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JIWAJI UNIVERSITY

GWALIOR
SCHOOL OF STUDIES IN PSYCHOLOGY
SESSION :- 2023-24

SEMINAR ON
HISTORY OF SOCIAL PSYCHOLOGY

UNDER THE SUPERVISION OF: SUBMITTED BY:


DR. PREETI KUSHWAH SONAM KUSHWAH
M.A. PSYCHOLOGY I SEM
समाज
मनोविज्ञान का
इतिहास
सामग्री
1. परिचय
2. अर्थ / परिभाषा
3. समाज मनोविज्ञान का प्रािं भभक काल
4. 1940-1970 के बीच का समाज मनोविज्ञान
5. 1970 के बाद का समाज मनोविज्ञान
6. समाज मनोविज्ञान के कायथक्षेत्र
7. भाििीय परिपेक्ष में समाज मनोविज्ञान की एक झलक
8. तनष्कषथ
1. परिचय

समाज मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की िह शाखा है जजसके अन्िर्थि


सामाजजक समस्याओं, सामाजजक व्यिहाि िर्ा मनष्ु य की सामाजजक
अंिःक्रिया का िमबद्ध िर्ा िैज्ञातनक रूप सै अध्ययन क्रकया जािा है ।
“समाज मनोविज्ञान व्यजतियों की पािस्परिक प्रतिक्रिया का औि इससे
प्रभाविि व्यजति के विचािों, संिेर्ो, िर्ा आदिों का अध्ययन है ।"
2. अर्थ / परिभाषा

1. मैकडूर्ल ने सामाजजक मनोविज्ञान को परिभावषि कििे हुए भलखा है


क्रक, ‘‘सामाजजक मनोविज्ञान िह विज्ञान है , जो समह
ू ों के मानभसक जीिन
का औि व्यजति के विकास िर्ा क्रियाओं पि समह
ू के प्रभािों का िर्थन
कििा औि उसका विििर् प्रस्िुि कििा है ।’’

2. िाबर्थ ए. बैिन िर्ा जॉन बायनथ (2004:5) ने ठीक ही कहा है क्रक,


‘‘सामाजजक मनोविज्ञान िह विज्ञान है जो सामाजजक परिजस्र्तियों में व्यजति
के व्यिहाि औि विचाि के स्िरूप ि कािर्ों का अध्ययन कििा है ।’’
2. अर्थ / परिभाषा

उपिोति परिभाषाओं को दे खिे हुए हम स्पष्र्िः कह सकिे हैं क्रक


सामाजजक मनोिैज्ञातनक यह जानने का प्रयास कििे हैं क्रक व्यजति एक
दस
ू िे के बािे में कैसे सोचिे हैं िर्ा कैसे एक दस
ू िे को प्रभाविि कििे हैं।
3. समाज मनोविज्ञान का प्रािं भभक काल
सामाजजक मनोविज्ञान का विज्ञान िब शुरू हुआ जब िैज्ञातनकों ने पहली बाि
व्यिजस्र्ि औि औपचारिक रूप से मनुष्यों के विचािों, भािनाओं औि व्यिहािों को
मापना शरू
ु क्रकया (िुगलांस्की औि स्रोबे, 2011)। समह
ू व्यिहाि पि सबसे पहले
सामाजजक मनोविज्ञान प्रयोर् 1900 से पहले आयोजजि क्रकए र्ए र्े (ट्ररपलेर्, 1898),
औि पहली सामाजजक मनोविज्ञान पाठ्यपुस्िकें 1908 में प्रकाभशि हुईं (मैकडॉर्ल,
1908/2003; िॉस, 1908/1974)। 1940 औि 1950 के दशक के दौिान, सामाजजक
मनोिैज्ञातनक कर्थ लेविन औि भलयोन फेजस्र्ं र्ि ने व्यिहाि का अध्ययन किने के
भलए प्रयोर्ात्मक दृजष्र्कोर् को परिष्कृि क्रकया, जजससे सामाजजक मनोविज्ञान को एक
कठोि िैज्ञातनक अनश
ु ासन के रूप में िैयाि क्रकया र्या।
3. समाज मनोविज्ञान का प्रािं भभक काल
लेविन को कभी-कभी "सामाजजक मनोविज्ञान के जनक" के रूप में जाना जािा है
तयोंक्रक उन्होंने शुरुआि में लोर्ों के बीच र्तिशील बािचीि पि ध्यान केंट्रिि किने
सट्रहि अनश ू थ विचािों को विकभसि क्रकया र्ा। 1954 में ,
ु ासन के कई महत्िपर्
फेस्टं गि ने रिसचथ मेर्ड्स इन द बिहे वियिल साइंसेज नामक एक प्रभािशाली पस्
ु िक
का संपादन क्रकया , जजसमें उन्होंने औि अन्य सामाजजक मनोिैज्ञातनकों ने चि को
मापने औि सामाजजक व्यिहाि के बािे में अनस
ु ध
ं ान परिकल्पनाओं को व्यिजस्र्ि रूप
से पिीक्षर् किने के भलए प्रयोर्शाला प्रयोर्ों का उपयोर् किने की आिश्यकिा पि
जोि ट्रदया। उन्होंने यह भी कहा क्रक इन प्रयोर्ों में प्रतिभागर्यों को अनस
ु ध
ं ान की
िास्िविक प्रकृति के बािे में धोखा दे ना आिश्यक हो सकिा है ।
3. समाज मनोविज्ञान का प्रािं भभक काल
सामाजजक मनोविज्ञान को उन शोधकिाथओं द्िािा ऊजाथ भमली, जजन्होंने यह समझने
का प्रयास क्रकया क्रक द्वििीय विश्ि युद्ध के दौिान जमथन िानाशाह एडॉल्फ ट्रहर्लि ने
अपने अनय
ु ातययों में इिनी चिम आज्ञाकारििा औि भयानक व्यिहाि कैसे पैदा क्रकया
होर्ा। मज
ु ाक्रफि शेरिफ़ (1936) औि सोलोमन ऐश (1952) द्िािा अनरू
ु पिा पि क्रकए
र्ए अध्ययनों के सार्-सार् स्र्े नली भमलग्राम (1974) द्िािा आज्ञाकारििा पि क्रकए
र्ए अध्ययनों से पिा चला क्रक सामाजजक समह
ू ों में अनुरूपिा के दबाि का महत्ि
औि सत्ता में बैठे लोर् कैसे आज्ञाकारििा पैदा कि सकिे हैं। लोर्ों को दस
ू िों को र्ंभीि
नक
ु सान पहुुँचाने के भलए प्रेरिि किने की हद िक।
3. समाज मनोविज्ञान का प्रािं भभक काल
क्रफभलप जजम्बाडो ने अपने प्रभसद्ध "जेल प्रयोर्" (है नी, बैंतस, औि जजम्बाडो, 1973)
में पाया क्रक सामान्य पुरुष कॉलेज के छात्र जजन्हें एक नकली जेल में र्ाडथ औि
कैट्रदयों की भभू मका तनभाने के भलए भिी क्रकया र्या र्ा, िे अपने कायों में इिने
व्यस्ि हो र्ए , औि उनकी बािचीि इिनी ट्रहंसक हो र्ई क्रक अध्ययन को जल्दी
समाप्ि किना पडा | इस शोध ने क्रफि से सामाजजक सेट्रर्ंर् की शजति का प्रदशथन
क्रकया।
4. 1940-1970 के िीच का समाज मनोविज्ञान
ित्काभलन परिजस्र्तियों में द्वििीय विश्ियद्
ु ध का बहुि ही व्यापक प्रभाि पडा. कोई
भी विषय इस प्रभाि से अछूिे नहीं र्े िैसे ही समाज मनोविज्ञान में भी इसका काफी
प्रभाि पडा। प्रभाि का ही परिर्ाम र्ा की मनोिैज्ञातनकों के अध्ययन के मख्
ु य विषय
प्रचाि (propaganda), पूिाथग्रह (prejudice), अनुनय (persuation), मनोिवृ त्त मापन
अंििाथष्रीय सम्बन्ध (international relation) िर्ा जनसम्पकथ (mass
communication) का िैज्ञातनक अध्ययन किना प्रािं भ कि ट्रदए। 1941 में विभलयम
िाइर् (William White, 1941) ने बच्चों के समह
ू का अध्ययन किके उनकी सामाजजक
अंिःक्रिया के पैर्नथ के बािे में बिलाया।
4. 1940-1970 के िीच का समाज मनोविज्ञान
कालथ होिलैंड एिं उनके सहयोगर्यों (Carl Hovland et.al.) ने इसी काल में अनेकों ऐसे
अध्ययन क्रकये जजनमे सामाजजक मनोिवृ त्त पि विश्िासोत्पादक या प्रभाक संचािर्
(persuasive communication) के पडने िाले प्रभाि का अध्ययन क्रकया र्या। इसी
दशक में सबसे महत्त्िपर्
ू थ अध्ययन फेजस्िंर्ेि (Leon Festinger) ने 1957 में क्रकया।
अपने अध्ययन के आधाि पि इन्होंने संज्ञानात्मक विसंिाट्रदिा का भसद्धांि (theory
of cognitive dissonance) जजसके अनस
ु ाि जब व्यजति का व्यिहाि िर्ा उसकी
ििथमान मनोिवृ त्त एक दस
ु िे के असंर्ि होिे हैं िो व्यजति में एकक प्रकाि की अवप्रय
एिं िनाि की जस्र्ति उत्पन्न होिी है . इसे कम किने के िह अपनी मनोिवृ त्त में
परिििथन कि व्यिहाि को अनक
ु ू ल बना लेिा है ।
5. 1970 के िाद का समाज मनोविज्ञान
1970 के दशक की शुरुआि में , डायकस्रा हॉलीिुड के विशेष प्रभाि के ट्रदगर्ज
डर्लस रं बल
ु के सार् काम कि िहे र्े, जजन्होंने कुछ साल पहले "2001: ए स्पेस
ओडडसी" में अभि
ू पूिथ दृश्य प्रभाि बनाने के भलए स्र्े नली कुब्रिक के सार् साझेदािी की
र्ी।
"मैंने मॉडल डडजाइन क्रकए, मॉडल बनाए, मॉडलों की िस्िीिें खींची," डायकस्रा उस
क्रफल्म तनमाथर् कायथ को याद कििे हैं जो िह उस समय कि िहे र्े जब िह बकथले
लैब के प्रयोर् में शाभमल हुए र्े। लैब के स्र्ाफ के एक सदस्य ने उनसे संपकथ क्रकया
औि कुछ ही समय बाद उन्होंने खद
ु को एक ऐसे मॉडल का क्रफल्मांकन कििे हुए
पाया जो काफी हद िक ु ा हुआ र्ा।
जमीन से जड
1970 के दशक में यस
ू ी बकथले की पयाथििर् भसमलु ेशन प्रयोर्शाला में मैरिन काउं र्ी मॉडल के बर्ल में बाि कििे हुए
डोनाल्ड एप्पलयाडथ (बाएं) औि जॉन डाइतस्रा।
5. 1970 के िाद का समाज मनोविज्ञान
1970 के बाद का समाज मनोविज्ञान (Social Psychology after 1970)-1970 के
बाद के समाज मनोविज्ञान का इतिहास कुछ ऐसा है जजसमें इससे पहले शुरू क्रकये
शोध कायों (research works) को जािी िखिे हुए कुछ इस ििह की नई-नई
सामाजजक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन क्रकया र्या है जजनसे समाज मनोविज्ञान एक
अन्िःशास्त्रीय विज्ञान (interdisciplinary science) बन सके। 1970 से आज िक
की अिगध में समाज मनोिैज्ञातनकों द्िािा जो कायथ क्रकये र्ये है उन्हें ध्यान में िखिे
हुए हम इस तनष्कषथ पि पहुंचिे है क्रक इनलोर्ों ने मल
ू रूप से तनम्नांक्रकि पाुँच क्षेत्रों
में सक्रिय योर्दान किके इस शाखा की र्रिमा को बढाया है -
5. 1970 के िाद का समाज मनोविज्ञान
1) कुछ समाज मनोिैज्ञातनकों ने पयाथििर्ी कािकों (environmental factors) के
महत्िपूर्थ पहलओ
ु ं जैसे-िाप (heat), आिाज (noise) िर्ा भीड-भाड (crowding)
द्िािा सामाजजक व्यिहाि पि पडने िाले प्रभािो का अध्ययन विस्िि
ृ रूप से क्रकया
है । इस ििह से इन लोर्ों ने मनोविज्ञान की एक नयी शाखा, यानी पयाथििर्ी
मनोविज्ञान (environmental psychology) के क्षेत्र में सक्रिय योर्दान क्रकया है ।
2) र्र्
ु ािोपर् (attribution) एक दस
ू िा महत्िपर्
ू थ क्षेत्र है जजसमे समाज मनोिैज्ञातनकों
द्िािा अगधक-से-अगधक शोध (research) एिं प्रयोर् क्रकये जा िहे हैं। र्र्
ु ािोपर् एक
ऐसी सामाजजक प्रक्रिया है जजसमें व्यजति के बाह्य व्यिहािों के आधाि पि उसको
प्रेिर्ा (motives), आिश्यकिाओं (needs) िर्ा इच्छाओं आट्रद को समझा जािा है ।
5. 1970 के िाद का समाज मनोविज्ञान
3) शाजददक संचाि या संप्रेक्षर् (non-verbal communication) के क्षेत्र में आज के
समाज मनोिैज्ञातनक काफी महत्त्िपर्
ू थ कायथ कि िहे है । हाि-भाि (gestures) िर्ा
शािीरिक र्ति (bodily movements) द्िािा कुछकहने िर्ा समझने की प्रक्रिया को
अशाजददक संचाि कहा जािा है ।
4) यौन व्यिहाि (sexual behaviour), प्याि (love) िर्ा अंििेयजतिक आकषथर्
(interpersonal attraction) के क्षेत्र में आधतु नक समाज मनोिैज्ञातनक काफी
सक्रिय कायथ कि िहे है । इनमें क्रकये जा िहे शोध एिं प्रयोर् द्िािा यह तनजश्चि
किने की कोभशश की जा िही है क्रक व्यजति क्रकन-क्रकन कािर्ों से एक-दस
ू िे के प्रति
आकवषथिहोिा है , क्रकस परिजस्र्ति में आकषथर् सबसे अगधक होिा है , आट्रद।
6. समाज मनोविज्ञान के कायथक्षेत्र
इसका क्षेत्र स्र्ाई ि तनश्चि नही है । इसके क्षेत्र िर्ा समस्याओं को सीमाबद्ध किना कट्रठन है ।
क्रफि भी संक्षेप में इसे तनम्निि ् स्पष्र् क्रकया जा िहा है -
1) व्यसति के सामासजक व्यिहाि :- मानि के अगधकिि व्यिहाि पि सामाजजक कािर्ों का
प्रभािपडना स्िाभाविक है । मनोविज्ञान विभभन्न परिजस्र्तियों में व्यिहाि का विश्लेषर् किके
व्यिहाि िर्ा कािर् के बीच तनयमपर्
ू थ सम्बन्ध स्र्ावपि कििा है । अिः जीिन के प्रत्येक
पहलू में सामाजजक मनोविज्ञान का क्षेत्र तनट्रहि हैं।
2) िालक के सामाजीकिण :- भशशु जैसे बडा होिा है िैसे-िैसे उसमें सामाजजक समझ भी बढिी
है । िदनस
ु ाि िह सामाजजक व्यिहाि भी किने लर्िा है । भशशु के सामाजजक अगधर्म प्रिम
का जीिन में अत्यगधक महत्ि है । अिः बच्चों में अच्छे र्ुर्ों का विकास िर्ा अिांतछि
व्यिहािों को तनयंब्रत्रि किने हे िु उपयुत
थ ि परिजस्र्तियाुँ उत्पन्न किना सामाजजक
मनोिैज्ञातनकों का मुख्य कायथ है ।
6. समाज मनोविज्ञान के कायथक्षेत्र
3) सां्कृतिक कािकों का मूलयांकन :- सांस्कृतिक परििेश की जो विशेषिाएुँ होंर्ी उसी के
अनुरूप व्यजति में र्ुर्ों का विकास होर्ा। उदाहिर्ार्थ-धाभमथक परििेश में पले बच्चों में दया,
धमथिर्ा सहनशीलिा अगधक होर्ी औि आिामक परििेश में पले बच्चे झर्डालू असट्रहष्र्ु
एिं अिांतछि हो सकिे हैं। इन समस्याओं का अध्ययन समाज मनोविज्ञान का ही कायथ है ।
4) िैयसतिक एिं समह
ू भभन्निा :- क्रकसी विशेष समह
ू के सदस्यों में समानिा के सार्-सार्
असमानिा भी पायी जािी है । िह समह
ू भी विशेषिा से प्रभाविि िो िहिा ही है सार् में
उसमें उसके अपने विभशष्र् र्र्
ु भी होिे हैं।
सार् ही उति कायथक्षेत्रों के अतिरिति समाज मनोविज्ञान में अन्य कायथक्षेत्रों का भी
समािेश है | जैसे- सामूट्रहक प्रिमों का अध्ययन, सामूट्रहक व्यिहािों का अध्ययन, अभभिवृ त्त एिं
पक्षपाि, िाजनैतिक उपयोगर्िा एिं प्रचाि |
7. भाििीय परिपेक्ष में समाज मनोविज्ञान की
एक झलक
भाििीय सामाजजक मनोविज्ञान: 'पािं परिक सामाजजक मनोविज्ञान काफी हद िक धमथशास्त्र,
अर्थशास्त्र, महाभािि, पुिार् आट्रद ग्रंर्ों का व्यत्ु पन्न है । इन ग्रंर्ों में तनट्रहि सामाजजक
मनोविज्ञान की अिधािर्ाएं औि भसद्धांि न केिल भाििीय समाज को प्रतिब्रबंब्रबि कििे हैं बजल्क
सामाजजक मनोविज्ञान के मॉडलों को भी प्रतिब्रबंब्रबि कििे हैं। बीसिीं सदी की शरु
ु आि िक का
व्यिहाि। 'सामाजजक मनोविज्ञान की शुरुआि एनएन सेनर्ुप्िा द्िािा कलकत्ता विश्िविद्यालय में
पहले मनोविज्ञान विभार् की स्र्ापना से हुई र्ी औि उन्होंने 1928 में सामाजजक मनोविज्ञान पि
एक पुस्िक िैयाि किने के भलए प्रख्याि समाजशास्त्री िाधाकमल मुखजी के सार् भी काम क्रकया
र्ा। इसे अकादभमक समुदाय द्िािा व्यापक रूप से दे खा र्या र्ा। 'बाद के िषों में , भाििीय
सामाजजक मनोिैज्ञातनकों ने पि
ू ाथग्रह, रूट्रढिाट्रदिा औि सामाजजक दृजष्र्कोर् के क्षेत्रों में काम किना
जािी िखा। विभभन्न दृजष्र्कोर् उपाय अपनािे हुए बडे पैमाने पि सिेक्षर् आयोजजि क्रकए र्ए |
7. भाििीय परिपेक्ष में समाज मनोविज्ञान की
एक झलक
'सत्ति के दशक के अंि िक, भािि में सामाजजक मनोविज्ञान में पजश्चमी भसद्धांिों की
प्रयोज्यिा के प्रति मोहभंर् बढ िहा र्ा। इस बाि के बढिे प्रमार् र्े क्रक पजश्चमी र्ोलाधथ में
विकभसि सामाजजक-मनोिैज्ञातनक भसद्धांि सामाजजक परिििथन औि विकास की हमािी जट्रर्ल
समस्याओं का समाधान प्रदान नहीं कििे हैं।
'भािि में सामाजजक मनोिैज्ञातनक अनुसंधान मुख्य रूप से उपलदध (पजश्चमी) िैचारिक
श्रेणर्यों की मदद से िास्िविकिा का िर्थन किने से संबंगधि िहा है , जजसका उनकी सांस्कृतिक
जडों से बहुि कम सिोकाि है , हालांक्रक हाल के िषों में सांस्कृतिक संदभथ के प्रति संिेदनशीलिा
बढी है औि इसे समझने का प्रयास क्रकया जा िहा है । विभभन्न सांस्कृतिक संदभों में अिधािर्ाएुँ।
आशा है क्रक अप्रयत
ु ि सांस्कृतिक संसाधनों का उपयोर् किके सामाजजक मनोविज्ञान भाििीय
परिप्रेक्ष्य से भाििीय समस्याओं का समाधान ढूंढ सकिा है ।
7. भाििीय परिपेक्ष में समाज मनोविज्ञान की
एक झलक
'सत्ति के दशक के अंि िक, भािि में सामाजजक मनोविज्ञान में पजश्चमी भसद्धांिों की
प्रयोज्यिा के प्रति मोहभंर् बढ िहा र्ा। इस बाि के बढिे प्रमार् र्े क्रक पजश्चमी र्ोलाधथ में
विकभसि सामाजजक-मनोिैज्ञातनक भसद्धांि सामाजजक परिििथन औि विकास की हमािी जट्रर्ल
समस्याओं का समाधान प्रदान नहीं कििे हैं।
'भािि में सामाजजक मनोिैज्ञातनक अनुसंधान मुख्य रूप से उपलदध (पजश्चमी) िैचारिक
श्रेणर्यों की मदद से िास्िविकिा का िर्थन किने से संबंगधि िहा है , जजसका उनकी सांस्कृतिक
जडों से बहुि कम सिोकाि है , हालांक्रक हाल के िषों में सांस्कृतिक संदभथ के प्रति संिेदनशीलिा
बढी है औि इसे समझने का प्रयास क्रकया जा िहा है । विभभन्न सांस्कृतिक संदभों में अिधािर्ाएुँ।
आशा है क्रक अप्रयत
ु ि सांस्कृतिक संसाधनों का उपयोर् किके सामाजजक मनोविज्ञान भाििीय
परिप्रेक्ष्य से भाििीय समस्याओं का समाधान ढूंढ सकिा है ।
8. तनष्कषथ

'सत्ति के दशक के अंि िक, भािि में सामाजजक मनोविज्ञान में पजश्चमी भसद्धांिों
की प्रयोज्यिा के प्रति मोहभंर् बढ िहा र्ा। इस बाि के बढिे प्रमार् र्े क्रक पजश्चमी
र्ोलाधथ में विकभसि सामाजजक-मनोिैज्ञातनक भसद्धांि सामाजजक परिििथन औि विकास
की हमािी जट्रर्ल समस्याओं का समाधान प्रदान नहीं कििे हैं।
सामाजजक मनोविज्ञान आपके मन औि अन्य लोगों के सार् व्यिहाि का अध्ययन है ।
सामाजजक मनोविज्ञान आपके व्यजतित्ि, पािस्परिक संबंधों औि समह
ू व्यिहाि को दे खिा
है । सामाजजक मनोविज्ञान मानि जीिन के हि पहलू पि प्रभाि डालने िाला एक दिू र्ामी
क्षेत्र है जो सामाजजक औि व्यिहाि विज्ञान से संबंगधि क्रकसी भी अनश
ु ासन में ध्यान
आकवषथि कििा है ।
यट्रद आप िद्
ृ ध हैं, िो स्ियं को बदलने का प्रयास न
किें , अवपिु अपना परििेश बदले |
*िी. एफ. स्कनि (अमेरिकन मनोिैज्ञातनक)*

धन्यिाद

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