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जिदें और वादे

उसकी हर जिद, मेरे लिए एक ख्वाब बनती थी,

हर रूठना, उसकी मोहब्बत की रस्म लगती थी।

सुबह की पहली किरण से पहले चाय बनाना उसका दस्तूर था,

शाम ढले छे ड़ देती थी वो राग, जो सिर्फ मेरे दिल के तार छू ती थी।

बात-बात पर आँखों में आँसू लाना उसकी कला थी,

फिर उन्हीं आँखों से प्यार का समंदर बहाना उसका हुनर था।

हमारे झगड़े भी इश्क की ही तूफानी रातें थीं,

गुस्सा बादलों जैसा, पल भर में छं ट जाता, प्यार का सूरज फिर निकल आता था।

वह याद करती थी मेरे बचपन की हर छोटी-बड़ी बात,

मेरे हर सपने को अपने सपने से भी ज्यादा चाहती थी रातों को जागकर दुआ मांगते हुए।

पहली बार तितली का स्पर्श कराने वाली वो थी,

हर कठिन रास्ते पर मेरा हाथ थामकर आसान बना देने वाली भी वही थी।

कसमों का सिलसिला था, वादों की गंगा बही थी,

साथ जीने-मरने की कसम हर सांस के साथ ली थी।

सोचा था हमारी कहानी कभी अधूरी नहीं रहेगी,

दो दिल एक धड़कते रहेंगे, खुशियों का सिलसिला हमेशा चलता रहेगा।

लेकिन वक्त का ये कै सा तूफान आया,

खामोशी का साया हमारे बीच छा गया।


जिदें और वादे
उसकी जिदें अब सिर्फ याद दिलाती हैं

बिछड़े हुए लम्हों को,

उसके वादे जख्म बन गए हैं मेरे टू टे हुए दिल पर।

उसकी बनाई चाय की खुशबू अब किसी और के हाथों से आती है,

उसके गुनगुनाए गीत अब किसी और की आवाज़ में गूंजते हैं।

उसके कं धे पर अब कोई और सिर टिकाता है,

मेरे अधूरे ख्वाबों को कोई और पूरा करने चल पड़ा है।

दर्द इतना है कि सीने में समेट नहीं पाता,

हर सांस के साथ सिर्फ उसका ही नाम पुकारता है ये टू टा हुआ दिल।

उसके बिना ये ज़िंदगी अब कै सी सज़ा है, अधूरे वादों का बोझ, जिसे हर पल ढोना पड़ता है।

काश! लौट आते वो प्यार के पल, उसकी जिदें, उसके वादे, उसकी वो आदतें।

लेकिन वक्त कभी पीछे नहीं मुड़ता, सिर्फ यादें रह जाती हैं,

जो ज़िंदगी भर सीने में ज्वाला बनकर जलती रहेंगी।

अब जीना सीख रहा हूँ, टू टे हुए सपनों के टु कड़ों को समेट कर, उसकी खुशियों की दुआ मांगता हूँ, इस
टू टे हुए दिल के सहारे।

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