LG_301_ch8

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पाठ- 8 : दो कलाकार

मल
ू भाव

यह म नू भंडार क सु स कहानी है िजसम समाज-सेवा को कला का दजा दे ने पर बल #दया गया है । यह &तत



(कया गया है (क )च+, क अपे.ा समाज-सेवा म कला क स/ची संवेदना है । दस
ू र, क पीड़ा से अनु े1रत होने के
कारण समाज-सेवा, )च+कला से अ)धक उपयोगी है । इस उ7े8य क प9ू त के लए कहानीकार ने ऐसी ि&थ9तय, और
घटनाओं का चयन (कया है, िजसम दोन, ह मA
ु य Bबंद ु उभरकर कट होते हC ।

कहानी के त व के आधार पर समी ा


कथानक

अDणा का
)च+ा का मत

)च+ा और गर ब, के
भखा1रन अDणा का
अDणा दो )च+ा का )च+ा का एक ब/च, को )च+ा का दोन, सOखय,
और उसके मतृ
अ/छF दो&त। अपना नया 9तभाशाल पढ़ाना और दे श-Mवदे श म का मलन
ब/च, का भखा1रन के
हा&टल म )च+ा अDणा कलाकार फु लया दाई Aया9त ाNत और एक क
)च+ा बनाना ब/च, का
एक साथ को #दखाना। होना। के ब/चे को करना। PेQठता।
और Mवदे श गोद लेना।
रहना। बचाने का
गमन।
यास करना।

अDणा एक मSयमवगTय प1रवार क लड़क है जो सं&कार, से परोपकार तथा कम


के 9त समMपत है । वह समाज सेवा के लए हमेशा तैयार रहती है । कभी वह आस-
पास के ब/च, को पढ़ाती है तो कभी बाढ़ पीVड़त, के लए चंदा इकWा करने म
Xय&त रहती है । इन कायY क वजह से वह अपनी पढ़ाई क भी उपे.ा कर दे ती है ।

वह लोग, के दख
ु -दद को हर लेने म ह जीवन क साथकता समझती है । वह )च+ा
से कहती है, ‘कागज़ पर 9नजTव )च+, को बनाने क बजाय दो चार क िज़ंदगी
\य, नह ं बना दे ती। तेरे पास सामथय भी है और साधन भी (कस काम क ऐसी
पा और कला जो आदमी को आदमी न रहने दे ।’ वह कला और जीवन को लेकर कई बार
)च+ा से बहस करती #दखाई दे ती है ।
चर -च ण - अDणा न केवल समाज सेMवका है बि]क अपने संबध, के 9त भी पण
ू तः जाग_क

अDणा है । वह अपनी सखी )च+ा का बराबर Sयान रखती है । जब वह )च+ा के Mवदे श


जाने क बात सुनती है तो उसके साथ Bबताए छह वषY के )च+ा उसक आँख, के
सामने घूमने लगते हC।

वह भखा1रन के रोते-चीखते दोन, ब/च, को सँभालती है और उ ह अपने पास रख


कर भरण-पोषण करके नया जीवन दे ती है ।

अDणा के bदय म स/ची संवेदना है । दया, कDणा, मै+ी, परोपकार तथा सहानुभू9त से
भरा उसका bदय कम के 9त अनु े1रत करता रहता है ।
च ा
•)च+ा धनी Mपता क इकलौती संतान है । वह )च+ाकला क छा+ा है और महddवाकां.ी है ।
कोई भी )च+ा जब परू ा हो जाता है उसे #दखाने का उसे शौक है इसी लए तो वह सोती हुई
अDणा को उठा कर अपना नया )च+ा #दखाती है ।
•कला म लगन के साथ-साथ
साथ )च+ा Mवनोद &वभाव क छा+ा है इसी लए अपने हॉ&टल म वह
इतनी लोकM य है (क रे लवे &टे शन पर अनेक छा+ाएँ उसे Mवदा करने आती हC।
•दे श काल और वातावरण
•आध9ु नक काल खंड म भारतीय समाज के वातावरण को दशाती है । )च+ा और अDणा दो
सहे लयाँ हC जो हा&टल म रहती हC। लेOखका ने उ ह हा&टल म रहते हुए #दखा कर
आध9ु नक भारतीय समाज के वातावरण को दशाया है ।
•इस कहानी म दोन, सहे लयाँ &वतं+ हC, खुले Mवचार, क हC। दोन, अपने पD
ु ष म+, के बारे
म खुलकर बात करती हC और इसे बरु ा नह ं मानतीं।
•आध9ु नक श.ा और सोच के कारण (कस तरह हमारे समाज म बदलाव आया है उससे
समाज म म#हलाओं क आज़ाद , उ ह भी पD ु ष, क तरह अपने जीवन का 9नणय लेने और
समय से काम करने क परं परा Mवक सत हुई है ।
•दोन, म भरपरू आdमMव8वास और 9नणय लेने क .मता है ।

संवाद

छोटे -छोटे संवाद के मा%यम से कहानी


को 'वक(सत )कया गया है । कहानी पूर0 कहानी म7 आम बोल-चाल के म:नू भंडार0 क= इस कहानी क=
जहाँ हास-उपहास से आरं भ होती है छोटे -छोटे संवाद ह9। मह वपूण< 'वशेषता है - आ मीयता।
वह0ं इसका अंत अ यंत का34णक है ।

भाषा-शैल0
•बोलचाल क भाषा। म नू भंडार क इस कहानी म भाषा के उ\त सभी गण ु #दखाई दे ते हC। हाँ, प1रवेश
और पा+ा के अनुसार भाषा बदलती रहती है । बोल-चाल क भाषा का नमूना दे Oखए- ‘\य, बड़-बड़ कर
रह है । ले मC आ गई। चल, बना चाय’ ‘तेरे मनोज क )चWी आई है ।’ तूने तो पढ़ ल होगी, फाड़कर। ‘चल
हट।’
•कहानी के संवाद, से दोन, सOखय, क उपहास विृ dत क झलक मलती है ।
•संवाद छोटे , मुहावरे दार, असरदार और सरल हC।
•भाषा आdमीयता और सहजता के गुण, से यु\त है ।
•वा\य छोटे हC तथा तeव और दे शज शgदावल के साथ-साथ बोलचाल क अंfेज़ी और उद ू के शgद, का
भी योग हुआ है ।
•अंfेज़ी शgद, म लै\चर, बोर,, आइVडया, कंjयूजन, M ं सपल, वाडन जैसे अनेक शgद हC तो उद ू के
इिhतहान, हुनर, बहस, अखबार, ख&ता
ख&ता, हालत आ#द जैसे बोल-चाल के साधारण शgद, का योग है ।
•म नू जी क अपनी Mवशेषता है (क वे कहानी क ि&थ9त के अनुसार भाषा-Xयवहार
Xयवहार का पूरा Sयान
रखती है ।
उ>े?य
• समाज-सेवा को सहज _प से उdतम स करना चाहा, और यह बताया (क
मानवीय संवेदनाओं से भरा Xयि\त ह स/चा कलाकार हो सकता है ।
एक उदाहरण
• ‘(कस काम क ऐसी कला जो आदमी को आदमी न रहने दे ’, ‘द9ु नया क बड़ी से
बड़ी घटना भी इसे आंदो लत नह ं करती, जब तक उसम कला के लए कोई &थान
न हो’

अपना मूAयांकन कर7

म नू भंडार क लेखन कला क (क ह ं चार Mवशेषताओं का उ]लेख क िजएl

आप जीवन म समाज सेवा को (कतना महdवपण


ू मानते हC? तक स#हत उdतर द िजएl

दो उदाहरण, के माSयम से स क िजए (क अDणा इस कहानी क मA


ु य पा+ हैl

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