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TSU - Criminal Translation Sheet - 12
TSU - Criminal Translation Sheet - 12
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reason of any harm which it may cause, or be intended by the doer to cause or be
known by the doer to be likely to cause to that person.
10. Causing miscarriage (unless caused in good faith for the purpose of saving the life
of the woman) is an offence independently of any harm which it may cause or be
intended to cause to the woman. Therefore, it is not an offence "by reason of such
harm"; and the consent of the woman or of her guardian to the causing of such
miscarriage does not justify the act.
11. Nothing is an offence by reason of any harm which it may cause to a person for
whose benefit it is done in good faith, even without that person's consent, if the
circumstances are such that it is impossible for that person to signify consent, or if
that person is incapable of giving consent, and has no guardian or other person in
lawful charge of him from whom it is possible to obtain consent in time for the
thing to be done with benefit.
12. No communication made in good faith is an offence by reason of any harm to the
person to whom it is made, if it is made for the benefit of that person.
13. A person who, of his own accord, or by reason of a threat of being beaten, joins a
gang of dacoits, knowing their character, is not entitled to the benefit of this
exception, on the ground of his having been compelled by his associates to do
anything that is an offence by law.
14. Statements made by persons whose position or liability it is necessary to prove as
against any party to the suit are admissions, if such statements would be relevant
as against such persons in relation to such position or liability in a suit brought by
or against them, and if they are made whilst the person making them occupies
such position or is subject to such liability.
15. Statement made by persons to whom a party to the suit has expressly referred for
information in reference to a matter in dispute are admissions.
16. Oral admissions as to the contents of a document are not relevant, unless and until
the party proposing to prove them shows that he is entitled to give secondary
evidence of the contents of such document under the rules hereinafter contained,
or unless the genuineness of a document produced is in question.
17. No confession made by any person whilst he is in the custody of a police officer,
unless it be made in the immediate presence of a Magistrate, shall be proved as
against such person.
18. Provided that when any fact is deposed to as discovered in consequence of
information received from a person accused of any offence, in the custody of a
police officer, so much of such information, whether it amounts to a confession or
not, as relates distinctly to the fact thereby discovered, may be proved.
19. "Holder in due course" means any person who for consideration became the
possessor of a promissory note, bill of exchange or cheque if payable to bearer, or
the payee or indorsee thereof, if payable to order, before the amount mentioned in
it became payable, and without having sufficient cause to believe that any defect
existed in the title of the person from whom he derived his title.
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20. A promissory note, bill of exchange or cheque drawn or made in India and made
payable in, or drawn upon any person resident in India shall be deemed to be an
inland instrument.
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आपराधिक अनुवाद शीट – 12
1. किसी व्यक्ति िे व्यपहरण या अपहरण िे किसी अपराध िी जाांच या किचारण ऐसे न्यायालय
द्वारा किया जा सिता है कजसिी स्थानीय अकधिाररता िे अन्दर िह व्यक्ति व्यपहृत या अपहृत
किया गया या ले जाया गया या किपाया गया या कनरुद्ध किया गया है ।
2. चोरी, उद्दापन या लूट िे किसी अपराध िी जाांच या किचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा
सिता है कजसिी स्थानीय अकधिाररता िे अन्दर ऐसा अपराध किया गया है या चुराई हुई सांपकि
िो जो कि अपराध िा किषय है उसे िरने िाले व्यक्ति द्वारा या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा िब्जे में
रखी गई है कजसने उस मांत्र िो चुराई हुई सांपकि जानते हुए या किश्वास िरने िा िारण रखते हुए
प्राप्त किया या रखे रखा।
3. आपराकधि दु कििकनयोग या आपराकधि न्यासभांग िे किसी अपराध िी जाच या किचारण ऐसे
न्यायालय द्वारा किया जा सिता है कजसिी स्थानीय अकधिाररता िे अन्दर अपराध किया गया है
या उस सांपकि िा, जो अपराध िा किषय है , िोई भाग अकभयुि व्यक्ति द्वारा प्राप्त किया गया
या रखा गया है अथिा उसिा लौटाया जाना या लेखा कदया जाना अपेकित है ।
4. किसी ऐसे अपराध िी, कजसमें चुराई हुई सांपकि िा िब्जा भी है , जाांच या किचारण ऐसे न्यायालय
द्वारा किया जा सिता है कजसिी स्थानीय अकधिाररता िे अन्दर ऐसा अपराध किया गया है या
चुराई हुई सांपकि किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा िब्जे में रखी गई है , कजसने उसे चुराई हुई जानते हुए या
किश्वास िरने िा िारण होते हुए प्राप्त किया या रखे रखा ।
5. किसी ऐसे अपराध िी, कजसमें िल िरना भी है , जाांच या उनिा किचारण, उस दशा में कजसमें
ऐसी प्रिांचना पत्रोां या दू रसांचार सांदेशोां िे माध्यम से िी गई है ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा
सिता है कजसिी स्थानीय अकधिाररता िे अन्दर ऐसे पत्र या सांदेश भेजे गए हैं या प्राप्त किए गए
हैं तथा िल िरने और बेईमानी से सांपकि िा पररदान उत्प्रेररत िरने िाले किसी अपराध िी
जाांच या उनिा किचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सिता है कजसिी स्थानीय अकधिाररता िे
अन्दर सांपकि, प्रिांकचत व्यक्ति द्वारा पररदि िी गई है या अकभयुि व्यक्ति द्वारा प्राप्त िी गई है ।
6. यकद िोई अपराध उस समय किया गया है जब िह व्यक्ति, कजसिे द्वारा, या िह व्यक्ति कजसिे
किरुद्ध, या िह चीज कजसिे बारे में िह अपराध किया गया, किसी यात्रा या जलयात्रा पर है , तो
उसिी जाांच या किचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सिता है , कजसिी स्थानीय अकधिाररता
में होिर या उसिे अन्दर िह व्यक्ति या चीज उस यात्रा या जलयात्रा िे दौरान गई है ।
7. किसी व्यक्ति द्वारा, जो भारत िा नागररि नहीां है , भारत में रकजस्ट्र ीिृत किसी पोत या किमान
पर, किया जाता है तब उस अपराध िे बारे में उसिे किरुद्ध ऐसी िायििाही िी जा सिती है
मानो िह अपराध भारत िे अन्दर उस स्थान में किया गया है जहााँ िह पाया गया है :
8. िोई बात, जो मृत्यु िाररत िरने िे आशय से न िी गई हो, किसी ऐसी अपहाकन िे िारण नहीां
है, जो उस बात से किसी ऐसे व्यक्ति िो, कजसिे फायदे िे कलए िह बात सद्भािपूििि िी जाए
और कजसने उस अपहाकन िो सहने, या उस अपहाकन िी जोक्तखम उठाने िे कलए चाहे
अकभव्यि चाहे कििकित सम्मकत दे दी हो, िाररत हो या िाररत िरने िा ििाि िा आशय हो या
िाररत होने िी सांभाव्यता ििाि िो ज्ञात है ।
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9. िोई बात, जो बारह िषि से िम आयु िे या कििृतकचि व्यक्ति िे फायदे िे कलए सद्भािपूििि
उसिे सांरिि िे, या किकधपूणि भारसाधि किसी दू सरे व्यक्ति िे द्वारा, या िी अकभव्यि या
कििकित सम्मकत से िी जाए, किसी ऐसी अपहाकन िे िारण, अपराध नहीां है जो उस बात से उस
व्यक्ति िो िाररत हो, या िाररत िरने िा ििाि िा आशय हो या िाररत होने िी सम्भाव्यता
ििाि िो ज्ञात हो
10. गभिपात िराना (जब ति कि िह उस स्त्री िा जीिन बचाने िे प्रयोजन से सद्भािपूििि िाररत
न किया गया हो) किसी अपहाकन िे कबना भी, जो उससे उस स्त्री िो िाररत हो या िाररत िरने
िा आशय हो, स्वतः अपराध है। इसकलए िह "ऐसी अपहाकन िे िारण” अपराध नहीां है ; और
ऐसा गभिपात िराने िी उस स्त्री िी या उसिे सांरिि िी सम्मकत उस िायि िो न्यानुमत नहीां
बनाती है।
11. िोई बात, जो किसी व्यक्ति िे फायदे िे कलए सद्भािपूििि यद्यकप उसिी सम्मकत िे कबना, िी
गई है , ऐसी किसी अपहाकन िे िारण, जो उस बात से उस व्यक्ति िो िाररत हो जाए, अपराध
नहीां है , यकद पररक्तस्थकतयाां ऐसी होां कि उस व्यक्ति िे कलए यह असांभि हो कि िह अपनी सम्मकत
प्रिट िरे या िह व्यक्ति सम्मकत दे ने िे कलए असमथि हो और उसिा िोई सांरिि या उसिा
किकधपूणि भारसाधि िोई दू सरा व्यक्ति न हो कजससे ऐसे समय पर सम्मकत अकभप्राप्त िरना
सांभि हो कि िह बात फायदे िे साथ िी जा सिे
12. सुद्भािपूििि दी गई सांसूचना उस अपहाकन िे िारण अपराध नहीां है , जो उस व्यक्ति िो हो
कजसे िह दी गई है , यकद िह उस व्यक्ति िे फायदे िे कलए दी गई हो।
13. िह व्यक्ति, जो स्वयां अपनी इच्छा से, या पीटे जाने िी धमिी िे िारण, डािुओां िी टोली में
उनिे शील िो जानते हुए सक्तम्मकलत हो जाता है , इस आधार पर ही इस अपिाद िा फायदा
उठाने िा हिदार नहीां कि िह अपने साकथयोां द्वारा ऐसी बात िरने िे कलए कििश किया गया था
जो किकधना अपराध है ।
14. िे िथन, जो उन व्यक्तियोां द्वारा किए गए हैं कजनिी िाद िे किसी पििार िे किरुद्ध क्तस्थकत या
दाकयत्व साकबत िरना आिश्यि है , स्वीिृकतयााँ हैं , यकद ऐसे िथन ऐसे व्यक्तियोां द्वारा, या उन पर
लाए गए िाद में ऐसी क्तस्थकत या दाकयत्व िे सांबांध में ऐसे व्यक्तियोां िे किरुद्ध सुसांगत होते और
यकद िे उस समय किए गए होां जबकि उन्हें िरने िाला व्यक्ति ऐसी क्तस्थकत ग्रहण किए हुए है या
ऐसे दाकयत्व िे अधीन है ।
15. िे िथन, जो उन व्यक्तियोां द्वारा किए गए हैं कजनिो िाद िे किसी पििार ने किसी कििादग्रस्त
किषय िे बारे में जानिारी िे कलए अकभव्यि रूप से कनकदि ष्ट किया है , स्वीिृकतयााँ हैं ।
16. किसी दस्तािेज िी अन्तििस्तु िे बारे में मौक्तखि स्वीिृकतयाां तब ति सुसांगत नहीां होती, यकद
और जब ति उन्हें साकबत िरने िी प्रस्थापना िरने िाला पििार यह दकशित न िर दे कि ऐसी
दस्तािेज िी अांतििस्तुओां िा कद्वतीयि साक्ष्य दे ने िा िह एतक्तिन् पश्चात कदए हुए कनयमोां िे
अधीन हिदार है , अथिा जब ति पेश िी गई दस्तािेज िा असली होना प्रश्नगत न हो ।
17. िोई भी सांस्वीिृकत, जो किसी व्यक्ति ने उस समय िी हो जब िह पुकलस ऑकफसर िी अकभरिा
में हो, ऐसे व्यक्ति िे किरुद्ध साकबत न िी जाएगी, जब ति, कि िह मकजस्ट्र े ट िी सािात
उपक्तस्थकत में न िी गई हो ।
18. परन्तु जब किसी तथ्य हो, प्राप्त जानिारी िे पररणामस्वरूप उसिा पता चला है , तब ऐसी
जानिारी में से, उतनी चाहे िह सांस्वीिृकत िी िोकट में आती हो या नहीां, कजतनी एतद्द्िारा पता
चले हुए तथ्य से स्पष्टतया सांबांकधत है , साकबत िी जा सिेगी।
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19. 'सम्यि् अनुक्रम-धारि" से िोई भी ऐसा व्यक्ति - अकभप्रेत है जो िचन-पत्र, किकनमय-पत्र या
चेि में िकणित रिम िे दे य होने से पूिि और यह किश्वास िरने िा कि कजस व्यक्ति से उसे अपना
हि व्युत्पन्न हुआ है उस व्यक्ति िे हि में िोई त्रुकट ितिमान थी पयाि प्त हेतुि रखे कबना, उस
दशा में, कजसमें कि िह िाहि िो दे य है , उस पर प्रकतफलाथि िाकबज हो गया है , अथिा उस
दशा में कजसमें कि िह आदे शानुसार दे य है , उसिा पानेिाला या पृष्ाां किती हो गया है।
20. भारत में कलक्तखत या रकचत और भारत में दे य) किया गया या भारत में कनिासी किसी व्यक्ति पर
कलक्तखत िचन-पत्र, किकनमय-पत्र या चेि अन्तदे शीय कलखत समझा जाएगा