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8/12/2019 Bhairav Sadhna

KRODH BHAIRAV SADHNA

तं के े म भगवान भव


ै का थान तो ऄपने अप म नाला है, यह दवे ऄपने साधकोको
शी स एवं कयाण दान कने के काण सदय से महवपण ईपाय दवे हे है.
भगवान शव के वपसमही ईनके ये ववध प, सभी वप ऄपने अप म नाले तथा
वलण, तं के े म भैव के यू तो ५२ प चलत है लेकन ८ प मयप
ु से ात
है. आनको संय ु प से ऄ भैव के नाम से जाना जाता है. वततःु भगवान भैव से
सबंधत कइ कइ का क तांक साधना ववध मत के ऄतग ं त होती अइ है. कापालक,
नाथ, ऄघो आयाद साधना मत म तो भगवान भैव का थान बहोत ही ईचतम माना गया
है. तं म जहां एक औ गणपत को वन नवाक के प म पजन कना ऄनवाय म है
तो साथ ही साथ सो के मत से कसी भी साधना के लए भैव पजन भी एक ऄनवाय
म है य क यह ामक देव है जो क साधक तथा साधक के साधना म क सभी प
म ा कते है. वततः
ु भैव को संहाामक देवता के प म ततु क दया गया है
जसके काण सामाय जनमानस के मय आनको भय क  से देखा जाता है लेकन
आनक संहाामक कृ त साधक के लए नह वन साधक के शु तथा क के लए होती
है तथा आसी तय का ऄनभु व तो कइ महासो ने ऄपने जीवन म कया है, अद
शंकाचाय गोखनाथ से ले क सभी ऄवाचीन ाचीन सोने एक मत म भगवान भैव क
साधना को ऄनवाय तथा जीवन का एक ऄत अवयक म माना है. यू तो भगवान भैव
से सबंधत कइ कइ का के योग साधको के मय है ही तथा आसम भी बटु कभैव एवं
कालभैव वप तो तं साधको के य हे है लेकन साथ ही साथ भैव के ऄय वप
भी ऄपनी एक ऄलग ही वलणता को लए हवे है. भगवान ोध भैव के सबंध म भी ऐसा
ही है. यह वप ोध का ही साात वप है ऄथा त पण   तमस भाव से य ु वप. यह
वप पण तमस को धाण कने के काण साधक को ऄयधक ती प से तथा तकाल
पणाम क ा होती है. आनक ईपासना शओ ु के माण, ईचाटन, सेना माण अद
ऄत
आसके तीण याओ
पीछे भी ं के लए
कइ काण होती अइ
है, खास है. वत
क आनक सतः
ुंहाामक
आनक क
साधना आतनीलए
ृ त. आसी चलत
भयवशनहभीहै
आनक साधना साधक नह कते है, साात् तमस का प होने के काण आनके योग
ऄसहज भी है तथा थोड़े किन भी. ततु साधना भगवान के आसी वप क साधना है
जसको पण क लेने प साधक आसका योग ऄपने कसी भी शु प क ईसको जमन

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8/12/2019 Bhairav Sadhna

चटा सकता है, शु के पु े घ पवा को भी तहस महस क सकता है, यह योग भी सर
सो के मय ही चलत हा है य क भले ही यह योग ई है लकन
े आसम यादा
समय नह लगता है तथा एक बा साधना सपन क लेने प साधक ईससे जीवन भ
लाभ
हती िईा सकता
है तथा है. अज
पग पग के यऄात
प ात गु म जहा
शं ओ
ु एकका
तर ऄसा
ु लगासदहैवअहीहसाधक
जमावडा ै तब एसीपथत
हावी म
आस का के योग ऄनवाय ही है, आस लए ई योग होने के काण भी आस योग को
यहाू प ततु कया जा हा है जससे क अवयकता पड़ने प साधक ऄपने जीवन क
तथा ऄपने पवा क गमा को ख सके तथा पण सा ु को ा क सके .
यह योग ऄयधक ती योग है ऄतः साधक ऄपनी ववेक ब ु के ऄनसा ु वयं क
हमत अद के बाे म सोच क ही योग क,े योग के मय साधक को ती ऄनभु व हो
सकते है.
साधक को ऄग कोइ य ऄयधक पश े ान क हा हो तथा बना काण ऄहत कये
जा हा हो तब यह योग कना ईचत है लेकन सर कसी को बेवजह पश े ान कने के
ईेयअद को मन म ख क यह योग नह कना चाहए वना साधक को आसका
पणाम भगतना
ु पड़ सकता है. साधक को आस योग को ामक प से लेना चाहए तथा
ऄपनी तथा घ पवा क सा ु के लए साधक यह योग क सकता ह.ै
यह योग साधक कसी भी ऄमावया या कृ षण प ऄमी को मशान म या नजन थान
म क.े समय ा म १० बजे के बाद का हे
साधक काले गं के व को धाण के तथा काले गं के असन प बिै े. साधक का मख ु
दण दशा क तर होना चाहए.
साधक ऄपने सामने भैव का कोइ वह या च थापत क,े ईस प सद ऄपत क.े
साधक गु पजन क च या वह का पजन क.े साधक लाल गं के पषप ु का योग क.े
साधक को कसी पा म मदा भी ऄपत कनी चाहए.
आसके बाद साधक को गु मं का जाप कना चाहए. जाप के बाद साधक यास के.
कयस
ा अङ् गय
ु ा नमः
 तरजनीया नमः
ूा मयमया नमः

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 अनमकया नमः
 कनकया नमः
ः कतल कपय
ृ ा नमः
दयदयस
ा दयय नमः
 िसे वह
ूा िखयै वषट्
 कवचय हा
 नयय
े वौषट्

ः अय
यास के बादफट ् ा माला से नन म क ५१ माला म जाप क.े
साधक
ॎ ा ा ा ोधभैवय अमक ु ा उचटय ा ा ा फट्
म जाप पण होने प साधक वही ूप कसी पा म अग वलत क के १०८ अहत
बके के मांस म शाब को मला क ऄपत क.े भोग के लए ऄपत क गइ मदा वही ू
छोड़ दे. दस
 े दन कसी ान को दह या कु छ भी ऄय खाय दाथ खलाए.ं
आसके बाद साधक को जब भी योग कना हो तो साधक को ाी काल म १० बजे के बाद
ईपो
क १०१याओ
अहतं ऄनसा
ु तथा
शाब ही पबक
जन े अद
के मांसया क आसी
को मला कम
देनी क १ माला
चाहए. मम काक
म ऄम ु ं जाप
क
जगह सबंधत य या शका ु नाम लेना चाहए जसके उप योग कया जा हा हो, आस
का कने से ईस य का ईचाटन हो जाता है तथा वह साधक के जीवन म कभी
पश
े ानी नह डालता. ऄग साधक योग क अहत देने के बाद नमा य या भषम को िईा
क शु के घ के ऄंद दाल देता है तो शु का पा घ पशे ान हो जाता है, घ के सभी
सदय को दःु ख एवं क का सामना कना पड़ता है तथा शु पण घ पवा सहत
बबाद हो जाता है.

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जय सगदेव,
यं यं यं य पम दशदशीवदनं भूमकपयमनं |
सं सं सं संहमूत शभमक ट जटशेखं चंििम ||
दं दं दं दीघकयं वकृ तनख मख चौवोयम कलं,
पं पं पं पपनशम णमत सततं भैवं ेपलम ||
सदगदेव ने भैव उपसन के अनेक आयम न के वल ितए ह अपत अनेक सधक को
इसम नपण भी कय है उनक कहन थ क येक सधक को सधन े म उतने से
पहले भैव सधन अवय कण चहए, यक इससे न केवल सधन म आने वले
व दू होते हि क भगवन भैव क कृ प भी  होती है.

भगवन भैव को शबदमय प म वणत कने क कण सर इतन है क अय देव क
,
अपे
नहिा
 पूधे ज
हंसकत
ड म सव
 वमन
उसी ह जस
क भैव कभीशबद
भी कसी वकोयकसी
िधभीकोक
सहनकेनह
िंधक
न म
पते औ उसे ववंश क सधक को पूण अभय दन कते ह,
उनक इसी श को सधक अनेक प वणत क सधन के   क अपने
जीवन के दुख औ क से म  कते ह,

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वततु भैव सधन भगवन शव क ही सधन है यक भैव तो शव क ही वप
है उनक ही एक नतनशील वप. भैव भी शव क ही तह अयत भोले ह, एक तर
अयधक चंड वप जो पल भ म लय ल दे औ एक तर इतने दयल क आपने
भ को िस कछ दे डले,
इसके िद भी समज म भैव के नम क इतन भय क नम सनक ही लोग काप जते
ह, उससे तं म य जदू टोने से जोड़ने लगते ह, गदेव ने इह ंतय को दू कने
के लए "भैव् सधन" नमक पतक भी कशत क तक लोग इसक सयत को
समझ औ लभवत ह सक ......
भैव क उन अनेक सधन म एक सधन है महष कल  णीत महकल
िटक भैव सधन. इस सधन क वशेषत है क ये भगवन् महकल भैव के तीण
वप
कती केहै िट
औकजीवन
प कके सधन है जो तीतवकेगसथ
सभी अभव,कट  शसधक
 कको
समूसौयत क भी
ल नवण अनभव
कती
है.वपत,ग श,ऋण,मनोकमन पूत औ भगवन् भैव क कृ प ,इस १
दवसीय सधन योग से संभव है. िध हम योग क तीत को ित तक नह समझ
पते ह िज तक क वयं उसे संप न क ल,इस योग को आप कए औ पणम
ि तइयेग.
ये योग वव क मय  को संप कन होत है.न आद कृय से नवृय
होक पीले व धण क दण मख होक िैठ जएा.सदगदेव औ भगवन् गणपत
क पंचोपच पूजन औ मं क समयनस जप क ल तपत समनेि जोट प
पील व िछ ल,जस के ऊप कजल औ क मक म मत क ऊप च म दय
य िनन है औ य के मय म कले तल क ढेी िनक चौमह दीपक वलत
क उसक पंचोपच पूजन कन है,पूजन म नैवे उड़द के िड़े औ दही क अपत
कन है .पप गदे के य  वणय हो तो िेहत है.िअ अपनी मनोकमन पूत क
संकप ल.औ उसके िद वनयोग क.
अय महकल वटक भैव मंय कल  ऋषु अन प छंद आपदक देव

िसमतपवणथ
टके देवत  िीजं
जपेभैवनयोगु
वी वलभ शु दडपण कलक सवभी यथ

इसके िद यस म को संप क.


ऋयदयस –
कल  ऋषये नमु शस

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अन प छदसे नमु मखे


आपदक देव िटके देवतये नमु दये
 िीजय नमु गे
भैवी वलभ शये नमु पदयो
सवभी यथ समतपवणथ जपे वनयोगय नमु सवगे
कयस
ं अङगयं नमु
 तजनीयं नमु
ूं मयमयं नमु
 अनमकयं नमु

 कनकयं
ु कतल नमु नमु
कपृयं
अङगयस
ं दयय नमु
 शसे वह
ूं शखयै वषट्
 कवचय म
 नेयय
ु अय रट्वौषट्
िअ हथ म क मक म मत अत लेक न मं क ११ ि उण कते ए यन
क औ उन अत को दीप के सम अपत क द.
नील जीमूत संकशो जटलो  लोचनु
दं कल वदन: सप योपवीतवन |
दंयधलंकृ त कपल ग वभूषतु
हत
इसके यत कीटीको
िद न मूल मंभम
 क भू,मू
षत वह:
ंग य||कले हकक मल से ११ मल जप क
ॎ  वटकय   आपदणय क क वटकय  वटकय वह ||
योग सम होने प दूसे दन आप नैवे,पील कपड औ दीपक को कसी सनसन
जगह प ख द औ उसके चो औ लोटे से पनी क गोल घे िनक औ णम

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क वपस लौट जएा तथ मड़क न देख.


ये योग अनभूत है,आपको य अनभव हगे ये आप खद ितइयेग,मने उसे यहा नह
लख है. तव वशेष के कण ह  क नभव दूसे से थक होत है. सदगदेव
आपको सरलत द औ आप इन योग क मह समझ क गडगडहट भ जीवन
छोड़क अपन सवव पय यही कमन म कती ा.

MAARTAND BHAIRAV PRAYOG

तं े म भगवान भैरव का एक वशेष ही थान है. भगवान भैरव शव के ही वप है आस
िए ईनमे शव ेरत सभी गणु का समावेश है ही. तमस भाव क धानता से ायः ही िोग
भगवान के आस प से भय खा कर ईनक ईपेा कर बैठते है, जब क ऐसा िबकिु नह है.
तमस धान देवी तथा देवताओ ं क भी दणमाग से साधना हो सकती हैि कन े ऄानता
वश और कइ बार वाथवश कइ ढग और पाखड को बढ़ावा देने िवाे ययो ने यह तय
को नकार कर समाज म ई देवी देवताओ ं के सबंध म ववध ात फे िा दी है. भगवान भैरव
क साधना क जब भी बात अती है तो साधक श ु म ही भय क  से ईसे देखने िगता है.
तरह तरह से मन म वचार सारत होने िगते है क वाम पंथ से ही ईनक साधना क जा
सकती है तथा मांस मदरा मैथनु जेसे म के मा्यम से ही आस कार के देवी देवता क
ईपासना संभव हो सकती है, जब क यह तय मा म ही है. य क कसी भी देवी देवता
क साधना दण तथा वाम दोन पंथ से होती है, यह सगु पर अधारत होता है क वह
ऄपने शय को कस कार से कस माग से साधना े म ऄसर करे जससे क ईसे पण 
सिफता क ाी हो सकती है. यही तय भैरव साधना के सबंध म भी है, भगवान भैरव क
साधना भी वाम तथा दण दोन पथं से हो सकती है. भगवान भैरव का जो वकरिा और
भयद वप ही वह तो मा ईनके तमस भाव क धानता के कारण है, और वह भी साधको

केवप
िएहै,नह
तंवरन
म तोसाधक के अत
ईनके ५२ ंरकचित
वप तथा बा
है ही.शईही

ु केम िए
से एकहै.वप
भगवानहै मात
भैरवडकेभैरव,
भी कइ
जनक साधना ऄयधक िवण साधना कही जाती है यक आनक साधना ती है तथा
ऄलप समय म ही साधक को भगवान के आस वप क कृ पा ा होना संभव हो जाता है. यू
तो चित मातड भैरव पण साधना म ऄयधक िवण म है जो क तामसक म है

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ि ेकन जैसा क उपर कहा गया है क भगवान भैरव के भी सभी वप क साधना दण
माग से भी होती है, तथा पण
 म के साथ साथ तं े म देव से सबंधत कइ िघु योग भी
नहत है. आसी म म ततु योग ईनके मि म से सबंधत योग है जो क साधक के
ऄंदर के शौय तथा वीर भाव को जागतृ करता है. आसके साथ ही साथ साधक के शओ ु का भी
तभन होता है तथा साधक क कइ कार से रा होती है. िभेही दखने म यह योग
सामाय िगेि ेकन एक दन के आस योग से साधक कइ कार के पौष गण ु से यु हो
सकता है, साधक के अतंरक भय का शमन होनेि गता है तथा शौय और पराम जेसे वशेष
गण
ु का ईसमे संचार होने िगता है, जो क नय ही कसी भी य के एक ऄधकार पण 
जीवन का अवयक ऄगं है, सामाजक  से भी आस कार के योग साधक को ऐसे गण ु
क ा करवाता है जो क अगे िच कर साधक का परा जीवन ही बदि सकता है तथा
साधक क तभा को ईभार कर समाज म एक नया ही थान िदा सकता है.
यह योग साधक कसी भी कृ णप क ऄमी, ऄमावया, मिगवार ं या शनवार को भी
कर सकता है.
यह योग राी म ही कया जाता है. साधक ऄगर कोइ चैतय थान म या भैरव मदर
ं म यह
योग करे तो ईम है. ऄगर यह सभं व न हो तो आस योग को घर पे भी सपन कया जा
सकता है.
साधक
िि नान अद
ा असान पर बैठसेजाए.
नवतृ साधक
हो करको
ििा वसामने
ऄपने को धारण
भगवानकरेभैतथा
रव काईरयंकयातरफ
वहमख
ुथापत
कर
करना चाहए.
साधक को गपु जन तथा गम
ु का जाप कर भैरव वह/यं का पजन  करना चाहए. साधक
भोग के िए ईडद के बड़े या खीर का योग करे. ऄगर साधक पप ु का ईपयोग कर रहा है तो
पप
ु ििा रंग के हो. साधक गिग ु का धपु वित करे तथा दीपक तेि का िगाना चाहए.
आसके बाद साधक नन मं क ५१ िमाा ा िमाा से जाप करे.

ॎ य ठ
(OM HRYOOM THRIM)

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8/12/2019 Bhairav Sadhna

मजप पण
 होने पर साधक भगवान भैरव को पण  ा के साथ णाम करे. आस कार यह
एक दवसीय योग पण होता है. साधक चाहे तो आसी योग को ५ दन ११ दन या २१ दन
भी कर सकता है. िमाा का वसजन साधक को नह करना है. साधक िमाा का ईपयोग आस
साधना हेतु भवय म भी कर सकता है.

मनय
ु जीवन ववध राग से भरा हअ एक ऐसा समय का िका खडं है जहां पर वततः ु कइ
कइ बार एसी परथत मनय
ु के सामने अ जाती है क जसक मनयजीवन
ु म कभी
सबंधत य ने कलपना भी नह क होती है. एसी ही घटनाओ म सख ु दाता घटनाये भी
होती हैि कन
े यादातर समय य को सघष ं मय रहकर ऄपने जीवन को अगे बढाने तथा
ईनत क ओर कदम रखने के िए ववध कार के या िकाप करने ही पड़ते है. वततः ु
हमारे जीवन म समयाओ का अना ऄवयभी ही है. कोइ भी य अज के यगु म सायद
ही ऐसा िम पाए जसे कसी भी कार क कोइ भी समया न हो. यहाू पर आन सब बातो के
उपर चचा करने आस िए ऄनवाय है य क ऄगर ाड म हमारे िए समया है तो
नत ही ाड म ईसके िए समाधान भी दया ही गया है. वततः ु यह हमारे उपर नभर
करता है क हम ईन समयाओ को या समया सबंधत समाधान को कतनी गंभीरता सेि ेते
है या समाधान के िए कतने गभं ीर तथा समपत हो कर काय करते है.
कइ बार कमजय तो कइ बार ववध कार के दोष के कारण हम कइ कइ कार क अप
या बाधाओ ं का सामना करना पड़ता है. एक य समया का समाधान ऄपनी सोच समज के

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8/12/2019 Bhairav Sadhna

मताबक़
ु खोज कर ईसको ऄिम कर देता है. कइ बार समयाए आतनी सहज होती है क
सामाय प से ईसका नराकरण संभव हो जाता हैि ेकन हर बार समया सामाय ही हो और
ईसका नराकरण भी हो जाये यह तो नह होता, एसी परथत म य नाना कार से ऄपनी
समया या अप से म ु हेतु कोशश करता हैि ेकन ऄंत म भाय का दोष मान कर बैठ
जाता है, ऐसे समय म ऄनय क और पीड़ा का न सफ य को िेकन ईसके सबधत ं घर
परवार के सदय को भी तो सामना करना पड़ता है. और य का जीवन ऄयधक दखी ु
और बोिज होने िगता है.
मनय
ु क जागतृ श और सामय का एक नत दायरा है, एक सीमा है जसके अगे
ईसक गत या श का काय करना संभव नह होता. वततः ु एसी परथत म य को
दैवीय िब से या दैवीय श के मा्यम से ऄपनी समया से मु हो कर ऄपने जीवन को
संवारना चाहए और तं े म भौतक तथा ऄ्यामक दोन प के िए सभी समयाके
नदान हेतु कइ कइ योग दए हवे ही है.
भगवान भैरव का थान तो तं े म एक बेजोड और ऄतीय ही है, आनके ववध वप
ऄपने साधको के कलयाण के िए हमेशा पण  प से गतिशी रहते है. आसी म म ईनका
बटुक वप तो वयात है ही. ऄपने साधको को हमेशा ही ववध अप तथा दवधाओु से
निका कर ईनको पण  सरा
ु देते हवे भगवान बटुक भैरव साधको के म्य हमेशा ही पय
 रहे
हैसमया
. ततु के योग भगवान
नराकरण क भैा
रव केहेतबट ुक वप
ु कया जातासेहै.सब ंधत को
साधक है जसे
ऄपनेकसी
कायभीेतथा कोइक
म ऄन ु िभीता,
तबािदा, यापार, ातऄात वरोधय से सरा ु सेि े कर सभी कार क समयाओ का
नराकरण आस योग के मा्यम से संभव है. अज के आस यगु म पग पग पर जीवन म ववध
कार क समया साधक को सहन करनी पड़ती है, ऄधं ी दौड मि ोग नीच से नीच वत ृ कर
कसी का भी ऄहत करने के िए वाथवश तरत ु ईता हो जाते है. ऐसे यगु म आस कार का
यह गढ़ु वधान ऄयतं ही अवयक एवं ईपयोगी योग है.
यह योग साधक कसी भी कृ णप क ऄमी को या कसी भी मंिगवार को श ु कर
सकता है.
साधक को यह योग राी म १० बजे के बाद ही करना चाहए.
साधक आसम िकाे या ििा व को धारण कर सकता है. जस रंग के व साधक धारण करे
ईसी रंग के असान पर साधक को बैठना चाहए.

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8/12/2019 Bhairav Sadhna

साधक गपु जन,


 गणेशपजन  संपन कर ऄपने सामने साधक भगवान भैरव क कोइ मत  या
च थापत कर िे तथा ईसका भी सामाय पजन  करे एवं गु मं का जाप करे. आस साधना
म दीपक तेि का होना चाहए, तथा कोइ भी तेि आसम ईपयोग कया जा सकता है, साधक
भोग के िए दध से बनी हइ मठाइ का ईपयोग करे. आसके बाद साधक ऄपनी वपदा या
अपत नवारण के िए भगवान बटुकभैरव से ाथना कर नन मं क ११ िमाा जाप करे.
साधक को यह जाप ा िमाा से करना चाहए.
ॐ ी भं बटु काय आपदुारणाय भं ी फट्
(om kreem bhram batukaay aapaduddhaaranaay bhram kreem phat)
जाप पण हो जाने पर साधक भगवान भैरव को णाम कर भोग को वयं हण करे. यह भोग
का वतरण नह कया जाता साधक सफ वयं ही आस भोग को हण करे.
साधक यह म ५ दन तक करे. तथा अवयकता होने पर आस म को अगे भी कर सकता
है. साधक िमाा का वसजन न करे, आस िमाा का योग साधक आस मं के जाप के िए कइ
बार कर सकता है. ऄगर साधक को कसी भी कार क अप या परेशानी न हो फर भी यह
जाप कया जा सकता है, जससे भवय म भी साधक के सामने अने िवाी परेश ानय का
नराकरण ऄपने अप ही भगवान बटुकभैरव क कृ पा से होता रहे.

FOR MEETING ONE’S OWN SELF – KAAL BHAIRAV SADHNA(  


   –   )

“ कत एक ऐस मंच है जसप यद आपक चतन म भी कसी कय

को कने क वच आय तो र आपक  उस कय को कने य

न कने से सर भौतक त प अंत आएग, यक ंड म वो

घटन तो म आपक चतन से ही घटत हो चक है......”

कशमकश क एक अंतहीन सलसल हम मन

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8/12/2019 Bhairav Sadhna

आपने यह तय मन से संिं धत लेख म पढ़ है कत यह तय म पढ़न क लए नह लख
गय थ, अपत इसक ित गहन अथ ह. मने अपने ह लेख म मे मट  समझई गयी
एक ित को हमेश औ ि – ि दोहय है क शूय य ंड एक ऐसे सय क नम
है जसम असंभव जैसे शबद क कोई थन नह है.....वहा ह वो चीज सभव है जो समय
ित म सोच क भी प हो.

“ संभव “ शबद क संभवतु हज कोड़ अथ हो सकते ह यक कौन कसी मनसकत क
सथ इस शबद क य कत है यह नभ कत है इस ित प क ह एक से दूस इसन
क िीच वच क मतभेद कतन गह है. कत तं म इस शबद क एक ही अथ है......”
सम िनो तंक कल क पहय भी तह हसि से चले “..... औ यही ित मझे मे
मट हमेश समझत ह क तं मूख क अपे प नह चलत औ जसने कल क वण
क लय उसक लए कने को कछ औ शेष नह ह जत. हम िस जनते ह क दशनन
वण कलजयी थे यक उहने अपने कल को अपने पलंग क खूट सेि ाध ख थ....प
हमने कभी यह जनने क चे नह क क उहने ऐस कय कसे थ....वो यह िस इसलए
संभव क पए थे यक वो एक े तंक थे....औ उहने अपने अंद क कल पष प
वजय  क ली थी.

हम िस क अंद एक कल पष होत है जससे हम शव क तप कल भैव क प म


पचत ह. भैव कल ५२ होत ह प इनम से िससे े कल भैव ह. इसम कोई दो य
नह है क ह भैव एक वशेष श क अधपत ह प कल भैव को इन िस भैव क
वमव क समन  है औ ज़ह है यद यह वमी है तो ह पथत म अपने
सधक को अधक से अधकतम सख औ रल दन कने वले हगे, इसीलए इनक सधन
को जीवन क ेतम सधन कह गय है. वैसे तो ह सधन क हम जीवन म वशेष थन
है प िके सधन, दग सधन औ कल भैव सधन को जीवन क धोह मन गय है.

िअ िससेि ड़ी ित यह है क भैव नम सनते ही मन म एक अिजी से भय क संच होन


लगत है, भयंक से भयंक आकत आाख क समने उभने लगती है, गसे से भी लल सख
आाख, सयह कल ग, लंि – चौड़ डील डोल औ न जन य, य??? इसक वपीत
एक सच यह भी है जहा भय हो वहा सधन नह हो सकती औ सक तो दू क ित है.

कत जहा समय वहा समधन....तो कल भैव क सधन से सिंधत ड से म पने
क लए हम इनको समझन पड़ेग. जैसे स क दो पहल होत ह वैसे ही कल औ भैव एक

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8/12/2019 Bhairav Sadhna

स क दो प ह. कल क अथ है समय औ भैव क अथ है वो पष जसम कल प वजय
 कने क मत हो. िअ यहा कल क अथ सर मृय नह है अपत ह उस वत से है जो
हम मनसक सख को ीण कने म सम हो. िअ यह समय शीक, आंतक,
मनसक, औ पये पैसे से संिं धत कसी भी हो सकती है.

िअ जो कल पष होग उसे इनम से कसी समय क भय नह होग यक समय उसक
समने ठह ही नह सकती. देवत औ मनय म िससेि ड़ अंत यही है क देवत क
सीमएं होती है जैसे अ देव म अ से संिं धत कय क सकते ह उनक वण देव से कोई
लेन देन नह, इसी क कम देव क इन दोन औ अय देवत से कोई सोक नह,
िजक इसक वपीत कवल मनय ही एक ऐस णी ह जसक अंद पू ंड समहत है,
जसक कसी भी कय को कने क कोई सीम नह िस जत है तो उसे अपने अंद क पष
को जगने क औ यह तभी संभव है िज हमने हम ही अंद क ंड को अथत कल को
जीत लय हो.

ऐस ही एक सधन वधन यहा दे ही ा जो कने मि हे द सल तो है ही प इस वधन को


कने क िद क नतीजे आपको आयचकत क दग.े इस सधन को कने क िद न कवल
आपम आम वस िढ़ग िक जटल से जटल सधनएं भी आप िन कसी भय औ
समय क क पयग.े इस सधन को कने क पत कल सधन कन सहज हो जत है जो
आपको कल त िनन म सम है अथत आप भूत, भवय, वतमन िस देखने म
समयवन हो जते ह. आाख म एक ऐसी तीत आ जती है क हठी से हठी मनय भी आपक
सम घटने टक देत है.

इसक लए आपको िस यह एक छोट स वधन कन है. कसी भी वव मय कल
म नह धोक अपने पूज क थन म पीले व पहन क पीले आसन प िैठ क आपको न
मं क म ११ मल मं जप कन है.

मं

|| ओम  ं ल ं  ं भैवय ं  ं ल ं  रट ||

OM KREEM BHRAM KLEEM BHRAM AING BHRAM BHAIRAVAAY


BHRAM AING BHRAM KLEEM BHRAM KREEM PHAT

http://slidepdf.com/reader/full/bhairav-sadhna 13/14
8/12/2019 Bhairav Sadhna

सधन को कते समय आपक दश पम होगी औ दीपक तल क तेल क जलन है. कसी
भी सधन म सरलत हेत सदगदेव क औ वहत भगवन गणपत क आशीवद अत
अनवय है इसलए भगवन गणपत क अचन कने क पत ही सधन भ क औ
मूल मं क मल श कने से पहले कम से कम गमं क ११ मल क जप ज क ल.
मट  दए गए वधन म यद आपने कोई मल स क हो तो आप उसक उपयोग
क अयथ ग मल जससे आप अपनी नय सधन कते ह उसी क उपयोग क सकते ह.
सधन कते समय आपक वथल अनवत होन चहए औ यद कोई ग िहन इस
वधन को सप क ही है तो उन प यह नयम लगू नह होत. सधन क पत अपन
पू मं जप सदगदेव को समपत क द औ एक जी ित हो सकत है क सधन क
दौन आपकनह,
है तो िघय शीिज
ित जदअंदगम
आपक हो जए
 उज य ऐस होत
क रटन लगे जैहैसतो
े गम
ऐसक होन
कणवभवक
मतली आहैही
.
अपनी सधन प कत ह थोड़ी दे िद थत अपने आप समय हो जयेगी.

खद इस अभत वधन को कक देख औ अपने समय जीवन मि दलव क आनंद ल, प
एक ित क यन ज ख कसी भी सधन म ऐस कभी नह होत है क आज सधन क
औ कल नतीज आपक समने आ जयेग, इसक लए आपको अपने दैनक जीवन प िड़ी
िीक से नज़ खनी पड़ती है योक िड़ेि दलव क शआत छोट छोट पवतन से होती
है.

(नोट – कप सधन कने क पत ह दन य कछ दन क अंतल से क गयी सधन क
यूनतम एक मल य अधकतम अपनी मत क अनस जतनी चह उतनी मल मं जप
क ल जससे क यह मं सद सवद आपको स हे.)

http://slidepdf.com/reader/full/bhairav-sadhna 14/14

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