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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

ॐ श्री गणपति अथर्वशीर्व पूजा तर्धि ॐ

ॐ ॐ
दे वगण ों में प्रथम पूज्य श्री गणेश सों कट ों क हर लेते हैं। ववघ्नहतता गणेशजी की
मों त् ों जतप से पूजत करने पर सवा ससवि प्रतप्त ह ती है। इससलए गणपवत जी कत
ॐ अथवाशीर्ा स्त्र त कत पतठ करते हुए सों पूणा सतमग्री कत प्रय ग करें। ॐ

IN
इसमें सुगोंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य अपाण करें गणेर् भगवतन क
ॐ ॐ
प्रसन्न करने के सलए गणेश जी क दुवता चढतएों । लतल व ससोंदरू ी रों ग गणपवत क
F.
वप्रय है लतल रों ग के पुष्प से पूजन करें।
D
ॐ ॐ
AP

ॐ ॐ
ST
IN

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ
भगवतन गणेश के नतम से ॐ गों गणपतये नम: मन्त्र क कत जतप करते हुए
ववसधवत पूजन करें। भगवतन श्री गणेश जी के अथवाशीर्ा स्त्र त कत पतठ करनत
ॐ चतवहए। इससे घर और जीवन के अमों गल दूर ह ते हैं। ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ


श्री गणपति अथर्वशीर्व ॐ

ॐ ॐ


।। 'श्री गणेशाय नम:' ।। ॐ

IN
ॐ ॐ भद्रों कणेसभ शृणुयतम दे वत:। ॐ

भद्रों
F.
पश्येमतक्षसभयाजत्त:।।
D
ॐ ॐ
AP

स्थिरै रों गै स्तुष्टुवतों सहस्तनुसभ::।


ॐ ॐ
ST

व्यशेम देववहतों यदतयु:।1।


IN

ॐ ॐ स्वस्थस्त न इन्द्र वृिश्रवत:। ॐ

स्वस्थस्त न: पूर्त ववश्ववेदत:। ॐ



स्वस्थस्त न स्ततर्क्ष्राय अररष्ट नेवम:।।
ॐ ॐ
स्वस्थस्त न बृहस्पवतदा धततु।2।
ॐ ॐ शतोंवत:। शतोंवत:।। शतोंवत:।।। ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षों तत्वमसस।।


त्वमेव के वलों कर्त्ताऽसस। त्वमेव के वलों धततासस।। ॐ

त्वमेव के वलों हतताऽसस। त्वमेव सवं खस्थिदों ब्रह्मतसस।।


ॐ ॐ
त्वों सतक्षतदत्मतसस वनत्यमर। ऋतों वस्थि।। सत्यों वस्थि।।

ॐ अव त्वों मतों।। अव वक्ततरों ।। अव श्र ततरों। अवदतततरों।। ॐ

IN

अव धतततरम अवतनूचतनमवसशष्यों ।।अव पश्चततततर।। अवों पुरस्तततर।। ॐ

F.
अव र्त्रततततर।। अव दसक्षणतर्त्ततर।। अव च र्ध्तार्त्तत।।
D
ॐ ॐ
अवतधरतर्त्तत।। सवात मतों पतवहपतवह समों तततर।।3।।
AP

ॐ त्वों वतङग्मयचस्त्वों सचन्मय। त्वों वतङग्मयचस्त्वों ब्रह्ममय:।। ॐ


ST

त्वों सस्थिदतनों दत विवतय ऽसस। त्वों प्रत्यक्षों ब्रह्मतसस।


IN

ॐ ॐ
त्वों ज्ञतनमय ववज्ञतनमय ऽसस।4।
ॐ ॐ
सवा जगवददों त्वर्त् जतयते। सवा जगवददों त्वर्त्स्थस्त्ठतवत।

सवा जगवददों त्ववय लयमेष्यवत।। सवा जगवददों त्ववय प्रत्येवत।।


ॐ ॐ

त्वों भूवमरतप नल ऽवनल नभ:।। त्वों चत्वतररवतक्पदतनी।।5।।


ॐ ॐ
त्वों गुणयत्यततीत: त्वमवितत्यततीत:।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ त्वों देहत्यततीत: त्वों कतलत्यततीत:। त्वों मूलतधतर स्थित ऽसस वनत्यों । ॐ

त्वों शवक्त त्यतत्मक:।। त्वतों य वगन ध्यतयों वत वनत्यमर।


ॐ ॐ

त्वों शवक्तत्यतत्मक:।। त्वतों य वगन ध्यतयों वत वनत्यों ।


ॐ ॐ
त्वों ब्रह्मत त्वों ववष्णुस्त्वों रुद्रस्त्वों इन्द्रस्त्वों अविस्त्वों।

ॐ वतयुस्त्वों सूयास्त्वों चों द्रमतस्त्वों ब्रह्मभूभुाव: स्वर मर।।6।। ॐ

IN
गणतवदों पूवामुितया वणतावदों तदनों तरों ।।
ॐ ॐ

अनुस्वतर: परतर:।। अधेन्दल F.


ु ससतों ।।
D
ॐ ॐ
ततरेण ऋिों ।। एतर्त्व मनुस्वरूपों ।।
AP

ॐ गकतर: पूवा रूपों अकतर मध्यरूपों । ॐ


ST

अनुस्वतरश्चतन्त्य रूपों ।। वबन्दुरूर्त्र रूपों ।।


IN

ॐ ॐ
नतद: सों धतनों ।। सों वहतत सों सध: सैर्त गणेश ववद्यत।।
ॐ ॐ
गणक ऋवर्: वनचृद्रतयत्ीछोंद:।। गणपवत देवतत।।

ॐ गों गणपतये नम:।।7।। ॐ


एकदोंततय ववद्महे। वक्रतुण्डतय धीमवह तन्न दों ती प्रच द्यतत।।


ॐ ॐ
एकदोंत चतुहास्तों पतरतमों कु शधतररणमर।।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ रदों च वरदों च हस्तै ववाभ्रतणों मूर्क र्ध्जमर।। ॐ

रक्तों लम्ब दरों शूपाकणाकों रक्तवतससमर।।


ॐ ॐ

रक्त गों धतऽनुसलप्ततगों रक्तपुष्पै सुपूसजतमर।।8।।


ॐ ॐ
भक्ततनुकोंवपन देवों जगत्कतरणम्च्युतमर।।

ॐ आववभूातों च सृष्टयतदौ प्रकृ तै: पुरुर्तत्परम।। ॐ

IN
एवों ध्यतयवत य वनत्यों स य गी य वगनतोंवर:।। 9।।
ॐ ॐ

F.
नम व्रततपतये नम गणपतये।। नम: प्रथमपर्त्ये।।
D
ॐ ॐ
नमस्तेऽस्तु लों ब दतरतयैकदोंततय ववघ्ननतसशने सशव सुततय।
AP

ॐ श्री वरदमूताये नम नम:।।10।। ॐ


ST

एतदथवाशीर्ा य ऽधीते।। स: ब्रह्मभूयतय कल्पते।।


IN

ॐ ॐ
स सवाववघ्नैना बतध्यते स सवात: सुख मेधते।। 11।।
ॐ ॐ
सतयमधीयतन वदवसकृ तों पतपों नतशयवत।।

प्रततरधीयतन रतवत्कृ तों पतपों नतशयवत।। ॐ


सतयों प्रतत: प्रयुों जतन पतप दरभववत। सवात्तधीयतन ऽपववघ्न भववत।।


ॐ ॐ
धमताथा कतमम क्षों च ववदोंवत।।12।।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ इदमथवाशीर्ाम सशष्यतयन देयम।। ॐ

य यवद म हतददतस्यवत स पतपीयतन भववत।।


ॐ ॐ

सहस्त्रतवतानततर यों यों कतममधीते तों तमनेन सतधयेत।।13 ।।


ॐ ॐ
अनेन गणपवतमसभवर्ोंचवत स वतग्मी भववत।।

ॐ चतुथात्यतों मनश्रन्न जपवत स ववद्यतवतनर भववत।। ॐ

IN
इत्यथावाण वतक्यों ।। ब्रह्मतद्यतरवरणों ववद्यततर न ववभेती
ॐ ॐ

F.
कदतचनेवत।।14।।
D
ॐ ॐ
य दूवतं कु रैयाजवत स वैश्रवण पम भववत।।
AP

ॐ य लतजैयाजवत स यश वतन भववत।। स: मेधतवतन भववत।। ॐ


ST

य म दक सहस्त्रैण यजवत। स वतोंस्थित फलमर वतप्न वत।।


IN

ॐ ॐ
य: सतज्य सवमभ्दभायजवत, स सवं लभते स सवं लभते।।15।।
ॐ ॐ
अष्ट ब्रतह्मणतनतों सम्यग्रतहवयत्वत सूयावचास्वी भववत।।

सूया गृहे महतनद्यतों प्रवतभतसों वनधौ वत जपत्वत ससि मों त् नर भववत।। ॐ


महतववघ्नतत्प्रमुयते।। महतद र्तत्प्रमुयते।। महतपतपततर प्रमुयते।


ॐ ॐ
स सवा ववद्भववत स सवाववद्भववत। य एवों वेद इत्युपवनर्द।।16।।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

श्री गणपति अथर्वशीर्व हिन्दी अनवर्ा हहिि


ॐ ॐ

ॐ ॐ
गणपवत अथवाशीर्ा ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षों तत्वमसस त्वमेव के वलों कतताऽ सस
ॐ त्वमेव के वलों धतताऽसस त्वमेव के वलों हतताऽसस ॐ
त्वमेव सवं खस्थिदों ब्रह्मतसस त्व सतक्षतदतत्मतऽसस वनत्यमर।।1।।

IN
ॐ अथा: ॐ कतरतपवत भगवतन गणपवत क नमस्कतर है। हे गणेश! तुम्ीों ॐ

F.
प्रत्यक्ष तत्व ह । तुम्ीों के वल कतता ह । तुम्ीों के वल धतता ह । तुम्ीों के वल
हतता ह । वनश्चयपूवाक तुम्ीों इन सब रूप ों में ववरतजमतन ब्रह्म ह । तुम
D
ॐ सतक्षतत वनत्य आत्मस्वरूप ह । ॐ
AP

ऋतों वस्थि। सत्यों वस्थि।।2।।


ॐ ॐ
ST

अथा: मैं ऋत न्यतययुक्त बतत कहतत हूँ। सत्य कहतत हूँ।


IN

अव त्व मतों। अव वक्ततरों । अव श्र ततरों । अव दतततरों ।


ॐ अव धतततरों । अवतनूचतनमव सशष्यों । अव पश्चतततत। अव पुरस्ततत। ॐ
अव र्त्रतर्त्तत। अव दसक्षणतर्त्ततर। अवच र्ध्तार्त्ततर।। अवतधरतर्त्ततर।।
ॐ सवात मतूँ पतवह-पतवह समों तततर।।3।। ॐ

अथा: हे पतवातीनों दन! तुम मेरी (मुझ सशष्य की) रक्षत कर । वक्तत (आचतया)
की रक्षत कर । श्र तत की रक्षत कर । दततत की रक्षत कर । धततत की रक्षत ॐ

कर । व्यतख्यत करने वतले आचतया की रक्षत कर । सशष्य की रक्षत कर ।
पसश्चम से रक्षत। पूवा से रक्षत कर । उर्त्र से रक्षत कर । दसक्षण से रक्षत
ॐ कर । ऊपर से रक्षत कर । नीचे से रक्षत कर । सब ओर से मेरी रक्षत कर । ॐ
चतर ों ओर से मेरी रक्षत कर ।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ त्वों वतङर मयस्त्वों सचन्मय:। त्वमतनों दमसयस्त्वों ब्रह्ममय:। ॐ
त्वों सस्थिदतनों दतवितीय ऽवर्। त्वों प्रत्यक्षों ब्रह्मतवर्।
त्वों ज्ञतनमय ववज्ञतनमय ऽवर्।।4।।
ॐ ॐ
अथा: तुम वतङर मय ह , सचन्मय ह । तुम आनों दमय ह । तुम ब्रह्ममय ह ।
तुम सस्थिदतनों द अवितीय ह । तुम प्रत्यक्ष ब्रह्म ह । तुम दतनमय ववज्ञतनमय
ॐ ॐ
ह।
सवं जगवददों त्वर्त् जतयते। सवं जगवददों त्वर्त्स्थस्त्ठतवत।

सवं जगवददों त्ववय लयमेष्यवत। सवं जगवददों त्ववय प्रत्येवत। ॐ
त्वों भूवमरतप ऽनल ऽवनल नभ:। त्वों चत्वतररकतकू पदतवन।।5।।

IN
अथा: यह जगत तुमसे उत्पन्न ह तत है। यह सतरत जगत तुममें लय क प्रतप्त ॐ

ह गत। इस सतरे जगत की तुममें प्रतीवत ह रही है। तुम भूवम, जल, अवि,
F.
वतयु और आकतश ह । परत, पश्चों ती, बैखरी और मध्यमत वतणी के ये
D
ॐ ववभतग तुम्ीों ह । ॐ
AP

त्वों गुणत्यततीत: त्वमवितत्यततीत:।


त्वों दे हत्यततीत:। त्वों कतलत्यततीत:।
ॐ ॐ
ST

त्वों मूलतधतरस्थित ऽसस वनत्यों ।त्वों शवक्तत्यतत्मक:।


त्वतों य वगन ध्यतयों वत वनत्यों । त्वों ब्रह्मत त्वों ववष्णुस्त्वों
IN


रूद्रस्त्वों इों द्रस्त्वों अविस्त्वों वतयुस्त्वों सूयास्त्वों चों द्रमतस्त्वों ॐ
ब्रह्मभूभुाव:स्वर मर।।6।।


अथा: तुम सत्व, रज और तम तीन ों गुण ों से परे ह । तुम जतगृत, स्वप्न और ॐ
सुर्ुवप्त इन तीन ों अवितओों से परे ह । तुम िूल, सूक्ष्म औ वतामतन तीन ों
दे ह ों से परे ह । तुम भूत, भववष्य और वतामतन तीन ों कतल ों से परे ह । तुम
ॐ मूलतधतर चक्र में वनत्य स्थित रहते ह । इच्छत, वक्रयत और ज्ञतन तीन प्रकतर ॐ
की शवक्तयतूँ तुम्ीों ह । तुम्तरत य गीजन वनत्य ध्यतन करते हैं। तुम ब्रह्मत
ह , तुम ववष्णु ह , तुम रुद्र ह , तुम इन्द्र ह , तुम अवि ह , तुम वतयु ह ,
ॐ तुम सूया ह , तुम चों द्रमत ह , तुम ब्रह्म ह , भू:, भूाव:, स्व: ये तीन ों ल क ॐ
तथत ॐकतर वतय पर ब्रह्म भी तुम ह ।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ गणतवद पूवामुितया वणतावदों तदनों तरों । अनुस्वतर: परतर:। अधेन्दल ु ससतों । ॐ
ततरेण ऋिों । एतर्त्व मनुस्वरूपों । गकतर: पूवारूपों । अकतर मध्यमरूपों ।
अनुस्वतरश्चतन्त्यरूपों । वबन्दुरूर्त्ररूपों । नतद: सों धतनों । सूँ वहततसों सध:
ॐ ॐ
सैर्त गणेश ववद्यत। गणकऋवर्: वनचृद्गतयत्ीच्छोंद:। गणपवतदे वतत।
ॐ गों गणपतये नम:।।7।।
ॐ ॐ
अथा: गण के आवद अथतात 'गर' कर पहले उितरण करें। उसके बतद वणों
के आवद अथतात 'अ' उितरण करें। उसके बतद अनुस्वतर उितररत ह तत है।
इस प्रकतर अधाचोंद्र से सुश सभत 'गों ' ॐकतर से अवरुि ह ने पर तुम्तरे बीज ॐ

मों त् कत स्वरूप (ॐ गों ) है। गकतर इसकत पूवारूप है।वबन्दु उर्त्र रूप है।

IN
नतद सों धतन है। सों वहतत सों ववध है। ऐसी यह गणेश ववद्यत है। इस महतमों त्
ॐ के गणक ऋवर् हैं। वनचृों ग्दतय छोंद है श्री मद्महतगणपवत दे वतत हैं। वह ॐ
महतमों त् है- ॐ गों गणपतये नम:। F.
D
एकदों ततय ववदरमहे। वक्रतुण्डतय धीमवह।
ॐ ॐ
AP

तन्न दों ती प्रच दयतत।।8।।


अथा: एक दों त क हम जतनते हैं। वक्रतुण्ड कत हम ध्यतन करते हैं। वह ॐ

ST

दन्ती (गजतनन) हमें प्रेरणत प्रदतन करें। यह गणेश गतयत्ी है।


IN

एकदों तों चतुहास्तों पतशमों कु शधतररणमर।रदों च वरदों हस्तैववाभ्रतणों


ॐ मूर्कर्ध्जमर। रक्तों लों ब दरों शूपाकणाकों रक्तवतससमर। ॐ
रक्तगों धतऽनुसलप्ततोंगों रक्तपुष्पै: सुपुसजतमर।। भक्ततनुकोंवपनों दे वों
ॐ जगत्कतरणमयुतमर। आववभूातों च सृष्टयतदौ प्रकृ ते पुरुर्तत्परमर। ॐ
एवों ध्यतयवत य वनत्यों स य गी य वगनतों वर:।।9।।
अथा: एकदोंत चतुभाज चतर ों हतथ ों में पतक्ष, अोंकुश, अभय और वरदतन की मुद्रत
ॐ धतरण वकए तथत मूर्क सचह्न की र्ध्जत सलए हुए, रक्तवणा लों ब दर वतले सूप जैसे ॐ
बडे-बडे कतन ों वतले रक्त वस्त्रधतरी शरीर प रक्त चों दन कत लेप वकए हुए रक्तपुष्प ों
से भसलभतूँ वत पूसजत। भक्त पर अनुकम्पत करने वतले दे वतत, जगत के कतरण
ॐ ॐ
अयुत, सृवष्ट के आवद में आववभूात प्रकृ वत और पुरुर् से परे श्रीगणेशजी कत ज
वनत्य ध्यतन करतत है, वह य गी सब य वगय ों में श्रे्ठत है।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ नम व्रततपतये। नम गणपतये। नम: प्रमथपतये। ॐ
नमस्तेऽस्तु लों ब दरतयैकदों ततय। ववघ्ननतसशने सशवसुततय।
श्रीवरदमूताये नम नम:।।10।।
ॐ ॐ
अथा: व्रतत (दे व समूह) के नतयक क नमस्कतर। गणपवत क नमस्कतर।
ॐ प्रथमपवत (सशवजी के गण ों के असधनतयक) के सलए नमस्कतर। लों ब दर ॐ
क , एकदों त क , सशवजी के पुत् क तथत श्रीवरदमूवता क नमस्कतर-
नमस्कतर ।।10।।
ॐ ॐ
एतदथवाशीर्ा य ऽधीते। स ब्रह्मभूयतय कल्पते।
स सवा ववघ्नैनाबतध्यते। स सवात: सुखमेधते।

IN
ॐ स पञ्चमहतपतपतत्प्रमुयते।।11।। ॐ

F.
अथा: यह अथवाशीर्ा (अथवावेद कत उपवनर्द) है। इसकत पतठ ज करतत
D

है, ब्रह्म क प्रतप्त करने कत असधकतरी ह जततत है। सब प्रकतर के ववघ्न ॐ
AP

उसके सलए बतधक नहीों ह ते। वह सब जगह सुख पततत है। वह पतूँ च ों
प्रकतर के महतन पततक ों तथत उपपततक ों से मुक्त ह जततत है।
ॐ ॐ
ST

सतयमधीयतन वदवसकृ तों पतपों नतशयवत।


प्रततरधीयतन रतवत्कृ तों पतपों नतशयवत।
IN

ॐ सतयों प्रतत: प्रयुों जतन ऽपतप भववत। ॐ


सवात्तधीयतन ऽपववघ्न भववत।

धमताथाकतमम क्षों च ववोंदवत।।12।। ॐ

अथा: सतयों कतल पतठ करने वतलत वदन के पतप ों कत नतश करतत है।

प्रतत:कतल पतठ करने वतलत रतवत् के पतप ों कत नतश करतत है। ज प्रतत:- ॐ
सतयों द न ों समय इस पतठ कत प्रय ग करतत है वह वनष्पतप ह जततत है। वह
सवात् ववघ्न ों कत नतश करतत है। धमा, अथा, कतम और म क्ष क प्रतप्त करतत
ॐ है। ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
इदमथवाशीर्ामसशष्यतय न दे यमर।
य यवद म हतदरदतस्यवत स पतपीयतनर भववत।
सहस्रतवतानततर यों यों कतममधीते तों तमनेन सतधयेतर।13।। ॐ

अथा: इस अथवाशीर्ा क ज सशष्य न ह उसे नहीों दे नत चतवहए। ज म ह के
ॐ कतरण दे तत है वह पततकी ह जततत है। सहस्र (हजतर) बतर पतठ करने से ॐ
सजन-सजन कतम -ों कतमनतओों कत उितरण करतत है, उनकी ससवि इसके ितरत
ही मनुष्य कर सकतत है।
ॐ ॐ
अनेन गणपवतमसभवर्ोंचवत स वतग्मी भववत

IN
चतुर्थ्तामनश्र्नन जपवत स ववद्यतवतन भववत।
ॐ इत्यथवाणवतक्यों । ब्रह्मतद्यतवरणों ववद्यततर ॐ

F.
न वबभेवत कदतचनेवत।।14।।
D

अथा: इसके ितरत ज गणपवत क स्नतन करततत है, वह वक्तत बन जततत है। ॐ
AP

ज चतुथी वतसथ क उपवतस करके जपतत है वह ववद्यतवतन ह जततत है,


यह अथवा वतक्य है ज इस मों त् के ितरत तपश्चरण करनत जतनतत है वह
ॐ ॐ
ST

कदतवप भय क प्रतप्त नहीों ह तत।


IN

य दूवतंकुरैंयाजवत स वैश्रवण पम भववत।


ॐ य लतजैयाजवत स यश वतन भववत स मेधतवतन भववत। ॐ
य म दकसहस्रेण यजवत स वतस्थित फलमवतप्र वत।
ॐ य: सतज्यसवमसद्भयाजवत स सवं लभते स सवं लभते।।15।। ॐ

अथा: ज दूवतंकुर के ितरत भगवतन गणपवत कत यजन करतत है वह कु बेर के


ॐ समतन ह जततत है। ज लतज (धतनी-लतई) के ितरत यजन करतत है वह ॐ
यशस्वी ह तत है, मेधतवी ह तत है। ज सहस्र (हजतर) लड्डुओों (म दक )ों
ॐ ितरत यजन करतत है, वह वतोंसछत फल क प्रतप्त करतत है। ज घृत के सवहत ॐ
सवमधत से यजन करतत है, वह सब कु छ प्रतप्त करतत है।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ अष्टौ ब्रतह्मणतनर सम्यग्ग्ग्रतहवयत्वतसूयावचास्वी भववत। ॐ
सूयाग्रहे महतनद्यतों प्रवतमतसों वनधौ
वत जप्त्वत ससिमों त् ों भववत।
ॐ ॐ
महतववघ्नतत्प्रमुयते।
महतद र्तत्प्रमुयते।
ॐ महतपतपततर प्रमुयते। ॐ
स सवाववद्भववत से सवाववद्भववत।
य एवों वेद इत्युपवनर्दर।।16।।
ॐ ॐ
अथा: आठ ब्रतह्मण ों क सम्यक रीवत से ग्रतह करतने पर सूया के समतन

IN
तेजस्वी ह तत है। सूया ग्रहण में महतनदी में यत प्रवतमत के समीप जपने से ॐ

मों त् ससवि ह ती है। वह महतववघ्न से मुक्त ह जततत है। ज इस प्रकतर
F.
जतनतत है, वह सवाज्ञ ह जततत है वह सवाज्ञ ह जततत है।
D
ॐ ॐ
AP

ॐ ॐ
ST
IN

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

श्री गणेश जी आरिी


ॐ ॐ
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वत ।
ॐ मततत जतकी पतवाती, वपतत महतदे वत ॥ ॐ
एक दों त दयतवों त, चतर भुजत धतरी ।
मतथे ससोंदरू स हे, मूसे की सवतरी ॥
ॐ ॐ
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वत ।
मततत जतकी पतवाती, वपतत महतदे वत ॥

IN
ॐ पतन चढे फल चढे , और चढे मेवत । ॐ

F.
लड्डुअन कत भ ग लगे, सों त करें सेवत ॥
D

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वत । ॐ
AP

मततत जतकी पतवाती, वपतत महतदे वत ॥


अोंधन क आों ख दे त, क वढन क कतयत ।
ॐ ॐ
ST

बतोंझन क पुत् दे त, वनधान क मतयत ॥


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वत ।
IN

ॐ मततत जतकी पतवाती, वपतत महतदे वत ॥ ॐ


'सूर' श्यतम शरण आए, सफल कीजे सेवत ।
ॐ मततत जतकी पतवाती, वपतत महतदे वत ॥ ॐ
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वत ।
मततत जतकी पतवाती, वपतत महतदे वत ॥
ॐ ॐ
दीनन की लतज रख , शों भु सुतकतरी ।
कतमनत क पूणा कर , जतऊों बसलहतरी ॥
ॐ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश दे वत । ॐ

मततत जतकी पतवाती, वपतत महतदे वत ॥


ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

IN
ॐ ॐ

F.
D
ॐ ॐ
AP

ॐ ॐ
ST
IN

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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