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L-1 संगम युग
L-1 संगम युग
L-1 संगम युग
।। संगर् यगु (Sangam Age) ।। नशक्षम और समनित्य कम स्वर्ा यगु ।। शमस्त्रीय यगु ।।
• दनक्षर् भमरत के इनतिमस र्ें कृ ष्र्म एवं तगुं भद्रम िदी के दनक्षर् र्ें नस्ित क्षेत्र र्ें लगभग 300 ई.प.ू से 300 ई. के बीच की अवनि को
सगं र् यगु के िमर् से जमिम जमतम िै ।
• सगं र्, तनर्ल कनवयों कम सगं र् यम सम्र्लेि िम, नजसे 'र्च्ु चगं र्' किम जमतम िम । जो सभं वतः प्रर्ख ु ों यम रमजमओ ं के सरं क्षर् र्ें िी
आयोनजत िोतम िम । प्रो. र्ेिण्े डमले िे इसकी तल ु िम आिनु िक अकमदर्ी से की िै ।
• इरयिमरअग्पोलरू के भमष्य र्ें तीिों सगं र्ों कम सवाप्रिर् उल्लेख नर्लतम िै । सगं र् शब्द कम सबसे पिले प्रयोग ियिमर अप्पमर िे नकयम
िम ।
• सगं र् कमल की जमिकमरी के स्रोत - 1 - संगर् समनित्य 2 - अशोक कम दसू रम नशलमलेख 3 - खमरवेल कम िमिी गफ ु म लेख 4 -
र्ेगमस्ििीज की इनं डकम 5 - कमत्यमयि की वनताकम आनद स्रोतों र्ें सगं र् रमज्यों कम उल्लेख नर्लतम िै ।
• सगं र् यगु के कमल नििमारर् को लेकर नववमद रिम िै । डम० के ० ए० िीलकंठ शमस्त्री र्िोदय कम र्त िै नक संगर्यगु के कमल नििमारर् र्ें
सबसे सबल तत्व यविों (यिू मिी एवं रोर्िों) के समि दनक्षर् रमज्यों कम व्यमपमररक संबंि िै । संगर् यगु के नवषय र्ें नवद्वमिों िे
निम्िनलनखत नतनियमाँ सझु मयी िैं-
के . ए. एि.
िीलकंठ सब्रु ह्मयर्
• 100 ई. से • 300 ई.प.ू
250 ई. से 300 ई.
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।। संगर्ों कम आयोजि ।।
• आयोजि एवं संरक्षर् - तीि संगर्ों कम आयोजि पमण्ड्य रमज्य र्ें िुआ नजसे 197 पमण्ड्य रमजमओ ं कम संरक्षर् प्रमप्त िुआ जो 9990
वषों तक चलम । इि संगर्ों र्ें 8598 कनवयों और कवनयनत्रयों िे भमग नलयम िम ।
• तीि संगर् िुए िे - प्रर्ख
ु संगर्, र्ध्य संगर् और अंनतर् संगर् । इनतिमसकमर तीसरे संगर् कमल को िी 'संगर् कमल' किते िैं और पिले
दो संगर्ों को 'पौरमनर्क' र्मिते िैं ।
प्रिर् अगस्त्य 89 पमण्ड्य रमजमओ ं र्दरु ै प्रिर् संगर् र्ें नजि ग्रंिों कम संकलि िुआ, उिर्ें अकरियर्,
549 ईo पoू ऋनष के संरक्षर् र्ें पररपदमल, र्दु िु मरै, र्टु ु कुरूकु तिम कलरर आनवरै आनद प्रर्ख
ु
िे । वतार्मि र्ें इिर्ें से कोई भी ग्रन्कि उपलब्ि ििीं िै।
तृतीय ि्कीरर 49 पमण्ड्य रमजमओ ं र्दरु ै इस संगर् द्वमरम संकनलत उत्कृ ष्ट रचिमएं िेदिंु ोके , कुरंिोके ,
49 ईo पoू के संरक्षर् र्ें िनत्रिई, पेररसे तिम नसनत्रसे िै । उल्लेखिीय िै नक वतार्मि र्ें
उपलब्ि तनर्ल ग्रंि कम संकलि इसी संगर् र्ें नकयम गयम िम ।
।। सगं र् समनित्य ।।
• तनर्ल कनवयों के संगर् के दौरमि नलखे गए समनित्य को संगर् समनित्य किम जमतम िै । सगं र् समनित्य को चंकर् / शमंगर् भी किम जमतम
िै । यि समनित्य तनर्ल भमषम र्ें नलखम गयम िै । ऐनतिमनसक यगु के प्रमरंभ र्ें दनक्षर् भमरत कम क्रर्बद्ध इनतिमस सगं र् समनित्य र्ें िी
नलखम गयम िै । तीिों संगर्ों र्ें रनचत रचिमओ ं को तीि वगों र्ें वगीकृ त नकयम जमतम िै ।
वगीकरर्
• यि तनर्ल समनित्य कम प्रिर् संगीत संग्रि िै । इसर्ें र्यरू िृत्य कम वर्ाि नर्लतम िै ।
पररपमदल • इसर्ें नवनभन्कि देवतमओ ं की प्रशंसम र्ें छंद नदए गए िै ।
• इसी सग्रं ि र्ें इद्रं द्वमरम गौतर् ऋनष की पत्िी के समि नकये गए दव्ु याविमर एवं भक्त प्रह्लमद
कम वर्ाि िै ।
• इसके रचिमकमर नतरुवल्लवु र िै । नजिकम जन्कर् निम्ि जमनत र्ें िुआ िम । इसर्ें उिकी तिम
कुरल/ नतरु्कुरल उिकी पत्िी अव्वे की अिेक किमनियमाँ नर्लती िै ।
• कुरल को तनर्ल समनित्य कम आिमर ग्रन्कि र्मिम जमतम िै ।
• इसे तनर्ल समनित्य कम बमइनबल यम पंचर्वेद किम जमतम िै ।
• इसर्ें पमंच र्िमकमव्य भी नलखे गए िै ।(कुछ समनित्यकमर इसे संगर् समनित्य कम निस्सम ििीं र्मिते िै)
• नशलप्पमनदकमरर्,् र्नर्र्ेखलै, जीवमकनचतं मर्नर्, वलयपनत, कुण्डलके नश िैं । इिर्ें से के वल तीि िी उपलब्ि िै ।
• इि र्िमकमव्यों से तत्कमलीि जि-जीवि की जमिकमरी प्रमप्त िोती िै ।
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• संगर् यगु के दौरमि दनक्षर् भमरत पर तीि रमजवंशों - चेर, चोल और पमण्ड्य कम शमसि िम ।
• इि रमज्यों के बमरे र्ें जमिकमरी संगर् कमल के समनिनत्यक संदभों से प्रमप्त की जम सकती िै ।
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• ईसम की पिली शतमब्दी के पगु लरु नशलमलेख (तनर्लिमडु) से चेर शमसकों की तीि
जमिकमरी पीऩियों की जमिकमरी नर्लती िै ।
• तनर्ल समनित्य र्ें सवमानिक उल्लेख इसी रमज्य कम नर्लतम िै ।
चेर समम्रमज्य • प्रिर् चेर शमसक उदयिजेरल िम नजसकी उपमनि र्िमभोज उदयिजेरल िी ।
र्िमि शमसक • चेरों के सबसे र्िमि रमजम शेिगिु वि/सेंगत्तु वु ि िे, नजन्किें लमल यम अच्छे चेर भी किम
जमतम िम । इसिे अनिरमज की उपमनि िमरर् की िी ।
• इसिे कण्र्गी / पनत्तिी अिमात् पत्िी पजू म प्रमरंभ की ।
• चेरर्ि पेरूर्ल चेर समम्रमज्य कम अनं तर् शमसक िम ।
अन्कय देशो से • चेर रमजम रोर्ि समम्रमज्य के समि व्यमपमर करके लमभ प्रमप्त करते िे ।
सम्बन्कि • वि दनक्षर् भमरत से चीि र्ें दतू भेजिे वमलम पिलम रमज्य िम ।
आनिपत्य • चेरों िे आिनु िक रमज्य के रल के र्ध्य और उत्तरी निस्सों तिम तनर्लिमडु के कोंगु क्षेत्र
को नियंनत्रत नकयम िम । पनिर्ी तट, र्नु सरी और टोंडी के बंदरगमि भी उिके नियत्रं र्
र्ें िे ।
जमिकमरी • पनत्तिप्पमलै ग्रन्कि र्ें इिके जीवि और सैन्कय आक्रर्र्ों कम वर्ाि नर्लतम िै ।
• उरै यरू नतरुनचरमपल्ली शिर के पमस नस्ित िी । बमद र्ें कररकमल िे कमवेरीपत्तिर् यम
रमजिमिी पिु मर िगर की स्िमपिम कर उसे अपिी रमजिमिी बिमयम ।
• चोल रमज्य पेन्किमर एवं वेलमर िनदयों के बीच नस्ित िम ।
स्िमपत्य • कमवेरी िदी के नकिमरे 160 नकर्ी. लंबम बमंि (कल्लर्ै बमंि) बिवमयम ।
जमिकमरी • पमण्ड्यों कम पिलम उल्लेख र्ेगस्ििीज िे इनण्डकम र्ें भमबर िमर् से नकयम िै तिम इस
रमज्य को र्ोनतयों के नलये प्रनसद्ध बतमयम िम ।
पमण्ड्य समम्रमज्य
• कोरकई इिकी प्रमरंनभक रमजिमिी िी जो बगं मल की खमडी के समि िम्परपरमर्ी के
रमजिमिी सगं र् के पमस नस्ित िी । बमद र्ें वैंगई िदी पर नस्ित र्दरु ै रमजिमिी बिी ।
• पमण्ड्य वशं कम प्रतीक नचह्न ‘र्छली’ िी ।
• उन्किोंिे तनर्ल संगर्ों कम संरक्षर् नकयम और संगर् कनवतमओ ं के संकलि की सनु विम
प्रदमि की ।
नवशेष • संगर् समनित्य के अिुसमर पमण्ड्य रमज्य ििी और सर्ृद्ध िम । शमसकों िे एक
नियनर्त सेिम बिम रखी िी ।
• इस रमज्य र्ें ब्रमम्िर्ों कम कमफी प्रभमव िम तिम शरुु आती शतमनब्दयों र्ें पमण्ड्य रमजम
वैनदक यज्ञ नकयम करते िे ।
शमसक • र्ेगस्ििीज के अिुसमर पमण्ड्य रमज्य र्ें र्निलमएं शमसि नकयम करती िी । उसके
सर्य िेरम्लीज की पत्रु ी पमण्ड्यम शमसि करती िी
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।। कलभ्र नवद्रोि ।।
• कलभ्रों िे तीिों तनर्ल रमजमओ ं (चोर, चेल और पमण्ड्य) को बंदी बिम नलयम िम ।
• कलभ्रों को दष्टु शमसक किम जमतम िै ।
• कलभ्रों के सर्य कमल को संगर् यगु कम अंिकमर यगु किम जमतम िै ।
• ये बौद्ध अिुयमयी िे नजन्किोंिे बौद्ध नविमरों को संरक्षर् प्रदमि नकयम तिम ब्रमम्िर्ों को प्रमप्त ब्रम्िदेव अनिकमर ख़त्र् कर नदए िे ।
• यि नवद्रोि तत्कमलीि समर्मनजक और रमजिैनतक व्यवस्िम के नखलमफ िम ।
• परुु िमिूरु िमर्क ग्रंि र्ें चमर वगों कम उल्लेख नर्लतम िै जैसे - शडु ् डुर् वगा (ब्रमह्मर्
एवं बुनद्धजीवी वगा), अरसर वगा (शमसक एवं योद्धम वगा), वेनिगर वगा (व्यमपमरी वगा)
और वेल्लमल वगा (नकसमि वगा) । वर्ा व्यवस्िम और दमस व्यवस्िम कम अभमव िम ।
संगर् कमलीि समर्मनजक • सर्मज र्ें जमनत व्यवस्िम कम नवकमस ििीं िुआ िम बनल्क सर्मज कम नवभमजि कुटी
समर्मनजक नस्िनत जीवि के आिमर पर िोतम िम जो तनर्ल कृ नष सर्मजों र्ें संयक्त ु पररवमर िे ।
• प्रमचीि आनदर् जिजमनतयमाँ जैसे- िोडम, इरुलम, िमगम और वेदर इस कमल र्ें पमई
जमती िीं ।
• नशल्पनदकमरर् र्ें अंनतर् संस्कमर िेतु- अंत्येष्ठी कलश, सर्मनिकरर्, र्िमपमषमनर्क,
र्क्त
ु लमश और शवदिि जैसी पमंच पद्धनतयों कम प्रचलि िम ।
• र्निलमओ ं कम सम्र्मि नकयम जमतम िम और उन्किें बौनद्धक गनतनवनियों र्ें शमनर्ल िोिे
की अिुर्नत िी ।
र्निलमओ ं की • रमजनिवमस की सरु क्षम र्ें सशस्त्र र्निलमयें भी तैिमत िोती िीं ।
नस्िनत • ओबैयमर, िच्चेनलयर और कमकईपमनडन्कयमर जैसी र्निलम कवनयत्री िीं, नजन्किोंिे
तनर्ल समनित्य र्ें उत्कषा योगदमि नदयम ।
• र्निलमओ ं को अपिम जीवि समिी चिु िे की अिुर्नत िी लेनकि नविवमओ ं कम
जीवि दयिीय िम । सती प्रिम कम भी प्रचलि िम ।
• नविवम नववमि और पिु नवावमि कम प्रचलि सर्मज र्ें िम ।
• वेश्यमवृनत्त को सम्र्मिीय दजमा प्रमप्त िम । यि दो प्रकमर की िोती िी- कनवगैच्चर और
परनत्तयर ।
• वीरनलयमर- चमरर् कमव्य को वमचिे वमली और िृत्य करिे वमली नस्त्रयमाँ िी ।
• परूटटी पेंटूकल – सतू कमटिे वमली नस्त्रयों को किम जमतम िम ।
नशक्षम व्यवस्िम • नशक्षम और समनित्य की दृनष्ट से संगर् यगु स्वनर्ार् यगु किम जमतम िै । नवद्वमिों, समनित्यकमरों के सम्र्ेलि
(संगर्) इसके पररचमयक िैं ।
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• इस सर्य सर्मज र्ें नशक्षम कम ि के वल प्रचलि िम बनल्क ज्ञमि जगत के सभी नवषयों जैस-े नवज्ञमि,
कलम, समनित्य, व्यमकरर्, गनर्त, ज्योनतष, नचत्रकलम और र्नू ताकलम आनद कम सर्नु चत ज्ञमि नदयम जमतम
िम ।
• नशक्षम देिे के नलए र्नन्कदरों को चिु म गयम िम और नशक्षक को ‘कर्किर्’ तिम नशक्षम पमिे वमले को
‘नपल्लै’ किम जमतम िम । नवद्यमिी नशक्षम परू ी करिे के बमद नशक्षकों को ‘गरुु दनक्षर्म’ देते िे ।
• तनर्ल भमषम और व्यमकरर् की उत्पनत्त अगस्त्य ऋनष द्वमरम र्मिी जमती िै ।
• सगं र् समनित्य से िर्ें उत्तर एवं दनक्षर् भमरत की सस्ं कृ नतयों के सफल सर्न्कवय कम स्पष्ट नचत्रर् प्रमप्त िोतम
िै । यि सर्न्कवय सर्मज, िर्ा आनद के क्षेत्रों र्ें प्रर्ख
ु तम
से देखम जम सकतम िै ।
• परम्परम के अिुसमर अगस्त्य ऋनष िे दनक्षर् र्ें उत्तर-
भमरतीय आया समंस्कृ नतक र्ल्ू यों कम प्रसमर नकयम ।
ऋग्वेद तिम र्नर्र्ेखलई र्ें अगस्त्य के जन्कर् कम
संगर् कमलीि
उल्लेख िुआ िै । दनक्षर् भमरत के आयीकरर् कम श्रेय
िमनर्ाक नस्िनत अगस्त्य ऋनष को िी नदयम जमतम िै । दनक्षर् र्ें इिके
सम्र्मि र्ें अगस्तेश्वर र्नन्कदर बितम िै । नजसर्ें नशव की
र्नू ता स्िमनपत की जमती िै ।
• संगर् कमलीि िर्ा वैनदक िर्ा से प्रभमनवत िम ।
• इस कमल र्ें बौद्ध और जैि िर्ा कम भी प्रचमर िो गयम िम ।
तनर्ल देवतम • दनक्षर् भमरत र्ें र्रुु गि देवतम की उपमसिम सबसे प्रमचीि िै । बमद र्ें र्रुु गि कम िमर्
सब्रु र्ण्यर् िो गयम और स्कन्कद - कमनताकेय से इस देवतम कम एकीकरर् िो गयम ।
• भगवमि र्रुु गि को तनर्लिमडु कम रक्षक देव किम जमतम िै. तनर्ल इन्किें शनक्त और
ऊजमा के प्रतीक र्मिते िैं ।
• पिु मर र्ें इन्कद्र के सम्र्मि र्ें उत्सव र्िमयम जमतम िम ।
• कोरमावई, नवजय की देवी िी ।
• बिेनलए जमनत के लोग कोरालै की उपमसिम करते िे तिम पशचु मरक कृ ष्र् की पजू म
करते िे ।
• कृ षक- र्रुद्रर् (इद्रं देव) की पजू म करते िे ।
• तुलसी, सरस्वती, र्ीिमक्षी आनद देनवयों की भी पजू म की जमती िी ।
कृ नष • सगं र् कनवतमओ ं र्ें भनू र् के पमाँच प्रकमर बतमएं गए िैं - र्ल्ु लै (देिमती), र्रुदर्
(कृ नष), पमलै (रे नगस्तमि), िेिल (सर्द्रु वती) और कुररंनच (पिमडी) ।
• कृ नष र्ख्ु य व्यवसमय िम । प्रर्ख
ु फसले- िमि, गन्किम, रमगी, कमलीनर्चा आनद िी ।
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उद्योग • िस्तनशल्प - बिु मई, िमतु के कमर्, ब़िईनगरी, जिमज़ निर्मार्,और र्ोनतयों, पत्िरों
तिम िमिी दमाँत कम उपयोग करके आभषू र् बिमिम शमनर्ल िम ।
• वस्त्र उद्योग - सतू ी और रे शर्ी कपडों की कतमई एवं बुिमई र्ें उच्च नवशेषज्ञतम प्रमप्त
िी । पनिर्ी देशों र्ें नवशेष रूप से उरै यरू र्ें बिु े िुए सतू ी कपडों की बिुत र्मगं िी ।
प्रर्ख
ु व्यमपमररक स्िल :-
बन्कदरगमि • वमनर्नज्यक गनतनवनियों के नलये र्ित्वपर्ू ा बंदरगमि- तोंडी, र्नु शरी (र्जु ररस),
कोरकई, अररकर्ेडु और र्र्कमिर् िे ।
आय • रमज्य की आय कम र्ख्ु य स्रोत भनू र् रमजस्व (1/6) िम नजसे करोई किते िे, जबनक
नवदेशी व्यमपमर पर सीर्म शल्ु क भी लगमयम गयम िम ।
• कर अदम करिे वमले क्षेत्र की इकमई वररयम्वमरी किलमती िी ।
• कर ग्रमिी अनिकमरी को वररयमर किते िे ।
• यद्ध
ु र्ें लटू ी गई संपनत्त को भी रमजकोषीय आय र्मिम जमतम िम ।
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• तीसरी शतमब्दी के अन्कत तक सगं र्कमलीि व्यवस्िम िीरे -िीरे पति की ओर अग्रसर िोती गयी ।
• कमलभ्रस िे तनर्ल देश पर कब्ज़म कर नलयम िम । इस अवनि को पिले के इनतिमसकमरों िे 'अतं ररर् यगु '
संगर् युग कम अन्कत यम 'अिं कमर यगु ' किम िै ।
• िनल्लवकोडि सगं र् यगु कम अनं तर् ज्ञमत पमण्ड्य शमसक िम ।
1- नशल्पमनदकमरर्
2- कररकमल
3- र्नर्र्ेखलम
4- पंचमवरर्
03 र्मका र प्रश्न 5- कुरल
6- जीवमक नचंतमर्नर्
7- वलयपनत
8- कंु डलके शी
9- पेरूिल
10- वररयर्
11- कमलभ्रस
12- तीि संगर् समनित्यों के िमर् नलखे
13- संगर् यगु
14- उरै यरू
15- एिमनड
16- पररपमदल
1- सगं र् यगु को नशक्षम और समनित्य कम स्वर्ा यगु किम जमतम िै नववेचिम करें ?
2- संगर् यगु ीि प्रर्ख
ु रमज्यों पर निबंि नलखे ?
11 र्मका र प्रश्न 3- संगर् कमलीि प्रशमसनिक, समर्मनजक, आनिाक और िमनर्ाक व्यवस्िम कम वर्ाि करें ?
4- संगर् कमल के समनित्य पर लेख नलखे ?
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।। सर्य के समि स्वयं को अपडेट रखें ।। अन्कय जमिकमरी जोडिे िेतु ररक्त स्िमि ।।