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Ganpati Atharvashirsha
Ganpati Atharvashirsha
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
दे वगण ों में प्रथम पूज्य श्री गणेश सों कट ों क हर लेते हैं। ववघ्नहतता गणेशजी की
मों त् ों जतप से पूजत करने पर सवा ससवि प्रतप्त ह ती है। इससलए गणपवत जी कत
ॐ अथवाशीर्ा स्त्र त कत पतठ करते हुए सों पूणा सतमग्री कत प्रय ग करें। ॐ
IN
इसमें सुगोंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य अपाण करें गणेर् भगवतन क
ॐ ॐ
प्रसन्न करने के सलए गणेश जी क दुवता चढतएों । लतल व ससोंदरू ी रों ग गणपवत क
F.
वप्रय है लतल रों ग के पुष्प से पूजन करें।
D
ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ
ST
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
भगवतन गणेश के नतम से ॐ गों गणपतये नम: मन्त्र क कत जतप करते हुए
ववसधवत पूजन करें। भगवतन श्री गणेश जी के अथवाशीर्ा स्त्र त कत पतठ करनत
ॐ चतवहए। इससे घर और जीवन के अमों गल दूर ह ते हैं। ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ
श्री गणपति अथर्वशीर्व ॐ
ॐ ॐ
ॐ
।। 'श्री गणेशाय नम:' ।। ॐ
IN
ॐ ॐ भद्रों कणेसभ शृणुयतम दे वत:। ॐ
भद्रों
F.
पश्येमतक्षसभयाजत्त:।।
D
ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षों तत्वमसस।।
ॐ
त्वमेव के वलों कर्त्ताऽसस। त्वमेव के वलों धततासस।। ॐ
IN
ॐ
अव धतततरम अवतनूचतनमवसशष्यों ।।अव पश्चततततर।। अवों पुरस्तततर।। ॐ
F.
अव र्त्रततततर।। अव दसक्षणतर्त्ततर।। अव च र्ध्तार्त्तत।।
D
ॐ ॐ
अवतधरतर्त्तत।। सवात मतों पतवहपतवह समों तततर।।3।।
AP
ॐ ॐ
त्वों ज्ञतनमय ववज्ञतनमय ऽसस।4।
ॐ ॐ
सवा जगवददों त्वर्त् जतयते। सवा जगवददों त्वर्त्स्थस्त्ठतवत।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ त्वों देहत्यततीत: त्वों कतलत्यततीत:। त्वों मूलतधतर स्थित ऽसस वनत्यों । ॐ
IN
गणतवदों पूवामुितया वणतावदों तदनों तरों ।।
ॐ ॐ
ॐ ॐ
नतद: सों धतनों ।। सों वहतत सों सध: सैर्त गणेश ववद्यत।।
ॐ ॐ
गणक ऋवर्: वनचृद्रतयत्ीछोंद:।। गणपवत देवतत।।
IN
एवों ध्यतयवत य वनत्यों स य गी य वगनतोंवर:।। 9।।
ॐ ॐ
F.
नम व्रततपतये नम गणपतये।। नम: प्रथमपर्त्ये।।
D
ॐ ॐ
नमस्तेऽस्तु लों ब दतरतयैकदोंततय ववघ्ननतसशने सशव सुततय।
AP
ॐ ॐ
स सवाववघ्नैना बतध्यते स सवात: सुख मेधते।। 11।।
ॐ ॐ
सतयमधीयतन वदवसकृ तों पतपों नतशयवत।।
IN
इत्यथावाण वतक्यों ।। ब्रह्मतद्यतरवरणों ववद्यततर न ववभेती
ॐ ॐ
F.
कदतचनेवत।।14।।
D
ॐ ॐ
य दूवतं कु रैयाजवत स वैश्रवण पम भववत।।
AP
ॐ ॐ
य: सतज्य सवमभ्दभायजवत, स सवं लभते स सवं लभते।।15।।
ॐ ॐ
अष्ट ब्रतह्मणतनतों सम्यग्रतहवयत्वत सूयावचास्वी भववत।।
ॐ ॐ
गणपवत अथवाशीर्ा ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षों तत्वमसस त्वमेव के वलों कतताऽ सस
ॐ त्वमेव के वलों धतताऽसस त्वमेव के वलों हतताऽसस ॐ
त्वमेव सवं खस्थिदों ब्रह्मतसस त्व सतक्षतदतत्मतऽसस वनत्यमर।।1।।
IN
ॐ अथा: ॐ कतरतपवत भगवतन गणपवत क नमस्कतर है। हे गणेश! तुम्ीों ॐ
F.
प्रत्यक्ष तत्व ह । तुम्ीों के वल कतता ह । तुम्ीों के वल धतता ह । तुम्ीों के वल
हतता ह । वनश्चयपूवाक तुम्ीों इन सब रूप ों में ववरतजमतन ब्रह्म ह । तुम
D
ॐ सतक्षतत वनत्य आत्मस्वरूप ह । ॐ
AP
अथा: हे पतवातीनों दन! तुम मेरी (मुझ सशष्य की) रक्षत कर । वक्तत (आचतया)
की रक्षत कर । श्र तत की रक्षत कर । दततत की रक्षत कर । धततत की रक्षत ॐ
ॐ
कर । व्यतख्यत करने वतले आचतया की रक्षत कर । सशष्य की रक्षत कर ।
पसश्चम से रक्षत। पूवा से रक्षत कर । उर्त्र से रक्षत कर । दसक्षण से रक्षत
ॐ कर । ऊपर से रक्षत कर । नीचे से रक्षत कर । सब ओर से मेरी रक्षत कर । ॐ
चतर ों ओर से मेरी रक्षत कर ।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ त्वों वतङर मयस्त्वों सचन्मय:। त्वमतनों दमसयस्त्वों ब्रह्ममय:। ॐ
त्वों सस्थिदतनों दतवितीय ऽवर्। त्वों प्रत्यक्षों ब्रह्मतवर्।
त्वों ज्ञतनमय ववज्ञतनमय ऽवर्।।4।।
ॐ ॐ
अथा: तुम वतङर मय ह , सचन्मय ह । तुम आनों दमय ह । तुम ब्रह्ममय ह ।
तुम सस्थिदतनों द अवितीय ह । तुम प्रत्यक्ष ब्रह्म ह । तुम दतनमय ववज्ञतनमय
ॐ ॐ
ह।
सवं जगवददों त्वर्त् जतयते। सवं जगवददों त्वर्त्स्थस्त्ठतवत।
ॐ
सवं जगवददों त्ववय लयमेष्यवत। सवं जगवददों त्ववय प्रत्येवत। ॐ
त्वों भूवमरतप ऽनल ऽवनल नभ:। त्वों चत्वतररकतकू पदतवन।।5।।
IN
अथा: यह जगत तुमसे उत्पन्न ह तत है। यह सतरत जगत तुममें लय क प्रतप्त ॐ
ॐ
ह गत। इस सतरे जगत की तुममें प्रतीवत ह रही है। तुम भूवम, जल, अवि,
F.
वतयु और आकतश ह । परत, पश्चों ती, बैखरी और मध्यमत वतणी के ये
D
ॐ ववभतग तुम्ीों ह । ॐ
AP
ॐ
रूद्रस्त्वों इों द्रस्त्वों अविस्त्वों वतयुस्त्वों सूयास्त्वों चों द्रमतस्त्वों ॐ
ब्रह्मभूभुाव:स्वर मर।।6।।
ॐ
अथा: तुम सत्व, रज और तम तीन ों गुण ों से परे ह । तुम जतगृत, स्वप्न और ॐ
सुर्ुवप्त इन तीन ों अवितओों से परे ह । तुम िूल, सूक्ष्म औ वतामतन तीन ों
दे ह ों से परे ह । तुम भूत, भववष्य और वतामतन तीन ों कतल ों से परे ह । तुम
ॐ मूलतधतर चक्र में वनत्य स्थित रहते ह । इच्छत, वक्रयत और ज्ञतन तीन प्रकतर ॐ
की शवक्तयतूँ तुम्ीों ह । तुम्तरत य गीजन वनत्य ध्यतन करते हैं। तुम ब्रह्मत
ह , तुम ववष्णु ह , तुम रुद्र ह , तुम इन्द्र ह , तुम अवि ह , तुम वतयु ह ,
ॐ तुम सूया ह , तुम चों द्रमत ह , तुम ब्रह्म ह , भू:, भूाव:, स्व: ये तीन ों ल क ॐ
तथत ॐकतर वतय पर ब्रह्म भी तुम ह ।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ गणतवद पूवामुितया वणतावदों तदनों तरों । अनुस्वतर: परतर:। अधेन्दल ु ससतों । ॐ
ततरेण ऋिों । एतर्त्व मनुस्वरूपों । गकतर: पूवारूपों । अकतर मध्यमरूपों ।
अनुस्वतरश्चतन्त्यरूपों । वबन्दुरूर्त्ररूपों । नतद: सों धतनों । सूँ वहततसों सध:
ॐ ॐ
सैर्त गणेश ववद्यत। गणकऋवर्: वनचृद्गतयत्ीच्छोंद:। गणपवतदे वतत।
ॐ गों गणपतये नम:।।7।।
ॐ ॐ
अथा: गण के आवद अथतात 'गर' कर पहले उितरण करें। उसके बतद वणों
के आवद अथतात 'अ' उितरण करें। उसके बतद अनुस्वतर उितररत ह तत है।
इस प्रकतर अधाचोंद्र से सुश सभत 'गों ' ॐकतर से अवरुि ह ने पर तुम्तरे बीज ॐ
ॐ
मों त् कत स्वरूप (ॐ गों ) है। गकतर इसकत पूवारूप है।वबन्दु उर्त्र रूप है।
IN
नतद सों धतन है। सों वहतत सों ववध है। ऐसी यह गणेश ववद्यत है। इस महतमों त्
ॐ के गणक ऋवर् हैं। वनचृों ग्दतय छोंद है श्री मद्महतगणपवत दे वतत हैं। वह ॐ
महतमों त् है- ॐ गों गणपतये नम:। F.
D
एकदों ततय ववदरमहे। वक्रतुण्डतय धीमवह।
ॐ ॐ
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IN
ॐ स पञ्चमहतपतपतत्प्रमुयते।।11।। ॐ
F.
अथा: यह अथवाशीर्ा (अथवावेद कत उपवनर्द) है। इसकत पतठ ज करतत
D
ॐ
है, ब्रह्म क प्रतप्त करने कत असधकतरी ह जततत है। सब प्रकतर के ववघ्न ॐ
AP
उसके सलए बतधक नहीों ह ते। वह सब जगह सुख पततत है। वह पतूँ च ों
प्रकतर के महतन पततक ों तथत उपपततक ों से मुक्त ह जततत है।
ॐ ॐ
ST
अथा: सतयों कतल पतठ करने वतलत वदन के पतप ों कत नतश करतत है।
ॐ
प्रतत:कतल पतठ करने वतलत रतवत् के पतप ों कत नतश करतत है। ज प्रतत:- ॐ
सतयों द न ों समय इस पतठ कत प्रय ग करतत है वह वनष्पतप ह जततत है। वह
सवात् ववघ्न ों कत नतश करतत है। धमा, अथा, कतम और म क्ष क प्रतप्त करतत
ॐ है। ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
इदमथवाशीर्ामसशष्यतय न दे यमर।
य यवद म हतदरदतस्यवत स पतपीयतनर भववत।
सहस्रतवतानततर यों यों कतममधीते तों तमनेन सतधयेतर।13।। ॐ
ॐ
अथा: इस अथवाशीर्ा क ज सशष्य न ह उसे नहीों दे नत चतवहए। ज म ह के
ॐ कतरण दे तत है वह पततकी ह जततत है। सहस्र (हजतर) बतर पतठ करने से ॐ
सजन-सजन कतम -ों कतमनतओों कत उितरण करतत है, उनकी ससवि इसके ितरत
ही मनुष्य कर सकतत है।
ॐ ॐ
अनेन गणपवतमसभवर्ोंचवत स वतग्मी भववत
IN
चतुर्थ्तामनश्र्नन जपवत स ववद्यतवतन भववत।
ॐ इत्यथवाणवतक्यों । ब्रह्मतद्यतवरणों ववद्यततर ॐ
F.
न वबभेवत कदतचनेवत।।14।।
D
ॐ
अथा: इसके ितरत ज गणपवत क स्नतन करततत है, वह वक्तत बन जततत है। ॐ
AP
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ अष्टौ ब्रतह्मणतनर सम्यग्ग्ग्रतहवयत्वतसूयावचास्वी भववत। ॐ
सूयाग्रहे महतनद्यतों प्रवतमतसों वनधौ
वत जप्त्वत ससिमों त् ों भववत।
ॐ ॐ
महतववघ्नतत्प्रमुयते।
महतद र्तत्प्रमुयते।
ॐ महतपतपततर प्रमुयते। ॐ
स सवाववद्भववत से सवाववद्भववत।
य एवों वेद इत्युपवनर्दर।।16।।
ॐ ॐ
अथा: आठ ब्रतह्मण ों क सम्यक रीवत से ग्रतह करतने पर सूया के समतन
IN
तेजस्वी ह तत है। सूया ग्रहण में महतनदी में यत प्रवतमत के समीप जपने से ॐ
ॐ
मों त् ससवि ह ती है। वह महतववघ्न से मुक्त ह जततत है। ज इस प्रकतर
F.
जतनतत है, वह सवाज्ञ ह जततत है वह सवाज्ञ ह जततत है।
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ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ
ST
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ
ॐ ॐ
IN
ॐ पतन चढे फल चढे , और चढे मेवत । ॐ
F.
लड्डुअन कत भ ग लगे, सों त करें सेवत ॥
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ॐ
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वत । ॐ
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ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
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ॐ ॐ
F.
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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ