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H198629
H198629
पर्ारं िभक
1. संिक्षप्त नाम, िवस्तार और पर्ारं भ––(1) इस अिधिनयम का संिक्षप्त नाम पयार्वरण (संरक्षण) अिधिनयम, 1986 है ।
(2) इसका िवस्तार सम्पूणर् भारत पर है ।
(3) यह उस तारीख को पर्वृ होगा, जो के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, िनयत करे और इस अिधिनयम के
िभन्न-िभन्न उपबंध के िलए और िभन्न-िभन्न क्षेतर् के िलए िभन्न-िभन्न तारीख िनयत की जा सकगी ।
2. पिरभाषाएं––इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,––
(क) “पयार्वरण” के अंतगर्त जल, वायु और भूिम ह और वह अंतर संबंध है जो जल, वायु और भूिम तथा मानव ,
अन्य जीिवत पर्ािणय , पादप और सू मजीव और संपि के बीच िव मान है ;
(ख) “पयार्वरण पर्दूषक” से ऐसा ठोस, दर्व या गैसीय पदाथर् अिभपर्ेत है जो ऐसी सांदर्ता म िव मान है जो
पयार्वरण के िलए क्षितकर हो सकता है या िजसका क्षितकर होना संभाव्य है ;
(ग) “पयार्वरण पर्दूषण” से पयार्वरण म पयार्वरण पर्दूषक का िव मान होना अिभपर्ेत है ;
(घ) िकसी पदाथर् के संबंध म, “हथालना” से ऐसे पदाथर् का िविनमार्ण, पर्संस्करण, अिभिकर्यान्वयन, पैकेज,
भंडारकरण, पिरवहन, उपयोग, संगर्हण, िवनाश, संपिरवतर्न, िवकर्य के िलए पर्स्थापना, अंतरण या वैसी ही संिकर्या
अिभपर्ेत है ;
(ङ) “पिरसंकटमय पदाथर्” से ऐसा पदाथर् या िनिमित अिभपर्ेत है जो अपने रासायिनक या भौितक-रासायिनक गुण
के या हथालने के कारण मानव , अन्य जीिवत पर्ािणय , पादप , सू मजीव, संपि या पयार्वरण को अपहािन कािरत कर
सकती है ;
(च) िकसी कारखाने या पिरसर के संबंध म, “अिधष्ठाता” से कोई ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है िजसका कारखाने या
पिरसर के कामकाज पर िनयंतर्ण है और िकसी पदाथर् के संबंध म ऐसा व्यिक्त इसके अंतगर्त है िजसके कब्जे म वह पदाथर्
भी है ;
(छ) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपर्ेत है ।
अध्याय 2
5. िनदेश देने की शिक्त––के न्दर्ीय सरकार, िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, िकतु इस अिधिनयम के उपबंध के
अधीन रहते हुए, इस अिधिनयम के अधीन अपनी शिक्तय के पर्योग और अपने कृ त्य के िनवर्हन म िकसी व्यिक्त, अिधकारी या
पर्ािधकरण को िनदेश दे सके गी और ऐसा व्यिक्त, अिधकारी या पर्ािधकरण ऐसे िनदेश का अनुपालन करने के िलए आब होगा ।
स्पष्टीकरण––शंका को दूर करने के िलए यह घोिषत िकया जाता है िक इस धारा के अधीन िनदेश देने की
शिक्त के अंतगर्त,––
(क) िकसी उ ोग, संिकर्या या पर्िकर्या को बन्द करने, उसका पर्ितषेध या िविनयमन करने का िनदेश देने
की शिक्त है; या
(ख) िव ुत् या जल या िकसी अन्य सेवा के पर्दाय को रोकने या िविनयमन करने का िनदेश देने की शिक्त है ।
राष्टर्ीय हिरत अिधकरण को अपील––कोई व्यिक्त जो, राष्टर्ीय हिरत अिधकरण अिधिनयम, 2010 (2010 का 19) के
1 [5क.
पर्ारं भ होने पर या उसके पश्चात् धारा 5 के अधीन जारी िकन्ह िनदेश से व्यिथत है, वह राष्टर्ीय हिरत अिधकरण अिधिनयम, 2010
की धारा 3 के अधीन स्थािपत राष्टर्ीय हिरत अिधकरण को, उस अिधिनयम के उपबंध के अनुसार, अपील फाइल पर सके गा ।]
6. पयार्वरण पर्दूषण का िविनयमन करने के िलए िनयम––(1) इस अिधिनयम के उपबंध के अधीन रहते हुए, के न्दर्ीय
सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, धारा 3 म िनिदष्ट सभी या िकन्ह िवषय की बाबत िनयम बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबन्ध िकया जा सके गा, अथार्त् :––
(क) िविभन्न क्षेतर् और पर्योजन के िलए वायु, जल या मृदा की क्वािलटी के मानक ;
(ख) िभन्न-िभन्न क्षेतर् के िलए िविभन्न पयार्वरण पर्दूषक की (िजनके अंतगर्त शोर भी है) सांदर्ता की अिधकतम
अनुज्ञेय सीमा ;
(ग) पिरसंकटमय पदाथ के हथालने के िलए पर्िकर्या और रक्षोपाय ;
(घ) िभन्न-िभन्न क्षेतर् म पिरसंकटमय पदाथ के हथालने पर पर्ितषेध और िनबर्न्धन ;
(ङ) िभन्न-िभन्न क्षेतर् म पर्िकर्या और संिकर्याएं चलाने वाले उ ोग के अवस्थान पर पर्ितषेध और िनबर्न्धन ;
(च) ऐसी दुघर्टना के िनवारण के िलए िजनसे पयार्वरण पर्दूषण हो सकता है और ऐसी दुघर्टना के िलए
उपचारी उपाय का उपबंध करने के िलए पर्िकर्या और रक्षोपाय ।
अध्याय 3
1
2010 के अिधिनयम सं०19 की धारा 36 और अनुसूची 3 ारा अंत:स्थािपत ।
4
(3) उपधारा (2) म िनिदष्ट उपचारी उपाय करने के संबंध म िकसी पर्ािधकरण या अिभकरण ारा उपगत व्यय, यिद कोई
ह , उस तारीख से जब व्यय के िलए मांग की जाती है, उस तारीख तक के िलए जब उनका संदाय कर िदया जाता है, ब्याज सिहत
(ऐसी उिचत दर पर जो सरकार, आदेश ारा, िनयत करे ) ऐसे पर्ािधकरण या अिभकरण ारा संबंिधत व्यिक्त से भू-राजस्व की
बाकाया या लोक मांग के रूप म वसूल िकए जा सकगे ।
10. पर्वेश और िनरीक्षण की शिक्तयां––(1) इस धारा के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम
सशक्त िकसी व्यिक्त को यह अिधकार होगा िक वह सभी युिक्तयुक्त समय पर ऐसी सहायता के साथ जो वह आवश्यक समझे िकसी
स्थान म िनम्निलिखत पर्योजन के िलए पर्वेश करे , अथार्त् :––
(क) उसे स पे गए के न्दर्ीय सरकार के कृ त्य म से िकसी का पालन करना ;
(ख) यह अवधािरत करने के पर्योजन के िलए िक क्या ऐसे िकन्ह कृ त्य का पालन िकया जाना है और यिद हां तो
िकस रीित से िकया जाना है या क्या इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िनयम के िकन्ह उपबन्ध का या इस
अिधिनयम के अधीन तामील की गई सूचना, िनकाले गए आदेश, िदए गए िनदश या अनुद पर्ािधकार का पालन िकया जा
रहा है या िकया गया है ;
(ग) िकसी उपस्कर, औ ोिगक संयंतर्, अिभलेख, रिजस्टर, दस्तावेज या िकसी अन्य सारवान् पदाथर् की जांच या
परीक्षा करने के पर्योजन के िलए अथवा िकसी ऐसे भवन की तलाशी लेने के िलए, िजसके संबंध म उसके पास यह िवश्वास
करने का कारण है िक उसके भीतर इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िनयम के अधीन कोई अपराध िकया गया है
या िकया जा रहा है या िकया जाने वाला है और ऐसे िकसी उपस्कर, औ ोिगक संयंतर्, अिभलेख, रिजस्टर, दस्तावेज या अन्य
सारवान् पदाथर् का उस दशा म अिभगर्हण करने के िलए, जब उसके पास यह िवश्वास करने का कारण है िक उससे इस
अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िनयम के अधीन दंडनीय िकसी अपराध के िकए जाने का सा य िदया जा सके गा
अथवा ऐसा अिभगर्हण पयार्वरण पर्दूषण का िनवारण करने या उसे कम करने के िलए आवश्यक है ।
(2) पर्त्येक व्यिक्त जो कोई उ ोग चलाता है, कोई संिकर्या या पर्िकर्या करता है या कोई पिरसंकटमय पदाथर् हथालता है, ऐसे
व्यिक्त को सभी सहायता देने के िलए आब होगा, िजसे उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय सरकार ने उस उपधारा के अधीन कृ त्य को
करने के िलए सशक्त िकया है और यिद वह िकसी युिक्तयुक्त कारण या पर्ितहेतु के िबना ऐसा करने म असफल रहेगा तो वह इस
अिधिनयम के अधीन अपराध का दोषी होगा ।
(3) यिद कोई व्यिक्त उपधारा (1) के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा सशक्त िकसी व्यिक्त को, उसके कृ त्य के िनवर्हन म
जानबूझकर िवलम्ब करे गा या बाधा पहुंचाएगा तो वह इस अिधिनयम के अधीन अपराध का दोषी होगा ।
(4) दण्ड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के उपबन्ध या जम्मू-कश्मीर राज्य या िकसी ऐसे क्षेतर् म िजसम वह संिहता
पर्वृ नह है, उस राज्य या क्षेतर् म पर्वृ िकसी तत्स्थानी िविध के उपबन्ध, जहां तक हो सके , इस धारा के अधीन िकसी तलाशी या
अिभगर्हण को वैसे ही लागू ह गे जैसे वे, यथािस्थित, उक्त संिहता की धारा 94 के अधीन या उक्त िविध के तत्स्थानी उपबन्ध के अधीन
जारी िकए गए वारण्ट के पर्ािधकार के अधीन की गई िकसी तलाशी या अिभगर्हण को लागू होते ह ।
11. नमूने लेने की शिक्त और उसके संबध ं म अनुसरण की जाने वाली पर्िकर्या––(1) के न्दर्ीय सरकार या उसके ारा इस
िनिम सशक्त िकसी अिधकारी को िवश्लेषण के पर्योजन के िलए िकसी कारखाने, पिरसर या अन्य स्थान से वायु, जल, मृदा या अन्य
पदाथर् के नमूने ऐसी रीित से लेने की शिक्त होगी, जो िविहत की जाए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन िलए गए िकसी नमूने के िकसी िवश्लेषण का पिरणाम िकसी िविधक कायर्वाही म सा य म तब
तक गर्ा नह होगा जब तक उपधारा (3) और उपधारा (4) के उपबंध का अनुपालन नह िकया जाता है ।
(3) उपधारा (4) के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) के अधीन नमूना लेने वाला व्यिक्त––
(क) इस पर्कार िवश्लेषण कराने के अपने आशय की सूचना की ऐसे पर्रूप म जो िविहत िकया जाए, अिधष्ठाता या
उसके अिभकतार् या उस स्थान के भारसाधक व्यिक्त पर तुरन्त तामील करे गा ;
(ख) अिधष्ठाता या उसके अिभकतार् या व्यिक्त की उपिस्थित म िवश्लेषण के िलए नमूना लेगा ;
(ग) नमूने को आधान या आधान म रखवाएगा िजसे िचिह्नत और सील बन्द िकया जाएगा और उस पर नमूना
लेने वाला व्यिक्त और अिभष्ठाता या उसका अिभकतार् या व्यिक्त दोन हस्ताक्षर करगे ;
(घ) आधान या आधान को धारा 12 के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा स्थािपत या मान्यतापर्ाप्त पर्योगशाला को
अिवलंब भेजेगा ।
(4) जब उपधारा (1) के अधीन िवश्लेषण के िलए कोई नमूना िलया जाता है और नमूना लेने वाला व्यिक्त अिधष्ठाता या
उसके अिभकतार् या व्यिक्त पर उपधारा (3) के खंड (क) के अधीन सूचना की तामील करता है तब––
5
(क) ऐसे मामले म जहां अिधष्ठाता, उसका अिभकतार् या व्यिक्त जानबूझकर अनुपिस्थत रहता है वहां नमूना लेने
वाला व्यिक्त िवश्लेषण के िलए नमूना आधान या आधान म रखवाने के िलए लेगा, िजसे िचिह्नत और सील बंद िकया
जाएगा और नमूना लेने वाला व्यिक्त भी उस पर हस्ताक्षर करे गा ; और
(ख) ऐसे मामले म जहां नमूना िलए जाने के समय अिधष्ठाता या उसका अिभकतार् या व्यिक्त उपिस्थत रहता है,
िकन्तु उपधारा (3) के खंड (ग) के अधीन अपेिक्षत रूप म नमूने के िचिह्नत और सील बंद आधान या आधान पर हस्ताक्षर
करने से इं कार करता है वहां िचिह्नत और सील बन्द आधान या आधान पर नमूना लेने वाला व्यिक्त हस्ताक्षर करे गा,
और नमूना लेने वाला व्यिक्त आधान और आधान को धारा 12 के अधीन स्थािपत या मान्यतापर्ाप्त पर्योगशाला को िवश्लेषण के िलए
अिवलम्ब भेजेगा और ऐसा व्यिक्त धारा 13 के अधीन िनयुक्त या मान्यतापर्ाप्त सरकारी िवश्लेषक को अिधष्ठाता या उसके अिभकतार्
या व्यिक्त के , यथािस्थित, जानबूझकर अनुपिस्थत रहने अथवा आधान या आधान पर हस्ताक्षर करने से उसके इं कार करने के बारे म
िलिखत जानकारी देगा ।
12. पयार्वरण पर्योगशालाएं––(1) के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा,––
(क) एक या अिधक पयार्वरण पर्योगशालाएं स्थािपत कर सके गी ;
(ख) इस अिधिनयम के अधीन िकसी पयार्वरण पर्योगशाला को स पे गए कृ त्य करने के िलए एक या अिधक
पर्योगशाला या संस्थान को पयार्वरण पर्योगशाला के रूप म मान्यता दे सके गी ।
(2) के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, िनम्निलिखत को िविनिदष्ट करने के िलए िनयम बना सके गी, अथार्त् :––
(क) पयार्वरण पर्योगशाला के कृ त्य ;
(ख) िवश्लेषण या परीक्षण के िलए वायु, जल, मृदा या अन्य पदाथर् के नमूने उक्त पर्योगशाला को भेजने के िलए
पर्िकर्या, उस पर पर्योगशाला की िरपोटर् का पर्रूप और ऐसी िरपोटर् के िलए संदय
े फीस ;
(ग) ऐसे अन्य िवषय जो उस पर्योगशाला को अपने कृ त्य करने के िलए समथर् बनाने के िलए आवश्यक या
समीचीन ह ।
13. सरकारी िवश्लेषक––के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, ऐसे व्यिक्तय को, िजन्ह वह ठीक समझे और िजनके
पास िविहत अहर्ताएं ह, धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन स्थािपत या मान्यतापर्ाप्त िकसी पयार्वरण पर्योगशाला को िवशेलषण के
िलए भेजे गए वायु, जल, मृदा या अन्य पदाथर् के नमून के िवश्लेषण के पर्योजन के िलए सरकारी िवश्लेषक िनयुक्त कर सके गी या
मान्यता दे सके गी ।
14. सरकारी िवश्लेषक की िरपोट––िकसी ऐसी दस्तावेज का, िजसका िकसी सरकारी िवश्लेषक ारा हस्ताक्षिरत िरपोटर्
होना तात्पियत है, इस अिधिनयम के अधीन िकसी कायर्वाही म उसम किथत तथ्य के सा य के रूप म उपयोग िकया जा सके गा ।
15. अिधिनयम तथा िनयम , आदेश और िनदेश के उपबंध के उल्लंघन के िलए शािस्त––(1) जो कोई इस अिधिनयम के
उपबन्ध या इसके अधीन बनाए गए िनयम या िनकाले गए आदेश या िदए गए िनदेश म से िकसी का पालन करने म असफल रहेगा
या उल्लंघन करे गा, वह ऐसी पर्त्येक असफलता या उल्लंघन के संबंध म कारावास से, िजसकी अविध पांच वषर् तक की हो सके गी, या
जुमार्ने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, और यिद ऐसे असफलता या उल्लंघन चालू रहता है तो अितिरक्त जुमार्ने
से, जो ऐसी पर्थम असफलता या उल्लंघन के िलए दोषिसि के पश्चात् ऐसे पर्त्येक िदन के िलए िजसके दौरान असफलता या उल्लंघन
चालू रहता है, पांच हजार रुपए तक का हो सके गा, दण्डनीय होगा ।
(2) यिद उपधारा (1) म िनिदष्ट असफलता या उल्लंघन दोषिसि की तारीख के पश्चात्, एक वषर् की अविध से आगे भी
चालू रहता है तो अपराधी, कारावास से, िजसकी अविध सात वषर् तक की हो सके गी, दण्डनीय होगा ।
16. कं पिनय ारा अपराध––(1) जहां इस अिधिनयम के अधीन कोई अपराध िकसी कं पनी ारा िकया गया है वहां पर्त्येक
व्यिक्त जो उस अपराध के िकए जाने के समय उस कं पनी के कारबार के संचालन के िलए उस कं पनी का सीधे भारसाधक और उसके
पर्ित उ रदायी था और साथ ही वह कं पनी भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएंगे और तदनुसार अपने िवरु कायर्वाही िकए जाने
और दंिडत िकए जाने के भागी ह गे :
परन्तु इस उपधारा की कोई बात िकसी ऐसे व्यिक्त को इस अिधिनयम के अधीन उपबंिधत िकसी दंड का भागी नह
बनाएगी, यिद वह यह सािबत कर देता है िक अपराध उसकी जानकारी के िबना िकया गया था या उसने ऐसे अपराध के िकए जाने का
िनवारण करने के िलए सब सम्यक् तत्परता बरती थी ।
(2) उपधारा (1) म िकसी बात के होते हुए भी, जहां इस अिधिनयम के अधीन कोई अपराध िकसी कं पनी ारा िकया गया है
और यह सािबत हो जाता है िक वह अपराध कं पनी के िकसी िनदेशक, पर्बंधक, सिचव या अन्य अिधकारी की सहमित या मौनानुकूलता
से िकया गया है या उस अपराध का िकया जाना उसकी िकसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहां ऐसा िनदेशक, पर्बंधक, सिचव
या अन्य अिधकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने िवरु कायर्वाही िकए जाने और दंिडत िकए जाने का
भागी होगा ।
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पर्कीणर्
18. स भावपूवक
र् की गई कारर् वाई के िलए संरक्षण––इस अिधिनयम या इसके अधीन बनाए गए िनयम या िनकाले गए
आदेश या िदए गए िनदेश के अनुसरण म स भावपूवर्क की गई या की जाने के िलए आशियत िकसी बात के िलए कोई वाद,
अिभयोजन या अन्य िविधक कायर्वाही, सरकार या सरकार के िकसी अिधकारी या अन्य कमर्चारी अथवा इस अिधिनयम के अधीन
गिठत िकसी पर्ािधकरण या ऐसे पर्ािधकरण के िकसी सदस्य, अिधकारी या अन्य कमर्चारी के िवरु नह होगी ।
19. अपराध का संज्ञान––कोई न्यायालय इस अिधिनयम के अधीन िकसी अपराध का संज्ञान िनम्निलिखत ारा िकए गए
पिरवाद पर ही करे गा, अन्यथा नह , अथार्त् :––
(क) के न्दर्ीय सरकार या उस सरकार ारा इस िनिम पर्ािधकृ त कोई पर्ािधकरण या अिधकारी ; या
(ख) कोई ऐसा व्यिक्त, िजसने अिभकिथत अपराध की और पिरवाद करने के अपने आशय की, िविहत रीित से, कम
से कम साठ िदन की सूचना, के न्दर्ीय सरकार या पूव क्त रूप म पर्ािधकृ त पर्ािधकरण या अिधकारी को दे दी है ।
20. जानकारी, िरपोट या िववरिणयां––के न्दर्ीय सरकार, इस अिधिनयम के अधीन अपने कृ त्य के संबंध म, समय-समय पर,
िकसी व्यिक्त, अिधकारी, राज्य सरकार या अन्य पर्ािधकरण से अपने को या िकसी िविहत पर्ािधकरण या अिधकारी से िरपोट,
िववरिणयां, आंकड़े, लेखे और अन्य जानकारी देने की अपेक्षा कर सके गी और ऐसा व्यिक्त, अिधकारी, राज्य सरकार या अन्य
पर्ािधकरण ऐसा करने के िलए आब होगा ।
21. धारा 3 के अधीन गिठत पर्ािधकरण के सदस्य , अिधकािरय और कमर्चािरय का लोक सेवक होना––धारा 3 के अधीन
गिठत पर्ािधकरण के , यिद कोई हो, सभी सदस्य और ऐसे पर्ािधकरण के सभी अिधकारी और अन्य कमर्चारी जब वे इस अिधिनयम के
िकसी उपबन्ध या इसके अधीन बनाए गए िकसी िनयम या िनकाले गए िकसी आदेश या िदए गए िनदेश के अनुसरण म कायर् कर रहे ह
या जब उसका ऐसा कायर् करना तात्पियत हो, भारतीय दण्ड संिहता (1860 का 45) की धारा 21 के अथर् म लोक सेवक समझे जाएंगे ।
22. अिधकािरता का वजर्न––िकसी िसिवल न्यायालय को, के न्दर्ीय सरकार या िकसी अन्य पर्ािधकरण या अिधकारी ारा, इस
अिधिनयम ारा पर्द िकसी शिक्त के अनुसरण म या इसके अधीन कृ त्य के संबंध म की गई िकसी बात, कारर् वाई या िनकाले गए
आदेश या िदए गए िनदेश के संबंध म कोई वाद या कायर्वाही गर्हण करने की अिधकािरता नह होगी ।
23. पर्त्यायोजन करने की शिक्त––धारा 3 की उपधारा (3) के उपबन्ध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, कदर्ीय सरकार,
राजपतर् म अिधसूचना ारा, ऐसी शत और िनबर्न्धन के अधीन रहते हुए, जो अिधसूचना म िविनिदष्ट िकए जाएं, इस अिधिनयम के
अधीन अपनी ऐसी शिक्तय और कृ त्य को [उस शिक्त को छोड़कर जो धारा 3 की उपधारा (3) के अधीन िकसी पर्ािधकरण का गठन
करने और धारा 25 के अधीन िनयम बनाने के िलए है], जो वह आवश्यक या समीचीन समझे, िकसी अिधकारी, राज्य सरकार या
पर्ािधकरण को पर्त्यायोिजत कर सके गी ।
24. अन्य िविधय का पर्भाव––(1) उपधारा (2) के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, इस अिधिनयम और इसके अधीन बनाए गए
िनयम या िनकाले गए आदेश के उपबन्ध, इस अिधिनयम से िभन्न िकसी अिधिनयिमित म उससे असंगत िकसी बात के होते हुए भी,
पर्भावी ह गे ।
7
(2) जहां िकसी कायर् या लोप से कोई ऐसा अपराध गिठत होता है जो इस अिधिनयम के अधीन और िकसी अन्य अिधिनयम
के अधीन भी दण्डनीय है वहां ऐसे अपराध का दोषी पाया गया अपराधी अन्य अिधिनयम के अधीन, न िक इस अिधिनयम के अधीन,
दिण्डत िकए जाने का भागी होगा ।
25. िनयम बनाने की शिक्त––(1) के न्दर्ीय सरकार, इस अिधिनयम के पर्योजन को कायार्िन्वत करने के िलए िनयम, राजपतर्
म अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम म िनम्निलिखत सभी या
िकन्ह िवषय के िलए उपबन्ध िकया जा सके गा, अथार्त् :––
(क) वे मानक िजनसे अिधक पयार्वरण पर्दूषक का धारा 7 के अधीन िनस्सारण या उत्सजर्न नह िकया जाएगा ;
(ख) वह पर्िकर्या िजसके अनुसार और वे रक्षोपाय िजनके अनुपालन म पिरसंकटमय पदाथ को धारा 8 के अधीन
हथाला जाएगा या हथलवाया जाएगा ;
(ग) वे पर्ािधकरण या अिभकरण िजनको िविहत मानक से अिधक पयार्वरण पर्दूषक के िनस्सारण होने की या
उसके होने की आशंका के तथ्य की सूचना दी जाएगी और िजनको धारा 9 की उपधारा (1) के अधीन सभी सहायता िदया
जाना आब कर होगा ;
(घ) वह रीित िजससे िवश्लेषण के पर्योजन के िलए वायु, जल, मृदा या अन्य पदाथ के नमूने धारा 11 की उपधारा
(1) के अधीन िलए जाएंगे ;
(ङ) वह पर्रूप िजसम िकसी नमूने का िवश्लेषण कराने के आशय की सूचना धारा 11 की उपधारा (3) के खण्ड (क)
के अधीन दी जाएगी ;
(च) पयार्वरण पर्योगशाला के कृ त्य; िवश्लेषण या परीक्षण के िलए वायु, जल, मृदा और अन्य पदाथ के नमूने
ऐसी पर्योगशाला को भेजने के िलए पर्िकर्या; पर्योगशाला िरपोटर् का पर्रूप; ऐसी िरपोटर् के िलए संदय
े फीस और धारा 12
की उपधारा (2) के अधीन अपने कृ त्य करने के िलए पर्योगशाला को समथर् बनाने के िलए अन्य िवषय ;
(छ) धारा 13 के अधीन वायु, जल, मृदा या अन्य पदाथ के नमून के िवश्लेषण के पर्योजन के िलए िनयुक्त या
माल्यतापर्ाप्त सरकारी िवश्लेषक की अहर्ताएं ;
(ज) वह रीित िजससे अपराध की और के न्दर्ीय सरकार को पिरवाद करने के आशय की सूचना धारा 19 के खण्ड
(ख) के अधीन दी जाएगी ;
(झ) वह पर्ािधकरण या अिधकारी िजसको िरपोट, िववरिणयां, आंकडे़, लेखे और अन्य जानकारी धारा 20 के अधीन
दी जाएंगी ;
(ञ) कोई अन्य िवषय जो िविहत िकया जाना अपेिक्षत है या िकया जाए ।
26. इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम का संसद् के समक्ष रखा जाना––इस अिधिनयम के अधीन बनाया गया
पर्त्येक िनयम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के पर्त्येक के सदन के समक्ष, जब वह सतर् म हो, कु ल तीस िदन की अविध के िलए
रखा जाएगा । यह अविध एक सतर् म अथवा दो या अिधक आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो सके गी । यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक
सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन उस िनयम म कोई पिरवतर्न करने के िलए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह
ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा । यिद उक्त अवसान के पूवर् दोन सदन सहमत हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जाना चािहए
तो तत्पश्चात् वह िनष्पर्भाव हो जाएगा । िकन्तु िनयम के ऐसे पिरवितत या िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात की
िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।
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