Professional Documents
Culture Documents
Directions in Arnesh Kumar
Directions in Arnesh Kumar
Arnesh Kumar Vs State of Bihar (2014) 8 SCC 273 में Supreme Court ने गैरजरूरी
गिरफ्तारियों को रोकने के लिए दिशा निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि गिरफ्तारी की आज्ञा देते समय to prevent
unnecessary arrest and causal and mechanical detention:
1. सभी राज्य सरकारें अपने पुलिस अफसरों को सूचित करेंगी कि वे 498A IPC वाले के स में आरोपी को एकदम
अरैस्ट नहीं करेंगे बल्कि पहले स्वयं को Section 41, CrPC के अनुसार संतुष्ट करेंगे कि गिरफ्तारी की
आवश्यकता है या नहीं।
2. ऐसे सभी पुलिस अफसरों को Section 41(1)(b)(ii) CrPC के अनुसार एक चैकलिस्ट उपलब्ध करवाई
जाएगी जिससे वे हर बार चैक करेंगे कि कानून का पालन हुआ है या नहीं।
3. ये सब पुलिस अफसर गिरफ्तार मुल्जिम के साथ साथ एक भरी हुई चैकलिस्ट मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करेंगे और
बताएँगे कि इस आरोपी को गिरफ्तार करना क्यों जरूरी था तथा यह भी कि इस आरोपी को जेल में रखना क्यों
जरूरी है।
4. मजिस्ट्रेट ऐसे मुल्जिम को जेल में रखने की अनुमति देते समय उस पुलिस अफसर की रिपोर्ट का देखेंगे और फिर
अपनी संतुष्टि होने के बाद ही उस मुल्जिम को जेल में भेजेंगे।
5. मुल्जिम को गिरफ्तार ना करने का निर्णय के स के शुरू होने से दो सप्ताह के भीतर भीतर मजिस्ट्रेट को भेज दिया
जाएगा हालाँकि यह समय Superintendent of Police के लिखित कारणों के आधार पर कु छ बढ़ाया भी
जा सकता है।
7. इन दिशा निर्देशों के पालन में असफल रहने पर संबंधित पुलिस अफसर विभागीय कारर्वाई का भागी होगा तथा
उसके साथ ही इस कोर्ट (अर्थात सुप्रीम कोर्ट) की अवमानना का दोषी भी होगा। यह अवमानना Contempt का
कार्रवाई संबंधित हाईकोर्ट के सामने चलेगी।
8. उपरोक्त कारणों को बिना विचार किए किसी आरोपी को जेल भेजने पर संबंधित Judicial Magistrate
मजिस्ट्रेट पर भी विभागीय कार्रवाई संबंधित हाइकोर्ट में चलाई जाएगी।
9. उपरोक्त दिशा निर्देश के वल Section 498-A IPC and Sec. 4 Dowry Prohibition Act के
के सेज पर लागू नहीं होंगे बल्कि उन सभी के सेज पर लागू होंगे जिनमें जुर्माने के बिना या जुर्माने के साथ सजा की
कु ल अवधि सात साल से कम होगी या जिसे सात साल तक किया जा सकता होगा।