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30 ||गजेन्द्र ठाकुर

िे बसाईट बिा क’, ओवह पर गजल शास्ि प्रस्तुत क’क’, बहुत लोककें गजल
ले खि ले ल प्रेररत करब, मागघ-दशघि दे ब, पुरस्कारक योजिा चलायब,बाल-
गजल, भक्क्त-गजल आदद विशे षां क प्रस्तुत करब,गजलकारक पररचय-
श्रृंखला प्रस्तुत करब आदद काज कदठि छल से आशीषजी केलवि आ हमरा
सबहक आलोचिाक पाि बिलाह । कएटा नहिदी,मै थिली पत्रिकामे गजल
छवप चुकल छल । कतहु वकयो एिा आं गुर िवह उठौिे छल ।सादठ बरखक
उमे रमे जवहया ई सुिल जे व्याकरणक दृथष्टसं कएटा गजल दोखपूणघ अथछ त
अहं कारकें चोट लागल ।बहुत ददि र्रर एवह बात पर काि दे ब आिश्यक िवह
बुझलहुँ ।मुदा, जखि-तखि ई बात ध्यािमे आवब जाइत छल ।अं ततः अहं कार
पराजजत भे ल । जे िै जाि’ चाहै त छलहुँ , से जिबाक इच्छा भे ल, जे िै पढ़’
चाहै त छलहुँ , से पढ़बाक मोि भे ल ।

‘अिथचन्द्हार आखर’क साइट पर गजलक व्याकरणक एते क सामग्री दे खख हषघ


भे ल । मै थिलीक ले ल गौरिक बात बुझाएल । हम सभ रदीफ़ आ कावफया
पर ध्याि दै त छलहुँ , एकटा िस्तु छु वट रहल छल । ओ अथछ बहर ।

हम सभ बहरक झं झवटसँ मुक्क्त चाहै त छी, वकएक त ओकर अभ्यास िै अथछ


। जजिका ई बूझल भ’ गे लवि जे बहरक की भूथमका छै शे रमे , हुिका लगै त
छवि जे बहरक वबिा गजल कोिा हे तै ।स्िीकार आ विरोर्क बीच बहरयुक्त
बहुत रास गजल त्रलखा रहल अथछ । आउ, िीक भविश्यक ले ल तकर स्िागत
करी ।

(२२(प्रेम लता थमश्र ‘प्रेम’ : प्रेमलताजी २००८मे से िा वििृथतक बाद मासे -


मासे एकटा सावहत्त्यक गोष्ठीक आयोजि अपि आिास पर करै त आवब रहल
छथि आ सालमे एकटा पत्रिका से हो प्रकात्रशत करै त छथि ‘सां ध्य गोष्ठी’।
सभ मासक अं थतम शवि ददि ई गोष्ठी होइत छै क ।हम २०१२ मे एवह गोष्ठीसं
जुड़लहुँ । गोष्ठीमे वियथमत रूपसं भाग लै त आवब रहल छी । एवह गोष्ठीक ले ल
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 31

सभ मास कम-स-कम दूटा िि गीत अििा गजल त्रलखबाक कोत्रशश करै त


छी ।गोष्ठीमे बहुत सावहत्यकारसँ भें ट भ’ जाइत अथछ आ हुिको सबहक
रचिासँ लाभान्न्द्ित होइत छी ।हम जे अिुभि करै त छी से हमर एवह दोहामे
प्रगट भे ल अथछ :

मिकें आिं ददत करय, ददअए शान्न्द्त, विश्राम

गीत, गजल, कविता,किा हमर इ चारू र्ाम ।


32 ||गजेन्द्र ठाकुर

३.

आँ खखमे थचत्र हो मै थिली केर (आत्म किा)- जगदीश चन्द्र ठाकु र


’अविल

जन्द्म-स्िाि :

मर्ुबिीसं चारर वकलोमीटर दजक्षण आ पं डौलसं पां च वकलोमीटर उत्तर ।

गामक िाम सले मपुर । लोक सलमपुर कहै त छलै ।

सलमपुर िामक गाम और छलै , तें स्पष्ट करबा ले ल त्रभट्ठी सलमपुर कहल
जाइत छलै ।

त्रभट्ठी हमर पडोसी गामक िाम अथछ, तें भे ल त्रभट्ठी सलमपुर ।

बहुत बादमे पता चलल जे जमीिक िक्शाक अिुसार हमर गाम अथछ
शम्भुआड ।

सलमपुर हमर पडोसी गाम भे ल ।

अही गाममे करीब चारर सय बषघ पवहिे भे ल छलाह बे िी ठाकुर ।

बे िी ठाकुरक पुि भे लथिि हररहर ठाकुर ।

हररहर ठाकुरकें चारर पुि भे लथिि :

मे बा लाल ठाकुर, जय कृष्ण ठाकुर, जयमं त ठाकुर आ भगलू ठाकुर ।


विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 33

मे बा लाल ठाकुरकें दू पुि भे लथिि :

अिं त लाल ठाकुर आ अशफी लाल ठाकुर ।

अिं त लाल ठाकुरकें दू पुि भे लथिि :

राम िारायण ठाकुर आ दोसर पञ्च लाल ठाकुर जे अवििावहते मरर गे लाह ।

जय कृष्ण ठाकुरक एकमाि पुि छलथिि महािीर ठाकुर।

जयमं त ठाकुरकें तीि पुि भे लथिि :

मोतीलाल ठाकुर, अलीक लाल ठाकुर आ भोगी लाल ठाकुर ।

भोगीलाल ठाकुरकें दू पुि भे लथिि आ ओ अपिे कमे बयसमे मरर गे लाह ।

भगलू ठाकुरकें तीि पुि भे लथिि :

राम रूप ठाकुर, गं गा दत्त ठाकुर आ राम स्िरुप ठाकुर ।

राम रूप ठाकुरक पुि भे लथिि महें र िारायण ठाकुर ।

वहिक अलग र्रारी छलवि ।

गं गा दत्त ठाकुरकें तीि पुि भे लथिि :

राज िारायण ठाकुर, सुबुर् िारायण ठाकुर आ ईश्वर िारायण ठाकुर ।

तीिू भाइक पररिार एक र्रारी पर एक आं गिमे रहै त छल ।


34 ||गजेन्द्र ठाकुर

राम स्िरुप ठाकुरकें तीि पुि भे लथिि :

दे ि िारायण ठाकुर, हीरा लाल ठाकुर आ लक्ष्मी िारायण ठाकुर ।

तीिू पररिार एक आं गिमे रहै त छल ।एक र्रारी पर ।

मे बा लाल ठाकुर आ जयमं त ठाकुरक पररिार एक आं गिमे एक र्रारी पर


रहै त छल ।

अही आँ गिमे अिं त लाल ठाकुरक पौि आ राम िारायण ठाकुरक

पवहल सं तािक रूपमे हमर जन्द्म भे ल ।ओवह ददि विजयादशमी रहै ।भोरे हमर
जन्द्म भे ल गाममे ।

बाबा सीमान्द्त कृषक छलाह ।खुट्टा पर एक जोड़ा बरद आ एकटा मनहिस छल।

खे तमे र्ाि, मडु आ, अहहुआ, राहरर,मसूरी, खे सारी आ कुत्रसयार होइत छल।

बहुत बादमे गहूम आ मकई से हो हुअ’ लगलै ।

र्र-आं गि :

पररिारमे माए, बाबू )वपता(, दाइ )वपतामही(, बाबा)वपतामह( छलाह ।

हमरा बाद र्रमे तीि बवहि आ दू भाए एलाह ।

आं गिमे दोसर र्र छलवि अशफी लाल ठाकुरक जे हमर बाबाक छोट भाए
छलाह ।

हुिका दोकाि बला बाबा से हो लोक कहै त छलवि ।

ओ खे तीक अथतररक्त वकरािाके दोकाि से हो करै त छलाह ।


विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 35

जाडक मासमे दरबज्जा पर कहहुआर से हो चलै त छलै ।कुत्रसयारकें पे ड़ क’


गुड़ बिाओल जाइत छल ।

ते सर र्र छलवि मोतीलाल ठाकुरक आ भोगीलाल ठाकुरक। भोगीलाल


ठाकुरक दू बालक छलथिि ।

चाररम र्र छलवि अलीक लाल ठाकुरक ।

आं गिमे उत्तर कात मोतीलाल ठाकुर आ भोगी लाल ठाकुर,दस्च्छि कात


अिं त लाल ठाकुर )हमर वपतामह(

पूब ददस दस्च्छिसं अलीक लाल ठाकुरक र्र छलवि,उत्तरमे एकटा छोट र्र
अशफी लाल ठाकुरक वहस्सामे छलवि ।

एवह दुिूक बीच चारर फीटक रास्ता छलै जावह द’ क’ लोक आँ गिसं दरबज्जा
आ दरबज्जासं आँ गि अबै त छल ।

पस्च्छम ददस उत्तरसं अशफी लाल ठाकुरक र्र छलवि आ दस्च्छिमे अिं त
लाल ठाकुरक वहस्सामे एकटा छोट-छीि र्र छलवि

जावहमे भगितीक र्र आ भिसा-र्र दुिू छल ।

आँ गिमे एकेटा र्र छल जे िीचां मे इं टा आ उपर खपड़ा छलै । ई अशफी लाल


ठाकुर बिबौिे छलाह । शे ष सभक र्र फूसक छल ।

चारु र्रबासीक ले ल एकटा सजझया दरबज्जा छल जे खूब िमहर छल ।

दरबज्जा पर सभ र्रक चौकी वक खाट रहै त छल ।अशफी लाल ठाकुरक


एकटा सं दूक से हो छलवि ।
36 ||गजेन्द्र ठाकुर

दुपहररयामे आ राथतमे दरबज्जा भरल रहै त छल । दुपहरमे ताशक खे ल होइत


छल ।

दुगाघ पूजासं दीयाबाती तक पचीसी से हो लोक खे लैत छल ।

भरर गाममे पां चे-छओ टा र्र इं टाक छल, और सभ फूसक ।

फूसक र्र लकड़ी, बां स, खढ, खरही, पतोइ आ साबे क जौडसं बिै त छल ।

जखि हिा चलै त छलै ,लोक अवगलगीक आशं कासं डे राएल रहै त छल ।

एक शुभ ददिमे हम सभ अवगलगीक दुःख कोिा भोगलहु, से आगू कहब ।

आं गिक पस्च्छम एकटा इिार छल । टोल भररक लोक एकर उपयोग करै त
छल ।

इिारक पाविक उपयोग पीबा ले ल, िहे बा ले ल आ कपडा खखचबाक ले ल


कएल जाइत छल ।

ििकविया सभ ले ल र्रक पाछू टाट सं र्े रक’ बाहटीमे पावि राखख दे ल जाइत
छल ।

टोलक दस्च्छि एकटा पोखरर छलै ।

हे त्रल क’ जाइठतक जाएब आ ओत’ सं हे त्रल क’ आएब िीक लगै त छलै ।

बूढ़ लोक सभकें पोखररमे िहाएब िीक लगै त छलवि ।

लोक माल-जालकें से हो पोखररमे िह्बै त छल ।


विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 37

पविभरिी डोलसं र्ै लमे पावि इिारसं भरर क’ अं गिे -अं गिे द’ अबै त छलीह।

ओकरा सभ र्रसं अन्द्ि दे ल जाइत छलै आ पािवि-थतहार अििा मूडि,


उपियि,वििाह आदद अिसरपर कपडा से हो ।

पै खािा जे बाक ले ल बसवबटटी अििा खे त ददस लोक जाइत छल ।

ििकवियाँ सबहक ले ल बाड़ीमे खाथर् खुवि क’ तात्कात्रलक व्यिस्िा कएल


जाइत छल ।

हाि माइटसं र्ोल जाइत छल ।

परं परा

पुि जन्द्म ले ल लोक दे िी-दे िताक कबुला करै त छल । पुि भे ला पर बड ख़ुशी


मिबै त छल ।

बच्चा एक-दू सालक होइत छल त िीक ददि तका क’ बड विथर्-विर्ािसं


मूडि कराओल जाइत छल ।

सभ सम्बन्द्र्ीकें िोत-हकार दे ल जाइत छल । पाहुि सभ अबै त छलाह ।

गामक लोककें भोज खुआएल जाइत छल । स्िीगण सभ गीत गबै त छलीह।

हजाम कैंचीसं बच्चाक मािक केश कटइत छल । हजामकें पाररश्रथमक आ


कपडा दे ल जाइत छल ।

परं पराक अिुसार हमरहु मूडि भे ल ।


38 ||गजेन्द्र ठाकुर

ई उत्सि बे टीक ले ल िै कएल जाइत छलै ।

बच्चा आठ बरखक होइत छल त उपियिक बात शुरू भ’ जाइत छल ।

िीक ददि तकाएल जाइत छल ।

एक ददि उद्योग-मरबठटठी होइत छल ।

बां स काटल जाइत छल आ मरबा बन्द्हाइत छल । भराइत छल ।

िीपल-पोतल जाइत छल ।

गीत-िाद होइत छलै क ।भोज होइत छलै क ।

उपियिक दोसर चरण होइत छल कुमरम ।सर-कुटुं ब सब अबै त छलाह ।

बच्चाक वििावहत बवहि,दीदी,मामी,िािी,मौसी आदद विदागरी भ’क’ अबै त


छलीह ।

पं वडतजी अबै त छलाह ।पूजा-पाठ होइत चल ।गीत-िाद होइत छल । भोज


होइत छल ।

ते सर चरण होइत छल उपियि । छागर कटाइत छल ।गीत-िाद होइत छल।

पूजा-पाठ होइत छल ।एक आदमी गुरु बिै त छलाह । एक आदमी ब्रह्मा बिै त
छलाह ।

बालकक मािक केश अस्िुरा ल’क’ हजाम द्वारा काटल जाइत छल ।

बालककें गायिी मन्द्ि पढ़ाओल जाइत छल । जिउ र्ारण कराओल जाइत


छल ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 39

पावि ल’क’ लर्ुशंका करब त्रसखाओल जाइत छल ।छु आछू त मािब


त्रसखाओल जाइत छल ।

लर्ुशंका आ दीर्घशंका करै त काल जिउ काि पर राखब त्रसखाओल जाइत


छल ।राथतमे फेर भोज होइत छल ।

चाररम चरण होइत छल राथतम जे उपियिक चाररम ददि होइत छल ।

एकर सं ग सत्य िारायण भगिािक पूजा होइत छल ।

पाहुि सभ जे कुमरम ददि अबै त छलाह से राथतमक बादे मुक्त भ’ पबै त


छलाह ।

वबदागरीिाली सभ से हो राथतम अििा पूजाक बादे िापस होइत छलीह ।

पाहुि सभ बरुआक ले ल कपडा आ आशीिाघदक रूपमे वकछु टाका खचघ करै त


छलाह ।

जाइत काल हुिका विदाईमे र्ोती, जिउ-सुपाड़ी दे ल जाइत छलवि ।

स्िीगण सभ से हो बरुआ ले ल, बरुआक माए ले ल कपडा आ पाइ अिै त


छलीह ।

हुिको सभकें जाय काल साडी,साया,ब्लाउज आदद दे ल जाइत छलवि ।

उपियिक प्रवक्रयामे र्रिारीकें १५ ददि सं २५ ददि समय लावग जाइत छलवि


आ बहुत अन्द्ि-पावि

आ टाका खचघ होइत छलवि ।मुदा बहुत उत्साहसं ई खचघ लोक करै त छल ।
40 ||गजेन्द्र ठाकुर

जजिका अपिा र्रमे अन्द्ि-पावि आ टाका िवह रहै त छलवि ओ कजाघ ल’क’,
खे त भरिा र्’ क’ व्यिस्िा करै त छलाह ।

परम्पराक अिुसार हमरहु उपियि भे ल ।

बे टीक ले ल ई सभ िै होइत छल ।

बे टीकें लोक स्कूल िै पठबै त छल ।लोक चाहै त छल जे बे टीकें अक्षरक ज्ञाि


भ’ जाइ, र्रिलाकें थचट्ठी त्रलखै क अिगथत भ’ जाइ ।बे टी दस-बारह बरखक
भे लै त कतहु ओकर वििाह करा क’ लोक

विखश्चन्द्त होइत छल ।

बे टाकें लोक स्कूल पठबै त छल ।

गाममे पुबाई टोलमे छलै स्कूल, पाँ चमा तक पढाइ होइत छलै क ।

कोिो-कोिो त्रशक्षक सभ विद्यािीक सं ग बहुत कठोर व्यिहार करै त छलाह ।

उद्देश्य िीक छलवि ।

जे छाि सबक याद क’क’ िै जाइत छलाह हुिका मारर खाए पडै त छलवि ।

मारबाक ले ल बां सक करची अििा खजूरक छड़ी अििा रोलक उपयोग


कएल जाइत छल ।

जकरा पर मास्टर साहे ब खखत्रसयाइत छलाह, ओकरा मारै त-मारै त ओर्-बार्


क’ दै छलथिि ।

पीठ पर दाग भ’ जाइत छलै ।


विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 41

विद्यािी स्कूल जे बासं छीह काट’ लगै त छल ।ओकरा और कठोर दं ड भे टैत


छलै ।

त्रशक्षक बुझैत छलाह जे माररक डरसं विद्यािी पढ़त, पाठ याद क’ क’ आएत
मुदा पररणाम होइत छल जे बहुत विद्यािी

स्कूल एिाइ बं द क’ दै त छल ।

माए-बाबू से हो सोच’ लगै त छलाह जे जीतै त बीस टा उपाए हे तै ।एहि बच्चा


खुरपी-कोदारर र्’ लै त छल ।

प्राइमरी पाठशाला

र्रसं एक वकलोमीटर पर छल स्कूल ।

बाल मुकं ु द बाबू छलाह प्रर्ािाध्यापक ।दूटा और त्रशक्षक छलाह ।

बाल मुकं ु द बाबूक डर बहुत होइ छलै विद्यािी सभकें । जे हुिका डरसं पाठ
याद क’क’ गे ल से बां चल, जे िै याद केलक ओकरा छड़ी अििा रोलसं बड
मारर खाए पडै त छलै क । भररसके वकयो हुिकासं मारर िै खे िे हएत । मारर
िै खाए पडय, ताही डरसं पाठ याद क’ क’ जाइत छलहुँ । तकर लाभ भे ल।

हमर सं गी छलाह राजें र ठाकुर ।

हुिकर बाबू हुिका गायक बिब’ चाहै त छलथिि ।

ओ सां झ क’कैटोला स्िािपर एकटा गबै याजीसं गायि सीख’ जाइत छलाह।

हुिका सं गे एकददि हमहूँ गे लहुँ ।


42 ||गजेन्द्र ठाकुर

हरमुवियाँ पर ‘सा रे ग म प र् िी सा,सा िी र् प म ग रे सा’ क अभ्यास


करब आकर्षित केलक ।

बाबूकें िीक िै लगलवि ।

ओ हमरा बुझौलवि जे बी ए पास केलाक बाद और जे वकछु करबाक हुअ’


से कररह’, एखि िै ।

ओ स्कूलमे मास्टर साहे बकें से हो कवह दे लखखि ।

मास्टर साहे ब ते हेि छाैं की लगे लवि जे हमर गायि त्रसखबाक ले ल उत्साह
ख़तम भ’ गे ल ।

स्कूलमे एकटा सज्जि मास्टर साहे ब एलाह । ओ ककरो िै मारै त छलखखि।


ओ साइवकलसं गामसं अबै त छलाह । साइवकलसं अबै त काल हुिका लोक
बे र-बे र पुछैत रहै छलवि, मास्टर साहे ब कते बजलै ए ? ओ खाैं झाइत छलाह।
लोक दौवड़ क’ लग जा क’ पूथछ दै त छल । ओ कहै त छलखखि ‘दस’, चाहे
कतबो बाजल होइ ।

स्कूलमे प्रािघिा होइत छलै , से हमरा सबसँ बे शी िीक लगै त छल । सरस्ितीक


पूजाक अिसर पर स्कूलक आगाँ िाटक होइ छलै ,से हो दे खब िीक लगै त छल
।िाटक ओही टोलक िियुिक सभ करै त छलाह ।

ि’हमे दूरदशथि

दाइक सुइत हे रा गे लवि ।वियाहमे भे टल रहवि ।

चािीक छलै । र्न्द्हारीक खोर्लीमे रखिे छलीह । बहुत खोज भे ल । िै


भे टलवि । आठ बरख के भीतरक दू टा बच्चाकें ल’क’ दाइ भौड़ा पहुँ चलीह
। एकटा हम रही ।दोसर छलाह बाबू िारायण । ओ हमरासं दू बरखक िम्हर
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 43

छलाह ।

हमरा सभक दवहिा आैं ठामे काजर लगाक’ मौलबी साहे ब मोिे -मोिे वकछु
पढ़लवि आ किी कालक बाद हमरा आैं ठाकें सोझां राखख पुछ्लवि दे खखयौ त
वकछु दे खाइए । हम वकछु िै दे खत्रलयै । बाबू िारायण कहलखखि, हं ,हम त
दे खै थछयै , ई त कैला छै ।

दाइ कहलखखि, हे , ठीकसं दे खही, कैला िै हे तै, दोसर वकयो हे तै ।

बाबू िारायण कहलखखि, हम ठीकसं दे खै थछयै , ई कैले छै ।

मौलबी साहे ब फेर आँ खख मूवि क’ वकछु मोिे -मोिे पवढ़ क’ कहलखखि, आब


दे खखयौ त की सभ ओ करै छै ।

बाबू िारायण बाजय लगलाह :

ओ र्रमे गे लैए .....र्िहारीमे हाि दे लकैए ......ओइमे स’ वकछु विकात्रलक’


फाँ ड़मे रखलकैए .....आब र्रसँ विकत्रल गे लै....आब आँ गिसं बाहर आवब
गे लै.....कतौ जाइ छै .........एक ठाम पोखरर खुिाइ छै ....ओत’ ठाढ़ भ’क’
ककरोसं गप्प करै छै .....जकरासं गप्प करै छै ओकरा िै थचन्द्है थछयै ......आब
वबदा भे लै.....जा रहल छै ....आब र्र सभ छै .....एकटा आं गिमे
एलै ......एकटा मौगीकें गोर लगै छै ....ओकरा सं गे एकटा र्रमे गे लैए....वकछु
दे लकैए ओकरा ...आब र्रसं बाहर आवब गे लै....फेर ककरो गोर लगै छै, हम
िै थचन्द्है थछयै .....

मौलबी साहे ब पुछलखखि, ई कैला के अथछ ?

दाइ कहलखखि, िै मौलबी साहे ब, कैला हमर िस्तु िै चोरा सकैए ।


44 ||गजेन्द्र ठाकुर

मौलबी साहे ब कहलखखि, िएह ले लक-ए, ओकरे पुथछऔ ।

र्र अबै गे लहु ।र्रमे ककरो मोि िै मािै जे कैला चोरौिे हे तै । कैला सबहक
विश्वास पाि छल ।महींसक चरबाही करै त छल ।

वकयो पुछलखखि त कैला सोझे िदठ गे ल ।

बाबा थचराकी चाउरक प्रयोगक र्ोषणा केलवि ।

चोर पकड़बा ले ल थचराकी चाउरक प्रयोग :

थचराकी चाउरक िाम सुविते कैला बाज’ लागल, हम त एक वकलो चाउर


थचबा जे बै, हमरा कोिो डर अथछ, हम चोरे िे थछयै हे िे त हमरा किीक डर ।

सां झमे टोलक बहुत लोक सभ जमा भे ल । एकटा िारीमे अरबा चाउर
आएल। बाबा वकछु मन्द्ि पवढ़क’ किी-किी क’ सभकें दे लखखि थचबाब’।

सभ कविएँ कालमे थचबाक’ र्ाें वट गे ल, कैलाकें र्ाें टल हे बे िै करै । कते क


काल र्रर थचबबै त रहल कैला, एक मुट्ठी चाउर िै भे लै थचबाएल ।

पक्का भ’ गे लै जे कैले चोर अथछ ।

बाबाक आँ खखमे िोर भरर एलवि ।कैला ददस तकलवि ।

कैला बाबाक पएर पर खसल, हमरा माफ़ क’ ददय’ वगरहत, हमही चोर छी ।

कैला चोर िै छल । र्रमे बे गरता छलै । तें एहे ि केलक ।

ओ गछलक जे हम त ओकरा बे थच ले लहुँ , मुदा हम ओकर पाइ सर्ा दे ब


।कैलाकें कोिो दं ड िै दे ल गे लै । ओकरा फ़ज्झथत िै कएल गे लै । ओकरासं
र्ृणा िै कएल गे लै ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 45

कैला दू-तीि सालमे कजघसं मुक्त भ’ गे ल ।

बादमे ओ िोकरी कर’ आसाम चल गे ल । ओत’ सं सालमे एक बे र


अपि गाम अबै त छल त हमरो गाम आवब बाबा-दाइक भें ट कर’ अिश्य
अबै त छल ।

कैला हमरो िीक लगै त छल ।

गहिा रखबाक एहे ि उपाय, एहे ि चोरी, चोर पकड़बाक एहे ि उपाय, चोरक
प्रथत एहे ि भाि आ पकड़ा गे लाक बाद चोरक सं ग एहे ि व्यिहार हमरा
प्रभावित केलक । हमर व्यक्क्तत्िक विमाघणमे एकर महत्ि अथछ ।हम मािै त्त
छी जे जीििमे ककरोसं कोिो क्षथत भ’ जाइ त ओकरा दं ड दे बाक बात िै
सोचबाक चाही, ओकर स्स्िथतक अिुमाि करक चाही,ओकरा प्रथत करुणाक
भाि रखै त क्षथत कम करबाक प्रयास करबा पर ध्याि दे बाक चाही, क्षथत और
िे भ’ जाए से होश राखब जरुरी होइत छै क ।भ’ सकैछै जकरा अहाँ अपरार्ी
बुझैत छी से अपरार्ी िै हो, ओ माि एकटा उपकरण हो आ अहाँ क क्षथत
अहीं द्वारा विर्मित एकटा पररस्स्िथतक पररणाम हो । तें अपरार्क जवड़
तकबाक प्रयास करब आ ओकर विदाि ताकब बे शी उपयुक्त भ’ सकैत
अथछ।

अथर्क काल एिा होइत छै क जे कोिो दुर्घटिा भे ला पर लोक अपिाकें विदाे ष


आ शे ष सभकें अपरार्ी बुझैत अथछ, जकर पररणाम शुभ िवह होइत अथछ ।

थमवडल स्कू ल

पाँ चमा पास केलाक बाद थमवडल स्कूल,त्रभट्ठीमे हमर िाम त्रलखाएल गे ल ।

ई स्कूल र्रसं दू वकलोमीटर पर छल ।


46 ||गजेन्द्र ठाकुर

ओइ स्कूलमे सोहरायके हमर पीसा से हो त्रशक्षक छलाह ।

पीसाक सुझािक अिुसार हम गाम परसं चारर एक्सरसाइज नहिदीसं अं ग्रेजी


रां सले शि बिा क’ ल’ जाइत छलहुँ ।

दुपहरमे वटवफि टाइममे हुिका लग ल’ जाइ छलहुँ ।

ओ सही क’ दै छलाह ।

गलती दोबारा िै हो से ध्याि रखै त छलहुँ ।

गजणत आ अं ग्रेजी पढबामे िीक लगै त छल ।अन्द्य विषयमे कम मोि लगै त


छल ।

स्कूलमे प्रथतयोवगताक िातािरण िै छलै ।

िे तरहाटमे िाम त्रलखे बाक ले ल परीक्षामे सत्म्मत्रलत भे लहुँ । सफल िै भे लहुँ ।

मुदा,सातमामे कक्षामे सबसँ बे शी प्राप्तां क आएल ।

शान्न्द्तक खोजमे अशाां थत :

आं गिमे चारर र्रिासी रहबाक कारण सददखि टोिा-मे िी होइत रहै छलै
।जखि-तखि हहला-गुहला होइत रहब सामान्द्य बात भ’ गे लै । हमर वपता
र्रारी अलग करबाक विकहप चुवि ले लवि । एवह विणघयसं लाभ ई भे लै जे
हम सभ हहला-गुहलासं अलग भ’ गे लहुँ । हावि ई भे ल जे रहबा ले ल कहुिा
र्र त ठाढ़ भ’ गे ल मुदा तीि साल तक भराइ चलै त रहल ।ओ खे त छलै ,
गहींर छलै ।बहलमाि बड़द जोथत क’कटही गाड़ी टोलसं दजक्षण बार् ल’ जाइ
छल । ओत’ कोदाररसं मावट कावट क’गाडी पर लादद क’ र्र अबै त छल ।
बाबा गाड़ीक सं ग जाइ छलाह, अबै छलाह । खे तमे सं मावट उठाक’ गाडी पर
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 47

रखै त छलाह । कवहयो क’ बाबाक सं ग हमहूँ जाइत छलहुँ ।

र्र बियबामे जते क खचघक अिुमाि कएल गे ल छलै तावहसं बहुत बे शी खचघ
भे लै ।

दू टा र्र बिल । पछबारी कात एकटा भिसा र्र जावहमे पूब दजक्षण कोिमे
भगिती रहलीह, पूब ददस थचिुआर भे ल । र्रमे वकछु कोठी बिाक’ राखल
गे ल ।

बीच र्रमे से हो भोजि करबा ले ल जगह छल ।दुआरर पर से हो भोजि कएल


जाइत छल । दुआरर पर र्ै लची बिल जावहमे पीय’िला पाविक दूटा र्ै ल
रखबाक जगह छल ।

दजक्षण कात र्र बिल जावहमे वकछु कोठी सभ राखल गे ल, एकटा पलं ग

राखल गे ल । ओकर दुआररपर जाँ त छल ।

उत्तरसं एकटा दरबज्जा बिल । तावहमे पस्च्छम ददससं एकटा छोट-छीि


कोठली विकालल गे ल जावहमे लकड़ीक एकटा टे बुल आ एकटा कुरसी
राखल गे ल ।पूब उत्तर कोिमे एकटा चक्का बिाओल गे ल ।

आँ गिमे एकटा ढे की गराएल ।आँ गि िमहर बिल ।र्र सभ बां स, लकड़ी,


खढ आ साबे क जौडसं बिल ।समय बहुत लगलै । खचघ बहुत लगलै ।

एकर प्रभाि जीिि-यापि पर पडलै ।

एवह बीच हमर पढ़ाइ-त्रलखाइ जे िा-ते िा चलै त रहल ।


48 ||गजेन्द्र ठाकुर

काि त सोि िवह :

जे कपूघरा एकटा बच्चाक बाट १२ बरख तकलवि, हुिका ६ टा बच्चा भे लवि,


तीि टा बे टा, तीि टा बे टी । मुदा आब र्रक आर्ििक स्स्िथत एहे ि भ’ गे लवि
जे पवहलो बे टीक वबयाहक ले ल सक्षम िवह रहलीह । पवहल बे टी शान्न्द्तक
पढाई ओतबे भे लवि जते अपि छलवि । १२ बरख पुरैत-पुरैत

शां थतक ले ल बरक तलाश शुरू भे ल । सभकें चचिता भे लवि ।सासुकें से हो


पोतीक वििाह दे खबाक ते हेि अत्रभलाषा जागृत भ’ गे लवि जे एकटा
अत्रशजक्षत दद्वतीय बरमे से हो सभ गुण दे खाय लगलवि । वकछु लोको सभ
प्रशं सा केलकवि, मािपर दू बीर्ा खे त छै , खुट्टापर महींस-बरद छै , पोखरर छै ,
पोखररमे माँ छ खूब होइछै ।

हमर वपता कलकत्तामे प्रेसमे काज केिे छलाह, दरभं गामे िोकरी केिे छलाह
।हमरा वििाहक ले ल बहुत ददि र्रर अडल रहलाह मुदा बे टीक वििाह ले ल
वकए एते क र्डफडा गे लाह, हमरा बहुत ददि र्रर िवह बुझाएल । ओिा जे
वकयो बाहर िवह गे ल छलाह, हुिका सभ ले ल ई सामान्द्य बात छलै ।

ओइ समयमे लोक बे टीकें पढ़ाएब ठीक िै बुझैत छल ।

लगमे स्कूल िै छलै ।पढ़बा ले ल बे टीकें दूर पठाएब अिुथचत मािल जाइत
छलै ।बे टीक वबयाहक ले ल उपयुक्त ियस १२ िषघ र्रर मािल जाइत छलै
।कोिो शाश्िमे त्रलखल छलै )हम िै पढ़िे छी ( जे बे टीक वििाह १२ िषघसं
पवहिे करा दे बाक चाही िे त वपता पापक भागी हे ताह ।

लोक शाश्िक एवह आदे शक पालि करब कतघव्य बुझैत छल ।

मान्द्यता ई छलै जे बे टी पराया र्ि िीक, कहुिा सकुशल अपि सासुर चल


जाए से लोकक लक्ष्य होइत छलै ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 49

वबयाहक विथर्-व्यिहार महत्िपूणघ होइत छलै ।

विथर्-व्यिहार आसाि िै छलै ।

वििाहमे िररयाती एतै । िररयातीक भोजिक व्यिस्िा करब सबसँ महत्िपूणघ


काज होइत छलै ।रं ग-विरं गक २१ टा वक ३१ टा तरकारी बितै ।तौलाक तौला
दही पौडल जे तै ।रसगुहला जबरदस्ती पचास-पचास टा खुआएल जे तै ।चारर-
पां च ददि पर चतुिी हे तै ।बीचमे सभ ददि मौह्क हे तै ।गीत-िाद होइत रह्तै ।
चतुिीक बाद िीक ददिमे जमाएकें वबदाई द’क’ विदा कएल जे तवि ।

जमाए १० ददि वक १५ ददि पर अबै त रहताह । हुिका सासुरमे जबरदस्ती १०-


१०, २०-२० ददि राखल जे तवि । ओकर बाद पं चमी हे तै । तखि मर्ुश्राििी
हे तै । मर्ुश्राििीमे १५ ददि र्रर बे टी फूल लोढ़तीह ।किा-पूजा हे तै ।गीत-
िाद होइत रह्तै ।लड़कािला िोत पूरय एताह ।चारर-पां च ददि रहताह ।हुिका
ओवहिा भोजि कराओल जे तवि जे िा िररयातीकें कराओल जाइत छवि
।हुिका िीक वबदाईक सं ग विदा कएल जे तवि । तकर बाद कोजगरा हे तै ।
कोजगरामे लड़कीिला मखाि,दही,केरा,चूडाक भारक सं ग लड़काक ओत’
एताह ।हुिको चारर ददि राखल जे तवि ।तकर बाद गं जी,र्ोती,कुरता,डोपटा,
पाग आदद द’ क’ विदा कएल जे तवि ।

तकर बाद जराउर हएत ।

सभ पािविमे दुिू ददससं भार-चं गेराक आदाि-प्रदाि होइत रहत ।

तीि अििा पां च साल पर दद्वरागमि हएत । एवह बीच लड़का अपि सासुर
अबै त-जाइत रहताह ।

वििाहक सम्पूणघ कायघक्रममे एवह तरहें तीि सं पां च साल लावग जाइत छलै ।
50 ||गजेन्द्र ठाकुर

ई छलै परम्परा । एकरा सं ग छलै बहुत रास विथर्-व्यिहार जकरा


आगाँ बे टीक इच्छा-आकां क्षाकें कोिो महत्ि िै दे ल जाइत छलै ।

कोिो बे टी अपि इच्छा-आकां क्षाकें कवहयो प्रगट िै करै त छलीह ।दू-तीि टा


बच्चा भे लाक बादे बे टी वकछु बजबाक साहस जुटा पबै त छलीह ।

पन्द्रहम बरख पुरैत-पुरैत शान्न्द्त अपि सासुरक पररिारमे शाथमल भ’ गे लीह।


राम िारायण ठाकुर एक बे टीक वििाहसं विश्श्चित भे लाह ।

बाल-मण्डली :

हमर सं गी छलाह राजें र ठाकुर,आशािन्द्द ठाकुर,बै द्यिाि ठाकुर, खे लािन्द्द


ठाकुर ) बाबू िारायण (,राम परीक्षण झा, फ़क़ीर चन्द्र दास, िगे न्द्र भूषण
मल्हलक आ वकछु और गोटे । एवहमे वकछु गोटे हमरासँ एक वकलास आगू
छलाह । सभ गोटे सां झक’ फुट-बौल खे लाइत छलहुँ । बादमे सभ गोटे क
विणघय भे ल जे हम सभ गाममे स्िच्छता अत्रभयाि चलाएब । टोलमे पोखररकें
साफ़ करबाक काज शुरू भे ल । पोखररक भीड़ पर भरर टोलक लोक छदठ
पूजा करै त छल ।

छदठ पूजाक बाद एकर चचिता लोक िै करै त छल । से पोखररमे कुम्भी बड़ भ’


गे ल रहै ।बाल मं डली एकर सफाइमे लावग गे ल । दस-बारह ददिमे पोखरर
साफ़ भ’ गे ल । आब पोखररक भीड़ पर एकटा पुस्तकालय बिे बाक काज
शुरू भे ल । भूषणजीक अक्षर बहुत सुन्द्दर होइत छलवि । पुस्तका लयक ले ल
ओ एकटा वियामािली बिौलवि, लोक सभसं एकटा-दूटा क’ बां स मां गल
गे ल ।हम सभ अपिे सं बां स कावट क’ अिै त छलहुँ । पोखररक दथछिबररया
भीड़ पर जमा कर’ लगलहुँ । लोक सभसं चं दा मागल गे ल । जि राखल गे ल।
अपिो सभ त्रभडलहुँ ।मावटक दे बाल ठाढ़ हुअ’ लागल ।
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 51

हमर सबहक पढ़ाइ बाथर्त भ’ रहल छल ।

हमरा सभमे एक गोटे तमाकुल खाइत छलाह ।

हमर वपता एकददि हमरा कहलवि जे जावह मं डलीक सदस्य तमाकुल खाइत
छथि ओ मण्डली समाज-सुर्ार की करत ।

ई बात हमरा ठीक लागल । हम मण्डलीक सदस्यकें िवह बदत्रल सकैत छलहुँ ।
हम इएह कारण त्रलखै त मण्डलीसं अलग भ’ गे लहुँ ।

मण्डली वकछु ददिक बाद भं ग भ’ गे ल आ पुस्तकालयक काज पूरा िै


भे ल।मण्डलीसं अलग भे ला पर हम अपि ध्याि अपि पढाइ पर केखन्द्रत
केलहुँ । शे ष सदस्य सभ से हो अपि-अपि पढाइमे लावग गे लाह ।

हमरा फुट-बौल से हो पसं द िै आएल । हमरा एक बे र गें दसं जां र्मे ते हेि चोट
लागल जे सभ ददि ले ल खे लसं विरक्क्त भ’ गे ल ।

वपता कागजसं खे ल केिाइ त्रसखौलवि ।

कागज़सं खे ल ! कागजक दुआथत बिौिाइ, कागज़क िाओ बिे िाइ । हमरा


ई खे ल सुरजक्षत लागल ।

गाममे हमर कक्का आ हुिक समियस्की सभ िाटक खे लाइत छलाह, से


हमरा िीक लगै त छल । पुबाइ टोलमे जगदीश बाबू ओत’ कोिो अिसर पर
बे लाहीिला िौटं की एलै ।सत्य हररश्चं र, ििदे िी और कोिो-कोिो िौटं की
दे खैत खूब िीक लगै त छल ।एक बे र सां झ तक पता छल जे िै हे तै, त हमसब
खा क’ सूथत रहलहुँ । बहुत राथतमे विन्द्ि टू टल त िगाराक आिाज सुिाइ
पडल । हमरा िै रहल भे ल । हम चुपचाप एसगर ओते राथतमे गाछी द’ क’
चल गे लहुँ िौटं की दे ख’ आ ख़तम भे लै त और लोक सभ सं गे चल एलहुँ ।
52 ||गजेन्द्र ठाकुर

अि महराजजी किा :

िारायणपट्टीमे हमर वपताक एकटा बवहि छलथिि ।हुिका एकमाि पुि


रहथिि शं कर । शं करक उपियि भ’ गे ल रहै क । दुयाे गसं एक राथत र्रमे
सुतलमे शं करकें सां प कावट ले लकवि । ओ िवह जीवब सकलाह ।बडका
शोकमे दीदीक पररिार डू वब गे ल । सभ सम्बन्द्र्ी लोकवि दुःखमे पवड़ गे लाह
।हमर वपता से हो बहुत चचिथतत भे लाह ।र्रमे सभ बहुत दुखी रहथि ।एवह
दुर्घटिासं पवहिे एक बच्चाक जन्द्मक समय दीदीक ई स्स्िथत भ’ गे लवि जे
दे हमे खूि बहुत कम बचलवि, खूि चढ़ाबक आिश्यकता भ’ गे लै ।बाबू अपि
खूि दे लखखि । जाि बँ चलवि । आब ई पुि-शोक ।

बाबूकें भे लवि र्रक जगहकें कोिो गुिी-महात्मासं जां च करवबयै क । एकटा


महात्माजी कतहु भे टलखखि । हुिका ओ र्रारी दे खब’ ले ल अिलवि ।
िारायणपट्टी जे बासं पवहिे चारर-पां च ददि महात्माजी हमरा सबहक पाहुि
भे लाह ।ओ अपि वकछु करतब दे खौलवि ।एकददि ओ कहलखखि हम
कागज़सं रुपै या बिा दे ब । लोक अचं त्रभत भे ल । लोक जमा भ’ गे ल ।

महात्माजी एकटा कागजक पन्द्िा ले लवि, एक लोटा पावि ले लवि ।कागजपर


वकछु लीखख क’ सभकें दे खाक’ ओकरा टु कड़ी-टु कड़ी क’ दे लवि । ओकरा
मुंहमे र्’ ले लवि । थचबाक’ लोटामे रखलवि । हाि लोटामे र्’ क’ बाहर
विकाललवि त ओवहमे सं एकटा दसटकही रुपै या विकललवि । ओइ पर
ओवहिा सभ थचि आ चे न्द्ह सभ रहै जे िा आि रुपै या सभमे रहै छै ।सभ
आश्चयघचवकत भ’ गे ल । महात्माजी कहलखखि जे वकछु र्ं टाक बाद ई रुपै या
पुिः कागज भ’ जाएत, तें जते क शीघ्र हो एकर उपयोग क’ त्रलय’ ।एक
आदमी सायवकलसं गे ल पं डौल ओ रुपै या ल’क’ आ ओकर मोतीचूरके लड्डू
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 53

वकििे आएल । सभ वकयो लड्डू खे लक । सभ हुिका महाराजजी कह’


लगलवि ।

महाराजजी कहलखखि, जे वकयो त्रसमररया जाए चाहै छी से तै यार होउ, हम


सां झमे गाछ पर चढ़ा क’ ल’ चलब, ओत’ स्िाि क’क’ सभ गोटे र्ूरर आएब
।ददिमे त’ कए गोटे तै यार भे लाह, मुदा सां झ होइते सभ डे रा गे लाह, वकयो
िै तै यार भे लाह ।

बाबू हमरा त्रसखौलवि जे महाराजजी जाैं पुछथि ‘की चाही ?’ त कहबवि जे


कोट-पें ट चाही । दोसर ददि महाराजजी पुछ्लवि, ‘की चाही ?’ हमरा िै कहल
भे ल जे कोट-पें ट चाही ।हम वकछु िै मां वग सकलहुँ ।ई हमर स्िभाि छल ।बाबू
बहुत ददि तक हमर एवह स्िभािकें हमर कमजोरी मािै त रहलाह । मुदा,हमर
ई स्िभाि हमर शक्क्त छल,से बहुत बादमे पता चलल ।

महाराजजी और लोक सभकें पुछलखखि, की चाही त िियुिक सभ


कहलखखि हमरा सभ गोटे कें त्रसिे मा दे खा ददय’। महाराजजी सभकें ल’क’
मर्ुबिी गे लाह ।रस्तामे कागजसं एकटा िमरी बिा क’ द’ दे लखखि । सभ
गोटे राथतमे र्ुरलाह त उदास रहथि । बजै गे लाह जे त्रसिे मा हॉलसं विकलै त
काल महाराजजी कत’ वबला गे लखखि जे सभ गोटे तकैत-तकैत रवह गे लाह,
िै भे टलखखि ।

हमर हाई स्कू लक शशक्षा :

१९६१ मे आठमाँ मे हमर िाम पं डौल हाई स्कूलमे त्रलखाएल गे ल ।

हमरा गजणतमे िीक लगै त छल ।तें विज्ञाि ले लहु ।वफजजक्स,केथमस्री आ


मै िमे वटक्स ।
54 ||गजेन्द्र ठाकुर

प्रर्ािाध्यापक छलाह श्री अशफी ससिह । गजणत पढ़बै त छलाह महािीर बाबू।
गुप्ते श्वर बाबू अलजे ब्रा आ बै द्यिाि बाबू ज्याथमथत पढ़बै त छलाह ।

बच्चा बाबू मै थिली पढबै त छलाह ।ओ हमरा मामा गामक छलाह । हुिका
हािमे ‘थमथिला थमवहर’ रवहते CHHALANIEE छलवि ।बादमे हुिक पुि
राम से िक बाबू से हो मै थिली पढ़ौलवि । बमबम मास्टर साहे ब केथमस्री
पढ़ौलवि ।

पढाइ बड सुंदर होइत छलै क ।खूब मोिसं मास्टर साहे ब सभ पढबै त छलाह।

हम बहुत कुशाग्र बुत्रद्धक बालक िै छलहुँ जे कोिो विषय एक बे र पढलासं


याद भ’ जाए ।हम अभ्यास खूब करै त छलहुँ ।

क्लासमे जे पढ़ाइ होइत छलै , तकरा र्ुरती काल रस्तामे याद करै त अबै त
छलहु ।गामपर सां झमे फेर एक बे र याद करै त छलहुँ । गजणत आ विज्ञािमे
कास्हह जे पढाइ हे तै तकरा एक बे र पवढ़ जाइत छलहुँ ।अइसं लाभ ई होइत
छल जे क्लासमे जखि पढाइ होइत छलै त ठीकसं बुजझ जाइत छत्रलऐक ।
जाैं कतहु िै बुझाएल त ठाढ़ भ’क’ पुथछ लै त छत्रलयवि ।मास्टर साहे ब बुझा
दै त छलाह, फेर कोिो ददक्कत िै रवह जाइत छल ।

पढाइक ई तरीका बाबू त्रसखौिे छलाह ।एवहसं बहुत लाभ भे ल ।

स्कूलमे प्रथतयोवगताक िातािरण िै छलै क ।

आठमा-िौमामे हमर सं गी छलाह राजें र झा, मुिीन्द्र िारायण दास,मोद


िारायण झा, शमीम अहमद आदद ।

आठमाक अर्घ-िार्षिक परीक्षामे एडिां स्ड मै िमे वटक्समे चाररटा सिाल रहै ,
तीिटाक जिाब दे बाक छलै क ।

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