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Srimad Bhagavatam Canto 1
Srimad Bhagavatam Canto 1
Srimad Bhagavatam Canto 1
सग
तावना
ील ास दे व ारा ीम ागवतम् का संक लन कै से कया गया
अंतव तु
परी त के ज म क घटनाएँ A
ीम ागवतम् क तावना
SB . . कृ ण को परम स य के प म प रभा षत करते ए कहा गया है क वे सम त कारण के ीम ागवतम . . ऋ षय के छः
कारण ह वतं ह उ ह ने ही सव थम ाजी के दय म वै दक ान का संचार कया उनके ारा सामा य लोग के लए परम क याण या है
महान ऋ षय तथा दे वता को भी मोह हो जाता है के वल उनके कारण ही अवा त वक भौ तक
धामना वेन सदा नर तकु हाका स या परा धेम ह एसबी . . ऋ ष कृ ण और उनके अवतार के बारे म जानने के लए उ सुक
ह और पूव आचाय ारा द गई श ा क ा या करने के लए कहते ह
ीम ागवतम् क म हमा तथा वा त वक धम क प रभाषा
SB . . अनजाने म भी कृ ण के प व नाम का क तन करने से मनु य भव
के वल शु दय वाले भ ही समझ सकते ह सव स य का तपादन ब न से मु हो जाता है।
करते ह तीन कार के ख का नाश करते ह महान ऋ ष ासदे व ारा घर का माहौल
संक लत अपनी प रप वता म ई र ा त के लए अपने आप म पया त यान नामा ववाको गेन
ह यानपूवक और वन होकर सुनने से भगवान दय म ा पत होते ह ततौ स ो वमु येता
यद् बभे त वया भयम्
ीम ागवतम १.१.१५ भगवान के भ अपने संपक म आने वाल को प व करते ह।
एसबी . . एसबी क मठास
. . सूत गो वामी ऋ षय के उ म से पूण तया संतु होकर उ ह ध यवाद दया ीम ागवतम . . स ा त करने क या के पम ीम ागवतम
तथा इस कार उ र दे ने का यास कया। को सुनने का मह व
ीमद् भागवतम १.२.१२ मनु य को दस का उ ारण करके अत का बोध करना चा हए।
ीम ागवतम १.२.२ ३ ीम ागवतम ...
वयं कथावाचक
यतो भ र अधो ञजे पुएया ावा के तनाउ
अहैतुक अ तीहा हडी अ तौ ौ ह अभ ाई
यया मा सु ासेद त वधुनो त सुहात सताम
का उ र भगवान ी कृ ण को अपण करने से मनु य को तुर त ही अहैतुक ान ीम ागवत गीता १.२.१८ नय मत भागवत सेवा के दो भाव बताते
एवं वैरा य क ा त हो जाती है। ह १ भागवत सेवा सभी अनथ का नाश करती है और २
धीरे धीरे ेमपूण सेवा एक अटल त य के पम ा पत हो जाती है
SB . . मनु य क ावसा यक ग त व धयाँ थ म ह य द वे भगवान के संदेश के एसबी . . न नतर मोड का भाव गायब हो जाता है
त आकषण उ प नह करत । एसबी . . शु सवम ा पत होने के बाद दो भाव होते ह मन भगवान ारा
अनु ा णत होता है और भगवान के व का सकारा मक वै ा नक ान ा त होता
धम वानुण ो हतो पुआ सा है।
व व सेन कथासु यौ
नोटपेड या द र तआ ीम ागवतम १.२.२१ सकाम बंधन से मु एवं पूण ानोदय
म एव ह के वलम्
एसबी . . भौ तक लाभ कभी भी सभी ावसा यक ग त व धय का एसबी १.२.२२ १६ से २१ ंथ का न कष सभी पारमा थकवा दय ने भगवान को
हे कृ ण यह भ मुझ े ब त स ता से ा त ई य क ऐसी भ आ मा
SB . . कृ ण सभी अवतार के ोत ह
को सजीव करने वाली है।
ी कृ ण का उनके व भ प से स ब ...
एसबी १.२.२४ अ ाई से मनु य परम स य का अनुभव कर सकता है २९ भौ तक सृज न के लए पु ष अवतार को वीकार करते ह। एसबी १.३.२ सरा पु ष
SB . . भगवान वरौ प तथा जीव के भौ तक प ूल तथा सू म वा तव ीम ागवतम १.३.४२ शुक दे व गो वामी ने मरने क तैयारी कर रहे परी त महाराज को
म का प नक ह। ीम ागवतम दया।
ीम ागवतम . . का उ र ीम ागवतम भगवान कृ ण के अपने धाम चले
जाने के तुर त बाद कट ए थे।
एसबी १.३.३० वराट प भगवान के प क भौ तक धारणा है यह एक का प नक धारणा है
ये वधामोपगते
एसबी १.३.३१ अ प बु वाले लोग आ मा पर भौ तक शारी रक धारणाएँ
धम ान द भउ सह
थोपते ह एसबी १.३.३२ आ या मक प सभी ूल और सू म से परे ह
कालू नानोआ दाचैम एनना
पुराएक धुनो दताù
SB . . सूत गो वामी ने शुक दे व गो वामी तथा परी त महाराज क बातचीत को
यानपूवक सुना और कृ पा ा त क । अब म तु ह वही बात सुनाने का यास क ँ गा।
स त १.३.३३ आ म सा ा कार क अव ा दशन ूल और सू म शरीर से परे तथा
वयं को तथा भगवान को दे ख ना।
च भगवान अ णउ
नउ ेयसया लोक य
ध या व यअयनां महत्
ील ासदे व ने अपने पु शुक दे व गो वामी को ीम ागवत गीता सखाई।
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ी नारद का आ वभाव
ीम ागवतम . . इ तहास और ामा णक कहा नयाँ पाँचवाँ वेद ह।
संदेश सुनाएँ
एसबी . . इन सभी वभाग को बनाने का कारण
. . जब वह ह तनापुर नगर म व आ तो नाग रक ने उसे कै से पहचाना य क वह एसबी . . सभी के क याण के लए इतने वशाल संक लन के बावजूद कोई संतु नह है एव
. . . राजा परी त क इस महान ऋ ष से कस कार भट ई जससे उनके लए भागवतम भूटानी े यासी जाऊ
ीम ागवतम . . उ ह ने सब कु छ यागकर गंगा तट पर बैठकर आमरण अनशन य कया एसबी . . असंतोष के कारण पर वचार कया गया
ीम ागवतम १.४.१६ ासदे व ने क लयुग म होने वाली भावी वसंग तय को नोट कया
SB . . अपनी असंतु को वीकार करते ए वे नारद से अपनी असंतु का मूल कारण पूछते ह
SB . . भ म पतन भी कोई मायने नह रखता सरी ओर कृ णभावनामृत के बना अपने
तथा ा के पु होने के कारण असीम ान वाले के प म नारद क शंसा करते ह।
कत म स ूण पूण ता थ है।
भागवतम . . सा ह य क दो े णयाँ
ीमद् भागवतम . . नारद मु न ने भौ तकवाद सा ह य को अ वीकार कया SB . . ान क उ त का अचूक उ े य भगवान के द वणन म प रणत होता है
ना य हंसा नमाण उ चक क याउ SB . . नारद मु न का पूव ज म जो वषा ऋतु के चार महीन म ा ण क सेवा म लगी
SB . . द सा ह य क म हमा करता है भले ही अपूण प से र चत हो शु पु ष
दासी के पु थे।
ारा सुना गाया और वीकार कया जाता है
çuçrüñamäëe munayo lpa bhäñiëi एसबी १.५.३९ नारद मु न ने अपने गत अनुभव के आधार पर ऊपर बताई गई व ध को पूरी
SB . . भोजन के बचे ए भाग क श पाप तुरंत न हो गए उसका दय शु हो गया तरह से उ म व ध घो षत कया है एसबी १.५.४० ावहा रक अनुभव के आधार पर नारद मु न
ने ासदे व से न त प से कहा
अ ानता परा त
. . वह आचरण म सौ य था उसने इं य को वश म कर रखा था वह
शरीर और मन से उनका कठोरता से पालन करता था उनक सेवा से उसके सारे
पाप न हो गए थे तथा उसके दय म उनके त ढ़ ा थी।
ीम ागवतम . . कम योग क या
सब कार के क एवं ख को र करने का सव म उपाय है अपने काय को भगवान क सेवा
म सम पत कर दे ना कृ ण
सत . . भौ तक अ त व के वध ःख को के वल भौ तक कायकलाप से कम नह कया जा
सकता।
जाता है।
एसबी . . ासदे व नारद के जीवन के बारे म पूछते ह और नारद भगवान के उनके सम ीमद् भागवतम १.६.१९ उस प को यानपूवक दे ख ने का बार बार यास असफल ःखी
चाहते ह।
ीम ागवतम . . भगवान नारद को आदे श दे ते ह और नारद अपनी मृ यु तक
ासदे व क ज ासाएँ पाठ
इन आदे श का पालन करते ह।
. . मह षय के चले जाने के बाद आपने नारदजी ने या कया
ीम ागवतम . . नारद का भौ तक कलंक भगवान ने नारद मु न से कहा क इस जीवन म
और अ धक दशन नह ह गे
SB . . द ा के बाद आपने अपना जीवन कस कार तीत कया तथा समय आने पर अपने
जा सग नरोधेऽ प
एसबी . . वह उसका उ चत रखरखाव नह कर सक
मु कु राओ और मा करो
हर कोई कठपुतली मा टर के हाथ म एक लकड़ी क गु ड़या क तरह है।
SB . . भगवान ने बोलना बंद कर दया और नारद ने कृ त तापूवक अपना सर झुक ा लया।
एक रात जब उनक माता गाय हने के लए बाहर जा रही थ तो काल के भाव म आये एक सप ने
ीमद् भागवतम . . नारद मु न क मृ यु
उनके पैर म डस लया।
तीथ पा य च वाउ
ीम ागवतम . . नारद मु न को भगवान के द प का अनुभव
म तुमसे यार करता ँ
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दारचाना या त चेतासी
एसबी . . ोइया के पु को द डत कया गया
नरंतर क तन।
य या वै यूयामाया
काने परमा पु ने
भ र उ प ते पुआ सौ
कोका मोह भयापाहा
भी उ ह ने ीम ागवतम म च य ली
आ माराम का मुनायो
नर आपी उ मे
कु व त अहैतुके आ भ म्
इ म भूता गुएओ ह रउ
ीम ागवतम . . सूतजी शुक दे व गो वामी को द श शाली तथा भगवान के भ का
ीम ागवतम १.७.१२ १४ सूत गो वामी ारा परी त महाराज के वषय म अ य दो ा के भाव से अ न का एक वशाल च सम त बा अंत र तथा सम त लोक
पांडव
एसबी . . अ व ामा क ह या के संबंध म तक का आदान दान
ीम ागवतम . . अजुन ने ौपद को शांत कया
एसबी . . अ व ामा डर के मारे भाग गया नशे म धु पागल सोया आ डरा आ या रथहीन हो। वे न तो कसी बालक ी मूख ाणी या
SB . . अ व ामा ने ा क शरण ली शरणागत आ मा को मारते ह।
अजुन उवाच
सबा १.७.४१ अ व ामा को ौपद को स प दया गया
काना काना महा बाहो
भ ानां अभयाइकरा
SB . . भगवान कृ ण आ द भगवान ह जो स ूण ा ड म फै ले ए ह। . . ौपद अ व ामा क रहाई के अनुरोध को सहन करने म असमथ थी।
ीमद् भागवतम . . गु के त दा य व
SB . . अजुन ने वरोधाभासी आदे श को संतु करने के लए सुझ ाया गया समझौता चुना
एसबी . . रानी कु टे और पेरेक नट क ाथनाएँ
SB . . ा ण के स ब य के लए नधा रत द ड म कभी भी ह या स म लत नह है।
बचाई ग
उसके सर के बाल काट दे ना उसक संप छ न लेना तथा उसे उसके घर से नकाल दे ना। ीमद् भागवतम . . मृतक को अपण
सब लोग ःख से अ भभूत ह
SB . . अ मेध य स
कया।
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ीम ागवतम १.८.१८ कु तदे व भगवान को नम कार करते ह। SB . . भगवान क द लीला क वरोधाभासी एवं मोहक कृ त
का या
कु ती उवाका ज म कम च व व मन
नम ये पु णा व म् ajasyäkartur ätmanaù
ई र कटे परम तयई ने ननु यदाउसु
अलक या सवभूतानाम तद् अ य त वओ बनम्
अ तर बा अव तम्
SB . . भगवान क लीला क अ धक व मयकारी कृ त
SB . . भगवान के कमल जैसे शारी रक व प क आगे क म हमा कसी भी तरह से हम एक सरे से र हो जाते ह
ीम ागवतम . . ाक ाथना के यु र म
SB . . व भ समय पर भगवान क सुर ा का मरण करता है
. . वण आ द भ को पुनज वत करना।
भय को कया
ज मै य ुत े भर
एधमाना मदौ पुमन • भगवान पर पूण नभरता क अवधारणा
नैवह य अ भधातु वै
SB . . पावन का अ त व के वल कृ ण के कारण है
वाम अक चन गोकारम
SB . . भगवान भौ तक प से संप ह
ीम ागवतम . . भगवान क अनुप त भा य लाएगी
गरीब
सब कार क समृ भगवान क दया पर नभर है।
ज म और ग त व धयाँ
१३
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ीम ागवतम . . भगवान का ःखी यु ध र महाराज के साथ संवाद ीमद् भागवतम . . पा डव का भी मदे व क मृ युश या पर जाना
ऋ षर व प।
सव काल काट म ये
भ यावे य मनो य मन् SB . . भी मदे व भगवान क अहैतुक कृ पा अपने शु भ पर नेह तथा उनक
SB . . यु ध र महाराज ने भी मदे व को उस आकषक वर म बोलते ए सुना और ीम ागवतम . . भगवान के गोप के साथ स ब तथा गोप क उ भ का
उनसे पूछा यान कर।
एसबी . . वराह म के बारे म समझाया गया SB . . भी मदे व को राजसूय य के दौरान सभी लोग ारा क गई भगवान कृ ण
ीम ागवतम . . उ ह ने दान के काय राज धम या राजा के ावहा रक क पूज ा का मरण है।
काय मो के काय य के कत तथा भ के कत के वषय म SB . . भी मदे व भगवान के साकार प पर पूण एका ता से यान करते ह जो क
समझाया। भी मदे व क परम अनुभू त है।
SB . . मह षय ने वै दक तु तय से भगवान कृ ण क तु त क और फर अपने
आ म को लौट गए। ीम ागवतम . . चाउनक अ ण महाराज यु ध र के शासन के वषय म पूछते ह।
SB . . यु ध र महाराज ने अपने चाचा तथा भगवान कृ ण के मागदशन म शासन ीमद् भागवतम . . सूत गो वामी का यु ध र महाराज के रा य के वषय
कया। मउ र
अजात च व अभवण
जनतुना रा ज कर ह चट
सहन कर सकते थे
उ व और सा य क
ीम ागवतम १.१०.१९ भगवान को आशीवाद दया जा रहा था। . . महाराज यु ध र ने भगवान के साथ चलने के लए चार र ा दल क व ाक।
घर लौटने के लए े रत कया।
ीमद् भागवतम् . . ह तनापुर क छत पर याँ भगवान क
उ म चलोका चेतसाम्
कौरवे पुरा ी
सव ु त मनो हरौ
उ ह म वलीन हो जाना।
या है
स ा त अव य अ नत स ाते
SB . . ारका वग से भी अ धक म हमावान है
जाना सब नकट स ब ी अपने अपने काय छोड़कर भगवान का वागत करने के लए दौड़ पड़े।
SB . . नाग रक पर व न का भाव सारा भय र हो गया वे ब त तेज ी से भगवान क ओर
दौड़े
. . उ ह ने नेह से प रपूण होकर आदरपूवक नम कार कया।
एसबी . . नाग रक उपहार और म हमा ारा भगवान का वागत करते ह . . अनेक वे याएँ बड़ी उ सुक ता से भगवान से मलने के लए एक त ।
. . नाग रक ने भगवान का वागत अपने अपने ढं ग से कया। एसबी १.११.२० समुदाय के व भ वग ने भगवान के वागत म दशन कए
संबं धत तु तयाँ
एसबी . . नाग रक आनं दत भाषा म बोलने लगे
ीमद् भागवतम . . नाग रक न न ल खत श द ारा भगवान का वागत ी कृ ण ने येक का यथायो य स मान कया।
करते ह एसबी १.११.२२ भगवान को पद और तक से उ चत प से अ भवादन कया
SB . . यह भगवान क अतुलनीय सव ता को इं गत करता है वे सभी दे वता गया
ारा पू जत परम व ाम परम द भगवान ह तथा अप रहाय काल उन भगवान पर
अपना भाव नह डाल सकता।
ीमद् भागवतम . . भगवान नगर म वेश करते ह और व भ
माग से गुज रते ह
ीम ागवतम १.११.७ भगवान को सृ कता माता पता भगवान शुभ चतक
SB . . भगवान ने वशेषतः ा ण ारा क गई म हमा के साथ नगर म वेश
आ या मक गु और पूज नीय दे वता के प म पहचानना उनके पद च पर चलने के
कया।
अपने अनुभव बताना भगवान क नरंतर दया और आशीवाद के लए ाथना करना।
. . य का उ र वे भगवान को दे ख ने के लए छत पर चढ़ ग ।
भावया नास वा भाव वशेष भावना
वं एव माताथा सुहात् प तउ पता
ीम ागवतम १.११.२५ भगवान का सौ दय अतृ त है।
वह स है जो दै वीय परमे र है।
ीम ागवतम १.११.२६ भगवान क सु दरता का वणन कया गया है छाती मुख भुज ाएं
yasyänuvåttyä kåtino babhüvima
चरण कमल
SB . . अपने सौभा य क सराहना करते ह तथा भगवान के मु कु राते ए मुख के
çriyo niväso yasyoraù
दशन करते ह।
पना प ा मुख ा दाचाम
एसबी . . अलगाव असहनीय प से लंबा लगता है
बहवो लोका पालना
ीम ागवतम १.११.१० भगवान से वयोग म जीवन जीना क ठन हो जाता है।
säraìgäëäà padäm bujam
ीमद् भागवतम १.११.२७ माग पर चलते समय भगवान क सु दरता
भगवान ने ारका नगरी म वेश कया और सभी का अ भवादन वीकार कया
सीताप जनैर् उप कत
सूनवणरअ भव णतौ प थ
पशागा वासा वन मलय बभाऊ
एसबी . . ारका शहर का वणन घणो यथाथकू प चपा वै ुताई
एसबी १.११.११ ारका शहर वा णस ारा संर त था
पा रवा रक पृ भू म दान क
. . रा नय का अपूव आनंद आ लगन के प म कट होता है गाल पर आंसू लुढ़क जाते
ह
एसबी . . महाराज यु ध र एक आदश कृ ण भावनामृत नेता के उदाहरण ह एसबी . .
ीम ागवतम १.११.३३ रा नय भा य क दे वी को भगवान के चरणकमल सदै व नवीनतर लगते
यु ध र का नाम और स उ तर ह तक प ँची
थे।
न यु यते सदा म ैर
. . भगवान क रा नयाँ भी उ ह पूरी तरह नह समझ सक ीमद् भागवतम १.१२.१२ १७ महाराज परी त के ज म के समय के समारोह
ीम ागवतम १.१२.१५ दान से संतु होकर वे ीम ागवतम १.१२.३१ राजपु शु ल प के च मा के समान वैभवशाली हो गया।
ीम ागवतम १.१२.१७ बालक व णु रता के नाम से स होगा और थम ेण ी का भ SB . . सभी भाइय ने उ र दशा से राजा म ारा छोड़ा गया पया त धन इक ा
होगा। करने म सहायता क ।
त मान नाम वनेउ राता SB . . य स करने से भगवान ह र स ए
इ त लोके भ व य त
न स दे हो महाभाग ीम ागवतम . . भगवान कृ ण ने य का पयवे ण कया।
महाभागवतो महान् गत प से
ीमद् भागवतम १.१२.१९ जालीक राजा इ नवाकु का पालनकता भगवान राम के समान
अपने वचन का प का
और शरणागत का र क है।
भ
अनेक अ मेध घोड़े य करने वाले&
द ड दगे।
परी क
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एसबी . . र तेदार के साथ आदान दान एसबी . . वे नेह . . व र उसे काल क श के पछले अनुभव और उसक अपनी संक टपूण त का
करते ह।
तीथ भूता वया वभो ीमद् भागवतम् . . धातार य गांधार और व र चले जाते ह और महाराज
कया
एसबी १.१३.१६ वाईएम खुशी से त था एसबी १.१३.१७ जय
काल क श पागलपन से आस गृह पर वजय ा त करती है ीम ागवतम १.१३.३८ नारद मु न कट ए और उनका उ चत वागत कया गया।
एसबी . . वा त वक चार शु
ी नारद महासागर म एक जहाज के क तान ह जो सही गंत क ओर नदश दे सकते ह।
सबा १.१३.१८ व र ने धातरंज ोर को नदश दया क वे बना वल ब के तुर त ही सभी आस य
लए
जैसा क हमने तु ह बताया
वह त ब लम éçituù संदेह है
SB . . भगवान क परम इ ा ही मनु य को एक साथ लाती है तथा उ ह पृथक भी SB . . अजुन कु छ महीन तक वापस नह आया&
यथा योओपासकाराएआ एसबी १.१४.३ बाहरी वातावरण म उलटफे र और आंत रक वातावरण म उलटफे र साधारण धोखा
सायोग वगमव इहा एसबी १.१४.४ लेन दे न म और करीबी संबंध के बीच
इ ा रचना मक सोच गलतफहमी और असामंज य सभी
तथागत नाम
SB . . आ मा अ ै तवाद या ै तवाद आ द या आ मा न होने पर भी कभी
शोक मत करो। एसबी . . ल ण आ य पैदा करते ह
SB . . अ ानता सभी चता को ज म दे ती है
SB . . महाराज यु ध र ने भीमसेन को अपनी भावनाएँ बता
भगवान के अ त र कोई भी र क नह है। जो पहले से ही सप के जबड़े म फं सा आ है
वह सर क र ा कै से कर सकता है
ीमद् भागवतम् . . नारद क भ व यवाणी पर चतन
ीम ागवतम . . भगवान क कृ पा का मरण और वीकार
काला कम गुएधेनो
. . यम अपने भाई को आस अप रहाय वध ःख के बारे म बताते ह।
दे हो या पाइक भौ तकौ
सप तो यथा परम्
एसबी . . अ य बुरे शकु न अनुभव
SB . . वैसे भी सामा य नयम के अनुसार एक जीव सरे के लए भोजन है।
एसबी १.१४.११ वाईएम ने ऐसे ल ण का अनुभव कया जो अवांछनीय घटना का संके त
दे ते थे
SB . . वच लत न ह के वल भगवान पर यान क त कर
एसबी . . वाईएम ने बुरे संके त और भौ तक त व म प रवतन को नो टस कया
. . बना वच लत ए धैयपूवक भगवान क योजना का पालन करो गीदड़ च ला रहे ह कु े भ क रहे ह गाय मेरे बा ओर से गुज र रही ह आ द
ीमद् भागवतम १.१३.५१ ६० नारद मु न ारा भ व य का वणन एसबी . . महाराज यु ध र के सं द ध को अजुन के कट होने से पूरा कया
ीम ागवतम १.१३.५३ धतर ल ने अनु योग का अ यास कया एसबी . . अजुन ारका से वापस आये और नराशा के भाव द शत कये।
. . धाताराजुर अपने ूल तथा सू म त व को महत् त व म संयो जत कर दगे। ीमद् भागवतम् . महाराज यु ध र ारा अजुन से अ य
ीम ागवतम १.१३.५६ धतारानी को वापस लाने मत जाओ। ीम ागवतम . . य तथा अ य राजवंश के सभी सद य तथा अ य सभी संबं धय
ीमद् भागवतम १.१३.५७ अ ये क भी आव यकता नह
का कु शल ेम पूछा।
ीम ागवतम १.१३.५८ चाची क भी चता नह
ीम ागवतम १.१३.५९ व र क भी चता न कर। ीमद् भागवतम . . बलराम के क याण के वषय म पूछते ह
ीम ागवतम १.१३.६० इस कार नारद मु न महाराज यु ध र को शांत करते ह।
ीम ागवतम १.१४.३० ु न और अ न क कु शल ेम पूछते ह।
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भु क भुज ा क सुर ा से
एसबी . . जरासंध का वध
ीमद् भागवतम १.१५.१० कौरव क प नयाँ वधवा हो ग
१.१४.४० अनु चत ढं ग से संबो धत उ चत दान या अधूरा वादा कौरव को पार करना और वरौआ के सा ा य क सहायता करना एसबी १.१५.१५ कौरव क
ीम ागवतम . . भगवान ारा य के पार रक वनाश क योजना एसबी १.१५.४२ शरीर ा त करने क या को उलटना
ीम ागवतम १.१५.४३ यम ने नभयता क शु अव ा ा त कर ली।
सब कु छ भगवान क इ ा समझकर ंथ अजुन भगवान के नदश पर यान ीम ागवतम १.१५.४४ युम ने पूवज और महापु ष के माग का अनुसरण कया
SB . . अजुन सभी ख से मु पाने के लए भगव ता के उपदे श का मरण करता है। एसबी . . अ य पा डव ौपद और व र अं तम गंत के लए अपने रा ते
पर चलते ह
डेक ा कलथ यु ानी अ य पावन ने महाराज यु ध र के पद च ह का अनुसरण कया।
हैट टै पोपाकमनी सीए
हरंती माटाच स ा
ीम ागवतम १.१५.४६ भगवान के चरणकमल पर पूण तः यान के त करने क यो यता
गो वदा भ हतानी मे
ीम ागवतम १.१५.२८ भगवान के उपदे श एवं चरणकमल म गहन त लीनता
सब लोग आ या मक आकाश क ओर चले गए। ...
कृ णपदसरो हम्
sauhärdenätigäòhena
ौपद और सुभ ा कृ ण के चतन म लीन हो ग और उ ह अपने प तय के समान ही फल ा त आ।
ब त ब ढ़या matiùSB
तेज ी से वृ ई।
ीम ागवतम . . पावन ान वण का फल
SB . . भगवान क कृ पा से अजुन द ता म त रहा।
भगवान क भ सेवा ा त होती है जो जीवन क सव स है।
वचोको स या
स ै त साचया॥
एसबी . . पीएम ने अपनी मौसेरी बहन इरावेट से ववाह कया ीमद् भागवतम . . पृ वी गाय के प म और धम बैल के प म के बीच
वातालाप
पूछा।
एसबी १.१६.१० सुता गो वामी ने उन घटना का वणन कया है जब धानमं ी अपनी राजधानी
ीमद् भागवतम १.१६.२५ गाय बोलना आर करती है गाय सभी का उ र दे ने का वचन
म नवास कर रहे थे
दे ती है तथा बैल को अपना अतीत बताती है।
एसबी . . धानमं ी सभी दशा पर वजय ा त करने के लए आगे बढ़े
राजा जहाँ भी जाता वहाँ उसे अपने महान पूवज क क त का नरंतर वण होता रहता जो सभी
ीम ागवतम ने सुना क भगवान कृ ण जनक आ ा सव मानी जाती है अपनी अहैतुक कृ पा से वलाप करती है
ैय समानं आहारं मधु मा ननेना एसबी . . महाराज परी त एक आदश राजा होने के नाते क ल को उ चत प
रोमो सावो मामा याद ऐ ी वओआइ कतायाउ
से दं डत करते ह
एसबी . . धानमं ी सर वती नद के तट पर प ंचे
एसबी . . पीएम प ंचे और काली के कृ य को दे ख ा
आ ासन दया
कसी को भी छू ट नह दे ती
पर चचा करते ह
धम
एसबी . . पीएम ने बैल के एकमा बचे पैर स य न ा क ओर इशारा कया और आ खरी ीमद् भागवतम १.१८.१ ९ सुत गो वामी ने महाराज परी त के ज म मृ यु और क लयुग के
पैर पर हमले क आशंक ा जताई साथ वहार का सारांश दया है।
एसबी . . धानमं ी अब पृ वी गाय के बारे म बात करते ह ीम ागवतम १.१८.१ ज म के समय अ त दया
एसबी . . धानमं ी ने आस बुरे भ व य के लए पृ वी के वलाप को समझा
ीम ागवतम १.१८.२ मृ यु का सामना करने म नडर
पी ड़त न होना
ीमद् भागवतम १.१७.३० काली के आ मसमपण पर मु कु राहट एसबी . . धानमं ी काली के भाव को रोक सकते ह
एसबी १.१७.३१ वचारशील महाराज पारे खत ीम ागवतम १.१८.६ जब कृ ण चले गए तो क ल ने वेश कया।
एसबी . . महाराज परी त धम के स ांत को बनाए रखने पर यान क त ीम ागवतम . . धानमं ी को कभी भी काली के व से ई या नह ई
करते ह सं या
ीम ागवतम . . कलय ल पर नह रह सकते। ीम ागवतम . . भगवान एसबी . . बु मान वग काली से सुर ा दान करता है
ह र ही स े य े र ह।
ीम ागवतम १.१७.३५ महाराज परी त के कठोर आदे श पर क ल का यु र ीमद् भागवतम . . सुत गो वामी ने सभी कथा का सारांश तुत करने का दावा कया
है।
जटा पम आदत भु
टै टू मादा काम
एसबी १.१८.१२ ऋ षय ने सूत गो वामी को उनके उ साह का आ ासन दया
राजो वैरा च पैइकाम
धानमं ी के नदशन म पांच ान पर क ज़ा कया। ीम ागवतम १.१८.१३ ऋ षगण भ क संग त क म हमा बताते ह
तुलायामा लावेनापी
ीम ागवतम . . ग तशील क याण चाहने वाले सभी लोग के लए सुझ ाव न वगा नापुनरभवम्
ीमद् भागवतम १.१७.४३ ४४ सूत गो वामी ने पी.एम. के सफल शासन का उ लेख कया है। एसबी १.१८.१४ कृ ण के बारे म वषय क अतृ त कृ त को वीकार करता है
एसबी . . ऋ षय ने शुक दे व गो वामी ारा महाराज परी त को सुनाए गए ी कृ ण . . ी कृ ण वयं को कृ ण का ान लेने के लए पूण तया यो य समझते ह और
एसबी १.१८.१७ ऋ षगण ीमदभागवतम् महाराज परी त से कही गई बात क कथा दया।
SB . . कृ ण के त आस सम त वर क ओर ले जाती है। त न ध व करता है राजशाही शासन को समा त करने से पूरी नया चोर से भर जाती है।
उदाहरण
ीम ागवतम . . धानमं ी ने वयं को अस य एवं पापी घो षत कया तथा कठोर एसबी . . अ यंत कृ त ता महसूस करते ए महाराज परी त ने
दं ड क इ ा क। शुक दे व से पूछा
गो वामी
ीम ागवतम . . धानमं ी को शाप का समाचार ब त स तापूवक ा त आ
ीम ागवतम . . उस समय ीशुक दे व गो वामी कट ए।
पल
ीमद् भागवतम १.१९.५ धानमं ी भगवान क द ेममयी सेवा के लए ढ़संक पत ए
ीम ागवतम . . ासदे व के पु शुक दे व गो वामी के शारी रक ल ण व णत ह वे
आ म सा ा कार क अ य सभी या को अ वीकार कर दया द नद के तट पर ढ़ता से के वल वष के थे। ीम ागवतम . . वे न न थे तथा उनका शारी रक रंग भगवान
कृ ण के समान था।
बैठ गए
SB . . उस द नद क म हमा का वणन कया गया है
. . वह यामवण का था और अपनी युवाव ा के कारण अ य त सु दर था अपनी म हमा
को छपा न सका।
सबसे शुभ जल सबसे प व शरण लेने यो य हर उस के लए जो मरने वाला है
ीमद् भागवतम . . शुक दे व गो वामी ने अपना उ अ य ीय पद हण कया।
ीम ागवतम . . उ म गु एवं श य
क बैठक
एसबी . . महाराज परी त ने एक त ऋ षय के सम आ मसमपण
ीम ागवतम १.१९.३२ महाराज परी तक भ पूण वन ता का दशन
कर दया
SB . . महान ऋ षगण तीथ या ा के बहाने महाराज परी त के दशन के लए आये।
ीम ागवतम . . शुक दे व गो वामी क प व करने क अ त उ म श
क ओर संके त करता है।
एसबी १.१९.९ अ यवन अ र योने म भागु व स हा पराचर व व म पराचुरामा जैसे ऋ ष
येना सासमाराएट पुआ सा
वगैरह
स ौ चु य त वै गौः
एसबी १.१९.११ कई संत दे वता राजा और संत राजा का एक वशेष रक आया धान मं ी SB . . महान संत और भ क शु करने वाली श
. . जब ऋ षगण तथा अ य लोग आराम से बैठ गए तब राजा ने उ ह संबो धत कया। कृ पया मुझ े बताएं
. . राजा एक त ऋ षय के स ो न यं त वै पुआ सा
ीम ागवतम . . धानमं ी ने ा के शाप को भगवान का गत ह त ेप मानकर ीम ागवतम . . ामा णक आ या मक गु शुक दे व को भेज ने के प म भगवान क
चा हए
यच वण ं अथो ज याऽ
यत् कत ा ना भउ भो
मात ा भजनेय वा
ु ह यद् व वपरी यं
एसबी . . पीएम ऐसे सहयोग क लभता पर वचार करता है और
नदश के लए उ सुक महसूस करता है
नूनां भगवतो न्
गहेनु गहा मे धनाम्
न ल णे ह अव ानाम्
आपी गो दोहाना वा सट
इस कार राजा ने मधुर भाषा म उ चत पूछे और ऋ षय ने धम के
आधार पर उ र दे ना आर कया।