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Vidhayi टिप्पणी
Vidhayi टिप्पणी
नई र्दल्ली
र्वधायी र्िप्पण
संसद सदस्यों के उपयोगार्भ प्रकाशनार्भ नहीं
सं.23 /एलएन/रे फ./अगस्त/2023
श्री नीरि सेमवाल, संयुि सर्िव और श्री एस.होल्खोपाओ बाइते, र्नदेशक के पयभ वेक्षण में श्री र्वनोद कुमार खुयाहामा, संयुि र्नदेशक द्वारा तैयार
र्कया गया ।
यह र्वधायी र्िप्पण संसद सदस्यों के संसदीय कतभ व्यों के र्नवभ हन हे तु उनके र्निी उपयोग के र्लए है और प्रकाशनार्भ नहीं है । इस सेवा को सूिना
के स्रोत के रूप में उद्धत
ृ नहीं र्कया िाना िार्हए क्योंर्क यह अंत में /संदर्भ में दशाभ ए गए स्रोतों पर आधाररत है ।
पृष्ठर्ूर्म
र्वगत वर्षों के दौरान, तीव्र प्रौद्योर्गकीय र्वकास के पररणामस्वरूप र्वर्र्न्न कायभ कलापों के माध्यम से बड़े पैमाने पर डािा का सृिन
हु आ है तर्ा व्यवसायों द्वारा डािा के आधार पर पहले से अर्धक र्नणभ य र्लए िा रहे हैं । राज्य द्वारा सुर्वधाएं उपलब्लध कराने हे तु सरकार द्वारा बड़े
पैमाने पर डािा का संग्रहण और उपयोग र्ी र्कया िा रहा है। इसका एक उदाहरण बायोमीर्िक पहिान तर्ा आधार सत्यापन प्रणाली है र्िसके
माध्यम से सरकार रािसहायता िैसे लार्ों को लर्क्षत लोगों तक पहु ंिा पाती है । डािा का महत्व लगातार बढ़ता िा रहा है और र्वर्र्न्न प्रकार के
वैयर्िक डािा को प्राप्त करने हे तु कौशलों और अवसरों का तेिी से र्वकास हो रहा है। उपयोगकताभ ओ ं के वैयर्िक डािा का संरक्षण करने हे तु केंद्र
सरकार ने सूिना प्रौद्योर्गकी अर्धर्नयम, 2000 के अधीन अपनी शर्ियों का प्रयोग करते हु ए सूिना प्रौद्योर्गकी ( उर्ित सुरक्षा पद्धर्तयां एवं
प्रर्ियाएं और संवेदनशील वैयर्िक डािा या सूिना ) र्नयम, 2011 बनाए हैं ।
र्वधे यक की आवश्यकता
वैयर्िक डािा की अप्रार्धकृत, लापरवाही से और अज्ञानतावश प्रोसेर्संग र्कए िाने से व्यर्ियों तर्ा कंपर्नयों को र्ारी क्षर्त हो सकती
है। । यह सुर्नर्ित करने के र्लए वैयर्िक डािा सुरर्क्षत है यह िानना आवश्यक है र्क कौन सा डािा प्रोसेस र्कया िा रहा है, उसका प्रोसेस क्यों
हो रहा है और र्कस आधार पर र्कया िा रहा है। अतः, एक ऐसा र्वधान बनाए िाने की आवश्यकता है िो उपयोगकताभ ओ ं के वैयर्िक डािा के
संरक्षण एवं सुरक्षा हे तु उपबंध करता हो और र्वर्धसंगत उद्दे श्यों हे तु ऐसे वैयर्िक डािा की प्रोसेर्संग की आवश्यकता को स्वीकार करता हो ।
● डािा : सूिना, तथ्यों, अवधारणाओं, मतों या अनुदेशकों का ऐसी रीर्त में कोई प्रर्तर्नर्धत्व िो मानवों या स्विार्लत साधनों द्वारा संिार,
र्नवभ िन या प्रोसेर्संग के र्लए उपयुि है।
● डािा वैिार्सक : कोई व्यर्ि िो अकेले या अन्य व्यर्ियों के सार् र्मलकर वैयर्िक डािा की प्रोसेर्संग के प्रयोिन और साधनों को
अवधाररत करता है।
● डािा स्वामी : कोई व्यर्ि र्िसे वैयर्िक डािा संबंर्धत है और िहां ऐसा व्यर्ि बालक है, तो उसके अंतगभ त ऐसे बालक के माता-र्पता या
र्वर्धपूणभ संरक्षक र्ी शार्मल हैं।
● वैयर्िक डािा: र्कसी व्यर्ि के संबंध में कोई डािा र्िसकी ऐसे डािा द्वारा या उसके संबंध में पहिान की िा सकती है।
डीपीडीपी अर्धर्नयम र्ारत के राज्यक्षेत्र में संग्रर्हत वैयर्िक डािा के प्रिमण में लागू होगा िहााँ: (i) ऐसा वैयर्िक डािा डािा स्वार्मयों
से ऑनलाइन संग्रर्हत र्कया गया हो; और (ii) ऑफलाइन प्ररूप में संग्रर्हत ऐसा वैयर्िक डािा र्िसे र्डर्ििाइज़ र्कया गया हो।
डीपीडीपी अर्धर्नयम र्ारत के राज्यक्षेत्र से बाहर र्डर्ििल डािा के प्रिमण पर र्ी लागू होगा, यर्द ऐसा प्रिमण र्ारत में लोगों की
प्रोफाइर्लंग या र्ारत में डािा स्वामी को माल या सेवाओं के प्रस्ताव से संबंर्धत र्कसी कायभ कलाप के संबंध में र्कया िाता है।
यह अर्धर्नयम र्नम्न पर लागू नहीं होता है: (i) र्कसी व्यर्ि द्वारा र्कसी वैयर्िक या घरे लू प्रयोिन के र्लए प्रिर्मत वैयर्िक डािा (ii)
वैयर्िक डािा र्िसे, (अ) डािा स्वामी द्वारा, र्िससे ऐसा वैयर्िक डािा संबंर्धत है;या (आ) र्कसी अन्य व्यर्ि को, िो र्ारत में तत्समय
प्रवृत्त र्कसी र्वर्ध के अधीन ऐसे वैयर्िक डािा को पर्ब्ललक रूप से उपलब्लध कराने के र्लए आबद्ध है, द्वारा पर्ब्ललक को उपलब्लध कराया
िाता है या उपलब्लध कराया िाना काररत र्कया िाता है।
वैयर्िक डािा के प्रिमण के र्लए आधार: कोई व्यर्ि र्कसी डािा स्वामी के वैयर्िक डािा का प्रिमण केवल इस अर्धर्नयम के उपबंधों
के अनुसार और केवल ऐसे प्रयोिन के र्लए ही कर सकेगा र्िसको र्वर्ध द्वारा अर्र्व्यि रूप से र्नर्र्षद्ध नहीं करार र्दया गया है। यह
डािा स्वामी की सहमर्त से ही र्कया िा सकता है ।
सहमर्त: वैयर्िक डािा केवल सहमर्त से या प्राप्त मानी गई सहमर्त से ही प्रिर्मत र्कया िा सकता है। डािा स्वामी द्वारा दी गई सहमर्त
र्न:शुल्क, र्वर्नर्दभ ष्ट, संसर्ू ित, र्बना र्कसी शतभ के और स्पष्ट तर्ा सकारात्मक कारभ वाई के र्लए होगी और वह र्वर्नर्दभ ष्ट प्रयोिन के
र्लए उसके वैयर्िक डािा के प्रिमण तर्ा ऐसे वैयर्िक डािा तक सीर्मत रहे गी, िो र्वर्नर्दभ ष्ट प्रयोिन के र्लए आवश्यक हो, के र्लए
र्कसी करार को उपदर्शभ त करे गी। र्कसी बालक या र्दव्यांगिन, र्िसका एक र्वर्धपूणभ संरक्षक है, के र्कसी वैयर्िक डािा का प्रिमण
करने से पहले यर्ार्स्र्र्त ऐसे बालक के माता-र्पता या र्वर्धपूणभ संरक्षक की ऐसी रीर्त में िो र्वर्हत की िाए सत्यापन योग्य सहमर्त
प्राप्त करे गा।
डािा स्वामी को र्कसी र्ी समय अपनी सहमर्त उतनी ही सहि रीर्त से वापस लेने का अर्धकार होगा र्ितनी सहि रीर्त से वह दी गई
र्ी। ऐसा प्रत्याहरण उसके प्रत्याहरण से पूवभ सहमर्त के आधार पर र्निी डािा के प्रिमण की र्वर्धमान्यता को प्रर्ार्वत नहीं करे गा।
डािा वैिार्सक की बाध्यताएं : डािा वैिार्सक इस अर्धर्नयम के उपबंधों के अनुपालन के र्लए उत्तरदायी होगा। वह अपने र्नयंत्रण में
वैयर्िक डािा की सिीकता, सुरक्षा और िब यह मान र्लया िाए र्क र्िस प्रयोिन के र्लए इस तरह के वैयर्िक डािा का संग्रह र्कया
गया र्ा उस प्रयोिन के र्लए या क़ानूनी या कारोबार के प्रयोिन से उसे रखने की आवश्यकता नहीं है, तो उसका लोप करने के र्लए
र्िम्मे दार होगा। वैयर्िक डािा दुरुपयोग की र्स्र्र्त में , प्रत्येक प्रर्ार्वत डािा स्वामी और डािा संरक्षण बोडभ को इसके बारे में सूर्ित
र्कया िाना आवश्यक है।
डािा संरक्षण अर्धकारी की र्नयुर्ि: डािा वैिार्सक एक वैध अनुबंध के तहत माल और सेवाएाँ प्रदान करने के र्लए अपनी ओर से
वैयर्िक डािा का प्रिमण करने के र्लए डािा प्रिमणकताभ को र्नयोर्ित, र्नयुि या शार्मल कर सकते हैं। एक डािा वैिार्सक डािा
स्वामी की र्शकायतों का र्नवारण करने के र्लए एक प्रर्ावी तंत्र स्र्ार्पत करे गा और डािा संरक्षण अर्धकारी िो डािा वैिार्सक की ओर
से डािा स्वामी द्वारा उसके वैयर्िक डािा के प्रिमण के बारे में उठाए गए प्रश्नों, यर्द कोई हो, का िवाब देने में सक्षम होगा, की संपकभ
िानकारी र्ी प्रकार्शत करे गा।
सूिना अर्र्गम अर्धकार: डािा स्वामी को यह िाने का अर्धकार है र्क: (i) क्या कोई डािा वैिार्सक उसके वैयर्िक डािा का प्रिमण
कर रहा है या कर िुका है; (ii) यर्द हााँ, तो डािा वैिार्सक द्वारा प्रिर्मत र्कये गए वैयर्िक डािा और प्रिमण र्ियाकलापों का सार;
(iii) साझा र्कये गए वैयर्िक डािा के वणभ न के सार् उन सर्ी की पहिान, र्िनके सार् डािा साझा र्कया गया है।
वैयर्िक डािा सुधारने और र्मिाने का अर्धकार: डािा स्वामी को तत्समय प्रवृत्त र्कसी र्वर्ध के अधीन अपने वैयर्िक डािा को
सुधारने, पूरा करने, अद्यतन करने और र्मिाने का अर्धकार होगा। यर्द र्वर्नर्दभ ष्ट प्रयोिन के र्लए या तत्समय प्रवृत्त र्कसी कानून के
अनुपालन के र्लए डािा को रखना आवश्यक है, तो ऐसे अनुरोधों को अस्वीकार र्कया िा सकता है।
र्शकायत र्नवारण का अर्धकार: डािा स्वामी को डािा वैिार्सक के समक्ष र्शकायत दिभ कराने और एक र्नधाभ ररत अवर्ध के र्ीतर उत्तर
प्राप्त करने का अर्धकार है। यर्द वह उत्तर से संतुष्ट न हो तो वह बोडभ से संपकभ कर सकता है।
डािा स्वामी के कतभ व्य: डािा स्वामी का कतभ व्य यह सुर्नर्ित करना है र्क र्कसी र्वर्नर्दभ ष्ट उद्दे श्य के र्लए वैयर्िक डािा प्रदान करते
समय र्कसी व्यर्ि का प्रर्तरूपण न र्कया िाए और वैयर्िक डािा प्रदान करते समय र्बना र्कसी तथ्य को र्छपाए प्रामार्णक िानकारी
प्रस्तुत की िाए ।
5. र्वशेर्ष उपबंध
र्ारत के बाहर वैयर्िक डािा का प्रिमण: यह अर्धर्नयम केंद्र सरकार द्वारा अर्धसूिना के माध्यम से प्रर्तबंर्धत र्कये गए देशों को
छोड़कर, र्ारत के बाहर वैयर्िक डािा के अंतरण की अनुमर्त देता है।
छू ि : केंद्र सरकार र्ारत की संप्रर्ुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, र्वदे शी राज्यों के सार् मैत्रीपूणभ संबंधों और लोक व्यवस्र्ा बनाए
रखने या र्कसी र्ी संज्ञेय अपराध के काररत होने के प्रर्त उद्दीपन के र्नवारण के र्लए सरकारी एिें र्सयों को र्वधेयक के प्रावधानों के
लागू होने से छू ि दे सकती है।
यह र्वधेयक एक स्वतंत्र र्नकाय अर्ाभ त र्ारतीय डािा संरक्षण बोडभ की स्र्ापना का उपबंध करता है । बोडभ के प्रमुख कायभ इस प्रकार हैं: (एक)
अनुपालन की र्नगरानी करना और शार्स्त अर्धरोर्पत करना (दो) डािा र्ंग होने की र्स्र्र्त में आवश्यक उपाय करने के र्लए डािा वैिार्सकों को
र्नदेश दे ना और (तीन) प्रर्ार्वत व्यर्ियों की र्शकायतों को सुनना ।
7. अपील और वैकर्ल्पक र्ववाद समाधान
यर्द बोडभ की यह राय है र्क मध्यस्र्ता द्वारा र्कसी र्शकायत का समाधान र्कया िा सकता है, तो बोडभ संबर्न्धत पक्षों को ऐसे मध्यस्र् द्वारा र्िस
पर पक्षकारों की पारस्पररक सहमर्त बनी हो, के माध्यम से या िैसा र्वर्ध के अधीन उपबंध र्कया गया हो, र्ववाद का समाधान करने का प्रयास
करने का र्नदेश दे सकता है ।
बोडभ द्वारा र्कए गए र्कसी आदे श या र्नदेश द्वारा व्यर्र्त कोई व्यर्ि अपील अर्धकरण के समक्ष अपील कर सकता है । अर्धकरण उस अपील के
र्वरुद्ध सुर्नर्ित करके, उपांतररत करके या एकपक्षीय आदेश पाररत करे गा ।
8. शार्स्तयााँ और न्यायर्नणभ यन
र्वधेयक की अनुसि ू ी में इस र्वधेयक के उपबंधों के र्ंग के र्लए दस हिार रुपये से लेकर दो अरब पिास करोड़ रुपये तक की शार्स्त का उपबंध है ।
शार्स्त की सम्पूणभ सूिी के र्लए कृपया अनुबंध-दो का अवलोकन करें ।
9. प्रकीणभ उपबंध
सद्भावपूवभक की गई कारभ वाई के र्लए संरक्षण: केन्द्रीय सरकार, बोडभ , इसके अध्यक्ष और र्कसी अन्य सदस्य या अर्धकारी के र्वरुद्ध
सद्भावपूवभक की गई र्कसी बात के र्लए इस अर्धर्नयम के उपबंधों के अधीन र्वर्धक कारभ वाइयां नहीं की िाएं गी ।
सूिना मांगने की शर्ि: केन्द्रीय सरकार, बोडभ या र्कसी डािा र्विासी को ऐसी सूिना प्रस्तुत करना अपेर्क्षत कर सकेगी, िो वह मांगे ।
र्नदेश िारी करने की केन्द्रीय सरकार की शर्ि: केन्द्रीय सरकार या इस र्नर्मत्त प्रार्धकृत कोई अर्धकारी बोडभ से र्लर्खत प्रर्तर्नदेश प्रार्प्त
पर केन्द्रीय सरकार के र्कसी अर्र्करण या र्कसी मध्यवती को ऐसी र्कसी सूिना तक िनसाधारण द्वारा पहु ाँि को अवरुद्ध करने का र्नदेश
दे सकेंगे ।
अर्धकाररता पर रोक : कोई र्सर्वल न्यायालय ऐसे र्कसी र्वर्षय के संबंध में र्कसी वाद या कायभ वाही पर र्कसी सुनवाई की अर्धकाररता नहीं
रखेगा, र्िसके र्लए इस अर्धर्नयम के उपबंधों के अधीन बोडभ सशि है।
र्नयम बनाने की शर्ि : केन्द्रीय सरकार, इस अर्धर्नयम के अधीन र्नयम बनाने के र्लए अर्धकृत है।
आलोिकों की मुख्य र्िंताओं में से एक यह है र्क र्वधेयक में कर्तपय मामलों में व्यर्ियों के व्यर्िगत डािा को प्रिर्मत करने के र्लए
सरकारी संस्र्ाओं के र्लए अपवाद बनाए गए हैं ।
केंद्र सरकार के पास र्वर्ध लागू होने के पांि साल तक र्कसी र्ी अवर्ध के र्लए र्कसी र्ी संस्र्ा को र्वधेयक के र्कसी र्ी उपबंध से छू ि दे ने
की शर्ि है।
यह र्वधेयक इस र्वधेयक के उपबंधों से संबर्धत महत्वपूणभ मामलों पर र्नयम बनाने के र्लए केंद्र सरकार को काफी शर्ियां प्रदान करता है।
यह र्वधेयक र्ारत राज्यक्षेत्र के र्ीतर र्डर्ििल रूप में एकत्र र्कए गए या गैर-र्डर्ििल रूप में एकत्र र्कए गए और बाद में र्डर्ििाइज़ र्कए
गए व्यर्िगत डािा पर लागू होता है। यह र्ारत के राज्यक्षेत्र से बाहर र्डर्ििल व्यर्िगत डािा पर र्ी लागू होगा, “यर्द ऐसा प्रिमण र्ारत में
लोगों को माल या सेवाओं की पेशकश से संबंर्धत र्कसी कायभ कलाप के संबंध में र्कया िाता है।“
र्ारत का डािा संरक्षण बोडभ स्वतंत्र इकाई नहीं है क्योंर्क अध्यक्ष और सदस्यों की र्नयुर्ि की शर्ि केंद्र सरकार के पास है।
संदर्भ :
http://164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/113_2023_LS_Eng83202330313PM.pdf
https://www.meity.gov.in/writereaddata/files/Explanatory%20Note-
%20The%20Digital%20Personal%20Data%20Protection%20Bill%2C%202022.pdf
https://www.cnbctv18.com/technology/exclusive-the-changes-in-the-new-digital-personal-data-protection-bill-2023-explained-
17411621.htm
https://www.thenewsminute.com/article/digital-personal-data-protection-bill-2023-what-are-opposition-s-main-objections-180288
अनुबंध
नई र्दल्ली :
19 िुलाई , 2023
अर्िनी वैष्णव
अनुबंध-दो