इसने मन को खोया, वफर
इसने चेतना खोयी अब र्ी इसमें वकसी प्रकार का व्यिहार शेष है। " First, psychology lost its soul, then it
lost its mind, then it lost its consciousness, it still has behaviour of sort.
(1) कॉिसवनक - मनोविज्ञान मानि व्यिहार का विज्ञान है । Psychology is the science of human
behaviour.
(2) िडु िथल- मनोविज्ञान, िातािरर् के संपकथ में होने िाले मानि-व्यिहारों का विज्ञान है। Psychology is the
science of the activities of the individual in relation to the environment.
(3) िाटसन- मनोविज्ञान व्यिहार का सकारात्मक विज्ञान है। Psychology is a positive science of behaviour.
-Watson
(4) मन- मनोविज्ञान अनर्ु ि के आिार पर वकये गये आतं ररक अनर्ु िों एि बाह्य व्यिहार का वििायक विज्ञान है ।'
Psychology is a positive science of experience and behaviour interpreted in terms of
experience.
(5) वस्कनर- 1.मनोविज्ञान जीिन की विविि पररवस्थवतयों के प्रवत प्रार्ी की प्रवतवक्रयाओ ं का अध्ययन करता है।
व्यिहार अथिा प्रवतवक्रयाओ,ं समायोजन, कायथ तथा अनर्ु िों से है Psychology studies the reactions of living
beings to various situations of life. behavior or reactions, adjustments, actions and experiences
2.मनोविज्ञान वशक्षा का आिारर्तू विज्ञान है |
(6) िो िथा िो - मनोविज्ञान मानि के व्यिहार तथा मानि के संबंिों का अध्ययन है। Psychology is the study
of human behaviour and human relationships.
(7) बोररंग, िोंगफील्ड िथा बेल्ड- मनोविज्ञान मानि प्रकृ वत का विज्ञान है। Psychology is the study of human
nature.

मनोविज्ञान के जनक – अरस्तु


प्रायोवगक मनोविज्ञान के जनक - वििहेम िंट (Wilhelm Wundt)
वशक्षा मनोविज्ञान के जनक – थानथ डाईक

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मनोविज्ञान के स्कूि (Schools of Psychology)

➢ विलहेम िंटु की मृत्यु 1920 में हुई


➢ और उसके बाद उनकी विचारिारा को उनके ही वशष्य ई० बी० वटचेनर (EB Titchener) द्वारा आगे बढ़ाया गया। वटचेनर
ु संप्रत्ययों (concepts) को सश
ने विल्हेम िण्ु ट के प्रमख ं ोवित वकया तथा उनके स्िरूप को अविक िैज्ञावनक बनाया।
➢ अपनी विचारिारा को अविक सबल बनाने के खयाल से वटचेनर ने अमरीका में एक स्कूि या संप्रदाय की स्थापना की वजसे
संरचनािाद (structuralism) की संज्ञा दी गई।
➢ इसे अंिवनलरीक्षर्िाद (introspectionism) या अवस्ित्ििाद ( existentialism) र्ी कहा गया।
➢ संरचनािाद मनोविज्ञान का प्रथम क्रमबद्ध स्कूल (systematic school) था और इसके बाद वफर कई स्कूलों की स्थापना
मनोविज्ञान में हुई और प्रत्येक ने वशक्षा (education) तथा वशक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में कुछ-न-कुछ अपना योगदान वकया।
इन सर्ी स्कूलों या संप्रदायों (systems) की संवक्षप्त र्वू मका वनमनांवकत है-
(1) संरचनािाद (Structuralism) –
➢ स्थापना - ई० बी० वटचेनर (EB Titchener),
➢ स्थान - अमरीका के कॉरनेल्ल विश्वविद्यालय (Cornell University)
➢ संरचनािाद के अनसु ार मनोविज्ञान चेतन अनुर्वू तयों के अध्ययन का विज्ञान था तथा चेतन अनुर्वू त को अतं वनथरीक्षर् विवि
(introspection method) द्वारा तीन तत्त्िों (elements) में बाँटा जा सकता था –
1. संिेदना (sensation),
2. प्रवतमा (images) तथा
3. अनुराग(र्ािना) (affection)।
(2) प्रकायलिाद (Functionalism) -
➢ स्थापना - एच.ए. कारल (H A Carr), जॉन वडिी (John Dewey) एिं जेमस एवं जि (James
Angell)
➢ स्थान - वशकागो विश्वविद्यालय
➢ संरचनािाद की प्रमख ु विचारिारा से कुछ हटकर विवियम जेमस (William James) ने बताया वक मनोविज्ञान का संबंि
वसफथ चेतना के विश्लेषर् (analysis) से नहीं होना चावहए, बवल्क इस बात से र्ी होना चावहए वक व्यवक्त के वलए चेतना की
उपयोवगता (utility) या कायथ (function) क्या है?
➢ दसू रे शब्दों में, मनोविज्ञान के अध्ययन की विषय-िस्तु (subject matter) चेतना का मात्र विश्लेषर् (analysis) करना
नहीं है, बवल्क यह र्ी देखना है वक चेतना व्यवक्त को समाज में समायोजन (adjustment) करने में वकस ढंग से मदद करती
है।

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➢ विवलयम जेमस की इस विचारिारा से प्रर्ावित होकर एच.ए. कारल (H A Carr), जॉन वडिी (John Dewey) एिं
जेमस एवं जि (James Angell) ने वशकागो विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के वजस स्कूल की स्थापना की, उसे प्रकायथिाद
(Functionalism) की संज्ञा दी गई।
➢ प्रकायथिाद के अनुसार-
ु ू ली व्यिहार (adaptive behaviour) का अध्ययन वकया जाता है। दसू रे शब्दों में, कायथिाद चेतना के
मनोविज्ञान में अनक
विश्लेषर् पर जोर न डालकर व्यवक्त द्वारा वकए गए अनुकूली व्यिहारों, वजनसे व्यवक्त को समायोजन करने में मदद वमलती है,
के अध्ययन पर बल डालता है।
(3) व्यिहारिाद (Behaviourism ) –
स्थापना - जे. बी. िाटसन (JB Watson) द्वारा संरचनािाद (structuralism) के विरोि में 1913 में
की गई।
➢ इस स्कूल के अनुसार मनोविज्ञान व्यिहार का विज्ञान है न वक चेतन अनुर्वू त का विज्ञान।
➢ मनोविज्ञान में व्यिहार का अध्ययन करने के वलए प्रेक्षर् विवि (observation method), अनुबंिन (conditioning),
परीक्षर् (testing) तथा शावब्दक ररपोटथ (verbal report) था।
➢ इस स्कूल में पैििि (Pavlov), स्कीन्नर (Skinner), गथरी (Guthrie), टािमैन (Tolman) जैसे मनोिैज्ञावनकों
द्वारा र्ी प्रर्ािी योगदान वकया गया।
(4) गेस्टाल्ट मनोविज्ञान ( Gestalt Psychology) –
➢ स्थापना - मैक्स िरदाईमर (Max Wertheimer) , 1912 में की गई।
➢ स्थान - जमथनी
➢ गेस्टाल्ट स्कूल के अनुसार मनोविज्ञान व्यिहार तथा चेतना (consciousness), दोनों के अध्ययन का विज्ञान है।
➢ इस स्कूल द्वारा व्यिहार में 'समपर्ू तथ ा' (wholeness) के अध्ययन पर अविक बल डाला गया।
➢ इस स्कूल के अनुसार समपर्ू थ (whole) अपने अश
ं (parts) से वर्न्न होता है।
➢ मैक्स िरदाईमर के अलािा इस स्कूल में कटथ कौपका (Kurt Koffka) तथा ओल्फगैंग कोहलर (Wolfgang Kohler)
ने र्ी अपना सवक्रय योगदान वकया।
➢ बाद में ये तीनों मनोिैज्ञावनक अमरीका आ गए और िहीं रहकर मनोविज्ञान में प्रर्ािी योगदान वकया।

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(5) मनोविश्ले षर् (Psychoanalysis) –
➢ स्थापना - साइमण्ड फ्रायड (Sigmund Freud)
➢ मनोविज्ञान में मनोविश्लेषर् जैसे स्कूल की स्थापना अन्य स्कूलों की स्थापना के इवतहास से कुछ अलग हटकर है। .
➢ जहाँ अन्य सर्ी स्कूलों की स्थापना एक शैवक्षक पृष्ठर्वू म (academic background ) के रूप में हुई, िहाँ मनोविश्लेषर् की
स्थापना एक नैदावनक पृष्ठर्वू म (clinical background) में साइमण्ड फ्रायड (Sigmund Freud) द्वारा की गई।
➢ इस स्कूल को कुछ लोगों ने गविक मनोविज्ञान (Dynamic Psychology) र्ी कहा है।
➢ फ्रायड ने इस स्कूल की स्थापना कर मनोविज्ञान को कुछ ऐसे सप्रं त्यय (concepts) प्रदान वकए हैं वजनका महत्त्ि आज र्ी काफी है।
➢ इन संप्रत्ययों में उपाहं (id), अहं (ego) तथा पराहं (superego), चेतन (conscious), अद्धथचेतन (subconscious) तथा
अचेतन (unconscious) आवद प्रिान हैं।
➢ फ्रायड के अनुसार जब व्यवक्त की वकसी खास इच्छा की पवू तथ कुछ सामावजक प्रवतबंिन (social restrictions) के कारर् नहीं हो
पाती तो िैसी इच्छाएँ चेतन से अचेतन में र्ेज दी जाती हैं जहाँ िे सवक्रय रहती है तथा व्यवक्त के व्यिहारों को काफी प्रर्ावित करती
रहती हैं।
(6) हारवमक मनोविज्ञान (Hormic Psychology) –
➢ स्थापना - विवलयम मैकडुगल (Sir William McDougall) द्वारा की गई।
➢ इन्होंने मनोविज्ञान को जीवित जीि-जंतओ ु ं के बरताि का िनात्मक विज्ञान कहा है (Psychology is the positive
science of conduct of living creatures)।
➢ यहाँ 'conduct' से उनका मतलब जीि-जंतओ ु ं के व्यिहार से था।
➢ मैकडुगल ने उद्देश्यपर्ू थ व्यिहार (purposive behaviour) के अध्ययन पर बल डाला
➢ और उद्देश्यपर्ू थ व्यिहार का शवक्त बल (energy force) मलू प्रिृवत्त (instinct) होता है।
➢ इन्होंने 'समहू मवस्तष्क' (group mind) जैसे सप्रं त्यय का प्रवतपादन करके र्ी मनोविज्ञान में अपना महत्त्िपर्ू थ स्थान बनाया।

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1.व्यिहारिादी का कथन है, वक अविगम का िैज्ञावनक एिं िस्तवु नष्ठ तरीके से अध्ययन करने के वलए दो प्रमख
ु चीजों
का अिलोकन आिश्यक है, ये क्या है ?
(A) अििान तथा स्मृवत
(B) अनवु क्रया तथा उद्दीपक
(C) अनवु क्रया तथा व्यिहारिाद
(D) स्मृवत तथा अनवु क्रया
2.मनोविज्ञान प्रारंर् में वनमन में से वकसका अगं था ?
(A) दशथन शास्त्र
(C) र्ौवतक शास्त्र
(B) तकथ शास्त्र
(D)समाज शास्त्र
3.प्रथम मनोिैज्ञावनक प्रयोगशाला की स्थापना वकसने की थी?
(A) गाल्टन
(B) कटथ लेविन
(C)िन्ु ट
(D) िाटसन
4.'लोगोस' का अथथ है ज्ञान तो 'साइकी' का अथथ है:
(A) आत्मा
(C) सजगता
(B) वचत्त
(D)व्यिहार

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समािेशी वशक्षा(inclusive education)

समािेशी वशक्षा का आशय वदव्यांग विद्यावथथयों


(विवशष्ट आिश्यकता िाले )को सामान्य बच्चों के
साथ वबठाकर सामान्य रूप से पढ़ाना है |तावक सामान्य
बच्चों और विवशष्ट आिश्यकता िाले बच्चों में कोई
र्ेदर्ाि ना रहे |तथा दोनों विद्याथी एक दसु रे को समझते
हुए आपसी सहयोग से पठन पाठन कर सकें |

➢ 1884 में, एक रोमन कै थोवलक वमशन ने तत्कालीन बॉमबे प्रेसीडेंसी के मझगांि में बविरों के विए पहिा स्कूि
शुरू वकया।

➢ 1893 में किकत्ता डेफ एडं डबं स्कूि की स्थापना की गई, और बाद में 1896 में दवक्षर्ी भारि के
पिायमकोट्टा में बविरों के विए एक स्कूि खोिा गया (विकलांगता वस्थवत र्ारत, 2003)।
➢ नेत्रहीनों के विए पहिा स्कूि 1887 में अमृिसर में खुिा।

➢ 1966 में कोठारी आयोग ने विकलांग बच्चों को वनयवमत स्कूलों में वशक्षा देने के महत्ि पर प्रकाश डाला था।

➢ र्ारत सरकार ने 1974 में विकिांग बच्चों के विए एकीकृि वशक्षा (IEDC) कायथक्रम शरूु वकया।
➢ यह समािेशन की वदशा में पहला औपचाररक कदम था।

वन:शर्कि व्यवि अविवनयम (1995)- वदव्यांग व्यवक्त अविवनयम, 1995 एक ऐसा कायथ है:उन लोगों को समान
अिसर प्रदान करता है जो वकसी र्ी वदव्यांगता के 40% से ग्रवसत हैं। जो सवु नवित करता है वक सर्ी वदव्यांग बच्चों
को 18 िषथ की आयु तक मफ्ु त वशक्षा प्राप्त हो।

आरटीई अविवनयम 2009-


➢ र्ारतीय संवििान के अनच्ु छे द 21ए के तहत
➢ यह अविवनयम 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ और इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है वक वशक्षा प्रत्येक बच्चे का मौवलक
अविकार है।
➢ सर्ी वनजी स्कूलों को 25% सीटें समाज के कमजोर िगों के बच्चों के वलए आरवक्षत रखनी होंगी।

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समािेशी वशक्षा वनमन रूप में पररिवक्षि होिी है. Thus integrated or inclusive education is
reflected in the following form.
➢ समेवकत वशक्षा उपलब्ि वशक्षा व्यिस्था में विवशष्ट/विकलांग (वदव्यांग) या सामान्य सर्ी को समान रूप से लार्ावन्ित होने
की बात कहती है।
➢ इसमें विकलांग (वदव्यांग) या विवशष्ट बालक को सामान्य बालक के साथ सामान्य विद्यालय में वशक्षा ग्रहर् का अविकार
रहता है।
➢ समािेशी वशक्षा प्रत्येक बच्चे की व्यवक्तगत शवक्तयों का विकास करती है।
➢ समािेशी वशक्षा अन्य छात्रों को अपनी उम्र के साथ कक्षा की गवतविवियों में तथा व्यवक्तगत लक्ष्यों पर कायथ करने के वलए
प्रेररत करती है।
➢ समािेशी वशक्षा बच्चों को उनके वशक्षा के क्षेत्र में तथा स्कूल गवतविवियों में माता-वपता को र्ी शावमल करने की िकालत
करती है।
➢ समािेशी वशक्षा सममान ि अपनेपन की स्कूल सस्ं कृ वत के साथ-साथ व्यवक्तगत मतर्ेदों को स्िीकार करने का र्ी अिसर
प्रदान करती है।
➢ यह वनःशक्त बालकों तथा सामीन्य बालकों के बीच सामजं स्य तथा वमत्रता का मागथ प्रशस्त करती है।
समािेशी वशक्षा का महत्त्ि Importance of integrated or inclusive education
समािेशी वशक्षा का महत्त्ि वनमनवलवखत है
➢ छात्र अपने व्यवक्तत्ि के साथ दसू रे के व्यवक्तत्ि का र्ी सममान करना सीखता है।
➢ छात्रों में सहनशीलता, र्ािनात्मकता तथा सौहार्द्थ के गुर् उर्रते हैं।
➢ िे दसू रे की शवक्तयों तथा कमजोररयों का सममान करना सीखते हैं।
➢ दसू रे बच्चों की सहायता करके छात्र स्ियं में सन्तवु ष्ट का अनुर्ि करते ही हैं, साथ ही िे अपनी वमत्रता को लमबे समय तक
बनाए र्ी रखते हैं।
➢ समािेवशत कक्षा विवर्न्नता में एकता की पररचायक होती है।
➢ समािेवशत विद्यालयों में छात्र समहू के रूप में सद्भािनापर्ू थ िातािरर् में एक-दसू रे का सहयोग करना सीखते हैं।
➢ मानि संसािन का सही वनमाथर् होता है।
समािेशी वशक्षा के वसद्धान्ि principles of inclusive education
समािेशी वशक्षा के वसद्धान्त वनमनवलवखत हैं
➢ छात्रों के साथ वकसी र्ी स्तर पर कोई र्ेदर्ाि नहीं होगा।
➢ सर्ी को वशक्षा प्राप्त करने का समान अिसर प्राप्त होगा।
➢ स्कूली छात्रों की शैवक्षक आिश्यकताओ ं को पर्ू थ करे गा।
➢ सर्ी छात्रों के वलए वशक्षा के समान अिसर होंगे।

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➢ छात्रों के विचार सनु े जाएँगे तथा उन पर पयाथप्त ध्यान वदया जाएगा।
➢ छात्रों की व्यवक्तगत विवर्न्नता उनके वलए लार्दायक होगी,
समािेशी वशक्षा की आिश्यकिा िथा चुनौवियों Need and challenges of inclusive education
कारर्
1. उपागमयिा(accessible) : सामान्य बालकों तथा असामान्य बालकों को समािेशी वशक्षा द्वारा वशवक्षत करने की
आिश्यकता है। यह इसका सिथप्रथम कारर् है। विवर्न्न योग्यता िाले बालकों हेतु उनकी संख्यानसु ार घर के पास ही
विवशष्ट विद्यालयों की स्थापना अत्यन्त कवठन कायथ है।
2. असिं ेदनशीििा(insensitivity) : समािेशी वशक्षा की दसू री सबसे बडी चनु ौती है, असंिेदनशीलता। समाज,
पररिार, अध्यापकों तथा वमत्रों की संिेदनहीनता तथा नकारात्मक अवर्िृवत्त के फलस्िरूप विवशष्ट बालक, अिरुद्ध
विकास तथा वदशाहीन जीिन का वशकार हो रहे हैं। बालक में शैवक्षक योग्यता होने पर र्ी उनका पररिार बालक को
विद्यालय र्ेजने में रुवच नहीं रखता। बालक को बोझ समझ वचन्ता ि दयादृवष्ट से देखा जाता है। समािेशी वशक्षा के
अन्तगथत पररिार, अध्यापक एिं समपर्ू थ समाज में सकारात्मक अवर्िृवत्त उत्पन्न करने का प्रयास समावहत है।
3. समस्याओ ं के वनराकरर् की उपेक्षा (Neglecting to solve problems): समाज में जानकारी का अर्ाि
उपरोक्त समस्याओ ं में िृवद्ध करता है। यह तीसरा सबसे महत्त्िपर्ू थ कारर् विवर्न्न योग्यता िाले बालकों की समस्याओ ं
के वनराकरर् की अपेक्षा स्थल ू ता ही उत्पन्न करता है। समबवन्ित ज्ञान को जन-जन तक पहुचँ ाने की वनतान्त आिश्यकता
है।
समािेशी वशक्षा के उद्देश्य Objectives of Inclusive Education
वकसी र्ी कायथ की सफलता हेतु सिथप्रथम पद है- उद्देश्यों का वनिाथरर् तथा उद्देश्यों में समयानसु ार पररितथन। समेवकत
वशक्षा के उद्देश्य वनमन हो सकते हैं-
➢ बच्चे को वशक्षा की मख्ु यिारा से अलग वकए वबना उसकी आंतररक क्षमताओ ं को उर्ार, अपनी शवक्त का अविकतम
उपयोग करने की योग्यता विकवसत करना।
➢ बालक के विकास के वलए सहायक िातािरर् उपलब्ि कराना ।
➢ बालकों में दैवनक जीिन की मलू र्तू आिश्यकताओ ं के अनरू ु प कौशल का विकास।
➢ बालकों में समाज के प्रवत सकारात्मक दृवष्टकोर् तथा उवचत समायोजन।
➢ समाज का बालकों के प्रवत सिं ेदनशीलता का विकास।
➢ सीखने की प्रकृ वत का विकास।
➢ बालकों में निजीिन का संचार ।
➢ समग्र जीिन में उत्तम नागररक होने के कत्तथव्यों को िहन करना।
➢ वशक्षावथथयों को स्िािलंबी बनाने के वलए व्यािसावयक वशक्षा प्रदान करना।

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समािेशी वशक्षा के क्षेत्र

विवशष्ट या असािारर् िािक का अथल (Meaning of Exceptional Children)


➢ सामान्यतः विवशष्ट या असािारर् बालक उन बालकों को कहा जाता है जो विवर्न्न तरह के गर्ु ों में सामान्य
बच्चों से अलग होते हैं। Generally, special or extraordinary children are those children who are
different from normal children in various qualities.
➢ पररर्ामस्िरूप वशक्षकों को इन्हें विशेष वशक्षा (special education) का प्रबंि करना पडता है।
➢ विवशष्ट या असािारर् बालक को देिाडल एिं औरिैन्सकी (Heward & Oriansky, 1980) ने अपनी
प्रवसद्ध पस्ु तक 'एर्कसेप्शनि वचल्रेन' (Exceptional Children) में इस प्रकार पररर्ावषत वकया है-
➢ "विवशष्ट एक ऐसा अंिरोवशि पद (inclusive term) है वजसका िात्पयल वकसी भी िैसे बािक से होिा
है वजसका वनष्पादन मानक (norm) से ऊपर या नीचे इस हद िक विचविि होिा है वक उसके विए
विशेष वशक्षा के कायलिम की जरूरि होिी है। "
“Special” is an inclusive term that refers to any child whose performance deviates
above or below the norm to such an extent that he or she requires a program of
special education.
➢ विक एिं गािाघर' (Krik & Gallagher, 1979) - “िैसे बालक जो औसत या सामान्य बालक से (i) मानवसक
गर्ु ों में (ii) ज्ञानात्मक क्षमताओ ं में (iii) न्यरू ोवक्रयात्मक या शारीररक गर्ु ों में (iv) सामावजक व्यिहार में (v) संचार
क्षमताओ ं में या (vi) बहुविकलांगता में विचवलत होते हैं, विवशष्ट बालक कहलाते हैं।”
Those children who deviate from the average or normal child in (i) mental qualities (ii)
cognitive abilities (iii) neurofunctional or physical qualities (iv) social behavior (v)
communication abilities or (vi) multiple disabilities, Are called special children.”
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इन महत्त्िपर्ू थ पररर्ाषाओ ं से यह स्पष्ट है वक विवशष्ट बालक या असािारर् बालक िैसे बालक होते हैं जो सामान्य या
औसत बालक से ऊपर या नीचे की ओर विचवलत (deviate) होते हैं।
विशेषिाएँ (characteristics)
विवशष्ट या असािारर् बालकों की कुछ विशेषताएँ (characteristics) हैं, जो वनमनावं कत
(1) विवशष्ट बालक सामान्य या औसत बालकों से कई तरह के गर्ु ों, वजनमें मानवसक एिं शारीररक मख्ु य होता है,
विचवलत (deviate) होते है।
(ii) विवशष्ट बालकों का विचलन (deviation) इस सीमा तक होता है वक उन्हें विशेष वशक्षा देने की ज़रूरत होती है |
(iii) विवशष्ट बालकों से वशक्षकों को सबसे अविक चनु ौती (challenge) वमलती है।
(iv) ऐसे बालकों पर माता-वपता, अवर्र्ािक एिं सामावजक संगठनों द्वारा र्ी विशेष नजर रखी जाती है।

विवशष्ट बािकों के प्रकार (Types of Special Children)


शैवक्षक रूप से वभन्न शारीररक रूप से वभन्न मानवसक रूप से वभन्न सामावजक रूप से वभन्न
(educationally diverse) physically different mentally different socially different
1.प्रवतर्ाशाली brilliant 1.दृवष्ट बावित (vision 1.सृजनात्मक बच्चे 1.िंवचत बच्चे (mind
2.िीमी गवत से सीखने िाले impaired) (creative kids) child)
(slow learners) 2.श्रिर् बावित(Hearing 2.मानवसक मंदता 2.समस्यात्मक बच्चे
3.अविगम असमथथ (learning impairment) (mental retardation) (problem children)
disabled) 3.िाक् दोष (speech defect) 3.मानवसक बीमारी
4.अवस्थ बावित(bone (mental illness)
disrupted)
5.प्रमवस्तस्क पक्षाघात
(cerebral palsy)

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1.प्रविभाशािी बच्चों की पहचान (Identification of meritorious students)

प्रवशक्षु वनमनवलवखत प्रविवियों का प्रयोग कर प्रवतर्ाशाली बच्चों की पहचान कर सकते हैं -


1.उपिवब्ि परीक्षर्(achievement Test)
➢ इस परीक्षर् द्वारा छात्रों द्वारा अवजथत वनपर्ु ता(acquired skills) को मापा जाता है।
➢ प्रवतर्ाशाली छात्रों की पहचान उपलवब्ि परीक्षर्ों के प्रयोग द्वारा कर सकते हैं।
2.अवभरूवच/अवभक्षमिा पररक्षर् (Aptitude Test)
➢ विद्यावथथयों के र्विष्य की सफलता के बारे में अनुमान लगा सकते हैं |
➢ बच्चों की क्षमताओ ं एिं व्यिहार के बारे में अनुमान
➢ विवर्न्न क्षेत्रों में कौशल या ज्ञान प्राप्त करने की अवजथत तथा जन्मजात योग्यता
➢ वकसी विशेष कायथक्षत्रे में वनपर्ु ता प्राप्त करने की क्षमता(Capacity) का मापन

3.बुवद्ध परीक्षर्(Intelligence Test) – (1) शावब्दक परीक्षर् तथा (2) अशावब्दक परीक्षर्।

4. संबंविि व्यवियों से एकत्र सूचना (Information from related persons) - जो व्यवक्त


बच्चे से संबवं ित हो (बाहे पररिार का हो या पडोस या विद्यालय का) िे बच्चों के संबंि में सचू नाएँ एकत्र कर
प्रवतर्ाशाली बच्चों की पहचान कर सकते हैं।

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प्रविभाशािी बच्चो की विशेषिाएं Characteristics of gifted children

1. ये बच्चे सामान्य बवु द्ध का प्रयोग अविक करते हैं। 1. These children use common sense more.
2. ये बच्चे रटने की बजाय समझने में विश्वास करते हैं। 2. These children believe in understanding
3. इनका शब्द र्ण्डार विस्तृत होता है। rather than memorizing.
4. ये बच्चे कवठन कायों को सगु मता पिू थक कर लेते 3. Their vocabulary is wide.
हैं। 4. These children can do difficult tasks
5. इनका वचन्तन मौवलक होता है। easily.
6. ये बच्चे स्पष्ट रूप से सोचने, अथों को पहचानने 5. Their thinking is original.
और संबंिों को पहचानने में दक्ष होते हैं। 6. These children are adept at thinking
7. इनकी ज्ञानेवन्र्द्यों का विकास तीव्र गवत से होता clearly, recognizing meanings, and
है। recognizing relationships.
8. ये अमतू थ वचन्तन एिं अमतू थ विषयों में अविक 7. Their sense organs develop at a rapid
रूवच लेते हैं। pace.
9. इनमें सृजनशीलता का गर्ु पाया जाता है। 8. They take more interest in abstract
10.इसके अवतररवक्त प्रवतर्ाशाली बच्चों में शीघ्र thinking and abstract subjects.
समस्या समािान, विद्यालयी कायथ एिं गृहकायथ को 9. The quality of creativity is found in
सगु मता से करना, अन्तदृथवष्ट, बौवद्धक नेतत्ृ ि, अविक them.
अंक पाने की प्रिृवत्त एिं वक्रयाकलापों में 10. Apart from this, talented children get
विवर्न्नताओ ं के गर्ु quick problem solving and ease in school
पाये जाते हैं। work and homework.
Qualities like ability, insight, intellectual
leadership, tendency to score more marks
and diversity in activities
Are found.

प्रविभाशािी बच्चों की वशक्षा (Education of meritorious students) -

हैंविग हस्टथ - "A Survey of The Education of gifted children" में वलखा है वक,
"प्रवतर्ाशाली बच्चों के वलए वशक्षा का सफल कायथक्रम िही हो सकता है, वजसका उद्देश्य उनकी विवर्न्न योग्यताओ ं
का विकास करना हो।" A successful program of education for gifted children can only be one
which aims at the development of their various abilities."

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इस कथन के अनसु ार प्रवतर्ाशाली बच्चों की वशक्षा इस प्रकार हो सकती है -

1. प्रवतर्ाशाली बच्चों के वलए अिसरों की समानता 1. Equality of opportunities for gifted


2. विशेष एिं समृद्ध पाठ्यक्रम के अन्तगथत वशक्षा । children
3. असामावजक आदतों को रोकना । 2. Education under special and enriched
4. समग्र विकास पर बल । curriculum.
5. सस्ं कृ वत की वशक्षा। 3. Stopping anti-social habits.
6. सामान्य बच्चों के साथ वशक्षा । 4. Emphasis on overall development.
7. पाठ्य सहगामी वक्रयाओ ं का आयोजन करना । 5. Education of culture.
8. सामावजक अनुर्िों के अिसर देना। 6. Education with normal children.
9. नेतत्ृ ि का प्रवशक्षर् देना। 7. Organizing co-curricular activities.
10. शैवक्षक कायथक्रमों का आयोजन करना 8. Providing opportunities for social
11. प्रोत्साहन प्रदान करना। experiences.
12. श्रेष्ठ एिं विशेष रूप से प्रवशवक्षत अध्यापकों द्वारा
9. To provide leadership training.
वशक्षर् ।
10. Organizing educational programs
13. बच्चे की रूवच के अनसु ार कायथ देना ।
11. Providing incentives.
14. पस्ु तकालय सवु ििाएँ उपलब्ि कराना।
15. योजना विवि द्वारा वशक्षर् । 12. Teaching by best and specially trained
16. विशेष विद्यालयों में वशक्षा । teachers.
17. विशेष कक्षाओ ं की व्यिस्था । 13. Giving work according to the child's
18. वशक्षक द्वारा व्यवक्तगत ध्यान देना । interest.
19. वशक्षा का आिार बच्चे का अध्ययन । 14. Providing library facilities.
20. समय-समय पर विशेष वनदेशन / परामशथ प्रदान करना। 15. Teaching by planning method.
16. Education in special schools.
17. Arrangement of special classes.
18. Personal attention given by the teacher.
19. The basis of education is the study of
the child.
20. To provide special
guidance/consultancy from time to time.

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2.िीमी गवि से सीखने िािे बच्चों की विशेषिाएँ (Attributes of children who learn slow) -

1. शारीररक विशेषिाएँ physical characteristics


(अ) मानवसक (ब) शारीररक (स) वमवश्रत (शारीररक एिं मानवसक दोनों) (a) Mental (b) Physical (c) Mixed
(both physical and mental)इन तीनों प्रकार के विशेषताओ ं
िाले बच्चों का शारीररक तथा मानवसक विकास िीमी गवत से होता है। इनमें पररपक्िता र्ी देर से आती है।

2. अििारर् शवि का अभाि lack of retention power - िीमी गवत से सीखने िाले बच्चों में स्मरर् शवक्त
की कमी के कारर् िारर्शवक्त का अर्ाि होता है।

3. असुरक्षा का भाि sense of insecurity - िीमी गवत से सीखने िाले बच्चों में असरु क्षा का र्ाि अविक होता
है। वजससे उनमें आत्मविश्वास की र्ािना का अर्ाि रहता है।

4. अवभव्यवि या समप्रेषर् का अभाि lack of expression or communication - ये अपने विचारों को


अवर्व्यवक्त नहीं कर पाते हैं। इनमें र्विष्य बोि का गर्ु र्ी नहीं होता हैं।

5. समस्याग्रस्ििा problematicness - िीमी गवत से सीखने िाले बच्चे में सामावजक, सांस्कृ वतक तथा शैवक्षक
समस्याएं हो सकती हैं।

िीमी गवि से सीखने िािे बच्चों की पहचान

1. वनरीक्षर् प्रविवि inspection technique - विद्यालय में प्रिेश के उपरान्त वशक्षक सािारर् ढंग या
अनौपचाररक तरीके के उनके विवर्न्न वक्रयाकलापों का अिलोकन कर सकते हैं।

2. एकि अध्ययन विवि single study method - इस ऐवतहावसक शोि प्रविवि के अन्तगथत अध्यापक द्वारा
बच्चे के जन्म से ितथमान तक की विवर्न्न सचू नाओ ं का उसके वमत्रों, ररश्तेदारों, पररिार के सदस्यों के माध्यम से
एकवत्रत कर उनसे विद्यालयों के अवर्लेखों का वमलान कर वनदान वकया जा सकता है।

3. वचवकत्सा परीक्षर् medical examination - बच्चों से संबंवित सचू ना से उसकी शारीररक बाविता की
जानकारी नहीं हो पाती है। अतएि वचवकत्सकीय जाँच कराकर पता लगाया जा सकता है।

4. शैवक्षक परीक्षर् educational testing - इस परीक्षर् द्वारा र्ी िीमी गवत से सीखने िाले बच्चों की पहचान
की जा सकती है।

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5. व्यवित्ि परीक्षर् personality test - व्यवक्तत्ि परीक्षर्ों से बच्चे के सामावजक, मनोिैज्ञावनक तथा संिेगात्मक
गर्ु ों का बोि होता है। व्यिहारों एिं समायोजन क्षमता की कमी से इनका पता लगाया जा सकता है। Personality
tests provide insight into the social, psychological and emotional qualities of a child. These can
be detected by behavior and lack of adjustment ability.

6. बवु द्ध परीक्षर् intelligence test - बवु द्ध परीक्षर् के द्वारा बच्चों की बवु द्ध के विवर्न्न क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त
कर उनके अनरू ु प शैवक्षक योजना बनाई जा सकती है।

अविगम असमथल बच्चों की वशक्षा –

➢ पठन कौशल के विकास हेतु गवतविवि कराना ।


➢ सहयोगी अविगम के अिसर प्रदान करना ।
➢ वनयवमत रूप से अभ्यास कायथ करिाना।
➢ खेल विवि का अविक से अविक प्रयोग करिाना।
➢ उपचारात्मक वशक्षर् करिाना।
➢ िास्तविक जीिन के अनर्ु िों को वशक्षर् में शावमल करना ।
➢ कायथ के वलए अवतररक्त समय देना ।
➢ स्पष्ट एिं संवक्षप्त वनदेश देना।
➢ ध्यान के वन्र्द्त करने िाली गवतविवियों का आयोजन करना।

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3.अविगम असमथलिा(learning disability)

➢ “अविगम अक्षमता” पद दो अलग-अलग पदों "अविगम" और "अक्षमिा" से वमलकर बना है।


➢ अविगम शब्द का आशय "सीखने" से है तथा "अक्षमता” का तात्पयथ “क्षमता के अर्ाि" या "क्षमता की अनुपवस्थवत"
से है। The word learning means “to learn” and “disability” means “lack of ability” or
“absence of ability”.
➢ अथाथत् सामान्य र्ाषा में "अविगम अक्षमता" का तात्पयथ "सीखने की क्षमता अथिा योग्यता” की कमी या अनुपवस्थवत
से है।
➢ अविगम अक्षमता" पद का सिथप्रथम प्रयोग 1963 ई. में रोगुअि वककल द्वारा वकया गया था और इसे वनमन
➢ शब्दों में पररर्ावषत वकया था.
"अविगम अक्षमता को िाक्, र्ाषा, पठन, लेखन या अक ं गवर्तीय प्रवक्रयाओ ं में से वकसी एक या अविक प्रवक्रयाओ ं
में मदं ता, विकृ वत अथिा अिरुद्ध विकास के रुप में पररर्ावषत वकया जा सकता है, "Learning disability is
defined as a disability affecting any one or more of the speech, language, reading,
writing, or arithmetic processes."Can be defined as retardation, deformity or stunted
development,
कौन शावमि नहीं है ?
➢ दृवष्ट,श्रिर् या गामक विकलांगता.मानवसक मदं ता,संिेगात्मक विक्षोर्,सांस्कृ वतक ि् आवथथक दोष, वपछडेपन,नेत्रहीन या
मकू , बविर It Visual, hearing or speech disability, mental retardation, emotional
disturbance, cultural and economic deficiency. backward, blind or mute, deaf
➢ कई आिारों पर विर्ेदीकृ त वकया गया है।
➢ इसका प्रमख ु विर्ेदीकरर् विवटश कोलवं बया (2011) एिं विटेन के वशक्षा मत्रं ालय द्वारा प्रकावशत पस्ु तक
➢ Supporting Students with Learning Disabilities A Guide for Teachers में वदया गया है,
जो वनमनवलवखत है
प्रकृवि Nature
1. अविगम अक्षमता आंतररक होती है;
2. यह स्थायी स्िरुप का होता है अथाथत यह व्यवक्त विशेष में आजीिन विद्यमान lifelong existence रहता है,
3. यह कोई एक विकृ वत नहीं बवल्क विकृ वतयों का एक विषम समहू है
4. इस समस्या से ग्रवसत व्यवक्तयों में कई प्रकार के व्यिहार और विशेषताएँ पाई जाती हैं;
5. चँवू क यह समस्या के न्र्द्ीय तंवत्रका तंत्र central nervous system की कायथविरुपता Dysfunction से संबंवित
है, अतः यह एक जैविक समस्या biological problem है;
6. यह श्रिर्, सोच, बाक्, पठन, लेखन This is hearing, thinking, speaking, reading, writing. एिं
अंकगवर्तीय गर्ना में शावमल मनोिैज्ञावनक प्रवक्रया में विकवत के फलस्िरुप उत्पन्न होता है, अतः यह एक
मनोिैज्ञावनक समस्या र्ी है

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िक्षर् symptoms
1. वबना सोचे-विचारे कायथ करना 11. सामान्य कायथ का सपं ावदत करने के वलए र्ी एक से
2. वनर्थयात्मक क्षमता का अर्ाि अविक बार प्रयास करना
3. लक्ष्य से आसानी से विचवलत होना 12. पाठ्य सहगामी वक्रयाओ ं में शावमल नहीं होना
4. सामान्य ध्िवनयों एिं दृश्यों के प्रवत आकषथर् 13. क्षीर् स्मरर् शवक्त का होना
5. ध्यान कम के वन्र्द्त करना या ध्यान का र्टकाि 14. वबना िाह्य हस्तक्षेप के अन्य गवतविवियों में र्ाग लेने
6. र्ाित्मक अवस्थरता में असमथथ होना
7. एक ही वस्थवत में शात एिं वस्थर रहने की असमथथता
8. सामान्य से ज्यादा सवक्रयता
9. अवनयंवत्रत शारीररक वक्रया
10. कायथ करने की मदं गवत

अक्षमिा के प्रकार types of disability

1.वडस्लेवक्सया (पढ़ने सबं ंिी विकार) 1.Dyslexia (reading disorder)


2. वडस्ग्रावफया (लेखन संबंिी विकार) 2. Dysgraphia (writing disorder)
3. वडस्कै लकुवलया (गवर्तीय कौशल संबंिी विकार) 3. Dyscalculia (mathematical skills
4.वडस्प्रेवक्सया (समन्िय, गवत, संतल
ु न और संगठन disorder)
क्षमताओ ं समबवन्ि विकार ) 4.Dyspraxia (Disorders related to
5. वडस्फे वसया (िाक् क्षमता संबंिी विकार) coordination, movement, balance and
6. वडस्मोवफथ या (शारीररक भ्रम) organization abilities)
7.वडस्थीवमया (Dysthymia)- तनाि 5. Dysphasia (speech disorder)
6. Dysmorphia (body illusion)
8.अटेंशन-डेव़िवसट/हाइपरएवक्टविटी वडसऑडथर 7.Dysthymia- Stress
(ADHD) – कम ध्यान अिवि और/या अवत 8.Attention-deficit/hyperactivity disorder
सवक्रयता (ADHD) – short attention span and/or
hyperactivity
9.वडसआथोग्रवफया- व्याकरर् समबन्िी विकार 9.Dysorthographia- Grammatical disorder
10.स्िलीनता Autism- सामावजक व्यिहार और 10.Autism- Affects social behavior and
संपकथ को प्रर्ावित करता है
interaction

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1.वडस्िेवर्कसया - पठन विकार Dyslexia - reading disorder

वडस्लेवक्सया शब्द ग्रीक र्ाषा के दो शब्द "डस" और


"लेवक्सस से वमलकर बना है वजसका शावब्दक अथथ है
“कवठन र्ाषा(वडवफकल्ट स्पीच)" ।
िषथ 1887 में एक जमथन नेत्र रोग विशेषज्ञ रुडोल्फ
बविलन द्वारा खोजे गए इस शब्द को “शब्द अंििा”
“word blindness” र्ी कहा जाता है।
यह अविगम अक्षमता का सबसे सामान्य प्रकार है।

वडस्िेवर्कसया के िक्षर्: Symptoms of Dyslexia:- इसके वनमनवलवखत लक्षर् है


1. िर्थमाला अविगम में कवठनाई Difficulty learning the alphabet
2. अक्षरों की ध्िवनयों को सीखने में कवठनाई Difficulty learning letter sounds
3. पढ़ते समय स्िर िर्ों का लोप होना omission of vowels while reading
4. शब्दों को उलटा या अक्षरों का क्रम इिर-उिर कर पढ़ा जाना, जैसे- नाम को मान या शािक को शाक पढ़ा जाना
5. ितथनी दोष spelling mistake से पीवडत होना(WAS – SAW)
6.समान उच्चारर् िाले ध्िवनयों को न पहचान पाना.Inability to recognize sounds with similar
pronunciation
7. शब्दकोष का अर्ाि lack of dictionary
8. र्ाषा के अथथपर्ू थ प्रयोग का अर्ाि तथा Lack of meaningful use of language and
9.क्षीर् स्मरर् शवक्त poor memory

प्रकार - Alexia, Hyperlexia

वडस्िेवर्कसया की पहचान – Dyslexia diagnosis


➢ उपयथक्त ु लक्षर् हालावं क वडस्लेवक्सया की पहचान करने में उपयोगी होते हैं लेवकन इन
➢ लक्षर्ों के आिार पर पर्ू थतः विश्वास के साथ वकसी र्ी व्यवक्त को वडस्लेवक्सक घोवषत नहीं वकया जा सकता है।
➢ वडस्लेवक्सया की पहचान करने के वलए सन् 1973 में अमेररकन व़िवजवशयन एिेना बोडर ने " "Board Test
of Reading- Spelling Pattern"नामक एक परीक्षर् का विकास वकया।
➢ र्ारत में इसके वलए “वडस्िेवर्कसया अिी स्िीवनंग टे स्ट” “Dyslexia Early Screening Test” और
“वडस्िेवर्कसया स्िीवनंग टे स्ट" का प्रयोग वकया जाता है।

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वडस्िेवर्कसया का उपचार- Treatment of dyslexia-
वडस्लेवक्सया का पर्ू थ उपचार असंर्ि है लेवकन इसको उवचत वशक्षर्-अविगम पद्धवत appropriate teaching-
learning methodology के द्वारा वनमनतम स्तर पर लाया जा सकता है।

2.वडस्ग्रावफया – िेखन विकार Dysgraphia – writing disorder

"वडस्प्रावफया अविगम अक्षमता का िो प्रकार है जो


िेखन क्षमिा को प्रर्ावित करता है।
यह ितथनी संबंिी कवठनाई, खराब हस्तलेखन एिं अपने
विचारों को वलवपबद्ध करने में कवठनाई के रूप में जाना
जाता है। This is characterized by spelling
difficulties, poor handwriting and difficulty
recording one's thoughts.

वडस्ग्रावफया के लक्षर्- इसके वनमनवलवखत लक्षर् है: Symptoms of Dysgraphia- It has the following
symptoms
1. वलखते समय स्ियं से बात करना: 1.Talking to yourself while writing:
2. अशद्ध ु ितथनी एिं अवनयवमत रुप और आकार 2. Writing letters with incorrect spelling
िाले अक्षर को वलखना; and irregular shape and size;
3. पठनीय होने पर र्ी कॉपी करने में अत्यविक श्रम 3. Using excessive labor in copying even
का प्रयोग करना; when it is legible;
4. लेखन सामग्री पर कमजोर पकड 4. Weak grip on writing material
5. अपठनीय हस्तलेखन 5. Unreadable handwriting
6. लाइनों का ऊपर-नीचे वलखा जाना एिं शब्दों के 6. Writing lines up and down and leaving
बीच अवनयवमत स्थान छोडना irregular spaces between words.
7. अपर्ू थ अक्षर या शब्द वलखना। 7. Writing incomplete letters or words

उपचारात्मक कायलिम- Remedial program-

चँवू क यह एक लेखन संबंिी विकार है, अतः, इसके उपचार के वलए यह आिश्यक है वक इस अविगम अक्षमता से
ग्रवसत व्यवक्त को लेखन का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास कराया जाय।

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3.वडस्कै िकुविया – गवर्िीय गर्ना विकार
➢ यह एक व्यापक पद है वजसका प्रयोग गवर्िीय
कौशि अक्षमिा mathematical skills
disability के वलए वकया जाता है।
➢ इसके अंतगथत अंकों संख्याओ ं के अथथ समझने की
अयोग्यता से लेकर
➢ अक ं गवर्तीय समस्याओ ं के समािान में सत्रू ों एिं
वसद्धांिों के प्रयोग की अयोग्यिा (Inability
to use formulas and principles )तथा सर्ी
प्रकार के गवर्तीय कौशल अक्षमता शावमल है।.
वडस्कै िकुविया के िक्षर् (Symptoms of Dyscalculia )- इसके वनमनवलवखत लक्षर् है :

1. नाम एिं चेहरा पहचानने में कवठनाई


2. अंकगवर्तीय संवक्रयाओ ं के वचन्हों को समझने में 1.Difficulty in recognizing name and face:
कवठनाई; 2. Difficulty in understanding symbols of
3. अंकगवर्तीय संवक्रयाओ ं के अशद्धु पररर्ाम arithmetic operations;
वमलना 3. Getting incorrect results of arithmetic
4. वगनने के वलए ऊँगवलयों का प्रयोग operations
5. वित्तीय योजना या बजट बनाने में कवठनाई, 4. Use fingers to count
6. चेकबक ू के प्रयोग में कवठनाई 5. Difficulty in making financial plans or
7. वदशा ज्ञान का अर्ाि या अल्प समझ: budgets,
8.नकद अंतरर् या र्गु तान से डर तथा 6. Difficulty in using check book
9. समय की अनपु यक्त ु समझ के कारर् समय सारर्ी 7. Lack of sense of direction or poor
बनाने में कवठनाई का अनर्ु ि करना। understanding:
8. Fear of cash transfer or payment and
9. Experiencing difficulty in making time
table due to improper understanding of
time.
वडस्कै िकुविया के कारर् – causes of dyscalculia
इसका कारर् मवस्तष्क में उपवस्थत काटेर्कस की कायलविरुपिा को माना जाता है।
कर्ी- कर्ी तावकथ क वचंतन क्षमता के अर्ाि के कारर् या कायथकारी स्मृवत के अर्ाि के कारर् र्ी वडस्कै लकुवलया
उत्पन्न होता है
वडस्कै िकुविया का उपचार- Treatment of dyscalculia-
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उवचत वशक्षर् अविगम रर्नीवत अपनाकर वडस्कै लकुकवलया को कम वकया जा सकता है।
कुछ प्रमख
ु रर्नीवतयाँ वनमनवलवखत है.
1 जीिन की िास्तविक पररवस्थवतयों से संबंवित
उदाहरर् प्रस्ततु करना,
2. गवर्तीय लक्ष्य को याद करने की वलए अवतररक्त
समय प्रदान करना
3. फ्लैश काड्थस और कंप्यटू र गेमस का प्रयाग करना
4.गवर्त को सरल करना और यह बताना वक यह एक
कौशल है वजसे अवजथत वकया जा सकता ह
4.वडस्प्रेवर्कसया /अप्रेवर्कसया – समन्िय विकार Dyspraxia/Apraxia – Coordination Disorder

वडस्प्रैवक्सया सीखने में एक विवशष्ट कवठनाई है जो में परे शानी होती है |


समन्िय, गवत, संतल ु न और संगठन क्षमताओ ं मोटर योग्यताएं
coordination, speed, balance and चीजों को पकडना
organization abilities को प्रर्ावित करती है। दांतों को िश करने,जटु े के फीते बाँिने में कवठनाई
DISPRAXIA- PARTIAL LOSS
APEAXIA – COMPLETE LOSS
िक्षर् –
स्थूि गविक कौशि –
Dancing,jumping,running
सक्ष्ू म गविक कौशि – पकडना,वलखना

5.वडस्फेवसया/अफेज्या- भाषा एिं िाक् सबं ंिी विकृिी Dysphasia/Aphasia- Language and speech
related disorders
➢ ग्रीक र्ाषा के दो शब्दों "वडस" और "फावसया" ➢ वजससे ग्रवसत बच्चे विचार की अवर्व्यवक्त या
वजनके शावब्दक अथथ क्रमशः “अक्षमता” एिं व्याखान expression or lecture के समय
“िाक्" होते हैं से कवठनाई महससू करते हैं। इस अक्षमता के वलए
➢ वमलकर बने शब्द वडस्फै वसया का शावब्दक अथथ मख्ु य रुप से मवस्तष्क क्षवत (िेन डैमजे ) को
िाक् अक्षमता speech impairment से है। उत्तरदायी माना जाता है |
➢ यह एक र्ाषा एिं िाक् संबंिी विकृ ती है।

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िक्षर् – symptoms -
➢ छोटे िाक्यों का उपयोग
➢ कही गई बातों को समझ ना पाना
➢ बोलने में परे शानी
➢ वलखे हुए और पढ़े हुए शब्दों के अथथ को ना
पहचान पाना |

6.वडस्मोवफलया – शारीररक भ्रम Dysmorphia – physical confusion


➢ एक मेंटल हेल्थ कंडीशन है, जब इसं ान अपने शरीर और
लकु के बारे में बार-बार सोचने से खदु को रोक नहीं पाता.
बॉडी की खावमयों पर बार-बार गौर करता रहता है.
➢ एक मानवसक स्िास्थ्य वस्थवत है जहां व्यवक्त अपनी
उपवस्थवत में खावमयों के बारे में वचंता करने में बहुत समय
वबताता है।

7.वडस्थीवमया (Dysthymia)- िनाि

यह एक मानवसक विकार है।

इस समस्या में गहरी उदासी और वनराशा की र्ािना


पैदा होने लगती है।

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8. Attention-deficit/hyperactivity
disorder (ADHD) –

बच्चे की उम्र के वहसाब से कम ध्यान अिवि और/या


अवि सवियिा और अनवु चत आिेगपर्ू थ बताथि है जो
कामकाज या विकास में बािा उत्पन्न करता है।

ADHD वदमाग में मौजदू एक बीमारी है जो जन्म से


मौजदू होता है या जन्म के तरु ं त बाद विकवसत होती है।

9.वडसआथोग्रवफया- व्याकरर् समबन्िी विकार Dysorthographia- grammar disorder

Difficulty with Spelling,grammar,and Puctuation (विराम वचह्न)


example – I go to school – eye gode tu scool

10.स्ििीनिा Autism
स्िलीनता (ऑवटज्म) मवस्तष्क के विकास के दौरान होने
िाला विकार है जो बच्चे के सामावजक व्यिहार और संपकथ
को प्रर्ावित करता है। वहन्दी में इसे
'आत्मविमोह''narcissism और 'स्िपरायर्ता' autism'
र्ी कहते हैं। इससे प्रर्ावित बच्चे सीवमत और दोहराि यक्त

व्यिहार करते हैं, जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना।

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िीमी गवि से सीखने िािे बच्चों की वशक्षा
• वशक्षक द्वारा बच्चे का अिलोकन
• प्रगवत आलेख (progress graph) तैयार करना
• अवर्क्रवमत अनदु श े न programmed instructions करना
• अवर्प्ररे र्ा motivation प्रदान करना
• व्यिहाररक आयाम द्वारा वशक्षा education through practical dimension
• समप्रत्यय की सरंचना का वनमाथर् करना building concept structure
• कायों का स्तरीकरर् करना stratify tasks
• वक्रयात्मक विवियों का प्रयोग use of functional methods

वनिःशिजन अविवनयम के अनुसार वदव्यांगिा के प्रकार (Types of disability according to disability


law)

वनिःशि जन अविवनयम, 1995

विकिांगिा के प्रकार - 7 प्रकार की विकलांगता को पररर्ावषत वकया गया है जो वनमनानसु ार हैं -


1. दृवष्टहीनता 1.blindness
2. अल्प दृवष्ट 2. Short sightedness
4. श्रिर् क्षवत ग्रस्तता है 4. Suffers hearing loss
3. कुष्ठरोग मक्त
ु 3. Leprosy free
5. गामक अक्षमता 5. Speech disability
7. मानवसक रुग्र्ता 7. Mental illness
6. मानवसक मंदता 6. Mental Retardation

इनके अवतररक्त "राष्रीय न्यास अविवनयम, 1999 में


विकिांगिा के प्रकार - 4 प्रकार
1. ऑवटज्म
2. सेरेिल पाल्सी 1. autism
3. मानवसक मंदता 2. Cerebral Palsy
4. वनः शक्तता 3. Mental retardation
4. Disability

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वदव्यगं िा अविकार वििेयक Disability Rights Bill

लोकसर्ा में पाररत - 14.12.2016.


प्रर्ािी - 19 अप्रैल 2017
विशेष - PWD Act 1995 Persons with Disabilities (Equal Opportunities,
Protection of Rights and Full Participation) Act, 1995 की
7 प्रकार की बािाओ ं को 21 प्रकारों में
विस्ताररत वकया गया है।
के न्र्द् शासन के अविकार क्षेत्र में प्रकारों को बढ़ाया जा सकता है।
नाम - वदव्यांगजन अविकार अविवनयम, 2016 Rights of Persons with
Disabilities Act, 2016

अविवनयम मे मुख्य प्राििान- Main provisions in the Act-


➢ वशक्षा और सरकारी नौकररयों में वदव्यांग व्यवक्तयों के वलए आरक्षर् 3% से 4% बढ़ा दी गई है।
➢ विकलागं ता से पीवडत 6 से 18 िषथ तक के बच्चों के वलये वनःशल्ु क वशक्षा की व्यिस्था की गई है।
➢ सरकारी वित्त पोवषत शैवक्षक संस्थानों(Government funded educational institutions) और सरकार द्वारा
मान्यता प्राप्त संस्थानों को वदव्यांग बच्चों को समािेशी वशक्षा प्रदान करनी होगी।
➢ वदव्यांगजनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के वलए 'राष्रीय और राज्य वनवि'('National and State Fund')
का वनमाथर् वकया जाएगा। इस संबंि में बनाए गए अन्य फंड का इस फंड में विलय कर वदया जाएगा।
➢ सल ु र् र्ारत अवर्यान को मजबतू ी प्रदान करने एिं वनिाथररत समय सीमा में सािथजवनक इमारतों public buildings
(सरकारी और वनजी दोनों) में वदव्यागं जन की पहुचँ सवु नवित करने पर बल वदया गया है।
➢ यह वििेयक वजला न्यायालय द्वारा गावडथयनवशप की व्यिस्था प्रदान करता है वजसके तहत अवर्र्ािक और
विकलांग व्यवक्तयों के बीच संयक्त ु वनर्थय लेने की व्यिस्था होगी।
➢ इस अविवनयम में बेंचमाकथ विकलांगता यानी न्यनू तम 40 फीसदी विकलांगता के वशकार लोगों को वशक्षा और
रोजगार में आरक्षर् का लार् देने का र्ी प्राििान है और ऐसे लोगों को सरकारी योजनाओ ं और अन्य प्रकार की
योजनाओ ं में र्ी प्राथवमकता दी जाएगी।
➢ वदव्यांगजनों के अविकारों के उल्लंघन से संबंवित मामलों के वनपटारे के वलये प्रत्येक वजले में विशेष न्यायालयों
को नावमत वकया जाएगा।

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1. दृवष्टिावदत 1. Visionary
2. अल्प दृवष्टबावित 2. Low vision
3. कुष्ठ रोग मक्त
ु 3. Leprosy free
4. श्रिर्बावित 4. Hearing impaired
5. अवस्थबावित 5. Orthopedic
6. बौनापन 6. Dwarfism
7. बौवद्धक अक्षमता 7. Intellectual disability
8. मानवसक रुग्र्ता 8. Mental illness
9. स्िलीनता 9. Autism
10. प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात 10. Cerebral palsy
11. पेशीय दबु थलता 11. Muscular weakness
12. दीघथकावलक तंवत्रका तंत्र की वस्थवत 12. Long-term nervous system conditions
13. विवशष्ट अविगम अक्षमता 13. Specific Learning Disability
14. बहुविि ऊतकदृढ़न 14. Multiple Tissue Strengthening
15. मक ू बावित (िार्ी) 15. Deaf (speech)
16. थैलेसीवमया 16. Thalassemia
17. हीमोफीवलया 17. Hemophilia
18. वसकल सेल रोग 18. Sickle cell disease
19. बहु विकलांगता (श्रिर् दृवष्टबाविता सवहत) 19. Multiple Disabilities (including
20. अमल आक्रवमत व्यवक्त Hearing Impairment)
21. पारवकन्सन्स रोग 20. Acid attacked person
21. Parkinson's disease

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शारीररक रूप से वभन्न बच्चे (physically different children)

➢ ऐसे बच्चे वजनका कोई न कोई अंग दबु थल होता है, वजससे िे अपनी सामान्य वक्रयाएँ नहीं कर पाते अतः
उन्हें शारीररक अक्षम कहा जाता है। Such children who have weakness in some or the other
organ, due to which they are not able to perform their normal activities, hence
They are called physically handicapped.
➢ उपयथक्तु पररर्ाषा से स्पष्ट होता है वक शारीररक रूप से अक्षम बच्चों या व्यवक्तयों में समायोजन से संबंवित अनेक
समस्याएँ होती हैं। इन्हें पाँच िगों में विर्ावजत वकया जा सकता है।

(1) दृष्टबावित visually impaired - दृवष्टहीन


अल्पदृवष्ट
(2) श्रिर्बावित Hearing impairment
(3) िार्ीबावित speech impaired
(4) अवस्थबावित Osteopathy
(5) प्रमवस्तष्क पक्षाघात cerebral palsy

दृवष्टदोष से ग्रवसि िािक (Children with Visual Defects)

दृवष्टदोष (visual defects) या दृवष्टक्षवत (visual impairment) का दो अथों में प्रयोग वकया
जाता है।
1.कानूनी अथल (legal meaning) –
➢ दृवष्टदोष को दृवष्ट तीक्ष्र्ता (visual acuity) के मापन के आिार पर पररर्ावषत वकया गया है।
➢ दृवष्ट तीक्ष्र्ता से तात्पयथ दी गई खास दरू ी (distance) पर िस्तओ ु ं के आकार एिं उसके अन्य विस्तृत पहलओ ु ं को
स्पष्ट रूप से देखने एिं विर्ेवदत करने की क्षमता से होता है। Visual acuity refers to the ability to clearly
see and differentiate the shape and other detailed aspects of objects at a given distance.
➢ जैसे वकसी छात्र की दृवष्ट िीक्ष्र्िा Visual acuity 20/20 है
➢ अथाथत 20 फीट की दरू ी से उन सर्ी िस्तओ ु ं एिं उसके विवर्न्न पहलओु ं को देख पाता है, जो एक सामान्य
छात्र देख सकता है, तो उसे दृवष्टदोष से मक्त ु (free from visual impairment) या सामान्य दृवष्ट
तीक्ष्र्ता(Normal visual acuity) िाला छात्र समझा जाता है।
➢ परंतु यवद वकसी छात्र की दृवष्ट तीक्ष्र्ता 20/200 या उससे भी कम (चश्मा देने के बाद) है तो इसे
➢ कानूनी िौर पर अंिा (legally blind) समझा जाता है।

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2. शैवक्षक (educational)-
➢ दृवष्टदोष को इस आिार पर पररर्ावषत वकया जाता है वक यह दोष कहाँ तक छात्रों की सीखने की क्षमता को
प्रर्ावित करता है
➢ उसे सीखने के वलए विशेष विवि एिं उपकरर्ों (apparatus) का सहारा लेना पडता है।
➢ छात्र के सीखने की क्षमता वजतनी ही अविक प्रर्ावित होगी और उसे सीखने के वलए वजतना ही अविक विशेष
विवि एिं उपकरर् Special method and equipment का सहारा लेना होगा, उसमें दृवष्टदोष उतना ही गर्ं ीर
समझा जाता है।

वशक्षाशावस्त्रयों एिं वशक्षा मनोिैज्ञावनकों ने शैवक्षक रूप से (educationally) दृवष्टदोषिाले बालकों के दो प्रकार
बताए है-
1.पर्ू थ अंिे बालक totally blind child 2.वनमन दृवष्ट िाले बालक child with low vision

1.पर्
ू ल अंिे बािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of Totally Blind
Children)
'छडी भ्रमर्' (cane travel)
(1) ब्रेि पद्धवि ( Braille System) -

➢ इस पद्धवत का विकास िूवयस ब्रेि (Louis ➢ इस पद्धवत में छात्रों को ब्रेि पस्ु िक (Braille
Braille) द्वारा 1830 के लगर्ग वकया गया था। book), बेल स्लेट आवद द्वारा पढ़ना-वलखना
➢ िेल स्ियं एक अंिे व्यवक्त थे वजन्होंने छह उर्र हुए वसखाया जाता है।
वबन्दओ
ु ं (raised dots) के सहारे इस पद्धवत में ➢ िेल अक्षरों को छात्र स्टाइिस (stylus) की मदद
िर्थमाला के सर्ी अक्षरों को वलखने, संख्या एिं (Braille letters) को अक्षरों से वलखते हैं।
अन्य सामग्री को वलखने की प्रथा कायम की। ➢ उर्रे हुए वबन्दओ
ु ं पर छात्र अपनी अँगल ु ी की नोक
(finger tips) रखकर िेल अक्षरों को पढ़ते हैं।

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इिेर्करॉवनक उपकरर् (electronic apparatus)

1.िै नमर एबेकस (Cranmer abacus) 3.ऑपटाकोन (optacon)

2.स्पीच प्िस कै िकुिेटर (speech plus 4.कुजिि ररवडगं मशीन (Kurzweil reading
calculator) machine)

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(2)विवशष्ट पाठ्यिम (Special curriculum) –

हावननेन (Hanninan),मावटल न एिं होबेन (Martin & Hoben, 1977)

व्यािसावयक वशक्षा (vocational education) जैसे बेंत को कुसी बनाना, वमट्टी के बतथन बनाना आवद की र्ी वशक्षा
देनी चावहए तावक उनमें वक्रयात्मक कौशलता (motor skills) र्ी ठीक ढंग से विकवसत हो सके

(3) विवशष्ट आिासीय स्कूि (Special residential school)-

इन स्कूलों में ऐसे छात्रों की जरूरत के अनक


ु ू ल सामग्री एिं सािन जटु ाने एिं वशक्षकों को र्ी छात्रों पर विशेष ध्यान
देने में मदद वमलेगी। सर्ी बालकों के एकसमान होने से उनमें सहयोवगता (cooperativeness) का
र्ाि र्ी उत्पन्न होगा।

2,वनमन दृवष्ट के बािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of Low-vision
Children)

वनमन दृवष्टबाविि बच्चों की पहचान एिं विशेषिाएँ- Identification and characteristics of visually
impaired children:

➢ ये बच्चे अक्सर वसरददथ की वशकायत करते हैं और आँखे बन्द कर लेते हैं।
➢ ये बच्चे बार-बार पलकें झपकाते हैं।
➢ ये श्यामपट पर वलखी चीजों को वलखते समय बगल में बैठे छात्र से जोर से पढ़ने को कहते हैं।
➢ पस्ु तक तथा अन्य िस्तुओ ं को आँख के पास ले आते हैं।
➢ एक आँख को बन्द करके वसर को ऊपर उठाते हैं।
➢ अक्सर आँखों को मलते रहते हैं।
➢ इनकी आँखों का आकार वर्न्न प्रकार का होता है।
➢ इनकी आँखों की पलक छोटी एिं आँखें लाल रहती हैं।
➢ प्रकाश के प्रवत संिेदनशील रहते हैं।
➢ जब ये दरू की िस्तएु ँ देखते हैं तब शरीर में तनाि होता है।
➢ आँखों से पानी/आँसू बहता रहता है।
➢ चलते समय गलत तरीके से पैर रखते हैं।
➢ इनकी आँखों में टेढ़ापन या वतरछापन होता है, अथिा आँखें र्ारी होती हैं।

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वनमन दृवष्टबाविि बच्चों के विए वशक्षा व्यिस्था- Education system for visually impaired
children

➢ पहली पंवक्त में बैठाना चावहए।


➢ आिश्यकतानसु ार ब्लैकबोडथ के वनकट आने देना चावहए।
➢ सहायक वशक्षर् सामग्री कन्रास्ट रंगों िाली एिं बडे आकार और उवचत अतं राल में दीिारों पर बच्चों की ऊँचाई
के अनसु ार रखना चावहए।
➢ सीवढयों पर रंगीन िाररयों या विपरीत रंग का पेन्ट होना चावहए तावक बच्चों को सीवढ़यों की आसानी से पहचान
हो सके ।
➢ वशक्षकों को ब्लैकबोडथ पर वलखते समय बोलकर वलखना चावहए।
➢ स्पशथ द्वारा प्रत्यक्ष िस्तुओ ं का अनर्ु ि कराना चावहए।
➢ सावथयों को सहयोग के वलए प्रेररत करना चावहए।
imp points –

1.हेिेन एडमस के िर
एक अमेररकी लेखक, राजनीवतक कायथकताथ और
आचायथ थीं।
िह कला स्नातक की उपावि अवजथत करने िाली पहली
बविर और दृवष्टहीन थी।
अमेररका के टस्कंवबया, अलबामा में पैदा हुई।ं
वशक्षक - "एवन सवु लव्हान"
वकताबे - द स्टोरी ऑफ माई लाइफ (1903), ऑवप्टवमज्म (1903), द िल्डथ आई वलि इन (1908), लाइट इन माई
डाकथ नेस एंड माई ररवलजन (1927), हेलेन के लर जनथल (1938) शावमल हैं। , और द ओपन डोर (1957)

2.NIVH - National Institute for the Visually Handicapped (NIVH)


स्थान - देहरादनू
मंत्रालय – सामावजक न्याय और अविकारीता मंत्रालय र्ारत सरकार (Ministry of Social Justice and
Empowerment Government of India)
यह संस्थान र्ारत सरकार की दृवष्टबावितों के वलए स्थावपत पहली और एकमात्र राष्रीय स्तर की संस्था है।
यहाँ दृवष्टबावित बच्चों के वलए स्कूल, कॉलेज, छात्रािास, िेल पस्ु तास्तलय एिं ध्िन्यांवकत पस्ु तकों audio books
का पस्ु तकालय र्ी स्थावपत वकया गया है

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3.दृवष्टबावित बालकों की पहचान कक्षा प्रेक्षर् या नेत्र जाचं द्वारा वकया जा सकता है |

2.श्रिर्-सबं ि ं ी दोष से ग्रवसि िािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of
Children with Hearing Impairment)
पररभाषाए (Definitions)
श्रिर् क्षवतग्रस्तता को विवर्न्न संगठनों द्वारा समय-समय पर वनमनवलवखत
प्रकार से पररर्ावषत वकया गया है।
1. राष्रीय प्रविदशल सिेक्षर् सगं ठन National Sample Survey Organization (1991) के अनुसार-
"श्रिर् बावित उसे कहा जाता है, जो सामान्य रूप से सामान्य ध्िवन को सनु ने में असमथथ हो। "
2. भारिीय पुनिालस पररषद् के अनुसार According to Rehabilitation Council of India "जब बविरता
70 डेवसबल हो, तो व्यािसावयक और जब 55 डेवसबल तक हो, तो उसे वशक्षा के वलये उपयोग लेना चावहए।'
3. योजना आयोग एिं विकिांग जन अविवनयम Planning Commission and Disabled People Act
(1995) के अनुसार "िह व्यवक्त श्रिर् बावित कहा जायेगा, जो 60 डेवसबल या उससे अविक डेवसमल पर सनु ने की
क्षमता रखता हो। "
4. समाज कल्यार् के अनुसार "जब वकसी मनष्ु य के एक कान में 60 डेवसबल श्रिर् क्षवतग्रस्तता हो और दसू रा
कान अच्छा हो, तो िह उच्च वशक्षा के वलए उपयोगी हो सकता है। "

उपयथक्त
ु पररर्ाषाओ ं से यह असमथथ होता है वक जब व्यवक्त सनु ने में असमथथ हो तथा दसू रों की सहायता लेता है, उससे
यह ज्ञात होता है वक व्यवक्त को श्रिर् दोष है।
श्रिर् दोष एक अदृश्य तथा छुपी हुई विकलांगता है, जो देखने से नहीं वदखाई देती है। कोई व्यवक्त हाथ या श्रिर्-
संबंिी दोष दो प्रकार के होते हैं-
1.पूर्ल बहरापन (complete deafness)- प्रििथक (speech amplifier) प्रयोग के बाद र्ी कुछ नहीं सनु ते तथा
दसू रों की र्ाषा नहीं समझ पाते

2.आवं शक बहरापन (partial deafness)- छात्र प्रििथक का प्रयोग करके दसू रों की बोली को समझ लेते हैं या
यवद इनसे उच्च स्िर में बोला जाए तो िे उसे सनु कर समझ लेते हैं।

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कारर् –
जन्म के पिू ल Before birth
जानवनक कारर् genetic causes
जमथन खसरा German measles
गर्ाथिस्था में श्रिर् शवक्त hearing loss during pregnancy
असामवयक प्रसि untimely delivery
असरु वक्षत प्रसि unsafe delivery

जन्म के पश्चाि after birth


बीमारी Disease
दघु थटना Accident
उच्च ध्िवन high sound
आयु age
असंतवु लत आहार unbalanced diet

श्रिर्बाविि बच्चों की पहचान एिं विशेषिाएँ Identification and characteristics of hearing


impaired children

इनके व्यिहार में लगातार एकाग्रता concentration नहीं होती है।


ऐसे बच्चे गवतविवियों के विषय में और कायों के प्रवत अविक सजग होते हैं।
अध्यापक के होठों की गवतविवि और उसके हाि-र्ाि पर ध्यान देते हैं।
ये अपने वसर को एक ओर झक ु ाकर या घमु ाकर सनु ने का प्रयास करते हैं।
प्रश्न पछू ने पर अध्यापक से दबु ारा पछू ने को कहते हैं।
एक जैसी ध्िवन के शब्दों से उन्हें प्रायः भ्रम हो जाता है।
वबना जानकारी के र्ी िाताथ के बीच में वबना िजह बोलते हैं।
शावब्दक वनदेशनों को समझने में और अनसु रर् करने में कवठनाइयाँ होती हैं।
कक्षा में ध्िवन के श्रोत को नहीं जान पाते हैं।
शब्दों के सही उच्चारर् में उन्हें कवठनाई होती है।
वबना जानकारी के बडबडाते रहते हैं ।
अविक िीरे या अविक तेज बोलते हैं।
इनकी र्ाषा का पर्ू थ विकास नहीं हो पाता है।
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कर्ी-कर्ी कान ददथ की वशकायत करते हैं।

आिवु नक विशेषज्ञों ने श्रिर् बावितों को वनमनवलवखत चार िगों में विर्ावजत है,
जो वक वनमनवलवखत हैं
(1) के न्रीय श्रिर् दोष (Central Auditory Defects)-
इस प्रकार के बालक ध्िवन के बारे में जानते तो हैं, परंतु इसका अथथ नहीं समझ पाते तथा इसकी समप्रेक्षर् परे शानी
communication problem र्ी काफी गंर्ीर होती है।
यह दोष दिाओ ं के सेिन से आ सकते हैं, इसवलए इनके सिु ार से ज्यादा समय लगता है।

(2) मनोजैविक श्रिर् बाविि (Psychologenic Hearing Loss)-


यह बालक अपनी परे शावनयों को बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं। इन बालकों में वकसी रोग के कारर् ही बाविता आ जाती
है। कई बार यह पहचानना कवठन होता है वक यह दोष मनोिैज्ञावनक है अथिा जैविक।

(3) नाडी संस्थान श्रिर् बाविि (Sensory Neural Hearing Loss)-


बालकों में नाडी संस्थान के दोष के कारर् यह दोष आता है। अतः इसका उपचार करना संर्ि नहीं हो पाता है। यह
बालक श्रिर् यंत्रों की मदद से सनु ते हैं। इन्हें वशक्षा देने हेतु अलग-अलग प्राििानों का प्रयोग वकया जाता है। यह
होठों की र्ाषा (Lip reading) के द्वारा ज्ञान प्राप्त करते हैं और इन्हें विवशष्ट विद्यालयों में प्रिेश वदया जाता है।

(4) आचरर् में श्रिर् बावििा (Conductive Hearing Loss)


यह दोष कान के रोगों से संबंवित होते हैं।

श्रिर् बाविि बािकों की पहचान हेिु परीक्षर् (Test for Identification of Hearing Impaired
Chil- dren)
श्रिर् बावितों को वनमनवलवखत आिार पर पहचाना जाता है-
1. वचवकत्सीय परीक्षर् (Medical Examination)
2 विकासात्मक मापनी (Development Scale)
3. बालक का अध्ययन (Case study of the child)
4. मनो- नाडी परीक्षर् (Neuro-phychological Test)
5. बालकीय व्यिहार का वनरीक्षर् (Systematic Observation of the Child Behaviour)
(i) बच्चा यवद वसर एक तरफ मोडकर सनु े तो िह बावितों की श्रेर्ी में आते हैं।
(ii) िह अनदु शे न अनसु रर् नहीं कर पाते हैं।
(iii) इन बालकों की दृवष्ट अक्सर बोलने िाले बालकों के अथिा वशक्षकों के महंु की तरह होती है।
(iv) यह िार्ी बावित र्ी हो सकते हैं।

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श्रिर् क्षवियि
ु बािकों की वशक्षा education of hearing impaired children

समप्रेषर् िकनीकें
1.वचन्ह र्ाषा sign language 4.प्रििथक प्रयोग (amplifier experiment)
5.विशेष वशक्षक की मदद special teacher's help
6.संकेत र्ाषा sign language

2.ओष्ठ र्ाषा oral language


3.स्पशथ विवि touch method
7.गवत विवि action

वशक्षक िकनीकें teacher techniques


सहायता सामग्री द्वारा by support material
कमप्यटू र सहायता प्राप्त अनदु श
े न computer aided instruction
व्यवक्तगत तकनीकी अनदु श े न individual technical instruction

िगल औसि WHO के अनुसार


सुनिाई
(डेवसबि में )
सामान्य General 0-25 सामान्य General
वनमन श्रिर् poor hearing 26-40 अवि अल्प very little
मध्यम श्रिर् medium hearing 41-55 अल्प Small
मध्यम रूप से गंर्ीर moderately severe 56-70 अल्पत minority
उच्च श्रिर् बविरता severe hearing loss 71-90 गर्ं ीर Serious
गहन श्रिर् बविरता profound hearing loss 91-120 अवत गंर्ीर more serious

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दोनों तरह के बहरे बालकों की वशक्षा एिं समायोजन के बारे में मनोिैज्ञावनकों एिं वशक्षाशावस्त्रयों ने कुछ अलग-
अलग सझु ाि वदए हैं जो वनमनावं कत हैं
-
पर्
ू लरूपेर् बहरे बािकों की वशक्षा एिं समायोजन Education and adjustment of totally deaf
children

(i) पर्ू थ रूप से बहरे बालकों को वशक्षा देने में वक्रयात्मक कायथ (Motor Work ) को अविक महत्ि देना चावहए।
(ii) वशक्षकों को चावहए वक ऐसे बालकों को वशक्षा देने में शब्दों का प्रयोग कम-से- कम करें तथा प्रदशथन
(Demonstration) का उपयोग अविक-से-अविक करें ।
(iii) ऐसे बालकों के वलए अलग से आिासीय विद्यालय की स्थापना की जानी चावहए।

आवं शक रूप से बहरे बािकों की वशक्षा एिं समायोजन Education and adjustment of partially
deaf children

(i) ऐसे बालकों को कक्षा में श्रिर् सािन hearing aid का प्रयोग करने के वलए कहना चावहए।
(ii) आंवशक रूप से बहरे बालकों को स्कूल में दावखला कराने से पहले कुछ विवशष्ट सेिा (वजनमें ध्िवन प्रििथन
(Amplification) एिं माता-वपता का प्रवशक्षर् इत्यावद सवममवलत हैं) प्रदान करना जरूरी है।
(iii) कुछ वशक्षाशावस्त्रयों ने ऐसे बालकों की वशक्षा के वलए संपर्ू थ संचार उपागम के प्राििान पर बल डाला है; जैसे—
वचह्न र्ाषा (Sign Language), सांकेवतक र्ाषा (Code Speech), आंगवु लक वहज्जे (Finger Spelling) इत्यावद
ऐसे बच्चों को वशक्षा ग्रहर् करने में सामावजक प्रोत्साहन देना चावहए ।

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भाषादोष से ग्रवसि िािक का अथल (Meaning of Children with Speech Defects)
र्ाषा एक ऐसा सािन (tool) है वजसके माध्यम से एक व्यवक्त दसू रे व्यवक्त तक अपने विचारों को पहुचँ ाता है तथा
दसू रे के विचार को समझकर उसके प्रवत उपयक्त
ु अनवु क्रया (response) करता है।
बालकों में र्ाषा-संबंिी दोष कई तरह के पाए जाते हैं।
िान राइपर (Van Riper, 1972) ने यह बताया है वक यवद वकसी बालक द्वारा बोले गए शब्द या िाक्यों में
वनमनावं कत तीन विशेषताएँ हों तो उस बालक को र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालक माना जाएगा-
(i) दसू रे लोगों का ध्यान बालक द्वारा बोले गए शब्द या िाक्य की ओर अनािश्यक रूप से चला जाए।
(ii) यवद दोष या अवनयवमतता विचारों की अवर्व्यवक्त में बािक हो If defects or irregularities hinder the
expression of thoughts, तथा
(iii) बालक को सामावजक रूप से (socially maladjusted) होने में कवठनाइयाँ काफी होती हैं।
भाषा-सबं ि
ं ी दोष से ग्रवसि बािकों के मुख्य प्रकार (Major Types of Children with Speech
Impairment)
वक्रक एिं गालाघर (Krik & Gallagher, 1979) के अनसु ार र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालकों की
वनमनांवकत प्रमख
ु र्ागों में बाँटा गया है-
(1) गंगू े बालक (Dumb children)
(2) उच्चारर्-संबंिी दोषिाले बालक (Children with articulation disorders)
(3) आिाज-संबंिी दोषिाले बालक (Children with voice disorders)
(4) प्रिावहता-संबंिी दोषिाले बालक (Children with fluency disorders)
(5) व्याख्यान-संबंिी दोषिाले बालक (Children with language disorders)।
(1) गूंगे बािक (Dumb children) –
➢ गगंू े बालक िैसे बालक को कहा जाता है जो चाहकर र्ी अपनी इच्छा को अथथपर्ू थ र्ाषा के रूप में अवर्व्यक्त
नहीं कर पाते।
➢ ऐसे बालक प्रायः कुछ संकेतों के माध्यम से ही अपनी इच्छा की अवर्व्यवक्त करते हैं।
➢ कुछ बालक जन्म से गंगू े होते हैं और प्राय: ऐसे बालक बहरे र्ी होते हैं।
➢ बाद में गंगू ापन वकसी बीमारी या दघु थटना के कारर् हो सकता है, परन्तु ऐसे गंगू े बहरे नहीं होते।

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(2) उच्चारर्-सबं ि
ं ी दोषिािे िािक (Children with articulation disorders) –
➢ उच्चारर्- संबंिी दोष स्कूल के बालकों में अविक देखा गया है।
➢ इस तरह के दोष से ग्रवसत बालक प्रायः शब्दों का गलत ढंग से उच्चारर् करते हैं।
➢ जैसे 'चोटी' को 'रोटी' कहना, 'दरिाजा' को 'िाजा' कहना आवद कुछ इस तरह के दोष के उदाहरर् हैं।
➢ उम्र बीतने के साथ प्रायः इस ढंग के दोष अपने-आप ही दरू हो जाते हैं।
(3) आिाज-संबंिी दोषिािे िािक (Children with voice disorders) –
➢ जब बालक द्वारा बोले गए शब्द की आिाज के गर्ु (quality), उच्चता (loudness) या तारत्ि (pitch) में
असामान्यता (abnormality) होती है तो इसे र्ाषा-संबंिी दोषिाले बालक के रूप में पहचान की जाती है।
➢ ककथ श आिाज में बोलनेिाले बालक एिं नवकयाकर या नाक से बोलनेिाले बालकों को इस श्रेर्ी में रखा जाता
है।
(4) प्रिावहिा संबंिी दोषिािे िािक (Children with fluency disorders) –
➢ इस श्रेर्ी में उन बालकों को रखा जाता है वजनकी िार्ी की सामान्य प्रिावहता बावित हो जाती है।
➢ इसके सबसे अच्छे उदाहरर् के रूप में उन बालकों को रखा जाता है जो बोलने में हकिा (Stuttering) है।
(5) व्याख्यान-सबं ि
ं ी दोषिािे िािक (Children with language disorders) इसमें
➢ उन बालकों को रखा जाता है वजन्हें खास-खास शब्दों को बोलने में कवठनाई होती है
➢ कोवशश करते हैं, तो उनके मँहु से कोई शब्द नहीं वनकल पाता यानी ि पर्ू थतः (speechless) रह जाते हैं।
➢ इस तरह हम देखते हैं वक र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालकों को लोगों ने कई र्ागों से बाँटा है।
भाषा सबं ि
ं ी दोष से ग्रवसि िािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and Education of
Children with Speech Impairment
र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालकों की वशक्षा एिं समायोजन के वलए मनोिैज्ञावनकों ने कुछ का िर्थन वकया है, वजनमें
वनमनावं कत प्रमख
ु हैं-
(1) ऐसे बालको, विशेषकर गगु े बालको की वशक्षा-दीक्षा के वलए अलग आिासीय (residential school) की
स्थापना करनी चावहए जहाँ रहने के साथ-ही-साथ उनकी वशक्षा का उवचत प्रबन्ि हो।
(2) वशक्षकों को इस वििा में प्रवशवक्षत होना अवनिायथ है।
(3) र्ाषा-संबंिी दोष के विशेषज्ञों (experts) को स्कूल के वशक्षकों द्वारा समय-समय आमंवत्रत वकया जाना चावहए।
ऐसे विशेषज्ञ िैयवक्तक वचवकत्सा (individual therapy) या सामवू हक वचवकत्सा (group therapy) के माध्यम से
ऐसे बच्चों के वलए कुछ इस ढंग का सझु ाि देते हैं वजसका अनसु रर् कर वशक्षक इनकी वशक्षा-दीक्षा में काफी लार्
उठा सकते हैं।
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(4) र्ाषा-सिु ार कायथक्रम (special speech correction)- वशक्षकों को सनु ो-बोलो विवि (hear-say method)
का अविक-से-अविक करना चावहए
(5) र्ाषा-संबंिी दोष से ग्रवसत बालकों को वशक्षा के वलए वशक्षकों को कक्षा में उन आिवु नक उपकरर्ों का प्रयोग
करना चावहए जो ऐसे बालकों को वजज्ञासु बनाकर उन्हें बोलने के वलए प्रेररत सके ।
िार्कदोष िािे बच्चों की वशक्षा व्यिस्था
िाक दोष िाले बच्चों की वशक्षा में मनोिैज्ञावनकों एिं नाक, कान, गला विशेषज्ञों की सलाह से कायथ वकया जाए तथा
वनमनवलवखत वबन्दओु ं को ध्यान में रखकर वशक्षा प्रदान की जा सकती है।
1.पयालप्त अवभप्रेरर्ा प्रदान करना provide adequate motivation
अध्यापकों को सबसे पहले ऐसे बच्चों को वचवन्हत कर उन्हें प्रोत्साहन एिं अवर्प्रेरर्ा प्रदान करना चावहए। इससे
उनके आत्म विश्वास में िृवद्ध होगी और िे उत्सक
ु ता से सीखने के वलए प्रेररत होंगे।
2.दोष पर बि न देना do not emphasize the blame - वशक्षक को िाक्दोष िाले बच्चों के बावित स्तर एिं
मात्रा पर अविक बल नहीं देना चावहए अन्यथा िे हतोत्सावहत हो जायेंगे तथा उनमें अपेवक्षत सिु ार नहीं हो पायेगा ।
3.सही वनदान करना make the right diagnosis - वकसी र्ी िाक्दोष िाले बच्चे को वशक्षा देने से पिू थ उसकी
आिश्यकतानसु ार ( स्तर एिं मात्रा का पता लगा कर ) ही वनदान करना चावहए क्योंवक जल्दबाजी में वकया गया
वनदान गलत वनष्कषो को जन्म देता है। पररर्ामस्िरूप अपेवक्षत सिु ार के स्थान पर अनापेवक्षत क्षवत की समर्ािना
होती है।
4.उपयि ु िाक अभ्यास appropriate speech practice - िाक् दोष िाले बच्चों को समवु चत एिं पयाथप्त िाक्
अभ्यास देना चावहए। बच्चे के वलए कै सा अभ्यास प्रर्ािी रहेगा इसका पता वनदान करते समय ही चल जाता है।
वशक्षक को बच्चों के सामने सही एिं गलत, दोनों स्ियं बोलकर तत्पिात बच्चों से अनकु रर् अभ्यास कराया जाना
चावहए। लज्जा
5.घबराहट से बचाि Avoidance of anxiety - - वशक्षक िाक् दोष से पीवडत बच्चों की कक्षा में लज्जा एिं
घबराहट उत्पन्न करने िाली पररवस्थवतयों को दरू करें । प्रायः सामान्य कक्षाओ ं में इन बच्चों में कंु ठा एिं अिसाद की
वस्थवत का जन्म होता है।
जहाँ तक संर्ि हो सके ऐसे बच्चों का पता उनके बाल्यकाल में ही लगाकर उपयक्त
ु उपचार कराना चावहए तावक
सामान्य बच्चों के साथ उनका समायोजन स्थावपत हो सके ।

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अवस्थ बाविि बािक(handicapped child)
अवस्थ बाविि बािकों की पररभाषाएँ Definition of Orthopadically Handicap Children)-
वजनकी अवस्थ, मांसपेवशयों एिं जोड ठीक से कायथ नहीं करते हैं।
ऐसे बालकों को सामान्यतः शारीररक(Physically Handicapped) अपंग (Disabled) अथिा चलन वनःशक्त
(Locomotor Disabled) बालक र्ी कहा जाता है। बालकों को चिने-वफरने के विए कृवत्रम हाथ-पैर अथिा
बैसाखी कै िीपसल, विशेष जूिे, द्वीि चेयर सरीखे अन्य सहायक उपकरर्ों की जरूरत पडती है |
िो और को (Crow & Crow) - शारीररक रूप से अक्षम बच्चों से अवर्प्राय िैसे बच्चों से हैं, वजनकी मासपेवशयों
muscles में इतनी विकृ वत deformity का जाये, वजसके कारर् उसके अंगों का घमू ना कवठन हो जाये। एक स्थान से
दसू रे स्थान पर जाने में बािा पेश आये। साथ ही शारीररक कायथ क्षमताएँ सीवमत हो जाएँ।
समाज कल्यार् मंत्रािय के अनुसार, According to the Ministry of Social Welfare,
“अपंग बालकों को अवस्थ बावित बालक तब कहते हैं, जब जन्म से बीमारी, दघु थटना तथा जन्म से उनकी अवस्थयों,
मांसपेवशयों तथा जोडों में शेष िक्रता आती है और सामान्य कायथ करने तथा चलने-वफरने में असमथथ हैं।“Disabled
children are called orthopedic children when due to disease, accident or birth there is residual
curvature in their bones, muscles and joints and they are unable to do normal work and walk.
वनिःशि व्यवि अविवनयम (1995) Persons with Disabilities Act (1995)- में इसे चलन वनःशक्तता
(Locomotor Disability) के रूप में िर्थन वकया गया है। उनके अनसु ार, “चलन वनःशक्तता" से हड्वडयों, जोडों या
मांसपेवशयों की कोई ऐसी वनःशक्तता अवर्प्रेत है, वजससे अंगों की गवत में पयाथप्त वनबन्िन या वकसी प्रकार का प्रमवस्तष्क
घात हो।"
अवस्थिावचि बािकों की पहचान (Identification Of Orthopaedically Handicapped
Children)-
1. विद्यावथथयों के शारीररक अंगों जैसे गदथन, हाथ, उंगवलयां, कमर, टांगे आवद में विकृ वतयां हो सकती है।
2. ऐसे बालकों को उठने में बैठने में तथा चलने में कवठनाई हो सकती है।
3. ऐसे बालक वकसी िस्तु को पकडने में, वकसी िस्तु को उठाने में तथा पनु ः उसे उवचत स्थान पर रखने में कवठनाई
का अनर्ु ि करते हैं।
4. प्रायः जोडों में ददथ की वशकायत रहती है।
5. वलखने में या कलम को पकडने में कवठनाई हो सकती है।
6. मासं पेवशयों में आपसी सामजस्य की कमी
7. झटका देकर चलना
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8. अगों में अिावं छत हलचल रहती है।
9. शरीर की पर्ू थतः मा आवं शक रूप से लकिाग्रस्त होना
10. अगं परू े न हो, वकसी कारर् कोई अगं अथिा हाथ-पैर के अंश काट वदए गए हों।
11. शारीररक विकृ वत
अवस्थ बाविि बच्चों की विशेषिाएँ-
अवस्थ विकलागं ता की मख्ु य विशेषताएँ वनमन प्रकार है-
1. अवस्थ बावित बालकों के लक्षर्, गर्ु , स्िरूप सामान्य बालकों से वर्न्न होते हैं।
2. यह उन बालकों पर लागू होता है जो सामान्य बालकों से अलग हों, स्मरर्शवक्त अविक हो।
3. एक अवस्थ बावित बालक शारीररक, मानवसक, र्ािानात्मक, सामावजक आिार पर सामान्य बालक से वबल्कुल
अलग होते हैं। सामान्य बालक की अपेक्षा विकास तीव्र गवत से होता है।
4. एक अवस्थ बावित बालक िह है जो सामान्य वशक्षा कक्ष तथा सामान्य वशक्षा कायथक्रमों से पर्ू थतया लार्ावन्ित
नहीं हो सकता, क्योंवकउसकी विकास की सामथ्यथ अविक होती है।
5. अवस्थ बावित बालक की अविकतम सामथ्यथ के विकास के वलये उसे की कायथप्रर्ाली तथा उसके साथ वकये जाने
िाले व्यिहार में पररितथन की आिश्यकता होती है। To develop the maximum potential of a
handicapped child, there is a need for change in his functioning and the way he is treated.
विकिांगिा के प्रकार- Types of disability-
ये विकलांगता बालक या व्यवक्त में वनमन प्रकार से हो सकती है-
1. पगं ुिा अथिा शारीररक विकृिी - Paralysis or physical deformity -
पंगतु ा से तात्पयथ शरीर के उस अंग का पर्ू थ विकास नही हो पाने से उसमें पर्ू थतः गवत नहीं आ पाती तथा उसकी हड्डी
इतनी मजबतू नही हो पानी वजतनी की शरीर की अन्य हवडवडयां होती है वजससे वक िह र्ार उठा सके और दसू रे अंग
को सहारा दे सके अतः बालक के वकसी र्ी अंग का आिश्यकता से अविक कमजोर होना पंगतु ा कहलाता है।

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2. पोवियो माइविवटस polio myelitis -
बचपन में बच्चों को पोवलयों की खरु ाक समय पर ना देने के कारर् उनको इस प्रकार की बीमारी से गजु रना पडता है
यह ऐसी बीमारी है जो िायरस संक्रमर् के कारर् मेरुरज्जु में होती है इससे लकिा या हाथ पैरों तथा मेरुरज्जु की
मासं पेवशयो की शवक्त का नष्ट होना होता है या कमजोर हो जाती है वजसके कारर् बच्चे में विकलागं ता आती है

3. रोगो से ग्रवसि होने के कारर् due to disease


मनष्ु य शरीर में वकसी र्ी गंर्ीर बीमारी हो जाने के कारर् उस अंग को वनकालना होता है अतः शरीर के उस वहस्से को
अलग कर वदयाजाता है तावक बाकी शरीर में संक्रमर् न फै ल सके ऐसी वस्थवत में र्ी बालक विकलांगता की श्रेर्ी में
आ जाता है और उसे कृ वतम अंग का सहारा लेना होता है
अवस्थ विकिांगिा के कारर् due to orthopedic disability
1. अनिु ांवशक 1. genetic
2. मांसपेवशयों में पोषर् की कमी के कारर् 2. Due to lack of nutrition in muscles
4. दघु थटना 4. accident
5.शरीर में आक्सीजन की कमी 5.Lack of oxygen in the body
6.दिाइयों के प्रवतकूल असर 6.Adverse effects of medicine
बचाि के उपाय preventive measures
1. सामान रक्त संबंिो के बीच वििाह को रोकना 1. Preventing marriage between people of
2. गर्थिती माता परू ी तरह से स्िस्थ हो similar blood relations
3. टीकाकरर् 2. The pregnant mother should be
4. जन्म के तरु ं त बाद विशेष ध्यान completely healthy
5. िंशानक्र
ु म एिं िातािरर्
3. Vaccination
4. Special attention immediately after birth
5. Heredity and environment

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अवस्थबाविि बच्चो की वशक्षा Education of handicapped children
1. शारीररक अपगं ता के अनरू ु प शैवक्षक पाठ्यक्रम 1. Selection of educational course
का चयन according to physical disability
2. सामिेवगक समायोजन एिं सरु क्षा 2. Social adjustment and security
3. शारीररक दक्षता का विकास
4. शैवक्षक एिं संतवु लत विकास करना 3. Development of physical efficiency
5. वचवकत्सा सवु ििा प्रदान करना 4. To achieve educational and balanced
6. अन्य विकलागं बच्चों के साथ development
5. Providing medical care
6. With other disabled children

प्रमावस्िश्क पक्षाघाि' Cerebral Palsy'


Cerebral का अथथ मवस्तष्क के दोनों र्ाग तथा Palsy का अथथ वकसी ऐसी असमानता या क्षवत से है जो शारीररक
गवत के वनयंत्रर् को नष्ट करता है या जीिन के प्रारवमर्क िषों में वदखता है।
पररर्ाषा:
बैटसो एण्ड पेरेट (1986) के अनुसार- प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात एक जवटल अप्रगवतशील अिस्था है जो जीिन के
प्रथम तीन िषों में हुई मवस्तष्कीय क्षवत के कारर् उत्पन्न होती है। वजसके फलस्िरूप मांसपेवसयों में सामंजस्य न होने
के कारर् तथा कमजोरी से अक्षमता हो जाती है। एक बार मवस्तष्क क्षवतग्रस्त हो जाता है, पनु ः ठीक नहीं वकया जा
सकता और न ही यह बढ़ता है। इसके बािजदू र्ी संचालन एिं शरीर की वस्थवतयों तथा उससे जडु ी समस्याओ ं को
थोडा सिु ारा जा सकता है।
प्रमवस्िष्कीय पक्षाघाि के प्रकार : Types of cerebral palsy:
1.तीव्रता प्रमार् के .'अनसु ार िगीकरर् Classification according to intensity evidence
2.प्रर्ावित अंगों की संख्या के अनसु ार िगीकरर् Classification according to the number of organs
affected
3.वचवकत्सीय लक्षर्ों के अनसु ार िगीकरर् Classification according to clinical features

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1.िीव्रिा प्रमार् के .'अनुसार िगीकरर् Classification according to intensity evidence
1.अवतअल्प प्रमवस्तष्कीय अगं ाघात 1.Subcutaneous cerebral palsy
2.अल्प प्रमवस्तष्कीय अगं ाघात 2.Sub-cerebral palsy
3.गमर्ीर प्रमवस्तष्कीय अगं ाघात 3.Severe cerebral palsy

1.अवि अल्प प्रमवस्िष्कीय अंगाघाििः Acute cerebral palsy:


इस तीव्रता के अनसु ार इसमें गामक तथा शरीर की वस्थवत से समबवन्ित(related to speech and body
condition) विकलागं ता न्यनू तम होती है। बच्चा पर्ू थतया स्ितंत्र होता है, परन्तु सीखने की समस्यायें हो सकती हैं।
2.अल्प प्रमवस्िष्कीय अंगाघाििः Subcerebral palsy:
इसमें गामक तथा शरीर की वस्थवत(related to speech and body condition) से समबवन्ित विकलांगता का
प्रर्ाि अविक होता है।
बच्चा उपकरर्ों की मदद से बहुत हद तक दैवनक जीिन में स्ितंत्र हो सकता है।
3.गमभीर प्रमवस्िष्कीय पक्षाघाििः Severe cerebral palsy:
गामक तथा शारीररक वस्थवत related to speech and body condition से समबवन्ित विकलांगता पर्ू थतया
प्रर्ावित होती है। इस अिस्था में इस प्रकार के बच्चे दसू रे पर पर्ू थतया वनर्थर रहते हैं।
प्रभाविि अंगों की संख्या के अनुसार िगीकरर्: Classification according to the number of
organs affected:
प्रर्ावित अंगों की संख्या के अनसु ार इसे वनमनवलवखत िगों में बांटा गया है -
1. Monoplegia इसके अन्तगथत आने िाले प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात से कोई एक हाथ प्रर्ावित होता है। कोई र्ी
एक हाथ प्रर्ावित होता है।
2. hemiplegia: इसमें व्यवक्त /बच्चे के एक ही तरफ के हाथ या पैर प्रर्ावित होते हैं,
3. diplegia: इसमें दोनों पैर प्रर्ावित हो जाते हैं। कर्ी-कर्ी हाथ में र्ी प्रर्ाि वदखता है। इसके डाईप्लेवजया कहते
हैं।

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4. Paraplegia : पक्षाघात है जो आपके पैरों को प्रर्ावित करता है, लेवकन आपकी बाहों को नहीं।
5.र्किाङ्वगप्िेवजया: इसमें व्यवक्त का दोनों हाथ एिं दोनों पैर प्रर्ावित हो जाते हैं यावन की समपर्ू थ शरीर प्रर्ावित हो
जाता है। इसवलये इसे क्यावरप्लेवजया कहते हैं।

वचवकत्सीय िक्षर्ों के अनुसार िगीकरर्: Classification according to clinical features


प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात से ग्रवसत व्यवक्त या बच्चे अलग-अलग प्रकार के होते हैं। अतः वचवकत्सीय
लक्षर्ों के अनसु ार इन्हें 4 िगों में विर्क्त करते हैं, जो वनमन प्रकार से हैं -
1.स्पास्टीवमटी spasticity - कडी या तनी हुई माश ं पेवशयों बच्चे सस्ु त एिं र्द्दे वदखते हैं। गवत बढ़ने के साथ
माश
ं पेवशयों में तनाि बढ़ने लगता है। क्रोि या उत्तेजना की वस्थवत में माश ं पेवशयों में तनाि या कडापन और र्ी बढ़
जाता है।
पीठ के बल लेटने पर बच्चों का वसर एक तरफ घमु ा होता है और पैर अन्दर की तरफ मडु ा होता है।

2. एथेटोवसस athetosis: बच्चा जब अपनी इच्छा से कोई अंग संचालन करना चाहता है तो उसका शरीर
अवनयंवत्रत गवत करने लगता है, वजससे मांशपेवशया तनाि लगातार बदलता रहता है। एथेटोवसस से ग्रवसत बच्चे नन्हें
बच्चों की तरह लचीले वदखते हैं।

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3.एटै वर्कसया ataxia: इसका अथथ है वक अवस्थर और अवनयंवत्रत गवत का होना। इसमें बच्चों का संतल
ु न
खराब होता है। ऐसे बच्चे बैठने ि खडे होने पर वगर जाते हैं। इसमें मांशपेवशयाँ तनाि कम होता है। गामक
विकास वपछडा होता है।

4. वमवश्रि miscellaneous - स्पास्टीवमटी और एटोवसस दोनों में वदखने िाले लक्षर् जब वकसी बच्चों में दोनों
लक्षर् एक साथ वदखते हैं तो वमवश्रत प्रकार का प्रमवस्तष्कीय पक्षाघात कहलाता है।
प्रमस्िश्कीय पक्षाघाि िािे बच्चों की वशक्षा Education of children with cerebral palsy
इसवलए जो बच्चा प्रमस्तष्कीय पक्षाघात से ग्रस्त है और स्कूल नहीं जा सकता घर पर रहकर बहुत सी बाते सीख
सकता है।
घर पर
1. वनत्य वकया और वशक्षा
2. कपडों के नाम ि कपडों की पहचान
3. रंगो का नाम ि पहचान
4. बतथनों का उपयोग ि पहचान
5. विवर्न्न प्रकार के र्ोजन की पहचान
6. पैसे और रूपये की पहचान
7. सामावजक व्यिहार का ज्ञान

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स्कुि में
1. सामान्य वशक्षा
2. व्यिसावयक प्रवशवक्षर्
3. समय का सदप्रु योग
4. विकल अगं ो के अवतररक्त अन्य अगं ो का विकास
5.विशेष विद्यालय
6.विशेष अवतररक्त कक्ष
7.बैठने की व्यिस्था
8.अन्दर खेले जाने िाले खेल का आयोजन
9.विशेष उपकरर् एिं कृ वत्रम अगं ों की व्यिस्था
10.सहानर्वू त पिू थक व्यिहार

सज
ृ नात्मक बािक (Creative Child )

कुछ नया और अनोखा करने की क्षमता


उपयोवगता का गर्ु र्ी होना चावहए

जेमस रेिर का कथन - सृजनात्मकता मख्ु यतः निीन रचना ि उत्पादन में होती है। Creativity mainly lies in
new creation and production.
िो और िो के अनुसार - सृजनात्मकता मौवलक पररर्ामों को अवर्व्यक्त करने की मानवसक प्रवक्रया है।
Creativity is the mental process of expressing original results.
बैरेन (Barron) - "सृजनात्मक बालक पहले से विद्यमान िस्तओ ु ं तथा तत्त्िों को संयक्त
ु कर निीन वनमाथर्
करता है।” “The creative child creates something new by combining
already existing objects and elements.”
इसरे िी, एन. - सृजनात्मक बालक वकसी निीन बस्तु का वनमाथर् ि उसमें पररितथन करने की क्षमता रखता
है। A creative child has the ability to create and modify something new.

समस्या के प्रवत सजगता, लचीलापन, मौवलकता, गवतशील िैचाररकता, वजज्ञासा, निीनता हेतु पररितथन की आकाक्ष
ं ा
के माध्यम से रचनात्मकता Creativity through problem awareness, flexibility, originality, dynamic
thinking, curiosity, aspiration for change for innovation.

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वचन्िन(Thinking)

वचन्तन एक मानवसक प्रवक्रया है विवर्न्न मनोिैज्ञावनक ने वचन्तन को अलग-अलग तरह से पररर्ावषत


वकया है कुछ इसे
1.िातािरर् से वमलने िाली सचू नाओ ं का मानवसक जोड-तोड mental manipulation of information received
from the environment
2.समस्या ि समािान के मध्य होने िाली मध्यस्थ प्रवक्रया। Mediating process between problem and
solution.
वचन्तन को हम प्रत्यक्ष रूप से नहीं देख सकते है व्यिहार के द्वारा हम वचन्तन के बारे में के िल परोक्ष रूप
से जान सकते है।

वगिफोडल (1967) ने वचन्िन को दो भागों में बांटा


1. अवभसारी वचन्िन - 1. Convergent thinking -

अवर्सारी वचन्तन में व्यवि वदये गए िथ्यों के आिार पर सही वनष्कषल पर पहंचने A person can reach the
correct conclusion based on the given facts. की कोवशश करता है।
यह एक रूवढ़िादी conservative तरीका है वजसमें व्यवक्त समस्या संबंिी दी गयी सचू नाओ ं के आिार पर समस्या का
समािान करता है, पर इससे िह अपनी तरफ से कुछ र्ी नही जोडता है।

2 अपसरर् वचन्िन divergent thinking

अपसरर् वचन्तन में व्यवक्त वभन्न- वभन्न वदशाओ ं में वचन्िन Thinking in different directions कर समस्या
का समािान करता है
इसमें िह समस्या के कई सभ ं ाविि उत्तरों Several possible answers to the problem पर सोचता है ि साथ
ही अपनी और से कुछ नया एिं मल ू जोड समस्या का समािान करता है।
मनोिैज्ञावनक ने अपसरर् वचन्तन को ही सृजनात्मक वचन्तन माना है।
अथाथत सृजनात्मक वचन्तन िह है जो निीन साथथक ि मौवलक हो। That is, creative thinking is that which is
new, meaningful and original.

सज
ृ नात्मक बािकों की विशेषिाएँ Characteristics of creative children

मख्ु य विशेषताएँ इस प्रकार होती हैं-


1) विचारों में लचीलापन, विस्तृत बौवद्धक स्तर Flexibility in thoughts, wide intellectual level
2) समस्या समािान योग्यता Problem Solving Ability
3) प्रवतकूल िस्तओ ु ं को सहन करने की क्षमता Ability to tolerate adverse things
4) बालकों में विवर्न्न क्षेत्रों में र्ाग लेने की क्षमता होती है।Children have the ability to participate in
various fields.
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5) जीिन की अवनवितता ि कवठनता को स्िीकार करने की इच्छा, कवठनाइयों को चनु ौती के रूप में स्िीकारते
हैं।Willingness to accept the uncertainty and difficulty of life, accept difficulties as
challenges.
6) गलवतयों के सहन करने की क्षमता. Ability to tolerate mistakes.
7) न अविक सामावजक होते हैं, न ही समाज विरोिी Are neither very social nor anti-social
8) सामावजक पररिेश में बहुत अविक संिेदनशील Too sensitive in social environment
9) मवस्तष्क स्िस्थ्य, वचन्ता का स्तर वनमन Brain is healthy, anxiety level is low.
10) प्रत्यय सािारर् बालकों की तल ु ना में अविक साथथक ि अथथपर्ू थ The suffix is more significant and
meaningful than that of ordinary children.
11) अपनी आयु से ज्यादा पररपक्ि Mature beyond one's age
12) िास्तविकता ि सत्यता की खोज पर बल Emphasis on discovery of reality and truth
13) तल ु नात्मक रूप से अविक उत्तरदावयत्ि की र्ािना िाले, ईमानदार ि विश्वसनीय Relatively more
responsible, honest and reliable
14) औसत श्रेर्ी के शारीररक स्िास्थ्य िाले, कल्पनाशील । Those with average physical health,
imaginative.

सज
ृ नात्मक के ित्ि elements of creativity

सृजनात्मक के 4 प्रमखु तत्ि है। जो वनमन प्रकार है-


1.प्रिावहिा (Fluency)- िारा प्रिावहत से तात्पयथ विचारों के प्रिाह ि अनेक तरह के विचारों
की खल ु ी अवर्व्यवक्त से है। Fluent means flow of thoughts and many types of ideas.
Is from open expression of. प्रिाह को 4 र्ागों में बाटं ा गया है।

(अ) िैचाररक प्रिाह ideological flow - िैचाररक प्रिाह से तात्पयथ अविक से अविक विचारों को उत्पन्न करना
है। जैसे कक्षा में अध्यापक वकसी समस्या के अविक से अविक संर्ावित समािानों को विद्यावथथयों को बताने को
कहता है या वकसी िस्तु के अविक से अविक असािारर् उपयोग।
(ब) अवभव्यवि प्रिाह expression flow - से तात्पयथ आन्तररक क्षमताओ ं internal capabilities के बाह्य
अवर्व्यवक्त external expression से है जैसे बच्चे
को अिरु ा वचत्र पर्ू थ करने का अिसर देना, अिरू े िाक्य पर्ू थ करना, शब्दों से िाक्य वनमाथर् को
प्रेररत करना।
(स) साहचयल प्रिाह associative flow - शब्दों ि िस्तओ ु ं में परस्पर साहचयथ स्थावपत करना।
(द) शब्द प्रिाह word flow - से आशय मौवखक एिं वलवखत रूप से विचारों की शब्दों के द्वारा अवर्व्यवक्त
में िारा प्रिाह, साथथक ि सही शब्दों का चयन एिं उपयोग करने की क्षमता से है।

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2.िचीिापन (Flexibility)- लचीलापन से तात्पयथ वकसी समस्या के समािान के वलए विवर्न्न ढंग एिं तरीकों
को अपनाने से है, विकल्प एक दसू रे से वजतने वर्न्न होंगे सृजनात्मकता उतनी ही अविक होगी। इससे पता चलता है
वक व्यवक्त की समस्या को वकतने अलग-अलग तरीके अपनाकर समािान कर सकता है।

3.मौविकिा (Originality)- मौवलकता से तात्पयथ अनोखेपन से है। अथाथत् विचारों की पर्ू थत निीन अवर्व्यवक्त
या समस्या का अन्य व्यवक्तयों से वर्न्न समािान। जब व्यवक्त वकसी समस्या का एक वबलकुल नया, अनठू ा ि उपयक्त

समािान करता है, नए गीत, कहानी, कविता वलखता है ये सब मौवलकता की श्रेर्ी में आते है।

4.विस्िारर् (Elobration) - नये विचारों, र्ािों की विस्तृत, व्यापक ि ग्रहन प्रस्ततु ीकरर् करने की क्षमता
विस्तारर् में आती है जैसे संवक्षप्त घटना, पररवस्थवत को विस्तृत करके ! प्रस्ततु करने की क्षमता, वकसी अपर्ू थ वचत्र
को पर्ू थ करने की क्षमता, विस्तारर् क्षमता को प्रदवशथत करती है।

सृजनात्मक वचन्तन के गर्ु (qualities of creative thinking)

1.सृजनात्मक वचन्तन में औसत ि औसत से उच्च बवु द्धलवब्ि पायी जाती है।
2.सृजनात्मक विचारक में अवर्व्यवक्त की क्षमता होती है।
3.निीनता ि जवटलता में अवर्रूवच अविक होती है।
3.अपने विचारों की अवर्व्यवक्त जोर दार तरीके से ि खल ु कर करते है अन्य लोगों की प्रत्यत्तु र या अनमु ोदन की
परिाह नहीं करते।
4.अपनी इच्छाओ ं का दमन नहीं करते हैं। दमन द्वारा इच्छाओ ं को वनयंवत्रत नहीं कर पाते है। विचार वनरन्तर गवतशील
होते है।
5.प्रत्येक कायथ तत्र्परता से करने की क्षमता होती है।
6.सझु ाि 'को स्िीकार करने में संकोच नहीं करते है।
7.मनोविनोद वप्रय ि हास्य र्ाि की प्रिानता होती है।
8.मौवलकता का गर्ु पाया जाता है।
9.जोवखम उठाने की क्षमता होती है।
10.तावकथ क क्षमता अविक होती है।

सज
ृ नात्मक का मापन measurement of creativity

सृजनात्मक के मापन हेतु अनेक मानकीकृ त मनोिैज्ञावनक पररक्षर् उपलब्ि है ये सर्ी परीक्षर् सामान्यतः शावब्दक,
अशावब्दक ि वक्रयात्मक प्रकार Generally verbal, non-verbal and functional types के होते है तथा
सृजनात्मक के विवर्न्न तत्िों जैसे िारा प्रिावहत, विस्तारर्, लोचनशीलता, मौवलकता, अवर्व्यवक्त fluency,
expansion, flexibility, originality, expression आवद का मापन करते हुए सृजनात्मकता का
मापन करते है।
अविकांश पररक्षर्ों ने वनमन परीक्षर् सवममवलत होते है -
1 आसािारर् उपयोग पररक्षर् ordinary use test
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2 पररर्ाम पररक्षर् results test
3 आकृ वत परीक्षर् shape test

1.असािारर् उपयोग पररक्षर् – Exceptional Use Test –


इस तरह के पररक्षर् में परीक्षाथी को एक िस्तु के अविक से अविक उपयोग बताने को कहा जाता है, बाद में
परीक्षाथी के उत्तरों का विश्ले षर् कर देखा जाता है वकतने उपयोग असािारर् पर उपयक्त
ु है इससे ही सृजनात्मकता की
माप होती है।

2.पररर्ाम पररक्षर् – results test


इसमें परीक्षाथी को वकसी पररितथन का पररर्ाम बताने को कहा जाता है जैसे यवद सर्ी मनष्ु य वफर से 4 पैरों िाले
जानिरों की तरह चलने लगे ?

3.आकृवि पररक्षर् shape test - इससे कोई ज्यावमवतय आकृ वत देकर इससे वजतने अविक िस्तओ
ु ं का वचत्र बना
सकता है बनाने को कहा जाता है।

उपलब्ि सृजनात्मक परीक्षर्ों में कुछ वनमन है -

1 विदेशी परीक्षर् - foreign test -

टॉरे न्स का सज ृ नात्मक वचंिन का वमनोसाटा परीक्षर् – Torrance's Minnesota Test of Creative
Thinking
टॉरे न्स ने 1966 में इस परीक्षर् का वनमाथर् वकया,
सृजनात्मकता के मापन का यह बहुत लोकवप्रय परीक्षर् है यह एक कसौटी संदवर्थत परीक्षर् This is a criterion
referenced test है।
यह प्रिावहत, लचीलापन, मौवलकता का दो उप-पररक्षर् शावब्दक परीक्षर् ि आकृ वतक पररक्षर् के माध्यम से
सृजनात्मक वचंतन ि मापन करता है। It measures creative thinking and fluency, flexibility and
originality through two sub-tests, verbal test and figurative test.

शावब्दक परीक्षर् में सवममवलत परीक्षर् है-


The tests included in verbal test are-
1.उत्पाद सिु ार 1.product improvement
2 असािारर् उपयोग 2 extraordinary uses
3 पछू ना ि अनमु ान लगाना 3 asking and guessing

आकृ वतक पररक्षर् में in morphological examination


1.िृत परीक्षर् circle test
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2.आकृ वत पवू तथ परीक्षर् सवममवलत है। Shape completion test included.

मेडवनक का ररमोट एसोवसयेट परीक्षर् –


यह मेडवनक ने 1971 में वदया।
इस परीक्षर् में 40 एकांश unit है। इसमें प्रत्येक एकांश में विद्याथी को तीन तीन शब्द वदये जाते है।
और विद्याथी को इन तीनों शब्दों से संबंवित चौथा शब्द बताना होता है जैसे Cookies, Sixteen, Heart उत्तर
Sweet क्योंवक Sweet को तीनों के साथ संबंवित वकया जा सकता है जैसे Sweet
Cookied, Sweet Sixteen Sweet Heart

वगिफोडे ि मेरीफील्ड का सज ृ नात्मक परीक्षर् –


यह परीक्षर् वगलफोडे ि मेरीफील्ड ने 1967 में कॉलेज के विद्यावथथयों के वलए बनाया यह अनेक परीक्षर्ों यक्त
ु एक
परीक्षर् माला test series है जो िारा प्रिावहता, लचनशीलता, मौवलकता, का मापन असािारर् उपयोग परीक्षर् ि
पररर्ाम परीक्षर् Measurement of fluency, flexibility, originality, exceptional usage test and
results tests के माध्यम से करती है।

गेटजेि ि जेर्कसन सज
ृ नात्मक परीक्षर् - Getzel and Jackson creativity test -

1.शब्द साहचयथ परीक्षर् 1.word association test


2.िस्तु उपयोग का परीक्षर् 2.Testing object usage
3.वछपी आकृ वत परीक्षर् 3.Hidden Shape Test
4.तीन विवर्न्न अन्त 4.Three different endings
5.समस्याओ ं की पवू तथ 5. Fulfillment of problems

भारिीय परीक्षर् - Indian test -


1 बाकर मेंहदी का सज ृ नात्मक वचंिन का शावब्दक ि अशावब्दक परीक्षर् (Baquer Mehi's
verbal and Non-Verbal test of creative thinking)

बाकर मेंहदी ने 1973 में सृजनात्मक वचंतन का मापन करने हेतु र्ारतीय पररवस्थवतयों के
अनक ु ु ल का वनमाथर् वकया।
ये दोनों परीक्षर् वहन्दी ि अग्रं ेजी दोनों र्ाषाओ ं में उपलब्ि है तथा सृजनात्मकता के तीन पहलओ
ु ं
प्रिावहता, लचीलापन तथा मौवलकता Fluency, Flexibility and Originality का मापन करते है
शावब्दक परीक्षर् में सवममवलत परीक्षर् वनमन है -
1.क्या होगा परीक्षर्
2.िस्तओ ु ं के नये उपयोग
3.नए संबंिों के परीक्षर् तथा
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4.रूवच की चीजों का सृजन सवममवलत है तथा
अशावब्दक परीक्षर् में
(1) वचत्र वनमाथर्
(2) वचत्र पवू तथ
(3) ज्यावमतीय आकृ वतयां परीक्षर् geometric shapes test सवममवलत है।

2.पासी सज ृ नात्मक परीक्षर् मािा – Pasi Creative Test Series –


1972 में पासी ने यह परीक्षर् माला को पंजाब की जनता के वलए मानकीकृ त वकया।
यह शावब्दक ि अशावब्दक दोनों परीक्षर्ों का उपयोग करते हुए
प्रिावहता लोचनशीलता, मौवलकता, दृढता fluency, flexibility, originality, tenacity आवद का मापन करती
है

इस परीक्षर् में उप-परीक्षर् -

1.असािारर् उपयोग परीक्षर्


2.परीर्ाम परीक्षर्
3.िगथ पहेली परीक्षर्
4.वजज्ञासतु ा का परीक्षर्
3.िी.पी. शर्कु िा ि जे.पी. शर्कु िा परीक्षर् –
यह परीक्षर् िैज्ञावनक सृजनात्मकता का मापन 4 उप- परीक्षर्ों ि 12 एकांशों units के माध्यम से करता है
पररर्ाम परीक्षर्, असािारर् उपयोग, नया संबंि तथा सोवचए ऐसा क्यों?
प्रत्येक एकांश को मौवलकता, लचीलापन प्रिावहता के वलए प्राप्ताक
ं वदये जाते है तथा सृजनात्मकता का मापन वकया
जाता है।

सज
ृ नात्मकिा का पिा िगाने हेिु अन्य परीक्षर्

सृजनात्मकता के क्षेत्र में बहुत से परीक्षर् विकवसत हुए हैं। ये प्रचवलत मख्ु य परीक्षर् इस प्रकार हैं-
1. पासी का सृजनात्मक परीक्षर्
2.बाकर मेंहदी - सृजनात्मक वचन्तन का शावब्दक परीक्षर्
3.बाकर मेंहदी - सृजनात्मक वचन्तन का अशावब्दक परीक्षर्
4.के . एन. शमाथ - अपसारी उत्पादन योग्यता परीक्षर्
5.िी.पी. शमाथ ि जे.पी. शक्ु ला - िैज्ञावनक सृजनात्मक का शावब्दक परीक्षर्
6.एस.पी. मल्होत्रा ि सचु ते ा कुमारी - र्ाषा सृजनात्मकता परीक्षर्

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सज
ृ नात्मकिा को प्रोत्सावहि करने हेिु विशेष िकनीक Special techniques to encourage creativity

1.मवष्तष्क उद्द्लन विवि – आस्बानथ 1. Brainstorming method – Osborn


2.समस्या समािान विवि 2.Problem Solving Method
3.सामवू हक चचाथ 3.Group discussion
4.खेल विवि 4.game method
5.वसनेटीक्स – विवलयम गाडथन(समस्याओ ं का 5.Synetics – William Garden
िैकवल्पक समािान) 6.Role playing
6.र्वू मका अदा करना

सजृ नात्मक वचंिन की अिस्थाएं –


1.आयोजन events - सूचना को एकवत्रत वकया जाता है वजससे समस्या समािान में मदद वमलें
2.उदद्व् न incubation - सर्ी संबंवितसचू नाओ ं को एकवत्रत करने के बाद व्यवक्त सचू ना के बारे में चेतन रूप से
वचन्तन करना छोड देता है परन्तु अचेतन रूप से समस्या के बारे में सोचता रहता है। उद्भिन काल में कोई नई सचू ना,
नया ज्ञान अथिा अनर्ु ि र्ंडार में जमा नहीं होता है।
3.प्रबोिन Illumination- इस अिस्था में अचानक व्यवक्त को समस्या का समािान वमल जाता है।
4.प्रमार्ीकरर् या संशोिन Verification and Revision- प्रबोिन की अिस्था से प्राप्त समािान या वनष्कषथ की
जांच ि मल्ू यांकन वकया जाता है वक प्राप्त समािान
ठीक है या नहीं।

सज
ृ नात्मक बािकों की वशक्षा creative children's education

टारे न्स ने अपने अध्ययन के आिार पर वशक्षकों के वलए कुछ महत्त्िपर्ू थ सझु ाि बताये-
1.बालकों द्वारा पछू े प्रश्नों का उत्तर आदरर्ाि से दें।
2.उनके कल्पनात्मक ि असािारर् विचारों को समझने का प्रयास करें ।
3.छात्रों की स्िवक्रया पर बल दें ि उन्हें स्िवक्रया हेतु प्रोत्सावहत करें ।
4.बालकों के विचारों को महत्त्ि दें।
5.स्ितः प्रेररत अविगम ि उसके मल्ू यांकन पर बल दें।
6.उपयक्त ु िातािरर् के प्रवत विशेष ध्यान दें वजससे उनमें सृजनात्मकता विकवसत हो।
7.विद्यालय में समय-समय पर आमप्रेरर्ा परु स्कार ि प्रवतयोवगता आवद समपन्न की जाये।
8.अनेक माध्यमों द्वारा अपसरर् उत्पादन (Divergent Production) को प्रोत्सावहत वकया जाये।
9.सेमीनार, संगोष्ठी, िाद-वििाद सर्ायें प्रदशथनी, सरस्िती यात्राओ ं का आयोजन।
10. पाठ्येत्तर पस्ु तकों की व्यिस्था बल ु ेवटन बोडथ, विद्यालय पवत्रका, कक्षा पस्ु तकालयों की व्यिस्था की जाये।
बालक की सृजनात्मक योग्यता को विकवसत करना वशक्षकों, समाज ि देश का परम कतथव्य है। इसवलए इस प्रकार
के बालकों की वशक्षा दीक्षा का समवु चत प्रबंि करें ।

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मानवसक रूप से मंदबवु द्ध के बािक का अथल एिं विशेषिाएँ (Meaning and Characteristics of
Mentally Deficient Children)
मानवसक रूप से मदं बवु द्ध के बालक िैसे बालक को कहा जाता है जो मानवसक मदं ता (mental deficiency or
mental retardation) से ग्रवसत होते हैं।
िो एिं िो के अनुसार - "वजन बच्चों का IQ – 70 से कम होता है उनको मदं बवु द्ध कहते हैं |"
पोिक ि पोिक – "मदं बवु द्ध बालक को अब क्षीर् बवु द्ध weak mind बालकों के समहू में नहीं रखा जाता है वजसके
वलए कुछ र्ी नहीं वकया जा सकता है |अब हम यह स्िीकार करते है की उनके व्यवक्तत्ि के उतने ही विवर्न्न पहलु होते
हैं वजतने सामान्य बालकों के व्यवक्तत्ि के होते हैं |"
जब वकसी छात्र की बवु द्ध, बवु द्ध के औसत स्तर से कम होती है तथा साथ-ही-साथ उसमें समायोजनशील व्यिहार करने
की क्षमता र्ी काफी कम होती है, तो उसे हम मानवसक रूप से मवं दत बालक (mentally deficient child) कहते हैं।
अमेररकन एसोवसएशन ऑन मेण्टि वडवफवशयस ं ी' (American Association on Mental Deficiency
or AAMD, 1973) - “मानवसक मदं ता से तात्पयथ साथथक रूप से न्यनू औसत बौवद्धक क्षमता below average
intellectual ability जो समायोजनशील adjustable व्यिहार में कमी के साथ-साथ पाई जाती है, से होता है। तथा
वजसकी अवर्व्यवक्त विकासात्मक अिवि (developmental period) में होती है।"
अतः, मानवसक मंदता के बारे में वनमनांवकत तथ्य
वमलते हैं—
(1) मानवसक मंदता में बालकों का बौवद्धक स्तर
सामान्य (normal) से साथथक रूप से (significantly)
नीचे होता है।
(2) मानवसक मंदता में बालकों में अवर्योजनशीलता
या समायोजनशीलता की क्षमता अपयाथप्त होती है।
(3) मानवसक मंदता की अवर्व्यवक्त विकासात्मक
अिवि (developmental period) में यानी जन्म से
18 साल की अिवि में स्पष्ट रूप से हो जाती है।
पहचान
(i) शारीररक िक्षर् (Physical features) - मानवसक रूप से मंद बालकों का शारीररक कद सामान्य बालकों से
वर्न्न होता है। इनका कद प्रायः कमजोर, दबु ला-पतला, नाटा आवद होता है
(i) बौवद्धक क्षमिा (Intellectual capacity) – ऐसे बालकों की बौवद्धक क्षमता सामान्य बालको से कम होती
है। इनकी बवु द्धलवब्ि (intelligence quotient) प्राय: 70 से नीचे होती है।

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(iii) सामावजक समायोजनशीििा की क्षमिा में कमी (Reduction in the capacity of social
adaptability)- ऐसे बालकों में समाज तथा पररिार के लोगों के साथ समायोजन (adjustment) करने की क्षमता
नहीं होती। फलस्िरूप, उनका समाजीकरर् ठीक ढंग से नहीं हो। पाता है और उनमें सामावजक सझू -बझू एिं नैवतकता
आवद का ज्ञान नहीं होता है।
(iv) सिं ेगात्मक वस्थवि (Emotional condition) - ऐसे बालकों में सामान्य संिेग की कमी होती है। ऐसे बालक
वकसी विशेष संिेग के वलए उपयक्त
ु पररवस्थवत (appropriate situation) मे र्ी संबंवित संिेग नहीं वदखा पाते।
अतः, ऐसे बालकों का संिेगात्मक विकास अनपु यक्त
ु होता है।
(v) भाषा विकास (Language development) – ऐसे बालकों की वशक्षा-दीक्षा तो नहीं के बराबर ही हो पाती
है। अतः, वशक्षा की तरफ से र्ाषा विकास में कोई योगदान नहीं होता। इतना ही बहुत कम ही हो पाता है। नहीं, ऐसे
बालकों की बवु द्ध चँवू क कम होती है, अतः, बहुत कोवशश के बािजदू इनमें र्ाषा विकास
इन प्रमख
ु विशेषताओ ं के अलािा ऐसे बालकों की कुछ और विशेषताएँ हैं जो वनमनावं कत हैं-
(vi) ऐसे बालकों में उवचत-अनवु चत के अतं र का ज्ञान नहीं होता।
(vii) ऐसे बालक अत्यविक सझु ािशील (suggestible) होते हैं। दसू रे लोग जो कुछ र्ी कहते हैं, उसे आँख मँदू कर
सच समझकर उसी के अनसु ार कायथ कर बैठते हैं। इनके व्यिहार से ऐसा लगता है वक इनका अपना कोई वदमाग ही
नहीं है।
(viii) ऐसे बालकों में आत्मविश्वास (self-confidence) तथा आत्मवनर्थरता (self-dependancy) की कमी रहती
है।
(ix) ऐसे बालकों में अपनी पिू थ अनर्ु वू तयों (past experiences) से फायदा उठाने या उनसे कुछ सीख लेने की
क्षमता नहीं होती।
(x) ऐसे बालकों की अवर्रुवचयाँ (interests) सीवमत होती हैं।
(xi) ऐसे बालकों की लघु अिवि स्मृवत (short-term memory) तथा दीघथ अिवि स्मृवत (long-term memory)
सीवमत होती हैं।
मानवसक रूप से मंदबुवद्ध के बािक के प्रकार (Types of Mentally Deficient Children)
AAMD (American Association on Mental Deficiency) तथा APA (American Psychiatric
Association) ने मानवसक रूप से मंवदत बालकों को चार र्ागों में बाँटा है।
(1) सािारर् मानवसक मंदिा (Mild mental retardation ) -
➢ बवु द्धलवब्ि (intelligence quotient) - 52-67
➢ ऐसे बालकों को कुछ वशक्षा वदया जाना संर्ि है और

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➢ ियस्क होने पर इनका बौवद्धक स्तर (intellectual level) 8 से 11 साल के सामान्य बालक (normal child)
के बौवद्धक स्तर के बराबर होता है।
➢ माता-वपता की देखरे ख तथा विवशष्ट वशक्षा कायथक्रम (special education programme) के आिार पर ऐसे
बालकों के सामावजक अवर्योजन (social adjustment) में इस हद तक सिु ार लाया जा सकता है वक िे अपने
रोजमरे के कामों को करने में आत्मवनर्थरता वदखा सकते हैं।
(2) अल्पिि मानवसक मंदिा (Moderate mental retardation ) –
➢ बवु द्धलवब्ि - 36 से 51 तक होती है।
➢ ऐसे बालकों को प्रवशक्षर् (training) देकर उन्हें कुछ हद तक मामल
ू ी कायथ करने के लायक बनाया जा सकता है।
➢ ऐसे बालकों की सीखने की दर िीमी होती है।
➢ शारीररक रूप से (physically) िे बेढंगा (clumsy) वदखते हैं
➢ शारीररक अवनयवमतता देखने को वमलती है।
➢ उनका वक्रयात्मक समन्िय (motor coordination) असंतवु लत होता है।
(3) गभ
ं ीर मानवसक मदं िा (Severe mental retardation) –
➢ बवु द्धलवब्ि - 20 से 35
➢ ऐसे बालकों को सदा दसू रों पर वनर्थर रहनेिाला अथाथत आवश्रि िािक (dependant child) कहा जाता है।
➢ ऐसे बालकों का वक्रयात्मक विकास (motor development) तथा र्ाषा विकास (speech development)
गर्ं ीर रूप से (scriously) मवं दत (retarded) होता है
➢ तथा इनमें ज्ञानात्मक दोष (sensory defects) एिं वक्रयात्मक विकलांगता (motor handicaps) सामान्य रूप
से पाए जाते हैं।
➢ ियस्क होने पर र्ी उन्हें खाना वखलाने एिं सलु ाने की जरूरत होती है।
➢ कुछ अध्ययनों में पाया गया है वक ऐसे बालकों को यवद काफी जोर-शोर से प्रवशवक्षत वकया जाता है, तो िे अवत
सािारर् कायों को र्ी करना बहुत वदनों के बाद सीख पाते हैं।
(4) गहन मानवसक मंदिा (Profound mental retardation) –
➢ बवु द्धलवब्ि - 20 से नीचे होती है।
➢ ऐसे बालकों को समपर्ू थ जीिन तक देख-रे ख चाहनेिाला बालक (life support retarded children) की श्रेर्ी
में रखा जाता है।
➢ ऐसे बालकों में गंर्ीर रूप से शारीररक अवनयवमतता पाई जाती है तथा के न्र्द्ीय स्नायमु ंडल (central nervous
system) के रोग होते हैं।
➢ ऐसे बालकों में बहरापन एिं मूकिा (mutism) र्ी अविक देखने को वमलती है।

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➢ ऐसे बालक शायद ही कुछ शब्दों को बोलना सीख पाते हैं।
➢ अतः, उन्हें आजीिन देखरे ख की जरूरत पडती है।
➢ प्रायः अल्पायु होते हैं।
मन्दबवु द्धिा के स्िर(Level of Feeble Mindedness)
मख्ु य रूप से मन्दबवु द्धता तीन प्रकार की होती हैं-
(a) जड बवु द्ध (Idiot ) :
➢ मानवसक दबु थलता की दृवष्ट से यह सिाथविक दबु थल बवु द्ध िाले जाते होते हैं।
➢ इनकी 1. Q. - अविक से अविक 25 होती है।
➢ इनका मानवसक विकास अविक से अविक दो िषथ के बालक की तरह होता है।
➢ इनको र्ोजन कराना पडता है, िस्त्र पहनाना पडता है इत्यावद ।
(b) मूढ़ (Imbecile):
➢ यह ऐसे दबु थल बवु द्ध बालक हैं वजनकी 1Q - 25 से 50 िक होती है।
➢ इन बालकों का मानवसक स्तर 3-7 िषथ तक के बालक की तरह होता है।
➢ इन्हें अक्षर ज्ञान तो कराया जा सकता है परन्तु पढ़ाया-वलखाया नहीं जा सकता है।
➢ इन बालकों के संरक्षर् की बहुत अविक आिश्यकता नहीं होती है।
(c) मूखल (Moron):
➢ ये िे बालक हैं वजनकी IQ- 50 से 70 तक होती है।
➢ इनका मानवसक विकास 7 से 10 िषथ तक के बालकों के स्तर का होता है।
➢ इनमें अन्तदृथवष्ट insight और मौवलकता बहुत कम मात्रा में पायी जाती है।
➢ ये व्यवक्त सािारर् रोजी-रोटी कमाने का काम सीख जाते हैं और अपना जीिन वनिाथह कर सकते हैं।
मन्दबुवद्धिा के कारर् (Due to retardation)
1) िंशानक्रु म (Heredity)
2) सांस्कृ वतक कारक (Cultural Factors)
3) छूत की बीमाररयाँ (Infectious Disease)
4) ग्रन्थीय असन्तल ु न (Glandular Imbalance)
5) एक्स-रे का प्रर्ाि (X-ray Effect)
6) शारीररक आघात (Pysical Injuries)
7) नशीले पदाथथ (Toxic Agents)

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8) माता-वपता की आयु (Age of Parents)
9) पाररिाररक िातािरर् (Home Environment)
10) शैवक्षक िातािरर् (Educational Environment)
11) अपररपक्ि जन्म (Pre-Mature Birth)
12) माँ के संक्रामक रोग (Mother's Infectious Disease)

मानवसक रूप से मंद िािकों की वशक्षा एिं समायोजन (Adjustment and


(1) पाठ्यिम का अनुकूिन (Adaptation of Curriculum) –
➢ स्कीन्नर (Skinner, 1972), ररली तथा लेविस (Reilly & Lewis, 1983)
➢ पाठ्यक्रम, जो अविक सरल एिं मनोरंजक हो, तैयार करने की वसफाररश की है।
➢ हस्तकला (manual skills), विशेषकर दजी के काम, जतू ा बनाने के काम, बढ़ई
(2) विशेष कक्षा (Special class) –
➢ िैयवक्तक रूप से ध्यान देना संर्ि हो पाता है।
(3) अध्यापन विवि (Teaching method)
➢ प्रदशथन विवि Display method का प्रयोग
(4) विवशष्ट वनिासी स्कूि Special Resident School
(5) व्यिहार पररमाजलन behavior modification

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मानवसक बीमारी से ग्रवसि बािक (child suffering from mental illness)

ऐसे बच्चे जो शारीररक,सामावजक और र्ािनात्मक कारर्ों से मानवसक रूप से बीमार हो जाते हैं |इनका
मानवसक वचवकत्सा उपरान्त सामािान हो जाता है |

न्यूरोडे िलपमेंटल विकारों को इस प्रकार िगीकृ त करता है

• बौवद्धक विकलांग • intellectual disabilities


• संचार संबंिी विकार
• ऑवटज्म स्पेक्रम वडस्ऑडथ र • Communication disorders
• ध्यान-अर्ाि/अवतसवक्रयता विकार
(एडीएचडी) •autism spectrum disorder
• विवशष्ट सीखने के विकार
• Attention-deficit/hyperactivity disorder
• मोटर संबंिी विकार
(ADHD)

• Specific learning disorders

• Motor disorders

मानवसक बीमारी के कुछ िक्षर्

• असामान्य या अतावकथ क विचार(Unusual or illogical thoughts)


• अनवु चत क्रोि या वचडवचडापन(Unreasonable anger or irritability)
• एकाग्रता और याददाश्त में कमी, बातचीत पर नज़र न रख पाना
• ऐसी आिाजें सनु ना वजन्हें कोई और नहीं सनु सकता
• नींद का बढ़ना या कम होना
• बढ़ी हुई या कम र्ख ू
• प्रेरर्ा की कमी
• लोगों से हटना
• नशीली दिाओ ं के प्रयोग
• ऐसी र्ािनाएँ वक जीिन जीने लायक नहीं है या आत्मघाती विचार
• मृत्यु या िमथ जैसे वकसी विषय पर जनु नू ी होना
• व्यवक्तगत स्िच्छता या अन्य वजममेदाररयों का ध्यान न रखना
• स्कूल या काम पर हमेशा की तरह अच्छा प्रदशथन नहीं करना

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मानवसक बीमारी का कारर्

• आनुिंवशक कारक - पररिार के वकसी करीबी सदस्य के मानवसक रोग से ग्रस्त होने से आपको मानवसक रोग होने
की संर्ािना बढ़ सकती है। हालाँवक, वसफथ इसवलए वक पररिार के एक सदस्य को मानवसक बीमारी है इसका
मतलब यह नहीं है वक दसू रों को र्ी होगा।
• नशीिी दिाओ ं और शराब का दुरुपयोग - अिैि नशीली दिाओ ं का उपयोग उन्मत्त प्रकरर् ( वद्वध्रिु ी विकार )
या मनोविकृ वत के प्रकरर् को वरगर कर सकता है। कोकीन , माररजआ ु ना और एम़िै टेवमन जैसी दिाएं व्यामोह का
कारर् बन सकती हैं।
• अन्य जैविक कारक - कुछ वचवकत्सीय वस्थवतयाँ या हामोनल पररितथन मानवसक स्िास्थ्य समस्याओ ं का कारर्
बन सकते हैं।
• प्रारंवभक जीिन का माहौि - बचपन के नकारात्मक अनर्ु ि कुछ मानवसक बीमाररयों के खतरे को बढ़ा सकते
हैं। बचपन के नकारात्मक अनर्ु िों के उदाहरर् दव्ु यथिहार या उपेक्षा हैं।
• आघाि और िनाि - ियस्कता में, ददथनाक जीिन की घटनाएं या चल रहा तनाि मानवसक बीमारी के खतरे को
बढ़ा सकता है। सामावजक अलगाि , घरे लू वहसं ा , ररश्ते टूटना , वित्तीय या काम की समस्याएं जैसे मद्दु े मानवसक
स्िास्थ्य पर प्रर्ाि डाल सकते हैं। यद्ध
ु क्षेत्र में रहने जैसे ददथनाक अनर्ु ि पोस्ट-रॉमैवटक स्रेस वडसऑडथर
(पीटीएसडी) के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
• व्यवित्ि कारक - पर् ू ल िािाद या कम आत्मसममान जैसे कुछ लक्षर् अिसाद या वचतं ा के जोवखम को बढ़ा
सकते हैं।

सामावजक रूप से वपछडे बािक (socially backward children)


िंवचि बािक(underprivileged child)
ऐसे बालक जो समाज के सामावजक ि् आवथथक दृवष्ट से वपछडे िगों से समबन्ि रखते हैं |
“िंचन वनमनस्तरीय जीिन दशा या अलगाि को घोवषत करता है जो वक कुछ व्यवक्तयों को उनके समाज की
सांस्कृ वतक उपलवब्ियों में र्ाग लेने से रोक देता है।"“Deprivation refers to the inferior living conditions
or isolation that prevent certain individuals from participating in the cultural achievements of
their society. - िोिमैन

“िंचन बाल्य जीिन की उद्दीपक दशाओ ं की न्यनू ता है।"“Deprivation is the lack of stimulating
conditions of childhood life.” -गाडलन

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िवं चि बािकों की विशेषिाएं - Characteristics of deprived children -
1. शैवक्षक उपलवब्ि वनमन स्तरीय होती है। 1. Educational achievement is low.
2. वनमन अवर्व्यवक्त स्तर 2. Low expression level
3. वनराशािादी,रुवढ़िादी,और आत्मविश्वास की
3. Pessimistic, conservative, and lacking
कमी self-confidence
4. पिू ाथग्रहों से ग्रवसत
5. वशक्षा के प्रवत उदासीनता या नकारात्मक 4. Suffer from prejudices
अवर्िृवत्त 5. Indifference or negative attitude towards
6. पहल शवक्त का अर्ाि education
7. बाहरी दवु नया में होने िाले पररितथनों से अनवर्ज्ञ 6. Lack of initiative
8. वचतं ा एिं र्य की मात्रा अविक 7. Ignorant of changes in the outside world
8. High amount of anxiety and fear

िंवचि बािकों की वशक्षा education of underprivileged children


1. छात्रिृवत्त उपलब्ि करिाना 1. Providing scholarships
2. दरू दराज इलाकों में अच्छे विद्यालयों की स्थापना 2. Establishment of good schools in
3. समेवकत वशक्षा की व्यिस्था remote areas
4. अध्यापक प्रवशक्षर् कायथक्रम 3. System of integrated education
5. पयाथप्त अभ्यास कायथ करिाना 4. Teacher Training Program
6. कक्षा के सामावजक र्ािनात्मक िातािरर् को 5. Getting enough practice work
अनक ु ू ल बनाना 6. Optimizing the social-emotional
7. त्िररत अविगम कायथक्रम का आयोजन(Bridge climate of the classroom
course) 7. Organization of accelerated
8. यह र्ािना जागृत करना की िे सामान्य बालकों की learning program (Bridge course)
तरह आगे बढ़ सकता है| 8. To awaken the feeling that they
9. अविगम सामाग्री को मतू थ िस्तओु ं के द्वारा सीखाना can move forward like normal
children.
9. Teaching learning material
through tangible objects

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समस्यात्मक बािक problem child

➢ विद्यालय में आने िाले कुछ बालकों का व्यिहार समस्याएँ उत्पन्न कर देता है। इनका व्यिहार सामान्य नहीं होता
इसवलए इन्हें समस्यात्मक बालक कहा जाता है।
➢ िैिेन्टाइन ने कहा है-''समस्यात्मक बालक िे हैं वजनका व्यिहार और व्यवक्तत्ि वकसी बात में गंर्ीर रूप से
असािरर् होता है। "
➢ अतएि कहा जा सकता है वक िे सर्ी बालक वजनके व्यिहार तथा व्यवक्तत्ि इस सीमा तक आसामान्य होते हैं की
िे घर, विद्यालय तथा समाज में समस्याओ ं के जनक बन जाते हैं, समस्यात्मक बालक कहलाते हैं।
➢ ऐसी वस्थवत में बालक को उवचत मागथदशथन द्वारा ही सिु ारा जा सकता है, अन्यथा यही बालक र्विष्य में अपरािी
ि समाजर्द्ोही बन जाते हैं।
उन बच्चों को समस्यात्मक बािक कहा जािा है जो –

1. आक्रामकता का प्रदशथन करते हैं


2. चचाथ पर हािी होते हैं और ध्यान देनें की मांग करते हैं
3. असाििान और अप्रस्ततु रहते हैं
4. ऐसा व्यिहार करते हैं ओ वशक्षक के वलए एक समस्या बन जाते हैं |

समस्यात्मक बािक की पहचान identification of problem child

उपचार ि मागथदशथन प्रदान करने हेतु समस्यात्मक बालक की सही पहचान तथा उसके व्यिहार की असामान्यता प्रकृ वत
ि सीमा की जानकारी अत्यंत आिश्यक है।

1.वनरीक्षर् पद्धवत 1.inspection method

2.साक्षात्कार विवि 2.Interview Method

3.अवर्र्ािकों, वशक्षकों तथा वमत्रों से िाताथलाप 3. Conversation with parents, teachers and
friends
4.कथात्मक अवर्लेख
4.Narrative record
5. संचयी अवर्लेख
5. Cumulative Records
6.मनोिैज्ञावनक परीक्षर्
6. Psychological testin

समस्यात्मक बािक के िक्षर् Symptoms of a Problem Child

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इनके व्यिहारों को दो िगों में िगीकृ त वकया जा सकता है-

(A) न्यून मानवसक दक्षिा ि समस्यात्मक िक्षर्- Low mental efficiency and problematic
symptoms-

1. पैसे ि अन्य िस्तओ


ु ं की चोरी करना।
2.स्कूल के कामों में सवक्रय न होना

3. शारीररक ि मानवसक कष्ट देकर आनंद लेना

4.अनश
ु ासन का विरोि करना ।
5.बरु ा आचरर् करना।

6. असहयोग की प्रिृवत्त रखना

7.संदहे करना।

8.िोखा देना।

9.अश्लील बातें करना।

10. वबस्तर गीला करना।

(B) अत्यविक मानवसक दक्षिा का होना having high mental acumen

1.मानवसक द्वन्द्व से ग्रवसत होना।

2.हीन र्ािना का वशकार होना।

3.सीमा से अविक कठोर व्यिहार होना।

4.अप्रसन्न ि वचडवचडा होना।

5. र्यर्ीत परन्तु आत्म-के वन्र्द्त ।

समस्यात्मक व्यिहार को प्रदवशलि करने के वनमन कारर् हैं -

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1. िश ं ानुिम : िंशानक्र
ु म के द्वारा अनेक बीमाररयों तथा अक्षमताओ ं से ग्रवसत बालक अपेवक्षत व्यिहार करने में
अक्षम होते हैं। हीनता की पवू तथ करने की दृवष्ट से ये आसान, वकन्तु अनैवतक कायों की तरफ झक ु जाते हैं। ये समबवन्ित
व्यवक्तयों के वलए समस्याएँ उत्पन्न करते हैं। जैसे-बवु द्ध, दौबथल्यता, ग्रवन्थ विकास, विरासत में वमला दव्ु यथसन आवद।

2. मूि प्रिवृ त्तयों का दमन : मल


ू प्रिृवत्तयों के दमन के कारर् उनमें र्ािना ग्रवन्थयाँ दब जाती हैं, फलस्िरूप िे
असामावजक व्यिहार रखते हैं।

3.शारीररक दोष : शारीररक दोष के कारर् ऐसा व्यिहार करते हैं।

4.िािािरर्: यवद घर, विद्यालय ि समाज का िातािरर् दवू षत होता है, तब र्ी बालक अिांवछत व्यिहार करते हैं।

5. मािा-वपिा ि वशक्षकों का व्यिहार : बालक के साथ वतरस्कारपर्ू थ व्यिहार या लाड-प्यार वदखाना र्ी समस्या
उत्पन्न कर देता है।

6. पररिार का िािािरर्- माता-वपता, र्ाई-बहन के आपसी कलह का र्ी प्रर्ाि पडता है। ऐसे घरों में जहाँ
विमाता हैं, माता-वपता में से एक का देहांत हो जाता है िहाँ समस्यात्मक बालक पाये जाते हैं। ये अनश
ु ासनहीन हो
जाते हैं।

7. नैविक वशक्षा का अभाि : नैवतक वशक्षा के अर्ाि में र्ी बालक दगु थर्ु ों से यक्त
ु हो जाता है।
8. सािेंवगक दोष - आिश्यकताओ ं की पवू तथ का अर्ाि बालक के अनेक सांिेवगक ि मनोिैज्ञावनक समस्यात्मक
व्यिहार को जन्म देता है।

समस्यात्मक बािकों की वशक्षा का स्िरूप

बालक को शारीररक दण्ड ना देकर मनोिैज्ञावनक उपायों पर बल दें-

1. पररिार में माता-वपता, उनके प्रवत प्रेम ि सहानर्ु वू तपर्ू थ व्यिहार करें ।

2. बालक की मल
ू प्रिृवत्तयों का दमन ना करें । कोई दोष अगर आ जाये तो उसकी मानवसक वचवकत्सा करायें।
3. बालकों को उवचत कायों हेतु प्रेररत, प्रोत्सावहत ि परु स्कार दें।

4. उन्हें नैवतक वशक्षा दें।

5.बालक की संगवत पर ध्यान दें।

6. बालक को मनोरंजन के उवचत अिसर दें।

7.बालक को संतवु लत जेब खचथ दें।

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8.अध्यापक आदशथपर्ू थ व्यिहार करें ।

9. मनोरंजक वशक्षर् विवि प्रयोग करें , अन्यथा बालक कक्षा से बाहर घमू ते हैं या स्कूल से ही र्ाग जाते हैं।

10. संतवु लत पाठ्यक्रम हो, तावक बालकों पर अनािश्यक बोझ ना पडे।

11. पाठ्योत्तर कायथक्रमों, जैसे वपकवनक भ्रमर्, स्काऊवटंग खेलकूद, नाटक, संगीत प्रवतयोवगता आवद के द्वारा
समस्यात्मक व्यिहारों को रोका जा सकता है।

12. बालकों में आत्मानश


ु ासन जाग्रत करने हेतु उत्तरदावयत्ि पर्ू थ कायथ सौंपें

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बवु द्ध िथा इसका मापन (Intelligence and Its Measurement)
बवु द्ध की पररभाषायें (Definitions of Intelligence)
(A) समायोजन की समायोजन की योग्यिा (Ability to Adjust)
पररिवतथत होती पररवस्थवतयों से समायोजन करने या अनक
ु ू ल बनने की योग्यता या क्षमता
कुछ पररर्ाषायें वनमन है ।
(1) एवबगं हॉस- यह िस्तओ
ु ं को एकीकरर् की योग्यता है।(This is the ability to integrate things)
(2) स्टनल-बवु द्ध जीिन की निीन समस्याओ ं के समायोजन की सामान्य योग्यता(Intelligence General ability to
adjust to new problems of life)
(3) रॉस-नई पररवस्थवतयों से चेतन समायोजन बवु द्ध है।(Conscious adjustment to new circumstances is
intelligence.)
(4) बटल - यह लचीले समायोजन की योग्यता है । (This is the ability to make flexible adjustments.)
वबने, कॉवल्िन, स्पेंसर, िैल्स, विवलयम जेमस, मैकडुगल तथा गोडाडथ के अवतररक्त अनेक अन्य र्ी इस िगथ में
सवममवलत हैं।
(B) अविगम की योग्यिा (Ability to adjust)
बवु द्ध अविगम करने की योग्यता है।
दसू रे िगथ की पररर्ाषाओ ं के अनसु ार इस िगथ की महत्िपर्ू थ पररर्ाषायें वनमन प्रकार से हैं :
(1) िुडिथल - बवु द्ध से तात्पयथ योग्यता को प्राप्त करने की योग्यता है ।
(2) वडयरबोनल - बवु द्ध सीखने या अनर्ु ि का लार् उठाने की योग्यता है ।"
(3) थॉनलडाइक - बवु द्ध से तात्पयथ पिू थ अनर्ु िों का लार् उठाने की योग्यता
(4) बवकंघम - बवु द्ध अविगम करने की योग्यता है ।
(C) सूक्ष्म विचारों को रखने की योग्यिा(Ability to carry (Comprehensive abstract thinking)
(1) टमलन - कोई व्यवक्त उसी अनपु ात में बवु द्धमान होता है वजसमें िह अमतू थ रूप से वचंतन करने की
योग्यता रखता है ।"
(2) स्पीयरमैन - बवु द्ध तावकथ क वचंतन है।

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3) वबने - बवु द्ध से तात्पयथ र्ली प्रकार वचतं न करने की, र्ली प्रकार वनर्थयb करने की तथा स्ियं का
र्ली प्रकार विश्ले षर् करने की योग्यता है।'
(4) बटल - बवु द्ध से तात्पयथ र्ली प्रकार वनर्थय लेना, र्ली प्रकार अिबोि करना तथा र्ली प्रकार तकथ
करना है।

उपरोि पररभाषाओ ं की सामान्य वििेचना (General Criticism of AboveDefinitions)


(1) उपरोक्त तीनों िगों में दी गयी पररर्ाषायें चाहे िे बवु द्ध को समायोजन की योग्यता, अविगम की योग्यता या अमतू थ
वचतं न की योग्यता कर बताती हैं, अपने आप में अपर्ू थ हैं।
(2) यह पररर्ाषायें बवु द्ध को इसके सर्ी पहलओ
ु ं में व्यक्त करने में असमथथ हैं।
(3) यह सर्ी पररर्ाषायें बवु द्ध के के िल एक ही पहलु पर जोर देती हैं तथा अन्य पर ध्यान नहीं देती।

(घ) विस्िृि पररभाषायें (Comprehensive Definitions)


(1) गेट्स िथा अन्य - बवु द्ध का तात्पयथ है अविगम करने, मतू थ तथा अमतू थ तथ्यों का अिबोि साििानी तथा सही
प्रकार से करने की योग्यता सवममवलत है तथा मानवसक वनयंत्रर् को बनाये रखने, लचीलेपन तथा चतुरता को बनाये
रखने तथा समस्या समािान करने की योग्यता है
(2) िेशिर - बवु द्ध से तात्पयथ व्यवक्त की कुल योग्यता है वजसमें उद्देश्यपर्ू थ वचंतन तथा िातािरर् से व्यिहार करने की
योग्यता सवममवलत है।
इस पररर्ाषा में बवु द्ध को संपर्ू थ तथा तीन महत्िपर्ू थ पहलओ
ु ं के साथ कुल योग्यता बताया है वजसमें उद्देश्य, तावकथ क
वचंतन तथा िातािरर् में प्रर्ाविता सवममवलत है ।
(3)स्पाइकर तथा इरविन – र्ाषा समबन्िी योग्यता और बवु द्धलवब्ि में घवनष्ट समबन्ि होता है |(TET 2022)
बुवद्ध के प्रकार (Kinds of Intelligence)
हम बवु द्ध को तीन मख्ु य िगों में बांट सकते हैं। िे हैं :
(1) अमूिल बुवद्ध (Abstract Intelligence ) - सक्ष्ू म या अमतू थ बवु द्ध से तात्पयथ अविगम करने, पढ़ने तथा
समस्याओ ं को सल ु झाने की प्रिृवत्त से है जो शब्दों, संकेतों,संख्याओ,ं सत्रू ों तथा वचत्रों के माध्यम से प्रस्ततु की गयी
हों।

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(2) मूिल या यांवत्रक या गत्य बवु द्ध (Concrete or Mechanical or Motor intelligence) –
गत्य बवु द्ध शारीररक वशक्षा से अविक संबंि रखती है जो नाच, खेल-कूद आवद में र्ाग लेने में महत्िपर्ू थ र्ाग अदा
करती है।
(3) सामावजक बवु द्ध (Social Intelligence) –
वकसी व्यवक्त की लोगों के साथ समायोजन करने तथा अनक
ु ू लन करने की योग्यता होती है।

बवु द्ध के वसद्धािं (Theories of Intelligence)


1) बहु बवु द्ध का वसद्धातं (theory of multiple intelligences )- हािडथ गाडथनर
2) वत्रतत्रं वसद्धातं Tritantra theory - रॉबटथ स्टनथबगथ
3) एवकक वसद्धांत (Unitary or Monarchic theory)- वबने, टमथन तथा स्टनथ
4) वद्वतत्ि वसद्धातं (Two-factor or Eclectic theory)- स्पीयरमैन
5) वत्रतत्ि वसद्धांत (Three-factor theory)- स्पीयरमैन
6) प्रवतमान वसद्धांत (Sampling or Oligarchic theory)- टामसन
7) बहुतत्ि वसद्धांत (Multiple or Anarchic theory)- थॉनथडाइक
8) समहू कारक वसद्धांत (Group Factor theory)- थरस्टोन
9) प्रिानता सचू क वसद्धांत (Hierarchical theory)- बटथ तथा िनोन
10) वत्र-अशं ीय वसद्धांत (Three Dimensional theory)-वगल्फोडथ
11) िाराप्रिाह तथा स्पष्ट वसद्धांत (Fluid and Crystallized theory)- कै टल
12) बवु द्ध क तथा बुवद्ध ख वसद्धांत (Inte A and Inte B theory)- हैब
बह बुवद्ध का वसद्धांि(theory of multiple intelligences )
1) शावब्दक भाषायी योग्यिा (Verbal - linguistic)- जो लोग Verbal - linguistic में मजबतू होते हैं,
िह वलखते और बोलते समय शब्दों का अच्छी तरह से उपयोग करने की सक्षम रहते है। यह लोग कहावनयाँ वलखने में
अच्छे होते है।
उदा.- कवि,लेखक,पत्रकार,वशक्षक
2) स्थावनक बुवद्ध spatial intelligence – अमतू थ
तथ्यों(abstract facts) के आिार पर मानवसक छवि
बनाना
उदा- मवू तथकार,वचत्रकार,architecture

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3) िावकल क गवर्ि सबं ि
ं ी योग्यिा (Logical - Mathematical)- जो लोग Logical -
Mathematical बवु द्ध में मजबतू होते हैं, िे तकथ
करने, पैटनथ को पहचानने और तावकथ क रूप से
समस्याओ ं का विश्ले षर् करने में अच्छे होते हैं।
उदा.- accountant,Banker,scientist

4) शारीररक वियात्मक योग्यिा ( Bodily -


Kinesthetic)-
Kinesthetic बवु द्ध िाले लोगों को शरीर की गवत,
वक्रया करने और शारीररक वनयंत्रर् में अच्छा कहा
जाता है।
उदा.- नतथक,एथलीट

5) संगीिात्मक योग्यिा ( Musical -


Rhythmic)- वजन लोगों के पास मजबतू Musical
- Rhythmic बवु द्ध होती है, िे पैटनथ, लय और
ध्िवनयों को सोचने में अच्छे होते हैं।

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6) अंिविलषयक या पारस्पररक योग्यिा
(Interpersonal)- वजन लोगों के पास
मजबतू Interpersonal बवु द्ध होती है, िे दसू रे लोगों
के साथ समझने और बातचीत करने में अच्छे होते हैं।
उदा- नेता,सामावजक कायथकत्ताथ

7) अंिराविषयक या अंिरािैयविक
योग्यिा (Intrapersonal)- जो व्यवक्त इरं ापसथनल
इटं ेवलजेंस में मजबतू होते हैं, िे अपनी र्ािनात्मक
वस्थवत, र्ािनाओ ं और प्रेरर्ाओ ं से अिगत होने में
अच्छे होते हैं।
उदा – आध्यावत्मक गरुु

8) प्राकृविक योग्यिा ( Naturalistic)-


प्रकृ वत के करीब होते हैं |जानिरों पौिों,से लगाि होता है |
9)अवस्ित्ििादी बुवद्ध (existential intelligence) -
हर चीज के अवस्तत्ि के बारे में सोंचते हैं
उदा – सािू , दाशथवनक
बुवद्ध का वत्रिंत्र वसद्धांि
प्रस्तावित - 'रॉबटथ स्टनथबगथ(अमेररकी मनोिैज्ञावनक)
िह अपने शोि और कायथ के वलए जाने जाते हैं जो हमेशा मानिीय बवु द्धमत्ता और रचनात्मकता पर आिाररत होते हैं।
वत्रतंत्र वसद्धातं में तीन उप-वसद्धातं शावमल हैं, वजनमें से प्रत्येक एक विवशष्ट प्रकार की बवु द्ध से संबंवित है:
1.अनुभिात्मक उप वसद्धांि(रचनात्मक बवु द्ध) Experiential Subtheory (Creative Intelligence) -
व्यवक्त अपने अनर्ु िों से नयी खोज करता है | create करता है |
जो रचनात्मक बवु द्ध, या उपन्यास वस्थवतयों या मद्दु ों से वनपटने की क्षमता से मेल खाता है।
.3.घटकीय उप वसद्धांि(विश्ले ष्र्ात्मक बवु द्ध) Component Subtheory (Analytical Intelligence)-
कल्पना शवक्त से बहुत कुछ सोंच लेते हैं |ये अमतू थ बवु द्ध िाले व्यवक्त होते हैं | ऐसे लोग हर चीज के पीछे कारर् जानना
कहते हैं |
BY- SHUBHAM SHUKLA (WP- 9039345671) 73
3.सदं भालत्मक उप वसद्धांि(व्यिहाररक बवु द्ध)- Contextual sub-theory (behavioral intelligence)-
व्यवक्त इसमें सचू नाओ ं को इस ढंग से उपयोग करने में सफल हो जाता है वजससे उसे अविक से अविक लार् हो |
यह पयाथिरर् के साथ समायोजन रखते हैं |

(3) एवकक वसद्धािं (Unitary or Monarchic Theory ) –एक खडं /एकि ित्ि
प्रवतपादन - अल्फ्रेड वबने
बवु द्ध एक शवक्त या ऊजाथ होती है जो व्यवक्त की सर्ी गवतविवियों को प्रर्ावित करती है। ( TET2012)
(4) वद्वित्ि वसद्धांि (Two-Factor or Eclectic Theory )–
चाल्सथ स्पीयरमैन ने बवु द्ध के दो कारकों को बताया
1. सामान्य मानवसक योग्यता(G कारक )-जन्मजात - सर्ी व्यवक्तयों में कायथ करने की क्षमता एक सामान

2. विवशष्ट योग्यता-(S कारक )- कला ,संख्यात्मक योग्यता

BY- SHUBHAM SHUKLA (WP- 9039345671) 74

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