G-10 कबीर(साखी)

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WORKSHEET/ NOTES

Details
Category Note Session 2024-25
Work Sheet
Topic/Lesson कबीर(सािी) MAY
No.
Grade 10 Subject HINDI
Name Date
निम्ननिखित प्रश्नों के उत्तर दीनिए-
प्रश् 1-: मीठी वाणी बनििे से औरनों कन सुि और अपिे ति कन शीतिता कैसे प्राप्त हनती है ?
उत्तर -: कबीरदास जी के अनुसार जब आप दू सरोों के साथ मीठी भाषा का उपयोग करोगे तो उन्हें आपसे कोई शिकायत
नहीों रहे गी। वे सुख का अनु भव करें गे और जब आपका मन िुद्ध और साफ़ होगा पररणामस्वरूप आपका तन भी िीतल
रहे गा।
प्रश् 2 -: दीपक नदिाई दे िे पर अँनियारा कैसे नमट िाता है ? सािी के सन्दर्भ में स्पष्ट नकनिए।
उत्तर -: तीसरी साखी में कबीर का दीपक से तात्पयय ईश्वर दियन से है तथा अँशियारा से तात्पयय अज्ञान से है । ईश्वर को सवोच्च
ज्ञान कहा गया है अथाय त जब शकसी को सवोच्च ज्ञान के दियन हो जाये तो उसका सारा अज्ञान दू र होना सम्भव है ।
प्रश् 3 -: ईश्वर कण - कण में व्याप्त है , पर हम उसे क्नों िही ों दे ि पाते ?
उत्तर -: कबीरदास जी दू सरी साखी में स्पष्ट करते हैं शक ईश्वर कण कण में व्याप्त है ,पर हम अपने अज्ञान के कारण उसे
नहीों दे ख पाते क्ोोंशक हम ईश्वर को अपने मन में खोजने के बजाये मोंशदरोों और तीथों में खोजते हैं ।
प्रश् 4 -: सोंसार में सु िी व्यखि कौि है और दु िी कौि? यहाँ 'सनिा' और 'िागिा' नकसके प्रनतक हैं ? इसका प्रयनग
यहाँ क्नों नकया गया है ? स्पष्ट कीनिए।
उत्तर -: कबीरदास के अनु सार सोंसार के वे सभी व्यक्ति जो शबना शकसी श ोंता के जी रहे हैं वे सुखी हैं तथा जो ईश्वर शवयोग में
जी रहे हैं वे दु खी हैं । यहाँ 'सोना ' 'अज्ञान ' का और 'जागना ' ईश्वर - प्रेम ' का प्रशतक है । इसका प्रयोग यहाँ इसशलए हुआ है
क्ोोंशक कुछ लोग अपने अज्ञान के कारण शबना श ोंता के सो रहे हैं और कुछ लोग ईश्वर को पाने की आिा में सोते हुए भी
जग रहे हैं ।
प्रश् 5 -: अपिे स्वर्ाव कन निमभि रििे के निए कबीर िे क्ा उपाय सुझाया है ?
उत्तर -: अपने स्वभाव को शनमयल रखने के शलए कबीर ने शनोंदा करने वाले व्यक्तिओों को अपने आस पास रखने का उपाय
सुझाया है । उनके अनुसार शनोंदा करने वाला व्यक्ति जब आपकी गलशतयाों शनकालेगा तो आप उस गलती को सुिार कर
अपना स्वभाव शनमयल बना सकते हैं ।
प्रश् 6 -: ' ऐकै अनिर पीव का, पढै सु पोंनित हनइ' - इस पोंखि द्वारा कनव क्ा कहिा चाहता है
उत्तर -: 'ऐकै अशषर पीव का, पढै सु पोंशित होइ' - इस पोंक्ति में कशव ईश्वर प्रे म को महत्त्व दे ते हुए कहना ाहता है शक ईश्वर
प्रेम का एक अक्षर ही शकसी व्यक्ति को पोंशित बनाने के शलए काफी है ।
प्रश् 7 -: कबीर की उद् िृत साखियनों की र्ािा की नवशे िता प्रकट कीनिए।
उत्तर -: कबीर की साक्तखओों में अने क भाषाओँ का प्रभाव स्पष्ट शदखाई दे ता है | उद् िृत साक्तखओों की भाषा की शविेषता यह
है शक इसमें भावना की अनु भूशत, रहस्यवाशदता तथा जीवन का सोंवेदनिील सोंस्पिय तथा सहजता को प्रमुख स्थान
शदया गया है ।
(ि) निम्ननिखित पोंखिओों के र्ाव स्पष्ट कीनिये
(1) ' नबरह र्ुवोंगम ति बसै , मोंत्र ि िागै कनइ।'
भाव -: इस पोंक्ति का भाव यह है शक जब शकसी मनुष्य के मन में अपनोों से शबछड़ने का गम रूपी साँ प जगह बना लेता है
तो कोई दवा, कोई मोंत्र काम नहीों आते।

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(2) ' कस्तूरी कोंु िनि बसै, मृग ढू ँ ढै बि माँनह।'
भाव -: इस पोंक्ति का भाव यह है शक अज्ञान के कारण कस्तूरी शहरण पूरे वन में कस्तूरी की खुसबू के स्त्रोत को ढूोंढता
रहता है जबशक वह तो उसी के पास नाशभ में शवद्यमान होती है ।
(3) ' िब मैं था तब हरर िही ों, अब हरर हैं मैं िही ों।'
भाव -: इस पोंक्ति का भाव यह है शक अहों कार और ईश्वर एक दू सरे के शवपरीत हैं जहाँ अहों कार है वहाों ईश्वर नहीों ,जहाँ
ईश्वर है वहाों अहों कार का वास नहीों होता।
(4) ' पनथी पनढ - पनढ िग मुवा, पोंनित र्या ि कनइ।'
भाव -: इस पोंक्ति का भाव यह है शक शकताबी ज्ञान शकसी को पोंशित नहीों बना सकता , पोंशित बनने के शलए ईश्वर - प्रेम का
एक अक्षर ही काफी है

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