Srimad Bhagavatam Canto 1

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सग

तावना
ील ास दे व ारा ीम ागवतम् का संक लन कै से कया गया

शुक दे व गो वामी ारा सव थम परी त महाराज से कही गई बात

और फर सूत गो वामी ारा सौनका द ऋ षय से कही गई बात

अंतव तु

नै मषार य के ऋ षय और सूत गो वामी के बीच वातालाप उ र

• ऋ षय के चार एसबी का प व संदेश परी त के ज म और ग त व धय के बारे म


. शुक दे व गो वामी के बारे म . परी त और शुक के बीच मुलाकात के बारे म और ील ासदे व
क असंतु के बारे म अ

नारद मु न और ासदे व के बीच संवाद A

परी त के ज म क घटनाएँ A

पांडव के सं यास लेने क घटनाएँ A और A

परी त के सं यास क ओर ले जाने वाली घटनाएँ A और A

एसबी के कट होने क घटनाएँ ए और ए


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सभी कार के भौ तक और आ या मक ान म पारंगत आ ाका रता के कारण


एसबी . . ऋ षय ारा पूछे गए
आ या मक गु क दया ा त ई है

ीम ागवतम् क तावना
SB . . कृ ण को परम स य के प म प रभा षत करते ए कहा गया है क वे सम त कारण के ीम ागवतम . . ऋ षय के छः
कारण ह वतं ह उ ह ने ही सव थम ाजी के दय म वै दक ान का संचार कया उनके ारा सामा य लोग के लए परम क याण या है
महान ऋ षय तथा दे वता को भी मोह हो जाता है के वल उनके कारण ही अवा त वक भौ तक

अभ याँ वा त वक तीत होती ह ीमद् भागवतम १.१.१० क लयुग म लोग के गुण


कम आयु वाले झगड़ालू आलसी पथ भा यहीन सदै व अशांत रहने वाले
होते ह।
जो पारलौ कक धाम म सदा व मान है ायेलपयुनाउ स य
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय कलव अ मन युगे जनाउ
ज मा मी के अवसर पर हम सभी को हा दक शुभकामनाएं मंडाऊ सुमांदा मातायो
म दा भा या उप ताह
तेने ा हदा या आ द कवये मु त यत् सूया॥ इन सभी शा का सार चुन और सभी जीव के क याण के लए इसक
ा या कर।
तेज ो वारी मादा यथा व नमयो य सग मान भगवान कस उ े य से दे वके के गभ म वसुदेव के पु के प म कट ए

धामना वेन सदा नर तकु हाका स या परा धेम ह एसबी . . ऋ ष कृ ण और उनके अवतार के बारे म जानने के लए उ सुक
ह और पूव आचाय ारा द गई श ा क ा या करने के लए कहते ह
ीम ागवतम् क म हमा तथा वा त वक धम क प रभाषा
SB . . अनजाने म भी कृ ण के प व नाम का क तन करने से मनु य भव
के वल शु दय वाले भ ही समझ सकते ह सव स य का तपादन ब न से मु हो जाता है।
करते ह तीन कार के ख का नाश करते ह महान ऋ ष ासदे व ारा घर का माहौल
संक लत अपनी प रप वता म ई र ा त के लए अपने आप म पया त यान नामा ववाको गेन
ह यानपूवक और वन होकर सुनने से भगवान दय म ा पत होते ह ततौ स ो वमु येता
यद् बभे त वया भयम्
ीम ागवतम १.१.१५ भगवान के भ अपने संपक म आने वाल को प व करते ह।
एसबी . . एसबी क मठास

वै दक क पवृ के प रप व फल एसबी का आनंद लेने के लए वशेष और वचारशील यत पदा सॅ याउ सुता


पु ष को आमं त कया जाता है
मुनयाउ चामयानाउ
ी शुक दे व गो वामी के होठ के श से सा ह य अ धक सु वा हो गया है। स ौ पुन य उप णौ
svardhuny äpo nusevayä
नगम क प तारोर ग लता फला
ीम ागवतम १.१.१६ क ल के दोष पर वण का मह व
चुक मुख ाद् अमात व संयुतम्
ीम ागवतम . . भगवान ारा पु षावतार म कये गए साह सक काय का वणन कर।
पबता भागवत रसम आलय उसका वभ
मु त अहो र सका भु व भवुक ाऊ

ीम ागवतम . . . भगवान के अनेक अवतार लीलावतार


एसबी . . ऋ षय के लए प र य तैयार करना&सूत गो वामी क यो यताएँ क द लीला का वणन कर।
ीमद् भागवतम १.१.१९ द वषय म तृ त नह
एसबी . . एसबी को सरी बार नै मनाराय म दोहराया गया मामला

एसबी १.१.२० यह जानने क उ सुक ता क ी कृ ण और बलराम ने कस कार


SB . . सभी ऋ षय ने ातः कालीन कत समा त कर सूत गो वामी को मनु य क तरह ड़ा क
ासशासन सम पत कया तथा बड़े आदर से पूछा। SB . . सूत गो वामी एसबी . . वण और क तन करना क लयुग के लए अनुशं सत य
क यो यता सम त दोष या है ऋ ष वीकार करते ह
से मु सम त शा म पारंगत उ चत मागदशन म उनका अ ययन कर चुके SB . . ऋ षगण कृ ण क कृ पा को वीकार करते ह जसके कारण उ ह
तथा उनक ा या भी कर चुके ासदे व के ान से प र चत अ य ऋ षय को सूत गो वामी जहाज के क तान से सुनने का अवसर ा त होता है।
भी जानते ह जो पूण तः शा ह।
ीम ागवतम . . भगवान के चले जाने के बाद अब धा मक
स ांत कसक शरण म चले गए ह
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SB . . परम स य क खोज ही अं तम ल य होना चा हए


एसबी . . द ता और द सेवाएं
SB . . परम स य को परमा मा तथा भगवान के प म प रभा षत
ीमद् भागवतम् १.२.१ ५ ील सुता गो वामी का उ र नम कार से आर होता है कया गया है

. . सूत गो वामी ऋ षय के उ म से पूण तया संतु होकर उ ह ध यवाद दया ीम ागवतम . . स ा त करने क या के पम ीम ागवतम
तथा इस कार उ र दे ने का यास कया। को सुनने का मह व
ीमद् भागवतम १.२.१२ मनु य को दस का उ ारण करके अत का बोध करना चा हए।
ीम ागवतम १.२.२ ३ ीम ागवतम ...

SB . . भ सेवा ही वराह म का एकमा उ े य है

स त १.२.१४ कसी भी तरह से भ सेवा पर यान के त करो।


एक बार फर से मनाना
. . नारायण नर नारायण अ ण सर वती तथा ील ासदे व को नम कार है। . . भगवान् स वता प त
के वल भगवान कृ ण से संबं धत ही आ मा को पूण तः संतु करने म स म ह। çrotavyaù kértitavyaç ca
येय पू य च न यदा
ी कृ ण का मरण करने से सम त कम बंधन समा त हो जाते ह।
मुनयाउ साधू पाणो हा
भव र लोक म लम्
यत कटौ कनाया सं ासनो
ीम ागवतम . . भ ग त करती है
कृ पया ऊपर लखे
ीम ागवतम १.२.१६ महान आ मा क सेवा करो और ऐसी सेवा सुनने म च पैदा
करती है।
एसबी . . थम ेण ी पारलौ कक धम का मानक çuçrüñoù çraddadhänasya
वासुदेव कथा च

ऋ षय के का उ र है सम त मानवजा त के लए परम धम वह है जसके ारा मनु य यान् महत् सेवया व ौ


भगवान क अन य एवं नबाध ेममयी भ ा त कर सके । स वै पुषां परो धम पुएया तीथ ननेवाएट

ीम ागवतम १.२.१७ भगवान स ी आ मा क सहायता करते ह और दय को शु करते ह।

वयं कथावाचक
यतो भ र अधो ञजे पुएया ावा के तनाउ
अहैतुक अ तीहा हडी अ तौ ौ ह अभ ाई
यया मा सु ासेद त वधुनो त सुहात सताम
का उ र भगवान ी कृ ण को अपण करने से मनु य को तुर त ही अहैतुक ान ीम ागवत गीता १.२.१८ नय मत भागवत सेवा के दो भाव बताते
एवं वैरा य क ा त हो जाती है। ह १ भागवत सेवा सभी अनथ का नाश करती है और २
धीरे धीरे ेमपूण सेवा एक अटल त य के पम ा पत हो जाती है

ीम ागवतम . . के वल भ ही अपने कम के ारा ा त नानोआ ये व अभ े ण ु

क जा सकती है। न या भागवत सेवया


भगवती उ म लोके
एसबी . . ावसा यक कत और कृ णभावनामृत
भ र भव त नैण ो हके

SB . . मनु य क ावसा यक ग त व धयाँ थ म ह य द वे भगवान के संदेश के एसबी . . न नतर मोड का भाव गायब हो जाता है
त आकषण उ प नह करत । एसबी . . शु सवम ा पत होने के बाद दो भाव होते ह मन भगवान ारा
अनु ा णत होता है और भगवान के व का सकारा मक वै ा नक ान ा त होता
धम वानुण ो हतो पुआ सा है।
व व सेन कथासु यौ
नोटपेड या द र तआ ीम ागवतम १.२.२१ सकाम बंधन से मु एवं पूण ानोदय
म एव ह के वलम्

एसबी . . भौ तक लाभ कभी भी सभी ावसा यक ग त व धय का एसबी १.२.२२ १६ से २१ ंथ का न कष सभी पारमा थकवा दय ने भगवान को

ल य नह होता है डी.एस. कहा है


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हे कृ ण यह भ मुझ े ब त स ता से ा त ई य क ऐसी भ आ मा
SB . . कृ ण सभी अवतार के ोत ह
को सजीव करने वाली है।

ी कृ ण का उनके व भ प से स ब ...

एसबी . . संपूण ांड और ांड क रचना म पु ष अवतार क तीन भू मकाएँ

एसबी १.२.२३ परम लाभ वणु पूज ा से आता है गत ांड.

भगवान वासुदेव जैसा क १.२.२८ ३ म उ ले खत है

एसबी १.२.२४ अ ाई से मनु य परम स य का अनुभव कर सकता है २९ भौ तक सृज न के लए पु ष अवतार को वीकार करते ह। एसबी १.३.२ सरा पु ष

अवतार गद द यी व णु कारणोद यी व णु महा व णु से कट होता है।


. . जो भी महान अ धका रय का अनुसरण करता है ज ह ने भगवान को स कया है

वह भी मो के लए पा है। सब ा डीय हम डल पु ष के वशाल शरीर पर त ह और अ ततोग वा पु ष प


शा त आ या मक है तथा इसका भौ तक घटक और भौ तक सृ से कोई स ब नह है।
ीम ागवतम . . अ य दे वता क पूज ा
ीम ागवतम . . दे वता का स मान करो क तु उनक पूज ा अ वीकार करो।

सत . . दे वता तथा कसी भी जीव त व क पूज ा भौ तक इ ा से े रत SB . . के वल भ ही द दशन कर सकता है।

होती है। पु षा फॉम GSV

एसबी . . वासुदेव पूज ा के वा त वक उ े य ह ीम ागवतम १.३.५ भगवान व णु सम त ा ड के पालनकता ीरोदकशायी भगवान व णु


के ोत ह।

SB . . न कषतः वासुदेव ी कृ ण ही पूज ा के एकमा उ े य तथा सभी धम के


ल य ह। ीम ागवतम . . इस ा ड म कट होने वाले भगवान के अवतार का वणन
क तु यह करता है क वा तव म भगवान के असी मत अवतार ह। का उ र

ीम ागवतम . . कृ ण पु षावतार म व तार करके भौ तक जगत को कट


करते ह

एसबी . . का उ र ीम ागवतम . . कु मार सूअ र नारद नर नारायण ऋ ष क पल द ा ेय य


ऋषभ पृथु म य कू म ध वंत र नर सह वामन परशुराम ासदे व राम बलराम और
एसबी १.२.३० भगवान का आर काराओदकचये व येउ के प म होता है
कृ ण बु क क
SB . . तब भगवान गभ दकचये वणु के प म कट होते ह और फर
कणेरोदकचये वणु के प म।
सबम परमा मा प म भगवान ा त ह।
SB . . भगवान के असं य अवतार ह जैसे जल के अ य ोत से न दयाँ बहती रहती
SB . . परमा मा सू म मन ारा जीव को तीन गुण के भाव का आनंद लेने म
ह।
सहायता करता है।
SB . . ऋ ष मनु दे वता मनु एवं जाप तय के वंशज जैसे श शाली ाणी
ीम ागवतम . . का उ र भगवान शु सतोगुण ी लोग को पुनः ा त करने
पूण अंश या पूण अंश के अंश ह।
के लए अवतार लेते ह।

एसबी १.३.२८ २९ कृ ण उनके ोत ह और एसपीजी ह

SB . . कृ ण परम पु षो म भगवान ह सभी अवतार के ोत ह।

एते काका काला पुआ साउ


कृ णस तु भगवान् वयं
इ ार ाकु ला लोका
मायाय त युगे युगे
ीम ागवतम १.३.२९ द ज म एवं कम का मरण मा करने से सभी ख से मु
मल जाती है।

या एतत यातो नाराउ


सायं ातर गण भ या
ख ामद वमु यते
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SB . . भगवान वरौ प तथा जीव के भौ तक प ूल तथा सू म वा तव ीम ागवतम १.३.४२ शुक दे व गो वामी ने मरने क तैयारी कर रहे परी त महाराज को

म का प नक ह। ीम ागवतम दया।
ीम ागवतम . . का उ र ीम ागवतम भगवान कृ ण के अपने धाम चले
जाने के तुर त बाद कट ए थे।
एसबी १.३.३० वराट प भगवान के प क भौ तक धारणा है यह एक का प नक धारणा है
ये वधामोपगते
एसबी १.३.३१ अ प बु वाले लोग आ मा पर भौ तक शारी रक धारणाएँ
धम ान द भउ सह
थोपते ह एसबी १.३.३२ आ या मक प सभी ूल और सू म से परे ह
कालू नानोआ दाचैम एनना
पुराएक धुनो दताù
SB . . सूत गो वामी ने शुक दे व गो वामी तथा परी त महाराज क बातचीत को
यानपूवक सुना और कृ पा ा त क । अब म तु ह वही बात सुनाने का यास क ँ गा।
स त १.३.३३ आ म सा ा कार क अव ा दशन ूल और सू म शरीर से परे तथा
वयं को तथा भगवान को दे ख ना।

SB . . इस कार भगवान क कृ पा से एक उ चत वाभा वक त उ प होती है


मायावी श शांत हो जाती है और ान ा त होता है

SB . . महान ऋ ष आ म सा ा कार के उ े य से भगवान परमा मा के गोपनीय


ज म एवं कायकलाप का वणन करते ह

भगवान जनके कायकलाप सदै व न कलंक रहते ह वे छः इ य और छः ऐ य के


वामी ह।
वह कट ांड क रचना करता है उनका पालन करता है और बना कसी भाव के
उनका संहार करता है। वह येक जीव के भीतर है और हमेशा वतं रहता है।

. . भगवान क लीलाएँ पूण तया आ या मक ह के वल अ प पु ष ही उ ह साधारण


मानते ह।

एक बार जब धातु नकल जाए तो धातु नकल जाती है


म तु ह एक महान मानता ँ
नामानी पाई मनो वाको भउ
संतनवतो नाओआ कायम इवा जयाउ
ीम ागवतम . . कृ ण भगवान् का व प के वल अन य अखं डत एवं अनुकू ल भ से

ही पूण तः जाना जा सकता है।

ीम ागवतम . . सूत गो वामी ऋ षय को ऐसा आ या मक प से उ ेज क


पूछने के लए बधाई दे ते ह।

सबा . . भगवान कृ ण के इस अवतार क म हमा कर जो क लयुग के ब जीव

का उ ार करने के लए आया है।

ीम ागवतम . . ीम ागवतम भगवान का सा ह यक अवतार है जसे भगवान


के अवतार ील ासदे व ने संक लत कया है तथा जसका उ े य सभी लोग का परम
क याण है।
इदं भागवतं नाम
पुरऍआ स मतम्
उ म लोक च रत

च भगवान अ णउ
नउ ेयसया लोक य
ध या व यअयनां महत्
ील ासदे व ने अपने पु शुक दे व गो वामी को ीम ागवत गीता सखाई।
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ी नारद का आ वभाव
ीम ागवतम . . इ तहास और ामा णक कहा नयाँ पाँचवाँ वेद ह।

एसबी . . ासदे व ने व भ वेद को व भ व ान को स पा।


ीमद् भागवतम १.४.१ शौनक ऋ ष ने सूत गो वामी को बधाई द

एसबी . . श य और महान श य के मा यम से ान क शाखा म आगे वभाजन


ीम ागवतम . . शौनक ऋ ष के

SB . . शौनक मु न ने सुनने के लए महान उ सुक ता क ीमद् भागवतम् के प व

संदेश सुनाएँ
एसबी . . इन सभी वभाग को बनाने का कारण

. . ऋ वेद के इ तहास के बारे म ासदे व को ऋ वेद को संक लत करने क ेरणा कहां


एसबी . . कम बु मान वग को वेद क वषय व तु को आ मसात करने म मदद करने
से मली
के लए वेद को संपा दत कया गया

एसबी . . लोग को जीवन के अं तम ल य को ा त करने म मदद करने


ीमद् भागवतम . . शुक दे व गो वामी के वषय म
के लए वेद को संपा दत कया और म हला शू और जबं के लए
SB . . वह एक महान भ एक समदश अ ै तवाद थे।
महाभारत संक लत कया ासदे व क दयालु मनोदशा

ीम ागवतम . . सु दर युव तयाँ जो न न अव ा म नान कर रही थ शुक दे व गो वामी के


जाते समय उ ह ने अपने शरीर को व से नह ढका।

एसबी १.४.२६ २७ ासदे व का असंतोष कया गया

. . जब वह ह तनापुर नगर म व आ तो नाग रक ने उसे कै से पहचाना य क वह एसबी . . सभी के क याण के लए इतने वशाल संक लन के बावजूद कोई संतु नह है एव

पागल गूंगा तथा मंदबु जैसा तीत हो रहा था व य सदा

. . . राजा परी त क इस महान ऋ ष से कस कार भट ई जससे उनके लए भागवतम भूटानी े यासी जाऊ

का गायन संभव हो सका सव

SB . . . वह घर को प व करने के लए गृह के दरवाजे पर रहने का आद था SB . . . परी त नतु याद धादया तातौ

महाराज के अ त ज म और ग त व धय के बारे म SB . . असंतोष के कारण पर वचार कया य क वह धम का सार जानता था

ीम ागवतम . . उ ह ने सब कु छ यागकर गंगा तट पर बैठकर आमरण अनशन य कया एसबी . . असंतोष के कारण पर वचार कया गया

एसबी . . अपने यास पर वचार करना जनसे इतना असंतोष नह होना चा हए था


. . वह अपना जीवन स हत सब कु छ य यागना चाहता था

एसबी . . ासदे व वै दक ववरण से पूरी तरह सुस त होने के बावजूद सुराग खो गए


य प स ाट परी त सांसा रक स के त सम त आस से मु थे फर भी वे तीत होते ह
अपना न र शरीर कै से याग सकते थे जो अ य के लए आ य था एसबी १.४.३१ संभा वत सुराग पकड़ता है डी.एस. का व श और पया त वणन न करने का

दोष महसूस करता है

SB . . ऋ षगण सूत गो वामी क यो यता को उनक अनुभू तय के बल पर वीकार करते


नारद जी ासदे व क कु टया पर प ँचे जो प ाताप कर रहे थे।
ह।

ी ासदे व ारा ी नारदजी का वागत


ीम ागवतम १.४.१४ २३ सूत गो वामी का उ र दे ना ार करते ह।

SB . . ासदे व का ज म पराचर के यहाँ स यवती के गभ से आ।

ीम ागवतम . . एक बार वे सर वती नद के तट पर यान कर रहे थे।

ीम ागवतम १.४.१६ ासदे व ने क लयुग म होने वाली भावी वसंग तय को नोट कया

सम त भौ तक व तु क दशा दे ख कर उ ह ने सभी अव ा तथा वण के मनु य

के क याण के लए चतन कया।

एसबी १.४.१९ सरलीकृ त वै दक या एक वेद को चार भाग म वभा जत कया गया


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एसबी . .नारद के नदश नामनी अनंत य याको इ कत न यत


चाव त गायं त गायं त साधवउ
ासदे व के लए ीम ागवतम् ीमद् भागवतम १.५.१२ १९ भ मय सेवा ही एकमा मू यवान संप है

ीम ागवतम १.५.१२ नारद मु न न काम कम क न दा करते ह और


नारद जी ास जी क नराशा के वषय म पूछते ह और ास जी उ र दे ते
ह पदाथ और आ मा का ान य द वे भ से र हत ह।

नारदजी बैठे बैठे मु कु राते ह और ासदे व को नराशा करते ह।


एसबी १.५.१३ द लेख क के पम ासदे व क अ तीय यो यता को यान म रखते ए

नारद या आप शरीर या मन को आ म सा ा कार क व तु मानकर संतु ह


एसबी . . पहले से संक लत सा ह य म ु ट
सामा यतः लोग इस उलझन म रहते ह क अपना मन भु क सेवा म कै से लगाएं

नारद जी ने ासदे व के अ ययन एवं महाभारत लेख न काय क शंसा क


सामा य लोग वाभा वक प से भोग वलास म वृ होते ह और आपने ासदे व
धम के नाम पर उ ह उसी कार ो सा हत कया है।
. . नराकार तथा उससे ा त ान का वणन करने के बावजूद भी वह य नराश
था
एसबी . . धमशा को समझना ब त क ठन है ले कन डीएस सभी के लए आसान
है

ीम ागवतम . . भ सेवा म ग त सदै व मरणीय है।


SB . . ासदे व ने अपना असंतोष वीकार कया

SB . . अपनी असंतु को वीकार करते ए वे नारद से अपनी असंतु का मूल कारण पूछते ह
SB . . भ म पतन भी कोई मायने नह रखता सरी ओर कृ णभावनामृत के बना अपने
तथा ा के पु होने के कारण असीम ान वाले के प म नारद क शंसा करते ह।
कत म स ूण पूण ता थ है।

य वा वधमा चराए बुज ा हरेर


ीम ागवतम १.५.६ भगवान के भ नारद मु न क म हमा
भजन अप वोऽथा पातेत ततो य द
य कव वभ ं अभुद ् अमू य कआ
सबा १.५.७ नारद मु न को परमा मा के समान म हमामं डत करते ए उनसे अपने अंदर क कमी का
को वततः भजता वधमतः
पता लगाने का अनुरोध करते ह।
सब भौ तक पद अ न य ह।
के वल ई र के साथ शा त संबंध को पुनज वत करने और ई र व म वापस जाने का यास
कर
एसबी . . नारद ने ास को कृ ण क लीला के वणन का
त यैवा हेतोउ यातेता को वडो
मह व बताया न ल यते यद् मतां उप र अधौ
एसबी . . नारद नदान दोष का पता लगाता है तल ल यते ःखवद् अ यत सुख
एसबी १.५.८ भगवान क म हमा का अपया त सारण के लेना सव गभेरा राहासा
çré närada uväca सबा १.५.१९ भ को अ य क भाँ त भौ तक संसार नह भोगना पड़ता।
भवतानु दता याया
याको भगवतोऽमलम् नारद आ द कारण के प म भगवान क सव ता का व तार करने का परामश दे ते ह।
yenaiväsau na tuñyeta तु येता

म ये तद दरचाना खलम SB . . भगवान के पूण ावतार से श ात ासदे व को भगवान को जानना चा हए


ीमद् भागवतम . . चार पु षाथ पर अ धक बल ीमद् तथा उ ह भगवान क अ धक प से तु त करनी चा हए।

भागवतम . . सा ह य क दो े णयाँ
ीमद् भागवतम . . नारद मु न ने भौ तकवाद सा ह य को अ वीकार कया SB . . ान क उ त का अचूक उ े य भगवान के द वणन म प रणत होता है

ना याद वकाच च पडा हरर यो


जगत प व ा गटे कर ह चत
तदवयसा तथम उचां त मानसा ीमद् भागवतम . . नारदजी अपने जीवन का वणन करते ह

ना य हंसा नमाण उ चक क याउ SB . . नारद मु न का पूव ज म जो वषा ऋतु के चार महीन म ा ण क सेवा म लगी
SB . . द सा ह य क म हमा करता है भले ही अपूण प से र चत हो शु पु ष
दासी के पु थे।
ारा सुना गाया और वीकार कया जाता है

SB . . बालक प म नारद के गुण ने न प ऋ षय को उ ह आशीवाद दे ने के


तद वग वसग जनता व लवो
लए े रत कया।
य मन् तचलोकं अ वतअप
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ते मेय अपेटा खला कै पेल रभाके ीम ागवतम १.५.३८ भगवान् क ा त के साधन के पम द व न क न का मह व


दांते धता े ओनाके नुव तनी
च ु कपा य ा प तु य दशनु फॉम

çuçrüñamäëe munayo lpa bhäñiëi एसबी १.५.३९ नारद मु न ने अपने गत अनुभव के आधार पर ऊपर बताई गई व ध को पूरी

SB . . भोजन के बचे ए भाग क श पाप तुरंत न हो गए उसका दय शु हो गया तरह से उ म व ध घो षत कया है एसबी १.५.४० ावहा रक अनुभव के आधार पर नारद मु न

ने ासदे व से न त प से कहा

उ नोआ लेपन अनुमो दत जायौ


ब त सारे लोग एक सरे से र भागते ह
एव व य वशु चेत स
त म एवा मा चउ जायते

एसबी १.५.२६ भ क संग त म सुनने से भगवान के व के वण के त च बढ़ गई

एसबी १.५.२७ के वल सुनने से नारद म भगवान के व के त ेम का आकषण वक सत आ


एसबी १.५.२८

आगे के भाव वासना और

अ ानता परा त
. . वह आचरण म सौ य था उसने इं य को वश म कर रखा था वह
शरीर और मन से उनका कठोरता से पालन करता था उनक सेवा से उसके सारे
पाप न हो गए थे तथा उसके दय म उनके त ढ़ ा थी।

एसबी . . सबसे गोपनीय ान


एसबी १.५.३० ऋ षय ारा अ यंत गोपनीय ान कट कया गया

SB . . भगवान क व भ श य क समझ तथा भगवदधाम क ओर


वापसी

नारदजी ासजी को सलाह दे ते ह क वे अपने लेख न म सवश मान भगवान के


वषय म सुनने तथा उनके लए काय करने के स ांत को कट कर।

ीम ागवतम . . कम योग क या
सब कार के क एवं ख को र करने का सव म उपाय है अपने काय को भगवान क सेवा
म सम पत कर दे ना कृ ण

सत . . भौ तक अ त व के वध ःख को के वल भौ तक कायकलाप से कम नह कया जा

सकता।

SB . . इस कार बंधन का कारण मो का कारण बन जाता है।

SB . . भगवान के काय क संतु के लए जो भी काय कया जाता है उसे भ योग कहा

जाता है।

ी कृ ण के आदे शानुसार काय करते ए उनका मरण करना।

नारद मु न सलाह दे ते ह क हमेशा भगवान ीकृ ण क म हमा का क तन करो तथा


उनके पूण अंश का मरण करो
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ीम ागवतम . . नारद को अपना प यागने का अनुभव


एसबी . . बातचीत

नारद और ासदे व नारद मु न उस प को खोने से ाकु ल हो गए।

एसबी . . ासदे व नारद के जीवन के बारे म पूछते ह और नारद भगवान के उनके सम ीमद् भागवतम १.६.१९ उस प को यानपूवक दे ख ने का बार बार यास असफल ःखी

कट होने के वषय म बताते ह। एवं असंतु

SB . . भगवान ने अपनी अहैतुक कृ पा से वशेष उपहार व प नारद मु न से कहा

SB . . आगे क पूछताछ ासदे व अपने जीवन के वषय म आगे और पूछताछ करना

चाहते ह।
ीम ागवतम . . भगवान नारद को आदे श दे ते ह और नारद अपनी मृ यु तक
ासदे व क ज ासाएँ पाठ
इन आदे श का पालन करते ह।
. . मह षय के चले जाने के बाद आपने नारदजी ने या कया
ीम ागवतम . . नारद का भौ तक कलंक भगवान ने नारद मु न से कहा क इस जीवन म
और अ धक दशन नह ह गे
SB . . द ा के बाद आपने अपना जीवन कस कार तीत कया तथा समय आने पर अपने

पुराने शरीर को यागकर आपने यह शरीर कस कार ा त कया


SB . . भगवान नारद क अपने त ती इ ा को बढ़ाने के लए पीछे हट जाते ह

ा के इस दन से पूव घ टत ई घटना आज भी आपक मृ त म कै से ताज़ा है

ीम ागवतम १.६.२३ २४ भगवान भ सेवा क म हमा करते ह


SB . . थोड़ी सी सेवा से भी मनु य भगवान पर ढ़ एवं र बु ा त कर लेता है।
एसबी . . नारद नारद का जीवन महान ऋ षय के चले जाने के बाद

SB . . काल भी कसी क भ म बाधा नह डाल सकता।

नारद क माता को सप ने डस लया पाठ


म तर म य नब े यः
. . चूँ क वह उसक एकमा संतान थी अतः उसने उसे नेह के बंधन म बाँध लया।
न वप ेत क ह चत्

जा सग नरोधेऽ प
एसबी . . वह उसका उ चत रखरखाव नह कर सक
मु कु राओ और मा करो
हर कोई कठपुतली मा टर के हाथ म एक लकड़ी क गु ड़या क तरह है।
SB . . भगवान ने बोलना बंद कर दया और नारद ने कृ त तापूवक अपना सर झुक ा लया।

वह पाँच वष का बालक था अपनी माता के नेह पर नभर था उसे व भ दे श का कोई अनुभव


ीम ागवतम . . उ ह ने भगवान क द लीला का क तन एवं मरण करते ए या ा
नह था।
आर क।

एक रात जब उनक माता गाय हने के लए बाहर जा रही थ तो काल के भाव म आये एक सप ने
ीमद् भागवतम . . नारद मु न क मृ यु
उनके पैर म डस लया।

एसबी . . नारद पूण पूण ता


ीम ागवतम १.६.१० भ भगवान के ह त ेप का वागत करता है
ीम ागवतम १.६.२८ नारद को आ या मक शरीर ा त आ
ीम ागवतम १.६.२९ नारद क द कृ त
ीम ागवतम १.६.११ १४ प र ाजकाचाय
कट होना और गायब होना
का जीवन
नारद उसी द शरीर म कट होते ह
ीमद् भागवतम १.६.११ १३ नारद मु न भगवान क सृ क व भ रचना के मा यम से या ा
करते ह ीमद् भागवतम १.६.१४
ीम ागवतम . . नारद मु न मु हो गये।
शारी रक आव यकता क पू त
अंत र या ी
एसबी १.६.१५ पूण यान शु होता है
ीम ागवतम . . नारद मु न भगवान क म हमा का चार करने के लए भगवान
के उपहार वेया का उपयोग करते ह।
ीम ागवतम . . यान के दौरान नारद के अनुभव
ीम ागवतम १.६.३३ ीम ागवतम के द क तन क श

जैसे ही म उनके प व काय का क तन करना आर करता ँ भगवान के प व


स त १.६.१६ यान भाव क अव ा तक आगे बढ़ता है तथा भगवान क वा त वक उप त का
कायकलाप तुर त मेरे दय ान पर कट हो जाते ह मानो उ ह बुलाया गया हो।
बोध होता है।

नारद मु न अपने ती आन द क ा या करने का यास करते ह


गयातौ व वेयाइ

तीथ पा य च वाउ
ीम ागवतम . . नारद मु न को भगवान के द प का अनुभव
म तुमसे यार करता ँ
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दारचाना या त चेतासी
एसबी . . ोइया के पु को द डत कया गया

ीमद् भागवतम . . नारद जी अपना उपदे श समा त करते ह


ीम ागवतम . . ील ासदे व का यान एवं समा ध
भवसागर से पार उतरने के लए सबसे उपयु नौका है भगवान के द कायकलाप का

नरंतर क तन।

ीचौनक अ ारा ील ासदे व के आगे के काय के वषय म


एताद धी अतुरा च नाआ
म ा ाकचया मु
ीम ागवतम . . सर वती नद के तट पर च य ाश म ीम ागवतम . . ...
भव स ु लवो दानो
ह र चयाणुवरेण ाम्
SB . . यह व ध भगवान क भ सेवा सव म है
एसबी . . उ ह ने भ सेवा क या का उपयोग कया और उ ह ने भौ तक
ीम ागवतम . . इस कार नारद मु न ने अपने द सा ा कार के रह य का न कष नकाला ीम ागवतम ऊजा के साथ वाहा कया
. . ीम ागवतम . . ीम ागवतम . . SB . . जीवा मा मायावी श के भाव म आकर वयं को गलत पहचान
ीम ागवतम . . ीम ागवतम . . ... लेता है और क भोगता है।
ीम ागवतम . . सूत गो वामी ारा नारद मु न क शंसा . . भौ तक क के नवारण के लए भ योग बताया गया है क तु अ धकांश लोग इसे नह

जानते अतः व ान ासदे व ने ऋ वेद म भ योग नामक ोक का संक लन कया है।

अनथ पाकम सकनद


भ योगं अधोग े
लोक यजानातो व ान्
च े सा वत स हतम्

. . भगवान कृ ण को वण मा से ही भगवान कृ ण के त ेम क भावना तुर त ही

ु टत हो जाती है जो शोक मोह तथा भय क अ न को बुझ ा दे ती है।

य या वै यूयामाया
काने परमा पु ने
भ र उ प ते पुआ सौ
कोका मोह भयापाहा

ीम ागवतम् १.७.८ ११ ील ासदे व अपने पु ील ासदे व को


ीम ागवतम् क श ा दे ते ह।

ीम ागवतम १.७.८ ील ासदे व ने इस संक लन को शुक दे व गो वामी को सखाया


ीम ागवतम १.७.९ शौनक

का शुक दे व गो वामी जो एक मु आ मा थे तथा अ य सभी व तु से उदासीन थे फर

भी उ ह ने ीम ागवतम म च य ली

SB . . सूत का उ र आ माराम ोक मु आ माएँ भी भगवान के गुण क


ओर आक षत होती ह
सुता उवाका

आ माराम का मुनायो
नर आपी उ मे
कु व त अहैतुके आ भ म्
इ म भूता गुएओ ह रउ
ीम ागवतम . . सूतजी शुक दे व गो वामी को द श शाली तथा भगवान के भ का

य कहकर उनक शंसा करते ह।


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ीम ागवतम १.७.१२ १४ सूत गो वामी ारा परी त महाराज के वषय म अ य दो ा के भाव से अ न का एक वशाल च सम त बा अंत र तथा सम त लोक

के उ र १.४ म शौनक ारा पूछे गए के आकाश को ढकने लगा।

SB . . आगे का भाव तीन लोक क सम त जनसं या ह थयार क स म लत गम से


ीमद् भागवतम १.७.१२ सूत गो वामी अब कृ ण एवं पा डव का द आ यान ार करते ह।
झुलस गई।

एसबी . . कहानी कु र े के यु के अंत से शु होती है अ व ामा ने ौपद के पांच


SB . . कृ ण क इ ा पूरी ई अजुन ने तुर त दोन ा वापस ले लये।
सोते ए पु को मार डाला

एसबी . . मन पकड़ा गया


SB . . कृ ण भी ो धत ह
एसबी १.७.१५ १७ के पु के बारे म वलाप

पांडव
एसबी . . अ व ामा क ह या के संबंध म तक का आदान दान
ीम ागवतम . . अजुन ने ौपद को शांत कया

ीम ागवतम . . अजुन ने अ ामा का सर काटने का ताव रखा


ीम ागवतम . . कृ ण न न ल खत तक ारा वध का समथन करते ह
. . अजुन ने काय करने का यास कया

ीम ागवतम . . कभी दया मत दखाओ


ीम ागवतम . . अजुन ारा अ व ामा से यु कृ ण धमयु क कु छ सं हता पर वचार करते ह वे ऐसे श ु को नह मारते जो लापरवाह

एसबी . . अ व ामा डर के मारे भाग गया नशे म धु पागल सोया आ डरा आ या रथहीन हो। वे न तो कसी बालक ी मूख ाणी या
SB . . अ व ामा ने ा क शरण ली शरणागत आ मा को मारते ह।

ीम ागवतम १.७.२० अ व ामा का अपूण ान

वह ा को वापस लेने का ान न रखते ए ही उसे छोड़ दे ता है।

. . जो ू र एवं अभागा सर के जीवन क क मत पर अपना अ त व बनाए रखता


SB . . अजुन को खतरा महसूस आ है वह अपने क याण के लए मारे जाने यो य है।

. . ौपद को दए गए वचन का मरण


ीम ागवतम . . अजुन ारा भगवान कृ ण क ाथना

एसबी . . आ ामक को मार दया जाना चा हए


SB . . अजुन ने कृ ण क सहायता का आ य लया
SB . . कृ ण क परी ा उ ीण महा मा अजुन को उ ह मारने का वचार पसंद नह आया।
भय दे ने वाला

अजुन उवाच
सबा १.७.४१ अ व ामा को ौपद को स प दया गया
काना काना महा बाहो

भ ानां अभयाइकरा

वं एको द ामानानाम् ीम ागवतम् . . ौपद का सौ य एवं सौ य वभाव


ौपद ने उ ह उ चत स मान दया।
अपावग सी सासातेउ

SB . . भगवान कृ ण आ द भगवान ह जो स ूण ा ड म फै ले ए ह। . . ौपद अ व ामा क रहाई के अनुरोध को सहन करने म असमथ थी।

SB . . प तत आ मा के लए भगवान का दयालु वभाव SB . . भगवान संसार का

भार . . ौपद ने वध के व तक तुत कये

हटाते ह और अन य भ को लाभ प ँचाते ह

ीमद् भागवतम . . गु के त दा य व

SB . . अजुन आस सम या तुत करता है SB . . पु को मारना पता को मारने के समान है। SB . . कभी

असहनीय चमक भी आदरणीय प रवार का अपमान न कर और उ ह पीड़ा न प ँचाएँ

. . मातृ भावना को क न प ँचाओ।


ी कृ ण ने अजुन को समाधान दया
. . आ या मक प से उ त जा त को नाराज न कर
SB . . चमक अ ामा के ा के भाव का कारण बताता है
ीमद् भागवतम . . महाराज यु ध र ने ौपद के तक का समथन कया
ीमद् भागवतम . . सभी
SB . . समाधान दया गया के वल सरा ा ही इस अ का तकार कर सकता है।
सहमत ए
ीम ागवतम . . भीम असहमत थे
SB . . अजुन ने तकार करने के लए अपना ह थयार चलाया
एसबी . . भगवान ह त ेप करते ह

एसबी . . समाधान दान करने के लए कृ ण क वशेष ता


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SB . . अजुन ने वरोधाभासी आदे श को संतु करने के लए सुझ ाया गया समझौता चुना
एसबी . . रानी कु टे और पेरेक नट क ाथनाएँ
SB . . ा ण के स ब य के लए नधा रत द ड म कभी भी ह या स म लत नह है।
बचाई ग

उसके सर के बाल काट दे ना उसक संप छ न लेना तथा उसे उसके घर से नकाल दे ना। ीमद् भागवतम . . मृतक को अपण

ीमद् भागवतम . . गंगा म शु दायक नान

. . पाओ और ौपद के पु ने शोक से अ भभूत होकर अपने संबं धय के शव के लए

उ चत अनु ान कया। ीम ागवतम . . पांडव क शां त

सब लोग ःख से अ भभूत ह

. . भगवान ी कृ ण तथा मु नय ने उन लोग को शांत करना आर कया जो ान के तर

पर जागृत होने से त तथा भा वत हो गए थे।

ीम ागवतम . . नद ष ा णय का अपमान करने के कारण कौरव क आयु कम हो गई।

SB . . अ मेध य स

ीम ागवतम . . भगवान का ारका ान

ीम ागवतम . . भगवान अपने ान क तैयारी करते ह सामा जक श ाचार का


पालन करते ह

ीम ागवतम . . उ रा सहायता के लए पुक ारती है और भगवान उ र दे ते ह

एसबी . . भयभीत उ रा भगवान क शरण म भागती है एसबी . . भगवान को संबो धत

करते ए के वल भगवान ही स े उ ारकता हो सकते ह।

ीमद भागवतम १.८.१० उ रा बालक क सुर ा के लए ाथना करती है


SB . . भगवान भ व सल ह समझो क अ व ामा ने ा फका था।

ीम ागवतम . . पावन क सुर ा

एसबी . . ल य कये गये पावन ने अपने ह थयार उठा लये

ीम ागवतम . . भगवान ने पा डव क र ा के लए अपना सुदशन च उठाया।

ीम ागवतम १.८.१४ भगवान अपनी गत श य से ूण को ढकते ह

ीम ागवतम . . भगवान के पास र ा करने क अक पनीय श यां ह।

ीम ागवतम १.८.१५ भगवान क श याँ सवा धक अद य श य का तकार कर सकती ह।

SB . . भगवान के कायकलाप रह यमय एवं अचूक ह

ीम ागवतम . . कु तीदे वे ने ान कर रहे भगवान से ाथना आर क।

भगवान क प व भ कु तीदे वी उनके पांच पु तथा ौपद ने भगवान कृ ण को संबो धत

कया।
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ीम ागवतम १.८.१८ कु तदे व भगवान को नम कार करते ह। SB . . भगवान क द लीला क वरोधाभासी एवं मोहक कृ त
का या
कु ती उवाका ज म कम च व व मन
नम ये पु णा व म् ajasyäkartur ätmanaù
ई र कटे परम तयई ने ननु यदाउसु
अलक या सवभूतानाम तद् अ य त वओ बनम्
अ तर बा अव तम्
SB . . भगवान क लीला क अ धक व मयकारी कृ त

ीम ागवतम . . अक पनीय एवं नदनीय के नकट जाने का यास करना

ीम ागवतम . . भगवान के ज म के वषय म व भ मत


SB . . भगवान क न कलंक ता क तुलना एक सजे धजे अ भनेता से क गई है SB . . यु ध र महाराज जैसे प व राजा क म हमा करने के लए राजा य को

गौरवा वत करने तथा स करने के लए


एसबी १.८.२० वन ता का दशन एक म हला भगवान को कै से जान सकती है

SB . . भगवान का व प मलय पवत पर कट होने वाले चंदन के समान है।


ी कृ ण भ के ेमी ह।

SB . . भगवान के कमल जैसे शारी रक व प क आगे क म हमा कसी भी तरह से हम एक सरे से र हो जाते ह

पुएया लोका य के तये


यादो य यन वाये
ीमद् भागवतम १.८.२३ २७ भगवान क कृ पा का कु तीदे वे का गत अनुभव मलयासयेवा चंदनम
सबसे अंतरंग आ य SB . . वासुदेव तथा दे वके क ाथना का उ र दे ने असुर का वध करने तथा
ीम ागवतम १.८.२३ भगवान ने दे वक को कं स के कारावास से तथा कुं ती और उसके ब सम त लोग के क याण के लए
को नरंतर आने वाले खतर से बचाया।

ीम ागवतम . . ाक ाथना के यु र म
SB . . व भ समय पर भगवान क सुर ा का मरण करता है
. . वण आ द भ को पुनज वत करना।

ीमद् भागवतम १.८.२५ बार बार आने वाली वप य के लए ाथना

वपदाउ स तु ताउ चचवत


ीमद् भागवतम . . भ या क मता ीमद् भागवतम . .
त त जग रो
भ सेवा क या को भगवान को दे ख ने के यो य बनाती है
भवतो दरचना यत याद्
अपुनर् भव दशनम्

ीम ागवतम . . भगवान को अ धक संग त करने तथा अ धक समय


एसबी . . भगवान के पास जाने क यो यता एसबी . . भौ तक तक रहने के लए लगातार अनुनय करना
उ त एक बाधा हो सकती है
एसबी . . कु तीदे वी ने भगवान पर अपनी पूण नभरता और उनसे अलग होने के गहनतम

भय को कया
ज मै य ुत े भर
एधमाना मदौ पुमन • भगवान पर पूण नभरता क अवधारणा
नैवह य अ भधातु वै
SB . . पावन का अ त व के वल कृ ण के कारण है
वाम अक चन गोकारम
SB . . भगवान भौ तक प से संप ह
ीम ागवतम . . भगवान क अनुप त भा य लाएगी
गरीब
सब कार क समृ भगवान क दया पर नभर है।

ीम ागवतम . . परम स य के तीन चरण


परमा मा और भगवान एसबी . . कु तीदे व क ाथना म प रवतन वाथ चता को यागना

SB . . वह अ ै तवा दय का वामी है। और भगवान क संतु को ाथ मकता बनाना

ीम ागवतम . . उ ह सबके दय का परमा मा एवं सबके समान मानना।


ीम ागवतम . . मेरे पा रवा रक नेह के बंधन तोड़ दो।
स त १.८.४२ बना कसी वकषण के भगवान क ओर नरंतर आकषण के लए ाथना
SB . . भगवान क लीलाएँ पूण तया द ह।

एसबी . . कु तीदे वे ने परमे र क म हमा का सारांश दया


ीम ागवतम . . भगवान् के अ च य व प का वणन

ज म और ग त व धयाँ

१३
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ीम ागवतम १.८.४४ भगवान् का मोहक उ र


ीम ागवतम . . भगवान कृ ण क
ाथना
उप त म भी मदे व का दे ह याग
ीम ागवतम १.८.४४ भगवान कु तदे व के उ र म मु कु राते ह।
ाथना

ीम ागवतम . . भगवान का ःखी यु ध र महाराज के साथ संवाद ीमद् भागवतम . . पा डव का भी मदे व क मृ युश या पर जाना

. . ःखी यु ध र महाराज नरसंहार ल पर गए जहां भी मदे व बाण क श या पर लेटे


SB . . यु ध र महाराज के अ त र कोई भी भगवान को जाने से नह रोक सका। SB ए थे।
. . ःखी यु ध र को शांत नह कया जा
सका।
SB . . सभी भाइय के साथ सहयोगी भी आये ास जी धौ य पावन पुरो हत आ द
ऋ षगण तथा अ य भी।
SB . . यु ध र महाराज एक सामा य भौ तकवाद क तरह ःखी ह।

ीम ागवतम . . कृ ण और अजुन भी साथ थे यु ध र महाराज पांडव का राजसी प


सत . . शरीर सर के लए है
म कट होना
ीमद् भागवतम . . नद ष ा णय क ह या ीम ागवतम . . भी मदे व को नम कार
ीम ागवतम . . के वल अपने वाथ के लए
एसबी . . कोई भी क याणकारी काय इसके ाय त म मदद नह कर सकता
ीमद् भागवतम् . . भी मदे व क मृ युश या पर सभा
ीमद् भागवतम . . पाप को शु करने के लए कसी भी क याणकारी काय क मता का
SB . . सभी ान से महा मा लोग दे वता ा ण तथा राजा आ द एक त ए थे।
खंडन करने के लए उपमा का उपयोग करता है।

एसबी . . पावत मु न नारद धौ य ास बा दा भार ाज और परशुराम जैसे ऋ ष

SB . . वहाँ अनेक अ य लोग भी थे जैसे शुक दे व गो वामी अ य शु ा माएँ क यप तथा

ऋ षर व प।

ीमद् भागवतम . . भी मदे व ारा भगवान् तथा अ य आग तुक का वागत

SB . . भी मदे व ने समय और ान के अनुसार उनका वागत कया।

SB . . भी मदे व ने भगवान क म हमा को पूण ान के साथ पूज ा क ।

ीम ागवतम . . भी मदे व ारा पा डव को शांत करना तथा ो सा हत


करना

ीम ागवतम १.९.११ ेम और नेह से अ भभूत होकर भी मदे व ने उ ह बधाई द ।

SB . . भी मदे व क के त सहानुभू त रखते ह तथा ा ण भगवान एवं धा मक


स ांत ारा पूण सुर ा का आ ासन दे ते ह।

एसबी . . कु तेदेवे क दोगुनी शोकाकु ल नय त पर वचार करता है

सत . . वह अप रहाय काल जसके नयं ण म येक लोक म येक रहता है।

सव काल काट म ये

भवता च यद् यम्


सापलो याद वाचे लोको

वायुर इवा घनावलीउ


एसबी . . अप रहाय समय का भाव आ य और व मयकारी है अप रहाय उलटफे र
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उ म भौ तक और आ या मकता के बावजूद यु के मैदान म ीमद् भागवतम . . भी मदे व के अं तम ण


संसाधन
एसबी . . सूय के उ री गोलाध म माग बदलने का शुभ समय आ गया
ीम ागवतम . . भगवान क योजना अक पनीय है।

एसबी . . योजना को वीकार कर और इसका पालन कर


SB . . भी मदे व पूण तः ी कृ ण म लीन हो गये।

ीम ागवतम . . भगवान के प म कृ ण क त का म हमामंडन ी कृ ण पर शु यान के भाव


इस कार उ ह ने गहन ाथना क अव ा म वेश करके सभी पदाथ से परे क अव ा
ीम ागवतम . . भी मदे व एक अ धकारी के पम ी कृ ण को अक पनीय को ा त कया
मूल पूज क के प म म हमामं डत करते ह।
एना वै भगवान् स नाद् ीम ागवतम . . वह परम भु से ाथना करता है।
ädyo näräyaëaù pumän
मोहायन मायाया लोका
SB . . भी मदे व अपनी सोच भावना और इ ा को भगवान शव म नवेश
गुओ हाच कै रती वॅनेइणु
करना चाहते ह।
एसबी . . उ चत मा यम से भगवान को समझना
SB . . भी मदे व भगवान के आकषक व प का यान करते ह

SB . . भगवान को साधारण मनु य समझने क भूल न कर।


भुवन कामना तमला व रया
र व कर गौरा वर बरा दधाने
वापुर अलका कु लावतानाना जा
ीम ागवतम . . उस परम पु ष क कृ त क और अ धक समझ वजया साखे रा तर अ तु मेऽनव ः
एसबी . . भी मदे व एक भ होने के नाते शूरवीर अव ा म यु ध तुरग रजो वधु
SB . . वे पूण पु षो म भगवान ह परमा मा के प म कट होते ह तथा जीवन क ववाक् कच

सम त भौ तक धारणा से र हत ह। लु लत ामावय अलैक ात य

ीम ागवतम . . अपने भ के त वशेष झुक ाव मम न चत चरैर व भ मन व च वलासत् कवचे तु

SB . . भ योग भगवान को कट करता है क ण आ मा

भ यावे य मनो य मन् SB . . भी मदे व भगवान क अहैतुक कृ पा अपने शु भ पर नेह तथा उनक

वाचा यान नाम करतयन समान प से वत रत दया का यान करते ह।

याजन कलेवारा योगे


मु यते काम कम भऽ SB . . भी मदे व भगवान ारा कही गई भगव ता का यान करते ह

SB . . भी मदे व अपने शरीर का प र याग करते समय भगवान से चतुभुज प


SB . . भी मदे व भगवान ारा भी मदे व पर च से आ मण करने का यान करते
म उप त होने क ाथना करते ह।
ह।
SB . . भी मदे व भगवान के सगुण न क नराकार व प को ही अपना ल य
बनाने क कामना करते ह।
ीमद् भागवतम . . भी मदे व ारा यु ध र महाराज को शासन काय के सत . . ाथना है क मृ यु के समय भगवान ही आकषण का के बन।
वषय म नदश

SB . . यु ध र महाराज ने भी मदे व को उस आकषक वर म बोलते ए सुना और ीम ागवतम . . भगवान के गोप के साथ स ब तथा गोप क उ भ का
उनसे पूछा यान कर।
एसबी . . वराह म के बारे म समझाया गया SB . . भी मदे व को राजसूय य के दौरान सभी लोग ारा क गई भगवान कृ ण
ीम ागवतम . . उ ह ने दान के काय राज धम या राजा के ावहा रक क पूज ा का मरण है।
काय मो के काय य के कत तथा भ के कत के वषय म SB . . भी मदे व भगवान के साकार प पर पूण एका ता से यान करते ह जो क
समझाया। भी मदे व क परम अनुभू त है।

एसबी . . इ तहास से उदाहरण का हवाला दे ते ए जीवन के व भ म और ीम ागवतम . . भी मदे व को न वक प समा ध ा त ई।


तय के ावसा यक कत का वणन कया गया

ीमद् भागवतम . . भी मदे व के ान तथा उसके बाद क घटना का स मान

ीम ागवतम . . भी मदे व परम क असीम शा तता म वलीन हो गये।


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ीमद् भागवतम . . भी मदे व के ान को स मान एवं मा यता द गई ीमद् भागवतम


ीम ागवतम . भगवान कृ ण का ारका ान
. . अं तम सं कार
कया गया

SB . . मह षय ने वै दक तु तय से भगवान कृ ण क तु त क और फर अपने
आ म को लौट गए। ीम ागवतम . . चाउनक अ ण महाराज यु ध र के शासन के वषय म पूछते ह।

ीम ागवतम . . यु ध र महाराज कृ ण के साथ ह तनापुर वापस गए और अ य लोग


को सां वना द ।

SB . . यु ध र महाराज ने अपने चाचा तथा भगवान कृ ण के मागदशन म शासन ीमद् भागवतम . . सूत गो वामी का यु ध र महाराज के रा य के वषय
कया। मउ र

एसबी . . कु वंश ोध क बाँस क आग से थक गया था और काइनेय भगवान यु ध र


महाराज को फर से ा पत करके ब त स थे।

ीम ागवतम . . यम ने सम त संशय से मु होकर पूण ान से शासन कया।

एसबी . . वाईएम का समृ सा ा य


एसबी . . वाईएम का समृ सा ा य
एसबी . . वाईएम क खुश वषय
नाधयो ाधयाउ लेचा
दै व भूता मा हेतवौ

अजात च व अभवण
जनतुना रा ज कर ह चट

ीम ागवतम . . कृ ण ान के लए तैयार हो गए।

ीमद् भागवतम १.१०.७ कृ ण का ारका क ओर ान

ीमद् भागवतम १.१०.८ भगवान ने सभी तर पर अ भवादन का आदान दान कया

ीमद् भागवतम् . . भगवान के आकषक भाव क ती ता दे ख ी गई

सब भ गण वयोग सहन न कर पाने के कारण लगभग बेहोश हो गये।

एसबी . . पावन के घ न संबंध को दे ख ते ए वे कृ ण से इस तरह के अलगाव को कै से

सहन कर सकते थे

ीम ागवतम १.१०.१३ मोह के पा पर दय पघल रहे थे।

एसबी १.१०.१४ अ नयं त आँसू म हला र तेदार ने कसी भी भा य से बचने के लए अपने

आँसू को नयं त करने के लए संघष कया

एसबी . . भगवान को उ चत प से स मा नत कया गया


ीमद् भागवतम १.१०.१५ भगवान के स मान म वा बजाए गए

एसबी १.१०.१६ फू ल बरसाए गए म हलाएं महल क चोट पर चढ़ ग और फू ल क वषा


क । उ ह ने शम और नेह का दशन कया

ीम ागवतम १.१०.१७ अजुन ने र न आ द से बना आ छ उठा लया। ीम ागवतम १.१०.१८

उ व और सा य क

भगवान को पंख ा झलने लगे।


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ीम ागवतम १.१०.१९ भगवान को आशीवाद दया जा रहा था। . . महाराज यु ध र ने भगवान के साथ चलने के लए चार र ा दल क व ाक।

. . पावन लोग भ व य म वयोग के वचार से अ भभूत हो गए और भगवान ने उ ह अपने

घर लौटने के लए े रत कया।
ीमद् भागवतम् . . ह तनापुर क छत पर याँ भगवान क

म हमा का बखान कर रही ह


ीमद् भागवतम १.१०.३४ ३५ भगवान व भ ान से गुज रे
. . अ त मनोहर बात भगवान के द गुण म लीन य क बात वै दक तो से भी
अ धक आकषक थ । ारका प ँचने के लए ा त

ीम ागवतम १.१०.३६ माग म वागत स कार ए भगवान ने या ा के दौरान ब त सावधानी

कृ पया कोई ट पणी न भेज से सं या अनु ान स कया।

उ म चलोका चेतसाम्

कौरवे पुरा ी

सव ु त मनो हरौ

SB . . कृ ण को आ द भगवान के प म पहचानना तथा वनाश के प ात् सभी जीव

उ ह म वलीन हो जाना।

एसबी . . इ ा को पूरा करने और सुधार करने का मौका दे ता है

SB . . भ सेवा सुधार शु और भगवान के प का अनुभव करने के लए सव म

या है

सा वा आया यत् पदम् अ सूय

जते य नज ता माता र वानाउ


प य तभ उ क लतामला मना

नंव एण स व प रमान उम् अह त

एसबी . . कृ ण के प को सबसे गोपनीय मानते ए उसक सराहना क जाती है

सा और आया सा य अनुगेता सत् कथो

वेदेनु गु ेनु च गु वाद भउ

हाँ यह जगत् आ म लेलय है

स ा त अव य अ नत स ाते

ीम ागवतम १.१०.२५ भगवान भौ तक जगत म अवत रत होते ह

यदा ह अधमा तमो धयो नापा

जीवं त ैण ा ह स वतौ कला

ध े भगणा स यं अता दया यको

भ पै ददहाद युगे युगे

ीमद् भागवतम १.१०.२६ वंश और वंश ान का म हमामंडन

SB . . ारका वग से भी अ धक म हमावान है

भगवान कृ ण सभी को अपनी मधुर मु कान से दे ख ते और स करते ह

ीम ागवतम . . ी कृ ण क प नय एवं गो पय के भा य का वचार

ीम ागवतम १.१०.२९ ारका क रा नय क म हमा का बखान

ीम ागवतम १.१०.३० रा नय का जीवन गौरवशाली हो गया।

ीम ागवतम . . भगवान ान करते ह और ारका क ओर बढ़ते ह

ीम ागवतम १.१०.३१ भगवान ह तनापुर क य के साथ वहार करते ह


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एसबी . . उ सव के संके त झंडे मालाएं और च त संके त और नारे छाया दे रहे थे


ीम ागवतम . . भगवान कृ ण का ारका म वेश

ीमद् भागवतम १.११.१४ शु एवं सुगं धत शुभ बीज एवं फल

ीम ागवतम . . भगवान क व न सारे भय को र कर दे ती है और सभी ीम ागवतम . . येक घर भगवान क पूज ा के लए तैयार है


भ को ो सा हत करती है।

ीम ागवतम १.११.१ भगवान अपने शुभ शंख से अपने आगमन क सूचना दे ते ह

एसबी . . प रवार के सद य और व भ अ य वग भगवान का वागत करते


ीम ागवतम १.११.२ शंख पर भगवान का भाव उनके द होठ के श से लाल हो ह

जाना सब नकट स ब ी अपने अपने काय छोड़कर भगवान का वागत करने के लए दौड़ पड़े।
SB . . नाग रक पर व न का भाव सारा भय र हो गया वे ब त तेज ी से भगवान क ओर

दौड़े
. . उ ह ने नेह से प रपूण होकर आदरपूवक नम कार कया।

एसबी . . नाग रक उपहार और म हमा ारा भगवान का वागत करते ह . . अनेक वे याएँ बड़ी उ सुक ता से भगवान से मलने के लए एक त ।

. . नाग रक ने भगवान का वागत अपने अपने ढं ग से कया। एसबी १.११.२० समुदाय के व भ वग ने भगवान के वागत म दशन कए
संबं धत तु तयाँ
एसबी . . नाग रक आनं दत भाषा म बोलने लगे

ीम ागवतम १.११.२१ २२ भगवान ने सभी के साथ उ चत वहार कया

ीमद् भागवतम . . नाग रक न न ल खत श द ारा भगवान का वागत ी कृ ण ने येक का यथायो य स मान कया।
करते ह एसबी १.११.२२ भगवान को पद और तक से उ चत प से अ भवादन कया
SB . . यह भगवान क अतुलनीय सव ता को इं गत करता है वे सभी दे वता गया
ारा पू जत परम व ाम परम द भगवान ह तथा अप रहाय काल उन भगवान पर
अपना भाव नह डाल सकता।
ीमद् भागवतम . . भगवान नगर म वेश करते ह और व भ
माग से गुज रते ह
ीम ागवतम १.११.७ भगवान को सृ कता माता पता भगवान शुभ चतक
SB . . भगवान ने वशेषतः ा ण ारा क गई म हमा के साथ नगर म वेश
आ या मक गु और पूज नीय दे वता के प म पहचानना उनके पद च पर चलने के
कया।
अपने अनुभव बताना भगवान क नरंतर दया और आशीवाद के लए ाथना करना।

ीमद् भागवतम . . भगवान क सु दरता को दे ख ना एक महान उ सव है।

. . य का उ र वे भगवान को दे ख ने के लए छत पर चढ़ ग ।
भावया नास वा भाव वशेष भावना
वं एव माताथा सुहात् प तउ पता
ीम ागवतम १.११.२५ भगवान का सौ दय अतृ त है।
वह स है जो दै वीय परमे र है।
ीम ागवतम १.११.२६ भगवान क सु दरता का वणन कया गया है छाती मुख भुज ाएं
yasyänuvåttyä kåtino babhüvima
चरण कमल
SB . . अपने सौभा य क सराहना करते ह तथा भगवान के मु कु राते ए मुख के
çriyo niväso yasyoraù
दशन करते ह।
पना प ा मुख ा दाचाम
एसबी . . अलगाव असहनीय प से लंबा लगता है
बहवो लोका पालना
ीम ागवतम १.११.१० भगवान से वयोग म जीवन जीना क ठन हो जाता है।
säraìgäëäà padäm bujam
ीमद् भागवतम १.११.२७ माग पर चलते समय भगवान क सु दरता
भगवान ने ारका नगरी म वेश कया और सभी का अ भवादन वीकार कया
सीताप जनैर् उप कत
सूनवणरअ भव णतौ प थ
पशागा वासा वन मलय बभाऊ
एसबी . . ारका शहर का वणन घणो यथाथकू प चपा वै ुताई
एसबी १.११.११ ारका शहर वा णस ारा संर त था

ीम ागवतम १.११.१२ नगर सम त ऐ य से प रपूण था।


मौसम के
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ीम ागवतम . . अपने पता के घर क माता के साथ वहार ीम ागवतम . . स ाट परी त का ज म

ीम ागवतम १.११.२८ दे वके आ द माता के साथ पार रक वहार


ीम ागवतम . . महाराज परी त के वषय म
ीम ागवतम . . शौनक ऋ ष महाराज परी त क कथा का नवीनीकरण करते ह उ ह
ीमद् भागवतम १.११.२९ गहन मातृ नेह के ल ण आँसू आ लगन तन से ध का बहना
गभ म ही परमे र ने बचा लया था।

ीम ागवतम . . अपने ज म मृ यु तथा मृ यु के बाद भा य के वषय म


ीमद् भागवतम . . महल म रा नय के साथ वहार सुनने क इ ा क।
ीम ागवतम १.१२.३ महाराज परी त के वषय म और अ धक सुनने क इ ा क।
ीमद् भागवतम १.११.३० प नय से मलना भगवान ने अपने महल म वेश कया
जहाँ उनक प नयाँ रहती थ ।

. . रा नय का उ र वे ब त समय के बाद भगवान को दे ख कर मन ही मन स ।


एसबी . . महाराज यु ध र ने महाराज परी त के ज म के लए एक आदश

पा रवा रक पृ भू म दान क
. . रा नय का अपूव आनंद आ लगन के प म कट होता है गाल पर आंसू लुढ़क जाते

एसबी . . महाराज यु ध र एक आदश कृ ण भावनामृत नेता के उदाहरण ह एसबी . .
ीम ागवतम १.११.३३ रा नय भा य क दे वी को भगवान के चरणकमल सदै व नवीनतर लगते
यु ध र का नाम और स उ तर ह तक प ँची
थे।

या ापी असौ पचवा गातो रहो गाटस

तथा प त याबघृयुगा नवः नवम्


ीम ागवतम . . भगवान् यमुनो ी को सांसा रक ऐ य के त कोई आकषण
पद पद का वराम त प ात
नह था तथा वे पूण तः भगवान क सेवा म लीन थे।
कलपी याक चेर ना जहा त कर ह चट
कआ ते कामाऊ सुर ाहा
SB . . भगवान परम भो ा वध के बाद शांत हो गए और उ ह ने गत प से भाग
मुकुं द मनसो जाऊ
नह लया
adhijahrur मुदा रा जयाù
ीम ागवतम १.११.३५ भगवान ने रा नय के साथ द आन द लया।
कु धत य यथेतरे

ीम ागवतम . . परमे र का द चर ीम ागवतम १.१२.७ ११ भगवान गभ म बालक परी त क र ा करते ह

SB . . बालक परी त ने गभ म परमे र को दे ख ा


SB . . भगवान क इ याँ उ े जत नह हो सक
उ ाम भाव पचुनामाला व गु हस वृओ वालोक नहतो मदनोऽ प यासाम्
SB . . गभ म कट ए भगवान के ल ण अँगूठे के बराबर सुंदर पीले व सुनहरा मुकु ट

स मु चपं अजहत मदो मस त

य ये या वम थतुआ कु हाकै र ना चेकु ù


एसबी १.१२.९ अ य वशेषताएं चार हाथ से समृ पघले ए सोने क बा लयां और र के साथ
SB . . भगवान पूण तः अनास ह तथा पदाथ से अ भा वत ह।
लाल आंख

सबा १.११.३८ भगवान् तथा उनके शरणागत भ क द कृ त क घोषणा करता है।


ीम ागवतम १.१२.१० भगवान ने ा क ऊ मा का तकार कया

एताद एकानम एका या

कृ त ो प त एउ ीम ागवतम १.१२.११ बालक को बचाकर भगवान वहाँ से अ य हो गये।

न यु यते सदा म ैर

यथा बु स तद् आचाय

. . भगवान क रा नयाँ भी उ ह पूरी तरह नह समझ सक ीमद् भागवतम १.१२.१२ १७ महाराज परी त के ज म के समय के समारोह

SB . . महाराज परी त का ज म सभी शुभ रा शय के अनुकू ल था

एसबी . . वाईएम ने पीएम के लए शोधन या क व ाक

ीमद् भागवतम १.१२.१४ यमुनो ी ने व ान ा ण को दान वत रत कया


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ीम ागवतम १.१२.१५ दान से संतु होकर वे ीम ागवतम १.१२.३१ राजपु शु ल प के च मा के समान वैभवशाली हो गया।

बताया क परी त न त प से पु ष क वंशावली म थे

SB . . महाराज यु ध शर ने अ मेध य करने का वचार कया तथा इस य के लए धन


. . आपके वंश को ध य करने के लए भगवान ने इस न कलंक बालक क र ा क है। एक करने क इ ा क।

ीम ागवतम १.१२.१७ बालक व णु रता के नाम से स होगा और थम ेण ी का भ SB . . सभी भाइय ने उ र दशा से राजा म ारा छोड़ा गया पया त धन इक ा
होगा। करने म सहायता क ।
त मान नाम वनेउ राता SB . . य स करने से भगवान ह र स ए
इ त लोके भ व य त
न स दे हो महाभाग ीम ागवतम . . भगवान कृ ण ने य का पयवे ण कया।
महाभागवतो महान् गत प से

SB . . भगवान कु छ समय तक वहाँ के और फर ारका के लए ान कर गए।

ीम ागवतम . . ा ण ारा बालक परी त के भ व य के गुण क भ व यवाणी

एसबी . . वाईएम ने पीएम के बारे म अ धक गोपनीय तरीके से पूछताछ क

ीमद् भागवतम १.१२.१९ जालीक राजा इ नवाकु का पालनकता भगवान राम के समान
अपने वचन का प का

ीम ागवतम १.१२.२० अपने प रवार के नाम और यश का व तार कर वह एक उदार दानदाता

और शरणागत का र क है।

SB . . अजुन जैसे महान धनुधर म अ न के समान अद य और समु के समान अ ा य

SB . . वह सह के समान बलवान हमालय पवत के समान आ य यो य पृ वी के समान

सहनशील तथा अपने माता पता के समान सहनशील है।

SB . . भगवान ा के समान सम च भगवान शव के समान उदार तथा भगवान

नारायण के समान सबका आ य।

SB . . भगवान ी कृ ण के पद च ह पर चलकर उनके समान ही े बनूँगा उदारता म

राजा र तदे व के समान तथा धम म महाराज यया त के समान बनूँगा।

SB . . ब ल महाराज के समान धैयवान ाद महाराज के समान भगवान कृ ण के अन य


अनेक अ मेध घोड़े य करने वाले&

पुराने और अनुभवी लोग का अनुयायी

SB . . हे राजा के पता जो ऋ षय के समान ह गे तथा और झगड़ालू लोग को

द ड दगे।

. . वह अपनी मृ यु क पूव सूचना का लाभ उठाएगा।

एसबी . . वह वा त वक सुनवाई या के लए तुत होगा

ीमद् भागवतम . . महाराज यु ध र ारा व को पुर कार

ीमद् भागवतम १.१२.३० ३६ परी त महाराज का बड़ा होना और यु ध र

महाराज ारा य स करना


ीमद् भागवतम १.१२.३० बालक का नाम परी त होगा।

परी क
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एसबी . . धतारणोरा घर छोड़ता है


एसबी १.१३.१९ मृ यु के इस आस भय के लए कोई उपाय संभव नह है मृ यु अजेय होने

के कारण एसपीओजी के समान है

ीम ागवतम . . व र का तीथया ा से लौटना


SB . . समय हर कसी को अपना सब कु छ यहाँ तक क अपना जीवन भी सम पत करने
. . व र ह तनापुर लौट आये . . भगवान कृ ण के ेममय धाम के लए मजबूर करता है।
म ा पत होने के बाद व र ने मै ेय से पूछना छोड़ दया . . सभी र तेदार ब त येना कै वा भप ो या
स ए य यतमैर आपी

जनौ स ो वयु येता

कम उत यायर धना दभु

एसबी . . र तेदार के साथ आदान दान एसबी . . वे नेह . . व र उसे काल क श के पछले अनुभव और उसक अपनी संक टपूण त का

से रोए मरण कराते ह।

ीम ागवतम १.१३.२२ वृ ाव ा के य ल ण क ओर संके त करता है।


एसबी १.१३.६ १४ महाराज यु ध र ने वागत समारोह क व ा क और बातचीत
आयु
का आदान दान आ
एसबी १.१३.२३ घरेलू कु े क तरह जीने क आ यजनक इ ा
एसबी . . महाराज यु ध र ने बैठने क जगह और वागत क पेशकश क

ीम ागवतम . . व र ने इस अव ा म धृतरा के जीवन को प तत जीवन कहा है।


. . व र को उ म भोजन कराया गया पया त व ाम दया गया उ ह सुख पूवक बैठाया

गया तथा सभी बात क ग ।


ीम ागवतम १.१३.२५ व र ने धातर र को कपाया कहा है।

ीम ागवतम १.१३.२६ व र को आशा है क धातार यक धीर बनगे।


ीम ागवतम . . यम ने व र के बार बार नेह को वीकार कया

ीमद् भागवतम १.१३.२७ नरो म का मंच ा पत करते ह। ीमद् भागवतम १.१३.२८


ीम ागवतम . . व र क या ा के वषय म पूछा गया
उ ह उ र दशा म ान कर धीर का माग अपनाने को कहते ह।
ीमद् भागवतम १.१३.१० यमुनो ी ऋ ष व र को प व ान का सा ात् प मानकर उनका स मान

करते ह।

भवाद वधा भागवतस

तीथ भूता वया वभो ीमद् भागवतम् . . धातार य गांधार और व र चले जाते ह और महाराज

térthé kurvanti térthäni यु ध र वलाप करते ह


ीम ागवतम १.१३.२९ धृतरा मो के माग पर चलने के लए घर छोड़कर चले गए।
वा तः ेन गदाभता

एसबी . . वाईएम ने ारका नवा सय के बारे म पूछताछ क


ीमद् भागवतम १.१३.३० प नी अपने प त के पीछे चली गयी
. . व र ने य के वनाश के समाचार को छोड़कर शेष सब कु छ कह सुनाया।
एसबी १.१३.३१ वाईएम को उनके ान का पता चलता है एसबी

१.१३.३२ संज य के पास प ँचता है


एसबी १.१३.१३ व र ने इस अ य और असहनीय घटना को कट नह कया
SB . . महाराज यु ध र वयं को कृ त न मानते ह।

. . व र के साथ उनके प रजन ने एक दै वीय जैसा वहार कया वे एक न त

अव ध तक उनके यहां रहे तथा आ या मक ानवधक वाता ारा सर को खुशी द ।


ीमद् भागवतम १.१३.३४ अनुभव कये गये उपकार का मरण
ीम ागवतम १.१३.३५ संज य इतना ाकु ल था क बोल नह सका।

SB . . संज य बु ारा अपने मन को शांत करके उ र दे ने का यास करता है।

ीमद भागवतम १.१३.१५ २८ व र के उपदे श वशेष प से धातर र के लए


ीम ागवतम १.१३.३७ महान आ मा ारा ठगा आ अनुभव

. . अयमा ने अ ायी प से व र को यमराज के पद पर त ा पत कया था।


ीमद् भागवतम . . नारद मु न ने महाराज यु ध र के शोक और मोह को न

कया
एसबी १.१३.१६ वाईएम खुशी से त था एसबी १.१३.१७ जय
काल क श पागलपन से आस गृह पर वजय ा त करती है ीम ागवतम १.१३.३८ नारद मु न कट ए और उनका उ चत वागत कया गया।

ीम ागवतम . . नारद मु न के सम अपनी ाकु ल त तुत करना

एसबी . . वा त वक चार शु
ी नारद महासागर म एक जहाज के क तान ह जो सही गंत क ओर नदश दे सकते ह।
सबा १.१३.१८ व र ने धातरंज ोर को नदश दया क वे बना वल ब के तुर त ही सभी आस य

से बाहर नकल जाएँ।


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ीम ागवतम . . नारद मु न सव थम दाश नक ढं ग से महाराज यु ध र के म का ीम ागवतम . . भगवान कृ ण का अ तधान होना


नवारण करते ह।

SB . . परमे र के सव ापी नयं ण को पहचानकर शोक पर वजय पाओ SB


. . भगवान के आदे श से हमारा अप रहाय बंधन एक ल बी र सी से बंधी
SB . . अजुन दो कारण से ारका गए
गाय के समान है।
भु और अ य म से मलने के लए तथा उनके काय के अगले काय म के बारे म सुनने के

लए
जैसा क हमने तु ह बताया

तां या बधाच का दमा भउ

वाक तं या नाम भर ब ा एसबी . . महाराज यु ध र को न न ल खत कारण से कृ ण के लु त होने का

वह त ब लम éçituù संदेह है

SB . . भगवान क परम इ ा ही मनु य को एक साथ लाती है तथा उ ह पृथक भी SB . . अजुन कु छ महीन तक वापस नह आया&

करती है। YM ने भयावह अशुभ संके त का अनुभव कया

यथा योओपासकाराएआ एसबी १.१४.३ बाहरी वातावरण म उलटफे र और आंत रक वातावरण म उलटफे र साधारण धोखा
सायोग वगमव इहा एसबी १.१४.४ लेन दे न म और करीबी संबंध के बीच
इ ा रचना मक सोच गलतफहमी और असामंज य सभी

तथागत नाम
SB . . आ मा अ ै तवाद या ै तवाद आ द या आ मा न होने पर भी कभी
शोक मत करो। एसबी . . ल ण आ य पैदा करते ह
SB . . अ ानता सभी चता को ज म दे ती है
SB . . महाराज यु ध र ने भीमसेन को अपनी भावनाएँ बता
भगवान के अ त र कोई भी र क नह है। जो पहले से ही सप के जबड़े म फं सा आ है

वह सर क र ा कै से कर सकता है
ीमद् भागवतम् . . नारद क भ व यवाणी पर चतन
ीम ागवतम . . भगवान क कृ पा का मरण और वीकार
काला कम गुएधेनो
. . यम अपने भाई को आस अप रहाय वध ःख के बारे म बताते ह।
दे हो या पाइक भौ तकौ

कथम अनयास तु गोपयेत

सप तो यथा परम्
एसबी . . अ य बुरे शकु न अनुभव
SB . . वैसे भी सामा य नयम के अनुसार एक जीव सरे के लए भोजन है।
एसबी १.१४.११ वाईएम ने ऐसे ल ण का अनुभव कया जो अवांछनीय घटना का संके त
दे ते थे
SB . . वच लत न ह के वल भगवान पर यान क त कर
एसबी . . वाईएम ने बुरे संके त और भौ तक त व म प रवतन को नो टस कया

ीम ागवतम . . भगवान के काय को समझ

. . बना वच लत ए धैयपूवक भगवान क योजना का पालन करो गीदड़ च ला रहे ह कु े भ क रहे ह गाय मेरे बा ओर से गुज र रही ह आ द

ीमद् भागवतम १.१३.५१ ६० नारद मु न ारा भ व य का वणन एसबी . . महाराज यु ध र के सं द ध को अजुन के कट होने से पूरा कया

महाराज यु ध र को शांत करने के लए चाचा चाची का आंदोलन जाता है

एसबी १.१४.२१ वाईएम को अंततः भगवान के गायब होने का संदेह आ

ीमद् भागवतम . . हमालय चले गए

ीम ागवतम १.१३.५३ धतर ल ने अनु योग का अ यास कया एसबी . . अजुन ारका से वापस आये और नराशा के भाव द शत कये।

SB . . अजुन क पीली ने संदेह को पु कया


. . परमा मा म लीन होने से शु होती है तथा सुर ा होती है।

. . धाताराजुर अपने ूल तथा सू म त व को महत् त व म संयो जत कर दगे। ीमद् भागवतम् . महाराज यु ध र ारा अजुन से अ य

ीम ागवतम १.१३.५६ धतारानी को वापस लाने मत जाओ। ीम ागवतम . . य तथा अ य राजवंश के सभी सद य तथा अ य सभी संबं धय
ीमद् भागवतम १.१३.५७ अ ये क भी आव यकता नह
का कु शल ेम पूछा।
ीम ागवतम १.१३.५८ चाची क भी चता नह
ीम ागवतम १.१३.५९ व र क भी चता न कर। ीमद् भागवतम . . बलराम के क याण के वषय म पूछते ह
ीम ागवतम १.१३.६० इस कार नारद मु न महाराज यु ध र को शांत करते ह।
ीम ागवतम १.१४.३० ु न और अ न क कु शल ेम पूछते ह।
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ी कृ ण के सभी मुख पु का कु शल ेम पूछना


एसबी . . पैओ वास समय पर सेवा नवृ होते ह
ीम ागवतम . . ुतदे व तथा अ य न द सुन द और मु ा मा उ व
के अ य नेता के वषय म पूछताछ ीम ागवतम . . कृ ण से वयोग क बल भावना

SB . . अजुन शोक त था।

एसबी . . महाराज यु ध र सीधे कृ ण और उनके भाव के बारे म पूछताछ . . वह उ र म मु कल से एक श द भी बोल सका।

करते ह और उनक शंसा करते ह


SB . . अजुन ने बड़ी क ठनाई से अपने शोक के आँसु को रोका।

ीमद् भागवतम १.१५.४ अ तशय मरण स यं मै े


एसबी १.१४.३४ अब कृ ण के बारे म पूछताछ शु होती है एसबी
सौहादा च
१.१४.३५ यमुनो ी य वंश क तुलना व णु के ध सागर से करती है जहां
सार यद नु सासमारण
भगवान कृ ण और बलराम पूरे ांड क र ा के लए मौजूद ह
म तु ह पहले से ही जानता ँ
बाँपा गदगदया गरा
ीम ागवतम . . ारकावा सय क तुलना वैकुं ठलोकवा सय से क गई
है।
SB . . ारका क रा नय को दे वता के समान वशेषा धकार ा त थे। SB . . अजुन को भगवान क कृ पा और अंतरंग सुर ा के अनुभव
याद आते ह
यत् पदा चु ु या मु य कमाऽ SB . . अजुन को अपनी श य क हा न का अनुभव आ
स यादायो अ यो सह यो नता॥ एसबी . . असहनीय अलगाव
न ज य सा ये दशास तद आ चनो ीमद् भागवतम १.१५.७ ौपद पर वजय ीमद्
हर त व ायुध व लभो चतौ भागवतम १.१५.८ इ दे व पर वजय तथा मय दानव पर कृ पा
SB . . य के महान वीर नभय रहे।

भु क भुज ा क सुर ा से
एसबी . . जरासंध का वध
ीमद् भागवतम १.१५.१० कौरव क प नयाँ वधवा हो ग

ीम ागवतम . . अजुन के काय और गत एसबी १.१५.११ वासा से सुर ा

क याण पर आधा रत ीम ागवतम १.१५.१२ शव क कृ पा ा त एवं वग मण


एसबी १.१४.३९ अजुन का वा य या अनादर एसबी एसबी १.१५.१३ नवातकवच का वध एसबी १.१५.१४

१.१४.४० अनु चत ढं ग से संबो धत उ चत दान या अधूरा वादा कौरव को पार करना और वरौआ के सा ा य क सहायता करना एसबी १.१५.१५ कौरव क

श वापस लेना एसबी १.१५.१६

एसबी . . सुर ा दे ने म वफल ाद क तरह सुर ा


. . य से स क अथवा न न वरो धय से पराजय

एसबी १.१५.१७ घोड़ को पानी मल रहा है और भगवान क सव ता को भूलने


ीमद् भागवतम १.१४.४३ भोजन बाँटना या अ य गलती का अपराधबोध हो रहा है
ीम ागवतम . . कृ ण का संग छू टना
कॅ सट ीनोहाटामेनथा
एसबी १.१५.१८ २६ भगवान के साथ अंतरंग ण को याद करते ए अजुन भगवान क
दयेना म ब ुना
अनुप त म शू यता का अनुभव करता है।
çünyo smi rahito nityaà
म यसे ते याथा ना क
एसबी १.१५.१८ भारी बातचीत को याद करता है
ीमद् भागवतम १.१५.१९ भगवान क सहनशीलता को वीकार करता है
च यासन वक न भोजना दव
ऐ यद् य आतवन् इ त व ल ः
स यु सखेवा पतावत् तनय य सवा
मुझ े ब त खुशी है क मेरे कु मार मुझ े ब त खुश कर रहे ह
SB . . अजुन को अपने दय म शू यता का अनुभव आ और वह वाल
से परा जत हो गया।
सब श यां न भावी हो ग ।
ीम ागवतम . . अजुन ने समाचार सुनाया
य का लु त होना
ीमद् भागवतम १.१५.२४ भगवान क इ ा को पहचानना
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ीम ागवतम . . भगवान ारा य के पार रक वनाश क योजना एसबी १.१५.४२ शरीर ा त करने क या को उलटना
ीम ागवतम १.१५.४३ यम ने नभयता क शु अव ा ा त कर ली।

सब कु छ भगवान क इ ा समझकर ंथ अजुन भगवान के नदश पर यान ीम ागवतम १.१५.४४ युम ने पूवज और महापु ष के माग का अनुसरण कया

के त करता है और द ता ा त करता है।

SB . . अजुन सभी ख से मु पाने के लए भगव ता के उपदे श का मरण करता है। एसबी . . अ य पा डव ौपद और व र अं तम गंत के लए अपने रा ते

पर चलते ह
डेक ा कलथ यु ानी अ य पावन ने महाराज यु ध र के पद च ह का अनुसरण कया।
हैट टै पोपाकमनी सीए
हरंती माटाच स ा
ीम ागवतम १.१५.४६ भगवान के चरणकमल पर पूण तः यान के त करने क यो यता
गो वदा भ हतानी मे
ीम ागवतम १.१५.२८ भगवान के उपदे श एवं चरणकमल म गहन त लीनता
सब लोग आ या मक आकाश क ओर चले गए। ...

इवा च तायतो जनेओ उ

कृ णपदसरो हम्

sauhärdenätigäòhena
ौपद और सुभ ा कृ ण के चतन म लीन हो ग और उ ह अपने प तय के समान ही फल ा त आ।
ब त ब ढ़या matiùSB

१.१५.२९ भगवान ी कृ ण के चरणकमल का नरंतर मरण करने से अजुन क भ म

तेज ी से वृ ई।
ीम ागवतम . . पावन ान वण का फल
SB . . भगवान क कृ पा से अजुन द ता म त रहा।
भगवान क भ सेवा ा त होती है जो जीवन क सव स है।

ै त के संशय पूण तया न हो गए तीन गुण से मु हो गए अजुन को ान ा त हो गया

तथा भ व य म ज म मृ यु के ब न से पूण मु मल गई।

वचोको स या
स ै त साचया॥

léna prakåti nairguëyäd


अल वाद् अस वौ

ीमद् भागवतम १.१५.३२ ४४ महाराज यु ध र सं यास लेने क


योजना बनाते ह और पूवज के माग का अनुसरण करते ह

ीमद् भागवतम १.१५.३२ यम ने भगवान के पास वापस जाने का नणय लया

. . कु तीदे वी ने भी अपना यान पूण तः भ म लगाया।

SB . . काँटे से काँटा नकालकर भगवान ी कृ ण ने य वंश के सद य को अपना


शरीर यागने के लए ववश कर दया।

SB . . परमे र ने व भ शरीर वीकार करने के लए अपना शरीर याग दया।

ीमद् भागवतम १.१५.३६ क लयुग ने अवसर छ न लया


ीमद् भागवतम १.१५.३७ महाराज यु ध र सं यास लेने क योजना बना रहे ह
एसबी १.१५.३८ ह तनापुर को महाराज परी त को स पना

. . मथुरा को व कृ ण के पौ को स पना तथा सं यास क तैयारी के लए य करना।

ीमद् भागवतम १.१५.४० ऐ य का याग


स त १.१५.४१ भौ तक गभाधान से मु
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के लचीले पु को सभी कार क सेवा दान क


एसबी . . परेक नत को क लयुग कै से ा त आ
पेओ उ

सार य परणाद सेवन स य दौ य वेरासनानुगमन तवना ाणामन

ीमद् भागवतम . . महाराज परी त ने एक आदश शासक के प म क ल को द डत


न धेनु पेओ नु जगत या तआ कै वनोर

भ करो धैय रखो


कया
ीमद् भागवतम् . . यह ोक से तक के पाठ को जोड़ता है
एसबी . . धानमं ी ने एक आदश क याणकारी रा य के साथ एक आदश राजा के प म शासन
कया

एसबी . . पीएम ने अपनी मौसेरी बहन इरावेट से ववाह कया ीमद् भागवतम . . पृ वी गाय के प म और धम बैल के प म के बीच

वातालाप

एसबी . . धानमं ी ने गंगा तट पर तीन अ मेध य कए . . सा ात धम बैल के प म पृ वी गाय के प म से मले और पृ वी के ःख का कारण

पूछा।

एसबी . . पीएम ने काली का सामना कया और पीएम ने उ ह पया त दं ड दया

ीमद् भागवतम . . गाय के क के संभा वत कारण जो क लयुग के ल ण दशाते ह

ीमद् भागवतम . . चाउनक ऋ ष म क ल को मारने के बजाय द ड


एसबी १.१६.१९ गाय के क को दशाने वाले ल ण कु छ आंत रक रोग कसी र तेदार से
दे ने के वषय पर ज ासा उ प ई
अलगाव
SB . . चाउनक अङ् ष को क ल का काय अ चकर लगता है अतः वे पूछते ह इस म

मेरी च तभी है जब यह भगवान कृ ण के वषय से संबं धत हो।


SB . . बैल क पीड़ा पर वलाप धम

SB . . भगवान के भ का वभाव भगवान के चरणकमल से ा त मधु को चाटने के आद


अवैध मांसाहा रय ारा शोषण क चता कोई ब लदान नह अकाल और सूख ा
मानव जीवन को बबाद करना पसंद नह करते जो ब त मू यवान और णक है।

. . य एवं ब क उपे ा शा ीय श ा का पयोग एवं ा ण

अथवा य पदा ोज मकर ड लहाः सतम्

एसबी . . मत शासक और लापरवाह आम जनता के कारण अ व त रा य मामले


कम एनीयर असद अलापैर

आयुनो यद् असद् यौ

SB . . बु मान लोग मृ यु से बचने का एकमा और सबसे न त तरीका वीकार करते ह


ी कृ ण क उप त से वहीन

सत . . धम माता पृ वी को सम त स य का भ डार कहता है तथा सभी लेश का मूल


ीम ागवतम . . यमराज को अपनी सभा म आमं त करना
कारण पूछता है।
एसबी . . आलसी भा यशाली और गुमराह का माग
पु ष

ीम ागवतम . . पृ वी गाय भगवान से वयोग क पीड़ा करती है


एसबी १.१६.१० १७ क ल के भाव के व वजेता के प म महाराज परी त क ग त व धयाँ
तथा क ल के भाव के बारे म वलाप करती है।

एसबी १.१६.१० सुता गो वामी ने उन घटना का वणन कया है जब धानमं ी अपनी राजधानी
ीमद् भागवतम १.१६.२५ गाय बोलना आर करती है गाय सभी का उ र दे ने का वचन
म नवास कर रहे थे
दे ती है तथा बैल को अपना अतीत बताती है।
एसबी . . धानमं ी सभी दशा पर वजय ा त करने के लए आगे बढ़े

एसबी १.१६.१२ पृ वी ह क सभी दशा पर वजय ा त क एसबी १.१६.१३ १५ वागत


SB . . भगवान अनेक द गुण के आगार ह SB . . गाय पृ वी क ल के भाव के
संबोधन
तुत कए गए वषय म अपना शोक करती है

राजा जहाँ भी जाता वहाँ उसे अपने महान पूवज क क त का नरंतर वण होता रहता जो सभी

भगवान के भ थे तथा भगवान कृ ण के यश वी काय का भी।


ीम ागवतम . . गाय भगवान के चरणकमल का गुण गान और मरण करती है।

ल मीजी को आक षत करता है सभी सौभा य का दाता पृ वी भगवान क संग त खोने पर

ीम ागवतम ने सुना क भगवान कृ ण जनक आ ा सव मानी जाती है अपनी अहैतुक कृ पा से वलाप करती है

स ह। स त १.१६.३४ पृ वी गाय के प म भगवान के काय ारा उनक कृ पा को पहचानती है


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एसबी . . पृ वी अलगाव क ती भावना को करती है एसबी . . सजा और पुर कार


काली
का व स हत वरहं पु षो म य

ेमावलोका चरा मता व गु जलपाई

ैय समानं आहारं मधु मा ननेना एसबी . . महाराज परी त एक आदश राजा होने के नाते क ल को उ चत प
रोमो सावो मामा याद ऐ ी वओआइ कतायाउ
से दं डत करते ह
एसबी . . धानमं ी सर वती नद के तट पर प ंचे
एसबी . . पीएम प ंचे और काली के कृ य को दे ख ा

एसबी . . बैल भयभीत हालत म था

एसबी . . गाय परेशान हालत म थी

एसबी १.१७.४ पीएम ने न न ेण ी के शू को फटकार लगाई

एसबी . . वरोधाभासी पोशाक और काय


एसबी . . पीएम ने न न वग के लोग को उ चत सजा के प म मौत क चेतावनी द

एसबी . . धानमं ी को ऐसी भयानक घटना पर व ास नह आ

ीमद् भागवतम . . धानमं ी इसे अपने रा य म एक अभूतपूव घटना मानते ह

ीमद् भागवतम . . धानमं ी ने गाय और बैल सुर भ के पु को भ व य म पूण सुर ा का

आ ासन दया

ीमद् भागवतम . . धानम ीजी ऐसी सुर ा को राजा का मुख कत मानते ह

एसबी . . आ यच कत होकर धानमं ी बार बार अपराधी के बारे म पूछते ह

एसबी . . धानमं ी ने पावव क त ा को दांव पर लगा माना

एसबी १.१७.१४ बेईमान बदमाश को चेतावनी एसबी १.१७.१५ चेतावनी

कसी को भी छू ट नह दे ती

ीमद् भागवतम १.१७.१६ धानमं ी इसे राजा का सव कत मानते ह

ीम ागवतम . . महाराज परी त गाय पृ वी और बैल के ःख के कारण

पर चचा करते ह

धम

एसबी . . धम को सुर ा का आ ासन मलता है और वह भगवान क कृ पा को आक षत

करने के लए एक शु भ क श पर वचार करता है

SB . . धम और पृ वी अपने ख का कारण बताते ह

एसबी १.१७.१९ व भ दशन का उ लेख


एसबी . . बैल और गाय ने अक पनीयता कारक का उ लेख कया

• कु छ वचारक कहते ह क कोई भी यह सु न त नह कर सकता क


कारण

• बैल और गाय श द महाराज परी त को भगवान क योजना के प म वीकार करने का संके त दे ते

एसबी १.१७.२१ महाराज परी त बैल के कथन से पूरी तरह संतु ए

एसबी . . बैल के असाधारण बयान से बैल क पहचान उजागर ई


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ीम ागवतम १.१७.२३ धानमं ी ने भगवान क अक पनीय श को इसका कारण माना है।


ीम ागवतम् . . महाराज परी त को ा ण
ीमद् भागवतम . . धानमं ी ने बैल पी धम के चार पैर क बात क
बालक ारा ाप

एसबी . . पीएम ने बैल के एकमा बचे पैर स य न ा क ओर इशारा कया और आ खरी ीमद् भागवतम १.१८.१ ९ सुत गो वामी ने महाराज परी त के ज म मृ यु और क लयुग के
पैर पर हमले क आशंक ा जताई साथ वहार का सारांश दया है।
एसबी . . धानमं ी अब पृ वी गाय के बारे म बात करते ह ीम ागवतम १.१८.१ ज म के समय अ त दया
एसबी . . धानमं ी ने आस बुरे भ व य के लए पृ वी के वलाप को समझा
ीम ागवतम १.१८.२ मृ यु का सामना करने म नडर

ीम ागवतम १.१८.३ शुक दे व गो वामी क कृ पा से ीम ागवतम को पूण सा ा कार एवं वैरा य

ीम ागवतम १.१७.२८ सूत गो वामी आगे कहते ह क ा त ई।


राजा शांत हो गया और काली को मारने के लए अपनी तलवार उठा ली
SB . . अं तम ण म सव स ा त करने क गारंट तथा कसी भी गलत धारणा से

पी ड़त न होना

ीम ागवतम . . महाराज परी त ने वड बनापूवक शरणागत नोटमा लोका वाताना

क ल को कु शलतापूवक नवास दान कया। जुनाता तत् कथमातम


जो वा तव म ह या के लायक है यात् स मो नता काले पी
ीमद् भागवतम १.१७.२९ क ल ने आ मसमपण कर दया मराता तत् पद बुज म्

ीमद् भागवतम १.१७.३० काली के आ मसमपण पर मु कु राहट एसबी . . धानमं ी काली के भाव को रोक सकते ह
एसबी १.१७.३१ वचारशील महाराज पारे खत ीम ागवतम १.१८.६ जब कृ ण चले गए तो क ल ने वेश कया।

एसबी . . महाराज परी त धम के स ांत को बनाए रखने पर यान क त ीम ागवतम . . धानमं ी को कभी भी काली के व से ई या नह ई

करते ह सं या
ीम ागवतम . . कलय ल पर नह रह सकते। ीम ागवतम . . भगवान एसबी . . बु मान वग काली से सुर ा दान करता है

ह र ही स े य े र ह।

ीम ागवतम १.१७.३५ महाराज परी त के कठोर आदे श पर क ल का यु र ीमद् भागवतम . . सुत गो वामी ने सभी कथा का सारांश तुत करने का दावा कया

है।

SB . . क ल जहाँ भी जाता है उसे धनुष बाण से भय लगता है

SB . . सूत गो वामी तथा ऋ षय ारा कृ ण के वषय म सुनने क अमृतमय म हमा के


एसबी . . काली ने ायी नवास के लए अनुरोध कया
वषय म चचा
एसबी . . पीएम ने काली के लए नवास ान चुना ऐसे ान जहां जुआ शराब पीना

वे यावृ और पशु वध कया जाता था


ीम ागवतम १.१८.१० सूत गो वामी ऐसे द वषय को वन तापूवक सुनने क श का

गुण गान करते ह।


अ य थतस तदा त मै
हाँ हाँ कथा भागवत
ाना न कालेये ददौ
कथानेयो कमाआउ
ुता पाणा यौ सुना
वेआ कमाचराय पुंभी
य धमच चतुर वधाउ
कृ पया यान द
ीम ागवतम . . क ल के अनुरोध पर महाराज परी त ने उसे सोने का नवास भी दया।
ऋ षगण बताते ह क सूत गो वामी से कथा सुनकर उ ह अ य धक आनंद का अनुभव हो रहा है

तथा वे इन कथा को न र ा णय के लए अमृत के समान मानते ह।


पुनाच कै याकमानाया

जटा पम आदत भु
टै टू मादा काम
एसबी १.१८.१२ ऋ षय ने सूत गो वामी को उनके उ साह का आ ासन दया
राजो वैरा च पैइकाम

ीम ागवतम १.१७.४० इस कार क लयुग ने वण मानक करण के साथ शु आत क और

धानमं ी के नदशन म पांच ान पर क ज़ा कया। ीम ागवतम १.१८.१३ ऋ षगण भ क संग त क म हमा बताते ह

तुलायामा लावेनापी

ीम ागवतम . . ग तशील क याण चाहने वाले सभी लोग के लए सुझ ाव न वगा नापुनरभवम्

भगवत् सागी साग य

एसबी . . पीएम ने ावहा रक प से काली को धोखा दया शहीद कम उता चनाऊ

ीमद् भागवतम १.१७.४३ ४४ सूत गो वामी ने पी.एम. के सफल शासन का उ लेख कया है। एसबी १.१८.१४ कृ ण के बारे म वषय क अतृ त कृ त को वीकार करता है

एसबी १.१८.१५ असी मत वचन के लए आदश संयोजन


ीम ागवतम १.१७.४५ सूत गो वामी कहते ह
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एसबी . . ऋ षय ने शुक दे व गो वामी ारा महाराज परी त को सुनाए गए ी कृ ण . . ी कृ ण वयं को कृ ण का ान लेने के लए पूण तया यो य समझते ह और

आ यान के बारे म पूछा इस कार द ड का नणय करते ह। ी कृ ण . . अनुभवहीन पु ने अ य त ोध म शाप दे

एसबी १.१८.१७ ऋ षगण ीमदभागवतम् महाराज परी त से कही गई बात क कथा दया।

का अनुरोध करते ह तन् नौ परा पूयं असावताथम्

ीम ागवतम १.१८.३७ ा ण बालक ने महाराज परी त को शाप दया क सातव दन


आ यानं अ य त योग ननोहम् उ ह सप प ी डस लेगा।
आ या अन ताचा रतोपप ः SB . . लड़का घर गया और अपने दल का बोझ ह का करने के लए जोर से रोने
परे नता भगवता भरामम् लगा
ीम ागवतम १.१८.१८ सूत गो वामी भगवान के भ क संग त क शु करने वाली एसबी १.१८.३९ चामेक ा अ ण ने बाहरी श पुनः ा त क
श का गुण गान करते ह। ीम ागवतम १.१८.१९ इस कार चेतना
भगवान क असी मत श शाली श य का गुण गान करना जारी रखते ह। महान भ क ीम ागवतम १.१८.४० चामेक अ ण ने सहजता से साँप को हटा दया और अपने पु से पूरी
शरण म प व नाम के क तन क शु करने वाली घटना सुनी।

श का गुण गान करते ह। SB . . चामेक अ ण जो एक अनुभवी अ े ा ण थे अपने न दत पु के काय को

वीकार नह करते थे।


SB . . कोई भी असी मत भगवान के बारे म पया त प से नह बोल सकता है
. . चामेक अ ण ने बालक क अप रप व बु क ओर संके त कया कारण
SB . . के वल भगवान कृ ण मुकु द ही भगवान कहलाने के यो य ह।
एसबी १.१८.४३ अपने पु को आगे नदश दे ते ए कहते ह राजशाही शासन परम भगवान का

SB . . कृ ण के त आस सम त वर क ओर ले जाती है। त न ध व करता है राजशाही शासन को समा त करने से पूरी नया चोर से भर जाती है।

SB . . सूत गो वामी न तापूवक अपनी सीमा असी मत का वणन करने के


लए को सूय के समान श शाली अ णय के सम घो षत करते ह। एसबी १.१८.४४ राजशाही शासन को समा त करने से सामा जक वघटन होता है चामेक ा
आ न राजशाही शासन क ह या के लए कए गए सभी पाप के लए खुद को ज मेदार
मानते ह
. . जनता ारा जनता के लए जनता क अनी रवाद या राजा वहीन सरकार के
एसबी १.१८.२४ ३१ महाराज परी त अनु चत वागत के लए चामेक अ ण पर
अ य भाव
ो धत ए

ीमद् भागवतम . . महाराज पारे खत क कथा पुनः ार


ीम ागवतम १.१८.४६ चामेक आ न ने वशेष प से पी.एम. जैसे राजा के वषय म
वचार कया था।
ीम ागवतम १.१८.२६ चमेक ा अ ण योग समा ध म थे।
. . ऋ ष ने भगवान से ाथना क क वे उनके अप रप व मूख लड़के को मा कर
एसबी . . पीएम ऋ ष से पानी मांगा
द।
एसबी . . ठं डे वागत से धानमं ी उपे त महसूस करने लगे और नाराज हो गए
एसबी . . पीएम ने भगवान के भ के सहनशील गुण का उदाहरण दया

ीम ागवतम १.१८.२९ धानमं ी ऋ ष पर ो धत और ई यालु हो गए य क उ ह ने


तर कता व ल ाउ
उनका वागत ठं डे ढं ग से कया और उनक उपे ा क ।
कृ पया मुझ े एपीआई से हटा द
ीमद् भागवतम १.१८.३० राजा ने ऋ ष के साथ वैसा ही वहार कया जैसा क
ना य तत् तकु व त
ीमद् भागवतम १.१८.३१ महान आ मा होने के कारण धानमं ी वापस लौटते समय
त भावोऽ प ह
चतन करते ह।
SB . . ऋ ष को अपने पु के कृ य पर प ाताप आ क तु उ ह ने महाराज परी त के
कृ य पर कोई प ाताप नह कया।
एसबी . . अनुभवहीन गी शाप दे ता है और उसके पता प ाताप करते ह
SB . . भौ तक ै त सुख या ःख कभी भी अ या मवा दय को परेशान नह करते।
और उसके लए ाथना करते ह

ीम ागवतम १.१८.३२ आवेगशील अप रप व बालक बोला


SB . . ृंगी के आवेगपूण श द उसे एक अनुभवहीन अहंक ारी ा ण बालक स
करते ह जसम कोई सं कार नह है।

एसबी १.१८.३४ अनुभवहीन गी अपने पता क अ श ता को एक अस य लड़के के


अनु प अ श तरीके से उ चत ठहराने क को शश करता है
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ीम ागवतम . . पूण आ म संयम के साथ पीएम ने न न ल खत


ीम ागवतम . . शुक दे व गो वामी
अनुकू ल शत को पूरा कया
का आ वभाव एसबी . . धानमं ी के नणय को दे वता से सराहना मली

एसबी . . धानमं ी के नणय को एक त ऋ षय से भी अनुमोदन ा त आ


एसबी . . महाराज परी त को प ाताप आ और उ ह ने
कृ त तापूवक शाप को वीकार करते ए सब कु छ याग दया।
ीमद् भागवतम १.१९.२० ऋ षय ने धानमं ी को महाराज यु ध र का यो य पौ घो षत कया

एसबी . . धानमं ी ने अपनी गलती पर खेद जताया


एसबी १.१९.२१ ऋ षय ने पीएम के अं तम ण तक रहने का नणय लया
इलाज

ा ण क दोषर हत और श शाली त पर वचार करता है अपने कृ य को जघ य और


एसबी . . धानमं ी ने संत के भाषण का जवाब दया
अस य मानता है
ीमद् भागवतम . . धानमं ी ने ऋ षय क म हमा का बखान कया

एसबी . . धान मं ी ने अपने त काल कत के बारे म पूछताछ क और पूछे


स त १.१९.२ द ड क अपे ा करना पूण उ रदा य व लेना एक ज मेदार भ क सोच का

उदाहरण

ीम ागवतम . . धानमं ी ने वयं को अस य एवं पापी घो षत कया तथा कठोर एसबी . . अ यंत कृ त ता महसूस करते ए महाराज परी त ने

दं ड क इ ा क। शुक दे व से पूछा
गो वामी
ीम ागवतम . . धानमं ी को शाप का समाचार ब त स तापूवक ा त आ
ीम ागवतम . . उस समय ीशुक दे व गो वामी कट ए।
पल
ीमद् भागवतम १.१९.५ धानमं ी भगवान क द ेममयी सेवा के लए ढ़संक पत ए
ीम ागवतम . . ासदे व के पु शुक दे व गो वामी के शारी रक ल ण व णत ह वे

आ म सा ा कार क अ य सभी या को अ वीकार कर दया द नद के तट पर ढ़ता से के वल वष के थे। ीम ागवतम . . वे न न थे तथा उनका शारी रक रंग भगवान

कृ ण के समान था।
बैठ गए
SB . . उस द नद क म हमा का वणन कया गया है
. . वह यामवण का था और अपनी युवाव ा के कारण अ य त सु दर था अपनी म हमा

को छपा न सका।
सबसे शुभ जल सबसे प व शरण लेने यो य हर उस के लए जो मरने वाला है
ीमद् भागवतम . . शुक दे व गो वामी ने अपना उ अ य ीय पद हण कया।

एसबी . . धानमं ी ने ढ़ न य कया कभी पीछे मुड़कर नह दे ख गे


सबम े

ीम ागवतम . . उ म गु एवं श य
क बैठक
एसबी . . महाराज परी त ने एक त ऋ षय के सम आ मसमपण
ीम ागवतम १.१९.३२ महाराज परी तक भ पूण वन ता का दशन
कर दया
SB . . महान ऋ षगण तीथ या ा के बहाने महाराज परी त के दशन के लए आये।
ीम ागवतम . . शुक दे व गो वामी क प व करने क अ त उ म श
क ओर संके त करता है।
एसबी १.१९.९ अ यवन अ र योने म भागु व स हा पराचर व व म पराचुरामा जैसे ऋ ष
येना सासमाराएट पुआ सा

वगैरह
स ौ चु य त वै गौः

या आप कसी और क तरह खुलेआ म दे ख रहे


एसबी १.१९.१० कई अ य लोग आए और महाराज परी त ने उनका वागत कया

एसबी १.१९.११ कई संत दे वता राजा और संत राजा का एक वशेष रक आया धान मं ी SB . . महान संत और भ क शु करने वाली श

ने अपना सर जमीन पर झुक ाकर उनका वागत कया


स य ते महायो गन्

. . जब ऋ षगण तथा अ य लोग आराम से बैठ गए तब राजा ने उ ह संबो धत कया। कृ पया मुझ े बताएं

. . राजा एक त ऋ षय के स ो न यं त वै पुआ सा

वनोर इवा सुरेताऊ


उपकार के त ब त कृ त थे।
ीम ागवतम . . भगवान कृ ण के संर ण को वीकार करता है

ीम ागवतम . . धानमं ी ने ा के शाप को भगवान का गत ह त ेप मानकर ीम ागवतम . . ामा णक आ या मक गु शुक दे व को भेज ने के प म भगवान क

कृ त ता महसूस क । दया को वीकार करना


गो वामी
एसबी . . धानमं ी ने पूण नभयता हा सल क

एसबी १.१९.१६ धानमं ी क ज म ज मा तर क एकमा इ ा


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एसबी . . पीएम ने भ ावृ म शुक दे व गो वामी के सम अपनी


ज ासाएं रख
. . मनु य को या सुनना क तन मरण और पूज ा करनी चा हए तथा या नह करना

चा हए

यच वण ं अथो ज याऽ
यत् कत ा ना भउ भो
मात ा भजनेय वा
ु ह यद् व वपरी यं
एसबी . . पीएम ऐसे सहयोग क लभता पर वचार करता है और
नदश के लए उ सुक महसूस करता है
नूनां भगवतो न्
गहेनु गहा मे धनाम्
न ल णे ह अव ानाम्
आपी गो दोहाना वा सट
इस कार राजा ने मधुर भाषा म उ चत पूछे और ऋ षय ने धम के
आधार पर उ र दे ना आर कया।

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