Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 1

शिक्षक ददवस

जन्म ददवस राधाकृ ष्णन् का


शिक्षक ददवस कहाता
गुरू पर श्रद्वा रखने का
यह िुभ अवसर है आता

जन्म ददया मााँ बाप ने पर


शिक्षक ने ज्ञान शसखाया
मनुष जनम दकस तरह साथथक
इसका पाठ पढ़ाया

शिक्षक है उस दीप शिखा सा


जल प्रकाि फै लाता
प्रगशत शिखर पर देख शिष्य
को मन ही मन हरषाता

शिक्षक के सम शमत्र - शहतैषी


कोई नहीं बन पाता
ईश्वर से पहले गुरू - वन्दन
यह शवधान बतलाता

शिष्य वही जो शिक्षक पर


श्रद्वा , शवश्वास ददखाता
जीवन सोपानों पर चढ़
उन्नशत के शगरर को पाता
…………………स्नेह लता

You might also like