Professional Documents
Culture Documents
उसकी हर जिद
उसकी हर जिद
गुस्सा बादलों जैसा, पल भर में छं ट जाता, प्यार का सूरज फिर निकल आता था।
मेरे हर सपने को अपने सपने से भी ज्यादा चाहती थी रातों को जागकर दुआ मांगते हुए।
हर कठिन रास्ते पर मेरा हाथ थामकर आसान बना देने वाली भी वही थी।
उसके बिना ये ज़िंदगी अब कै सी सज़ा है, अधूरे वादों का बोझ, जिसे हर पल ढोना पड़ता है।
काश! लौट आते वो प्यार के पल, उसकी जिदें, उसके वादे, उसकी वो आदतें।
लेकिन वक्त कभी पीछे नहीं मुड़ता, सिर्फ यादें रह जाती हैं,
अब जीना सीख रहा हूँ, टू टे हुए सपनों के टु कड़ों को समेट कर, उसकी खुशियों की दुआ मांगता हूँ, इस
टू टे हुए दिल के सहारे।