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VIDEHA_RAJNANDAN_SPECIAL-71-105
VIDEHA_RAJNANDAN_SPECIAL-71-105
चन्रे श
सं स्मरर्- माछक रस
कंचन कण्ठ
त वह सँ आत्मविश्व स प्रबल भे ल।
*कण शमृत* में समय नुस र सभ विषय के समे वकत स्थ न भे टल अछि। च हे
ओ स्िी विमशश हो ि वक ददिां गत स वहत्त्यक व्यक्ततत्ि सभसँ सां बांछित
विशे ष ां क! ओ अने क ने क मै छथली सां ग सां बद्ध आयोजन सभक अध्यक्षत क
चुकल ह। मै छथली के दश ददश आ उत्थ न-पतनक ओ एकट सशतत गि ह
िछथ।
सम्म न ि िषश:
#कणशछप्रय#समन्द्िय,# अरुणोदय,#सृजनोन्द्मुि#
सदीन म ,*स्पशश:च तुम शत्रसक पत्रिक *#स ां झ सां ग्रह: िो दे िती र हें ,
#स ां झ सां ग्रह: छमछथल क सां स्कृछत
#ब्ल गर@bejodindia,
#ब्ल गर@mithilani.in
#विदे ह@videh.in
Mo:-9175059970
लक्ष्मर् झा ’सागर’
ग ि गोनौन, घनश्य मपुर के सभ् ां त सां युतत पररि र में भे लखन्द्ह I गोनौनक
प्रत्रसद्ध दुग श स्थ न म म क पुरि लोकवन द्व र स्थ वपत अछि I आइ जिन
सां युतत पररि र लगभग एक पररकहपन म ि रवह गे ल िै क, हमर मत्रिक
पररि र एिनो सां युतत पररि र िै क. परस्पर प्रेम आ प ररि ररक मय शद
आइयो परम्पर गत िै क जे कर पूनश श्रे य म म श्री र जनां दन ब बू के िखन्द्ह.
समग्र रुपे न पररि र के आपसी प्रेम आ सद्भ िन क सां ग हुनकर ने त्रित्ि
अनुकरनीय िखन्द्ह. अगर सम ज एवह गुणक अनुकरण करय त सम ज में
वनखित प ररि ररक स्ने ह, प्रेम आ सद्भ ि प्रछतस्थ वपत भ ज यत.
प ररि ररक जजम्मे द री वकशोरे िस्थ में आवब गे लखन्द्ह. ओवह क ल में कोलकत
मह नगर रद्योवगक दृष्ट स बर समृद्ध रहै क आ वबह रक लोक के जजविक क
स िन उप्लब्ि हे ब क अिसर भे टैत रहै क. पां डोल ह इ स्कूल स मै वरक प स
केल क ब द म म श्री र जनां दन ब बू कोलकत आवब गे ल ह आ र जें र
ि ि ब स, क ले ज स्रीट में अन्द्य वबह री ि ि सबहक सां ग रहय लगल ह.
ट्यश
ू नक कम इ स विद्य स गर क ले ज में न म त्रलि त्रशक्ष आरम्भ केलखन्द्ह.
कह्ब क आिश्यतत नवह जे एवह में कोनो आर्थिंक सह्जोग पररि रक नवह
िलखन्द्ह. ददन में ट्यूशन, सां ध्य में क ले ज तल स . अथ े प जशनक म ध्यम म ि
ट्यश
ू न ज वह स अपन आ प ररि ररक द छयत्िक दुनूक वनबशहन करै त िल ह.
विद्य स गर क ले जक चप्रिंत्रसपल अत्यां त सविदय आ मे ि िी ि िक परम
वहतै षी आ सह्योगी िल ह. कोलकत विश्वविदय लय स र जनीछत श स्ि मे
एम.ए. वडग्री प्र प्त केल उपर ां त कोलकत विश्वविद्य लय के स्कूल ओफ
वबजजने स मैं नेजमै ट स से हस मै नेजमै ट एां ड म केट रीसचश में वडप्लोम ह त्रसल
केलवन. तुरतवह एक प्रछतछष्ठत वनजी कांस्ितसन इक़ुइप्मेंत कम्पनी में से हस
आवफसरक नौकरी प्र रम्भ केलवन. र जें र ि ि ब स में अछिक ां श मै छथल ि ि
रहै त िल ह. शै तिवनक पररचच शक अछतररतत मै छथली भ ष क उन्द्नयन आ
स म जजक चे तन क विक स पर से हो चच श होइते रहै त िल जे म म श्री
र जनां दन ब बू के छमछथल क सां स्कृछत आ मै छथली भ ष के उन्द्नयन आ
विदे ह राजनन्दन लाल दास विशे ष ां क || 71
क रण स नवह भ सकल पकिंतु ओ हमर सतत प्रेररत करै त रहल ह आ प्र इिे ट
अथि बैं क के नौकरी मे म गशदशशन करै त रहल ह. श्री र जनां दन ब बूक
आडम्बरहीन वनश्क म,वनष्कलुष भ िे न प्रेममय व्यिह र सबके आकर्षिंत
करै त िलै क. ओ मै छथल, बां ग ली, अफसर सब बगश में सम न रूपे न स्िीकृत
आ प्रछतछष्ठत िल ह.
श्री र जनां दन ब बूक मृदु भ त्रशत , कमशठत कांस्रतशन एतयूपमें ट उद्योगक
विक स में वहनकर योगद न के कोलकत क उद्योगपछत सब स्िीक र कय
कोलकत वबस्हडां ग एसोत्रसएशन क ि इस प्रेत्रसडें टक पद पर सम्म वनत
केहकखन्द्ह.
म म सवक्रय सहभ वगत क ब दो सतत अपन प्रच र प्रस र आ आगू बवढ़ के
कोनो क जक सफलत क श्रे य अपन न मे ले ब क पक्ष में नवह रहै त िछथ. ओ
एकट वनश्क म कमशयोगी िछथ.
म म क ब्यक्ततत्िक बणशन पूजनीय म मीक ब्यक्ततत्िक चच श वबन अपूणश
रवह ज यत आ कचोटै त रहत. एक म ि आयक श्रोत आ विश ल सन्द्युतत
प ररि ररक दछयत्ि . त्रशक्ष , विि ह, बीम री, सर-कुतुम्ब आददक अछतररतत
कोलकत वनि स पर अनवगनत अन्द्य सम्बां िी, छमि लोकवन के क यशिश
आि गमन आ अस्थ यी वनि स. म म क क कुरग िीक वनि स, अने को के
लोकल पत िल आ म म लोकल ग र्जिंयन िल ह से वबन पूजनीय म मी
के सहयोगक सम्भि नवह िल. र म क ल में जे न भगबती सीत अपन अद्म्य
िै यश,स हस आ सां त न वनम शणक सां कहप स र म के मय शद पुरूषोत्तम बन बय
में सह यक रहछथन्द्ह, कृष्ण क ल में जे न भगिती र ि सबके कृष्ण आ
चर चर जगत के प्रेम में सर बोर केने रहछथन्द्ह. कृष्ण क लीन युद्ध, गीत क
ग्य न में कतहु र ि क जजक्र य न म नवह भे टत पकिंतु चर चर प्रेम में र ि वबन
सब बे क र. अगर आध्य त्त्मक दृछष्टकोने दे िी त आनां दमय कोश स उपर र ि
एक अह्ल ददवन शक्तत रूपे ण कृष्ण आ चर चर जगत के प्रेम में सर बोर करय
76 ||गजेन्र ठाकुर
II जय छमछथल II II जय
मै छथली II II जय भ रत II
रमे श ल ल द स, ि र णसी, मोब ईल 8840347525
अपन मं तव्य editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाउ।
विदे ह राजनन्दन लाल दास विशे ष ां क || 79
एवह प्रसां ग मे ई कहब अछतरां जन नपहिं होयत जे मै छथली ल क हमर न्द्यून छिक
सवक्रय बने ब मे र जनन्द्दन ब बूक ब़िक योगद न िनन्द्हिं।वहनक वनष्ठ आ
लग्नशीलत दे खि क आनो तरहक सां गठन त्मक वक्रय -कल प मे सां लग्न
हे ब क प्रेरण हमर वहनके सँ भें टैत रहल। जिन हम ददहली मे ” छमछथल ां गन
“ न मक सां स्थ क स्थ पन अओर सां गठन मे ल गल रही ,तिन यथ योग्य
पर मशश -ददश -वनदे श वहनक सँ भें टैत रहल। ई यद -कद ददहली अबै त िल ह
त हमर छमछथल ां गनक बै सक मे सत्म्मत्रलत भए उछचत पर मशश सँ हमर
क यशकत श लोकवन कें प्रोत्त्स वहत कै उहलत्रसत करै त िल ह।
ई त वहनक जन-सम्पकश बिे ब क कल -कौशलक िवि छथक। कण शमृत रूपी
(सकुरीक एतक )क लग म पक़िने ओकर रथ जक ँ कोन हँ कैत रहल
तकर आनो कते क पक्ष अछि। जे न कण शमृतक श रदीय अां क स ले -स ल
वनक लब, पत्रिक प्रक शनक सां गे वित्रभन्द्न ले िकक पुस्तक प्रक शन।एवह
प्रक शन मे ल गत ख़चश प ठक िगश सँ प्र प्त करब। सां गपहिं-सां ग ले िक कें
प्रोत्स वहत कए पुस्तक त्रलिब क प्रक त्रशत करब।उद हरण स्िरूप प्रत्रसद्ध
ले िक मजणपद्मक त्रलिल पुस्तक सभ त अछिए।, “मै छथली दिीछच भोल
ल ल द स” ;र म नन्द्द रे णु रछचत तथ आनो आर कते क ले िकक रचन
करणगोष्ठी द्व र प्रक त्रशत अने क पुस्तक अछि।
ई सभ क यश वहनक कृछतत्िक मह घशत त प्रम जणत कररतपहिं अछि सां गपहिं
एकर सम्प ददत करब क प ि ँ कते क प्रक रक प ररि ररक एिम िै यक्ततक
सां घषश करे त रहए पडलवन से वहनक युद्धिीर प्र णिन्द्त हएब क ठोस प्रम ण
छथक । बीच-वबच मे अने क एहन अिसर आएल जिन ई भीषण रूपें रोग-
ग्रस्त होइत रहल आ दीघश क लीन छचवकत्स उपर न्द्त स्िस्थ भए मै छथलीक
से ि च लू रिलवन। कते क बे र स मने उपस्स्थत मृत्यु पयशन्द्त के वटटक रर क
दूर भगौलवन अछि। मै छथली- पत्िक ररत के वहनक अिद न एन
छचरस्मरणीय अछि जे वहनकर सम न न्द्तर अथि समकक्ष मै छथली स वहत्यक
प्र ां गण मे दोसर केओ नपहिं दे ि इत अछि । हँ वहन्द्दीक पिक ररत मे मह िीर
विदे ह राजनन्दन लाल दास विशे ष ां क || 81
प्रस द दद्विे दी नजरर अबै त िछथ। ई ि रण वहनक सां घषश-स िन केर विविि
पक्ष के ध्य न मे र खि क बनल अछि।वहनक स हसपूिशक स िन मे सहिर्मिंनी
पत्नीक दे ह िस न भे ल पर हमर आशां क िल जे एहन िज्र घ त सँ वहनक
गछतशीलत कहीं अिरुद्ध ने भए ज य।मुद वहनक सां कहप अप्रछतहत रहल।
हमर कते को बे र कलकत्त पहुँ छच वहनक भें ट करब क सां योग बवन-बवन क
य ि टरर ज इत रहल आ आब त हम िृद्ध िस्थ जन्द्य असमथशत सँ पीव़ित
िी।
स्ियम र जनन्द्दन ब बू बजबो-भुकबो सँ असमथश िछथ। पवहने जे हो वकिु
ि त शल प होइत रहइ िल आ भ िन क उष्म सँ भरर ज इ िलहुँ ,से सां भि
नपहिं।
तिन कण शमृतक भविष्यक छचन्द्त िे ह रने रहै त अछि।आगू छचिगुप्त
भगि नक जे इच्छ । श रद नन्द्द द स पररमल,
पत :-डी-००३अजमे र ग्रीन एकसश,कले न ,
अग्रह र बनरघट्ट रोड,बां गलुरु-560076
नबोनारायर् थमश्र