VIDEHA_JCT-76-100

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विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 55

महािीर बाबू िं बर सुिौलथिि ---जगदीश चन्द्र ठाकुर –९९ हाईएस्ट ।

ओ हमर बचपिक सभसं बे शी आिं द दायक ददि छल ।

एलीमें री मै िमे वटक्समे से हो बहुत िीक अं क आएल ।वफजजक्स आ


केथमस्रीमे बहुत िीक िै रहय ।

सब विषय थमलाक’ क्लासमे हमर स्िाि प्रिम रहल ।

पाठ्य-पुस्तकमे मै थिली किा-कविता सभ पढ़ब िीक लगै त छल,

तिावप, गजणत हमर सभसं थप्रय विषय भ’ गे ल छल ।

कोिो भारी सिाल जखि बवि जाइत छल त बडड आिं द अबै त छल ।

हमर सबसं छोट मामा से हो ओही स्कूलमे पढै त छलाह, हमरासं दू क्लास
आगाँ ।

मामा बहुत ते ज छलाह, क्लासमे प्रिम अबै त छलाह ।

मामा दसम कक्षामे प्रिम एलाह, हम आठम कक्षामे ।

गमीक अिकाशमे मामा गाम जाइत छलहुँ आ जे सिाल सब अपिा कदठि


लगै त छल से हुिकासं बुजझ लै त छलहुँ ।

ििम कक्षामे से हो हमर स्िाि प्रिम रहल ।

दसम कक्षामे कोिो दोसर स्कूलसं एलाह िागे न्द्रजी । हुिकासं हमर
प्रथतयोवगता भे ल ।

हम अपि स्िाि प्रिम रखबा ले ल बहुत प्रयास केलहुँ ।हमरा लाज होइत छल
56 ||गजेन्द्र ठाकुर

इ सोथच क’ जे क्लासमे हमर स्िाि थछिा िे जाए । हमरा जते क गजणतमे


मोि लगै त छल तते क वफजजक्स आ केथमस्रीमे िवह । दसमीक अद्धघ-िार्षिक
परीक्षाक समय हमरा अबोग्राडोक पररकहपिा याद िै होइत छल आ ओ प्रश्ि
एबे करतै से लगै त छल । हम एकटा चलाकी केलहुँ ।

र्रे पर एकटा पन्द्िापर सं भावित प्रश्िक जबाब लीखखक’ ओवह विषयक


परीक्षाक ददि सं गे िे िे गे लहुँ आ और प्रश्िक जबाब लीखखक’ एवह पन्द्िाकें
प्राप्त कॉपीमे िाथि दे त्रलऐ ।परीक्षा द’ क’ चल एलहुँ ।दूिू कागजक रं ग त्रभन्द्ि
छलै तें चोरी पकड़ाएब विखश्चत छल ।एकददि राम से िक बाबू मास्टर साहे ब
हमरा फूटमे बजाक’ पुछलवि, हुिका बमबम मास्टर साहे ब कहिे
छलखखि।हम अपि गलती स्िीकार करै त हुिका कहत्रलयवि जे जीििमे फेर
कवहयो एहे ि गलती िै करब ।

कॉपी बमबम मास्टर साहे ब दे खिे रहथिि । ओ आ राम से िक बाबू लगभग


एके समय स्कूलमे आएल छलाह । राम से िक बाबू हमर मामा गामक छलाह।
बमबम मास्टर साहे ब िागे न्द्रजीक गामक छलाह ।दूिू गोटे आपसमे गप
केलवि आ बमबम मास्टर साहे ब राम से िक बाबूक माध्यमसं हमरा समझा
दे लवि, से हमरा िीक लागल । हमरा क्लासमे सबहक सोझाँ िै कहल गे ल,
से हमरा ले ल बहुत पै र् बात छल ।एवह र्टिाक सकारात्मक प्रभाि हमरा पर
पडल । अपि दूिू त्रशक्षक महोदयक प्रथत हमर श्रद्धा बवढ गे ल । हम एसगरमे
किलहुँ । मोिसं पाश्चाताप केलहुँ आ फेर एहे ि गलती कवहयो जीििमे िै
करबाक सं कहप ले लहुँ ।

हम आइयो श्रद्धासं दूिू मास्टर साहे बकें स्मरण करै त सोचै त छी जे विद्यािीकें
कोिो गलतीपर ओकरा वबिा अपमावित केिे , एसगरमे बजाक’ ओकरासं
थमिित बात क’क’ गलतीक विराकरणक विथर् कते क कारगर भ’ सकैत
अथछ ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 57

एवह र्टिाक बाद हमर मोि हहलुक भ’ गे ल । आब दोसर स्िाि पर रहब


सरल भ’ गे ल । िागे न्द्रजीक ले ल मोिमे थमिता आ सहयोगक भाि उत्पन्द्ि
भे ल । ओ स्ियं बहुत सरल आ िीक स्िभािक छलाह ।

हमरा जते क अं क भे टब उथचत छल, से भे टल । िागे न्द्रजी प्रिम एलाह, हम


दोसर स्िािपर रहलहुँ ।दसमी-एगारहमीमे इएह स्स्िथत रहल ।

१९६५ मे मै वरकक परीक्षामे हमरा ६४८ अं क आएल, िागे न्द्रजीकें ६६५,


हमरासं १७ अं क बे शी ।

गजणतमे दू पे पर छलै । हमरा दुिूमे ९९-९९ आएल । हुिका एकमे १०० मे १००
एलवि ।

वफजजक्स, केथमस्रीमे हमरासं बे शी अं क रहवि ।

कॉले ज

िागे न्द्रजी सी एम काले ज, दरभं गामे िाम त्रलखौलवि ।

हमहूँ ओतवह िाम त्रलखाब’ चाहै त रही,मुदा बाबू िै तै यार भे लाह ।हमर िाम
आर के काले ज, मर्ुबिीमे त्रलखाएल ।हमर मोि छोट भ’ गे ल ।

आर्ििक कारण छलै क ।

दरभं गामे िाम त्रलखयबाक मतलब छलै ओत’ डे रा राखब ।मे सक खचघ ।
समय-समय पर गामसं जे बा-एबाक खचघ ।

मर्ुबिीमे िाम त्रलखयबाक मतलब भे ल र्रसं खा’क’ साइवकलसं जाएब-


आएब ।बहुत खचघसं मुक्क्त ।
58 ||गजेन्द्र ठाकुर

बाबू िोकरीमे िै छलाह ।

खे तीसं ओते लाभ िै होइत छलै ।

जावह से क्शिमे हम छलहुँ ओकर क्लास ६ बजे सं शुरू होइत छलै क ।

र्रसं भुखले कोिा जाएब, तें माए अन्द्हरोखे भािस चढ़ा दै त छलीह ।

हम सिे रे जावगक’ स्िाि-भोजि क’क’ साइवकल ल’क’ विदा होइत छलहुँ ।

र्रसं ६- ७ वकलोमीटरक दूरी तय करै त-करै त पवहल क्लास ख़तम हे बाक


बादे पहुँ थच पबै त छलहुँ ।दुखी भ’ जाइत छलहुँ ।

गजणत आ केथमस्रीक पढाइसं सं तुष्ट िवह होइत छलहुँ ।

प्री-साइं समे हमर तै यारी िीक िवह भे ल । हम से केण्ड वडिीज़िमे उत्तीणघ


भे लहुँ । गजणतमे िीक अं क िै आएल ।

अही साल पररिारमे अशुभ र्टिा भे लै ।दाइक हािमे ददघ भे लवि ।

वकछु ददि गमघ पाविसं से कलवि । किी काल ददघ िै बुझाइि त होइि जे ठीक
भ’ गे ल । फेर कखिो ददघ उठवि त िएह इलाज । ककरो पूथछ क’ कोिो गोटी
खे लवि ओहूसं जखि हारर गे लीह आ ददघ बदाघश्त िै भे लवि त हमरा सं गे
मर्ुबिी गे लीह । डा.त्रशिािीसं दे खौलवि त पुछलकवि, कतहु खसल छलहुँ
की ?

दाइकें मोि पडलवि । वकछु मास पवहिे बे टीक ओत’ गे ल छलीह


िारायणपट्टी। पावि भे ल रहै । आं गिमे वपच्छड़ भ’ गे ल छलै ।अइ र्रसं ओइ
र्र जे बामे वपछवड़ क’ खत्रस पडलीह । हाि रोपलवि से हािमे वकछु भ’ गे लवि
जे ददघ कर’ लगलवि । एत’ एलीह ककरो लग ई बात िै बजलीह । कखिो-
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कखिो ददघ उठवि त पावि गमघ क’क’ से क लै त छलीह ।सभ बात डाक्टरिीकें
कहलखखि त ओ कहलखखि, बहुत दे री क’ दे त्रलयै ,हमरा होइए जे से न्प्टक
भ’ गे ल अथछ, जते क जहदी हो दरभं गा हॉस्स्पटलमे दे खाउ ।

बाबू डी एम सी एच ल’ गे लखखि ।डाक्टर कहलकवि से न्प्टक भ’ गे लवि,

जाि बचाबक ले ल हाि काटब जरूरी छवि । बामा हाि काटल गे लवि ।
अस्पतालमे दाइकें दे ख’ गे लहुँ त दाइ ह्बोढे कार भ’क’ काि’ लगलीह ।

हमरो किा गे ल । ओइ ददि हमरा तीि चारर साल पवहिे क एकटा र्टिा मोि
पवड़ गे ल ।

दाइ सं गे कलम गे ल गे लहुँ । कलकथतया आमक जे गाछ छलै तावहमे

हमरा सबहक वहस्सा िलामे कम फड़ल छलै , कक्का िलामे बे शी छलै फड़ल।
दाइकें की फुड़लवि, हबर-हबर चारर-पां चटा आम हुिका गाछमे सं तोवड़
ले लखखि । हमरा ओ दृश्य मोि पवड़ गे ल जखि हुिकर ओ हाि अस्पतालमे
िै दे खत्रलयवि । एवह र्टिाक प्रभाि हमरा पर पडल । जीििमे कय बे र ई दूिू
र्टिा मोि पड़ल ।

अस्पतालसं र्र एलीह दाइ त जीििसं मोह भं ग भ’ गे ल छलवि । जजजीविषा


िै रहलवि । मृत्युक कामिा कर’ लगलीह ।

एकटा पोतीक वियाह दे खख ले बाक एखिहु कामिा करय लगलीह ।हुिकर

ई कामिा पूरा भे लवि ।

हमर छोट बवहिकें हमर मामा गाममे लड़काक वपता दे खख क’ अपि पुिक
वििाह करयबाक बात शुरू केलवि । ककरो लग चचघ केलखखि ।
60 ||गजेन्द्र ठाकुर

हुिकर बवहिक वििाह छलवि ओत’ । बात आगू बढ़लै । लड़का सभकें पसं द
एलखखि । वििाह भ’ गे लै । दाइक कामिा पूणघ भे लवि ।

मर्ुश्रािणीक बाद दाइक दे हां त भ’ गे लंवि ।

मरबासं वकछु ददि पूिघ मोवहिारायण कक्का दे ख’ एलखखि त दाइ कावि क’


कहलखखि, बौआ, दे खबै किी, राम िारायण उजवड़ िे जाए ।

कक्का भरोस दे लखखि, अहाँ चचिता िै करू ।

दाइकें आब एतबे चचिता छलवि जे अस्पतालमे खचघ भे लैए, बे टीक वियाहमे


खचाघ भे लैए, आब वक्रया-कमघमे खचघ हे तै, बाहरी आमदिीक कोिो स्रोत छै िै ।
खे त बे चतै वक भरिा रखतै । भरिा रखतै त जे हो उपजा होइछै से हो िै हे तै त
िओ आदमीक गुजर कोिा हे तै । दाइक चचिता स्िाभाविक छलवि । इएह
होइत एलै ए ।इएह भ’ रहल छै ।इएह भररसक होइत रहतै । सरल चीजकें
कते क कदठि बिा दे ल गे ल छै क । कमघकां डमे भोजक परं परा : एकादशा,
द्वादशा,माछ-मासु,फेर मासे -मासे ब्राह्मण-भोजि । श्राद्धक बाद ओवह
थतथिक’ पाँ च साल तक बरखी । केश कटाउ,ब्राह्मण भोजि कराउ ।

श्राद्धक समय त लोक कहै त छै क, जीिि भरर त ओ अहीं सभ ले ल सभ वकछु


केलवि, आब अहाँ सबहक कतघव्य होइत अथछ जे िीक जकां श्राद्ध क’ ददयिु
जावहसं हुिका सद्गथत होइि, आब ओ अहाँ सभसं वकछु ले ब’ िोड़े एताह
।वबिा भोज-भातके वक्रया-कमघक कोिो मोजर लोक िै दै छै ।

जकरा गरदविमे उतरी रहै त छै क ओ भाििामे बवह जाइत अथछ, होइछै जे


आब जे हे तै दे खल जे तै, करब त िीके जकां ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 61

बी.एस.सी. पाटघ-१ मे स्स्िथत और ख़राब भे ल । कॉले जमे पढाईक स्स्िथत


ख़राब भे ल ।

परीक्षाक फॉमघ भरलहु । परीक्षा दे ब’ लगलहुँ ।गजणतक परीक्षा ददि बुझाएल


जे ६५ सं बे शी अं क िै आएत ।

गजणतक परीक्षामे िीक अं क िै आएत मािे प्रिम श्रे णीक अं क िै आएत ।

एकर मतलब छलै जे िीक टे क्क्िकल कॉले जमे एडथमशिमे कदठिाइ ।

हम परीक्षा ड्राप केलहुँ , शे ष विषयक परीक्षा िै दे लहुँ ।

हमर लक्ष्य भे ल बी.एस.सी.पाटघ-१ मे प्रिम श्रे णीक अं क प्राप्त करब ।

(२) साां स्कृथतक पररिे श

टोलमे मूडि, मरबठटठी,


कुमरम,उपियि,वििाह,मर्ुश्राििी,कोजागरा,जराउर,दद्वरागमि

आदद अिसर पर कोिो-िे -कोिो आं गिसं स्िीगिक मूहें गीत सूिब आकर्षित
करै त छल ।

फगुआ,रामििमी,कृष्णाष्टमी,दुगाघ पूजा,दीयाबाती, छदठ आदद अिसर पर


राम-किा, कृष्ण-किा,सुदामाक किा,महाभारतक किा सुिबाक अिसर
भे टैत छल ।

गाममे कैटोला स्िािपर आ त्रशििं दि बाबूक ओत’ सां स्कृथतक कायघक्रम


होइत छलै । बाबा सं गे जाइत छलहुँ । िे ित दास आ दरबारी दासक मूहें
62 ||गजेन्द्र ठाकुर

ददिकर,िे पाली,विद्यापथतक आ मर्ुपजीक गीत सुिबाक अिसर भे टल ।

दुगाघ पूजा,दीयाबाती, आदद अिसर पर गाममे िौटं की आ िाटक दे खबाक


अिसर भे टल ।एवह मं च सभ पर िटु आ सबहक मूहें मर्ुपजी आ रिीन्द्रजीक
गीत सुिलहुँ ।

डबहारीक भै याजीक मूहें वििाह कीतघि सूिब बहुत आिं ददायक होइत छल।
ओ कोिो प्रसं गकें बहुत रोचक बिा दै त छलाह । कोिो खुशीक अिसर पर
हुिका बजाओल जाइत छल ।

दुगाघस्िािमे मास-मास ददि र्रर राम-लीला होइत छल । पोखररशामक


महं िजीक राम-लीला पाटी छल ।

गाममे ई सभ मिोरं जिक सार्ि छलै ।

कैटोला स्िािपर, त्रशि िं दि ससिहजीक ओत’, पुबाई टोलमे जगदीश बाबू


ओत’ राम चररत मािसक समूह-गायि,समय-समय पर अथष्टयाम आ ििाह
से हो होइत छल ।हमरो टोलमे ई सभ होइत छल ।

कोिो गीतक टु कड़ीक सं ग रामचररतमािसक गायि िीक लागै त छल ।

कीतघिमे स्िे हलताक गीत : जखि रार्ि लला छथि सहाय तखि परिाहे की,
अपि वकशोरीजीके चरण दबे बै हे थमथिले मे रह्बै आदद बहुत प्रेमसँ लोक
गबै त छल ।

अवहिा नबिदुजीक नहिदी गीत सभ से हो खूब लोकथप्रय छल : जीिि का मैं िे


सौप ददया सब भार तुम्हारे हािाें में , प्रिल प्रेम के पाले पड कर प्रभु का वियम
बदलते दे खा ।

मामा गाम जाइत छलहुँ त ओतहु रवि ददि सां झमे रामचररतमािसक समूह -
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 63

गायि दे खैत-सुिैत छलहुँ ।समय-समय पर

अथष्टयाम आ ििाह से हो होइत छल । हमर बड़का मामा थमवडल स्कूल मे


प्रर्ािाध्यापक छलाह आ वििाह कीतघि से हो करै त छलाह । मास्टर साहे ब
बच्चा बाबू पं डौल हाई स्कूलमे सहायक प्रर्ािाध्यापक छलाह, ओहो

वििाह कीतघि करै त छलाह । वहिका सबहक वििाह कीतघिमे गं भीरता बे शी


रहै त छल ।

प्री-साइं समे एक पे पर मै थिली रखिे छलहुँ । प्रो.बुत्रद्ध र्ारी ससिह ‘रमाकर’


बहुत िीक पढबै त छलाह । मै थिली पढ़ब िीक लगै त्त छल ।

कॉले जमे विद्यापथत पिघ मिाओल गे लै । ओवहमे रमािाि बाबू आएल छलाह।
भाषण भे लै, कविता पाठ भे लै, गीत-िाद भे लै । रामपट्टीक आर के ‘रमण’
बहुत सुन्द्दर गीत रचिा सस्िर प्रस्तुत केलवि । बहुत िीक लागल । सपिा
भे ल जे हमहूँ एहि रचिा त्रलखी आ मं च पर प्रस्तुत करी ।

बाबाक मूहें महादे िक गीत, विद्यापथतक गीत आ पराती सुिैत छलहुँ ।

दाइक मूहें रं ग-विरं गक फकरा सुिैत छलहुँ ।

वकताबक कविता सभ पढ़ब आ ओकरा याद करब िीक लगै त छल ।

इएह सभ दे खैत-सुिैत हमहूँ तुकबं दी कर’ लगलहुँ आ ओकर उपयोग


दरबज्जा पर साप्तावहक रामचररतमािसक समूह-गायिमे

कर’ लगलहुँ । पारं पररक र्ुिमे वकछु गीत त्रलखलहुँ जकर पवहल पाती ई सभ
अथछ –
64 ||गजेन्द्र ठाकुर

------भरल सभामे आवब जिकजी प्रण केिे छथि भारी हे ।

------गौरी लीलाविहारी तोहर भं वगया ।

------कन्द्हैया यौ अहाँ आएब कवहया ।

मर्ुपजीक ‘अपूिघ रसगुहला’ आ ‘टटका जजले बी’ दे खलहुँ । िीक लागल ।

हुिक अिुकरण केलहुँ । ‘अविल’ उपिाम रखलहुँ ।

थफ़हमी गीतक र्ुिपर वकछु गीत त्रलखलहुँ ।

-------यार कहू की वबयाह केिे हम सददखि पछताय रहल छी,

आब होयत की माहुर खे िे कहुिा जीिि वबताय रहल छी ।

------िाइफ बै जन्द्ती माला अपिे राजें र कुमार

महमूद हम्मर चे ला, जािीिाकर हमर भजार ।

------प्रीतम छोवड़ गे ला परदे श

हमरा होइए कते कले श

ककरा कह्बै

जखि विथर्ए भे ल बाम ।

------दे खखते अमत बर सखी सभ पड़े ली कवहते बाप रे बाप

बरकें सोहरै सगरो दे वहयामे साप रे साप ।

अवहिा और वकछु ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 65

प्रो. बुत्रद्धर्ारी ससिह ‘रमाकर’जीकें दे ख’ दे त्रलयवि ।

हुिकर शुभकामिा लै त ओकरा छपा क’ जहां -तहां बे चबाक योजिामे लावग


गे लहुँ ।

बाबूजीकें जखि पता चललवि त बहुत दुखी भे लाह ।

हुिका हमर कैररयरक चचिता भे लवि ।ओ हमरा अपि पाठ्य-पुस्तक सं प्रेम


करबाक सलाह दे लवि ।

हम हुिक चचिता पर विचार केलहुँ ।

सावहत्य-प्रेमसं जीविकोपाजघि असं भि छल । र्रक आर्ििक स्स्िथत


चचिताजिक होइत गे ल । हमरासं छोट तीिू बवहि आ दूिू भाए छलाह ।

विष्कषघ पर पहुँ चलहुँ ।

सावहत्यकें शौखक रूपमे राखब ।इं जीवियररिग अििा एग्रीकहचर पढ़ब ।

तावह ले ल बी.एस.सी.पाटघ-१ मे िीक अं क आिक ले ल पूरा प्रयास करब ।

मोिे मोि विणघय केलहुँ जे आब दू साल र्रर िे त सावहत्यक कोिो िस्तु पढ़ब
िे लीखब ।

मुदा हम अपि विणघय पर बहुत ददि र्रर अटल िवह रवह सकलहुँ ।

बाबूजीक िजरर बचा क’ मै थिली पत्रिका ‘थमथिला थमवहर’ पवढ़ लै त


छलहुँ ,िीक लगै त्त छल । अपिो त्रलखबाक मोि होइत छल । अपि त्रलखल
थमथिला थमवहरमे छपल दे खबाक त्रसहं ता होइत छल ।
66 ||गजेन्द्र ठाकुर

आकाशिाणी,पटिासं प्रसाररत मै थिली कायघक्रम ‘भारती’ कतहु सुवि लै त


छलहुँ ।गं गेश गुंजि जी द्वारा प्रस्तुत भारती कायघक्रम बहुत िीक लगै त छल ।
रवि आ मं गल ददि वियथमत रूपसं सुिैत छलहुँ । अपि लीखल रचिा
आकाशिाणीसं प्रसारण हे बाक कहपिा करय लगलहुँ ।

मै थिली पढ़ब आ सूिब हमरा ले ल सबसँ बे शी आिं द दायक भ’ गे ल छल.।

एवह बीच हररमोहि बाबूक ‘चचघरी’ मामा गामक लाइब्रेरीसं आवि क’ पवढ़
गे लहुँ ।

एवह सबहक असरर ई भे ल जे जखि राथतमे सभ क्यो सूथत रहै छल, हम वकछु
िे वकछु लीख’ लगै त छलहुँ ।

वकछु किा त्रलखलहुँ ।’थमथिला थमवहर’ मे पठौत्रलयै क ।

एकटा किा आकाशिाणीकें पठौत्रलयै क । र्ूरर आएल ।

दू-तीि ददि र्रर उदास रहलहुँ । फेर दोसर पठौत्रलयै क । एक मासक बाद
ओहो र्ुरर आएल ।

वकछु ददिक बाद एकटा हास्य-किा त्रलखलहुँ ।’रमाकर’जीकें दे ख’


दे त्रलयवि।

हुिकासं सुर्ार कराक’ फेर ओकरा फेयर क’क’ आकाशिाणी पठौत्रलयै क।

एवह बे र स्िीकृथतक सूचिा भे टल ।


विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 67

स्िीकृथतक सूचिा पावब एते क ख़ुशी भे ल जे बाबूकें से हो कवह दे त्रलयवि ।

ओ िाराज त भे लाह मुदा, हुिका ख़ुशी से हो भे लवि, से हम अिुभि केलहुँ ।

१९६८ मे हमर रचिा / वििोद िाताघ ‘मोिे अथछ एखि र्रर सासुरक
यािा’आकाशिाणी,पटिासं मै थिली कायघक्रम ‘भारती’मे प्रसाररत भे ल ।

कायघक्रमक सं चालि गुंजिजी करै त छलाह । बटु क भाइ बहुत िीक जकां
पढ़लवि ।

हम सभ गामपर रे वडयोसं सुिलहुँ । बाबाकें हषघ भे लवि ।

हमरा पच्चीस टाका भे टैत ।

छाििृत्रत्तक अथतररक्त हमर ई पवहल कमाइ होइत । बाबा कें पुछत्रलयवि


‘अहाँ ले ’ की िे िे आएब ?’

बाबा कहलवि ‘दू आिा के सुपारी िे िे अवबह’ ।

बाबा सुपारी ले ’ िवह रुकलाह ।

जवहया पच्चीस टाकाक चे क आएल, बाबाक एकादशा रहवि ।

(३)

र्रक आर्ििक स्स्िथत कमजोर भ’ गे लै ।

दू टा कन्द्यादािक बाद ६५ मे दाइक अस्पतालक खचघ आ तकर बाद हुिक


दे हां त ।
68 ||गजेन्द्र ठाकुर

६५ मे हुिक श्राद्ध । ६६ मे पवहल बरखी ।

६७ मे दोसर बरखी । फेर बाबाक वक्रया-कमघक खचघ ।

खे तीसं साल भररके खचघक ले ल अन्द्ि िै भ’ पबै त छलै क ।

आिश्यकतािुसार जमीि भरिा राख’ पडै त छलवि आ पाई से हो कजघ ले ब’


पडै त छलवि ।

बाबूक स्िभािमे तामस बे शी प्रगट हुअ लगलवि ।

हमरा गाममे िीक िै लागय ।

जे िा-ते िा बी.एस सी.पाटघ१ के परीक्षा भे ल ।

परीक्षा बहुत सुंदर त’ िवह भे ल, मुदा अिुमाि केलहुँ जे सादठ प्रथतशतसं बे शी


अं क आवब जे बाक चाही

जे एग्रीकहचर कॉले जमे एडथमशि ले ल आिश्यक बुझाइत छल ।

हम गाम पर असहज होमय लगलहुँ ।

आ एक ददि कलकत्ता जे बाक विश्चय क’ ले लहुँ ।

हमरा एकटा कुटुं बक पता छल ।

ओ एक बे र कहिे छलाह जे अहाँ कें मै वरकमे ते हेि सुंदर िम्बर अथछ जे

कतहु िोकरी भे ट जाएत ।


विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 69

हम मोिे मोि विश्चय केलहुँ जे िोकरी भे टत त करब ।

एकटा वपत्रसऔत भाए से हो ओत’ छलाह । हुिको पता छल ।

हम दीदी ओत’ िारायणपटटी जाइछी, से कवह क’ र्रसं विदा भे लहुँ ।

दीदी ओत’ गे लहुँ । हुिका अपि विचार कहत्रलयवि।

हुिका ख़राब िै लगलवि । पढल-त्रलखल लोक िोकरी कर’ कलकत्ता जाइत


छल ।

ओ हमरा सं गमे तीि-चारर वकलो चाउर आ वकछु चूड़ा आ गुड द’ दे लवि ।

वकछु पाइ हमरा लग छल ।

ओइ समय आरक्षण जरुरी िै होइत छलै । हम राजिगर स्टे शिसं गाडी


पकडलहु समस्तीपुरक ले ल ।

प्ले टफामघ पर बें च पर बै सल एकटा सज्जिकें दे खत्रलयवि ।

ओ बहुत सुंदर मै थिली बजै त छलाह ।

बीच- बीच मे अं ग्रेजीमे से हो बजै त छलाह ।

हुिक अं ग्रेजी बाजब से हो आकृष्ट केलक ।

हमहूँ ठाढ़ भ’ क’ हुिक बात सूि’ लगलहुँ ।

ओ दे शक स्स्िथत पर बात करै त छलाह ।


70 ||गजेन्द्र ठाकुर

बे रोजगारी पर बात करै त छलाह ।

एक –दू आदमी कखिो क’ वकछु टोक दै त छलवि , ओ ओइ पर बाज’ लगै त


छलाह ।

एते क सुंदर मै थिली आ अं ग्रेजी हम एवहसं पवहिे िवह सुििे छलहुँ । हमरा
िीक लगै त छल ।

िोड़े काल बाद एक आदमी उठलाह त’ हम ओत’ बै त्रस गे लहुँ ।

एकटा रे ि एलै त और दू टा व्यक्क्त चल गे लाह ।

ओ हमरा ददस तकलवि ।

.विद्यािी, अहाँ हािड़ा चलब ?

हं । हम कहत्रलयवि ।

ओत’ कोिो काज करै छी की ?

फेर िै ह पुछलवि ‘ पवहले बे र जा रहल छी ?

हं । हम कहत्रलयवि ।

गप्प हुअ’ लागल ।

ओइ ठाम के रहै त छथि ?

वपत्रसऔत भाए छथि । और एकटा कुटुं ब छथि ।

भाइ साहे ब कत’ रहै छथि ?


विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 71

शाम बाजार लग ।

की करै छथि ?

ट्यूशि करै त छलाह । एखि और वकछु करै त छथि की िवह से िै बुझल अथछ।

हुिका बूझल छवि जे अहाँ आवब रहल छी ?

एखि त िै कहिे थछयवि ।

दोसर कुटुं ब कत’ रहै छथि ?

हम हुिकर पता दे ख’ दे त्रलयवि ।

हुिको पता िै हे तवि जे अहाँ आवब रहल छी ?

हुिको िै कहिे थछयवि ।

एखि अहाँ र्ूम’ जा रहल छी पां च-दस ददि ले ल वक और वकछु उद्देश्य अथछ?

हम चाहै छी कोिो िोकरी अििा ट्यूशि भे ट जाए ।

मै वरकमे कते क प्राप्तां क छल ?

६४८

मािे ७२ % ?

हं ।

साइं स सब्जे क्टमे ?


72 ||गजेन्द्र ठाकुर

७७ %

प्री-साइं समे ?

से कंड वडिीज़ि । ५५ % ।

बी एस सी पाटघ १ मे की उमीद अथछ ?

आशा अथछ ६० % सं उपर िं बर आवब जाय ।

आगू पढ़बाक विचार िै अथछ ?

बी एस सी )ए जी (मे िाम त्रलखा जाइत तखि पवढ़तहुँ । मुदा ६०% सं बे शी


अं क आएत तखिे सं भि अथछ ।

ओ अपि पररचय दे लवि ।

हम वडप्लोमा इि इले स्क्रकल इं जीवियररिग केिे छी । एक सालसं कलकत्तामे


ट्यूशि क’ रहल छी ।

हम ट्यूशि एही ले ल क’ रहल छी जे अप्लाइ करबाले ल आ कतहु जे बा-एबा


ले ल गार्जियिसं मां ग’ िै पडय ।

हमरा विचारसं अहाँ कें िीक होइत जे पोत्रलटे कविकमे त्रसविल ब्रां चमे जाक’
एडथमशि ल’ त्रलतहुँ , बी.एस.सी. पाटघ १ के ररजहट भे लापर

बी.एस.सी.)एजी(मे अप्लाइ क’ ददथतयै , भ’ गे ला पर पालीटे कविक


छोवड़ ददथतयै आ िै भे ल त पोलीटे कविक जारी रखखतहुँ ।

त्रसविलमे स्कोप छै ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 73

हम दुविर्ामे पवड़ गे लहुँ ।

ओ सुझाि दे लवि जे अहाँ एकटा काज क’ सकैत छी ।कलकत्ता विदा भ’


गे ल छी त चलू, वकछु ददि र्ुथम-वफरर क’

सोथच त्रलय’ जे अहाँ एत’ रवह सकै छी वक िै । अहाँ अपिे विणघय ले ब त ठीक
रहत ।

हुिकर ई बात हमरा बे शी िीक लागल ।

हिड़ा जं क्शि पर उतरर ई बता दे लवि जे अपे जक्षत जगह पर पहुँ चबा ले ल
कोि बस वक राम पकड़ब ठीक रहत । एवह सं गे इहो कहलवि जे चाररम ददि
रवि छै , हम दू बजे तक वगरीश पाकघ पहुँ चब ।अहाँ आवब सकी त ओवह ददि
ओत’ आउ, अहाँ क विणघय सुिबामे िीक लागत । ओ इहो कहलवि जे जाैं
अहाँ इएह तय करब जे एतवह रहब त हम तत्काल एक-दूटा ट्यूशि
पकड़यबामे मदथत करबाक कोत्रशश करब ।

जावह दू गोटे क पता हमरा लग छल, हुिका लोकविसं भें ट भे ल । हुिका


सबहक आिास दे खलाक बाद हमर दुविर्ा समाप्त भ’ गे ल ।हम रविददि
वगरीश पाकघ पहुं थच हुिका अपि विणघय कहत्रलयवि जे हम तुरत गाम िापस
जाएब, पोत्रलटे कविकमे एडथमशि ले ब, बी.एस.सी.पाटघ १ के ररजहट
विकललापर जाैं हमरा एग्रीकहचरमे एडथमशि भ’ जाएत त

पोत्रलटे कविक छोवड़ क’ एग्रीकहचरमे एडथमशि ल’ ले ब ।

ओ बहुत प्रसन्द्ि भे लाह । वगरीश पाकघ लग कोिो होटल रहै ओत’ दूटा
रसगुहला आ एकटा समोसा खुआक’ हमरा विदा क’ दे लवि ।हमरा पाइ िै
74 ||गजेन्द्र ठाकुर

दे ब’ दे लवि ।कहलवि एखि अहाँ िै कमाइ छी, हम त कमाइ छी ।

(४(

हम दरभं गा पोत्रलटे कविकमे त्रसविलमे एडथमशि ल’ एलहुँ ।

गामसँ बससँ जाए-आब’ लगलहुँ ।

एत’ वकछु क्लास एकटा हॉलमे होइ छलै जे सड़क के बगले मे छहरदे बालीक
अं दर छलै ।दू कात खूजल ।

ओकर दे ख-रे ख ठीकसं िै होइत छलै । डे स्क पर थचड़ै सभक चट्टक दे खख


लागल जे हम एतहु िवह रवह सकैत छी ।

पढ़ाइ से हो िीक िै लागल । हम मिब’ लगलहुँ जे एग्रीकहचरमे एडथमशि


भ’ जाए आ एवह ठामसँ मुक्क्त भे टय ।

२८ ददि क्लास केलहुँ । बी.एस.सी.पाटघ १ के ररजहट विकललै । हमरा ६१.२


% अं क आएल ।

एग्रीकहचरमे अप्लाइ क’ दे त्रलयै । एडथमशि भ’ गे ल । ६० % सं उपर अं क


िला हमही रही ।

ई हमरा ले ल चचिताक विषय भ’ गे ल ।

हम सोचय लगलहुँ जे ६० % सं उपर अं क िला और लोक सभ वकए िे


अप्लाइ केलकै ।

हम विचत्रलत भे लहुँ ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 75

वकछु लोक कहलवि अहाँ कें िीक होइत जे एक साल ससिगल सब्जे क्ट
बायोलॉजी पवढ़तहुँ ,

सादठयो िं बर आवब जाए, त मे वडकलमे एडथमशि भ’ जाएत ।

हम लोभमे पवड़ गे लहुँ ।

विखश्चतकें छोवड़ अविखश्चत ददस दौवड़ गे लहुँ ।

हम थतरहुत कॉले ज ऑफ़ एग्रीकहचर,ढोली,मुजफ्फरपुर सँ अपि िाम


कटाय पुिः आर.के.कॉले ज, मर्ुबिी

आवब गे लहुँ । ओत’बी.एस.सी.पाटघ २ मे िाम त्रलखाओल आ ससिगल सब्जे क्ट


बायोलॉजीक तै यारी करबामे

लावग गे लहुँ ।हमरा प्री-साइं समे बायोलॉजीमे कम सं कम पास माक्सघ आिब


जरूरी छल मुदा बी.एस.सी.पाटघ १ मे

बायोलॉजीमे कमसं कम सादठ अं क आिब जरूरी छल । एके विषयक परीक्षा


दे बाक छल ।हमरा आसाि लगै त छल । मुदा जे आसाि लगै त छल, कदठि
सावबत भे ल ।

हमर त्रशक्षक हमरा ट्यूशि पढबाक सलाह दे लवि । एखि र्रर ट्यूशि िवह
पढिे छलहुँ ।

ट्यूशि पढब ख़राब बुझैत छलहुँ ।हम िै बुझैत छत्रलऐक जे ट्यूशि पढलासं
प्रैस्क्टकलमे िीक अं क आिब आसाि भ’जाइत छै क । हमर एवह अज्ञाितासँ
हावि भे ल ।
76 ||गजेन्द्र ठाकुर

बायोलॉजी हमरा ले ल एकदम िि विषय छल । ओकरा शुरूसं पढ़क छल ।

हमरा बायोलॉजीक प्रैस्क्टकल क्लासमे ददक्कत भे ल ।

चालीकें,झींगुरकें, बें गकें चीररक’ ओकर अध्ययि करबामे ददक्कत भे ल ।

फोटो बिाएब, ले बसलिग करबामे ददक्कत भे ल ।

त्रशक्षक हमरा ददक्कतकें हल करबामे रुथच िै लै त छलाह ।

हम प्राचायघ महोदय लग त्रशकायत केलहुँ । प्राचायघ महोदय हुिका बजा क’


वकछु कहलथिि ।

ओ भीतर सं िाराज भ’ गे लाह ।हमर कदठिाई बवढ गे ल ।

हम बाबूकें कहत्रलयवि । बाबू ओकील साहे बकें कहलखखि ।

ओकील साहे ब ओवह कॉले जक छाि रहल छलाह । हुिकर र्ाख छलवि ।

ओ हमरा सोझे मे हुिका कहलखखि । ओ यिासं भि मदथत करबाक आश्वासि


दे लवि ।मुदा व्यिहारमे हमरा तकर अिुभि िवह भे ल ।

हम अपि तै यारी करै त रहलहुँ । थचि बिे बाक अभ्यास,ले बेसलिग करबाक
अभ्यास करै त रहलहुँ ।

एके विषयक परीक्षा दे बाक छल । मुदा विषय एकदम िि छल । आ कॉले जक


पढ़ाइक भरोसे िै रवह सकै छलहुँ ।

त्रशक्षक हमर त्रशकायतसं अपमावित अिुभि केलवि ।पररणाम ओही ददि


विर्ाघररत भ’चुकल छल ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 77

प्री-साइं सक परीक्षासं चारर ददि पवहिे बोखार लावग गे ल ।

डा.सं सं पकघ केलहुँ ।कहत्रलयवि एहे ि दबाई ददय’ जे हमर परीक्षा िवह छू टय।

बोखार उतरर गे ल । हम परीक्षा दे लहुँ ।मुदा,ओही राथत हमर आबाज बं द भ’


गे ल ।

मुंहमे कां ट जकां गरय लागल । हमरा लादद क’ मर्ुबिी अस्पताल ल’ गे लाह
बाबू ।

हम कागत पर लीखखक’ दे त्रलयं वि जे हम बोखार उतारक ले ल अमुक दबाई


सभ खे िे छलहुँ ।

तीि ददि तक कोिो सुर्ार िवह भे ल ।डा.कहलखखि जे ड्रग ररएक्शि भे ल


छवि, ठीक हे बामे समय लगतवि ।

पां च ददिक बाद एक सप्ताह तक खाली दात्रलके पावि पर रहलहुँ ।करीब


सिह ददि अस्पतालमे भती रहय पडल ।

िीक बात ई भे ल जे बी.एस.सी.पाटघ-१ के परीक्षा हे बासं पवहिे हम ठीक भ’


गे लहुँ ।

अस्िस्ि हे बाक पररणाम परीक्षा-फल पर पडल ।

बी.एस.सी.पाटघ-१ के परीक्षाक पररणाम ई भे ल जे १% मािे ५ अं क कम


रहबाक कारण मे वडकलमे हमर िामां कि िवह भ’ सकल ।हमरा फेर मोि
78 ||गजेन्द्र ठाकुर

पडल ‘थतरहुत कृवष महाविद्यालय,ढोली,मुजफ्फरपुर’।

एवह बे र मे र्ा सूचीमे हमर स्िाि सोलहम छल ।५० टा सीट छलै ।

हम तय केलहुँ जे आब अन्द्यि कतहु िवह जाएब ।

हॉस्टलमे हमरा सं ग भे लाह सहरसाक बिगामक िारायण थमश्र ।

पवहल ददि सबे रे ७ बजे प्रैस्क्टकल क्लासमे सभकें कोदारर पकड़ा दे ल गे लै


।१ र्ुर खे तमे गहूमक खे तीक ले ल मावट तै यार करबाक छलै ।

प्रैस्क्टकल ९० थमिट चललै । िीक िै लागल । मुदा आब आि कोिो


विकहप िै छल । आब िीक-अर्लाह सोचबाक समय से हो िै रहल ।

७ सं ८.३० तक प्रैस्क्टकल ।१ र्ं टामे स्िाि, जलपाि क’क’ ९.३० पर क्लास


शूरू ।१.३० बजे सं २.३० बजे क बीच भोजि क’क’ पुिः क्लासमे जाउ । ५
बजे फाइल हॉस्टलमे र्’क’ १ र्ं टा र्ुथम-वफररक’ आउ, ८.३० बजे तक पढू -
त्रलखू । ओकर बाद भोजि मे समे जा क’ करू ।ओकर बाद वकछु काल
आपसमे गप-सप करै जाउ ।

दोसर वक ते सर ददि छलै । भोजिक बाद हम सभ अपि-अपि कोठलीमे

सूत’ गे लहुँ । पवहल विन्द्ि छलै सबहक । हहला उठलै ।सभ रुमक केबार
बाहरसं बं द क’क’ बे रा-बे री केबार पीट-पीट क’केबार खोलब’ लगलै । एक
रूम खोलाक’ ओवहमे जे दू छाि छलाह,हुिका पर प्रश्िक बौछार होम’
लगै त छल, २०-२५ के सं ख्यामे छलाह आक्रमणकारी ।लगै त छल जे िा
डकैती भ’ रहल हो । एक रूममे ५-७ थमिट समय दै त छलाह । विकल’ लगै त
छलाह त रूम कें बाहरसं बं द क’ दै त छलाह ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 79

हमरो सबहक िं बर आयल । केबार पीट’ लगलाह ।

हिुमािजी मोि पडलाह । केबार खोललहुँ ।

आक्रमण !

वकछु हमरा लग एलाह, वकछु थमसरजीकें र्े रलवि ।

क्या िाम है ?

कहाँ र्र है ?

वकतिा माक्सघ िा ?

एग्रीकहचर पढ़कर क्या करोगे ?

सीवियर लोगाें के साि कैसा व्यिहार करिा है ?

ये टीकी क्याें रक्खा है ?

कौि सी वहरोइि अच्छी लगती है ?

क्या अच्छी लगती है ?

और बहुत रास ऊंटपटां ग सिाल ।

हमर टीक िै भे टलवि । थमसरजीक टीकपर आक्रमण केलवि ।

थमसरजी बहुत िे होरा क’क’ टीकक रक्षा केलवि ।

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