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On Screen

13 september 2002 को जोधपुर में तड़के सुबह जब दुनिया अँ गड़ाइ ले रही थी तब एक २४ साल का एक

नौजवान तेज़ क़दमों से चला जा रहा था। इस नौजवान की आँ ख़ो में नींद कम थी और कु छ कर दिखाने की

भूख बहुत ज़्यादा थी। वह सारी रात नहीं सोया था, यह सोचकर की कहीं वह लेट नही हो जाएँ । क्योंकि आज

उसके Institute का पहला दिन था। इस नौजवान के लिए Teaching एक Passion था और वह इस

Passion को एक weapon बनाकर Students की ज़िंदगी में एक change लाना चाहता था। उसके लिए यह

एक Institute एक दीपक की तरह था जिससे वह Students के जीवन में उजाला ला सकता था। उस

नौजवान का नाम निर्मल गहलोत था और उस Institute नाम उत्कर्ष था।

रेतीले धोरों के बीच बसी टियर 3 सिटी जोधपुर के एक साधारण परिवार में जन्में निर्मल गहलोत का

शुरुआती दौर सं घर्ष भरा रहा। घर की आर्थिक स्तिथि कोई बहुत अच्छी नहीं थी। इसलिए आठवीं कक्षा से

ही बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। हिंदी विषय में एमए करने के दौरान निर्मल गहलोत को यह समझ आ

गया था कि उन्हें अगर किसी चीज़ में सबसे ज़्यादा मज़ा आता है तो वो है – बच्चों को पढ़ाना। इसके बाद

2001 में एक निजी कोचिंग सं स्थान में उन्होंने पढ़ाना शुरू किया। लेकिंग थोड़े समय बाद जब निर्मल गहलोत

के पैर में कु छ परेशानी हुई तो करीब 15 दिन तक वे पढ़ाने नहीं जा पाए। जब वापस काम पर लौटे तो कोचिंग

इं स्टीट्यूट ने काम पर रखने से मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने तय किया कि वो अब खुद का कोचिंग

Institute खोलेंगे।

और जोधपुर में 13 सितम्बर 2002 में लोन लेकर उत्कर्ष नामक institute की शुरुआत की। किराये के 2 कमरे

में चलने वाली इस पहली क्लास में मात्र २ विद्यार्थी थे। निर्मल गहलोत खुद हर सुबह 4 बजे से लेकर देर रात

तक लगे रहते थे। सुबह जल्दी घर से निकलकर पहले institute पहुँ चते थे और फिर क्लास की साफ़-सफाई

कर Students का इं तज़ार करते।

इसके बाद निर्मल गहलोत ने स्वयं पूरी निष्ठा से शिक्षण कार्य आरम्भ किया। कु छ ही वर्षों में मेहनत का असर

दिखने लगा और धीरे- धीरे उत्कर्ष पूरे पश्चिमी राजस्थान में अपनी उत्कृ ष्ट शिक्षा और बेहतरीन तैयारी के
लिए जाने जाना लगा. अगले दशक तक आते-आते उत्कर्ष अपनी Qualitative, affordabale Education

और शानदार परिणाम की बदौलत मारवाड़ में शिक्षा का सिरमौर बन गया.

लेकिन वक्त दबे पांव एक नए दौर में जा रहा था। और इस बदलते वक्त के साथ कदमताल नहीं करने से

पीछे रह जाने का ख़तरा था। डिजिटल क्रांति दस्तक दे चुकी थी। इसलिए वर्ष 2017 में उन्होंने Utkarsh

Classes नाम के एक यू-ट्यूब चैनल की शुरुआत की और जोधपुर में प्रदेश का पहला डिजिटल क्रोमा

स्टूडियो शुरू किया। उन्होंने हर घर तक गुणवत्तामूलक शिक्षा पहुं चने के लिए 'उत्कर्ष एप' भी बनवाया।

जिसका उद्देश्य था कि निर्धन और सक्षम दोनों तरह के प्रतिभावान बच्चों का कामयाबी पर हक़ हो।

इसके बाद साल 2020 आया और साथ में कोरोना भी आया। इस सं कट की घडी में उत्कर्ष YouTube चैनल

और उत्कर्ष एप विद्यार्थियों के लिए सं कट मोचक बने। Online माध्यम से उन्होंने घर -घर में विद्यार्थियों को

शिक्षा की सं जीवनी पहुं चाई।

इससे पहले कहानी को आगे बढ़ाएँ एक बार फिर चलते है २०१३ जब निर्मल गहलोत राजस्थान में उत्कर्ष के

माध्यम से विध्यार्थियों का उत्कर्ष कर रहे थे तब उत्तर प्रदेश के एक engineering college में रात के समय

होस्टल की छत पर एक फ़ाइनल year का एक लड़का खड़ा था। यह लड़का middle क्लास फ़ै मिली से था।

हाथ में एक मोबाइल था, आँ खों में आँ सू और दूर तक सिर्फ़ अँ धेरा। उस लड़के ने रोते हुए अपनी बहन से

फोन पर कहा कि वह अब Engineering नहीं करेगा। उसकी बहन अवाक् रह गयी क्योंकि माँ की उम्मीद,

रिश्तेदारों का क़र्ज़ और Education Loan की Installment इसी को पूरी करनी थी । जब बहन ने पूछा कि

क्या करेगा तो लड़का बोला एक पल के लिए ख़ामोश हो गया और फिर कहा “ Tuition पढ़ाऊँ गा।” इस

लड़के का नाम था अलख पांडे I

अगर निर्मल गहलोत के लिए teaching passion था तो अलख पांडे के लिए teaching प्यार था। अलख

पांडे की कहानी भी निर्मल गहलोत की कहानी जैसी ही थी।


प्रयागराज में पैदा हुए अलख पाण्डेय का घर में माता-पिता और एक बड़ी बहन थीं। उनकी प्रारं भिक शिक्षा

प्रयागराज में ही पूरी हुई थी। अलख शुरुआत से ही विज्ञान विषयों की ओर आकर्षित थे और वे अधिकांश समय

विज्ञान विषयों की पढ़ाई में बिताते थे।

💡 शिक्षा देना एक समाधान: परिवार में वित्तीय कठिनाइयों का सामना करने पर अलख ने बचपन में ही पढ़ाई देने का प्रारंभ किया। बचपन में ही मकान बिक जाने

के कारण किराए के घर में रहे। घर की आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं होने के करन स्कू ल के दिनों से ही उन्होंने घर का ख़र्च चलाने के लिए tution पढ़ाना शुरू

कर दिया था। वे विज्ञान में अच्छे थे, जिससे उन्होंने अपनी बी.टेक. की पढ़ाई के पहले साल में भौतिक विज्ञान में 80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। College के

दौरान ही उनकी शिक्षण में रुचि बढ़ी और उन्होंने इसे और भी आगे बढ़ाने का इरादा किया।

जब परिवार के सदस्य उम्मीद कर रहे थे कि इं जीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उनका बेटा एक बड़ी कं पनी में

इं जीनियर के रूप में काम करेगा, तब वो कॉलेज छोड़कर प्रयागराज वापस आ गए ।

कॉलेज से आकर उन्होंने अलग अलग कोचिंग centers में पढ़ाना शुरू कर दिया। अलख का Physics पढ़ाने का

style भी अलग था ।वो Physics को पढ़ाते नही थे उसे समझाते थे। कई लोगों को अच्छा नही पढ़ाने की वजह से

नौकरी से निकला जाता है मगर इस coaching center में अलख को अच्छा पढ़ाने की वजह से नौकरी से

निकाल दिया गया।

इसके बाद 2015/16 youtube पर 'फिजिक्स वाला' नाम से एक चैनल बनाया और science topic के videos

अपलोड को किया। अगर निर्मल गहलोत की पहली क्लास में २ बच्चे थे तो अलख पांडे की पहली video पर दो

Likes थे। एक उनकी माँ का और दूसरा उनकी बहन का। लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी। वो अलग- अलग

coaching में पढ़ाते रहे और youtube पर videos भी अपलोड करते रहे। उनके creative और storytelling
methods से complex topics बच्चों को आसानी से समझ आने लगे।और धीरे- धीर दो साल में उनके चैनल

Subscribers बढ़ने लगे।

इसके बाद 2018 में, अलख ने प्रतीक माहेश्वरी के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। इसके साथ ही, उन्होंने

'फिजिक्स वाला' ऐप और प्लेटफार्म की शुरुआत की। आ ज 'फिजिक्स वाला' अब 500 +शिक्षकों के साथ है,

जो रोजाना हजारों कक्षाएं लेते हैं। अलख का शिक्षण के प्रति समर्पण आत्मा में है, जबकि प्रतीक व्यापार और

वित्तीय पहलुओं का ध्यान रखते हैं। अलख पांडे के Unique teaching Style, शानदार results और बच्चों से प्यार

के कारण आज 'फिजिक्स वाला' एक Institution नहीं बल्कि एक emotion बन चुका है। बच्चे प्यार से उन्हें

God Of Physics भी कहते हैं।

data आएगा यहाँ ।

निर्मल गहलोत की कहानी अगर अर्श से फ़र्श की है तो और अलख पांडे की शून्य से अलख तक की है। लेकिन

इन दोनो की सिर्फ़ कहानी एक जैसी ही नहीं बल्कि सोच भी एक जैसी है। दोनो ही Middle Class family में पले-

बढ़े और अपने सपने पूरे करने के लिए बचपन से ही सं घर्ष किया। कमज़ोर आर्थिक स्तिथि के कारण पढ़ाई में

आने वाली परेशानियों से दोनो ही वाक़िफ़ थे । दोनो हर घर तक , हर बच्चे तक Affordable एजुके शन पहुँ चाना

चाहते थे ताकि आर्थिक स्तिथि के कारण कोई भी बच्चा अपनी पढ़ाई और सपनो को नही छोड़े। साल २०२२ में

इसी उद्देश्य से हाथ मिलाया और NEET-JEE की शानदार तैयारी के लिए विद्यापीठ नाम का एक Joint Venture

शुरू किया। गणित की दुनिया में भले ही एक और एक दो होते है लेकिन कमज़ोर आर्थिक स्तिथि वाले बच्चों की

दुनिया में उत्कर्ष और 'फिजिक्स वाला' का हाथ मिलना एक और एक ग्यारह जैसा साबित हो रहा है ।
उत्कर्ष और 'फिजिक्स वाला' अब शिक्षा की अलख घर-घर तक पहुँ चाने और विध्यार्थियों का उत्कर्ष करने के

लिए प्रतिबद्ध है।

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