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शिव तांडव .
शिव तांडव .
मुझे भगवान विव में अन खा सुख वमले, ज सारे जीवन के रक्षक हैं ,
उनके रें गते हुए साों प का फन लाल-भूरा है और मवण िमक रही है ,
ये वदिाओों की दे ववय ों के सुोंदर िेहर ों पर वववभन्न रों ग वबखेर रहा है ,
ज वविाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दु िाले से ढों का है ।
मैं भगवान विव की प्राथधना करता हों , वजनका कोंठ मोंवदर ों की िमक से बोंधा है ,
पूरे द्धखले नीले कमल के फूल ों की गररमा से लटकता हुआ,
ज ब्रह्माण्ड की कावलमा सा वदखता है ।
ज कामदे व क मारने वाले हैं , वजन् न
ों े वत्रपुर का अोंत वकया,
वजन् न
ों े साों साररक जीवन के बोंधन ों क नि वकया, वजन् न
ों े बवल का अोंत वकया,
वजन् न
ों े अोंधक दै त्य का ववनाि वकया, ज हावथय ों क मारने वाले हैं ,
और वजन् न
ों े मृत्यु के दे वता यम क परावजत वकया।
मैं भगवान विव की प्राथधना करता हों , वजनके िार ों ओर मधुमद्धियाों उड़ती रहती हैं
िुभ कदों ब के फूल ों के सुोंदर गुच्छे से आने वाली िहद की मधुर सुगोंध के कारण,
ज कामदे व क मारने वाले हैं , वजन् न
ों े वत्रपुर का अोंत वकया,
वजन् न
ों े साों साररक जीवन के बोंधन ों क नि वकया, वजन् न
ों े बवल का अोंत वकया,
वजन् न
ों े अोंधक दै त्य का ववनाि वकया, ज हावथय ों क मारने वाले हैं ,
और वजन् न
ों े मृत्यु के दे वता यम क परावजत वकया।
मैं कब प्रसन्न ह सकता हों , अलौवकक नदी गोंगा के वनकट गुफा में रहते हुए,
अपने हाथ ों क हर समय बाों धकर अपने वसर पर रखे हुए,
अपने दू वषत वविार ों क ध कर दू र करके, विव मोंत्र क ब लते हुए,
महान मस्तक और जीवोंत नेत्र ों वाले भगवान क समवपधत?