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मंत्र साधना में संकल्प, विनियोग और न्यास का महत्त्व क्या होता है?

मंत्र साधना में संकल्प विनियोग और न्यास का महत्त्व।

एक-साधना का एक ऐसा शब्द और विज्ञान है कि उसका उच्चारण करते ही किसी चमत्कारी शक्ति का बोध होता है। ऐसी धारणा है कि प्राचीन काल के
योगी, ऋषि और तत्त्वदर्शी महापुरुषों ने मन्त्रबल से पृथ्वी, देवलोक और ब्रह्माण्ड की अनन्त शक्तियों पर विजय पाई थी। मन्त्र शक्ति के प्रभाव से वे इतने
समर्थ बन गये थे कि इच्छानुसार किसी भी पदार्थ का हस्तान्तरण, पदार्थ को शक्ति में बदल देते थे।
दो-शाप और वरदान मन्त्र का ही प्रभाव माना जाता है। एक क्षण में किसी का रोग अच्छा कर देना एक पल में करोडो मील दूर की बात जान लेना,
एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र की जानकारी और शरीर की बहत्तर हजार नाडियों के एक- एक जोड की ही अलौकिक शक्ति थी। इसलिए भारतीय तत्त्वदर्शन में
मन्त्र शक्ति पर जितनी शोधें हुई हैं, उतनी और किसी पर भी नहीं हुई। मन्त्रों के आविष्कार होने के कारण ही ऋषि मन्त्र- दृष्टा कहलाते थे।

तीन-वेद और कु छ नहीं, एक प्रकार के मन्त्र विज्ञान है जिनमें विराट् ब्रह्माण्ड की उन अलौकिक सूक्ष्म और चेतन सत्ताओं और शक्तियों तक से सम्बन्ध
स्थापित करने के गूढ़ रहस्य दिये हुए हैं, जिनके सम्बन्ध में विज्ञान अभी ‘क ख ग’ भी नहीं जानता।किसी भी धार्मिक कृ त्य, पूजा-पाठ
व मंत्र आदि के जप से पूर्व होने वाली सूक्ष्म क्रियाओं संकल्प, विनियोग, न्यास व ध्यान आदि से आम जन सामान्यतः अनभिज्ञ होता है।आखिर ये सब
जानने की हमें आवश्यकता क्यों हैं ..इसका उत्तर तो यही हैं की जब तक साधना क्षेत्र के बारे में ज्ञान का वह आवश्यक भाव भूमि हमारे जीवन में ना
आ जाये सफलता कै से प्राप्त होगी।हाँ सामान्य साधना में सफ़लत संभव हो सकती हैं पर उच्च स्तरीय साधना में सफलता पर प्रश्न वाचक चिन्ह ही हैं ।

मंत्र किस शक्ति को जागृत करता है? आइए इसके बारे में पांच मुख्य तथ्यों की बात करते है।
एक-मंत्रों में शक्ति कहाँ से आती है? कौन- सा मंत्र किस शक्ति को जागृत करता है? उसका प्रभाव परिचय किस प्रकार उत्पन्न होता है? इसका एक
सुनिश्चित विज्ञान है। सामान्य दृष्टि में मंत्र कु छ अक्षरों या शब्दों का समुच्चय मात्र दिखाई देते हैं, परन्तु वस्तुतः मन्त्र वहीं तक सीमित नहीं है। उनका
निर्माण एक विशेष प्रभाव उत्पन्न करने के लिए किया गया है और उनके उपयोग से, साधन से साधक में एक विशेष शक्ति जागृत होती है। यह बात अलग
है कि उस शक्ति को देखा नहीं जा सकता है। गर्मी- सर्दी, सुख- दुख आदि की के वल अनुभूति होती है। पदार्थ के रूप में न तो उन्हें प्रत्यक्ष देखा जा
सकता है और न ही पदार्थ की तरह अनुभव किया जा सकता है। यही बात मंत्रों के सम्बन्ध में भी लागू होती है।

दो- किसी सोते हुए व्यक्ति का हाथ पकड कर, झकझोर कर उसे जगाया तो जा सकता है परन्तु हाथ पकडना या झकझोरना जागृति नहीं है। अधिक से
अधिक इस प्रक्रिया को जगाने की निमित्त होने का श्रेय दिया जा सकता है। मंत्रोच्चार भी अन्तरंग में और अन्तरिक्ष में भरी पडी अगणित चेतना शक्तियों में
से कु छ को जागृत करने का निमित्त मात्र है।मन्त्रों में शक्ति कहाँ से आती है? या किस प्रकार मंत्रोच्चार के अन्तरंग में निहित शक्ति जागृत होती है तथा
उसमें अन्तरिक्ष में भरी हुई शक्तियों से सम्पर्क सान्निध्य स्थापित होता है? इसका एक सुनिश्चित विज्ञान है।
तीन- किस मंत्र से, किस शक्ति को, किस आधार पर जगाया जाये इसका संके त हर मंत्र के साथ जुडे हुए विनियोग में बताया गया है। मन्त्र चाहे वैदिक
हो या तांत्रिक,दक्षिण मार्गी हो या वाममार्गी, सभी में विनियोग होता है और मंत्र साधन के विधान के साथ ही उनका उल्लेख भी रहता है। जप तो के वल
मंत्र का ही किया जाता है, किन्तु नियम है कि जप आरम्भ करते समय इस विनियोग का स्मरण कर लिया जाये। इस स्मरण में मंत्र के स्वरूप और लक्ष्य
के प्रति साधना काल में जागरूकता बनी रहती है और साधना सही दिशा में अग्रसर होती रहती है।

चार-किस मन्त्र के लिए ब्रह्म चेतना की किस दिव्य तरंग का प्रयोग किया जाय? इसके लिए विधान निर्धारित है। स्थापना, पूजन, स्तवन आदि क्रियाएँ इसी
प्रयोजन के लिए होती हैं। किसके लिए देव सम्पर्क का कौन सा तरीका ठीक रहेगा यह निश्चय करके ही मन्त्र साधक को प्रगति पथ पर अग्रसर होना होता
है। दबी हुई, प्रसुप्त क्षमताओं को प्रखर करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है यन्त्रों को चलाने के लिए ईंधन चाहिए। हाथ पैर से चलने वाले हाथ
पैरों को काम करते रहने के लिए तो ऊर्जा की जरूरत रहती ही है। यह ऊर्जा, शक्ति जुटाने पर ही यन्त्र काम करते हैं।
पांच-मन्त्रों की सफलता भी इसी प्रकार ऊर्जा उत्पन्न करने पर निर्भर है।मन्त्र साधना में पाँच प्रमुख आधार है। जो इन सब साधनों को जुटा कर मन्त्र साधन
कर सकें , उन्हें अभीष्ट प्रयोजन की प्राप्ति होती है। मन्त्र साधना विज्ञान, इसी आधार पर खडा किया गया है।

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