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ऐसे -ऐसे कार्य
ऐसे -ऐसे कार्य
ऐसे -ऐसे कार्य
सत्र : 2023-24
कक्ष़ा : 6 (छठी)
विषय : ह िंदी
प़ाठ- ऐसे -ऐसे
पाठ परिचय-
ऐसे-ऐसे’ एकाांकी विष्णु प्रभाकर द्िारा रचित है। इस पाठ में नाटककार ने एक ऐसे बच्िे के
नाटक को दिखाया है जो छुट्टी के दिनों में अपना गह
ृ कायय नहीां बना पाने पर बबमारी का
बहाना करता है ताकक िह स्कूल जाने से बि जाए।
शब्दार्थ
1- िोंगा = फोन का ररसीिर
2- धमा िौकडी = शैतानी
3- नटखट = िांिल
4- प्रिेश = अांिर आना
5- हर्य = खुशी
6- कल = आराम, िैन
7- यकायक = अिानक
8- अांट शांट = बेकार की िस्तु
9- भला िांगा = स्िस्थ
10- िात = िायु बढ़ने का रोग
11- बला = मुसीबत
12- गुलजार = िहल-पहल
13- बिहजमी = खाना ना पिना
14- छका िे ना = परे शान करना
15- लोिा लोिा = लिकता हुआ
16- अट्टहास = जोर की हँसी
17- प्रकोप बीमारी का बढ़ना
18- रुआँसा = रोने िाला
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपस्
ु तक से)
प्रश्न -१ सड़क के ककनािे एक सुंद
ु ि फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दिवाजा सड़क वाले
बिामदे में खुलता है… उस पि एक फ़ोन िखा है। इस बैठक की पूिी तसवीि बनाओ।
उत्ति- बैठक में फशय पर कालीन बबछा है। इसके ऊपर सोफा सेट रखा है। कोने में ततपाही पर
फूलिान सजा है। िस
ू रे कोने में टे बल लैंप रखा है। कमरे के बीि में शीशे की मेज रखी है।
मेज पर अखबार और पबिकाएँ रखी हैं। िीिार पर िो सुांिर पेंदटांग टॅ गी हुई है।
छाि दिए गए वििरण के आधार पर चिि बनाएँ।
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प्रश्न 2. मााँ म़ोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पि क्यों घबिा िही र्ी?
उत्ति- माँ का घबराना स्िाभाविक था क्योंकक मोहन कुछ बताता ही नहीां था बस ऐसे-ऐसे
ककए जा रहा था। माँ ने सोिा पता नहीां यह कौन-सी बीमारी है और ककतनी भयांकर है।
इसललए मोहन की माँ घबरा गई थी।
प्रश्न 4. स्कूल के काम से बचने के ललए म़ोहन ने कई बाि पेट में ऐसे-ऐसे’ ह़ोने के बहाने
बनाए। मान ल़ो, एक बाि उसे सचमुच पेट में ददथ ह़ो गया औि उसकी बातों पि ल़ोगों ने
ववश्वास नहीुं ककया, तब म़ोहन पि क्या बीती ह़ोगी?
उत्ति- स्कूल के काम से बिने के ललए मोहन ने कई बार पेट में ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने
बनाए। यदि ककसी दिन मोहन को सिमुि पेट में ििय हो गया तो कोई भी उसकी बात को
नहीां मानेगा तथा उसका ििय बढ़ता जाएगा जो कक परे शानी का कारण बन सकता है। यदि
ककसी दिन मोहन के पेट में सिमुि ििय हुआ होगा तो लोगों ने उस पर विश्िास नहीां ककया
हो और यही समझा होगा कक िह बहाने बना रहा है। ऐसे में िह तडपा होगा और सबको
बार-बार कहा होगा कक उसके पेट में सिमुि ििय हो रहा है। तब जाकर मोहन को पता िला
होगा कक झूठ बोलने से क्या नक
ु सान होता है। उसे अपनी आित पर पछतािा होगा और
सांभितः िह भविष्य में कभी झूठ बोलने से तौबा कर ले।
प्रश्न 5. ऐसे कौन-कौन से बहाने ह़ोते हैं जिन्हें मास्टि िी एक ही बाि में सुनकि समझ
िाते हैं। ऐसे कुछ बहानों के बािे में ललख़ो।
उत्ति- ऐसे अनेक बहाने होते हैं; जैस-े आज स्कूल में कुछ नहीां होगा, बस सफाई कराई
जाएगी। कुछ छाि कहते हैं कक मैं रात में पढ़ाई कर रहा था मेरी ककताब और कॉपी िहीां
छूट गई। कभी-कभी छाि िरू के ररश्तेिार की बीमारी का बहाना बना लेते हैं। इसके अलािा
छाि पेट ििय, लसर ििय, माता-वपता के साथ कहीां जाना, जजन्हें एक ही बार सन
ु कर मास्टर
जी समझ जाते हैं।
मल्
ू यपिक प्रश्न -
प्रश्न -ऐसे -ऐसे पाठ का उद्िेश्य क्या है? इस पाठ से हमें क्या सांिेश लमलता है?
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