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ह द
िं ी के विविध प्रयुक्ति-क्षेत्र
1. प्रयोजनमूलक भाषा और प्रयुक्ति
ह द
िं ी भाषा के प्रयोजनमूलक स्िरूप को समझने से प ले, में इसका मुख्य उद्दे श्य और उपयोग जानना आिश्यक
ै। ‘प्रयोजनमल
ू क भाषा’ अिंग्रेजी में ‘Functional Language’ के समकक्ष ै, क्जसका अर्थ ोिा ै कक इसे ककसी
विशेष कायथ को पूर ा करने के ललए उपयोग में लाया जािा ै। य भाषा विलभन्न क्षेत्रों जैसे प्रशासन, विधध, बैंककिं ग,
पत्रकाररिा और व्यापार में प्रयुति ोिी ै। इसे व्यक्तिगि, भौतिक, और सािंतिक प्रयोगों के ललए विकलसि ककया
जािा ै, जो उपयोगकिाथओिं को उनकी कायथसिंबिंधी जरूरिों को समझने में मदद करिा ै।
23.2 प्रयुक्ति की संकल्पना और स्वरूप
प्रयक्ु ति शब्द भाषा-विज्ञान में भाषा के उपयोग की विशेषिाओिं को समझने के ललए म त्िपर्
ू थ ै। य शब्दािली और
भाषागि सिंरचना के माध्यम से भाषा के तनयमों और विलशष्टिाओिं का अध्ययन करिा ै। प्रयुक्ति का उपयोग
सामाक्जक, सािंस्कृतिक और व्यािसातयक पररक्स्र्तियों में भाषा के उपयोग के अनुसार विश्लेषर् करिा ै। इससे म
भाषा के उपयोग की विलभन्निाओिं को समझ सकिे ैं और उसके प्रयोतिाओिं के व्यि ार को ग राई से समझ सकिे
ैं। इसे अिंग्रेजी में ‘Register’ के समकक्ष माना जािा ै, जो भाषा के उपयोग के सामाक्जक पररिेश से सिंबिंधधि ोिा
ै।
सामाक्जक जीिन व्यि ार में र क्षेत्र की भाषा की विशेषिाओिं को दे खिे ुए ी भाषाविदों ने प्रयुक्ति की सिंकल्पना
तनधाथररि की ै। आइए प्रयुक्ति के सिंबिंध दी गई कुछ पररभाषाओिं को पढ़िे ैं।
1. रीड के अनुसार “जब कोई व्यक्ति भाषा िैज्ञातनक दृक्ष्ट से एक जैसी क्स्र्तियों में एक जैसा व्यि ार न ीिं
करिा। विलभन्न सामाक्जक क्स्र्ति में उसका व्यि ार (भावषक) बदलिा जािा ै। िास्िि में ि विलभन्न
भाषा प्रयक्ु तियों का प्रयोग करिा ै।
2. डॉ. भोलानार् तििारी के अनुसार “जब ककसी भाषा का प्रयोग विलभन्न विषयों में ोिा ै िो उसके िर -
िर के रूप विकलसि ो जािे ैं, क्जन् ें ‘प्रयुक्ति’ क िे ।ैं “
3. डॉ. रिीन्रनार् श्रीिास्िि के अनुसार “ककसी तनक्श्चि पररक्स्र्ति में सामाक्जक दातयत्ि के तनिाथ के तनलमत्त
ितिा द्िारा प्रयोग में लाई गई भाषा शैली ी ‘प्रयुक्ति’ ै ।“
आइए उदा रर् के रूप में विज्ञान की भाषा को दे खिे ैं कक िैज्ञातनक, उस क्षेत्र के िकनीकी स ायक, अध्यापक,
विद्यार्ी और लेखक इत्याहद विलभन्न स्िरों के व्यक्ति उस क्षेत्र की भाषा से पररधचि ोंगे।
िो आइए प्रयुक्ति की सिंकल्पना से पररधचि ोने के बाद अब म प्रयुक्ति के स्िरूप पर विचार करें ।
भाषा प्रयोग के क्षेत्रों अर्िा सिंदभों में विविधिा के आधार पर ी प्रयुक्तियों के स्िरूप में िैविध्य पैदा ोिा ै। इस
प्रकार क ा जा सकिा ै कक प्रयुक्तियों में भेद विषयगि और प्रयोगगि ोिा ै। व्यापार की भाषा िस्िुिः विज्ञान
की भाषा से लभन्न ोिी ै ककिं िु अर्थ शास्त्र विषय से सिंबिंधधि प्रयक्ु ति अधधक व्यापक ोगी क्जसमें व्यापार के क्षेत्र में
प्रयोग ोने िाली शब्दािली और अलभव्यक्तियााँ सक्ममललि ैं। प्रयोग के स्िर पर भी प्रयुक्ति के दो स्िरूप ोिे ैं-
भाषा प्रयुक्ति शैली और भाषा प्रयुक्ति। प्रयुक्ति के अिंिगथि शैलीगि भेद भी म त्िपूर्थ ोिा ै इसके ि ि लभन्न-
लभन्न स्र्ानों और प्रसिंगों में एक ी शब्द के अनेक प्रचललि पयाथयों में से उपयुति शब्द का चुनाि करना पड़िा ै
आइए, उदा रर् के रूप में, अिंग्रेजी के शब्द Director पर विचार करिे ैं। Director शब्द के ह द
िं ी में दो अर्थ ैं- 1.
तनदे शक 2. तनदे शक। दोनों का प्रयोग क्षेत्र तनधाथररि ै। तनदे शक शब्द का इस्िेमाल प्रायः प्रशासतनक क्षेत्र में ोिा ै
कामकाज के स्िर पर भाषा का व्याि ाररक रूप (व्याकरर्, शब्दािली एििं अलभव्यक्तियााँ) अलग-अलग ोिी ैं। जैसे,
Director, School of Humanities के ललए ‘तनदे शक, मानविकी विद्यापीठ’ ललखा जाएगा,
Police के ललए ‘पुललस म ातनदे शक’ पद का व्यि ार ककया जाएगा। जबकक ‘तनदे शक’ शब्द किल्म या नाटक के क्षेत्र
में प्रयुति ोिा ै जैसे, Film Director के ललए ‘किल्म तनदे शक’ ललखा जािा ै। इस उदा रर् के अतिररति भी कई
अन्य उदा रर् ैं क्जनसे आप प्रयुक्ति के स्िरूप को आसानी से समझ सकिे ैं।
23.3 प्रयुक्ति का आधार
23.3.1 शब्दावली
आपके मन में य प्रश्न उठ सकिा ै कक तया एक प्रयुक्ति दस
ू री प्रयुक्ति से सिथर्ा लभन्न ोिी ै और इन प्रयुक्तियों
का तनधाथरर् ककस आधार पर ोिा ै? इन प्रश्नों के उत्तर में य ी क ा जा सकिा ै कक प्रयुक्ति िास्िि में भाषा के
भीिर एक भाषा का विलशष्ट रूप ललए ोिा ै क्जससे उस भाषा की व्यापक विशेषिाएाँ उसमें स्ििः ी आ जािी ैं।
क ने का मिलब य कक विलभन्न प्रयुक्तियों की शब्दािली लमलकर जब एक भाषा क्षेत्र की शब्दािली बनिी ै िो
उस भाषा की सिंरचना और उसके सामान्य मु ािरे उन प्रयक्ु तियों में भी आ जािे ैं। इसीललए एक प्रयक्ु ति का दस
ू री
प्रयुक्ति में अिंिः प्रिेश बराबर ोिा र िा ै
ऐसे आलेखों में प्रायः विज्ञान, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, खेलकूद आहद विषयों से सिंबिंधधि शब्दािली का प्रयोग हदखाई
दे िा ै। इसी प्रकार साह क्त्यक लेखों में भी विज्ञान, दशथन आहद की शब्दािली का समािेश आमिौर पर दे खने को
लमलिा ै। इसके बािजूद शब्दािली प्रयुक्ति का म त्त्िपूर्थ आधार ोिी ै। शब्दािली प्रयुक्ति के तनधाथरर् में अ म
भलू मका तनभािी ै। आइए जानें कक इसका तनिथ न ककन रूपों में ोिा ै।
1. क्षेत्र विशेष की विलशष्ट शब्दािली के रूप में। जैसे अर्ु, परमार्,ु नाइट्रोजन, ऑतसीजन इत्याहद विज्ञान
विषय में प्रयुति ोने िाले शब्द ैं।
2. विलभन्न क्षेत्रों में एक ी शब्द के अर्थ लभन्न-लभन्न ो सकिे ैं क्जसका एक उदा रर् म प ले दे ख चुके
ैं य ााँ म एक और उदा रर् दे र े ैं- ‘पद’ शब्द का प्रयोग कवििा के अिंिगथि ‘छिं द’ विशेष के ललए ोिा
ै। आम बोलचाल में ‘पद’ शब्द का अर्थ ‘पैर’ ै और प्रशासतनक क्षेत्र में ‘पद’ का अर्थ ‘ओ दा’ ै
23.3.2 भाषा प्रयोग का ववषय-क्षेत्र
भाषा का प्रयोग क्जस विषय क्षेत्र के ललए ककया जािा ै उस क्षेत्र विशेष की शब्दािली और िातय सिंरचना उस सिंदभथ
के अनुकूल ोिी ै और उस विषय क्षेत्र में कािी सार्थक और तनक्श्चि ोिी ै।
उदा रर्
विधध (कानन
ू ) के क्षेत्र में एक तनक्श्चि पररपाटी पर िातयों का प्रयोग ककया जािा ै क्जससे एक औपचाररक ककस्म
की भाषा का सज
ृ न ोिा ै और क्जसके अर्थ में एक तनक्श्चििा ोिी ै। न्यायालय के भीिर यहद दो व्यक्तियों के
नाम के बीच ‘बनाम’ शब्द का प्रयोग ककया जाए िो इसका एक तनक्श्चि अर्थ य तनकलेगा कक उन दोनों व्यक्तियों
के बीच न्यायालय में कोई मुकदमा चल र ा ै। न्यायालय के भीिर ‘बनाम’ शब्द दो व्यक्तियों के बीच के वििाद के
मामले की ी सूचना दे िा ै। अन्य क्षेत्रों में ‘बनाम’ शब्द के सार्-सार् उसके अन्य अर्ों का भी इस्िेमाल ककया जा
सकिा ै ककन्िु न्यायालय में न ीिं।
23.3.3 भाषा संप्रेषण का िरीका
भाषा सिंप्रेवषि करने का ढिं ग प्रयुक्ति का स्िरूप तनधाथररि करने का अ म ह स्सा ै। ललखखि और मौखखक सिंप्रेषर् के
अनुसार मारी शब्दािली, िातय विन्यास और ल जा आहद में बड़ा पररििथन आिा ै। मौखखक सिंप्रेषर् की अपेक्षा
ललखखि सिंप्रेषर् में औपचाररकिा और सिकथिा दोनों ी अधधक ोिी ै।
23.3.4 वतिा अथवा लेखक या श्रोिा अथवा पाठक की क्स्थति
ललखखि और मौखखक दोनों िर के समप्रेषर् में इस बाि का ब ु ि असर ोिा ै कक कौन, ककससे और कब बाि कर
र ा ै। जैसे एक िकील जब अपने अन्य स योगी िकीलों से राय-मशविरा कर र ा ो िब और कोटथ रूम में ककसी
मुकदमे पर ब स कर र ा ो िब उसकी भाषा के िातय-विन्यास, ल जे आहद में पयाथप्ि अिंिर ोिा ै। ि ी िकील
जब िर पर बाि करिा ै िो एक खास िर का अिंिर हदखाई दे िा ै।
23.3.5 औपचाररक और अनौपचाररक भाषा प्रयोग की क्स्थति
ऊपर आपने क्जस िकील का उदा रर् दे खा, ि जब िर में बाि कर र ा ो िब उसका भाषा व्यि ार कोटथरूम के
भाषा व्यि ार से लभन्न ोगा। क ने का मिलब य ै कक िर में ि बबल्कुल अनौपचाररक भाषा का इस्िेमाल करे गा
जबकक कोटथ में मुकदमे पर ब स करिे समय ि पूरी िर औपचाररक और सचेि ोगा। दस
ू री क्स्र्ति में उसकी
भाषा विधध की प्रयुक्ति के भीिर आएगी, जबकक प ली क्स्र्ति में ऐसा ोना जरूरी न ीिं ै।
23.4 ह द
ं ी के ववववध प्रयक्ु ति-क्षेत्र
आप ह द
िं ी की ििथमान प्रमुख प्रयुक्तियों का तनधाथरर् इस प्रकार कर सकिे ैं:
1.सामान्य व्यि ार या बोलचाल की ह द
िं ी। 2. साह क्त्यक ह द
िं ी
3.कायाथलयी ह द
िं ी या प्रशासतनक ह द
िं ी। 4.िाखर्ज्य, व्यापार और बैंककग के क्षेत्र में प्रयुति 5.ह द
िं ी िैज्ञातनक
और िकनीक क्षेत्र में ह द
िं ी। 6. विधध के क्षेत्र में ह द
िं ी
7.सिंचार माध्यमों में ह द
िं ी। 8. विज्ञापन के क्षेत्र में ह द
िं ी

23.4.1 सामान्य व्यव ार या बोलचाल की ह द


ं ी
1. बिंबड्या ह द
िं ी-मुमबई और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बिंबड्या ह द
िं ी का प्रयोग ोिा ै
उदा रर्-“का े काँू , रे दादा, खाली पीली गरीब का ऊपर गजब करिा ै।“ (बोरीिली से बोरी बन्दर िक,
2. हदल्ली की ह न्दी-हदल्ली की ह द
िं ी पिंजाबी और ररयार्ी के प्रभाि से बनी ह द
िं ी ै। य ी हदल्ली की बोलचाल
की भाषा ै। कुछ उदा रर् दे खखए (1) ‘मेरे दादीजी गााँि चले गए’। (2) मैंने आज बा र खाना ै। (3) िूने
आज िर न ीिं जाना? और हदल्ली की ह द
िं ी में पिंजाबी के प्रभाि के कारर् ललिंग की अशद्
ु धधयााँ लमलिी ैं।
3.कोलकािा की ह द
िं ी-कोलकािा में बोली जाने िाली ह द
िं ी पर बािंग्ला का प्रभाि ै। कुछ उदा रर् दे खखए (1) बच्चों
को पीटना य िुम ारा ब ु ि बड़ी गलिी ै। इस िातय में ‘िुम ारी’ शब्द की जग ‘िुम ारा’ का प्रयोग ककया गया
ै। (2) अजय ने असत्य बाि बोला ै। य ााँ भी ‘बोली ै’ की जग ‘बोला ै’ शब्द का प्रयोग बािंग्ला के प्रभाि को
स्पष्ट करिा ै।
5.ऐिंग्लो ह द
िं ी-अिंग्रेजी लमधश्रि ह द
िं ी का प्रयोग बोलचाल में तनरिं िर बढ़िा जा र ा ै। आज का लशक्षक्षि यि
ु ा ऐिंग्लो ह द
िं ी
का ब ु िायि में प्रयोग करिा ै। जैसे (1) मैं यूतनिलसथटी कैमपस में खड़ा ूाँ। (2) मारी सोसायटी में दो गाडथ ैं।
आहद।
23.4.2 साह क्ययक ह द
ं ी
साह त्य सज
ृ न में प्रयुति ोने िाली ह द
िं ी में अलभधा, लक्षर्ा और व्यिंजना िीनों शब्द शक्तियों का प्रयोग ोिा ै।
साह क्त्यक ह द
िं ी लाललत्यपर्
ू थ और सरस ोिी ै। जो सिंिेदनाएाँ एििं भािनाएाँ जगाकर में मानिीय बनािी ै। इसमें
कोई भी सिंदे न ीिं कक साह त्य सौन्दयथ की अनुभूति जगाने और रस का आस्िादन कराने में मुख्य भूलमका तनभािा
ै।
….. ो गई ै पीर पिथि-सी, वपिलनी चाह ए।
इस ह मालय से कोई गिंगा तनकलनी चाह ए।
य दीिार, परदों की िर ह लने लगी।
शिथ र्ी लेककन कक ये बुतनयाद ह लनी चाह ए।
“इस धचरस्र्ाई जीर्ाथिस्र्ा ने उसके आत्मसममान को उदासीनिा का रूप दे हदया र्ा। क्जस गृ स्र्ी में पेट की रोहटयााँ
भी न लमलें, उसके ललए इिनी खुशामद तयों? इस पररक्स्र्ति में उसका मन बराबर विरो ककया करिा र्ा और दो
चार िुड़ककयााँ खा लेने पर ी उसे यर्ार्थ का ज्ञान ोिा र्ा।“
23.4.3 कायाालयी ह द
ं ी या प्रशासतनक ह द
ं ी
विलभन्न कायाथलयों या प्रशासतनक कायों में इस्िेमाल ोने िाली ह द
िं ी कायाथलयी ह द
िं ी अर्िा प्रशासतनक ह द
िं ी क लािी
ै। आजादी के बाद सरकारी िर्ा सािथजतनक क्षेत्र के कायाथलयों में ह द
िं ी भाषा का प्रयोग प्रारमभ
ु आ। अिंग्रेजों के
समय में कायाथलयी भाषा अिंग्रेजी र्ी जबकक मुगलकाल में राजकाज की भाषा िारसी र्ी। तया आपको पिा ै कक
ह द
िं ी भारि की राजभाषा कब बनी? िभी से ह द
िं ी प्रशासतनक कामकाज में प्रयुति ोने लगी। 14 लसििंबर 1949 में
ह द
िं ी को सिंविधान द्िारा राजभाषा का दजाथ हदया गया।
कायाथलयी भाषा औपचाररक ोिी ै लेककन इस भाषा की औपचाररकिा विज्ञान की भाषा की औपचाररकिा से लभन्न
ोिी ै। कायाथलयी भाषा में आत्मतनष्ठिा न ीिं ोिी ै। उच्च अधधि अधीनस्र् अधधकारी से और अधीनस्र् अधधकारी
अपने उच्च अधधकारी से सिंिाद के क्रम एक विशेष िर की औपचाररकिा का तनिाथ करिा ै
पत्र के भीिर आपने कमथिाच्य के प्रयोग की विशेषिा भी दे खी ‘तनदे श ुआ ै’ जैसे प्रयोग कायाथलयी भाषा की खूबी
ै। इस िर के कुछ अन्य उदा रर् दे खखए-
वित्तीय िषथ 2019 के ललए मझ
ु से 20000 रुपये आयकर दे ने की मााँग की गई ै ।‘
‘सेिा तनिवृ त्त के बाद यहद सरकारी मकान िुरिंि खाली न ककया जाए िो उसका ककराया बढ़ी दर से दे ना पड़ेगा।‘।
आहद।
23.4.4 वाणणज्य, व्यापार और बैंककग के क्षेत्र में प्रयुति ह द
ं ी
कायाथलयी अर्िा प्रशासतनक ह द
िं ी की भािंति ी िाखर्ज्य िर्ा व्यापार की ह द
िं ी की भी विलशष्ट शब्दािली ोिा ै और
मु ािरा भी ोिा ै। आज म बाजार के बबना अपने सवु िधा समपन्न, सख
ु ी जीिन की कल्पना भी न ीिं कर सकिे।
क ने का आशय य कक बाजार या व्यापार ि िाखर्ज्य का क्षेत्र मारे जीिन का सबसे बड़ा म त्त्िपूर्थ क्षेत्र ै। म
कोई भी सामान खरीदिे ैं िो उसकी खरीद का ‘बबल’ लेिे ैं। ‘भुगिान’ की भी ‘रसीद’ लेिे ैं। इसी िर ‘पूाँजी’ की
बचि से लेकर ‘ह साब-ककिाब िक ककसी न ककसी रूप में म इस भाषा से जुड़े ु ए ैं।
अिंग्रेजी के प्रसार और अन्िरराष्ट्रीय व्यापार और िाखर्ज्य की भाषा ोने से इस क्षेत्र में अिंग्रेजी की शब्दािली का बड़े
पैमाने पर समािेश ु आ ै। उदा रर् के ललए तनमनललखखि िातयों को पहढ़ए:
‘लेखाकरर् प्रर्ाली द्िारा सभी वित्तीय कायथ व्यापार लेखा बह यों में ररकाडथ कर ललए जािे ैं। लेखाकरर् में दजथ लेन -
दे न समबन्धी बबल बीजक, रसीद, कैश मेमो आहद के रूप में ललखखि प्रमार् उपलब्ध ोने चाह ए।‘
23.4.5 वैज्ञातनक और िकनीकी ह द
ं ी
िैज्ञातनक और िकनीकी ह द
िं ी का व्यि ार क्षेत्र लशक्षा, विज्ञान और प्रौद्योधगकी के प्रयोग या कायाथन्ियन का क्षेत्र ै।
आधतु नक यग
ु में पक्श्चम के समपकथ में आने के बाद भारि में भी विज्ञान और प्रौद्योधगकी के क्षेत्र में कायथ प्रारमभ
ु ए और ह द
िं ी में िैज्ञातनक लेखन प्रारमभ ु आ। प्राचीन कालीन िैज्ञाधचिंिन और अनुसिंधान की भारिीय परमपरा, जो
मध्यकाल में खिंडडि ो चली र्ी, पक्श्चमी ज्ञान-विज्ञान के समपकथ में आकर एक बार पुनः जीििंि ो गई। य ी कारर्
ै कक ह द
िं ी के िैज्ञातनक लेखन में अिंग्रेजी के सार् ी बड़े पैमाने पर सिंस्कृि शब्दािली का प्रयोग लमलिा ै।िैज्ञातनक
और िकनीकी प्रयुक्ति का क्षेत्र ब ु ि विस्िि ृ ै क्जसके अन्िगथि भौतिकी, रसायन शास्त्र, प्राखर्विज्ञान, कमप्यूटर
विज्ञान, खगोललकी, आयवु िथज्ञान, अलभयािंबत्रकी आहद अनेक प्रयक्ु तियााँ हदखाई दे िी ैं।
23.4.6 ववधध के क्षेत्र में ह द
ं ी
आजादी के बाद ह द
िं ी को भारि की राजभाषा का दजाथ हदया गया क्जसके बाद इसे विधध और न्याय व्यिस्र्ा की भाषा
बनाने का प्रश्न उठा। ह द
िं ी में विधधक शब्दािली िैयार की गई। इसके ललए अिंग्रेजी शब्दों के पयाथय बनाने के ललए
सिंस्कृि िर्ा अरबी-िारसी शब्दों को आधार बनाया गया।
(3) इस अनुच्छेद में ककसी बाि के ोिे ु ए भी, सिंसद उति पिंर िषथ की अिधध के पश्चाि ् विधध द्िारा-
(क) अिंग्रेजी भाषा का, या
(ख) अिंकों के दे िनागरी रूप का.
ऐसे प्रयोजनों के ललए प्रयोग उपबिंधधि कर सकेगी जो ऐसी विधध में वितनहदथष्ट ककए जाएाँ।
य ााँ ‘अनुच्छेद’, ‘विधध’, ‘उपबिंधधि’ िर्ा ‘वितनहदथष्ट’ आहद शब्दों का प्रयोग ुआ ै. जो विधध के क्षेत्र के अतिररति
सामान्यिा प्रयुति न ीिं ोिे ैं। य विधध के क्षेत्र की िकनीकी शब्दािली ै।
23.4.7 संचार माध्यमों में ह द
ं ी
सिंचार माध्यमों के मुख्यिः दो रूप ैं। प ले माध्यम के ि ि समाचारपत्र िर्ा पत्र-पबत्रकाएाँ आिी ैं। दस
ू रे माध्यम
के अिंिगथि रे डडयो, टे लीविजन के अतिररति सोशल मीडडया के विविध प्लेटिॉमथ आिे ैं। इस प्रकार य स्पष्ट ो
जािा ै कक सिंचार माध्यमों से समबक्न्धि प्रयुक्तियों में भाषा के ललखखि और मौखखक, दोनों रूप शालमल ोिे ैं।
ललखी ु ई बाि को म एक से अधधक बार पढ़कर समझ सकिे ैं लेककन मौखखक भाषा का एक बार में समझ में
आना जरूरी ोिा ै इसीललए सिंचार माध्यमों में दोनों िर की भाषाओिं का रूप कािी अलग ोिा ै। जैसे, अखबार
की भाषा में चलन में आ गई सिंक्षक्षक्प्ियों का प्रयोग खूब ोिा ै-भाजपा, सपा, बसपा, जदयू, आहद जबकक रे डडयो,
टे लीविजन या अन्य इलैतट्रातनक माध्यमों में ऐसी सिंक्षक्षक्प्ियों का प्रयोग अपेक्षाकृि कम ोिा ै। जैसा कक म जानिे
ैं कक सभी सिंचार माध्यमों का उद्दे श्य समाज के सभी िगों के सार् समप्रेषर् ोिा ै इसललए इन माध्यमों की भाषा
स ज, सरल, स्पष्ट और बोधगमय ोनी चाह ए ककन्िु सिंचार माध्यमों द्िारा जीिन के प्रायः र क्षेत्र से समबक्न्धि
विषयों का प्रसार ोिा ै। धमथ, कला, साह त्य, िकनीकी विषय, खेलकूद, राजनीति से लेकर बाजार आहद सभी विषयों
की सामग्री इनमें प्रस्िुि की जािी ै। ऐसे में सिंबधिं धि क्षेत्र की विलशष्ट शब्दािली उनमें अिश्य ी समाह ि ोिी ै।
किर भी भाषा को स ज, सरल और व्याि ाररक बनाए रखना पड़िा ै। सिंचार माध्यमों की ह द
िं ी में विलभन्न क्षेत्रों की
शब्दािली का सामान्य बोलचाल का रूप िो हदखाई दे िा ै सार् ी अिं ग्रेजी शब्दों के ह द
िं ी पयाथय और उनके अिंग्रेजी
रूप भी इस्िेमाल ोिे ैं। जैसे प्राइम टाइम, सीधा प्रसारर्, समाचार बुलेहटन, ऑन कैमरा, समपादकीय आहद
23.4.8 ववज्ञापन के क्षेत्र में ह द
ं ी
विज्ञापन के क्षेत्र का सिंबिंध कािी द िक सिंचार माध्यमों से ोिा ै। सिंचार माध्यमों का इस्िेमाल विज्ञापन के ललए
बड़े पैमाने पर ककया जािा ै ककन्िु इन माध्यमों के अतिररति विज्ञापन के अन्य माध्यम ैं दीिारों पर ललखे गए
विज्ञापन और पोस्टर, चौरा ों पर लगी ोडडिंग या साइन बोडथ िर्ा लसनेमा का पदाथ। इस िर म य समझ सकिे
ैं कक विज्ञापन के सामान्यिः िीन रूप ैं। (1) दृश्य (2) अव्य और (3) मुहरि। लसनेमा के पदे , टे लीविजन और
अन्य इलेतट्रातनक माध्यमों पर िीनों रूपों का प्रयोग ोिा ै। पत्र-पबत्रकाओिं, साइन बोडथ या ोडडिंग िर्ा दीिारों पर
ललखे गए या धचपकाए गए पोस्टरों में प ले िर्ा िीसरे रूप का प्रयोग ोिा ै और रे डडयो पर दस
ू रे रूप का इस्िेमाल
ककया जािा ै। ये िीनों ी रूप एक दस
ू रे के पूरक के िौर पर कायथ करिे ैं।
कुछ उदा रर् दे खखए-
टाटा स्काई इसको लगा डाला िो लाइि खझिंगालाला।
लैतमे आइकॉतनक काजल काजल इिना ग रा जो समय को माि दे ।
23.4 आपने तया सीखा
ककसी विशेष प्रयोजन के ललए प्रयोग की जाने िाली भाषा को प्रयोजनमूलक भाषा क िे ैं। इनका प्रयोग प्रशासन,
विधध, बैंक, िाखर्ज्य आहद विलभन्न क्षेत्रों में ोिा ै।
भाषा के प्रयोजन और सिंदभथ म त्िपूर्थ ोिे ैं िर्ा प्रयुक्ति की सिंकल्पना के सार् सामाक्जक भूलमका की सिंकल्पना
जुड़ी ोिी ै।
भाषा के विलशष्ट प्रयोगों के आधार पर विलभन्न प्रयुक्तियों का तनमाथर् ोिा ै।
प्रयुक्ति के अनेक आधार ैं। जैसे शब्दािली, विषय-क्षेत्र, सिंप्रेषर् का िरीका आहद।
ह द
िं ी के विविध प्रयक्ु ति क्षेत्र ैं। जैसे (1) सामान्य व्यि ार (ii) साह क्त्यक ह द
िं ी (iii) कायाथलयी ह द
िं ी (iv) िाखर्ज्य,
व्यापार या बैंक में प्रयुति ह द
िं ी (v) िैज्ञातनक और िकनीकी ह द
िं ी (vi) विधध के क्षेत्र की ह द
िं ी (vii) सिंचार माध्यम
की ह द
िं ी (viii) विज्ञापन की ह द
िं ी इत्याहद।
. 24 chapter

24.11 आपने तया सीखा


*जनसिंचार को लोकििंत्र का चौर्ा खिंभा क ा जािा ै। अखबार, रे डडयो, टीिी जैसे माध्यम सूचनाओिं के जररए लोगों
को जागरूक करिे र िे ैं। बिािे र िे ैं कक सरकारें तया ठीक काम कर र ी ैं, तया ठीक ना ीिं कर र ी ैं। तया
ोना चाह ए, जो न ीिं ो पा र ा।
*समाज में क ािं अच्छा काम ो र ा ै और अगर क ीिं कुछ बुरा ो र ा ै, िो उसे कैसे दरू ककया जाना चाह ए।
इस िर सरकारों और प्रशासन पर भी दबाि बना र िा ै कक िे दे श और समाज के ललए ऐसा कोई काम न करें ,
क्जससे जनह ि पर बुरा प्रभाि पड़े। लोगों के मूल अधधकारों का नन न ोने पाए।
जनसिंचार माध्यमों के म त्िपूर्थ कायथ ै-
सूचनाएिं प ुिंचानाः
लोगों को अपने अधधकारों के प्रति जागरूक करनाःसामाक्जक बुराइयों को दरू करना; सरकारी योजनाओिं, कायथक्रमों,
*नीतियों, तनयम-कायदों का प्रचार-प्रसार करना; सरकार और प्रशासन को क्जममेदाररयों और जिाबदे ह यों को रे खािंककि
करिे र नाः आम लोगों को जनिा और प्रशासन के कामकाज में स भागी बनाना; ककसी योजना, नीति, कायथक्रम
आहद के बारे में आम लोगों की राय सरकार के सामने पेश करना; और जनह ि की सूचनाओिं का प्रसार करना ै।
*1826 में कानपुर तनिासी पिंडडि युगल ककशोर शुतल ने कलकत्ता से ‘उदिं ि माििंड’ नामसे ह द
िं ी के प्रर्म समाचार पत्र
का प्रकाशन आरिं भ ककया।
*जनसिंचार माध्यमों के अिंिगथि मख्
ु य रूप से अखबार, रे डडयो और टे लीविजन आिे ैं। नए सिंचार माध्यमों के रूप में
मोबाइल िोन, इ-पेपर, इिंटरनेट रे डडयो, इिंटरनेट टीिी, सोशल मीडडया और इिंटरनेट के माध्यम से चलने िाले अन्य
मिंच आिे ैं।
*सोशल मीडडया के अिंिगथि िेसबुक, इिंस्टाग्राम, िाट्स ऐप, ट्विटर, ब्लॉग आहद आिे ।ैं जनसिंचार माध्यमों का िेजी
से प्रसार ोने की िज से समाज के अनेक लाभ ुए ैं। इसके जररए लशक्षा, व्यापार, कृवष, िाखर्ज्य, सूचनाओिं के
आदान-प्रदान में िेजी आई ै
*िो विज्ञापनों के माध्यम से व्यापाररयों, सरकार और आम नागररकों को जानकाररयािंप ुिंचने लगी ैं। इससे लोगों में
सामाक्जक, आधर्थक और राजनीतिक जागरूकिा आई ै। जनसिंचार माध्यमों के िेजी से प्रसार से कुछ नुकसान भी
ु ए ।ैं जैसे ब ु ि सारे युिाओिं में मोबाइल िोन की लि पड़ने लगी ै। िे हदन भर िेसबुक, इिंस्टाग्राम, िाट्स ऐप
आहद पर लगे र िे ।ैं इसकी िज से उनमें भूख कम लगना, धचड़धचड़ापन, एकाग्रिा की कमी, गुस्सा आना जैसे
समस्याएिं पैदा ोने लगी ैं। इसके ललए अब अस्पिालों में इलाजकी भी व्यिस्र्ा करनी पड़ र ी ै।
*इिंटरनेट पर उपलब्ध मिंचों यानी न्यू मीडडया ने युिाओिं के ललए रोजगार के नए अिसर भी पैदा ककए ैं। अब िे
उनसे जुड़ कर अपनी पसिंद के कायथक्रम बना कर पेश कर सकिे ैं।
24.13 पाठ्यगि प्रश्न
तनम्नललणखि प्रश्नों के ववस्िार से उत्तर दीक्जए-
1.जनसिंचार माध्यमों से समाज को तया लाभ ोिा ै. उदा रर् सह ि ललखखए।
मीडडया सिंचार के विलभन्न िरीकों को जन्म दे िा ै। य बािचीि के ललए उपकरर्ों पर भी लागू ोिा ै। लोगों के
बीच सिंपकथ और सिंिाद स्र्ावपि करने के ललए सिंचार उपकरर्ों का इस्िेमाल ककया जा र ा ै।
मीडडया के लाभ
य लोगों को लशक्षक्षि करिा ै। लोग टे लीविजन और रे डडयो कायथक्रमों के माध्यम से स्िास््य समस्याओिं, पयाथिरर्
सिंरक्षर् और अन्य विषयों के बारे में जानकारी प्राप्ि करिे ैं।
ब ु ि कम समय में नागररकों को निीनिम जानकारी लमल जािी ै। दरू ी कोई बाधा न ीिं बनिी। समाचार पत्रों के
माध्यम से लोगों को र हदन जानकारी लमलिी ै और इससे सभी को ििथमान िटनाओिं के बारे में जानकारी लमलिी
ै।
लोगों को अपनी गुप्ि प्रतिभा को सामने लाना ोगा। मीडडया में उनके अलभनय, कॉमेडी और गायन जैसे कौशल का
प्रदशथन ककया जािा ै।
बच्चों में जागरूकिा बढ़ र ी ै। क्तिज़ प्रोग्राम, जानिरों से जुड़े प्रोग्राम िगैर से बच्चे समझेंगे।
रे डडयो उपयोगी ै तयोंकक इससे व्यक्ति सिंक्षक्षप्ि समाचार प्राप्ि कर सकिा ै िर्ा मोबाइल िोन ि अन्य माध्यमों
से उस िक प ुिंच सकिा ै।
2.जनसंचार माध्यमों के ववकास के बारे में ववस्िार से वणान कीक्जए।
जनसिंचार ि प्रकक्रया ै क्जसके माध्यम से विलभन्न माध्यम सूचना, विचार, समाचार और सिंदेश बड़े और विविध
दशथकों िक प ुाँचािे ैं। क्जस माध्यम से य प्रसार ोिा ै ि जनसिंचार माध्यम ै – एक शक्तिशाली शक्ति क्जसमें
टे लीविजन, रे डडयो, समाचार पत्र, पबत्रकाएाँ, इिंटरनेट और ब ु ि कुछ शालमल ै। बे िर पररप्रेक्ष्य के ललए विलभन्न
आयामों से जनसिंचार की अिधारर्ा की खोज करना आिश्यक ै।
जनसिंचार इस बाि की पड़िाल करिा ै कक मीडडया ककस िर समाज को आकार दे िा ै, विचारों को प्रभाविि करिा
ै और सािंस्कृतिक पररदृश्य में योगदान दे िा ै। जब म जनसिंचार माध्यमों और जनसिंचार माध्यमों की पड़िाल
करिे ैं, िो म दोनों के बीच जहटल सिंबिंधों को उजागर करिे ैं , ज ााँ जनसिंचार माध्यम जनसिंचार में सिंदेशों को
प्रसाररि करने के ललए िा न के रूप में कायथ करिा ै।
3.जनसंचार माध्यमों की कायाप्रणाली के बारे में उल्लेख कीक्जए।
पत्रकाररिा जनसिंचार में म त्िपूर्थ भूलमका तनभािी ै। पत्रकाररिा के माध्यम से ी सूचना एकबत्रि की जािी ै, उसे
सिंसाधधि ककया जािा ै और किर जनिा िक प ुाँचाया जािा ै। पत्रकाररिा और मीडडया का आपस में जुड़ना एक
दस
ू रे पर तनभथर सिंबिंध को दशाथिा ै जो जनिा को सूधचि, सिंलग्न और प्रबद्
ु ध र ने में सक्षम बनािा ै।
4.न्यू मीडिया यानी नए जनसंचार माध्यम से तया िायपया ै? इसके अंिगाि आने वाले माध्यमों के बारे में अपने
ववचार प्रस्िुि कीक्जए।
न्यू मीडडया ने भौतिक स्र्ानों की िुलना में डडक्जटल सामाक्जक स्र्ानों के माध्यम से दोस्िी बनाने के म त्ि को
अधधक प्रमुखिा से स्र्ावपि ककया ै। िैश्िीकरर् को आम िौर पर “विशेष राष्ट्र राज्यों की सीमाओिं से परे गतिविधधयों
के विस्िार से अधधक” के रूप में क ा जािा ै।
5.सोशल मीडिया के फायदे और नक
ु सान के बारे में िका सह ि उत्तर दीक्जए।
िरीन िैक्श्िक सिंचार को सिंभि बनाया ै। अब सोशल मीडडया के ज़ररए दतु नया भर के उपयोगकिाथओिं से जुड़ना सिंभि
ै।
सोशल मीडडया के माध्यम से बड़ी मात्रा में सूचनाओिं का आदान-प्रदान करना, सिंबिंध विकलसि करना और िैक्श्िक
सिंपकथ स्र्ावपि करना भी सिंभि ै।
समें कोई सिंदे न ीिं ै कक सोशल मीडडया ने दतु नया भर में आपसी सिंबिंधों को मजबूि करने में म त्िपूर्थ योगदान
हदया ै।
नक
ु सान:
अव्यिस्र्ा: अधधकिम उपयोगकिाथओिं के बीच अव्यिस्र्ा और असमिंजस का अिंिरर्।
भ्ािंति और असत्यिा: दस
ू रों के व्यक्तित्ि और जीिन स्िरूप को सिंदेलशि करने का सिंकेि दे ने िाली उपकरर्ों की
अनुमति।
6. ववज्ञापन के तया लाभ ै? उदा रण सह ि वणान कीक्जए।
विज्ञापन के कई लाभ ोिे ैं, क्जनमें तनमनललखखि कुछ मख्
ु य ैं:
ब्ािंड उपक्स्र्ति और विपर्न: विज्ञापन ब्ािंड की प चान बढ़ािे ैं और उसका प्रचार करिे ैं। उदा रर् के रूप में,
ककसी स्नैतस किंपनी जो एक टे लीविजन विज्ञापन द्िारा अपने उत्पाद की आकषथकिा बढ़ािी ै। ………….नई ग्रा कों का
प्राप्ि करना: विज्ञापन नए ग्रा कों को आकवषथि करने में मदद कर सकिे ैं। उदा रर् के रूप में, एक ऑनलाइन
ररटे लर जो गूगल पर विज्ञापन के माध्यम से अपने नए प्रोडतट्स की बबक्री बढ़ािा ै।……..विपर्न के प्रचार: विज्ञापन
माध्यम से विपर्न सिंदेश और योजनाओिं को प ुिंचाया जा सकिा ै, जैसे कक एक रे डडयो स्टे शन जो अपनी सब
ु की
ड्राइि शो की विज्ञापन करिा ै।…………सामाक्जक प्रभाि: विज्ञापन विशेष समाक्जक सिंदेशों को बढ़ािा दे ने में मदद कर
सकिे ैं, जैसे कक एक स्िास््य सिंगठन जो टीिी विज्ञापन के माध्यम से तनशुल्क िैतसीन की जानकारी दे िा ै।
इन लाभों के अलािा, विज्ञापन उत्पादों और सेिाओिं को ग्रा कों िक प ुिंचाने में मदद करिे ैं और व्यापाररक सिलिा
में म त्िपूर्थ भूलमका तनभािे ैं।

Chapter 25

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