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VIDEHA_KEDARNATH_CHAUDHARY_SPECIAL-41-80
VIDEHA_KEDARNATH_CHAUDHARY_SPECIAL-41-80
गीि गाऊ।
अपन सफलिाक आकलन अनका प्रति कएल से िासाँ नापू नणि की ओवह
िस्िुसाँ जे अहााँ अनका हावन पहुाँ चा कऽ प्राप्ि केने छी। धोखा दे नाइ खराप
गप तछयै् धोखा खे नाइ नवह। साक्षात्कार केना ले बाक चाही ओवहमे की की
आिकयक वबन्द्दु छै से अिकय सीखू। अफिाह सुनू मुदा अपना द्वदससाँ ओवहमे
कोनो िृत्रद्ध िा योगदान नवह दे ल करू। अपन बच्चाक तचन्द्िा िा भएपर ध्यान
दे ल करू। अपन माएक सां ग बहस नवह करू। सभटा सुनलाहा चीजपर विर्श्ास
नवह करू। अहााँ लग जिे क पाइ अतछ ओवहमे साँ वकछु बचा कए खचट करू।
बूढ़-पुरानक सां ग भर व्यिहार करू। बुराइ आ अन्द्यायकेँ कखनो बदाटस्ि नवह
करू। प्रशां सात्मक पिकेँ सम्हाररकेँ राखू। कोनो से मीनारमे भाषण दे लाक बादे
छपल भाषण वििररि करू। वबयाहक बादे साँ अपन बच्चाक त्रशक्षा ले ल पाइ
बचे नाइ शुरू कऽ द्वदअ। मािा-वपिा अपन बच्चाकेँ आत्मवनभटर रहनाइ सिटदा
त्रसखाबथु। अहााँ िखने मानत्रसक रूपसाँ स्ििां ि भऽ सकब जखन अपन
समस्याक समाधान ले ल दोसराक मुाँहिक्की नवह करब। वििाह िा बच्चाक
पोषण ओिे क भररगर चीज नवह छै क। जखन अहााँ हाँ सब िाँ स्ििः अहााँ सुन्द्दर
दे खा पड़ब, खूब हाँ सू।जाधरर अहााँ नि-नि काज नवह करब िाधरर नि-नि
चीज कोना सीखब? जे अहााँ कोनो काज वबना िुवटक करए चाहब िाँ ओ
काज कवहयो नवह भऽ सकि। कोनो खराप भे ल सम्बन्द्धकेँ सुधारबा ले ल
किबो दे री भे लाक बादो प्रयास करबाक चाही। मानिीय भािना कोनो काज
करबामे आ किबो कद्वठन पररस्स्थतिकेँ पार पएबामे सफल होएि। कोनो
मागटक,कोनो विचारक आ कोनो कायटक जानकारी ओवहपर आगााँ बढ़लासाँ
पिा चलि, ओवहपर बहस कएलासाँ नवह। एकटा दोस िै ह अतछ जे अहााँ क
सभ गुण-दुगुटणसाँ अिगि रहलाक बादो अहााँ केँ पत्रसन्द्न करै ि अतछ।
अपन ज्ञान आ अनुभिकेँ सिटदा बााँ टू आ अपन िाक्, कमट आ वनणटयमे हरदम
20 ||गजे न्द्र ठाकुर
नम्र रह। अहााँ क तमिक ले ल जे वकयो नीक शब्दक प्रयोग करै छतथ िाँ िकर
जनिब तमिकेँ अिकय कराऊ। जे अहााँ बुझने सही काज छै क िकरा अिकय
करू। पवहचान बनबए ले ल काज नवह करू िरन् िे हन काज करू जकरा लोक
चीन्न्द्ह सकए आ मोन राखए। जीिनक पै घ-पै घ पररििटन वबना कोनो चे िौनीक
अबै ि छै क। अपन बच्चाकेँ ई त्रसखाऊ जे कोनो व्यकक्िक कमीकेँ कम कऽ
कए नवह मूल्ाां कन करए। जे कोनो काज अहााँ करै छी िकरा मोनसाँ करू।
कोनो नाटक खिम भे लापर थोपड़ी बजबै मे सिटदा आगू रह। सोचू, ओवहपर
विर्श्ास करू, सपना दे खू आ ओकरा पूणट करबाक साहस राखू।
किा ८
ठाम पढ़ाइ-त्रलखाइमे लागल रहतथ रोजगारमे रहतथ मुदा ममिा गाबए गीिक
वनमाटिा घुतम कऽ दरभां गा अएलाह िाँ अपन समस्ि जीिनानुभि एवह दुनू
उपन्द्यासमे उिारर दे लन्न्द्ह। राजमोहन झासाँ एकटा साक्षात्कारमे हम एवह
सम्बन्द्धमे पुछने रवहयन्न्द्ह िाँ ओ कहने रहतथ जे वबना जीिनानुभिक रचना
सां भि नवह, णजनकर जीिनानुभि जिे क विस्िृि रहिन्न्द्ह से ओिे क बे शी
वित्रभन्द्निा आ नूिनिा आवन सकिाह। केदारनाथ चौधरीक "चमे ली रानी"
आ "माहुर" ई त्रसद्ध करै ि अतछ। चमे ली रानी वबक्रीक एकटा नि कीर्ििमान
बने लक। माि जनकपुरमे एकर ५०० प्रति वबका गे ल। ले खक "चमे ली
रानी"क समपटण - "ओवह समग्र मै तथली प्रेमीकेँ जे अपन सम्पूणट णजनगीमे
अपन कौंचा खचट कऽ मै तथली-भाषाक कोनो पोथी-पत्रिका वकनने होतथ"- केँ
करै ि छतथ, मुदा जखन अपार वबक्रीक बाद एवह पोथीक दोसर सां स्करण
२००७ मे एकर दोसर खण्ड "माहुर"क २००८ मे आबए साँ पूिटवह वनकालए
पड़लन्न्द्ह, िखन दोसर भागमे समपटण स्िां भ छोड़नाइये ले खककेँ श्रे यस्कर
बुझेलन्न्द्ह। एकर एकटा वित्रशष्टिा हमरा बुझबामे आएल २००८ केर अन्गन्द्िम
कालमे , जखन हररयाणाक उपमुख्यमां िी एक मास धरर वनपत्ता रहलाह, मुदा
राजनतयक वििशिाक अन्द्िगटि जाधरर ओ घुरर कऽ नवह अएलाह िािि
हुनकापर कोनो कायटिाही नवह कएल जा सकल। अपन गुलाब तमश्रजी िाँ
से हो अही राजनीतिक वििशिाक कारण वनपत्ता रहलोपर गद्दीपर बै सले
रहलाह्, क्यो हुनका हाँ टा नवह सकल। चाहे राज्यक सां चालनमे किे क झां झवट
वकएक नवह आएल होअए।
उपन्द्यासकार एकरा एवह ढां गसाँ सृणजि करै ि छतथ जे ना सभ िस्िुक हुनका
व्यकक्िगि अनुभि होइन्न्द्ह।
िकर बाद चमे ली रानीक िणटन अबै ि अतछ जे बरौनी ररफाइनरीक स्कूलमे
बोर्डिगमे पढ़ै ि छतथ आ एवह कनही मोद्वदयावनक बे टी छतथ। कनही
मोद्वदयावनक मृत्युक समय चमे ली रानी दसमाक परीक्षा पास कऽ ले ने छतथ।
भूखन ससिह चमे ली रानीक धमट वपिा छतथ। डकैिीक वििरणक सां ग
उपन्द्यासक पवहल भाग खिम भऽ जाइि अतछ।
ई चररि २००८ ई.क अरविन्द्द अवडगक बुकर पुरस्कारसाँ सम्मावनि अां ग्रेजी
उपन्द्यास "द ह्वाइट टाइगर"क बलराम हलिाइक चररि जे चाहक दोकानपर
काज करै ि द्वदल्लीमे एकटा धवनकक ड्राइिर बवन फेर ओकरा मारर स्ियां
धवनक बवन जाइि अतछ, साँ बे श तमलै ि अतछ आ चारर बरख पूिट ले खक एवह
चररिक वनमाटण कऽ चुकल छतथ। फेर के.जी.बी. एजे न्द्ट भाटाजीक आगमन
होइि अतछ जे उपन्द्यासक दोसर खण्ड "माहुर" धरर अपन उपस्स्थति बे श
प्रभािी रूपेँ रखबामे सफल होइि छतथ।
पााँ चम भागमे भुखन ससिहक रस्टक चरचा अतछ, चमे ली रानी अपन अड्डा छोवड़
बै द्यनाथ धाम चत्रल जाइि छतथ। आब चमे ली रानीक राजनीतिक महत्िाकाां क्षा
सोझााँ अबै ि अतछ। स्स्टां ग ऑपरे शन होइि अतछ आ गुलाब तमत्रसर घे रा जाइि
छतथ।
उपन्द्यासक छठम भाग मुख्यमां िीक वनपत्ता रहलाक उपरान्द्िो माि फैक्ट
फाइां टडिग कमे टी बनाओल जएबाक चरचा होएबाक अतछ, जे कोत्रलशन
पोत्रलवटक्सक वििशिापर वटप्पणी अतछ।
माहुरक चाररम भाग चमे ली रानी द्वारा अपन माए-बापक सां ग कएल गे ल
अत्याचारक बदला ले बाक िणटन दै ि अतछ, कैक हजार करोड़क सम्पत्रत्त
अएलासाँ चमे ली रानी सम्पन्द्न भऽ गे लीह।
माहुरक पााँ चम भाग राजनै तिक दााँ ि-पें च आ चमे ली रानीक दलक विजयसाँ
खिम होइि अतछ।
वििे चन: उपन्द्यासक बुजुटआ प्रारम्भक अछै ि एवहमे एिे क जवटलिा होइि
अतछ जे एवहमे प्रतिभाक नीक जकााँ परीक्षण होइि अतछ। उपन्द्यास विधाक
बुजुटआ आरम्भक कारण सिां िीजक "डॉन कक्िक्जोट", जे सिहम
शिाब्दीक प्रारम्भमे आवब गे ल रहए, केर अछै ि उपन्द्यास विधा उन्द्नैसम
विदे ह केदारनाथ चौधरी विशे षाां क || 25
शिाब्दीक आगमनसाँ माि वकछु समय पूिट गम्भीर स्िरूप प्राप्ि कऽ सकल।
उपन्द्यासमे िाद-वििाद-सम्िादसाँ उत्पन्द्न होइि अतछ वनबन्द्ध, युिक-युििीक
चररि अनै ि अतछ प्रेमाख्यान, लोक आ भूगोल दै ि अतछ िणटन इतिहासक,
आ िखन नीक- खराप चररिक कथा सोझााँ अबै ि अतछ। कखनो पाठककेँ ई
हाँ सबै ि अतछ, कखनो ओकरा उपदे श दै ि अतछ। माक्सटिाद उपन्द्यासक
सामाणजक यथाथटक ओकालति करै ि अतछ। फ्ायड सभ मनुक्खकेँ
रहस्यमयी मानै ि छतथ। ओ सावहश्त्यक कृतिकेँ सावहत्यकारक विश्ले षण ले ल
चुनैि छतथ िाँ नि फ्ायडिाद जै विकक बदला साां स्कृतिक ित्िक प्रधानिापर
जोर दै ि दे खबामे अबै ि छतथ। नि-समीक्षािाद कृतिक विस्िृि वििरणपर
आधाररि अतछ। एवह सभक सां ग जीिनानुभि से हो एक पक्षक होइि अतछ
आ िखन एिए दबाएल इच्छाक िृश्प्िक ले ल ले खक एकटा सां सारक रचना
कएलन्न्द्ह जावहमे पाठक यथाथट आ काल्पवनकिाक बीचक आवड़-धूरपर
चलै ि अतछ।
किा ९
साकेतानन्द्द प्रकरि
http://saketanands.blogspot.com/2009/11/blog-
post_12.html
ओ त्रलखै ि छतथ:
सबसबाय लगै ि छै , िवहना वकछु ले खको होइ छवन। कवहया कि' दू_चारर
टा रचनाक की चचाट भे लवन, बस भ' गे ला स्थावपि । िवहया स' जाँ कोनो
सावहश्त्यक मां च नज़रर एलवन, वक कुसी हतथये बालय िृिोश्ष्म भे टिा। पटना
मे मुन्द्नतिद पुस्िक मे ला मे नामिर सां गे आलोकधन्द्िा के बै सल दे न्ख लागल
जे ले खन आ सावहत्यक राजनीति, दुनू दू छोरक चीज छै क, जे एक सां गे भै ये
ने सकैि अतछ। मै तथलीमे एखन िक अपन माां वटि उदारिा, अयाचीिृत्रत्तक
तछकार छै के। एखनो वबना विचारने _त्रसचारने , जे ई के छापि आ वक िह स'
बवढ क' जे एकरा के पढि ? लोक त्रलखै ये, त्रलन्खिे जारहल अतछ।
हमरा जनै ि पढै क िस्िु( कोन आ केहे न ?) भे टिै ि' लोक पढबे करिै ।
किा १०
ई कोनो किा नै
खास कऽ रां गमां च आ वफल्मक नामपर टण्डे ली मारर रहल लोक सभसाँ ।
भ्रमरजीक िाँ सी.डी.ये लोक अपन नामसाँ वनकलबा ले लक। सएह हाल
सावहत्योमे छै ।
जाँ उपरका कथा सभ अहााँ केँ त्रसहरे लक िाँ समानान्द्िर धाराक सां ग चत्रल पड़ू
आ जाँ से नै िाँ हमर प्रयास जारी रहि, आ िइ ले ल विशे षाां क सभ वनकलै ि
रहि।
निम्बर 2021 केँ विदे ह "केदारनाथ चौधरी विशे षाां क" प्रकात्रशि करबाक
सािटजवनक घोषणा केलक आ प्रस्िुि अतछ ई विशे षाां क। एवह सूचनाकेँ एवह
सलिकपर दे न्ख सकैि छी-घोषणा।
केदारनाथ चौधरी मै तथलीमे एहन नाम छतथ णजनका लग गां भीरिा से हो छवन
आ लोकतप्रयिा से हो। लोकतप्रयिा िे हन जे वहनका तछटकी मारबाक
ले ल 2004 साँ धरर एखन धरर बारर दे ल गे ल (अपिादमे प्रबोध सावहत्य
सम्मान ओ एक-दू स्थानीय सम्मान समारोह मानू)।
पाठक जखन एवह विशे षाां ककेँ पढ़िाह िाँ हुनका ििटनी ओ मानकिाक अभाि
लगिवन। ििटनीक गलिी जे तथक से सोझे -सोझ हमर सभहक गलिी तथक
जे हम सभ सां शोधन नै कऽ सकलहुाँ मुदा ई धे आन रखबाक बाि जे विदे ह
शुरुएसाँ हरे क ििटनी बला ले खककेँ स्िीकार करै ि एलै ए। िाँ इ मानकिा
अभाि स्िाभाविक। एकर बादो बहुि ििटनीक गलिी रहल गे ल अतछ जे वक
हमरे सभहक गलिी अतछ। मै तथलीमे वकछु ए एहन पत्रिका अतछ जकर ििटनी
एकरां गक रहै ि अतछ आ ई हुनक खूबी छवन मुदा जखन ओहो सभ कोनो
विशे षाां क वनकालै छतथ िखन ििटनी िाँ ठीक रहै ि छवन मुदा सामग्री
अतधकाां शिः बत्रसये रहै ि छवन। ऐतिहात्रसकिाक दृतष्टसाँ कोनो पुरान सामग्रीक
उपयोग िर्जिि नै छै मुदा सोतचयौ जे 72-80 पन्द्नाक कोनो प्प्रिट पत्रिका
होइि छै िावहमे लगभग आधा सामग्री साभार रहै ि छवन, िे सर भागमे ले खक
केर वकछु रचना रहै ि छवन आ चाररम भागमे वकछु नि सामग्री रहै ि छवन।
मुदा हमरा लोकवन नि सामग्रीपर बे सी जोर दै ि तछयै । एकर मिलब ई नवह
जे ििटनीमे गलिी होइि रहै । हमर कहबाक मिलब ई जे सां पादक-सां योजककेँ
कोनो ने कोनो स्िरपर समझौिा करहे पड़ै ि छै से चाहे ििटनीक हो वक, मुराक
हो वक विचारधारक हो वक सामग्रीक हो। हमरा लोकवन ििटनीक स्िरपर
30 ||गजे न्द्र ठाकुर
उम्मे द अतछ जे पाठक विदे हक आने विशे षाां क जकााँ एकरा पढ़िाह आ पवढ़
एकर नीक-बे जाएपर अपन सुझाि दे िाह। विदे ह अरविन्द्द ठाकुर विशे षाां क
केर पोथी रूप "स्ििां िचे िा" केर नामसाँ प्रकात्रशि भे ल उम्मे द जे भविष्यमे
केदारनाथ चौधरीजीपर केंवरि एवह विशे षाां क केर पोथी रूप से हो आएि।
विदे ह द्वारा "जीबै ि मुदा उपे णक्षि" शृखां लामे प्रकात्रशि भे ल आन विशे षाां क
सभहक त्रलस्ट एना अतछ (एवहठाम जे अां कक त्रलस्ट दे ल गे ल अतछ िावह
अां कपर ल्क्लक करबै िाँ ओ अां क खुणज जाएि)-
1) अरविन्द्द ठाकुर विशे षाां क 189 म अां क 1 निम्बर 2015 (ई
विशे षाां क 2020 मे पोथी रूपमे से हो आएल अतछ(
2) जगदीश चन्द्र ठाकुर अवनल विशे षाां क 191 म अां क 1 द्वदसम्बर 2015
3) रामलोचन ठाकुर विशे षाां क 319म अां क
4) राजनन्द्दन लाल दास विशे षाां क 333म अां क
5) रिीन्द्र नाथ ठाकुर विशे षाां क 15 जून 2022
एवहठाम प्रस्िुि अतछ केदारनाथ चौधरीजीक सां णक्षप्ि पररचय। एवह पररचयक
अतधकाां श ि्य अरविन्द्द गुप्िाजी एिां कामे र्श्र चौधरीजीसाँ भे टल अतछ।
विशे ष पररचय- मै तथलीक पवहल वफल्म 'ममिा गाबय गीि' केर वनमाटिा
द्वयमे साँ एकटा वनमाटिा छतथ केदारनाथ चौधरी आ दोसर मदनमोहन दास।
बादमे आर्थिक मजबूरीिश िे सर सहवनमाटिा भे लन्खन उदयभानु ससिह।
त्रशक्षा- 1958 ई.मे अथटशास्िमे स्नािकोत्तर, 1959 ई.मे लॉ। 1969 ई.मे
कैत्रलफोर्निया वि.वि.साँ अथटस्थास्ि मे स्नािकोत्तर, 1971 ई.मे माकेटटिग एां ड
वडस्रीब्यूशन विषयमे गोल्डे न गे ट यूवनिर्सिटी, सानफ्ाां त्रसस्को, USA साँ
एम.बी.ए., 1978मे भारि आगमन। 1981-86क बीच िे हरान आ
प्रौंकफुिटमे। फेर बम्बई, पुणे होइि ररटायरमें टक बाद 2000 साँ
लहे ररयासराय, दरभां गामे वनिास।
ििटमान पिा- वहडे न काटे ज, बां गाली टोला, लहे ररयासराय, दरभां गा-
846001
ऐ रचनापर अपन
मां तव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।
34 ||गजे न्द्र ठाकुर
"अबारा नवहिन" पोथीक माध्यमसाँ अपन सां घषटक एहन रोचक वििरण
दे लवन अतछ,जे एकहु क्षण ले ल पाठकक मोन द्वदक नवह भ' सकैि अतछ,जे
ई की अपन दुखनामा त्रलन्ख क' प्रकात्रशि करा ले लवन अतछ ले खक।
सां स्मरणात्मक उपन्द्यास रवहिहुाँ , एवह उपन्द्यासमे सभ ित्िक समािे श
अतछ,जे एक टा उपन्द्यास विधाक ररक्िायरमें ट होइि छै । माने गामसाँ
ल' क' शहर धररक सामाणजक पररस्स्थतिक तचिण,ओवह समयक
राजनीतिक पररस्स्थति,गाम घरक आपसी
36 ||गजे न्द्र ठाकुर
मै तथल समाजक सिटश्रेष्ठ उपातध "अबारा नवहिन" ग्रहण क' आ अपन मान-
सम्मान एिां अत्रभमानकेँ थुरी-थुरी होइि दे न्ख,जखन ले खक आ हुनकर तमि
मदन भाइ कलकत्तासाँ आपस दरभां गा एबाक वनश्चय केलवन,िखन वनन्श्चि
विदे ह केदारनाथ चौधरी विशे षाां क || 37
इएह फकड़ा मोनमे आएल हे िवन "इएह गूड़ खे ने,कान छे दौने ।" जखन वक
मै तथली भाषामे वफल्म बना क' लाभ होएि, यश भे टि आकी मै तथल
समुदायक बीच प्रशां साक पाि बनब,िावह द्वदश वहनका लोकवनक ध्यान गे ले
नवह रहवन।माि मै तथली भाषाक रक्षाथट वफल्म बने बाक आयोजन कएने
रहतथ,जे ना वक ले खक त्रलखलवन अतछ एवह उपन्द्यासमे । एवह पोथीमे
मै तथलीक पवहल त्रसने माक वनमाटण-यािाक बहन्द्ने मै तथल समाजमे यि-िि
उपलब्ध पां वडि, बुतधआर,बुत्रद्धजीिी,विद्वान, जे कहल जाए,िवनकर सभक
मानत्रसकिाक सटीक आ वनभीक तचिण से हो कएल गे ल अतछ। उपन्द्यासक
मुख्य पाि महां थ मदन मोहन दास जीक मुहेँ कहल गे ल िक्िव्य दे खल जा
सकैछ-"तमतथलामे पां वडि छतथ,बुतधआर छतथ,बुत्रद्धजीिी छतथ,मुदा सभटा
विद्वान एकटा खास सां भ्राां ि जातिक छतथ। सभहक दुआररपर अहां कारक माला
टााँ गल छवन। ओ भाषण दे बामे कुशल छतथ, कवििा कर'मे वनपुण छतथ, कथा
त्रलख'मे पटु छतथ आ आन आन गुणसाँ से हो विभूवषि छतथ। मुदा िमाम
पां वडिक बीच प्रतिस्पधाट छवन। वकयो वकनकोसाँ छोट नवह।सभटा पां वडिकेँ एक
मां चपर आनब असां भि। एक दोसराक आलोचना करै ि करै ि अपन अपन
अलग अलग मां डली बना क' अपन त्रभिरका इखाटक पूजे टा क' रहल छतथ।
आब विचाररयौ जे एवह ठामक पां वडिक एहन स्िभाि वकएक छवन।एकर
जिाब अतछ जे अत्यतधक सां स्कारी,अत्यतधक पाां वडत्य एहन विरल स्िभािकेँ
जन्द्म दै ि अतछ। ित्रशष्ठ एिां विर्श्ातमि दुनूक िकट वििकट आ एक दोसराकेँ
पछाड़ै क जन्द्मजाि प्रिृत्रत्त। िकरे प्रतिफल अतछ जे सभटा पां वडि अपन अपन
अहां कारक ओढ़नामे नुकाएल छतथ। तमतथलाक पाां वडत्य फूल नवह कााँ ट बवन
गे लैए। ई कााँ ट जाबे िक अवगला पााँ िमे बनल रहिै क,विद्यापति समारोह होइि
रहिै क। मुदा तमतथलाक सामाणजक, आर्थिक एिां राजनीतिक प्रगतिमे
मुख्यिः की बाधक छै क, िकर सही सही जानकारी कवहयो नवह भे टिै ।"
38 ||गजे न्द्र ठाकुर
मै तथली भाषाक ई स्स्थति दुखद। एवह भाषाक अपन त्रलवप छै ,अपन व्याकरण
छै आ सभसाँ पै घ विद्यापति सन महान कविक आशीिाटद छै क। मै तथली
भाषाकेँ ई साम्यट छै क जे ओ तमतथलाक सां स्कृति, सभयिा एिां परम्पराकेँ
अक्ष ण्ण रान्ख सकैि अतछ। मुदा ई िाक्पटु िासाँ नवह किटव्यपटु िासाँ सां भि
होएि। मै तथल आ तमतथलासाँ जे ना मोन टू वट गे ल छवन ले खककेँ, िकर कारण
से हो छै । एकठाम ले खक कहै ि छतथ,"तमतथलामे बहुि िरहक गुण
छै क,जावहमे प्रधान अतछ आलस्यक साम्राज्य। एिुक्का समस्याक वनदान
ले ल विष्णषकेँ नवह,महादे िकेँ अििार त्रलअ' पड़िवन।िाां डि नृत्य
विदे ह केदारनाथ चौधरी विशे षाां क || 41
कर' पड़िवन।" पोथीमे किे को ठाम तमतथलाक दुगुटण सभकेँ वनस्सां कोच
दे खार करै ि प्रसां ग सभ आएल अतछ। त्रभन्द्न त्रभन्द्न पािक चररि तचिण करै ि
मै तथल लोक सभक वनम्नस्िरीय मानत्रसकिाकेँ दे खार कएल गे ल अतछ। बे सी
लोक अपन स्िाथट त्रसत्रद्धमे लागल अतछ,जे दुभाटलयपूणट।
वकछु विचार, स्ियां हीरो बनी, प्रायः पवहने साँ सां तचि रहवन,जे अनुकूल समय
दे न्ख मुखररि भ' गे लवन।
मै तथली प्रेम रोगसाँ िशीभूि भ' मै तथली वफल्म वनमाटणक डे ग उठाएब बहुि
सहासक काज छलवन ले खकक मुदा वफल्म वनमाटण एिां वफल्म वििरणक
पयाटप्ि जानकारीक वबना अति उत्साहमे आवब वफल्म वनमाटण प्रारम्भ करब
एकटा व्यािहाररक िुवट भे लवन ले खकक। जकर नोकसान डे ग डे गपर उठबए
44 ||गजे न्द्र ठाकुर
मुदा मै तथल समाज ले ल धवन सन। २०१२ ई.मे एवह पोथीक प्रथम सां स्करण
प्रकात्रशि भे ल अतछ। एवह दस बखटमे ले खकक प्रकनपर केओ कान-बाि
धरएबला नवह भे लवन, से दुखद।
ऐ रचनापर अपन
मां तव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।
विदे ह केदारनाथ चौधरी विशे षाां क || 45
अग्रिाल जीक स्मृति में केदार शोध पीठ के द्वारा दे ल जाइि अतछ l ई सम्मान
प्रति िषट भे टय बला एक प्रमुख सावहश्त्यक सम्मान अतछ l ई सावहत्य सम्मान
सृजनक उत्कृष्टिा केँ रे खाां वकि करिा हे िु केदारनाथ अग्रिाल जी क परम्परा
में लोकिाां त्रिक, प्रगतिशील, आधुवनक, वििे कसम्मि, िै ज्ञावनक प्चििन के
पक्षधर, सृजनकार के प्रदान कएल जाइि अतछ l
केदारबाबू अपन उपन्द्यासक द्वारा सद्वदखन स्मृति में रहिाह l वहनक
उपन्द्यासक सृजन नि पीढ़ी के दृतष्टगि रान्ख कएल गे ल अतछ l केदारबाबू
अपन उपन्द्यासक द्वारा मै तथली सावहत्य के नि द्वदशा दे लवन l यै ह कारण अतछ
जे "प्रबोध सम्मान "साँ s सम्मावनि वहनक कृतिक पुन :प्रकाशन ने शनल बुक
रस्ट साँ s भs रहल अतछ l ई मै तथली सावहत्य एिां सम्पूणट तमतथलाञ्चलक हे िु
गौरिक विषय अतछ l
ऐ रचनापर अपन
मां तव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।
48 ||गजे न्द्र ठाकुर
'हीना'क(वहना) शान्गब्दक अथट होइि छै क में हदी। में हदी आ प्रेमक िुलना
अत्यन्द्ि स्िाभाविक- पीसै ि कालहुमे में हदीक सुगन्गन्द्ध िािािरणमे पसरर
जाइि छै क,में हदी जकााँ प्रेमोक रां ग धीरे धीरे चढ़ै ि प्रगाढ़ होइि छै क। ओएह
में हदी जखन हाथ पर रचाओल जाइि छै क,हाथक शोभा अद्वद्विीय भए जाइि
छै क ,िवहना प्रेमक अनुभूति आ आस्िाद जीिनकेँ सुन्द्दर बनबै ि
छै क,परमानन्द्दक भूतममे ल' जाइि छै क।
प्रेमानुभूतिक प्रबल िे गसिॅं उद्दीवपि त्रशि कुमार आ वहना िै िावहक बां धनमे बन्द्हा
ि' जाइि छतथ, मुदा ओ दुन्द्नू वबसरर गे ल छलाह सामाणजक
अनुशासन, जाथत- धममक सुदृढ़ प्राचीर, उथचत- अनुथचतक
समाज- स्िीकृत मापदां ड! पररणामो स्िाभाविके! जाही क्षण धमटक बाह्य
आिरणकेँ चरम-परम कृत्य मानवनहार त्रशबूक वपिाकेँ सत्यक पिा
चललवन,पुकि दर पुस्िक सां तचि सां स्कार आ विर्श्ाससिॅं उपार्जिि अहां कार पर
िज्रपाि भे लवन ।ओ ित्क्षण पुिकेँ शरीर- स्पशटक अतधकारसिॅं िां तचि कए
प्राण त्यावग दै ि छतथ।आब सां गीिक मधुर- मोहक- कोमल दुवनयाां मे रहवनहार
सामाणजक- व्यिहार- ज्ञान-शून्द्य त्रशबूकेँ अचक्के लागल यथाथटक कठोर
आघाि सवह नवहिॅं होइि छवन , ओ विधनाक वनमटम वनष्करुण वनणटय
दे न्ख हिबुत्रद्ध भए किौ वनरुद्देकय बहरा जाइि छतथ!
50 ||गजे न्द्र ठाकुर
" मे हृदयां ते हृदये वनदधावन' अथाटि् ह'म अपन हृदय अहााँ क हृदयमे रखै ि
छी-जखन मम-परक भे दे थतरोवित ,तखन केिन पािमक्य?
कहल जाइि छै क िे दना सां गीिक उत्स होइि छै क।क्रौञ्च युगलमे सिॅं एकटाक
िध आ दोसरक करुण चीत्कार
प्रेमक पराकाष्ठा आ अनन्द्ि प्रिीक्षाक प्रिीक एवह अनाम अपूणट प्रेमक साक्षी
छलतथ माि दू गोट व्यकक्ि- ठक्कन- यानी मात्रलक बाबा आ कल्लू!
प्रे म प्रात्प्तक ल्स्िथतमे सां कुथचत भ' जाइत अथछ मुदा विप्रलम्भमे ओएि
प्रे मक व्यात्प्त सीमािीन भए जाइत छै क,ओ सभिक भए जाइत
छै क,सभिक कल्यािक कारि बनै त छै क।
52 ||गजे न्द्र ठाकुर
चमे ली रानी
कथा कीिटमुखक पररिार िणटनसाँ प्रारां भ होइि अतछ। कीिटमुखक पत्नी छत्रल
शनीचरी। अां ग्रेज हावकम डन्द्सफोडटक रखै लक बे टी छलै सुनयना, ओकर बे टी
छलै शनीचरी। ओवह शनीचरीकेँ तचनगारीजी माने सोल्स्लस्ट पाटीक सदस्य
जे बादमे ने िा आ मां िी भे लाह अपन तप्रय मोद्वदयाइनक ओवहठाम ओकरा
आवन रखलवन ओ मोद्वदयाइन शनीचरीकेँ तचनगारीजीक ले ल जुगिा कऽ
रखबाक ले ल गां गा कािसाँ आवन कीिटमुखकेँ वबयावह दे लकै जकरामे
54 ||गजे न्द्र ठाकुर
पुरुषत्िक अभाि रहै । जखन तचनगारी मां िी बवन मोद्वदयाइन लग एलाह िाँ
ओ मोद्वदयाइन स्पष्ट कहलकवन-"गां गा कािसाँ एकटा मनुक्खकेँ आवन जकर
नाम छै कीिटमुख, शनीचरीक वबयाह करा दे त्रलयै । आन्खर समाजसाँ , लोक-
लाजसाँ अहााँ क रक्षा करब आिकयक छल। कीिटमुखकेँ सहिास करबाक लूवड़
नवह छै क। सनीचरीसाँ बच्चा अहााँ जन्द्माउ आओर बाप रहि
कीिटमुख।" तचनगारीजी बे सी द्वदन नवह टीवक सकलाह। रोगी भऽ मरर गे लाह
आ शनीचरी आजाद भऽ गे त्रल। मोद्वदयाइनक आमदनी बवढ़ गे लै। एवह क्रममे
ओकरा पााँ च टा बे टा भे लै-युतधतष्ठर, भीम, अजुटन, सहदे ि आ नकुल। नकुलक
जन्द्मकाल शनीचरी मरर गे त्रल। हम्मर मोद्वदयाइनक एक माि
बे टी 'चमे ली' हाइिे पर फैलसाँ घर बने लक। ओकर धमटवपिा नामी डकैि
भुखन ससिहक अत्रभभािकत्ि ओकरा भे टल छलै । ओ पढ़त्रल -त्रलखत्रल छत्रल।
फटाफट अां ग्रेजी बजै िाली, िे जिराटर आ मुाँहफट। ओकरे इशारापर भूखन
ससिहक गौं ग नचै ि छल। अही चमे ली रानीक ने िृत्िमे उक्ि उपन्द्यासक कथा
आगू बढ़ै ि अतछ।
उपन्द्यास चमे ली रानी वगरह द्वारा सां पूणट राज्यमे जाल वबछा पूाँजीपतिकेँ लूटल
जाइि अतछ ओकर िणटन बहुि रोचक ढां गसाँ कएल गे ल अतछ, एवह वगरोहमे
स्िी-पुरुष दूनू अतछ। दूनू भे ष बदत्रल जावह रूपे मालदार यािी ओ मालदार
भ्रष्ट ने िाकेँ लुटैि अतछ ओ अद्भि
ष नाटकीय ढां गसाँ कथाकेँ पुष्ट करै ि, रोचकिा
भरै ि आगू बढ़ै ि अतछ।
डकैिक वगरह अपन डकैिी क्रममे किे को टहिसा ओ क्रूरिम काजकेँ अां जाम
विदे ह केदारनाथ चौधरी विशे षाां क || 55
दै ि आगू बढ़ै ि अतछ टकििु आश्चयट िखन लगै ि अतछ जे वगरहक नातयका एहन
व्यकक्िक चुनाि अपन पतिक रूपमे करै ि अतछ जकरा लग सां िेदना छै क।
अजुटन पवहले द्वदन चमे ली रानीक आह्वानपर ओवह वगरोहमे सम्मत्रलि भऽ रे नमे
डकैिी करै ि अतछ, ओवह लूटक क्रममे एकटा सोहावगन स्िीक विनिी
कएलापर जे मां गलसूि ओकर सोहागक वनशानी तछयै क, एकरा नवह तछनय।
अजुटन ओवह स्िीक सां िेदनासाँ सां िेद्वदि भऽ ओकर मां गलसूि नवह छीनै ि छै क।
ई बाि चमे ली रानी बुझैि अतछ। ओ दूर रहै ि सभक कायट पिा रखै ि अतछ।
ओना ओ अजुटनकेँ कहै ि अतछ जे एवह िरहक कमजोर व्यकक्ि टहिसा नवह कऽ
सकैि अतछ आ िें ओकरा आगू कोनो िरहे केकरो हत्या करबाक भार नवह
दे ल जाएि, कारण डकैिकेँ कोनो िरहक सां िेदना नवह राखक चाही। टकििु
वििाह करै ि अतछ ओही अजुटनसाँ ।
सां पूणट उपन्द्यासमे दे खाओल गे लैए जे डकैि वगरोहक बीच एक-दोसरक प्रति
िएह स्ने ह-प्रेम छै क जे कोनो पररिारमे एक-दोसराक बीच रहै ि छै क। अपन
नायक प्रति, तमिक प्रति ओ अपन कायट प्रति अद्भि
ष -अद्भि
ष वनष्ठा ओ प्रेम
छै क। ओवह वगरहक बीच कोनो िरहक विर्श्ासघािक जगह नवह छै क।
पन्द्ना, दोसर वगरहक सरदार, कोनो हालतिमे भूखन त्रसमहक अधलाह नवह
करि। वकएक िाँ ओ ओकर तमि तथक। भले ओकर वगरहो फूटै छै । टकििु
राजनीतिमे ककरो प्रति कोनो सां िेदना नवह छै क। ओवहठाम माि कुसी
महत्िपूणट छै क आ महत्िपूणट छै क ओकर कोनो लाभ अां श।
आ नाां गटनाथकेँ रे नमे लुवट हत्या कऽ दै ि अतछ िखन गुलाब तमत्रसरक क्रोध
असमान छू बए लगै ि अतछ, आ ओ कोनो हालतिमे भूखन ससिहकेँ मारर दे बए
चाहै ि छतथ आ एवह ले ल दोसर वगरोहक सरदार पन्द्नासाँ भे ट करै ि अतछ आ
ओकरा आदे श करै ि छतथ जे भूखन ससिहकेँ मारर दे तथ। टकििु पन्द्ना नवह मानै ि
अतछ, ओक कहै ि अतछ- "गलि, भूखन ससिह मे रा बड़ा भाइ जै सा है । भूकन
भाइ का राजनीति से कोई ले ना-दे ना नहीं है । िुम्हारा इन्द्टेत्रलजे न्द्स गोबर टीम
है । िुम्हारे कहने से मौं अपने दे ििा समान भाइ की हत्या नहीं कर सकिा"।
राजसत्तापर बै सल लोककेँ सिि कोनो गतिवितधसाँ ओकरा पवहने राजसत्ते पर
खिरा बुझाइि छै क। चमे ली रानी द्वारा हुनक सहयोगीपर हमलाकेँ ओ अपन
कुसीपर अबै ि खिरा बुझै छतथ आ हुनका अथाटि गुलाब तमत्रसरकेँ पन्द्नाकेँ
वकछु कहबाक साहस नवह होइि छवन टकििु पन्द्नाक बाडीगाडट ध्रष िा केर बे टीक
अपहरण करबा ध्रष िासाँ कहै ि छतथ जे जाँ ओ छलसाँ जहर दऽ भूखन ससिहकेँ
नवह मारि िाँ ओकर बे टीकेँ मारर दे ल जे िै। आ पन्द्नासाँ जखन भूखन ससिह भे ट
करए अबै ि अतछ िाँ ध्रष िा ओकर शराबमे जहर तमला दै ि छै क। भूखन ससिह
िुरांि बूणझ जाइए आ ब्रजनाथकेँ कवह कवह ओिएसाँ विदा होइए। ओकर
बाडीगाडट ब्रजनाथ ओकरा बाद पहुाँ तच उिारै ि अतछ आ भूखन ससिह अपन
इच्छाइ टे प कऽ ब्रजनाथकेँ दै ि कहै ि छै क जे ई टे प ओ टे प चमे ली रानीकेँ
सुना दै क। पन्द्ना आश्चयटचवकि भऽ ध्रष िासाँ सभटा बाि बुणझ ओकर हत्या कऽ
दै ि अतछ।
चमे ली रानी अपन धमटवपिाक हत्यासाँ बहुि हिाश होइि अतछ टकििु पन्द्नाक
अत्रभभािकत्िमे आगा बढ़ै ि अतछ आ ििबा समधावन कऽ आगू बढ़ै ि अतछ
जे धूिाटिाकेँ धूिटिासाँ कटै ि सां पूणट प्रदे शमे पन्द्नाक वनदे शनमे जाल वबछा
गुलाब तमत्रसरक सत्तापर चुनािक माध्यमे पहुाँ तच जाइि अतछ। उपन्द्यासक
कथामे गुलाब तमत्रसरक अपहरण होइि अतछ, ओ अज्ञािमे चल जाइि
छतथ ,ओवह अज्ञािक पदाटसाँ बहराइ नवह छतथ िकर कारण स्पष्ट नवह होइि
विदे ह केदारनाथ चौधरी विशे षाां क || 57
अतछ। हमरा जनै ि खुजल मै दानमे गुलाब तमत्रसरकेँ पदच्युि करबासाँ पाठक
लग पारदशी सां िाद पहुाँ चैि से नवह भऽ पबै ि अतछ। ओ चमे ली रानी जनिाक
शोषण विरुद्ध अपन गतिकेँ रखै ि राजनीतिसाँ राजनीतिक धूिटिा कए कऽ
विजय प्राप्ि करै ि अतछ जे स्प्षट कहै ि अतछ जे राजनीतिमे केकरो धूिटिा
वबना परास्ि नवह कएल जा सकैए। उपन्द्यासक उक्ि दृतष्ट हमरा जनै ि
लोकपक्षीय नवह भऽ पबै ए कारण कोनो चक्रचात्रल िा षड्यां ि लोकवहिमे नवह
भऽ सकैए चाहे उपरसाँ ओ जे लागए िाँ इ उक्ि उपन्द्यास यथास्स्थतिक पररचय
िाँ दै ि अतछ टकििु पाठककेँ वनर्ििकार-पथक प्रेरणा दे बामे पाछू रवह जाइि
अतछ।
मै तथली भाषामे कोनो दै वनक पि-पत्रिका बे सी द्वदन वटकल भले वकछु -वकछु
द्वदनपर पुनः-पुनः नि दै वनक पि बहराइि रहलै ए। उक्ि पि सभ वनन्श्चि
रूपसाँ भाषा प्रेमक प्रिीक तथक, टकििु ओकर बां द होएब स्पष्ट कहै ि अतछ जे
तमतथला भूतमपर एखन िक भाषाक ले ल लोक जागरण नवह भे लैए।
िारणहार के अतछ। एक बे र यद्वद जनिा िारणहार बुणझ गे ल िाँ अहााँ केँ छोड़ि
नवह। जे ना पवहने गुलाब तमत्रसरकेँ बुझै छल बादमे चमे ली रानीकेँ बूझए
लागल।
उक्ि सभ बाि अपन कथा प्रसां गसाँ कहै ि उपन्द्यास आजुक भ्रष्ट शासन िां ि
ओ जनिाक कोमल मानत्रसकिापर ओकर प्रभािकेँ स्पष्ट रूपे स्पष्ट करै ि
आजुक समयक भयािहिासाँ पररचय करबै ि छतथ जे महत्िपूणट अतछ।
गुलाब तमत्रसर अनाथालयसाँ सुपथपर आगू अबै ि िाँ वनन्श्चि रूपसाँ पाठककेँ
नि सने स भे वटिै क मुदा से नवह भऽ पबै ि अतछ िकर कारणो स्पष्ट अतछ जे
एवह उपन्द्यासक मुख्य उद्ये कय आजुक समयक भ्रष्ट स्स्थतिकेँ अनबाक अतछ
जावहमे उपन्द्यासकेँ बहुि हद िक सफल कहबाक चाही।