Professional Documents
Culture Documents
छोड़ दो
छोड़ दो
छोड़ दो
का य का उ े य :
यह एक मािमक किवता है िजसम पशु -पि य क वेदना का यथाथ िच ण हआ है। ततु किवता के मा यम
से कविय ी बालमिण अ मा ने पशु और पि य क वेदना को य िकया है। उनक विृ कृित म व छंद
िवचरण करना है। मनु य जब उ ह अपनी ज रत या शौक के िलए बधं न म रखते है तब वे उ ह सख
ु न देकर
उनके िलए दख ु का कारण बन जाते है। पशु-पि य के साथ नेह भरा यवहार करना उिचत है परंतु यह
यवहार बंधन मु होना चािहए। कविय ी का मु य उ े य है िक मानव के दय म पशु और पि य के ित
सवं ेदनाएँ जागतृ कर सके तथा मनु य उनक भावनाओ ं से प रिचत हो सक ।
का य का भावाथ:-
“छोड़ दो मुझे
इस िपंजरे से,
से थोड़ा िवहार करने दो
खुले आसमान पर !”
ततु पंि याँ मलयाली किवता से ली गई ह। िजसक कविय ी बालमिण अ मा ह। ततु किवता क पंि य
म कविय ी ने एक िचिड़या के मा यम से आजादी ( वतं ता) के मह व को बताते हए कहा है िक बधं न िकसी
को अ छा नह लगता। सभी आजाद रहना चाहते ह, चाहे वह पशु प ी हो या हम मनु य अथात आजादी सभी
को ि य लगती है।
या या/अथ : ततु पिं य म एक न ही िचिड़या अपने आपको िपजं रे से आज़ाद करने के िलए कहती है िक
इस िपजं रे से मझु े आज़ाद कर दो। मझु े इस िपंजरे से आज़ाद होकर खल
ु े आसमान म घमू कर थोड़ा मनोरंजन
करने दो अथात मझु े खुले आसमान म आज़ादी से उड़ने दो।
“लगता है
िपंजरे क येक सलाख
हँसती रहती है मे री ओर देखकर”
या या/अथ:- मझु े िपंजरे म बदं होकर ऐसा लगता है जैसे िपंजरे क येक सलाख मेरी ओर देखकर मेरा
मजाक उड़ाती रहती ह। जो मुझे िब कुल भी अ छा नह लगता। म इस बंधन से मु वछंद उड़ान भरना
चाहती हँ। मुझे इन सलाख म बंद करने वाले, अब मझु े मेरी वतं ता दे दो।
“मानव चाहे
िकतना ही लाड़- यार य न करे ,
मे रे अंतरंग म
अक ं ु रत नह कर सकता शांित ।
छोड़ दो मुझे इस िपजं रे से
मुझे थोड़ा िवहार करने दो
खुले आसमान पर!”
या या/अथ:- न ही िचिड़या कहती है िक मनु य चाहे मझु े िकतना ही लाड़ यार य न कर ले अथात मनु य
मझु े िकतना भी यार कर ले पर मेरे अदं र वह शांित के बीज अंकु रत (उ प न) नह कर सकता। मनु य ने तो मझु े
िपंजरे म बंद करके मेरी आजादी छीन ली है और मेरी शांित भंग कर दी है जबिक मुझे शांित तो वतं होकर ही
िमलेगी। न ह िचिड़या कहती है िक मझु े इस िपंजरे से छोड़ दो अथात मझु े इस िपंजरे से आजाद कर दो। मझु े भी
आजाद होकर इस खल ु े आसमान म घमू कर थोड़ा मनोरंजन करने दो। जो शािं त और सख ु म चाहती हँ, उसे पा
लेने दो ।
िन निलिखत के उ र दीिजए।
१“छोड़ दो मुझे
इस िपंजरे से,
मझु े थोड़ा िबहार करने दो
खल ु े आसमान पर।”
-2” लगता है
इस िपजं रे क येक सलाख ,
हँसती रहती है
मेरी ओर देखकर ।”