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0549/01/o/n/22 © Ucles 2022
0549/01/o/n/22 © Ucles 2022
अरुणाचल प्रदे श में एक ककसान कुदाली से ज़मीन खोद रहा था। भरू ी ममट्ी के अंदर केसररया रं ग की झलक
दे खकर उसके चेहरे पर संतोष की मस ु कुराह् खखल गई। उसने हहमालय की नीली पषृ ्ठभमू म में चमकता हुआ
जड़ का एक ग्ठीला ्ुकड़ा उ्ठाया - ताज़ी हलदी की गाँ्ठ! भारतीय रसोई में इसका महत्वपण ू ्ण सथान है । खाने
के वयंजनों में आकष्णक पीला रं ग हलदी से ही ममलता है । इसके अततररकत ताज़ी हलदी को अदरक की तरह
भी खाते हैं।
हलदी दक्षिण-प्व
ू ्ण एमशया की ्वनसपतत है । अदरक की प्रजातत के 5-6 फु् तक लम्े पौधे की जड़ में हलदी
लगती है । इसके पतते केले के पततों के आकार के होते हैं और अगसत के महीने में श्वेत-हररत रं ग के अतयंत
आकष्णक फूल खखलते हैं। हलदी की गाँ्ठ तैयार होने पर ज़मीन से तनकाल कर उ्लते हुए पानी में धोकर धप ू
में सख
ु ा दी जाती है । पर
ू ी तरह से स ख
ू ने पर उसको महीन पीसा जाता है । प र
ु ाने समय में इसका उपयोग रं ग
चढ़ाने के मलए भी ककया जाता था।
खाने का स्वाद ्ढ़ाने के अला्वा इसका उपयोग त्वचा की चमक ्ढ़ाने के मलए उ््न से लेकर अनेक प्रकार
की सौंदय्ण-्वध्णक-क्ीमों में ककया जाता है । व्व्वाह आहद मांगमलक अ्वसरों पर हलदी का व्वशेष महत्व है । हहंद ू
व्व्वाह प�तत में व्व्वाह के पहले हदन भा्वी ्वर और ्वधू को मांगमलक हलदी का उ््न लगाने की प्रथा है
जजसको उत तर भारत में ‘हलदी चढ़ाना’ और ्ंगाल में ‘गाए होलद ू ’ कहते हैं। ऐसी मानयता है कक हलदी के
लेप से उनकी त्वचा पर अदव्वतीय कांतत आती है । तममलनाडु और आंध्रप्रदे श में हलदी की गाँ्ठ को मौली में
्ाँधकर दल ु हन के गले में उसकी माला पहनाते हैं और मरा्ठी और कोंकणी समाज में यह ्वर-्वधू की कलाई
में ्ाँधी जाती है ।
प्राचीन औषध-ग्ंथों में इसका उललेख हररद्ा, हरदल आहद नाम से ममलता है । आय्व ु वेद और पारमपररक चीनी
औषधध में हज़ारों ्वषषों से इसका उपयोग होता आ रहा है । आधतु नक यग ु में ्वैज्ातनकों के शोध के पररणाम
स्वरूप हलदी के औषधीय गण ु ों को प्रामाखणकता ममली है । हलदी के भीतर सकक्य रसायन करकयमू मन में शरीर
के भीतर की सज ू न और ्ाहरी चो् का उपचार करने के गण ु पाए जाते हैं। करकयमू मन से हॉरमोन में ्ढ़ोतरी
होने के पररणामस्वरूप व्वषाद जैसे मानमसक व्वकार के उपचार में भी इसका उपयोग लाभदायक माना गया
है । सददी, ज़कु ाम, खाँसी सहहत अनेक रोगों के उपचार में लाभदायक होने के साथ उसके से्वन से स्वास्थय
पर कोई दषु प्रभा्व पड़ने की संभा्वना नहीं होने के कारण संसार के प्राकृततक धचककतसा प्रेममयों में हलदी की
लोकवप्रयता ्ढ़ी है । ्वैज्ातनक शोध के पररणाम स्वरूप हलदी अ् मसालदान की सीमा से ्ाहर आकर एक
‘सप ू र फ़ूड’ मानी जा रही है ।
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[पण
ू ाांक 8]
‘सकयारयात््मक दृज्टिकोण और ्नेतत्ृ र’ के बयारे ्में छपे इस लेख को ध्या्न से पिें । प्रश्न 7 से 15 कया उत्तर ्े ्ने के
ललए उ्नके ्नीचे ढ़्ए गए अ्नच ु छे ्ों (A से D) ्में से सहदी अ्नच
ु छे ् च्नु कर उसके सया्म्ने के को््ठक ्में सहदी कया
न्नशया्न लगयाएँ। अ्नचु छे ्ों को एक से अधिक बयार च्न ु या िया सकतया है ।
A सकारातमक दृजष्कोण, सफलता और प्रसननता में घतनष्ठ सं्ंध है । सफलता प्राज्त के मलए प्रयतन करना
ज़रूरी है । ज् हम सफल होते हैं तो प्रसननता स्वाभाव्वक होती है और सकारातमक दृजष् और प्रसननता
के साथ ककए गए प्रयतन से सफलता की संभा्वना में ्वजृ � होती है । इसमलए यह कहना कह्ठन है कक
सकारातमकता, प्रसनन मन और प्रयतन करने में स्से अधधक महत्वपूण्ण कया है । चररत्र के ्वांछनीय
गुणों में ऊजा्ण, सकक्यता, सज
ृ नातमक शजकत और आतमव्वश्वास के साथ सकारातमकता की गणना भी की
जाती है । जी्वन में सकारातमक दृजष्कोण ्नाए रखना जजतना आ्वशयक है उतना ही कह्ठन भी। कह्ठन
समय आने पर धैय्ण रखने के मलए ज़रूरी है कक वयजकत स्वयं को दोष दे ने के ्जाय अपने प्रतत सदय
रहे । कह्ठनाइयों से घ्राने की जगह उसे यह कलपना करनी चाहहए कक उनसे उ्रने के ्ाद ्वह पहले
की अपेषिा ककतना अधधक शजकतशाली हो जाएगा।
B व्वश्व के इततहास में शायद ही ऐसा कोई महान वयजकत हुआ होगा जजसको कह्ठन और सतत प्रयतन
ककए ब्ना सफलता ममली हो। ऐसी कौन सी व्वशेषताएँ हैं जो सामानय वयजकत को अपने षिेत्र का नेततृ ्व
करने की षिमता दे ती हैं? इस षिमता को व्वकमसत करने के मलए कुशाग्ता, अव्वचलता, सुदृढ़ता, आतम-
अनुशासन और दरू दमश्णता आ्वशयक हैं पर यथेष् नहीं। इन स्के होने के साथ और स्से अधधक
महत्वपूण्ण है भा्वनातमक समानुभूतत की षिमता। भा्वनातमक समानुभूतत, अथा्णत स्वयं को दस ू रों की
जगह रखकर दे खना, उनकी भा्वना को तीव्रता से अनुभ्व करना मानों ्वे स्वयं उनकी अपनी भा्वना
हो। फांसीसी साहहतय में भा्वनातमक समानुभूतत का एक उतकृष् उदाहरण प्रमसदध उपनयासकार गुसता्व
फलॉ्ेयर हैं। ज् ्वे अपने उपनयास ‘मदाम ्ो्वरी’ में उपनयास की नातयका मदाम ्ो्वरी के व्वष खाने
का दृशय मलख रहे थे, ्वे नातयका की व्वषणण मन:जसथतत के साथ इस कदर आतमसात हो गए थे कक
उनके अपने शरीर में व्वष के लषिण पाए गए थे। भा्वनातमक समानुभूतत का यह चरम उदाहरण है और
के्वल लेखक की सफलता की कसौ्ी ही नहीं, ्जलक हर महान नेता का आ्वशयक गुण भी है ।
C सफलता पाने के मलए कोई एक सरल रासता नहीं होता। सफल वयजकत दै तनक जी्वन की साधारण सी
लगने ्वाली घ्ना से जीने के मस�ांत सीख लेता है । गूगल के सीईओ सुंदर वपचाई की गणना व्वश्व
के दस अतयंत सफल भारतीयों में की जाती है । उनके जी्वन से अनेक प्रेरणादायक कहातनयाँ जुड़ी हैं।
उनमें से एक प्रसंग एक ततलच्ा और महहला का है जजसके उदाहरण से सुंदर वपचाई ने आतमव्वकास के
मसदधांत की वयाखया की है । एक रे सतरॉ में एक ततलच्ा कहीं से उड़कर आया और ्वहाँ ्ै्ठी महहला के
ऊपर ्ै्ठ गया। महहला ने आतंककत होकर काँपती हुई आ्वाज़ में धचललाना और ततलच्े को भगाने के
मलए हाथ-पैर मारना शुरू ककया। उनके साथ ्ै्ठे लोग भी घ्रा गए। महहला को घ्राते दे ख कर रै सत्रां
का ्ैरा उनकी सहायता करने के मलए गया। अंत में महहला ने ककसी तरह ततलच्े को अपने कपड़ों पर
से तछ्का कर ह्ाया, पर ्वह अपने पंख फड़फड़ाते हुए उड़कर सामने खड़े ्ैरे की ्वददी पर ्ै्ठ गया। ्ैरे
ने ततलच्े की गततव्वधध को कुछ षिण के मलए गौर से दे खा और ज् ्वह जसथर हो गया उसको धीरे से
पकड़ कर रै सत्रां के ्ाहर फेंक हदया।
D कया महहला के ना्कीय वय्वहार का जज़ममे्वार ्वह ततलच्ा था? यहद यह सच है तो ्ैरे का वय्वहार
उससे मभनन कयों था? संद ु र वपचाई के अनसु ार एक ही जसथतत में दो अलग तरह के ्ता्ण्व वयजकत की
मानमसकता के पररचायक हैं। महहला के वय्वहार में ब्ना प्व ू ्ण व्वचार की जाने ्वाली, ह्ठात प्रततकक्या
और ्ैरे के वय्वहार में जसथतत को मानमसक रूप से जाँच कर व्वचारपण ू ्ण अनकु क्या दे ने का उदाहरण है ।
प्रततकक्या सहज, व्वचारहीन और तातकामलक होती है पर अनकु क्या सोच समझ कर की जाने के कारण
व्वचाररत और व्व्वेकपण
ू ्ण होती है । सफलता के रहसय को समझने के मलए यह एक संद ु र उदाहरण है ।
© UCLES 2022 0549/01/O/N/22
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्नीचे ढ़्ए गए प्रश्नों (7–15) के उत्तर ्े ्ने के ललए उ्नके ्नीचे ढ़्ए गए अ्नुचछे ्ों (A से D) ्में से सहदी अ्नुचछे ्
च्न
ु कर उसके सया्म्ने के को््ठक ्में सहदी कया न्नशया्न लगया कर बतयाएँ कक कौ्न सया अ्नुचछे ् ककस रकतव् से
समबबंधित है । अ्नुचछे ्ों को एक से अधिक बयार च्न ु या िया सकतया है ।
A B C D
A B C D [1]
8 दस
ू रों की भा्वना को समझने की सहृदयता रचनाकार के मलए एक ्वांछनीय गुण है ।
A B C D [1]
A B C D [1]
A B C D [1]
A B C D [1]
A B C D [1]
A B C D [1]
A B C D [1]
15 जी्वन में हमेशा सकारातमक मानमसकता ्नाए रखना सरल नहीं होता।
A B C D [1]
[पूणाांक 9]
मधयप्रदे श के मस्वनी और तछं द्वाड़ा जजलों में जसथत पें च भारत का एक प्रमख ु राषट्ीय उदयान है । उसका
नामकरण उसको दो भागों में ्ां्ने ्वाली पें च नदी के नाम पर हुआ। यह नदी उदयान के ्ीचों्ीच उततर से
दक्षिण की ओर ्हती है । रडयाड्ण ककपमलंग की भारत के जंगलों पर आधाररत ‘दी जंगल ्क ु ’ की कथाएँ पें च
उदयान की पषृ ्ठभमू म में मलखी गई थीं। उसके प्रमख ु पात्र मोगली के नाम पर पें च राषट्ीय उदयान ‘मोगली
लैणड’ के नाम से भी जाना जाता है । सन ् 2002 में भारत की भत ू प्व
ू ्ण प्रधान मंत्री की समतृ त में इस उदयान
का नाम ्दलकर इंहदरा वप्रयदमश्णनी पें च राषट्ीय उदयान रख हदया गया। सतपड़ ु ा की प्व्णतमाला की दक्षिणी
तलह्ी में जसथत पें च राषट्ीय उदयान को ्ाघ संरषिण योजना के तहत 23 न्वम्र 1992 में ्ाघ अभयारणय
घोवषत ककया जाने के ्ाद दे श का स्व्णश्ेष्ठ ्ाघ अभयारणय होने का गौर्व प्रा्त हुआ। इसके ्ाद से ही
इस षिेत्र में ्वनय-जी्वों की संखया में तेज़ी से ्ढ़ोतरी होने लगी। जैसे-जैसे इसकी खयातत ्ढ़ी दे श-व्वदे श के
पय्ण्कों के आगमन का क्म भी ्ढ़ गया। ्वनसपतत और जी्वजंतओ ु ं को उनके प्राकृततक परर्वेश में दे खने के
इचछुक पय्ण्कों के मलए यह एक लोकवप्रय उदयान है ।
अनेक दल ु भ
्ण ्वनय-जी्वों और पय्ण्न की सुव्वधाओं से युकत पें च राषट्ीय उदयान पय्ण्कों को ्हुत तेज़ी से
आकवष्णत कर रहा है । प्रतत ्वष्ण शीत ऋतु में ्फफीले षिेत्रों के लगभग 210 दे सी और प्र्वासी प्रजाततयों के पषिी
भोजन और प्रजनन के मलए आकर यहाँ ्सेरा करते हैं। दे शभर में तेज़ी से व्वलु्त होते जा रहे धगदध तथा
अनय पषिी यहाँ ्हुतायत से पाए जाते हैं। खू्सूरत झीलें, सागौन के ऊँचे पेड़ों के सघन झुरमु्, अनोखे
रं गब्रं गे पक्षियों के कलर्व, शीतल ह्वा के झोंके, महकती मम�ी की सोंधी सुगंध और ्वनय-जी्वों का अनू्ठा
संसार पय्ण्कों के रोम-रोम में मसहरन भर दे ता है । पलक झपकते ही हदखने और आँख से ओझल हो जाने
्वाले चीतल, साँभर, तीन सींग्वाली नीलगाय, भक ृ ु ्ी ताने जंगली भैंसे, काले हररण, लकड़्गघा, उड़ने्वाली
धगलहरी, मसयार और लगभग 65 प्रमस� ्ंगाल ्ाइगर का यह प्राकृततक आ्वास है । अंतरा्णषट्ीय जल-व्वदयुत
पररयोजना के अंतग्णत तोतलाडोह ्ाँध ्नने से राषट्ीय उदयान के मधय भाग में एक व्वशाल झील ्न गई
है । यह ्वनय-जी्वों के मलए पानी की ज़रूरत पूरी करने के साथ ही मछमलयों की पचास प्रजाततयों, उभयचर
जंतुओं सारस आहद को आश्य दे कर उदयान की प्राकृततक शोभा में ्वजृ � करती है ।
उदयान ्रसात का मौसम समा्त होने पर 1 अकतू्र से 30 जून तक पय्ण्कों के मलए खुला रहता है ।
प्राकृततक सौंदय्ण प्रचुरता से दे खने के मलए न्वम्र से फर्वरी के महीनें स्से अचछे होते हैं। उस समय
सागौन, महुआ और ्ाँस की सघन हररयाली के नीचे अतनयंबत्रत झाड़-झंखाड़, औषधीय महत्व के दल ु भ
्ण पौधों
की हज़ार से ऊपर प्रजाततयाँ और उनके ऊपर मंडराती रं ग-ब्रं गी तततमलयाँ मन को मोह लेती हैं। लेककन ्वषि ृ ों
के झुरमु् में तछपे ्ाघ को ढ़ूंढना मुजशकल होता है । ्ाघ दे खने के मलए माच्ण और अप्रेल के महीने अधधक
उपयुकत होते हैं कयोंकक गममी से झुलसी ्वनसपतत जंगल की सघनता को कुछ कम कर दे ती है और गममी से
परे शान ्ाघ पानी पीने के मलए या ्ठणडक की खोज में कई ्ार झील के पास जाता है । ऐसे में उसको दे ख
पाने की संभा्वना ्ढ़ जाती है ।
पय्ण्कों के मलए हदन में दो ्ार जीप-सफ़ारी की वय्वसथा है । सु्ह की सफ़ारी सूययोदय से 11 ्जे तक और
दोपहर की 2:30 से सूया्णसत तक चलती है । उदयान के तीन द्वार हैं। सफ़ारी तुररया गे् से चलती है । ्ाकी
के दोनों गे् घनी ्वनसपतत से तघरे हैं और ्वहाँ से जीप जाने के मलए रासता नहीं है । सफ़ारी के कड़े तनयम
हैं, सफ़ारी के गाइड के तनधा्णररत पथ से ह्ना या जीप से ्ाहर तनकलना ्वजज्णत है । तनयमों का पालन करना
्वनय-जी्वों और मनुषय के मधय संतुलन ्नाए रखने के मलए अतन्वाय्ण है । पें च पहुँचने के मलए ह्वाई, रे ल और
सड़क के माग्ण हैं। तनक्तम ह्वाई अडडा नागपुर है जो पें च से 93 ककलोमी्र दरू है । इस ह्वाई अडडे से दे श
के सभी प्रमुख शहरों को जोड़ने ्वाली तनयममत उड़ानें हैं। रे लयाबत्रयों के मलए तनक्तम स्े शन मस्वनी है जो
पें च से लगभग 30 ककलोमी्र दरू है । मस्वनी ्स स्ै णड से पें च जाने के मलए ्स, ्ै कसी और जीप उपलबध
हैं। पय्ण्कों के ्ठहरने के मलए आस-पास स् तरह की सुव्वधा ्वाले अनेक लॉज और पय्ण्न केंद् हैं।
© UCLES 2022 0549/01/O/N/22
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‘पें च रया्ट्दी् उद्या्न’ आलेख के आियार पर ्नीचे ढ़्ए गए प्रत््ेक शीर्वक (16–19) के अबंतग्वत सबंक्षिपत ्नोटि
ललखें।
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8 • ........................................................................................................................... [2]
18 लोकवप्रयता के 3 कारण
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[पूणाांक 9]
अभ्यास 4 ्में आप आलेख और अप्ने ्नोटस के आियार पर ‘पें च रया्ट्दी् उद्या्न’ शीर्वक लेख कया सयारयाबंश
ललखेंगे।
अभ्यास 4: प्रश्न 20
अभ्यास 3 के आलेख ‘पें च राषट्ीय उदयान’ में भारत के प्रमस राषट्ीय उदयान में पय्ण्न की सवु ्वधा का ्वण्णन
है । आप आलेख और अपने ्नाए नोटस के आधार पर उसका सारांश मलखें।
आपको अबंतर्वसतु के ललए अधधकतम 4 अंक और सटिदीक एरबं सबंक्षिपत भयारया-शैलदी के ललए अधधकतम 6 अंक हदए
जाएँगे।
अभ्यास 5: प्रश्न 21
1 चुना्व का काय्णक्म
2 योगयता के प्रमाण
3 सहपाह्ठयों से ्वो् का आग्ह।
आपको 3 अंक अबंतर्वसतु के ललए और 5 अंक सटिदीक भयारया एरबं शैलदी के मलए हदए जाएँगे।
अभ्यास 6: प्रश्न 22
आप कहाँ तक इस मत से सहमत हैं? अपने व्वचारों को समझाते हुए सकूल पबत्रका के मलए अपना लेख लगभग
200 शब्ों में मलखखए। आपका लेख व्वषय से सम्ंधधत जानकारी पर केजनद्त होना चाहहए।
ऊपर ्दी गई ढ़टिपपखण्याँ आपके लेख्न के ललए ढ़्शया प्र्या्न कर सकती हैं। इ्नके ्मयाध््म से आप अप्ने
वरचयारों को वरसतयार ्दीजिए।
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