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भूवैज्ञानिक काल मापक्रम


भू-वैज्ञानिक काल मापक्रम पृथ्वी के भूगर्भिक इनिहास की व्याख्या करिा है ।

प्रीकै म्ब्रियि काल


इसे सुपर इयाि भी कहिे हैं र्िसमें हेनियि, आनकि यि िथा प्रागिीव इयॉि सम्ब्रिर्लि है। इस काल का नवस्तार
पृथ्वी की उत्पनि से 57 करोड़ वर्ि पूवि िक है। यह पृथ्वी के भूगर्भिक समय का 89% है िथा पृथ्वी के
इनिहास का 7/8 वॉ भाग है। इस काल में पृथ्वी िे धीरे – धीरे िीवि के र्लए अिुकूल रुप धारण नकया िथा
महासागर में पहले िीव की उत्पनि इसी काल मे हुई। इसी काल में अरावली पविि व धारवाड़ क्रम की चट्टािोों
का निमािण हुआ।
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• हेनियि इयाि- हेनियि का अथि िरक या पािाल लोक होिा है। पृथ्वी की सिह बहुि ही अस्थाई थी।
इस काल में पृथ्वी का प्रारम्ब्रिक गठि हुआ, महासागरोों और वायुमण्डल का नवकास हुआ। इस समय
वायुमण्डल में काबिि िाईऑक्साइि की अर्धकिा थी। इसी काल में चों द्रमा का निमािण हुआ।
• आद्य इयॉि- इसे आनकि यि काल भी कहिे हैं। इस दौराि ब्लू ग्रीि शैवाल अथािि् एक कोशीय िीवाणु
का नवकास हुआ। िीवि के वल समुद्र में था। इस काल की चट्टािोों में िीवाश्म िहीों पाये िािे िथा इसी
काल में कै िेनियि व नििोस्कें नििेनवयि शील्ि का निमािण हुआ था।
• प्रागिीव इयॉि- इसका अथि होिा है प्रारम्ब्रिक िीवि। इस काल में कई िोड़ोों वाले बहुकोशीय िीवोों का
नवकास हुआ। इस समय कोमल काया वाले रीढनवहीि िीव थे िो के वल समुद्र में पाये िािे थे। स्थलीय
भाग िीवि रनहि था।

दृश्यिीवी इयाि
यह इयॉि 57 करोड़ वर्ि पूवि से वििमाि िक का पृथ्वी का इनिहास बिािा है। इसे दृश्यिीवी इयॉि कहा िािा
है क्ोोंनक इस इयॉि से िीवोों के अवशेर् नमलिा प्रारि हुए। इस इयॉि के दौराि िीवोों का नवनवर्धकरण िथा
पौधें का नवकास हुआ। यह इयॉि अकशेरूकी िीव (रीढ़नवहीि) से आधुनिक मािव िक का सिर बिािा हैं।
इस इयॉि में पृथ्वी िे अपिा वििमाि स्वरूप प्राप्त नकया। हालाोंनक यह इयॉि बहुि कम समय काल का है िथा
के वल पृथ्वी के इनिहास का 1/8 वॉ भाग है। परन्तु निर भी यह बहुि महत्व रखिा है क्ोोंनक इस काल में
व्यापक पररवििि हुए। इस इयॉि को िीि मुख्य महाकल्ोों में नवभार्िि नकया गया है- पुरािीव, मध्यिीव,
िविीवि महाकल्।
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पुरािीव महाकल्
यह दृश्यिीव इयाि का सबसे लम्बा महाकल् है। इस महाकल् को 6 कल्ोों में नवभार्िि नकया गया है।
• कै म्ब्रियि कल्- कै म्ब्रिया वेल्स का लैनिि िाम है िहााँ इस काल की चट्टािे पायी गयी। इस काल से िीवश्म
नमलिा प्रारि हो गये क्ोनक इस काल मे िीवोों कै म्ब्रल्सयम काबोिेि के कवच युक्त थे। अिः नवश्व की
प्राचीििम िीवाष्म युक्त अवसादी चट्टािे इसी काल की है। इसी काल में नवोंध्याचल पविि का निमािण हुआ।
इस काल में समुद्र में रीढ़नवहीि िीवोों का व्यापक नवनवर्धकरण हुआ, र्िसे कै म्ब्रियि नवस्फोि की सों ज्ञा दी
िािी है। स्थलीय भाग अभी भी िीवि रनहि था। समुद्र में समुद्री घास के रूप में विस्पनि का नवकास
हुआ।
• ओिोनवर्सयि- इस काल में समुद्र में रीढ़नवहीि िीवोों की बहुलिा थी िथा समुद्र में रेंगिे वाले िीवोों का
नवकास हुआ। इस काल मे कशेरूकी िीवोों में मछली का प्रादुभािव हुआ। सागरीय विस्पनि का भी नवस्तार
हुआ।
• र्सलुररयि- इस काल की सबसे महत्वपूणि घििा स्थलीय पौधें (पिे नवहीि) का उद्भव थी िो स्थल पर
िीवि का पहला साक्ष्य है। समुद्र में रीढ़ वाले िीवोों का अर्धक नवकास हुआ। अिः इस रीढ़ वाले िीवोों का
काल भी कहिे हैं। इस काल में प्रवाल िीवोों का प्रादुभािव हुआ। कै र्लिोनियि पवििीकरण हुआ िथा
स्कैं नििेनवया एवों स्कॉिलैंि के पवििोों का निमािण हुआ।
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• निवोनियि- इस काल में मछर्लयोों का नवकास अर्धक हुआ। अिः इसे ‘मत्स्य युग’ भी कहिे हैं। िल िथा
स्थल पर रहिे वाले िीवोों (उभयचर िीव) का नवकास हुआ। पौधें का नवकास हुआ (पिे युक्त पौधे)
कै र्लिोनियि पवििीकरण के िलस्वरूप इस काल में उिरी अमेररका के पूवी भाग, उिरी आयरलैण्ड,
स्कॉिलैण्ड एवों स्कैं नििेनवया में पवििोों का निमािण हुआ।
• काबोिीिेरस- इस काल में उभयचरोों का नवकास व नवस्तार हुआ। रेंगिे वाले िीवोों का स्थलीय क्षेत्र में
प्रादुभािव हुआ। इस काल में वृक्षोों का नवकास अर्धक हुआ र्ििके दबिे से कोयले के भण्डार बिे। स्थल पर
रीढ़ की हड्डी वाले िीवोों का नवकास हुआ।
• पनमियि- इस काल में रेंगिे वाले िीवोों की प्रचुरिा पायी गई। हसीनियि पवििीकरण इसी काल में हुआ
र्िसके अोंिगिि ब्लैक िॉरेस्ट, वाम्ब्रजिस, अल्ताई, नियि शाि िैसे पवििोों का निमािण हुआ। िीवोों एवों पौधें में
नवनवधिा का नवकास हुआ। पेंर्िया का निमािण हुआ। इस काल के अोंि में महानवलोपि हुआ।

मध्यिीवी महाकल्-
इस महाकल् में स्थल पर बड़े-बड़े रेंगिे वाले िीव का नवकास हुआ। अिः इसे ‘रेंगिे वाले िीवोों का काल’ कहा
िािा है। इस महाकल् को िीि कल्ोों में नवभार्िि नकया गया है।
• निियार्सक - इस काल में िल िथा स्थल में रहिे वाले िीवोों का नवकास हुआ िथा पहली बार िायिोसोर का
नवकास हुआ।
• िुरार्सक -िुरा पविि के िाम के आधार पर इस काल का िाम रखा गया है। इस काल में िायिोसोर की
प्रचुरिा रही िथा पेंर्िया िू ििा शुरू हो गया। इसी काल में पक्षीयोों का प्रादुभािव हुआ।
• नक्रिे र्शयस - इस काल में ज्वालामुखी लावा का दरारोों के माध्यम से उभेदि हुआ, र्िससे ‘‘दक्कि ििै प’’ का
निमािण हुआ। इस काल के अोंि में िायिोसोर का नवलोपि हुआ। यह दृश्यिीव इयॉि का सबसे लम्बा कल्
है। इस काल के अोंि में महानवलोपि हुआ।

िविीवि महाकल्
इसे स्तिधाररयोों का युग भी कहा िािा है। इसे दो कल्ोों में नवभार्िि नकया गया है।
• िृिीय कल् (िर्शियरी काल) - इस काल में मध्यिीव महाकल् के रेंगिे वाले िीवोों का स्थाि स्तिधारी िीवोों
िे ले र्लया िथा स्तिधाररयोों की प्रधाििा पायी गई। अल्ाइि पवििीकरण इसी काल में हुआ र्िसके अोंिगिि
नवश्व के प्रमुख िवीि वर्लि पवििोों का निमािण हुआ िैसे नहमालय, रॉकी, एों िीि आनद। विस्पनि में िू ल
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वाले पौधें की बहुलिा हो गई। इस काल में विमािुर् का आनवभािव हुआ। इस काल को पााँ च युगोों में
नवभार्िि नकया गया है- पैर्लयोसीि, इओसीि, ओलीगोसीि, नमयोसीि व म्ब्रियोसीि।
• चिुथि कल्- इसे दो युगोों में नवभार्िि नकया गया है- िीस्टोसीि व होलोसीि।
✓ िीस्टोसीि- इस युग में कम िापमाि के कारण यूरोप में चार नहमयुग देखे गये। (गुों ि, नमण्डेल,
ररस, वुम)ि आनदमािव का नवकास हुआ।
✓ होलोसीि- इस युग में िापमाि बढ़िे के कारण िीस्टोसीि काल के नहम युग की समानप्त हो गई।
पृथ्वी का वििमाि स्वरूप िथा आधुनिक मािव का नवकास हुआ। कृ नर् एवों पशुपालि प्रारि हुआ।
वििमाि में यही युग चल रहा है।

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