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मैडम को कार चलाना सखाया

लेखक:- अ जान
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यह उस समय क घटना है जब म १२व लास म था। मेरी इं लश काफ़ कमज़ोर थी। मने लश पर यादा यान
दे ने क सोची। म अपनी गम क छु याँ ारंभ होने के ठ क एक दन पहले अपनी लश मैडम से मला।

उनका नाम नसीफा था। वोह एक पठानी औरत थ । उनक उ ३२ - ३३ साल के करीब होगी। पठानी औरत क
तरह वोह भी गोरे बदन क काफ भरी-भरी औरत थ । ऊँचाई लगभग ५’२” होगी पर उनक ऊँची एड़ी के सडल के
कारण हमेशा ५’६ - ५’७ क लगती थ । पतली कमर, ३६ के साईज़ क म त चूचीयाँ और ३८ क म त डोलती भारी
गाँड।

“गुड आफ़टरनून मैडम!”

“गुड आफ़टरनून सु मत!”

“मैडम, आई नीड सम गाईडस!”

“कहो म तु हारी या मदद कर सकती ँ।”

“मैडम आपको तो पता है क मेरे लश म अ े मा स नह आये।”

“हाँ मुझे पता है। तभी तो म कहती ँ क तु ह कड़ी मेहनत कारने क दरकार है।”

“हाँ मैडम। म नह चाहता क बोड प र ा म भी मेरे ऐसे ही मा स आय।”

”तो आ खर तुम अंत म सही लाइन पर आ ही गये।”


“हाँ मैडम। मुझे पता है क मुझे कड़ी मेहनत क दरकार है और म कु छ भी करने को तैयार भी ।ँ ले कन मुझे नह
पता क कहाँ से शु क ँ … और मेरे बे स स भी ठ क नह ह। तो मैडम आप मुझे गाईड कर क म कहाँ से और
कै से शु क ँ ।”

“ठ क है सु मत। म तु हारी ट चर ँ और यह मेरा फ़ज़ बनता है क म तु ह सही दशा म गाईड क ँ । तुम एक काम


करो। तुम मेरा फोन न बर ले लो और एक ह ते बाद मुझे रग करो।”

“ओके ... थ स मैडम” फर मने मैडम का फोन न बर और ऐ स ले लया। एक ह ते बाद मने मैडम को फोन कया।

“हैलो, या नसीफा मैडम से बात कर सकता ?ँ ”

“बोल रही ँ”

“मैडम, म सु मत बोल रहा ँ... मैडम आपने कहा था क एक ह ते बाद फोन कर लेना”

“हाँ
याद है। फोन पर तो तु हारी ॉ लम ड कस कर पाना मु कल है.... तुम एक काम करो कल शाम ५ बजे मेरे घर
आ जाओ। तभी तु हारी ॉ लम ड कस कर लगे… ठ क है?”

“ओके मैडम... बाय।”

“बाय।”

फर अगले दन म शाम ५ बजे मैडम के घर गया। मने बेल बजायी और मैडम ने दरवाज़ा खोला।

“हैलो मैडम!”
“हैलो सु मत... आओ... अ दर आओ... बैठो। ए स ढूँ ढने म कोई द कत तो नह ई?”

“थोड़ी ब त परेशानी तो ई य क आपक कॉलोनी मेरे लये नई है।”

“चलो... धीरे-धीरे इस कॉलोनी म पुराने हो जाओगे। खैर... या लोगे, ट कॉफ या को क?”

“न थग मैडम। कु छ नह ।”

“शरमाओ मत.. तु ह कु छ ना कु छ तो लेना ही पड़ेगा।”

“ओके , कॉफ !”

“बस अभी लाती ँ!”

फर मैडम कॉफ ले आय

“यह लो सु मत, कॉफ लो!”

“थ स!”

“ब कु ट भी तो लो…”

“नह मैडम, इसक या ज़ रत है…!”

“सु मत! तुम ब त शाई लड़के हो... खैर हम या बात करनी है? ”
”मैडम आपको तो पता ही है क मेरे इं लश म कै से मा स आते ह।”

“ म.. मेरे खयाल से तु हारे ११व लास म ५० से यादा मा स नह आये।”

“येस मैडम.... और हाइए ट मा स ९५ तक आते ह... मैडम म चाहता ँ क मेरे भी ९०+ आय।”

“ब कु ल आ सकते ह। ले कन उसके लये तु ह काफ़ हाडवक करना पड़ेगा... या तुम करोगे?”

“येस मैडम, म हाडवक क ँ गा... पर मेरे बे स स ही लीयर नह ह और मेरी ामर ब त वीक है।”

“सु मत तु ह सबसे पहले अपने बे स स ही ग बनाने चा हए। जसके बे स स ग नह उसे कु छ भी नह आता।”

“मैडम तो बे स स ाँग कै से ह गे।”

“उ म... म तु ह बे स स ाँग करने म हे प क ँ गी।”

“येस मैडम... आप मुझे कु छ दन के लये को चग दे द जए।”

“तुम कल से सुबह मेरे पास आ जाया करो।”

“ओके मैडम।”

“कॉफ तो पयो... ठं डी हो रही है।”


“येस मैडम। मैडम आपक फै मली म कौन-कौन है?”

“म, मेरे हसबड और एक बेट और एक बेटा।”

“मैडम… कहाँ ह सब... कोई दख नह रहा।”

“ब े तो अपनी नानी के यहाँ छु याँ बताने गये ह। एकचुअली म भी वहाँ से कल ही आयी ँ पर ब े वह क


गये ह… और हसबड २ ह ते के लये आ फस के काम से आउट आफ टे शन गये ह।”

“ब े कब तक आयगे?”

“वो भी दो ह ते बाद आयगे... यही तो द कत है... अब मुझे माकट से कु छ भी लाना हो तो म नह ला सकती।”

“ य मैडम?”

“माकट यहाँ से काफ़ र है... र ॉ से जाने म ब त टाइम लगता है... और कू टर और कार मुझे चलानी नह
आती।”

“मैडम इस म ॉ लम या है…। आपको जब कु छ चा हए तो आप मुझे कह द जएगा।”

“नह ऐसी बात नह है... दै ट्स नाईस आफ़ यू.... सु मत तु हे कार चलानी आती है या?”

“येस मैडम।”

“तुममुझे कार चलाना सखा सकते हो... मेरे हसबड तो सारा दन बज़ी रहते ह... और आज कल तो हमारी कार
खाली ही खड़ी है... हसबड तो आ फस क कार ले गये ह”
“येस मैडम मॉय लेज़र। म आपको कार चलाना सखा ँ गा।”

“ कतना टाईम लगेगा कार सीखने म?”

“तकरीबन एक ह ता तो लगेगा ही।”

“तो ठ क है तुम मुझे कल से ही कार सखाना शु कर दो।”

“ओके मैडम... पर कस टाईम?”

“तुम१० बजे पढ़ने तो आओगे ही... तु ह पढ़ाने के बाद म तुमसे कार सीख लया क ँ गी... पर सु मत... कोई ब त
बड़ा ाऊँड है या... ए चुअली कोई मुझे सीखते दे खे तो मुझे शरम आयेगी... इस लए ऐसी जगह हो जो एक दम
खाली हो और जहाँ यादा लोग ना आते ह ।”

“येस मैडम... शहर से बाहर नकलते ही एक ाऊँड है जो एकदम खाली रहता है।”

“ठ क है... तो वह चलगे कल दोपहर म।”

“पर मैडम दोपहर म तो काफ़ गरमी होती है।”

“दोपहर म इस लए क उस व लोग बाहर नह नकलते और हमारी कार तो एयर कं डशंड है... म या क ँ लोग
मुझे कार सीखते दे ख तो मुझे शरम आती है... बॉय द वे... तु ह तो कोई ॉ लम नह है ना?”

“ब कु ल नह ... तो मैडम म कल आता ँ १० बजे।”

“ओके सु मत...बाय”
म अगले दन ठ क १० बजे मैडम के घर प ँच गया। मैडम उस दन काफ़ अ े से तैयार ई थ । उ ह ने ीन कलर
का सलवार-कमीज़ और ब त ही सुंदर लैक कलर के ४ इ च हाई हील के सडल पहने ए थे। मुझे तो मैडम सै सी
लगती ही थी। मैडम ने मुझे १० से १ बजे तक पढ़ाया। उसके बाद हम कार सीखने शहर से बाहर एक ाऊँड म गये।
आस-पास कोई भी नह था य क दोपहर का व था। ाऊँड म प च ँ कर मने मैडम को कार सखानी शु क ।

“मैडम... पहले तो म आपको गेयर डालना सखाता ँ।”

म कु छ दे र तक उनको गेयर, ए सलरेटर, लच, क


े वगैरह के बारे म बताता रहा।

“च लए मैडम... अब आप चलाइए।”

“मुझे डर लग रहा है!”

“कै सा डर?”

“कह मुझसे कं ोल नह ई तो?”

“उसके लये म साथ ँ ना”

फर मैडम ाइवर सीट पर बैठ गय और म ाइवर क साथ वाली सीट पे आ गया। फर मैडम ने कार चलानी शु
क ले कन मैडम ने एक दम से ही रेस दे द तो एक दम से कार ब त ीड म चल पड़ी। मैडम घबरा गय ।

मने कहा, “मैडम ए सलरेटर से पैर हटाइये!”

मैडम ने पैर हटा लया तो मने टय रग पकड़ कर कार कं ोल म करी।

“मने कहा था ना मुझ से नह चलेगी!”


“कोई बात नह मैडम... पहली बार ऐसा होता है।”

“नह ... म कार सीख ही नह सकती... मुझ से नह चलेगी”

“चलेगी... च लए अब टाट क जये और फर ाई क रये । पर इस बार ए सलरेटर आराम से छो ड़येगा।”

“नह मुझसे नह होगा!”

“मैडम… शु -शु म गल तयाँ होती ह... कोई बात नह !”

“नह मुझे डर लगता है!”

“अ ा... एक काम करते ह... म भी आपक सीट पर आ जाता …


ँ फर तो आपको डर नह लगेगा!”

“ले कन एक सीट पर हम दोन कै से आ सकते ह?”

“आप मेरी गोद म बैठ जाना… म टय रग कं ोल क ँ गा और आप गेयर कं ोल करना… मेरे डैडी ने भी मुझे ऐसे ही
ाइ वग सखायी थी।”

“ले कन कोई हम दे खेगा तो कै सा लगेगा?”

“मैडम इस व यहाँ कोई नह आयेगा... और वैसे भी आपक कार म यह शीश पर फ़ म लगी है जससे अंदर का
कु छ भी बाहर से दखाई नह दे ता। सो ड ट वरी, नो वन कै न सी हॉट इज़ गोइंग आन इन साइड।”

“चलो ठ क है!”
फर म ाइवर सीट पर बैठा और मैडम मेरी गोद म। जैसे ही मैडम मेरी गोद म बैठ , मेरे बदन म करंट सा दौड़ गया।
हम दोन का यह पहला श था। मने कार टाट करी।

“रैडी मैडम?”

“हाँ... मुझे सफ़ गेयर ही स ालने ह ना?”

“येस मैडम। आज के दन आप सफ़ गेयर ही सीखो”

कार चलनी शु ई। य क मेरे हाथ टय रग पर थे और मैडम मेरी गोद म, इस लए मेरी बाह मैडम क चू चय क
साईड से छू रही थी और मैडम क चू चयाँ थी भी काफ़ बड़ी। वोह थोड़ा अनक टबल फ़ ल कर रही थ और
इस लए वो मेरी जाँघ पे न बैठ के मेरे घुटन के पास बैठ थी। जैसे ही म कार को टन करता तो मैडम क पूरी
चू चयाँ मेरी बाह को छू ती थी। मैडम गेयर सही बदल रही थ ।

“ य सु मत... ठ क कर रही ँ ना?”

“परफै ट मैडम! अब आप थोड़ा टय रग भी कं ोल क जए!”

“ओके !”

य क मैडम मेरी गोद म काफ़ आगे होकर बैठ थ इस लए टय रग कं ोल करने म उ ह ॉ लम हो रही थी।

“मैडम... आप थोड़ी पीछे खसक जाईये... तभी टय रग सही कं ोल हो पायेगा।”

अब मैडम मेरी जाँघ पे बैठ गयी और हाथ टय रग पर रख लये।


“मैडम! थोड़ा और पीछे हो जाईये!”

“और कतना पीछे होना पड़ेगा?”

“ जतना हो सकती ह ”

“ठ क है।” अब मैडम पूरी तरह से मेरे लौड़े पर बैठ थी। मने अपने हाथ मैडम के हाथ पर रख दये और टय रग
कं ोल करना सखाने लगा। जब भी कार टन होती तो मैडम के चु ड़ मेरे लौड़े म धँस जाते। मैडम क चू चयाँ इतनी
बड़ी थी क वो मेरे हाथ को छू रही थी। म जान बूझ कर उनक चू चय को टच करता रहा।

“मैडम अब ए सलरेटर भी आप संभा लये!”

“कह कार फर से आउट आफ़ कं ोल ना हो जाये…!”

“मैडम अब तो म बैठा ँ ना”

मैडम ने फर से पूरा ए सलरेटर दबा दया तो कार ने एक दम ीड पकड़ ली। इस पर मने एक दम से ेक लगा द
तो कार एक दम से क गयी। मैडम को झटका लगा तो वो टय रग म घुसने लगी। इस पर मने मैडम क चू चय को
अपने हाथ म पकड़ कर मैडम को टय रग म घुसने से बचा लया। कार क गयी थी और मैडम क चू चयाँ मेरे
हाथ म थी।

मैडम बोली, “मने कहा था ना क म फर कु छ गलती क ँ गी”

“कोई बात नह । कम से कम गेयर तो बदलना सीख लया।” मैडम क चू चयाँ अभी भी मेरे हाथ म थ ।

“शायद मुझे टय रग संभालना कभी नह आयेगा”

“एक बार और ाई कर लेते ह!”


“ठ क है!”

मुझे एहसास दलाने के लये क मेरे हाथ उनक चू चय पर ह, मैडम ने चू चय को ह का सा झटका दया तो मने
अपने हाथ वहाँ से हटा लये। मने कार फर से टाट करी। मैडम ने अपने हाथ टय रग पर रख लये और मने अपने
हाथ मैडम के हाथ पर रख दये।

“मैडम ए सलरेटर म ही संभालुँगा... आप सफ़ टय रग ही संभा लये!”

“यही म कहने वाली थी!”

कु छ दे र तक मैडम को टय रग म हे प करने के बाद म बोला, “मैडम अब म टय रग से हाथ उठा रहा ँ... आप


अके ले ही संभा लये।”

“ओके ...अबमुझे थोड़ा कॉन फडस आ रहा है... ले कन तुम अपने हाथ रैडी रखना कह कार फर से आउट आफ
कं ोल हो जाये।”

“मैडम मेरे हाथ हमेशा रैडी रहते ह।”

“सु मत मुझे कस के पकड़ना... कह ेक मारने पर म टय रग म ना घुस जाऊँ!”

“येस मैडम म कस के पकड़ता ।ँ ”

मने अपने हाथ टय रग से उठा कर मैडम क चू चय पर रख दये। म तो मैडम से डाँट क उ मीद कर रहा था
ले कन मैडम ने कु छ ना कहा। मने तब मैडम क चू चय को दबा दया तो उनके के मुँह से आह नकल गयी।

“सु मत... मेरे याल से आज इतना सीखना ही काफ़ है। चलो अब घर चलते ह!”
“ओके मैडम।” मैडम मेरी गोद से उठ कर अपनी सीट पर बैठ गयी और हम मैडम के घर चल दये।

“ओके मैडम... म चलता ँ!”

“खाना खाके जाना!”

“नह मैडम… मने म मी को कहा था क खाने के टाईम तक घर पर आ जाऊँगा”

“ठ क है... तो कल १० बजे आओगे ना?”

“येस मैडम... आफ़ कोस!”

म अगले दन भी पूरे १० बजे प ँच गया। आज भी मैडम काफ खूबसूरत लग रही थ । उ ह ने ने आज पीकॉक लू


कलर क स क क सलवार कमीज़ पहनी ई थी और उनके सफ़े द कलर के हाई हील सडल काफ़ मैच कर रहे थे।
मैडम ने आज ब त ही अ ा पर यूम लगा रखा था। पढ़ने के बाद हम फर से कार सीखने उसी ाऊँड म आ गये।

“तो सु मत आज कहाँ से शु करगे?”

“मैडम मेरे याल से आप पहले टय रग म परफ़े ट हो जाइये। उसके बाद और कु छ करगे!”

“ठ क है। कल जैसे ही बैठना है?”

“येस मैडम”।

मैडम आज सीधे आकर मेरे लौड़े पर बैठ गयी। आज मैडम क सलवार थोड़ी टाईट थी और मैडम के चू ड़ से
चपक ई थी। हमने कार चलानी शु क । मैडम ने अपने हाथ टय रग पर रख लये। मने अपने हाथ मैडम के
हाथ पर रख लये। आज मैडम के चू ड़ मेरे लौड़े पर बार-बार हल रहे थे। कु छ दे र बाद मने कहा, “मैडम... अब म
अपने हाथ टय रग से हटा रहा ँ!”
“हाँ... अपने हाथ टय रग से हटा लो… पर मुझे कस के पकड़ के रखना… कह कल क तरह टय रग मे घुस ना
जाऊँ?”

“मैडम...
आप ब कु ल फ़ ना कर… म ँ ना!” मने हाथ टय रग से उठा कर मैडम को पकड़ने के बहाने उनक
चू चय पर रख दये। और वाह... मज़ा आ गया। मैडम ने आज ा नह पहनी थी। इस लए आज मैडम क चू चयाँ
बड़ी सॉ ट और माँसल लग रही थी। मने मैडम क चू चय को धीरे-धीरे दबाना शु कर दया। मैडम क स क क
कमीज़ म उनक चू चय को दबाने म बड़ा मज़ा आ रहा था। मैडम ने भी तब अपनी टाँग चौड़ी कर ल और अब
उनक बुर मेरे लौड़े पर थी। उनक इस हरकत से मने साहस करके अपना एक हाथ मैडम क कमीज़ म डाला और
मैडम क एक चूची को दबाने लगा। और आ य क उ ह ने कु छ नह कहा।

“मैडम... मज़ा आ रहा है?”

“आहहह...ऊँ... कसमे?”

“कार चलाने म…!”

“हाँ... कार चलाने म भी मज़ा आ रहा है!”

“मैडम... अब आपको टय रग संभालना आ गया!”

“ म!!”

अब मने अपना सरा हाथ भी मैडम क कमीज़ म डाल दया और दोन चू चय को दबाने लगा।

“आआहह...हह... सु मत तुम... आहह... यह या कर रहे हो?”

“मैडम... आपको कार सीखा रहा ँ!”


“तुह मेरे साथ ऐसा नह करना चा हये... और वैसे भी म तो शाद -शुदा औरत ँ, और मेरे २ ब े भी ह... मुझ म तु ह
या अ ा लगेगा?”

“मैडम आपक एक-एक चीज़ अ है”

“सु मत म थोड़ा थक गयी ँ। पहले तुम कार रोक लो... आगे जा कर थोड़ी झा ड़याँ ह... कार वहाँ ले चलो…!”

मने कार झा ड़य म ले जा कर रोक ली और हम कार से बाहर आ गये।

“बस थोड़ी दे र आराम कर लेते ह... हाँ तो सु मत इस शाद -शुदा और २ ब क अ मी मे तुमको या अ ा लगता
है?”

“मैडम... एक बात बोलूँ?”

“हाँ बोलो!”

“मैडम... आपका े सग सस ब त अ ा है और आपके खरबुजे ब त अ े ह”

“ या?? खरबुज?े म या कोई पेड़-पौधा ँ जो मुझ म खरबूजे ह ?”

“मैडम यह वाले खरबुजे” मने मैडम क चू चय को दबाते ए कहा।

“आहह। उहहह।”

“मैडम आपके तरबूज भी ब त अ े ह”


“ या... तरबूज? मुझ म तरबूज कहाँ ह” वोह हँसते ए बोल ।

“मैडम... मेरा मतलब आपके चू ड़” और मने उनक गाँड पर अपना हाथ रख दया।

“झूठ!!
मेरे चौड़े और मोटे चू ड़ या तु ह अ े लगते ह?” यह कह कर मैडम मेरी तरफ़ पीछे मुड़ गय और अपनी
सलवार नीचे कर द । मैडम ने पट नह पहनी ई थी।

“दे खो ना... कतने बड़े ह मेरे चू ड़!”

म तो दे खता ही रह गया। मैडम के चू ड़ मेरे मुँह के पास थे। म मैडम के चू ड़ पर हाथ फे रने लगा।

“मैडममुझे तो ऐसे ही चू ड़ अ े लगते ह। गोरे-गोरे और बड़े-बड़े... मैडम... आपके चू ड़ क महक ब त अ है।”


यह कह कर म मैडम के चू ड़ पर कस करने लगा। म मैडम के चू ड़ के बीच क दरार म जीभ मारने लगा।

“ओह... ऊऊऊऊ.... सु मत यह या कर रहे हो?”

“मैडम... मुझे तरबूज ब त अ े लगते ह!”

“आहहह... और या अ ा लगता है तु ह!”

“ यु ग गम!!!”

“ या... यु ग गम? वो कौन सा पाट है?”

जवाब म म मैडम क चूत दबाने लगा।


“ऊहह... आह... आह... सु मत... यु ग गम को दबाते नह ह!!”

“मैडम... इस पो ज़शन से म यु ग गम को यू नह कर सकता!”

“सु मत... कार क पछली सीट पे यु ग गम यू क जा सकती है!!!”

“यहाँ कार के बाहर य नह मैडम?”

“ य क कोई दे ख भी सकता है!”

फर हम दोन कार मे घुस गये और पछली सीट पर आ गये। मैडम ने टाँग खोल ली और आपनी चूत पे हाथ रख
कर बोली, “सु मत... यह रही तु हारी यु ग गम!”

म मैडम क चूत चाटने लगा। मैडम सीट पे लेट ई थी। मेरी जीभ मैडम क चूत पे और मेरे हाथ उनक चू चय को
दबा रहे थे। म करीब १० मनट तक मैडम क चूत को जीभ से चाटता रहा।

“सु मत... या तु हारी प सल शापड है?”

“ या मतलब?”

“बेवकू फ़... मेरे पास शापनर है और प सल तु हारे पास है...!”

“येस मैडम... मेरी प सल को शाप कर द जए!”

“ले कन पहले तुम अपनी प सल दखाओ तो!”


मने अपनी ज स उतार द । मने अंडरवीयर नह पहना था। म अपना लौड़ा मैडम के मुँह के पास ले गया तो मैडम ने
ज द से उसे अपने मुँह म ले लया। कु छ दे र तक मैडम मेरा लौड़ा चूसती रह । फर बोल , “सु मत... तु हारी प सल
काफ़ अ वा लट क है!”

“मैडम… या आपका शापनर भी अ वा लट का है?”

“यह तो प सल शाप होने पर ही पता चलेगा!”

“तो मैडम कर लूँ अपनी प सल शाप?”

“ये स... सु मत... ज ट डू इट... फ़क मी... येस फ़क मी हाड... चोदो मुझे... ू मी...!”

मने अपना लौड़ा मैडम क चूत म डाल दया और ध के दे ने लगा।

“ओहह... सु मत... माय डा लग... तु हारी प सल मेरे शापनर के लये ब कु ल फट है.... आआआआहहह.... वेरी गुड लगे
रहो.... ऐसे ही ध के मारते रहो... सु मत... मेरे खरबूज को ना भूलो... इ ह तु हारे हाथ क स त ज़ रत है!”

“मैडम... आहह... आपक चूत मारने म ब त मज़ा आ रहा है!”

“आआहहहह... सु मत... अपनी मैडम के खबूज को तो खाओ!”

फर म ध के दे ने के साथ-साथ मैडम के न पल को मुँह म लेकर चूसने लगा।

“आआआआईईईईईई.... सु मत... और तेज... तेज... जोर-जोर से ध के मारो... आज अ तरह ले लो मेरी चूत… ीड


बढ़ाओ!!!”
मने तेज-तेज ध के मारने शु कर दए। करीब १५ मनट बाद मैडम बोल , “आआआआ... ओहह... सु मत.... तेज.... म
आने वाली ँ…” और हम दोन एक साथ ही झड़े।

“आआआआआ.... आआहह... आई लव यू सु मत... मज़ा आ गया!”

“येस मैडम... आपका शापनर गज़ब का है!”

“तु हारी प सल भी कमाल क है।”

“मैडम, या म अपनी प सल आपके शापनर से फर एक बार शाप का सकता ँ?”

“ योर... ले कन बाक का काम घर चल कर... और फर अभी तो मुझे कार सीखने म कु छ दन और लगगे!”

तब हमने अपने कपड़े ठ क कये और अचानक मैडम ने कार का दरवाजा खोला और ाई वग सीट पर बैठ ग ।
उ ह ने बड़ी द ता से कार टाट क और दे खते ही दे खते कार हवा से बात करने लगी। शहर क घुमावदार सड़क से
होती ई कार कु छ ही समय म मैडम के घर के सामने थी। इस दौरान मेरे मुख से कोई बोल नह फू टे ब क म ह का
-ब का सा मैडम को कार ाईव करते दे खता रहा।

“सु मत आओ... कु छ दे र बैठते ह… तुम काफ़ थक भी गये हो। चाय नाशता कर के जाना।”

“पर मैडम आप तो कार चलाने म पूरी ए सपट ह।”

“अरे अब अंदर भी तो आओ। या यह बाहर खड़े ही सब पूछते रहोगे?”

मैडम के एसा कहने पर हम दोन घर म आये। मैडम कचन म गय और ज द ही दो याली चाय के बना लाय ।
साथ म कु छ बसकु ट और नै स भी थे। मैडम ने चाय क चु क लेते ए कहा, “हाँ तो तुमने कहा क म ए सपट ँ
पर तु ह भी तो ए सपट करना था। जब तुम मुझसे श ू न पड़ने आये तो मने दे खा क तु हारी नज़र खरबूज और
तरबूज पर यादा है। जब तक तु हारी नज़र इन पर यादा रहती तुम लश म ए सपट नह हो सकते थे। तो मने
सोचा पहले म तु ह इनका वाद चखा ँ ।”
“मैडम आप स ी गु ह जो श य का इतना खयाल रखती ह।”

मैडम हँसती ई उठ और मुझे अपने पीछे -पीछे अपने बेड म म ले गय ।

“ ँ तो तुम या कह रहे थे। तु ह तरबूज का ब त शौक है ना। अ ा सु मत एक बात बता... तु ह मेरे तरबूज कै से
लगते ह?” एसा कहते-कहते मैडम ने मेरी तरफ़ अपने भारी चु ड़ कर दए और अपनी एक हथेली चु ड़ पर जमा कर
थोड़ा सा झुक । मैडम क इस अदा ने मेरे तन-बदन म आग लगा द ।

“मैडम सही क ँ तो आप जैसे तरबूज मने और कसी के नह दे खे।”

“मेरे सामने ही मेरी गाँड क तारीफ कर रहे हो और मैडम भी बोल रहे हो… मेरा नाम नसीफा है!”

“वोह तो मैडम म जानता ँ... पर म आपका नाम कै से ले सकता !ँ ”

“मेरी चूत म अपना लौड़ा डाल सकते हो। मेरी गाँड मारना चाहते हो पर नाम नह ले सकते। तु हारा यही भोलापन तो
मुझे भा गया। तभी तो मने तु ह अपनी यू ग-गम चखाई। अब हो सकता है तरबूज भी चखा ँ । पर इसके लये मैडम
नह चलेगा!”

“अ ा तो नसीफा जी… आप के तरबूज को चखने के लये तो म कु छ भी करने को या कहने को तैयार !ँ ”

“तोठ क है तुम मुझे एक रंडी क तरह ट करो… और खयाल रखना जतना खुल कर तुम मेरे साथ पेश आओगे
उतना ही खुल कर म तु ह इन तरबूज का मजा चखाऊँगी!”

एसा कह कर नसीफा मैडम ने मुझे अपने हाथ से उसे नंगी करने को कहा। मुझे तो मन क मुराद मल गयी। मने
धीरे-धीरे उनक कमीज़ और सलवार उतारी और अब वोह मेरे सामने सफ़ सफ़े द कलर के हाई हील सडल पहने
ब कु ल मादरजात नंगी खड़ी थी। फर दे खते ही दे खते उ ह ने मुझे भी पूरा नंगा कर दया।
फर वोह डबल बेड पर कु या क तरह चोपाया बनी। उ ह ने अपना चेहरा एक त कये म दबा लया और अपनी
वशाल गाँड हवा म ऊँची कर द ।

“सु मत लो अब मेरी गाँड अ तरह से दे खो, इसको सहलाओ, इसको यार करो!”

“वाह नसीफा मैडम तु ह मान गया। तुम के वल लश क ट चर ही नह हो, ब क पूरी लश सै स क भी ट चर


हो!” ऐसा कह कर म उनक गाँड पर हाथ फे रने लगा। बीच-बीच म म उनक गाँड के छे द को भी खोद रहा था।

“अरेभोसड़ी के गाँडू! के वल गाँड को दे खता ही रहेगा या और कु छ भी करेगा? ठ क से दे ख यह तेरी अ मी क गाँड


नह है। घर म जब तेरी अ मी गाँड मटकाती है तो ऐसी ही लगती है या?”

“अरी छनाल नसीफा! मेरी म मी क या बात पूछती है... म मादरचोद नह …ँ समझी??? पर लगता है तेरा पती एक
भड़वा है… तभी तो तेरे जैसी छनाल को घर म अके ली छोड़ कर पं ह - पं ह दन के लये बाहर चला जाता है। आज
म तेरी इस म त गाँड को फाड़ के रख ँ गा!”

“हाय मेरे सु मत मेरे दलबर! यही तो म तेरी जबान से सुनना चाहती ।ँ अब पहले मेरी गाँड को थोड़ी चकनी तो कर
ले!”

उनके ऐसा कहते ही मने उनक गाँड के गोल छे द पर अपनी जीभ रख द । कु छ ही दे र म उनक गाँड खुलने लगी
और म उसक गाँड अपनी जीभ से मारने लगा।

“ओहहह..... मरीईईईई..... हाय इसी तरह और पेल… अपनी पूरी जीभ अपनी ट चर क गाँड म घुसा दे … और ठे ल....
पेल!!!”
कु छ दे र म उनक गाँड अपनी जीभ से चोदता रहा। फर मने अपना लंड जो अब तक त ा कर लोहे क रॉड बन
चुका था, उनके मुख के पास लाया और उनके मुख म पेलने लगा। नसीफा मैडम भी मेरे लंड को अपने मुख म पूरा
का पूरा लेकर चूसने लगी। साथ म वोह मेरे लंड को थूक से भी तर कर रही थी। उ ह पता था क म अब उनक गाँड
मारने वाला ँ इस लए जतना हो सके उतना वो उसे चीकना बना रही थी जससे उ ह गाँड मरवाने म कम दद हो।

अब म उनके पीछे आ चुका था। उनक गाँड अपनी पूण छटा के साथ हवा म उठ मेरे लंड को आमं ण दे रही थी।
मने अपने लंड का सुपाड़ा उनक गाँड पर टे का। फर दोन हाथ से म उनक गाँड जतना चीर सकता था उतनी चीरी
और कस कर एक करारा शॉट लगाया। मेरा आधा लंड एक ही बार म उनक गाँड म ठँ स गया था।
इस हमले के लये शायद वो तैयार नह थी।

“अरे हरामी यह या कर दया… कसी क गाँड ऐसे मारी जाती है? कम से कम कु छ दे र वहाँ लंड रगड़ता, बात
करता, बताता क गाँड म लंड डालने जा रहा ँ… और तू साला ऐसा है क एक ही बार म मूसल क तरह ठोक दया।
या तेरा बाप तेरी अ मी क ऐसे ही मारता है? बाहर नकाल…! ब त दद हो रहा है! म कतने चाव से तुझसे गाँड
मरवाने वाली थी… तूने एक ही बार म बबाद कर दया!”

“साली नसीफा! पहले तो बड़ी अकड़ रही थी। मने तो पहले ही कहा था आज म तेरी गाँड फाड़ के र गँ ा । अभी तो
के वल आधा गया है। अब म पूरा डालने वाला !ँ ” ऐसा कह कर मने पहले से भी तगड़ा एक शॉट और मारा और इस
बार मेरा लंड उनक गाँड म जड़ तक समा गया।

“अरे मादरचोद, मुझ पर से नीचे उतर… ना तो तुझसे से कार सीखनी, ना तुझसे चुदवाना, ना तुझे लश पढ़ाना…
अरे मर गयीईईईई..... साले तूने मेरी गाँड फा....आआआ....ड़ द !”

इधर नसीफा मैडम बड़बड़ाए जा रही थी और म धीरे धीरे लंड हलाता उनक गाँड म लंड के लये जगह बना रहा था।
कु छ ही दे र म मेर लंड आसानी से उनक गाँड म अंदर बाहर होने लगा। अब उ ह भी मज़ा आने लगा और वो अपने
चू ड़ हलाने लग गयी थी।

“हाँ इसी तरह… अब मज़ा आ रहा है। मेरी बात का मेरे दलबर बूरा मत मानना। म जानती थी क तुझसे गाँड मराने
म मुझे ब त मज़ा आयेगा तभी तो म तुझे घर लेके आयी। तेरी बात से मुझे पता लग गया था क तू गाँड का र सया
है। जब से तूने मेरे तरबूज क तारीफ़ क तभी से म तुझसे गाँड मरवाने को तड़प उठ थी!”

“नसीफा रानी मेरी नज़र तो तेरी गाँड पर उस समय से है जब तू पहली बार लास लेने आयी थी। जब तू हाई हील
के सडल पहन कर अपने बड़े-बड़े तरबूज जैसे चू ड़ मटकाती लास और कू ल म फरती थी तौ मेरा लौड़ा तेरी गाँड
म घुसने के के लये तड़प जाता था… ले कन इतनी ज द मेरा लंड तेरी गाँड म जड़ तक घुसा आ होगा इसक
उ मीद नह थी… ले कन जो आ अ ा ही आ… लो अब मेरे लंड क ठाप सहो!”

ऐसा कह कर म बेतहाशा उनक गाँड मारने लगा। नसीफा मैडम भी गाँड उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। करीब
१० मनट बाद मने ढे र सारा वीय उनक गाँड म झाड़ दया। जब मने लंड उनक गाँड से नकाला तो उनक गाँड से
सफे द-सफे द मेरा वीय वाला मुखी से लवा क तरह बाहर नकलने लगा।
जब तक नसीफा मैडम के हसबड और ब े वापस नह आ गये, म रोज उसके घर जाता रहा। म उसके घर जाते ही
उसको पूरी नंगी कर दे ता था। वो नंगी ही घर के काम भी करती थी, मुझ से चुदवाती थी, गाँड मरवाती थी और ये
सब करने के बाद मुझे लश भी पढ़ाती थी। बाद म कू ल क छु याँ खतम होने पर, कू ल म भी मौका दे ख कर
कू ल म ही कसी जगह पर अपनी सलवार नीचे करके मुझसे अपनी गाँड या चूत मरवाने लगी।

****** समा त ********

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