Professional Documents
Culture Documents
Rin Mochak Mangal Stotram Hindi 583
Rin Mochak Mangal Stotram Hindi 583
Rin Mochak Mangal Stotram Hindi 583
Com
सव भवु सुखनः सव सु नरामया। सव भाण पु मा कत् दुःखभाग् भवेत्।।
document digitized by HinduNidhi.Com
© HinduNidhi.Com
ऋणमोचक मंगल ो पाठ करने के दन म ातः काल जी उठकर ानाद करके
व को धारण कर ल।
om
इसके बाद घर के पूजा ान पर लाल कपड़ा बछाकर हनुमानजी क तमा को ापत
कर।
तमा क वध-वधान से पूजा कर ऋणमोचक मंगल ो का पाठ शु कर।
अथ: हे मंगल देव! शा म आपके जो नाम बताये गए ह, उनम पहला नाम मंगल, दूसरा
भूमपु, जनका ज पृी से आ, तीसरा ऋणहता यानी कज से मु दलाने वाला, चौथा
धनद यानी धन को देने वाले, पांचवां रासन यानी जो अपने आसन पर अड़ग रहते ह , छठा
महाकाय यानी जो बत बड़े शरीर वाले ह , सातवां नाम सवकमावरोधक यानी काय म आने वाली
Page 2 of 6
© HinduNidhi.Com
अथ: हे मंगल देव! आपके नाम म आठवां नाम लोहत, नवा लोहतांग, दसवां सामगानां यानी
कृपा करने वाले, जसका अथ सामग ाण के ऊपर अपनी कृपा को रखने वाला है ,
om
ारहवां धराज यानी पृी के गभ से उ होने वाला, बारहवां कुज, तेरहवां भौम, चौदहवां
भूतद यानी ऐया को देने वाला, पंहवां भूम नंदन यानी पृी को आन देने वाला है ।
.C
अारको यमैव सवरोगापहारकः। hi
वृे कताऽपहता च सवकामफलदः॥
id
अथ: हे मंगल देव! आपके नाम म सोलहवां नाम अंगारक, सहवां यम, अठारवां सव रोग
पहारक अथात सम तरह क कठनाइय को दूर करने वाला, उीसवां वृकता अथात वृ
N
करने वाले यानी वषा कराने वाला, बीसवां नाम वृहता अथात बारश न कर अकाल लाने वाला
du
अथ: हे मंगल देव!जो मनु आपके इन इस नाम का वाचन से मन और वास से करता
है , उस मनु के ऊपर कभी ऋण यानी कज नह होता है और वो अथाह धन क ा करता है ।
धरणीगभसूतं वुा-समभम्।
Page 3 of 6
© HinduNidhi.Com
अथ: हे मंगल देव! आपक उी पृी के गभ से ई है, आपक आभा आकाश म कड़कने
वाली दामनी (आकाश म चमकने वाली बजली) के समान है । सभी तरह क श को धारण
करने वाले कुमार मंगलदेव को म नतमक होकर णाम करता ं।
om
अथ: हे मंगल देव! आपके मंगल ो का पाठ मनु को हमेशा अपने मन म कसी भी तरह के
वकार को दूर कर एवं अपनी पूण ा एवं आा के साथ करना चाहए। जो भी मनु इस
.C
मंगल ो का पाठ करता ह और दूसर को सुनाता है , उसके सभी क दूर हो जाते ह ।
hi
अारक! महाभान! भगवन्! भवल!
अथ: हे अंगारक अथात अ क ाला से जलने वाले! महाभाग अथात पूजनीय, ऐयशाली,
भ के त वा यानी ेम रखने वाले आपको हम नतमक होकर णाम करते ह । आप
du
हमारे ऊपर कसी दूसरे से लया आ उधार को पूण करवा कज को हमेशा के लए दूर कर
दीजए।
in
H
अथ: हे मंगल देव! मेरे ऊपर कसी दूसरे का कोई बकाया हो तो उसे समा कर दीजए, कसी
भी तरह क ाध हो तो उसको भी दूर कर दीजए। हे मंगल देव, मेरी गरीबी को दूर कर अकाल
मृु के भय को दूर कजए। मुझे कसी भी तरह का डर, ेश और मन म दुःख हो तो उसे भी
Page 4 of 6
© HinduNidhi.Com
अथ: हे मंगल देव! आपको संतु करना बत ही कठन है, आप तो मुल से स होने वाले
भगवान मंगल देव ह , आप जब कसी पर अपनी कृपा क बारश करते ह तो उसे सम कार के
om
कर देते ह ।
.C
तेन ं सवसेन हराजो महाबलः॥
hi
अथ: हे महाराज! आप जब भी कसी से नाराज होते ह, तो अपनी अनुकृपा से उसे हीन कर
देते ह । आप नाखुश होने पर ाजी, इदेव और वुजी के भी साा, संप को न कर
id
सकते ह , मेरे जैसे मनु क तो बात ही ा है । आप सबसे शशाली और सबसे बड़े राजा ह ।
N
आपके ार पर आया ं, आप मेरी मनोकामना को पूण कर। मेरे ऊपर कसी तरह से भी कसी
दूसरे से उधार लया आ धन न रहे , मुझे कभी दूसर के आगे हाथ फैलाना न पड़े, मेरी गरीबी को
दूर कजए और मेरे सभी तरह के क और ेश का नाश कजए, जो मेरे दुन बन चुके ह ,
Page 5 of 6
© HinduNidhi.Com
अथ: जो भी मनु इन बारह ोक वाले ऋणमोचक मंगल ो से मंगल देव क वंदना करता
है , उस मनु पर मंगल भगवान खुश होकर उसे धन-धा दान कराते ह । वह मनु कुबेर
भगवान क तरह धन-संप का ामी बन जाता है । वो मनु हमेशा युवा रहता है ।
om
READ THIS ONLINE
Rin Mochak Mangal Stotram Hindi
.C
hi
id
N
du
in
Visit HinduNidhi
H
https://hindunidhi.com
Page 6 of 6