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31 दिसंबर, 2023 तथा 1 और 2 जनवरी, 2024

मनरेगा के तहत मजदूरी का भुगतान अब केवल आधार आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) के माध्यम से ही किया जाएगा

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) एक वित्तीय वर््ष मेें उस ग्रामीण परिवार को 100 दिनों के मजदू री आधारित रोजगार की कानूनी गारंटी देती है, जिसका वयस्क सदस्य
स्वेच्छा से अकु शल शारीरिक श्रम करने का इच्छु क होता है।
2017 से मनरेगा के तहत APBS का उपयोग किया जा रहा है। 1 जनवरी, 2024 से मनरेगा मेें APBS के उपयोग को अनिवार््य कर दिया गया है।
यदि किसी ग्राम पं चायत ने कोई तकनीकी समस्या या आधार से सं बं धित परेशानी व्यक्त की है, तो सरकार मामलों के आधार पर छू ट पर विचार कर सकती है।
APBS की कार््य प्रणाली
APBS, श्रमिक की 12 अंकों की विशिष्ट आधार सं ख्या का उसके वित्तीय पते (बैैंक खाते का पता लगाना) के रूप मेें उपयोग करती है।
APBS के तहत भुगतान के लिए,
केें द्र और राज््योों द्वारा सं चालित 1100 से अधिक सरकारी योजनाओं
♦ एक श्रमिक की आधार सं बं धी जानकारी उसके जॉब कार््ड से जुड़ी होनी चाहिए;
एवं कार््यक्रमों को आधार का उपयोगकरने के लिए अधिसूचित किया
♦ उसका आधार विवरण उसके बैैंक खाते से जुड़़ा होना चाहिए;
गया है। उनमेें से कु छ निम्नलिखित हैैं:
♦ श्रमिक के आधार को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NCPI) के डेटाबेस के साथ मैप किया जाना चाहिए।
इस निर््णय का महत्त्व प्रधान मं त्री उज्ज्वला योजना;
फर्जी लाभार्थियों को बाहर कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके गा। प्रधान मं त्री आवास योजना;
इससे श्रमिकों को शीघ्र भुगतान सुनिश्चित हो सके गा। प्रधान मं त्री फसल बीमा योजना;
लाभार्थियों के बैैंक खाते मेें परिवर््तन के कारण उनकी मजदू री नहीं रुके गी। अटल पेेंशन योजना आदि।
मनरेगा को और दक्ष बनाने के लिए किए गए अन्य परिवर््तन
मनरेगा श्रमिकों की वास्तविक उपस्थिति दर््ज करने के लिए नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (NMMS) ऐप लॉन्च किया गया है।
एक ऑनलाइन एप्लीकेशन सेक्योर (SECURE) लॉन्च की गई है। इसे विशेष रूप से मनरेगा कार्ययों का अनुमान तैयार करने तथा अनुमोदन हेतु डिज़़ाइन किया गया है।
मनरेगा के तहत पूरे किए जा चुके सभी कार्ययों की जियो-टैगिगं के लिए जियो-मनरेगा शुरू किया गया है। जियो-मनरेगा एक सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन है। इसमेें अंतरिक्ष आधारित तकनीक का उपयोग किया
जाता है।
मनरेगा श्रमिकों के कौशल-आधार को बेहतर बनाने के लिए प्रोजेक्ट “उन्नति (UNNATI)” शुरू किया गया है। इसके अलावा, मनरेगा को और अधिक दक्ष बनाने के लिए अन्य महत्वपूर््ण परिवर््तन भी
किए गए हैैं।

इसरो ने “एक्स-रे पोलेरीमीटर सैटेलाइट (XPoSat)” और 10 अन्य पेलोड््स को सफलतापूर््वक लॉन्च किया
XPoSat के सफल प्रक्षेपण के साथ ही, भारत विश्व मेें अमेरिका के बाद दू सरा ऐसा देश बन गया है, जिसने ब्लैक होल, न्यूट््ररॉन तारे जैसे खगोलीय पिडं ों का अध्ययन करने के लिए ऑब्जर्वेट्री्र को
अंतरिक्ष मेें भेजा है।
XPoSat मिशन के बारे मेें
यह इसरो द्वारा डिजाइन किया गया पहला ऐसा वैज्ञानिक उपग्रह है, जो अंतरिक्ष मेें प्रबल एक्स-रे स्रोतों के पोलराइजेशन का अध्ययन करेगा।
♦ पोलराइजेशन तरंगों की एक विशेषता होती है। इसमेें एक्स-रे जैसी विद्त यु चुम्बकीय तरंगेें भी शामिल होती हैैं। पोलराइजेशन के तहत तरंग के दोलनों के एक निश्चित दिशा मेें उन्मुख होने
(orientation) का वर््णन किया जाता है।
♦ एक्स-रे के मामले मेें जिस भी माध्यम से एक्स-रे गुजरती है, पोलराइजेशन उस स्रोत एवं उस परिवेश
के गुणों के बारे मेें बहुमूल्य जानकारी प्रदान कर सकता है।
XPoSat की कक्षा के बारे मेें: यह ऑब्जर्वेटरी पृथ्वी से लगभग 650 किमी. की ऊंचाई पर स्थापित होगी।
यह 6 डिग्री के न्यूनतम झक ु ाव के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा मेें अध्ययन करेगी।
XPoSat के पेलोड्स: इसके दो पेलोड्स हैैं-
♦ POLIX (पोलेरीमीटर इं स्टमे ्रू ेंटस् इन एक्स-रे) और
♦ XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी एं ड टाइमिग ं )।
मिशन की उपयोग अवधि: इस मिशन के लगभग 5 वर्षषों तक सं चालित रहने की उम्मीद है।
XPoSat मिशन के दौरान, 10 अन्य पेलोड्स के उद्देश््योों को पूरा करने के लिए PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेेंटल
मॉड्यूल-3 (POEM-3) प्रयोग भी किया गया।

इसरो के PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेेंटल मॉड्यूल-3 (POEM-3) प्रयोग के बारे मेें


PSLV चार चरणों वाला रॉके ट है। इसके पहले तीन चरण उपयोग होने के बाद वापस समुद्र मेें गिर जाते हैैं, जबकि अंतिम चरण (PS4) उपग्रह को कक्षा मेें स्थापित करने के बाद आमतौर पर अंतरिक्ष
कचरे (Space junk) मेें बदल जाता है।
POEM प्लेटफॉर््म की मदद से वैज्ञानिक कक्षा मेें ही वैज्ञानिक प्रयोग कर सकेें गे। इसमेें PS4 को प्रयोग हेतु स्थिर प्लेटफॉर््म (Stabilised Platform) के रूप मेें उपयोग किया जाएगा। वास्तव मेें, PS4
को एक वहनीय व बिना मानव वाला भारतीय स्पेस स्टेशन कहा जा सकता है।
यह तीसरी बार है, जब इसरो ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का प्रदर््शन करने के लिए POEM प्लेटफॉर््म का उपयोग किया है।

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भारत सरकार ने सोलहवेें वित्त आयोग का गठन किया
सोलहवेें वित्त आयोग का गठन राष्टट्रपति की मं जूरी से सं विधान के अनुच्छेद 280(1) के तहत किया गया है।
सरकार ने नीति आयोग के पूर््व उपाध्यक्ष अरविदं पनगढ़़िया को 16वेें वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। आयोग के अन्य सदस््योों के नामों को अलग से अधिसूचित किया जाएगा।
वित्त आयोग के कार्ययों मेें शामिल हैैं-
केें द्र सरकार की कराधान शक्तियों तथा राज््योों के व्यय सं बं धी उत्तरदायित््वोों के बीच व्याप्त ऊर्ध्वाधर 15वेें वित्त आयोग का गठन एन.के . सिहं की अध्यक्षता मेें 2017 मेें किया गया था।
असं तुलन को समाप्त करना; आयोग ने 2020-21 और 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए सिफारिशेें की थीं।
केें द्र सरकार की ओर से सभी राज््योों के लिए वित्त अंतरण मेें समानता लाना, ताकि सभी राज्य इसकी सिफारिशों मेें निम्नलिखित शामिल हैैं:
सार््वजनिक सेवाओं का एक मानक सेट प्रदान कर सकेें । ऊर्ध्वाधर अंतरण के लिए, केें द्रीय करों मेें राज््योों की हिस्सेदारी 41% होनी चाहिए।
आयोग निम्नलिखित पर सिफारिशेें करेगा क्षैतिज अंतरण के मानदंडों मेें आय का अंतर, क्षेत्रफल, जनसं ख्या (2011),
करों से हुई निवल आय का सं घ और राज््योों के बीच वितरण तथा ऐसी आय का राज््योों के बीच जनसांख्यिकीय सं के तकों मेें प्रदर््शन, वन और पारिस्थितिकी तथा कर व राजकोषीय
आवं टन। सुधार शामिल हैैं।
सं विधान के अनुच्छेद 275 के तहत राज्य के सहायता अनुदान और राजस्व को नियं त्रित करने के इसने 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को कम करके सकल घरेलू उत्पाद के 4% तक
सिद््धाांत। सीमित रखने का सुझाव दिया था।
राज्य वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर पं चायतों और नगरपालिकाओं के सं साधनों की पूर्ति
के लिए राज्य की सं चित निधि को बढ़़ाने हेतु आवश्यक उपाय।
आयोग आपदा प्रबं धन अधिनियम, 2005 के तहत गठित निधियों के सं दर््भ मेें आपदा प्रबं धन पहलों के वित्त-पोषण की मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है।
सरकार द्वारा स्वीकृति के बाद 16वेें वित्त आयोग की सिफारिशेें 1 अप्रैल, 2026 से पांच साल की अवधि के लिए लागू रहेेंगी।

ब्रिक्स की सदस्यता का विस्तार करते हुए केेंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता मेें आयोजित एक बैठक मेें सार््वजनिक
पांच नए देश इसमेें शामिल किए गए क्षेत्र के बैैंकोों (PSBs) के वित्तीय प्रदर््शन की समीक्षा की गई
ब्रिक्स (BRICS) ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक वित्त मं त्री ने PSBs से धोखाधड़़ी को रोकने से जुड़े उपायों और विलफु ल डिफॉल््ट््स के मामलों पर ध्यान केें द्रित करने
अनौपचारिक समूह है। का निर्देश दिया।
नए सदस््योों के रूप मेें मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और सं युक्त वित्त मं त्री ने धोखाधड़़ी रोकने हेतु निम्नलिखित उपाय करने का सुझाव दिया है:
अरब अमीरात शामिल किए गए हैैं। फर्जी फोन कॉल की धोखाधड़ी से बचने के लिए उपभोक्ताओं को शिक्षित करना।
फ्रॉड बैैंक खातों की समय रहते पहचान करना और उनकी जांच करना।
अर्जजेंटीना ब्रिक्स मेें शामिल होने के अपने निर््णय से पीछे हट गया है।
फ्रॉड घोषित किए जा चुके खाता-धारकों से ऋण की वसूली के लिए अधिक-से-अधिक प्रयास करना।
इससे पहले ब्रिक्स का अंतिम विस्तार 2010 मेें हुआ था, जब दक्षिण अफ्रीका सं भावित फ्रॉड खाता-धारकों की पहचान के लिए प्रारंभिक चेतावनी सं के तों पर नजर रखना।
इस समूह मेें शामिल हुआ था। विलफु ल डिफॉल्टर यानी जानबूझकर ऋण की किस्ततें नहीं चुकाने वालों के बारे मेें वित्त मं त्री ने क्या कहा?
विस्तार का महत्त्व PSBs का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों के प्रदर््शन की समीक्षा की जानी चाहिए। इससे विलफु ल डिफॉल्टर््स
के खिलाफ प्रभावी कानूनी कार््रवाई सुनिश्चित की जा सकती है।
इससे बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का विकास होगा और पश्चिमी देशों द्वारा
ऋण देने के मामले मेें जवाबदेही वाली पद्धतियों को अपनाना चाहिए।
स्थापित एक-ध्रुवीयता को चुनौती मिलेगी।
ऋण देने से पहले समुचित छानबीन करनी चाहिए, अधिक राशि वाले ऋण खातों की नियमित निगरानी करनी
विकासशील देशों के बीच दक्षिण-दक्षिण सहयोग मेें बढ़ोतरी होगी। चाहिए तथा डिफॉल्ट के मामले मेें त्वरित और सं पूर््ण कानूनी कार््रवाई करनी चाहिए।
♦ इससे भारत के ग्लोबल साउथ का एक महत्वपूर््ण लीडर होने के बैैंकों मेें धोखाधड़़ी और विलफु ल डिफॉल््ट््स की घटनाओं को रोकने के लिए किए गए उपाय:
दावे को मजबूती मिलेगी। “बड़ी राशि वाले बैैंक धोखाधड़़ी के मामलों की समय पर पहचान, रिपोर्टटिंग और जांच के लिए फ्रे मवर््क ” को
वैश्विक सं स्थानों के पुनर््गठन के लिए सामूहिक आवाज उठाने मेें मदद अपनाया गया है। इसका उद्देश्य सार््वजनिक क्षेत्र के बैैंकों की गैर-निष्पादित परिसं पत्तियों (NPAs) पर गहन
मिलेगी। नजर रखना है।
भारतीय रिज़र््व बैैंक (RBI) ने सेेंट््रल फ्रॉड रजिस्ट्री तैयार की है। यह बैैंकों से धोखाधड़ी करने वालों का पता
तेल उत्पादक देशों को शामिल करने से विश्व मेें तेल उत्पादन मेें ब्रिक्स की
लगाने हेतु ऑनलाइन केें द्रीय डेटाबेस है।
हिस्सेदारी बढ़ेगी। आर्थिक अपराध के भगोड़ों से निपटने के लिए भगोड़़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (Fugitive
ब्रिक्स के समक्ष चुनौतियां Economic Offenders Act, 2018) लागू किया गया है।
सदस्य देशों के बीच वैश्विक दृष्टिकोण के सं बं ध मेें मतभेद है। उदाहरण ऑडिटिंग मानकों को लागू करने के लिए राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टटिंग प्राधिकरण की स्थापना की गई है।
के लिए- भारत ब्रिक्स को गैर-पश्चिमी समूह के रूप मेें देखता है, जबकि RBI के निर्देशों के अनुसार, विलफु ल डिफॉल्टर््स की तस्वीरेें जारी की जा सकती हैैं।
चीन इसे पश्चिम-विरोधी समूह मानता है। विलफु ल डिफॉल्ट मेें आम तौर पर निम्नलिखित मामले आते हैैं:
ब्रिक्स के सदस्य देशों पर लगाए गए अलग-अलग आर्थिक और पर््ययाप्त नकदी (कै श) होने के बावजूद भी जानबूझकर ऋण की किस््तोों या ब्याज का भुगतान न करना।
राजनीतिक प्रतिबं ध आर्थिक बाधा पैदा कर सकते हैैं।
लिए गए ऋण को किसी और उद्देश्य मेें लगाकर डिफॉल्ट करने वाली सं स्था की वित्तीय स्थिति को खराब करना।
सदस्य देशों के बीच आंतरिक विश्वास की कमी है। इसके अतिरिक्त,
ऋण लेने वालों द्वारा धोखाधड़़ीपूर््ण लेन-देन करना।
विस्तार से सं बं धित मानकों, मानदंडों और प्रक्रियाओं के बारे मेें सामान्य
समझ का अभाव है। जिन परिसं पत्तियों के लिए ऋण दिए गए हैैं, उन्हहें नहीं खरीदा गया हो या उन्हहें बेच दिया गया हो और उससे प्राप्त
राशि का दुरुपयोग किया गया हो;
IBSA/ इब्सा (भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका) जैसे समूह के
ऋण के उपयोग सं बं धी रिकॉर््ड को गलत रूप मेें प्रस्तुत करना या रिकार््डड््स के बारे मेें झठू बोलना।
सदस्य भी ब्रिक्स के सदस्य हैैं। इससे इन समूहों के उद्देश्य और हित
आपस मेें टकराते हैैं। बैैंक की जानकारी के बिना प्रतिभूतियों की बिक्री करना।

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जापान के मध्य क्षेत्र मेें रिक्टर स्केल पर 7.6 तीव्रता का भूकंप आने के बाद सुनामी की चेतावनी जारी की गई
सुनामी के बारे मेें
दरअसल, सुनामी एक जापानी शब्द है, जो “सु” और “नामी” से मिलकर बना है। सू का अर््थ है “बं दरगाह” और नामी का अर््थ है लहरेें। इस तरह सुनामी का अर््थ “बं दरगाह या समुद्री लहरेें” (Harbour
wave) होता है।
♦ सुनामी को अक्सर ज्वारीय तरंग समझ लिया जाता है, जबकि ऐसा नहीं है। वास्तव मेें सुनामी का दैनिक समुद्री ज्वार-भाटे से कोई सं बं ध नहीं है।
सुनामी जल के भीतर की हलचल से उत्पन्न होने वाली विशालकाय लहरों की एक श््रृृंखला है। यह परिघटना आमतौर पर महासागर के नितल से या महासागर के निकट आने वाले भूकंपों से घटित होती है।
♦ ज्वालामुखी उद्गार, जल के भीतर भूस्खलन एवं तटीय चट्टानों के गिरने से भी सुनामी उत्पन्न हो सकती है। इनके अलावा, महासागर मेें किसी बड़े क्षुद्रग्रह के गिरने से भी सुनामी उत्पन्न हो सकती है।
इनकी समुद्र नितल की ऊर्ध्वाधर गति (Vertical movement) से उत्पत्ति
होती है। इसके परिणामस्वरूप, बड़ी मात्रा मेें समुद्री जल का विस्थापन होता है।
भूकंप के कारण उत्पन्न सुनामी
अधिकांश प्रबल भूकंप सबडक्शन जोन मेें आते हैैं। इस जोन मेें एक महासागरीय
प्लेट किसी महाद्वीपीय प्लेट के नीचे या अन्य युवा महासागरीय प्लेट के नीचे
खिसक जाती है।
उल्लेखनीय है कि सभी भूकंप सुनामी उत्पन्न नहीं करते हैैं। भूकंप के कारण सुनामी
आने के लिए कु छ आवश्यक कारक निम्नलिखित हैैं, जैसे:
♦ भूकंप प्रबल होना चाहिए, यानी रिक्टर पैमाने पर कम-से-कम 6.5 तीव्रता
वाला भूकंप होना चाहिए।
♦ भूकंप का अधिकेें द्र बहुत अधिक गहराई पर नहीं होना चाहिए, अर््थथात् पृथ्वी
की सतह से 70 कि.मी. के अन्दर ही भूकंप का अधिकेें द्र होना चाहिए।
भारत मेें सुनामी जोखिम प्रबं धन
हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केें द्र (INCOIS) ने सुनामी के जोखिम को कम करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित की है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबं धन प्राधिकरण (NDMA) ने सुनामी जोखिम प्रबं धन दिशा-निर्देश जारी किए हैैं।

अन्य सुर््खखि़यां

भारत और पाकिस्तान ने परमाणु प्रतिष्ठानोों की सूची का


नए पैकेजिंग नियम
आदान-प्रदान किया
1988 मेें भारत और पाकिस्तान ने परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं पर हमले के निषेध पर एक उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार््वजनिक वितरण मं त्रालय ने सभी पैकेज्ड वस्तुओं पर उनके
समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हाल ही मेें, इस समझौते के तहत परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का ‘निर््ममाण की तारीख’ और ‘यूनिट बिक्री मूल्य’ को मुद्रित करना अनिवार््य कर दिया है। ये
आदान-प्रदान किया गया है। नियम 1 जनवरी, 2024 से लागू हो गए हैैं।
यह समझौता 1991 मेें लागू हुआ था।
उदाहरण के लिए, 2.5 किलोग्राम के गेहूूं के आटे के पैकेट पर अब अधिकतम खुदरा
इस समझौते मेें यह प्रावधान किया गया है कि- दोनों देश प्रत्येक कै लेेंडर वर््ष मेें 1 जनवरी को इस मूल्य (MRP) के साथ-साथ प्रति किलोग्राम यूनिट बिक्री मूल्य भी अंकित होगा।
समझौते के तहत शामिल किए जाने वाले परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के बारे मेें एक-दू सरे
को जानकारी प्रदान करेेंगे। इससे पहले, कं पनियों के लिए पैकेज्ड वस्तुओं पर ‘निर््ममाण की तारीख’ या ‘आयात की तारीख’
या ‘पैकेजिगं की तारीख’ मुद्रित करने का विकल्प उपलब्ध था।
इस वर््ष ऐसी 33वीं सूची का आदान-प्रदान किया गया है। पहली बार 1 जनवरी, 1992 को इस
तरह की सूची का आदान-प्रदान किया गया था। तब से निरंतर इस सूची का आदान-प्रदान किया
जाता रहा है।
तिब्बती थंगका पेेंटिंग्स
पश्चिम बंगाल ने राज्य दिवस और राज्य गीत अधिसूचित किए
यह चित्रकला ‘राहुल सं कलन’ का हिस्सा है। यह सं कलन प्रसिद्ध विद्वान राहुल सांकृत्यायन ने
पश्चिम बं गाल सरकार ने पोइला बोइसाख (पहला वैशाख) को राज्य दिवस और बांग्लार माटी पटना सं ग्रहालय को अस्थायी उपहार के रूप मेें भेेंट किया था।
बांग्लार जोल (जल) को राज्य गीत के रूप मेें अधिसूचित किया है। थं गका पेेंटिंग्स एक प्राचीन तिब्बती बौद्ध कला है। इस शैली मेें बौद्ध धर््म के उपास््योों (जैसे-
पोइला बोइसाख बं गाली कै लेेंडर वर््ष के वैशाख माह का पहला दिन है। इसे बांग्ला दिवस का नाम बोधिसत्व) का चित्रण किया गया है।
दिया गया है। ं का ज्ञान प्राप्ति के साधन, मृत्यु से सं बं धित अनुष्ठान, ध्यान, बौद्ध धार्मिक समारोह
थं गका पेेंटिग्स
पोइला बोइसाख पश्चिम बं गाल, त्रिपुरा, झारखं ड और असम मेें बं गाली समुदायों द्वारा मनाया आदि मेें उपयोग किया जाता है।
जाने वाला एक महत्वपूर््ण त्यौहार है। ऐसा माना जाता है कि यह कला लगभग 1000 साल पहले तिब्बत मेें विकसित हुई थी। इसका
2023 मेें यह 15 अप्रैल को मनाया गया था। विकास भारतीय, नेपाली और चीनी परंपराओं के सं गम के परिणामस्वरूप हुआ था।
बांग्लार माटी बांग्लार जोल गीत रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा था।

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रिवर््स फ्लिप दिव््याांगजनोों (PwDs) के लिए रेलवे को सुगम्य बनाना

कई स्टार््ट-अप्स रिवर््स फ़़्ललिपिगं की प्रक्रिया अपना रहे हैैं। फ़़्ललिपिगं की विपरीत स्थिति को रिवर््स सरकार ने दिव््याांगजनों के लिए रेलवे को अधिक यूजर-फ्ररेंडली बनाने के लिए ड््रराफ्ट दिशा-निर्देश
फ़़्ललिपिगं कहा जाता है। जारी किए हैैं। ये दिशा-निर्देश “सुगम्य भारत अभियान” के तहत जारी किए गए हैैं।
फ़़्ललिपिगं : फ़़्ललिपिगं एक भारतीय कं पनी (या स्टार््ट-अप) के सं पूर््ण स्वामित्व को एक विदेशी ये दिशा-निर्देश दिव््याांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुरूप हैैं।
कं पनी को हस््ताांतरित करने की प्रक्रिया है।
ड््रराफ्ट दिशा-निर्देशों मेें दिए गए मुख्य सुझाव:
रिवर््स फ़़्ललिपिगं : यह उन कं पनियों ((या स्टार््ट-अप्स) के स्वामित्व को वापस भारत मेें
स्थानांतरित करने की प्रक्रिया है, जिन््होोंने पूर््व मेें फ़़्ललिपिगं प्रक्रिया अपनाई थी। ये फिर से रेलवे की वेबसाइट के उपयोग को सुगम बनाने के लिए टेक्स्ट-टू -स्पीच और यूजर-फ्ररेंडली
भारतीय स्टॉक एक्सचेेंज मेें सूचीबद्ध हो जाती हैैं। चित्र-लेखों (पिक्टोग्राम) का उपयोग किया जाना चाहिए।
रिवर््स फ़़्ललिपिगं के कारण: टिकट काउं टर की ऊंचाई कम रखी जानी चाहिए, काउं टर तक पहुुंचने के लिए साइनेज बनाए
भारत की विशाल और बढ़ती अर््थव्यवस्था का लाभ उठाना; जाने चाहिए तथा सुगम्य सहायता बूथों की स्थापना करनी चाहिए। इन बूथों पर “दिव््याांगजन
सहायकों” को तैनात करना चाहिए।
उद्यम पूंजी (Venture capital) के गहन पूल तक पहुुंच प्राप्त करना आदि।
एक समर्पित मोबाइल ऐप और वन-क्लिक टेम्पलेट विकसित किए जाने चाहिए, ताकि एक
आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 मेें रिवर््स फ़़्ललिपिगं की अवधारणा का उल्लेख किया गया था। इसके
तहत इस प्रक्रिया मेें तेजी लाने के तरीके प्रस्तुत किए थे। इन तरीकों मेें शामिल हैैं- कॉर्पोर�ेट कानूनों क्लिक करने पर सारी जानकारी उपलब्ध हो जाए।
और पूंजी के प्रवाह को सरल बनाना, कराधान का सरलीकरण करना आदि।
स्वास्थ्य कर (Health tax)
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
लोक स्वास्थ्य से जुड़े शोधकर््तताओं ने कु छ वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) के अलावा
1 जनवरी को DRDO का 66वां स्थापना दिवस मनाया गया। 20% से 30% तक स्वास्थ्य कर लगाने की सिफारिश की है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास सं गठन (DRDO) वर््तमान मेें, चीनी पर 18% GST लगता है, जबकि चीनी की मिठास वाले पेय पदार्थथों पर
मुख्यालय: नई दिल्ली। 28% GST और 12% अतिरिक्त उपकर लगता है।
उत्पत्ति: यह रक्षा मं त्रालय का अनुसंधान एवं विकास सं गठन है। इसका गठन 1958 मेें स्वास्थ्य कर लगाने की आवश्यकता क््योों है?
किया गया था। भारत दुनिया मेें चीनी का सबसे बड़़ा उपभोक्ता है।
विज़न: अत्याधनु िक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ भारत को सशक्त बनाना। एक औसत भारतीय प्रति वर््ष WHO द्वारा अनुशंसित फ्री शुगर के उपभोग की अधिकतम
मिशन: महत्वपूर््ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों मेें आत्मनिर््भरता हासिल करना। स्वीकार््य मात्रा से पांच गुना अधिक का सेवन करता है।
DRDO ने स्वदेशी रूप से निम्नलिखित का विकास किया है- ♦ फ्री शुगर मिठाई, के क, बिस्कु ट, चॉकलेट और कु छ गैस मिश्रित पेय व जूस आदि
♦ अग्नि और पृथ्वी श््रृृंखला की मिसाइलेें; मेें पाई जाती है।
♦ मल्टी-बैरल रॉके ट लॉन्चर पिनाका; स्वास्थ्य कर लगाने का प्रभाव: इससे मोटापा, दांतों की सड़न, टाइप 2 मधुमेह के खतरे, हृदय
♦ वायु रक्षा प्रणाली आकाश आदि। रोग और कु छ प्रकार के कैैं सर को रोकने मेें मदद मिलेगी।

सुर््ख़ख़ियोों मेें रहे व्यक्तित्व विक्रम साराभाई (1919-1971)

उनका जन्म अहमदाबाद मेें हुआ था।


वे भारतीय अंतरिक्ष कार््यक्रम के जनक माने जाते हैैं।
योगदान:
उनकी अध्यक्षता मेें भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना की गई थी। इस सं स्थान को ही
बाद मेें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सं गठन (इसरो/ ISRO) नाम दिया गया।
उनके द्वारा स्थापित कु छ सं स्थाएं :
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद;
भारतीय प्रबं धन सं स्थान, अहमदाबाद; तथा
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केें द्र, तिरुवनं तपुरम।
पुरस्कार और सम्मान: 1974 मेें, अंतर््रराष्ट्रीय खगोलीय सं घ ने सी ऑफ सेरेनिटी मेें स्थित एक मून क्रे टर बेसेल (BESSEL) का नाम
बदलकर साराभाई क्रे टर कर दिया था।
उन्हहें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म विभूषण आदि पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।
मूल्य: वैज्ञानिक स्वभाव, दू रदर्शी, समाज सेवा आदि।

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