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Shiv Chalisa With Meaning in Hindi
Shiv Chalisa With Meaning in Hindi
स्मरर् करते हुए िीप प्रज्वशलत करें व शनम्न श्लोक पढ़कर पुष्प
अशपणत करें ।
॥ िोहा ॥
जय गर्ेि शगररजा सुवन, र्ंगल र्ूल सुजान।
कहत अयोध्यािास तुर्, िे हु अभय वरिान॥
॥ चौपाई ॥
जय शगररजा पशत िीन ियाला।
सिा करत सन्तन प्रशतपाला॥
भाल चन्द्रर्ा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।
र्ुण्डर्ाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छशव को िे खख नाग र्न र्ोहे ॥
र्ैना र्ातु की हवे िु लारी।
बार् अंग सोहत छशव न्यारी॥
कर शत्रिूल सोहत छशव भारी।
करत सिा ित्रुन क्षयकारी॥
नखन्द गर्ेि सोहै तहँ कैसे।
सागर र्ध्य कर्ल हैं जैसे॥
काशतणक श्यार् और गर्राऊ।
या छशव को कशह जात न काऊ॥
िे वन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही िु ख प्रभु आप शनवारा॥
शकया उपद्रव तारक भारी।
िे वन सब शर्शल तुर्शहं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवशनर्ेष र्हँ र्ारर शगरायउ॥
आप जलंिर असुर संहारा।
सुयि तुम्हार शवशित संसारा॥
शत्रपुरासुर सन युद्ध र्चाई।
सबशहं कृपा कर लीन बचाई॥
शकया तपशहं भागीरथ भारी।
पुरब प्रशतज्ञा तासु पुरारी॥
िाशनन र्हँ तुर् सर् कोउ नाहीं।
सेवक स्तुशत करत सिाहीं॥
वेि र्ाशह र्शहर्ा तुर् गाई।
अकथ अनाशि भेि नशहं पाई॥
प्रकटी उिशि र्ंथन र्ें ज्वाला।
जरत सुरासुर भए शवहाला॥
कीन्ही िया तहं करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नार् कहाई॥
पूजन रार्चन्द्र जब कीन्हा।
जीत के लंक शवभीषर् िीन्हा॥
सहस कर्ल र्ें हो रहे िारी।
कीन्ह परीक्षा तबशहं पुरारी॥
एक कर्ल प्रभु राखेउ जोई।
कर्ल नयन पूजन चहं सोई॥
कशठन भखि िे खी प्रभु िंकर।
भए प्रसन्न शिए इखित वर॥
जय जय जय अनन्त अशवनािी।
करत कृपा सब के घटवासी॥
िु ष्ट सकल शनत र्ोशह सतावै।
भ्रर्त रहौं र्ोशह चैन न आवै॥
त्राशह त्राशह र्ैं नाथ पुकारो।
येशह अवसर र्ोशह आन उबारो॥
लै शत्रिूल ित्रुन को र्ारो।
संकट ते र्ोशह आन उबारो॥
र्ात-शपता भ्राता सब होई।
संकट र्ें पूछत नशहं कोई॥
स्वार्ी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु र्र् संकट भारी॥
िन शनिणन को िे त सिा हीं।
जो कोई जां चे सो फल पाहीं॥
अस्तुशत केशह शवशि करैं तुम्हारी।
क्षर्हु नाथ अब चूक हर्ारी॥
िंकर हो संकट के नािन।
र्ंगल कारर् शवघ्न शवनािन॥
योगी यशत र्ुशन ध्यान लगावैं।
िारि नारि िीि नवावैं॥
नर्ो नर्ो जय नर्ः शिवाय।
सुर ब्रह्माशिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे र्न लाई।
ता पर होत है िम्भु सहाई॥
ॠशनयां जो कोई हो अशिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इिा जोई।
शनश्चय शिव प्रसाि तेशह होई॥
पखण्डत त्रयोििी को लावे।
ध्यान पूवणक होर् करावे॥
त्रयोििी व्रत करै हर्ेिा।
ताके तन नहीं रहै कलेिा॥
िूप िीप नैवेद्य चढ़ावे।
िंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्त िार् शिवपुर र्ें पावे॥
कहैं अयोध्यािास आस तुम्हारी।
जाशन सकल िु ः ख हरहु हर्ारी॥
॥ िोहा ॥
शनत्त नेर् कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुर् र्ेरी र्नोकार्ना, पूर्ण करो जगिीि॥
र्गसर छशठ हे र्न्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुशत चालीसा शिवशह, पूर्ण कीन कल्यार्॥
Shiv Chalisa Meaning in Hindi
॥िोहा॥
॥चौपाई॥
नखन्द गर्ेि सोहै तहँ कैसे। सागर र्ध्य कर्ल हैं जैसे॥
प्रकार िोभायर्ान हो रहे हैं जैसे सर्ुद्र के बीच र्ें कर्ल खखले
हों।
वेि र्ाशह र्शहर्ा तुर् गाई। अकथ अनाशि भेि नशहं पाई॥
हैं ।
िु ष्ट सकल शनत र्ोशह सतावै। भ्रर्त रहौं र्ोशह चैन न आवै॥
अथण- िु ष्ट शवचार सिै व र्ुझे पीशड़त कर सताते रहते हैं और र्ैं
िें ।
करते हैं ।
अथण- योगी, यशत और र्ुशन सभी आपका ध्यान करते हैं । नारि
प्राप्त करता है ।
र्ें कोई रोग नहीं रहता और शकसी प्रकार का क्लेि भी र्न र्ें
नहीं रहता।
॥िोहा॥