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नाटक : काली घड़'

नाटककार : राहुल राय

काली घड़'/राहुल राय 1


.थम .1तुित: १८ 6दसंबर २०१३

1थान: 1टू 6डयो सफ़दर, शाद'खाम पुर, 6दEली।

िनदG शक - आयुशांश गुJा, राहुल राय

.ोडKशन - ऋतुपणN OवQास

Rविन संयोजन - आयुशांश गुJा

कवर फ़ोटो - वTण शमाN

अिभनेता - पाX

उमा काटN जू - संगीता - १५ साल

[ुित - पूनम - १४ साल

राहुल ितवार' - वैभव - १५ साल

िशवम ् .धान - सुखदे व - १४ साल

अOपNत गुJा - संद'प - १४ साल

Oपयूष कुमार - राकेश - १५ साल

िनकेतन शमाN - कौशल - १४ साल

िनकेतन शमाN - ठाकुर - ५० साल

अOपNत गुJा - आदमी १ - ५४ साल

Oपयूष कुमार - आदमी २ - ५५ साल

काली घड़'/राहुल राय 2


cdय - १

(रात का समय, पूरे मंच पर नीले रं ग का .काश É झींगुर कg

आवाज़Éदरू गांव से सोहर गाने कg आवाज़ आ रह' है , वैभव खेत मi

टjट' कर रहा है Éथोड़' दे र बाद सुखदे व .वेश करता है । वैभव टॉचN

कg रौशनी उसके मुंह पर मारता है । टॉचN को मुंह मi दबाता है और

बस सुखदे व को दे ख रहा है )

सुखदे व- कुछ परे शानी हो गया घर पर , दे र हो गई।

(वैभव लोटे के पानी से अपना Oपछवाड़ा साफ़ करता है Éआकर सुखदे व

के पास बैठ जाता है )

सoनाटा

(अपनी जेब से दस का नोट िनकलता है , मु1कराते हुए सुखदे व को दे

दे ता है )

इतना कहाँ से िमला ?

वैभव- बाऊ जी कg जेब से िनकला था।

सुखदे व- पेtपसी पीने चलi ?

काली घड़'/राहुल राय 3


सoनाटा

वैभव- हाँ, चल लiगेÉअuछा एक बात बताÉहम रामासरे कg दक


ु ान जब

भी जाते हv तो साला हँ सता Kयw है ? तुने कुछ बताया Kया?

सुखदे व- कैसी बात कर रहे हो? मै Kयw बताऊंगा, वो तो मुझे भी

दे खकर मु1कराता है ।

सoनाटा

वैभव- दे ख तो नह'ं िलया?

सुखदे व- दे खा होता तो हEला मचा 6दया होताÉऐसे ह' दस


ू रw को दे खकर

मु1कराता है , उसकg बीवी का मजा तो तुyहारे चाचा लेते हv ।

वैभव- (एक तमाचा मारते हुए)औकात मi रह के बात 6कया कर साले,

यह'ं जमीन मi गाड़ दi गे।

सoनाटा

Kया हुआ ?

सoनाटा

बता Kया हुआ !

सुखदे व- तुम हमेशा हमे मारते गzरयाते रहते हो, हम ह' हv Kया अकेले

जो ऐसा बोलता है , पूरा गांव बोलता है , हमने बस मुंह पर बोल 6दया।


काली घड़'/राहुल राय 4
वैभव- साले तू हमारे घर वालw के बारे मi ऐसे बोलेगा तो मै हEद' और

दब
ू से चूमंग
ू ा?

सुखदे व- ये लो अपना पैसा १० Tपये मi खर'द नह'ं िलए हो।

वैभव- (पैसा उठाते हुए)आज मनहूस रं ड' Kयw बना हुआ है ? हुआ Kया

सुखदे व- (सुखदे व अपनी कमीज उठाते हुए)ये हुआ है ।

वैभव- 6कस माधरचोद ने 6कया बता उसकg माँ-बहन एक कर दं ग


ू ा।

सुखदे व- हमारे बाप ने।

वैभव- Kयw ?

सुखदे व- कुछ नह'ंÉरामासरे कg दक


ु ान पर ट'वी चल रहा था, सिचन

का पेtसी वाला .चार आ रहा था, दे खते ह' मुँह मi आ गया पानी। घर

पहुंचा माई से मांगने लगा पैसा, नह'ं 6दया तो रोने का नाटक करने

लगा, तभी बाऊ आ गए। पुछा Kया हुआ? माई ने कहा लाटसाहब

पेtपसी मांग रहे है , 6फर बाऊ ने आव दे खा न ताव, बगल मi पड़ा ड|डा

उठाया सूत 6दया।

वैभव- हyyमÉचल छोड़, थोड़ा आराम कर लेते हv 6फर चलकर पेtपसी

पीयiगेÉतेल लाया है ?
काली घड़'/राहुल राय 5
सुखदे व- हाँ, ले6कन, तब तक तो दक
ु ान बंद हो जायेगी।

वैभव- दो िमनट तो लगiगेÉ6फर भागकर चल लiगे।

सुखदे व- वैभव!

वैभव- बोल।

सुखदे व- रहने दे ते हv । पीठ मi ददN हो रहा है ।

वैभव- अरे , लेटना तो पेट के बल है । िचंता मत कर ऊपर नह'ं लेटूँगा।

(वैभव अपना गyछा Oबछा दे ता है )

बहुत दे र से इoतजार कर रहा था।

(सुखदे व को अपनी तरफ खींचता है )

लाइjस फेड आउट

cdय-२

(गांव का .ाथिमक Oव}ालय, घंट' कg आवाज़, मंच पर .काश। पूनम

और संगीता गwट' खेल रह' हv )

पूनम- तुझे पता है , बाहर लड़के आम तोड़ रहे हv । मै गई तो वैभव ने

भगा 6दया।

काली घड़'/राहुल राय 6


संगीता- रहने दे राकेश से कह कर तुड़वा लूंगी।

(छड़' के साथ सं1कृ त अRयापक का .वेश)

पूनम,संगीता- .णाम पं6डत जी।

प•|डत- खुश रहोÉखुश रहो।

(वैभव और राकेश का .वेश )

आ जाओ भाई आ जाओ।

संद'प- पं6डत जी अंदर आ जाये?

(पं6डत जी जाकर उसका कान पकड़ लेते हv ) कहाँ था बे ? नानी कg

पूँछ उखाड़ रहे थे।

संद'प- नह'ं, आपके िलए आम तोड़ रहे थे।

पं6डत- चल साले, रख दे उधर। पूनम, संगीता खड़' हो जाओ। पठ धातु

के तीनो पुTष बताओ।

पूनम, संगीता- .थम पुTष पठित पठतः पठ•oत

माRयम पुTष पठिस पठथः पठत

उ‚म पुTष पठािम पठाव पठामः

पं6डत- बहुत अuछे । बेटा बैठ जाओ, हाँ तुम खड़े हो जाओ !

राकेश- पढ़ै यािम Jdयािम पठितÉ


काली घड़'/राहुल राय 7
पं6डत- (राकेश का बाल पकड़ते हुए) जुEफg बढ़ाके गुंडागद„ करने चले

हो।

राकेश- रामलीला के िलए बढ़ाए हv ।

पं6डत- (मारते हुए) कराये तुyहार' राम लीला।

राकेश- राम का रोल कर रहे हv , आपको पाप चढ़े गा।

पं6डत- चल बेट'चोद! वहां बैठकर आम छ…ल।

(राकेश ख़ुशी-खुशी आम छ…लने लगता है )

पं6डत- (संद'प से) हाँ भाई, खड़े हो जा (संद'प खड़ा हो जाता है ) चल

इधर आ मुगाN बन।

(सुखदे व का .वेश )

का हो! बहुत जEद'É

सुखदे व- बाऊ हल चला रहे थे, उoहi रस पहुँचाने मi दे र' हो गया।

पं6डत- तो हल चलाओ न, पढ़ने को 6कसने कहा (पं6डत आगे बढ़ते हv )

वैभव- अरे , पं6डत जी छोड़ द'•जये। वो Kया है 6क हमारे खेत मi आज

‡ख बोई जा रह' है , वह'ˆ हल चला रहे थे।

पं6डत- अuछा ठ…क है , धातु याद है ?

सुखदे व- हाँ, सुनाऊँ ?


काली घड़'/राहुल राय 8
पं6डत- बैठ जाओ।

सुखदे व- हमi याद है ।

पं6डत- बैठो नह'ं तो ये डं डा दे ख रहे हो, Kया ज‰रत है आरŠण तो


वैसे ह' है तुyहारे िलए।
कल सबको कारक याद करके आना है ।

(दरवाजे तक जाते ह' हv कg उoहे कुछ याद आता है ) पूनम, संगीता

खड़' हो जाओ। वो बाबुल वाला गानाÉ

पूनम, संगीता- बाबुल कg दआ


ु एं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार

िमलेÉ

पं6डत- वाह बीटा! बहुत अuछे Éबैठ जाओ। आम घर पहुंचा दे ना।

(चले जाते हv )

संद'प- (वैभव से) का बे! इस केवट को तुम खूब बचाते हो, हमे तो

कभी नह'ं बचाया।

सुखदे व- तो Kया हुआ? दो1त है हमारा।

संद'प- साले आने दो कौशल को सब बताऊंगा।

(अपना बैग उठाते हुए संगीता से )

jयूबेल पर खड़े हv ।

काली घड़'/राहुल राय 9


पूनम- (संगीता से) तेर' मyमी को बताउं गी।

(सब कŠा से चले जाते हv बस वैभव सुखदे व बचते हv )

सुखदे व- याद करने का फायदा Kया, जब पूछते ह' नह'ं।

वैभव- अuछा ह' तो है । चलो लीची के पेड़ से लीची 6हलाओ। बहुत मन

कर रहा है ।

सुखदे व- तुम नह'ं होते तो पं6डत जी तोÉ

वैभव- दो1त हv और 6कस 6दन काम आएंगे। तुyहार' .ितभा से जलते

हv पं6डत जी। चलो अब जEद' से लीची तोड़ा जाएगा।

सुखदे व- तुम भी लीचीÉचलो!

लाईjस फेड ऑउट

(1टे ज पर एक 1पॉट उसमi राकेश बैठा हुआ है । )

राकेश- हाँ दरोगा साहब, शायद मंगलवार का 6दन था, मै पहले पहुँच

गया थाÉमै तो 6कसी के मुंह ह' नह'ं लगताÉ गाली भी नह'ं दे ते

साहबÉ6कसी से भी पूछ ली•जएÉहम लोग रोज कg तरह उसी पीपल

के पेड़ के नीचे कबŒड' खेल रहे थेÉनह'ं हम तो बस खेल रहे थे É

हम सuचाई बता रहे हv ÉकबŒड' का खेलÉ.


काली घड़'/राहुल राय 10
(पूरे 1टे ज पर लाइट )

(राकेश, कौशल, संद'प पीपल के पेड़ के नीचे 6कसी का इं तज़ार कर रहे

हv )

कौशल- (गुटखा फाड़कर मुंह मi डालते हुए) ये वैभव कहाँ रह गया?

कह'ं अपनी भाभी का दध


ू तो नह'ं पीने लगा।

राकेश- नई भाभीÉतजा दध
ू , पीते ह' 1वगN कg ओर।

संद'प- ऐसे मत बोलो भाई भाभी माँ सामान होती है ।

राकेश- माँ के बेटे, सुत• लाये हो? नह'ं रामासरे कg दक


ु ान से खर'दना

पड़े गा, साला कैसी कमीनw वाली हं सी हँ सता है । खाते हम हv पता नह'ं

मजा उसे Kयw आता है ।

संद'प- सुबह ह' बाबा कg चुनौट' से िनकाल िलया था। जानते हो कल

रात को Kया हुआÉखाना खाने के बाद सुत• मुंह मi डाले ह' थे 6क

बाबा ने टे लीफोन का 1पेिलंग पूछ िलया। वो तो फटाक से थूक 6दया

नह'ं तो पता चल जाता।

राकेश- अबे! 6कसी को नह'ं पता चलता, अमTद थोड़े ह' है जो पता

चल जाता ,अरे ! सुत• ह' तो थी दबाये रखते होठw के नीचेÉKया घंटा

पता चलता।
काली घड़'/राहुल राय 11
संद'प- भाई मुंह मi थूक भर जाता है न इसिलए थूक 6दए।

कौशल- कुछ ह' 6दनw मi सब सीख जाएगा। लोग शराब पी के छुपा

लेते हv इन चूितये से सुत• नह'ं संभलती।

राकेश- कहाँ रह गया ये वैभव, जाओ संद'प बुला लाओ।

संद'प- हम नह'ं जाएंगे, चाचा ने दे ख िलया तो Oबना बात चप6ड़या

दi गे। पता नह'ं Kया मज़ा आता है उoहi मारने मi।

राकेश- उoहi बोल दे । पहले बारहवीं पास करके 6दखाएँ 6फर हाथ उठायi।

संद'प- 6फर तो बाबा, चाचा सब िमलकर बड़w से बात करने कg तमीज

सीखने लगiगे।

(साईकल के घंट' कg आवाज़ आती है , वैभव गाना गाते हुए आ रहा

है É.करते हv हम tयार िम1टर इं 6डया सेÉ)

कौशल- आजकल तुम अपनी भौजी से बहुत tयार करने लगे हो। साले,

आने दो होली न खोद-खोद के परे शान 6कया 6फर कहना।

(सब िमलकर )

जोगीरा सररररारा वैभव कg भौजी मi घuच (सब वैभव के ऊपर चढ़

जाते हv É.राकेश और संद'प कg लड़ाई हो जाती है )

कौशल- बस बस।
काली घड़'/राहुल राय 12
संद'प- मार डालiगे मतार'चोद।

राकेश- अभी बताते है ।

कौशल- अरे इधर। बस हो गया।

वैभव- अuछा ये बताओ कारक याद कर िलया है ?

कौशल- बात कहi घुमा रहे होÉ बताओ ले चलोगे भौजी के पास?

संद'प- तुमने याद कर िलया?

वैभव- सुबह बैठे ह' थे 6क बछड़ा पगहा छुड़ाकर भाग गया। साला पूरा

गांव दौड़ा 6दया। उसकg को पकड़ने मi दे र' हो गया।

कौशल- चलो अब सबकg गांड लाल होगी।

राकेश- करता ने, कमN को É

कौशल- इसको तो याद है ।

(1पॉट मi कौशल )

कौशल- साहब कौशल पांडे, नह'ं कोई नशा नह'ं करते हम (अपना दांत

6दखते हुए) साहब पायzरया हो गया था Éवहां से हम सब साथ ह'

िनकले थे। जीÉजीÉजी साहब। शाद'पुर वाले भjटे पर। मै सबको कह

रहा था 1कूल चलने के िलएÉमुझे ‰प याद थाÉनह'ं 6कसी और को

याद नह'ं था।


काली घड़'/राहुल राय 13
(लाइट पूरे 1टे ज पर )

कौशल- संद'प! तुमने याद कर िलया ?

संद'प- नह'ं भाई, ये सं1कृ त साली याद ह' नह'ं होती। साला रjटे मारो

6फर भुला जाता है ।

कौशल- 6फर तो पं6डत जी दो करक बोलते ह' बोल दi गे, ठ…क है बैठ

जाओ।

संद'प- काश! ऐसा ह' हो। गलती से अगर चौथी तक पूछ िलया तो

हEद' छुपवाने कg नौबत आ जाएगी।

राकेश- आज तो ऐसे बोल रहे जैसे पहली बार डं डे पड़i गे। अब तो आदत

हो गई है । बस कुछ 6दन और 6फर महसूस भी नह'ं होगा।

वैभव- कौशल! Kया कहते हो आज ऋषभ को पकड़ के पेल 6दया जाय।

साला रोज डं डे मi तेल लगाकर लाता है चमड़' मi िचपक जाता है ।

राकेश- उसको कह दे ते हv ; भाई, अगर Žयादा तेल हो गया हो तो घर

िभजवा दे , Kयw Oबना बात मूक डं डे पर रगड़ता रहता है । इतना अगर

अपने डं डे पर रगड़ता तो फँू कार मारता, बिल1ट पहलवान बनकर गांधी

कg बराबर' करता।

काली घड़'/राहुल राय 14


वैभव- मारने का तो बहुत मन करता है , ले6कन साला रोता हुआ

हे डमा1टर के पास पहुँच जाएगा उEटा हमे ह' मार पड़े गी। मारते कुछ

ऐसे हv 6क पता भी न चले 6क हमने मारा है ।

संद'प- हाँ, ये ठ…क रहे गा।

कौशल- लो भाई, अब तो संद'प ने भी बोल 6दया, मारना तो बनता

है ।

(सब हं सने लगते हv । संद'प झेप जाता है )

राकेश- सं1कृ त याद करने का उपाय हमारे बाऊ जी ने बताया है ।

संद'प- त याद कहi नह'ं 6कये ?

राकेश- वो कहते हv , पहले गुTकुल मi लोग अपनी छोट' मi र1सी बाँध

कर पेड़ मi लटका 6दया करते थे। 6फर रटते रहते थे।

कौशल- तभी तुyहारे बाबू .कांड Oव•ान ् हv । स•यनारायण कg कथा ऐसे

सुनाते हv जैसे कह'ं गाड़' भाग रह' हो। इतना मन करता है सुनने का

ले6कन झांट समझ नह'ं आता।

संद'प- दोहाई भगवान कg आज पं6डत जी को 6दल का दौरा पड़ जाय

और 1कूल कg छुjट' हो जाए।

काली घड़'/राहुल राय 15


राकेश- साला तभी भी ‰प सुनाने आ ह' जाएगा। मारे Oबना उसका मन

कहाँ मानता है ।

वैभव- जानते हो कल गोमती नद' के पुल पर Kया हुआ ?

कौशल- Kया हुआ?

वैभव- नटवर बता रहा था, राजा भैया बुलेट पर जा रहे थे, पुल पर

मEलाह ने उनसे मांग ली चुoनी।

संद'प- 6फर ?

वैभव- 6फर Kया , राजा भैया ने िनकली Oप1तौल

राकेश- 6फर ?

वैभव- ठांय ठांय।

राकेश- मर गया ?

वैभव- बाबू, असली गोली था हाजमोला का नह'ं।

राकेश- रामा रामौ रामः

कौशल- बहुत ब6ढ़या! साला राजा भैया से चुंगी मांग रहा था। गोली

मार' कहाँ थी?

वैभव- पुल पे।

कौशल- अरे वो तो मालूम है , ले6कन शर'र मi कहाँ मार' थी ?


काली घड़'/राहुल राय 16
वैभव- एक कनपट' पर दस
ू र' घुटने पर।

कौशल- अuछा हुआ सीने पर नह'ं मारा नह'ं तो मEलाह शह'द कहलाता।

सोच अखबार मi छपताÉचुoनी के िलए मEलाह शह'द हुआ।

राकेश- जय जवान! जय 6कसान!

कौशल- शाद'पुर का मEलाह चढ़ा परवान!

संद'प- अब सभा समाJ करो और 1कूल कg तरफ .1थान करो। नह'ं

तो Oवलyब हो जाएगा।

कौशल- अरे हाँ चलो। OवलyबÉ

(1पॉट मi संद'प )

संद'प- नाम संद'प यादव ,बाप का नाम अनूप यादव, सुखदे व नाम था

उसका ले6कन सब आड़ू कहकर बुलाते थेÉ जी उसका Éउसका अंडा

बड़ा था। वैभव के हरवाह का लड़का था। जात से केवट था। पहले वैभव

को उसने मारा था हम वह'ˆ पर थे। छुड़ाने कg कोिशश कर रहे थेÉसब

दो1त थेÉपता नह'ं उसमi कहाँ से इतनी जान आ गई , एक झटके मi

सबको झटक 6दया।

(पूरे 1टे ज पर .काश )

काली घड़'/राहुल राय 17


(सब 1कूल कg तरफ जा रहे हv , रा1ते के बगल मi सुखदे व खड़ा होकर

पेशाब कर रहा है । संद'प और वैभव Tक जाते हv । कौशल, वैभव कg

तरफ इशारा करता है । )

कौशल- वै आड़ू !(सुखदे व मुड़कर दे खता है ) इधर आ।

सoनाटा

(गुटखा फाड़कर उसकg तरफ बढ़ाते हुए)खायेगा आड़ू ?

(सुखदे व गुटखा लेने के िलए आगे बढ़ता है , तभी वैभव छ…न लेता है )

वैभव- सबके बस कg बात नह'ं, औकात होनी चा6हए। गलफड' फाड़

दे ता है ।

राकेश- कारक याद कर िलया आड़ू ? आज वैभव नह'ं बचाएगा लाल

होने से।

सुखदे व- हमे तो हमेशा याद रहता है । पं6डत जी मi 6हyमत ह' नह'

सुनने कg।

राकेश- वाह आड़ू ! घमडं हो तो ऐसा। गुT को भी नह'ं छोड़ा।

सुखदे व- होश मi आओ, हम आड़ू तो तुम पेEहर।

वैभव- वह' तो हम कह रहे हv , आंड चाहे •जतना बड़ा हो जाए, रहे गा

पेEहर के नीचे।
काली घड़'/राहुल राय 18
सुखदे व- हटो, 1कूल जाने दो।

(तभी वैभव राकेश कg तरफ इशारा करता है )

राकेश- हुकुम दे रहे हो ?

कौशल- जाने दो, िचjठ… नह'ं दे खनी है उसे।

सुखदे व- हटो।

संद'प- अरे , दे दो काहे परे शान कर रहे हो।

कौशल- तुम Kयw इतना उ•सुक हो रहे हो बे?

राकेश- अब इनकg भी पेशाब दो धार फiकती है । तुम जाओ आड़ू कुछ

नह'ं है ।

सुखदे व- सच मi है तुyहारे पास?

कौशल- नह'ं यार, हम तो मजाक कर रहे थे। तू जा।

सुखदे व- हाँ, हम तो जा ह' रहे थे।

(सुखदे व जाने लगता है )

संद'प- अरे , सच मi है इनके पास।

सुखदे व- ठ…क है तो रख लो।

कौशल- वैभव, बुलाओ न उसे।

वैभव- अरे छोड़।


काली घड़'/राहुल राय 19
कौशल- मजा मत 6कर6करा करो।

राकेश- तुyहारे बुलाने से ह' आएगा।

वैभव- सुखदे व !

(वैभव, सुखदे व को आँख मारता है )

सुखदे व- है तो 6दखा दो पट जाने पर तुyहे भी 6दला दं ग


ू ा।

वैभव- सच मi है ।

(1पॉट मi वैभव )

वैभव- वैभव िसंहÉजी उoह' के सबसे छोटा बेटाÉसाहब मनबढ़ लड़का

थाÉहम बस थोड़ा बहुत मदद कर दे ते थेÉअंदर ह' अंदर बहुत जलता

थाÉघमंड' थाÉबस थोड़ा मज़ाक 6कया तो बहन कg गाली दे ने

लगाÉआप ह' बताओ माँ-बहन कg गाली कोई बदाN1त करे गा?... ऐसे

झपटा जैसे उसके अंदर कोई जानवर जैसी शO‘ आ गई हो। É Oबलकुल

काली घड़' थी साहबÉमै तो बस छुड़ा कर भाग आया।

(एक पुराना ‡ट का भjटा। सब वह'ˆ बैठ जाते हv )

कौशल- हाँ तो, शु‰ 6कया जाय।

वैभव- (सुखदे व कg तरफ दे खते हुए एक पoना िनकलता है )

हाँ तो िलखा है -
काली घड़'/राहुल राय 20
चyमच मi चyमच, चyमच मi जीरा

मेरा सुखदे व लाखw मi ह'रा।

संद'प- केवट बना ह'रा। वाह! Kया बात है ।

वैभव- और भी िलखा है -

सुखदे व तुम मेरे सपेरे हो और मै तुyहार' नािगन, तुम जब हँ सते हो

तो कानो मi बीन बजती है , और मई मदहोश हो जाती हूँ।

(सुखदे व गु1से मi झपट कर कागज़ ले लेता है । कागज़ को उलट-पलट

कर दे खता है । कागज़ मरोड़ कर वैभव के मुंह पर फiक दे ता है )

साले तेर' 6हyमत कैसे हुई? औकात भूल गया हरामखोर!(वैभव, सुखदे व

के मुंह पर घूँसा मारता है । सुखदे व, वैभव पर झपटता है । वैभव बगल

से ‡ट उठता है और सुखदे व के पेट के िनचले 6ह1से पर .हार करता

है । सुखदे व बेहोश िगर जाता है )

कौशल- बाप रे ! मर तो नह'ं गया?

संद'प- अब Kया होगा ?

(संद'प तुरंत भागता है )

वैभव- ये Kया हो गया!

कौशल- वैभव भाग !


काली घड़'/राहुल राय 21
(कौशल उसका हाथ खींचता है । वैभव का हाथ छूट जाता है , कौशल

भाग जाता है । वैभव खड़ा सुखदे व को िनहार रहा है । नीला और गुलाबी

.काश भर जाता है । सुखदे व उठता है )

सुखदे व- पाठशाला से घर आते व’त

र1ते मi बेर के पेड़ के नीचे

तुम मेरा इoतजार करते थे।

दे ख तुyहे मायूस

सरपट मै चढ़ जाता था पेड़ पर

तुम अपने मुंह को गदोzरयw मi रख कर ऊपर िनहारते

बेर अब िगर' 6क तब।

तभी झकझोर दे ता बेर कg डाल को

बेर जार' लूट जाती

हाथ लगती तुyहारे बहुत काम।

मुँह िगराए घर लौटते

करते एक नए खेल कg तैयार'

आइस-पाइस कg

ऊंच-नीच कg
काली घड़'/राहुल राय 22
सुिगया कबŒड' कg।

मै बनता सुिगया

तुम िनकलते मुझे छुड़ाने

अिधकतर फेल हो जाते।

वापस घर जाते

बहुत जतन करते

तुyहे डर था

मै 6कसी और कg सुिगया ना बन जाऊं

जीत कg चाह मi।

एक 6दन आ•खर कार तुमने मुझे छुड़ा ह' िलया

बहुत गवN महसूस हुआ

तुyहे भी

मुझे भी

ले6कन, एक बात बताऊँ?

उस 6दन बीच मi तुमने एक बार सांस तोड़ द' थी

6कसी को पता नह'ं चला

आज तुyहे बता रहा हूँ


काली घड़'/राहुल राय 23
इस काली घड़' मi।

(“लैक आउट )

cdय- ३

(दोपहर' का समय घर के बहार ठाकुर बैठकर बात कर रहे हv )

ठाकुर- तो हमने कहा, साले! •जंदगी भर चमाइन के पैर के नीचे सोये

हो, आज बड़का बड़मनई बन रहे हो।

आदमी १ - अरे ! वो त वो, साला ल6ड़को वह'ˆ चमरवट मi टहलता

है । ले6कन, एक बात है साली कटहल कg तरकार' गजब का बनाती है ,

मुगाN फेल है ।

आदमी २- मतलब आपोÉ हां ?

आदमी १- अरे नह' भई हम तो सुनी - सुनाई बात कह रहे थे।

आदमी २- ठाकुर साहब, अब युग-जवान बदल रहा है । अब Kया चमार

Kया पं6डत, अब तो सब लोग ह' सब काम कर रहे हv । समय तो हमेशा

यह' कहता है 6क बदलते समय के साथ इं सान को भी बदलना चा6हए।

काली घड़'/राहुल राय 24


ठाकुर- जवाना बदल रहा है तो इसका मतलब थोड़े 6क हम अपना

सyमान खोकर बैठ जाय। एक ŠOXय कुल मi पैदा हुए हv , उसके 6हसाब

से चलiगे 6क जवाने के 6हसाब से। अरे जवाना गया गधे कg गांड मi।

आदमी २- सyमान तो इं सान 6फर भी कमा सकता है ।

आदमी १- अरे मूखN ज़माना बदल रहा है , खून नह'ं। बेवकूफw वाली बात

कर रहे हो, पढ़ने-िलखने का Kया फायदा? ऐसे ह' रामनारायण बाऊ

साहब थे, उनका हारवाह कहने लगाÉ. धयान आया सुनना हमार'

बातÉ

आदमी २- कान से ह' सुन रहे कह'ं और से नह'ं।उगिलये।

आदमी १- Rयान से सुनो, दो पैसे लायक बुO” हो जाएगी। उनसे कहने

लगा , “बाबू खून तो एक ह' सबका चाहे आपका हो या हमारा”

ठाकुर- 6फर ?

आदमी १- बाउ साहब ने कहा नह'ं, हरवाह ने कहा कैसे ? बाउ साहब

ये उठाये थपरा, हरवाह िचपक गया जमीन मi। बाउ साहब ने कहा-

समझे, तुyहारा खून है डरने का और हमारा खून है É

ठाकुर- डराने का।

आदमी २- ये Kया बात हुई।


काली घड़'/राहुल राय 25
आदमी १- इसमi कौन सी ग•णत लगाने वाली बात है ।

आदमी २- अब आपसे बहस तो नह'ं कर सकते, बेतक


ु े तकN दे रहे हv ।

ठाकुर- बेतक
ु े कg Kया बात है ? सह' ह' तो कह रहा है ।

आदमी १- छो6ड़ये, भvस के आगे बीन बजाने वाली बात है ।

आदमी २- बात का कोई वै•ािनक आधार हो तो बात कg जाय।

आदमी १- अरे चिलए, बड़ा आये Oव•ान पादने।

ठाकुर- भाई, नासा काहi नह'ं चले जाते अगर इतनी 6दलच1पी है Oव•ान

मi तो।

आदमी १- Oव•ान से मशीन चलती है , इं सान नह'ं।

आदमी २- वह' तो बात है , हर चीज़ कg .कृ त वै•ािनक है बस हमi

खोज करनी है ।

ठाकुर- समाज भावना से चलता है , भावना धमN से आती है Oव•ान से

नह'ं। इं सान मशीन बनाने कg कोिशश नह'ं करना चा6हए।

आदमी २- खोज मानव 6हत मi होना चा6हए।

आदमी १- आपको Kया लगता है सब 6हत मi करi गे?

ठाकुर- इसीिलए शा–w मi Oव•ान नह'ं, परं परा मह•व 6दया गया है ।

आदमी २- ले6कन, —ा˜णw ने उसे बस अपने 6हत मi िलखा है ।


काली घड़'/राहुल राय 26
ठाकुर- शमN करो मदN वा! —ा˜ण को गाली दे रहे हो।

आदमी २- हमने गाली कहाँ 6दया।

आदमी १- गाली नह'ं तो Kया है ? वेद िलखे नह'ं गए हv , .कट हुए हv ।

कुछ •ान है आपको?

आदमी २- आप तो सीधा वेद पर पहुँच गए।

(वैभव दौड़ता हुआ .वेश करता है )

(घर कg दो औरतi कौतुहल वस झांककर दे खने लगती हv )

वैभव- चाचाÉवो चाचाÉ

आदमी २- पहले आराम से सांस ले लो 6फर कहो।

वैभव- चाचाÉथोड़ा इधर आइए।

ठाकुर- इधर आइए? बात Kया है ?

वैभव- आइये तो सह'।

आदमी १- दे ख ली•जये, Kया कह रहा है ।

(ठाकुर, वैभव थोड़' दरू ' पर आते हv )

बता !

वैभव- चाचाÉचाचा मार 6दया।

ठाकुर- मार 6दया? 6कसे?


काली घड़'/राहुल राय 27
वैभव- सुखदे वÉदे ख िलया था हमने।

ठाकुर- साफ-साफ बोल !

वैभव- .ेरणा को सुखदे व के साथ अरहर के खेत मi दे ख िलया था, मvने

मार 6दया उसे।

(दोनw औरतi दरवाजे से)

दोनw औरतi- इ झूठ बोलत हव। उ त पूरा 6दन घरे मi बैठ… रह'।

ठाकुर- (दरवाजे के पास आते हुए) चला अंदर।

(दरवाजा बंद करता है ) बहुत पेशाब के दो मुँह हो गए (कान ऐंठते हुए)

ले चले बाप के पास.

वैभव- चाचा सच कह रहे हv ।

ठाकुर- (चाटा मारते हुए) भाग यहाँ से।

आदमी १- बात Kया हुई?

ठाकुर- चलो, बाद मi िमलते हv ।

आदमी २- Kया कह रहा था?

ठाकुर- दरोगा के बैठका मi िमलो।

काली घड़'/राहुल राय 28


(वैभव रोते हुए वहां से चला जाता है , ठाकुर खड़ा सोचता है । अपनी

जनेऊ तोड़ता हv । रोते हुए मूंछ समेटता है । बगल मi रखा फावड़ा उठता

है )

.ेरणा !!

(लाइट फेड आउट)

काली घड़'/राहुल राय 29


काली घड़'/राहुल राय 30

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