अयि गिरि नन्दिनी

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Aigiri Nandini Hindi Lyrics

(अयि यिरि नन्दिनी) Aigiri Nandini Lyrics


in Hindi, Meaning, PDF

।।१।।
अयि यिरि नन्दिनी नन्दितमेयियन यिश्वयिनोयियन नन्दिनुते।
यिरििि यिन्ध्ययििोयियनिायिनी यिष्णुयिलायियन यिष्णुनुते ।
भिियत हे यियतकण्ठकुटु न्दियन भूरिकुटु न्दियन भूरिकृते ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- हे यहमालाििाि की कन्या, यिि् ि को आनंि िे ने िाली, नंिी िणों के द्वािा नमस्कृत, यिरििि
यिन्ध्याचल के यििो (यिखि) पि यनिाि किने िाली, भििान् यिष्णु को प्रिन्न किने िाली, इन्द्रिे ि के
द्वािा नमस्कृत, भििान् नीलकंठ की पत्नी, यिश्व में यििाल कुटुं ब िाली औि यिश्व को िंपन्नता िे ने िाली हे
मयहषािुि का मिि न किने िाली भििती! अपने बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री
तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।२।।
िुिििियषियण िु िििियषियण िु मुिखमयषियण हषििते ।
यत्रभुिनपोयषयण िंकितोयषयण यकन्दिषमोयषयण घोषिते ।।

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Aigiri Nandini Hindi Lyrics

िनुियनिोयषयण यियतिुतिोयषयण िु मिििोयषणी यिन्धुिुते ।


िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- िे िों को िििान िे ने िाली, िु ििि औि िु मुिख अिुिों को मािने िाली औि स्विं में ही हयषित (प्रिन्न)
िहने िाली, तीनों लोकों का पोषण किने िाली, िंकि को िंतुष्ट किने िाली, पापों को हिने िाली औि
घोि िििना किने िाली, िानिों पि क्रोि किने िाली, अहं कारििों के घमंड को िुखा िे ने िाली, िमुद्र की
पुत्री हे मयहषािुि का मिि न किने िाली, अपने बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री
तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।३।।
अयि ििििमििकिि िनयप्रििायियन हाििते ।
यिखरियििोमयण तुङ्गयहमालि शंियनिालि मध्यिते ।।
मिुमिुिे मिुकैटभिन्दजियन कैटभभंयियन िाििते ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- हे िितमाता, मेिी मााँ , प्रेम िे किि के िन में िाि किने िाली, हास्य भाि में िहने िाली,
यहमालि के यिखि पि न्दथर्त अपने भिन में यििायित, मिु (िहि) की तिह मिुि, मिु -कैटभ का मि
नष्ट किने िाली, मयहष को यििीणि किने िाली,ििा िुद्ध में यलप्त िहने िाली हे मयहषािुि का मिि न
किने िाली अपने बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।४।।
अयि ितखण्ड यिखन्दण्डतरुण्ड यितुन्दण्डतिु ण्ड ििायिपते ।
रिपु िििण्ड यििािणचण्ड पिाक्रम िुण्ड मृिायिपते ।।
यनिभुि िण्ड यनपयतत खण्ड यिपायतत मुंड भटायिपते ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- ित्रुओं के हायर्िों की िूंड काटने िाली औि उनके िौ टु कड़े किने िाली, यिनका यिंह ित्रुओं के
हायर्िों के िि अलि अलि टु कड़े कि िे ता है , अपनी भुिाओं के अस्त्ों िे चण्ड औि मुंड के िीि
काटने िाली हे मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की
पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।५।।
अयि िणिु मिि ित्रुििोयित िु ििियनििि िन्दिभृते ।
चतुियिचाििुिीणमहायिि िू तकृत प्रर्मायिपते ।।
िु रितिु िीह िु िािििु मियत िानििू त कृतान्तमते ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- िण में मिोंमत ित्रुओं का िि किने िाली, अिि अयिनािी िन्दििां िािण किने िाली, प्रमर्नार्
(यिि) की चतुिाई िानकाि उन्हें अपना िू त बनाने िाली, िु मियत औि बुिे यिचाि िाले िानि के िू त के
प्रस्ताि का अंत किने िाली, हे मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने बालों की लता िे आकयषित किने
िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।६।।
अयि ििणाित िैरिििूिि िीिििाभि िािकिे ।

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Aigiri Nandini Hindi Lyrics

यत्रभुिनमस्तक िुलयििोयि यििोऽयिकृतामल िूलकिे ।।


िु यमिु यमतामि िुजिु यभनािमहोमुखिीकृत यिङ्मकिे ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- ििणाित ित्रुओं की पयत्निों के आग्रह पि उन्हें अभििान िे ने िाली, तीनों लोकों को पीयड़त किने
िाले िै त्ों पि प्रहाि किने िोग्य यत्रिूल िािण किने िाली, िे िताओं की िु जिु भी िे 'िु यम िु यम' की ध्वयन
को िभी यििाओं में व्याप्त किने िाली हे मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने बालों की लता िे
आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।७।।
अयि यनिहुङ्कृयत मात्रयनिाकृत िूम्रयिलोचन िूम्रिते।
िमियििोयषत िोयणतबीि िमुद्भििोयणत बीिलते।।
यिियिििुम्भ यनिुम्भमहाहि तयपितभूत यपिाचिते।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- मात्र अपनी हुं काि िे िूम्रलोचन िाक्षि को िूम्र (िुएं) के िामान भस्म किने िाली, िुद्ध में कुयपत
ििबीि के िि िे उत्पन्न अन्य ििबीिों का िि पीने िाली, िुम्भ औि यनिुम्भ िै त्ों की बली िे
यिि औि भूत-प्रेतों को तृप्त किने िाली हे मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने बालों की लता िे
आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।८।।
िनुिनुषङ्ग िणक्षणिङ्ग परिस्फुििङ्ग नटत्कटके ।
कनकयपिङ्ग पृषत्कयनषङ्ग ििद्भटशङ्ग हताबटु के ।।
कृतचतुिङ्ग बलयक्षयतिङ्ग घटद्बहुिङ्ग िटद्बटु के ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- िुद्ध भूयम में यिनके हार्ों के कंिन िनुष के िार् चमकते हैं , यिनके िोने के तीि ित्रुओं को
यििीणि किके लाल हो िाते हैं औि उनकी चीख यनकालते हैं , चािों प्रकाि की िेनाओं [हार्ी, घोडा,
पैिल, िर्] का िंहाि किने िाली अनेक प्रकाि की ध्वयन किने िाले बटु कों को उत्पन्न किने िाली हे
मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि
हो, िि हो, िि हो।

।।९।।
िुिललना ततर्ेयि तर्ेयि कृतायभनिोिि नृत्िते ।
कृत कुकुर्ः कुकुर्ो िडिायिकताल कुतूहल िानिते ।।
िुिुकुट िुक्कुट यिंयियमत ध्वयन िीि मृिंि यननाििते ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- िे िां िनाओं के तत-र्ा र्ेयि-र्ेयि आयि िब्ों िे िु ि भािमि नृत् में मग्न िहने िाली, कु-कुर् अड्डी
यियभन्न प्रकाि की मात्राओं िाले ताल िाले स्विीि िीतों को िुनने में लीन, मृिंि की िू-िुकुट, यियम-यियम
आयि िंभीि ध्वयन िुनने में यलप्त िहने िाली हे मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने बालों की लता िे
आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।१०।।

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Aigiri Nandini Hindi Lyrics

िि िि िप्य ििेिििब् पिस्तुयत तत्पियिश्वनुते ।


झणझणयझन्दझझयम यझङ्कृत नूपुियियितमोयहत भूतपते ।।
नयटत नटािि नटी नट नािक नायटतनाट्य िुिानिते ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- िि ििकाि किने औि स्तुयत किने िाले िमस्त यिश्व के द्वािा नमस्कृत, अपने नूपुि के झण-झण
औि यझन्दझझम िब्ों िे भूतपयत महािे ि को मोयहत किने िाली, नटी-नटों के नािक अििनािीश्वि के नृत्
िे िुिोयभत नाट्य में तल्लीन िहने िाली हे मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने बालों की लता िे
आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।११।।
अयि िुमनःिुमनःिुमनः िुमनःिुमनोहिकान्दन्तिुते ।
यितििनी ििनीििनी ििनीििनी कििक्त्रिृते ।।
िुनिनयिभ्रमि भ्रमिभ्रमि भ्रमिभ्रमिायिपते।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- आकषिक कान्दन्त के िार् अयत िुिि मन िे िुि औि िायत्र के आिि अर्ाि त चंद्र िे ि की आभा
को अपने चेहिे की िुििता िे फीका किने िाली, काले भंििों के िामान िुिि नेत्रों िाली हे मयहषािुि
का मिि न किने िाली अपने बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि
हो, िि हो।

।।१२।।
ियहतमहाहि मल्लमतन्दल्लक मन्दल्लतिल्लक मल्लिते ।
यिियचतिन्दल्लक पन्दल्लकमन्दल्लक यझन्दल्लकयभन्दल्लक ििििृते ।।
यितकृतफुल्ल िमुल्लयितारुण तल्लिपल्लि िल्लयलते ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- महािोद्धाओं िे िुद्ध में चमेली के पुष्ों की भााँ यत कोमल न्दस्त्िों के िार् िहने िाली तर्ा चमेली की
लताओं की भााँ यत कोमल भील न्दस्त्िों िे िो झींिुिों के झुण्ड की भााँ ती यघिी हुई हैं , चेहिे पि उल्लाि
(ख़ुिी) िे उत्पन्न, उषाकाल के िूिि औि न्दखले हए लाल फूल के िमान मुस्कान िाली, हे मयहषािुि का
मिि न किने िाली, अपने बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो,
िि हो।

।।१३।।
अयििलिण्ड िलन्मिमेिुि मत्तमतङ्गििािपते ।
यत्रभुिनभूषण भूतकलायनयि रूपपिोयनयि िाििुते ।।
अयि िुितीिन लालिमानि मोहन मन्मर्िाििुते ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- यििके कानों िे अयििल (लिाताि) मि बहता िहता है उि हार्ी के िमान उत्तेयित हे ििेश्विी,
तीनों लोकों के आभूषण रूप-िौंििि , िन्दि औि कलाओं िे िुिोयभत हे िािपुत्री, िुंिि मुस्कान िाली
न्दस्त्िों को पाने के यलए मन में मोह उत्पन्न किने िाली मन्मर् (कामिे ि) की पुत्री के िमान, हे मयहषािुि
का मिि न किने िाली अपने बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि
हो, िि हो।

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Aigiri Nandini Hindi Lyrics

।।१४।।
कमलिलामल कोमलकान्दन्त कलाकयलतामल भाललते ।
िकलयिलाि कलायनलिक्रम केयलचलत्कल हं िकुले ।।
अयलकुलिङ्कुल कुिलिमण्डल मौयलयमलद्बकुलायलकुले ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- यिनका कमल िल (पंखुड़ी) के िमान कोमल, स्वच्छ औि कां यत (चमक) िे िुि मस्तक है , हं िों
के िमान यिनकी चाल है , यिनिे िभी कलाओं का उद्भि हुआ है , यिनके बालों में भंििों िे यघिे
कुमुिनी के फूल औि बकुल पुष् िुिोयभत हैं उन मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने बालों की लता
िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री की िि हो, िि हो, िि हो।

।।१५।।
किमुिलीिि िीयितकूयित लन्दितकोयकल मझिुमते ।
यमयलतपुयलि मनोहििुयित ियितिैल यनकुििते।।
यनििणभूत महािबिीिण िि् िुणिम्भृत केयलतले।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- यिनके हार्ों की मुिली िे बहने िाली ध्वयन िे कोिल की आिाि भी लन्दित हो िाती है , िो [न्दखले
हुए फूलों िे ] िं िीन पिितों िे यिचिती हुिी, पुयलंि िनिायत की न्दस्त्िों के िार् मनोहि िीत िाती हैं , िो
िि् िुणों िे िम्पान िबिी िायत की न्दस्त्िों के िार् खेलती हैं उन मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने
बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री की िि हो, िि हो, िि हो।

।।१६।।
कयटतटपीत िु कूलयियचत्र मिुखयतिस्कृत चन्द्ररुचे।
प्रणतिुिािुि मौयलमयणस्फुि िं िुलिन्नख चन्द्ररुचे।।
यितकनकाचल मौयलमिोयिित यनभििकुिि कुम्भकुचे।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- यिनकी चमक िे चन्द्रमा की िौिनी फीकी पड़ िाए ऐिे िुिि िे िम के िस्त्ों िे यिनकी कमि
िुिोयभत है , िे िताओं औि अिुिों के िि झुकने पि उनके मुकुट की मयणिों िे यिनके पैिों के नाखून
चंद्रमा की भां यत िमकते हैं औि िैिे िोने के पिितों पि यििि पाकि कोई हार्ी मिोन्मत होता है िैिे ही
िे िी के उिोि (िक्ष थर्ल) कलि की भााँ यत प्रतीत होते हैं ऐिी हे मयहषािुि का मिि न किने िाली अपने
बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।१७।।
यियितिहस्रकिै क िहस्रकिै क िहस्रकिै कनुते।
कृतिुितािक िङ्गितािक िङ्गितािक िूनुिुते।।
िुिर्िमायि िमानिमायि िमायििमायि िुिातिते।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- िहस्रों (हिािों) िै त्ों के िहस्रों हार्ों िे िहस्रों िु द्ध िीतने िाली औि िहस्रों हार्ों िे पूयित,
िुितािक (िे िताओं को बचाने िाला) उत्पन्न किने िाली, उिका तािकािुि के िार् िुद्ध किाने िाली,

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िािा िुिर् औि िमायि नामक िैश्य की भन्दि िे िामान रूप िे िंतुष्ट होने िाली हे मयहषािुि का मिि न
किने िाली बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।१८।।
पिकमलं करुणायनलिे िरििस्ययत िोऽनुयिनं िुयििे।
अयि कमले कमलायनलिे कमलायनलिः ि कर्ं न भिेत् ।।
ति पिमेि पिम्पियमत्नुिीलितो मम यकं न यििे।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- िो भी तुम्हािे ििामि पि कमलों की िेिा किता है , हे कमला! (लक्ष्मी) िह व्यन्दि कमलायनिाि
(िनी) कैिे न बने ? हे यििे ! तुम्हािे पिकमल ही पिमपि हैं उनका ध्यान किने पि भी पिम पि कैिे
नहीं पाऊंिा? हे मयहषािुि का मिि न किने िाली बालों की लता िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री
तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।१९।।
कनकलित्कलयिन्धुिलैिनुयषञ्चयत तेिुणिङ्गभुिम् ।
भियत ि यकं न िचीकुचकुम्भतटीपरििम्भिुखानुभिम् ।
ति चिणं ििणं कििायण नतामििायण यनिायि यििम् ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- िोने के िमान चमकते हुए निी के िल िे िो तुम्हे िं ि भिन में यिड़काि किे िा िो िची (इं द्राणी)
के िक्ष िे आयलंयित होने िाले इं द्र के िमान िुखानुभूयत क्ों न पािेिा? हे िाणी! (महाििस्वती) तुममे
मां िल्य का यनिाि है , मैं तुम्हािे चिण में ििण लेता हाँ , हे मयहषािुि का मिि न किने िाली बालों की लता
िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।२०।।
ति यिमलेजिु कुलं ििनेजिु मलं िकलं ननुकूलिते।
यकमु पुरुहतपुिीजिु मुखीिु मुखीयभििौ यिमुखीयक्रिते।
ममतु मतं यििनामिने भिती कृपिा यकमुतयक्रिते ।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते ।।

अर्ि- तुम्हािा यनमिल चन्द्र िमान मुख चन्द्रमा का यनिाि है िो िभी अिुन्दद्धिों को िू ि कि िे ता है , नहीं
तो क्ों मेिा मन इं द्रपूिी की िुिि न्दस्त्िों िे यिमुख हो ििा है ? मेिे मत के अनुिाि तुम्हािी कृपा के यबना
यिि नाम के िन की प्रान्दप्त कैिे िंभि हो िकती है ? हे मयहषािुि का मिि न किने िाली बालों की लता
िे आकयषित किने िाली पिित की पुत्री तुम्हािी िि हो, िि हो, िि हो।

।।२१।।
अयि मयि िीन ििालु -तिा कृपिैि त्विा भयितव्यमुमे।
अयि िितो िननी कृपिायि िर्ायि तर्ानुयमतायििते।।
ििु यचतमत्र भित्ुििीकुरुतािु रुतापमपाकुरुते।
िि िि हे मयहषािुिमयिि यन िम्यकपयिि यन िैलिुते।।

अर्ि- हे िीनों पि ििा किने िाली उमा! मुझ पि भी ििा कि ही िो, हे िित िननी! िैिे तुम ििा की
िषि किती हो िैिे ही तीिों की िषि भी किती हो, इियलए इि िमि िैिा तुम्हें उयचत लिे िैिा किो मेिे

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