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Newletter Issue-06, Feb 2024 - 20240216 - 080950 - 0000
Newletter Issue-06, Feb 2024 - 20240216 - 080950 - 0000
ARHAM DHYAN
YOG
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Issue 6, February, 2024
चलो करते हैं, शक्ति का विकास तरह-
तरह की POWER MUDRA के साथ -अंतरप्पा शुभि जैन
अर्हं ध्यान योग की प्रक्रिया पंच नमस्कार मुद्रा से प्रारंभ होती है। पंच नमस्कार मुद्रा में पांच अलग-अलग मुद्राएँ होती हैं। यह शरीर के
पांच मुख्य कें द्रों पर प्रभाव डालती हैं। पंच मुद्रा से स्वस्थ तन, प्रसन्न मन और निर्मल चेतन बनता है और साथ ही साथ हमारे अंदर
नमस्कार और समर्पण के भावों का विकास होता है। इसे रंगों एवं मंत्रों के आलंबन के साथ भी किया जाता है।
E C
पंच मुद्रा को PEACE मुद्रा भी कहा जाता है। Energy Creativity
जिसका अर्थ है ➡️➡️➡️ P
Power
A
Activity
E
Evaluation
इस माह के क्रम में हम विस्तार पूर्वक पहली मुद्रा - POWER मुद्रा के बारे में जानेंगे।
विधि:-
1. प्रार्थना मुद्रा से दोनों हाथों को धीरे-धीरे कान के पास से ऊपर की ओर ले जाएँ गे और खींचकर रखेंगे।
ध्यान रखेंगे - दोनों हथेली एवं उँगलियाँ आपस में मिली रहेंगी, दोनों हाथ कान के साथ लगे रहेंगे और कोहनियाँ बिल्कु ल सीधी रहेंगी।
अँगूठों को interlock नहीं करेंगे।
2. रीढ़ की हड्डी, पेट व नाभि पर खिंचाव महसूस होना चाहिए। पूरे शरीर व गर्दन को बिल्कु ल सीधा रखेंगे।
3. आँखें बन्द करके भावना करेंगे कि हम अपने इष्ट के चरणों को छू रहे हैं।
4. पाँच बार ओं अर्हं नम: का मन ही मन स्मरण करें।
5. धीरे-धीरे हाथों को प्रार्थना मुद्रा में नीचे लेकर आए ।
लाभ:-
1. इस मुद्रा से मेरुदण्ड का टेढ़ापन दूर होता है और इसमें सशक्तता आती है।
2. बच्चों की लंबाई (कद) बढ़ाने के लिए अत्यन्त उपयोगी मुद्रा है।
3. खड़े होकर करने से जंघा, पिंडलियाँ, पंजे भी मजबूत होते हैं।
4. कमर के पास की चर्बी घटती है।
5. Diabetes के मरीजों के लिए लाभकारी होती है।
6. आलस्य दूर होता है।
01 ___________________________________________________________________Arham Dhyan Yog अरिहंत मुद्रा
अरिहंत मुद्रा की खडगासन में विविधताएँ (Variation of Power Mudra)
1. पंजों के माध्यम से
स्थिति :- प्रार्थना मुद्रा
श्वास भरते हुए, अपने हाथों को कानों के पास से ऊपर ले जायें। अपनी नाभि, रीड की हड्डी , पैरों पर खिचाव महसूस करें।
श्वास भरते हुए, पैरों की एड़ियों को ऊपर की तरफ उठाएं गे और कुं भक करते हुए, पैरों की उंगलियों के सहारे अपने शरीर
को खींच (stretch) कर रखें।
श्वास को छोड़ते हुए, अपने पंजों को सामान्य स्थिति पर वापस लायें।
3. वृक्षासन
स्थिति :- प्रार्थना मुद्रा
श्वास भरते हुए अपने कानों के पास से हाथों को ऊपर लेकर जाएँ और दोनों हाथों को मिलाएँ ।
अपने दाएँ पैर के पंजे को उठाकर बायीं जाँघ पर रखें और संतुलन बनाए रखने का प्रयास करें।
ध्यान करेंगे: अरिहंत परमेष्ठी या अपने इष्ट जैसी शक्ति व दृढ़ता हमारे अंदर भी आ जाए।
धीरे-धीरे प्रार्थना मुद्रा में वापस आ जाएं गे।
इस प्रक्रिया को अपने दूसरे पैर के साथ दोहराएँ गे।
4. कोणासन २
स्थिति :- प्रार्थना मुद्रा
मुस्कु राहट के साथ लंबा गहरा श्वास लेते हुए, अपने दोनों हाथों को कानों के पास से ऊपर लेकर जाएँ एवं आपस में मिलाएँ ।
श्वास छोड़ते हुए, अपने बाए तरफ lateral bending करते हुए झुक जाएं ।
ध्यान रखेंगे - कमर और उसके नीचे का शरीर स्थिर रहे एवं पैरों के पंजो को जमा कर रखना है।
धीरे-धीरे श्वास भरते हुए वापस अरिहंत मुद्रा में आएँ ।
वापस से श्वास छोड़ते हुए दाएँ तरफ lateral bending करते हुए दूसरी ओर झुकें ।
प्रार्थना मुद्रा में वापस आएँ , उसके पश्चात सामान्य स्थिति में आएँ ।
इस क्रम में हम सभी ने PEACE की POWER मुद्रा /अरिहंत मुद्रा करने की विधि, उसके विभिन्न प्रकार व इस मुद्रा से होने वाले लाभ
के बारे में जाना है। अगले माह की श्रेणी में ENERGY MUDRA के बारे में जानेंगे।
तो अब हम संकल्प लेते है, आने वाले एक माह तक हम सभी Power Mudra का अभ्यास निरंतर करेंगे।
जो भी बदलाव आप अपने में महसूस करेंगे वो आप हमें विडियो या लिखित रूप मे Email कर सकते है।
Email address - editor@arham.yoga
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ओं ओं विज्ञान ओं -अंतरप्पा सारिका जैन
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असाधारण शक्ति को धारण किए हुए एक नन्हा सा बीज जब ओं
पल्लवित होता है, तो फल और फू लों से लदा हुआ विशालकाय वृक्ष बरबस ही
ओं सबका ध्यान आकर्षित करता है। उस लहलहाते वृक्ष को देखकर हम छोटे से बीज
की अपरिमित शक्ति को जान सकते है।
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ठीक उसी प्रकार से जब हम ओं जैसे बीजाक्षर मन्त्रों को ध्यान के माध्यम से अपने चित्त में रोपण करते हैं तो
उन अक्षरों की शक्ति हमारे चित्त में समा (ट्रांसफर होती) जाती है। तथा जिस प्रकार से एक छोटा सा बीज
विशाल काय वट वृक्ष में परिवर्तित हो जाता है, वैसे ही हमारे चरित्र की सशक्तता ध्यान के माध्यम से निरंतर
बढ़ती चली जाती है।
वस्तुतः ओं एक शाश्वत मंत्र है जो सर्वज्ञता, सर्वव्यापिता, सर्वशक्तिमान की अवधारणा को व्यक्त करता है।
जिसका योगीजन निरंतर अभ्यास करते हैं।
जैन धर्म के ग्रंथों में मंगलाचरण के रूप में भी इसका वर्णन आया है -
ओकारम् बिंदु संयुक्तम्, नित्यम् ध्यायन्ति योगिनः।
कामदम् मोक्षदम् चैब, ओंकाराय नमो नमःll
जिसका अर्थ है कि बिंदु से युक्त ओं का योगिजन के द्वारा निरंतर ध्यान किया जाता है। यहाँ आचार्य ने ओं को बिंदु से युक्त कहा है
जबकि कहीं-कहीं हम इसे चंद्रबिंदु से युक्त भी देखते हैं। बिंदु और चंद्रबिंदु से युक्त ‘ओं’ में मात्र हृस्व और दीर्घ उच्चारण का ही फर्क
होता है। शास्त्रों में चंद्रबिंदु से युक्त ओं से ध्यान का उल्लेख भी मिलता है। व्याकरण के नियम में से देखें तो अवर्ण और उवर्ण मिलकर
ओ बनता है। लिखा भी है कि अवर्णे + उवर्णे = ओ (अ +उ = ओ)।
वस्तुतः ओं का उच्चारण करने का प्रभाव दार्शनिक क्षेत्र से परे जाता है। लेकिन जब हमारा ध्यान इससे जुड़ता है तो हमारी आत्मा की
शक्ति निरंतर वृद्धि को प्राप्त होती है। ओं बीजाक्षर में निहित तत्वों की शक्ति को हम ग्रहण करते चले जाते हैं जो कि हमारे समीचीन
ज्ञान प्राप्ति में भी सहायक होती है।
जैन धर्म के अनुसार ओं ऐसा बीजाक्षर मंत्र है ,जिसमें सम्पूर्ण द्वादशांग का सार समाया हुआ है। जैन धर्म के अनुसार ओं में पंच परमेष्ठी
भी गर्वित होते हैं जैसे अरिहंत का अ, सिद्ध अशरीरी होते हैं तो उनका भी अ, आचार्य का आ, उपाध्याय का उ और मुनि का म
= ओं। इस प्रकार यदि हम ओं को णमोकार मंत्र का सबसे छोटा सूत्र कहें तो उचित होगा।
इस छोटे से बीज रूप अक्षर की शक्ति अनंत है, असाधारण है, शुद्धतम ऊर्जा का प्रतीक है। सर्वोच्च शक्ति को धारण किए मौलिक ध्वनि
है। यह बीजाक्षर न सिर्फ इच्छित वस्तु को देने वाला है अपितु शाश्वत मोक्ष सुख़ को भी देने वाला है।
निजात्म में धारण कर इस ओंकार रूप ओं परम तत्व को हम मन-वचन-काय से नमन करते हैं।
अर्हं टीम, विद्यालय के प्राचार्य महोदय शैलेन्द्र गोंटिया जी की आभारी है , जिन्होंने अपने
व्यस्त कार्यक्रम में से हमें अर्हं ध्यान योग का सत्र लेने की अनुमति प्रदान की, साथ ही भविष्य
में भी ऐसे ही सत्र का आयोजन कराने की इच्छा भी उनके द्वारा जाहिर की गयी ।
टीम आगे और भी विद्यालयों में अर्हं ध्यान योग का सत्र लेने की योजना बना रही है।
अंतरप्पा हमेशा जागरूक इस बात को अंतरप्पा आस्था दीदी ने चरितार्थ किया है।। वह नए साल
पर कु म्भोज बाहुबली यात्रा पर निकली थी , वहाँ पर गुरुकु ल स्थित था जिसमे लगभग 300
विद्यार्थी अध्यनरत थे। उन्होंने अपनी अर्हं के प्रति सजगता दिखाते हुए वहाँ के विद्यार्थियों का अर्हं
ध्यान योग का सत्र लिया। सत्र को बच्चों ने बहुत आनंद के साथ किया ।
संरक्षक
अरिहंत मुद्रा परम शिरोमणि संरक्षक
1. श्री संजय - श्रीमती रितु जैन एवं अभिज्ञ जैन,
रोहिणी, दिल्ली
गुरु प्रणम्य को नमन करूं l 2. श्री अमित जी, माडॅल टाउन, दिल्ली
अर्हं ध्यान योग सिखलाय ll 3. श्री पवन कु मार जैन, मुज्जफरनगर
4. श्री विकास जैन, आगरा
पंचमुद्रा अभ्यास से, 5. श्रीमति इंदिरा डी जैन
तन मन चेतन स्वस्थ बनाए ll
शिरोमणि संरक्षक
प्रथम मुद्रा अरिहंत की, 1. श्री आर.के .जैन जी पीतमपुरा, दिल्ली
णमोकार पहला पद ध्याय l 2. श्री महेंद्र कु .जैन श्रीमती स्नेह जैन, आकाश जैन,
अरिहंतो को नमन कर, रोहिणी, दिल्ली
गुण प्राप्ति की भावना भाय ll संरक्षक
आध्यात्मिक यात्रा की ओर, 1. श्रीमती कमल नयनी - श्री वीरेन्द्र जी, दरियागंज
कदम सभी के बढ़ते जाएं l 2. श्री ब्रजेश जी - श्रीमती आशु जी, ग्रेटर नोएडा
पंचमुद्रा अभ्यास से, 3. श्री राहुल जी, सिविल लाइन्स
तन मन चेतन स्वस्थ बनाएं ll 4. श्री निलेश भाई बालु भाई शाह, सुरत
5. ईर्षिता जैन जी, साहिबाबाद, गाजियाबाद
6. श्रीमति साधना जैन, अजमेर
श्वेत रंग की आभा से,
शक्ति कें द्र मजबूत बनाएं l विशिष्ट सदस्य
मेरुदंड को पावर देकर, 1. श्रीमति नीलिमा जैन, सरस्वती विहार, दिल्ली
डायबिटीज को दूर भगाएं ll 2. श्रीमति वीना जैन, रोहिणी, दिल्ली
आलस मोटापे को हटाकर, सदस्य
बच्चों का कद बढ़ता जाए l 1. श्रीमति स्वाति जैन श्री सचिन जैन, बीना, एम.पी.
पंचमुद्रा अभ्यास से, 2. श्रीमति स्वाति जैन, नागपुर
तन मन चेतन स्वस्थ बनाएं ll 3. श्री वीरेन्द्र जैन, बुढार, एम.पी.
4. श्री आदित्य मोदी, सूरजपुर, छत्तीसगढ़
5. श्री मयंक जैन, लखनऊ
-अंतरप्पा सारिका जैन "शास्त्री"
Editors: Virendra Kumar Jain, Shubhi Jain, Meghna Sharma, Garima Lasgari,
Lovely Jain , Adv Sarika Jain, Dr. Priyanka Jain, Akshay Jain
Contact us: 8920491008 Email: editor@arham.yoga