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ज.

• सुममत्रानंदन पंत महंदी के राष्ट्र कमि हैं।


*िे प्रकृमत मित्रण के बेजोड़ कमि माने जाते हैं।
*असमान में बादल झम - झम बरसते है।
*छम - छम - छम बंदू ें पेड़़ों से मगरते हैं।
* मबजली असमान के रृदय में िमक रही है।
*ईस समय मदन में ऄंधेरा होता है।
* रृदय के सपने जग जाते हैं।
* सािन के मौसम में दादुर टर - टर करते है।
* मझल्ली - झींगुर बजने लगते हैं।
* मोर म्यि - म्यि करते हैं, िातक गण पीउ - पीउ कहते हैं।
* असमान में मेघ घुमड - घुमड कर गजज न करते है।
* ररममझम - ररममझम पानी बरसाता है, िर्ाज की बंदू ें ज़मीन पर मगरते हैं।
* िर्ाज की बंदू ें शरीर पर पड़ते ही रोम मसहर ईठते है।
* रज के कण - कण में तण ृ - तणृ पुलमकत हो जाते हैं।
* िर्ाज की धारा देखकर कमि का मन झल ू ता है।
* सब लोग ममलकर सािन के गीत गाते हु ए सािन का अहिान करते हैं।

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*हाममद िार - पााँि साल का छोटा लड़का था।
* ईसके मां - बाप तो िल बसे थे।
*हाममद की बढ ू ी दादी ऄमीना ही ईसका परिररश करती थी।
*हाममद पर ऄमीना को ऄसीम प्रेम और श्रद्धा थी।
*हाममद भी ऄपनी दादी ऄमीना से बहु त प्यार करता था।
*सदा ईसका ख्याल रखते ईसे खुश रखना िाहता था ।
*ऄपने कारण दादी को मकसी प्रकार का कष्ट मदलाना नहीं िाहता था ।
*दादी ने ईसे तीन पैसे मदयेमेले में हाममद के दोस्त ऄपने मनपसंद िीजें
खरीदकर खुश रहे ।
*लेमकन हाममद ने तो दादी मााँ का कष्ट दूर करने मिमटा खरीदा ।
*ईसने सोिा मक मिमटा लेकर देने से दादी ऄम्मा बहु त खुश होगी ।
*ईसके हाथ रोमटयााँ ईतारते कभी नहीं जलेंगे ।
*िह मुझे हजाऱों दुअएाँ देंगी। पडोसी औरत़ों को मदखाकर बहु त खुश होगी
कहेगी मक मकतना ऄच्छा लडका है ।
* ये हैं ऄमीना के प्रमत हाममद की भािनाएाँ ।

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कमिता का नाम: हम भारतिासी
कमि का नाम: श्री अर. पी. मनशंक।
रिनाएाँ : समपज ण, निंकुर,जीिन पथ में अमद।
पुरस्कार : पद्म श्री
सारांश :
*अधमु नक महदी सामहत्यकाऱों में अर.पी. मनशंक जी मिमशष्ट स्थान रखते हैं।
*ऄपनी आस कमिता में अप छात्ऱों में देश भमि भािना के साथ मिश्व बंधुत्ि मिश्वशांमत,
ऄमहंसा, त्याग, समपज ण अमद ईत्तम गुण़ों का मिकास करना िाहते हैं।
* कमि कहते है मक हम भारतिासी दुमनया को पािन धाम बनायेंगे ।
* हम ऄपने मन में श्रद्धा और प्रेम का ऄद्भुत दृश्य मदखायेंगे। सब में उंि - नीि का भेद
ममटाकर मदल में प्यार बसायेंगे।
*नफ़रत को दूरभगाकर ऄमत ृ बरसायेगे ।
*मनराशा को दूर करके लोग़ों में मिश्वास जगायेगे ।
*ईलझऩों में ईलझे लोग़ों को तत्थ दीप समझायेंगे।
* जीिन पथ से भटकनेिाल़ों को सच्िा राह मदखायेंगे। खुमशयााँ रूपी दीप जलाकर जीिन
* ज्योत जलायेंगे।
* सत्य, ऄमहंसा, त्याग, और समपज ण की बमगया महकायेंगे ।
* जग के समस्त क्लेश़ों को ममटाकर शमिभर धरती को स्िणज बनायेगे ।
* िसुदेक कुटुथज कम भािना हम दुमनया से सरसायेंगे ।
* ऐसे सच्िे अशय मन में रखकर हम दुमनया को पािन धाम बनाने में ऄपना परू ा जीिन
लगा देंगे।
मिशेर्ताएाँ :
1. आस कमिता में देश भमि, मिश्व बंधुत्ि, मिश्व शांमत, ऄमहंसा, त्याग ऄमद भाि व्यि मकये
गये हैं।
2. यह प्रेरणादायक कमिता हैं।

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साराांश
* कण - कण का अधधकारी कधिता ‘कुरुक्षेत्र’ से ली गई है ।
* इसमें श्रम और श्रधमक का महत्ि बताया गया है ।
* भीष्म धममराज से कहते हैं... हे! धममराज! श्रम और भज ु बल ही मानि समाज के एकमात्र
आधार है ।
* श्रम के आगे पथ्ृ िी और उँ चा आसमान भी धिनीत हो जाते हैं ।
*सांसार में श्रम करने िाले मज़दूर का स्थान महत्िपूणम है ।
* श्रधमक को सुखों से कभी िांधचत नहीं करना चाधहए ।
* इसधलए पहले उनको सुख प्राप्त करने देना है, उनको कभी पीछे नहीं रहने देना है ।
* प्रकृधत में जो भी िस्तु है, िह सारे मानिों की सांपधि है, प्रकृधत के हर कण-कण पर
मानि का ही अधधकार है ।
* ऐसी हालत में श्रम करने िाले व्यधि द्वारा ही सांपधि सांधचत होती है। श्रम से बढ़कर
कोई मूल्यिान धन नहीं है ।
* अतः आश्रम करने िाले मजदूरों को कभी पीछे नहीं छोड़ देना है सबसे पहले उनको ही
सुख पाने का अधधकार है ।
* इस गहन धिषय का महत्ि जानते हमें मजदूरों के अधधकारों को भोगने देना है तभी
मानिजाधत सुख सांपधियें से अक्षुण्ण रह सकती है ।
धिशेषता: इस कधिता में श्रम का महत्ि बताया गया है ।
*यह प्रेरणादायक कधिता है ।

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ई.
* हमारी संस्कृमत में लोकगीत और संगीत का ऄटूट संबंध है ।
* मनोरं जन की दुमनया में अज भी लोकगीत़ों का महत्िपण ू ज स्थान है ।
* गीतसंगीत के मबना हमारा मन नीरस हो जाता है ।
* लोकगीत ऄपनी लोिताजगी और लोकमप्रयता में शास्त्रीय संगीत से मभन्न हैं ।
* लोकगीत सीधे जनता का संगीत है। ये घर, गााँि और नगर की जनता के गीत है आनके मलए
साधना की जरूरत नहीं होती ।
* त्यौहाऱों और मिशेर् ऄिसऱों पर ये गाये जाते हैं ।
* स्त्री और पुरुर् दोऩों ही आनकी रिना के भागीदार है ।
* ये गीत बाज़ोंढोलक, करतालझााँझ और बााँसुरी अमद की मदद से गाये जाते हैं ।
* लोकगीत़ों के कइ प्रकार हैं ।
* आनका एक प्रकार बड़ा ही ओजस्िी और सजीि है ।
* यह आस दे श के अमदिामसय़ों का संगीत है ।
* मध्यप्रदे श, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फै ले हु ए हैं ।
* पहामड़य़ों के ऄपने ऄपने गीत हैं ।
* िास्तमिक लोकगीत दे श के गााँि़ों और दे हात़ोंमें हैं ।
*सभी लोकगीत गााँि़ों और आलाक़ों की बोमलय़ों में गाये जाते हैं ।
* िैता,कजरी,बारहमासा,सािन अमद ममजाज पुर ,बनारस और ईत्तर प्रदे श के पिू ी मजल़ों में गाये
जाते हैं ।
* बाईल और भमतयाली बंगला के लोकगीत हैं ।
* पंजाब में ममहया गायी जाती है ।
* राजस्थानी में ढोलामारू अमद गीत गाते हैं।
* भोजपुर में मबदे मसया का प्रिार हु अ है ।
* आन गीत़ों में ऄमधकतर रमसक मप्रय़ों और मप्रयाओं की बात रहतो हैं ।
* आन गीत़ों में करूणा और मबरह का रस बरसता है ।
* जन जामतय़ों में भी लोकगीत गाये जाते हैं ।
* एक दूसरे के जिाब के रूप में दल बााँधकर ये गाये जाते हैं ।
* अल्हा एक लोकमप्रय गान है। गााँि़ों और नगऱों में गामयकाएाँ होती हैं।
* मस्त्रयााँ ढोलक की मदद से गाती हैं ।
* ईनके गाने के साथ नाि का पुट भी होता है।

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* भारत एक मिशाल देश है। आसकी गौरिशाली परं परा है।
* भारत की राष्ट्र भार्ा बनने का सौभाग्य महंदी को ही ममला है ।
* यह सबकी संस्कृमत, सभ्यता िा गररमा का प्रतीक है ।
* ऄब महंदी न केिल भारत की बमल्क मिश्व की भार्ा बन िुकी है।
* संसार के मिमिध क्षेत्ऱों में महंदी करोड़़ों लोग़ों की जीमिका बन िुकी है ।
* अज भारत के ऄलािा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भटू ान, मफजी, गयाना,
सरू ीनाम, मत्रमनडाड एिं टुबेगो, द.ऄफ्रीका, बहरीन, कुिैत, ओमान, कतर,
सौदी ऄरब गण राज्य, श्रीलंका, ऄमेररका, आंग्लैंड, जमज नी, जापान, मॉररशस
और ऑस्रेमलया अमद देश़ों में महंदी की मााँग बढती ही जा रही है।
* मिदेश़ों में भी महंदी की रिनाएाँ मलखी जा रही हैं ।
* आसमें िहााँ के सामहत्यकाऱों का भी योगदान है ।
* मिदेश़ों में भारतीय़ों से अपसी व्यिहार के मलए िहााँ के लोग भी महंदी सीख
रहे हैं।
* भारत के ऄलािा ऄन्य देश़ों में भी कइ संस्थाएाँ महंदी के प्रिार ि प्रसार में जुटी
हु इ है ।
*अज मिश्व भर में करीब डे ढ सौ से ऄमधक मिश्व मिद्यालय महंदी संबंधी कोस़ों
का संिालन कर रहे हैं ।
* बैंक, मीमडया, मफ़ल्म ईद्योग अमद क्षेत्ऱों में महंदी की ईपयोमगता मदन - ब - मदन
बढती ही जा रही है ।
* महंदी नये - नये रोज़गाऱों का प्रमुख अधार बन िुकी हैं ।
* सारा मिश्व महंदी का महत्त्ि जान िुका है ।
* हर िर्ज 10 जनिरी को मिश्व महंदी मदिस मनाते हैं। आस प्रकार हम कह सकते
हैं मक महंदी “मिश्व भार्ा'' है ।

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* रै दास को रमिदास भी कहते हैं।
* ये मनगज ण
ु भमि शाखा के ज्ञानमागी शाखा के कमिय़ों में प्रमुख हैं।
* रै दास की भमि भािना दास्य भाि की है।
* रै दास ने इश्वर की तुलना िंदन से की है और स्ियं की पानी से क्य़ोंमक िंदन
में पानी को ममलानेसे ही पानी का प्रत्येक कण सुगंमधत हो ईठता है।
* ईन्ह़ोंने इश्वर को बादल और स्ियं को मोर माना है।
* मजस प्रकार बादल़ों को देखकर मोर खश ु ी से झम
ू ईठता है और नािने
लगता है।
* ईसी प्रकार भगिान के स्मरण मात्र से रै दास का मन झम ू ईठता है।
* िंद्र को देखकर िकोर संतप्तृ होता है ।
* ईसी प्रकार भगिान के स्मरण से रै दास भी तप्तृ हो जाते हैं।
* ईन्ह़ोंने इश्वर को मोती और स्ियं को धागा माना है।
* धागे में मोमतय़ों को मपरोने से एक सुंदर माला बनती है और धागे का महत्ि
बढ जता है।
* मजस प्रकार मोती के मबना या धागे के मबना माला नहीं बनती।
* दोऩों एक - दूसरे के परू क हैं।
* ईसी प्रकार सोने में सहु ागे से ही िमक अती है और संद ु रता बढ जाती है।
* रै दास इश्वर को स्िामी और स्ियं को दास मानते हैं।
* भगिान के प्रमत ईनकी भमि दास्य भाि की है।

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* मीराबाइ कृष्ट्ण भमि शाखा की प्रमसध्द किमयत्री है। ईनकी
भमि माधुयजभाि की है।
* रै दास जी ईनके गुरू माने जाते है।
* प्रस्तुत पद में मीराबाइ ने गुरु की ममहमा का गुणगान
मकया है मीरा कहती है मक मैंने तो ऄपने गुरू की कृपासे राम
रत्न रूपी धन को पाया है।
* मेरे गुरू ने मुझे भमिरूपी ऄमल्ू य िस्तु दी है।
* जो मेरे जन्म-जन्म की पंज ू ी है मजसे मैंने संसार में लुटा
मदया है।
* प्रभु-भमि ऐसी पंज ू ी है मजसे िोर भी नही िुरा सकता ईसे
मजतना खिज करो िह ईतना ही बढता जाता है।
*जीिन रूपी सत्य की नाि के केिट मेरे गुरू हैं मजसके
सहारे में संसार रूपी भि सागर को पार कर गंग ू ी मेरे तो प्रभु
ितुर मगररधर गोपाल है मजसका यश मैं झम ू झम ू कर गा रही
हाँ।

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* भारत के आमतहास में झांसी की रानी लक्ष्मीबाइ का नाम और ईनका बमलदान
हमेशा ऄजर ऄमर रहेंगा झााँसी राज्य का पालन रानी लक्ष्मीबाइ कर रही थी ।
* ईस समय पररमस्थमतयााँ आस तरह थी मक भारत के ऄनेक राज्य़ों में ऄलग ऄलग ।
राजा राज्य कर रहे थे। दु:ख की बात यह थी मक राजाओं में अपस में एकता नहीं
थी ।
* ऄंग्रेज भारत में अकर धीरे धीरे राजाओं को अपस में लड़ाकर राज्य़ों पर भी
अक्रमणकर राज्य़ों को ऄपने ऄमधकार में ले रहे थे ।
* रानी लक्ष्मीबाइ आन सब बात़ों को भली भांमत जानती थी ।
* िह िाहती थी मक सब लोग जाग्रत रहेंरानी ने हर कोमशश की ।
*यहााँ तक की ममहला सैमनक़ों की फौज तैयार की ।
* तात्या ऄसािधान थे मकंतु बाद में ईन्ह़ोंने फाज को से प्रशसनीय कायज मकया ।
* रानी निाब, सरदार अमद के बेखबर रहने से ईनके ऐशोअराम और मिलामसता
में मशगल ू रहने से नाराज थी ।
* िह िाहती थी मक नपू ुऱों की जगह तोप़ों की अिाज सुनायी दे। रानी ने प्रमतज्ञा
की थी मक मैं ऄपनी झााँसी नहीं ।
* ऄकेली ही सही रानी अमखर तक लडती रही ।
*लक्ष्मीबाइ को लगता था मक ऄब समय स्िामीभमि का नही देशभमि करने का
था ।
* स्िराज्य के मलए रणभमू म में मौत से जझ ू ना है ।
* जब रानी को पता िलता है मक रोज ऄंग्रेज जनरल लड़ने के मलए मसद्ध हो िुका
है तो रानी लक्ष्मीबाइ भी युद्धभमू म में जाने के मलए तैयार होती है ।
* िह कहती है मक हम सब ममलकर या तो स्िराज्य प्राप्त करके रहेंगे या स्िराज्य
की नींि का पत्थर बनेंगे ।

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ज, पाठ में दमक्षणी गंगा गोदािरी मिधा : यात्रा ितृ ांत
श्री काका कालेलकर
सारांश :
* िेन्नइ से राजमहेंद्री जाते समय लेखक की भािनाएाँ आस प्रकार थीं - बेजिाडे से
अगे सय ू ोदय हु अ ।
*बरसात के मदन होने के कारण जहााँ - तहााँ मिमिध छटा िाली हररयाली फै ली थी ।
* यह सब देखकर लेखक को बहु त अनंद हो रहा था ।
* पिू ज की तरफ एक नहर रे ल की पटरी के मकनारे पर बह रही थी ।
* बीि - बीि में छोटे - छोटे तालाब भी ममलते हैं ।
* आनमें रं ग - मबरं गे बादल़ों िाला असमान नहाने के मलए ईतरता हु अ मदखाइ पडता
िंिल कमल़ों के बीि बगुल़ों को देखकर सबेरे के ठं डी - ठं डी हिा का ऄमभनंदन
करने को मन मिल पडता ।
* आस तरह कमिता - प्रिाह में बहकर जाते - जाते को बस स्टेशन अ गया ।
* लेखक के मन में यह ईमंग भरी थी मक ऄब गोदािरी माता का भी दशज न होगा ।
* राजमहेंद्री के अगे गोदािरी की शान - शौकत मनराली ही है ।
* लेखक सोिने लगा मक आस सारे दृश्य का िणज न कैसे मकया जा सकता है? यहााँ
आतना सारा पानी कहां से अता होगा ?
* लेखक ने कहा मक छोटे - बड़े जहाज तो नदी के बच्िे हैं। गोदािरी के टापू प्रमसद्ध हैं ।
* ऄंत में गोदािरी माता का महत्ि बताते हु ए कहा मक तेरे पानी की एक झदू का सेिन
भी व्यथज नहीं जाता ।
*गोदािरी िार िर्ाज की माता है।
* पिू ज ज़ों की ऄमधष्ठात्री देिी है ।
* आसके जल में ऄमोघ शमि है।

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ज,
* रहीम ने सच्िे ममत्र के लक्षण बताये हैं ।
* ईनका कहना है मक संपमत्त ममलने पर बहु त लोग हमारे ममत्र हो जाते हैं।
* िे हमारी संपमत्त के कारण हमारी ममत्रता स्िीकार करते हैं ।
* लेमकन मिपमत्त के समय जो हमारा साथ दे िही हमारा सच्िा ममत्र है।
* रहीम का कहना है मक मनष्ट्ु य को ऄपना अत्मसम्मान बनाये रखना
िामहए ।
* क्य़ोंमक मानि जीिन सम्मान के मबना बेकार है ।
* मबहारी हमें ऄमभमान न करते हु ए मिनम्र रहने का संदेश देते हैं।
* िे कहते हैं मक मक सोना, धतरू े से सौ गुना ऄमधक जहरीला और नशीला
होता है।
* क्य़ोंमक धतरू ा तो खाने से लोग पागल होते हैं, लेमकन सोना तो पाकर ही
लोग पागल हो जाते हैं ।
* आसमलए हमें संपमत्त का ऄमभमान नहीं करना िामहए ।
* ईनका कहना है मक मनुष्ट्य और नल के पानी की मस्थमत समान है।
* नल का पानी मजतना ही नीिे जाता है पन ु ः ईतना ही उपर ईठता है।
* ईसी प्रकार मनुष्ट्य मजतना ऄमधक मिनम्र होता है ईतना ही मिकास करता
है,िह ईतना ही ऄमधक यश प्राप्त करता है ।

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जल ही जीिन है' पाठ का सारांश मलमखए।

पाठ : जल ही जीिन है। मिधा : कहानी


लेखक : श्री प्रकाश
सारांश :
* प्रो. मिकास और प्रो. दीपेश जल की समस्या के हल में ििाज करते है ।
* प्रो. दीपेश अकाश की ओर देख रहे थे ।
* एक तारा धरती की ओर अते - अते िापस िला गया ।
*दीपेश ने जाना मक, िह। ऄंतररक्ष यान है ईन्ह़ोंने सारी बात प्रो. मिकास को
बतायी।।
* दूसरे मदन िे दोऩों यान की प्रतीक्षाकर रहे थे ।
*आतने में यान बाग में ईतरा ।
* एक यात्री ईसमें से ईतर कर ईन्हें ऄमभिादन मकया ।
* िह ऄंतररक्ष यात्री एक प्रकाशिर्ज दर का िासी है ।
* िह कहता है – हमारे जलाशय ज़हरीले और दूमर्त हो गये ।
* हम मिशेर् यान से अपके ग्रह के पानी को ले जा रहे हैं ।
* आस ममशन के तहत हम अये हैं ।
* मफर िह िला गया।
* प्रो. मिकास की नज़र ऄंतररक्ष यात्री की छोडी हु इ एक िस्तु पर पड़ी ।
* िह एक मिट्ठी थी। ईसमें भमू म के जलाशय़ों को संरक्षण करने, साफ़ रखने को
मलखा गया था ।
* ईन्हें क्षमा करने को भी कहा गया था नहीं तो अपको भी हमारे जैसे जलिोर
बनना पेडगा।
नीमत : जल का महत्ि जानकर ईसका संरक्षण करना।

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ज, डॉ. ए.पी.जे. ऄब्दुल कलाम एक महान भारतीय िैज्ञामनक हैं ।
ऄब्दुल कलाम महान गुण़ों की खान हैं ।
िे बच्ि़ों के मप्रय हैं और बच्िे ईन्हें। सच्िे ऄथों में ऄब्दुल कलाम परू ी दुमनया के
अदशज हैं ।
ईनकी नेतत्ृ ि क्षमता बेममसाल है ।
ईनके नेतत्ृ ि में ‘ऄमग्न', 'पथ्ृ िी', 'अकाश', 'मत्रशल ू ', 'नाग' अमद भारतीय
ममसाआल़ों का मनमाज ण हु अ ।
ईन्ह़ोंने दुमनया के मानमित्र में भारत को जो स्थान मदलाया है, ईसके मलए
भारतिासी ईनके ऊणी है ।
भारतिासी कलाम जी को ऄपना अदशज मानते हैं ।
िे भारत के 'ममजाआल मैन' के रूप में माने जाते हैं ।
ईन्ह़ोंने भारत की रक्षाशमि बढाइ ।
ईनका परू ा नाम ऄबुल फ़कीर जैनुलाबुद्दीन ऄब्दुल कलाम है ।
ईन्हें देश भारत रत्न मदया गया ।
ईनका बिपन तममलनाडु के रामेश्वरम की गमलय़ों में समािार पत्र
बेिते हु ए बीता। ईनका पररिार बहु त मनधज न था ।
मशक्षा के मलए ईन्ह़ोंने बहु त संघर्ज मकया ।
यह बालक एक मदन सुप्रमसद्ध िैज्ञामनक तथा भारत का राष्ट्रपमत बनेगा, ऐसा
मकसी ने सपने में भी नहीं सोिा था ।
मकंतु ईस ग़रीब बालक ने ऄपनी प्रमतभा, पररश्रम और लगन से यह मसद्ध कर
मदखाया मक मनुष्ट्य के मलए मिश्व में कुछ भी ऄसंभि नहीं है ।
मन में ऄगर िाह हो तो ईसे राह ऄपने अप ममल जाती है ।
यही कारण है मक ईनका जीिन हम सबके मलए अज भी अदशज बना हु अ है ।
* टेसी थॉमस का जन्म केरल मस्थत ऄलपुझा में हु अ ।
* ईनकी मशक्षादीक्षा भी यहीं हु इ।
* ईनको बिपन से ही कुछ ऄलग करने की िाह थी ।
* िे ऄंतररक्ष के सपने देखती थीं ।
* आसमलए गमणत और मिज्ञान को ईन्ह़ोंने ऄपने तनमन में बसा मलया ।
* आसमें ईनके ऄध्यापक़ों का बहु त बड़ा योगदान रहा ।
* टेसी जी ने झपनी मेहनत, लगन और दृढमनश्चय से परु ु र् ििज स्ि िाले रक्षा ऄनस ु ंधान और
मिकास संगठन (डीअरडी.ओ.) में, सन् 1985 में एक युग - िैज्ञामनक्के रूप में िुनी गइ ।
* देश भर के दस युिा - िैज्ञामनक़ों में एक थी । प्रमुख िैज्ञामनक एिं ममसाआल मैन ए.पी.जे.
ऄब्दुल कलाम ऄसामान्य नेतत्ृ ि में टेसी जी काम कर िुकी है ।
* ऄमग्न-५ कायज क्रम की मनदेमशका बनी ।
* ईन्ह़ोंने देश के मकसी मक्षपणी पररयोजना ममसाआल प्रोजेक्ट की पहली ममहला प्रमुख बनने
का गौरि प्राप्त मकया ।
* ईनको भारत की प्रथम ममज़ाआलिुमनऔर ‘ऄमग्नपुत्री' कहते हैं ।
* ऐसे कहने पर ईनको बेहद खुशी होती है ।
* िे एपी.जे ऄब्दुल कलाम को ऄपना अदशज मानती हैं और ऐसे मानने में गिज भी करती हैं ।
* िे गिज के साथ कहती हैं मक कलाम जी मेरे गरु ु हैं। ईन्ह़ोंने मुझे प्रेरणा के ‘ऄमग्न पंख मदए
हैं ।
* ऄमग्न ममसाआल के ऄमभयान से जुड़कर जो अनंद प्राप्त हु अ है, िे सदा याद रहेंगे ।
* िे बच्ि़ों को सुझाि देती हैं मक बच्िे जो भी पढे ध्यान से पढे मेहनत करें और लक्ष्य
प्राप्तकरने तक रूके नहीं ।
* जो ईन्हें पसंद हैं ईनमें ऄपना जी-जान लगािें ।
* कमर कस कर तैयारी करें ।
* सफलता ऄिश्य ईनके कदम िम ू ेगी ।
* िे भारतीय संस्कृमत और सादगी की प्रमत ममू तज हैं ।
* बच्ि़ों को, खासकर लड़मकय़ों को ईस महान ममहला को अदशज बनाना िामहए ।

SHAIK MOHAMMAD SHAREEF MUNICIPAL CORPORATION HIGH SCHOOL GREAMSPET CHITTOOR 7013163126,7382707635

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