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VIDEHA_JCT-51-75
VIDEHA_JCT-51-75
िे बसाईट बिा क’, ओवह पर गजल शास्ि प्रस्तुत क’क’, बहुत लोककें गजल
ले खि ले ल प्रेररत करब, मागघ-दशघि दे ब, पुरस्कारक योजिा चलायब,बाल-
गजल, भक्क्त-गजल आदद विशे षां क प्रस्तुत करब,गजलकारक पररचय-
श्रृंखला प्रस्तुत करब आदद काज कदठि छल से आशीषजी केलवि आ हमरा
सबहक आलोचिाक पाि बिलाह । कएटा नहिदी,मै थिली पत्रिकामे गजल
छवप चुकल छल । कतहु वकयो एिा आं गुर िवह उठौिे छल ।सादठ बरखक
उमे रमे जवहया ई सुिल जे व्याकरणक दृथष्टसं कएटा गजल दोखपूणघ अथछ त
अहं कारकें चोट लागल ।बहुत ददि र्रर एवह बात पर काि दे ब आिश्यक िवह
बुझलहुँ ।मुदा, जखि-तखि ई बात ध्यािमे आवब जाइत छल ।अं ततः अहं कार
पराजजत भे ल । जे िै जाि’ चाहै त छलहुँ , से जिबाक इच्छा भे ल, जे िै पढ़’
चाहै त छलहुँ , से पढ़बाक मोि भे ल ।
३.
जन्द्म-स्िाि :
सलमपुर िामक गाम और छलै , तें स्पष्ट करबा ले ल त्रभट्ठी सलमपुर कहल
जाइत छलै ।
बहुत बादमे पता चलल जे जमीिक िक्शाक अिुसार हमर गाम अथछ
शम्भुआड ।
राम िारायण ठाकुर आ दोसर पञ्च लाल ठाकुर जे अवििावहते मरर गे लाह ।
पवहल सं तािक रूपमे हमर जन्द्म भे ल ।ओवह ददि विजयादशमी रहै ।भोरे हमर
जन्द्म भे ल गाममे ।
बाबा सीमान्द्त कृषक छलाह ।खुट्टा पर एक जोड़ा बरद आ एकटा मनहिस छल।
र्र-आं गि :
आं गिमे दोसर र्र छलवि अशफी लाल ठाकुरक जे हमर बाबाक छोट भाए
छलाह ।
पूब ददस दस्च्छिसं अलीक लाल ठाकुरक र्र छलवि,उत्तरमे एकटा छोट र्र
अशफी लाल ठाकुरक वहस्सामे छलवि ।
एवह दुिूक बीच चारर फीटक रास्ता छलै जावह द’ क’ लोक आँ गिसं दरबज्जा
आ दरबज्जासं आँ गि अबै त छल ।
पस्च्छम ददस उत्तरसं अशफी लाल ठाकुरक र्र छलवि आ दस्च्छिमे अिं त
लाल ठाकुरक वहस्सामे एकटा छोट-छीि र्र छलवि
फूसक र्र लकड़ी, बां स, खढ, खरही, पतोइ आ साबे क जौडसं बिै त छल ।
जखि हिा चलै त छलै ,लोक अवगलगीक आशं कासं डे राएल रहै त छल ।
आं गिक पस्च्छम एकटा इिार छल । टोल भररक लोक एकर उपयोग करै त
छल ।
ििकविया सभ ले ल र्रक पाछू टाट सं र्े रक’ बाहटीमे पावि राखख दे ल जाइत
छल ।
पविभरिी डोलसं र्ै लमे पावि इिारसं भरर क’ अं गिे -अं गिे द’ अबै त छलीह।
परं परा
िीपल-पोतल जाइत छल ।
पूजा-पाठ होइत छल ।एक आदमी गुरु बिै त छलाह । एक आदमी ब्रह्मा बिै त
छलाह ।
आ टाका खचघ होइत छलवि ।मुदा बहुत उत्साहसं ई खचघ लोक करै त छल ।
40 ||गजेन्द्र ठाकुर
जजिका अपिा र्रमे अन्द्ि-पावि आ टाका िवह रहै त छलवि ओ कजाघ ल’क’,
खे त भरिा र्’ क’ व्यिस्िा करै त छलाह ।
बे टीक ले ल ई सभ िै होइत छल ।
विखश्चन्द्त होइत छल ।
गाममे पुबाई टोलमे छलै स्कूल, पाँ चमा तक पढाइ होइत छलै क ।
जे छाि सबक याद क’क’ िै जाइत छलाह हुिका मारर खाए पडै त छलवि ।
त्रशक्षक बुझैत छलाह जे माररक डरसं विद्यािी पढ़त, पाठ याद क’ क’ आएत
मुदा पररणाम होइत छल जे बहुत विद्यािी
स्कूल एिाइ बं द क’ दै त छल ।
प्राइमरी पाठशाला
बाल मुकं ु द बाबूक डर बहुत होइ छलै विद्यािी सभकें । जे हुिका डरसं पाठ
याद क’क’ गे ल से बां चल, जे िै याद केलक ओकरा छड़ी अििा रोलसं बड
मारर खाए पडै त छलै क । भररसके वकयो हुिकासं मारर िै खे िे हएत । मारर
िै खाए पडय, ताही डरसं पाठ याद क’ क’ जाइत छलहुँ । तकर लाभ भे ल।
ओ सां झ क’कैटोला स्िािपर एकटा गबै याजीसं गायि सीख’ जाइत छलाह।
मास्टर साहे ब ते हेि छाैं की लगे लवि जे हमर गायि त्रसखबाक ले ल उत्साह
ख़तम भ’ गे ल ।
ि’हमे दूरदशथि
छलाह ।
हमरा सभक दवहिा आैं ठामे काजर लगाक’ मौलबी साहे ब मोिे -मोिे वकछु
पढ़लवि आ किी कालक बाद हमरा आैं ठाकें सोझां राखख पुछ्लवि दे खखयौ त
वकछु दे खाइए । हम वकछु िै दे खत्रलयै । बाबू िारायण कहलखखि, हं ,हम त
दे खै थछयै , ई त कैला छै ।
र्र अबै गे लहु ।र्रमे ककरो मोि िै मािै जे कैला चोरौिे हे तै । कैला सबहक
विश्वास पाि छल ।महींसक चरबाही करै त छल ।
सां झमे टोलक बहुत लोक सभ जमा भे ल । एकटा िारीमे अरबा चाउर
आएल। बाबा वकछु मन्द्ि पवढ़क’ किी-किी क’ सभकें दे लखखि थचबाब’।
कैला बाबाक पएर पर खसल, हमरा माफ़ क’ ददय’ वगरहत, हमही चोर छी ।
गहिा रखबाक एहे ि उपाय, एहे ि चोरी, चोर पकड़बाक एहे ि उपाय, चोरक
प्रथत एहे ि भाि आ पकड़ा गे लाक बाद चोरक सं ग एहे ि व्यिहार हमरा
प्रभावित केलक । हमर व्यक्क्तत्िक विमाघणमे एकर महत्ि अथछ ।हम मािै त्त
छी जे जीििमे ककरोसं कोिो क्षथत भ’ जाइ त ओकरा दं ड दे बाक बात िै
सोचबाक चाही, ओकर स्स्िथतक अिुमाि करक चाही,ओकरा प्रथत करुणाक
भाि रखै त क्षथत कम करबाक प्रयास करबा पर ध्याि दे बाक चाही, क्षथत और
िे भ’ जाए से होश राखब जरुरी होइत छै क ।भ’ सकैछै जकरा अहाँ अपरार्ी
बुझैत छी से अपरार्ी िै हो, ओ माि एकटा उपकरण हो आ अहाँ क क्षथत
अहीं द्वारा विर्मित एकटा पररस्स्िथतक पररणाम हो । तें अपरार्क जवड़
तकबाक प्रयास करब आ ओकर विदाि ताकब बे शी उपयुक्त भ’ सकैत
अथछ।
थमवडल स्कू ल
पाँ चमा पास केलाक बाद थमवडल स्कूल,त्रभट्ठीमे हमर िाम त्रलखाएल गे ल ।
ओ सही क’ दै छलाह ।
आं गिमे चारर र्रिासी रहबाक कारण सददखि टोिा-मे िी होइत रहै छलै
।जखि-तखि हहला-गुहला होइत रहब सामान्द्य बात भ’ गे लै । हमर वपता
र्रारी अलग करबाक विकहप चुवि ले लवि । एवह विणघयसं लाभ ई भे लै जे
हम सभ हहला-गुहलासं अलग भ’ गे लहुँ । हावि ई भे ल जे रहबा ले ल कहुिा
र्र त ठाढ़ भ’ गे ल मुदा तीि साल तक भराइ चलै त रहल ।ओ खे त छलै ,
गहींर छलै ।बहलमाि बड़द जोथत क’कटही गाड़ी टोलसं दजक्षण बार् ल’ जाइ
छल । ओत’ कोदाररसं मावट कावट क’गाडी पर लादद क’ र्र अबै त छल ।
बाबा गाड़ीक सं ग जाइ छलाह, अबै छलाह । खे तमे सं मावट उठाक’ गाडी पर
विदे ह जगदीश चन्द्र ठाकु र ‘अविल’ विशे षाां क || 47
र्र बियबामे जते क खचघक अिुमाि कएल गे ल छलै तावहसं बहुत बे शी खचघ
भे लै ।
दू टा र्र बिल । पछबारी कात एकटा भिसा र्र जावहमे पूब दजक्षण कोिमे
भगिती रहलीह, पूब ददस थचिुआर भे ल । र्रमे वकछु कोठी बिाक’ राखल
गे ल ।
दजक्षण कात र्र बिल जावहमे वकछु कोठी सभ राखल गे ल, एकटा पलं ग
हमर वपता कलकत्तामे प्रेसमे काज केिे छलाह, दरभं गामे िोकरी केिे छलाह
।हमरा वििाहक ले ल बहुत ददि र्रर अडल रहलाह मुदा बे टीक वििाह ले ल
वकए एते क र्डफडा गे लाह, हमरा बहुत ददि र्रर िवह बुझाएल । ओिा जे
वकयो बाहर िवह गे ल छलाह, हुिका सभ ले ल ई सामान्द्य बात छलै ।
लगमे स्कूल िै छलै ।पढ़बा ले ल बे टीकें दूर पठाएब अिुथचत मािल जाइत
छलै ।बे टीक वबयाहक ले ल उपयुक्त ियस १२ िषघ र्रर मािल जाइत छलै
।कोिो शाश्िमे त्रलखल छलै )हम िै पढ़िे छी ( जे बे टीक वििाह १२ िषघसं
पवहिे करा दे बाक चाही िे त वपता पापक भागी हे ताह ।
तीि अििा पां च साल पर दद्वरागमि हएत । एवह बीच लड़का अपि सासुर
अबै त-जाइत रहताह ।
वििाहक सम्पूणघ कायघक्रममे एवह तरहें तीि सं पां च साल लावग जाइत छलै ।
50 ||गजेन्द्र ठाकुर
बाल-मण्डली :
हमर वपता एकददि हमरा कहलवि जे जावह मं डलीक सदस्य तमाकुल खाइत
छथि ओ मण्डली समाज-सुर्ार की करत ।
ई बात हमरा ठीक लागल । हम मण्डलीक सदस्यकें िवह बदत्रल सकैत छलहुँ ।
हम इएह कारण त्रलखै त मण्डलीसं अलग भ’ गे लहुँ ।
हमरा फुट-बौल से हो पसं द िै आएल । हमरा एक बे र गें दसं जां र्मे ते हेि चोट
लागल जे सभ ददि ले ल खे लसं विरक्क्त भ’ गे ल ।
अि महराजजी किा :
प्रर्ािाध्यापक छलाह श्री अशफी ससिह । गजणत पढ़बै त छलाह महािीर बाबू।
गुप्ते श्वर बाबू अलजे ब्रा आ बै द्यिाि बाबू ज्याथमथत पढ़बै त छलाह ।
बच्चा बाबू मै थिली पढबै त छलाह ।ओ हमरा मामा गामक छलाह । हुिका
हािमे ‘थमथिला थमवहर’ रवहते CHHALANIEE छलवि ।बादमे हुिक पुि
राम से िक बाबू से हो मै थिली पढ़ौलवि । बमबम मास्टर साहे ब केथमस्री
पढ़ौलवि ।
पढाइ बड सुंदर होइत छलै क ।खूब मोिसं मास्टर साहे ब सभ पढबै त छलाह।
क्लासमे जे पढ़ाइ होइत छलै , तकरा र्ुरती काल रस्तामे याद करै त अबै त
छलहु ।गामपर सां झमे फेर एक बे र याद करै त छलहुँ । गजणत आ विज्ञािमे
कास्हह जे पढाइ हे तै तकरा एक बे र पवढ़ जाइत छलहुँ ।अइसं लाभ ई होइत
छल जे क्लासमे जखि पढाइ होइत छलै त ठीकसं बुजझ जाइत छत्रलऐक ।
जाैं कतहु िै बुझाएल त ठाढ़ भ’क’ पुथछ लै त छत्रलयवि ।मास्टर साहे ब बुझा
दै त छलाह, फेर कोिो ददक्कत िै रवह जाइत छल ।
आठमाक अर्घ-िार्षिक परीक्षामे एडिां स्ड मै िमे वटक्समे चाररटा सिाल रहै ,
तीिटाक जिाब दे बाक छलै क ।