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Dokumen.tips Bhairav-sadhna (1)
Dokumen.tips Bhairav-sadhna (1)
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
चटा सकता है, शु के पु े घ पवा को भी तहस महस क सकता है, यह योग भी सर
सो के मय ही चलत हा है य क भले ही यह योग ई है लकन
े आसम यादा
समय नह लगता है तथा एक बा साधना सपन क लेने प साधक ईससे जीवन भ
लाभ
हती िईा सकता
है तथा है. अज
पग पग के यऄात
प ात गु म जहा
शं ओ
ु एकका
तर ऄसा
ु लगासदहैवअहीहसाधक
जमावडा ै तब एसीपथत
हावी म
आस का के योग ऄनवाय ही है, आस लए ई योग होने के काण भी आस योग को
यहाू प ततु कया जा हा है जससे क अवयकता पड़ने प साधक ऄपने जीवन क
तथा ऄपने पवा क गमा को ख सके तथा पण सा ु को ा क सके .
यह योग ऄयधक ती योग है ऄतः साधक ऄपनी ववेक ब ु के ऄनसा ु वयं क
हमत अद के बाे म सोच क ही योग क,े योग के मय साधक को ती ऄनभु व हो
सकते है.
साधक को ऄग कोइ य ऄयधक पश े ान क हा हो तथा बना काण ऄहत कये
जा हा हो तब यह योग कना ईचत है लेकन सर कसी को बेवजह पश े ान कने के
ईेयअद को मन म ख क यह योग नह कना चाहए वना साधक को आसका
पणाम भगतना
ु पड़ सकता है. साधक को आस योग को ामक प से लेना चाहए तथा
ऄपनी तथा घ पवा क सा ु के लए साधक यह योग क सकता ह.ै
यह योग साधक कसी भी ऄमावया या कृ षण प ऄमी को मशान म या नजन थान
म क.े समय ा म १० बजे के बाद का हे
साधक काले गं के व को धाण के तथा काले गं के असन प बिै े. साधक का मख ु
दण दशा क तर होना चाहए.
साधक ऄपने सामने भैव का कोइ वह या च थापत क,े ईस प सद ऄपत क.े
साधक गु पजन क च या वह का पजन क.े साधक लाल गं के पषप ु का योग क.े
साधक को कसी पा म मदा भी ऄपत कनी चाहए.
आसके बाद साधक को गु मं का जाप कना चाहए. जाप के बाद साधक यास के.
कयस
ा अङ् गय
ु ा नमः
तरजनीया नमः
ूा मयमया नमः
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
अनमकया नमः
कनकया नमः
ः कतल कपय
ृ ा नमः
दयदयस
ा दयय नमः
िसे वह
ूा िखयै वषट्
कवचय हा
नयय
े वौषट्
ः अय
यास के बादफट ् ा माला से नन म क ५१ माला म जाप क.े
साधक
ॎ ा ा ा ोधभैवय अमक ु ा उचटय ा ा ा फट्
म जाप पण होने प साधक वही ूप कसी पा म अग वलत क के १०८ अहत
बके के मांस म शाब को मला क ऄपत क.े भोग के लए ऄपत क गइ मदा वही ू
छोड़ दे. दस
े दन कसी ान को दह या कु छ भी ऄय खाय दाथ खलाए.ं
आसके बाद साधक को जब भी योग कना हो तो साधक को ाी काल म १० बजे के बाद
ईपो
क १०१याओ
अहतं ऄनसा
ु तथा
शाब ही पबक
जन े अद
के मांसया क आसी
को मला कम
देनी क १ माला
चाहए. मम काक
म ऄम ु ं जाप
क
जगह सबंधत य या शका ु नाम लेना चाहए जसके उप योग कया जा हा हो, आस
का कने से ईस य का ईचाटन हो जाता है तथा वह साधक के जीवन म कभी
पश
े ानी नह डालता. ऄग साधक योग क अहत देने के बाद नमा य या भषम को िईा
क शु के घ के ऄंद दाल देता है तो शु का पा घ पशे ान हो जाता है, घ के सभी
सदय को दःु ख एवं क का सामना कना पड़ता है तथा शु पण घ पवा सहत
बबाद हो जाता है.
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
जय सगदेव,
यं यं यं य पम दशदशीवदनं भूमकपयमनं |
सं सं सं संहमूत शभमक ट जटशेखं चंििम ||
दं दं दं दीघकयं वकृ तनख मख चौवोयम कलं,
पं पं पं पपनशम णमत सततं भैवं ेपलम ||
सदगदेव ने भैव उपसन के अनेक आयम न के वल ितए ह अपत अनेक सधक को
इसम नपण भी कय है उनक कहन थ क येक सधक को सधन े म उतने से
पहले भैव सधन अवय कण चहए, यक इससे न केवल सधन म आने वले
व दू होते हि क भगवन भैव क कृ प भी होती है.
भगवन भैव को शबदमय प म वणत कने क कण सर इतन है क अय देव क
,
अपे
नहिा
पूधे ज
हंसकत
ड म सव
वमन
उसी ह जस
क भैव कभीशबद
भी कसी वकोयकसी
िधभीकोक
सहनकेनह
िंधक
न म
पते औ उसे ववंश क सधक को पूण अभय दन कते ह,
उनक इसी श को सधक अनेक प वणत क सधन के क अपने
जीवन के दुख औ क से म कते ह,
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
वततु भैव सधन भगवन शव क ही सधन है यक भैव तो शव क ही वप
है उनक ही एक नतनशील वप. भैव भी शव क ही तह अयत भोले ह, एक तर
अयधक चंड वप जो पल भ म लय ल दे औ एक तर इतने दयल क आपने
भ को िस कछ दे डले,
इसके िद भी समज म भैव के नम क इतन भय क नम सनक ही लोग काप जते
ह, उससे तं म य जदू टोने से जोड़ने लगते ह, गदेव ने इह ंतय को दू कने
के लए "भैव् सधन" नमक पतक भी कशत क तक लोग इसक सयत को
समझ औ लभवत ह सक ......
भैव क उन अनेक सधन म एक सधन है महष कल णीत महकल
िटक भैव सधन. इस सधन क वशेषत है क ये भगवन् महकल भैव के तीण
वप
कती केहै िट
औकजीवन
प कके सधन है जो तीतवकेगसथ
सभी अभव,कट शसधक
कको
समूसौयत क भी
ल नवण अनभव
कती
है.वपत,ग श,ऋण,मनोकमन पूत औ भगवन् भैव क कृ प ,इस १
दवसीय सधन योग से संभव है. िध हम योग क तीत को ित तक नह समझ
पते ह िज तक क वयं उसे संप न क ल,इस योग को आप कए औ पणम
ि तइयेग.
ये योग वव क मय को संप कन होत है.न आद कृय से नवृय
होक पीले व धण क दण मख होक िैठ जएा.सदगदेव औ भगवन् गणपत
क पंचोपच पूजन औ मं क समयनस जप क ल तपत समनेि जोट प
पील व िछ ल,जस के ऊप कजल औ क मक म मत क ऊप च म दय
य िनन है औ य के मय म कले तल क ढेी िनक चौमह दीपक वलत
क उसक पंचोपच पूजन कन है,पूजन म नैवे उड़द के िड़े औ दही क अपत
कन है .पप गदे के य वणय हो तो िेहत है.िअ अपनी मनोकमन पूत क
संकप ल.औ उसके िद वनयोग क.
अय महकल वटक भैव मंय कल ऋषु अन प छंद आपदक देव
िसमतपवणथ
टके देवत िीजं
जपेभैवनयोगु
वी वलभ शु दडपण कलक सवभी यथ
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
कनकयं
ु कतल नमु नमु
कपृयं
अङगयस
ं दयय नमु
शसे वह
ूं शखयै वषट्
कवचय म
नेयय
ु अय रट्वौषट्
िअ हथ म क मक म मत अत लेक न मं क ११ ि उण कते ए यन
क औ उन अत को दीप के सम अपत क द.
नील जीमूत संकशो जटलो लोचनु
दं कल वदन: सप योपवीतवन |
दंयधलंकृ त कपल ग वभूषतु
हत
इसके यत कीटीको
िद न मूल मंभम
क भू,मू
षत वह:
ंग य||कले हकक मल से ११ मल जप क
ॎ वटकय आपदणय क क वटकय वटकय वह ||
योग सम होने प दूसे दन आप नैवे,पील कपड औ दीपक को कसी सनसन
जगह प ख द औ उसके चो औ लोटे से पनी क गोल घे िनक औ णम
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
तं े म भगवान भैरव का एक वशेष ही थान है. भगवान भैरव शव के ही वप है आस
िए ईनमे शव ेरत सभी गणु का समावेश है ही. तमस भाव क धानता से ायः ही िोग
भगवान के आस प से भय खा कर ईनक ईपेा कर बैठते है, जब क ऐसा िबकिु नह है.
तमस धान देवी तथा देवताओ ं क भी दणमाग से साधना हो सकती हैि कन े ऄानता
वश और कइ बार वाथवश कइ ढग और पाखड को बढ़ावा देने िवाे ययो ने यह तय
को नकार कर समाज म ई देवी देवताओ ं के सबंध म ववध ात फे िा दी है. भगवान भैरव
क साधना क जब भी बात अती है तो साधक श ु म ही भय क से ईसे देखने िगता है.
तरह तरह से मन म वचार सारत होने िगते है क वाम पंथ से ही ईनक साधना क जा
सकती है तथा मांस मदरा मैथनु जेसे म के मा्यम से ही आस कार के देवी देवता क
ईपासना संभव हो सकती है, जब क यह तय मा म ही है. य क कसी भी देवी देवता
क साधना दण तथा वाम दोन पंथ से होती है, यह सगु पर अधारत होता है क वह
ऄपने शय को कस कार से कस माग से साधना े म ऄसर करे जससे क ईसे पण
सिफता क ाी हो सकती है. यही तय भैरव साधना के सबंध म भी है, भगवान भैरव क
साधना भी वाम तथा दण दोन पथं से हो सकती है. भगवान भैरव का जो वकरिा और
भयद वप ही वह तो मा ईनके तमस भाव क धानता के कारण है, और वह भी साधको
केवप
िएहै,नह
तंवरन
म तोसाधक के अत
ईनके ५२ ंरकचित
वप तथा बा
है ही.शईही
ओ
ु केम िए
से एकहै.वप
भगवानहै मात
भैरवडकेभैरव,
भी कइ
जनक साधना ऄयधक िवण साधना कही जाती है यक आनक साधना ती है तथा
ऄलप समय म ही साधक को भगवान के आस वप क कृ पा ा होना संभव हो जाता है. यू
तो चित मातड भैरव पण साधना म ऄयधक िवण म है जो क तामसक म है
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
ि ेकन जैसा क उपर कहा गया है क भगवान भैरव के भी सभी वप क साधना दण
माग से भी होती है, तथा पण
म के साथ साथ तं े म देव से सबंधत कइ िघु योग भी
नहत है. आसी म म ततु योग ईनके मि म से सबंधत योग है जो क साधक के
ऄंदर के शौय तथा वीर भाव को जागतृ करता है. आसके साथ ही साथ साधक के शओ ु का भी
तभन होता है तथा साधक क कइ कार से रा होती है. िभेही दखने म यह योग
सामाय िगेि ेकन एक दन के आस योग से साधक कइ कार के पौष गण ु से यु हो
सकता है, साधक के अतंरक भय का शमन होनेि गता है तथा शौय और पराम जेसे वशेष
गण
ु का ईसमे संचार होने िगता है, जो क नय ही कसी भी य के एक ऄधकार पण
जीवन का अवयक ऄगं है, सामाजक से भी आस कार के योग साधक को ऐसे गण ु
क ा करवाता है जो क अगे िच कर साधक का परा जीवन ही बदि सकता है तथा
साधक क तभा को ईभार कर समाज म एक नया ही थान िदा सकता है.
यह योग साधक कसी भी कृ णप क ऄमी, ऄमावया, मिगवार ं या शनवार को भी
कर सकता है.
यह योग राी म ही कया जाता है. साधक ऄगर कोइ चैतय थान म या भैरव मदर
ं म यह
योग करे तो ईम है. ऄगर यह सभं व न हो तो आस योग को घर पे भी सपन कया जा
सकता है.
साधक
िि नान अद
ा असान पर बैठसेजाए.
नवतृ साधक
हो करको
ििा वसामने
ऄपने को धारण
भगवानकरेभैतथा
रव काईरयंकयातरफ
वहमख
ुथापत
कर
करना चाहए.
साधक को गपु जन तथा गम
ु का जाप कर भैरव वह/यं का पजन करना चाहए. साधक
भोग के िए ईडद के बड़े या खीर का योग करे. ऄगर साधक पप ु का ईपयोग कर रहा है तो
पप
ु ििा रंग के हो. साधक गिग ु का धपु वित करे तथा दीपक तेि का िगाना चाहए.
आसके बाद साधक नन मं क ५१ िमाा ा िमाा से जाप करे.
ॎ य ठ
(OM HRYOOM THRIM)
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
मजप पण
होने पर साधक भगवान भैरव को पण ा के साथ णाम करे. आस कार यह
एक दवसीय योग पण होता है. साधक चाहे तो आसी योग को ५ दन ११ दन या २१ दन
भी कर सकता है. िमाा का वसजन साधक को नह करना है. साधक िमाा का ईपयोग आस
साधना हेतु भवय म भी कर सकता है.
मनय
ु जीवन ववध राग से भरा हअ एक ऐसा समय का िका खडं है जहां पर वततः ु कइ
कइ बार एसी परथत मनय
ु के सामने अ जाती है क जसक मनयजीवन
ु म कभी
सबंधत य ने कलपना भी नह क होती है. एसी ही घटनाओ म सख ु दाता घटनाये भी
होती हैि कन
े यादातर समय य को सघष ं मय रहकर ऄपने जीवन को अगे बढाने तथा
ईनत क ओर कदम रखने के िए ववध कार के या िकाप करने ही पड़ते है. वततः ु
हमारे जीवन म समयाओ का अना ऄवयभी ही है. कोइ भी य अज के यगु म सायद
ही ऐसा िम पाए जसे कसी भी कार क कोइ भी समया न हो. यहाू पर आन सब बातो के
उपर चचा करने आस िए ऄनवाय है य क ऄगर ाड म हमारे िए समया है तो
नत ही ाड म ईसके िए समाधान भी दया ही गया है. वततः ु यह हमारे उपर नभर
करता है क हम ईन समयाओ को या समया सबंधत समाधान को कतनी गंभीरता सेि ेते
है या समाधान के िए कतने गभं ीर तथा समपत हो कर काय करते है.
कइ बार कमजय तो कइ बार ववध कार के दोष के कारण हम कइ कइ कार क अप
या बाधाओ ं का सामना करना पड़ता है. एक य समया का समाधान ऄपनी सोच समज के
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
मताबक़
ु खोज कर ईसको ऄिम कर देता है. कइ बार समयाए आतनी सहज होती है क
सामाय प से ईसका नराकरण संभव हो जाता हैि ेकन हर बार समया सामाय ही हो और
ईसका नराकरण भी हो जाये यह तो नह होता, एसी परथत म य नाना कार से ऄपनी
समया या अप से म ु हेतु कोशश करता हैि ेकन ऄंत म भाय का दोष मान कर बैठ
जाता है, ऐसे समय म ऄनय क और पीड़ा का न सफ य को िेकन ईसके सबधत ं घर
परवार के सदय को भी तो सामना करना पड़ता है. और य का जीवन ऄयधक दखी ु
और बोिज होने िगता है.
मनय
ु क जागतृ श और सामय का एक नत दायरा है, एक सीमा है जसके अगे
ईसक गत या श का काय करना संभव नह होता. वततः ु एसी परथत म य को
दैवीय िब से या दैवीय श के मा्यम से ऄपनी समया से मु हो कर ऄपने जीवन को
संवारना चाहए और तं े म भौतक तथा ऄ्यामक दोन प के िए सभी समयाके
नदान हेतु कइ कइ योग दए हवे ही है.
भगवान भैरव का थान तो तं े म एक बेजोड और ऄतीय ही है, आनके ववध वप
ऄपने साधको के कलयाण के िए हमेशा पण प से गतिशी रहते है. आसी म म ईनका
बटुक वप तो वयात है ही. ऄपने साधको को हमेशा ही ववध अप तथा दवधाओु से
निका कर ईनको पण सरा
ु देते हवे भगवान बटुक भैरव साधको के म्य हमेशा ही पय
रहे
हैसमया
. ततु के योग भगवान
नराकरण क भैा
रव केहेतबट ुक वप
ु कया जातासेहै.सब ंधत को
साधक है जसे
ऄपनेकसी
कायभीेतथा कोइक
म ऄन ु िभीता,
तबािदा, यापार, ातऄात वरोधय से सरा ु सेि े कर सभी कार क समयाओ का
नराकरण आस योग के मा्यम से संभव है. अज के आस यगु म पग पग पर जीवन म ववध
कार क समया साधक को सहन करनी पड़ती है, ऄधं ी दौड मि ोग नीच से नीच वत ृ कर
कसी का भी ऄहत करने के िए वाथवश तरत ु ईता हो जाते है. ऐसे यगु म आस कार का
यह गढ़ु वधान ऄयतं ही अवयक एवं ईपयोगी योग है.
यह योग साधक कसी भी कृ णप क ऄमी को या कसी भी मंिगवार को श ु कर
सकता है.
साधक को यह योग राी म १० बजे के बाद ही करना चाहए.
साधक आसम िकाे या ििा व को धारण कर सकता है. जस रंग के व साधक धारण करे
ईसी रंग के असान पर साधक को बैठना चाहए.
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
आपने यह तय मन से संिं धत लेख म पढ़ है कत यह तय म पढ़न क लए नह लख
गय थ, अपत इसक ित गहन अथ ह. मने अपने ह लेख म मे मट समझई गयी
एक ित को हमेश औ ि – ि दोहय है क शूय य ंड एक ऐसे सय क नम
है जसम असंभव जैसे शबद क कोई थन नह है.....वहा ह वो चीज सभव है जो समय
ित म सोच क भी प हो.
“ संभव “ शबद क संभवतु हज कोड़ अथ हो सकते ह यक कौन कसी मनसकत क
सथ इस शबद क य कत है यह नभ कत है इस ित प क ह एक से दूस इसन
क िीच वच क मतभेद कतन गह है. कत तं म इस शबद क एक ही अथ है......”
सम िनो तंक कल क पहय भी तह हसि से चले “..... औ यही ित मझे मे
मट हमेश समझत ह क तं मूख क अपे प नह चलत औ जसने कल क वण
क लय उसक लए कने को कछ औ शेष नह ह जत. हम िस जनते ह क दशनन
वण कलजयी थे यक उहने अपने कल को अपने पलंग क खूट सेि ाध ख थ....प
हमने कभी यह जनने क चे नह क क उहने ऐस कय कसे थ....वो यह िस इसलए
संभव क पए थे यक वो एक े तंक थे....औ उहने अपने अंद क कल पष प
वजय क ली थी.
कत जहा समय वहा समधन....तो कल भैव क सधन से सिंधत ड से म पने
क लए हम इनको समझन पड़ेग. जैसे स क दो पहल होत ह वैसे ही कल औ भैव एक
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
स क दो प ह. कल क अथ है समय औ भैव क अथ है वो पष जसम कल प वजय
कने क मत हो. िअ यहा कल क अथ सर मृय नह है अपत ह उस वत से है जो
हम मनसक सख को ीण कने म सम हो. िअ यह समय शीक, आंतक,
मनसक, औ पये पैसे से संिं धत कसी भी हो सकती है.
िअ जो कल पष होग उसे इनम से कसी समय क भय नह होग यक समय उसक
समने ठह ही नह सकती. देवत औ मनय म िससेि ड़ अंत यही है क देवत क
सीमएं होती है जैसे अ देव म अ से संिं धत कय क सकते ह उनक वण देव से कोई
लेन देन नह, इसी क कम देव क इन दोन औ अय देवत से कोई सोक नह,
िजक इसक वपीत कवल मनय ही एक ऐस णी ह जसक अंद पू ंड समहत है,
जसक कसी भी कय को कने क कोई सीम नह िस जत है तो उसे अपने अंद क पष
को जगने क औ यह तभी संभव है िज हमने हम ही अंद क ंड को अथत कल को
जीत लय हो.
इसक लए आपको िस यह एक छोट स वधन कन है. कसी भी वव मय कल
म नह धोक अपने पूज क थन म पीले व पहन क पीले आसन प िैठ क आपको न
मं क म ११ मल मं जप कन है.
मं
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8/12/2019 Bhairav Sadhna
सधन को कते समय आपक दश पम होगी औ दीपक तल क तेल क जलन है. कसी
भी सधन म सरलत हेत सदगदेव क औ वहत भगवन गणपत क आशीवद अत
अनवय है इसलए भगवन गणपत क अचन कने क पत ही सधन भ क औ
मूल मं क मल श कने से पहले कम से कम गमं क ११ मल क जप ज क ल.
मट दए गए वधन म यद आपने कोई मल स क हो तो आप उसक उपयोग
क अयथ ग मल जससे आप अपनी नय सधन कते ह उसी क उपयोग क सकते ह.
सधन कते समय आपक वथल अनवत होन चहए औ यद कोई ग िहन इस
वधन को सप क ही है तो उन प यह नयम लगू नह होत. सधन क पत अपन
पू मं जप सदगदेव को समपत क द औ एक जी ित हो सकत है क सधन क
दौन आपकनह,
है तो िघय शीिज
ित जदअंदगम
आपक हो जए
उज य ऐस होत
क रटन लगे जैहैसतो
े गम
ऐसक होन
कणवभवक
मतली आहैही
.
अपनी सधन प कत ह थोड़ी दे िद थत अपने आप समय हो जयेगी.
खद इस अभत वधन को कक देख औ अपने समय जीवन मि दलव क आनंद ल, प
एक ित क यन ज ख कसी भी सधन म ऐस कभी नह होत है क आज सधन क
औ कल नतीज आपक समने आ जयेग, इसक लए आपको अपने दैनक जीवन प िड़ी
िीक से नज़ खनी पड़ती है योक िड़ेि दलव क शआत छोट छोट पवतन से होती
है.
(नोट – कप सधन कने क पत ह दन य कछ दन क अंतल से क गयी सधन क
यूनतम एक मल य अधकतम अपनी मत क अनस जतनी चह उतनी मल मं जप
क ल जससे क यह मं सद सवद आपको स हे.)
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