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म ां दर्

ु ा च लीस अर्ा सहित


॥ चौप ई॥

👉नमो नमो दर्ु े सखु करनी।


नमो नमो अम्बे दखु िरनी॥ 1

अर् ात – सख
ु प्रद न करने व ली म ां दर्
ु ा को मेर नमस्क र िै ।
दख
ु िरने व ली म ां श्री अम्ब को मेर नमस्क र िै ।

👉ननर क र िै ज्योनत तम्


ु ि री।
नतिां लोक फैली उजिय री॥ 2

अर् ात – आपकी ज्योनत क प्रक श असीम िै , जिसक तीनों


लोको (पथ्ृ वी , आक श, प त ल ) में प्रक श फैल रि िै ।

👉शशश लल ट मख ु मि ववश ल ।
नेत्र ल ल भक
ृ ु टी ववकर ल ॥ 3

अर् ात – आपक मस्तक चन्द्रम के सम न और मख ु अनत


ववश ल िै। नेत्र रजततम एवां भक
ृ ु हटय ां ववकर ल रूप व ली िैं।

👉रूप म तु को अधिक सि
ु वे।
दरश करत िन अनत सखु प वे॥ 4

अर् ात – म ां दर्
ु ा क यि रूप अत्यधिक सिु वन िै । इसक
दशान करने से भततिनों को परम सख ु शमलत िै ।

👉तमु सांस र शजतत लय कीन ।


प लन िे तु अन्द्न िन दीन ॥ 5

अर् ात – सांस र के सभी शजततयों को आपने अपने में समेट


िुआ िै। िर्त के प लन िे तु अन्द्न और िन प्रद न ककय िै ।

👉अन्द्नपर् ा िुई िर् प ल ।


तम
ु िी आहद सन्द्
ु दरी ब ल ॥ 6
िुआ िै। िर्त के प लन िे तु अन्द्न और िन प्रद न ककय िै ।

👉अन्द्नपर् ा िुई िर् प ल ।


तम
ु िी आहद सन्द्
ु दरी ब ल ॥ 6

अर् ात – अन्द्नपर् ा क रूप ि रर् कर आप िी िर्त प लन


करती िैं और आहद सन्द् ु दरी ब ल के रूप में भी आप िी िैं।

👉प्रलयक ल सब न शन ि री।
तम
ु र्ौरी शशवशांकर प्य री॥ 7

अर् ात – प्रलयक ल में आप िी ववश्व क न श करती िैं।


भर्व न शांकर की वप्रय र्ौरी -प वाती भी आप िी िैं।

👉शशव योर्ी तम् ु िरे र्र्


ु र् वें।
ब्रह्म ववष्र्ु तम्
ु िें ननत ध्य वें॥ 8

अर् ात – शशव व सभी योर्ी आपक र्र्


ु र् न करते िैं। ब्रह्म -
ववष्र्ु सहित सभी दे वत ननत्य आपक ध्य न करते िैं।

👉रूप सरस्वती को तम ु िर।


दे सब
ु द्
ु धि ऋवि मनु नन उब र ॥ 9

अर् ात – आपने िी म ां सरस्वती क रूप ि रर् कर ऋवि-


मनु नयों को सद्बद्
ु धि प्रद न की और उनक उद्ि र ककय ।

👉िर रूप नरशसांि को अम्ब ।


प्रकट िुई फ ड़कर खम्ब ॥10

अर् ात – िे अम्बे म त ! आप िी ने श्री नरशसांि क रूप ि रर्


ककय र् और खम्बे को चीरकर प्रकट िुई र्ीां।

👉रक्ष करर प्रिल द बच यो।


हिरर् कुश को स्वर्ा पठ यो॥ 11

अर् ात – आपने भतत प्रिल द की रक्ष करके हिरण्यकश्यप


को स्वर्ा प्रद न ककय , तयोककां वि आपके ि र्ों म र र्य ।

👉लक्ष्मी रूप िरो िर् म िीां।


अर् ात – आपने भतत प्रिल द की रक्ष करके हिरण्यकश्यप
को स्वर्ा प्रद न ककय , तयोककां वि आपके ि र्ों म र र्य ।

👉लक्ष्मी रूप िरो िर् म िीां।


श्री न र यर् अांर् सम िीां॥ 12

अर् ात – लक्ष्मीिी क रूप ि रर् कर आप िी क्षीरस र्र में श्री


न र यर् के स र् शेिशय्य पर ववर िम न िैं।

👉क्षीरशसन्द्िु में करत ववल स ।


दय शसन्द्िु दीिै मन आस ॥13

अर् ात – क्षीरस र्र में भर्व न ववष्र्ु के स र् ववर िम न िे


दय शसन्द्िु दे वी! आप मेरे मन की आश ओां को पर्ा करें ।

👉हिांर्ल ि में तम्


ु िीां भव नी।
महिम अशमत न ि त बख नी॥ 14

अर् ात – हिांर्ल ि की दे वी भव नी के रूप में आप िी प्रशसद्ि


िैं। आपकी महिम क बख न निीां ककय ि सकत िै ।

👉म तांर्ी िम वनत म त ।
भव
ु नेश्वरर बर्ल सख
ु द त ॥ 15

अर् ात – म तांर्ी दे वी और िम व ती भी आप िी िैं भवु नेश्वरी


और बर्ल मख ु ी दे वी के रूप में भी सख
ु की द त आप िी िैं।

👉श्री भैरव त र िर् त ररणर्।


निन्द्न भ ल भव दख
ु ननव ररणर्॥ 16

अर् ात – श्री भैरवी और त र दे वी के रूप में आप िर्त


उद्ि रक िैं। निन्द्नमस्त के रूप में आप भवस र्र के कष्ट
दर करती िैं।

👉केिरर व िन सोि भव नी।


ल ांर्रु वीर चलत अर्व नी॥ 17

अर् ात – व िन के रूप में शसांि पर सव र िे भव नी ! ल ांर्रु


👉केिरर व िन सोि भव नी।
ल ांर्रु वीर चलत अर्व नी॥ 17

अर् ात – व िन के रूप में शसांि पर सव र िे भव नी ! ल ांर्रु


(िनम ु न िी) िैसे वीर आपकी अर्व नी करते िैं।

👉कर में खप्पर खड्र् ववर िे।


ि को दे ख क ल डर भ िे॥18

अर् ात – आपके ि र्ों में िब क लरूपी खप्पर व खड्र् िोत िै


तो उसे दे खकर क ल भी भयग्रस्त िो ि त िै ।

👉सोिे अस्त्र और त्रत्रशल ।


ि ते उठत शत्रु हिय शल ॥19

अर् ात – ि र्ों में मि शजततश ली अस्त्र-शस्त्र और त्रत्रशल


उठ ए िुए आपके रूप को दे ख शत्रु के हृदय में शल उठने लर्ते
िै ।

👉नर्रकोट में तम् ु िीां ववर ित।


नतिां लोक में डांक ब ित॥20

अर् ात – नर्रकोट व ली दे वी के रूप में आप िी ववर िम न िैं।


तीनों लोकों में आपके न म क डांक बित िै ।

👉शम्
ु भ ननशम्
ु भ द नव तम ु म रे ।
रततबीि शांखन सांि रे ॥ 21

अर् ात – िे म ां! आपने शम्


ु भ और ननशम्
ु भ िैसे र क्षसों क

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