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हरियाणा का इतिहास

• हरियाणा का प्राचीन इतिहास बहुि गौिवपूणण है। यह वैदिक काल


से प्रािं भ होिा है। यह िाज्य भिि वंश की जन्मभमू म माना
जािा है, जजसके नाम पि इस िे श का नाम भािि पडा।

• हरियाणा एक प्राचीन नाम है |मनु के अनुसाि इस प्रिे श का


अजतित्व िे विाओं से हुआ था, पिु ानी समय में इस क्षेत्र को

ब्रह्मविण, आयणविण औि ब्रहमोप्िे स के नाम से जाना जािा था


| ये नाम हरियाणा की भूमम पि ब्रह्मा-िे विा के उद्भव पि
आधारिि हैं अथाणि आयों का तनवास औि वैदिक संतकृतियों
औि अन्य संतकािों के उपिे शों का घि |
• प्रोफेसि एच. ए. फडके के अनस
ु ाि, “ववमभन्न लोगों औि
जातियों के बीच ममलकि, समग्र भाििीय संतकृति के तनमाणण
में हरियाणा का योगिान अपने ििीके से उल्लेखनीय िहा है|
महत्वपूणण रूप से, इस क्षेत्र को सज
ृ न के मैदिक्स औि पथ्
ृ वी
पि तवगण के रूप में सम्मातनि ककया गया है |
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• महवषण वेिव्यास ने इसी पावन धिा पि महाभािि काव्य की


िचना की। महाभािि-काल से शिाजदियों पवण आयणवंशी कुरूओं ने
यही पि कृवष-युग का प्रािम्भ ककया। पौिाणणक कथाओं के
अनस
ु ाि उन्होने आदिरूपा मााँ सितविी के 48 कोस के उपजाऊ
प्रिे श को पहले कृवष योग्य बनाया। इसमलए िो उस 48 कोस की
कृवष-योग्य धििी को कुरूओं के नाम पि कुरूक्षेत्र कहा गया जो
कक आज िक भी भाििीय संतकृति का पववत्र प्रिे श माना जािा
है।
• बहुि बाि िक सितविी औि गंगा के बीच बहुि बडे भू-भाग को
'कुरू प्रिे श' के नाम से जाना जािा िहा।
• पांच हजाि साल पहले (approximately in 900 BC) यहीं पि
महाभािि के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने अजन
ुण को गीिा का
पावन संिेश दिया था। महाभािि के यद्
ु ध से पहले भी कुरुक्षेत्र में
िस िाजाओं की लडाई हुई थी लेककन महाभािि का यद्
ु ध धमण
की तथापना के मलए लडा गया था। उन्होंने कहा था कक ‘हे मनुष्य
िू कमण कि, फल की चचंिा मि कि।’ िभी से कमण का यह िशणन
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मानवमात्र का प्रकाश तिंभ की ििह हि समय मागणिशणन कि


िहा है।
• महाभािि-काल के बाि एक अंधा यग
ु शरू
ु हुआ जजसके
ऐतिहामसक यथाथण का ओि-छोि नहीं ममलिा।
1

• इसके अन्य नाम बहुधान्याका (महाभािि काल का नाम)


औि हरियंका खाद्य आपतू िण औि वनतपति की बहुिायि का
सझ
ु ाव िे िे हैं”|
• हरियाणा का नाम संसाि के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेि में :
िाज हरियाणे
• तकन्ि पिु ाण में हरियाणा का नाम: हरियाला
• छठी शिादिी में हरियाणा को श्रीकंठ जनपि कहा जािा
था|
• 10वी शिादिी में पष्ु पिं ि ने महापिु ाण में हरियाणा का
नाम: हरियाणऊ

1
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• िोहिक जजले के बोहि गांव से ममले मशलालेख के अनस


ु ाि,
इस क्षेत्र को हरियंक के नाम से जाना जािा था |
• बाि में, सुल्िान मोहम्मि-बबन-िुगलक के शासनकाल में
पाए गए पत्थि पि ‘हरियाणा’ शदि अंककि ककया गया था |
हरि (दहंि ू भगवान ववष्णु)औि अयन(घि) से हरियाणा नाम का
अथण है "भगवान का तनवास।"
• हरियाणा सितविी व चौिांग निी के मध्य में मौजि
ू था |

• हरियाणा पि गप्ु िा साम्राज्य, पष्ु यभतू ि वंश, गज


ु िण -प्रतिहाि वंश,
िोमि वंश, शाकंभिी के चाहमान, घरु िि वंश, दिल्ली सल्िनि,
मुगल साम्राज्य, ििु ाणनी साम्राज्य, मिाठा साम्राज्य, (जॉजण
थॉमस), ग्वामलयि िाज्य, भािि में कंपनी शासन औि बब्रदिश
िाज का शासन िहा है।
 दिल्ली सल्िनि औि मुगल साम्राज्य के िौिान, हरियाणा को
दिल्ली सब
ु ाह के नाम से जाना जािा था।
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 छठी शिादिी ईतवी के मध्य में गुप्ि साम्राज्य के पिन के बाि


उत्ति भािि कफि से कई िाज्यों में ववभाजजि हो गया था। हूणों ने
पंजाब पि अपना वचणतव तथावपि ककया। इस अवचध के बाि
प्राचीन भािि के सबसे महान िाजा हषणवधणन ने अपना शासन
शुरू ककया। वह 606 ईतवी में थानेसि (कुरुक्षेत्र) के िाजा बने,
औि बाि में उत्ति भािि के अचधकांश दहतसों पि शासन
ककया।मध्यकालीन हषण की मत्ृ यु के बाि, उनके कुल के िाजा,
प्रतिहािों ने हषण की िाजधानी कन्नौज से काफी समय िक एक
ववशाल क्षेत्र पि शासन ककया।यह क्षेत्र उत्ति भािि के शासकों के
मलए िणनीतिक रूप से महत्वपण
ू ण था, हालांकक थानेसि अब
कन्नौज के रूप में केंद्रीय नहीं था।पथ्
ृ वीिाज चौहान ने 12वीं
शिादिी में हरियाणा में ििाओिी औि हांसी में ककलों की तथापना
की। लेककन मह
ु म्मि गोिी ने ििाइन के िस
ू िे यद्
ु ध (1192) में
उसे हिाकि इन क्षेत्रों पि ववजय प्राप्ि की।उनकी मत्ृ यु के बाि,
दिल्ली सल्िनि की तथापना हुई, जजसने कई शिाजदियों िक
भािि पि शासन ककया।'हरियाणा' का सबसे पहला संिभण दिल्ली
संग्रहालय में िखे गए 1328 ईतवी के संतकृि मशलालेख में
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ममलिा है, जो इस क्षेत्र को पथ्


ृ वी पि तवगण के रूप में संिमभणि
कििा है, यह िशाणिा है कक यह उस समय उपजाऊ औि
अपेक्षाकृि शांतिपण
ू ण था। बलबन के समय का पालम बावली
अमभलेख (1280 ई.) हरियाणक के रूप में इसका मभन्न नाम
प्रिान कििा है। क़ििोज़ शाह िुगलक ने इस क्षेत्र को औि मजबूि
किने के मलए 1354 में दहसाि में एक ककले की तथापना की, औि
नहिों या िजवाहों का तनमाणण भी ककया, जैसा कक उन्हें भािि-
़िािसी इतिहास में संिमभणि ककया गया था।

 हरियाणा क्षेत्र अनेक यद्


ु धों का साक्षी िहा है क्योंकक यह “उत्ति
भािि का प्रवेश द्वाि” है।इसमें कई ऐतिहामसक रूप से
महत्वपूणण लडाइयााँ लडी गई हैं जैसे ििाइन की लडाई, पानीपि
की लडाई औि किनाल की लडाई।
− 21 April, 1526 में जब मुग़ल बािशाह बाबि ने इब्राहीम लोिी
को हिाकि भािि में मुग़ल साम्राज्य की नींव डाली। (Panipat
की 1 लडाई)
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− 5 November, 1556 में जब अ़िग़ान सेना मुग़ल शहंशाह


अकबि की सेना से पिाजजि हुई। (Panipat की 2 लडाई)
− 1739 में किनाल की लडाई – जब ़िािस के नादििशाह ने
ध्वति होिे मुग़ल साम्राज्य को ज़ोििाि मशकति िी।
− 14 January , 1761 में जब अहमिशाह अदिाली ने मिाठा
सेना को तनणाणयक मशकति िे कि भािि में बब्रदिश हुकूमि का
िातिा सा़ि कि दिया। (Panipat की 3 लडाई)
− पानीपि की िीसिी लडाई के बाि, मिाठों ने अपने मल

तथान पि जाने का साहस खो दिया, लेककन कई परिवाि
हरियाणा के ववमभन्न तथानों जैसे कैथल, असौंध,
किनाल, हांसी, मभवानी आदि में िहिे थे।पानीपि की
िीसिी लडाई में मिाठों की हाि से सूिज मल को
प्रोत्साहन ममला औि उसने अपने बेिे जवाहि मसंह को
गड
ु गांव औि िोहिक के मग
ु ल फौजिाि मस
ु ावी खान पि
हमला किने के मलए भेजा। मस
ु ावी खान के अधीन क्षेत्रों
के साथ, सिू ज मल ने पिौिी, िे वाडी औि बहाििु गढ़ के
क्षेत्रों पि भी ववजय प्राप्ि की।िस
ू िी ओि, इन घिनाओं ने
नजीबुि-िौला को चचंतिि कि दिया, जजन्होंने 25 दिसंबि,
1763 को सूिज मल पि हमला ककया औि दहंडेन निी के
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पास एक युद्ध में उसे माि डाला। उनकी मत्ृ यु ववशेष रूप
से जािों औि सामान्य रूप से दहंिओ
ु ं के मलए एक बडी
क्षति थी।

• मग
ु लों के बाि, हरियाणा मिाठा साम्राज्य का अचधकाि
बन गया। 1803 की सिु जी-अंजनगांव की संचध के बाि,
हरियाणा पि बब्रदिश साम्राज्य द्वािा कदजा कि मलया गया
था औि बाि में उत्ति पजचचम प्रांिों में ववलय कि दिया
गया था। 1857 के ववद्रोह के बाि, अप्रैल 1858 में
हरियाणा, जजसे िब दिल्ली क्षेत्र के रूप में जाना जािा
था, को सजा के रूप में पंजाब प्रांि में ममला दिया गया
था।

 प्रथम भाििीय तविंत्रिा संग्राम में हरियाणावामसयों की


भागीिािी को िे खिे हुए अंग्रेज शासकों के मन में यहां के लोगों के
प्रति बिले की भावना घि कि गई। इसमलए उन्होंने 1858 में
िाजनीतिक िण्ड के रूप में इस क्षेत्र को पंजाब में ममला दिया।
िाजनैतिक रूप से हरियाणा को अलग कि दिया गया लेककन
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सामाजजक औि सांतकृतिक रूप से यहां के लोग दिल्ली व पजचचमम


उत्तिप्रिे श के लोगों के अचधक तनकि थे। अिः उन्होंने िाजनैतिक
अलगाव के बावजि
ू दिल्ली व उत्तिप्रिे श के लोगों के साथ िोिी व
बेिी का सांतकृतिक सम्बंध बनाए िखा। अंग्रेजों की बिला लेने की
नीति का यही परिणाम था कक इस क्षेत्र को ववकास से वंचचि िखा
गया। यहां मशक्षा, व्यापाि, उद्योग, संचाि, मसंचाई आदि ककसी
भी क्षेत्र में ववकास नहीं ककया गया। इस कािण 19वीं सिी में यह
क्षेत्र सामाजजक, शैक्षणणक, आचथणक औि िाजनैतिक रूप से वपछडा
िह गया।

हरियाणा िाज्य की मांग 1907 में भािि की आज़ािी के का़िी पहले से


ही उठने लगी थी। ‘भाििीय िाष्िीय आंिोलन’ के प्रमुख नेिा लाला
लाजपि िाय औि आस़ि अली ने पथ
ृ क हरियाणा िाज्य का समथणन
ककया था।

12 दिसंबि, 1911 को कलकत्ता से दिल्ली िाजधानी के परिविणन के


साथ, हरियाणा क्षेत्र को दिल्ली से अलग कि दिया गया था | 1920 में,
दिल्ली में कुछ बिलावों का सझ
ु ाव दिया गया था। मजु तलम लीग ने
आगिा, मेिठ औि अंबाला डडवीजन को शाममल किने के साथ दिल्ली की
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सीमाओं के ववतिाि का भी सुझाव दिया। सि जे.पी.थॉमसन, आयुक्ि


दिल्ली को लोगों द्वािा भी इसी ििह की मांग की गई थी।

1928 में, दिल्ली में सभी पादिणयों के सम्मेलन में कफि से


दिल्ली की सीमाओं के ववतिाि की मांग की गई | हरियाणा के कुछ
प्रमुखनेिाओं जैसे पं. नेकी िाम शमाण, लाला िे शबंधु गुप्िा औि श्री िाम
शमाण ने गांधी जी से मुलाकाि की औि उनसे अनुिोध ककया कक हरियाणा
क्षेत्र के जजलों को दिल्ली के साथ ववलय ककया जाए | 1931 में, द्वविीय
गोल मेज़ सम्मेलन में, ित्कालीन पंजाब सिकाि के ववत्तीय आयक्
ु ि
औि भाििीय प्रतितनचधमंडल के सचचव सि जेफिी कॉबणिण ने पंजाब की
सीमाओं के पुनगणठन औि पंजाब से अंबाला डडवीजन को अलग किने
का सुझाव दिया | उन्होंने िकण दिया कक “ऐतिहामसक रूप से अंबाला
डडवीजन ित्कालीन दहंित
ु िान का दहतसा था औि इसका ित्कालीन
पंजाब प्रांि में शाममल किना बब्रदिश शासन द्वािा की गई घिना थी।”

1932 में, िे शबंधु गप्ु िा ने कहा कक "दहंिी भाषी क्षेत्र कभी भी


पंजाब का दहतसा नहीं िहा था। इस क्षेत्र के ववकास के मलए यह
आवचयक था कक इसे पंजाब से अलग ककया जाए औि दिल्ली,
िाजतथान औि इसके आसपास के कुछ दहतसों को ममलाकि एक
नया िाज्य बनाया जाए।
Exam Preparations

तविंत्रिा के पूवण एवं बाि में पंजाब का एक दहतसा होने के बावजूि इसे
ववमशष्ि सांतकृतिक औि भाषाई इकाई माना जािा था, हालांकक
सामाजजक-आचथणक रूप से यह वपछडा क्षेत्र था। वयोवद्
ृ ध तविंत्रिा
सेनानी श्रीिाम शमाण की अध्यक्षिा में बनी ‘हरियाणा ववकास सममति’
ने एक तवायत्त िाज्य की अवधािणा पि ध्यान केंदद्रि ककया था। 1960
के िशक की शुरुआि में उत्तिी पंजाब के पंजाबी भाषा मसक्खों औि
िक्षक्षण में हरियाणा क्षेत्र के दहन्िीभाषी दहंिओ
ु ं द्वािा भाषाई आधाि पि
िाज्यों की तथापना की मांग ज़ोि पकडने लगी थी, लेककन मसक्खों द्वािा
पंजाबी भाषी िाज्य की ज़ोििाि मांग के किण ही इस मद्
ु िे को बल
ममला।

1 नवम्बि 1966 को पंजाब पुनगणठन अचधतनयम एक्ि (1966) के िहि


हरियाणा िाज्य का गठन हुआ (17th Indian state on the
recommendation of the Sardar Hukam Singh Parliamentary
Committee. )। 23 अप्रैल 1966 को पंजाब िाज्य को ववभाजजि किने
औि नये हरियाणा िाज्य की सीमाए तनधाणरिि किने के मलए भािि
सिकाि ने जे.सी. शाह की अध्यक्षिा में शाह कमीशन की तथापना की।

31 मई 1966 को कमीशन ने अपनी रिपोिण जािी की। रिपोिण के अनस


ु ाि
कनणल, गड
ु गााँव, िोहिक, महें द्रगढ़ औि दहसाि जजलो को नये िाज्य
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हरियाणा का भाग बनाया गया। साथ ही इसमें संगरूि जजले की जींि


औि निवाना िहसील औि नािैनगढ़, अम्बाला औि जगाधिी िहसील
को भी शाममल ककया गया। साथ ही कमीशन ने मसफारिश भी की के
चंडीगढ़ (पंजाब की िाजधानी) में शाममल खिाि िहसील को भी हरियाणा
में शाममल ककया जाए।

जबकक खिाि के छोिे से भाग को ही हरियाणा में शाममल ककया गया।


चंडीगढ़ िाज्य को केन्द्रशामसि प्रिे श बनाया गया था, जो पंजाब औि
हरियाणा िोनों िाज्य की िाजधानी बनी हुई थी। भगवि ियाल शमाण
हरियाणा के पहले मख्
ु यमंत्री बने।

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