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1.

पाठ ‘दुःख का अंधकार’ के आधार पर गरीब बुनकर माँ का चरित्र अत्यंत मार्मिक और संघर्षमय है। उसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. **संघर्षशीलता**: गरीब बुनकर माँ कठिनाइयों और अभावों से लड़ते हुए अपने परिवार के लिए हरसंभव प्रयास करती है। वह अपने बच्चों की भूख
और जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करती है।

2. **त्यागमयी**: अपने बच्चों की भलाई के लिए वह अपने सुख और आराम को त्याग देती है। उसे स्वयं भूखा रहना पड़ता है, लेकिन वह अपने
बच्चों को भूखा नहीं देख सकती।

3. **दृढ़ संकल्प**: गरीब बुनकर माँ का जीवन संघर्षों से भरा है, लेकिन वह कभी हार नहीं मानती। उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति उसे विपरीत परिस्थितियों
में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

4. **ममतामयी**: वह अपने बच्चों के प्रति असीम स्नेह और ममता रखती है। उनकी छोटी-छोटी जरूरतों का ध्यान रखती है और उन्हें प्यार से
पालती है।

अगर मैं लेखक के स्थान पर होता, तो सबसे पहले मैं उस माँ की सहायता के लिए सामाजिक और सरकारी मदद की कोशिश करता। मैं उनकी स्थिति
को सुधारने के लिए स्थानीय संगठनों और एनजीओ से संपर्क करता। इसके अलावा, मैं उनकी कला और उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में मदद करता
ताकि उन्हें उचित मेहनताना मिल सके । इस प्रकार, मैं उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के प्रयास में उनकी मदद करता और उनके जीवन को थोड़ी सी
राहत प्रदान करने का प्रयास करता।

इस प्रकार, गरीब बुनकर माँ का चरित्र हमें सिखाता है कि संघर्षों के बावजूद भी हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए और हमेशा अपने प्रियजनों की भलाई के
लिए तत्पर रहना चाहिए।

2.

पाठ "नगालू" में से दस-दस अनुस्वार और अनुनासिक शब्द निम्नलिखित हैं:

**अनुस्वार वाले शब्द:**


1. रंग
2. डंग
3. बंद
4. अमंगल
5. संतान
6. मंदिर
7. आनंद
8. कं घी
9. कं बल
10. जंग

**अनुनासिक वाले शब्द:**


1. गंध
2. पंख
3. चाँदनी
4. संजय
5. लंबा
6. हंस
7. तंबू
8. बंदर
9. चंपा
10. चंद्र

इन शब्दों में अनुस्वार का प्रयोग "ं" के रूप में होता है, जबकि अनुनासिक का प्रयोग "ँ" और "ं" के रूप में होता है।

3.
**नवविद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व**

नवविद्यार्थी जीवन में अनुशासन का अत्यधिक महत्व है। अनुशासन का पालन करना एक सफल और सुखद जीवन के लिए अनिवार्य है। यह विद्यार्थियों को
समय प्रबंधन, जिम्मेदारी और आत्म-नियंत्रण सिखाता है, जो उनके समग्र विकास में सहायक होता है। अनुशासन के माध्यम से विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में
निरंतरता बनाए रख सकते हैं और अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

अनुशासन से विद्यार्थियों में आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास बढ़ता है। यह उन्हें सही और गलत में अंतर समझने में मदद करता है और सही मार्ग पर
चलने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा, अनुशासन से समूह में काम करने और दूसरों के साथ समन्वय स्थापित करने की क्षमता भी विकसित होती
है।

अनुशासन के अभाव में विद्यार्थी आलसी और गैर-जिम्मेदार हो सकते हैं, जिससे उनका शैक्षिक और व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो सकता है। इसलिए,
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके भविष्य की नींव को मजबूत बनाता है और उन्हें एक सफल और
जिम्मेदार नागरिक बनने में सहायता करता है।

4.

**रहीम**

रहीम, जिनका पूरा नाम अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना था, एक प्रसिद्ध हिंदी कवि, सेनापति और महान विद्वान थे। उनका जन्म 1556 में लाहौर
(वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था और वे मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। रहीम का साहित्यिक योगदान हिंदी साहित्य में अद्वितीय
है, और उनके दोहे, साखियाँ और कवित्त हिंदी साहित्य की धरोहर माने जाते हैं।

### काव्यगत विशेषताएँ

1. **सादगी और सरलता**: रहीम के काव्य की भाषा सरल, सहज और प्रभावी है। उनके दोहे और साखियाँ आम बोलचाल की भाषा में होते हैं,
जिससे आम जनता आसानी से समझ सकती है।

2. **गहन विचार और दार्शनिकता**: रहीम के काव्य में गहरे दार्शनिक विचार होते हैं। वे मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे प्रेम, दया, विनम्रता,
परोपकार, और जीवन-मृत्यु पर अपने विचार प्रकट करते हैं।

3. **नैतिक शिक्षा**: उनके काव्य में नैतिक और जीवन मूल्यों पर जोर दिया गया है। वे अपने दोहों के माध्यम से समाज को नैतिक शिक्षा प्रदान
करते हैं।

4. **भक्ति और प्रेम**: रहीम के काव्य में भक्ति और प्रेम का विशेष स्थान है। उनके दोहों में ईश्वर भक्ति और मानव प्रेम की गहन अनुभूति होती
है।

### रहीम के दोहे

1. रहीमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।


टू टे पे फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय॥

2. बिगरी बात बनाय के , मेटा गाढ़ा रंग।


रहीम अनल कु म्हार के , ज्यों मेहंदी को रंग॥

### रहीम की एक कविता

**दोहे**

सार-सार को गहि रहै, थोथा देय उड़ाय।


रहीम पंखुड़ी फू लाई, सब तन सो गराय॥

अर्थ: समझदार व्यक्ति वही है जो सार्थक बातों को ग्रहण करता है और व्यर्थ की बातों को छोड़ देता है। रहीम कहते हैं कि जिस तरह फू ल की पंखुड़ी
सबके तन को सुगंधित करती है, उसी तरह समझदार व्यक्ति भी अपनी बुद्धिमानी से सबको लाभान्वित करता है।

रहीम का काव्य आज भी प्रासंगिक है और समाज को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने में सक्षम है। उनके दोहे और कवित्त हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।

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