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CAPSULE NOTE

STANDARD 10
HINDI
(UPDATED SCERT SYLLABUS)

UNIT 1
CHAPTER 2

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था !

हताशा से एक व्यक्तत बैठ गया था ! 1

2024 - 2025
QUESTION AND ANSWERS
1.‘जानना’ शब्द की लेखक की व्याख्या से आप कहााँ तक सहमत हैं ?

उत्तर:
लेखक का कहना सही है। अकसर हम दू सरोों को उनके नाम, पता, उम्र, ओहदे , जातत आतद के
द्वारा जानते हैं। लेतकन असल में तकसी को जानना है तो उसके जीवन के असतलयत को जानना
है। उसका दु ख, तनराशा, असहायता और कतठनाइयोों को जाने तबना ‘जानना’ कभी पूरा नही ों
होता।

2.कतवता के तशल्प-पक्ष पर लेखक के क्या-क्या तनरीक्षण है?

उत्तर:
लेखक कहते हैं तक इस कतवता में तशल्प की बारीक कारीगरी हम दे ख सकते हैं। इसमें
‘जानना’ तकसी लोकगीत की स्थाई की तरह बार-बार आता है। इस कतवता में गीतात्मकता
बोध बहुत तमलता है।

3.सूचनााः कतवता का यह अोंश पढे और तनम्नतलक्तखत प्रश्ोों के उत्तर तलखें।


हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था ।
व्यक्ति को मैं नही ों जानता था ।
हताशा को जानता था।

यहााँ कतव क्या कहना चाहता है?


उत्तर:
ददद और एहसास सबके एक जैसे होते है।
उसे समझने केतलए तकसी को वैयक्तिक रूप से जानने की ज़रूरत नही ों।

4.‘व्यक्ति को न जानना’ और ‘हुताशा को जानना’ का मतलब क्या है ?


उत्तर:
व्यक्ति न जानना का अथद है – उनका नाम, पता, स्थान, जातत आतद का न जानना। हताशा को
जानना का मतलब है उनके एहसासोों और ददो को जानना।

5.यहााँ कतव का कौन-सा मनोभाव व्यि होता है?


उत्तर:
तकसी व्यक्ति के एहसासोों और दोों का जानने का मनोभाव है। ददद और एहसास सब के एक
जैसे होते है। उसे समझने केतलए तकसी को वैयक्तिक रूप से जानने की ज़रूरत नही ों हैं।

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2024 - 2025
6.नरे श सक्सेना के मत में जानने पहचानने की हमारी रूढी क्या है ?

उत्तर:
व्यक्ति के नाम, पते, उम्र, ओहदे या जातत ही तकसी को जानने पहचानने की हमारी रूढी है।

7.नरे श जी के मत में हमें तकसी व्यक्ति की तकन-तकन बातोों को जानना चातहए?

उत्तर:
हमें तकसी भी व्यक्ति की हताशा, तनराशा और असहायता को जानना पहचानना चातहए।

8."हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था" कतवता में तकसकी याद तदलाती है?/कतव के उनुसार
मनुष्य को कैसे जानना चातहए?

उत्तर:
यह कतवता मनुष्य को मनुष्य की तरह जानने की याद तदलाती है।

9.मनुष्य को मनुष्य की तरह जानना है"। मनुष्यता का सोंदेश दे ने के तलए पोस्टर तैयार करें ।

मनुष्य को मनुष्य की तरह जानने


और उसकी सहायता करने में ही मनुष्यता है ।

10.कतवताोंश का तिप्पणी तलखें।

प्रस्तुत पोंक्तियााँ श्री तवनोद कुमार शुक्ल की कतवता “हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था”
कतवता से ली गई हैं। इन पोंक्तियोों में कतव तकसी व्यक्ति को जानने का हमारा जो रूढी होता है
वह तोड़ दे ते हैंIप्रस्तुत पोंक्तियोों में कतव कहते है तक एक व्यक्ति हताशा होकर बैठ गया था।वह
व्यक्ति कौन है ? उसका नाम, पता उम्र ओहदा, जातत, आतद के सोंबन्ध में कोई जानकारी कतव
को नही ों था। लेतकन तसर्द यह जानते थे तक वह व्यक्ति हताश है। उसे मदद की जरूरत है।

इसतलए कतव उसके पास जाते है और उसकी और अपना हाथ बढाते है। अथादत्,
उसकी सहायता करने केतलए तैयार होते हैं। प्रस्तुत पोंक्तियोों से जो आशय तनकलता है वह
तबलकुल प्रासोंतगक है। अथादत मनुष्य को मनुष्य की तरह जानना है।

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2024 - 2025
कतवता की प्रस्तुत पोंक्तियोों में कतव कहते है तक नाम, पता, उम्र ओहदा जातत
आतद के बारे में कोई जानकाररयाों न होने पर भी वह हताश व्यक्ति उनका हाथ पकड़कर
खड़ा हुआ। वह तसर्द यह जानता था तक उसकी मदद करने केतलए ही कतव का हाथ बढा रहा
था। एक दू सरे की नही ों जानने पर भी दोनोों साथ चलने को जानते थे।

11.तिप्पणी के आधार पर तलखें।

'जानने' के रूतढग्रस्त आधार 'जानने' के असली आधार


• ………………………………….. • …………………………………..
• …………………………………… • ……………………………………
• ……………………………………. • …………………………………….
• ……………………………………. • …………………………………….

उत्तर:

'जानने' के रूतढग्रस्त आधार 'जानने' के असली आधार


• एक व्यक्ति का नाम • उसकी हताशा
• एक व्यक्ति का पता • उसकी तनराशा
• एक व्यक्ति का उम्र • उसकी असहायता
• एक व्र्व्व्याि का ओहदा • उसका सोंकि

12.कतवता पर तिप्पणी तलखते समय तकन-तकन बातोों पर ध्यान दे ना है? नरे श सक्सेना की
तिप्पणी के आधार पर आकलन सू ची तैयार करें ।

उत्तर:

• कतव का पररचय तदया है।


• कतवता का आशय सोंतक्षप्त रूप से प्रस्तुत तकया है।
• कतवता का सोंदेश तलखा है।
• कतवता के तशल्प पक्ष का तवश्लेषण तकया है।

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