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VIDEHA_JCT-76-100
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हमर सबसं छोट मामा से हो ओही स्कूलमे पढै त छलाह, हमरासं दू क्लास
आगाँ ।
दसम कक्षामे कोिो दोसर स्कूलसं एलाह िागे न्द्रजी । हुिकासं हमर
प्रथतयोवगता भे ल ।
हम अपि स्िाि प्रिम रखबा ले ल बहुत प्रयास केलहुँ ।हमरा लाज होइत छल
56 ||गजेन्द्र ठाकुर
हम आइयो श्रद्धासं दूिू मास्टर साहे बकें स्मरण करै त सोचै त छी जे विद्यािीकें
कोिो गलतीपर ओकरा वबिा अपमावित केिे , एसगरमे बजाक’ ओकरासं
थमिित बात क’क’ गलतीक विराकरणक विथर् कते क कारगर भ’ सकैत
अथछ ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 57
गजणतमे दू पे पर छलै । हमरा दुिूमे ९९-९९ आएल । हुिका एकमे १०० मे १००
एलवि ।
कॉले ज
हमहूँ ओतवह िाम त्रलखाब’ चाहै त रही,मुदा बाबू िै तै यार भे लाह ।हमर िाम
आर के काले ज, मर्ुबिीमे त्रलखाएल ।हमर मोि छोट भ’ गे ल ।
दरभं गामे िाम त्रलखयबाक मतलब छलै ओत’ डे रा राखब ।मे सक खचघ ।
समय-समय पर गामसं जे बा-एबाक खचघ ।
र्रसं भुखले कोिा जाएब, तें माए अन्द्हरोखे भािस चढ़ा दै त छलीह ।
वकछु ददि गमघ पाविसं से कलवि । किी काल ददघ िै बुझाइि त होइि जे ठीक
भ’ गे ल । फेर कखिो ददघ उठवि त िएह इलाज । ककरो पूथछ क’ कोिो गोटी
खे लवि ओहूसं जखि हारर गे लीह आ ददघ बदाघश्त िै भे लवि त हमरा सं गे
मर्ुबिी गे लीह । डा.त्रशिािीसं दे खौलवि त पुछलकवि, कतहु खसल छलहुँ
की ?
कखिो ददघ उठवि त पावि गमघ क’क’ से क लै त छलीह ।सभ बात डाक्टरिीकें
कहलखखि त ओ कहलखखि, बहुत दे री क’ दे त्रलयै ,हमरा होइए जे से न्प्टक
भ’ गे ल अथछ, जते क जहदी हो दरभं गा हॉस्स्पटलमे दे खाउ ।
जाि बचाबक ले ल हाि काटब जरूरी छवि । बामा हाि काटल गे लवि ।
अस्पतालमे दाइकें दे ख’ गे लहुँ त दाइ ह्बोढे कार भ’क’ काि’ लगलीह ।
हमरो किा गे ल । ओइ ददि हमरा तीि चारर साल पवहिे क एकटा र्टिा मोि
पवड़ गे ल ।
हमरा सबहक वहस्सा िलामे कम फड़ल छलै , कक्का िलामे बे शी छलै फड़ल।
दाइकें की फुड़लवि, हबर-हबर चारर-पां चटा आम हुिका गाछमे सं तोवड़
ले लखखि । हमरा ओ दृश्य मोि पवड़ गे ल जखि हुिकर ओ हाि अस्पतालमे
िै दे खत्रलयवि । एवह र्टिाक प्रभाि हमरा पर पडल । जीििमे कय बे र ई दूिू
र्टिा मोि पड़ल ।
हमर छोट बवहिकें हमर मामा गाममे लड़काक वपता दे खख क’ अपि पुिक
वििाह करयबाक बात शुरू केलवि । ककरो लग चचघ केलखखि ।
60 ||गजेन्द्र ठाकुर
हुिकर बवहिक वििाह छलवि ओत’ । बात आगू बढ़लै । लड़का सभकें पसं द
एलखखि । वििाह भ’ गे लै । दाइक कामिा पूणघ भे लवि ।
आदद अिसर पर कोिो-िे -कोिो आं गिसं स्िीगिक मूहें गीत सूिब आकर्षित
करै त छल ।
डबहारीक भै याजीक मूहें वििाह कीतघि सूिब बहुत आिं ददायक होइत छल।
ओ कोिो प्रसं गकें बहुत रोचक बिा दै त छलाह । कोिो खुशीक अिसर पर
हुिका बजाओल जाइत छल ।
कीतघिमे स्िे हलताक गीत : जखि रार्ि लला छथि सहाय तखि परिाहे की,
अपि वकशोरीजीके चरण दबे बै हे थमथिले मे रह्बै आदद बहुत प्रेमसँ लोक
गबै त छल ।
मामा गाम जाइत छलहुँ त ओतहु रवि ददि सां झमे रामचररतमािसक समूह -
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 63
कॉले जमे विद्यापथत पिघ मिाओल गे लै । ओवहमे रमािाि बाबू आएल छलाह।
भाषण भे लै, कविता पाठ भे लै, गीत-िाद भे लै । रामपट्टीक आर के ‘रमण’
बहुत सुन्द्दर गीत रचिा सस्िर प्रस्तुत केलवि । बहुत िीक लागल । सपिा
भे ल जे हमहूँ एहि रचिा त्रलखी आ मं च पर प्रस्तुत करी ।
कर’ लगलहुँ । पारं पररक र्ुिमे वकछु गीत त्रलखलहुँ जकर पवहल पाती ई सभ
अथछ –
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ककरा कह्बै
अवहिा और वकछु ।
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मोिे मोि विणघय केलहुँ जे आब दू साल र्रर िे त सावहत्यक कोिो िस्तु पढ़ब
िे लीखब ।
मुदा हम अपि विणघय पर बहुत ददि र्रर अटल िवह रवह सकलहुँ ।
एवह बीच हररमोहि बाबूक ‘चचघरी’ मामा गामक लाइब्रेरीसं आवि क’ पवढ़
गे लहुँ ।
एवह सबहक असरर ई भे ल जे जखि राथतमे सभ क्यो सूथत रहै छल, हम वकछु
िे वकछु लीख’ लगै त छलहुँ ।
दू-तीि ददि र्रर उदास रहलहुँ । फेर दोसर पठौत्रलयै क । एक मासक बाद
ओहो र्ुरर आएल ।
१९६८ मे हमर रचिा / वििोद िाताघ ‘मोिे अथछ एखि र्रर सासुरक
यािा’आकाशिाणी,पटिासं मै थिली कायघक्रम ‘भारती’मे प्रसाररत भे ल ।
कायघक्रमक सं चालि गुंजिजी करै त छलाह । बटु क भाइ बहुत िीक जकां
पढ़लवि ।
(३)
एते क सुंदर मै थिली आ अं ग्रेजी हम एवहसं पवहिे िवह सुििे छलहुँ । हमरा
िीक लगै त छल ।
हं । हम कहत्रलयवि ।
हं । हम कहत्रलयवि ।
शाम बाजार लग ।
की करै छथि ?
ट्यूशि करै त छलाह । एखि और वकछु करै त छथि की िवह से िै बुझल अथछ।
एखि अहाँ र्ूम’ जा रहल छी पां च-दस ददि ले ल वक और वकछु उद्देश्य अथछ?
६४८
मािे ७२ % ?
हं ।
७७ %
प्री-साइं समे ?
से कंड वडिीज़ि । ५५ % ।
हमरा विचारसं अहाँ कें िीक होइत जे पोत्रलटे कविकमे त्रसविल ब्रां चमे जाक’
एडथमशि ल’ त्रलतहुँ , बी.एस.सी. पाटघ १ के ररजहट भे लापर
त्रसविलमे स्कोप छै ।
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सोथच त्रलय’ जे अहाँ एत’ रवह सकै छी वक िै । अहाँ अपिे विणघय ले ब त ठीक
रहत ।
हिड़ा जं क्शि पर उतरर ई बता दे लवि जे अपे जक्षत जगह पर पहुँ चबा ले ल
कोि बस वक राम पकड़ब ठीक रहत । एवह सं गे इहो कहलवि जे चाररम ददि
रवि छै , हम दू बजे तक वगरीश पाकघ पहुँ चब ।अहाँ आवब सकी त ओवह ददि
ओत’ आउ, अहाँ क विणघय सुिबामे िीक लागत । ओ इहो कहलवि जे जाैं
अहाँ इएह तय करब जे एतवह रहब त हम तत्काल एक-दूटा ट्यूशि
पकड़यबामे मदथत करबाक कोत्रशश करब ।
ओ बहुत प्रसन्द्ि भे लाह । वगरीश पाकघ लग कोिो होटल रहै ओत’ दूटा
रसगुहला आ एकटा समोसा खुआक’ हमरा विदा क’ दे लवि ।हमरा पाइ िै
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(४(
एत’ वकछु क्लास एकटा हॉलमे होइ छलै जे सड़क के बगले मे छहरदे बालीक
अं दर छलै ।दू कात खूजल ।
हम विचत्रलत भे लहुँ ।
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वकछु लोक कहलवि अहाँ कें िीक होइत जे एक साल ससिगल सब्जे क्ट
बायोलॉजी पवढ़तहुँ ,
हमर त्रशक्षक हमरा ट्यूशि पढबाक सलाह दे लवि । एखि र्रर ट्यूशि िवह
पढिे छलहुँ ।
ट्यूशि पढब ख़राब बुझैत छलहुँ ।हम िै बुझैत छत्रलऐक जे ट्यूशि पढलासं
प्रैस्क्टकलमे िीक अं क आिब आसाि भ’जाइत छै क । हमर एवह अज्ञाितासँ
हावि भे ल ।
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ओकील साहे ब ओवह कॉले जक छाि रहल छलाह । हुिकर र्ाख छलवि ।
हम अपि तै यारी करै त रहलहुँ । थचि बिे बाक अभ्यास,ले बेसलिग करबाक
अभ्यास करै त रहलहुँ ।
डा.सं सं पकघ केलहुँ ।कहत्रलयवि एहे ि दबाई ददय’ जे हमर परीक्षा िवह छू टय।
मुंहमे कां ट जकां गरय लागल । हमरा लादद क’ मर्ुबिी अस्पताल ल’ गे लाह
बाबू ।
सूत’ गे लहुँ । पवहल विन्द्ि छलै सबहक । हहला उठलै ।सभ रुमक केबार
बाहरसं बं द क’क’ बे रा-बे री केबार पीट-पीट क’केबार खोलब’ लगलै । एक
रूम खोलाक’ ओवहमे जे दू छाि छलाह,हुिका पर प्रश्िक बौछार होम’
लगै त छल, २०-२५ के सं ख्यामे छलाह आक्रमणकारी ।लगै त छल जे िा
डकैती भ’ रहल हो । एक रूममे ५-७ थमिट समय दै त छलाह । विकल’ लगै त
छलाह त रूम कें बाहरसं बं द क’ दै त छलाह ।
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आक्रमण !
क्या िाम है ?
कहाँ र्र है ?
वकतिा माक्सघ िा ?