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प्रेमचंद के उपन्यासों में मध्यम वर्ग

और उसकी समस्याएं

यह शोध प्रस्ताव उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त


विश्वविद्यालय, प्रयागराज के एम.ए.(हिंदी) पाठ्यक्रम
के तृतीय सेमेस्टर के अनिवार्य प्रोजेक्ट कार्य
MAHI- 115 साहित्य सर्वेक्षण/प्रोजेक्ट
कार्य के सम्बंध में एम.ए.(हिन्दी) के द्वितीय सेमेस्टर
में MAHI 110- शोध प्रस्ताव के रूप में
डॉ. निरुपम शर्मा, सहायक प्रोफे सर हिंदी विभाग
बरेली कॉलेज, बरेली के समक्ष उनकी स्वीकृ ति
हेतु प्रस्तुत किया जा रहा है।

निर्देशक: शोध छात्रा:


डॉ. निरुपम शर्मा शोभा जोशी
सहायक प्रोफे सर एम.ए. (हिंदी)
हिंदी विभाग बरेली कॉलेज बरेली उत्तर प्रदेश राजर्शी टंडन मुक्त
विश्वविद्यालय प्रयागराज
अनुक्रमांक: 2321606226272923
अध्ययन कें द्र: क्षेत्रीय कें द्र, बरेली
शोध प्रस्ताव का उद्देश्य :

यह शोध शीर्षक प्रेमचंद के उपन्यासों में मध्यम वर्ग

और उसकी समस्याएं प्रस्ताव उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन

मुक्त

विश्वविद्यालय, प्रयागराज के एम.ए.(हिंदी) पाठ्यक्रम

के तृतीय सेमेस्टर के अनिवार्य प्रोजेक्ट कार्य MAHI- 115

साहित्य सर्वेक्षण/प्रोजेक्ट कार्य के सम्बंध में एम.ए.(हिन्दी)

के द्वितीय सेमेस्टर में MAHI-110 शोध प्रस्ताव के रूप में

प्रस्तुत किया जा रहा है ।


शोध प्रस्ताव की संरचना :

यह शोध प्रस्ताव शोध कार्य के संबंध में रूप रेखा प्रस्तुत

करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। शोध कार्य की

संभावित संरचना निम्न प्रकार से है :-

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यह शोध का प्रारूप या संरचना अन्तिम नहीं है, और शोध

की प्रक्रिया में शोध निर्देशक महोदया जी के परामर्शनुसार

/ निर्देशानुसार आवशयक संशोधन कर शोध कार्य को

अन्तिम रूप दिया जाएगा ।


शोध का सार और विषय:

उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को एक यथार्थवादी

दिशा दी है प्रेमचंद जी का साहित्य आज के समय में उतना

ही प्रासंगिक है जितना उनके दौर में था ।

प्रेमचंद जी का कथा साहित्य उसे समय जितना यथार्थवादी

था ,आज के समय में भी उन सभी मूल्य और मानदंडो पर

खरा उतरता है ऐसा कहना कदाचित उचित है प्रेमचंद जी के

उपन्यासों में किसान स्त्री गरीब और श्रमिक के जीवन का

मार्मिक चित्रण किया गया है तथा उनके जीवन पर अनेकों


कहानियां और उपन्यासों को लिखा है हिंदी साहित्य के क्षेत्र

में प्रेमचंद जी का योगदान अविस्मरणीय है उन्होंने उपन्यास

और कहानी के माध्यम से लोगों को हिंदी साहित्य से मिलने

का काम किया तथा उनके द्वारा लिखा गया साहित्यिक रूप

आज के समय में भी यथार्थवादी पटल पर श्रेष्ठ को प्रदर्शित

करता है ।

प्रेमचंद जी ने अपने उपन्यासों में माध्यम से मध्यम

वर्ग के समाज और मध्यम वर्ग की समस्याओं को

विषय बनाकर अपने कई उपन्यासों का सृजन किया

है, इस शोध कार्य के माध्यम से उन उपन्यासों को

रेखांकित किया जाएगा और यह प्रयास किया जाएगा

की प्रेमचंद जी ने मध्यम वर्ग व उसकी समस्याओं

का चित्रण कहां तक किया है।


शोध प्रस्ताव का परिचय :

शोध कार्य को उचित दिशा प्रदान करने के लिए शोध कार्य

एक निश्चित संरचना प्रदान कर शोध कार्य को प्रमुख

भागो मे विभाजित किया जाएगा उन विभिन्न भागो का

वर्णन निम्नलिखित है :-
भूमिका:-

(विषय का महत्व स्वरूप एवं सीमा विषय की उपयोगिता इसका

परीक्षण धन्यवाद ज्ञापन आदि )

शोध कार्य के इस भाग में शोध के विषय के महत्व को स्पष्ट

किया जाएगा साथ ही शोध क्यों आवश्यक है। इस पर प्रकाश

डाला जाएगा शोध का स्वरूप एवं सीमा स्पष्ट की जाएगी ,

विषय की उपयोगिता , विषय का परीक्षण, और धन्यवाद ज्ञापन

भी प्रस्तुत किया जाएगा ।


अध्याय 1:

(हिंदी उपन्यास का विकास क्रम, प्रेमचंद पूर्व युग, प्रेमचंद

युग प्रेमचंदोत्तर युग ,स्वतंत्रता के पश्चात का युग)

इस अध्याय के अंतर्गत प्रेमचंद जी के संबंध में उपन्यास के

विकास क्रम को स्पष्ट किया जाएगा इसके अंतर्गत मुख्य रूप

से प्रेमचंद से पूर्व उपन्यास प्रेमचंद युगीन उपन्यास,

प्रेमचंदोत्तर उपन्यास व स्वतन्त्रता पश्चात के उपन्यासों का

विवरण दिया जाएगा ।


अध्याय 2:

(मध्यम वर्ग परिभाषा ,व्याख्या और स्वरूप )

दूसरे अध्याय के अंतर्गत मध्यम वर्ग की परिभाषा, मध्यम

वर्ग की व्याख्या व मध्यम वर्ग के स्वरूप को रेखांकित किया

जाएगा भारत में अंग्रेजी सम्राज्य से पूर्व मध्यम वर्ग की

स्थिति व स्वरूप व भारत में अंग्रेजी राज्य के पश्चात मध्यम

वर्ग के स्वरूप का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा ।


अध्याय 3:

(प्रेमचंद के उपन्यासों में मध्यम वर्गीय समाज, परिवेश और

मानसिकता, राजनीतिक चेतना, ,सामाजिक,धार्मिक चेतना)

शोध प्रबंध के इस अध्याय में प्रेमचंद के उपन्यासों में मध्यम

वर्गीय समाज मध्यम वर्ग का परिवेश और मानसिकता व

मध्यम वर्ग के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक ,परिवेश का

अध्ययन किया जाएगा।


अध्याय 4:

(प्रेमचंद के उपन्यासों में चित्रित मध्यम वर्ग की समस्याएं)

शोध प्रबंध के इस अध्याय में प्रेमचंद के उपन्यासों में मध्यम

वर्ग की समस्याएं शीर्षक के अंतर्गत प्रेमचंद जी के प्रमुख

उपन्यासों जैसे प्रतिज्ञा, वरदान, निर्मला, कायाकल्प, गोदान,

गबन, सेवासदन,कर्मभूमि, रंगभूमि, प्रेमाश्रम आदि उपन्यासों

में मध्यम वर्गीय समाज की समस्याओं और मध्यमवर्ग की


मानसिकता का वर्णन किया जाएगा इस अध्याय में किस

प्रकार प्रेमचंद जी ने अपने उपन्यासों में इन समस्याओं का

वर्णन किया है रेखांकित किया जाएगा ।

अध्याय 5:

(उपसंहार प्रस्तुत शोध में प्राप्त तथ्यों का संक्षिप्त विवेचन )

शोध प्रबंध के इस भाग में उपसंहार दिया जाएगा शोध में

प्राप्त विभिन्न तत्वों, विभिन्न तथ्यों का संक्षिप्त विवेचन

किया जाएगा प्रेमचंद के सभी सामाजिक उपन्यासों का

निष्कर्ष व सीमाओं का विश्लेषण मध्यम वर्ग के संदर्भ में

प्रस्तुत किया जाएगा ।


ग्रंथ सूची:

(आधार व सहायक ग्रंथ की सूची शब्दकोश पत्र पत्रिकाएं आदि)

शोध प्रबंध के इस भाग के अंत में ग्रंथ सूची उपलब्ध की

जाएगी जिसके अंतर्गत आधार सहायक ग्रंथ और पत्र

पत्रिकाओं, सहायक पुस्तकों की सूची उपलब्ध की जाएगी

जिनका उपयोग शोध कार्य में किया गया है ।


साहित्य की समीक्षा :

साहित्य समीक्षा के अंतर्गत प्रेमचंद जी के जीवन से जुड़ी हुई

पुस्तक उनके साहित्यिक जीवन और उनके प्रमुख सामाजिक

उपन्यासों का अध्ययन किया जाएगा और शोध कार्य की रूपरेखा

तय की जाएगी इस संबंध में मध्यम वर्ग की समस्याओं से

संबंधित उपन्यासों को प्रमुखता के साथ चयनित किया


जाएगा ।

उनके कु छ प्रमुख उपन्यासों जैसे प्रतिज्ञा, वरदान,

निर्मला,कायाकल्प, गोदान, गबन, सेवासदन,कर्मभूमि,

रंगभूमि, प्रेमाश्रम आदि उपन्यासों को चयनित किया

जाएगा।

शोध की कार्यप्रणाली :

शोध कार्य के सम्बंध में प्रेमचंद जी सामाजिक उपन्यासों

का अध्ययन किया जाएगा और उपन्यासों में मध्यम से

मध्यम वर्ग की उन समस्याओं को रेखांकित किया जाएगा

जिन्हे प्रेमचंद ने रेखांकित किया है।


शोध प्रस्ताव के संबंध में स्वीकृ ति

छात्रा शोभा जोशी, एम.ए. (हिंदी) अनुक्रमांक: 2321606226272923 ss(s1606-


क्षेत्रीय
कें द्र, बरेली , उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज द्वारा
प्रस्तुत
शोध प्रस्ताव MAHI- 110 के अंतर्गत शीर्षक प्रेमचंद के उपन्यासों में मध्यम वर्ग
और उसकी समस्याएं एम.ए.(हिंदी) पाठ्यक्रम के तृतीय सेमेस्टर के अनिवार्य
प्रोजेक्ट कार्य MAHI- 115 साहित्य सर्वेक्षण/प्रोजेक्ट कार्य के सम्बंध में प्रस्तुत
किया गया है।
यह शोध प्रस्ताव

अ). स्वीकृ त : ..................................

ब). संशोधन के साथ स्वीकृ त :.....................................

स). अस्वीकृ त : ....................................

किया जा रहा है ।
निर्देशक:
डॉ. निरुपम शर्मा
सहायक प्रोफे सर हिंदी विभाग
बरेली कॉलेज, बरेली
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संशोधन हेतु सुझाव

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