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वर व ान

अ याय - तृ
तीय

जीवन म वर का मह व

वर व ान इस संसार का ब त ही मह वपू
ण और आसान यो तष
व ान हैजसकेबतायेगए संके
त बलकु
ल सही मानेजातेहैऔर

गु
र ीत सह. 16
वर व ान
इसक सहायता सेहम अपनेजीवन क दशा और दशा को बदल
सकतेहै
। हमारे
शरीर क मान सक और शारी रक या , संसार के
सभी य सेले
कर दै
वीय स पक तक को भा वत करनेक
मता रखने
वाला वर व ान नया के ये
क के लए ब त
ही मह वपू
ण सा बत होसकता है
। वर व ान क सहायता सेकोई
भी अपनेजीवन म मनचाही सफलता हा सल कर सकता है

इसक मदद से अपनेस पक म आनेवाले ये
क और
प र त थय को अपनेप म कर सकता है
। हमारी नाक म दो छ
होतेह। सामा य अव था म इनम सेएक ही छ सेहवा का
आवागमन होता रहता है
। कभी दाय सेतो कभी बाएंसेइसेही हम
दायाँ और बायाँ वर का चलना कहतेहै
। ले
कन जस समय वर
बदलता हैतो उस समय कु
छ पल के लए दोन छ सेम हवा
नकलती ईमहसू
स होती है
। इसकेअलावा कभी-कभी सु
षु
ना नाड़ी
केचलतेसमय हमारेदोन नाक केछ सेहवा नकलती है
।बां यी
तरफ सेसांस ले
नेका मतलब हैक हमारेशरीर क इड़ा नाड़ी म
वायुका वाह है
।इसकेवपरीत दाय तरफ सेसांस ले
नेका मतलब
है
क हमारे
शरीर क पगला नाड़ी म वायुका वाह है
। ले
कन दोन
केम य म सु
षु
ना नाड़ी का वर वाह होता है
।हम अपनी नाक से
नकलनेवाली साँस केसंके
तो को समझ कर अपनेजीवन केसभी
े म मनचाहा प रणाम ा त कर सकतेह। जस त थ या वार
को जस छ सेसाँस ले
नी चा हए, अगर वही होता हैतो हम उस
दन अ छेप रणाम मलगे। ले
कन अगर उ टा आ तो हम उस

गु
र ीत सह. 17
वर व ान
दन नराशा मलसकती है
। इस लयेकस दन कस छ सेसाँस
चलनी चा हए हम इसका ान हा सल करकेजीवन म लगातार उ त
केपथ पर चल सकतेहैजो क सभी के
लए ब त ही आसान
है
।स ताह केतीन दन मंगल, श न और र व गम मनेजातेहैय क
इनका संबंध सू
य वर सेहैजब क शे
ष चार दन का संबंध च
वर सेमाना जाता है
।हमारेदां येछ से नकलनेवाली सांस
पगला वर को सू
य वर कहा जाता है
और जै
सा क नाम ही है
यह
गरम होती है
।और बां यी ओर सेनकलनेवाली साँस इड़ा वर को
च वर कहा जाता हैऔर अपनेनाम केअनुपयह यह वर
ठ डा होता है
।सवे
रेन द सेजगतेही सबसेपहलेअपनी ना सका
का वर दे
ख। य द नयत त थ केअनु
सार वर चल रहा हो तो
ब तर पर ई र क ाथना करनेकेबाद वही पै
र धरती पर रखे

य द त थ के वपरीत वर हो, तो ब तर सेनीचेनह उतर और
जस त थ का वर होना चा हए उसके वपरीत करवट ल कर कु

मनट ले
ट ल। और जब सही वर शु हो जाए तो उसकेबाद ही
ब तर सेनीचेवर क तरफ वाला पाँव रखे
, अथात य द बां येवर
का दन हो और वही चल रहा हो तो ब तर सेउतरतेसमय बां या
पै
र ही धरती पर रख, य दज दां येवर का दन हो और वही चल
रहा हो तो इ ब तर सेउतरतेसमय दायाँ पै
र ही धरती पर रखकर
अपनी दनचया शु कर ।
.......................,............................................

गु
र ीत सह. 18
वर व ान

अ याय- चतु

च वर सेमले
गी काय म सफलता
Pramod Kumar Agrawal
सम त ा णय म जी वत रहनेकेलए ास या आव यक होती
है
। इसम जीवनदा यनी ऑ सीजन गै
स हण करके षत काबन
डाई ऑ साइड गै
स का उ सजन कया जाता है
। मनु
य म ास
या के लए नाक म बने ए दो नासा छ सहयोग करतेह।
एक नासा छ से ास का आगमन होता हैतो सरेछ से ास
का उ सजन होता है
। यह म वतः ही प रव तत होता रहता है

यो तष शा म वरोदय व ान इस बात को प करता हैक
य द नासा छ क ास या को यान म रखते ए कोई काय
कया जायेतो उसम अपेत सफलता अव य ा त होती है

ना सका केदा हनेछ अथवा बाएं छ से ास आगमन को "
वरचलना" कहा जाता है
। ना सका के
दा हनेछ सेचलनेवालेवर
को "सू
य वर" और बाएं छ सेचलनेवालेवर को "च वर"
कहतेह। सू
य वर को भगवान शव का जब क च वर को श
क आरा य दे
वी माँ का तीक माना जाता है
। वर शा के
अनु
सार वृ
ष, कक, क या, वृक, मकर और मीन रा शयां च वर से
तथा मे
ष, मथु
न, सह, तु
ला, धनुएवं कुभ रा शयाँ सू
य वर सेमा य
होती ह। च वर म ास चलनेको "इडा" और सू
य वर म ास
चलनेको " पगला" कहा जाता है
। दोन छ सेचलनेवाली ास

गु
र ीत सह. 19
वर व ान
या "सु
षु
ना वर" कहलाती है
। वरोदय व ान क मा यता के
अनु
सार पू
व और उ र दशा म च तथा प म और द ण दशा
म सू
य रहता है
। इस कारण जब ना सका सेसू
य वर चलेतो
प म और द ण दशा म तथा जब ना सका सेच वरचलेतो
पू
व और उ र दशा म जाना अशु
भ फल दे
नेवाला होता है
। च
वर चलनेपर बायां पै
र और सू
य वर चलनेपर दा हना पै
र आगे
बढाकर या ा करना शु
भ होता है
। च वर चलतेसमय कयेगए
सम त काय म सफलता ा त होती है
। पु र न क ा त केलए
यद ी केसाथ संग केआर भ म पुष का सू
य वर चलेतथा
समापन पर च वर चले
तो शु
भ होता है
। सू
य वर चलनेकेदौरान
अ ययन एवं अ यापन करना, शा का पठन-पाठन, पशु क
खरीद-फरो त,औष ध से
वन, शारी रक म, तं -म साधना, वाहन का
शु
भार भ करना जै
सेकाय कयेजा सकतेह। जब क च वर
चलतेसमय गृ
ह वे
श, श ा का शु
भार भ, धा मक अनुान, नए व
और आभू
षण धारण करना, भू
-संप का य- व य, नए ापार का
शु
भार भ, नवीन म स ब ध बनाना, कृ
ष काय औरपार प रक ववाद
का न तारण करना जै
सेकाय शु
भ फल दे
नेवाले
होतेह।-
मोद कु
मार अ वाल, (फ लत यो तष एवं वा तुसलाहकार)
.......................................................

गु
र ीत सह. 20

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