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THE STUDY

by MANIKANT SINGH

सा ा हक सं रण

GS -1
GS -2
GS -3
GS -4
HOW GS TRAVELLED THIS WEEK
MAY - 4th WEEK

703, In front of Batra Cinema, Mukherjee Nagar, Delhi - 110009


INDEX

01. भारत-ईरान सं बं ध सहयोग के नए ार खोल रहे ह


Pg no.- 2 - 5

02. भारत अतंरा ीय ापार म मं दी से कै से नपट रहा है


Pg no.- 6 - 9

03. असं वैधा नक नकायो ं एवं शासन क पं गुता


Pg no.- 10 - 13

04. अ धक खनन क पयावरणीय आव कताएँ


Pg no.- 14 - 18
THESTUDYIAS
साामाान्य अध्ययन कीी सााप्तााहि�क याात्राा…
प्रस्ताावनाा
प्रि�य अभ्यर्थि�ियोंं,
“साामन्य अध्ययन कीी सााप्तााहि�क याात्राा” कीी यह श्रृंंख � लाा अब अपनेे आठवेंं संंस्करण मेंं प्रवेेश कर चुकी ु ी हैै आप सभीी केे अवि�श्वसनीीय
समर्थथन केे लि�ए हम आपकेे शुक्र ु गुजाु ार हैंं। यह इस बाात काा भीी संंकेेत हैै कि� हमाारेे द्वााराा कि�येे जाा रहेे प्रयाास आप सभीी पर व्याापक
प्रभााव डााल रहेे हैंं। हमेंं वि�श्वाास हैै कि� हम आप सभीी कोो “चिं�ंतनशीील प्रााणीी” बनाानेे केे लक्ष्य कोो सफलताापूर्ववक ू अर्जि�ित कर लेंंगेे।
हमेंं आपकोो यह बताातेे हुुए भीी प्रसन्नताा होो रहीी हैै कि� अब आपकोो समााचाारोंं कीी और व्याापक जाानकाारीी मि�लेेगीी क्योंंकि� हमाारेे द्वााराा
चयनि�त वि�षय डााउन टूू अर्थथ, लााइव मिं�ंट, इकोोनॉॉमि�स्ट, द हिं�ंदूू, इंडि� ं यन एक्सप्रेेस, काार्नेेगीी आदि� सेे संंदर्भि�ित हैै।
इस सप्तााह, हमनेे अंंतर्राा�ष्ट्रीीय संबंं ंध सेे एक वि�षय काा चयन कि�याा हैै, इस वि�षय काा साार हमनेे पि�छलेे सप्तााह दि�याा थाा। यह लेेख इस
बाात पर ध्याान केंंद्रि�त करताा हैै कि� वर्ततमाान मेंं वि�भन्न काारक भाारत-ईराान द्वि�पक्षीीय संंबंंधोंं केे समीीकरण कोो कि�स प्रकाार प्रभाावि�त कर
रहेे हैंं। इसेे आगेे बढ़ाातेे हुुए, हम चर्चाा� करेंं गेे कि� चााबहाार बंंदरगााह पर हााल हीी मेंं संंपन्न हुुआ समझौौताा भाारत केे रााष्ट्रीीय हि�त एवंं
सुरु क्षाा कीी दृष्टि� केे लि�ए कि�स प्रकाार लााभप्रद होोगाा।
आर्थि�िक पहलूू पर अपनाा ध्याान केंंद्रि�त करतेे हुुए, हम वैैश्वि�क व्याापाार केे माामलेे मेंं वर्ततमाान मंंदीी पर चर्चाा� करेंं गेे। इन रुझाानोंं पर
“भाारतीीय अर्थथव्यवस्थाःः� एक समीीक्षाा” मेंं भीी चर्चाा� कीी गई हैै जि�सनेे अंंतर्राा�ष्ट्रीीय व्याापाार मेंं आनेे वाालीी चुनौु ौति�योंं कीी एक झलक
प्रदाान कीी हैै, जहांं� कई देेश फ्रेंंडशोोरिं�ंग तथाा नि�यरशोोरिं�ंग कीी तलााश कर रहेे हैंं। येे कहींं न कहींं वि�भि�न्न देेशोंं द्वााराा अपनााए गए
संंरक्षणवााद मॉॉडल केे प्राारंंभि�क संंकेेत हैंं। इसलि�ए यह लेेख इस बाात काा साार प्रदाान करेे गाा कि� भाारत कोो इस स्थि�िति� सेे कैै सेे नि�पटनाा
चााहि�ए।
रााजव्यवस्थाा केे खंंड मेंं हम एक अन्य समसाामयि�क प्रकरण कोो संंबोोधि�त करेंं गेे जोो समग्र तस्वीीर केे सााथ चर्चाा� काा केंंद्र बनाा हुुआ
हैै। यह लेेख वि�भि�न्न उदााहरण प्रदाान करेे गाा जहांं� जांं�च संंस्थाानोंं (जैैसेे केंंद्रीीय जांं�च ब्यूूरोो एवंं प्रवर्ततन नि�देेशाालय) काा उपयोोग देेश
मेंं रााजनीीति�क वि�रोोधि�योंं केे दमन हेेतुु एक उपकरण केे रूप मेंं कि�याा गयाा हैै। आप वर्ततमाान परि�दृश्य मेंं ऐसेे उदााहरणोंं केे सि�द्धांं�तोंं याा
काारकोंं काा भीी पताा लगाानेे जाा रहेे हैंं। इसकाा अंंति�म खंंड कुुछ प्रभाावीी समााधाान प्रदाान करेे गाा।
अंंत मेंं, हम अवैैध खनन कीी व्याापक तस्वीीर पर चर्चाा� करेंं गेे। यहांं� हम प्रदूषू ण तथाा जनसांं�ख्यि�िकीी (पुनर्वा ु ा�स केे मोोर्चेे पर), नि�यमोंं
केे उल्लंंघन केे वर्ततमाान रुझाानोंं केे संंदर्भभ मेंं इसकेे प्रभााव पर चर्चाा� करेंं गेे। इसलि�ए यहाँँ� आपकोो खनन दि�शाानि�र्देेश, पर्याा�वरण संंरक्षण
अधि�नि�यम आदि� सेे जुड़ेु े उप-क्षेेत्रोंं केे सााथ वि�षय काा व्याापक वि�श्लेे षण मि�लेेगाा।

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THESTUDYIAS
साामाान्य अध्ययन कीी सााप्तााहि�क याात्राा…
भाारत-ईराान संबंं ंध सहयोोग केे नए द्वाार खोोल रहेे हैंं
यह आलेेख भाारत एवंं वि�श्व केे पााठ््यक्रम काा हि�स्साा हैै जोो द्वि�पक्षीीय संबंं ंध एवंं समूूहीीकरण तथाा भाारत सेे जुुड़ेे याा
भाारत केे हि�त कोो प्रभाावि�त करनेे वाालेे समझौौतोंं सेे संबंं ंधि�त हैै तथाा यूूपीीएससीी साामाान्य अध्ययन मुुख्य परीीक्षाा प्रश्न
पत्र-II केे अंंतर्गगत आताा हैै।
वि�षय:
चााबहाार बंंदरगााह काा हाालि�याा उद्घााटन “भाारत-ईराान द्वि�पक्षीीय संबंं ंध” नाामक पुस्ु तक मेंं लि�खाा गयाा नयाा अध्यााय हैै। भाारत एवंं
ईराान केे मध्य येे संंबंंध नयेे नहींं हैंं, येे तब सेे लि�खाा जाा रहाा हैै जब सेे दोो देेशोंं मेंं सभ्यताा पहलीी बाार समृृद्ध हुुई थीी। उत्तर-पश्चि�मीी माार्गग
जि�सेे खैैबर दर्रेे केे नााम सेे जाानाा जााताा हैै कई ईराानि�योंं केे लि�ए आक्रमण एवंं घुसपै ु ैठ हेेतुु प्रवेेश बिं�ंदुु थाा। लेेकि�न जोो आक्रमण काा
एक रूप थाा वह आज केे
परि�दृश्य मेंं पूर्णणतः
ू ः परि�वर्ति�ित
होो गयाा हैै। संंयुुक्त रााज्य
अमेेरि�काा केे ईराान परमााणुु
समझौौतेे सेे बााहर नि�कलनेे,
अमेेरि�काा द्वााराा ईराान पर
कााटसाा (CAATSA -
प्रति�बंंधोंं केे मााध्यम सेे
अमेेरि�काा केे वि�रोोधि�योंं
काा मुुकााबलाा करनाा)
लाागूू करनाा एवंं ईराान द्वााराा
प्रदाान कि�ए गए रााज्य-
प्राायोोजि�त आतंंकवााद
जैैसेे काारकोंं केे काारण,
द्वि�पक्षीीय संंबंंधोंं मेंं कई
बााधााएँँ उत्पन्न हुुई हैंं।
ू होो गए हैंं, लेेकि�न अस्ति�ित्व एवंं स्थि�िरताा केे पर्याा�प्त सबूतू उपलब्ध करााए हैंं।
वर्ततमाान समय मेंं रि�श्तेे भलेे हीी धूमि�ल

संबंं ंधोंं काा बीीजाारोोपण सााथ हीी वि�कसि�त करनाा - समय पर नकाारनाा, समय पर सुदृु ढ़ करनाा:
भाारत एवंं ईराान केे संंबंंधोंं कोो समय कीी कसौौटीी पर खराा उतरनाा पड़ाा हैै। अपनीी आज़ाादीी केे समय सेे हीी ईराान काा झुका ु ाव सबसेे पहलेे
पााकि�स्ताान कीी ओर हुुआ एवंं उसनेे 1949 मेंं मैैत्रीी संधि�
ं कीी। अंंतररााष्ट्रीीय संंबंंधोंं कीी एक प्रख्याात वि�द्वाान फरााह नााज़ केे अनुसाु ार,
यह नाासि�र काारक एवंं गुुटनि�रपेेक्षताा केे सााथ भीी जुड़ाु ा थाा, जि�न्होंंनेे प्रधाान मंंत्रीी नेेहरू केे रूप मेंं इरम कोो भाारत सेे दूरू लेे जााकर
गमााल अब्देेल नाासि�र कोो अरब जगत काा नेेताा माानाा थाा। इस प्रकाार, 1971 केे भाारत-पााक युुद्ध केे दौौराान भीी पााकि�स्ताान केे प्रति�
आत्मीीयताा देेखीी गई। हाालाँँ�कि�, इस युद्ध
ु केे बााद भाारत दक्षि�ण एशि�याा मेंं एक क्षेेत्रीीय शक्ति� केे रूप मेंं उभराा जबकि� तेेल संंकट केे

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THESTUDYIAS
बााद ईराान खााड़ीी क्षेेत्र मेंं एक क्षेेत्रीीय शक्ति� केे रूप मेंं उभराा।
आर.एस. याादव कीी पुस्ु तक “भाारत कीी वि�देेश नीीति�: शीीत
युुद्ध केे बााद केे वर्षष” केे अनुसाु ार, इसनेे पहलाा आधाार प्रदाान
कि�याा जहांं� दोो क्षेेत्रीीय शक्ति�यांं� अपनेे हि�तोंं कोो पूराू ा कर सकतीी
हैंं, भाारत अपनेे तेेल आयाात केे लि�ए एवंं ईराान अपनेे तेेल केे
लि�ए पााकि�स्ताान कीी तुलना ु ा मेंं एक बड़ाा बााजाार ढूंं�ढ रहाा हैै। अतःः
भाारत एवंं ईराान केे मध्य कई द्वि�पक्षीीय याात्रााएँँ हुुईंं। हाालाँँ�कि�,
ईराानीी क्रांं�ति� अफगाानि�स्ताान मेंं सोोवि�यत सैैन्य हस्तक्षेेप एवंं
ईराान-इरााक युुद्ध केे काारण द्वि�-पक्षीीय संंबंंधोंं मेंं पुनःु ः दराार आ गई
लेेकि�न आर्थि�िक संंबंंध बरकराार रहेे।
हाालाँँ�कि�, शीीत युद्धु केे बााद मध्य एशि�याा मेंं स्थि�िरताा केे मुद्दोंु ं, ऊर्जाा�
सुरु क्षाा (यह स्थि�िति� खााड़ीी युद्ध
ु केे बााद साामनेे आई), ताालि�बाान-
ं अफगाानि�स्ताान सेे उत्पन्न होोनेे वाालेे वहााबवाादीी/देेवबंदीं ी
नि�यंत्रि�त
उग्रवााद केे हाानि�काारक परि�णाामोंं कीी जाँँ�च केे काारण दोोनोंं देेशोंं केे मध्य
ताालमेेल कोो नई गति� मि�लनाा प्राारम्भ होो गई। इसकेे अलाावाा, तेेहराान
घोोषणाा उन उल्लेेखनीीय मीील केे पत्थर मेंं सेे एक थीी जि�सनेे दोोनोंं देेशोंं कीी चिं�ंतााओंं (सााझाा खतरोंं) एवंं सहयोोग (कथि�त अवसरोंं) कोो एक
पृृष्ठ पर लाा दि�याा। “रणनीीति�क सहयोोग केे रोोडमैैप” पर हस्तााक्षर केे सााथ, रक्षाा सहयोोग काा क्षेेत्र पहलीी बाार खुला ु ा एवंं संंबंंधोंं कोो बढ़ाानेे हेेतुु
प्रमुखु प्रेरे क शक्ति� अंंतर्रााष्� ट्रीीय उत्तर-दक्षि�ण परि�वहन गलि�याारेे (INSTC) पर समझौौताा थाा, जोो मध्य एशि�याा व ईराान केे मााध्यम सेे भाारत
सेे रूस तक व्याापाार कोो सुविु �धााजनक बनाानेे केे लि�ए एक गलि�यााराा थाा। हाालाँँ�कि�, अंंतर्नि�िहि�त मुद्देु े एवंं बााधााएँँ आज भीी द्वि�-पक्षीीय संंबंंधोंं मेंं
समस्याा उत्पन्न कर रहीी हैंं।

भाारत एवंं ईराान संबंं ंधोंं केे समक्ष वर्ततमाान अंंतर्नि�िहि�त चुुनौौति�याँँ� क्याा हैंं?
वि�चाारधाारााओंं सेे अलग चाार प्रमुख ु देेशोंं नेे भाारत एवंं ईराान केे संंबंंधोंं कोो प्रमुख
ु रूप सेे प्रभाावि�त कि�याा हैै। सबसेे पहलाा, संंयुुक्त रााज्य
अमेेरि�काा जि�सकेे सााथ भाारत कोो हमेेशाा सतर्कक रहनाा होोगाा, यह देेखतेे हुुए कि� यह सभीी क्षेेत्रोंं मेंं सबसेे बड़ेे व्याापाारि�क एवंं महत्वपूर्णणू
भाागीीदाारोंं मेंं सेे एक हैै। आर.एस. याादव केे अनुसाु ार, संंयुुक्त रााज्य अमेेरि�काा काारक हमेेशाा भाारत केे प्रति� नीीति� अभि�वि�न्याास नि�र्धाा�रि�त
करेे गाा यद्यपि� ईराान संंयुुक्त रााज्य अमेेरि�काा सेे भाारत केे सााथ अपनेे संंबंंधोंं मेंं अलगााव चााहताा हैै।
दूूसराा, भाारत कीी आजाादीी केे बााद सेे पााकि�स्ताान काारक नेे संंबंंधोंं कोो प्रभाावि�त कि�याा हैै। प्रख्याात अंंतररााष्ट्रीीय संबंं ंध वि�शेेषज्ञ ए.केे .
पााशाा कीी नजर मेंं जि�न्होंंनेे “भाारत-ईराान संबंं ंध: कश्मीीर मुुद्दाा” शीीर्षषक सेे एक लेेख लि�खाा थाा, पााकि�स्ताान काा इस्लाामीीकरण
ईराानीी क्रांं�ति� केे दौौराान धाार्मि�िक उग्रवााद, तेेहराान मेंं भाारतीीय दूताू ावाास केे खि�लााफ साार्ववजनि�क प्रदर्शशन येे कुुछ प्रमुख ु प्रमााण हैंं जहांं�
पााकि�स्ताान नेे दोो देेशोंं केे बीीच संंबंंधोंं कोो प्रभाावि�त कि�याा हैै। इसकेे अलाावाा, ईराान दक्षि�ण एशि�याा मेंं परमााणुुकरण केे प्रवर्ततकोंं मेंं सेे
एक थाा वि�शेेषकर 1998 मेंं पोोखरण परीीक्षणोंं केे बााद। इस उद्देश्े य केे लि�ए पूूर्वव ईराानीी वि�देेश मंंत्रीी कमल खरााज़ीी नेे एक बाार कहाा
थाा, “वेे आश्वस्त महसूसू करतेे हैंं क्योंंकि� एक सााथीी इस्लाामीी रााष्ट्र केे पाास परमााणुु हथि�याार बनाानेे कीी जाानकाारीी हैै।”
तीीसराा, अफगाानि�स्ताान मेंं ताालि�बाान काा उदय। भाारत केे लि�ए ईराान, अफ़ग़ाानि�स्ताान सेे जुड़ेु े बि�नाा अफ़ग़ाानि�स्ताान मेंं प्रवेेश काा
राास्ताा भीी हैै। यह अफगाानि�स्ताान केे सााथ व्याापाार कोो बढ़ाावाा देेनेे हेेतुु मूल्ू यांं�कन कि�ए गए तरीीकोंं मेंं सेे एक थाा। 2021 तक देेश मेंं
एक भ्रूणीू ीय लोोकतंंत्र पनप रहाा थाा। हाालाँँ�कि�, अफगाानि�स्ताान पर ताालि�बाान केे कब्जेे नेे समीीकरण बि�गााड़ दि�याा हैै तथाा भाारतीीय
रि�फााइनरि�योंं केे लि�ए खनि�ज एवंं अयस्क नि�काालनेे कीी भाारत कीी योोजनाा खतरेे मेंं पड़ सकतीी हैै। प्रख्याात पत्रकाार जूूलि�याा होोरोोवि�ट््ज़
केे अनुसाु ार, अफगाानि�स्ताान 1 ट्रि�लि�यन अमेेरि�कीी डाालर मूल्ू य केे खनि�जोंं कीी खदाान पर बैैठाा हैै, जि�नमेंं सेे कुुछ हरि�त प्रौौद्योोगि�कि�योंं
एवंं इलेेक्ट्रि�िक वााहनोंं कीी रि�चाार्जेेबल बैैटरीी कोो अपनाानेे केे लि�ए आवश्यक हैंं। अनंंत कृृष्णन एवंं स्टेे नलीी जॉॉनीी नेे अपनीी पुस्ु तक
“द कॉॉमरेेड््स एंडं मुुल्लाा: चााइनाा, अफगाानि�स्ताान एंडं द न्यूू एशि�यन जि�योोपॉॉलि�टि�क्स” मेंं कहाा हैै कि� यह चीीन जैैसेे अन्य
देेशोंं केे लि�ए बेेहद महत्वपूर्णणू होो जााताा हैै।

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THESTUDYIAS
चौौथाा, हमेेशाा कीी तरह चीीन काारक। प्रोोफेे सर हर्षष वीी पंंत केे लेेख “ईराान एवंं भाारत: घटतेे रि�टर्नन” केे अनुसाु ार, हांं�लााकि� भाारत एवंं
ईराान केे मध्य पाारंंपरि�क रूप सेे घनि�ष्ठ संंबंंध रहेे हैंं लेेकि�न ईराान मेंं चीीन काा बढ़ताा प्रभााव इस क्षेेत्र मेंं भाारत केे हि�तोंं केे लि�ए चुनौु ौति�यांं�
पैैदाा करताा हैै। चीीन ईराान केे लि�ए एक बड़ाा व्याापाारि�क भाागीीदाार हैै एवंं उसनेे भाारीी नि�वेेश उपलब्ध कराायाा हैै जोो भाारत कीी तुलना ु ा मेंं
उसकेे पाास वर्ततमाान डीीप पॉॉकेे ट कोो दर्शाा�ताा हैै। सऊदीी अरब एवंं ईराान केे मध्य तनााव कोो कम करनेे मेंं चीीनीी हस्तक्षेेप ईराान केे सााथ
रााजनयि�क जुड़ाु ाव केे माामलेे मेंं संंयुुक्त रााज्य अमेेरि�काा तथाा भाारत दोोनोंं केे लि�ए एक बड़ाा खतराा थाा। इससेे भाारत पर अति�रि�क्त दबााव
पड़ताा हैै जोो पश्चि�म एशि�याा मेंं अपनेे सभीी सााझेेदाारोंं केे सााथ स्थि�िर संंबंंध चााहताा हैै।
पाँँ�चवाा, ईराान बनााम अन्य। खााड़ीी सहयोोग देेशोंं केे गठबंंधन कोो ध्याान मेंं रखतेे हुुए एक दूसरे ू े केे मध्य साामंंजस्य देेखाा गयाा हैै जोो
पश्चि�म एशि�याा मेंं ईराान केे प्रति� कि�ए गए अन्यीीकरण कीी अवधाारणाा हैै। यह इस्लााम कीी वैैचाारि�क धााराा (सुन्ु नीी बनााम शि�याा) सेे
भीी मेेल खााताा हैै। व्याापाार केे प्रवााह कोो देेखतेे हुुए भाारत काा अन्य देेशोंं केे सााथ (लगभग दोो-ति�हााई तेेल आयाात) हैै, भाारत कोो मि�लनेे
वाालेे प्रेेषण केे अलाावाा, नीीति� नि�र्माा�तााओंं कोो समूहू एवंं ईराान केे मध्य उत्कृृष्ट संंतुुलन खोोजनेे कीी आवश्यकताा हैै।
छठवांं�, हााल हीी मेंं ईराानीी रााष्ट्रपति� इब्रााहि�म राायसीी कीी मृृत्युु। हाालाँँ�कि� अर्थथशाास्त्रीी नेे इसेे आंंतरि�क रााजनीीति� (राायसीी कोो बीीमाार
नेेताा अलीी खाामेेनेेई काा प्रति�स्थाापन माानाा जााताा थाा जोो देेश मेंं उदाार
नीीति�योंं मेंं समस्याा उत्पन्न कर सकताा थाा जैैसाा कि� हि�जााब आंंदोोलन केे
दौौराान देेखाा गयाा थाा) एवंं बााह्य रााजनीीति� (ब्रि�गेेडि�यर जनरल मोोहम्मद
रज़ाा ज़ााहेेदीी कीी हत्याा केे बााद इज़रााइल रक्षाा बलोंं द्वााराा व्याापक प्रभााव
केे रूप मेंं सााजि�श रचीी गई) द्वााराा संंचयीी रूप सेे आगेे बढ़ाानेे काा हवाालाा
दि�याा हैै। यह एक स्नोोबॉॉल प्रभााव पैैदाा कर सकताा हैै जोो देेश कोो अस्थि�िर
कर सकताा हैै, अरााजकताा पैैदाा कर सकताा हैै तथाा परि�णाामस्वरूप पूरेू े
क्षेेत्र मेंं व्याापक अस्थि�िरताा होो सकतीी हैै।
अतएव चााबहाार बंंदरगााह पर हाालि�याा समझौौताा भाारत एवंं ईराान
केे मध्य ठंंडेे रि�श्तोंं मेंं ऑक्सीीजन भरनेे जैैसाा हैै। लेेकि�न चााबहाार
बंंदरगााह काा यह गहराा-रणनीीति�क रुख ईराान केे सााथ भाारत केे संंबंंधोंं
कोो सशक्त करनेे काा एकमाात्र तरीीकाा नहींं हैै, यह उसकेे रााष्ट्रीीय हि�तोंं केे
अन्य पहलुओंं ु कोो समाायोोजि�त करनेे मेंं भीी मदद करताा हैै।

भाारत केे लि�ए क्योंं अहम हैंं ईराान एवंं चााबहाार पोोर्टट?
आज, पश्चि�म एशि�याा कीी धुरीु ी तीीन प्रमुख ु हि�तधाारकोंं - सऊदीी अरब, इज़रााइल एवंं ईराान पर टि�कीी हैै। पूर्ववू रााजनयि�क रााजीीव
सीीकरीी केे अनुसाु ार, यह धुरीु ी ऊर्जाा� कीी धुरीु ी हैै जोो फाारस कीी खााड़ीी सेे कैै स्पि�ियन साागर तक वि�स्तृृत हैै। यह धुरीु ी अपनीी ऊर्जाा� सुरु क्षाा
कोो पूराू ा करनेे मेंं भाारत कीी वि�देेश नीीति� केे
प्रमुखु नि�र्धाा�रकोंं मेंं सेे एक हैै। हाालांं�कि� आयाात
कीी माात्राा थोोड़ीी कम रहीी हैै, पूूर्वव अमेेरि�कीी
रााष्ट्रपति� ट्रम्प केे वाापसीी सि�द्धांं�त केे बााद
भाारत नेे चााबहाार बंंदरगााह कोो वि�कसि�त
करनेे केे लि�ए ईराान सेे अपनाा ध्याान कभीी नहींं
खोोयाा हैै, जोो पूूर्वीी यूूरोोपीीय देेशोंं, मध्य
एशि�यााई देेशोंं एवंं रूस केे सााथ अपनेे व्याापाार
टोोकरीी काा वि�स्ताार करनेे काा एक वैैकल्पि�िक
तरीीकाा हैै।। यह बदलेे मेंं कहींं न कहींं भाारत कीी पश्चि�म कीी ओर देेखोो नीीति� काा भीी अनुपाु ालन करताा हैै जोो गहरीी क्षेेत्रीीय
कनेेक्टि�िवि�टीी कीी आकांं�क्षाा रखताा हैै।

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THESTUDYIAS
यद्यपि� भाारत मध्य पूूर्वव व्याापाार गलि�यााराा भाारत कीी जीी20 प्रेेसीीडेंंसीी काा उत्पााद एक समाान माार्गग प्रदाान करताा हैै जोो तीीन प्रमुख ु
हि�तधाारकोंं केे मध्य होोनेे वाालेे संघं र्षोंं कीी भयाावहताा कोो देेखतेे हुुए पश्चि�म एशि�याा मेंं कोोई भीी अस्थि�िरताा एक गंंभीीर समस्याा हैै, जैैसाा
कि� ऊपर चर्चाा� कीी गई हैै। अतःः दोोनोंं मेंं सेे कि�सीी एक परि�योोजनाा कोो रोोकनाा भाारत कोो अपनेे व्याापाार संंबंंधोंं काा वि�स्ताार करनेे काा एक
और वि�कल्प प्रदाान करताा हैै। इसकेे अलाावाा, चााबहाार बंंदरगााह ग्वाादर बंंदरगााह मेंं चीीन-पााकि�स्ताान गठजोोड़ काा एक वि�कल्प
हैै। ऐसाा इसलि�ए हैै क्योंंकि� चााबहाार बंंदरगााह होोर्मु�ुज जलडमरूमध्य केे करीीब स्थि�ित हैै जोो वि�श्व आर्थि�िक मंंच केे अनुसाु ार एक
महत्वपूर्णणू अवरोोध बिं�ंदुु हैै। इस प्रकाार चीीन पर अंंकुुश लगाानेे केे माामलेे मेंं भाारत कोो बढ़त प्रााप्त हैै।
सााथ हीी, डुुकम पोोर्टट केे सााथ मि�लकर चााबहाार बंंदरगााह भाारत केे लि�ए समुद्रीु ी सुरु क्षाा केे एक बेेहतर सााधन केे रूप मेंं काार्यय कर
सकताा हैै। पूर्ववू वााइस एडमि�रल शेेखर सि�न्हाा कीी पुस्ु तक “स्ट्रेेटेेजि�क
ं ा इन 2030” थ्रूू इट््स बेेल्ट एंडं रोोड इनि�शि�एटि�व मेंं कहीी
चैैलेंंजेेज: इंडि�या
न कहीी यह हिं�ंद महाासाागर मेंं चीीनीी वि�स्ताार काा जवााब हैै। अतःः बंंदरगााह केे
वि�काास एवंं संंचाालन हेेतुु भाारत काा 120 मि�लि�यन अमरीीकीी डाालर काा
नि�वेेश, 250 मि�लि�यन अमरीीकीी डाालर केे नि�वेेश केे लि�ए ऋण सुविु �धाा केे
अलाावाा इसेे एक महत्वपूर्णणू ब्लूू चि�प स्टॉॉक बनााताा हैै।

नि�ष्कर्षष:
नंंदन उन्नीीकृृष्णन नेे अपनीी पुस्ु तक “इंडि�या
ं ाज़ ईराान पॉॉलि�सीी इन ए चेंंजिं�ंग रीीजनल एंडं ग्लोोबल ऑर्डडर” मेंं सुझाु ाव दि�याा हैै
कि� भाारत कोो ईराान मेंं अपनाा प्रभााव बनााए रखनेे केे लि�ए अधि�क सक्रि�य दृष्टि�कोोण अपनाानेे कीी आवश्यकताा हैै। इसकेे लि�ए चााबहाार
बंंदरगााह उन आरंंभि�क कदमोंं मेंं सेे एक हैै जहांं� वह फाारस कीी खााड़ीी एवंं हिं�ंद महाासाागर क्षेेत्र केे पाास चीीन केे खि�लााफ अपनीी
स्थि�िति� मजबूतू करनेे केे सााथ-सााथ ईराान केे सााथ संंबंंधोंं मेंं गहरीी जड़ेंं जमाा सकताा हैै। इस प्रकाार, चााबहाार बंंदरगााह भाारत कीी पश्चि�म
कीी ओर देेखोो नीीति� केे उन उत्पाादोंं मेंं सेे एक हैै जोो न केे वल चीीन कोो संंतुुलि�त करनाा चााहताा हैै बल्कि�ि पश्चि�म एशि�याा एवंं आसपाास
केे क्षेेत्रोंं केे सााथ आर्थि�िक एकीीकरण कोो भीी बढ़ाानाा चााहताा हैै।

प्राारंंभि�क परीीक्षाा प्रश्न


प्र. नि�म्नलि�खि�त देेशोंं पर वि�चाार करेंं:
1. अफ़ग़ाानि�स्ताान 2. पााकि�स्ताान
3. इरााक 4. सऊदीी अरब
5. तुर्ककमे
ु नि� े स्ताान
उपर्यु�क्त
ु मेंं सेे कि�तनेे देेशोंं कीी सीीमाा ईराान केे सााथ लगतीी हैै?
(a) केे वल दोो (b) केे वल तीीन
(c) केे वल चाार (d) सभीी

मुुख्य परीीक्षाा प्रश्न


प्र. चााबहाार बंंदरगााह भाारत एवंं ईराान केे मध्य संबंं ंधोंं कोो नए सि�रेे सेे स्थाापि�त करनेे काा संभा ं ावि�त स्थल होो सकताा हैै।
कथन केे संदं र्भभ मेंं, दोो देेशोंं केे मध्य वर्ततमाान वि�भि�न्न चुुनौौति�योंं काा हवाालाा देंं। क्याा यह वि�काास भाारत कीी पश्चि�म कीी
ओर देेखोो नीीति� कोो पुुनर्जीीवि�त करनेे मेंं मदद कर सकताा हैै? (15 अंंक)

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साामाान्य अध्ययन कीी सााप्तााहि�क याात्राा…
भाारत अंंतर्राा�ष्ट्रीीय व्याापाार मेंं मंंदीी सेे कैै सेे नि�पट रहाा हैै?
यह आलेेख भाारतीीय अर्थथव्यवस्थाा केे पााठ््यक्रम काा हि�स्साा हैै तथाा वि�काास एवंं वि�काास, संसा ं ाधनोंं कोो जुुटाानेे और
भाारत केे हि�तोंं पर देेशोंं कीी नीीति�योंं और रााजनीीति� केे प्रभााव सेे संबंं ंधि�त हैै जोो यूूपीीएससीी साामाान्य अध्ययन मुुख्य
परीीक्षाा पेेपर III केे अंंतर्गगत आताा हैै।

वि�षय:
वि�श्व व्याापाार संंगठन (डब्ल्यूटीू ीओ) केे अनुसाु ार, आगाामीी वर्षोंं मेंं अंंतररााष्ट्रीीय व्याापाार धीीमाा रहनेे कीी संंभाावनाा हैै। अनुमाु ानोंं केे अनुसाु ार
वस्तुओंं
ु और सेेवााओंं काा व्याापाार केे वल 0.2% बढ़ाा हैै जोो वैैश्वि�क मंंदीी केे अलाावाा पि�छलेे 50 वर्षोंं मेंं सबसेे धीीमीी गति� हैै। सेेवाा
व्याापाार नेे कुुल वृृद्धि� कोो सकााराात्मक बनााए रखाा हैै क्योंंकि� वस्तुओंं ु काा व्याापाार लगभग 2% गि�राा हैै, जोो इस शतााब्दीी मेंं वैैश्वि�क मंंदीी
केे बााहर सबसेे तेेज गि�राावट हैै। इस वर्षष व्याापाार वृृद्धि� मेंं सुधाु ार होोनेे कीी उम्मीीद हैै, लेेकि�न यह महाामाारीी सेे पहलेे दशक कीी औसत दर
सेे आधीी होोगीी। वाास्तव मेंं 2024 केे अंंत तक वैैश्वि�क व्याापाार मेंं 1990 केे दशक केे बााद सेे सबसेे धीीमीी आधेे दशक कीी वृृद्धि� दर्जज
कीी जााएगीी।

Figure: Slowing Global Trade (Data From World Bank)

वर्ततमाान परि�दृश्य केे पीीछेे केे काारण:


वैैश्वि�क व्याापाार मेंं इस गि�राावट केे पीीछेे वि�शेेषज्ञोंं द्वााराा कई काारण बतााए गए हैंं।
™ बढ़ताा लोोकप्रि�यताावााद: हााल केे वर्षोंं मेंं कई देेशोंं मेंं लोोकप्रि�य नेेतााओंं काा उदय हुुआ हैै और इस भ्राामक लोोकप्रि�यताावााद
सेे कई देेशोंं मेंं वैैश्वि�क व्याापाार कोो गंंभीीर नुकसा
ु ान होो रहाा हैै। कई देेशोंं कीी नए व्याापाार समझौौतोंं कीी इच्छाा समााप्त होो गई हैै।
इसकेे वि�परीीत, व्याापाार प्रति�बंंधोंं केे लि�ए उनकीी भूख ू अथााह प्रतीीत होोतीी हैै। 2015 कीी तुलना ु ा मेंं 2023 मेंं सम्पूर्णणू वि�श्व
मेंं पांं�च गुनाु ा अधि�क लगभग 3,000 व्याापाार प्रति�बंंध लगााए गए।

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™ चीीन-अमेेरि�काा व्याापाार युुद्ध: रााष्ट्रपति� ट्रम्प द्वााराा चीीनीी उत्पाादोंं पर शुल्ु क कीी घोोषणाा केे बााद सेे अमेेरि�काा और चीीन केे
बीीच व्याापाार युद्ध ु जाारीी हैै। इससेे वैैश्वि�क आपूर्ति�ि ू श्रृंंख
� लाा एवंं अंंततःः वैैश्वि�क वि�काास बााधि�त हुुआ हैै। कई बड़ीी कंं पनि�यांं�
चीीन सेे अपनेे वि�नि�र्माा�ण आधाार कोो स्थाानांं�तरि�त करनेे कीी कोोशि�श कर रहीी हैंं। अमेेरि�काा एवंं म्यांं�माार केे बीीच हाालि�याा
समझौौताा इसकाा एक उदााहरण हैै।
™ महाामाारीी केे प्रभााव: COVID-19 केे काारण आर्थि�िक व्यवधाान अभीी भीी समााप्त नहींं हुुए हैंं और अभीी भीी दि�खााई देे रहेे
हैंं क्योंंकि� कई अर्थथव्यवस्थााएंं अभीी भीी अपनेे व्याापाार कोो पुनर्जी ु ीवि�त करनेे मेंं असमर्थथ हैंं।
™ युुद्ध और संघर्षषं : रूस और यूक्रे ू े न केे बीीच युद्ध
ु तथाा इजराायल-हमाास संंघर्षष नेे वैैश्वि�क खााद्य और ईंंधन आपूर्ति�ि ू कोो बााधि�त
कि�याा हैै, जि�ससेे वैैश्वि�क ईंंधन कीीमतोंं मेंं वृृद्धि� हुुई हैै। इससेे दुनि�या
ु ा भर मेंं ईंंधन-नि�र्भभर अर्थथव्यवस्थााओंं मेंं मंंदीी आई हैै।
™ चीीनीी मंंदीी: चीीन मेंं लंंबेे कोोवि�ड-19 प्रति�बंंधोंं नेे उसकेे वि�नि�र्माा�ण और आपूर्ति�ि ू श्रृंंख
� लाा कोो प्रभाावि�त कि�याा हैै, और चूंंकि�

चीीन अभीी भीी वि�नि�र्माा�ण काा वैैश्वि�क इंंजन हैै, इन प्रति�बंंधोंं सेे दुनि�या ु ा भर मेंं आर्थि�िक वि�काास प्रभाावि�त होो रहाा हैै।
™ मुुद्राास्फीीति� और बढ़तीी ब्यााज दरेंं: अमेेरि�काा और यूनाू ाइटेेड किं�ंगडम जैैसीी अर्थथव्यवस्थााओंं मेंं मुद्राु ास्फीीति� केे काारण हााल
हीी मेंं ब्यााज दरोंं मेंं तीीव्र वृृद्धि� देेखीी गई हैै। इससेे नि�वेेशकोंं कोो बााजाार मेंं नि�वेेश करनेे केे बजााय अपनाा धन बैंंक मेंं रखनेे केे
लि�ए प्रेेरि�त कि�याा गयाा जि�ससेे अंंततःः वैैश्वि�क वि�काास धीीमाा पड़ गयाा।

भाारत पर क्याा प्रभााव हैै ?


इस वैैश्वि�क आर्थि�िक मंंदीी नेे भाारतीीय अर्थथव्यवस्थाा कोो कई वि�भि�न्न तरीीकोंं सेे प्रभाावि�त कि�याा हैै।
™ पूंं�जीी: बढ़ीी हुुई ब्यााज दरेंं उन्हेंं बेेहतर रि�टर्नन देे रहीी हैंं जि�ससेे भाारत मेंं प्रत्यक्ष वि�देेशीी नि�वेेश और पोोर्टटफोोलि�योो नि�वेेश मेंं
गि�राावट आई हैै।
™ आयाात: कच्चेे तेेल कीी बढ़तीी कीीमतोंं सेे भाारतीीय अर्थथव्यवस्थाा मेंं आयाात बढ़ाा हैै, जि�ससेे व्याापाार घााटेे पर नकााराात्मक
प्रभााव पड़ाा हैै।
™ नि�र्याा�त: अमेेरि�काा जैैसेे देेशोंं मेंं उच्च मुद्रा
ु ास्फीीति� केे काारण उपभोोक्ताा मांंग� मेंं कमीी आनेे सेे भाारत सेे नि�र्याा�त प्रभाावि�त हुुआ हैै।
™ रोोजगाार वृद्धि� ृ : नि�वेेश कीी कमीी और देेश सेे बााहर पूंं�जीी नि�काासीी केे काारण रोोजगाार वृृद्धि� धीीमीी होो गई हैै।

चीीन एवंं रूस केे संदं र्भभ मेंं भाारत काा व्याापाार घााटाा कैै सेे बढ़ रहाा हैै?
रूस एवंं चीीन केे संंदर्भभ मेंं व्याापाार घााटाा बढ़ाा हैै, जि�सकेे वि�भि�न्न काारण हैंं:
™ रूस केे सााथ व्याापाार घााटाा: वााणि�ज्य मंंत्राालय केे आंंकड़ोंं सेे पताा चलताा हैै कि� वि�त्त वर्षष 2021 सेे भाारत काा रूस सेे
आयाात और व्याापाार घााटाा लगााताार बढ़ रहाा हैै। बढ़तेे कच्चेे तेेल केे आयाात केे काारण यह वि�त्त वर्षष 2024 मेंं वाार्षि�िक
आधाार पर 33% बढ़ गयाा हैै। रूस सेे हमाारेे शीीर्षष आयाात मेंं कच्चाा तेेल व पेेट्रोोलि�यम उत्पााद, कोोयलाा एवंं कोोक, मोोतीी,
बहुुमूल्ू य तथाा अर्धध-बहुुमूल्ू य पत्थर, उर्ववरक, वनस्पति� तेेल, सोोनाा व चांं�दीी शाामि�ल हैंं। दूसरी ू ी ओर रूस कोो हमाारेे शीीर्षष नि�र्याा�त
मेंं दवााएंं और फाार्माा�स्युटि�कल
ु उत्पााद, दूरू संंचाार उपकरण, लौौह एवंं इस्पाात, समुद्रीु ी उत्पााद, मशीीनरीी आदि� शाामि�ल हैंं। चूंंकि� �
रूस वर्ततमाान मेंं यूक्रे
ू े न पर आक्रमण केे काारण पश्चि�मीी दुनि�या ु ा सेे प्रति�बंंधोंं काा साामनाा कर रहाा हैै इसलि�ए यह भाारत केे लि�ए
कच्चेे तेेल काा शीीर्षष आपूर्ति�िकर्ता
ू ा� हैै।
™ चीीन केे सााथ व्याापाार घााटाा: भाारत मेंं चीीन केे रााजदूत ू केे अनुसाु ार 2023 मेंं दोोनोंं देेशोंं केे बीीच द्वि�-पक्षीीय व्याापाार 136.2
बि�लि�यन डॉॉलर थाा तथाा व्याापाार घााटाा 99 बि�लि�यन डॉॉलर सेे थोोड़ाा अधि�क थाा। वााणि�ज्य मंंत्राालय केे आंंकड़ोंं केे अनुसाु ार,
वि�त्त वर्षष 2023 सेे वि�त्त वर्षष 2024 केे दौौराान भाारत काा चीीन कोो नि�र्याा�त 8.74% बढ़ाा जबकि� वि�त्त वर्षष 2024 सेे वि�त्त
वर्षष 2023 केे दौौराान चीीन सेे आयाात 3.29% बढ़ाा। भाारत काा चीीन कोो नि�र्याा�त मुख्ु य रूप सेे कच्चेे मााल और खनि�जोंं सेे

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मि�लताा हैै। कई वि�शेेषज्ञोंं केे अनुसाु ार, सौौर ऊर्जाा�, इलेेक्ट्रॉॉनि�क्स एवंं इलेेक्ट्रि�िक वााहनोंं केे लि�ए साामग्रीी केे बढ़तेे आयाात केे
काारण भाारत कीी चीीन पर नि�र्भभरताा बढ़नेे कीी उम्मीीद हैै। इसकेे अलाावाा, भाारत मेंं कई चीीनीी कंं पनि�यांं� चीीन सेे हीी आपूर्ति�ि ू
लेेनाा पसंंद करतीी हैंं।

भाारत इस मुुद्देे सेे कैै सेे नि�पट रहाा हैै?


इन चुनौु ौति�योंं केे बाावजूदू , भाारत नेे इस संंकट सेे नि�पटनेे केे लि�ए कई कदम उठााए हैंं:
™ ‘मेेक इन इंडि�या ं ा’ पहल: भाारत सरकाार नेे आयाात नि�र्भभरताा कोो कम करनेे और वि�नि�र्माा�ण कोो बढ़ाावाा देेनेे केे लि�ए वि�भि�न्न
उपााय कि�ए हैंं। उत्पाादन-संबं द्ध प्रोोत्सााहन (पीीएलआई) योोजनाा इलेेक्ट्रॉॉनि�क्स, फाार्माा�स्युटि�कु ल्स, व्हााइट गुड्ु ् स, दूरू संंचाार
और नेेटवर्किं�ंग उत्पाादोंं सहि�त 14 महत्वपूर्णणू क्षेेत्रोंं मेंं सेे एक ऐसीी पहल हैै। इससेे अर्थथव्यवस्थाा मेंं प्रत्यक्ष वि�देेशीी नि�वेेश केे
प्रवााह कोो भीी मदद मि�लीी हैै। इसकेे अलाावाा, आर्थि�िक सर्वेेक्षण 2019-20 नेे सुझाु ाव दि�याा हैै कि� भाारत कोो समग्र रूप सेे
वैैश्वि�क मूल्ू य श्रृंंख
� लााओंं काा हि�स्साा बननेे केे लि�ए “असेंंबल इन इंंडि�याा” पहल शुरू ु करनीी चााहि�ए।
™ डि�जि�टलीीकरण: डि�जि�टल इंंडि�याा पहलोंं केे मााध्यम सेे डि�जि�टलीीकरण मेंं वृृद्धि� नेे टीीयर 2 और 3 शहरोंं कीी आर्थि�िक वृृद्धि�
कोो मदद कीी, जि�ससेे हमेंं इस संंकट सेे नि�पटनेे मेंं मदद मि�लीी।
™ आयाात वि�वि�धीीकरण: भाारत कि�सीी एक देेश पर अत्यधि�क नि�र्भभरताा सेे बचनेे केे लि�ए अपनेे आयाात काा वैैश्वि�क स्तर पर
वि�वि�धीीकरण कर रहाा हैै। चीीन+1 और यूरोू ोप+1 रणनीीति�यांं� भीी भाारत केे लि�ए नए अवसर पैैदाा कर रहीी हैंं।
™ प्रति�चक्रीीय नीीति�: भाारत नेे मांं�ग और आपूर्ति�ि
ू -पक्ष केे पहलोंं केे बीीच संंतुुलन बनाानेे केे लि�ए एक प्रति�चक्रीीय समष्टि�
आर्थि�िक नीीति� काा पाालन कि�याा हैै।
™ नि�म्न क्षेेत्रीीय अंंतर्संंबद्धताा: भाारतीीय अर्थथव्यवस्थाा केे वि�भि�न्न क्षेेत्र उस तरह सेे जुड़ेु े नहींं हैंं जैैसेे वेे अमेेरि�काा और अन्य
वि�कसि�त देेशोंं मेंं हैंं। इससेे हमेंं एक क्षेेत्र मेंं मंंदीी केे प्रभााव कोो दूसरे
ू े क्षेेत्र सेे दूरू रखनेे मेंं मदद मि�लीी हैै।
™ अंंतररााष्ट्रीीय नि�वेेशकोंं केे लि�ए बढ़तीी आकर्षषण: पि�छलेे वर्षष जेेपीी मॉॉर्गगन चेेस एंंड कंं पनीी नेे घोोषणाा कीी थीी कि� वेे जूनू
2024 सेे भाारत सरकाार केे बॉॉन्ड कोो उभरतीी बााजाार बॉॉन्ड सूचकांं ू �क मेंं शाामि�ल करेंं गेे। इस घटनााक्रम कीी घरेेलूू सरकाारीी
प्रति�भूति�
ू बााजाार मेंं वि�देेशीी मुद्राु ा कोो आकर्षि�ित करनेे कीी क्षमताा हैै।
™ गैैर-नि�ष्पाादि�त परि�संपं त्ति�योंं पर कााम: भाारतीीय बैंंकिं�ंग कोो एनपीीए संंकट सेे उबाारनेे केे लि�ए हस्तक्षेेप नेे बैंंक बैैलेंंस शीीट
कोो सुधाु ारनेे मेंं मदद कीी और अंंततःः अर्थथव्यवस्थाा मेंं वैैश्वि�क मंंदीी सेे नि�पटनेे मेंं सहाायताा कीी।
™ आरबीीआई केे हस्तक्षेेप: आरबीीआई नेे घााटेे कोो रोोकनेे और खााद्य एवंं ऊर्जाा� क्षेेत्रोंं मेंं मुद्राु ास्फीीति� कोो कम करनेे कीी
नीीति�योंं काा पाालन कि�याा। इससेे मौौद्रि�क नीीति� कोो वृृद्धि� तथाा वसूली
ू ी काा समर्थथन करनेे मेंं मदद मि�लीी।
™ ब्यााज और वि�नि�मय दरोंं मेंं कम अस्थि�िरताा: आरबीीआई तथाा सरकाार कीी नीीति�योंं सेे वाास्तवि�क ब्यााज दरोंं कोो वृृद्धि�
दरोंं सेे नीीचेे रखनेे मेंं मदद मि�लीी हैै। इससेे भाारत काा साार्ववजनि�क कर्जज जीीडीीपीी पर नि�यंंत्रि�त रहाा हैै।
™ सरकाार केे हस्तक्षेेप: काानूनोंू ं कोो ताार्कि�िक बनाानेे, करोंं कीी वसूली ू ी करनेे, अनुपाु ालन कोो आसाान बनाानेे, बुनि�या
ु ादीी ढांं�चेे मेंं
सुधाु ार करनेे और लॉॉजि�स्टि�िक लाागतोंं कोो कम करनेे केे लि�ए सरकाार केे हस्तक्षेेपोंं सेे मांं�ग कोो पूराू ा करनेे केे लि�ए उत्पाादन
बढ़ाानेे मेंं मदद मि�लीी हैै। औद्योोगि�क नीीति� काा उद्देश्े य नि�र्याा�त प्रति�स्पर्धाा� एवंं उदीीयमाान उच्च-तकनीीक तथाा हरि�त उद्योोगोंं
कोो प्रोोत्सााहि�त करनाा थाा जि�ससेे नए रोोजगाार केे अवसर पैैदाा हुुए। गरीीबोंं कोो भीी आवाास, पााइप सेे जलाापूर्ति�ि ू , सब्सि�िडीी
वाालेे खााद्य पदाार्थोंं, दीीर्घघकाालि�क समाावेेशन केे लि�ए कौौशल और इसीी तरह केे बेेहतर साार्ववजनि�क उपाादाानोंं केे मााध्यम सेे
समर्थथन दि�याा गयाा।

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™ सरकाार और उद्योोग सहयोोग: महाामाारीी केे दौौराान सरकाार और उद्योोग केे बीीच बेेहतर समझ वि�कसि�त हुुई, जि�ससेे उद्योोग
कोो अनुशा
ु ासि�त करनेे सेे सरकाार काा ध्याान उद्योोग कोो सुविु �धाा प्रदाान करनेे कीी ओर बढ़ाा। इससेे भीी हमेंं वैैश्वि�क आर्थि�िक मंंदीी
सेे अच्छीी तरह सेे नि�पटनेे मेंं मदद मि�लीी।
इसलि�ए, यह नि�ष्कर्षष नि�काालाा जाा सकताा हैै कि� हााल केे समय मेंं वैैश्वि�क आर्थि�िक मंंदीी केे बीीच भाारत चुनौु ौति�योंं काा साामनाा कर रहाा हैै
और हमनेे मौौजूदाू ा संंकट सेे नि�पटनेे केे लि�ए आवश्यक कदम उठााए हैंं। लेेकि�न आनेे वाालेे समय मेंं येे मुद्देु े जाारीी रहेंंगेे और हमेंं मजबूतू
व्याावसाायि�क वााताावरण कोो समर्थथन देेनेे वाालीी अच्छीी तरह सेे डि�जााइन कीी गई नीीति�योंं और तकनीीकीी नवााचाारोंं कोो अपनाानाा जाारीी
रखनाा चााहि�ए। इसकेे मााध्यम सेे भाारत वैैश्वि�क अर्थथव्यवस्थाा मेंं एक प्रमुख
ु नेेताा केे रूप मेंं अपनीी स्थि�िति� कोो मजबूतू कर सकताा हैै।

प्राारंंभि�क परीीक्षाा अभ्याास प्रश्न


प्र. नि�म्नलि�खि�त कथनोंं पर वि�चाार कीीजि�ए:
1. वि�त्त वर्षष 2011 केे बााद सेे रूस केे सााथ भाारत काा व्याापाार घााटाा लगााताार कम हुुआ हैै।
2. अमेेरि�काा मेंं संंघीीय ब्यााज दर मेंं वृृद्धि� सेे भाारत मेंं एफडीीआई और एफपीीआई प्रवााह मेंं भाारीी कमीी आई।
3. भाारत सरकाार द्वााराा जाारीी बांं�डोंं कोो अंंतररााष्ट्रीीय सूचकांं
ू �क मेंं शाामि�ल करनेे सेे भाारतीीय बााजाार मेंं अधि�क नि�वेेश लाानेे मेंं
मदद मि�ल सकतीी हैै।
उपर्यु�क्त
ु मेंं सेे कि�तनेे कथन सहीी हैंं?
(a) केे वल एक (b) केे वल दोो
(c) केे वल तीीन (d) कोोई भीी नहींं

मुुख्य परीीक्षाा अभ्याास प्रश्न


प्र. वैैश्वि�क अर्थथव्यवस्थाा मेंं हााल हीी मेंं गि�राावट काा रुख देेखाा गयाा हैै और इसकाा प्रभााव भाारतीीय अर्थथव्यवस्थाा पर भीी
पड़ाा हैै। इस मंंदीी केे पीीछेे केे काारण एवंं इस संकटं सेे नि�पटनेे केे लि�ए भाारत द्वााराा उठााए गए कदमोंं पर प्रकााश डाालेंं।
(10 अंंक)

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साामाान्य अध्ययन कीी सााप्तााहि�क याात्राा…
असंवैं ैधाानि�क नि�काायोंं एवंं शाासन कीी पंंगुुताा
यह आलेेख भाारतीीय रााजव्यवस्थाा एवंं सुशा ु ासन तथाा नैैति�कताा केे पााठ््यक्रम काा हि�स्साा हैै, जोो शाासन मेंं सत्यनि�ष्ठाा
सेे संबंं ंधि�त हैै और क्रमशःः यूूपीीएससीी साामाान्य अध्ययन मुुख्य परीीक्षाा केे प्रश्नपत्र II और प्रश्नपत्र IV मेंं शाामि�ल कि�याा
गयाा हैै।
वि�षय:
हााल केे समय मेंं नि�याामक नि�काायोंं जैैसेे प्रवर्ततन नि�देेशाालय (ईडीी) आलोोचनाा केे घेेरेे मेंं रहेे हैंं क्योंंकि� उन्होंंनेे आम चुुनाावोंं केे
दौौराान भ्रष्टााचाार केे आरोोपोंं केे आधाार पर कई रााजनेेतााओंं कोो गि�रफ्ताार कि�याा हैै। इसेे वि�पक्ष कोो दबाानेे काा एक नयाा तरीीकाा माानाा जाा
रहाा हैै, जैैसाा कि� हंंगरीी, ब्रााजीील जैैसेे अन्य देेशोंं मेंं कि�याा गयाा हैै। इसकेे काारण लोोकतांं�त्रि�क व्यवस्थाा मेंं संंस्थााओंं कीी स्वतंंत्रताा पर
रााजनीीति�क सवााल उठ रहेे हैंं, जि�ससेे एक ताानााशााहीी शाासन व्यवस्थाा काा उदय होो रहाा हैै। ऐसेे रााजनीीति�क आख्याानोंं सेे बचनेे केे
लि�ए सर्वोोच्च न्याायाालय नेे धन शोोधन नि�वाारण अधि�नि�यम केे प्राावधाानोंं केे तहत ईडीी पर सीीमााएंं लगााईंं, जैैसाा कि� तरसेेम लााल
बनााम प्रवर्ततन नि�देेशाालय माामलेे (2024) मेंं देेखाा गयाा। यह उस बड़ीी आवश्यकताा कोो दर्शाा�ताा हैै कि� जब ऐसेे संंस्थाानोंं काा गठन
भ्रष्टााचाार एवंं वि�त्तीीय धोोखााधड़ीी कीी घटनााओंं सेे बचनेे केे उद्देश्े य सेे कि�याा गयाा होो तोो समय-समय पर न्याायि�क रूप सेे बााध्य करनीी
होोगीी।

प्रवर्ततन नि�देेशाालय - धोोखााधड़ीी रोोकनाा याा रााजनीीति�क वि�पक्ष कोो दबाानाा:


1950 केे दशक केे अंंत मेंं प्रवर्ततन नि�देेशाालय केे वि�काास काा वि�चाार वि�नि�मय नि�यंंत्रण काानूनोंू ं सेे जुड़ाु ा थाा। समय केे सााथ, वि�देेशीी
वेे कौौन सेे काारक हैंं जोो सर्वाा�धि�काारवााद (totalitar- वि�नि�मय प्रबंंधन अधि�नि�यम, धन शोोधन नि�वाारण
अधि�नि�यम और फराार आर्थि�िक अपरााधीी अधि�नि�यम
ian) शाासन कोो जन्म देेतेे हैंं? जैैसेे वि�भि�न्न काानूनोंू ं कोो इसकेे दाायरेे मेंं लााकर इसकेे
रााजनीीति�क वि�चाारक हनाा आरेंंडट केे अनुुसाार, ताानााशााहीी अधि�काार क्षेेत्र कोो बढ़ाा दि�याा गयाा। प्रवर्ततन नि�देेशाालय केे
शाासन कोो बढ़ाावाा देेनेे वाालेे काारक इस प्रकाार हैंं: नवीीनतम आंंकड़ोंं केे अनुसाु ार, इसनेे लगभग 15.6 हजाार
™ अन्य समुुदाायोंं केे प्रति� घृणा ृ ा और हिं�ंसाा कोो बढ़ाावाा देेनेे करोोड़ रुपयेे कीी संंपत्ति� जब्त कीी हैै, जि�ससेे सरकाार कोो
वाालीी नस्लीीय श्रेेष्ठताा कीी भाावनाा। बड़ीी रााजस्व प्रााप्ति� हुुई हैै, जि�सेे वह देेश मेंं वि�भि�न्न
™ वर्गोंं काा जनसमूूह मेंं रूपांं�तरण, जहांं� कि�सीी कोो भीी कल्यााणकाारीी काार्ययक्रमोंं मेंं लगाा सकतीी हैै।
शाासन द्वााराा कि�ए जाा रहेे शोोषण कीी जाानकाारीी नहींं हाालांं�कि�, हााल केे समय मेंं प्रवर्ततन नि�देेशाालय द्वााराा
होोतीी। रााजनेेतााओंं कीी बाार-बाार गि�रफ्ताारीी सेे सरकाार और
™ नाागरि�क भाागीीदाारीी मेंं अवनति�। उसकीी एजेंंसि�योंं पर जनताा काा वि�श्वाास डगमगाा गयाा हैै।
™ नौौकरशााहीी रााज्य काा उदय, जहांं� लोोक जीीवन कीी
कई प्रमुख ु नेेतााओंं कोो गि�रफ्ताार कि�याा गयाा हैै, जि�नमेंं
गुुणवत्ताा गि�र जाातीी हैै, फलस्वरूप आम जनताा अरविं�ंद केे जरीीवााल (दि�ल्लीी केे मुख्ु यमंंत्रीी), मनीीष
नौौकरशााहोंं और तकनीीकीी वि�शेेषज्ञोंं पर अत्यधि�क सि�सोोदि�याा (पूर्ववू दि�ल्लीी उपमुख्ु यमंंत्रीी), हेेमंंत सोोरेेन
नि�र्भभर होो जाातीी हैै। (झाारखंंड मुक्ति�
ु मोोर्चाा� केे नेेताा और पूर्ववू मुख्ु यमंंत्रीी

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झाारखंंड), नवााब मलि�क (महाारााष्ट्र रााज्य अल्पसंंख्यक और कौौशल वि�काास मंंत्रीी) आदि� शाामि�ल हैंं। इसकेे चलतेे रााजनीीति�क
वि�द्वाानोंं नेे इस बाात पर प्रकााश डाालाा हैै कि� येे गि�रफ्ताारि�यांं� जोो प्राायःः वि�पक्षीी नेेतााओं ं कोो नि�शाानाा बनाातीी हैंं चुुनाावीी प्रक्रि�यााओं ं कोो
प्रभाावि�त कर सकतीी हैंं और रााजनीीति�क व्यवस्थाा मेंं दराारेंं पैैदाा कर सकतीी हैंं।
इसकाा काारण यह हैै कि� चुनाु ावीी प्रक्रि�याा केे दौौराान प्रमुख
ु रााजनीीति�क प्रति�द्वंंद्वि�योंं कीी अनुपु स्थि�िति� सेे मतदाातााओं ं केे पाास अपनाा
वि�कल्प चुनु नेे केे लि�ए सीीमि�त वि�कल्प रह जाातेे हैंं। यह भाारतीीय संंवि�धाान केे अनुुच्छेे द 19 (अभि�व्यक्ति� कीी स्वतंंत्रताा) और अनुच्ु छेे द
326 केे सि�द्धांं�तोंं काा उल्लंंघन करताा हैै, जैैसाा कि� प्रलय काानूूनगोो और इरफाान अहमद द्वााराा लि�खि�त पुस्ु तक “द अल्जेेब्राा ऑफ
वॉॉरफेे यर-वेेलफेेयर” मेंं उल्लेेख कि�याा गयाा हैै। रााजनीीति�क पत्रकाार पीी. राामन नेे कहाा हैै कि� रााजनीीति�क प्रति�द्वंंद्वि�योंं पर चुुनााव
पूूर्वव छाापोंं कोो सत्ताारूढ़ सरकाार द्वााराा एक नि�यमि�त अभ्याास बताायाा हैै जि�ससेे शाासन पर जनताा काा वि�श्वाास प्रभाावि�त होो सकताा हैै।

केंंद्रीीय जांं�च ब्यूूरोो याा केंंद्रीीकृृत क्रूूर संस्ं थाा:


एक अन्य संंगठन जि�स पर गंंभीीर आलोोचनाा हुुई हैै वह हैै केंंद्रीीय जांं�च ब्यूूरोो केे काार्योंं कीी जि�सकाा उपयोोग रााजनीीति�क प्रति�द्वंंद्वि�योंं
पर अत्यााचाार करनेे केे लि�ए कि�याा गयाा हैै। केंंद्रीीय जांं�च ब्यूूरोो (सीीबीीआई) कीी उत्पत्ति� 1941 मेंं स्थाापि�त वि�शेेष पुुलि�स स्थाापनाा
(एसपीीई) सेे हुुई थीी जि�सकाा गठन भाारतीीय प्रशाासन केे युुद्ध और आपूूर्ति�ि वि�भााग मेंं रि�श्वतखोोरीी और भ्रष्टााचाार कीी जांं�च केे लि�ए
कि�याा गयाा थाा। बााद मेंं यह दि�ल्लीी वि�शेेष पुुलि�स स्थाापनाा अधि�नि�यम केे मााध्यम सेे जाारीी रहाा। भ्रष्टााचाार कीी रोोकथााम पर संथा ं ानम
समि�ति� कीी सि�फाारि�शोंं केे बााद इसकाा वि�स्ताार दि�ल्लीी मेंं केंंद्र सरकाार केे कर्ममचाारि�योंं सेे संंबंंधि�त माामलोंं कोो शाामि�ल करनेे केे लि�ए
कि�याा गयाा। इस प्रकाार, जोो संंस्थाा वि�भि�न्न इराादोंं सेे शुरू
ु हुुई थीी वह स्वतंंत्र भाारत मेंं एक व्याापक भूमि�का ू ा केे सााथ वि�कसि�त हुुई।
नोोट: यह पहलेे गृहृ मंंत्राालय केे तहत कााम करताा थाा लेेकि�न बााद मेंं इसेे काार्मि�िक, पेंंशन और लोोक शि�काायत मंंत्राालय केे
अधीीन स्थाानांं�तरि�त कर दि�याा गयाा।
“साामाान्य सहमति�” काा वि�चाार, जि�सेे हााल केे समय मेंं वाापस लेे लि�याा गयाा हैै (पश्चि�म बंंगााल, केे रल, छत्तीीसगढ़, झाारखंंड
आदि�), रााज्य सरकाारोंं द्वााराा केंंद्र सरकाार केे प्रति� अवि�श्वाास काा सटीीक सााक्ष्य हैै, जोो वि�भि�न्न दलोंं (डबल इंज ं न सरकाारेंं नहींं)
द्वााराा चलााई जाा रहीी हैंं। इससेे संंघीीय सि�द्धांं�तोंं पर प्रभााव पड़ाा हैै। रााजनीीति�क परति�द्वंंद्वि�योंं कोो इस तरह लक्षि�त करनाा लोोकतांं�त्रि�क
व्यवस्थाा मेंं एक नई परंंपराा बन गई हैै जोो काानूून केे शाासन काा सम्माान करतीी हैै। अतःः कि�सीी अन्य गैैर-संंवैैधाानि�क नि�कााय द्वााराा ऐसीी
व्यवस्थााएंं और तरीीकेे कहींं न कहींं भाारतीीय संंवि�धाान केे अनुुच्छेे द 14 कोो प्रभाावि�त करतेे हैंं।

जांं�च संस्ं थाानोंं कीी स्वतंंत्रताा कोो प्रभाावि�त करनेे वाालेे काारक:
भाारत मेंं अति�रि�क्त-संवैं ैधाानि�क नि�कााय, जि�नकाा भाारतीीय संविं �धाान केंंद्रीीय जांं�च ब्यूूरोो (सीीबीीआई) और प्रवर्ततन
मेंं स्पष्ट रूप सेे उल्लेेख नहींं कि�याा गयाा हैै, शाासन और प्रशाासन मेंं नि�देेशाालय (ईडीी) जैैसेे नि�काायोंं द्वााराा रााजनीीति�क
महत्वपूर्णणू भूमि�का
ू ा नि�भाातेे आए हैंं। तथाापि�, यह चिं�ंताा व्यक्त कीी जाातीी उत्पीीड़न केे वि�भि�न्न मुख्ु य काारण हैंं। पहलाा, रााजनीीति�क
हस्तक्षेेप। “अति�रि�क्त-संवैं ैधाानि�क” शब्द हीी इंंगि�त
हैै कि� इन नि�काायोंं काा दुरुु पयोोग सरकाारोंं द्वााराा रााजनीीति�क वि�रोोधि�योंं
पर अत्यााचाार करनेे और लोोकतांं�त्रि�क सि�द्धांं�तोंं कोो कमजोोर करनेे केे करताा हैै कि� येे नि�कााय काार्ययपाालि�काा द्वााराा गठि�त कि�ए गए
लि�ए कि�याा गयाा हैै। हैंं। साामाान्यतःः येे काार्ययपाालि�काा विं�ंग कि�सीी वि�शेेष
रााजनीीति�क दल याा चुनाु ावीी प्रक्रि�याा केे मााध्यम सेे सरकाार
बनाानेे वाालेे गठबंंधन काा हि�स्साा होोतेे हैंं। सरकाार मेंं शाामि�ल दल रााजनीीति�क वि�रोोध कोो कमजोोर करकेे और देेश मेंं असहमति� कोो
दबााकर अपनेे शाासन कोो वैैध एवंं स्थाायीी बनाानेे कीी रााजनीीति�क महत्वााकांं�क्षाा रखतेे हैंं। इस प्रकाार, इन एजेंंसि�योंं काा प्राायःः उपयोोग देेश
केे लोोकतांं�त्रि�क ढांं�चेे कोो क्षीीण करनेे केे लि�ए कि�याा जााताा हैै।

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दूूसराा, केंंद्रीीयकरण। येे नि�कााय केंंद्र सरकाार द्वााराा गठि�त होोनेे केे काारण रााज्य सरकाारोंं कोो प्राायःः स्वाायत्तताा केे माामलेे मेंं समस्यााओंं
काा साामनाा करनाा पड़ताा हैै। अतःः रााजनीीति�क वि�द्वाान देेवेेश कपूूर नेे तर्कक दि�याा हैै कि� इन नि�काायोंं केे लि�ए संंवैैधाानि�क समर्थथन कीी
कमीी नेे केंंद्र सरकाार कोो रााज्योंं पर नि�यंंत्रण स्थाापि�त करनेे मेंं सहाायताा प्रदाान कीी हैै। थॉॉमस हि�ल्लैंंड एरि�क्सन द्वााराा लि�खि�त पुस्ु तक
“रि�क्लेेमिं�ंग द स्टेे ट: ए प्रोोग्रेेसि�व वि�जन ऑफ सॉॉवरेेन्टीी फॉॉर ए पोोस्ट-नीीओलि�बरल वर्ल्ड�ड” और सुनीु ील खि�लनाानीी द्वााराा
लि�खि�त “द आइडि�याा ऑफ इंडि�या ं ा” केंंद्रीीयकरण द्वााराा उत्पन्न चुनौु ौति�योंं और भाारत मेंं संंघवााद कोो मजबूतू करनेे कीी आवश्यकताा
पर चर्चाा� करतीी हैंं। येे काार्यय इस बाात पर जोोर देेतेे हैंं कि� अति�रि�क्त-संंवैैधाानि�क नि�कााय संंवि�धाान कीी सीीमााओंं केे भीीतर काार्यय करेंं और
रााज्योंं कीी स्वाायत्तताा काा सम्माान करेंं ।
तीीसराा, स्वाायत्तताा कीी कमीी। इन एजेंंसि�योंं कीी रााजनीीति�क प्रभााव सेे स्वतंंत्रताा और स्वाायत्तताा कीी कमीी नेे उनकेे दुरुु पयोोग कोो
पक्षपाातपूर्णणू उद्देश्े योंं केे लि�ए अनुमति�
ु दीी हैै। ऐसाा इसलि�ए हैै क्योंंकि� येे नि�कााय आम तौौर पर केंंद्र सरकाार और सरकाार केे नौौकरशााहीी
विं�ंग केे नि�र्देेशोंं पर काार्यय करतेे हैंं। उनकेे काार्ययकरण मेंं रााजनीीति�क हस्तक्षेेप उनकीी वि�श्वसनीीयताा और नि�ष्पक्षताा कोो खतरेे मेंं डाालताा
हैै| इसकेे काारण, सुप्रीु ीम कोोर्टट नेे पहलेे हीी सीीबीीआई कोो “पिं�ंजरेे मेंं बंंद तोोताा अपनीी हीी भााषाा मेंं बोोलताा हुुआ” कहाा हैै। यहांं�
तक कि� ईडीी कीी नि�र्भभरताा भीी PMLA केे तहत मनीी लॉॉन्ड्रिं�ं�ग केे माामलोंं कोो शुरू ु करनेे सेे पहलेे पूर्वववर्ती
ू ी अपरााधोंं कोो दर्जज करनेे
केे लि�ए अन्य एजेंंसि�योंं पर दि�खााई देे सकतीी हैै।
चौौथाा, काानूूनीी अस्पष्टताा। जांं�च एजेंंसि�योंं केे काामकााज कोो नि�यंंत्रि�त करनेे वाालेे काानूनोंू ं और वि�नि�यमोंं मेंं अस्पष्टताा नेे दुरुु पयोोग केे
लि�ए अवकााश प्रदाान कि�याा हैै। स्पष्ट दि�शाा-नि�र्देेशोंं और नि�गराानीी तंंत्र कीी कमीी सेे इन एजेंंसि�योंं कोो अपनीी सीीमााओंं सेे आगेे बढ़नेे एवंं
व्यक्ति�गत अधि�काारोंं काा उल्लंंघन करनेे मेंं सक्षम बनाायाा गयाा हैै, जि�ससेे रााजनीीति�क उत्पीीड़न हुुआ हैै। सीीबीीआई और ईडीी अक्सर
एक हीी माामलोंं कीी जांं�च करतेे हैंं, जि�ससेे भ्रम कीी स्थि�िति� पैैदाा होोतीी हैै। उदााहरण केे लि�ए, एक माामलेे मेंं जहांं� सीीबीीआई मूल ू अपरााध
कीी जांं�च कर रहीी हैै वहींं ईडीी समाानांं�तर रूप सेे धन शोोधन केे पहलूू कीी जांं�च करतीी हैै जि�ससेे समाानांं�तर काार्ययवााहि�यांं� चलतीी हैंं।
संंवैैधाानि�क वि�द्वाान मााधव खोोसलाा नेे गैैर- कॉॉमन कॉॉज़ बनााम भाारत संघं वााद (2021) मेंं सुप्रीु ीम कोोर्टट केे फैै सलेे नेे
संंवैैधाानि�क नि�काायोंं केे दुरुु पयोोग कोो रोोकनेे सीीबीीआई और ईडीी नि�देेशकोंं केे काार्ययकााल वि�स्ताार केे लि�ए दि�शाानि�र्देेश तय कि�ए
केे लि�ए स्पष्ट काानूूनीी ढांं�चेे और नि�रीीक्षण थेे। हाालांं�कि�, केंंद्र सरकाार द्वााराा पेेश केंंद्रीीय सतर्कक ताा आयोोग (संशो ं ोधन)
तंंत्र कीी आवश्यकताा पर प्रकााश डाालाा हैै। अधि�नि�यम, 2021 और दि�ल्लीी स्पेेशल पुुलि�स स्थाापनाा (संशो ं ोधन)
अधि�नि�यम, 2021 नेे सीीबीीआई और ईडीी नि�देेशकोंं केे काार्ययकााल कोो बढ़ाानेे कीी
अनुमति�
ु देेकर काानूनीू ी अस्पष्टताा पैैदाा कीी।
यह रंंगीीन वि�धाायन केे सि�द्धांं�त काा भीी उल्लंंघन करताा हैै क्योंंकि� ऐसेे नि�काायोंं कोो कि�सीी भीी व्यक्ति� कोो गि�रफ्ताार करनेे कीी शक्ति�यांं�
प्रााप्त नहींं हैंं जोो कहींं न कहींं पुलि�स
ु तक हीी सीीमि�त हैंं (जैैसेे दण्ड प्रक्रि�याा संहिं �ताा कीी धााराा 41 और 151, अब भाारतीीय नाागरि�क
सुरु क्षाा संहिं �ताा, 2023 द्वााराा प्रति�स्थाापि�त होंंगीी)। इसकीी तुलना
ु ा मेंं, धन शमन शोोधन नि�वाारण अधि�नि�यम, 2002 कीी धााराा 50
केे तहत ईडीी केे वल व्यक्ति�योंं कोो जाारीी कर सकतीी हैै। इस प्रकाार, इसनेे काार्ययपाालि�काा केे वि�भि�न्न आयाामोंं केे अंंतर्गगत काार्योंं केे
पृृथक्करण कोो कुुछ हद तक क्षीीण कर दि�याा हैै।
पाँँ�चवाा, जवााबदेेहीी कीी कमीी। केंंद्रीीय जांं�च ब्यूूरोो (सीीबीीआई) और प्रवर्ततन नि�देेशाालय (ईडीी) दोोनोंं कोो सूचना ू ा केे अधि�काार
(आरटीीआई) अधि�नि�यम केे प्राावधाानोंं सेे छूूट प्रााप्त हैै। यह छूूट उन्हेंं अपनेे काार्ययप्रणाालीी और नि�र्णणयोंं केे बाारेे मेंं पाारदर्शि�िताा बनााए
रखनेे सेे मुक्त
ु करतीी हैै। माामलेे कोो हल करनेे केे लि�ए बि�नाा कि�सीी दबााव और समय सीीमाा केे येे नि�कााय जांं�चोंं मेंं देेरीी कर सकतेे हैंं।
सीीबीीआई पर 1990 केे दशक केे जैैन हवाालाा डाायरीी माामलेे मेंं उच्च स्तरीीय अधि�काारि�योंं केे वि�रुद्ध जांं�च मेंं अकर्ममण्यताा बरतनेे
सहि�त अनुसंु ंधाान कोो नि�ष्कर्षष तक पहुंंचा� ानेे मेंं वि�लंंब करनेे काा आरोोप लगाायाा गयाा हैै। समयबद्ध काार्ररवााई न करनाा जवााबदेेहीी कोो
कमजोोर करताा हैै। इसकीी बोोफोोर्सस घोोटाालेे, हवाालाा घोोटाालेे, संतं सिं�हं चटवााल माामलेे और 2008 केे नोोएडाा डबल मर्डडर केे स
(आरुषि� तलवाार) जैैसेे प्रमुख ु रााजनेेतााओंं सेे जुड़ेु े कई माामलोंं कोो दुरुु पयोोग करनेे केे लि�ए आलोोचनाा कीी गई हैै।

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समस्याा काा समााधाान कैै सेे नि�काालेंं?
संंस्थाागत स्वाायत्तताा केे मुद्देु े पर वि�नीीत नााराायण फैै सलेे जैैसेे न्याायि�क उदााहरणोंं नेे “नि�रंंतर परमाादेेश” कीी अवधाारणाा कोो पेेश
कि�याा जहांं� परमाादेेश रि�ट कीी पहुंंच� कोो समय-समय पर जांं�च कीी नि�गराानीी केे लि�ए बढ़ाायाा गयाा थाा। फैै सलेे नेे सीीबीीआई कोो केंंद्र
सरकाार कीी नि�गराानीी सेे हटााकर स्वतंंत्र केंंद्रीीय सतर्कक ताा आयोोग कीी नि�गराानीी मेंं रखाा। मलि�मथ समि�ति� नेे भीी सीीबीीआई और
ईडीी जैैसीी जांं�च एजेंंसि�योंं कीी स्वाायत्तताा बढ़ाानेे सहि�त आपरााधि�क न्यााय प्रणाालीी कोो मजबूतू करनेे केे उपाायोंं कीी सि�फाारि�श कीी थीी।
इसनेे रााजनीीति�क हस्तक्षेेप कोो रोोकनेे एवंं नि�ष्पक्ष जांं�च सुनि�श्चि
ु �त करनेे केे लि�ए स्पष्ट दि�शाानि�र्देेशोंं कीी आवश्यकताा पर प्रकााश डाालाा।
सााथ हीी, पंंकज बंंसल बनााम भाारत संघं (2024) माामलेे मेंं सुप्रीु ीम कोोर्टट नेे फैै सलाा सुनाु ायाा कि� जीीवन और व्यक्ति�गत स्वतंंत्रताा
(अनुुच्छेे द 21) काा मौौलि�क अधि�काार सर्वोोपरि� हैै। अदाालत नेे फैै सलाा सुनाु ायाा कि� गैैरकाानूूनीी गति�वि�धि�यांं� (रोोकथााम) अधि�नि�यम
(UAPA) केे तहत हि�राासत मेंं लि�ए गए व्यक्ति�योंं कोो उनकीी गि�रफ्ताारीी केे काारणोंं काा वि�वरण देेतेे हुुए एक लि�खि�त दस्ताावेेज उपलब्ध
कराायाा जाानाा चााहि�ए जोो इस अधि�काार केे महत्व कोो रेेखांं�कि�त करताा हैै।
नीीति�-नि�र्माा�ताा सुज़ा
ु ानाा नौौशााद द्वााराा “इंटरने
ं ेशनल क्लेेम्स कमीीशन्स: रााइटिं�ंग रॉॉन्ग्स आफ्टर कॉॉन्फ्लि��िक्ट” पुस्ु तक सेे भीी प्रेरे णाा
लेे सकतेे हैंं जोो जांंच� नि�काायोंं मेंं स्वतंंत्रताा, जवााबदेेहीी तथाा प्रभाावशीीलताा केे सि�द्धांंतों� ं पर एक व्याापक दृष्टि�कोोण प्रदाान करताा हैै जोो
भाारतीीय संंदर्भभ मेंं सीीबीीआई व ईडीी कीी स्वाायत्तताा एवंं सत्यनि�ष्ठाा कोो मजबूतू करनेे केे लि�ए लाागूू कि�ए जाानेे वाालेे नसीीहत प्रदाान करताा हैै।

प्राारंंभि�क परीीक्षाा अभ्याास प्रश्न


प्र. केंंद्रीीय जांं�च ब्यूूरोो केे संदं र्भभ मेंं नि�म्नलि�खि�त कथनोंं पर वि�चाार कीीजि�ए:
1. यह एक संंवैैधाानि�क संंस्थाा हैै।
2. यह भाारत मेंं भ्रष्टााचाार केे माामलोंं कीी जाँँ�च करताा हैै।
3. यह गृृह मंंत्राालय केे अधीीन काार्यय करताा हैै।
उपर्यु�क्त
ु कथनोंं मेंं सेे कि�तनेे सहीी हैंं?
(a) केे वल एक (b) केे वल दोो
(c) सभीी तीीन (d) कोोई भीी नहींं

मुुख्य परीीक्षाा प्रश्न


प्र. लोोकतंंत्र तभीी जीीवि�त रहताा हैै जब ऐसीी स्वतंंत्र संस्ं थााएंं होंं जोो सरकाार केे कि�सीी भीी अंंग केे प्रभााव केे बि�नाा कााम करेंं।
उन काारकोंं पर प्रकााश डाालि�ए जि�नकेे काारण इन देेशोंं मेंं जांं�च एजेंंसि�योंं कीी स्वाायत्तताा मेंं कमीी आई हैै। (10 अंंक)

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साामाान्य अध्ययन कीी सााप्तााहि�क याात्राा…
अत्यधि�क खनन कीी पर्याा�वरणीीय आवश्यकतााएँँ

यह आलेेख पर्याा�वरण प्रदूूषण व क्षरण एवंं संरक्षण


ं सेे संबंं ंधि�त हैै, जोो यूूपीीएससीी साामाान्य अध्ययन मुुख्य परीीक्षाा पेेपर
III केे पााठ््यक्रम काा हि�स्साा हैै।

15 मई कोो सर्वोोच्च न्याायाालय नेे रााजस्थाान सरकाार कोो सरि�स्काा रि�ज़र्वव केे महत्वपूर्णणू बााघ आवाास (CTH) केे 1 कि�लोोमीीटर केे परि�धि�
केे भीीतर संंचाालि�त 68 खाानोंं कोो बंंद करनेे काा आदेेश दि�याा। वन्यजीीव संंरक्षण अधि�नि�यम, 1972 एवंं पर्याा�वरण संंरक्षण अधि�नि�यम,
1986 दोोनोंं हीी बााघ अभयाारण्य केे आसपाास और उसकेे भीीतर खनन गति�वि�धि�योंं कोो प्रति�बंंधि�त करतेे हैंं। इससेे पर्याा�वरण संरं क्षण
बनााम वि�काास कीी बहस छि�ड़ गई हैै। यह सरि�स्काा मेंं अवैैध खनन संंचाालन कोो रोोकनेे केे लि�ए 1990 केे दशक सेे सर्वोोच्च न्याायाालय
द्वााराा कि�ए गए कई प्रयाासोंं मेंं सेे एक हैै। वाास्तव मेंं 1991 मेंं सर्वोोच्च न्याायाालय नेे संंरक्षि�त क्षेेत्र मेंं खनन पर पूर्णणतः
ू ः प्रति�बंंध लगाा दि�याा
थाा।

अवैैध खनन - पर्याा�वरण और माानव जीीवन केे लि�ए एक खतराा


खनन क्षेेत्र भाारत मेंं सबसेे बड़ेे नि�योोक्तााओंं मेंं सेे एक हैै। वर्षष 2021-22 केे लि�ए, खनन और उत्खनन क्षेेत्र नेे भाारत केे सकल मूल्ू य
वर्धि�ित (GVA) मेंं वर्ततमाान बााजाार मूल्ू योंं पर लगभग 2.40% काा योोगदाान दि�याा। लेेकि�न, अवैैध खनन एक बड़ीी समस्याा हैै जि�ससेे
भाारत सरकाार दशकोंं सेे नि�पट रहीी हैै। पर्याा�वरण और माानव जीीवन पर अवैैध खनन संंचाालन केे प्रभााव अच्छीी तरह सेे ज्ञाात हैंं।
™ वाायुु प्रदूूषण: कोोयलाा खाानेंं संंचाालन केे दौौराान कई बाार मीीथेेन गैैस छोोड़तीी हैंं जोो एक ग्रीीन हााउस गैैस हैै। पर्याा�प्त सुरु क्षाा
उपाायोंं केे बि�नाा धाातुु गलाानेे कीी प्रक्रि�यााएंं वाायुु कोो भाारीी धाातुओंं
ु सल्फर डााइऑक्सााइड और अन्य प्रदूषू कोंं सेे प्रदूषि� ू त
करतीी हैंं।
™ जल प्रदूूषण और दोोहन: खनन संंचाालन भू-ू जल एवंं सतहीी जलस्रोोतोंं दोोनोंं काा दोोहन करतेे हुुए बड़ीी माात्राा मेंं पाानीी काा
उपयोोग करतेे हैंं सााथ हीी हमाारेे जल स्रोोतोंं कोो प्रदूषि� ू त भीी करतेे हैंं।
„ अम्लीीकरण: खनन गति�वि�धि�यांं� वाायुु व जलनि�काायोंं मेंं सल्फााइड युक्त ु खनि�जोंं कोो छोोड़तीी हैंं जोो ऑक्सीीकृृ त होोकर
पाानीी सेे प्रति�क्रि�याा करकेे सल्फ्यूरिू �क एसि�ड बनाातेे हैंं जोो अंंततःः सतह और भू-ू जल दोोनोंं कोो प्रभाावि�त करताा हैै।
„ भाारीी धाातुु प्रदूष ू ण: सतह और भू-ू जल दोोनोंं हीी खुदाु ाई कि�ए गए चट्टाानोंं मेंं मौौजूदू आर्सेेनि�क, कोोबााल्ट, तांं�बाा, कैै डमि�यम,
लेेड और जिं�ंक जैैसीी भाारीी धाातुओंं ु केे संंपर्कक मेंं आतेे हैंं।
„ प्रसंंस्करण रसाायन: खनन संंचाालनोंं मेंं प्राायःः साायनााइड और पााराा जैैसेे राासाायनि�क एजेंंट खनि�ज नि�ष्कर्षषण केे लि�ए
उपयोोग कि�ए जाातेे हैंं जोो छि�टककर, रि�सकर याा नि�कलकर आसपाास केे जलनि�काायोंं मेंं मि�ल जाातेे हैंं।
™ भूूमि� नि�म्नीीकरण और प्रदूूषण: प्राायःः खनन गति�वि�धि�यांं� चट्टाानोंं एवंं मि�ट्टीी कीी सतह कोो खुरु चनेे केे सााथ शुरू ु होोतीी हैंं
तााकि� भूमि�ू केे नीीचेे दबेे खनि�ज तक पहुंंचा� ा जाा सकेे जि�ससेे कृृषि� भूमि� ू काा वि�नााश और मि�ट्टीी काा कटााव होोताा हैै। खनन
गति�वि�धि�योंं मेंं उपयोोग कि�ए जाानेे वाालेे रसाायनोंं सेे भीी मि�ट्टीी मेंं रि�सााव होोकर भूमि�
ू नि�म्नीीकरण होोताा हैै।
™ आवाास क्षति�: खनन गति�वि�धि�योंं केे लि�ए भूमि� ू केे ऊपर वनोंं और वनस्पति�योंं कोो भीी हटाानाा पड़ताा हैै और जल नि�काायोंं
काा प्रदूषू ण होोताा हैै, जि�ससेे वन और जलीीय जीीवोंं केे आवाासोंं काा नुकसा ु ान होोताा हैै।

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™ स्वाास्थ्य और सुरु क्षाा: खनन मेंं वि�स्फोोट सेे धूल ू और वाायुगुु णु वत्ताा कण (PM10 और PM2.5) उत्पन्न होोतेे हैंं जोो
श्वसन समस्यााएंं पैैदाा कर सकतेे हैंं। सि�लि�कॉॉन खनन सेे नि�कलनेे वाालीी सि�लि�काा धूल ू सेे फेे फड़ोंं कोो नुकसा
ु ान पहुंंच� नेे वाालाा
सि�लि�कोोसि�स और पाारेे केे प्रदूषू ण सेे केंंद्रीीय तंंत्रि�काा तंंत्र कोो क्षति� पहुंंच� नेे वाालाा मि�नाामााताा रोोग होो सकताा हैै। खनन संंचाालन
मेंं खतरनााक गति�वि�धि�यांं� जैैसेे वि�स्फोोट भीी शाामि�ल हैंं। भूमि�ग ू त खनन संंचाालनोंं जैैसेे रैैट होोल मााइनिं�ंग(rat hole min-
ing) मेंं खरााब वेंंटि�लेेशन, दृश्यताा और चट्टाानोंं केे गि�रनेे काा खतराा गंंभीीर स्वाास्थ्य खतरेे हैंं।
क्याा हैै रैैट होोल मााइनिं�ंग? यह संंकरीी, क्षैैति�ज रेेखााओंं सेे कोोयलेे केे नि�ष्कर्षषण कीी एक वि�धि� हैै। यह वि�शेेष रूप सेे मेेघाालय मेंं
प्रचलि�त हैै। "चूहाू ा गर्तत" काा संंदर्भभ भूमि�
ू मेंं खुदीु ी गई एक संंकरीी खााई हैै (आम तौौर पर सि�र्फफ एक व्यक्ति� केे लि�ए पर्याा�प्त बड़ीी जि�ससेे
वह उतरकर कोोयलाा नि�कााल सकेे ) तााकि� कोोयलेे तक पहुंंचा� ा जाा सकेे । खनि�क रस्सि�ियोंं याा बांं�स कीी सीीढ़ि�योंं काा उपयोोग करकेे
गर्तत मेंं उतरतेे हैंं और गैंंतीी , बेेलचाा और टोोकरीी जैैसेे प्रााचीीन औजाारोंं काा प्रयोोग करकेे कोोयलेे कोो हस्तचाालन द्वााराा नि�काालतेे हैंं।
™ माानवााधि�काार उल्लंंघन: अवैैध खनन संंचाालन गंंभीीर माानवााधि�काार उल्लंंघनोंं काा काारण बन सकतेे हैंं। दुनि�या ु ा भर मेंं
कई समुदाु ाय सोोनाा जैैसेे बहुुमूल्ू य धाातुओंं ु केे नि�ष्कर्षषण केे लि�ए अपनेे घरोंं सेे वि�स्थाापि�त कि�ए जाातेे हैंं। म्यांं�माार केे कााचि�न
क्षेेत्र मेंं स्थाानीीय समुदाु ायोंं काा वि�स्थाापन इसकाा एक अच्छाा उदााहरण हैै। मेेघाालय मेंं रैैट होोल मााइनिं�ंग मेंं भीी बााल श्रम प्रथााएंं
शाामि�ल थींं।
™ आपदाा: एक क्षेेत्र सेे साामग्रीी कोो नि�काालकर दूसरे ू े क्षेेत्र पर रखनेे सेे दोोनोंं क्षेेत्रोंं मेंं भूमि�
ू धंंसााव होोताा हैै। पहााड़ीी ढलाानोंं सेे
वनस्पति� हटाानाा और अवैैध खनन संंचाालनोंं केे दौौराान वि�स्फोोट सेे भूस्ू खलन होो सकतेे हैंं।
भाारत सरकाार एवंं खनन
भाारतीीय संंवि�धाान कीी 7वींं अनुसूु चीू ी मेंं नि�म्नलि�खि�त प्राावधाान शाामि�ल हैंं:
™ संघ ं सूचीू ी:
„ प्रवि�ष्टि� 54: खनन एवंं खनि�ज वि�काास काा वि�नि�यमन जि�स सीीमाा तक ऐसाा वि�नि�यमन तथाा वि�काास संंसद द्वााराा
काानूनू केे मााध्यम सेे जनहि�त मेंं वांं�छनीीय घोोषि�त कि�याा गयाा हैै।
„ प्रवि�ष्टि� 55: खाानोंं एवंं तेेल क्षेेत्रोंं मेंं श्रम व सुरु क्षाा काा वि�नि�यमन।

™ रााज्य सूची ू ी:
„ प्रवि�ष्टि� 23: संंघ सूची ू ी केे प्राावधाानोंं केे अधीीन खनन और खनि�ज वि�काास काा वि�नि�यमन जहांं� तक कि� यह संंघ
केे नि�यंंत्रण केे अंंतर्गगत वि�नि�यमन और वि�काास सेे संंबंंधि�त हैै।
„ प्रवि�ष्टि� 50: खनि�ज अधि�काारोंं पर कर बशर्तेे कि� संंसद द्वााराा खनि�ज वि�काास सेे संंबंंधि�त काानूनू द्वााराा लगााए गए
कि�सीी भीी प्रति�बंंध केे अधीीन होो।
भाारत सरकाार नेे 2016 मेंं दीीर्घघकाालि�क रेेत खनन प्रबंंधन दि�शाानि�र्देेश भीी जाारीी कि�ए हैंं तााकि� रेेत और बजरीी काा खनन पर्याा�वरणीीय
रूप सेे संंवहनीीय और साामााजि�क रूप सेे जि�म्मेेदाार तरीीकेे सेे कि�याा जाा सकेे । सााथ हीी 2020 मेंं रेेत खनन केे लि�ए प्रवर्ततन और
नि�गराानीी दि�शाानि�र्देेश भीी जाारीी कि�ए गए हैंं तााकि� देेश मेंं रेेत खनन पर नि�गराानीी रखीी जाा सकेे ।

पाारि�स्थि�िति�क रूप सेे संवें ेदनशीील क्षेेत्रोंं कीी उत्पत्ति�?


पाारि�स्थि�िति�क रूप सेे संंवेेदनशीील क्षेेत्र रााष्ट्रीीय पर्याा�वरण नीीति� (2006) केे तहत परि�भााषि�त कि�ए गए हैंं - “ऐसेे क्षेेत्र/अंंचल जहांं�
पहचाानेे गए पर्याा�वरणीीय संंसााधन अतुलनी ु ीय मूल्ू य रखतेे हैंं और उनकेे संरं क्षण केे लि�ए वि�शेेष ध्याान देेनेे कीी आवश्यकताा हैै” क्योंंकि�
उनकीी भूदृू श्य, वन्यजीीव, जैैव वि�वि�धताा, ऐति�हाासि�क और प्रााकृृति�क मूल्ू य हैंं।

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अवधाारणाा कीी उत्पत्ति�:
™ वन्यजीीव संरक्षण ं रणनीीति�, 2002: यह अवधाारणाा तब पेेश कीी गई जब वन्यजीीव संंरक्षण रणनीीति�, 2002 कोो अपनाायाा
गयाा। इसमेंं परि�कल्पनाा कीी गई थीी कि� रााष्ट्रीीय उद्याानोंं और अभयाारण्योंं कीी सीीमााओंं सेे 10 कि�मीी केे भीीतर आनेे वाालेे क्षेेत्रोंं
कोो पर्याा�वरण (संंरक्षण) अधि�नि�यम, 1986 और पर्याा�वरण (संंरक्षण) नि�यमोंं केे तहत पाारि�स्थि�िति�कीी रूप सेे संंवेेदनशीील
क्षेेत्रोंं केे रूप मेंं अधि�सूचि�
ू त कि�याा जाानाा चााहि�ए।
™ रााष्ट्रीीय वन्यजीीव काार्ररवााई योोजनाा (एनडब्ल्यूूएपीी) (2002-2016): रााष्ट्रीीय वन्यजीीव काार्ररवााई योोजनाा (एनडब्ल्यूएू पीी)
(2002-2016) मेंं भीी इंंगि�त कि�याा गयाा कि� संरं क्षि�त क्षेेत्र नेेटवर्कक सेे बााहर केे क्षेेत्र प्राायःः महत्वपूर्णणू पाारि�स्थि�िति�कीी गलि�याारेे
लिं�ंक होोतेे हैंं और उन्हेंं लंंबेे समय तक संंरक्षि�त करनेे केे लि�ए जैैव वि�वि�धताा केे टुुकड़ोंं केे अलगााव कोो रोोकनेे हेेतुु संंरक्षि�त
कि�याा जाानाा चााहि�ए। इस काार्यय योोजनाा मेंं यह भीी इंंगि�त कि�याा गयाा कि� ‘संंरक्षि�त क्षेेत्रोंं और वन्यजीीव गलि�याारोंं केे आसपाास
पहचाानेे गए सभीी क्षेेत्रोंं कोो पर्याा�वरण (संंरक्षण) अधि�नि�यम, 1986 केे तहत पाारि�स्थि�िति�कीी रूप सेे संंवेेदनशीील घोोषि�त कि�याा
जाानाा चााहि�ए।’
रााष्ट्रीीय वन्यजीीव बोोर्डड (NBWL) केे नि�र्णणय केे बााद मंंत्राालय नेे 2011 मेंं रााज्योंं कोो ESZ केे लि�ए प्रस्तााव तैैयाार करनेे मेंं मदद करनेे
और ESZ केे भीीतर प्रति�बंंधि�त, वि�नि�यमि�त याा बढ़ाावाा दि�ए जाानेे वाालेे काार्योंं कोो इंंगि�त करनेे केे लि�ए दि�शाानि�र्देेश स्थाापि�त कि�ए।

ESZ पर्याा�वरण संरक्षण


ं कोो कैै सेे बढ़ाावाा देेताा हैै?
पाारि�स्थि�िति�क रूप सेे संंवेेदनशीील क्षेेत्र (ESZ) पर्याा�वरण संंरक्षण कोो कई तरीीकोंं सेे बढ़ाावाा देेतेे हैंं:
™ बफर और संक्र ं मण क्षेेत्र: यह रााष्ट्रीीय उद्याानोंं और वन्यजीीव अभयाारण्योंं जैैसेे वि�शि�ष्ट पाारि�स्थि�िति�क तंंत्रोंं केे लि�ए एक
अवरोोधक याा “प्रघाात अवशोोषक” केे रूप मेंं काार्यय करनेे वाालाा बफर क्षेेत्र बनााताा हैै। यह उच्च संरं क्षि�त क्षेेत्र सेे कम संरं क्षि�त
क्षेेत्र कीी ओर एक अनुवाु ाद क्षेेत्र भीी बनााताा हैै जोो प्रााधि�करणोंं कोो बेेहतर प्रबंंधन मेंं मदद करताा हैै।
™ इन-सीीटूू संरक्षण ं कोो सक्षम करनाा: ESZ लुप्तप्रा ु ाय प्रजााति�योंं केे उनकेे प्रााकृृति�क आवाासोंं मेंं इन-सीीटूू संंरक्षण कोो सक्षम
करनेे मेंं मदद करताा हैै, जैैसेे कि� कााजीीरंंगाा रााष्ट्रीीय उद्याान मेंं एक-सींंग वाालाा गैंंडाा। सााथ हीी गति�वि�धि�योंं कोो वि�नि�यमि�त
करकेे वन क्षरण, माानव- पशुु संंघर्षष एवंं संंवेेदनशीील पाारि�स्थि�िति�क तंंत्रोंं पर नकााराात्मक प्रभाावोंं कोो और कम करनेे मेंं मदद
करताा हैै।
™ पर्याा� वरण नि�म्नीीकरण कोो रोोकनाा: यह कुुछ पर्याा�वरणीीय रूप सेे नि�म्नीीकरण वाालीी माानव गति�वि�धि�योंं जैैसेे वााणि�ज्यि�िक
खनन, पत्थर खनन और बजरीी इकााइयोंं; बड़ेे जल वि�द्युतु परि�योोजनााओंं; खतरनााक पदाार्थोंं केे हैंंडलिं�ंग; अशोोधि�त अपशि�ष्ट
केे नि�र्ववहन; ईंंट भट्ठोंं कीी स्थाापनाा; प्रदूषू णकाारीी उद्योोगोंं कीी स्थाापनाा आदि� पर प्रति�बंंध लगााकर पर्याा�वरण कीी रक्षाा करताा हैै
और उसकेे नि�म्नीीकरण कोो रोोकताा हैै। सााथ हीी, संंरक्षि�त क्षेेत्र कीी सीीमाा सेे 1 कि�लोोमीीटर केे भीीतर याा पाारि�स्थि�िति�क रूप सेे
संंवेेदनशीील क्षेेत्र कीी सीीमाा तक जोो भीी नि�कट होो कि�सीी भीी प्रकाार केे नए वााणि�ज्यि�िक नि�र्माा�ण कीी अनुमति� ु नहींं हैै।
™ स्थाानीीय समुुदाायोंं काा संरक्षण ं : ESZ अधि�सूचना ू ा मेंं गांं�वोंं मेंं रहनेे वाालेे लोोगोंं एवंं कि�साानोंं केे वि�स्थाापन कोो शाामि�ल
नहींं कि�याा जााताा हैै। सााथ हीी, यह स्थाानीीय लोोगोंं व समुदाु ायोंं कीी जरूरतोंं केे अनुसाु ार वि�काास गति�वि�धि�योंं कोो वि�नि�यमि�त
करताा हैै। स्थाानीीय समुदाु ायोंं द्वााराा चलााई जाा रहीी कृृषि� और बाागवाानीी प्रथााओंं, पशुपाु ालन, जलकृृषि�, मत्स्य पाालन, कुुक्कुुट
पाालन, बकरीी पाालन, खााद्य संंबंंधि�त इकााइयोंं आदि� पर कोोई प्रति�बंंध नहींं हैै।
™ सतत वि�काास कोो बढ़ाावाा देेनाा: यह एक सतत तरीीकेे सेे वि�काासाात्मक गति�वि�धि�योंं कोो वि�नि�यमि�त करताा हैै। पाारि�स्थि�िति�कीी
अनुक्रि�या
ु ा स्तर कोो पर्याा�वरणीीय माापदंंडोंं केे लि�ए अनुमु त सीीमााओंं केे भीीतर बनााए रखनेे केे लि�ए, बुनि�या ु ादीी ढांं�चाा वृृद्धि�
जैैसीी गति�वि�धि�यांं� जि�नमेंं नाागरि�क सुविु �धााएंं, सड़कोंं काा चौौड़ााकरण, गैैर-प्रदूषू क उद्योोग आदि� शाामि�ल हैंं उन्हेंं वि�नि�यमि�त
कि�याा जााताा हैै न कि� प्रति�बंंधि�त।

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™ अन्य लााभ: येे क्षेेत्र वन क्षरण कोो न्यूनू तम करतेे हुुए वि�काास गति�वि�धि�योंं सेे संंरक्षि�त क्षेेत्रोंं कोो सुरु क्षि�त रखतेे हैंं और माानव-
पशुु संघं र्षष कोो रोोकतेे हैंं।

काार्याा�न्वयन मेंं क्याा चुुनौौति�याँँ� हैंं?


यद्यपि� यह एक बहुुत सफल रणनीीति� हैै परन्तुु नि�म्नलि�खि�त चुनौु ौति�यांं� इसकेे काार्याा�न्वयन मेंं आतीी हैंं:
™ स्थाानीीय समुदा ु ायोंं काा वि�रोोध: आजीीवि�काा और वि�काास पर प्रति�बंंधोंं केे काारण पाारि�स्थि�िति�क संंवेदनशी े ील क्षेेत्र (ESZ) काा
स्थाानीीय समुदाु ायोंं सेे वि�रोोध होोताा हैै। उदााहरण केे लि�ए हााल हीी मेंं केे रल मेंं ESZ वि�नि�यमोंं केे खि�लााफ वि�रोोध-प्रदर्शशन हुुए।
™ पर्याा� वरण संरक्षण ं बनााम बुुनि�याादीी ढांं�चाा: येे रााष्ट्रीीय महत्व कीी रणनीीति�क परि�योोजनााओंं केे लि�ए पर्याा�वरण संंरक्षण और
बुनि�या
ु ादीी ढांं�चाागत वि�काास केे बीीच संंघर्षष पैैदाा करतेे हैंं।
™ जटि�ल प्रक्रि�याा: संंरक्षि�त क्षेेत्रोंं केे आसपाास ESZ घोोषि�त करनाा एक बहुुत जटि�ल तथाा वि�वाादि�त प्रक्रि�याा हैै जि�समेंं
सरकाारोंं कोो एक सहभाागीी योोजनाा अभ्याास काा पाालन करनाा पड़ताा हैै तााकि� भूमि� ू केे ऐति�हाासि�क और वर्ततमाान उपयोोग तथाा
अधि�काारोंं काा समझौौताा कि�याा जाा सकेे ।
™ भौौगोोलि�क चुुनौौति�यांं�: प्रत्येेक स्थाान कीी भौौगोोलि�क वि�शेेषतााएंं अलग-अलग होोतीी हैंं जि�ससेे 1 कि�लोोमीीटर कीी सीीमाा
नि�र्धाा�रि�त करनाा मुश्कि��ल
ु होो जााताा हैै। उदााहरण केे लि�ए, सुंं�दरबन क्षेेत्र पूराू ा हीी पाारि�स्थि�िति�क संंवेेदनशीील हैै। इसकेे अलाावाा,
समुद्रीु ी जलरााशि� मेंं ऐसीी सीीमााओंं कोो लाागूू करनाा बहुुत मुश्कि��ल ु हैै। अतःः पहााड़ोंं, मैैदाानोंं, वनोंं और महाासाागरोंं जैैसेे वि�भि�न्न
आवाासोंं केे लि�ए इसेे लाागूू करनाा कठि�न हैै।
™ पाारि�स्थि�िति�क संवे ं ेदनशीील क्षेेत्र (ESZ) मेंं वि�वि�धताा: रााज्योंं मेंं ESZ कीी वि�भि�न्न सीीमााएंं हैंं, जहांं� कुुछ संंरक्षि�त क्षेेत्रोंं
मेंं वि�काास कीी सुविु �धाा केे लि�ए 0 कि�मीी ESZ हैै, जैैसाा कि� हााल केे एक वि�श्लेे षण मेंं पाायाा गयाा।
™ एक पुुराानीी अवधाारणाा: सभीी संंरक्षि�त क्षेेत्रोंं केे आसपाास 10 कि�मीी काा ESZ बनाानेे कीी अवधाारणाा लंंबेे समय पहलेे
2002 मेंं उठााई गई थीी और इसकाा उद्देश्े य केे वल संंरक्षि�त क्षेेत्रोंं मेंं खनन एवंं नि�र्माा�ण गति�वि�धि�योंं कोो वि�नि�यमि�त करनाा
थाा। आज कई रााज्य आपत्ति� उठाा रहेे हैंं कि� 10 कि�मीी कीी परि�धि� शहरोंं केे बड़ेे हि�स्सोंं कोो कवर करेे गीी जहांं� येे संंरक्षि�त क्षेेत्र
स्थि�ित हैंं।
™ न्याायि�क चुुनौौतीी: 2022 मेंं सर्वोोच्च न्याायाालय नेे नि�र्णणय दि�याा कि� प्रत्येेक संंरक्षि�त वन केे चाारोंं ओर न्यून ू तम 1 कि�लोोमीीटर
काा ESZ होोनाा चााहि�ए जि�सकीी गणनाा संरं क्षि�त वन कीी सीीमाा सेे कीी जााएगीी। कई पर्याा�वरण काार्ययकर्ताा� माानतेे हैंं कि� इस दि�शाा-
नि�र्देेश काा कोोई वैैज्ञाानि�क आधाार नहींं हैै। सााथ हीी इसनेे नि�र्देेश दि�याा कि� कि�सीी भीी उद्देश्े य केे लि�ए ESZ केे भीीतर कोोई नई
स्थाायीी संंरचनाा नहींं बनााई जााएगीी जि�स पर केे रल स्वतंंत्र कि�साान संंघ नेे भीी चिं�ंताा व्यक्त कीी हैै।
™ अन्य काानूूनोंं केे सााथ अनुुपाालन: वन अधि�काार अधि�नि�यम जैैसेे प्रगति�शीील काानूनों ू ं काा कमजोोर अनुपाु ालन और ESZ
शाासन मेंं स्थाानीीय समुदाु ायोंं कीी सीीमि�त भाागीीदाारीी।
™ जलवाायुु परि�वर्ततन: दाावााग्नि�ि और बााढ़ जैैसेे जलवाायुु परि�वर्ततन केे प्रभाावोंं केे काारण बढ़ेे तनााव केे फलस्वरूप येे क्षेेत्र भीी
चुनौु ौति�योंं काा साामनाा कर रहेे हैंं जैैसाा कि� कााजीीरंंगाा और पश्चि�मीी घााट मेंं देेखाा गयाा हैै।

आगेे कीी क्याा रााह हैै?


उपर्यु�क्त
ु चुनौु ौति�योंं कोो देेखतेे हुुए ESZ कोो ऐसेे तरीीकेे सेे लाागूू कि�याा जाानाा चााहि�ए जोो सभीी हि�तधाारकोंं कीी चिं�ंतााओंं काा समााधाान करेे ।
™ समुुदााय कीी भाागीीदाारीी: ESZ कोो लाागूू करनेे सेे पहलेे स्थाानीीय समुदाु ायोंं जि�नकीी आजीीवि�कााएंं दांं�व पर लगीी हैंं और
आदि�वाासीी समुदाु ायोंं सहि�त सभीी हि�तधाारकोंं कोो शाामि�ल कि�याा जाानाा चााहि�ए। ग्रााम सभाा जैैसेे स्थाानीीय प्रााधि�करणोंं कोो
प्रभाावि�त लोोगोंं कीी चिं�ंतााओंं कोो रखनेे केे लि�ए सशक्त कि�याा जाा सकताा हैै।

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™ वि�काास और संरक्षण ं काा संतुं ुलन: संंरक्षण और वि�काास दोोनोंं कोो हीी एक-दूसरे ू े केे सााथ संंतुुलि�त कि�याा जाानाा चााहि�ए
जि�ससेे दीी गई स्थि�िति�योंं केे अनुरू ु प अधि�क उपयुक्त ु वि�काास गति�वि�धि�यांं� शुरू ु कीी जाा सकेंं और पर्याा�वरण कोो नुकसा ु ान न
पहुंंचे� ।े
™ नम्य दृष्टि�कोोण कोो अपनाानाा: सभीी हि�तधाारकोंं कोो समाायोोजि�त करनेे और पर्याा�वरण संंरक्षण कोो बढ़ाावाा देेनेे केे लि�ए
1 कि�मीी कीी सीीमाा केे कठोोर दृष्टि�कोोण केे बजााय वि�भि�न्न परि�वेेशोंं और क्षेेत्रोंं केे अनुसाु ार नम्य दृष्टि�कोोण अपनाायाा जाानाा
चााहि�ए।
™ वि�नि�यमन कोो प्रााथमि�कताा: ऐसेे क्षेेत्रोंं मेंं गति�वि�धि�योंं पर प्रति�बंंध लगाानेे केे बजााय परंंपराागत गति�वि�धि�योंं कोो समाायोोजि�त
करनेे केे लि�ए वि�नि�यमन कोो प्रााथमि�कताा दीी जाानीी चााहि�ए और प्रति�बंंध कोो केे वल माामलाा-दर-माामलाा आधाार पर लाागूू
कि�याा जाानाा चााहि�ए।
„ आदि�वाासीी समुदाु ायोंं कीी भाागीीदाारीी: आदि�वाासीी समुदाु ाय लंंबेे समय सेे पर्याा�वरण केे सााथ रहेे हैंं और वेे इस तरह केे
क्षेेत्रोंं केे सफल संंरक्षण मेंं महत्वपूर्णणू योोगदाान देे सकतेे हैंं। अतःः संंरक्षण गति�वि�धि�योंं मेंं उनकीी भाागीीदाारीी आवश्यक हैै।
भाारत केे संविं �धाान केे अनुसाु ार, पर्याा�वरण और उसकेे सभीी घटकोंं काा संरं क्षण करनाा प्रत्येेक नाागरि�क काा मौौलि�क कर्ततव्य हैै और
अनुच्ु छेे द 48A रााज्योंं कोो नि�र्देेशि�त करताा हैै कि� रााज्य देेश केे पर्याा�वरण, वनोंं और वन्य जीीवोंं कीी रक्षाा एवंं सुधाु ार काा प्रयाास करेे गाा।
अतएव देेश केे पर्याा�वरण केे संंरक्षण केे लि�ए रााज्य तथाा नाागरि�क दोोनोंं काा सहयोोग आवश्यक हैै सााथ हीी पाारि�स्थि�िति�क संंवेेदनशीील
क्षेेत्रोंं कीी अवधाारणाा केे सफल काार्याा�न्वयन केे लि�ए भीी इसीी काा पाालन कि�याा जाानाा चााहि�ए।

प्राारंंभि�क परीीक्षाा अभ्याास प्रश्न


प्र. संरक्षि�त
ं क्षेेत्रोंं केे आसपाास कीी अवैैध गति�वि�धि�यांं� न केे वल पर्याा�वरण केे लि�ए बल्कि�ि माानव जीीवन केे लि�ए भीी
खतराा हैंं। दि�ए गए कथन केे आलोोक मेंं संरक्षि�त ं क्षेेत्र केे आसपाास पाारि�स्थि�िति�क संवें ेदनशीील क्षेेत्र (ईएसजेेड) कीी
भूूमि�काा और इस तरह केे क्षेेत्रोंं सेे जुुड़ीी चुुनौौति�योंं पर चर्चाा� कीीजि�ए।
पाारि�स्थि�िति�क संवें ेदनशीील क्षेेत्र (ईएसजेेड) केे संबंं ंध मेंं नि�म्नलि�खि�त कथनोंं पर वि�चाार कीीजि�ए:
1. पर्याा�वरण, वन और जलवाायुु परि�वर्ततन मंंत्राालय (मोोईएफसीीसीी) वन्यजीीव संंरक्षण अधि�नि�यम, 1972 केे तहत ईएसजेेड कोो
अधि�सूचि�
ू त करताा हैै।
2. स्थाानीीय समुदाु ायोंं द्वााराा कृृषि� और बाागवाानीी गति�वि�धि�यांं� वर्जि�ित नहींं हैंं लेेकि�न ईएसजेेड मेंं खााद्य संंबंंधीी इकााइयांं� प्रति�बंंधि�त हैंं।
3. ईएसजेेड मेंं सड़कोंं काा वि�स्ताार प्रति�बंंधि�त हैै।
उपर्यु�क्त
ु मेंं सेे कि�तनेे कथन सहीी हैंं?
(a) केे वल एक (b) केे वल दोो
(c) सभीी तीीन (d) उपर्यु�क्त
ु मेंं सेे कोोई नहींं

मुुख्य परीीक्षाा अभ्याास प्रश्न


प्र. संरक्षि�त
ं क्षेेत्रोंं केे आसपाास कीी अवैैध गति�वि�धि�यांं� न केे वल पर्याा�वरण केे लि�ए बल्कि�ि माानव जीीवन केे लि�ए भीी
खतराा हैंं। दि�ए गए कथन केे परि�प्रेेक्ष्य मेंं संरक्षि�त
ं क्षेेत्र केे आसपाास पाारि�स्थि�िति�क संवें ेदनशीील क्षेेत्र (ईएसजेेड) कीी
भूूमि�काा पर चर्चाा� करेंं और इस तरह केे क्षेेत्रोंं सेे जुुड़ीी चुुनौौति�योंं कीी भीी वि�वेेचनाा करेंं। (15 अंंक)

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THESTUDYIAS
साामाान्य अध्ययन कीी सााप्तााहि�क याात्राा…
जीीएस मंंथन प्राारंंभि�क परीीक्षोोन्मुुख प्रश्न (19th -25th मई 2024)

1. बााढ़ोंं केे नि�म्नलि�खि�त प्रकाारोंं पर वि�चाार करेंं:- कथन-2: उच्च वसाा एवंं काार्बोोहााइड्रेेट केे नि�म्न संघं टक
बााढ़ केे प्रकाार वि�शेेषतााएँँ केे काारण केे टोोजेेनि�क आहाार काा उपयोोग मुख्ु य रूप सेे
प्रति�रोोधीी मि�र्गीी केे इलााज एवंं वजन घटाानेे हेेतुु कि�याा जााताा
1. तटीीय बााढ़ दीीर्घाा�वधि� तक वर्षाा� कीी अत्यधि�क
हैै।
माात्राा केे काारण नदि�याँँ� केे उफाान कीी
स्थि�िति�। उपरोोक्त कथनोंं केे संबंं ंध मेंं नि�म्नलि�खि�त मेंं सेे कौौन
2. नदीी बााढ़ मौौसम याा जल नि�काासीी प्रणाालि�योंं मेंं साा सहीी हैै?
रुकाावट केे काारण (a) कथन-1 एवंं कथन-2 दोोनोंं सहीी हैंं तथाा कथन-2
3. आकस्मि�िक बााढ़ आकस्मि�िक वर्षाा� कीी तीीव्र माात्राा सेे कथन-1 कीी सहीी व्यााख्याा करताा हैै।
खतरनााक बााढ़ कीी स्थि�िति� (b) कथन-1 एवंं कथन-2 दोोनोंं सहीी हैंं तथाा कथन-2,
4. सीीवर बााढ़ मौौसम कीी चरम स्थि�िति� एवंं उच्च ज्वाार कथन-1 कीी सहीी व्यााख्याा नहींं करताा हैै।
केे काारण (c) कथन-1 सहीी हैै लेेकि�न कथन-2 गलत हैै।
उपरोोक्त मेंं सेे कि�तनेे युुग्म सहीी सुमेु ेलि�त हैंं? (d) कथन-1 ग़लत हैै लेेकि�न कथन-2 सहीी हैै।
(a) केे वल एक युग्म ु (b) केे वल दोो युग्म
ु 4. नि�म्नलि�खि�त मेंं सेे कौौन साा कथन ‘डेेडाा पद्धति�’ शब्द
(c) केे वल तीीन युग्म ु (d) सभीी युग्मु कोो सहीी ढंंग सेे प्रदर्शि�ित करताा हैै?
2. ‘नेेगलेेरि�याा फााउलेेरीी’ केे बाारेे मेंं नि�म्नलि�खि�त मेंं सेे (a) एक जल संंरक्षण प्रथाा
कौौन साा कथन सहीी हैै? (b) एक प्रकाार कीी जैैवि�क खेेतीी तकनीीक
(a) यह ठंंडेे मीीठेे जल मेंं पनपताा हैै एवंं अंंतर्ग्ररहण सेे (c) एक आदि�वाासीी त्यौौहाार मनाानेे कीी पद्धति�
संक्र
ं मि�त करताा हैै। (d) बीीज संरं क्षण कीी एक पाारंंपरि�क वि�धि�
(b) यह प्रााथमि�क अमीीबि�क मेेनिं�ंगोोएन्सेेफलााइटि�स 5. समााचाारोंं मेंं कभीी-कभीी देेखाा जाानेे वाालाा ‘अहराामत’
(PAM) उत्पन्न करनेे वाालाा जीीवााणुु हैै। नि�म्नलि�खि�त मेंं सेे कि�स देेश मेंं रखाा गयाा हैै?
(c) यह नााक कोो संंक्रमि�त करनेे वाालाा अमीीबाा हैै जोो गर्मम (a) केे न्याा (b) मि�स्र
तााजेे जल मेंं पाायाा जााताा हैै।
(c) सूडाू ान (d) इरि�ट्रि�याा
(d) यह सुसज्जि�ि
ु त बनाायेे गए क्लोोरीीनयुक्त
ु कृृत्रि�म ताालााबोंं
मेंं पाायाा जााताा हैै। उत्तर:
3. नि�म्नलि�खि�त कथनोंं पर वि�चाार करेंं: 1. (a) 2. (c) 3. (a) 4. (d) 5. (b)
कथन-1: केे टोोजेेनि�क आहाार हृदय एवंं गुर्देु े जैैसेे प्रमुख

अंंगोंं केे लि�ए कठोोर आहाार कोो कम हाानि�काारक बनाा
सकताा हैै।

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